Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:33 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरे धक्कों से श्यामा आगे-पीछे हो रही थी.. जिससे उसका मुँह दुलारी की चूत पर रगड़ खा रहा था, उसने अपनी जीभ भी बाहर निकाल रखी थी, जो कभी – 2 उसकी चूत को चाट लेती…

धक्के लगाते हुए… मेने अपनी बीच वाली उंगली को मुँह में लेकर गीला किया और दुलारी की बड़ी सी गान्ड को सहलाते हुए एक ही झटके में पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी…!

आआईयईईईईईईई….क्या करते हो पंडितजी… कराह कर दुलारी ने अपना हाथ पीछे लाकर मेरी कलाई थम ली… और गान्ड को ज़ोर्से भींचकर अपनी चूत श्यामा के मुँह पर ज़ोर से पटकी…

अब मेरे धक्कों की रफ़्तार बहुत बढ़ चुकी थी, उसी लय में मे अपनी उगली भी दुलारी की गान्ड में चला रहा था…जिसकी वजह से उसकी चूत से पानी रिसने लगा, और वो श्यामा के मुँह को भिगोने लगा…

मेरे धक्कों की मार, श्यामा की चूत ज़्यादा देर नही झेल पाई… और वो अपनी कमर को पूरी ताक़त से उछाल कर झड़ने लगी…

उसकी टाँगें मेरी कमर में कस गयी…जिसकी वजह से मेरे धक्के बंद हो गये…

उसके झड़ने के बाद मेने अपना मूसल उसकी चूत से बाहर खींचा… एक पच की आवाज़ के साथ जैसे ही वो बाहर आया, उसकी चूत का रस जो लंड की वजह से बाहर नही आ पाया था.. फॅलफ्लाकर बाहर को निकलने लगा…

मेने उसके रस से अपने लंड को और चुपडा… और औंधी खड़ी दुलारी की कमर पकड़ कर पीछे किया, गीले लंड को उसकी गान्ड के छेद पर रख कर एक तगड़ा सा धक्का दे मारा….

दुलारी के मुँह से एक भयानक चीख निकल गयी…और मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में समा गया…


अचानक से हुए गान्ड पर हमले से दुलारी बिलबिला गयी,… में उसकी पीठ को सहलाते चूमते हुए थोड़ा रुक गया… और अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा…

जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो फिरसे एक ज़ोर का झटका मारकर पूरा लंड उसकी गान्ड में फिट कर दिया…

दुलारी ने अपने दर्द को पीने के लिए अपनी एक चुचि श्यामा के मुँह में ठूंस दी… और खुद उसकी चुचियों को मसल्ते हुए गान्ड हिलाने लगी…

मेने उसकी गान्ड में धक्के लगाने शुरू कर दिए… उसकी चौड़ी गान्ड पर जब मेरी जांघों के भारी पाट पड़ते तो एक ठप-ठप सी आवाज़ होने लगती…

15-20 मिनिट में मेने दुलारी की गान्ड को खूब अच्छी तरह से कूटा, लेकिन अब मेरा रुकना ज्यदा देर संभव नही था…

मेरे मुँह से हुउंम…हुउन्न्ह… जैसी आवाज़ें निकल रही थी, फिर जैसे ही मेरा पानी छूटने वाला था… तो मेने हुंकार भरते हुए कहा…

हुउन्न्ह… मेरा निकलने वाला है, दुलारी… कहाँ निकालु….वो दोनो फ़ौरन उठकर मेरे सामने बैठ गयी… और फिर दुलारी ने मेरा लंड पकड़ कर श्यामा के मुँह की तरफ कर दिया…

मेरी जोरदार पिचकारी सीधी उसके मुँह में गयी… दो तीन धार उसे पिलाने के बाद वाकी का उसने अपने मुँह में ले लिया… और बचा हुआ सारा रस खुद गटक गयी…

उसके बाद उसने मेरा लंड चूस चाट कर चमका दिया… जो अब कुछ सुस्त पड़ चुका था…

श्यामा के गालों को पकड़ कर दुलारी बोली – क्यों री कैसा लगा पंडितजी का प्रसाद..?

वो चटकारे लेकर बोली – बहुत टेस्टी था जीजी… धन्यवाद.. आपने इनसे मेरी चुदाई करवाकर मुझे बिन मोल खरीद लिया…

उसने उसे किसी बच्ची की तरह अपने अंक से लिपटा लिया….

मे पस्त होकर पलंग पर पसर गया, थकान के कारण मेरी आँखें बंद हो गयी..
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06-02-2019, 01:37 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अभी 15 मिनिट ही हुए होंगे कि मेरे लंड पर फिरसे कुछ गीला – 2 सा एहसास हुआ, मेने आँखें खोल कर देखा तो श्यामा मेरे लंड को चूस रही थी, और बगल में बैठी दुलारी उसे देख कर मुस्करा रही थी…

मेरा हाथ उसके सर पर चला गया… और उसे सहलाने लगा…उसने लंड चूस्ते हुए मेरी तरफ देखा…

मे – अभी और मन है, इसे लेने का…?

वो – हां ! फिर ना जाने कब मौका मिले…..?

अब तक मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो चुका था… सो मेने उसका बाजू पकड़ कर अपने उपर खींच लिया, और वो मेरे उपर आ गयी…

दुलारी ने मेरे लंड को उसके छेद पर सेट कर दिया, और उसे धीरे – 2 उसपर बैठने का इशारा किया…

अब श्यामा मेरे उपर से अपनी चूत में लंड ले रही थी… उसकी छोटी – सी लेकिन गोल-गोल गान्ड और पतली सी कमर उपर-नीचे होते हुए बड़ी प्यारी लग रही थी…

मेने उसके दोनो अनारों को मसल्ते हुए अपने उपर झुका लिया और उसके होठ चूसने लगा…

कुछ देर बाद वो थक गयी … तो मेने उसे अपने नीचे लिया, और जम कर उसकी धुनाई करने लगा, जैसे धुन्ना, रूई को धुनता है…



इस बीच दुलारी बोली – पांडिजी इस बार अपना माल इसकी चूत में ही डालना, जिससे बेचारी की गरम चूत ठंडी हो जाए…

मेरे नीचे दुबली पतली श्यामा धक्कों को बड़ी मुश्किल से झेल पा रही थी.., उसके मुँह से उन्माद में डूबी सिसकियाँ और कराहों से पूरा माहौल चुदाइमय हो गया…

आधे घंटे की चुदाई से श्यामा की चूत पस्त हो गयी, वो अनगिनत बार पानी छोड़ चुकी थी…

आख़िरकार मेने भी अपना वीर्य उसकी नयी चुदि चूत में भरकर उसे तरबतर कर दिया…और ढंग से उसकी चूत की प्यास बुझा दी…

श्यामा मेरे सीने से लग कर सुबकने लगी… मे उसकी गान्ड सहला कर उसे चुप करने लगा…

दुलारी ने कहा – तू चिंता मत कर मेरी बेहन, पंडितजी, मौका लगते ही तेरी चुदाई कर दिया करेंगे…

कुछ देर बाद हम सबने फ्रेश होकर कपड़े पहने, चाय नाश्ता किया…

फिर उन दोनो को गाओं की बस में बिठा कर मेने उन्हें रवाना कर दिया… !

रामदुलारी और श्यामा के जाने के बाद मे दो घंटे के लिए सो गया, दो-तीन घंटे की चुदाई समारोह के बाद काफ़ी थकान महसूस हो रही थी…

दो घंटे की नींद लेने के बाद मेने उस्मान को अपने सीक्रेट नंबर से कॉल किया…

कॉल लगने के बाद मेने उससे मिलने के लिए हां कर दी… तो उसने मुझे आज रात ही 9 बजे रीक्सन होटेल के रूम नंबर 403 में मिलने को कहा…

मेने उसे हां बोलकर कॉल कट करदी… और उससे मिलने के बारे में प्लॅनिंग करने लगा..

मे उस्मान से मिलने के बारे में सोच ही रहा था, कि प्राची अपनी मम्मी और छोटे भाई के साथ आ पहुँची, फ्लॅट देख कर उसकी मम्मी बड़ी खुश हुई..

मेने आज पहली बार उसकी मम्मी को देखा था, काम और ज़िम्मेदारियों के बोझ ने समय से पहले उनके चेहरे को बुझा सा दिया था, अन्यथा उनका फिगर किसी 28-30 साल की औरत जैसा ही था..

एकदम परफेक्ट स्लिम बॉडी, बस कुछ ज़्यादा था तो वो थे उनके दो पके दशहरी आम और तरबूज जैसी गान्ड, जो मेहनत करने की वजह से कुछ ज़्यादा ही पीछे को निकल आई थी…

शक्ल सूरत से वो प्राची की बड़ी बेहन लगती थी.., बस चेहरे की मलिनता को अनदेखा कर दिया जाए तो मुझे मधु आंटी एक परफेक्ट महिला लगी..

साड़ी में कसे हुए उनके हिप्पस देखकर तो मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगा…

मेने अपने दोनो हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया, जिसका उन्होने मुस्काराकर जबाब दिया…

कुछ देर बैठकर वो अपना ज़रूरी समान लेने के लिए चली गयी, उन्होने मेरे फ्लॅट में रहने का निर्णय ले लिया था…

दूसरी चाबी प्राची के पास ही थी सो मेरा घर पे रहना ना रहना कोई मायने नही रखता था

उनके जाते ही मेने कुछ काम निपटाए और शाम होते ही अपना हुलिया चेंज किया और समय पर उस्मान से मिलने चल दिया………..!

रीक्सन होटेल, शहर का सबसे आलीशान होटेल है, रात के ठीक 9 बजे मेने जोसेफ के गेटप में रूम नंबर. 403 की डोर बेल दबाई…

तकरीबन 5 मिनिट के इंतेज़ार के बाद भी जब कोई रेस्पॉन्स नही मिला, तो मेने डोर पर अपने हाथ का दबाब बनाया जो शायद अनलॉक था.., दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…,

मे धड़कते दिल से अंदर गया, दरअसल मुझे अभी भी अपने पहचाने जाने का अंदेशा ही था…

अंदर लाउन्ज में टीवी चालू था, जिसपर कोई हॉलीवुड मूवी चालू थी, लेकिन कोई दिखा नही, मे थोड़ी देर इधर-उधर घूमकर उसकी भव्यता देखने लगा…

तभी अंदर के बेडरूम से मर्द और औरत के आहें और सिसकने की आवाज़ें सुनाई दी.., उत्सुकता बस मे उस रूम की तरफ बढ़ गया…
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06-02-2019, 01:38 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
डोर उसका भी खुला ही था, हल्का सा दबाब देते ही सामने के बड़े से बेड पर नज़ारा देखते ही मेरा लंड पॅंट के अंदर अंगड़ाई लेने लगा…!

उस्मान एकदम नंगा बेड पर लेटा हुआ था, और एक भरपूर जवान गोरी-चिट्टी फिट बॉडी औरत उसके 6” लंबे औसत लंड के उपर उच्छल रही थी…!

दरवाजे की हल्की सी आहट पाकर उसने मुड़कर दरवाजे की तरफ देखा, उसे देखते ही मेरी आँखें चौड़ी हो गयी, ये कोई और नही कामिनी ही थी, जो अपनी 36” की गान्ड लेकर उसके लंड पर कूदकर आहें भर रही थी…

नीचे से उस्मान उसके आमों को अपने हाथों में लेकर मसल रहा था…,

मेरे उपर नज़र पड़ने के बाद भी उनकी चुदाई में कोई अंतर नही आया,

मुस्कराते हुए उसने मुझे उंगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया…, कुछ देर मे उसी अवस्था में अवाक सा उन्हें देखता रहा…

तभी उस्मान बोला – आ जाओ बर्खुरदार, हमारी जानेमन तुम्हें बुला रही है…

मे अपनी उसी अवाक स्थिति में धीरे-2 चलते हुए उनके पास जाकर खड़ा हो गया…, उसने लंड पर उछलना जारी रखते हुए मुझे अपना पॅंट उतारने का इशारा किया..

मेने झिझकते हुए अपना पॅंट नीचे किया और उसके बगल में घुटनों के बल बैठ गया…

कामिनी ने मेरे आधे खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया, और सिसकते हुए बोली – आअहह…जोसेफ क्या मस्त हथियार है तुम्हारा, ये कहकर उसने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी…

दो मिनिट में ही वो साला अपनी औकात में आ गया, और किसी शख्त रोड की तरह दिखने लगा…,

कामिनी ने अपने मुँह से मेरे लंड को बाहर निकाला और उस्मान के लंड पर उछल्ते हुए सिसक कर बोली – सस्सिईइ…आअहह… अब अपने इस मस्त हथियार को मेरी गान्ड में डालो राजा….!

उसकी ये बात सुनकर मुझे एक तेज झटका लगा, मेने मन ही मन कहा, ये साली तो पूरी रंडी निकली, एक लंड चूत में लिया हुआ है, साथ में मेरा 8” लंबा और 3” मोटाई वाला लंड अपनी गान्ड में लेना चाहती है…,

तभी उस्मान ने नीचे से अपनी कमर उचकाते हुए कहा – डालो जोसेफ, तभी मुझे भी मज़ा आएगा, जब तुम्हारे लंड का दबाब इसकी चूत पर बढ़ेगा…,

अभी तो पता ही नही चल रहा, कहाँ जा रहा है साला…,

मेरे लिए ये पहला मौका था, जब मे किसी दूसरे आदमी के होते हुए उसके साथ किसी औरत को चोदने जा रहा था…

सो थोड़ी झिझक के बाद मेने अपने थूक से उसकी गान्ड को गीला किया, उस्मान ने अब धक्के लगाना बंद कर दिया था…
कामिनी ने अपने दोनो हाथ पीछे जे जाकर अपनी गान्ड के छेद को खोला, और सिसकते हुए बोली –

सस्सिईइ….आआहह….मेरे राजा…अब धीरे-धीरे करके डालो,

तुम्हारा लंड तो एकदम मेरे देवर जैसा है, खूब बड़ा और मोटा भी…!

मेने अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद पर रखा, और धीरे से एक झटका देकर एक तिहाई लंड उसकी गान्ड में डाल दिया…!



वो अपनी आँखें बंद करके कराही, आअहह…एस…ऐसे ही और डालो…आअहह… सस्सिईइ…मज़ा आ गया…, अब पेल दो पूरा…आआईय…उउउफफफ्फ़….बहुत बड़ा है…

अब उसके दोनो छेद लंड से भरे हुए थे, कुछ देर रुक कर मेने उपर से धक्के देने शुरू किए,

नीचे से उस्मान भाई के लंड के धक्के, बीच में कामिनी सॅंडबीच बनी मस्ती से कराह रही थी…

अंदर जाते समय मुझे ऐसा लगता मानो मेरा लंड उस्मान के लंड में घिस्सा लगा रहा हो…

इस खेल में मुझे डबल मज़ा आरहा था, उधर गान्ड में लंड के दबाब से उसकी चूत टाइट हो गयी, और उस्मान को भी बहुत मज़ा आने लगा,

वो कुछ ही देर में हुउन्ण..हहुऊन्ण…करके झड गया.., तो कामिनी ने मुझे रुकने का इशारा किया, वो पलट कर पीठ के बल लेट गयी और मुझे अपनी चूत चोदने का इशारा किया..

मेने उसकी केले के तने जैसी चिकनी और मोटी-मोटी जांघों को अपनी छाती से सटाया, और उसकी उठी हुई उस्मान के वीर्य से लबालब चूत में अपना मूसल एक झटके से अंदर कर दिया…

फूकक्च्छ…की आवाज़ के साथ ही चूत में भरा हुआ मेटीरियल बाहर छिटक गया, कामिनी आअहह….भरते हुए कराह कर बोली…

सस्सिईइ…आअहह…मज़ा आ गया… चोदो राजा.., फाडो मेरी चूत…हाईए…क्या मस्त लंड है तुम्हारा…, कहाँ थे अबतक….आआययईीी….म्माआ…मईए… तो गायईीई….उउफफफ्फ़….ये कहते हुए वो बुरी तरह अपनी गान्ड हवा में उछाल कर झड़ने लगी…!

मेने भी अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी, और उसके झड़ने के बाद भी उसे सतसट चोदता रहा.., कुछ देर में वो एक बार फिर गरम हो गयी, और चुदाई में साथ देने लगी…

कामिनी बहुत ही चुदैल औरत थी, कुछ देर तक दो-दो लंड अपने दोनो छेदो में लेकर चुद रही थी, और अब एक बार झड़ने के बाद भी मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी कमर उच्छल-उच्छल कर जड़ तक लेने की कोशिश करके चुदाई का लुत्फ़ उठा रही थी…

उसका बस चलता तो वो मेरे अंडों को भी अपनी चूत में ले लेती…

आख़िरकार उसकी गरम चूत के आगे मेरे नाग की भी अकड़ ढीली हो गयी, और उसने भी अपना जहर उसकी बॅंबी में उगल ही दिया…,

लेकिन मेरी तेज बौछार से उसकी चूत एक बार फिर से रोने पर मजबूर हो गयी.., मेरी कमर में अपने पैरों की केँची डालकर उसने मुझे अपने शरीर से चिपका लिया…!

फ्रेश होने के बाद अपने अपने कपड़े पहनकर कुछ देर बाद हम तीनों लाउन्ज में आकर सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे…!
सोफे पे बैठते ही कामिनी ने बड़ी कामुक अदा से मुस्कराते हुए मेरी तरफ देखा और बोली – थॅंक यू जोसेफ फॉर कमिंग हियर ऑन टाइम……

मेने नज़र कामिनी पर गढ़ाते हुए अपनी अभिनय कला का भरपूर इस्तेमाल करके चौन्कने की जबरदस्त आक्टिंग की और कहा…

आप कैसे जानती हैं, कि मेरा नाम जोसेफ है, जबकि मेने आपको पहले कभी नही देखा…?

उसने मेरी बात का कोई जबाब नही दिया, बस मुस्करा कर रह गयी…
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06-02-2019, 01:38 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उस्मान ने उसकी कमर में हाथ डालते हुए मुझे सामने पड़ी सोफा चेयर पर बैठने का इशारा किया…

मे आज कामिनी का ये रूप देख कर दंग रह गया था, साली कितनी बड़ी छिनाल औरत है ये, अपने बाप की उमर के आदमी से चुदवाती है…, वो भी दो-दो लंड एक साथ लेकर,

क्या पता और ना जाने कितने लंड लेती होगी साली कुतिया…, क्या पता उसके बाप को भी ये सब पता हो, या हो सकता है वो भी अपनी रंडी बेटी को ठोकता हो…!

ऐसी छिनाल कुतिया मेरे घर की बहू हरगिज़ नही हो सकती, अच्छा हुआ भैया इससे छुटकारा पा रहे हैं…!

शायद यही कारण होगा, जो ये इस ऑर्गनाइज़ेशन की चीफ है…उस्मान जैसे गुंडे को अपनी चूत के जाल में फँसा रखा है इस रंडी ने…

मे अपनी इन्ही सोचों में डूबा हुआ था, कि तभी उस्मान की आवाज़ सुन कर मेरी तंद्रा भंग हुई…

हां ! तो जोसेफ मियाँ ! और सूनाओ, अभी कहाँ से आ रहे हो भाई…?

मेने अपने विचारों को विराम देते हुए कहा – सीधा एर पोर्ट से ही चला आ रहा हूँ चाचा जान… अब आपसे वादा जो किया था.. तो आना पड़ा…

वरना आप तो जानते ही हैं, असलम के जाने के बाद मेरा इस शहर से दिल ही उखड़ गया है….!

वो – हां तुम सही कह रहे हो… लेकिन बेटे, जाने वाले तो चले गये, अब ये जिंदगी थम तो नही सकती…, अपने जवान बेटे के गम में कुछ दिन तो मेरा भी कुछ करने का कोई मूड नही था…

लेकिन ऑर्गनाइज़ेशन को चलाना भी तो ज़रूरी है, वरना इंटरनॅशनल लेवेल पर इतने सारे दुश्मन पैदा हो जाएँगे, वो वैसे ही जीने नही देंगे हमें…

फिर उसने कामिनी की तरफ इशारा करते हुए कहा – इन्हें तो तुम जानते नही होगे… हाहाहा…कैसे जानोगे..? पहली बार जब मिले थे, तब ये नकाब में थी…

दरअसल ये हमारे ग्रूप की चीफ हैं, कामिनी… अपने पार्ट्नर एमएलए साब की बेटी…

मे – ओह… तभी मे कहूँ, कि ये मेरा नाम कैसे जानती हैं, जबकि मे तो इनसे पहले कभी नही मिला…
फिर मेने भी बड़ी गरम जोशी दिखाते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा – नाइस टू मीट यू में… सॉरी ! मे आपको पहचान ना सका…

वो खिल खिलाकर हँसने लगी, और मेरा हाथ अपने दोनो हाथों के बीच थामकर बोली – इट्स ओके, जब तुम्हें पता ही नही था, तो सॉरी का तो कोई सवाल ही पैदा नही होता…, वैसे तुम्हारे साथ सेक्स करने में मज़ा बहुत आया मुझे…!

काफ़ी दमदार हथियार है तुम्हारा, वो मेरे लंड की तरफ इशारा करके बोली - इसे देखकर मुझे अपने देवर की याद आ गयी, वो भी साला भडुआ ऐसी ही मस्त चुदाई करता है…,

मेरी गान्ड का ढक्कन पहली बार उसी मदर्चोद ने खोला था, दो दिन तक बिस्तर से हिल नही पाई थी मे…

खैर छोड़ो उन बातों को.., वो अतीत से बाहर आकर मेरा हाथ अपने हाथ मे लेकर देर तक उसे सहलाती रही, जैसे जानना चाहती हो, कि ये हाथ उसने पहले भी स्पर्श किया है…

ये बात मेरे दिमाग़ में क्लिक होते ही मेने अपना हाथ खींच लिया…,

वो अभी भी मेरी आँखों में ही झाँक रही थी, जो उसने पहले कभी नही देखी थी, सिवाय उस एक मुलाकात के.

तभी उस्मान ने बातों का सिलसिला शुरू करते हुए कहा – जोसेफ ! मेने तुम्हें एक ख़ास काम के लिए यहाँ बुलाया है…

जैसा कि तुमने सुना ही होगा, कि असलम के साथ साथ, हमारे और भी नौजवान मारे जा चुके हैं जिनमें एक कामिनी का चचेरा भाई सन्नी भी था....

और अब हमारे पास फील्ड वर्क के लिए कोई भरोसे का आदमी नही है, तो हम चाहते हैं, कि ये ज़िम्मेदारी तुम सम्भालो, क्योंकि तुम्हारी समझ बुझ और दिलेरी के हम कायल हैं…

मेने असमर्थता दिखाते हुए कहा – मे कैसे चाचा जान, मेरा इस तरह के धंधे का कोई एक्सपीरियेन्स नही है, मे तो बस 420 का मास्टर हूँ… अब इस काम के लिए मे आपकी किस तरह से मदद कर सकता हूँ..?

वो – यही तो तुम्हारी ख़ासियत हमें पसंद है, देखा जाए तो इस काम में भी 420 आदमी की ही ज़रूरत है जो जोश के साथ साथ अपने होश भी कायम रख सके…

असलम और उसके दोस्तों में इसी चीज़ की कमी थी, जिसका हम सभी को ख़ामियाजा भुगतना पड़ा..

अपनी बातों के जाल में फँसाना और अपना काम निकलवाना ये कला तुम्हारे अंदर अच्छी तरह से है, उपर से तुम दिलेर भी हो…

मेने अपनी विरोधात्मक बात जारी रखते हुए कहा – लेकिन में पर्मनेंट्ली एक जगह रुक नही सकता.., तो इस धंधे में या यहाँ भी रुक नही पाउन्गा..,

क्योंकि मेरे पैरों में बहुत बड़ा चक्कर है जो मुझे एक जगह टिकने ही नही देता…

मेरी इस बात पर उस्मान मुस्करा उठा और बोला – कोई बात नही, कुछ दिनो के लिए ही सही…, फिर उसने कामिनी की तरफ देखा और बोला- अब तुमसे क्या छिपाना…

दरअसल एक हफ्ते के बाद हमारी एक बहुत बड़ी डील विदेशी क्लाइंट के साथ होने वाली है… हम चाहते हैं, इस डील की सारी देख रेख तुम करो…

उसके बाद भी अगर हमारे साथ काम करना चाहो तो हमें बड़ी खुशी होगी…

मेने अहसान सा जताते हुए कहा – ठीक है चाचा जान ! अब अगर आप मुझ पर इतना भरोसा करते हैं, तो मे आपकी इस डील होने तक ज़िम्मेदारी संभालने को तैयार हूँ, उसके बाद मे ये शहर छोड़ कर चला जाउन्गा… लेकिन इस काम के लिए मुझे 10 लाख रुपये चाहिए…

वो एकदम चोन्क्ते हुए बोला – 10 लाख…. ? ये बहुत ज़्यादा नही हैं…?

मेने अपने कंधे उचकाते हुए कहा – कोई बात नही, मेरी कोई ज़बरदस्ती नही है… मे जैसे यहाँ आया था, वैसे ही चुप चाप निकल जाउन्गा किसी को इस मुलाकात की कानो-कान भनक भी नही होगी…

वो एकदम से बोल पड़ा – हमें मंजूर है…! उस्मान की बात सुनकर कामिनी सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखने लगी…

उस्मान ने आँखों के इशारे से उसे मेरी माँग मान लेने को कहा… तभी मे बोल पड़ा…

5 लाख मुझे अभी चाहिए… और वाकी के 5 जिस दिन आपका काम पूरा हो जाएगा उस दिन, और फिर मे यहाँ से चला जाउन्गा…..

उस्मान चोंक कर मेरी तरफ देखते हुए बोला – क्या तुम्हें हमारे उपर भरोसा नही है..?

मेने कहा – इसमें भरोसे की कोई बात नही है चाचा, ये मेरे काम करने का उसूल है…

वो – ठीक है ! फिर उसने इंटरकम पर किसी को अंदर आने को कहा… और अपने सूटकेस से निकाल कर मुझे 5 लाख रुपये निकाल कर पकड़ा दिए…
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06-02-2019, 01:38 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
इतने में डोरबेल बजी, कामिनी ने एक बार फिर उठकर गेट खोला… इस बार जो शख्स कमरे में दाखिल हुआ वो एक काला सा लंबा तगड़ा.. पहलवान सरीखा आदमी था..

उस्मान – जग्गा ! ये जोसेफ है, आज से उस मिशन का सारा काम इनकी देख रेख में ही होगा… ये जैसा कहे वैसा ही करना है तुम्हें…

इनको अपने साथ ले जाओ, और सारी बातें डीटेल में समझा दो, उसके बाद इनके हिसाब से काम करवाना है तुम्हें… समझ गये…

जग्गा गर्दन हिलाकर वापस लौटने लगा… तभी उस्मान मुझसे से बोला – जाओ जोसेफ, जग्गा.. तुम्हें सब कुछ समझा देगा…

याद रखना… इस काम में कोई ढील नही होनी चाहिए… ये डील जितनी शांति और गोपनीया तरीके से निपट जाए, उतनी ही तुम्हारी काबिलियत साबित होगी…

मे – अब आप निश्चिंत हो जाइए चाचा जान… किसी को कानों कान भनक भी नही होगी… और ये डील हो चुकी होगी…इतना कह कर मे भी जग्गा के पीछे – 2 चल दिया…

कामिनी गेट बंद करने हमारे साथ गेट तक आई…, मेरे हाथ में एक कार्ड थमा कर बोली – कल इस पते पर आ जाना…

मे उसकी तरफ देखने लगा, तो उसने एक सेक्सी मुस्कान अपने चेहरे पर बिखेर दी…

मेने उसके हाथ से कार्ड लिया, और चुप चाप कमरे से बाहर निकल गया……..!



प्लान के मुतविक, विदेशियों को देशी ड्रग्स और हथियार हमें सप्लाइ करने थे, जिसके एवज में कुछ विदेशी ड्रग्स और पैसा वो देने वाले थे…

ये डील उसी होटेल के बेसमेंट में होनी थी, जहाँ मे पहली बार गया था…

जग्गा के साथ मिलकर मेने उस जगह को अच्छी तरह से रेकी किया, तब मुझे पता लगा कि पोलीस की रेड के बाद अब सारा माल असबाब कहाँ छुपा रखा था…

दरअसल रेड के दौरान जो माल पकड़ा गया था, वो तो कुछ भी नही था, सारा माल तो दूसरी जगह पर सुरक्षित ही था, जिसकी शायद खबर असलम और उसके दोस्तों को भी नही थी…

जग्गा मुझे उसी बेसमेंट वाले हॉल से एक गुप्त अंडरग्राउंड के रास्ते से ले गया…

वहाँ से कोई आधा – पोना किमी की दूरी पर ही एक अंडर ग्राउंड बहुत बड़ा सा गोडाउन जैसा था, जिसमें ये सारा दो नंबर के धंधे वाला समान भरा पड़ा था,

यहाँ बस कुछ ही लोग थे जो सिर्फ़ इन चीज़ो को अरेंज करते थे… यहीं से सारा माल उन लोगों को सप्लाइ होना था…

वहाँ की सारी व्यवस्था चेक करने के बाद जग्गा उसी रास्ते से आगे ले गया…

ये काफ़ी लंबा और सकरा सा रास्ता था, जिसमें से एक साथ में एक ही आदमी कुछ समान के साथ ही आ-जा सकता था…

चलते – 2 हमे कोई 10 मिनिट निकल गये… तब जाकर उपर को जाने के लिए सीडीयाँ नज़र आई…

गोडाउन के बाद से इधर के रास्ते में ज़्यादा रोशनी भी नही थी, बस कहीं – 2 छोटे -2 बल्ब टिम टीमा रहे थे, जिससे रास्ता देखने में परेशानी ना हो…

उन सीडीयों को चढ़ कर हम उपर पहुँचे… जहाँ एक छोटा सा प्लेटफॉर्म था, जिसपर एक साथ 4 आदमी से ज़्यादा खड़े नही हो सकते थे…

सामने की दीवार पर जग्गा ने एक बटन जैसा दवाया…. हल्की सी गड़गड़ाहट के साथ ही सामने की दीवार एक तरफ को सरकती चली गयी… और अब उसमें 4 फीट चौड़ा दरवाजा सा बन गया…

उस दवाजे को पार करके हम जैसे ही बाहर निकले… मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी….

ये उसी फॅक्टरी का सबसे पीछे वाला हिस्सा था, जो वहाँ काम करनेवाले

मजदूरों का चेंजिंग रूम के तौर पर इस्तेमाल होता था…

उस रूम में आते ही दरवाजे के साइड में ही एक पुरानी सी लकड़ी की अलमारी जैसी थी, जिसमें एक पुराना सा ताला लगा हुआ था…

जग्गा ने जेब से चाबी निकाल कर वो ताला खोला… और उस अलमारी में हाथ डाल कर कुछ बटन जैसा दबाया…और वो दरवाजा फिरसे बंद हो गया…

अब पहली नज़र में कोई भी नही कह सकता था, कि यहाँ कोई दरवाजा भी हो सकता है…
मेने जग्गा से पुछा… मेरी नालेज के मुतविक, ये फॅक्टरी तो पोलीस ने सीज़ कर दी थी, फिर यहाँ अभी भी कैसे ये सब चलता है ?

जग्गा – अरे भाई… पब्लिक और प्रशाशन की नज़र में तो फॅक्टरी अभी भी सीज़ ही है, और अब हमारा भी यहाँ कोई माल नही रखा जाता,

अब तो बस इसे हम समान गोडाउन तक पहुँचने तक के रास्ते के तौर पर ही इस्तेमाल करते हैं, जो इसके मेन गेट की वजाय, पीछे वाले गेट से होता है…

वहाँ का सब जयजा लेकर हम फिर वापस उसी रास्ते से होटेल के बेसमेंट में लौट आए…

बेसमेंट से एक और सीक्रेट रास्ता था, जो सीधा होटेल की पार्किंग में निकलता था, ये वही रास्ता था, जिससे कामिनी उस दिन एंटर हुई थी…

सारे रास्तों का डीटेल और फोटो वगरह लेने के बाद मेने जग्गा को बुलाया… और उसे कुछ दिशा निर्देश देने के बाद, मे अपने घर लौट आया…

अब मे अपने घर से कुछ दूर पहले ही अपने सीक्रेट नंबर को इनॅक्टिव कर देता था, जिससे कोई मेरी लोकेशन ट्रेस ना कर सके…


घर लौटते – 2 मुझे काफ़ी रात हो चुकी थी, फिर भी मेने उसी समय कृष्णा भैया को फोन लगाया…!

रात के 11:30 को मेरा कॉल देख वो समझ गये कि कुछ तो अर्जेंट है, सो बिना समय गँवाए उन्होने मेरा फोन पिक कर लिया…

मेने उनसे इसी समय मिलने को कहा… उन्होने मुझे अपने घर पर ही बुला लिया…

मुझे अपने असली रूप में आने के बाद उनके घर जाने में कोई प्राब्लम नही थी, सो फटाफट गाड़ी ली और 10 मिनिट के बाद मे उनके बंगले पर था…

मेने उन्हें सारी डीटेल्स बता दी, और डील वाले दिन कैसे, कब, क्या करना है वो सब डिसकस करने के बाद मेने थोड़ा मूड फ्रेश करने की गर्ज से भैया को छेड़ते हुए कहा…

मे – भैया ! वैसे आजकल आप काफ़ी खुश रहने लगे हो… क्या कोई खास वजह..?

वो कुछ देर मेरे चेहरे की तरफ देखते रहे, फिर अचानक से उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, और बोले –

खुश रहने की तो बहुत बड़ी वजह है भाई… क्या तुझे नही पता…?

मे – मुझे कैसे पता होगा, आपने कभी कुछ बताया ही नही ना !

वो – देख सबसे बड़ी वजह ये है, कि अब मे उस चुड़ैल से हमेशा के लिए छुटकारा पा रहा हूँ…! ये वजह ही काफ़ी है खुश होने के लिए…

मे – फिर भैया… उसके बाद का भी कुछ सोचा होगा ना आपने… कोई और लड़की है जो मेरी भाभी बन सके…

वो – नही अभी तो नही है, वो बाद में देखा जाएगा… पहले एक बार उसका मामला सुलट जाए फिर देखेंगे… जल्दी क्या है यार…!

उनकी बात सुन कर मेरे चहरे पर मुस्कान तैर गयी… जिसे देख कर वो बोले..

अब तू क्यों मुस्करा रहा है..? कोई बचकानी बात करदी क्या मेने…?? या यहाँ भी अपना वकीलों वाला दिमाग़ चलाने की फिराक में है…!

मेने कहा - मे ये सोच कर मुस्करा रहा हूँ… कि आप नानी के आगे ही ननिहाल की बातें कर रहे हो…!

वो – क्या मतलब….? कहना क्या चाहता है तू…?

मे – छोड़िए ये बातें, और ये बताइए…प्राची को तो जानते होंगे ना आप..?

प्राची का नाम सुनते ही उन्होने झटके से मेरी तरफ देखा, मेरी मुस्कान और गहरी हो गयी… जिसे देख कर उनकी धड़कनें और बढ़ गयी…

अपनी धड़कानों को संयत करते हुए बोले – वहीं प्राची ना जो रेखा की छोटी बेहन है… !

मे – हां ! मे उसी प्राची की बात कर रहा हूँ.., और आपको तो पता ही है, कि उसने अपनी बेहन के क़ातिलों को अजाम तक पहुँचाने में कितनी एहम भूमिका निभाई थी… मेरे साथ..

वो – हां ! हां ! मुझे सब पता है, लेकिन अब उससे तेरा क्या मतलब है.. ?

मे – वैसे वो कैसी लगती है आपको…?

वो – अच्छी है, सुन्दर है… लेकिन तू ये सब क्यों पुछ रहा है, वैसे वो आई थी, मुझे थॅंक्स बोलने…!

मे – उसे मेने ही भेजा था, आपके पास… थॅंक्स कहने को…! तो बस उसने थॅंक्स ही कहा आपको, और कुछ नही…?

वो – और क्या कहेगी… ? क्या कुछ और कहने वाली थी…?

मे – नही वो नही…! आप उससे कहने वाले थे… है ना ! और कह भी चुके हैं…!

वो झटके से बोले – क्या…? क्या कह चुका हूँ… ?

मे – यही कि वो आपको अच्छी लगती है, आप उससे शादी करना चाहते हैं… मेरी भाभी बनाना चाहते हैं… हहहे…. ब.बोलीईए…सही कह रहा हूँ ना मे..?
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06-02-2019, 01:38 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
भैया बुरी तरह शर्मा गये.. और नज़रें झुका कर बोले – हां ये सच है.. लेकिन तुझे ये सब कैसे पता है..? क्या उसने सब कुछ बता दिया तुझे…?

मे – नही..उसने तो कुछ नही बताया…, लेकिन उसे खुश देख कर मे सब समझ गया.. और उससे पुच्छ लिया…, अब वो भला मुझे कैसे टाल सकती थी…

लेकिन उसे झटका तब लगा, जब मेने उसे भाभी कहा…हहहे…फिर मेने उसे बताया कि आप मेरे बड़े भैया हैं…

इतना कह कर मे भैया के गले लग गया… वो भी भावुक हो गये थे, और उनकी आँखों से दो बूँद पानी की टपक कर मेरे कंधे पर पड़ी…

मेने उन्हें शान्त्वना देते हुए कहा – अब आपकी खुशी आपसे ज़्यादा दूर नही है……, फिर उनके गले से लगे हुए ही कहा –

वैसे अब वो अपनी माँ और छोटे भाई के साथ मेरे फ्लॅट में ही शिफ्ट हो गयी है.., कभी काम पड़े तो आ जाना..,

कुछ देर वो विश्मय से मुझे देखते रहे, फिर शरमा कर गर्दन झुका कर बोले – तू और क्या-क्या करेगा मेरे लिए…?

मे बस अपने भैया को खुश देखना चाहता हूँ, ये कहकर मेने उन्हें एक बार फिर कॉनग्रेट किया और अपने घर चला आया…..!!!

रात को लेट सोने की वजह से दूसरी सुबह मेरी आँख देर से खुली… फ्रेश व्रेश होकर अपनी नियमित एक्सर्साइज़ की, नाश्ता किया, और फिर घर फोन करके बता दिया कि मे इस हफ्ते घर नही आ पाउन्गा…

अभी मे अपने ऑफीस के लिए निकालने ही वाला था कि मेरा सेल फोन बजने लगा…

स्क्रीन पर नंबर देखते ही मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी… और मेने फोन पिक किया…

मे – हेलो भाभी जी… कैसी हैं आप…?

वो – क्या..? मुझे तुम भाभी क्यों बोल रहे हो…?

मे – अरे देविजी ! अब हमारे यहाँ भाभी की फ्रेंड को भाभी ही कहते हैं ना..! या कुछ और नाम दिया गया है आपके मॉडर्न सोसाइटी में…?

कोई बात नही ! अगर आपको पसंद नही है, तो आप ही बता दो, मे आपको क्या कहूँ ?

वो – चलो ठीक है ! जो तुम्हारी मर्ज़ी हो बोलो…. ! वैसे काफ़ी समय से कोई खैर खबर नही, तो सोचा देखूं तो सही अपना हीरो कहाँ है आजकल…?

मे – अरे श्वेता जी, आप भी क्या बात करती हो..? अब मे कोई अडानी या अंबानी तो हूँ नही जो पता ना चले कि कहाँ हैं… अपना तो यही एक ठिकाना है, कोर्ट के चक्कर लगाते रहते हैं…!

श्वेता – अभी अगर फ्री हो तो मेरे ऑफीस आ सकते हो..? थोड़ा अर्जेंट काम था…!

मे – चलो ठीक है, मे एक घंटे में आपके ऑफीस पहुँचता हूँ… बाइ..!

एक घंटे के बाद मे श्वेता के आलीशान ऑफीस के शानदार कॅबिन में उसके सामने बैठा था…

वो एक टॉप और जीन्स में कमाल लग रही थी, टाइट टॉप में उसकी चुचिया, बाहर को झाँक रही थी,

उपर से वो मंद मंद मुस्कुराती हुई… टेबल पर अपने दोनों हाथ टिकाए झुकी हुई थी, जिससे उसके 36” साइज़ के टाइट मम्मे मुझे और ज़्यादा ललचा रहे थे…

बाबजूद इसके मेने उसके मम्मों पर नज़र गढ़ाए हुए, काम की बात पर आते हुए कहा – हां जी श्वेता जी कहिए… कैसे याद किया इस ग़रीब को…?

वो मेरी नज़रों को अच्छे से भाँप रही थी..मेरे मज़े लेते हुए खिल-खिलाकर हस्ते हुए बोली – हहेहहे…. तुम कब से ग़रीब हो गये, हॅंडसम ?

फिर थोड़ा सीरीयस होते हुए बोली – खैर छोड़ो ये मज़ाक मस्ती… दरअसल मेने तुम्हें इसलिए बुलाया है, कि हमारी फर्म को एक लीगल आड्वाइज़र की ज़रूरत है,

पहले जो गुप्ता जी थे वो अब रिटाइर हो रहे हैं…तो मेने सोचा तुम तो अपने ही आदमी हो, क्यों ना ये ज़िम्मेदारी तुम्हें ही सौंप दी जाए…

वैसे भी तुम भगवान दास गुप्ता जी का काम तो संभालते ही हो, तो हमारा भी संभाल ही लोगे… , जो उनसे लेते हो हमसे भी ले लेना…!

मे – पैसो की कोई बात नही है, थोड़ा समय का अभाव है, फिर भी मे आपके ऑफर पर विचार ज़रूर करूँगा… जैसा होगा मे आपको जबाब देता हूँ…!

वो अपनी जगह से उठ खड़ी हुई, मेरे पीछे आकर उसने अपने मम्मे मेरे सर पर टिका दिए और अपनी बाहें गले में डालकर बोली…

उस दिन तुम्हारे साथ सेक्स करके, मुझे इतना अच्छा लगा, कि अभी तक उस मोमेंट को भूल नही पाई हूँ… क्या फिरसे वो मोमेंट मिल सकता है…?

मेने हँसते हुए उसकी एक बाजू को पकड़ा, रिवॉल्विंग चेयर को घूमाकर उसे झटके से अपनी गोद में बिठाया, और उसके लिपीसटिक से पुते होठों को चूमकर बोला….

तो असल मुद्दा ये है, वैसे मेरे साथ सेक्स में मज़ा आया तुम्हें…?

वो – बहुत से भी ज़्यादा… ! जब भी वो लम्हे याद आते हैं, शरीर में एक अनूठी सी मस्ती भरने लगती है… कहकर उसने मेरे होठों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी…

पहली बार जब मेने श्वेता को चोदा था, तो उसकी वीडियो क्लिप बना ली थी, और उसे उसके भाई को दिखाकर पोलीस का मुखबिर बनाया था,

जिसकी इन्फर्मेशन के आधार पर ही असलम और उसके साथियों को सदर रोड पर घेरा था…
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06-02-2019, 01:40 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने श्वेता के टॉप के उपर से उसकी चुचियों को मसल दिया… वो बुरी तरह से सिसियाकर अपनी गान्ड मेरे लंड पर रगड़ने लगी…

मे – जानेमन ! यहीं चुदने का इरादा है क्या…?

उसने तपाक से कहा – हां ! अब और सबर नही कर सकती, ये कह कर वो मेरी गोद से उठ गयी, और मेरा हाथ थाम कर सोफे पर लेजाकर धक्का दे दिया…

मे धप्प से सोफे पर गिरा, वो अपने कॅबिन का दरवाजा लॉक करने चली गयी…

जब तक वो लौट कर आई, मेने अपनी जीन्स निकाल दी थी, मेरे सामने खड़े होकर उसने भी पहले अपना टॉप निकाल दिया, और उसके बाद बड़े नज़ो अदा से अपनी जीन्स खोलने लगी…

जीन्स को निकालते हुए वो घूम गयी, अब उसकी चौड़ी चकली गान्ड मेरी तरफ थी, वो धीरे – 2 अपनी जीन्स को नीचे खिसका रही थी,

जैसे ही उसकी जीन्स उसकी गान्ड की गोलाईयों तक पहुँची… उसकी पेंटी जिसकी पीछे से बस एक डोरी जैसी, जो उसकी गान्ड की दरार में कही गुम हो गयी थी,

ऐसा लगता था, जैसे उसने पैंटी पहनी ही ना हो…

उसकी गान्ड की गोलाईयों को देखते ही मेरा लंड उच्छल कूद करने लगा, वो मेरी छोटी सी फ्रेंची को फाड़ने पर उतारू होने लगा था…

मेने उसे हाथ से दबा कर नीचे को किया, और पूचकार कर बोला – सबर कर बेटा, ये भी मिलेगी तुझे…

एक हाथ से उसकी चिकनी, चौड़ी चकली मुलायम गान्ड को मसलते जा रहा था…

श्वेता अपनी जीन्स निकाल कर मेरी तरफ घूम गयी, और मुस्कराते हुए बोली – किससे बात कर रहे थे…?

मेने उसके चिकने पेट को सहलाते हुए कहा – अपने पप्पू को समझा रहा था, तुम्हारी गान्ड देख कर उच्छल रहा था…

श्वेता ब्रा और एक मिनी पैंटी, जो उसकी चूत के मोटी – 2 फांकों को भी ढक पाने में असमर्थ दिख रही थी, पहने मेरे आगे बड़ी अदा से बैठ गयी और मेरे लंड को सहला कर बोली …

लाओ मुझे देखने दो ये क्या कहता है…और उसने उसे बाहर निकाल कर सहलाते हुए बोली – क्यों रे बदमाश ! मेरी गान्ड तुझे ज़्यादा पसंद है…?

श्वेता की बात सुनते ही उसने एक और झटका खाया… उसकी हरकत देख कर श्वेता खिल-खिलाकर हसते हुए बोली – ये तो वाकई में बहुत शरारती है…और उसने उसे ज़ोर से मसल दिया….

आहह……….राणिि….आराम से… मेने कराह कर कहा… तो उसने बड़े प्यार से उसे चूमा और फिर अपनी जीभ निकाल कर सुपाडे को चाट लिया…

उसके बाद अपने होठों को गोल करके उसने उसे अपने मुँह में ले लिया…

श्वेता मेरे लंड को मन लगा कर चूस रही थी… उसके मुलायम रसभरे..
लाल-2 होठों की मालिश से मेरा लंड बुरी तरह फूल गया…, उसके होठों की लाली ने मेरे लंड को भी सुर्ख कर दिया…

उत्तेजना के मारे मेरे चेहरे और लंड की नसें दिखने लगी…..

मेने अपने हाथ का धक्का देकर श्वेता को अलग किया, और फिर उसे सोफे पर पटक कर किसी भूखे भेड़िए की तरह उस पर टूट पड़ा…

एक झटके से उसकी ब्रा को उसके बदन से अलग कर दिया… और उसके खरबूजे जैसे चुचियों को मसलने, चूसने, काटने लगा…

वो हाई..हाई.. करने लगी… मादक सिसकारीओं के बीच उसकी कराह भी फुट पड़ती…जब मे ज़ोर से उसके निपल्स को काट लेता…

जब एक हाथ नीचे ले जाकर मेने उसकी चूत को मुट्ठी में कसा… तो वो बुरी तरह से मेरे से लिपट गयी……

प्लीज़ अंकुश…. अब चोदो मुझे… वरना में मर जाउन्गि…आहह….तुमने मुझे पागल कर दिया है …

मेने देर ना करते हुए, उसकी पैंटी को एक साइड में किया, और अपना सख़्त रोड हो चुका लंड उसकी रसभरी चूत में ठूंस दिया…..

कामुकता में अंधी हो चुकी श्वेता ने,…. अपनी कमर को उछल दिया लंड लेने के लिए.. उपर से मेरा धक्का…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर………..से पूरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत को फैलाता हुआ…. जड़ तक घुस गया…. !

श्वेता के मुँह से एक तेज दर्द भरी कराह निकल गयी… वो अच्छा था, कि उसका कॅबिन साउंड प्रूफ था… वरना, सारा स्टाफ उसके कॅबिन में इकट्ठा हो चुका होता….

मररर्ररर…डाला तुमने मुझे…. फाड़ दी मेरी चूत…उफफफ्फ़….जालिम कहीं के…वो कराह कर शिकायत करते हुए बोली…

मे – तुमने अपनी गान्ड क्यों उपर की… मे तो डाल ही रहा था ना…!

वो शर्मीली मुस्कराहट के साथ बोली – हहहे…मुझसे सबर नही हो रहा था…

फिर मेने उसके होंठो को चूमते हुए अपना आगे का कार्यक्रम शुरू कर दिया…

श्वेता मस्त होकर चुदने लगी… मेने भी उसको निराश नही किया, और जम कर उसकी ओखली की कुटाई करने लगा….

एक बार उसकी चूत चोदने के बाद मेने उसकी गान्ड मारने की इच्छा जताई, जो उसने थोड़ी सी ना- नुकुर के बाद मान ली…!

उसकी 38” की भारी भरकम गान्ड मारने में मुझे बहुत मज़ा आया, शुरू में तो उसे थोड़ा तकलीफ़ हुई, लेकिन कुछ देर के बाद तो, पुछो मत….

अपने दोनो तरबूजों को हिला-हिलाकर वो मेरे मूसल को अपनी गान्ड में लेने लगी..

उसकी गान्ड के पाटों को हिलता देख, मुझे और जोश आ गया, और मेने उसका सर सोफे से सटा कर उसकी गान्ड को एकदम उर्ध्वकार करके लंड पेलने लगा…

आख़िर में जब मेने अपना वीर्य उसकी गान्ड में उडेल दिया, और अपना लंड बाहर निकाला,

तो उसकी गान्ड का होल, एकदम सर्क्युलर होल जैसा बन गया… वो अब किसी मोटे से चूहे के बिल की तरह दिख रहा था....

श्वेता के सभी छेदो को खोलने के बाद, उसे फिरसे जल्दी मिलने का वादा करके मे वहाँ से निकल लिया….!

श्वेता के ऑफीस से निकल कर मेने अपने सीक्रेट नंबर को आक्टिव किया, देखा तो उसमें कामिनी की बीसियों मिस कॉल थी…

मे दरअसल अब उससे मिलना ही नही चाहता था, वो साली मुझे अब एक रंडी जैसी लगने लगी थी, घिंन सी होने लगी थी उससे…

लेकिन काम पूरा होने तक तो वो मेरी मालिकिन ही थी, सो मेने उसे कॉल बॅक कर लिया…
कनेक्ट होते ही, वो पाजामी से बाहर होकर बोली –

कहाँ मर गये थे तुम, कब्से नंबर ट्राइ कर रही हूँ, कल से तुम्हारा कोई अता-पता ही नही है…

मेने जोसेफ की आवाज़ में ही कहा – सॉरी में ! मे डील की व्यवस्था करने में ही लगा हूँ… बोलिए क्या काम था, मुझसे..?

वो – मेने तुम्हें आने को बोला था, आए क्यों नही..?

मे – सॉरी मेडम ! काम में बिज़ी था, इसलिए नही आ सका… वैसे आपको मुझसे काम क्या था, वो तो बोलिए…?

वो – तुम यहाँ आओ तो सही, बैठकर कुछ देर गॅप-सॅप करेंगे… मुझे तुम्हारे साथ बात करने का मन हो रहा है…

मे – तो वो आप फोन पर ही कर लीजिए, क्योंकि मे अब काम पूरा होने तक किसी से पर्सनली नही मिल सकता, ये मेरा उसूल है…, और ना ही मेरे पास इतना वक़्त है जो आपके साथ गॅप-शॅप कर सकूँ…

मेरी बात सुनते ही वो गुस्से से भिन्ना उठी, और झल्लाते हुए बोली – गो टू हेल…. और अब तुम इस मिशन पर भी काम नही कर रहे हो… समझे…

मे – ठीक है में जैसा आप बोलें, मे अभी उस्मान चाचा को मना कर देता हूँ…! मुझे कोई प्राब्लम नही है…

वो मेरी बात सुनकर हड़बड़ा कर बोली – नही ! नही ! उनसे कुछ कहने की ज़रूरत नही है, चलो अच्छा ! खैर ये काम होने के बाद तो मिलोगे ना…!

मेने मन ही मन कहा… साली उसके बाद मिलने की ज़रूरत ही कहाँ पड़ेगी… लेकिन प्रतय्क्छ में बोला – जी बिल्कुल ! पक्का !
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06-02-2019, 01:40 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
आज रात 10 बजे से हथियारों और ड्रग्स की डील होनी थी… जग्गा आंड कंपनी को पूरी सावधानी से काम पर लगा रखा था…

सभी संभावित रास्तों पर चौकसी कर दी गयी थी… सीसीटीवी कमरे फिट करा दिए थे… पोलीस की भनक लगते ही, 10 मिनिट के अंदर बेसमेंट खाली हो जाना था..

सारे कमरों का कंट्रोल एक छोटे से कॅबिन में रखा था, जहाँ से रिमोट्ली उनको जिससे चाहे उनका आंगल सेट किया जा सकता था.. या उनको ऑन-ऑफ भी किया जा सकता था…,

कंट्रोल रूम में ही कयि सारी स्क्रीन्स पर बिल्डिंग के अंदर और बाहर की सारी हलचल देखी जा सकती थी, यहाँ तक कि उस हॉल की भी जहाँ ये डील होनी थी…

उस्मान मेरे उपर आँख बंद करके भरोसा कर रहा था, क्योंकि और इसके अलावा उसके पास कोई ऑप्षन भी तो नही था…

जग्गा फिज़िकली ज़रूर स्ट्रॉंग था, सारे गुंडे उसका कहा मानते थे, लेकिन इस तरह के अरेंज्मेंट करने में वो असमर्थ था…

मेने एक बार उस्मान को सारे इंतेज़मत से अवगत करा दिया… जिसे देख कर वो काफ़ी संतुष्ट नज़र आया…

9 बजते ही बेसमेंट में सभी चीज़ों के उम्दा क्वालिटी के सॅंपल्स रखवा दिए थे, जिससे अगर उन लोगों को उनका डेमो भी दिखना पड़े तो दिखा सकें…

9:30 को सारे अपडेट लेकर एक फाइनल ड्राफ्ट मेने एसपी को मेसेज कर दिया… और ये हिदायत भी कर दी, कि फ्रंट रो की आक्षन टीम में कोई भी पोलीस यूनिफॉर्म में ना हो..

उनको कैसे और कहाँ से अंदर आना है, अंदर आकर पोलीस को किस तरह से आक्षन लेना है, ये उनपर निर्भर था…

9:45 बजे तक, सारे बड़े बड़े लोग हॉल में पहुँच चुके थे, जिनमें उस्मान के अलावा कमिशनर, एमएलए समेत कामिनी अपने गुप्त रूप में आ पहुँची.

सब आकर अपनी अपनी जगह बैठ गये थे, और विदेशी डीलर्स का वेट करने लगे…
मेरी ड्यूटी, सबसे पहले उन्हें गेट से रिसीव करके, हॉल तक लाने की थी…

अभी 10 बजने में कुछ मिनिट्स शश थे, कि दो इंपोर्टेड गाड़ियाँ आकर होटेल के पोर्च में रुकी, ज़ीमें से 4-4 लोग, जिनमे 2-3 अरब शेख भी थे, एक दो चाइनीज और कुछ मंगोलीज़ भी थे…

देखने में सभी एक दम सभ्य विदेशी पर्यटक जैसे दिख रहे थे, लेकिन हमें पता था, कि वो सब एक से एक ख़तरनाक किस्म के अपने इलाक़े के अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह थे…

मे सभी को बड़े अदब के साथ रिसीव करके, बेसमेंट के हॉल में ले आया…

रास्ते में ही मेने ग्रीन सिग्नल एसपी को भी कर दिया… जिसका मतलब था, कि अब सब आ चुके हैं…
अंदर आकर सब एक दूसरे से मिलने मिलने लगे इसी में 10 मिनिट निकल गये, उसके बाद शुरू हुई, सौदे बाज़ी,

सबको सॅंपल दिखाए गये, और जब वो आश्वस्त हो गये तब लेन-देन की बातें शुरू हुई….

इस दौरान पीने-पिलाने का भी दौर चलता रहा, जिसे कुछ अर्धनग्न लड़कियाँ सबको सर्व कर रही थीं…साथ -2 में उन विदेशियों को रिझाने का समान भी बनी हुई थी…

इसी बीच मुझे एक सिग्नल मिला… जो इस बात का संकेत था, कि सादे भेष में पोलीस टीम बिल्डिंग में घुस चुकी है और अब कैमरों को डिस्टर्ब कर देना चाहिए…

मे फ़ौरन कंट्रोल रूम की तरफ बढ़ गया जहाँ दो लोग वहाँ की सारी गति विधियों पर नज़र बनाए हुए थे…!

मेने अंदर जाते ही मैं गॅलरी वाले कैमरों का डाइरेक्षन चेंज करने के लिए ऑपरेटर को बोला…!

वो दोनो ही मेरी बात सुनकर चोंक पड़े, मेने कहा – जल्दी करो हमें रास्ते के अलावा दूसरी जगहों पर भी नज़र रखनी है…

उनमें से एक बोला – लेकिन जोसेफ इस समय हम कैमरों को मूव नही कर सकते, सभी क्लाइंट आ चुके हैं, डील चल रही है, इस बीच मौका देख कर कोई भी आ सकता है…

मेने थोड़ा तल्खी भरे लहजे में कहा – तुम्हें पता है तुम किसे मना कर रहे हो, इस मिशन का हेड मे हूँ या तुम…!

वो अपनी बात पर अडते हुए बोला – जो भी हो मे ये रिस्क नही ले सकता.., तभी दूसरा भी उससे सहमत होते हुए बोला…

ये सही कह रहा है, इस समय कमरे मूव करके रिस्क नही ले सकते…

मेरी खोपड़ी भिन्ना उठी, व्यस्त करने के लिए मेरे पास बिल्कुल भी समय नही था.., अभी हम किसी निर्णय पर नही पहुँचे थे कि स्क्रीन पर गॅलरी में सादे भेष में पोलीस वाले आते हुए दिखाई दिए…

उन्हें देखते ही उनमें से एक चोंक पड़ा जिसकी नज़र स्क्रीन पर टिकी थी – अरे देखो ये लोग कॉन है…?

जोसेफ जल्दी से हॉल में जाओ, बॉस को इनफॉर्म करो, मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है..,

अब मेरे पास कोई चारा शेष नही था, सो एक कड़ा फ़ैसला लेते हुए उस स्क्रीन को देख रहे आदमी के पीछे से रेवोल्वेर के हॅंडल का एक भरपूर बार किया…

एक सेकेंड में ही वो अपनी चेतना लुप्त कर चुका था, तभी दूसरा मेरी चाल समझ गया, और मौका देख कर गेट की तरफ लपका…

इससे पहले की वो गेट खोल पाता, साइलेनसर लगी मेरी रेवोल्वेर ने एक गोली उगली जो सीधी उसकी खोपड़ी में सुराख बनती हुई निकल गयी..

वो बिना चीखे ही वहीं गेट के पास ढेर हो गया…,

मेने फ़ौरन कमरों का डाइरेक्षन चेंज किया, और बाहर जाने के लिए पलटा ही था कि तभी भड़ाक से कॅबिन का दरवाजा खुला…,

सामने जो शख्स खड़ा था उसे देख कर तो मेरे तिर्पन काँप उठे…!

दवाजे के बीचो-बीच काले सांड़ जैसा जग्गा खड़ा कंट्रोल रूम के बदले हालातों को आँखें फाडे देख रहा था..

जैसे ही उसकी नज़र फर्श पर पड़े उन दोनो लोगों पर पड़ी, वो एकदम चोंक कर मेरी तरफ देखने लगा…!

गन मेरे हाथ में अभी भी लगी हुई थी जिसमें से अभी भी धुआँ निकल रहा था…,

मेने तुरंत बात संभालने की कोशिश करते हुए कहा – ये दोनो मुझे गड़बड़ी करते हुए दिखे..

जग्गा – क्या गड़बड़ी कर रहे थे..? उसके चेहरे से ही लग रहा था कि वो मेरी इस बात से कतयि सहमत नही है…

मेने स्क्रीन पर नज़र डालते हुए कहा – ये देखो, इन्होने बिना पूच्छे कमरों का मोव्मेंट चेंज कर दिया है…

जग्गा – ऐसा नही हो सकता, मेरे आदमी मेरे साथ कभी गद्दारी नही कर सकते..!

मेने हड़बड़ाते हुए कहा – तुम कहना क्या चाहते हो, मे झूठ बोल रहा हूँ…?

उसने जल्दी ही कोई जबाब नही दिया, लेकिन कुछ सोच कर बोला – लेकिन तुम भी तो कैमरों की सेट्टिंग चेंज किए बिना ही यहाँ से जा रहे थे…,

ये कहते ही उसकी छटी इंद्री जाग उठी, मेरी चाल समझते ही उसने वही से मेरे उपर जंप लगा दी…

मे भी एकदम चोन्कन्ना ही था, फ़ौरन अपनी जगह से हट गया, झोंक-झोंक में जग्गा मुँह के बल फर्श पर गिरा…,

लेकिन मानना पड़ेगा, भारी शरीर के बावजूद भी उसमें ग़ज़ब की फुर्ती थी, वो उच्छल कर अपनी जगह खड़ा हो गया…

लेकिन तब तक मे गेट के पास पहुँच चुका था…, मे जानता था, इससे भिड़ने का मतलब होगा अपना नुकसान करना, क्योंकि शारीरिक तौर पर जग्गा मुझसे बहुत ज़्यादा ताक़तवर था…

अब मे बस उससे अपना बचाव करके जल्दी से जल्दी उसे भी ठिकाने लगा कर निकलना चाहता था, अभी मे अपने मन में ये सोच ही रहा था कि तभी वो किसी बिगड़ैल भेंसे की तरह मेरे उपर झपटा…

मेने पैर से गेट बंद कर दिया और अपनी जगह से घूम गया..,
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06-02-2019, 01:40 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
भड़ाक्कक…से उसका भेंसे जैसा सिर दरवाजे से जा टकराया.., वो वहीं पीछे को उलट गया, दरवाजे पर जोरदार टक्कर से उसका सिर फट गया था…

मेरे लिए एक-एक सेकेंड भारी था, इसलिए उसके गिरते ही, मेने एक गोली उसके सीने में उतार दी, दो पल के लिए उसका शरीर तडपा और फिर शांत हो गया…

मेने एक लंबी साँस छोड़ी, मानो ना जाने कितनी देर से रुकी हुई थी, और उनके मृत शरीरों को लाँघते हुए दरवाजे से बाहर निकल गया….!

जग्गा समेत तीनो को यमपुरी पहुँचाकर मे हॉल की तरफ तेज़ी से लपका…

अभी वहाँ शराब और शबाब के दौर चल ही रहे थे…, अध नंगी लड़कियाँ, मेहमानो को शराब पिलाने के साथ-साथ उनका मनोरंजन भी कर रही थी..

कोई उनकी चुचियों से खेल रहा था, तो कोई उन्हें ब्रा से निकाल कर उन्हें चूस रहा था, वो भी उनके लंड को कपड़ों के उपर से ही सहला कर उन्हें उत्तेजित करने में लगी हुई थी..

हॉल का वातावरण, आहों और गरमा-गरम सिसकियों से गूँज रहा था, कि तभी गेट से एक सेक्यूरिटी वाला हांफता हुआ हॉल में दाखिल हुआ और बोला …
साब ! होटेल के बाहर पोलीस की आबक बढ़ गयी है… और वो होटेल के अंदर आने की कोशिश में हैं…

सभी हड़बड़ा कर जो जैसे थे, वैसे ही उठ खड़े हुए, तभी उसमान की गरजदार आवाज़ हॉल में गूँज उठी…

10 मिनिट में ये हॉल खाली कर दिया जाए, सब लोग गुप्त रास्ते से निकलने की तैयारी करो… यहाँ पर कोई भी सबूत छूटने नही चाहिए…

अभी वो अपनी बात ख़तम भी नही कर पाया था, कि हॉल में एसपी कृष्णकांत की गरजदार आवाज़ गूँज उठी….

भागने की कोशिश बेकार है, उस्मान… तुम सब चारो तरफ से घिर चुके हो… बच निकलने के कोई चान्स नही है…, तुम्हारे सभी गुप्त रास्तों पर भी पोलीस लगी हुई है…

सीधी तरह सरेंडर करदो तो अच्छा है, वरना बेमौत मारे जाओगे….

तभी कमिशनर सामने आया, और एसपी को आदेश देने वाले लहजे में बोला – ये रेड किसके कहने पर की है एसपी, तुम जानते नही इसका तुम्हें कितना बड़ा ख़ामियाजा भुगतना पड़ सकता है…

एसपी – ग़लत काम करते करते शायद क़ानून भी भूल गये कमिशनर, ये रेड नही, पोलीस कार्यवाही है, जो खबर मिलने पर बदमाशों के खिलाफ की जाती है…

अब या तो अपना गुनाह कबूल करके सरेंडर करदो, वरना…घसीटते हुए ले जाए जाओगे…

सबने जब चारों तरफ नज़र दौड़ाई, तो सादे भेष में दीवारों से लगे, हाथों में गन लिए पोलीस वाले दिखाई दिए…

कमिशनर ने एसपी के जबाब में कहा – मे हरगिज़ ऐसा नही होने दूँगा
हराम्जादे, ये कहकर उसने अपनी रेवोल्वेर निकल कर एसपी पर तन दी..

इससे पहले कि वो अपनी गन का लॉक खोल पाता, एक गोली एसपी की गन से निकली और सीधी कमिशनर का सीना चीरती चली गयी….

कमिशनर का हश्र देखकर वाकियों के हाथ पैर ठंडे पड़ गये… मौका देख कर कामिनी, अपने गुप्त रास्ते की तरफ खिसकने लगी…

अभी वो दीवार पर लगे स्विच बोर्ड से गुप्त द्वार खोलकर निकल कर गॅलरी में आगे बढ़ी ही थी… कि सामने खड़े जोसेफ को देख कर बोली –

तुम यहाँ क्या कर रहे हो…? अंदर पोलीस ने दबिश दी हुई है, जाओ जाकर वाकियों को निकालने का प्रयास करो…

जोसेफ ने उसका हाथ थामते हुए कहा – जब वाकी सब फँस चुके हैं, तो तुम अकेली निकल कर कहाँ जाओगी जानेमन…

जोसेफ के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर वो एकदम चोंक पड़ी, और गुस्से से बोली – ये क्या बकवास कर रहे हो तुम… छोड़ो मेरा हाथ..

जोसेफ ने उसका हाथ छोड़ दिया, वो जैसे ही आगे बढ़ने को हुई, उसने फ़ौरन अपनी गन उसके उपर तान दी…!

जोसेफ को अपने उपर गन तानते देख कामिनी गुर्राते हुए बोली – ये क्या हिमाकत है जोसेफ…?

रेवोल्वेर का लीवर खींचते हुए जोसेफ बोला – भागने की कोशिश भी मत करना कामिनी, वरना तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा…!

ये शब्द मेने अपनी आवाज़ में ही कहे जिन्हें सुनते ही वो एकदम से चोन्क्ते हुए बोली – कॉन हो तुम..?

मेने अपनी दाढ़ी नौचकर फेंक दी, नाक में लगे छोटे-छोटे स्प्रिंग्स निकलते ही वो बुरी तरह उच्छल पड़ी…तुउउम्म्म्मम…?

मे – हां जानेमन मे…! मुझे तो बहुत पहले ही पता चल चुका था, कि इस सबके पीछे तुम हो,

यहाँ तक कि निशा पर रेप अटेंप्ट भी तुम्हारे इशारे पर ही हुआ था…क्यों सच बोल रहा हूँ ना में साली रंडी…

मेरे मुँह से रंडी शब्द सुनकर वो तिलमिला उठी और अपने गुरूर को कायम रखते हुए बोली – दो टके के वकील तेरी ये हिम्मत….

चटाकककक…एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद करते हुए मेने भनभनाते हुए लहजे में कहा –

जो औरत अपने बाप की उमर के आदमी का लंड लेती हो, वो भी दो-दो एक साथ ऐसी औरत मेरे घर की बहू हरगिज़ नही हो सकती… इसलिए मे तुझे इस गंदे शरीर से मुक्ति दिला रहा रहा हूँ…!

थप्पड़ इतना ज़ोर्से पड़ा था उसके गाल पर की पढ़ते ही उसका गाल सुर्ख लाल पड़ गया, आँखों से आँसू निकल पड़े, वो गिड-गिडाते हुए बोली –

मुझे जाने दो अंकुश, तुम जो चाहोगे मे तुम्हें दूँगी, जितनी दौलत चाहिए मे दूँगी, लेकिन प्लीज़ मुझे यहाँ से जाने दो…

मे – साली कुतिया जब ग़लत काम कर रही थी, तब एक बार भी ये एहसास नही हुआ कि इसका अंजाम क्या होगा…?

और वैसे भी अब तू जाएगी भी कहाँ, सब कुछ तो तबाह हो गया, इसलिए अब तू उपर जा अपने वाकी साथियों के साथ, वहाँ जाकर अपना साम्राज्य खड़ा कर लेना...

ये कहकर मेने गोली चला दी जो उसके बाई तरफ के वक्ष में घुस गयी….!

अपने चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव लिए उसका मुँह खुला रह गया…!

उसे वहीं तड़प्ता छोड़ कर मे हॉल में आ गया… तब तक पोलीस ने एमएलए और उस्मान समेत सारे लोगों को अरेस्ट कर लिया…

मौका देख कर उस्मान ने एक पोलीस वाले की गन छीन ली, इससे पहले कि वो भैया को निशाना बनाकर गोली चला पाता, मेने पीछे से उसकी पीठ में एक गोली दाग दी….

वो हाथ में गन लिए पीछे को घुमा, तो मेने दूसरी गोली उसके सीने में उतार दी…देखते ही देखते उसके प्राण पखेरू उड़ गये…!

सारे गुप्त ठिकानों पर दबिश देकर सारा समान जप्त कर लिया गया, होटेल को भी सील कर दिया गया….

ड्रग और हथियारों के सरगना के रूप में एमएलए को अरेस्ट कर लिया गया, और उसे विदेशी डीलर्स के साथ हवालात में डाल दिया…
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06-02-2019, 01:41 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
ड्रग और हथियारों के सरगना के रूप में एमएलए को अरेस्ट कर लिया गया, और उसे विदेशी डीलर्स के साथ हवालात में डाल दिया…

घटना इतनी महत्वपुर्णा थी, जिसमें लोकल पॉलिटीशियन और पोलीस के आला अधिकारी शामिल थे, तो स्वाभाविक तौर पर सारे न्यूज़ पेपर्स, न्यूज़ चेन्नल्स पर यही खबर च्छाई हुई थी……!

फैलते फैलते ये खबर देहाती इलाक़ों में भी पहुँच गयी, जिसे पढ़-सुनकर घरवाले भी चिंतित हो उठे…!
घटना के दूसरे दिन शाम को मे घर पहुँचा…,

जाना तो भैया को भी था, लेकिन इतने बड़े काम को अंजाम दिया गया था उनके द्वारा, तो सब क़ानूनी प्रक्रियाओं के चलते वो नही आ सके….!

पूरी रिपोर्ट बनाकर आइजी और होम सीक्रेटरी तक को भेजनी थी, क्योंकि इस मामले में कमिशनर और एमएलए तक पकड़े गये थे…

शहर से लेकर गाओं तक सब जगह इसी बात की चर्चा थी…, आख़िर क्षेत्र के
एमएलए से जुड़ा हुआ मामला जो था…

मे जैसे ही घर पहुँचा, सभी घरवालों ने मुझे घेर लिया… और मेरे उपर सवालों की झड़ी लगा दी….

मेने सबको ये कहकर टाल दिया, कि ये पोलीस द्वारा की गयी एक बहुत बड़ी कार्यवाही थी, जब भैया घर आएँ तो उनसे ही पुच्छना पड़ेगा…

अगले दिन शाम को कृष्णा भैया भी घर आ गये…उन्हें देखते ही सभी घर वाले उनके उपर टूट पड़े, और जो सवाल मुझसे किए गये थे, अब वो भैया को सुनने को मिले…

उन्होने एक नज़र मेरी तरफ देखा, जैसे जानना चाहते हों कि तूने कुछ नही बताया…?

मेने आँखों – 2 में इशारा करके बता दिया कि मेने कुछ नही कहा अभी तक..

बाबूजी – बेटा ये तो बड़ा अनर्थ हो गया, बताओ… एमएलए और बहू ड्रग और हथियारों की तस्करी कर रहे थे, और हमें कानो-कान खबर तक नही हुई…!

कृष्ण भैया – हां ! बाबूजी, वो लोग बड़े ही पहुँचे हुए स्मगलर निकले, और हो भी क्यों ना, जब पोलीस का इतना आला ऑफीसर जो साथ में था…!

वैसे एक तरह से अच्छा ही हुआ, जो ऐसे नीच नराधाम लोगों से उपर वाले की कृपा से हमें छुटकारा मिल गया….!

बाबूजी – ये तू क्या कह रहा है..? आख़िर वो हमारे संबंधी थे… तेरे ससुर और पत्नी थी वो….!

कृष्णा – वो रिस्ता तो ना जाने कब का पीछे छूट चुका था बाबूजी…

बाबूजी – क्या ? क्यों ? ये सब कब्से चल रहा था.. ?

कृष्णा भैया – निशा और राजेश के साथ हुई घटना के कुछ दिनो बाद से ही मुझे उस कमीनी कामिनी के चरित्र पर शक़ होने लगा था… इसी बीच अंकुश ने देल्ही से आकर वो केस ओपन कर दिया…

धीरे – 2 मेरा शक़ सच साबित होता गया… और राजेश के जैल से रिहा होने से भन्नाये हुए बाप बेटी खुल कर सामने आ गये…

राम भैया – क्यों ? राजेश – निशा के केस से उनका क्या लेना – देना था…?

क भैया – ये बात अंकुश बताए तो ज़्यादा बेहतर होगा… वो सब जानता है, और आज पोलीस को जो कामयाबी मिली है इस केस को सॉल्व करने में, वो भी इसी की वजह से मिली है…

सब लोग मेरे चेहरे की तरफ हैरत से देखने लगे…

कृष्णा भैया – हां भैया… ये हमारा भाई, है तो हमसे छोटा, लेकिन काम इसने बहुत बड़े – 2 किए हैं… ये दस सिर वाला रावण है…

भाभी ने मेरे बालों में अपनी उंगलिया फँसाई, और सिर को हिलाते हुए बोली – अब कुछ बोलोगे भी दस सिर वाले रावण जी… या हमें झटके दे-दे कर मारोगे…

भाभी की बात पर सब लोग ठहाका लगा कर हँसने लगे… निशा मेरी तरफ अभी भी फटी- फटी आँखों से देख रही थी, उसकी नज़रों में शिकायत साफ-साफ दिखाई दे रही थी…

हो भी क्यों ना…! आख़िर वो मेरी अर्धांगिनी थी, और उसे अपने पति के हर राज जानने का पूरा हक़ था, जो अभी तक उसे कुछ पता नही था…

मेने बोलना शुरू किया – बात शुरू होती है, जब मेने राजेश भाई का केस हाथ में लिया,

भानु को इंटेरोगेट करने से मुझे पता चला कि उससे वो काम किसी महिला ने कराया था, जो हर समय काले बुर्क़े जैसे लबादे से धकि रहती है…

उसके बाद रेखा के बलात्कार का केस सामने आया, जिसमें अपनी पवर का इस्तेमाल करके वो चारों लड़के छूट गये… तभी मेने ठान लिया, कि अब उन लड़कों को मे अपने तरीके से सज़ा दूँगा…

और फिर मेने वो सारी घटना विस्तार पूर्वक सबको बताई… जो मेने और प्राची ने मिलकर की, उसके बाद कैसे अकेले मे गिरोह में शामिल हुआ, और पूरे गिरोह का भंडा फोड करके ख़तम कराया…

सबकी नज़रें मेरे उपर ऐसे जमी हुई थी, मानो उनके सामने कोई अजूबा बैठा हो उन सबके बीच…

मेरी बात ख़तम होने के बहुत देर तक भी कोई कुछ बोल ना सका…. अंत में कृष्णा भैया की आवाज़ से सब चोन्के…

कृष्णा भैया – और कल एमएलए ने जैल में आत्महत्या कर ली है… इस तरह सारे स्मगलर मर चुके हैं, विदेशियों को इंटररपोल के हवाले कर दिया है…

भैया के इस खुलासे से सब लोग एक दम उच्छल ही पड़े…. और सबके मुँह से एक साथ निकला – क्या…? एमएलए भी मर गया…?

कृष्णा भैया – हां ! अब शहर में पूरी तरह शांति छाई हुई है… और ये सब इसकी वजह से… हमारे छोटू की वजह से...

अब एक खुश खबरी और सुनो – मेरा प्रमोशन हो गया है, और में एसएसपी बन गया हूँ…
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