Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
07-25-2018, 10:32 AM,
#1
Lightbulb  Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
सारिका कंवल की जवानी के किस्से 


नमस्ते, मेरा नाम सारिका है। मेरी उमर 44 साल है और 3 बच्चों की माँ हूँ। मेरी कहानी मेरे जीवन की सच्ची कहानी है।
मेरी शादी के कुछ साल बाद बहुत बदलाव आने लगे और मेरे जीवन में रतिक्रिया जैसा शब्द कम होता चला गया। हालांकि मुझे तो इसकी जरूरत थी, पर पति कुछ बदल से गए, उनकी अब इसमें दिलचस्पी नहीं रही, पर मेरी अभी भी है।
हम वैसे तो बिहार के हैं, पर पति उड़ीसा में काम करते हैं इसलिए हम यहाँ किराये के मकान में रहते थे।
बात तब की है, जब मैं 35 की थी और मेरा दूसरा बच्चा 4 महीने का था। हमारे पड़ोस में 50-52 साल का एक आदमी रहने आया, उसका नाम अमर था। वो हमारे ही तरफ़ का था तो जान-पहचान होते देर न हुई। धीरे-धीरे हम एक-दूसरे से काफ़ी घुल-मिल गए।
मेरे पति जब नहीं होते, तो शाम को वो घर आते या हम छत पर बातें करते। धीरे-धीरे हम एक-दूसरे की शादीशुदा जिन्दगी के बारे में बातें करने लगे।
फिर एक दिन ऐसा आया, जब हम अपनी सम्भोग क्रिया के बारे में बातें करने लगे। हम एक-दूसरे से अपने पति-पत्नी की बातें करने लगे।
उसने बताया कि वो अपनी पत्नी से खुश नहीं है और फ़िर मैंने भी अपने पति के बारे में बता दिया।
उस वक्त मेरा दूसरा बच्चा सिर्फ़ 3 महीने का था।
इसी तरह बातें करते हुए एक महीना हो चला।
एक रात जब मेरे पति रात की शिफ्ट में थे तो अमर का फ़ोन आया। हम पहले तो इधर-उधर की बातें करते रहे। फिर अमर ने वो बात कह दी, जिसका मुझे भय था।
उसने मुझसे कहा- सारिका, हम दोनों को साथी की जरूरत है, क्यों न हम एक-दूसरे का साथ दें और अपनी अपनी इच्छाओं को पूरा कर लें?
मेरे दिलो-दिमाग में बिजली सी सनसनी आ गई। मैं उससे बातें तो करती थी, पर कभी सोचा नहीं था कि ऐसा हो सकता है क्योंकि वो मुझसे उमर में काफ़ी बड़े थे।
मैंने फ़ोन बिना कुछ कहे रख दिया।
कुछ देर बाद उनका दोबारा फ़ोन आया, पर मैंने नहीं उठाया।
करीब 4 बार के बाद मैंने फ़ोन सुना तो वो मुझसे माफ़ी मांगने लगे। फ़िर हम यूँ ही कुछ देर बातें करते रहे।
फ़िर बात फ़िर रति-क्रिया पर आ गई, फ़िर वो मुझे समझाने लगे कि इसमें कोई बुराई नहीं और उमर से इसका कोई लेना-देना नहीं।
काफ़ी देर उनके समझाने-बुझाने के बाद अखिरकार मैंने भी ‘हाँ’ कह दिया।
फ़िर क्या था…
अमर ने मुझसे कहा- मैं तुम्हारे घर आ रहा हूँ।
मुझे तो घबराहट हो रही थी, मैंने कह दिया- रात काफी हो गई है, किसी और दिन..!
पर अमर मानने को तैयार नहीं था तो उसने करीब 12 बजे मेरा दरवाजा खटखटाया।
मैंने घबराते हुए दरवाजा खोला, सामने अमर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगा।
मैं शर्म से पानी हो रही थी।
मैं अन्दर आ गई, मेरे पीछे वो भी दरवाजा बन्द कर के चला आया।
मेरे अन्दर आते ही उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे चूमने लगा।
मैं बस सहमी सी उसके छुअन को अपने बदन पर महसूस किए जा रही थी। उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया। मुझे अजीब सा लगने लगा।
एक पल तो ये ख्याल भी आया कि यह क्या कर रही हूँ पर वासना मेरे ऊपर भी हावी होने लगी थी शायद इसलिए मैं कोई विरोध नहीं कर रही थी।
उसने मुझे जहाँ-तहाँ छूना और सहलाना शुरू कर दिया, उसकी छुअन से मेरे अन्दर की वासना और दहकने लगी।


मैं उस रात सलवार कमीज में थी और दुपट्टा अन्दर कमरे में ही भूल गई थी।
उसने मेरे स्तनों को अब सहलाना और दबाना शुरू कर दिया था, फ़िर उसका एक हाथ धीरे-धीरे नीचे आने लगा, पहले पेट, फ़िर नाभि, फ़िर अचानक मेरी योनि..!
मैं कांप गई और मैं सहम कर उसकी तरफ़ मुँह करके उससे चिपक गई।
मैंने उसे कस लिया, उसका शरीर मुझे गजब की गर्माहट दे रही थी। मैं अब गरम होने लगी थी, मेरी योनि में अब मैं हल्की नमी महसूस कर रही थी।
अमर ने मुझसे कहा- सारिका.. अब शर्माओ नहीं.. खुल कर इस पल का आनन्द लो..!
और फ़िर उसने मेरे चेहरे को ऊपर किया और अपना मुँह मेरे मुँह से लगा कर मुझे चूमने लगा। उसने मेरे होंठों को चूसना शुरु कर दिया। कुछ देर बाद वो अपनी जुबान मेरे मुँह के अन्दर करने की कोशिश करने लगा।
पहले तो मैं विरोध करने जैसा करती रही, फ़िर अपना मुँह खोल दिया। उसने अपनी जुबान मेरे जुबान से छूने की कोशिश करने लगा।
कुछ देर जब उसे कामयाबी नहीं मिली, तो उसने कहा- सारिका अपनी जुबान बाहर करो..!
मैं कुछ देर सोचती रही, पर उसके दोबारा कहने पर मैंने अपनी जुबान बाहर निकाल दी। उसने तुरन्त मेरी जुबान को चूसना शुरु कर दिया।
कुछ देर के बाद मैं भी उसका साथ देने लगी। कभी वो मेरी जुबान चूसता और मेरी लार पी जाता, तो कभी मैं..!
उसने अब अपना हाथ मेरे नितम्बों पर रख दिया। मुझे अपनी और कसके खींच लिया और अपनी कमर को घुमाने लगा। मैंने महसूस किया कि सलवार के ऊपर से ही उसका लिंग मेरी योनि से लग रहा है।
हम काफी देर इस अवस्था में एक-दूसरे से चिपके आलिंगन करते रहे।
तभी अमर ने कहा- अब अन्दर चलो, मुझसे रहा नहीं जा रहा है, मैं अपने लिंग को तुम्हारी योनि के अन्दर डालना चाहता हूँ..!
हम तुरन्त अन्दर चले आए।
मैं बिस्तर पर आ गई, अमर मेरे पास आया और मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार निकाल दी।
मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना था, यह देख कर उसने कहा- तुम अन्दर पैन्टी नहीं पहनती क्या?
मैंने जवाब दिया- मैं रात को नहीं पहनती!
तब उसने पूछा- क्या ब्रा भी नहीं पहनती?
मैंने कहा- नहीं !
अब हम खुलने लगे थे और बातें भी होने लगी थीं, क्योंकि अब हम इतने गर्म हो चुके थे कि शर्म-हया सब भूल चुके थे।
अब अमर मेरे ऊपर आ गया और मुझे चूमने-चूसने लगा। मेरे तो जैसे तन-बदन में आग सी लगने लगी।
मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरा बदन आग में जल रहा है। वो मुझे कभी कमर से पकड़ कर जोर से अपने जिस्म को मेरे ऊपर दबाता और मुझे चूमता, तो कभी मेरे स्तनों को और दबाता और कभी उन्हें मसल रहा था। मेरे मुँह से ‘सिस्की’ निकल जाती, जिसे वो सुन कर और जोश में आ जाता।
उसने अब एक हाथ से मेरा एक पैर अलग किया, तो मैंने खुद अपने दोनों पैरो को फ़ैला कर उसको कमर से कस लिया। हम अब एक-दूसरे को उसी अवस्था में प्यार करते रहे।
मैंने महसूस किया कि अमर अपनी कमर से कुछ कर रहा है। उसके लिंग से मेरी योनि में स्पर्श हो रहा था, जिसका दबाव कभी ज्यादा तो कभी कम हो रहा था।
मैं समझ गई कि अमर अब पूरी तरह से यैयार हो चुका है मुझे यौनानन्द के सागर में गोते लगवाने के लिए, मैं भी अपनी कमर को उसके साथ हिला कर उसका साथ देने लगी।
अब अमर ने एक हाथ मेरी योनि में ले गया और सहलाने लगा। मुझे गुदगुदी सी होने लगी।
तभी अमर ने कहा- तुम्हारी योनि कितनी गीली हो चुकी है और यह कितनी मुलायम है..!
अपनी तारीफ़ किसे नहीं अच्छी नहीं लगती..!
मैं भी खुश हुई।
कुछ देर सहलाने के बाद उसने कहा- मैं तुम्हारी योनि के रस को चखना चाहता हूँ !
और वो मेरी योनि के पास झुकता चला गया। मेरी कुछ समझ में आता, उससे पहले ही उसने मेरी योनि को चूसना शुरू कर दिया।
मुझे गजब का मजा आने लगा था। ऐसा मैं कई सालों के बाद अहसास कर रही थी। मैं पूरी मस्ती में उस पल का मजा लेने लगी। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन सी होने लगी। मैं समझ गई कि अब मैं स्खलित होने वाली हूँ। सो मैंने उसका सिर खींच लिया और कहा- अब बस करो..!
अब वो मेरे ऊपर आ गया और फ़िर से मुझे चूमने लगा।
कुछ देर बाद उसने कहा- तुम्हारे स्तनों से दूध निकलता है, मुझे वो पीना है।
और उसने मेरा कुरता निकाल दिया।
अब मैं बिल्कुल नंगी थी। मेरे मन में एक बार ख्याल भी आया कि मैं एक पराये मर्द के सामने नंगी हूँ, पर अब इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि हम अब बहुत आगे निकल चुके थे।
उसने पहले तो मेरी तारीफ़ की, कहा- तुम कितनी सुन्दर हो, तुम्हारा जिस्म एकदम मखमल की तरह है और तुम्हारे स्तन गोलाकार और बहुत सुन्दर हैं।
मैं अपनी तारीफ़ सुन रही थी और अब वो मेरे स्तनों से खेलना शुरु कर चुका था। मेरी चूचुक को मुँह में भर कि चूसने लगा और दूसरी चूची को हाथ से दबाने लगा।
वो मेरा दूध अब पीने लगा था और मैं उसके सिर को सहारा दिए हुए उसकी मदद कर रही थी।
जब वो इस खेल में मगन था तब मेरे दिल में उसके लिंग को छूने का ख्याल आया और मैंने एक हाथ से उसके पजामे के ऊपर से उसके लिंग को छुआ।
यह देख अमर ने अपने पजामा निकाल दिया। पर इस अवस्था में परेशानी हो रही थी, सो हम लेट गए। अब वो मेरे बगल में करवट लिए हुए लेटे-लेटे मेरे स्तनों से दूध पी रहा था।
अब मैंने उसका लिंग हाथ में ले लिया तो मुझे करन्ट सा लगा और मेरी आँखें खुल गईं।
तभी मेरी नजर बिस्तर पर सोये हुए मेरे बच्चे पर गई और मैं रुक गई।
Reply
07-25-2018, 10:32 AM,
#2
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
अब मैंने उसका लिंग हाथ में ले लिया तो मुझे करन्ट सा लगा और मेरी आँखें खुल गईं।
तभी मेरी नजर बिस्तर पर सोये हुए मेरे बच्चे पर गई और मैं रुक गई।
इस पर अमर ने पूछा- क्या हुआ, भयभीत क्यों हो रही हो, मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा जिससे तुम्हें तकलीफ़ हो।
तब मैंने उसे बताया कि क्या बात है। उसने बच्चे को पालने में सुला दिया और फ़िर मेरे पास आ गया।
अब अमर मेरे पास आए और मुस्कुराते हुए कहा- मुझे लगा तुम मेरे लिंग का आकार देख कर भयभीत हो गई..!
और वो जोर-जोर से हँसने लगा। मैंने उसको शान्त किया कि कोई सुन ना ले।
फ़िर मैंने उससे कहा- ऐसी बात नहीं है..!
पर उसके लिंग का आकार को देख कर मुझे जरा भय तो लगा क्योंकी उसका लिंग काफी लम्बा था।
अब हम फ़िर से एक-दूसरे की बांहों में खोकर प्यार करने लगे।
अब तो मैं पूरी तरह से गर्म और गीली हो चुकी थी और अमर के लिंग में भी काफ़ी तनाव आ गया था।
अमर ने मुझसे कहा- सारिका, अब और नहीं रहा जाता, मैं जल्द से जल्द सम्भोग करना चाहता हूँ।
मैंने भी सिर हिला कर उसको इशारे से ‘हाँ’ कह दिया। मेरे अन्दर चिंगारी जल रही थी और मैं भी जल्द शांत होना चाह रही थी।
अब उसने एक तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया और मेरी जाँघों के बीच आ गया और मेरे पैरों को फ़ैला कर मेरे ऊपर लेट गया।
उसका लिंग मेरी योनि से स्पर्श कर रहा था, उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मैंने भी उसे जकड़ लिया।
अमर ने मुझसे पूछा- क्या तुम तैयार हो?
मैंने भी हाँ में जवाब दिया। अब अमर अपने लिंग को मेरी योनि में घुसाने की कोशिश करने लगा, पर जब भी वो करता लिंग फ़िसल जाता।
तब उसने मुझे सहयोग करने को कहा। अब मैंने उसके लिंग को हाथ से योनि के ऊपर रखा और अमर से जोर लगाने को कहा।
उसका लिंग मेरी योनि में घुसता चला गया। और मुझे हल्की सा दर्द हुआ, मैं सिसक गई। यह देख कर अमर ने मुझे चूम लिया।


शायद वो भी जानता था कि यह सुख की सिसकी है और धीरे-धीरे वो जोर लगाता रहा। मैं हर जोर पर सिसक जाती, मुझे तकलीफ़ जरूर हो रही थी, पर वासना के आगे कुछ नहीं दिखता।
मैं बर्दाश्त करती रही, जब तक उसका पूरा लिंग मेरी योनि में समा न गया। मैंने एक दो बार उसको भी देखा, शायद उसे भी तकलीफ़ हो रही थी क्योंकि मेरी योनि उसके लिये तंग लग रही थी।
अब हमने एक-दूसरे को कस लिया और फ़िर उसने एक बार फ़िर जोर लगाया। इस बार उसका समूचा लिंग अन्दर समा गया और मेरी सिसकारी इस बार जरा जोर से निकली।
इस पर अमर बोले- क्या हुआ.. तुम्हें दर्द हो रहा है?
मैंने बस सिर हिला कर ‘ना’ में जवाब देते हुए कहा- अब देर न कीजिए… जल्द मुझे प्यार कीजिए..!
दर्द तो मुझे हो रहा था, पर जानती थी कि कुछ ही पलों में यह गायब हो जायेगा तो मैंने उसे जल्द धक्के लगाने को कहा। उसका लिंग की ठोकर मेरी बच्चेदानी में लग रही थी, जिससे मुझे हल्का दर्द तो हो रहा था, पर उसके गर्म लिंग के सुखद एहसास के आगे ये सब कुछ नहीं था। उसने सम्भोग की प्रकिया को शुरू कर दिया पहले धीरे-धीरे धक्के लगाए, फ़िर उनकी रफ़्तार तेज हो गई।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। बहुत मजा आ रहा था। मेरी योनि में जितना अधिक धक्के लगते, उतनी ही गीली हो रही थी। मैं अमर को पूरी ताकत से अपनी बांहों और पैरों से कस चुकी थी और उसने भी मुझे जकड़ा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों एक-दूसरे में आज समा जायेंगे।
अमर धक्कों के साथ मुझे चूमता चूसता, कभी मेरे स्तनों से दूध पीने लगता और मैं भी उसे उसी तरह चूसने और चूमने लगी। मेरे अन्दर हलचल सी मची थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
तभी अमर ने कहा- सारिका कैसा लग रहा है, कोई तकलीफ़ तो नहीं हो रही तुम्हें?
मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसके सिर से पसीना आ रहा था। मुझे उसके चेहरे पर एक सन्तोष और खुशी नजर आई, जो मेरी वजह से थी। वो हांफ रहा था।
उसने प्यार से मुझे पूछा तो मैंने भी कहा- नहीं कोई तकलीफ़ नहीं है और मुझे बहुत मजा आ रहा है, आप बस रुकना मत।
यह सुन उसने एक धक्का दिया और मुझसे चिपक कर मेरे मुँह से अपने मुँह को लगा दिया। अब अमर धक्के नहीं बल्कि अपने लिंग को मेरी योनि में पूरा घुसा कर अपनी कमर को घुमाने लगा।
हम एक-दूसरे के होंठों और जुबान चूसने लगे, साथ ही अपनी-अपनी कमर घुमाने लगे। मैं समझ गई थी कि अमर थक गया है इसलिए ऐसा कर रहा है पर मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा था। उसके लिंग को मैं अपने बच्चेदानी में महसूस कर रही थी, जिससे मुझे एक अलग तरह का मजा आ रहा था। हल्का दर्द होता था, पर वो भी किसी मजे से कम नहीं था इसलिए मैं बस उसका आनन्द लेती रही।
उसकी सांसें जब कुछ सामान्य हुईं, तो फ़िर से धक्के लगाने लगा।
कुछ ही देर में मेरा बदन सख्त होने लगा, तब उसने धक्के लगाने बन्द कर दिए। वो समझ गया कि मैं स्खलित होने वाली हूँ पर शायद वो ऐसा नहीं चाहता था।
तब मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने मुझसे कहा- इतनी जल्दी नहीं..!
मैं यह भूल गई थी कि उसकी उमर 50 से अधिक है और अनुभव भी।
अब उसने मेरी कमर के नीचे अपने हाथ लगाए और कहा- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ, अपना पैर मेरी कमर से भींचे रखो और लिंग को बाहर न आने देना।
मेरे लिए ये एक अलग तरह का अनुभव था। अब हमने अपनी अवस्था बदली, मैं उसके ऊपर थी, उसी वक्त मेरा ध्यान तकिये पर गया, मेरी योनि से निकले पानी से उसका खोल भीग गया था पर उसे दरकिनार कर अपने सम्भोग में ध्यान लगाने लगी।
मैं अमर के ऊपर लेट गई और उसके सीने पर हाथ रख दिया।
अमर ने मेरी कमर पर हाथ रख दिया और मैं अब धक्के लगाने लगी। हमारी मस्ती अब आसमान में थी। उसके लिंग का स्पर्श मुझे पागल किए जा रहा था। जब उसका लिंग अन्दर-बाहर होता तो मैं उसके लिंग के ऊपर की चर्म को अपनी योनि की दीवारों पर महसूस कर रही थी। कुछ देर के बाद मेरी भी सांसें फूलने लगीं, मैं भी थक गई थी।
अमर इस बात को समझ गए और बोले- सारिका तुम भी अब थक गई हो, अब तुम अपने शरीर को ऊपर करो।
मैंने वैसा ही किया।
अब अमर ने अपने हाथ मेरी कमर पर रखा और कहा- तुम अपनी कमर को ऐसे घुमाओ जैसे अंग्रेजी में 8 लिखते हैं। मानो की तुम अपनी कमर से 8 लिख रही हो।
मैं वैसा ही करने लगी।
सच में क्या गजब का मजा आ रहा था। मेरी बच्चेदानी से जैसे उनका लिंग चिपक गया हो, ऐसा लग रहा था।
करीब दस मिनट तक मैं वैसे ही मजे लेती रही। आखिरकार मेरा सब्र जवाब देने लगा, मेरा शरीर अकड़ने लगा, अब मैं स्खलित होने वाली थी। पर अमर नहीं चाहता था कि मैं अभी स्खलित होऊँ।
इसलिए उसने मुझसे कहा- अभी नहीं.. इतनी जल्दी… हम साथ में होगें, खुद पर काबू करो..!
पर अब मुझसे ये नहीं होने वाला था। उसने मुझे तुरन्त नीचे उतार दिया और अपना लिंग बाहर निकाल दिया।
अब मैं बेकाबू सी होने लगी और उससे विनती करने लगी- अमर प्लीज़, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, मैं जल्द से जल्द चरम सुख पा लेना चाहती हूँ…!
अमर ने कहा- इतनी जल्दी नहीं…कुछ देर और करते हैं, जब तक ये न लगे कि हमारा शरीर पूरी तरह आग न बन जाए..!
मैंने दोबारा विनती की- प्लीज़.. अब मैं और इस आग में नहीं जल सकती, मेरी आग को शान्त करो। मैं स्खलित होना चाहती हूँ..!
उसने मेरी विनती सुन ली और अपने लिंग को हाथ से कुछ देर सहलाने के बाद मेरे ऊपर आ गया। अब उसने मेरे पैरों को फ़ैलाया और बीच में आ गया।
मैं तो पहले से ही व्याकुल थी, सो मैंने बिना देर किए, उनके गले में हाथ दे दिया और कस लिया। अपने लिंग को हाथ से मेरी योनि पर रख कर जोर दिया, लिंग अन्दर चला गया।
मैं सिसक गई। फ़िर उसने मुझे चूमा और धक्के लगाने लगा और कहा- सारिका, मैं चाह रहा था कि तुम इस पल को पूरी तरह मजा लो, पर तुम मेरा साथ नहीं दे रही..!
मैंने जवाब दिया- मुझे बहुत मजा आ रहा है, बस अब मैं चरम सुख चाहती हूँ..!
उसने कहा- अगर तुम मुझसे पहले स्खलित हो गई तो मेरा क्या होगा..!
मैंने जवाब दिया- मैं आपका साथ दूँगी, जब तक आप स्खलित नहीं होते..!
यह सुनते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और धक्कों की गति तेज़ होने लगी।
अब मैं ज्यादा दूर नहीं थी, मेरे मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं। हम दोनों के मुँह आपस में एक हो गए। एक-दूसरे की जुबान से हम खेलने लगे और नीचे हमारे लिंग और योनि का खेल चल रहा था।
मैंने महसूस किया कि अमर का शरीर भी अब सख्त हो रहा है, मैं समझ गई कि अब वो भी चरम सुख से दूर नहीं है।
उसके धक्के लगातार तेज़ और पहले से कहीं अधिक दमदार होते जा रहे थे, उसने अपने शरीर का पूरा जोर मुझ पर लगा दिया और मैंने भी उस पर अपना शरीर चिपका दिया।
हमारी साँसें तेज होने लगीं, हम हांफ़ने लगे थे।
तभी मुझे ख्याल आया कि अमर ने सुरक्षा के तौर पर कुछ नहीं लगाया है।
मैं इससे पहले कुछ कह पाती, मेरे शरीर ने आग उगलना शुरू कर दिया। मैं जोरों से अपनी कमर को ऊपर उछालने लगी, तभी अमर ने भी पूरा जोर मुझ पर लगा दिया।
मैं स्खलित हो गई और कुछ जोरदार धक्कों के बाद अमर भी स्खलित हो गया, उसके गर्म वीर्य को मैंने अपने अन्दर महसूस किया। हम दोनों थक कर ऐसे ही कुछ देर लम्बी सांसें लेते हुए पड़े रहे। कुछ देर बाद अमर मुझसे अलग हुआ, मैंने देखा उनका लिंग सफ़ेद झाग में लिप्त था जो कि रोशनी में चमक रहा था। उसके चेहरे पर सन्तोष और खुशी थी।
उसने अपना लिंग और मेरी योनि को तौलिए से साफ़ किया और मेरे बगल में लेट गया।
हम कुछ देर बातें करते रहे और अब हम खुल कर बातें कर रहे थे।
इसके बाद भी हमने 3 बार सम्भोग किया, पर हम दोनों की हालत ऐसी हो गई थी कि उनके जाने के बाद मैं कब सो गई, कुछ पता ही नहीं चला।
मुझे इतना मजा अया कि मैं उस रात को कभी भूल नहीं सकती।
Reply
07-25-2018, 10:32 AM,
#3
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
शादी के बाद मेरी जिन्दगी में नाम मात्र का सम्भोग और रतिक्रिया रह गई थी। दूसरे बच्चे के बाद तो स्थिति और भी खराब हो गई है इसलिए मुझे जब मौका मिला, तो मैंने दूसरों के साथ सम्भोग कर लिया।
यh इसलिए मुमकिन हुआ, क्योंकि मैं उड़ीसा में थी और मेरे पति काम पर चले जाते थे। उसी दौरान मुझे मौका मिल जाया करता था। उड़ीसा में मैं 13 साल रही और इस दौरान मैंने अपने पति के अलावा 4 और लोगों के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाए जिनमें से अमर के साथ लम्बे समय तक सहवास किया।
बाकी में से एक के साथ 2 साल तक, एक के साथ 7 महीने और एक के साथ 3 दिन तक शारीरिक सम्बन्ध रखे, पर मेरे लिए मुसीबत तब हो गई, जब पति का तबादला झारखण्ड हो गया।
मेरे पति ने मुझे बच्चों के साथ गांव मे रहने को कहा क्योंकि रांची से एक या दो दिन में घर आ-जा सकते थे।
उनका आना मेरी रात्रि के अकेलेपन को दूर नहीं करता था।
मेरी उमर अब 39 वर्ष की होने को थी और पता नहीं क्यों, मेरी काम वासना और भी ज्यादा होने लगी थी।
उसी बीच पति ने बच्चों के लिए एक कंप्यूटर खरीदा। मेरा एक भतीजा आया हुआ था, तो उसने मुझे इंटरनेट पर बात करना सिखा दिया।
फ़िर मेरी एक सहेली जिसका नाम सुधा है, जो बैंगलोर में रहती है, उससे मैं बात करने लगी।
बच्चे जब स्कूल चले जाते, तो हम दोनों खूब लिख-लिख कर बातें करते।
हम बचपन की सहेलियाँ हैं इसलिए हम खुल कर बातें करते थे। इसलिए मैंने उसे ये सब बातें बता दीं।
उसने मुझे बताया कि शायद मैं रजोनिवृति की तरफ़ जा रही हूँ इसलिए मुझे काम की इच्छा अधिक हो रही है। रजोनिवृति 45 से 50 के बीच हो जाता है, पर मेरी उमर 39 साल ही थी।
मैं और मेरे पति के घरवाले एक और बच्चा चाहते थे क्योंकि दो लड़के थे और हम एक लड़की चाहते थे पर पति का सहयोग नहीं मिल रहा था।
मैंने पति से बात भी की कि अगर बच्चा चाहिए तो जल्दी करना होगा क्योंकि ये उमर बच्चे पैदा करने के हिसाब से स्त्री के लिए खतरनाक होता है।
पर पति ने कह दिया कि इसमें ज्यादा जोर नहीं देना है, अगर हुआ तो ठीक और नहीं हुआ तो कोई बात नहीं और जरुरी नहीं कि बच्ची ही पैदा हो।
तब मैंने यह बात अपनी सहेली को बताई।
हम यूँ ही कुछ दिन ऐसे ही बातें करते रहे। फ़िर एक दिन उसने मुझे बताया कि अगर ऐसी बात है, तो किसी का वीर्य ले लो।
मुझे यह बात समझ नहीं आई, तब उसने मुझे बताया कि जैसे ब्लड-बैंक होता है, वैसे ही वीर्य बैंक होता है जहाँ से किसी मर्द का वीर्य चिकित्सक सुनिश्चित कर के देता है कि बच्चा कैसा होगा, फ़िमेल होगा या मेल होगा, इस तरह अधिक गुंजायश के साथ आपकी योनि में कृत्रिम रूप से गर्भ धारण करवाते हैं।
मुझे यह तरकीब अच्छी लगी, पर पति को नहीं तो फ़िर मैंने उम्मीद करना ही बन्द कर दिया।
तभी एक दिन सहेली से बात करते हुए हम अपने सम्भोग के बारे में बात करने लगे।
उसने मुझे बताया कि बैंगलोर जैसे शहरों में सम्भोग बड़ी बात नहीं है, वहाँ आसानी से कोई भी किसी के साथ सेक्स कर सकता है क्योंकि वहाँ लोग आपस में काफी व्यस्त रहते हैं।
किसी को दूसरों के जिन्दगी में झाँकने का समय ही नहीं है। इसलिए लोग छुप कर कहीं भी किसी के साथ सम्भोग कर लेते हैं।
तभी उसने मुझे अपना राज बताया कि उसके पति काम के सिलसिले में पार्टियों में जाते हैं वहाँ तरह-तरह के लोगों से उसकी मुलाकात करवाते हैं इसलिए उसकी दोस्ती बहुत से मर्दों के साथ है और उनमें से कुछ लोगों के साथ अक्सर बाहर घूमने-फ़िरने जाती है तथा उनके साथ सम्भोग भी करती है।
इसके अलावा अगर उसे किसी दूसरे मर्द से सम्भोग करना हो तो उसका भी इन्तजाम हो जाता है।
क्योंकि ये लोग आपस में एक-दूसरे को जानते हैं इसलिए अगर इनमें से कोई साथी बदलना चाहे, तो बदल लेते हैं।
खैर.. यह तो रही उसकी बात, अब मैं अपने पर आती हूँ, इन सारी बातों को जानने के बाद मेरी सहेली ने मुझे एक तरकीब बताई।
उसने मुझसे कहा कि नेट पर देखो, बहुत से मर्द मिल सकते हैं जो सम्भोग करना चाहते हैं और सब कुछ राज रखते हैं।
पहले तो मैंने नखरे दिखाए, तब उसने कहा कि ऐसा पहली बार तो नहीं कि पराये मर्द से सम्भोग करोगी।
तब मैंने भी ‘हाँ’ कर दी, पर मुसीबत यह थी कि अब पहले की तरह मैं आजाद नहीं थी। यहाँ हर कोई मुझे जानता था, मैं किसी दूसरे मर्द से मिली, तो मेरी बदनामी होती, इसलिए मैंने मना कर दिया।
पर कुछ दिनों के बाद उसने मुझसे कहा- अगर मैं कुछ दिनों के लिए अपने पिता के घर चली जाऊँ तो काम बन सकता है।
मुझे भी पिताजी से मिले काफ़ी समय हो चुका था, सो मेरे लिए यह आसान था। तब मैंने अपनी सहेली से बात की, “कैसे होगा ये सब और किसके साथ..!”
तब उसने मुझे बताया कि उसका एक समाज सेवा केंद्र में एक दोस्त है, जो यह कर सकता है। वो दोनों हफ़्ते में एक दिन मिलते हैं। और सम्भोग भी करते हैं।
मैं उसको सुनती रही।
उसने आगे बताया- उसका भी किसी दूसरी औरत के साथ सम्भोग का मन है, इसलिए तुमसे यह बात कही। संयोग की बात यह है कि वो इस बार हमारे गांव आना चाह रहे हैं क्योंकि वो एक किताब लिख रहे हैं, जो भारत के गांवों पर है इसलिए कुछ दिन यहीं रहेंगे।
तब हमने भी समय तय कर लिया, दो हफ़्ते के बाद मेरी सहेली और उसका दोस्त आ गए मैं भी पति से कह कर पिता के घर चली गई।
बच्चों के स्कूल की वजह से उनको घर पर ही रहने दिया उनकी बड़ी माँ के साथ।
मेरे दिल में अब एक ही चीज थी कि वो कैसा होगा, क्या उसके साथ सब कुछ सहज होगा या नहीं, क्योंकि ये पहली बार था जब मैं बिना किसी को जाने सम्भोग के लिए राजी थी।
मैं पहले दिन पिताज़ी के साथ ही रही, क्योंकि बहुत दिनों के बाद मिली थी। घर पर भाई और भाभी थे, जो रात होते ही अपने कमरों में चले जाते थे।
क्योंकि गाँवों में लोग जल्दी सो जाते थे, पर पिताजी उस दिन मुझसे करीब 10 बजे तक बातें करते रहे, तो उस दिन देर से सोये।
अगले दिन मेरी सहेली अपने दोस्त के साथ मुझसे मिलने आई, उसने मुझसे मुलाकात करवाई, उसका नाम विजय था।
कद काफी लम्बा करीब 6 फिट से ज्यादा, काफी गोरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू देख कर लगता नहीं था कि उम्र 54 की होगी।
बाकी मेरे घरवालों से भी मिलवाया। मैंने उनको नास्ता पानी दिया फ़िर इधर-उधर की बातें करने लगे।
Reply
07-25-2018, 10:33 AM,
#4
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
अगले दिन मेरी सहेली अपने दोस्त के साथ मुझसे मिलने आई, उसने मुझसे मुलाकात करवाई, उसका नाम विजय था।
कद काफी लम्बा करीब 6 फ़ीट से ज्यादा, काफी गोरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू देख कर लगता नहीं था कि उम्र 54 की होगी।
बाकी मेरे घरवालों से भी मिलवाया। मैंने उनको नाश्ता पानी दिया फ़िर इधर-उधर की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद विजय ने कहा- मुझे गाँव देखना है।
इस पर मेरी सहेली ने मुझे साथ चलने को कहा, मैंने मना किया पर मेरी भाभी और भाई के कहने पर कि मेहमान हैं वो.. मैं चलने को तैयार हो गई।
जाते समय भाभी ने कहा- खाना हमारे घर पर ही खाना।
मैंने साड़ी पहन रखी थी, पर मेरी सहेली ने सलवार-कमीज। रास्ते में हम गाँव वालों से मिलते गए और सबको बताया कि वो एक समाजसेवक हैं और हमारे गाँव को देखने आए है। गाँव वालों और मेरे घरवालों को बात-व्यवहार से मुझे अब यकीन हो चला था कि हमारे साथ घूमने-फ़िरने से किसी को हम पर शक नहीं होने वाला था।
पर मेरे दिमाग में यह ख्याल था कि कहीं ये लोग मुझे अभी सम्भोग के लिए तो साथ नहीं ले जा रहे, पर मैं शर्म के मारे कुछ नहीं कह रही थी।
फ़िर सुधा ने विजय से कहा- नदी किनारे चलते हैं।
इस पर विजय बहुत खुश हुआ और अपना कैमरा निकाल कर इधर-उधर की तस्वीरें लेने लगा।
मैं बता दूँ कि हमारे गाँव की नदी चट्टानों वाली है। हम जब नदी के पास पहुँचे तो विजय रुक गया और कहा- मुझे पेशाब लगी है।
यह सुन मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया।
उसके पेशाब करने की जब आवाज आई तो मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई। वो बस एक हाथ मुझसे दूर था और अपना लिंग बाहर निकाले पेशाब कर रहा था और मेरी सहेली उसको देख कर अपने गाँव के बारे में बता रही थी। वो उससे ऐसे बात कर रही थी जैसे वो पेशाब नहीं कर रहा, बल्कि यूँ ही खड़ा है।
तभी उन दोनों ने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराए और फ़िर उसने अपना लिंग हिला कर पेशाब की आखिरी बूँद गिराई और लिंग अन्दर कर लिया और हम चलने लगे।
उसी दौरान मैंने उसका लिंग देखा। पेशाब के दौरान उसने अपने लिंग के ऊपर के चमड़े को खींच लिया था, जिससे उसका सुपारा लाल और गोल दिख रहा था।
मैं अब यह सोचने पर मजबूर हो गई कि आखिर इसका ‘ये’ उत्तेजित होने पर कितना विशाल हो जाता होगा।
वे लोग आपस में बातें करते जा रहे थे। मैं ज्यादा कुछ नहीं बोल रही थी, मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। तभी हम नदी के किनारे पहुँच गए। अब हम उसको अपने बचपन की कहानियाँ सुनाने लगे।
मेरी सहेली ने तभी उसको बताया- हम लोग बचपन में इस नदी में नंगी होकर भी नहाती थी।
इस पर विजय ने कहा- कितना मजा आएगा अगर अभी तुम दोनों नंगी होकर मेरे सामने नहाओ…हाहा…हाहा…!


सुधा भी हँसने लगी, पर मैं तो शर्म से कुछ नहीं बोली।
अब विजय मेरी तरफ़ देखता हुआ बोला- सारिका तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम अगर कुछ अपना ध्यान रखो तो और भी सुन्दर दिखोगी।
मैंने कहा- इस उम्र में अब क्या ध्यान रखना.. कौन है.. जो अब मुझे देखेगा !
तब सुधा ने मुझसे कहा- क्या जरूरी है कि हम दूसरों के लिए ही अपना ख्याल रखें, तुम बिल्कुल गँवारों की तरह बातें करती हो, लोग अपना ख्याल खुद के लिए भी रखते हैं !
विजय- देखो सारिका, तुममें अभी बहुत कुछ है, तुम्हारी खूबसूरती तो लाखों मर्दों को पागल कर देगी !
मेरी सहेली- हाँ.. बस अपना ये पेट अन्दर कर लो तो !”
यह कह कर वो लोग हँसने लगे, पर मुझे ये अजीब लगा क्योंकि ऐसा मुझे पहले किसी ने नहीं कहा था।
फ़िर उन लोगों ने मुझसे माफ़ी माँगी और कहा कि बस मजाक कर रहे थे।
मैं भी उनकी बातों को ज्यादा दिमाग में न लेते हुए बातें करने लगी। इधर-उधर की बातें करते काफी समय हो चुका था, तो मैंने वापस चलने को कहा।
तब विजय ने कहा- कुछ देर और रुकते हैं.. काफ़ी रोमाँटिक मौसम है।
फ़िर बात चलने लगी कि खुले में सेक्स करने का अलग ही मजा होता है।
विजय ने कहा- अगर मुझे ऐसी जगह मिले तो मैं घर के बिस्तर पर नहीं बल्कि यहीं खुले में सेक्स करूँगा !
तब मेरी सहेली ने कहा- सोचते क्या हो, सारिका तो यहीं है, कर लो इसके साथ !
तब मैंने शर्माते हुए कहा- पागल है क्या तू.. जो मन में आता है बक देती है !
उसने कहा- इसमें शर्माना क्या.. तुम दोनों को मिलवाया ही इसीलिए है !
तब विजय मेरी तरफ़ मुस्कुराते हुए देखने लगा। उसकी मुस्कुराहट में वासना झलक रही थी और मेरा सिर शर्म से झुक गया।
अब मेरी सहेली ने कहा- मौका अच्छा है.. मैं पहरेदारी करूँगी.. तुम दोनों मजे करो।
पर मैं सिर झुकाये थी, तब विजय मेरे पास आया और उसने मेरी कमर पर हाथ रख कर, मुझे चूम लिया।
मेरा पूरा बदन सिहर गया। जब मेरा कोई विरोध नहीं देखा तो उसने मेरी कमर को कस लिया और मेरे मुँह से मुँह लगा कर मुझे चूमने लगा।
मुझे तो जैसे होश ही नहीं रहा था।
पर कुछ देर बाद मैंने उससे खुद को आजाद कराया और कहा- यह जगह सही नहीं है, कहीं और करेंगे।
पर विजय ने जोर दिया- सुधा देख रही है, कोई आएगा तो हमें कह देगी !
पर मैंने उसको मना कर दिया।
तब मेरी सहेली ने कहा- रहने दो, अगर वो नहीं चाहती यहाँ.. तो कहीं और करना.. अभी अपने पास कुछ दिन भरपूर समय है।
विजय ने कहा- मेरा अब बहुत मन कर रहा है, मैं अभी सेक्स करना चाहता हूँ !
पर मैंने साफ़ मना कर दिया।
इस पर विजय ने कहा कि अब वो सुधा के साथ करेगा। इसलिए हम वहाँ से चल कर एक ऐसी जगह गए जहाँ छुपा जा सकता था।
मेरी सहेली ने मुझसे कहा- यहीं पास में रहो और अगर कोई आए तो बता देना।
अब मेरी सहेली ने अपना पजामे का नाड़ा खोला और उसे नीचे सरका कर बैठ गई। मैंने सोचा ये कौन सा तरीका है, फ़िर देखा कि वो पेशाब कर रही है और वहीं विजय अपनी पतलून नीचे करके लिंग बाहर निकाल कर अपने हाथ से हिला रहा था। मैंने जैसा देखा था अब उसका लिंग वैसा नहीं था।
अब वह काफी सख्त और लम्बा हो चुका था, करीब 8 इन्च लम्बा।
मैं हैरान थी, उसके लिंग के आकार को देख कर और अब मुझे भी कुछ होने लगा था, पर मैंने खुद पर काबू किया।
सुधा पेशाब कर रही थी, तब विजय ने झुक कर हाथ से उसके पेशाब को उसकी योनि में फ़ैला दिया। मुझे ये देख कुछ अजीब लगा पर मैं खामोशी से देख रही थी।
अब विजय ने अपने लिंग को मेरी सहेली के मुँह के आगे किया, तो उसने पहले उसके लिंग को अच्छे से चूमा, फ़िर मुँह में भर कर चूसने लगी।
विजय उसके बालों को हटा कर उसके मुख में अपना लिंग अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद सुधा खड़ी हो गई और विजय ने उसको आगे की तरफ झुकने को कहा। फ़िर विजय ने झुक कर उसकी योनि को कुछ देर प्यार किया, इस दौरान सुधा भी गर्म हो चुकी थी।
कुछ देर के मुख-मैथुन के बाद विजय सीधा हो गया, पर मेरी सहेली उसी तरह एक पत्थर के सहारे झुकी रही।
विजय ने उसके दोनों पैरों को फ़ैला दिया, फ़िर अपने लिंग पर थूक लगा कर अच्छे से फ़ैला दिया और उसकी योनि में अपना लिंग लगा दिया, कुछ देर लिंग से योनि को रगड़ने के बाद धक्का दिया, लिंग अन्दर योनि में चला गया और मेरी सहेली के मुँह से एक मादक आवाज निकली- म्म्म्म्म्स्स्स्स्स्ष्ह्ह्ह्ह् !
विजय ने अब पीछे से उसके दोनों स्तनों को दबोचा और धक्के लगाने लगा।
वो लगातार 15-20 धक्के लगाता तेजी में फ़िर उसकी योनि में पूरी ताकत से पूरा लिंग घुसा देता और अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगता।
सुधा भी सिसकारी लेते हुए अपने विशाल कूल्हों को उसी तरह घुमाते हुए उसका साथ देती। उनकी कामुकता धक्कों के साथ और अधिक होती जा रही थी।
अब वे लोग आपस में बातें कर रहे थे।
सुधा कह रही थी- विजय ऊपर और ऊपर हाँ.. वही… वही.. एक बार और जानू प्लीज़ एक और जोर से… आह !
विजय भी उसकी कहने के अनुसार धक्के लगा रहा था, उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। वो हाँफ़ रहा था, पर इससे उसके धक्कों में कोई बदलाव नहीं आ रहा था।
वो तो मस्ती में उसे धक्के मार रहा था और सुधा भी उसका साथ दे रही थी।
अब विजय ने उसको कहा- चलो कुतिया बन जाओ !
तब सुधा पूरी तरह जमीन पर झुक गई और दोनों हाथ जमीन पर रख दिए।
विजय अब उसके ऊपर चला गया और उसके कमर के दोनों तरफ़ अपने पैर फ़ैला कर झुक गया और लिंग को उसकी योनि में घुसा दिया और सम्भोग करने लगा।
दोनों काफी गर्म हो चुके थे। इस बार दोनों इस तरह मेरे सामने थे कि उनके कूल्हे मेरे सामने थे। मुझे विजय का लिंग उसकी योनि में साफ़ साफ़ घुसता निकलता दिख रहा था।
अब तो उसकी योनि से चिपचिपा पानी भी दिख रहा था जो उसकी जाँघों से बहता हुआ नीचे जा रहा था।
दोनों के मुँह से अब सिसकारियाँ निकलनी तेज़ हो गई थीं।
मेरी सहेली बार-बार कह रही थी- जानू सीधे-सीधे बुर में.. ह्ह्ह्ह्ह्म और अन्दर !
करीब 30 मिनट के इस खेल के साथ विजय 10-12 जोरदार धक्कों के साथ शांत हो गया और उसके ऊपर ही हाँफता रहा, फ़िर अलगहुआ।
जब उससे अलग हुआ तो उसकी योनि से विजय का वीर्य बह निकला, जिसे बाद में उसने साफ़ किया और पजामा पहन लिया। अब हम वापस आने लगे।
Reply
07-25-2018, 10:33 AM,
#5
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
अब हम अपने रास्ते पर थे, दोपहर हो चुकी थी, कुछ ही समय में मैं उनसे खुल कर बातें करने लगी।
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम्हें हम दोनों की कामक्रिया देख कर कुछ नहीं हुआ?
तब मैंने उनको बताया- शायद ही कोई होगा जिसको कुछ नहीं होगा, पर मैं खुद पर काबू कर लेती हूँ।
तब विजय ने कहा- सारिका, तुम्हारा नंगा जिस्म देखने को मैं बेताब हूँ !
मैंने कहा- जल्द ही हम मौका निकाल लेंगे।
तब मेरी सहेली ने कहा- आज रात को सब हो जाएगा, तुम लोगों के लिए मैंने पूरा इन्तजाम कर दिया है।
विजय ने कहा- सारिका अगर तुम कुछ दिखा दो तो मजा आ जाएगा।
मैंने कहा- सब्र करो.. रात को सब दिखा दूँगी।
इस पर मेरी सहेली ने कहा- दिखा दो ना.. यहाँ कोई नहीं है, अभी कम से कम चूत ही दिखा दो।
मैंने चूत शब्द सुन कर उसकी तरफ़ देखा और कहा- क्या कहती हो !
तो उसने कहा- इसमें शर्माना क्या ! हम बच्चे नहीं है और जब कर सकते हैं तो कहने में क्या बुराई है !
विजय भी जिद करने लगा तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया।
फ़िर हम एक पेड़ के पीछे चले गए। पहले तो मुझे शर्म आ रही थी, पर विजय के जोर देने पर मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और पैन्टी नीचे सरका दी। वो मेरी योनि को गौर से देखने लगा। मुझे शर्म आ रही थी, पर फ़िर भी मैं वैसे ही दिखाती रही।
उसने मुझसे कहा- काफी बाल हैं.. क्या तुम साफ़ नहीं करती?
मैंने शर्माते हुए कहा- करती हूँ.. पर कुछ दिनों से ध्यान नहीं दे रही, अब कर लूँगी !
तब उसने कहा- जरूरत नहीं… बाल बहुत सुन्दर लग रहे, मुझे बालों वाली चूत अच्छी लगती है। मेरे ख्याल से चूत में बाल होने से लगता है कि कोई जवान औरत है।
मैं उसे देख कर मुस्कुराई।
उसने मेरे पास आकर मेरी योनि को छुआ और बालों को सहलाया और कहा- कितनी मुलायम और फूली हुई है !
तब मेरी सहेली भी वहाँ आ गई और कहा- कितना समय लगा रहे हो ! चलो घर में सब इन्तजार कर रहे होंगे !
विजय ने दो मिनट रुकने को कहा और मुझे मेरे पैर फ़ैलाने को कहा और वो नीचे झुक कर मेरी योनि को हाथों से फ़ैला कर देखने लगा और तारीफ़ करने लगा।
उसने कहा- मैं इसे चखना चाहूँगा !
और अपना मुँह लगा दिया।
मैं सहम गई और कहा- यह क्या कर रहे हो?
उसने अपनी जुबान अन्दर घुसा दी, फ़िर मुझसे कहा- कितनी गर्म, मुलायम और नमकीन है !
मेरी सहेली ने तब कहा- अब रात भर तुम चूसते रहना.. फ़िलहाल चलो, देर हो रही है।
तब विजय ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- मैं तुम्हारा यह खूबसूरत जिस्म चखने के लिए बेताब हूँ !
मैंने उसे मुस्कुराते हुए जवाब दिया- ठीक है.. आज रात जो मर्जी कर लेना !
फ़िर हम जाने के लिए तैयार हुए।
मैंने कहा- रुको, मैं जरा पेशाब कर लूँ !
इस पर विजय ने कहा- खड़े हो कर करो, मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारी पेशाब की धार कैसी निकलती है?
मैंने कुछ संकोच किया तो मेरी सहेली ने बताया- विजय को ये सब बातें बहुत उत्तेजक लगती हैं।
तो मैंने वैसे ही पेशाब करना शुरु कर दिया।
अचानक उसने हाथ आगे किया और मेरे पेशाब को हाथ में लेकर सूंघने लगा और बोल पड़ा- कितनी मादक खुशबू है इसकी !
यह मेरे लिए अजीब था, पर उसे सब कुछ करने दिया।
सुधा ने मुझसे कहा- आज रात तुम सेक्स के बारे में और भी बहुत कुछ जान जाओगी।
फ़िर यही सब बातें करते हुए हम घर चले आए और खाना खा कर वे लोग अपने घर चले गए, अब रात का इन्तजार था।
रात हम सब खाना खाकर सोने चले गए अपने कमरे में।
करीब 10 बजे मेरी सहेली ने मुझे फ़ोन करके छ्त पर बुलाया, क्योंकि उसका और मेरा घर साथ में है। हम आसानी से एक-दूसरे की छत पर आ-जा सकते हैं।
मैंने पूरी तैयारी कर ली थी, मैंने जानबूझ कर नाईट-ड्रेस पहना था ताकि अगर कोई परेशानी हुई तो जल्दी से पहन कर निकल सकूँ।
मैं छत पर गई, तो वो लोग पहले से वहीं थे और मेरा इंतजार कर रहे थे।
मेरे आते ही उन लोगों ने कहा- यहीं छत पर सब कुछ होगा।
पर मुझे अपने इज्जत आबरू का ख्याल था, मैंने साफ कह दिया- नहीं !
तब विजय ने कहा- खुले में सेक्स का मजा अलग होता है।
पर मैंने साफ मना कर दिया।
तब मेरी सहेली ने मुझसे कहा- तब सामने वाले गोदाम में चलो, वहाँ कोई परेशानी नहीं है।
वो जगह मुझे ठीक लगी, इसलिए हम वहाँ चले गए। अन्दर हल्का उजाला था, पर सब कुछ साफ दिख रहा था।
हम कुछ देर बातें करने लगे।
करीब 10.30 बज गए थे, तो मेरी सहेली ने कहा- तुम दोनों अब मजे करो, मैं सोने जाती हूँ।
और वो चली गई।
जाते-जाते उसने ऐसा कहा कि मेरे होश उड़ गए।
उसने कहा- सारिका अच्छे से चुदवाना, विजय मास्टर है चोदने में !
मैंने शर्म के मारे सर झुका लिया।
उसके जाते ही विजय ने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पास आ गया।
उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- दिन भर तुम्हारी याद में बैचैन रहा हूँ !
और उसने मुझे पकड़ लिया और अपनी बांहों में भर कर मुझे चूम लिया।
मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई, पर मैंने कोई विरोध नहीं किया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम फ्रेंच किस जानती हो?
मैंने कहा- हाँ !
तो उसने कहा- कभी किया है?
मैं अनजान बनती हुई बोली- नहीं.. कभी नहीं किया.. बस फिल्मों में देखा है।
उसने कहा- फिर आज करो मेरे साथ।
उसने मुझे बताया- हम दोनों पहले एक-दूसरे के होंठों को चूसते हुए चुम्बन करेंगे फिर जुबान को !
अब उसने मेरी कमर को पकड़ा और मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और पकड़ लिया।
फिर उसने अपना मुँह मेरे मुँह से लगा दिया और मेरे होंठों को चूसने लगा, कुछ देर बाद मैंने भी चूसना शुरू कर दिया।
मैंने महसूस किया कि विजय अपनी कमर को मेरी कमर से दबा रहा है और अपने लिंग को मेरी योनि से रगड़ रहा है।
उसका कठोर लिंग मुझे कपड़ों के ऊपर से ही महसूस हो रहा था।
हम दोनों अब गर्म होते जा रहे थे, अब हमने एक-दूसरे की जुबान को चूसना शुरू कर दिया था, साथ ही वो अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ रहा था।
अब मेरे अन्दर की चिंगारी और तेज़ होने लगी थी, मैं भी अपनी कमर को हरकत में लाकर उसकी मदद करने लगी।
उसकी लम्बाई काफी थी इसलिए उसे झुकना पड़ रहा था।
अब उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मेरी जाँघों को फ़ैलाने की कोशिश करने लगा। मैंने भी उसकी मदद करते हुए अपनी टाँगें फैला दीं, इससे वो आसानी से अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ने लगा।
काफी देर के ‘फ्रेंच-किस’ के बाद वो अब मेरे गालों, गले, सीने को चूमते और चूसते हुए नीचे मेरी योनि के पास आ गया। उसने मेरी नाईट-ड्रेस को ऊपर किया और मेरी पैन्टी को नीचे सरका दिया। फिर एक प्यारा सा चुम्बन धर दिया।
मैं सर से लेकर पांव तक सिहर गई।
वो नीचे बैठ गया और मुझे खड़े रहने को कहा और मेरी टाँगों को फैला दिया। अब उसने मेरी योनि को प्यार करना शुरू कर दिया। पहले तो उसने बड़े प्यार से उसे चूमा फिर एक उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा, मुझे बहुत मजा आने लगा।
अब उसने अपना मुँह लगा कर चाटना शुरू कर दिया।
यह मेरे लिए एक अलग सा अनुभव था क्योंकि उसकी जुबान कुछ अलग तरह से ही खिलवाड़ कर रही थी।
मेरे पाँव काँपने लगे, मुझसे अब खड़े रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी योनि में दबाना शुरू कर दिया।
मेरी योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसके थूक और मेरी योनि का रस मिल कर मेरी जाँघों से बहने लगा था।
Reply
07-25-2018, 10:33 AM,
#6
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
उसने मुझे बुरी तरह से गर्म कर दिया था। मेरे दिल में अब बस यही था कि कब वो मुझे, मेरे बदन को अपने लिंग से भरेगा।
मेरी मादक सिसकारियाँ और हरकतों को देख उसने मुझे एक चावल की बोरी के ऊपर बिठा दिया। मेरी पैंटी निकाल दी और अपना शर्ट और पजामा निकाल खुद चड्डी में आ गया। फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस निकल दी। अब मैं सिर्फ ब्रा में थी।
उसने मेरे वक्ष को देख कर पूछा- सारिका, तुम्हारे स्तनों का साइज़ क्या है?
मैंने उत्तर दिया- 36D !
यह सुन उसने ख़ुशी से कहा- क्या खूबसूरत दूद्दू हैं.. मुझे दिखाओ, मैं इन्हें चखना चाहता हूँ !
और उसने मेरी ब्रा निकाल दी। अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। उसने मेरे दोनों स्तनों को दोनों हाथों से पकड़ा फिर उन्हें गौर से देखते बोला- कितने गोल, मुलायम और बड़े है तुम्हारे दूद्दू !
फिर उन्हें सहलाते हुए खेलते हुए मेरी चूचुकों को मसलने लगा। उसका इस तरह से शब्दों का प्रयोग मुझे अजीब लग रहा था। फिर वह अपना मुँह लगा उन्हें बारी-बारी से चूसने लगा।
मुझे भी पूरी मस्ती चढ़ गई थी। मैं भी पूरा मजा लेने लगी। एकाएक मेरा हाथ नीचे चला गया और उसके लिंग को चड्डी के ऊपर से टटोलने लगी।
यह देख उसने अपनी चड्डी निकाल दी और मुझे अपना लिंग थमा दिया। उसका लिंग इतना मोटा था कि मेरी मुठ्ठी में नहीं समा रहा था। मैं जोश में आकर उसका लिंग पूरे जोर से दबा कर मसलने लगी।
कुछ देर यूँ ही मेरे स्तनों के साथ खेलने, चूसने और मुझे चूमने-चाटने के बाद वो खड़ा हो गया। उसने अपना लिंग मेरे मुँह के सामने रख दिया।
मैं इशारा समझ गई, पर मुझे थोड़ा संकोच हो रहा था।
इस पर उसने मुझसे कहा- प्लीज, मेरा लंड चूसो इसमें संकोच कैसा ! चुदाई में कुछ गन्दा या बुरा नहीं होता !
पर मेरा दिल नहीं मान रहा था। तब उसने मुझे समझाना शुरू किया कि सम्भोग में स्त्री और पुरुष का जिस्म भोगने के लिए होता है, इसमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कुछ गन्दा या गलत है, हर चीज़ का मजा लेना चाहिए।
बहुत मनाने पर मैंने उसके लिंग को चूमा, फिर उसे चूसने लगी।
उसके लिंग से एक अलग सी गंध आ रही थी। मुझे अब थोड़ा सहज लगने लगा तो मैं चूसती चली गई।
काफी देर बाद उसने मुझसे कहा- तुम जल्द ठंडा होना चाहती हो या ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती हो?
मैंने उत्तर दिया- तुम्हें जैसी मर्ज़ी करो, पर सुबह होने से पहले सब खत्म करके मुझे अपने कमरे में जाना होगा !
उसने कहा- चिंता मत करो.. सब हो जाएगा और आज तुम्हें जितना मजा आने वाला है, उतना कभी नहीं आया होगा !
उसने कहा- तुम सिर्फ चुदाई चाहती हो या पूरा मजा?
उसके बार-बार इस तरह के शब्द मुझे अजीब लग रहे थे, पर मैंने कहा- मुझे पूरा मजा चाहिए !
उसने कहा- कोशिश पूरी रहेगी !
मैंने कहा- मैं 5 रात तुम्हारे साथ हूँ और अगर दिन में कभी मौका मिला तो भी हम करेंगे !
उसने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ कहा और इधर-उधर देखने लगा। गोदाम में लेटने की कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिए या तो हम खड़े या बैठ कर कर ही चुदाई सकते थे।
तब उसने मुझसे कहा- तुम्हें कौन सी पोजीशन पसंद है !
मैंने कहा- कोई भी.. बस थोड़ा आरामदायक हो, पर लेट कर ज्यादा अच्छा होगा !
अब उसने मेरी बात का ख्याल रखते हुए लेटने की व्यवस्था करने लगा। उसने 3 चावल की बोरियों को साथ में रख कर बिस्तर बना दिया।
मुझे उस पर लिटा दिया। फिर मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी दोनों टाँगों को फैला कर बीच में आ गया। मैंने उसे पकड़ लिया और उसने मुझे।
हम दोनों एक-दूसरे के जिस्मों से खेलने लगे। कभी वो मुझे चूमता, कभी मैं उसे, हम दोनों का जिस्म पूरी तरह से गर्म हो चुका था। तभी मुझे मेरी योनि पर कुछ गर्म सा लगा, मैं समझ गई के उसका लिंग मेरी योनि से रगड़ खा रहा है।
उसने अपना लिंग मेरी योनि में जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया और साथ ही मुझे प्यार करने लगा। कभी मेरे स्तनों को दबाता, कभी चूसता, कभी मेरे चूतड़ों को दबाता और सहलाता।
मुझे अब सहन नहीं हो रहा था, मैं अब जल्द से जल्द योनि में उसका लिंग चाहती थी पर वो बस मुझे तड़पाए जा रहा था।
मेरी योनि के पंखुड़ियों के बीच अपने लिंग को रगड़ने में व्यस्त था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, पर मैं अब उसे अपने योनि में चाहती थी, मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपनी जाँघों से उसे जकड़ लिया।
तब उसने मुझसे कहा- अभी नहीं सारिका.. थोड़ा और खेलने दो !
मैंने कहा- प्लीज.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अपना लिंग अन्दर करो.. मुझे और मत तड़पाओ !
तब उसने कहा- ऐसे नहीं.. कुछ और कहो.. ये लिंग और योनि की भाषा मुझे पसंद नहीं !
तब मैंने थोड़ा संकोच किया, इस पर उसने कहा- बोलो !
तब मैंने उससे कहा- प्लीज अपना लंड मेरी बुर में डालो !
तब उसने कहा- बुर शब्द कितना अच्छा लगता है, पर क्या सिर्फ लंड बुर में डालूँ और कुछ न करूँ?
तब मैंने कहा- प्लीज.. कितना तड़पा रहे हो चोदो न मुझे !ि

उसने कहा- ठीक है.. चलो पहले तुम पेशाब कर लो !
मैंने कहा- मुझे पेशाब नहीं आई है !
उसने कहा- पेशाब कर लो, वरना जल्दी झड़ जाओगी और मैं नहीं चाहता कि तुम मेरा साथ जल्दी छोड़ दो !
तब उसने मुझे छोड़ दिया, मैंने वहीं गोदाम के किनारे बैठ कर पेशाब करने की कोशिश करने लगी, पर उत्तेजना में माँसपेशियाँ इतनी अकड़ हो गई थीं कि पेशाब करना मुश्किल हो रहा था।
तभी विजय मेरे पास आ कर मेरे सामने बैठ गया और कहा- क्या हुआ.. जल्दी करो !
मैंने जवाब दिया- नहीं निकल रहा.. क्या पेशाब करना जरूरी है?
उसने कहा- अगर पेशाब कर लोगी तो तुम काफी देर में झड़ोगी।
मैंने थोड़ा जोर लगाया तो पेशाब निकलने लगा। तभी उसने मेरी योनि पर हाथ लगा कर मेरे पेशाब को योनि पर फैला दिया, फिर अपना हाथ सूंघते हुए कहा- तुम्हारी पेशाब से कितनी अच्छी गंध आ रही है !
मैंने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और फिर मैं उठ कर चली गई। मैं वापस जा कर लेट गई।
अब वो मेरे पास आकर मुझे चूमने लगा फिर मेरी टांग फैला कर मेरी बुर को चूमा और कहा- आज इस बुर का स्वाद लेकर चोदूँगा तुम्हें !
फिर मेरे ऊपर चढ़ गया। अपने हाथ में थोड़ा थूक लगा कर अपने लंड के सुपाड़े में लगाया और मेरी योनि पर रख थोड़ा रगड़ा। मैं सिसकार गई। अपने लिंग को योनि के छेद पर टिका कर उसने मेरी टांग को अपने चूतड़ पर रख कहा- तुम तैयार हो?
मैं तो पहले से ही तड़प रही थी, सो सर हिला कर ‘हाँ’ में जवाब दिया। अब उसने मुझे कन्धों से पकड़ा और मैंने भी उसे पकड़ लिया। फिर उसने दबाव देना शुरू किया तो उसका सुपाड़ा अन्दर घुस गया, मैं कराह उठी।
मुझे अब हल्का दर्द होने लगा पर मैं बर्दाश्त करती रही।
थोड़ा और जोर लगाने पर उसका लिंग और अन्दर घुस गया।
मेरी सिसकारी और तेज़ हो गई, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ और उसने और जोर लगाया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम थोड़ा नीचे से जोर लगाओ !
मैंने दर्द को सहते हुए जोर लगाया और उसने भी तो पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया। मैं उसके सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी।
उसने मुझे चूमा और कहा- तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है.. कितने दिनों के बाद चुदवा रही हो?
मैंने कहा- तीन महीने के बाद… अब देर मत करो.. चोदो !
उसने कहा- ठीक है, पर कोई परेशानी हो तो कह देना !
Reply
07-25-2018, 10:34 AM,
#7
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
मैंने कहा- ठीक है, पर आराम से धीरे-धीरे और सीधे-सीधे घुसाना !
उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर मेरे होंठों से होंठ सटाकर चूमते हुए अपना काम शुरू कर दिया, उसने मुझे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया।
मुझे भी कुछ समय के बाद सहज लगने लगा तो मैंने भी अपनी कमर उछालाना शुरू कर दिया।
अब मुझे मजा आने लगा, उसने अब अपनी गति तेज़ कर दी, मैं सिसकारियाँ लेने लगी।
मेरी योनि से पानी रिसने लगा, जो उसके लिए काम और आसन करता जा रहा था। उसके धक्कों से मेरी योनि में उसका लिंग इतनी आसानी से जा रहा था कि क्या कहूँ ! मैं तो मस्ती में उसके बाल तो कभी उसके पीठ नोचने लगी।
वो भी कभी मेरे गाल काटता तो कभी चूचुकों को और जोर से दबाता।
हम दोनों कभी एक-दूसरे को देखते, कभी चूमते, चूसते या काटते और वो तेज़ी से मेरी योनि को चोदे जा रहा था।
वो लगातार 15-20 धक्के मारता तेज़ी में फिर 2-4 धक्के के बाद जोर से फिर पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा कर जोर से मेरी बच्चेदानी में सुपाड़े को रगड़ने लगता। इस तरह मुझे बहुत मजा आ रहा था।
हम दोनों की साँसें तेज़ हो रही थीं और पसीने से तर होने लगे थे। पर उसका पसीना भी मुझे किसी खुशबूदार फूल की तरह लग रहा था। उसे भी शायद मेरे पसीने की गंध अच्छी लग रही थी।
उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है?
मैंने जवाब दिया- बहुत मजा आ रहा है, तुम्हें कैसा लग रहा है?
उसने कहा- मुझे तो बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि लंड का चमड़ा खिंचा जा रहा है और फूली हुई है तो गद्देदार लग रही है !
उसकी तारीफ़ सुन कर मैं खुश हुई और मुस्कुराते हुए उसका साथ देने लगी।
उसने कहा- कुछ बात करते हुए चुदवाओ तो मजा और भी आएगा !
मैंने कहा- ठीक है !
फिर हम बातें करने लगे और साथ ही वो मुझे चोद रहा था।
उसने कहा- क्या तुम ऐसे ही चुदवाओगी या किसी दूसरे तरीके से भी?
मैंने कहा- तुम्हें जैसा अच्छा लगे चोदो !
तब उसने कहा- मैं धक्के लगाते हुए थक गया हूँ.. क्या तुम ऊपर आना चाहोगी?
तब मैंने कहा- ठीक है !
फिर उसने मुझे पकड़ कर उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया। हम दोनों बैठ गए और मैंने उसके गले में हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया।
उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और कहा- अब तुम चुदवाओ !
अब मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। कुछ देर के बाद मैंने वो किया जिसका उसने कभी सोचा नहीं था। मैंने अमर के साथ जो किया वही किया।
मैं 8 लिखने के अंदाज में अपनी कमर को घुमाना शुरू किया।
उसने तब कहा- तुम तो सच में खिलाड़ी हो कितना मजा आ रहा है करते रहो !
करीब 10 मिनट तक करने के बात मैं भी थक चुकी थी, उसको कहा- अब मैं थक गई हूँ।
तब उसने मुझे नीचे उतार दिया और कहा- चलो अब घोड़ी बन जाओ !
और मैं झुक कर दोनों घुटनों को मोड़ कर अपनी हाथों के बल कुतिया सी बन गई।
उसने पहले तो पीछे से मेरी योनि को चाटा फिर लिंग को योनि पर टिका कर धक्का दिया। लिंग पूरा घुस गया। इस तरह लिंग सीधा मेरी योनि की आगे की दीवार से रगड़ खाने लगी।
मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं मस्ती में सिसकारी लेते हुए कहने लगी- हाँ.. ऐसे ही ऐसे चोदो मुझे.. ह्म्म्मम्म आ..हह..स्सस्सस्स !
करीब 10 मिनट तक ऐसे चोदने के बाद मैं अब झड़ने वाली थी। मेरे शरीर की अकड़न देख कर वो समझ गया कि मैं अब झड़ने जा रही हूँ, उसने तुरंत मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी टाँगों को फैला कर उसने अपने कन्धों पर रख दिया और कहा- तुम्हें अब और ज्यादा मजा आएगा !
उसने लिंग मेरी योनि में घुसा दिया और चोदने लगा, मैं उसके चूतड़ों को कस के पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी। उसकी साँसें मेरी साँसों से तेज़ हो रही थी।
उसने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैं भी अब और खुद को रोक नहीं सकती थी। बस एक-दो धक्कों में ही मेरा स्खलन हो गया। मैंने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ लिया।
अब उसकी बारी थी, उसके धक्कों में तेज़ी दुगुनी हो गई और फिर 5-8 जोरदार धक्कों के साथ वो भी झड़ गया।
मैंने महसूस किया कि कुछ गर्म चीज़ मेरे अन्दर पिचकारी की तरह गई और मेरी योनि उसके वीर्य से भर गई।
वो हाँफते हुए मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गया। करीब 5 मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
फिर वो मुझसे अलग हुआ, उसका लिंग सिकुड़ कर आधा हो गया था और मेरी योनि से उसका वीर्य बहने लगा था।
उसके पूरे बदन से पसीना बह रहा था और मेरे सीने और जाँघों के पास योनि के किनारों से भी पसीना बह रहा था। मैंने अपनी पैन्टी से योनि पर वीर्य साफ़ किया।
रात के 12 बज चुके थे। हम दोनों वहीं लेट गए और बातें करने लगे।
उसने मुझसे कहा- मैंने बहुतों के साथ सेक्स किया है और हर औरत में एक अलग ही मजा होता है, पर असली मजा तब आता है जब कोई पूरा साथ दे तुम्हारी तरह!
मैंने भी तब कहा- मुझे सेक्स बहुत पसंद है और मैं उसे पूरा मजा लेना चाहती हूँ, तुम्हारे साथ बहुत मजा आया !
फिर उसने कहा- कहीं तुम्हें कुछ तकलीफ तो नहीं हुई इस दौरान?
मैंने उत्तर दिया- शुरू में लंड अन्दर जाते हुए थोड़ा दर्द हो रहा था, पर इतना तो चलता है !
फिर उसने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और मेरे होंठ चूम लिए और कहा- तुम इतने दिनों के बाद चुदवा रही थी और ऊपर से तुम्हारी बुर औरों के मुकाबले थोड़ी छोटी है, इसलिए मुझे कसी हुई लगी। मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड का चमड़ा खिंच कर पूरा ऊपर आ जाएगा !
हम काफी देर यूँ ही बातें करते रहे। वो मेरी और मेरे जिस्म की तारीफ़ करता रहा। अब उसने बातें करते हुए फिर से मेरी योनि को सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने उससे कहा- अभी मन नहीं भरा क्या !
उसने जवाब दिया- अगर पास में तुम्हारी तरह कोई जवान औरत हो तो भला किसी मर्द का मन भरेगा !
और उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
मैंने भी अपनी प्रतिक्रिया दिखाई और उसका लिंग पकड़ कर हिलाने लगी साथ ही उसे चूमने और चूसने लगी।
उसने मुझसे कहा- सारिका, हम इन 5 दिनों में हर तरह से सेक्स करेंगे और किसी रोज तुम्हारी सहेली को साथ रख कर तीनों मिल कर करेंगे !
मुझे उसकी बातें रोचक लग रही थीं और मैं फिर से गर्म होने लगी थी। उसका लिंग भी अब कड़ा हो गया था।
कहानी जारी रहेगी।
Reply
07-25-2018, 10:34 AM,
#8
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
पर उसने मुझसे कहा चूसने को, मैंने चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और मेरी कमर उसकी तरफ करके मुझे चूसने को कहा।
तभी मैंने देखा कि मैं इधर उसका लिंग चूस रही थी, उधर वो मेरी योनि में उंगली डाल रहा है और फिर चूस रहा है।
काफी देर के बाद उसने मुझसे कहा- अब तुम खड़ी हो जाओ और दीवार के पास रखी बोरियों के ऊपर एक टांग रख कर खड़ी हो जाओ !
मैंने कहा- क्या करने वाले हो?
उसने कहा- बस तुम खड़ी हो जाओ, तुम्हें और भी मजा आने वाला है !
मैं वहाँ गई, एक टांग उठा कर बोरियों के ऊपर रख दिया, तो मेरी योनि खुल कर सामने आ गई। अब वो मेरे पास अपने लिंग को हाथ से हिलाते हुए आया और लिंग पर थूक लगाया फिर कुछ मेरी योनि पर भी कुछ थूक मला।
अब उसने खड़े होकर लिंग मेरी योनि में घुसाने लगा और मुझसे कहा कि मैं उसे पकड़ लूँ !
मैंने वैसा ही किया।
उसने मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धक्के लगा कर चोदना शुरू कर दिया। इस बार धक्के पहले जैसे ही थे, पर वो मुझे काफी दम लगा कर चोद रहा था।
कुछ ही देर में मेरी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं।
अब उसने मुझसे कहा- अपना पैर नीचे कर लो, पर दोनों टाँगों को फैलाये रखना !
मैंने वैसा ही किया, उसका लिंग अभी भी मेरी योनि के अन्दर ही था।
फिर उसने कहा- अब तुम भी मेरे साथ धक्के मारो !
मैंने भी अब धक्के लगाने शुरू कर दिए, कसम से कितना मजा आ रहा था। वो मुझे चोदने के साथ मेरी स्तनों को दबाता कभी चूसता तो कभी काट लेता।
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। वो मुझे उकसा रहा था, बार-बार कह रहा था ‘हाँ.. और जोर से.. और जोर से !’
कुछ देर में तो मेरा पानी ही निकल गया और मेरा जिस्म ढीला पड़ गया, पर वो मुझे अपनी पूरी ताकत से चोद रहा था।
उसने अब मेरी दोनों टाँगों को उठाया और मुझे अपनी गोद में ले उठा लिया।
मैं हैरान हुई कि मेरा इतना वजन होते हुए भी उसने मुझे उठा लिया और मुझे चोदने लगा।
उसने मुझसे कहा- तुमने तो मेरा साथ जल्दी छोड़ दिया !
मैंने कहा- मैं अब भी तुम्हारे साथ हूँ.. तुम जितना देर चाहो चोद सकते हो !
उसने मेरे भारी और मोटे शरीर को काफी देर अपनी गोद में उठा कर मुझे चोदा।
फिर वो मुझे इसी तरह लाकर धीरे से बोरियों के ऊपर लेट गया। मैं उसके ऊपर हो गई और अब मेरा फर्ज बनता था कि उसके लिए कुछ करूँ, तो मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं अब दुबारा गर्म होने लगी। उसके सुपारे से अपनी बच्चेदानी को रगड़ने लगी। जब मैं ऐसा करती, तो वो मेरी कमर को पकड़ कर अपनी और खींचता और अपनी कमर उठा देता।
कभी तो जोर का झटका देता, जिससे मेरी चीख निकल जाती और ये शायद उसे और भी उत्तेजित कर रहा था।
तभी उसने मुझसे पूछा- तुम्हें अपनी बच्च्दानी में लंड रगड़ना अच्छा लगता है?
मैंने कहा- हाँ.. बहुत मजा आता है!
उसने कहा- क्या तुम्हें दर्द नहीं होता?
मैंने कहा- होता है, पर मजा इतना आता है कि मैं उस दर्द को भूल जाती हूँ और वैसे भी दर्द में ही असली मजा है !
यह बात सुन कर वो पागल सा हो गया, उसने करवट ली और मेरे ऊपर आ गया।
अब उसने अपना खूंखार रूप ले लिया, उसने मुझे पूरा दम लगा कर चोदना शुरू कर दिया।
मैं अब ‘हाय…हाय’ करने लगी.. और वो मुझे बेरहमी से चोदने लगा और कहने लगा- लो मेरी जान… और लो… मजा आ रहा है ना?
काफी देर मेरे जिस्म को बेरहमी से चूसने, चाटने, काटने, मसलने और चोदने के बाद मैं अब दुबारा झड़ने के लिए तैयार थी।
उधर विजय भी अपना लावा उगलने को बेताब था।
मैंने अपनी कमर उछालना शुरू कर दिया और वो भी जोर के धक्कों से मुझे चोद रहा था। उसका लिंग मेरी योनि में ‘फच..फच’ की आवाज करता तेज़ी से घुस और निकल रहा था।
तभी मेरे बदन में अकड़न सी हुई और मेरा बदन सख्त हो गया। मैंने उसको अपनी पूरी ताकत से अपनी और खींचा और अपनी कमर उठा दी, जैसे मैं उसका लिंग अपनी योनि की गहराई में उतार लेना चाहती हूँ और फिर मैं झड़ गई।
मेरा बदन अब ढीला हो रहा था, पर मैं अब भी उसे अपनी ताकत से पकड़ी हुई थी। वो अभी भी मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था, उसका लिंग मुझे और ज्यादा गर्म लग रहा था।
तभी उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने मेरे होंठों पर अपना होंठ रख चूसने लगा फिर मेरी जुबान को चूसने लगा और 7-8 धक्कों के साथ वो भी झड़ गया और हाँफता हुआ मेरे ऊपर लेट गया।
इस बार मुझे पहले से कही ज्यादा मजा आया और इस बार उसने एक बार भी अपना लिंग मेरी योनि से बाहर नहीं निकाला जब तक कि वो झड़ न गया।
मैं बहुत थक चुकी थी और मैं अब सोना चाहती थी, पर उसने मुझे रोक लिया।
रात के 2 बज गए थे और मुझमें अब हिम्मत नहीं थी कि और खुद को रोक सकूँ। पर उसने मेरी एक न सुनी और मुझे फिर से दो बार चोदा।
उस रात हमने 4 बार चुदाई की, चौथी बार तो करीब 4 बज गए थे। वो मुझे काफी देर से चोद रहा था, पर वो झड़ नहीं रहा था।
तभी मेरी सहेली ने फोन किया- सुबह हो चुकी है, मैं आ रही हूँ, तुम्हें अपने कमरे में छोड़ देती हूँ।
पर विजय मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था, बस ‘कुछ देर और.. कुछ देर और..’ कह कर चोदता रहा।
तभी मेरी सहेली मुझे लेने आ गई और हम दोनों उस वक्त भी चुदाई कर रहे थे।
वो हमे देख कर हँसने लगी और कहा- अभी तक तुम दोनों का मन नहीं भरा ! ठीक है कर लो, मैं यही इन्तजार करती हूँ !
मुझे उसके सामने शर्म आ रही थी, पर मैं खुद को आज़ाद भी नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से झड़ गए। मैंने जल्दी से अपनी योनि को साफ़ किया कपड़े पहने और चली गई।
सुधा हँसते हुए बोली- काफी प्यासी लग रही हो, सुबह पता चलेगा रात की मस्ती का !
मैं शर्माते हुए जाने लगी।
अपने कमरे में जाते ही मैं कब सो गई पता ही नहीं चला और सुबह देर तक सोती रही।
कहानी जारी रहेगी।
Reply
07-25-2018, 10:34 AM,
#9
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
अगले दिन मैं करीब 10 बजे उठी तो भाभी ने मुझे सुबह पूछा- इतनी देर तक सोती हो क्या तुम?
मैंने जवाब दिया- नहीं.. पर रात को नींद नहीं आ रही थी, तो देर से सोई हूँ इसलिए देर हो गई उठने में !
मैं जब बिस्तर से उठ रही थी, तो मेरे बदन में दर्द हो रहा था, जांघें अकड़ सी गई थीं, पेशाब करने गई, तो जलन महसूस हुई।
ये सब रात की कामक्रीड़ा का असर था। सुधा सच कह रही थी कि सुबह पता चलेगा।
मुझे मेरा पहला सहवास याद आ गया क्योंकि सुहागरात के दूसरे दिन यही सब मैंने महसूस किया था।
मैं मन ही मन मुस्कुराई और फिर अपना नहाना-धोना सब कर के तैयार हो गई।
दिन भर मैं घर में भाभी के कामों में हाथ बंटाती रही।
शाम को मेरी सहेली और विजय छत पर आए और मैं और भाभी भी गए।
हम सब काफी देर तक गप्पें करते रहे, फिर भाभी नीचे चली गईं और रात के खाने की तैयारी करने लगी।
हम तीनों वहीं बैठे बात करते रहे।
सुधा ने रात की बात को लेकर मुझे छेड़ना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल बेशर्म हो गई थी और विजय उसका साथ दे रहा था।
ख मेरी जिंदगी में पहली बार था कि किसी की जानकारी में मैंने सम्भोग किया हो।
वो बार-बार मुझसे पूछ रही थी कि रात को क्या-क्या किया हमने.. पर मैं उसकी बात टाल दे रही थी।
अब काफी देर हो चुकी थी, सो मैं नीचे जाने लगी।
तब विजय ने कहा- तुम आज आओगी न?
मैंने कहा- अगर किसी को शक नहीं हुआ और सब ठीक लगा तो जरुर आऊँगी।
फिर मैं नीचे चली गई, सबको खाना खिलाया फिर मैं और भाभी खाना खा कर अपने-अपने कमरे में चले गए।
मैं पिताजी के पास गई, उन्हें अच्छे से सुला दिया और फिर अपने कमरे में आ गई।
अब मुझे उसके फोन का इन्तजार था। करीब 10 बजे फोन आया कि मैं सीधे गोदाम में चली आऊँ।
मैंने बाहर निकल कर देखा कहीं कोई देख तो नहीं रहा, फिर दबे पाँव गोदाम के तरफ चल दी।
मैंने अन्दर जा कर देखा विजय पहले से वहाँ मेरा इन्तजार कर रहा था।
मेरे दरवाजा बंद करते ही उसने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा।
मैंने भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई।
हमने एक-दूसरे के नंगे जिस्म को देखा और फिर मुस्कुराते हुए सामने आए फिर दोनों आपस में चिपक गए।
हमने एक-दूसरे के जिस्मों से खेलना शुरू कर दिया। पहले तो हमने जी भर के होंठों और जुबान को चूसा, फिर उसने मेरे स्तनों को बेरहमी से मसलना शुरू कर दिया।
मैं बस हाय-हाय करती रह गई।
उसने मुझे घुमा कर मेरे पीठ की तरफ से मुझे पकड़ा और मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया फिर मेरी पीठ को चूमता हुआ नीचे आने लगा।
फिर मेरी कमर और चूतड़ को प्यार से दबाने और चूमने लगा उन्हें सहलाने लगा।
मेरी योनि अब गीली होने लगी थी। मैं अब उत्तेजित हो रही थी। उसने मेरे चूतड़ों को हाथों से फैलाया और पीछे से मेरी योनि को चाटने लगा।
उसने अपनी जुबान को मेरी पंखुड़ियों के ऊपर फिराना शुरू कर दिया, फिर योनि को दो उंगलियों से फैला कर अपनी जुबान उसमें घुसाने की कोशिश करने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने भी अब उसका लिंग चूसने का सोच लिया, पर उसके दिमाग में आज कुछ और ही था।
उसने मुझसे कहा- आज कुछ अलग करूँगा !
मैंने पूछा- क्या?
तब उसने एक बोतल निकाली, उसमें तेल था। उसने तेल मेरे पूरे बदन पर मलना शुरू कर दिया। गले से पाँव तक मुझे तेल में डुबो दिया।
मैंने पूछा- क्या कर रहे हो?
तो उसने कहा- मालिश कर रहा हूँ।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- इतना तेल कोई लगाता है क्या..?
तब उसने कहा- बस तुम देखती जाओ।
मेरा पूरा बदन तेल की वजह से झलक रहा था। फिर उसने अपना बदन मेरे बदन से रगड़ना शुरू कर दिया।
थोड़ा और तेल लेकर उसने मुझे उसके बदन पर लगाने को कहा। मैंने भी प्यार से उसके बदन पर तेल लगा कर मालिश की। उसके लिंग को पूरी तरह से तेल में नहला दिया।
हम दोनों अब तेल में चमक रहे थे।
उसकी हरकत अब जाहिर कर रही थी कि वो अब पूरा गर्म हो चुका है और पूरे जोश में है।
उसने मुझे दीवार के एक कोने में ले जाकर कहा- तुम इन दो बोरियों के ऊपर अपनी दोनों टाँगें फैला कर खड़ी हो जाओ !
उन दो बोरियों के बीच करीब 2 फ़ीट की दूरी थी और ऊंचाई करीब 1 फिट थी। मैं खड़ी हो गई दोनों टाँगें फैला कर। मैं बेताब थी कि आखिर वो क्या करने जा रहा है !
उसने मेरी योनि पर थोड़ा तेल और लगाया और उंगली से अन्दर भी लगा दिया। फिर अपने लिंग पर भी लगा कर उसे हाथ से हिला कर और खड़ा किया।
अब वो मेरे पास आया और मेरी कमर को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से अपने लिंग को मेरी योनि पर रगड़ने लगा। मैंने भी उसको गले में हाथ डाल कर पकड़ लिया और अपनी योनि को उसके तरफ आगे कर दिया।
मेरी योनि बहुत गीली हो चुकी थी और मेरे अन्दर वासना की आग जल रही थी।
फिर उसने अपने लिंग को मेरी योनि की छेद पर टिका कर दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ों को कस कर पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए मुझे चूम लिया।
फिर मेरे होंठों को चूसते और जुबान को जुबान से टकराते हुए धक्का दिया। पूरा का पूरा लिंग फिसलते हुए मेरी योनि की गहराई में उतरता हुआ मेरे बच्चेदानी से टकरा गया।
मैं सिसक गई… मजे में कराह उठी।
उसने मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मुझे चोदना शुरू कर दिया, वो मुझे जोरों से धक्के मार रहा था, मैं हर धक्के पर उसका साथ दे रही थी। मेरे मुँह से अजीब-अजीब सी आवाज आने लगी थीं, साथ ही योनि में लिंग के घुसने और निकलने से ‘फच…फच’ की आवाज आ रही थी और जब उसका बदन मेरे से टकराता तो ‘थप-थप’ की भी आवाज निकल रही थी।
हम काफी देर तक ऐसे ही चुदाई करते रहे, फिर उसने मुझे जमीन पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया।
वो मुझे बार-बार एक ही बात कहता- बहुत मजा आ रहा है.. तुम्हारी बुर कितनी मुलायम और कसी हुई है !
मुझे अपनी तारीफ़ सुन कर अच्छा लग रहा था और मैं और जोश में आ रही थी और अपनी कमर उछाल कर उसके लिंग को अपनी योनि में और अन्दर तक लेने की कोशिश कर रही थी।
मेरी योनि से पानी रिस रहा था और उसका लिंग उसमें पूरी तरह भीग कर चिपचिपा हो गया था।
करीब 20 मिनट के बाद मैं झड़ गई और मेरे कुछ देर बाद वो भी मेरे अन्दर रस की पिचकारी मारते हुए झड़ गया।
हम हाँफते हुए एक-दूसरे से काफी देर तक लिपटे रहे। जब कुछ सामान्य हुए तो फिर से कुछ अलग करने की उसने कहा।
मैंने पूछा- और क्या करने का इरादा है?
उसने कहा- चुदाई तो आम बात है.. कुछ ऐसा करते हैं.. जो अलग हो !
फिर उसने कहा- जैसा फिल्मों में होता है वैसा।
मैंने पूछा- जैसे क्या?
उसने कहा- जैसे अलग-अलग पोजीशन में चोदना, कुछ गन्दी हरकतें करना, गन्दी बातें करना, एक साथ बहुत से लोगों के साथ चुदाई करना, खुले में चोदना, ये सब !
तब मैंने कहा- तुमने इन में से कुछ चीजें तो कर ली हैं, पर अब गन्दी चीजें करना, खुले में चोदना और बहुत से लोगों के साथ चोदना ही रहा गया है।
तब उसने कहा- आज रात मैं तुम्हें खुले में चोदना चाहता हूँ !
मैंने तुरंत कहा- यह नहीं हो सकता, यह गाँव है किसी ने देख लिया तो तुम्हें और मुझे जान से मार डालेंगे !
तब उसने कहा- गोदाम के पीछे तो जंगल सा है और अँधेरा है और इतनी रात को उधर कौन आएगा !
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं.. उधर मुझे डर लगता है, कहीं कोई सांप-बिच्छू ने काट लिया तो?
तब उसने कहा- जीने का असली मजा तो डर में ही है।
और वो जिद करने लगा, रात काफी हो चुकी थी, करीब 12 बज चुके थे तो मैंने भी हार कर ‘हाँ’ कह दी।
कहानी जारी रहेगी।
Reply
07-25-2018, 10:34 AM,
#10
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
हम दोनों अभी भी नंगे थे, उसने पहले निकल कर देखा कि कहीं कोई है तो नहीं, फिर मुझसे कहा- चलो !
मैंने अपने कपड़े साथ लेने की सोची, पर उसने मुझे नंगी ही चलने को कहा।
हम गोदाम के पीछे चले गए, उधर बहुत अँधेरा था और झाड़ियाँ भी थीं, 2-3 पेड़ भी थे।
पर अच्छी बात यह थी कि ज़मीन पर घास थी। हलकी रोशनी में उसने मुझे एक पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया और मुझे लिपट कर मेरे बदन से खेलने लगा, मेरे स्तनों को जोर-जोर से मसलने लगा और मेरे होंठों को चूसने लगा।
मैं दर्द से कराह रही थी।
फिर मेरे स्तनों को मुँह लगा कर चूसने लगा, उसने कहा- इसमें दूध नहीं आता क्या?
मैंने कहा- आता था, पर कुछ महीनों से बंद हो गया है, क्या तुम मेरा दूध पियोगे अब !
उसने बच्चों की तरह चूसते हुए कहा- हाँ.. अगर निकलता तो जरुर पीता.. एक औरत के दूध में जो मजा है, वो और कहीं नहीं !
तब उसने बताया- सुधा का दूध अभी भी आता है। उसका आना बंद हो गया था, पर एक बार उसका बच्चा ठहर गया, तब से दुबारा आना शुरु हो गया।
मैंने उससे पूछा- क्या वो बच्चा तुम्हारा था?
तो उसने कहा- पता नहीं.. क्योंकि उस महीने उसने 4 लोगों के साथ बिना कॉन्डोम के चुदवाया था और एक रात मुझसे और मेरे एक दोस्त के साथ भी बिना कॉन्डोम के चुदी थी, हम दोनों ही उसकी बुर के अन्दर झड़ गए थे !
मैंने तब पूछा- तुम दोनों एक साथ उसको चोद रहे थे?
तब उसने कहा- नहीं.. बारी-बारी से चोदा, एक साथ उसे अच्छा नहीं लगता, पर उस दिन उसकी हालत खराब हो गई थी। मैंने 3 बार और मेरे दोस्त ने 4 बार चोदा था उसको !
मैं ये सब सुनकर हैरान हो गई कि लोग ऐसा भी करते हैं।
तभी उसने कहा- क्या तुम एक या दो से अधिक मर्दों के साथ चुदवाना पसंद करोगी?
मैंने तुरंत कहा- नहीं !
तब उसने कहा- बहुत मजा आता है ऐसे और खासकर तब.. जब उतनी ही औरतें भी साथ हों ! कभी इसको तो कभी उसको चोदो पूरी रात.. धकापेल !
मैंने साफ़ मना कर दिया पर उसने कहा- कल हम तीनों साथ में चुदाई करेंगे !
तब मैंने कह दिया- ठीक है !
इसी तरह बातें करते और एक-दूसरे के जिस्मों से खेलते हम काफी गर्म हो चुके थे, उसका लिंग कड़क हो गया था, उसने मुझे पेड़ की तरफ मुँह करके झुक कर पेड़ को पकड़ने को कहा। फिर मेरी टाँगों को फैला कर मेरे पीछे आ गया। उसका लिंग मेरी योनि से रगड़ खा रहा था।
उसने मुझे पकड़ लिया और कहा- चलो पेशाब करो।
मैंने सोचा ‘अब यह क्या कर रहा है !’ फिर भी मैं कोशिश करने लगी पेशाब करने की।
कुछ जोर लगाने पर निकल गया, जो उसके लंड पर गिरने लगा।
तब उसने कहा- आ..हह.. कितना गर्म है.. बहुत सुकून मिल रहा है !
तभी उसने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया, तो मेरा पेशाब रुक गया।
उसने कहा- रुको मत.. तुम अपना पेशाब निकालती रहो.. मैं इसी तरह चोदूँगा !
पर इस तरह तो मुश्किल लग रहा था। फिर भी मैं जोर डालती तो थोड़ा-थोड़ा कर के निकलता, जो मेरी जाँघों और उसके लंड और अंडकोष से बहता हुआ नीचे जाने लगा।
तब मुझे समझ आया कि इस तरह की गन्दी-गन्दी चीजें करना उसे पसंद है।
कुछ देर बाद उसने मुझे जमीन पर लिटा कर चोदा।
फिर हम झड़ गए और वापस गोदाम में चले गए।
रात काफी हो चुकी थी और मैं थक गई थी क्योंकि आज मैंने खड़े-खड़े चुदवाया था, सो मुझे नींद आ रही थी। मैंने कपड़े पहने और वापस अपने कमरे में चुपके से आकर सो गई।
थकान के कारण नींद इतनी अच्छी आई कि सुबह नींद खुलने पर दुनिया का एहसास हुआ।
अगले दिन भी वैसे ही भाभी के साथ काम में हाथ बंटाती रही, फिर रात को सबके सोने के बाद मैं फिर छत पर गई।
मैंने देखा मेरी सहेली उसकी गोद में बैठ कर बातें कर रही थी।
मैंने कहा- तुम दोनों को डर नहीं लगता ऐसे खुले में इस तरह बैठे हो.. किसी ने देख लिया तो क्या होगा?
तब सुधा ने कहा- तुम बहुत डरती हो ! यहाँ कौन है जो देखेगा? और वैसे भी गांव में सब जल्दी सो जाते हैं !
फिर मैंने कहा- अब जल्दी चलो गोदाम में यहाँ कोई देख लेगा !
वो लोग मुस्कुराते हुए चलने लगे। हमने अन्दर जा कर दरवाजा बंद कर दिया।
दरवाजा बंद करते ही विजय ने मुझे पकड़ लिया और चूमना शुरू कर दिया।
उसने मेरे चूतड़ों को जोर से मसलते हुए कहा- क्या मस्त बड़े-बड़े चूतड़ हैं तुम्हारे !
मैं शरमा गई।
विजय ने मुझे पकड़ रखा था और हम दोनों खड़े-खड़े ही एक-दूसरे को चूमने और चूसने का काम कर रहे थे।
सुधा हम दोनों को देख मुस्कुरा रही थी, तभी वो पास आई और कहा- मुझे भी तो गर्म करो !
अब विजय ने मुझे छोड़ सुधा को पकड़ा और उसको चूमने लगा। मेरी सहेली भी उसका साथ देने लगी वो उसके जुबान को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने कोई ब्लू-फिल्म चल रही हो।
फिर उसने मुझे भी अपनी ओर खींच लिया और कभी मुझे तो कभी मेरी सहेली को चूमता चूसता।
ये सब मुझे बहुत रोमाँचित कर रहा था क्योंकि यह सच में मेरे साथ हो रहा था, इससे पहले मैंने सिर्फ फिल्मों में ही ऐसा देखा था।
धीरे-धीरे हमने उसके कपड़े उतार कर उसको नंगी कर दिया और उसने हम दोनों को। फिर हम तीनों बोरियों से बने बिस्तर पर चले गए।
उसने मुझे बिस्तर पर लेटने को कहा और मैं लेट गई, उसने मेरी टाँगें फैला दी और झुक कर मेरी योनि चाटने लगा।
तभी सुधा नीचे झुक कर उसके लिंग को हाथ से हिलाने लगी फिर चाटने लगी।
विजय अपनी कमर हिला कर उसके मुँह में अपने लिंग को अन्दर-बाहर कर रहा था जैसे कि वो चोदने के समय करता था।
मेरी योनि तो अब पानी-पानी होने लगी थी, मैं बुरी तरह से गर्म हो चुकी थी, अब मैं चाहती थी कि वो मुझे चोदे।
विजय ने मुझे छोड़ दिया और मेरी सहेली को मेरे बगल में लिटा कर उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया।
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी और उसके आँखों में वासना झलक रही थी।
उसने तभी मेरी योनि को छुआ, मैं सहम गई और उसका हाथ हटाते हुए कहा- क्या कर रही हो?
उसने मुस्कुराते हुए कहा- देख रही हूँ कि दो रातों में तेरी बुर की गहराई कितनी हो गई है !
और फिर उसने दो उंगलियाँ अन्दर डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगी, मुझे उसके उंगलियों से भी मजा आ रहा था।
फिर विजय ने मुझसे कहा- मेरा लंड चूसो !
सो मैंने चूसना शुरू कर दिया।
काफी देर हम उसके अंगों से खेलते रहे और वो हमारे अंगों से खिलवाड़ करता रहा।
फिर उसने चोदने का मन बना लिया, उसने मुझे खड़े होने को कहा और खुद भी खड़ा हो गया, सुधा ने मेरी योनि पर थूक लगा दिया।
मुझसे विजय ने कहा- तुम मेरे लौड़े पर अपना थूक लगाओ !
मैंने लगा दिया।
सुधा ने नीचे बैठ कर मेरी एक टांग उठा दी। फिर विजय मेरे पास आकर मुझे पकड़ लिया और मैंने उसको।
अब सुधा उसका लिंग हाथ से पकड़ कर मेरी योनि पर रगड़ने लगी और फिर उसके लिंग को योनि के छेद पर टिका कर कहा- जोर लगाओ !
हल्के से धक्के में ही उसका लिंग ‘चप’ करता हुआ, मेरी योनि में घुस गया और मेरी बच्चेदानी से टकरा गया।
मैं सिसकार उठी।
कहानी जारी रहेगी।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,497,453 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,971 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,230,036 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 930,452 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,651,350 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,078,563 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,947,720 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,045,072 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,027,712 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,533 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)