Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
07-25-2018, 10:37 AM,
#21
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
बारिश इतनी तेज़ हो चुकी थी कि 4 लोगों का एक छाता के नीचे बच पाना मुश्किल था, पर आस-पास कोई जगह नहीं थी कि हम छुप सकें इसलिए हम जल्दी-जल्दी चलने लगे।
हमने बच्चों को आगे कर दिया और हम पीछे हो गए, जिसके कारण उसका जिस्म मेरे जिस्म से चलते हुए रगड़ खाने लगा।
मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था। उसके जिस्म की खुशबू मुझे दीवाना सा करने लगी। मैं थोड़ी शरमाई सी थी, पर मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था।
हम लोग लगभग पूरी तरह भीग ही चुके थे क्योंकि बारिश और तेज़ होती जा रही थी। बच्चे तो पूरे भीग ही चुके थे और दिसंबर का महीना था सो ठण्ड लगने लगी थी।
उसने कहा- जल्दी चलो कहीं छुपने की जगह देखो वरना बच्चे बीमार पड़ जायेंगे।
और हम तेज़ी से चलने लगे। ठण्ड की वजह से मैं काँपने लगी थी क्योंकि मैं पूरी भीग चुकी थी और सलवार-कमीज के ऊपर कुछ पहनी भी नहीं थी।
चलते समय उसका जिस्म मुझसे छुआ जा रहा था तो मुझे उसके जिस्म की गर्मी अच्छी लग रही थी।
शायद उसे भी अच्छा लग रहा था और वो जानबूझ कर शायद ऐसा कर रहा था।
अचानक तेज़ी में चलते हुए मेरा पैर फिसल सा गया तो उसने मुझे बचाने के लिए कमर से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा, मैं खुद को उसके सहारे सँभालते हुए उसकी बाँहों में चली गई।
हम दोनों की नजरें दो पल के लिए मिलीं और मैंने शर्म से अपनी निगाहें नीची कर लीं। उसने मेरे जिस्म की खुशबू को सूंघते हुए एक लम्बी साँस ली और कहा- आराम से.. चलो उस दीवार के पास छिप जाते हैं कुछ देर…!
मैंने देखा कि वो जगह इतनी बड़ी तो नहीं थी कि छुपा जा सकें, पर बच्चों को छुपाया जा सकता था, तो हम जल्दी से चले गए।
वो जगह ऐसी थी कि सर से कमर तक बारिश से बचा जा सकता था।
मैंने खुद के कपड़े देखे, एक झलक में तो मुझे बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हुई और मैं जल्द से जल्द बारिश बंद होने की प्रार्थना करने लगी। मेरे स्तनों के नीचे का पूरा हिस्सा बाईं तरफ से भीग चुका था और उसमें से मेरी ब्रा और पैन्टी साफ़ झलक रही थी। मुर्तुजा भी अपने दाईं तरफ से भीगा हुआ था।
हम जल्दी से उस आड़ के नीचे जाकर छिप गए और बच्चों को छाता थमा दिया ताकि वो बच सकें। बच्चे हमारे आगे थे और मैं और मुर्तुजा पीछे।
वहाँ इतनी तेज़ बारिश हो रही थी कि मैं न चाहते हुए भी उससे चिपकती चली जा रही थी। तभी मैंने गौर किया कि वो छुपी नजरों से मेरी जाँघों और स्तनों को देख रहा है।
मैंने उन्हें अपनी हाथों से छुपाने की कोशिश की, तो उसने अपनी नजरें घुमा लीं।
हम काफी देर तक वहीं बारिश बंद होने का इंतज़ार करते रहे। हम दोनों ही शर्म से एक-दूसरे से नजरें छिपा रहे थे और खामोशी से बारिश के थामने का इंतज़ार कर रहे थे।
उसने तभी मुझसे नजरें दूसरी तरफ कर धीरे से कहा- सारिका जी.. अपने कपड़े ठीक कर लीजिए!
मैंने तपाक से अपने कपड़ों की ओर देखा तो सब कुछ ठीक लगा, फिर भी मैंने उन्हें संवारने की कोशिश की।
तब उसने कहा- उधर नहीं पीछे!
मैंने तुरंत अपना हाथ पीछे किया तो मेरी कमीज ऊपर उठी हुई थी। शायद जब मैं गिरने वाली थी और उसने मुझे बचाया तब हो गया होगा।
मैंने उसे जल्दी से ठीक किया और दूसरी तरफ देखने लगी और सोचने लगी कि इसने तो मेरा सब कुछ देख लिया होगा पर मैं करती भी क्या..! मैं बस खामोशी से सोचने लगी कि कहाँ आकर फंस गई, कब ये बारिश रुकेगी..! तभी बारिश कुछ कम हुई और मुझे थोड़ी ख़ुशी हुई कि अब बारिश रुक जाएगी, पर अगले ही पल जोरों से हवा आई और फिर बारिश की और मोटी-मोटी बूँदें तेज़ी से बरसने लगीं।
मैं तुरंत पीछे हुई और मुर्तुजा से जा टकराई। बारिश तो ऐसे आ रही थी जैसे मुझे पूरा भीगा देना चाहती हो। मैं बारिश से बचने की कोशिश में थी, पर बचना तो दूर की बात मैं और बुरी तरह फंस गई।
मेरे पीछे मुर्तुजा था और मेरे आगे बारिश आगे होती तो बारिश से बच नहीं सकती थी। पीछे होती तो मुर्तुजा से बच नहीं सकती थी। ऊपर से ठण्ड इतनी लग रही थी कि रहा नहीं जा रहा था।
मैं मुर्तुजा से चिपक सी गई थी। उसके बदन की गर्मी मुझे महसूस होने लगी थी और जैसे-जैसे समय बीत रहा था, मुझे ठण्ड और ज्यादा लगने लगी। जिसके कारण मैं उससे और भी ज्यादा सटने लगी। मैं सोचने लगी कि भगवान् कैसी मुसीबत में फंस गई हूँ।
तभी मुझे कुछ महसूस हुआ, मुझे लगा जैसे मुर्तुजा मेरे बदन को सूंघ रहा है। उसका चेहरा मेरी गर्दन के पास झुका हुआ था और वो लम्बी-लम्बी साँसें ले रहा था।
मुझे भी उसके जिस्म की गर्मी बहुत अच्छी लग रही थी सो मैं भी ख़ामोशी से खड़ी रही।
तभी मुझे अपनी कमर पर कुछ सख्त चीज़ महसूस हुई, मैं समझ गई कि उसका लिंग है।
पहले तो मुझे लगा कि उसको डांट दूँ, पर पता नहीं, मैंने ऐसा क्यों नहीं किया। मुझे उस वक़्त कुछ भी समझ नहीं आया। शायद ये मेरी गलती ही थी, जिसकी वजह से उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने मेरा हाथ थाम लिया।
उसने जैसे ही मेरा हाथ थामा मुझे करंट सा लगा और मैं और उसके करीब चली गई।
मेरे इस तरह के व्यवहार को देख कर उसने एक हाथ से मेरी जाँघों को छुआ। मुझे ऐसा लगा कि शायद इसी की जरुरत थी मुझे क्योंकि ऐसी ठण्ड में कहीं से कोई गर्माहट मिल जाए, यही तो इंसान चाहता है।
मेरा कोई विरोध न देख, उसकी हिम्मत और भी बढ़ गई और उसने अपना लिंग मेरी कमर पर रगड़ना शुरू कर दिया। मैं तो जैसे सुध-बुध खो चुकी थी और उसे खुली छूट दे दी।
वो अपनी कमर को झुका कर अपने लिंग को मेरे कूल्हों के बीच रगड़ने लगा, जैसे कि वो मेरी योनि को ढूँढ रहा हो।
उसका गर्म जिस्म मुझे बहाने लगा था और मैं भूल गई कि हम दोनों के आगे बच्चे हैं।
उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और मुझे अपनी ओर खींच लिया और लिंग को मेरे कूल्हों के बीच में घुसाने की कोशिश में रगड़ने लगा।
मुझे भी अच्छा लगने लगा और मेरी योनि भी गीली होने लगी थी। तभी उसने नीचे से अपना दूसरा हाथ मेरी कमीज के अन्दर डाल कर मेरे पजामे के ऊपर से मेरी योनि पर रख दिया।
मेरी हालत और भी बुरी हो गई।
उसने पजामे के ऊपर से ही मेरी योनि को सहलाते हुए पैंटी को खींच कर किनारे कर दिया। वो अपने लिंग को पूरी ताकत से मेरे कूल्हों के बीच दबाने लगा साथ ही मुझे जोरों से पकड़ अपनी और खींच रहा था और दूसरे हाथ से मेरी योनि को सहला रहा था।
उसने अपने मुँह से मेरे बालों को किनारे किया और गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगा, जैसे कि मुझे चाट रहा हो।
तभी अचानक उसने मेरी योनि से हाथ हटाया और मेरे पजामे का नाड़ा खींच दिया।
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07-25-2018, 10:37 AM,
#22
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मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया, वो भी समझ गया कि मैं नहीं चाहती सो उसने मुझे छोड़ दिया। पर अब भी वो अपना लिंग रगड़ रहा था और थोड़ी देर में शांत हो गया।
मैं समझ गई कि वो झड़ गया है।
उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी, पर हम उसी अवस्था में खड़े रहे, न वो कुछ मुझे कह रहा था.. न मैंने उससे कुछ कहा।
करीब एक घंटे बाद बारिश रुकी तो हमने चलने की सोची।
उसने मेरी तरफ देखा मैंने उसकी तरफ देखा। उसे देख कर लगा जैसे वो मुझसे बहुत सी उम्मीदें कर रहा हो।
मैंने तुरंत अपनी नजरें नीची की और चुपके से अपने पजामे के नाड़े को बाँधा और वहाँ से चल दी। रास्ते भर मैं खुद को कोसती रही कि मैं यह आज क्या कर रही थी। सही समय पर खुद को न रोका होता तो पता नहीं क्या हो जाता।
पर आप कितना भी खुद को रोको जो होना होता है, वो होकर ही रहता है। चाहे वो आपकी ख़ुशी से हो या मज़बूरी बन जाए।
मैं दिन भर यही सोचती रही, मेरा मन पूरा दिन बैचैन रहा और मैंने ठान ली कि मैं उससे दुबारा नहीं मिलूँगी।
अगले दिन वो मेरे पास आया, पर मैंने उससे दूर रहने की सोची, सो मैं थोड़ा अलग व्यवहार किया। दो दिन बाद तो हमने बातें करना भी बंद कर दीं।
फिर इस बीच पति एक दिन आए और चूंकि मेरी सम्भोग की इच्छा उसी दिन से बहुत थी पर पति का साथ तो न मिलने के बराबर था। हमने सम्भोग किया, पर पति तो झड़ते ही सो गए और मैं रात भर तड़पती रही।
पति के जाने के बाद एक दिन मुर्तुजा ने मुझे फिर से टोका, मैंने भी ‘हाय-हैलो’ किया बस.. और घर चली आई।
मेरी बैचैनी बढ़ती जा रही थी, मुझसे अकेले रात कट नहीं रही थी। मुझे एक साथी की जरुरत महसूस होने लगी थी। बैचैनी में मुझे नींद नहीं आ रही थी सो मैंने सोचा कि मुर्तुजा से बात करूँ।
मैंने फोन करने की सोची तो देखा रात के दो बज रहे थे। सो मैंने अपना निर्णय बदल दिया और सोने का प्रयास करने लगी पर नींद तो जैसे अब मेरी दुश्मन बन गई थी, आने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैंने मुर्तुजा को एक ‘मिस कॉल’ दे दिया, मैंने सोचा कि इतनी रात को कोई फोन नहीं करता, सोने की कोशिश करने लगी।
करीब दस मिनट के बाद मेरा फोन बजा मैंने देखा तो मुर्तुजा का था।
सोचा कि फोन नहीं उठाऊँ, पर पता नहीं.. फिर क्या दिल में आया कि फोन उठा लिया।
उसने कहा- हैलो कैसी हो.. सोई नहीं अभी तक?
मैंने कहा- नहीं.. नींद नहीं आ रही थी, पर आप अभी तक क्यों नहीं सोये?
उसने जवाब दिया- मैं तो सोया था, पर आपका ‘मिस कॉल’ देख कर उठ गया। आप शायद मुझसे नाराज़ हैं उस दिन के लिए!
मैंने कहा- नहीं.. मैं नाराज़ नहीं हूँ!
उसने फिर कहा- देखिए उस दिन के लिए माफ़ी चाहता हूँ.. मैं बहक गया था। आप प्लीज हमसे दोस्ती न तोड़िए। आप इस तरह से मुझे दरकिनार कर रही हैं.. मुझसे बात नहीं कर रही, मुझे अच्छा नहीं लगा।
मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही थी इसलिए आपसे बात नहीं कर रही थी और इसमें आपका क्या दोष गलती मेरी है।
उसने कहा- जी.. मैं माफ़ी चाहता हूँ ऐसी गलती दुबारा कभी नहीं होगी, पर आप उस दिन इतनी खूबसूरत लग रही थीं कि खुद को रोक न सका।
मैं अपनी तारीफ़ सुन कर खुश हुई और फिर सोचा कि ठीक ही तो कह रहा है इसमें गलती उसकी क्या थी.. गलती तो मेरी थी, मैं उसे रोक लेती तो उसकी हिम्मत नहीं होती!
हम इसी तरह से बातें करने लगे और बात उस दिन की आई-गई हो गई। उसने मुझे बताया कि वो अपनी बीवी से खुश नहीं है और पता नहीं उसे कैसे यह आभास हो गया कि मैं भी अपने पति से से खुश नहीं हूँ।
करीब 5 बजे तक हम बातें करते रहे और उसने मुझे अगले दिन मिलने के लिए बुलाया पहले तो मैं ‘न’ करती रही फिर बाद में ‘हाँ’ कह दिया।
मेरे बच्चे का स्कूल 12 बजे खत्म होता था तो मैं 11.30 बजे घर से निकलती थी, पर आज मुर्तुजा के कहने पर मैं 9 बजे ही घर से निकल गई।
मैं उससे बाज़ार में मिली वह हमने एक जगह चाय पी फिर उसने कहा- स्कूल के पास लगभग एक किलोमीटर दूर एक पार्क है, वहाँ चल कर बातें करते हैं, फिर वहीं से बच्चों को वापस ले आयेंगे।
हमने एक रिक्शा लिया और चले गए। वहाँ पहुँच कर देखा तो वो पार्क कोई पार्क जैसा नहीं लग रहा था, खुला जंगल सा था पास में ब्रह्मिनी नदी बह रही थी।
एक पुराना मन्दिर था जिसकी देख-भाल करने वाला कोई नहीं था, मन्दिर की सीढ़ियाँ नदी में जाती थीं, जिस पर घास और पेड़-पौधे उग गए थे और चारों ओर पेड़ और जंगल सा लग रहा था, दूर-दूर तक कोई नहीं था।
मैंने पूछा- पार्क तो कही नजर नहीं आ रहा?
उसने जवाब दिया- पहले यह पार्क ही था, पर शहर से काफी दूर है इसलिए यहाँ कोई आता-जाता नहीं है और यह अब बंद हो चुका है, अब यहाँ कभी-कभार ही कुछ प्रेमी जोड़े आते हैं।
मैंने फिर पूछा- तो आप मुझे यहाँ क्यों लाए हैं?
उसने मुस्कुराते हुए कहा- देखिए मेरा कोई गलत मकसद नहीं है, हम दोनों शादीशुदा हैं और शहर में मिलना ठीक नहीं क्योंकि लोग फिर आपके बारे में गलत सोचेंगे, तो मैं आपको यहाँ ले आया ताकि हम बातें कर सकें और किसी को कुछ कहने का मौका न मिले। अगर आपको अच्छा नहीं लगा हो तो हम वापस चलते हैं।
मैंने उसकी ऐसी बातें सुन कर ठीक ही लगा और कहा- नहीं, ठीक है यहीं बातें करते हैं… एकांत है और नजारा भी अच्छा है।
हम थोड़ी देर इधर-उधर टहलते हुए बातें करते रहे फिर नीचे उतर कर नदी के किनारे एक पत्थर पर बैठ गए और फिर बातें करने लगे।
हम इधर-उधर की बातें करते रहे फिर अचानक उसने मुझसे पूछा- आप उस दिन के लिए मुझसे नाराज़ तो नहीं है न… मैं उस दिन बहक गया था।
मैं उससे नजरे छिपाती हुई बोली- अब जो हो गया सो भूल जाइए… गलती हर इंसान से होती है, मैं भी भूल चुकी हूँ।
तब उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और मेरी तारीफ़ करने लगा- आपके बाल कितने लम्बे और घने हैं, आप बहुत खूबसूरत हैं।
मैं भी अपनी तारीफ़ सुन कर खुश थी और धीरे-धीरे हम खुलते चले गए।
मैं उस दिन पीले रंग की साड़ी में थी। अचानक पेड़ से एक गिरगिट मेरे पैर के पास कूद कर भागा, मैं डर के मारे चिल्लाते हुए मुर्तुजा से जा लिपटी।
मुर्तुजा ने हँसते हुए मुझे देखा और कहा- कुछ नहीं.. गिरगिट था।
उसने मुझे अपनी बांहों में थामा हुआ था और फिर अचानक हमारी नजरें मिलीं।
कुछ देर तक हम एक-दूसरे को ऐसे ही देखते रह गए, फिर उसने मुझसे कहा- तुम्हारे बदन की खुश्बू कितनी मादक है… मुझे दीवाना कर रही है।
मैं उसकी बांहों में समाई, उसकी बातें सुन रही थी और हमारी नजरें एक-दूसरे को देख रही थीं। तभी उसने मेरे होंठों से अपने होंठों को लगा दिया और चूमने लगा।
उसके होंठ मेरे होंठों से लगते ही मेरी आँखें बंद हो गईं, मेरे हाथों ने उसे कस कर पकड़ लिया जैसे कोई डरा हुआ बच्चा अपनी माँ को पकड़ता है, फिर मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया, मुझे मेरी काम-भावना ने मुझे विवश कर दिया था।
हम जैसे-जैसे एक-दूसरे को चूमते जाते वैसे-वैसे एक-दूसरे को अपनी बांहों की कैद में और कसते जा रहे थे।
जब वो मेरा ऊपर का होंठ चूसता तो मैं उसके नीचे के होंठ को चूसती और जब वो नीचे का चूसता तो मैं ऊपर का.. फिर कभी वो मेरी जीभ को चूसने लगता, तो कभी मैं उसके जीभ को… तो कभी हम एक-दूसरे की जुबान को जुबान से रगड़ते। हम दोनों को बहुत मजा आने लगा था और हम दोनो एक-दूसरे में खो गए थे।
अब उसके हाथ भी हरकत करने लगे। उसने एक हाथ से मुझे सहारा दिया था और दूसरे हाथ को मेरे बदन पर फिराने लगा था, उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया। वो मुझे चूमता साथ ही मेरे स्तनों को दबाता… उन्हें सहलाता… मुझे मस्ती सी छाने लगी।
उसने अब अपना हाथ मेरी कमर के आस-पास फिराने में लगा दिया, फिर मेरी नाभि को एक उंगली से सहलाने लगा मैं तो जैसे पागल सी हुई जा रही थी और उसे और जोरों से पकड़ कर चूमने में लगी थी।
मेरी नाभि से खेलने के बाद उसने अब मेरी जांघों को साड़ी के ऊपर से ही छूना शुरू किया। फिर साड़ी को ऊपर उठाने लगा। साड़ी को मेरी जांघों तक उठा कर उसने मेरे पैरों और जांघों को सहलाना शुरू कर दिया।
मैं अपनी टाँगें सटा कर बैठी थी और मस्ती में अपनी योनि को जांघों के बीच दबाने लगी।
उसने अपना हाथ ऊपर किया और मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए योनि को सहलाने लगा। उसने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने लिंग के ऊपर पैन्ट पर रख दिया। मैंने भी लिंग को ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।
हम काफी देर तक इसी तरह दुनिया भूल कर एक-दूसरे की बाँहों में एक-दूसरे के अंगों को सहलाते और प्यार करते रहे। फिर अचानक उसके हाथ मेरी पैंटी को उसे उतारने के लिए खींचने लगे।
मैंने झट से उसका हाथ थाम लिया यह सोच कर कि यह जगह ठीक नहीं।
तभी उसने कहा- क्या हुआ मैं बैचैन हूँ मुझे और मत तड़पाओ।
मैंने कहा- यह ठीक नहीं!
उसने कहा- देखो आप भी अपने पति से खुश नहीं हो.. मैं भी अपनी बीवी से.. इससे अच्छा मौका और क्या होगा?
मैंने कहा- नहीं… यह जगह ठीक नहीं है कोई देख लेगा!
उसने कहा- आज कोई छुट्टी का दिन नहीं है, कोई यहाँ नहीं आ सकता और ऐसी जगह में कोई देख भी नहीं सकता। यह तो पूरा जंगल है।
मैंने कहा- नहीं कहीं और चलो या फिर बाद में कभी मौका मिलेगा तब करेंगे!
उसने कहा- मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं होता और अब समय भी नहीं है कि कहीं और चलें… प्लीज मुझे मत तड़पाओ!
वो मेरे सामने घुटनों के बल मुझसे विनती करने लगा। कभी मुझे चूमता तो कभी मेरे बालों को सहलाता और मनाने की कोशिश करने लगा।
काफी कहने और मनाने के बाद मेरा भी दिल पिंघल सा गया, यूँ कहिए कि मेरे अन्दर की वासना भी शायद मुझसे संभल नहीं रही थी,
मैंने कहा- समय बहुत हो गया है, सो जल्दी से करना होगा।
उसने कहा- ठीक है और अपने पैन्ट को खोल कर नीचे कर दिया और मुझसे कहा आप अपनी पैंटी निकाल दीजिए।
मैंने अपनी साड़ी को कमर तक ऊपर उठाया और पैंटी निकालने लगी, पर मैंने फिर उसे ऊपर चढ़ा दिया।
इस पर उसने कहा- क्या हुआ.. पैंटी क्यों पहन ली?
मैंने अपनी पैंटी को खींच कर एक तरफ कर दी और अपनी योनि उसे दिखाते हुए कहा- ऐसे कीजिए पैंटी निकालने और पहने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
उसने कहा- आपकी पैंटी गीली हो जाएगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, जल्दी-जल्दी में और क्या किया जा सकता है।
उसने मेरी बात सुन कर अपना अंडरवियर नीचे सरका दिया और शर्ट को ऊपर किया उसका लिंग तनतनाया हुआ मेरे सामने दिखा। पर उसके लिंग को देख कर मैं हैरान रह गई। लम्बा मोटा घने बालों में ढंका सा जो लिंग से होते हुए छाती तक थे।
मैंने पूछा- यह क्या है… ऐसा तो कभी नहीं देखा मैंने पहले किसी का?
उसने बताया कि उनके लंड का खतना कर दिया जाता है।
मैंने पूछा- वो क्या होता है?
उसने मुझे बताया- लंड के ऊपर के चमड़े को काट दिया जाता है और सुपाड़े को खुला छोड़ दिया जाता है!
मैंने उससे पूछा- ऐसा क्यों?
तो उसने कहा- बहुत लम्बी कहानी है बाद में कभी बताऊँगा फिलहाल चोदने दो..!
उसने अपने लंड को हाथ से हिलाया और कहा- अपनी टाँगें फैलाइए और मोड़ लीजिए।
मैंने अपनी टाँगें फैला लीं और घुटनों से मोड़ लिया। मुर्तुजा मेरी टांगों के बीच आया उसने अपने लिंग को मेरी योनि के पास रखा और हाथ से लिंग को पकड़ कर मेरी योनि के बीच ऊपर-नीचे रगड़ने के बाद सुपाड़े को योनि की छेद में टिका दिया।
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07-25-2018, 10:37 AM,
#23
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उसने मुझसे कहा- थोड़ा जोर लगाइएगा।
मैंने उसके कमर को पकड़ा और तैयार हो गई।
उसने जोर लगाया और मैंने भी, पर लिंग फिसल कर दूसरी तरफ चला गया। उसने फिर से एक हाथ से लिंग को पकड़ा और छेद पर टिकाया फिर जोर लगाया पर फिर से लिंग फिसल गया।
तब मैंने उसके लिंग को पकड़ कर योनि के छेद पर लगाया और कहा- अब घुसाइए…!
उसने जोर लगाया तो लिंग थोड़ा घुस गया। फिर मैंने अपना हाथ हटा कर उसकी कमर को पकड़ लिया।
उसने मुझसे कहा- आपकी बुर बहुत गीली हो गई है, इसलिए फिसला जा रहा है।
मैंने कहा- ठीक है अब जल्दी से चोदिए और जल्दी झड़ने की कोशिश करिएगा।
उसने कहा- ठीक है पर क्या आप झड़ना नहीं चाहती?
मैंने कहा- अभी समय नहीं है इसके बारे में फिर कभी सोचेंगे, फिलहाल बच्चों को लेने जाना भी है।
उसने कहा- ठीक है आप मुझे जोर से पकड़ लीजिए, मैं जोर से धक्का मारूँगा, आप बर्दाश्त कर लेंगी न?
मैंने कहा- ठीक है.. अब बातों में समय जाया मत करिए… चोदिए भी!
उसने कहा- ठीक है.. आप अपनी बुर को थोड़ा ढीला करिए, लंड पूरा घुसा लूँ तो फिर जरा गीला हो जाएगा।
मैंने कहा- जोर से झटका नहीं देना.. धीरे-धीरे करके घुसाना…!
उसने धीरे-धीरे जोर लगाया और मैंने भी शुरू में हल्की तकलीफ महसूस की। ऐसा लगा जैसे कोई मेरी योनि को दोनों तरफ से खींच रहा हो, पर जब पूरा घुस गया तो अच्छा लगने लगा। मुझे उसका लिंग अपनी योनि में किसी गर्म लोहे की तरह लग रहा था।
हम दोनों इतने गर्म थे, पर बातें ऐसे कर रहे थे जैसे कितनी समझदारी की हो!
उसने मुझसे कहा- आपकी बुर बहुत गर्म है और कितनी मुलायम है!
मैंने अपना सर उठा कर नीचे देखा तो ऐसा लग रहा था जैसे सिर्फ बाल ही है लिंग कहीं गायब हो गया है क्योंकि मेरी योनि में भी बाल थे।
मैंने अपनी कमर को ऊपर उठाते हुए कहा- अब प्लीज बातें बंद कीजिए और फटाफट चोदिए वरना देर हो जाएगी।
उसने कहा- ठीक है!
और वो धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में मुझे याद आया कि उसने कन्डोम नहीं लगाया, सो मैं छटपटाते हुए उससे कहने लगी- लंड बाहर निकालो… जल्दी निकालो!
उसने मेरी ऐसी हरकत पर लिंग बाहर निकाल लिया और पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- आपने कन्डोम नहीं लगाया है!
उसने कहा- अब कोई प्लान तो था नहीं कि ऐसा करेंगे, सो अब कन्डोम कहाँ से लाएं?
मैंने कहा- नहीं बिना कन्डोम के ठीक नहीं क्योंकि मैं भी अभी दवा भी नहीं ले रही हूँ।
उसने अब फिर से विनती करनी शुरू कर दी, पर मेरा दिल नहीं मान रहा था। पर मेरे जिस्म की आग के आगे मैं हार गई और उसे इज़ाज़त दे दी।
उसने अपने लिंग पर थूक लगा कर फिर से मेरी योनि में घुसा दिया और कहा- अब प्लीज कुछ मत कहना मुझे चोदने दो… मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता!
उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए। मैं भी उसके धक्कों के आगे सब भूलती चली गई। हम दोनों को ऐसा लग रहा था जैसे कोई खजाने की तलाश में है।
वो धक्के लगाते हुए कभी मुझे चूमता तो कभी जीभ से मेरे गले और स्तनों के बीच गहराइयों को चाट लेता।
मैं भी उसके हरकतों से पागल सी हुई जा रही थी और हर धक्के पर अपनी टाँगें और फैला देती।
मेरी योनि से पानी रिसने लगा था और योनि के चारों तरफ फ़ैल कर चिपचिपा सा लगने लगा था।
मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। उसका लिंग जब अन्दर जाता मुझे ऐसा लगता जैसे एक करंट मेरी योनि से होता हुआ मेरी नाभि में फ़ैलता जा रहा है।
अब खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था सो मैंने उसे पूरी ताकत से पकड़ लिया और अपनी टाँगें सटा लीं।
तब उसने कहा- अपनी टांगों को फैलाओ मुझे चोदने में परेशानी हो रही है, ऐसे में पूरा नहीं घुस रहा..!
मैंने अपने होंठों को होंठों से मसलते हुए धीमी आवाज में कहा- अब और नहीं होगा मुझसे… मैं झड़ने वाली हूँ!
और यह कहते ही मेरी योनि की मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगीं, जैसे उसके लिंग को चबा जाना चाहती हों और मैं अपनी कमर को उछालने लगी।
उसने कहा- अपनी बुर को ढीला करिए.. लंड में दर्द हो रहा है.. प्लीज ठीक से चोदने दीजिए!
मैं अपने बदन को ऐंठते हुए उसे आदेशात्मक स्वर से कहने लगी- रुको मत… चोदते रहो!
वो समझ गया एक इस वक़्त कुछ नहीं मैं सुनने वाली, सो उसने उसी तरह धक्का देना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- थोड़ा तेज़ी से चोदिए!
उसने कहा- हाँ चोद रहा हूँ!
और उसकी रफ़्तार तेज़ हो गई। मैंने भी अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया और उसके दस-बारह धक्कों में मैं झड़ते हुए शांत हो गई।
पर वो धक्के अभी भी लगा रहा था। मेरी पकड़ ढीली होने लगी और वो धक्के पूरे जोर से लगाने लगा।
वो कोशिश कर रहा था कि लिंग पूरा घुसा दे, उसने धक्के लगाते हुए कहा- आप झड़ गईं?
मैंने कहा- हाँ… अब आप भी जल्दी कीजिए!
उसने कहा- कोशिश तो कर रहा हूँ…आपको मजा आया या नहीं!
मैंने कहा- आया.. पर ऐसा मजा भी कोई मजा है… जल्दीबाजी में?
उसने कहा- हाँ.. ये तो है!
फिर उसने कहा- आपको चोदने में बहुत मजा आ रहा है। मैंने पहले ऐसे कहीं नहीं चोदा किसी को। मेरी बीवी तो कुछ बोलती ही नहीं है बस चुदवाती है और सो जाती है।
मैंने उससे कहा- प्लीज बातें बंद करके जल्दी से चोदिए!
उसने मेरी बातें सुनते ही तेज़ी से धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो जोर-जोर से झटके देने लगा।
उसके हर धक्के पर मैं ‘हम्म्म्म… हम्म्म हम्म्म्म’ की आवाज निकालने लगी, फिर कुछ और जोरदार झटकों के बाद वो शांत हो गया।
मेरी योनि के अन्दर गर्म तेल सा महसूस हुआ और उसने अपना वीर्य मेरे अन्दर छोड़ दिया।
मैंने उससे कहा- अपना लंड तुरंत बाहर निकालिए जल्दी!
उसने लिंग बाहर निकाल लिया। मैंने तुरंत उससे रुमाल माँगा और योनि के अन्दर डाल कर वीर्य को साफ़ किया। उसका वीर्य इतना गाढ़ा और चिपचिपा था कि योनि से बाहर नहीं आ रहा था।
मैंने फिर अपनी पैंटी को ठीक किया कपड़े ठीक किए और चलने को तैयार हो गई।
हमने एक-दूसरे को संतुष्टि भरी निगाहों से देखा और मुस्कुराते हुए चलने का तय किया। हम कुछ दूर पैदल चले क्योंकि आस-पास कोई रिक्शा नहीं था।
इस बीच उसने मुझसे पूछा- आपको संतुष्टि तो हुई न?
मैंने कहा- हाँ.. कुछ तो राहत मिली, आपको हुई या नहीं?
उसने जवाब दिया- हाँ.. पर जो मजा फुरसत में है, इस जल्दबाजी में कहाँ…क्या कभी हम फुर्सत में मिल नहीं सकते?
मैंने कुछ सोचा कि क्या यह सही होगा? या नहीं? फिर मैंने कहा- मैं तो फिलहाल अकेली रहती हूँ बच्चों के साथ.. मगर रात में ही मिल सकती हूँ!
उसने तुरंत कहा- आज रात को मिलें फिर?
मैंने कहा- नहीं… आज नहीं… फिर कभी!
उसने कहा- कब?
मैंने कहा- कल!
उसने कहा- ठीक है।
मैं अपने बच्चे को लेकर घर चली आई और दिन में बड़ी प्यारी नींद आई। मैं बहुत दिनों के बाद सुकून से सोई थी। रात में भी मुर्तुजा से देर रात बात हुई।
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07-25-2018, 10:37 AM,
#24
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
उसने मुझसे अगली रात मिलने के बारे में बताया कि वो घर में अपनी बीवी से झूठ बोल कर रात भर के लिए मेरे साथ रुकना चाहता है।
मैं भी बेक़रार हो गई। पता नहीं उसमें क्या बात थी कि मैं उसके आगे झुकती चली गई। शायद उसकी बातें करने का तरीका, या उसका आकर्षक बदन।
अगले दिन मैं उससे फिर स्कूल के बाहर मिली, हम साथ घर आए, पर इस बीच हमने कोई सम्भोग से सम्बंधित बातें नहीं की, बस इधर-उधर की बातचीत होती रही।
शायद उसके मन में बातें चल रही थीं, पर उसने कुछ नहीं कहा और न ही मैंने।
मैं लगभग भूल चुकी थी कि वो मुझसे मिलने को आने वाला है।
अचानक रात 9 बजे उसका फोन आया और उसने कहा- तैयार रहना, मैं करीब 11 बजे आऊँगा, सबके सोने के बाद।
मुझे भी उसकी योजना ठीक लगी।
उसकी बातों से मेरा दिल खुश हो गया और बच्चों को जल्दी-जल्दी सुला कर खुद तो तैयार करने लगी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था मैं उसके सामने और भी आकर्षक दिखना चाहती थी। ठण्ड बहुत थी पर फिर भी मैंने एक नाईटी पहनने की सोची, जो छोटी सी फ्रॉकनुमा थी और मेरे घुटनों तक आती थी।
फिर मैंने नई पैंटी और ब्रा का सैट निकाला जो बहुत ही पतला और जालीदार था। मैंने बालों को खोल दिया और बदन पर परफ्यूम छिड़क लिया।
मैं तैयार हो कर बस उसके इंतज़ार में बैठ गई। मेरी ननद ने मुझे बहुत पहले एक सोने की चैन दी थी, कमर में बाँधने के लिए। मैं उसे कभी पहनती नहीं थी, पर आज मैंने उसे लुभाने के लिए उसे बाँध लिया था।
लगभग ग्यारह बजने वाले थे तभी मुर्तुजा का फोन आया और उसने मुझसे पूछा- क्या मैं आ सकता हूँ?
मैं कहा- हाँ आ जाओ..!
उसने फोन रखते ही दरवाजा खटखटाया मैंने एक शाल ओढ़ी और दरवाजा खोला तो सामने मुर्तुजा मुस्कुराते हुए खड़ा था।
मैंने उसे अन्दर आने को कहा और दरवाजा बंद कर लिया।
हम अन्दर आकर सोफे पर बैठ गए और फिर बातें करने लगे।
उसने मुझे कहा- सोने की तैयारी हो गई पूरी?
मैंने कहा- हाँ.. बच्चों को अन्दर सुला दिया है।
उसने मुझसे पूछा- हम कहाँ सोयेंगे?
मैंने कहा- यहीं जमीन पर बिस्तर बिछा लेते हैं, अन्दर बच्चे हैं।
हमने एक चटाई बिछाई, उसके ऊपर एक गद्दा बिछाया और फिर ओढ़ने के लिए एक कम्बल ले लिया। ठण्ड बहुत थी सो मैं जल्दी से अपना शाल उतार कर कम्बल के अन्दर घुस गई।
तभी उसने कहा- आप नाईटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो, थोड़ी देर मुझे आपको देखने तो दो!
मैंने कहा- ठण्ड बहुत है।
पर उसने जिद कर दी और कहा- मेरी किस्मत में ये सब नहीं है प्लीज.. बस कुछ देर के लिए कम्बल से बाहर आओ।
मैं कम्बल हटा कर उसके सामने आ गई। उसने वासना भरी ललचाई नजरों से मुझे देखा और मेरा हाथ पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे बालों को मेरे चेहरे से हटाते हुए मेरी आँखों में देखा और मेरे होंठों को चूम लिया।
इसके बाद तो बिना देर किए हमने एक-दूसरे को अपनी बाँहों में जकड़ कर चूमने में लीन हो गए।
मैंने उससे कहा- मुझे ठण्ड लग रही है कम्बल के अन्दर चलो, फिर जो मर्ज़ी कर लेना!
तब उसने मुझसे कहा- कपड़े तो निकाल दो।
मैंने अपनी नाईटी निकाल दी, उसने मेरी ब्रा और पैंटी को गौर से देखा और कहा- आप बहुत फैंसी कपड़े पहनती हो… काश कि मेरी बीवी भी ऐसी ही होती।
फिर मैं कम्बल के अन्दर चली गई। मुर्तुजा ने भी अपने कपड़े निकल दिए और अंडरवियर में आ गया। उसका बदन देखने लायक था, मजबूत बाजू, गोरा जिस्म, लम्बा-चौड़ा और सीने से लेकर पाँव तक बाल, चौड़े सीना और कंधे ऐसे जैसे उसमें कोई भी झूल जाना चाहे।
उसके बदन को देख कर तो मैं दीवानी हो गई उसकी, पर सोचा कि उसकी बीवी कैसी होगी जिसको ये नहीं भाता… एक पल ऐसा भी लगा कहीं मुर्तुजा मुझे पाने के लिए मुझसे झूठ तो नहीं कह रहा। फिर सोचा अब जो भी हो मुझे मेरी वासना की आग से मतलब था।
मुर्तुजा ने कम्बल हटाया और फिर मेरे ऊपर झुक कर मेरी कमर पर चूम लिया और कहा- आपका जिस्म एकदम मखमल की तरह कोमल है, जी चाहता है खा जाऊँ।
मैंने भी छेड़खानी के अंदाज में कहा- तो रोका किसने है!
फिर क्या था, मेरे कहते ही उसने कम्बल को पूरा हटा दिया और मेरे जिस्म को सर से पाँव तक चूमने लगा। ठण्ड इतनी थी कि मैं काँपने लगी, पर उसके गर्म जिस्म के छूने से थोड़ी गर्माहट मिल रही थी जो बहुत मजेदार थी।
वो मेरे जिस्म में अपनी जीभ घुमा-घुमा कर मुझे चाटने लगा और कहने लगा- आपका जिस्म कितना नमकीन है।
उसने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरी गर्दन पर चुम्बनों की बारिश सी शुरू कर दी। कभी मुझे मेरे गालों पर चूमता तो गले को अपनी जीभ से चाटने लगता। फिर धीरे-धीरे वो ऐसे ही चूमते और चाटते हुए मेरे पीठ तक पहुँच गया और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।
मैं उसकी ऐसी हरकतों से पागल हुई जा रही थी मेरी योनि की मांसपेशियां कभी सिकुड़ जाती तो कभी ढीली हो जाती, यही हाल मेरे पैरों का था।
अब उसने मेरे कमर को चूमना शुरू किया फिर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरे बड़े और चर्बीदार कूल्हों को दबाने और प्यार करने के बाद उसने मेरी पैंटी सरका कर जाँघों तक कर दी।
उसने मेरे कूल्हों को दबाया और फिर अपनी जीभ मेरे चूतड़ों पर फिराने लगा और उन्हें चूमते हुए मेरे चूतड़ के बीच में घुमाने लगा। जब वो ऐसे करता मेरी कमर खुद बा खुद ऊपर की और उठ जाती।
उसने अब मेरी टांगों को थोड़ा फैलाया और मेरी योनि को अपनी जीभ से ढूंढने लगा।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैंने अपने हाथ पीछे की तरफ ले जाकर खुद से दोनों कूल्हों को पकड़ कर उन्हें फैलाने लगी और कूल्हों को ऊपर उठा दिया।
उसे तो जैसे कोई खजाना मिल गया मेरी योनि को अपने मुँह में पाते ही उसने अपना मुँह फाड़ कर मेरी योनि को उसमें भर लिया और अपनी जीभ मेरी योनि की दरारों में रगड़ने लगा।
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07-25-2018, 10:38 AM,
#25
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
मैं इतनी जोश में आ गई कि मुझे लगा कि मैं अब तब छूट जाऊँगी, मेरा पानी निकलने लगा। वो कभी जीभ घुमाता तो कभी जीभ घुसाने की कोशिश करता।
उसने अब मेरी योनि के दोनों तरफ की पंखुड़ियों को दांतों में दबा कर काटने लगा मैं कसमसाने लगी और उसके सर के बालों को नोचने लगी, पर उसे तो किसी चीज़ की परवाह नहीं थी।
मैंने उसे धक्का दिया और वो पीठ के बल बिस्तर पर गिर गया मैंने अपनी ब्रा को निकाल दी और उसके ऊपर अपने दोनों पैर फैला कर चढ़ गई।
मैं उसके ऊपर लेट गई और उसके सर के बालों को जोरों से पकड़ कर उसके चेहरे को चूमने लगी, फिर उसके होंठों को होंठों से लगा कर चूसने लगी।
इसी बीच मैं अपनी योनि को उसके लिंग के ऊपर दबाती और अंडरवियर के ऊपर से ही अपनी कमर को घुमा-घुमा कर योनि को लिंग के ऊपर रगड़ती जा रही थी।
उसने मेरे मांसल चूतड़ों को अपनी हथेलियों से पकड़ कर दबाने के साथ मुझे अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया, मैं उसके पूरे चेहरे, गले और सीने को प्यासी गाय की तरह चूमने और चूसने लगी।
मैंने उसकी घुंडियों को बारी-बारी से चूसना शुरु कर दिया और वो उत्तेजना में मुझे अपनी बाँहों में पूरी ताकत से भींचने लगा, ऐसे मानो जैसे मुझे निचोड़ कर रख देगा आज।
मैं कभी उसके घुंडियों को और होंठों को अपनी दांतों से काट लेती तो वो सिसकी भरते हुये ‘आह-आह’ करने लगता और अपनी कमर को ऊपर उठाता, साथ ही मुझे अपनी ओर ऐसे खींचता, जैसे अंडरवियर के अन्दर से ही मेरी योनि में लिंग घुसा देना चाहता हो।
अब उसने मुझे करवट लेकर अपनी बगल में लिटाया और होंठों से होंठ लगा कर चूमने लगा और एक हाथ से मेरे स्तनों को दबाने लगा।
उसके हाथ स्तनों पर पड़ते ही मैं कराहने लगी, वो बेरहमी से उन्हें मसलने लगा।
मैं ‘उफ्फ्फ उफ्फ्फ हाय हाय..’ करती रही।
उसने मेरे चूचुक को चुटकी में भर कर मसल दिया तो दूध की एक तेज़ धार निकली जो उसके सीने पे लगी।
इसके बाद वो अपना मुँह मेरे स्तनों में लगा मेरे चूचक को मुँह में भर चूसने लगा ऐसा लग रहा था जैसे मेरा दूध पी रहा हो।
मुझे ठण्ड लग रही थी सो मैंने एक हाथ से कम्बल को खींचा और दोनों को ढक लिया, पर अगले ही पल उसने उसे हटा मेरी कमर तक सरका दिया।
मैंने भी उसके सर को एक हाथ से सहारा दिया और दूसरे हाथ से उसके अंडरवियर में डाल उसके लिंग को हाथ से पकड़ लिया। वो मेरे स्तनों का दूध पीने में मग्न था और मैं उधर उसके लिंग से खेलने में।
उसका मोटे लिंग को पकड़ कर कभी मैं हिलाती, तो कभी सुपाड़े के ऊपर ऊँगलियां फिराती तो कभी उसके अंडकोष को दबाती। उसके अंडकोष को जब मैं दबाती तो वो दर्द से सहम सा जाता।
अब उसके लिंग के मूत्रद्वार से चिकना तथा लसलसा सा पानी भी बूंद-बूंद कर निकलने लगा था।
उसने अब आगे बढ़ने की सोची और मुझे चित लिटा दिया और पहले वाले स्तन को छोड़ दूसरे को पकड़ उसमें से दूध पीने लगा और पहले वाले को हाथ से मसलता जा रहा था।
उसने दोनों हाथों से मेरी दोनों स्तनों को पकड़ के स्तनपान करने लगा और और मैंने अपनी दोनों टांगों से उसके अंडरवियर को खोले की कोशिश शुरू कर दी उसके घुटनों तक सरका दिया।
वो पूरी मस्ती में मेरे स्तनों को बेरहमी से दबाने और चूसने लगा साथ ही उन्हें कभी-कभी काट लेता।
मुझे भी अब इतनी खुमारी चढ़ गई कि मैं बड़बड़ाने लगी- हाय क्या करते हो… आराम से चूसो जानू… तुम्हारे ही हैं… प्यार से प्लीज ह्ह्हम्म्म्म हम्म्म्म हम्म्म्म…!
उसने जी भर कर चूसने के बाद मेरे पेट को हर जगह चूमा फिर मेरी नाभि में जीभ डाल कर प्यार किया मेरी हालत और भी बुरी होती जा रही। पर मैंने शायद ठान ली थी जैसे कि आज पूरा मजा लूँगी, सो उसे वो हर चीज़ करने दिया जो उसका मन कर रहा था।
थोड़ी देर नाभि से खेलने के बाद वो अपनी जीभ को रगड़ते हुए मेरी योनि के ऊपर ले आया और मेरी योनि के बालों वाले हिस्से को चूमने लगा।
फिर मेरी पैंटी जो अभी जाँघों तक थी, उसे पूरा निकाल दिया और मुझे पूरी तरह नंगी करके मेरी टांगों को फैला कर चौड़ी कर दिया।
उसने मेरी योनि को बड़े प्यार से देखा और बालों को योनि के ऊपर से हटाते हुए कहा- कितनी प्यारी बेबी(योनि) है आपकी, किसी पावरोटी की तरह फूली और एक खिले हुए फूल की तरह सुंदर…!
फिर उसने उसे चूम लिया और फिर एक उंगली डाल उसे टटोलने लगा मैं बिल्कुल एक भूखी नागिन की तरह हो गई और सिसकारने और कराहने लगी।
और मैंने अपनी दोनों टाँगें उसके कंधों पर चढ़ा कर उसको गले से अपनी जाँघों में दबा दिया। उसने अपनी उंगली बाहर निकाली और अपनी जीभ को मेरी योनि की दरार में ऊपर से नीचे फिराया और चाटने लगा वो मेरी योनि के छेद में जीभ को घुसाने की कोशिश करता और फिर दोनों पंखुड़ियों को दांतों से दबा कर खींचता और होंठों से चूसता जैसे कोई खाने को चूसता हो।
मैं तो इतनी गर्म हो चुकी थी इस ठण्ड में भी कि मेरा बदन बाहर से तो कांप रहा था, पर अन्दर आग ऐसी कि किसी को जला कर राख कर दे।
मैंने बहुत देर तक उसे बर्दाश्त किया, फिर उसे अपनी टांगों से धक्का दिया तो वो अलग हो गया और मैं लपक के उठ कर उसके लिंग को दबोच लिया और चूसने लगी।
मैं पूरे जोश में उसके सुपाड़े को दांतों से काटने लगी तो मुझसे विनती करने लगा- आह नहीं.. आह नहीं.. बस करो…!
उसकी ऐसी हालत देख मैंने उसके अंडकोष को मुठी में भर कर जोर-जोर से दबाने लगी, इससे तो और वो और भी तड़पने लगा और कहने लगा- आह नहीं… आह नहीं.. बस करो.. मर जाऊँगा.. जान..!
उसने जोर लगा कर मुझे हटाया और मुझे बिस्तर पर पटक कर मेरे ऊपर आ गया।
उसने मेरी दोनों हाथों को पकड़ा और कहा- आज तुमने मुझे बहुत तड़पाया है अब बदला लूँगा…!
मैं भी तो जैसे यही चाह रही थी, सो मैंने अपनी टाँगें फैला कर उसके बीच उसे जकड़ लिया। वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठों को होंठों से लगा जोरों से चूसने लगा।
मैंने कम्बल को खींच दोनों को ढक लिया। अब वो अपना पूरा वजन मेरे ऊपर लाद कर लेट गया, उसका मुँह मेरे मुँह से चूमने में लगा था, उसके हाथ मेरे बालों और कंधे को थामे थे, उसका सीना मेरे स्तनों के ऊपर था, पेट पर पेट नाभि पर नाभि और योनि पर लिंग था।
मैंने एक हाथ से उसके पीठ को जोर लगा कर पकड़ी थी, दूसरे हाथ से उसके कूल्हों को पकड़ कर खींच रही थी और टांगों को उसके जाँघों पर चढ़ा दी थी।
उसका रोम-रोम मुझे अन्तरंग सुख दे रहा था, उसके बाल मेरे बदन में गुदगुदी सी पैदा कर रहे थे, दोनों की कमर ऐसे नाच रही थी, जैसे योनि लिंग को खा जाना चाहती हो और लिंग योनि में कहीं छिप जाने को तड़प रहा हो।
हम दोनों ही एक-दूसरे से साँपों की तरह लिपटे एक-दूसरे को प्यार करने और अंगों को सहलाने लगे।
मुझे अब सहन नहीं हो रहा था और मैंने उससे कह दिया- अब देर किस बात की है, जल्दी से लंड मेरी बुर में घुसा दो..!
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07-25-2018, 10:39 AM,
#26
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
उसने मेरी बात सुनते ही कहा- अभी लो जान..!
उसने लिंग को एक हाथ से पकड़ कर मेरी योनि की छेद पर सुपारे को भिड़ा दिया और फिर मुझे कंधों से पकड़ कर कहा- तैयार हो जाओ मेरी जान!
मैंने भी उसके कमर को हाथों से पकड़ अपनी कमर उठा दी, उसका गर्म सुपाड़ा मेरी योनि के मुख में था, तभी उसने जोर से झटका दिया, मैं कराह उठी- उई माँ.. मर गईईईईइ… प्यार से…करो न!
उसका लिंग एक झटके में मेरी योनि की दीवारों को चीरता हुआ मेरी बच्चेदानी से जा टकराया।
मुझे दर्द तो हुआ पर जो सुख मिला वो किसी स्वर्ग के सुख से कम नहीं था। उसने मुझे पूरी ताकत से पकड़ा और अपने लिंग को मेरी योनि में और दबाता गया। मैं भी उसे अपनी योनि के ऊपर उसे खींचने लगी, साथ ही कमर को उठाती जा रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे मैं उठना चाह रही हूँ, पर वो मुझे उठने नहीं देना चाहता है और मुझे और जोरों से दबाता रहा।
हालांकि उसका लिंग पूरी तरह मेरी योनि में था, फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे अभी और अन्दर जाना चाहता हो। सो बार-बार जोर पर जोर लगा कर लिंग मेरी योनि में दबाता। मैं किसी हिरनी की तरह नीचे से अपने कूल्हों को नचाने लगी और जाँघों को खोलती, फिर उसमें उसके कमर को जकड़ उसे खींचती, हाथों और पैरों से फिर खोलती और फिर खींचती। मुझे ऐसे में बहुत मजा आ रहा था और उसे भी।
मेरी योनि बहुत गीली हो चुकी थी और मुझे उसका लिंग योनि के अन्दर फिसलता सा लगने लगा। इस बीच हम लगातार एक-दूसरे को चूमते और चूसते जा रहे थे।
उसने अब मुझसे कहा- कितना मजा आ रहा है, आपका जिस्म किसी गद्दे जैसा है जहाँ पकड़ता हूँ सिर्फ मांस ही मांस मिलता है और योनि कितनी गर्म और चिपचिपी है… मुझे बहुत मजा आ रहा है।
मैंने भी अपनी योनि को भींचते हुए उसके लिंग को दबाती हुई बोली- अब देर किस बात की है.. जोर लगाओ और चोदो मुझे…!
उसने मेरी बात सुनते ही एक हाथ मेरे चूतड़ के नीचे रख कर पकड़ा और अपना लिंग थोड़ा बाहर खींच कर फिर से धक्का दिया और फिर.. और फिर.. धक्कों पर धक्कों को लगाने लगा।
मैं 5-6 धक्कों में ही मदमस्त हथिनी सी हो गई और बड़बड़ाने लगी- ओह… ओह… म्मम्म… ह्म्म्म… हाय जानू कितना मजा आ रहा है… चोदते रहो..!”
वो भी धक्के लगाते हुए कहने लगा- ह्म्म्म हाँ.. लो मेरी जान और लो बुर को उछालो और.. मस्त बेबी है बड़ी प्यारी है…
हम दोनों वासना के सागर में गोते लगाने लगे, हमने पूरी ताकत झोंक दी थी। हम दोनों एक-दूसरे के जिस्मों को ऐसे मसल रहे थे, जैसे बरसों से प्यासे हों।
वो जोरों से धक्के लगाए जा रहा था और मैं भी अपनी कमर ऊपर कर उसके धक्कों का स्वागत किए जा रही थी। वो इतनी देर में हाँफने लगा था और मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ बंद होने का नाम नहीं ले रही थीं।
बाहर ठण्ड थी, पर कम्बल के अन्दर हम दोनों पसीने में लथपथ हुए जा रहे थे।
समय के साथ उसका जिस्म और भी गर्म होता जा रहा था और मुझे उसके गर्म बदन का स्पर्श बहुत सुखद लग रहा था। वो ज्यों-ज्यों धक्के लगाता, उसका बदन सख्त होता जाता। मुझे ऐसा लगने लगा जैसे कोई गठीला सांड मेरे ऊपर चढ़ा हो।
उसने मेरे गले पर जीभ फिराते हुए मुझे चाटना शुरू कर दिया और कहा- आपके जिस्म की खुशबू मुझे पागल कर रही है।
वैसे मुझे भी उसके जिस्म की खुशबू मदहोश सा किए जा रही थी।
उसने मेरे स्तनों को दबाया और कहा- मुझे चोदते हुए आपके दुद्धू चूसने हैं।
मैंने भी मस्ती में कह दिया- जो मर्ज़ी करना है.. करो.. मगर चोदते रहो..!
उसने कम्बल को हटा दिया और मेरे स्तनों के ऊपर टूट पड़ा। वो उन्हें बारी-बारी से दबाने और चूसने लगा और साथ ही धक्के भी लगाने लगा।
उसके धक्के अब धीमे पड़ने लगे। उसने मेरी योनि में रुक-रुक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए, पर धक्के इतने जोरदार होते कि हर धक्के पर मैं कुहक जाती। मैं समझ गई कि वो थक गया है।
मैंने उससे पूछा- अब क्या हुआ.. ऐसे क्यों चोद रहे हो, तेज़ी से चोदो न!
उसने कहा- हाँ.. करता हूँ… थोड़ा रुको!
तब मैंने कहा- आप नीचे हो जाओ अब..!
उसने एक हाथ मेरे कूल्हों के नीचे रखा और दूसरा मेरे पीठ पर फिर करवट ले कर पलट गया। अब मैं उसके ऊपर थी, पर उसने लिंग को बाहर नहीं आने दिया शायद वो मेरी योनि से लिंग बाहर नहीं निकालना चाहता था।
मैंने उसके सीने पर हाथ रख कर सीधी होकर उसके लिंग पर बैठ गई और धक्के लगाने लगी। मेरी योनि से पानी रिस-रिस कर धीरे-धीरे बहने लगा था, जिसकी वजह से उसके अंडकोष भीग गए थे और जब मैं उछलती तो मेरे कूल्हों पर लगता जिससे मुझे चिपचिपाहट महसूस हो रही थी।
मैं पूरी मस्ती से भर गई थी। उसका लिंग मेरी योनि के अन्दर हलचल सा मचा रहा था और मैं पूरी ताकत से धक्के लगाने लगी। कुछ ही देर में मेरी जांघें भी जवाब देने लगीं और मेरी गति धीमी पड़ने लगी।
मैंने उसकी तरफ देखा और उसने मेरी तरफ और उसने मेरे स्तनों को मसलते हुए कहा- अपने दुद्धू मुझे पिलाओ..!
मैंने भी बड़े प्यार से अपने स्तन को हाथ में पकड़ा और झुक कर उसके मुँह में लगा दिया और दूसरे हाथ से उसके सर को सहारा देकर उसे स्तनपान कराने लगी।
उसने भी चूचुक को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से मेरे नितम्बों को पकड़ अपनी ओर खींचने लगा और नीचे से अपनी कमर उठा कर नाचने लगा।
उसके ऐसा करने से उसका लिंग भी मेरी योनि में घूमने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं भी अपनी योनि को उसके लिंग पर दबाते हुए कमर को उसी के साथ नचाने लगी।
कुछ देर के बाद वो मेरे स्तनों को चूसते हुए उठने लगा, उसका लिंग अभी भी मेरी योनि में था। उसके पैर अभी भी सीधे थे पर वो उठ कर बैठ गया था और अब मैं उसकी गोद में थी।
उसने मेरी टांगों को आगे की तरफ कर सीधा कर दिया और मुझे पीठ की तरफ झुका कर मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने अपनी टाँगें ऊपर उठा दीं और फैला दीं।
उसने मेरे कन्धों को पकड़ा और मेरे होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगा। मैंने खुद को तैयार कर लिया कि अब वो क्या करने वाला है, उसने अपनी कमर पीछे की और फिर 2-4 बार जोर का धक्का दिया। मैं ‘उई माँ’ करते हुए कराहने लगी।
इसके बाद तो उसने लगातार धक्के देने शुरू कर दिए।
मैं भी अपनी पूरी रफ़्तार से अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर उसका साथ देने लगी। मुझे बहुत मजा आने लगा था और मैं बस चरमसुख से कुछ दूर ही थी।
मैंने उसे अपनी बाँहों में कस लिया और टांगों से उसे अपनी और खींचते हुए कराह कर बोली- और तेज़ और तेज़ आह्ह्ह आह्ह्ह चोदो मुझे, मेरी बेबी को चोदो, मेरा पानी निकाल दो.. अपने लंड से..आःह्ह्ह आह्ह्ह चोदो न…!
उसने भी पूरे जोश से धक्के देते हुए कहा- हाँ.. हाँ.. हाँ.. लो.. ये लो चुद लो , आज आपको मुता दूँगा चोद-चोद कर, सारा रस निचोड़ दूँगा बेबी की, ये लो ये लो..!
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07-25-2018, 10:39 AM,
#27
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
मैं ‘ओह ओह ओह ओह’ करती अपने शरीर को ऐंठने लगी, मेरी योनि की मांसपेशियाँ सिकुड़ने और ढीली होने लगीं और मैंने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ कर अपनी योनि को ऊपर उठाती हुई झड़ गई।
मैं अभी शांत हुई भी नहीं थी कि उसने भी जोरों के धक्के लगाए और अपना रस मेरी योनि के भीतर छोड़ दिया और मेरे ऊपर निढाल हो कर लेट गया।
मैं भी अपनी आँखें बंद किए शांत लेट गई। मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया वो मेरे बगल में पीठ के बल लेट गया और सुस्ताने लगा। मैं भी अपने साँसों पर काबू पाने की कोशिश में थी।
मुझे अब ठण्ड लगने लगी थी, मेरी योनि भी ‘लसलस’ करने लगी थी, सो मैंने कम्बल ओढ़ने और योनि को साफ़ करने सोच उठ कर बैठ गई। तभी मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी।
मैंने देखा कि उसका लिंग अभी भी तनतनाया हुए खड़ा था जबकि उसे झड़े कुछ ही मिनट हुए थे। मैं इससे पहले कि कुछ समझ पाती उसने झटके से पकड़ अपने ऊपर गिरा दिया और कहा- अभी कहाँ जा रही हो जान, अभी तो मजा बाकी है।
और उसने मेरी टांगों को अपनी कमर के दोनों तरफ फैला कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और फिर अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया और कहा- चलो अब चुदो।
मैं हैरान थी कि यह कैसे हो रहा है क्योंकि अक्सर मर्द झड़ने के बाद इतनी जल्दी दुबारा तैयार नहीं होते, उन्हें दुबारा तैयार होने में काफी समय लगता है।
मैंने उससे पूछा- क्या आपने कोई दवा खाई है?
उसने कहा- हाँ.. आपको चोदने के ख्याल से मैं पागल हुआ जा रहा था, तो मैंने एक कैप्सूल मैनफोर्स का खा लिया है। क्योंकि मैं रात भर आपको चोदना चाहता था।
मैंने उससे कहा- अपनी मर्दानगी पर शक था क्या आपको?
उसे शायद मेरी यह बात बुरी लग गई और वो आक्रामक रूप लेने लगा। उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मेरे एक स्तन को बेरहमी से मसलते हुए कहा- अब नाटक बंद भी करो और चुदो।
मैं सोचने लगी कि यह क्या हो गया, अभी तक तो अच्छा खासा माहौल था।
फिर मेरे मन में ख्याल आया कि औरत के लिए भला यही होता है कि मर्द का साथ दे, क्योंकि मर्द औरतों से शारीरिक रूप से अधिक ताकतवर होते हैं तो मैंने भी अपनी भलाई के लिए उसी की भाषा अपना ली।
मैंने कहा- अच्छा यह बात है… तो लो।
मैंने भी जोर का एक धक्का दिया।
फिर क्या था उसने भी जवाब में नीचे से धक्का दिया और हम दोनों धक्के पे धक्के देने लगे। वो मुझे नीचे से धक्के दे रहा था और मैं ऊपर से, साथ ही वो मेरी जीभ को चूसने लगा।
वो इतनी जोश में था जैसे उसके रगों का खून दुगनी रफ़्तार से दौड़ रहा हो, पागलों की तरह से मुझे नोचने-खसोटने लगा। वो मेरे मुँह से निकलती लार को पी जाता।
उसके ऐसे जोश ने मुझे भी जोश में ला दिया और मैं भी उसके लिंग को पूरी तेज़ी के साथ अपनी योनि में अन्दर-बाहर करने लगी और अपने नाख़ून उसके पूरे जिस्म में चुभाने लगी।
उसने मुझे धक्का दे कर नीचे गिरा दिया और मेरी टांगों को पकड़ कर मुझे पेट के बल उल्टा कर दिया। उसने मेरे हाथों और पैरों को बिस्तर पर फैला दिया, ऐसे जैसे कोई मेंढक मरने के बाद हो जाता है।
उसने मेरे पीछे झुक कर मेरी पीठ को चूमना शुरू कर दिया और फिर जहाँ-तहाँ दांतों से काटने लगा। मैं तड़प उठी और कराहने लगी, वैसे तो मैं चीखना चाहती थी पर बच्चों की वजह से अपनी आवाज दबा दे रही थी, पर अपनी कराह नहीं रोक पा रही थी।
वो ऐसी हरकतें कर रहा था, जैसे आज मुझे मार डालेगा, तो मैंने अपनी समझ लगाई और उससे कहा- जानू.. क्या करते हो.. प्यार से करो न.. मैं कहीं भागी थोड़े जा रही हूँ, तुम्हारे लिए ही तो हूँ।
मेरी बातों का उस पर कुछ असर सा दिखने लगा और उसने मेरे कूल्हों को दबाते हुआ पूछा- ये बड़े और मोटे चूतड़ किसके लिए हैं?
मैं समझ गई कि ये दवा का असर है, सो मौके को समझते हुए कहा- आपके लिए जानू।
उसने कहा- अगर मेरे लिए हैं, तो मैं इन्हें खा जाना चाहता हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. तुम्हारी मर्ज़ी, पर प्यार से।
उसने कहा- हाँ.. जान प्यार से ही खाऊँगा.. इतनी प्यारे जो हैं।
फिर उसने मेरे कूल्हों को चाटना शुरू कर दिया, उसकी जीभ ने मेरे कूल्हों को गीला कर दिया और दांतों से काटने की वजह से कूल्हों पर निशान बनने लगे थे।
उसने मेरी योनि में दो ऊँगलियां घुसा दीं और फिर पूछा- यह पावरोटी सी बुर किसके लिए है जान?
मैंने कहा- आप ही तो चोद रहे हो तो और किसके लिए होगी, आपके लिए ही है।
उसने कहा- इसमें क्या जाएगा?
मैंने कहा- आपका लंड…
इसके बाद उसने मुझे कूल्हों को ऊपर उठाने को कहा, फिर मेरी योनि में लिंग घुसेड़ दिया और जोर-जोर से धक्के देने लगा। वो मुझे बड़ी बेरहमी से धक्के देता रहा, मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं मर ही जाऊँगी। पर कुछ ही देर में मैं फिर से गर्म हो गई।
उसने कहा- मैं आज तुम्हारी बेबी को चोद कर सारा रस निकाल दूँगा।
मैंने भी जोश में आकर कह दिया, “हाँ.. निकाल दो.. मेरी बुर से पसीना.. चोद-चोद कर, मेरी बेबी को चोदो।
उसके धक्के इतने तेज़ होते कि मैं सरक के आगे चली जाती। तब उसने मेरे बालों को एक हाथ से पकड़ा और दूसरे से मेरे कंधे को जोर से थामा, फिर तेज़ी से धक्के देने लगा। उसके तेज़ धक्कों से मैं दस मिनट के भीतर दो बार झड़ गई और कुछ देर बाद वो भी।
मैं हाँफते-हाँफते गिर गई और कुछ देर यूँ ही पड़े रहने की सोची, पर उसने मुझे पल भर का आराम नहीं करने दिया। सुबह चार बजे तक मुझे जैसे-तैसे उठा-पटक करके मेरे साथ सम्भोग करता रहा।
अंत में वो थक कर इतना चूर हो गया कि उससे हिला नहीं जा रहा था और सो गया। मैंने भी चैन की साँस ली और सो गई।
मैं सुबह उठ कर संतुष्ट लग रही थी पर मुझे इस बात का बुरा लगा कि उसने दवा खाई, सो मैंने उससे कह दिया था कि हम दुबारा कभी नहीं मिलेंगे, जिसकी वजह से उसे भी बुरा लगा। करीब एक हफ़्ते तक उसने मुझसे बात नहीं की, लेकिन हम लाख किसी से दूर जाना चाहें मुमकिन तभी होता है जब किस्मत चाहे और हुआ भी वही, दो हफ्ते बाद हमारी बात-चीत फिर शुरू हो गई और इस बीच सम्भोग भी हुआ। कुछ दिनों ये चलता रहा, जब तक कि अमर वापस नहीं आए।
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07-25-2018, 10:39 AM,
#28
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
हम तीन सहेलियाँ आज भी एक-दूसरे के संपर्क में हैं पर समय के साथ पारिवारिक काम-काज में व्यस्त रहने की वजह से मिलना-जुलना कम हो गया है।

मैं धन्यवाद करना चाहूँगी उन लोगों का जिन्होंने फोन और इन्टरनेट जैसे साधन बनाए जो हमें आज भी जोड़े हुए हैं।

हेमलता भी मेरी तरह एक मध्य वर्ग की एक पारिवारिक महिला है, उम्र 46, कद काफी अच्छा-खासा है, लगभग 5’8″ होगा, उम्र के हिसाब से भारी-भरकम शरीर और 2 बच्चों की माँ है। उसके दोनों बच्चों की उम्र 24 और 21 है और अभी पढ़ाई ही कर रहे हैं।

हेमलता हम तीन सहेलियों में से एक थी, जिसकी शादी सबसे पहले 21 वर्ष की आयु में हुई और बच्चे भी जल्दी हुए। उसके पति एक सरकारी स्कूल में क्लर्क थे और जब उसका दूसरा बच्चा सिर्फ 2 साल का था तब स्कूल की छत बरसात में गिर गई, जिसमें उसके पति के सर पर गहरी चोट आई।

शहर के सरकारी सदर अस्पताल ने उन्हें अपोलो रांची भेज दिया, पर रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई थी। यह समाचार मेरे लिए काफी दु:खद था मैंने उसके बारे में पता किया तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे उसके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया हो।

वो केवल 28 साल की एक जवान महिला थी जो अब दो बच्चों की विधवा माँ थी।

खैर… उसे इन सबसे उबरने में काफी समय लग गया और एक अच्छी बात यह हुई कि उसे अपने पति की जगह नौकरी मिल गई। उसने अपनी पढ़ाई शादी के बाद भी जारी रखी थी और स्नातक पूरा कर लिया था। जिसके वजह से आज वो अपने पति की कुर्सी पर है और बच्चों का भविष्य अच्छा है।

मैंने और तारा ने अपनी तरफ से उसे इस भारी सदमे से उबरने में हर संभव प्रयास किया जहाँ तक हमारी सीमाएँ थीं।

हेमा की नौकरी लग जाने से परिणाम भी सही निकला, दफ्तर जाने और काम में व्यस्त होने के बाद वो पूरी तरह से इस हादसे से उबर चुकी थी।

चार साल बीत गए थे। इस बीच तारा तो नहीं पर मैं हफ्ते में एक बार उससे बात कर लिया करती थी और कभी उड़ीसा से घर जाती तो मिल भी लेती थी।

एक अकेली जवान औरत किसी शिकार की तरह होती है, जिसके दो शिकारी होते हैं। एक तो मनचले मर्द जो किसी अकेली औरत को भूखे भेड़िये की तरह देखते हैं और दूसरा उसका स्वयं मन भी उसे गलत रास्ते पर ले जाता है।

मनचले मर्दों को तो औरत दरकिनार भी कर दे पर अपने मन से कैसे बचे कोई..!

यही शायद हेमा के साथ भी अब होने लगा था, वो दूसरे मर्दों से तो खुद को बचाती फिर रही थी, पर अपने मन से बचना मुश्किल होता जा रहा था।

हेमा अब 33 साल की एक अकेली जवान विधवा थी और दो बच्चों की माँ भी, इसलिए कोई मर्द उसे पत्नी स्वीकार ले असंभव सा था। ऊपर से आज भी छोटे शहरों में समाज, जो औरतों की दूसरी शादी पसंद नहीं करता।

इसी सिलसिले में मैंने एक बार हेमा के घरवालों से बात की पर वो तैयार नहीं हुए ये कह कर कि हेमा अब किसी और घर की बहू है।

पर मेरे बार-बार विनती करने पर उन्होंने हेमा के ससुराल वालों से बात की, पर जवाब न सिर्फ नकारात्मक निकला बल्कि नौकरी छोड़ने की नौबत आ गई।

उसके ससुराल वालों ने यह शक जताया कि शायद हेमा का किसी मर्द के साथ चक्कर है सो उसे जोर देने लगे कि नौकरी छोड़ दे।

पर हेमा जानती थी कि उसके बच्चों का भविष्य उसके अलावा कोई और अच्छे से नहीं संवार सकता इसलिए उसने सभी से शादी की बात करने को मना कर दिया और दुबारा बात नहीं करने को कहा।

हालांकि उसने हमसे कभी शादी की बात नहीं की थी, बस हम ही खुद भलाई करने चले गए जिसकी वजह से हेमलता से मेरी दूरी बढ़ने लगी।

मैंने सोच लिया था कि अब उससे कभी बात नहीं करुँगी, पर बचपन की दोस्ती कब तक दुश्मनी में रह सकती है।

कुछ महीनों के बाद हमारी बातचीत फिर से शुरू हो गई।

वो शाम को जब फुर्सत में होती तो हम घन्टों बातें करते और मैं हमेशा यही प्रयास करती कि वो अपने दु:खों को भूल जाए। इसलिए वो जो भी मजाक करती, मैं उसका जरा भी बुरा नहीं मानती। वो कोई भी ऐसा दिन नहीं होता कि मेरे पति के बारे में न पूछे और मुझे छेड़े ना।

धीरे-धीरे मैंने गौर किया कि वो कुछ ज्यादा ही मेरे और मेरे पति के बीच जो कुछ रात में होता है उसे जानने की कोशिश करने लगी।

एक बार की बात है मैं बच्चे को स्कूल पहुँचा कर दुबारा सो गई क्योंकि मेरी तबियत थोड़ी ठीक नहीं थी। तभी हेमा ने मुझे फोन किया मेरी आवाज सुन कर वो समझ गई कि मैं सोई हुई थी।

उसने तुरंत मजाक में कहा- क्या बात है.. इतनी देर तक सोई हो… जीजाजी ने रात भर जगाए रखा क्या?

मैंने भी उसको खुश देख मजाक में कहा- क्या करूँ… पति परमेश्वर होता है, जब तक परमेश्वर की इच्छा होती है.. सेवा करती हूँ!

उसने कहा- लगता है.. कल रात कुछ ज्यादा ही सेवा की है?

मैंने कहा- हाँ.. करना तो पड़ता ही है, तूने नहीं की क्या?

मेरी यह बात सुन कर वो बिल्कुल खामोश हो गई। मैंने भी अब सोचा कि हे भगवान्… मैंने यह क्या कह दिया!

वो मेरे सामने नहीं थी, पर मैं उसकी ख़ामोशी से उसकी भावनाओं को समझ सकती थी। पर उसने भी खुद को संभालते हुए हिम्मत बाँधी और फिर से मुझसे बातें करने लगी।

दरअसल बात थी कि मैं अपने एक चचेरे भाई की शादी में घर जाने वाली थी और उसने यही पूछने के लिए फोन किया था कि मैं कब आऊँगी, क्योंकि गर्मी की छुट्टी होने को थी तो वो भी मायके आने वाली थी।

शाम को मैंने उसका दिल बहलाने के लिए फिर से उसे फोन किया। कुछ देर बात करने पर वो भावुक हो गई।

एक मर्द की कमी उसकी बातों से साफ़ झलकने लगी। मैं भी समझ सकती थी कि अकेली औरत और उसकी जवानी कैसी होती है। सो मैंने उससे उसके दिल की बात साफ़-साफ़ जानने के लिए पूछा- क्या कोई है.. जिसे वो पसंद करती है?

उसने उत्तर दिया- नहीं.. कोई नहीं है और मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती.. मैं एक विधवा हूँ..!

तो मैं हैरान हो गई कि अभी कुछ देर पहले इसी तरह की बात कर रही थी, अब अचानक क्या हो गया। मैंने भी उसे भांपने के लिए कह दिया- अगर ऐसा सोच नहीं सकती तो फिर हर वक़्त क्यों किसी के होने न होने की बात करती हो..!

उसने भी मेरी बात को समझा और सामान्य हो गई।

तब मैंने सोचा कि चलो इसके दिल की बात इसके मुँह से आज निकलवा ही लेती हूँ और फिर मैंने अपनी बातों में उसे उलझाने की कोशिश शुरू कर दी।

कुछ देर तो वो मासूम बनने का ढोंग करती रही पर मैं उसकी बचपन की सहेली हूँ इसलिए उसका नाटक ज्यादा देर नहीं चला और उसने साफ़ कबूल कर लिया कि उसे भी किसी मर्द की जरुरत है जो उसके साथ समय बिताए… उसे प्यार करे..! तब मैंने उससे पूछा- क्या कोई है.. जो उसे पसंद है?

तब उसने बताया- हाँ.. एक मर्द कृपा है जो मेरे स्कूल में पढ़ाता है और हर समय मुझसे बात करने का बहाना ढूंढता रहता है.. वो अभी भी कुँवारा है, पर मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि वो मुझे पसंद करता है या सिर्फ मेरी आँखों का धोखा है!

तब मैंने उसे समझाया कि वो उसे थोड़ा नजदीक आने दे ताकि पता चल सके आखिर बात क्या है।

उसने वैसा ही किया और एक दिन हेमा ने मुझे फोन करके बताया कि उस आदमी ने उससे कहा कि वो उससे प्यार करता है और शादी करना चाहता है।

पर हेमा ने उससे कह दिया- शादी के लिए कोई भी तैयार नहीं होगा और सबसे बड़ी मुसीबत तो जाति की हो जाती क्योंकि वो दूसरी जाति का है।

तब मैंने हेमा से पूछा- आखिर तू क्या चाहती है?

उसने खुल कर तो नहीं कहा, पर उसकी बातों में न तो ‘हाँ’ था न ही ‘ना’ था। मैं समझ गई कि हेमा चाहती तो थी कि कोई मर्द उसका हाथ दुबारा थामे, पर उसकी मज़बूरी भी थी जिसकी वजह से वो ‘ना’ कह रही थी।

खैर… इसी तरह वो उस आदमी से बातें तो करती पर थोड़ा दूर रहती, क्योंकि उसे डर था कहीं कोई गड़बड़ी न हो जाए।

पर वो आदमी उसे बार बार उकसाने की कोशिश करता।

एक दिन मैंने हेमा से कहा- मेरी उससे बात करवाओ।

तो हेमा ने उसकी मुझसे बात करवाई फिर मैंने भी उसे समझाया।

वो लड़का समझदार था सो वो समझ गया पर उसने कहा- मेरे लिए हेमा को भूलना मुश्किल है।

शादी का दिन नजदीक आ गया और मैं घर चली आई और हेमा से मिली।

मैंने उसके दिल की बात उसके सामने पूछी- क्या तुम उस लड़के को चाहती हो?

उसने कहा- चाहने न चाहने से क्या फर्क पड़ता है जो हो नहीं सकता, उसके बारे में सोच कर क्या फ़ायदा!

मैंने उससे कहा- देखो अगर तुम उसे पसंद करती हो तो ठीक है, जरुरी नहीं कि शादी करो समय बिताना काफी है, तुम लोग रोज मिलते हो अपना दुःख-सुख उसी कुछ पलों में बाँट लिया करो।

तब उसने कहा- मैं उसके सामने कमजोर सी पड़ने लगती हूँ.. जब वो कहता है कि वो मुझसे प्यार करता है।

मैंने उससे पूछा- क्या लगता है तुम्हें..!

मेरा सवाल सुन कर उसकी आँखों में आंसू आ गए और कहने लगी- जब वो ऐसे कहता है.. तब मुझे लगता है उसे अपने सीने से लगा लूँ, उसकी आँखों में इतना प्यार देख कर मुझसे रहा नहीं जाता!

मैं उसके दिल की भावनाओं को समझ रही थी, पर वो रो न दे इसलिए बात को मजाक में उड़ाते हुए कहा- तो ठीक है.. लगा लो न कभी सीने से.. मौका देख कर..!

और मैं हँसने लगी।

मेरी हँसी देख कर वो अपने आंसुओं पर काबू करते हुए मुस्कुराने लगी।
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07-25-2018, 10:39 AM,
#29
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
मेरा सवाल सुन कर उसकी आँखों में आंसू आ गए और कहने लगी- जब वो ऐसे कहता है.. तब मुझे लगता है उसे अपने सीने से लगा लूँ, उसकी आँखों में इतना प्यार देख कर मुझसे रहा नहीं जाता!

मैं उसके दिल की भावनाओं को समझ रही थी, पर वो रो न दे इसलिए बात को मजाक में उड़ाते हुए कहा- तो ठीक है.. लगा लो न कभी सीने से.. मौका देख कर..!

और मैं हँसने लगी।

मेरी हँसी देख कर वो अपने आंसुओं पर काबू करते हुए मुस्कुराने लगी।

मैंने उसका दिल बहलाने के लिए कहा- एक काम कर.. शादी-वादी भूल जा सुहागरात मना ले..!

वो मुझे मजाक में डांटते हुए बोली- क्या पागलों जैसी बातें करती है।

मैंने कहा- चल मैं भी समझती हूँ तेरे दिल में क्या है, अच्छा बता वो दिखने में कैसा है?

उसने तब मुझे बताया- वो दिखने में काफी आकर्षक है।

मैंने उससे कहा- मैं अपने भाई को बोल कर शादी में उसे भी बुला लेती हूँ, ताकि तुम दोनों मिल भी सको और घर का कुछ काम भी हो जाए।

वो बहुत खुश हुई, पर नखरे करती रही कि किसी को पता चल जाएगा तो मुसीबत होगी।

मैंने उसे समझाया- डरो मत, मैं सब कुछ ठीक कर दूँगी..!

वो बुलाने पर आ गया, पर हैरानी की बात ये थी के वो मेरे पड़ोस के एक लड़के सुरेश का दोस्त था जो हमारे साथ ही स्कूल में पढ़ा था।

यह सुरेश वही था जो मुझे पसंद करता था, पर मैं अपने घर वालों के डर से कभी उसके सवाल का उत्तर न दे सकी थी। आज भी मैं जब सुरेश से मिलती हूँ तो मुझे वैसे ही देखता है, जैसे पहले देखा करता था। वो मुझसे ज्यादा नहीं पर स्कूल के समय हेमा से ज्यादा बातें करता था।

सुरेश ने हेमा के जरिये ही मुझसे अपने दिल की बात कही थी।

मैंने सोचा चलो अच्छा है सुरेश के बहाने अगर हो सके तो हेमा को उसके प्यार से मिलवा दिया जाएगा।

मैंने सुरेश से बातें करनी शुरू कर दीं, फिर एक दिन मैंने बता दिया कि हेमा उसके दोस्त को पसंद करती है इसलिए उसे यहाँ बहाने से बुलाया था, पर अगर वो साथ दे तो हेमा को उससे मिलवाने में परेशानी नहीं होगी और सुरेश भी मान गया।

अब रात को हम रोज सारा काम खत्म करने के बाद छत पर चले आते और घन्टों बातें करते। हेमा को हम अकेला छोड़ देते ताकि वो लोग आपस में बात कर सकें।

कुछ दिनों में घर में मेहमानों का आना शुरू हो गया और घर में सोने की जगह कम पड़ने लगी तो मैं बाकी लोगों के साथ छत पर सोने चली जाती थी।

गर्मी का मौसम था तो छत पर आराम महसूस होता था। बगल वाले छत पर सुरेश और कृपा भी सोया करते थे।

एक दिन कृपा ने मुझसे पूछा कि क्या कोई ऐसी जगह नहीं है, जहाँ वो हेमा से अकेले में मिल सके।

मैं समझ गई कि आखिर क्या बात है, पर मेहमानों से भरे घर में मुश्किल था और हेमा सुरेश के घर नहीं जा सकती थी क्योंकि कोई बहाना नहीं था।

तो उसने मुझसे कहा- क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हेमा रात को छत पर ही सोये?

मैंने उससे कहा- ठीक है.. घर में काम का बहाना बना कर मैं उसके घर पर बोल दूँगी कि मेरे साथ सोये।

मैंने उसके घर पर बोल दिया कि शादी तक हेमा मेरे घर पर रहेगी, काम बहुत है उसके घर वाले मान गए। रात को हम छत पर सोने गए।

कुछ देर हम यूँ ही बातें करते रहे क्योंकि सबको पता था कि हम साथ पढ़े हैं किसी को कोई शक नहीं होता था कि हम लोग क्या कर रहे हैं।

जब बाकी लोग सो चुके थे, तब मैंने भी सोचा कि अब सोया जाए। मैंने सुरेश की छत पर ही मेरा और हेमा का बिस्तर लगा दिया और सुरेश और कृपा का बिस्तर भी बगल में था।

कृपा और हेमा आपस में बातें कर रहे थे और मैं अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और बगल में सुरेश अपने बिस्तर पर लेटा था।

तभी सुरेश ने मुझसे पूछा- तुम्हारे पति कैसे हैं?

मैंने कहा- ठीक हैं!

कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा- उसने जो मुझसे कॉलेज के समय कहा था, उसका जवाब क्यों नहीं दिया?

मैंने तब उससे कहा- पुरानी बातों को भूल जाओ मैं अब शादीशुदा हूँ।

फिर उसने दुबारा पूछा- अगर जवाब देना होता तो मैं क्या जवाब देती?

मैंने कुछ नहीं कहा, बस चुप लेटी रही, उसे लगा कि मैं सो गई हूँ.. सो वो भी अब खामोश हो गया।

रात काफी हो चुकी थी, अँधेरा पूरी तरह था हर चीज़ काली परछाई की तरह दिख रही थी।

कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि हेमा मेरे बगल में आकर लेट गई है। गौर किया तो कृपा भी उसके बगल में लेटा हुआ था।

मुझे लगा अब सब सोने जा रहे हैं सो मैं भी सोने का प्रयास करने लगी। तभी मुझे कुछ फुसफुसाने की आवाज सुनाई दी। उस फुसफुसाहट से सुरेश भी करवट लेने लगा तो फुसफुसाहट बंद हो गई।

कुछ देर के बाद मुझे फिर से फुसफुसाने की आवाज आई।

यह आवाज हेमा की थी, वो कह रही थी- नहीं.. कोई देख लेगा.. मत करो।

फिर एक और आवाज आई- सभी सो गए हैं किसी को कुछ पता नहीं चलेगा!

मैं मौन होकर सब देखने की कोशिश करने लगी पर कुछ साफ़ दिख नहीं रहा था बस हल्की फुसफुसाहट थी।

थोड़ी देर में मैंने देखा तो एक परछाई जो मेरे बगल में थी वो कुछ हरकत कर रही थी, यह हेमा ही थी, मैंने गौर किया तो उसके हाथ खुद के सीने पर गए और वो अपने ब्लाउज के हुक खोल रही थी, फिर उसके हाथ नीचे आए और साड़ी को ऊपर उठाने लगे और कमर तक उठा कर उसने अपनी पैंटी निकाल कर तकिये के नीचे रख दी।

मैं समझ गई कि आज दोनों सुहागरात मनाने वाले हैं और मेरी उत्सुकता बढ़ गई।

मैंने अब सोचा कि देखा जाए कि कृपा आखिर क्या कर रहा है।

मैंने धीरे से सर उठाया तो देखा उसका हाथ हिल रहा है, मैं समझ गई कि वो अपने लिंग को हाथ से हिला कर तैयार कर रहा है।

तभी फिर से फुसफुसाने की आवाज आई हेमा ने कहा- आ जाओ।

और कुछ ही पलों में मुझे ऐसा लगा कि जैसे एक परछाई के ऊपर दूसरी परछाई चढ़ी हुई है।

कृपा हेमा के ऊपर चढ़ा हुआ था, हेमा ने पैर फैला दिए थे जिसकी वजह से उसका पैर मेरे पैर से सट रहा था। उनकी ऐसी हरकतें देख कर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा था। मैं सोच में पड़ गई कि आखिर इन दोनों को क्या हुआ जो बिना किसी के डर के मेरे बगल में ही ये सब कर रहे हैं।

उनकी हरकतों से मेरी अन्तर्वासना भी भड़कने लगी थी, पर मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी। मैं ऐसी स्थिति में फंस गई थी कि कुछ समझ में नहीं आ रहा था, क्योंकि मेरी कोई भी हरकत उन्हें परेशानी में डाल सकता था और मैं हेमा को इस मौके का मजा लेने देना चाहती थी इसलिए चुपचाप सोने का नाटक करती रही।

अब एक फुसफुसाते हुई आवाज आई- घुसाओ..!

यह हेमा की आवाज थी जो कृपा को लिंग योनि में घुसाने को कह रही थी।

कुछ देर की हरकतों के बाद फिर से आवाज आई- नहीं घुस रहा है, कहाँ घुसाना है.. समझ नहीं आ रहा!

यह कृपा था।

तब हेमा ने कहा- कभी इससे पहले चुदाई नहीं की है क्या.. तुम्हें पता नहीं कि लण्ड को बुर में घुसाना होता है?

कृपा ने कहा- मुझे मालूम है, पर बुर का छेद नहीं मिल रहा है।

तभी हेमा बोली- हाँ.. बस यहीं लण्ड को टिका कर धकेलो..!

मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, पर उनकी बातों से सब समझ आ रहा था कि कृपा ने पहले कभी सम्भोग नहीं किया था। इसलिए उसे अँधेरे में परेशानी हो रही थी और वो अपने लिंग से योनि के छेद को टटोल रहा था। जब योनि की छेद पर लिंग लग गया, तो हेमा ने उससे कहा- धकेलो!

तभी हेमा की फिर से आवाज आई- क्या कर रहे हो.. जल्दी करो.. बगल में दोनों (मैं और सुरेश) हैं.. जाग गए तो मुसीबत हो जाएगी!

कृपा ने कहा- घुस ही नहीं रहा है, जब धकेलने की कोशिश करता हूँ तो फिसल जाता है।

तब हेमा ने कहा- रुको एक मिनट!

और उसने तकिये के नीचे हाथ डाला और पैंटी निकाल कर अपनी योनि की चिकनाई को पौंछ लिया और बोली- अब घुसाओ..!

मैंने गौर किया तो मुझे हल्का सा दिखा कि हेमा का हाथ उसके टांगों के बीच में है, तो मुझे समझ में आया कि वो कृपा का लिंग पकड़ कर उसे अपनी योनि में घुसाने की कोशिश कर रही है।

फिर हेमा की आवाज आई- तुम बस सीधे रहो.. मैं लण्ड को पकड़े हुए हूँ, तुम बस जोर लगाओ, पर थोड़ा आराम से.. तुम्हारा बहुत बड़ा और मोटा है।

तभी हेमा कसमसाते हुए कराह उठी, ऐसे जैसे वो चिल्लाना चाहती हो, पर मुँह से आवाज नहीं निकलने देना चाहती हो और बोली- ऊऊईईइ माँ…आराम से…डाल..!

तब कृपा रुक गया और हेमा को चूमने लगा। हेमा की कसमसाने और कराहने की आवाज से मुझे अंदाजा हो रहा था कि उसे दर्द हो रहा है, क्योंकि काफी समय के बाद वो सम्भोग कर रही थी।

हेमा ने कहा- इतना ही घुसा कर करो.. दर्द हो रहा है..!

पर कृपा का यह पहला सम्भोग था इसलिए उसके बस का काम नहीं था कि खुद पर काबू कर सके, वो तो बस जोर लगाए जा रहा था।

हेमा कराह-कराह कर ‘बस.. बस’ कहती रही।

हेमा ने फिर कहा- अब ऐसे ही धकेलते रहोगे या चोदोगे भी?

कृपा ने उसके स्तनों को दबाते हुआ कहा- हाँ.. चोद तो रहा हूँ..!

उसने जैसे ही 10-12 धक्के दिए कि कृपा हाँफने लगा और हेमा से चिपक गया।

हेमा ने उससे पूछा- हो गया?

कृपा ने कहा- हाँ, तुम्हारा हुआ या नहीं?

हेमा सब जानती थी कि क्या हुआ, किसका हुआ सो उसने कह दिया- हाँ.. अब सो जाओ!

मैं जानती थी कि कृपा अपनी भूख को शांत कर चुका था, पर हेमा की प्यास बुझी नहीं थी, पर वो भी क्या करती कृपा सम्भोग के मामले में अभी नया था।

तभी कृपा की आवाज आई- हेमा, एक बार और चोदना चाहता हूँ!

हेमा ने कहा- नहीं.. सो जाओ..!

मुझे समझ नहीं आया आखिर हेमा ऐसा क्यों बोली।

तभी फिर से आवाज आई- प्लीज बस एक बार और!

हेमा ने कहा- इतनी जल्दी नहीं होगा तुमसे… काफी रात हो गई है.. सो जाओ फिर कभी करना..!

पर कृपा जिद करता रहा, तो हेमा मान गई और करवट लेकर कृपा की तरफ हो कर लेट गई।

मैंने अपना सर उठा कर देखा तो कृपा हेमा के स्तनों को चूस रहा था, साथ ही उन्हें दबा भी रहा था और हेमा उसे लिंग को हाथ से पकड़ कर हिला रही थी।

कुछ देर बाद हेमा ने उससे कहा- अपने हाथ से मेरी बुर को सहलाओ…!

कृपा वही करने लगा।

कुछ देर के बाद वो दोनों आपस में चूमने लगे फिर हेमा ने कहा- तुम्हारा लण्ड कड़ा हो गया है जल्दी से चोदो, अब कहीं सारिका या सुरेश जग ना जाएँ!

उसे क्या मालूम था कि मैं उनका यह खेल शुरू से ही देख रही थी।

हेमा फिर से सीधी होकर लेट गई और टाँगें फैला दीं। तब कृपा उसके ऊपर चढ़ गया और उसने लिंग योनि में भिड़ा कर झटके से धकेल दिया।

हेमा फिर से बोली- आराम से घुसाओ न..!

कृपा ने कहा- ठीक है.. तुम गुस्सा मत हो!

कृपा अब उसे धक्के देने लगा। कुछ देर बाद मैंने गौर किया कि हेमा भी हिल रही है। उसने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे।

दोनों की साँसें तेज़ होने लगी थीं और फिर कुछ देर बाद कृपा फिर से हाँफते हुए गिर गया, तो हेमा ने फिर पूछा- हो गया?

कृपा ने कहा- हाँ.. हो गया..!

तब हेमा ने उसे तुरंत ऊपर से हटाते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी और बोली- सो जाओ अब..!

हेमा की बातों में थोड़ा चिढ़चिढ़ापन था जिससे साफ़ पता चल रहा था कि वो चरम सुख से अभी भी वंचित थी।

कृपा अब सो चुका था, पर हेमा अभी भी जग रही थी। उसने मेरी तरफ देखा मैंने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं। वो शायद देख रही थी कि कहीं उसकी चोरी पकड़ी तो नहीं गई।

मेरा किसी तरह का हरकत न देख उसने अपनी साड़ी के अन्दर हाथ डाल और अपनी योनि से खेलने लगी थोड़ी देर में वो अपने शरीर को ऐंठते हुए शांत हो गई।

मैं यूँ ही खामोशी से उसे दखती रही पर काफी देर उनकी ये कामक्रीड़ा देख मुझे भी कुछ होने लगा था। साथ ही एक ही स्थिति में सोये-सोये बदन अकड़ सा गया था, तो मैंने सोचा कि अब थोड़ा उठ कर बदन सीधा कर लूँ, सो मैं पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि सुरेश जगा हुआ है और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।
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07-25-2018, 10:40 AM,
#30
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
कृपा अब सो चुका था, पर हेमा अभी भी जग रही थी। उसने मेरी तरफ देखा मैंने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं। वो शायद देख रही थी कि कहीं उसकी चोरी पकड़ी तो नहीं गई।

मेरा किसी तरह का हरकत न देख उसने अपनी साड़ी के अन्दर हाथ डाल और अपनी योनि से खेलने लगी थोड़ी देर में वो अपने शरीर को ऐंठते हुए शांत हो गई।

मैं यूँ ही खामोशी से उसे देखती रही पर काफी देर उनकी कामक्रीड़ा देख मुझे भी कुछ होने लगा था। साथ ही एक ही स्थिति में सोये-सोये बदन अकड़ सा गया था, तो मैंने सोचा कि अब थोड़ा उठ कर बदन सीधा कर लूँ, सो मैं पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि सुरेश जगा हुआ है और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।

मैं उसे नजरअंदाज करते हुए उठ कर चली गई। पेशाब करके वापस आई और लेट गई। तब सुरेश ने धीरे से पूछा- क्या हुआ नींद नहीं आ रही क्या?

मैंने कहा- मैं तो सो चुकी थी, अभी नींद खुली।

तब उसने कहा- तुमने कुछ देखा क्या?

मैंने कहा- क्या?

उसने कहा- वही.. जो तुम्हारे बगल में सब कुछ हुआ?

मैं अनजान बनती हुई बोली- क्या हुआ?

उसने कहा- तुम्हें सच में पता नहीं या अनजान बन रही हो?

मैंने कहा- मुझे कुछ नहीं पता, मैं सोई हुई थी।

उसने कहा- ठीक है, चलो नहीं पता तो कोई बात नहीं.. सो जाओ!

मैं कुछ देर सोचती रही फिर उससे पूछा- क्या हुआ था?

उसने कहा- जाने दो, कुछ नहीं हुआ।

मैंने जोर देकर फिर से पूछा तो उसने कहा- तुम्हारे बगल में हेमा और कृपा चुदाई कर रहे थे।

मैंने उसे कहा- तुम झूठ बोल रहे हो, कोई किसी के सामने ऐसा नहीं करता.. कोई इतना निडर नहीं होता।

उसने तब कहा- ठीक है सुबह हेमा से पूछ लेना, कृपा ने हेमा को दो बार चोदा।

मैं समझ गई कि सुरेश भी उन्हें देख रहा था, पर मैं उसके सामने अनजान बनी रही। फिर मैं खामोश हो गई और मेरा इस तरह का व्यवहार देख सुरेश भी खामोश हो गया।

मैं हेमा और सुरेश का खेल देख कर उत्तेजित हो गई थी। फिर मैंने सोचा कि जब मैं उत्तेजित हो गई थी, तो सुरेश भी हुआ होगा। यही सोचते हुए मैं सोने की कोशिश करने लगी, पर नींद नहीं आ रही थी।

कुछ देर तक तो मैं खामोश रही फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने सुरेश से पूछा- तुमने क्या-क्या देखा?

उसने उत्तर दिया- कुछ ख़ास तो दिख नहीं रहा था क्योंकि तुम बीच थीं, पर जब कृपा हेमा के ऊपर चढ़ा तो मुझे समझ आ गया था कि कृपा हेमा को चोद रहा है।

मैं तो पहले से ही खुद को गर्म महसूस कर रही थी और ऊपर से सुरेश जैसी बातें कर रहा था, मुझे और भी उत्तेजना होने लगी, पर खुद पर काबू किए हुई थी।

तभी सुरेश ने कहा- तुमने उस वक़्त मेरे सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया था?

मैंने कहा- मुझे डर लगता था इसलिए।

फिर उसने कहा- अगर तुम जवाब देतीं, तो क्या कहतीं.. ‘हाँ’ या ‘ना’..!

मैंने उसे कहा- वो पुरानी बात थी, उसे भूल जाओ मैं सोने जा रही हूँ।

यह बोल कर मैं दूसरी तरफ मुँह करके सोने चली गई, पर अगले ही पल उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और कहा- सारिका, मैं आज भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।

मैंने उसे धकेलते हुए गुस्से में कहा- क्या कर रहे हो.. तुम जानते हो कि मैं शादीशुदा हूँ।

वो मुझसे अलग होने का नाम नहीं ले रहा था उसने मुझे जोरों से पकड़ रखा था और कहा- हेमा भी तो शादीशुदा है, फिर तुम उसकी मदद क्यों कर रही हो। मुझे मालूम है हेमा और कृपा की यहाँ सम्भोग करने की इतनी हिम्मत इसलिए हुई क्योंकि तुमने ही मदद की है।

अब मेरे दिमाग में यह डर बैठ गया कि सुरेश कहीं किसी को बता तो नहीं देगा कि हेमा और कृपा के बीच में कुछ है और मैं उनकी मदद कर रही हूँ।

सुरेश कहता या नहीं कहता पर मैं अब डर गई थी सो मैंने उससे पूछा- तुम क्या चाहते हो?

उसने कहा- मैं तुमसे अभी भी प्यार करता हूँ और यह कहते-कहते उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और मेरे होंठों से होंठ लगा दिए।

उसके छूते ही मेरे बदन में चिंगारी आग बनने लगी।

हालांकि मैं जानती थी कि मैं शादीशुदा हूँ, पर मैं डर गई थी और मैंने सुरेश का विरोध करना बंद कर दिया था।

मैंने उससे कहा- प्लीज ऐसा मत करो, मैं शादीशुदा हूँ और बगल में हेमा और कृपा हैं। उनको पता चल गया तो ठीक नहीं होगा।

उसने मुझे पागलों की तरह चूमते हुए कहा- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, बस तुम चुपचाप मेरा साथ दो.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करूँगा।

और वो मेरे होंठों को चूमने लगा और मेरे स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा।

मैं भी उसके हरकतों का कितनी देर विरोध कर पाती, क्योंकि हेमा और कृपा का सम्भोग देख कर मैं भी गर्म हो चुकी थी।

मैंने भी उसका साथ देने में ही भलाई सोची, पर मेरे मुँह से विरोध भरे शब्द निकलते रहे।

तब उसने कहा- तुम अगर ऐसे ही बोलती रहीं तो कोई न कोई जग जाएगा।

तो मैंने अपने मुँह से आवाजें निकालना बंद कर दीं।

उसने अब अपनी कमर को मेरी कमर से चिपका दिया और लिंग को पजामे के अन्दर से ही मेरी योनि के ऊपर रगड़ने लगा।

उसने अब मेरे स्तनों को छोड़ कर हाथ को मेरी जाँघों पर फिराते हुए सहलाने लगा। फिर मेरी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा मेरी नंगी मांसल जाँघों से खेलने लगा।

उसके इस तरह से मुझे छूने से मेरी योनि भी गीली होने लगी थी और मैं भी उसे चूमने लगी।

मैंने उसे कस कर पकड़ रखा था और हम दोनों के होंठ आपस में चिपके हुए थे।

तभी उसने मेरी पैंटी को खींचना शुरू किया और सरका कर घुटनों तक ले गया। फिर अपने हाथ से मेरी नंगे चूतड़ को सहलाने लगा और दबाने लगा मुझे उसका स्पर्श अब मजेदार लगने लगा था।

उसके स्पर्श से मैं और भी गर्म होने लगी थी और मैंने एक हाथ से उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और उसके लिंग को बाहर निकाल कर हिलाने लगी।

अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था, सो मैंने उससे कहा- सुरेश अब जल्दी से चोद लो.. वरना कोई जग गया तो देख लेगा..!

उससे भी अब रहा नहीं जा रहा था सो मुझे सीधा होने को कहा और मेरी पैंटी निकाल कर किनारे रख दी।

मैंने अपने पैर मोड़ कर फैला दिए और सुरेश मेरे ऊपर मेरी टांगों के बीच में आ गया।

उसने हाथ में थूक लेकर मेरी योनि पर मल दिया फिर झुक कर लिंग को मेरी योनि के छेद पर टिका दिया और धकेला, उसका आधा लिंग मेरी योनि में चला गया था।

अब वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे पकड़ कर मुझसे कहा- तुम बताओ न, क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती थी?

मैंने भी सोचा कि यह आज मानने वाला नहीं है सो कह दिया- हाँ.. करती थी.. पर डर लगता था!

उसने फिर मुझे प्यार से चूमा और अपना पूरा लिंग मेरी योनि में धकेल दिया और कहा- मैं तो तुम्हें आज भी प्यार करता हूँ और करता रहूँगा, बस एक बार कहो ‘आई लव यू..!’

मैं भी अब जोश में थी सो कह दिया ‘आई लव यू..!’

मेरी बात सुनते ही उसने कहा- आई लव यू टू…!

और जोरों से धक्के देने लगा। मैं उसके धक्कों से सिसकियाँ लेने लगी, पर आवाज को दबाने की कोशिश भी करने लगी।

उसका लिंग मेरी योनि में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं उसके धक्कों पर छटपटाने लगी। कभी टाँगें ऊपर उठा देती, तो कभी टांगों से उसे जकड़ लेती, कभी उसे कस कर पकड़ के अपनी और खींचती और अपने चूतड़ उठा देती। सुरेश को भी बहुत मजा आ रहा था वो भी धक्के जोर-जोर से लगाने लगा था।

हम दोनों मस्ती के सागर में डूब गए। फिर सुरेश ने कहा- सारिका तुम्हारी बुर बहुत कसी है, बहुत मजा आ रहा है चोदने में..!

मैंने भी उसे मस्ती में कहा- हाँ.. तुम्हारा लण्ड कितना सख्त है.. बहुत मजा आ रहा है.. बस चोदते रहो ऐसे ही..आह्ह..!

मैं इतनी गर्म हो गई थी कि सुरेश से सम्भोग के दौरान धीमी आवाज में कामुक बातें भी करने लगी थी। मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे मेरे सोचने समझने कि शक्ति खत्म हो गई है। बस उसके लिंग को अपने अन्दर महसूस करना चाह रही थी।

वो मेरी योनि में अपना लिंग बार-बार धकेले जा रहा था और मैं अपनी टांगों से उसे और जोरों से कसती जा रही थी और वो मेरी गर्दन और स्तनों को चूमता हुआ मुझे पागल किए जा रहा था।

उसने मुझसे कहा- तुमने बहुत तड़फाया है मुझे… मैं तुम्हें चोद कर आज अपनी हर कसर निकाल लूँगा… तुम्हारी बुर मेरे लिए है।

मैंने भी उसे कहा- हाँ.. यह तुम्हारे लिए है मेरी बुर.. इसे चोदो जी भर कर और इसका रस निकाल दो..!

हम दोनों बुरी तरह से पसीने में भीग चुके थे। मेरा ब्लाउज गीला हो चुका था और हल्की-हल्की हवा चलने लगी थी। सो, जब मेरे ऊपर से हवा गुजरती थी, मुझे थोड़ा आराम मिल रहा था। मेरी योनि भी इतनी गीली हो चुकी थी कि सुरेश का लिंग ‘फच.. फच’ करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था और पसीने से मेरी जाँघों और योनि के किनारे भीग गए थे।

जब सुरेश अपना लिंग बाहर निकलता तो हवा से ठंडी लगती, पर जब वापस अन्दर धकेलता तो गर्म लगता। ये एहसास मुझे और भी मजेदार लग रहा था।

मैं अब झड़ने को थी, सो बड़बड़ाने लगी- सुरेश चोदो.. मुझे.. प्लीज और जोर से चोदो.. बहुत मजा आ रहा.. है.. मेरा पानी निकाल दो…

वो जोश में जोरों से धक्के देने लगा और कहने लगा- हाँ.. मेरी जान चोद रहा हूँ.. आज तुम्हारी बुर का पानी निचोड़ दूँगा!

मैं मस्ती में अपने बदन को ऐंठने लगी और उसे अपनी ओर खींचने लगी, अपनी कमर को उठाते हुए और योनि को उसके लिंग पर दबाते हुए झड़ गई।

मैं हल्के से सिसकते हुए अपनी पकड़ को ढीली करने लगी, साथ ही मेरा बदन भी ढीला होने लगा पर सुरेश ने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर खींचा और धक्के देता रहा।

उसने मुझे कहा- क्या हुआ सारिका, तुम्हारा पानी निकल गया क्या?

मैं कुछ नहीं बोली, बस यूँ ही खामोश रही जिसका इशारा वो समझ गया और धक्के जोरों से देने लगा।

करीब 5 मिनट वो मुझसे ऐसे ही चोदता रहा फिर मैंने उसके सुपारे को अपनी योनि में और भी गर्म महसूस किया, मैं समझ गई कि वो भी अब झड़ने को है। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं और धक्के इतनी तेज़ जैसे ट्रेन का पहिया…!

फिर अचानक उसने रुक-रुक कर 10-12 धक्के दिए, फिर उसका जिस्म और भी सख्त हो गया और उसने मेरे चूतड़ को जोरों से दबाया और उसकी सांस कुछ देर के लिए रुक गई और मेरी योनि के अन्दर एक गर्म धार सी छूटी। फिर उसने धीरे-धीरे सांस लेना शुरू किया और अपने लिंग को मेरी योनि में हौले-हौले अन्दर-बाहर करने लगा।

मैं समझ गई कि वो भी झड़ चुका है।

सुरेश धीरे-धीरे शान्त हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।

मैंने उससे पूछा- हो गया?

उसने कहा- हाँ.. मैं झड़ गया.. पर कुछ देर मुझे आराम करने दो अपने ऊपर..!

मैंने उससे कहा- लण्ड बाहर निकालो.. मुझे अपनी बुर साफ़ करना है।

उसने कहा- कुछ देर रुको न.. तुम्हारी बुर का गर्म अहसास बहुत अच्छा लगा रहा है, तुम्हारी बुर बहुत गर्म और कोमल है।

मैंने उसे यूँ ही कुछ देर लेटा रहने दिया फिर उसे उठाया और अपनी बुर साफ़ की और कपड़े ठीक करके सो गई।
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