Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:29 PM,
#21
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं आग बाबूला हो गयी और मैं चिल्ला उठी “उ बस्टर्ड” और एक ज़ोर दार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया. और बोली, दफ़ा हो जाओ यहा से, वरना तुम्हे पोलीस के हवाले कर दूँगी.

थप्पड़ इतनी ज़ोर का था कि मेरे हाथ मे दर्द हो गया.

पहली बार मैने उसके चेहरे पर डर देखा. वो एक पल को भी वाहा नही रुका और चुपचुप वाहा से रफू-चाकर हो गया.

मेरे मन को बहुत बड़ी शांति मिली.

कुछ लोगो ने मुझे उसे थप्पड़ मारते हुवे देख लिया था. इस से पहले कि कोई मुझ से कुछ पूछता, एक खाली ऑटो आ गया, मैने उसे हाथ दिया और उसमे बैठ कर सीधी घर आ गयी.

मैं खुस थी कि आज मैने उस बिल्लू की गंदगी बर्दास्त नही कि और उस नीच को उसकी सही औकात बता दी. मैं सोच रही थी कि ऐसा मुझे बहुत पहले कर देना चाहिए था.

अगर मैने पहले ही ऐसा किया होता तो, मेरी जींदगी मे ये तूफान नही आता. पर मैं खुस थी की कम से कम आज तो मैने उसे सबक सीखाया.

पर मेरी ये ख़ुसी ज़्यादा देर नही टिक पाई.

उस घटना के दो दिन बाद सुबह कोई 10 बजे का वक्त था, मैं आराम से घर के कामो मे लगी थी.

अचानक घर की बेल बजी.

मैने दरवाजा खोला, तो कोई बिल्लू की ही उमर का लड़का वाहा खड़ा था.

जैसे ही मैने दरवाजा खोला, वो मुझे उपर से नीचे तक देखने लगा.

मैने गुस्से में पूछा, क्या बात है ?

वो सकपका गया और बोला,

मेडम आपका कूरीएर है.

मैने कहा लाओ.

उसने एक लीफाफा मुझे थमा दिया.

मैने पूछा, ये किसका है, कहा से आया है.

वो बोला, मुझे नही पता, आप यहा साइन कर दो

और वो मेरे सिग्नेचर ले कर चला गया.

जाते, जाते उसने पीछे मूड कर मुझे बहुत ही अजीब सी नज़र से देखा.

मैने फॉरन दरवाजा बंद किया और लीफफ़े को गोर से देखने लगी.

मैं सोच रही थी कि आख़िर ये किसने भेजा है.

उसके उपर किसी भेजने वाले का नाम नही था.

मैने झट से उसे खोला.

उसके अंदर एक छोटा सा कागज मोड़ कर रखा हुवा था.

मैने वो कागज निकाला और उसे खोल कर पढ़ने लगी.

मैने जो पढ़ा, उसे पढ़ कर मेरे होश उड़ गये, मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया.

उसे में लिखा था,

ऋतु, बुरा मत मानना पर मेरी ग़लती से तुम मुसीबत में फस गयी हो. मैं हमारे बारे में एक डाइयरी लिख रहा था. उसमे अब तक जो भी हमारे बीच हुवा, सब कुछ लिखा था. उसमे ये भी लीखा था कि तुम डॉक्टर संजय की बीवी हो.

कल अचानक वो डाइयरी मेरे बापू के हाथ लग गयी. मेरा बापू बहुत गुस्से मे है. वो आज शाम को तुम्हारे घर आने की बात कर रहा था. मैने बड़ी मुस्किल से उसे ये कह कर रोका है कि, आज संजय घर नही है. मुझे दुख है कि ऐसा सब कुछ हो गया. अगर हमने कुछ नही किया तो, तेरे पति को आज नही तो कल सब कुछ पता चल जाएगा. आज तो मैने अपने बापू को रोक लिया. पर वो अब किसी भी दिन तुम्हारे घर आ सकता है.

प्लीज़ मुझसे एक बार मिल लो. हमे मिल कर इसका हल निकलना होगा. मैं आज दोपहर 1 बजे अपनी एलेक्ट्रिक शॉप पर तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा. तुम वाहा आ जाना हम आराम से कहीं बैठ कर बात करेंगे.

बिल्लू

मैं ही जानती हू कि मुझ पर क्या बीत रही थी.

मुझे लग रहा था कि ये बिल्लू की फिर से कोई चाल है. वो ज़रूर उस थप्पड़ का बदला लेना चाहता है.

पर मुझे ये भी डर सता रहा था की कही ये सब सच हुवा तो, अगर सच में उसका बापू यहा आ धमका तो क्या होगा ?
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11-13-2018, 12:29 PM,
#22
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
ऐसे काई सवाल मेरे दीमग मे घूम रहे थे. कब 11 बज गये पता ही नही चला.

मुझे ये फ़ैसला करना था अब मैं बिल्लू से मिलने जा-ऊँ या ना जा-ऊँ.

बहुत सोचने के बाद मैने फ़ैसला किया कि मुझे वाहा चल कर देखना तो चाहिए कि आख़िर पूरी बात क्या है, वाकाई में ये सच है या फीर वो कमीना बिल्लू कोई मज़ाक कर रहा है.

मैं कोई 12:30 बजे घर से चल दी.

घर से निकल कर मैने एक ऑटो किया और उसकी एलेक्ट्रिक शॉप के सामने आ गयी.

वो कुछ काम कर रहा था. मुझे देख कर उसने मुझे रुकने का इशारा किया. मैं वाहा एक घने पेड़ की छाया मे खड़ी हो गयी.

कोई 5 मिनूट बाद वो मेरे पास आया और धीरे से बोला, चलो पास के गार्डेन में चलते हैं.

मैने उसकी और देखा और कहा, चलो.

मुझे भी वाहा खड़े रहना अछा नही लग रहा था.

हम अलग, अलग पैदल चल कर गार्डेन में पहुँच गये, और एक कोने में जा कर बैठ गये.

वो बोला, कैसी है तू.

मैने पूछा, तुम्हे क्या लगता है मैं कैसी हो सकती हू.

वो बोला, क्या मतलब

मैने पूछा, ये क्या मज़ाक लगा रखा है.

वो बोला, ये मज़ाक नही है. मुझे ध्यान से देख सब पता चल जाएगा.

मैने उसे देखा तो पाया कि, उसे बुरी तरह से पीटा गया है. उसका मूह पीटाई से सूजा हुवा था.

वो बोला, कल बापू ने बहुत मारा है मुझे.

मैने मन ही मन में कहा अछा हुवा, ऐसे बेड्मास की यही सज़ा है.

वो बोला, मेरा बापू बहुत गुस्से में है.

मैने पूछा आख़िर तुम्हे क्या ज़रूरत थी ऐसी डाइयरी लिखने की.

वो बोला, क्या करता, मैं तेरी यादो को हर दम अपने साथ रखना चाहता था. तूने मुझ से मिलना भी छोड़ दिया. खिड़की भी बंद कर दी. अब बस तेरी यादे ही मेरा सहारा थी.

मैने पूछा, ये क्या पागलपन है, तुम मेरी जींदगी से खेल रहे हो.

वो बोला, मैं तुम्हे चाहता हू, तुम मुझे अछी लगती हो, मैं कोई खेल नही खेल रहा.

मैने कहा, बंद करो ये बकवास और ये बताओ कि अब तुम्हारे बापू का क्या करे. वो मेरे घर क्यो आना चाहता है.

वो बोला, तुझे नही पता, मेरा बापू तेरे पति को आछे से जानता है. तेरे पति ने मेरे बापू की किड्नी का ऑपरेशन किया था. तब से वो तेरे पति को पूजता है.

मैं हैरानी से चुपचाप बैठे हुवे सब सुन रही थी.

वो बोला, मुझे डर है कि मेरा बापू तेरे पति से ज़रूर मिलेगा और सारी बात उसे बता देगा.

मैने डरते हुवे पूछा, अब क्या होगा, तुमने ये कैसी मुसीबत में फसा दिया.

वो बोला, इस से पहले कि वो तेरे पति के पास जाए हमे मेरे बापू से मिलना होगा.

मैने पूछे हमे मतलब, ये तुम्हारी ग़लती है तुम खुद भुगतो.

वो बोला, ठीक है मैं तो जो होगा देख लूँगा. पर तेरा क्या होगा ? मुझे क्या फरक पड़ता है कि मेरा बापू तेरे पति से मिलता है कि नही. मेरे साथ तो जो हो सकता था , हो गया. इस से ज़्यादा क्या हो जाएगा मेरे साथ.

मैने सोचा, कि बात तो बिल्लू ठीक ही कह रहा है.

मैने पूछा, हम तुम्हारे बापू से मिल कर क्या करेंगे. अगर वो फिर भी नही माने तो.

वो बोला, वो सब तो मैं नही जानता, पर हम एक कोशिस तो कर ही सकते है.

मैने कहा क्या, कोई और रास्ता नही है.

वो बोला, नही मुझे तो पता नही, तू कुछ बता.

मैने बहुत सोचने के बाद बिल्लू से पूछा, हमे कब मिलना चाहिए.

वो बोला, कल सुबह मिलते है, आज वो वैसे भी बहुत गुस्से में है.

बातें करते, करते 2:15 बज गये. मैने पूछा, कहा मिलना है ?

वो बोला, हमारे घर पर.

मैने कहा नही, वाहा मुझे डर लगेगा. तुम उन्हे यहा गार्डेन मे ले आओ.

वो बोला, अरे पागल है क्या तू ? यहा सब लोग तमासा देखेंगे. हो सकता है मेरा बापू गुस्से में तेज, तेज बोलने लगे. यहा मिलना ठीक नही है, मेरे घर पर ही मिलते है.

मैं असमंजस में थी कि क्या करू. मुझे उसके घर जाना ठीक नही लग रहा था.

बार बार मुझे ये भी लग रहा था, कि कही ये बिल्लू की मुझे अपने घर पर बुलाने की कोई चाल तो नही.

पर मुझे उसके चेहरे पर जखम देख कर यकीन था कि वो सच बोल रहा है. और ये भी तो सच था कि मैं ऐसे नाज़ुक मोके पर उस पर यकीन करने के अलावा कर भी क्या सकती थी.
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11-13-2018, 12:29 PM,
#23
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने बिल्लू को कहा ठीक है, कल सुबह चलेंगे.

वो बोला, मैं रिक्सा लेकर तेरे घर आ जाउन्गा. तुम तैयार रहना.

मैने कहा नही, तुम वाहा मत आना. मैं यही गार्डेन में आ जाउन्गि. यहा से हम साथ चलेंगे.

वो बोला, ठीक है.

मैने पूछा, पर हम क्या बात करेंगे तुम्हारे बापू से.

वो बोला, उनसे माफी माँग लेंगे और क्या, और बोलेंगे की आगे से ऐसा नही करेंगे.

मैने पूछा अगर वो नही माने तो ?

वो बोला, हम एक कॉसिश तो कर सकते है.

मैने सोचा, इसके अलावा हमारे पास चारा भी क्या है.

मैने बिल्लू से कहा कि मैं चलती हू, कल यही मिलेंगे.

वो बोला मेरा रिक्सा यही पास में ही खड़ा है मैं तुझे छोड़ दूँगा.

मैने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं चली जाउन्गि

वो बोला, तुझे क्या हो गया, उस दिन तो बहुत मज़े कर रही थी मेरे साथ,

मैने कहा, तुमने मुझे बड़ी चालाकी से फसाया था. मैं कुछ भी नही करना चाहती थी.

वो बोला, पर मैने डालते हुवे पूछा था, कि डालु या नही. मैने तेरी मर्ज़ी के बिना कुछ नही किया था.

मैं कुछ नही बोल पाई.

वो बोला, जब मैने पूछा था कि निकाल लू या मार लू तो तूने ही कहा था कि मार लो. इस मे मेरी चालाकी कहा से आ गयी.

मैने कहा चुप रहो, तुम खूब आछे से जानते हो कि किसकी ज़्यादा ग़लती है. मेरी ग़लती इतनी थी कि मैने तुम्हे वक्त रहते थप्पड़ नही मारा. वरना आज मैं इस हालत में नही होती.

वो बोला, थप्पड़ मार तो दिया तूने.

मैने पूछा तो क्या तुम उसका बदला ले रहे हो

वो बोला, मैं क्या बदला लूँगा, मैं तो खुद इस सब से परेसान हू.

मैने कहा ठीक है, अब बात करने का कोई फ़ायदा नही, मैं चलती हू.

उसने मेरा हाथ थाम लिया और बोला, आज तू बहुत सुंदर लग रही है.

मैने उसका हाथ झटक दिया और बोली कि, अब इस सब का कोई फ़ायदा नही.

और मैं वाहा से चल दी.

उसने पीछे से आवाज़ लगाई, कल 10:30 पर यहा आ जाना

मैने गार्डेन से बाहर आ कर ऑटो किया और सीधी घर आ गयी.

रास्ते भर मुझे ये विचार सताता रहा कि क्या, बिल्लू के बापू से मिलना ज़रूरी है.

पर जैसा कि बिल्लू कह रहा था ऐसा लग रहा था कि वो किसी भी वक्त संजय से मिलने घर आ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि वो संजय से मिलने क्लिनिक चला जाए.

मेरे पास कल बिल्लू के घर जाने के अलावा कोई चारा नही था.

अगले दिन मैं 10 बजे बिल्लू के घर जाने के लिए, घर से चल दी. मैं ठीक 10:30 बजे गार्डेन में पहुँच गयी.

बिल्लू वाहा पहले से मेरा इंतेज़ार कर रहा था. मुझे देख कर वो मेरे पास आया और बोला, चलो बाहर मेरा रिक्सा खड़ा है, उशी में बैठ कर चलते हैं

मैने पूछा कि क्या तुम्हारे बापू को पता है कि तुम मुझे लेकर घर आ रहे हो.

वो बोला, नही, अगर पता होता तो वो कभी ना मिलता.

मैं घबरा रही थी कि आख़िर अब क्या होगा.

हम कोई 25 मिनूट चलने के बाद एक स्लम एरिया मे आ गये. चारो और गंदगी और कूड़ा करकट फैला था.

थोड़ा चलने के बाद बिल्लू ने रिक्सा एक पुराने से घर के बाहर रोक दिया.

मैने पूछा, यही है तुम्हारा घर.

वो धीरे से बोला हां.

मैं रिक्से से उतर गयी और चारो और देखने लगी.

सभी लोग मुझे वाहा अजीब सी नज़रो से देख रहे थे.

बिल्लू बोला, चलो अंदर चलते है, लोग हमे देख रहे है.

मैं घबराते हुवे बिल्लू के पीछे, पीछे घर के अंदर आ गयी.

घर मे कोई नही था.

मुझे पूरा यकीन हो गया कि ये बिल्लू मुझे यहा बहला फुसला कर लाया है,
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11-13-2018, 12:29 PM,
#24
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने पूछा कहा है तुम्हारे बापू ?

वो बोला पता नही शायद कही बाहर गये है, मैं देखता हू. उसने मुझे एक चेर दी, कहा बैठ जाओ, मैं अभी आया.

वो घर से बाहर चला गया.

मैं अजीब सी बेचानी लिए अपने चारो और देखती रही.

अचानक बिल्लू अंदर आया और बोला, बापू आ रहा है,

मैं बेचन हो उठी कि अब क्या होगा. और मेरे पाँव थर, थर कांम्पने लगे.

उसका बापू आकर, सीधा मेरे सामने खड़ा हो गया.

मैने नज़रे उठा कर देखा तो मैं और भी ज़्यादा डर गयी. उशके बापू का चेहरा बहुत भयानक था. उसने लंबी, दाढ़ी रखी हुई थी, और सर पर एक पगड़ी बाँध रखी थी. मैने उसे देख कर नज़रे झुका ली और चुपचाप बैठ गयी.

वो बोला, तुझे क्या इस पूरे सहर मे मेरा बिल्लू ही मिला था.

मैं सर झुकाए बैठी रही

वो बोला, ये सारा काम, धाम छोड़ कर तेरे चक्कर मे पड़ा है. कब से ये कोई भी पैसा घर नही लाया. ये रोज तेरे घर के चक्कर लगा रहा है.

मैने कहा, मुझे ऐसा कुछ नही पता, मैने कभी बिल्लू को ऐसा करने को नही कहा. मेरा बिल्लू से कोई संबंध नही है. आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है.

वो बोला, अछा तो ये बता कि क्या ये झूठ है कि तूने बिल्लू के साथ अपने घर के पीछे कुछ ग़लत काम किया था.

मैं चुप रही.

वो फिर बोला, बोल क्या ये झूठ है ?

मैने कहा, मेरी कोई ग़लती नही ?

वो बोला, इसकी डाइयरी में सब लीखा है. मैं सब कुछ तेरे मूह से सुनना चाहता हू.

मैने कहा, मुहज़े माफ़ कर दीजिए मैने कुछ नही किया.

वो बोला, अगर तूने कुछ नही किया तो यहा क्यो बैठी हो.

मैं कोई जवाब नही दे पाई.

वो बोला, पता है मैं तेरे पति की बहुत इज़्ज़त करता हू. तेरा पति देवता है और तू ये सब कर रही है.

मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.

वो बोला, अगर तू डॉक्टर संजय की बीवी ना होती तो तेरा ऐसा हाल करता कि तू किसी और लड़के पर डोरे डालना भूल जाती, तेरी यही लेता कर बुरी तरह से मारता

मैं शर्मिंदगी की हालत लिए चुपचाप बैठी रही. मुझे यकीन ही नही हो रहा था की मैं ये क्या सुन रही हू.

वो बोला, पर क्या करू तू डॉक्टर साहेब की बीवी है. मैं ऐसा कुछ नही कर सकता.

मैं क्या बोल सकती थी. वो खुद बकवास कर रहा था.

वो बोला, अगर तुम नही बोली तो मैं अभी के अभी डॉक्टर संजय के पास चला जाउन्गा.

मैने कहा, नही, नही प्लीज़, आगे से ऐसा नही होगा.

उसने पूछा क्या नही होगा.

मैने कहा, मेरा अब बिल्लू से कोई संबंध नही है.

इसका मतलब संबंध था.

बिल्लू बीच मे कुछ कहने लगा तो, उसके बापू ने एक जोरदार थप्पड़ उसके मूह पर जड़ दिया.

वो बोला, मैं इस से पूछ रहा हू तू चुप कर.

वो बोला, हा तो इसका मतलब संबंध था.

मैने कहा, ऐसा कुछ नही है. मुझ से बस एक बार ग़लती हो गयी. आगे से ऐसा नही होगा.
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11-13-2018, 12:29 PM,
#25
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
वो बोला, मैं आगे होने दू तब ना ऐसा करोगे तुम दोनो.

तुम्हे अभी मेरे साथ डॉक्टर संजय के क्लिनिक चलना है.

बिल्लू बोला, बापू ऐसा मत करो इसका पति इसे घर से निकाल देगा.

वो बड़ी बेशर्मी से बोला, तो अछा होगा इसे तू रख लेना. वैसे भी तू इसका दीवाना है, इशके साथ रह कर अपना मूह काला करना.

मैं सोच रही थी कि हे भगवान मुझे ये क्या, क्या सुनना पड़ रहा है.

बिल्लू आगे कुछ नही बोला.

उसका बापू मेरी तरफ मुड़ा और बोला, तू बता तेरे पति से कब बात करू.

बिल्लू फिर से बोला, बापू जाने दो ना. इसका घर उजड़ जाएगा.

वो बोला, घर तो उशी दिन उजड़ गया था जिश दिन इसने ऐसा काम किया था.

मैने फॉरन कहा, मुझे बिल्लू ने बहकाया था मेरी कोई ग़लती नही.

बिल्लू बोला, अरे वाह, मैने भड़काया था. तेरी मर्ज़ी के बिना नही डाला था मैने.

उसका बापू बोला, चुप करो तुम दोनो.

उसने फिर से मुझसे पूछा कि बता कब मिलू तेरे पति से मैं.

मैने कहा, प्लीज़ ऐसा कुछ मत कीजिए. मैं अब बिल्लू से नही मिलती, हमारे बीच अब कुछ नही है.

पर वो हसने लगा, और बोला, झूठ बोलती है, मुझे यकीन है कि तुम दोनो यहा आने से पहले कुछ कर के आए होंगे.

मैं ज़ोर से बोली, ऐसा कुछ नही है.

तू चाहे कुछ कहे, मैं तेरे पति से मिल कर रहूँगा. अगर उसे अभी नही बताया तो तू फिर से किसी और लड़के की जींदगी बर्बाद करेगी. बिल्लू को तो तूने निक्कमा बना ही दिया है.

बिल्लू बोला, बापू तुम भी कर लो ना ?

मैने चोंक कर उसकी और देखा, तो उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया.

उसका बापू ज़ोर से बोला, दफ़ा हो जाओ यहा से, और बिल्लू को वाहा से भगा दिया.

मैं और भी ज़्यादा घबरा गयी.

अब मैं वाहा अकेली थी.

वो बोला, ऐसा तुम लोग सोच भी कैसे सकते हो. मैं डॉक्टर साहेब की पूजा करता हू. छी….छी

वो बोला, क्या तुम अपने पति से खुस नही हो.

मैने कहा, खुस हू.

वो बोला, फिर ये सब क्यो किया ?

मैने कुछ नही कहा.

वो बोला, मैं आज तेरे घर आ रहा हू. तुम अब जाओ यहा से.

मैं घबरा गयी और बोली की प्लीज़ मुझे माफ़ करदो अब मेरे और बिल्लू के बीच कुछ नही है.

अचानक मेरी नज़र उसकी पॅंट पर गयी. मैने जो देखा उसे देख कर मैं हैरान रह गयी. उसका लिंग पॅंट के अंदर तना हुवा था.

मैने एक पल भी वाहा रुकना ठीक नही समझा और फॉरन बाहर आ गयी.

बिल्लू बाहर ही खड़ा था.

मैने कहा चलो मुझे घर जाना है.

उसने पूछा क्या हुवा.

मैने कहा, कुछ नही मुझे बस घर छोड़ दो.
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11-13-2018, 12:29 PM,
#26
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं फॉरन उसके रिक्से में बैठ गयी.

मैने गुस्से में पूछा, ये क्या बदतमीज़ी थी.

वो बोला, क्या हुवा.

मैने कहा, क्या हुवा, तुम अपने बापू को मेरे साथ क्या ?

और मैं पूरा सेंटेन्स नही बोल पाई.

वो बोला, इशके अलावा चारा भी क्या था. तुझे नही पता, औरत मेरे बापू की कमज़ोरी है. मैं सोच रहा था कि अगर वो एक बार तुम्हारे साथ करले तो……………

मैने उसे वही रोक दिया, चुप करो.

वो बोला, ठीक है मैं कुछ नही कहता.

उसने पूछा, क्या तेरे घर मे फोन है.

मैने कहा, हां है.

वो बोला, मुझे नंबर दे दे, कोई बात हुई तो बता दूँगा.

मुझे जाने क्या सूझी मैने उसे नंबर दे दिया और बोली कि, अपने बापू को फिर से समझाना.

वो बोला, क्या मतलब तू भी करने को तैयार है क्या ?

मैने गुस्से में कहा, चुप करो, मैं कह रही हू कि उशे समझना कि मेरे पति से ना मिले.

वो बोला, ठीक है.

मैने देखा कि बिल्लू फिर से अपना रिक्सा ,मेरे घर के पीछे मोड़ना चाहता है

मैने उसे फॉरन रोक लिया और बोली, मुझे घर के सामने उतारो.

वो बोला, पर मुझे लगा हम तेरे घर के पीछे थोड़ी बात कर लेंगे.

मैने कहा बाते बहुत हो गयी, तुम सामने के रास्ते से चलो.

और उसने चुपकहाप मुझे घरके सामने छोड़ दिया.

मैं फॉरन घर के अब्दर आ गयी.

मैं सोच, सोच कर परेशान थी कि आख़िर बिल्लू का बापू चाहता क्या है.

वो बाते तो बड़ी, बड़ी कर रहा था पर उसका लिंग उसकी पॅंट में ताना हुवा था, आख़िर वो कैसा इंसान है.

पूरा दिन मैं परेशान रही.

शाम को किचन मे खाना बनाते वक्त मेरे फोन की घंटी बजी.

मैने फॉरन फोन उठा लिया.

मैने कहा, हेलो, उधर से आवाज़ आई, ऋतु मैं बिल्लू बोल रहा हू.

मैने पूछा हां बताओ, क्या हुवा.

वो बोला, अभी कुछ नही हुवा, मेरा बापू मानने को तैयार नही है.

मैने उशे ये भी कहा कि तू उसके साथ एक बार कर लेगी पर वो नही माना.

वो तेरे पति से मिल कर सब बता देना चाहता है.

मैने कहा, तुम्हे ये सब बोलने की क्या ज़रूरत थी और फोन रख दिया.

मुझे तस्सली थी कि उसका बाप, बिल्लू जैसा नही है. बिल्लू होता तो ऐसा मोका नही छोड़ता. पर मैं हैरान थी कि उसकी पॅंट मे वो क्यो ताना हुवा था.

मैने सोचा मुझे ज़रूर कोई ग़लत फ़हमी हुई है.

मैं सोच रही थी कि अब क्या करू. तभी अचानक डोर बेल बजी और मैं डर गयी, की कही बिल्लू का बापू सच मे तो नही आ गया, वह आज आने के बारे मे बोल रहा था.

संजय के आने का भी वक्त हो गया था.
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11-13-2018, 12:29 PM,
#27
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने दरवाजा खोला, मैं चोंक कर बेहोश होने को हो गयी.

सामने बिल्लू का बाप खड़ा था. जिसका डर था वही हो गया.

मैने कहा, आप प्लीज़ यहा से जाओ.

वो बोला डॉक्टर साहेब कहा है.

मैने कहा वो घर पर नही हैं प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैं अब बिल्लू से नही मिलूंगी, अब तो सब ख़तम हो चुका है.

वो बोला, सब ख़तम हो जाने से तेरी ग़लती तो कम नही हो जाती. तेरे पति को पता तो चलना चाहिए कि तू क्या गुल खीलाती है उनके पीछे. मैं आज डॉक्टर से मिल कर ही जाउन्गा.

वक्त बढ़ता जा रहा था, संजय कभी भी आ सकते थे. मेरे पाँव थर, थर काँप रहे थे.

मुझे ना जाने क्या सूझी मैने उसे बोल दिया कि मैं कुछ भी करने को तैयार हू, आप प्लीज़ अभी यहा से चले जाओ.

वो बोला, तू मेरे लिए क्या करेगी ?

मैने गिड़गिदते हुवे कहा आप जो कहेंगे करूँगी, पर प्लीज़ अभी यहा से जाओ.

वो अचानक मुड़ा और वाहा से चला गया.

मैने चैन की साँस ली.

संजय उसके थोड़ी देर बाद घर आ गये. आकर वो फ्रेश होने चले गये.

मैं किचन में खाना बनाने लगी.

तभी अचानक फोन की घंटी बजी.

मैने उठाया तो उधर से बिल्लू की आवाज़ आई, मैने पूछा, बोलो क्या बात है.

वो बोला, मेरे बापू ने तुझे कल सुबह 11 बजे बुलाया है, मैं तुझे लेने आ जाउन्गा.

ये कह कर उसने फोन रख दिया.

मैं सब सुन कर बेचन हो गयी. मैं सोच रही थी कि आख़िर वो क्या चाहता है.

तब मुझे ध्यान आया कि मैं हड़बड़ाहट मे उसके बापू को क्या बोल गयी, थी.

उसे वाहा से भेजने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हो गयी थी.

मैं सोच रही थी कि ये कैसे नरक में फँस गयी हू मैं. मेरी छोटी सी भूल, अब छोटी ना रह कर बहुत बड़ी बन चुकी थी. पता नही अब क्या होगा ?

मैं रात भर बेचन रही कि अब क्या होगा. मन मे बार बार ये ख्याल आ रहा था कि मुझे संजय को सब बता देना चाहिए, शायद वो समझ जाए और मुझे माफ़ कर दे.

संजय करवट लिए दूसरी और लेते हुवे थे, पर मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नही हुई की मैं उन्हे उठा कर उनसे कुछ कह सकु.

मैं चुपचाप लेट कर अपनी किस्मत को रोती रही. मैं सोच रही थी कि आख़िर बिल्लू के बापू ने मुझे कल क्यो बुलाया है ? वो मुझसे क्या चाहता है?

तब मुझे ध्यान आया कि कैसे उसका लिंग उसकी पॅंट में तना हुवा था, और में ये सोच कर घबरा गयी कि कही फिर से तो मुझे वो सब नही करना पड़ेगा.

बड़ी मुस्किल से तो मैने बिल्लू से पीछा छुड़ाया था. कही फिर से वो मुझे अपने जाल में तो नही फसा रहा ?

ऐसे काई सवाल मेरे दीमाग में घूम रहे थे.

सुबह कब हो गयी पता ही नही चला, पर मैं एक पल को भी चैन से नही सो पाई. सारी रात दीमाग यहा वाहा घूमता रहा.

संजय ने ब्रेकफास्ट करते वक्त पूछा, ऋतु क्या हुवा आज ढीली ढीली लग रही हो, तबीयत तो ठीक है ना.

मैने कहा हा ठीक है तुम्हे यू ही लग रहा है.

मन तो कर रहा था कि मैं संजय को सब कुछ बता दू. पर मेरी बिल्कुल हिम्मत नही हुई. मैं ये सोच कर रुक जाती थी कि वो बिल्कुल बर्दास्त नही कर पाएँगे.

संजय और चिंटू के जाने के बाद मैं सर पकड़ कर बैठ गयी.

बड़ी मुस्किल से मैने धीरे, धीरे घर के कामो को निपटाया.
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11-13-2018, 12:30 PM,
#28
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं सब काम करके नहाने चली गयी.

मैं नहा कर बाहर निकली ही थी कि डोर बेल बज उठी.

मैं झट से बेडरूम की और भागी.

जल्दी से, कपड़े पहन कर मैं दरवाजा खोलने आ गयी.

जैसा की मुझे लग रहा था, सामने बिल्लू खड़ा था.

वो मुझे देख कर बोला, अरे तू अभी तक तैयार नही हुई 10:30 हो गये है. मेरा बापू गुस्सा हो जाएगा, पता है ना वो बड़ी मुस्किल से माना है.

मैं हैरान थी कि आख़िर ये बिल्लू इतना उतावला क्यो हो रहा है.

मैने उशे कहा तुम रिक्से पर वेट करो यहा किसी ने देख लिया तो परेशानी होगी, वैसे ही परेशानी बहुत है.

वो वाहा से चला गया और मैं अपने बेडरूम मे आ गयी.

मैं फिर से उसके बापू से मिलने नही जाना चाहती थी.

पर मेरे पास कोई चारा भी तो नही था.

मुझे डर था कि कही वो फिर से यहा ना आ जाए. मैं हर हाल में अपने परिवार को बचाए रखना चाहती थी.

दिल मे अजीब सी हलचल हो रही थी.

मुझे ये अहसास हो गया था कि बिल्लू के बापू ने मुझे क्यो बुलाया है. यही मेरी चिंता का सबसे बड़ा कारण था.

मैं खुद को गहरे दलदल में जाते हुवे महसूस कर रही थी.

जैसे दलदल से निकलने की कोशिस में हम और गहरे डूबते जाते है, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हो रहा था.

मैं तैयार हो कर, घर को लॉक कर के चुपचाप रिक्से में बैठ गयी.

मैने कोई फ़ैसला नही किया था कि मुझे बिल्लू के घर जाना चाहिए या नही. मैं बस चल दी थी. शायद ऐसे फ़ैसले किए भी नही जा सकते.

बिल्लू थोड़ा दूर जा कर पीछे मूड कर बोला, तू बहुत प्यारी लग रही है आज.

मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. दरअसल मैं उस से कोई बात नही करना चाहती थी. उसी के कारण तो में फीर से नयी मुसीबत में थी.

मैने उसे बोल भी दिया, तुम चुपचाप चलो मुझ से ज़्यादा बकवास करने की ज़रूरत नही है.

पर वो नही माना और बोला, अगर मेरे बस में होता तो मैं ऐसा कभी नही होने देता.

मैने गुस्से में पूछा, पर तुम तो मुझे घर ले जाने के लिए बहुत उतावले (डेस्परेट) हो रहे थे.

वो बोला, तुझे घर ले जाना मेरी मजबूरी है, तुझे नही पता, मेरा बापू बहुत गुस्सल है, अगर वक्त से, घर नही पहुँचे तो हो सकता है कि वो हमे घर में घुसने ना दे.

मैने मन ही मन सोचा, अछा हो ऐसा ही हो जाए.

मेरा मन बहुत डरा हुवा था. मैं चाहती थी कि सब जल्दी जल्दी बीत जाए और मैं वापस घर आ जा-ऊँ.

उसका घर कब आ गया पता ही नही चला. मैं रिक्से से उतर कर घर के बाहर खड़ी हो गयी और सोचने लगी की अंदर जा-ऊँ या ना जा-ऊँ.

बिल्लू बोला, आ ना क्या सोच रही है, बाहर सब लोग देख रहे हैं जल्दी अंदर आजा.

मैं भारी, भारी कदमो से बिल्लू के साथ अंदर आ गयी. आज फिर घर में कोई भी नही दीख रहा था.

बिल्लू मुझे एक कमरे में ले गया और बोला, बैठ जा, बापू का कमरा यही है. कमरा बहुत छोटा था. स्लम एरिया में इस से ज़्यादा हो भी क्या सकता था. उनके घर में कुल मिला कर दो छोटे छोटे कमरे थे.

मैं डरते, डरते वाहा रखी एक कुर्सी पर बैठ गयी.

बिल्लू बोला, बापू कहीं बाहर होगा, अभी आ जाएगा.

मैं मन ही मन सोच रही थी कि वो ना ही आए तो अछा है.

बिल्लू मुझे वहाँ छोड़ कर चला गया.

अचानक उसके बापू की आवाज़ सुनाई दी.

वो बिल्लू से पूछ रहा था, कहा है वो.

बिल्लू ने कहा, बापू वो अंदर तुम्हारे कमरे में है.

वो बोला, एक ठंडा और थोड़ी नमकीन ले आ, और हा जल्दी आना.

और बिल्लू जी बापू कह कर घर से बाहर चला गया.

मैं खोमोशी से सब सुन रही थी.

जब उसके कदमो की आहट मेरी और बढ़ती हुई महसूस हुई तो मैं और भी ज़्यादा सहम गयी.

उसने बाहर से झँकते हुवे पूछा, तू ठीक है ना कोई तकलीफ़ तो नही ?

मैने कहा, जी

वो बोला, तू डॉक्टर साहेब की बीवी है, मैं तेरा पूरा धयान रखूँगा, तू थोड़ा बैठ मैं अभी आता हूँ.

वो फीर से घर के बाहर चला गया.
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11-13-2018, 12:30 PM,
#29
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं सोच रही थी कि आख़िर वो कर क्या रहा है. मैं जल्द से जल्द वाहा से निकलना चाहती थी.

इतने में बिल्लू आ गया, उसने मेरे सामने टेबल रख कर पेप्सी और नमकीन रख दी, और बोला, लो ठंडा पी लो.

मैं कुछ भी पीने, खाने के मूड में नही थी.

तभी अचानक उसका बापू आ गया.

उसने बिल्लू से पूछा, ये क्या घटिया सी नमकीन ले आया है, कुछ और नही था क्या ?

बिल्लू बोला, बापू बस यही थी दुकान पर.

उसका बापू बोला, चल जा यहा से अब, बिल्लू मेरी और देखते हुवे वाहा से चला गया.

मैं चुपचाप सहमे हुवे बैठी रही.

बिल्लू के बापू ने, दरवाजा बंद कर दिया और अंदर से कुण्डी लगा ली.

मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, जैसा मुझे लग रहा था, वही हुवा, वो मुझसे…………..

वो बोला, अरे तूने कुछ लिया ही नही, ये पेप्सी पी ले तेरे लिए ही है.

मैने कहा जी कोई बात नही, मुझे इच्छा नही है.

वो बोला, कुछ और लॉगी ?

और उसने अपनी पॅंट की जेब से देसी दारू की एक छोटी सी बॉटल निकाल ली.

मैने फॉरन गर्दन ना के इशारे में हिला दी.

वो मेरी कुर्सी के साथ लगे बेड पर बैठ गया और अपनी बॉटल खोलने लगा.

वो बोला, आज बहुत दीनो बाद पीने का मन हो रहा है. सब तेरे कारण है. तू बहुत सुंदर है, पता है बाहर लोग हैरान हो रहे है कि इतनी सुंदर लड़की यहा क्या कर रही है, शराब और शबाब दोनो साथ होने चाहिए.

उसने एक गिलास उठाया और उसमे दारू डालने लगा.

मेरी और देखते हुवे वो एक ही झटके में पूरा गिलास सतक गया. मैने आज तक किसी को शराब पीते नही देखा था इश्लीए हैरान और परेशान थी.

अचानक वो खड़ा हुवा और बोला, आ अब तेरी बारी. ये दारू तो फेल हो गयी इसमे कोई नशा नही है, अब तेरे अंदर देखता हू कितना नशा है.

मैं हैरान थी उसके बदले हुवे रूप को देख कर.

कल तो वो बड़ी बड़ी बाते कर रहा था, और आज ये सब.

मुझे सब कुछ नाटक सा लग रहा था, लग रहा था जैसे मुझे बड़ी चालाकी से फसाया गया है.

पर अब मैं क्या कर सकती थी, मैं खामोसी से बैठी रही.

वो ज़ोर से बोला, इधर आ.

मैं डर कर खड़ी हो गयी और चुपचाप उसके सामने आ गयी.

वो बोला, अब बता क्या करेगी तू मेरे लिए.

मैने कहा जी क…..क……..कुछ नही.

वो बोला, क्या कुछ नही, धोका, मैं तुझे देख लूँगा. मुझे कल तेरे घर से नही आना चाहिए था, तेरे पति से मिल कर ही आना चाहिए था.

मैने डरते हुवे कहा,…..आ….आ……आप जो कहे कर दूँगी.

वो हँसने लगा और बोला, तू अपनी मर्ज़ी से करेगी ना.

मैने कहा, जी.

वो बोला, अछा तो घूम जा और अपना नाडा खोल कर अपनी गांद दीखा, देंखु तो सही ऐसी भी क्या बात है तेरी गांद में कि बिल्लू उसका दीवाना हो गया है.

मेरा चेहरा शरम और गिल्ट से लाल हो गया.

बिल्लू का बापू अब बिल्लू जैसी ही बाते कर रहा था. बिल्लू और उसमे कोई फरक नही दिख रहा था.

वो फिर बोला, अरे क्या सोच रही है, अपनी कातिल गांद नही दीखावगी, जिश से तूने मेरे बेटे का कतल कर दिया.
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11-13-2018, 12:30 PM,
#30
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं करती भी तो क्या करती, मैं उसके सामने घूम गयी. पर मेरे हाथ नाडा खोलते हुवे काँप रहे थे.

बड़ी मुस्किल से मैने नाडा खोला और अपनी सलवार नीचे सर्काई.

उसने तुरंत कमरे की लाइट जला दी और मेरे और करीब आ गया.

वो बोला, ये कमीज़ उठा.

मैने उसे धीरे से उठा लिया.

वो बोला, ये पॅंटी क्या मैं उतरूँगा, ये भी तो सरका.

मैने कमीज़ छोड़ कर पॅंटी नीचे सरका दी और चुपचाप वाहा खड़ी हो गयी.

वो बोला, ये कमीज़ परेशान कर रही है, और उसे उतारने लगा. मेरा तो बुरा हाल हो गया.

मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पाई. उसने मेरी कमीज़ उतार कर एक तरफ फेंक दी.

वो मेरे नितंबो को घूरते हुवे बोला, अरे वह कितनी जालिम गांद है तेरी, मेरे बेटे का कोई कसूर नही, इसे देख कर तो कोई भी पागल हो जाएगा.

मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी, मैं चुपचाप सर झुकाए खड़ी रही.

उसने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को छुवा और बोला, सच में मस्त माल है तेरे पास, बहुत मज़ा आएगा आज.

उसने पूछा, क्या बिल्लू के अलावा किसी और ने भी मारी है ये.

मैं सकपका गयी कि क्या काहु अब.

वो फिर बोला, बता ना,

मैने धीरे से कहा, जी मेरे पति ने.

वो बोला, बस, बस उसका नाम मत ले मैं कुछ नही कर पाउन्गा.

वो बोला, उसके अलावा.

मैने कहा, जी बस बिल्लू

वो गुस्से में बोला, तू तो कल कह रही थी कि तेरा बिल्लू से कोई सम्बन्ध नही है.

मैं धीरे से झीजकते हुवे बोली, जी बस एक बार किया था.

वो बोला, बस एक बार दे कर तूने उसे पागल बना कर छोड़ दिया. पता है कितना नुकसान हुवा है मेरा. उसहने कयि दीनो से एक पैसा कमा कर नही दिया. वो सारा दिन तेरे पीछे घूमता है.

मैं खामोसी से सब सुनती रही.

वो बोला, बता अब तेरी क्या सज़ा है.

मैने पूछा, क्या मतलब ?

वो बोला, कुछ नही सीधी हो जा, तेरी गांद तो मस्त है अब तेरी चूत तो देख लू.

मैने हड़बड़ते हुवे कहा, जी बिल्लू ने इतना ही किया था, आप भी इतना ही कर लो.

वो बोला, मैं बिल्लू का बाप हू, थोडा ज़्यादा तो होगा ही, चल घूम जा.

मैं नज़रे झुकाए हुवे उसके सामने घूम गयी.

वो मेरे सामने बैठ गया और बड़े गौर से मेरी योनि को देखने लगा.

वो बोला, अरे वह ये तो तेरी गांद से भी ज़्यादा सुंदर है, कितनी चिकनी है साली, लंड लगते ही फिसल जाएगा.

मैने शर्मिंदगी में अपने चेहरे पर हाथ रख लिए.

वो बहुत ही गंदी बाते कर रहा था. बिल्कुल बिल्लू की तरह.

मुझे अब यकीन हो चला था कि, ये सब इन दोनो की चाल है. बड़ी चालाकी से इन्होने मुझे यहा ये सब करने को बुलाया है. मैं मन ही मन बिल्लू को कोस रही थी.

वो मेरे योनि के द्वार पर उंगली लगा कर बोला, अरे ये तो बिल्कुल सुखी पड़ी है, अभी कुछ करता हूँ.

मेरे शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी.

उसने कहा, चल यहा बेड पर लेट जा.

मैं हैरानी में थी कि वो आख़िर करना क्या चाहता है.

मैने कहा, आप बस जितना बिल्लू ने किया था, उतना ही कर लो और मुझे जाने दो.

वो बोला, बिल्लू ने कितना किया था सब बता.

मैं चुप हो गयी. मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.

वो बोला, बता ना कितना किया था, बिल्लू ने, मैं भी उतना ही कर लूँगा, मुझे वैसे भी तेरे पति के कारण झीजक हो रही है.

मैने कहा, उसने बस मेरे नितंबो को छुवा था, और बस वही से किया था.

वो बोला, अरे वह ठीक है फीर मैं भी उतना ही करूँगा. पहले ज़रा यहा तो लेट जा.

मैं जीझकते हुवे बेड पर लेट गयी.

वो मेरी टॅंगो के बीच आ गया और मेरी योनि को बड़े गोर से देखने लगा.

मैने अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उसकी बेशर्मी बर्दास्त नही कर पा रही थी.

अचानक मुझे अपनी योनि पर कुछ चुभता हुवा महसूस हुवा.

मैने आँखें खोली तो पाया कि, उसका मूह मेरी योनि के बिल्कुल उपर है.

वो बोला, वह क्या खुसबु है जालिम की.

इस से पहले कि मैं कुछ सोच पाती, उसके होंठ मेरी योनि के उपर थे.

मैं बेचन हो उठी.

उसने मेरी योनि की पंखुड़ियो को अपने होंटो में दबा लिया, और बड़ी बेशर्मी से उन्हे चूसने लगा.

मैं बेचानी में अपनी टाँगे पटाकने लगी.
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