Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:25 PM,
#1
Lightbulb  Chodan Kahani छोटी सी भूल
"छोटी सी भूल 

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और लॉन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ कहानी कैसी हैं ये तो आपही बताएँगे दोस्तों जिंदगी मैं इंसान छोटी छोटी बहुत सी भूल करता लेकिन दोस्तों ये कोई नही जानता की कब कोई छोटी सी भूल जिंदगी को नरक बना दे ऐसा ही कुछ इस कहानी में मैं दिखाना चाह रहा हूँ अब आप इस कहानी का मजा लीजिये

मैने सोचा भी नही था कि मेरी एक छोटी सी भूल मेरी जिंदगी में एक तूफान ले आएगी. पिछले साल की बात है, 20 एप्रिल करीब 2 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी. गर्मी बहुत थी ईशालिए मैं थोड़ी ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की पर आ गयी.

बाहर से ठंडी हवा का झोंका मुझे तरो ताज़ा कर गया. तभी मुझे ख्याल आया की संजय(मेरे पति) आने वाले है और मैं वापस गॅस की तरफ मूड गयी.

संजय से मेरी शादी 2003 में हुई थी और उन्होने मुझे दुनिया का हर सुख दिया था. संजय एक डॉक्टर है और उनका अपना एक क्लिनिक है. हमारा 5 साल का बेटा भी है जिसको हम चिंटू कह कर पुकारते है.

मैं फिर से ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की की तरफ गई तो बाहर देख कर हैरान रह गई.

हमारी खिड़की के बिल्कुल सामने एक 18 या 19 साल का लड़का पेसाब कर रहा था. इश् से पहले कि मैं मूड पाती उस लड़के ने मुझे घूर कर देखा और मैं फॉरन वाहा से हट गई. मेरा दिल धक धक करने लगा, मैं थोड़ा डर गयी थी. पर क्योंकि मुझे लंच तैयार करना था इश्लीए मैं सब भूल कर अपने काम में लग गई, क्योकि संजय किसी भी वक्त खाना खाने आ सकते थे.

तभी डोर बेल बजी और मैने दरवाजा खोला तो पाया कि सामने संजय खड़े थे. उन्होने अंदर आ कर झट से मुझे बाहों मे भर लिया और कहा की आज शाम हम शादी में जेया रहे है. फिर हम तीनो ने खाना खाया. मैं खिड़की वाली बात बिल्कुल भूल चुकी थी.

संजय वापस क्लिनिक चले गये और मैं चिंटू को सुला कर नहाने चली गयी. शाम को हम शादी में गये और हमने खूब एंजाय किया. आते हुवे संजय ने कहा ऋतु तुम कल मेरे लिए लंच मत बनाना क्योकि मैं कल एक क्रूशियल सर्जरी करने वाला हूँ. मैने कहा ठीक है.

अगले दिन मैं रोज की तरह लंच बना रही थी. मैं ठंडी हवा लेने को खिड़की के पास गयी और अपने पसीने पोंछने लगी. तभी ना जाने कहा से एक लड़का आ गया और अपनी ज़िप खोल कर पेसाब करने लगा. मैं वाहा से फॉरन हट गई. मैने कुछ नही देखा.

तभी मुझे ख़याल आया कि अरे ये तो वही कल वाला लड़का है, इसने क्या यहा टाय्लेट बना लिया है. पर हमारे घर के पीछे थोड़ा शुन्सान था और पिछली तरफ कोई घर नही था, तभी शायद लोग यहा टाय्लेट करने लगे थे, पर मैने अब तक किसी और को नही देखा था .

हमारी किचन घर के पिछली तरफ होने की वजह से ये समस्या आन खड़ी हुई थी. खैर मैने सोचा की आगे से मैं ध्यान रखूँगी और कम से कम खिड़की की तरफ जाउन्गि.

अगले दिन संजय को लंच पर आना था इसलिए मैं कुछ ज़्यादा मेहनत कर रही थी. गर्मी से परेशान हो कर मैं खिड़की की तरफ गयी तो चैन मिला के बाहर कोई नही है और मैं ठंडी हवा का आनंद लेने लगी.

पर अचानक वही लड़का ना जाने कहा से आ गया और झट से अपनी ज़िप खोल कर अपना लिंग बाहर निकाल लिया. ये सब इतनी जल्दी हुवा के ना चाहते हुवे भी उसके लिंग पर मेरी नज़र चली गयी. मैं झट से वाहा से हट गयी और भाग कर अपने बेडरूम मे आ गयी.

मैने पहली बार संजय के अलावा किसी और का लिंग देखा था. उस लड़के के लिंग का साइज़ मेरी आँखो मे घूम रहा था. मैं हैरान थी कि इस लड़के का लिंग मेरे पति के लिंग से बड़ा क्यो लग रहा था.

मैने पसीने पोंछ कर पानी पिया ही था की अचानक प्रेशर कुक्कर की सीटी बज उठी और मैं होश मे आई कि संजय आने वाले है. मैं किचन मे वापस आकर अपने काम मे लग गयी. संजय 3 बजे आए और 4 बजे खाना खा कर चले गये. मैं चिंटू को सुला कर सोने के लिए बेडरूम मे लेट गयी.

पर मुझे नींद नही आई. मैं सोच रही थी कि आख़िर ये लड़का कौन है और अक्सर यही आकर क्यो पेसाब करता है, ये कोई इतेफ़ाक़ है या फिर वो ये जानबूझ कर, कर रहा है.

मैने फ़ैसला किया कि मैं रात को संजय से बात करूँगी. पर रात को मैं इस बारे में बात ना कर सकी क्योंकि संजय सेक्स के मूड मे थे और हम संभोग करके सो गये.

खैर अगले दिन मुझे चिंटू के स्कूल जाना था इसलिए मैं संजय के जाने के बाद कोई 11 बजे स्कूल के लिए निकली. स्कूल में चिंटू की मेडम ने बताया की चिंटू मेथ मे कमजोर है इसलिए इस पर ध्यान दीजिए. स्कूल के बाद मैं मार्केट गयी और कुछ खरीदारी की. 2 कब बज गये पता ही नही चला.

वापस आते हुवे मैने रिक्शा ले लिया और घर की तरफ चल दी. रिक्से वाले ने शॉर्ट कट के लिए हमारे घर के पीछे वाली गली से रिक्शा मोड़ लिया. मैने जो देखा वो देख कर मैं सहम गयी.

वही लड़का आज फिर हमारे घर के पीछे खड़ा था और हमारी किचन की खिड़की की तरफ देख रहा था. वह एक साइकल लिए था. मुझे रिक्से पर देखते ही वो साइकल खड़ी कर सीधा खड़ा हुवा और एक हाथ से अपनी पॅंट के उपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा. उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कुराहट थी, जिसे देख कर मेरा रोम-रोम काँप गया. वह मेरी तरफ एक टक देखता रहा. मैने अपनी नज़रे झुका ली और धीरे धीरे रिक्सा वाहा से आगे निकल गया. मैने घर पहुँच कर रिक्सा वाले को झट से पैसे दिए और सीधी घर के अंदर चली गयी.

मैं समझ चुकी थी कि ये लड़का ये सब जानबूझ कर ही कर रहा है. मैने घर मे घुसते ही 100 नंबर पर फ़ोन लगाया पर लाइन बिज़ी होने के कारण फोन नही मिला. मैने पानी पिया और सोचा कि आख़िर ये लड़का चाहता क्या है. मैने सोचा कि खिड़की से मेरा ये क्या बिगाड़ लेगा और मैं किचन की खिड़की में आ गयी.

वह खिड़की के सामने ही खड़ा था. दूर-दूर तक कोई नही था. इस से पहले की मैं कुछ बोल पाती उसने अपनी ज़िप खोली और अपने काले मोटे लिंग को हवा मे झूला दिया. मैं उसकी हिम्मत पर दंग रह गयी.

मैने ज़ोर से आवाज़ लगा कर कहा, हे यहा से दफ़ा हो जाओ, मैने पोलीस को फ़ोन कर दिया है, अगर तुम नही गये तो तुम्हारी खैर नही.

उसने झट से अपनी ज़िप बंद की और वाहा से चला गया.

मैने चैन की साँस ली. मैं खुस थी की ये बाला टल गई. पर मैं रोज 2 बजे के आस पास खिड़की से झाँक कर देखती कि कही वह फिर से तो नही आ गया.

पर ना जाने क्यों उसके लिंग की छवि मेरी आँखो में घूमती रही. एक मन कहता कि चलो अछा हुवा कि ये किस्सा यहीं ख़तम हो गया और एक मन कहता कि कास वो फिर यहा आकर पेसाब करे और मैं फिर से उसके लिंग को देखूं. मैने सोचा वो लड़का ही तो है 18 या 19 साल का, मैं 27 साल की हूँ, वो मेरा क्या बिगाड़ लेगा, अगर वो दोबारा यहा आता भी है तो मेरा क्या जाएगा.

मैं रोज खिड़की से देखती, पर कयि दीनो तक वाहा कोई नही दिखा.

एक दिन रोज की तरह मैने बाहर देखा तो वही लड़का खड़ा था. पहले मैं घबरा गई, पर फिर उसे दुबारा देख कर, ख़ुसी भी हुई.

वह चुप-चाप खड़ा हुवा खामोसी से मुझे घूरता रहा, मैं भी उसे देखती रही. ना जाने मुझे क्या हो गया था करीब 2 मिनूट तक हम अपनी- अपनी जगह खड़े हुवे एक दूसरे को देखते रहे. यही मेरी छोटी सी भूल थी, क्योंकि मैं जाने अंजाने उसे एक मोका दे रही थी. मुझे उस वक्त नही पता था कि मैं किस आग से खेल रही हूँ.

फिर वो अचानक खिड़की के और पास आ गया और बोला कि पोलीस तो नही बुलाओगी ?

मेरी गर्दन झट से ना के इशारे में हिल गई.

फिर वो बोला “ लंड देखोगी” अगर हां करोगी तो ही लंड बाहर निकालूँगा.

मैं अजीब सी कसंकश में पड़ गई, और कुछ भी बोल पाने की हालत में नही थी. उसने मेरी आँखो मे देखा और कहा, अरे शरमाती है तू तो, अपने पति का लंड नही देखती क्या.

ये कह कर वो धीरे से अपनी ज़िप खोलने लगा.

मैं शरम से लाल हो गयी, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा. मैं वाहा से हट जाना चाहती थी, पर पता नही मुझे क्या हुवा था कि मई वही खिड़की में ही खड़ी रही.

फिर मैने हिम्मत कर के कहा, मेरे पति आने वाले है, तुम यहा से चले जाओ.

वो बोला, अरे चुप कर मुझे सब पता है 3 बजे से पहले नही आएगा वो. चल अब बोल, मेरी चैन खुली है, लंड बाहर निकालु क्या.

मैं शरम से मरी जा रही थी. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि ये सब मेरे साथ हो रहा है. उसने अपना हाथ अपनी पॅंट में डाला और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.

मैं ना चाहते हुवे भी हैरानी से एक टकटकी लगा कर उसके लंबे काले लिंग को देखने लगी. मैने पहली बार इतने गोर से उसे देखा था, अब तक तो सिर्फ़ झलक ही देखी थी.

वो अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था. उसने पूछा कैसा लगा मेरा लोड्‍ा ?

मैं कुछ नही बोली, और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.

वो बोला, तुझे पता है तेरी फिगर कितनी मस्त है, मैने अक्सर तुझे शाम को मार्केट में तेरे पति के साथ देखा है.

मैं हैरानी से सब सुन रही थी.
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11-13-2018, 12:26 PM,
#2
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
उसने आगे कहा, तू जब चलती है तो तेरी गांद क्या छलकती है, सच तुझे मटक मटक कर चलते देख कर, मेरा लंड खड़ा हो जाता है और मन करता है तेरी गांद को दोनो हाथो से पकड़ कर, लंड घुसा दूं और तेरी खूब गांद मारू.

मैं शरम से पानी पानी हो गयी, पहली बार किशी ने मेरे बारे मे ऐसी गंदी बात कही थी. मैं आख़िर क्यों ये बकवास सुन रही थी पता नही, पर मेरे शरीर मे एक अजीब सी हलचल हो रही थी ये सब सुन और देख कर.

वो आगे बोला तेरी चुचिया तो इस सहर मे सबसे बड़ी है, शायद ही किसी की इतनी रसीली चुचिया होंगी, प्लीज़ एक बार दिखा ना.

मैने उशे गर्दन हिला कर सॉफ मना कर दिया, कि मैं ऐसा कुछ नही करूँगी.

थोडा मायूस सा होकर वो बोला, एक बात बता, तेरे पति का भी इतना बड़ा है क्या ?

और मेरी गर्दन अपने आप ना के इशारे मे हिल गयी. तभी मुझे कुछ जलने की बदबू आई मुझे ख्याल आया ओह्ह मेरी सब्जी जल गयी और मैं जल्दी से गॅस की तरफ भागी, पर नुकसान हो चुका था. मैं गॅस बंद कर के वापस खिड़की पर आ गयी.

वो बोला क्या हुवा, मुझे जाने क्या सूझा मैने कहा, तुम यहा से चले जाओ और दुबारा यहा मत आना. यह कह कर मुझे अजीब सा सकुन मिला. मुझे अहसास हो रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है ग़लत है.

मैं फिर अपने काम मे लग गयी, क्योंकि 3 बजने वाले थे, और संजय किसी भी वक्त आ सकते थे, मैने अपना पूरा ध्यान खाना बनाने मे लगा दिया. मैने कोई 10 मिनूट बाद खिड़की से बाहर देखा तो वाहा कोई नही था. मैने मन ही मन चैन की साँस ली. पर उस लड़के का कहा एक एक बोल मेरे कानो में गूँज रहा था. मैने सोचा की क्या मैं सच मे इतनी सेक्सी हू कि ये लड़का मुझ पर फिदा हो गया है.

उस दिन संजय के जाने के बाद, मैने खुद को शीशे में गोर से देखा . मैने अपनी फिगर पर नज़र डोदायी. मैने घूम कर अपने नितंबो को भी देखा और पाया कि मैं वाकई मे सुंदर हू. पहली बार मैने खुद को ऐसे नज़रिए देखा था. पर अचानक मेरा अपने परिवार पर ध्यान गया और मुझे होश आया, कि मैं ये क्या कर रही हूँ और मैने कपड़े पहने और शो गयी.

अगले दिन मैने फ़ैसला किया कि मैं खिड़की से बाहर नही झानकुंगी. पर मन में बार-बार उस लड़के के ख्याल आ रहे थे. उसका कहा एक एक बोल मेरे मन मे मानो बस गया था.

उष्का लिंग तो मानो एक मूवी की तरह मेरे दिमाग़ में घूम रहा था. मैं कब 2 बजने का इंतेजार करने लगी पता ही नही चला.

मैने ठीक 2 बजे बाहर देखा पर बाहर कोई नही था. मैं बार-बार आ कर देखती रही पर कोई नही दिखा. 3 बज गये और मेरे पति घर आ गये. मैं खाना सर्व करने लगी. संजय ने खाना खाया और करीब 3:30 बजे वापस चले गये.

मैं बर्तन रखने किचन मे आई तो देखा कि वह बाहर खड़ा था. मैं झट से खिड़की पर आ गयी. वो भी जल्दी से खिड़की के पास आ गया.

उसने कहा, आज मेरी साइकल पंक्चर हो गयी थी, इश्लीए 2 बजे नही आ पाया. मैने कुछ नही कहा पर मेरे शरीर मे उसे देख कर अजीब सी हलचल हो रही थी.

वो बोला, पता है कल मैने एक लड़की की चूत मारी, बहुत मज़ा आया, पर उसकी मारते हुवे मुझे तेरा ही ख्याल आ रहा था, मा कसम क्या बॉडी है तेरी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं तेरी ही चूत मार रहा हूँ.

मैने शरम से अपनी नज़रे झुका ली. मैने सोचा आख़िर ये लड़का ऐसी गंदी बाते क्यो करता है पर ये सच था कि ये सब सुन कर मेरी योनि गीली हो गयी थी. पहली बार मैने ऐसी बाते सुनी थी.

उसने पूछा, तेरा नाम क्या है ?

ना जाने क्यो मैने कहा, ऋतु, ऋतु गुप्ता.

मैने पूछा, तुम्हारा क्या नाम है.

उसने जवाब दिया ‘बिल्लू’ और गिड़गिदाते हुवे बोला, प्लीज़ एक बार अपनी चुचि दिखा दो, मैं भी तो तुम्हे अपना लंड दिखाता हू.

पर मुझ में इतनी हिम्मत नही थी कि संजय के अलावा, किसी और को अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखा सकूँ और मैं खामोश खड़ी रही.

वो समझ गया की मैं उसे अपने उभार नही दिखाउन्गी.

वो बोला ठीक है, मैं लेट हो रहा हूँ, मुझे काम पर जाना है.

मैने पूछा काम पर, क्या तुम पढ़ते नही हो ?.

उसने कहा, नही मैं एलेक्ट्रिक शॉप पर एलेक्ट्रीशियन हूँ, कभी तुम्हारे यहा बिजली की समशया हो तो बताना.

ये कह कर वो चला गया और मैं भी अपने बेडरूम में आकर लेट गयी.
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11-13-2018, 12:26 PM,
#3
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
शाम को संजय के आने के बाद मैं ब्यूटी पार्लर चली गयी. वाहा थोड़ा टाइम लग गया और 8 बज गये. मैं बाहर आकर रिक्शे का इंतेजार करने लगी. अचानक एक रिक्शा मेरे सामने आकर रुका. पर मैं रिक्शा वाले को देख कर सहम गयी.

वो बिल्लू था. मैने पूछा, तुमने झूट कहा था कि तुम एलेक्ट्रीशियन हो.

वो बोला, नही, वो सच था, मेरा वो काम थोड़ा मंदा है इसलिए कभी-कभी ये किराए का रिक्शा भी चला लेता हूँ.

मैने कुछ नही कहा और हैरानी से वाहा खड़ी रही.

वो बोला, चलो बैठ जाओ मैं तुम्हे घर पर उतार दूँगा.

मैं उसे अचानक देख कर सहम गयी थी इसलिए समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ.

फिर मैने सोचा घर तो जाना ही है, मैं लेट भी हो रही थी, और मैं डरते डरते उसके रिक्शे में बैठ ही गयी.

मैं रिक्शे मैं बैठ गयी और उसने रिक्शा चला दिया.

थोड़ी देर चलने के बाद वो बोला, मैने तुझे शाम को ब्यूटी पार्लर मे जाते हुवे देख लिया था.

मैने पूछा, तुम क्या, मेरा हर वक्त पीछा करते हो.

उसने जवाब दिया, अरे नही मैं यहीं रिक्शा स्टॅंड पर खड़ा था, शायद तुमने ध्यान नही दिया.

मैने कहा, ठीक है, रिक्शा ज़रा तेज चलाओ, में लेट हो रही हूँ.

वो बोला, आज मौसम कितना मस्त है ना.

मैने पूछा क्यों.

वो बोला, अरे उपर देखो बादल छाए हुवे है. तुझे भी ऐसा मौसम अच्छा लगता होगा ना.

मैं समझ गयी कि ये क्या सुन-ना चाहता है और मैं चुप रही और कुछ नही बोली.

थोड़ी देर बाद मैने कहा, मुझे घर जल्दी जाना है, प्लीज़ थोड़ा तेज-तेज चलाओ.

उसने जैसे कुछ नही सुना, और बोला, मेरा तो मन ऐसे मौसम मे तेरे जैसी मस्त आइटम की चूत मारने का करता है.

मैं ये सुन कर दंग रह गयी और कुछ नही बोली. मुझे ऐसा लग रहा था कि उसके रिक्शे में बैठ कर मेने जींदगी की सबसे बड़ी भूल कर ली है

उसने मुझे पीछे मूड कर देखा और मुझे आँख मारते हुवे बोला, क्या करू तू चीज़ ही ऐसी है.

मैने बिना कुछ कहे अपनी नज़रे झुका ली, और मैं कर भी क्या सकती थी.

मैने उसे फिर याद दिलाया , बिल्लू रिक्शा तेज चलाओ मुझे जल्दी घर जाना है.

पर वो धीरे-धीरे रिक्शा चलाता रहा, मानो उसने कुछ सुना ही ना हो.

वो बोला, एक शरत लगाती हो,

मैने ना जाने क्यो धीरे से पूछा, क्या,

वो बोला, आज कि रात, तेरा पति तेरी ज़रूर लेगा, ऐसे मौसम में कौन तेरी चूत नही मारेगा.

मैं कुछ भी बोलने की हालत में नही थी. मुझे लग रहा था कि ये लड़का कुछ ज़्यादा ही बोल रहा है और सारी शीमाए लाँघ रहा है. पर मैं कर भी क्या सकती थी, कही ना कही मेरी वजह से ही उसकी इतनी हिम्मत बढ़ी थी. मुझे शायद किचन की खिड़की बंद कर देनी चाहिए थी.

वो फिर पीछे मूड कर बोला, हे मुझपे तरस खा, आज मुझे भी दे, दे, देख ना इस मौसम में तेरे कारण मेरा लंड खड़ा हो गया है.

मैं कुछ नही बोली और चुपचाप उष्की बकवास सुनती रही. पर मेरे शरीर के रोम-रोम में एक अजीब शी हलचल हो रही थी.

वो फिर पीछे मुड़ा और बोला, बता चलती है क्या, मेरे साथ, मेरे घर मे कोई नही है.

मैने इस बार उसे सॉफ-सॉफ बोल दिया कि मुझे जल्दी घर जाना है, तुम रिक्शा तेज क्यों नही चलाते.

ये सुनते ही उसने रिक्शे की स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी देर वो चुप रहा. मैं भी खामोश बैठी रही.

अचानक वह फिर पीछे मुड़ा और मुझे घूर कर देखा, और धीरे से बोला, लगता है मेरी सारी मेहनत बेकार गई. मैने वो सुन लिया, पर कोई रिक्षन नही किया. मैं मन ही मन सोच रही थी कि, बेचारे की, क्या हालत हो रही है . पर इसमे, मेरी तो कोई, ग़लती नही थी. यही तो, मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ा था. मैने तो इसे, अपनी खिड़की पर, आने को, नही कहा था. उसे बड़े-बड़े ख्वाब देखने से पहले, एक बार, सोचना चाहिए था.

मैं किसी भी हालत मे अपनी शीमाए नही लाँघ सकती थी.आख़िर मेरा एक हंसता, खेलता परिवार था. मैं ये सब, सोच ही रही थी कि, रिक्शा अचानक रुक गया. मैने पूछा क्या हुवा. वो बोला रिक्शे की चैन उतर गयी है. और वो चैन चढ़ाने के लिए, रिक्शे से नीचे उतरा और रिक्शे के पीछे आ गया. चैन चढ़ा कर वो बोला, मैं थोड़ा पेसाब कर लेता हू, और सामने की झाड़ियो मे चला गया.
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11-13-2018, 12:26 PM,
#4
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं चुप-चाप बैठी रही. मई सोच रही थी की, बड़ा ही शरारेती लड़का है ये, पता नही अब क्या, करने वाला है. मैने सामने की झाड़ियो मे देखा तो, डंग रह गयी. उसने अपना लिंग बहेर निकल रखा था और मेरी तरफ, हिला रहा था. मैने फॉरन नज़रे फेर ली. कोई भी, ये नज़ारा देख सकता था. मुझे उस पर, गुस्सा आ गया.

वो थोड़ी देर बाद आया और बोला, कैसा लगा उन झाड़ियो मे, मेरे लंड का नज़ारा. मैने उसे डाँट ते हुवे कहा, तुम पागल हो गये हो क्या? कोई देख लेता तो. कम से कम, अपनी नही तो, मेरी इज़्ज़त की तो परवाह करो. वो तोड़ा सकपका गया और बोला ‘ओह सॉरी मुझे माफ़ कर दो’ मुझे इस बात का बिल्कुल ध्यान नही रहा. वो रिक्शे पर चढ़ा और रिक्शा चलाने लगा.

कुछ देर तक वो चुपचाप रिक्शा चलाता रहा.फिर अचानक, पीछे मुड़ा, और बोला, सबसे ज़्यादा, तुम्हारी ग़लती है. मैने गुस्से मे पूछा वो कैसे. वो बोला, तुम इतनी सुंदर जो हो, और उपर से, ये मौसम, मेरी तो बस जान जाने को है, प्लीज़ एक बार दे दो ना. मेरे मूह से अचानक निकल गया क्या ? और मैं मन ही मन मे बहुत पछताई कि, ये मैने क्या पूछ लिया, मैं तो जानती ही थी कि, इशे क्या चाहिए. वो झट से पीछे मुड़ा और मैने अपनी नज़रे झुका ली, मैं समझ गई थी कि, मैने इसे गंदी बाते करने का, मोका दे दिया है. वो बोला हाए-हाए क्या शरमाती है तू, सुनोगी नही कि, एक बार क्या दे दो. मैने शरम से, ना मे गर्दन हिला दी. वो बोला, हाए रे तेरी इशी अदा पे तो मैं मर मिटा हू, सच मे तेरी चूत लेने का मज़ा ही कुछ और होगा. मैं कसम ख़ाता हू, मैं किसी और की नही मारूँगा, बस एक बार तू मुझे अपनी दे, दे.

मैं शरम से लाल हो गयी, ये सोच कर कि, मैं ये सब क्या सुन रही थी. अचानक मेरा ध्यान रिक्शे के पीछे गया, और मैने देखा कि, एक साइकल वाला हमारे रिक्शे के बिल्कुल पीछे है. उसने शायद सब सुन लिया था. जैसे ही मैं पीछे मूडी मेरी उस से नज़रे टकराई, और उसने मुझे आँख मार दी. मैने फॉरन गर्दन मोड़ ली.

वो बहुत ही बदसूरत सा, काले रंग का, कोई 34-35 साल का आदमी था. मैं घबरा गयी कि अब क्या होगा. वो रिक्शे के बिल्कुल साथ-साथ चलने लगा और मुझे घूर्ने लगा.

मैने उसकी तरफ बिकुल नही देखा और नज़रे झुका कर बैठी रही. वो बोला, अरे वाह भाई, क्या माल पटाया है छोकरे तूने. मैं चुप चाप सुनती रही. वह मेरी तरफ देखते हुवे बोला, मुझे भी दे दे. मैने उसकी बात पर ध्यान नही दिया, पर वो, फिर बोला, आजा इसी सड़क पर मेरा घर है, मेरे साथ चल तुझे खुस कर दूँगा, तेरी आछे से लूँगा.मैने गुस्से मे उसकी तरफ देखा तो, मुझे अपनी नज़रे झुकानी पड़ी.

वह सारे आम, मेरी तरफ देख कर, साइकल चलाते हुवे, एक हाथ से, अपना लिंग मसल रहा था. मैं सोच रही थी कि देखो कैसी हालत हो गयी है मेरी, ऐसे बदसूरत आदमी से मुझे, ऐसी गंदी-गंदी बाते, सुन-नि पड़ रही है. पर मैं कर भी क्या सकती थी.

बिल्लू ने गुस्से मे उससे बोला, हे चल अपना रास्ता पकड़. वो बोला क्यो साले, ये तेरी बीवी है क्या. और बिल्लू फॉरन बोला ‘हा मेरी बीवी है’ चल निकल यहा से. मैं चुप चाप सब सुनती रही. मैं बिल्लू की बहादुरी पर खुस थी. पर उसने मुझे अपनी बीवी क्यो कहा ? मुझे ये सब अछा नही लग रहा था.

वो आदमी वाहा से नही हटा, और रिक्शे के साथ-साथ चलता रहा. कितना घिनोना, चेहरा था उसका. उसे देख कर ही, उल्टी आने को हो रही थी, और ऐसा आदमी मेरे बारे मे ऐसी गंदी बाते कर रहा था, सब कुछ बर्दस्त के बाहर था. उस आदमी की हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी, वो मेरी तरफ गंदे गंदे इशारे करने लगा.

बिल्लू ने रिक्शा रोक लिया, और उस आदमी को कहा, आबे क्या है, यहा से जाता है कि नही. तभी सड़क पर दो चार और वहाँ दिखे और वो आदमी सयद समझ गया कि अब यहा रुकना ठीक नही और सीधा आगे बढ़ गया.पर जाते हुवे, उसने पीछे मूड कर, मुझे देखा और मैने अपनी गर्दन घुमा ली, मैं उसके घिनोने चेहरे को नही देखना चाहती थी.

मैने मन ही मन चैन की साँस ली कि चलो ये बला टल गई. मैने बिल्लू को कहा, देखो तुमने मेरी कितनी, बेज़्जती करा दी. आज तक किसी ने, मुझे ऐसी बाते नही बोली थी, और ना ही किसी ने मुझे ऐसी नज़र से देखा था. मैने बिल्लू को कहा कि तुम प्लीज़ रिक्सा किसी दूसरे रास्ते से ले चलो, मैं उस आदमी को, दुबारा नही देखना चाहती. मुझे डर था कि, कही वो, दुबारा रास्ते मे मिल जाए.

और बिल्लू ने चुपचाप रिक्शा घुमा लिया. वो बोला, मेडम शांत हो जाओ, मैने उसे भगाया ना. मैने कहा पर तुम्हे ऐसी बाते करने की ज़रूरत क्या है.

वो मेरी तरफ मुड़ा और बोला क्या आपको मेरी बाते अछी नही लगती ? और मैं चुप हो गई, मेरे पास उसके सवाल का कोई जवाब नही था. मैं सोच मे पड़ गयी कि क्या वो, मेरी मेर्जी के बिना ये, बाते कर सकता था. जवाब मैं जानती थी. कही ना कही, मेरी ग़लती से ही, ये सब, मेरे साथ हो रहा था. मुझे क्या पता था कि ,मेरी छोटी सी भूल, बहुत बड़ी भूल, बन जाएगी.

खैर थोड़ी देर मे, मैं शांत हो गयी, और सोचा मुझे उस आदमी से क्या लेना देना, और चुप चाप मौसम का मज़ा लेने लगी. मैने उपर सर उठा कर देखा, तो घने बदल छाए थे. ऐसा लगता था कि, किसी भी वक्त बारिश हो सकती है.

उसने मुझे बदलो को घूरते हुवे देख लिया और झट से बोला, सच बता, क्या ऐसे मौसम मे, तेरा मन, किसी को अपनी… देने को नही करता?. मैं झट से बोली, किसी को क्या मतलब, मैं शादी, शुदा हू. मुझे सायड चुप रहना चाहिए था. उसे मानो, एक मोका और मिल गया, गंदी बाते करने का, और बोला, अछा तो तेरा मन सिर्फ़, अपने पति को देने का करता है. इस बार मैं चुप रही.

वो आगे बोला, अरे भाई इश् बिल्लू का, क्या होगा, जो दिन रात तेरी लेने के सपने देखता रहता है. मैने अब कुछ भी बोलना सही नही समझा. उसकी बाते और ज़्यादा गंदी होती जा रही थी पर मैं खुद पर हैरान थी, क्योंकि उसकी बाते सुन सुन कर मेरी योनि तरबतर हो गयी थी.
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11-13-2018, 12:26 PM,
#5
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
तभी बिल्लू ने पीछे मूड कर देखा, और बोला कि अभी कुछ मत बोलना, कोई पीछे से साइकल पर आ रहा है, मैने पूछा, हाई राम, कही वही आदमी तो नही. बिल्लू बोला, कैसी बात करती है, उसे तो मैने भगा दिया ना, अब वो नही आएगा. मैं वाकई मे बिल्लू से खुश थी कि उसने उस घिनोनी सूरत वाले आदमी को भगा दिया था. और मुझे ये भी अछा लगा कि अब वो रिक्शे के पीछे ध्यान रख रहा था.

थोड़ी दूर जा कर, एक आइस-क्रीम वाले के सामने, उसने रिक्शा रोक दिया. मैं बोली, ये क्या कर रहे हो, मैं लेट हो रही हू, और मौसम भी खराब है. उसने दो आइस-क्रीम ली और एक मुझे पकड़ा दी. वो बोला आइस-क्रीम खाओ और मन को ठंडा करो. वो रिक्शा चलते-चलते आइस-क्रीम खाने लगा. मैं मन ही मन सोच रही थी की, बेचारा कितनी कोशिश कर रहा है मुझे, पटाने की. मुझे उस पर दया आ रही थी कि, उसे मुझ से कुछ नही मिलेगा. ये मेरी मजबूरी थी.

अचानक मुझे ख्याल आया कि मई लेट हो रही हू. जब मैं घर से चली थी, तो संजय सोने जा रहे थे. पिछली रात, उन्होने पूरी रात क्लिनिक मे ऑपरेट करते हुवे बिताई थी. इसीलिए वो शायद ही उठे होंगे. पर चिंटू तो मौसी को परेशान कर रहा होगा (मैं चिंटू को पदोष मे अपनी एक मौसी के यहा छोड़ आई थी). मैने बिल्लू को कहा, रिक्शा थोड़ा तेज चलाओ, मुझे घर जा कर खाना बनाना है.

ये सुनते ही, उसने रिक्शा एक ढाबे के बाहर रोक दिया. वो बोला मैं एक मिनूट मे आया. उसने कुछ खाना पॅक कराया और मुझे थमा दिया, और बोला ये लो खाने की चिंता ख़तम,ये यहा का सबसे अछा ढाबा है. मैने पूछा, ये सब क्यो कर रहे हो, घर तो मुझे जाना ही है. उसने कहा, घर तो मैं तुझे ले जा ही रहा हू, ये खाना इसलिए है कि तू तेज-तेज चलने की बात ना करे, आख़िर पहली बार तेरे से मुलाकात हुई है, और वो भी ऐसे मौसम मे. खिड़की से देखने मे और ऐसे तेरे साथ रिक्शे मे फरक है, मैं आज बहुत खुस हू.

मैं सोचने लगी कि, बेचारा कितना तड़प रहा है मेरे लिए. बिल्लू पीछे मुड़ा और मेरी नज़रो मे झाँक कर बोला, सच बता, तुझे कैसा लगा था, जब मैने उस आदमी को कहा था कि ‘हा मेरी बीवी है’. मैने पूछा कहा क्या मतलब ? वो बोला, मतलब कि मुझे तो, बहुत अछा लगा, ये बोल कर कि, तू मेरी बीवी है, तेरे जैसी बीवी हो तो मैं दिन रात घर पर ही रहू, और दिन रात तेरी लेता रहू. उसने फिर से मुझे शरमाने पर मजबूर कर दिया और मैने बिना कुछ कहे नज़रे झुका ली.

वो बोला, बता ना, तुझे कैसा लगता, अगर मैं तेरे पति होता तो, क्या तू रोज रात को, मेरा बड़ा लंड झेल पाती. वो ऐसे, सवाल पूछ रहा था, जिनके कि, कोई भी भले घर की औरत, जवाब नही दे सकती थी. मैं एक ऐसे परिवार मे पली, बढ़ी थी जहा पर औरत को बहुत मर्यादाओ का पाठ पढ़ाया जाता है. और मैं, अपनी मर्यादाओ का, आदर भी करती हू. मैने ऐसी बाते, ना सुनी थी, और ना ही किसी से कही थी. इसलिए, मेरे पास, उसके किसी सवाल का, जवाब नही था. उस बेचारे को, क्या पता था कि, वो एक हारी हुई, बाजी खेल रहा है.

मैं किसी भी हालत मे, अपने असुलो को, नही भुला सकती थी. और मेरा सबसे बड़ा असूल था, अपने परिवार के प्रति ईमानदारी. आप लोग भी ये सब देख ही रहे होंगे की किस तरह बुराई, हम पर हावी होने की कोसिस करती है और किस तरह हमारी परम्परये, और हमारी मर्यादाए, हमे बचाते है. खैर मुझे खुद पर, विस्वास था कि, मई खुद की मर्यादाओ का पालन करती रहूंगी.

पर मैं सोच रही थी की इस शरारती लड़के का क्या करू. ये तो हर हाल मे मेरी……… पर आतुर है. अचानक आसमान मे, बिजली कोंधी और मैं डर गई. मैने बिल्लू को कहा, बिल्लू अब तो जल्दी करो, तूफान आने को है. वो पीछे मुड़ा और बोला इस से बड़ा तूफान तो आ ही चुका है, इस से क्यो डरती हो.

मैं सोचने लगी कि, वाकई मे बिल्लू सच बोल रहा था. उसका तो पता नही, पर मेरी जिंदगी ज़रूर एक तूफान मे फँस गई थी. और ये तूफान मेरे रोम-रोम मे मुझे महसूस हो रहा था. मैं जानती थी कि, मैं बिल्लू को, कुछ नही दूँगी, पर ना जाने क्यो मेरी योनि रस की नादिया बहा रही थी. ऐसा मेरे साथ, क्यो हो रहा था, पता नही. मैने अंदाज़ा लगाया कि शायद पहली बार इतनी एरॉटिक बाते सुन कर ऐसा हो गया है. बिल्लू पीछे मुड़ा और मेरी आँखो मे देखा. मुझे, उसकी आँखो मे, देख कर ऐसा लगा, मानो वो कह रहो हो कि, मैं हर हाल मे तेरी……रहूँगा. पर शायद, उसने भी मेरी आँखो मे, देख लिया होगा की, मैं किसी भी हालत मे उसे अपनी नही दूँगी."
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11-13-2018, 12:27 PM,
#6
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे.....................................

मौसम खराब, होता जा रहा था, और मैं अब घबराने लगी थी. मुझे अब, बिल्लू से डर लग रहा था.

मैं सोच रही थी कि कही ये कोई चालाकी तो नही कर रहा. मैने उसे आवाज़ लगाई और बोली कि, तुम जो मुझ से चाहते हो वो मैं तुम्हे नही दे सकती, तुम बेकार मे अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो.

वो पीछे मुड़ा, और बोला कि तेरे उपर तो मैं, वक्त क्या, अपना सब कुछ बर्बाद कर सकता हू. मैं सोच मे पड़ गई कि, आख़िर ये क्या मुशिबत है.

सामने से, एक खाली रिक्शा आता हुवा दिखाई दिया तो, मैने सोचा, अछा मोका है, इस बिल्लू के चंगुल से, निकलने का, और मैने उसे आवाज़ लगाई, भैया ज़रा रुकना. मैने बिल्लू को कहा कि तुम मुझे यही छोड़ दो, मैं अब और तुम्हारे साथ नही चल सकती.

उसने रिक्शा नही रोका और चलता रहा. मैने गुस्से मे कहा बिल्लू रोक रिक्शा मुझे उतरना है. और उसने रिक्शा रोक दिया. दूसरे रिक्शा वाला हमारे रिक्से के पास आया, और बोला कि मेडम कोई परेशानी है क्या. बिल्लू बोला हे, चल तू अपना काम कर, यहा कोई परेशानी नही है.

मैं रिक्से से उतरने लगी तो बिल्लू बोला, ऋतु जी प्लीज़ रुक जाओ, मैं अब कोई ग़लती नही करूँगा. मैं आपको अभी तेज़ी से घर पहुँचा दूँगा. ये सुन कर, मैने अपने कदम रोक लिए. मैं हैरान थी कि, उसने पहली बार, शभ्य भासा का इश्तेमाल किया था.

मैं वापस रिक्से मे बैठ गयी, और उसने रिक्सा आगे बढ़ा दिया.

हवा की तेज़ी बढ़ती जा रही थी, और अब चारो तरफ घन-घोर अंधेरा छा गया था. कुछ देर तक, सब ठीक रहा, और वो, चुपचाप, रिक्सा चलाता रहा.

पर, अचानक उसने ऐसी हरकत की, जिशे देख कर मैं फिर घबरा गयी. उसने तेज़ी से रिक्सा एक सुनसान गली मे मोड़ दिया. मैं परेशान हो गई. चारो तरफ तन्हाई थी. शायद मौसम के कारण लोग घरो मे बैठे थे. मेरे दीमाग मे चिन्ताओ के बदल छा गये. मुझे तरह तरह के बुरे खेयाल आने लगे.

ऐसे मे, ना जाने कहा से, मुझे अचानक, मेरे कॉलेज के दीनो की एक खौफनाक घटना याद आ गयी. उस दिन भी मैं ऐसे ही डर गई थी.

एग्ज़ॅम के दीनो का वक्त था. मैं कॉलेज की, लाइब्ररी मे एग्ज़ॅम के लिए, कुछ नोट्स बना रही थी. पढ़ते, पढ़ते, शाम हो गयी, और मैने देखा की, लाइब्ररी मे सिर्फ़ मैं ही पढ़ रही हू.

मुझे लगा, मुझे अब चलना चाहिए. मैने अपना बेग उठाया, और बाहर आ गयी. मुझे अचानक पानी की प्यास लगी. मैने दिन भर से, पानी नही पिया था. पर पानी का कूलर, जहा मैं खड़ी थी, उसके उपर वाले फ्लोर पर था. मैं पानी, पीने के लिए उपर आ गयी.

वाहा गिलास नही था, इसलिए मैं झुक कर हाथ से पानी पीने लगी. अचानक, मुझे अपने नितंबो पर हल्का सा दबाव महसूस हुवा, और मैने उसी पोज़िशन मे, पीछे मूड कर, देखा. मैने जो देखा, उशे देख कर, मेरे होश उड़ गये.

हमारे कोल्लेज का पेओन, अशोक, मेरे पीछे खड़ा था, और उसने अपने शरीर का वो हिस्सा, जहा आदमी का लिंग होता है, मेरे नितंबो से सटा रखा था. कोई अगर, दूर से देखता, तो उसे ऐसा लगता कि, वो मेरे साथ इस पोज़िशन मे कुछ कर रहा है.

मैं पानी, पीना भूल कर फॉरन सीधी खड़ी हो गयी. पर वो बड़ी बेशर्मी से वही खड़ा रहा.

मैने देखा की उसकी पॅंट मे उसका लिंग तना हुवा था. मैने गुस्से मे पूछा की ये क्या बाद-तमीज़ी है. वो बोला, मैडम कुछ नही, मैं तो यहा पानी पीने आया था, आप पानी पी, रही थी, इसलिए मैं आपके पीछे, लाइन मे खड़ा हो गया.

अशोक दीखने मे, बहुत ही बदसूरत था, उसकी नाक बहुत घिनोनी थी, और चेहरा एक दम काला था. पर मैने, उसके बारे मे, सुन रखा था कि, वह इस कॉलेज की, कई लड़कियो को, पटा कर, उनकी, ले चुका है. मुझे पूरा यकीन था कि, आज वह मुझ पर डोरे डाल रहा है, और उसने ये सब मेरे साथ जान-बुझ कर किया है. उसकी पॅंट मे, तना लिंग, भी यही गवाही, दे रहा था. मुझे बहुत, गंदी फीलिंग हो रही थी कि, ऐसे आदमी ने मेरे साथ ऐसी हरकत की है. मैं बर्दस्त नही कर पा रही थी. वो वाहा खड़े, खड़े मुझे घूर रहा था.

मैं घबरा गई, और सहम गई कि, यहा आस पास कोई भी नही है, और ये बदमास ऐसी, अश्लील हालत मे मेरे सामने खड़ा है.

वह मेरी परवाह किए बगार, अपने लिंग पर हाथ फेरते हुवे बोला, मेडम जी, आपको कोई ग़लत फ़हमी हो रही है. और मैने अपनी नज़रे दूसरी और घुमा ली.

मैं उसे कैसे कहती की, क्या ये तुम्हारी पॅंट मे तना हुवा लिंग, मेरी ग़लत फ़हमी है.

मैने कुछ भी कहना , मुनासिब नही समझा, और चुपचाप वाहा से चल पड़ी.

मैं शीधियो से उतर कर, फॉरन नीचे आ गयी और तेज़ी से कॉलेज के गेट की ओर चल दी. तभी मैने देखा क़ी वो जिस रास्ते पर मैं जा रही थी, उसी रास्ते मे, आगे खड़ा है. शायद वो किसी और रास्ते से वाहा पहुँच गया था.

मैने फॉरन अपना रास्ता बदला और भागना सुरू कर दिया और 2 मिनूट मे कॉलेज के बाहर आ गयी.

बाहर आ कर, मैने फॉरन एक ऑटो पकड़ा, और सीधी घर आ गयी. घर पहुँच कर मैने अपने पापा को पूरी बात बता दी. मेरे पापा जाने-माने आड्वोकेट है और उनके आचे ख़ासे कनेक्षन्स है. उन्होने अपने कनेक्षन्स का इश्तेमाल कर के उसे कॉलेज से निकलवा दिया.

वो एक दिन, मुझे कॉलेज के बाहर मिला, और रिक्वेस्ट करने लगा की, मेडम मुझे माफ़ कर दो. मेरी नौकरी, का सवाल है, मेरा एक छोटा बेटा है, एक बेटी है, उनकी मा भी नही है, मैं कैसे नौकरी के बिना उनको पलूँगा.

मैने उसे कहा, यहा से दफ़ा हो जाओ, ऐसी घिनोनी हरकत करने से पहले, तुम्हे सोचना चाहिए था.

मैने कहा मुझे सब पता है तुम लड़कियो को फँसा कर उनके साथ क्या करते हो. उसने मेरी आँखो मे झाँक कर पूछा, क्या करता हू मेडम.

और मैने नज़रे फेर ली, और उसे डाँट ते हुवे कहा, चुप कर, और यहा से दफ़ा हो जा. वो वाहा से हिला नही, और बोला मेडम आप मुझे अछी लगती हो, आप बहुत सुंदर हो, इस लिए मेरा मन फिसल गया, मैने जब आपको वाहा झुके हुवे देखा तो, ना जाने मुझे क्या हो गया, और मैं आपके पीछे सॅट कर, खड़ा हो गया, मुझे माफ़ कर दो मैं दोबारा ऐसा नही करूँगा.

उसके मूह से ये सब सुन कर मेरा मन खराब हो गया, मैं सोचने लगी कि ये बदसूरत मेरे बारे मे कैसी बाते कर रहा है. इसकी हिम्मत कैसे हुई ये सब सोचने की और कहने की.
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11-13-2018, 12:27 PM,
#7
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, चुप कर ये अपनी बकवास, और एक ऑटो वाले को रोका और घर चली आई. उसको कॉलेज से निकाले जाने पर सभी लड़किया खुश थी.

उसके बाद, मैने उसे कॉलेज के आस पास भी नही देखा और मैने चैन से कॉलेज की डिग्री हाँसिल की. थोड़े दीनो बाद, मेरी शादी संजय से हो गयी और मैं इस सहर मे आ गयी.

ये घटना, मुझे इसलिए याद आई, क्योंकि आज भी, मुझे डर लग रहा था कि, कही ये, बिल्लू मेरे साथ कोई, ग़लत हरकत ना कर दे. मुझे अपनी और अपने परिवार की इज़्ज़त की चिंता हो रही थी.

पर आज सब कुछ मेरी अपनी ग़लती के कारण हो रहा था. अगर मैं, खिड़की वाला किस्सा, आगे ना बढ़ने देती, तो मैं आज इस मुसीबत मे ना होती.

मैं पछता रही थी कि मुझे उस बिल्लू की बात नही सुन-नि चाहिए थी, और उस दूसरे रिक्से मे घर चलना चाहिए था.

तेज हवा चल रही थी और बारिश कभी भी आ सकती थी. मैने पूछा ये कोन सा रास्ता है. वो बोला, तुझे घर जाना है ना, मैं तुझे घर ही ले जा रहा हू, ये शॉर्टकट है.

अचानक मुझे, अपने घर के पीछे का भाग दीखा और मेरी जान मे जान आई.

उसने रिक्शा, सीधे मेरी किचन की, खिड़की के पास ला कर, रोक दिया, और मैं सहम गयी कि, अब क्या होगा.

चारो तरफ अंधेरा था, और दूर-दूर तक कोई नही था. वाहा तो, दिन मे ही कोई नही होता था, रात मे तो किसी के होने का, सवाल ही नही था. यही कारण था कि, मैं घबरा रही थी.

पर मुझे ये भी सेकून था की अब मैं अपने घर के पास तो हू. मैं रिक्शे से उतर गई. वो भी उतर कर मेरे पास आ गया और बोला कि लो तुम्हारा घर आ गया.

मैने उस से पूछा कि कितने पैसे हुवे. वो बोला मुझे तेरे पैसे नही चाहिए. मैं जल्दी से जल्दी, वाहा से, चल देना चाहती थी. मैने 50 रुपये निकाले और कहा ये रख लो, पर उसने नही लिए. मैने सोचा यहा खड़े रहना ठीक नही है और, मैं अपने घर की तरफ चल दी.

चारो तरफ घास, फूस और लंबी झाड़िया थी, जो की अंधारे के कारण और भी भयनक लग रही थी.

अचानक, उसने आगे बढ़ कर, मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला कि, क्या तू थोड़ी देर रुक सकती है.

मैने कहा नही, और उसने मेरा हाथ छोड़ दिया, और बोला आराम से जा, मैं यही खड़ा हू, कोई डरने की ज़रूरत नही है.

मैं झाड़ियो से निकल कर, अपने घर के सामने आ गयी, और अपने घर का दरवाजा खोल कर, अंदर आ गयी.

मैने घर के अंदर आ कर चैन की साँस ली. मैने सोचा हे भगवान मैं आज बाल-बाल बच गयी.

मुझे इस बात का, सेकून था कि, बिल्लू ने वाहा अंधेरी झाड़ियो मे, मेरे साथ कोई ग़लत हरकत नही की, और मुझे चुपचाप घर आने दिया.

मैने पानी पिया, और सीधे हमारे बेडरूम मे, आ गयी. मैने देखा की, संजय सोए हुवे है. मैने कपड़े चेंज किए और किचन मे खाना बनाने लग गई.

तभी मुझे चिंटू का ख्याल आया. मैने सोचा आराम से खाना बनाने के बाद मैं चिंटू को मौसी के यहा से ले आउन्गि.

मैने बिल्लू का दिया खाना, जान-बुझ कर, उसके रिक्शे मे ही, छोड़ दिया था. मैने, रिक्से मे बैठे, बैठे ही ये सोच लिया था कि, ये किस्सा आज यही ख़तम कर दूँगी.

मुझे बहुत ही, गिल्टी फीलिंग हो रही थी कि, मैं कैसे इस लड़के की गंदी हरकते, और गंदी बाते, बर्दास्त कर रही थी. मुझे चुलु भर पानी मे, डूब जाना, चाहिए था.

मैने उसे एक बार भी ये अहसास नही कराया था कि मैं उसके साथ कुछ करूँगी या उसे कुछ दूँगी. वो खुद ही बेकार की अश्लील बाते कर रहा था. ये सब सोचते-सोचते खाना बन गया, पर संजय अभी, शो ही रहे थे. मैने उन्हे उठना, सही नही समझा.

मैं फ्रेश होने के लिए, नहाने चली गयी. मैं नहा कर, बाहर आई तो मुझे बारिश की आवाज़ सुनाई दी, मैने मन ही मन, चैन की साँस ली कि, शुक्र है बारिश पहले नही आई, वरना वो बिल्लू पागल हो जाता. मैं बारिश का नज़ारा लेने के लिए किचन की खिड़की मे आ गयी.

मैने बाहर देखा तो, हैरान रह गई कि, बिल्लू अभी भी, खिड़की के पास खड़ा है. मुझे देख कर, वो खिड़की के, और पास आ गया. मैने पूछा, क्या हुवा ? तुम अभी तक गये क्यो नही.

वो बोला, ऐसे मौसम मे, मैं घर जा कर, क्या करूँगा, घर जा कर भी, बार-बार तेरी याद आएगी, और मैं मूठ मार कर सो जा-उँगा, इससे अछा है मैं यही खड़ा रहू.

बाहर अंधेरा बहुत था, पर मैं उसे हल्का हल्का देख पा रही थी. मैने कहा पागल मत बनो, यहा से चले जाओ.

वो बोला, नही आज मैं यही रिक्शा पर सो

जा-उँगा.
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11-13-2018, 12:27 PM,
#8
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं असमंजस मे पड़ गई कि क्या करू. अगर किशी ने इशे यहा देख लिया तो क्या होगा.

ये सच था कि, वाहा पीछे कोई नही आता जाता, पर अगर, बाइ चान्स किसी ने, उसे यहा मेरी खिड़की पर, नज़र गड़ाए देख लिया तो, मेरी बदनामी होगी.

मुझे उस पर भी, तरस आ रहा था कि बेचारा यहा मेरे लिए, यहा बारिश मे भीग रहा है. मैने सोचा इसे पीछे जा कर समझाती हू.

मैं बेडरूम मे गई, देखा संजय अभी भी सोए हुवे है. मैने सोचा, मैं जल्दी से उसे, यहा से भेज कर, वापस आ सकती हू. मैं चुपचाप छाता ले कर घर से बाहर आई, तो पाया की बारिश और तेज हो गयी थी.

ये एक तरह से अछा ही हुवा, अब मुझे कोई घर के पीछे जाते हुवे, नही देख सकता था, क्योंकि सभी लोग घरो मे थे.

कोई 2 मिनूट चलने के बाद, झाड़ियो से होते हुवे, मैं अपने घर के, पीछे आ गयी. मुझे यकीन था कि, मुझे किसी ने नही देखा.

मैने देखा कि, बिल्लू एक पेड़ के नीचे खड़े हुवे, मेरे किचन की तरफ देख रहा है.

मुझे देखते ही वो खिल उठा. वो भाग कर मेरे पास आया, और बोला अरे मैं तो, तुझे कब से, खिड़की मे बुला रहा था, और तुम यहा आ गयी.

मैने कहा, ये क्या पागल पन है ? वो बोला, आओ पहले उस पेड़ के नीचे चलो. मैं उसके पीछे,पीछे उस पेड़ के नीचे आ गयी जहा वो पहले खड़ा था.

मैने कहा, मेरे पास ज़्यादा वक्त नही है, मेरे पति किसी भी वक्त उठ सकते है, तुम प्लीज़ यहा से चले जाओ.

मैने कहा, देखो कितनी तेज बारिश हो रही है, ऐसी बारिश मे कोई बाहर रहता है क्या.

वो बोला, मैं तेरे जैसी मस्त आइटम को यहा छोड़ कर घर पर क्या करूँगा.

मैने कहा, देखो अब मज़ाक बंद करो. मैं शादी, शुदा हू, और मैं, अपने परिवार मे खुस हू. मेरा एक छोटा बेटा है. मेरी कुछ मर्यादाए है, जो मैं नही लाँघ सकती. तुम मुझ पर, वक्त बर्बाद मत करो, और किसी अपनी उमर की, लड़की से दोस्ती कर लो.

वो बोला, ये क्या मर्यादाओ की बात करती है, तू किस जमाने मे जी रही है, सेक्स मे कोई मर्यादा नही होती.

मैने कहा, सेक्स मे मर्यादा हो, या ना हो, पर मेरी जिंदगी मे मर्यादा है.

वो बोला, अगर तुझे मर्यादाए, इतनी ही प्यारी थी, तो तू रोज खिड़की मे आ कर, मेरा लंड क्यो देखती थी, और क्यो, मेरी सेक्सी बाते सुन-ती थी. मैं कुछ भी ना कह सकी, और शर्मिंदगी से, आँखे झुका ली.

मैने हिम्मत जुटा कर कहा, मैं भी एक इंसान हू, मुझसे ग़लती हो गई, पर अब मैं अपनी ग़लती सुधारना चाहती हू.

मैने उससे कहा, मैं आज के बाद तुम्हे नही मीलुन्गि और ना ही खिड़की पर से तुम्हे देखने आउन्गि, ये मेरा वादा है. तुम भी अब, सही रास्ते पर आ जाओ. अगर तुम्हे सेक्स की, इतनी ही भूक है, तो जल्दी से किसी लड़की से शादी कर लो.

वो तुरंत बोला, अरे मेरी उमर अभी शादी की नही है, और रही बात लड़कियो की मैने बहुत लड़कियो को ठोका है, मुझे सेक्स की नही तुम्हारी भूक है.

मैने कहा, तो फिर मुझे अफ़सोस है कि, तुम्हारी ये भूक, कभी नही बुझेगी. थोड़ी देर वाहा शांति छा गई, और हम दोनो कुछ नही बोले, मैने सोचा शायद वो मेरी बात समझ रहा है.

पर मैं ग़लत थी, उसने अचानक अपना दाया हाथ मेरे नितंबो पर रख दिया और उन्हे मसालने लगा. मेरे शरीर मे बिजली सी कोंध गयी.

मैने उसका हाथ, वाहा से फॉरन हटा दिया, और बोली, प्लीज़ ऐसा मत करो. मैं तुम्हे यहा समझाने आई हू, ना कि ये सब, बदतमीज़ी झेलने, आई हू. दुबारा ऐसा मत करना, वरना मैं चली जा-उंगी.

पर उस पर, मानो कोई असर नही हुवा, और मेरे नितंबो पर फिर से हाथ टीका दिया और उन्हे मसल्ने लगा. पहली बार किसी गैर मर्द के हाथ मेरे नितंबो पर थे, और मैं खुद पर शर्मिंदा हो रही थी.

मेरे नितंबो को, मसालते-मसालते, वो बोला, तू मुझे, कुछ मत दे, पर कम से कम, तेरी बॉडी को छू कर, महसूस तो कर लेने दे. मैं फिर यहा नही आ-उँगा. बस प्लीज़ एक बार मुझे तेरे शरीर को आछे से महसूस कर लेने दे.

मैं कुछ नही बोल पाई, और नज़रे झुका कर, खड़ी हो गयी.

मैं सोच मे पड़ गयी कि, क्या करू इस लड़के का, ये यहा से जाने को तैयार ही नही है. और मैं हर हाल मे उसे वाहा से दफ़ा करना चाहती थी.

मैने सोचा, ये मेरे नितंबो पर फिदा है, चलो इसे, उन्हे छू लेने दो. ये कहानी अगर, नितंबो से, ख़तम होती है तो, हरज ही क्या है, इसके बाद, मुझे मन की शांति तो मिलेगी.

मैने उसका हाथ, अपने नितंबो से हटाया, और बोली कि, यहा छूने से पहले, तुम वादा करो कि तुम, मेरे नितंबो को छूने, के बाद यहा से चले जा-ओगे, और फिर यहा नही आ-ओगे.

वो मेरी आँखो मे देख कर बोला, पक्का वादा, मैं तेरी गांद को, आछे से, महसूस करके, यहा से चला जा-उँगा, और दुबारा यहा नही आ-उँगा.

ये सब सुन कर, मेरा रोम-रोम कांप उठा. मैं असमंजस मे थी कि कही मई ग़लत तो नही कर रही. मैने अपने फ़ैसले को, सही ठहराने के लिए, तरक दिया कि मेरी, छोटी सी भूल की, शायद यही सज़ा है.
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11-13-2018, 12:27 PM,
#9
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं सोच रही थी की, मुझे, कुछ ना कुछ कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी.

वो बोला, मैं आराम से, तेरी गांद दबो-चुँगा, कोई जल्दी-जल्दी मत करना. मैने शरम और गिल्ट से अपनी नज़रे झुका ली और चुप-चाप खड़ी रही.

वो मेरे पीछे आ कर, खड़ा हो गया और अपने दोनो हाथो मे, मेरे नितंबो का एक-एक भाग थाम लिया और बोला, कब से तम्माना थी तेरी गांद पर हाथ फिराने की, कसम से तेरी गांद बड़ी कातिल है साली, जब भी तुझे मार्केट मे, देखता था, यही तम्माना होती थी कि, तेरी गांद को हाथो मे थाम कर, देखु कि, कैसी मुलायम है तेरी गांद. मैं तेरी गांद छूने को, तरसता रहता था, और तू अपनी गांद छलकती हुई चलती जाती थी. तू बहुत कमिनि चीज है.

मैने उसे कहा प्लीज़ कुछ मत बोलो मुझे शरम आती है, बस चुप-चाप छूते रहो. पर उसने मेरी बात नही मानी. वो तरह तरह से मेरे नितंबो को छू रहा था और गंदी-गंदी बाते बोल रहा था.

मैं ये सब सुन कर शरम से लाल हो गयी , और चुप-चाप नज़रे झुकाए वाहा खड़ी रही ताकि वो मेरे नितंबो से खेल कर, खुस हो कर, अपना जी भर कर, वाहा से हमेसा के लिए चला जाए.

उसने अचानक, बड़े ज़ोर से मेरे नितंबो को दबो-चा और मेरे मूह से अचानक निकल गया, आई… आराम से दबो-चो, दर्द होता है.

मैं वाहा चुपचाप, शर्मिंदगी से, नज़रे झुकाए खड़ी रही, और वो बड़ी बेशर्मी से मेरे, नितंबो से खेलता रहा.

मैं घबरा रही थी कि, कही किसी ने कुछ, देख लिया तो मेरा क्या होगा, मेरा परिवार बीखर जाएगा.

ये तो अछा था कि, बारिश बहुत तेज, हो रही थी, आस पास के सभी लोग घरो मे थे. मैं सोच रही थी कि, ये बदमास लड़का कब रुकेगा.

चारो तरफ अंधेरा था, जिस से मुझे बहुत डर लग रहा था. सुक्र है, मैं अपने किचन की, लाइट जला कर छोड़ आई थी. खिड़की से रोस्नी जहा हम खड़े थे वाहा तक पहुँच रही थी. ज़्यादा तो नही थी, पर मेरा डर कम करने को काफ़ी थी.

अचानक मैं चीख पड़ी ‘आईईईईई’, ये क्या किया. बदमास बिल्लू ने, मेरे नितंबो के दाए भाग पर काट खाया था. मैने कहा, बिल्लू दुबारा ऐसा मत करना. वो बोला, सॉरी, ग़लती से दाँत लग गये.

अचानक अपने सामने मुझे, झाड़िया हिलती हुई दीखाई दी. मेरा ये सोच कर, बुरा हाल हो गया कि, कही कोई, यहा आ तो नही रहा.

पर मैने सोचा इस बारिश मे यहा झाड़ियो मे किसी का क्या काम. मैने बिल्लू को कहा, बिल्लू रुक जाओ, वाहा झाड़ियो मे कोई है.

बारिश की आवाज़ मे शायद उसने कुछ नही सुना. तभी एक कुत्ता, झाड़ियो से उभरा, और हमे वाहा देख कर रुक गया.

मुझे कुत्ते को देख कर, चैन मिला क़ि सुक्र है वाहा कोई और नही था, पर मुझे हँसी आ गयी कि कुत्ता सामने खड़ा है और ये बिल्लू खुद कुत्ते की तरह मुझे काट रहा है.

वह कुत्ता, हुमे घूरते हुवे, वाहा से आगे गुजर गया. मैं डर रही थी कि कही वो हमारी तरफ ना, आ जाए.

बिल्लू अपने काम मे लगा हुवा था. अचानक वह रुक गया, और मैने महसूस किया कि, उसके हाथ मेरे नितंबो पर नही है. मैने सोचा चलो काम ख़तम हुवा, अब मैं घर जा सकती हू.

पर मैने, पीछे मूड कर देखा तो, चोंक गयी. बिल्लू अपने दोनो हाथो से, अपने पॅंट की, ज़िप खोल रहा था.

जैसे ही, मैने पीछे देखा, उसने मेरी तरफ बड़े ही, वहसी तरीके, से देखा. मैं सहम गयी, और इस से पहले कि, मुझे उसका लिंग दीखाई दे, मैने अपनी गर्दन वापस सामने घुमा ली.

मैं उसका लिंग नही देखना चाहती थी. उसे देखने के कारण ही तो मैं इस मुसीबत मे पड़ गयी थी.

मुझे खुद पर, शरम आ रही थी कि, मैं अपने ही घर के पीछे, यहा झाड़ियो मे, इस लड़के के हाथो का खिलोना बने खड़ी थी. पर मुझे संतोस था कि आज ये कहानी यही ख़तम होगी.

मैने बिल्लू को कहा, बिल्लू देखो, अब बहुत हो गया. मैं काफ़ी देर से यहा खड़ी हू. मैं घर से ईतनी देर तक, बाहर नही रह सकती, मेरे पति उठ गये तो क्या सोचेंगे.

पर वो कुछ नही बोला. एक मिनूट हो गया, और मुझे अपने नितंबो पर, कुछ महसूस नही हुवा. मैने पीछे मूड कर देखा, तो वो अभी भी अपनी पॅंट की ज़िप खोलने मे लगा था.

उसकी ज़िप शायद अटक गयी थी. मैं सोच रही थी कि चलो अछा हुवा.

वो बोला, मेरी मदद करो ना, देखना ये अटक गयी है. वह परेशान दीख रहा था. मैने कोई जवाब नही दीया.

मैने कहा बिल्लू, अब मैं जा रही हू, और वो बोला एक मिनूट-एक मिनूट, बस खुल गयी. मैने तुरंत अपनी गर्दन आगे घुमा ली.

मैने बिल्लू से कहा, प्लीज़ इसे, पॅंट के अंदर ही रखो.

उसने फिर से, दोनो हाथो से, मेरे नितंबो को थमा, और मेरे नितंबो के बीच अपना लिंग लगा कर धक्के मारने लगा.
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11-13-2018, 12:27 PM,
#10
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, बिल्लू ये ग़लत बात है, बात सिर्फ़ हाथो से

छूने की हुई थी, अपने लिंग को मुझ से दूर रखो.

पर वो नही रुका और धक्के लगाता रहा. उसका लिंग, मेरे नितंबो मे, चुभता हुवा महसूस हो रहा था.

वह बोला, तू भी क्या बात करती है, गांद को क्या, लंड के बीना, कोई महसूस कर सकता है. ये कह कर, उसने मेरे नितंबो से, अपने हाथ हटा कर, मुझे पीछे से, बाहो मे भर लिया, और नितंबो पर लिंग लगा कर धक्के मारने लगा. वो बोला, मैं तुझे आछे से, महसूस कर के ही, यहा से जाउन्गा.

मैं ये सुन कर पानी, पानी हो गयी. मेरी योनि से पानी की नादिया बह नीकली.

फीर उसने, अचानक अपने दोनो हाथो से, मेरा नाडा थाम लिया, और उसे खोलने लगा, मैने उसे डाँट दिया, बिल्लू सिर्फ़ कपड़ो के उपर-उपर से करो, और उसके हाथ अपने नाडे से दूर झटक दीए.

मैने सोचा, ये लड़का कितना चालक है, आगे ही आगे बढ़ता जा रहा है. मैं अब उसकी बाँहो मे थी और वो पीछे से धक्के मारे जा रहा था.

मैने सोचा, ईतना बहुत है. बल्कि मुझे अहसास हो रहा था क़ी, ये कुछ ज़्यादा ही, हो रहा है, और मुझे अब इशे दफ़ा कर के, अपने परिवार मे लॉट जाना चाहिए. मैने उसे अब यही, रोकने का फ़ैसला कीया और बोली, बस बिल्लू रुक जाओ, मैं अब जा रही हू.

वो बोला, अरे रूको ना, अभी तो, मज़ा आना, शुरू हुवा है.

मैने कहा, बस चुप हो जाओ ,छोड़ो मुझे और जाने दो.

वह बोला क्या तुम्हे मज़ा नही आ रहा.

मैने उससे कहा, अपने हाथ हटाओ, मैं यहा अपने मज़े के लिए नही खड़ी हू.

वो बोला, पर फिर भी तुझे मज़ा तो आ रहा होगा. मैने कहा, अगर तुमने, एक और गंदी बात बोली, तो मैं पथर उठा कर तुम्हारा सर फोड़ दूँगी.

उसने मुझे छोड़ दिया और बोला आ फोड़ दे सर.

मैं थोड़ी शांत हुई, और वो फिर से, मेरे नितंबो पर लिंग मसल्ने लगा.

मैं घूमी, और बोली की मैं अब जा रही हू. घूमते ही, मेरी नज़र उशके लिंग पर गयी, वह पूरा तना हुवा था, और ईतने करीब से, और भी ज़्यादा बड़ा लग रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला नाग मेरी तरफ फन उठाए खड़ा है, मैं उसे ईतने करीब से देख कर डर गयी.

उसने मुझे, उसके लिंग को घूरते हुवे, देख लिया और बोला, अछा लगता है ना तुझे ये.

मैने शरम से, नज़रे झुका ली, और कुछ नही बोली.

उसने मेरा हाथ पकड़ा, और अपने लिंग की तरफ खींचते हुवे बोला, ले, पकड़ ले, शरमाती क्यो है, ये पूरा का पूरा, तेरा ही है. मैने तुरंत अपना हाथ वापस खींच लिया.

मेरे रोम-रोम मे बीजली की ल़हेर दौड़ गयी.

मैं सोच रही थी कि, आख़िर इसका, ईतना मोटा और लंबा क्यो है.

अब तक मैने सिर्फ़ अपने पति का ही देखा था, और आज उसे ईतने करीब से देख कर लग रहा था के संजय का शायद इस से आधा ही होगा.

मैने सोचा, मैं संजय से, लिंग के साइज़ के बारे मे बात करूँगी, वो डॉक्टर है, उन्हे कुछ ज़रूर पता होगा.

मैं सोच मे, डूबी हुई थी, और बिल्लू कब मेरे नज़दीक आ गया मुझे पता ही नही चला.

उसका लिंग, मेरी योनि से, टकराने ही वाला था कि, मई तुरंत पीछे हट गयी.

मैने खुद को, कोसा की हे भगवान, मैं ये कैसी बाते सोच रही थी. मुझे लगा इश्का लिंग बार बार मुझे फसा देता है.

मैने अब बिल्लू की तरफ देखा और बोली, बिल्लू अब बहुत हो गया. प्लीज़ अब इसे पॅंट मे वापस डाल लो मुझे कुछ-कुछ होता है. वो बोला क्या होता है.

मैने उसे डाँटते हुवे कहा, तुम नही समझ सकते. मैने अपनी खिड़की की और देखा और उसे कोसने लगी.

मैं मूड कर चलने लगी, पर उसने, आगे बढ़ कर मेरा हाथ थम लिया. वो बोला एक मिनूट रुक तो.

मैने कहा ठीक है, पहले उसे पॅंट मे डालो.

उसने अपना लिंग पॅंट मे वापस डाल लीया और बोला, मैं बहुत खुस हू, मुझे बहुत-बहुत मज़ा आया. ईतना मज़ा तो किसी लड़की की चूत ले कर भी नही आया था, जितना मज़ा तेरी गांद से खेल कर आ गया.
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