Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
भगवान दास गुप्ता जी का लीगल आड्वाइज़र होने के नाते, अब मेरा उनके ऑफीस और घर आना जाना अक्सर लगा रहता था…

कई एकड़ में बनी शानदार कोठी में उनका 4 प्राणियों का छोटा सा परिवार और कई सारे नौकर चाकर जिनके लिए रहने को सर्वेंट क्वॉर्टर्स भी कोठी के पीछे बने हुए थे…

48 वर्षीया गुप्ता जी धरम करम को मानने वाले, उनका सुबह का टाइम अधिकतर पूजा-पाठ में ही जाता था, ख़ासतौर से मैया लक्ष्मी के घोर उपासक थे गुप्ता जी…

माँ की कृपा भी खूब थी उनके उपर, धन दौलत की कोई कमी नही थी, बस कमी थी तो समय की जिसके लिए उनका परिवार हमेशा तरसता रहता था…!

उनकी 45 वर्षीया पत्नी सेठानी शांति देवी, एक भारी-भरकम औरत, शरीर से तो इतनी नही लेकिन स्वाभाव से…

बस नाम की ही शांति देवी थी, वाकी तो घर के नौकरों और यहाँ तक बच्चों के लिए तो वो चंडिका देवी थी…

गुप्ता जी भी उनके सामने ज़्यादा बोलने की गुस्ताख़ी नही करते थे…

एकदम कड़क तीखी आवाज़, घर के किसी भी कोने में वो जब किसी को डाँटती थी, तो उनकी आवाज़ लगभग कोठी के हर कोने में पहुँचती थी, जिससे सबके कान खड़े हो जाते…

24 वर्षीय बेटा संकेत अपना ग्रॅजुयेशन कंप्लीट करके बिज़्नेस मॅनेज्मेंट का कोर्स कर रहा था, जिससे आगे चलकर अपने पिता के कारोबार को सुचारू रूप से संभाल सके…

बेटी खुशी, 19 साल की, इसी वर्ष कॉलेज में पहुँची है, बी.कॉम करने, शुरू से ही थोड़ी दोहरे बदन की है,

ज़्यादा नही मध्यम हाइट के साथ शायद 34-32-36 का फिगर होगा, कभी मापने का मौका नही लगा अभी तक…

ज़्यादा गोरी तो नही पर सॉफ रंग है अपनी माँ के जैसा…, गोल मटोल चेहरा, किसी गुड़िया की तरह..

देखने में ही बहुत मासूम और भोली-भाली सी लगती है,

बेचारी सिर्फ़ नाम की ही खुशी है, वाकी उसके लिए खुशी दूर-दूर तक नही थी…बस थोडा बहुत हंस खेल लेती है, जब उसका भाई या पापा साथ में हों तो..

ना ज़्यादा सज-संवार सकती है, और ना ज़्यादा मॉडर्न कपड़े पहन सकती है…माँ की इन्स्ट्रक्षन, ये मत करो, वो मत करो… ये क्यों किया.. वग़ैरह…वग़ैरह, यू नो…

हां बेटे को वो बहुत चाहती है, उसकी हर बात मानी भी जाती है, करने की छूट भी है…

गुप्ता जी बेचारे को इन सब चीज़ों से कोई सरोकार नही, कि उनके घर में क्या चलता रहता है, क्या नही.. वो बस अपनी धन कमाने की दुनिया में ही मस्त रहते हैं…!

एक दिन मे सुवह-सुवह एक ज़रूरी काम से उनके यहाँ गया था, गुप्तजी रोज़ की तरह पूजा पाठ में लगे थे, मे हॉल में बता उनका इंतेज़ार कर रहा था…

नीचे सेठानी के रूम से तेज-तेज आवाज़ें आ रही थी, वो अपनी बेटी को डाँट रही थी, वैसे ये उनकी नॉर्मल आवाज़ थी हां !

शांति – तू आए दिन कॉलेज मिस करती रहती है, बात क्या है..? ऐसे तो कैसे कर पाएगी अपना कोर्स पूरा..?

खुशी – मे अपने सर से ट्यूशन में कर लूँगी, लेकिन मुझे नही जाना कॉलेज…

शांति – लेकिन बात क्या है, तू कॉलेज के नाम से इतना डरती क्यों है..?

खुशी – कॉलेज के लफंगे लड़के बहुत परेशान करते हैं,

शांति – अरे तुझे उन लफंगों से क्या लेना-देना, सीधी जा और सीधी आ, और फिर कोई परेशानी है तो संकेत को भी बोल सकती, वो भी तो वहाँ होता ही है…

खुशी – मेने बताया था भैया को, लेकिन उन्होने भी कुच्छ नही किया…, कुच्छ गुंडे टाइप के लड़के हैं, जो किसी की नही मानते…

शांति – अब परेशान तो करेंगे ही, इत्ति सी उमर में, देख अभी से कैसा पहाड़ जैसा सीना हो गया है तेरा…, कुच्छ ग़लत हरकतें तो नही करने लगी है…

खुशी – क्या मम्मी ! अनाप-शनाप बोलती रहती हो, खुद ने ही तो जबरदस्त खिला-खिलाकर मोटा कर दिया है मुझे.. अब इसमें मेरी क्या ग़लती है…

शांति – चल ठीक है, तेरे पापा से बात करती हूँ, वो प्रिन्सिपल से बात कर लेंगे..

इसके बाद खुशी हॉल में से होती हुई उपर अपने रूम में चली गयी…,

उपर जाने के लिए हॉल से एक बड़ा सा गोलाई लिए स्टेर्स थे…, मेरी नज़र उसके थिरकते हुए भारी भरकम कुल्हों पर जम गयी..

सच में इस उमर में खुशी कुच्छ ज़्यादा ही भरकम हो गयी थी…, लेकिन उसकी बात भी सही थी, अब लाड़ प्यार ने खिला-पिलाके ऐसा कर दिया तो इसमें वो बेचारी भी क्या करे…
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06-02-2019, 01:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
गुप्ता जी के घर में मुझे सभी नौकर यहाँ तक कि उनके दोनो बच्चे भी वकील भैया बोलते थे…!

उसके पीछे-2 सेठानी भी बाहर आई, मेने नमस्ते किया, और गुप्ता जी के बारे में पुछा तो वो बोली –

अरे भाई, उनका क्या ठिकाना कब तक निपटाते हैं, तुम ऐसा करो ऑफीस में ही मिल लेना मे उन्हें बोल दूँगी, कि तुम आए थे…!

इतना कहकर वो रसोई घर की तरफ बढ़ गयी, और मे उठकर वहाँ से चलने को हुआ, कि तभी खुशी मुझे नीचे आती हुई नज़र आई..,

उसके चेहरे से लग रहा था कि वो कुच्छ परेशान है, वैसे उसकी परेशानी की वजह मुझे कुच्छ – 2 पता लग ही गयी थी, फिर भी मेने उसे आवाज़ दी…अरे खुशी ! कैसी हो ?

वो थोड़ा दुखी मन से बोली – ठीक ही हूँ वकील भैया, आप सूनाओ, पापा से मिलने आए थे..?

मे – हां ! पर वो तो पूजा से ही फारिग नही हुए…, वैसे ना जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम कुच्छ परेशान हो…

खुशी – जाने दीजिए भैया, अब घर में ही मेरी किसी को परवाह नही है, तो आपको बताने से क्या फ़ायदा…

मे – मुझे भी तुम अपने घर का हिस्सा ही समझो, नौकर हूँ तो क्या हुआ..., हो सकता है मे तुम्हारी कोई मदद कर सकूँ…!

खुशी – कॉलेज में कुच्छ आवारा टाइप के लड़के हैं, अक्सर लड़कियों को छेड़ते रहते हैं, अभी तक तो बातों से छेड़ते थे, लेकिन अब तो वो…

वो बोलते-बोलते चुप रह गयी, मे उसके चेहरे की तरफ देखने लगा तो उसने अपनी नज़रें नीची कर ली और अपना होठ काटने लगी…

मेने उसे आगे बोलने के लिए कुरेदा – लेकिन अब क्या हुआ खुशी बोलो…देखो मान सको तो मुझे भी अपना भाई समझो, और अपनी परेशानी खुल कर कहो…

खुशी – कैसे कहूँ वकील भैया, कहते हुए भी शर्म आती है, अब तो वो हरम्जादे हमारे कहीं भी हाथ लगा देते है, कभी पीछे, तो कभी…

मे – बस मे समझ गया खुशी, लेकिन तुम लोगों ने प्रिन्सिपल से शिकायत नही की..

वो – की थी, लेकिन थोड़ा बहुत डाँट फटकार कर उन्होने छोड़ दिया…

मे – संकेत को बताया…?

वो – भैया तो बहुत बड़ा वाला फट्टू है, वो उन लोगों के डर की वजह से कुच्छ कहता ही नही…

मे – कहाँ रहते हैं वो लफंगे…?

वो – वहीं बाय्स हॉस्टिल में, वो 4 लड़के हैं जो 2-2 के हिसाब से दो रूम में रहते हैं, फिर उसने उनके नाम और रूम नंबर भी बताए…

मे – तुम बिंदास कॉलेज जाओ, कल से वो लौन्डे तुम्हें कुच्छ नही कहेंगे, लेकिन हां ! इस बात का जिकर तुम किसी से नही करोगी, अपने घर में भी किसी से नही…ओके.

उसने हां में अपनी गार्डेन हिला दी, फिर मे वहाँ से कोर्ट की तरफ निकल आया…

कुच्छ इम्पोर्टेंट केस निपटाकर मैं गुप्ता जी के ऑफीस चला गया, उनके साथ ज़रूरी डिसकस करके मे अपने फ्लॅट में आगया जो उन्होने मुझे रहने के लिए दिया था…

इन लफंगों का कुच्छ तो करना पड़ेगा, ये सोचकर मेने कुच्छ ज़रूरी समान लिया और कॉलेज बंद होने के बाद एक चक्कर हॉस्टिल का लगाया,

बिना किसी की नज़र में आए कैसे उन लोगों तक पहुँचा जा सकता है, ये सब देखभाल कर मे वापस लौट आया…

वो दोनो कमरे ग्राउंड फ्लोर पर ही थे, हॉस्टिल की पिच्छली बाउंड्री वॉल थोड़ी उँची थी, कोई 10-12 फीट, लेकिन कोशिश करके अंदर जाया जा सकता था…

रात करीब 11 बजे मे पीछे की बाउंड्री वॉल फांदकर हॉस्टिल कॉंपाउंड में दाखिल हो गया,

इस समय मेरे शरीर पर उपर से नीचे तक काला स्याह लबादा था, चेहरा भी स्याह कपड़े से ढँक रखा था…

मेने पीछे की दीवार से उनके कमरे की आहट ली, एक कमरे में शांति थी, लेकिन दूसरे कमरे से विंडो की झिर्री से लाइट भी आ रही थी, और कुच्छ आवाज़ें भी…

अब हॉस्टिल की विंडो, सील टाइट तो होने से रही, कुच्छ दिनो के बाद अंदर की चितखनी लगना भी मुश्किल होती है,

ये सोचकर मेने विंडो के उपर अपने हाथ का थोड़ा सा दबाब डाला, तो उसका एक पाट हल्का सा खुल गया…

अंदर का जायज़ा लिया, तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आगयि…

विंडो का पाट खुलते ही, अंदर से चरस की स्मेल के साथ धुआँ बाहर आया, अंदर वो चारों ही मौजूद थे, जो चरस की सिगरेट में कस पे कस लगाए जा रहे थे…

और सबसे खास बात कि चारों के बदन पर एक भी कपड़ा नही था, दो लड़के घुटनों पर थे और दो उन दोनो की गान्ड में अपने-2 लंड डालकर उनकी गान्ड की धुनाई करने में लगे हुए थे,

चरस की सिगरेट अलग-2 चारों के मूह में लगी हुई थी, बीच-बीच में उनके मूह से आहें मज़े की कराहें भी निकल जाती…

सीन देख कर तो मज़ा ही आगया, अब इन मादर्चोदो को लाइन में लाने के लिए मुझे ज्यदा कुच्छ नही करना था, बस जेब से मोबाइल निकाला, और शुरू करदी जी रेकॉर्डिंग…

एक बार जब वो दोनो उन दो की गान्ड में झड गये, तो सीन चेंज हो गया, अब वो उन दोनो की गान्ड मार रहे थे…

मस्त गान्ड मराई का वीडियो बन गया यो तो, फिर जब उनका खेल ख़तम हो गया, तो चारों नंगे ही अपनी-अपनी टाँगें लंबी करके फर्श पर पसर गये…

उनके झड़े हुए ढीले लंड किसी मरे चूहे जैसे कमरे के फर्श पर पड़े थे..
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06-02-2019, 01:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अब मुझे भी एंट्री मार देनी थी, सो घूमकर चुपके से गॅलरी में आया, और जाकर हल्के से डोर नोक कर दिया…!

डोर खटखटाने की आवाज़ सुनकर वो चारों उछल पड़े, फिर कुच्छ देर बाद उनमें से एक ने पुछा – कॉन..?

मेने थोड़ा आवाज़ चेंज करके कहा – वॉर्डन, गेट खोलो…

सुनते ही उनके होश गुम हो गये, झट-पट अपने कच्छे पहने और फिर दो मिनिट के बाद एक ने डोर खोल दिया…

जैसे ही गेट खुला, मेरा जबरदस्त घूँसा उस गेट खोलने वाले की नाक पर पड़ा..

कुच्छ तो नशे की हालत, गान्ड मराई की थकान, उपर से एक जोरदार घूँसा नाक पर पड़ते ही उसकी नाक से खून की तेज धार फुट पड़ी, और वो चीख मारते हुए कमरे के बीच में जाकर गिरा…

वो तीनों भी अपने सामने एक नकाबपोश को देखकर भोन्चक्के से रह गये, उपर से उनका दोस्त लहू-लुहन पड़ा दर्द से तड़प रहा था…

इससे पहले की वो अचानक पैदा हुई इस नयी सिचुयेशन को समझते तब तक मेने अंदर से गेट बंद कर दिया, और उन तीनों की तरफ सधे हुए कदमों से बढ़ा…

नशे में उन तीनों की टाँगें काँपने लगी, फिर उन्हें कुच्छ होश आया कि हम तो 4-4 हैं, ये अकेला क्या हमारा उखाड़ लेगा, ये सोचते ही उनमें से एक बोला…

कॉन हो तुम..? और यहाँ हमारे कमरे में आकर हमारे साथ ही मार-पीट क्यों कर रहे हो..?

मे – काला चोर..! सुना है, तुम लोगों के कुच्छ ज़्यादा ही पर निकल आए हैं, इसलिए सोचा थोड़ा कुतर दिए जाएँ तो अच्छा रहेगा… क्यों ठीक है ना ठीक…!

अब तक वो चौथा भी अपनी नाक का खून पोन्छ्ते हुए उठ गया था…

ठीक तो अब हम तुझे करेंगे हरम्जादे, ये कहकर वो चारों मेरे उपर एक साथ झपटे…!

मेने फुर्ती से अपनी जगह छोड़ दी, झोंक-झोंक में वो चारों एकदुसरे में ही उलझ गये…, इसका फ़ायदा उठाकर मेने बिजली की सी तेज़ी से उन चारों की धुनाई सुरू करदी…

उनमें से एक भी इस हालत में नही था, जो मेरा हाथ पड़ने के बाद तुरंत सामना कर पाए..

फिर मेने अपने लिबास से पीठ पर बँधे हुए 3/4" डाया के एक लोहे के पाइप के टुकड़े को निकाला, और उनके हाथ पैर तोड़ना शुरू कर दिया…

15 मिनिट में ही वो चारों कमरे में पड़े कराह रहे थे, किसी की टाँग फ्रॅक्चर थी, तो किसी का हाथ…

हाथ जोड़े वो मेरे पैरों में पड़े दया की भीख माँग रहे थे…

मेने उनमें से एक को गिरहबान से उठाया, और सर्द लहजे में कहा – आइन्दा तुम लोगों में से कॉलेज में किसी भी लड़की के साथ बदतमीज़ी की, तो समझ लेना, वो हाल करूँगा..कि किसी को मूह दिखाने के लायक नही रहोगे…फिर मेने मोबाइल की क्लिप ऑन करके उनके सामने करदी और कहा…

ये देखो, तुम लोगों के कुकर्म पूरे कॉलेज में सब लोग देख रहे होंगे…और तुम पर थूक रहे होंगे…

वीडियो देखकर उनकी रही-सही हवा भी सरक गयी… वो मिन्नतें करने लगे, प्लीज़ ये वीडियो किसी को मत दिखाना.. वरना हम किसी को मूह दिखाने लायक नही रहेंगे…

आप जो कहेंगे हम वैसा ही करेंगे, आज से कॉलेज की हर लड़की हमारी बेहन होगी…,

मेने उनको धमकाते हुए कहा… और बेहन के साथ क्या करते हैं, तो अब अगर कोई और भी किसी लड़की को छेड़े तो तुम लोग उसकी मदद करोगे…

वो तुरंत बोले- हांजी-हांजी हम ऐसा ही करेंगे… प्लीज़ हमें छोड़ दो…

मे – ठीक है, अभी मेने तुम लोगों को माफ़ किया, लेकिन ध्यान रहे अगर तुम लोगों ने आइन्दा कुच्छ भी ग़लत किया… तो समझ सकते हो मे क्या कर सकता हूँ…

इतना डोज उन लड़कों को देकर मे चुप-चाप जैसे आया था, वैसे ही हॉस्टिल से निकल आया…!
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06-02-2019, 01:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दो दिन तक कोई बात नही हुई, खुशी रोज़ कॉलेज जाने लगी, वो चारों भी कॉलेज में कहीं नज़र नही आए…

लेकिन चौथे दिन खुशी का फोन आया, वो इस समय चहक रही थी..

खुशी – हेलो ! वकील भैया.., उसकी आवाज़ में खुशी साफ-साफ झलक रही थी,

...... आपने उन चारों लड़कों के साथ ऐसा क्या किया, आज वो सभी लड़कियों के सामने हाथ जोड़कर बहनजी – बहनजी करते फिर रहे थे..!

यही नही, उनके शरीरों पर जगह जगह प्लास्टर और पट्टियाँ भी बँधी थी…

जब सबने कारण पुछा तो बोलने लगे – कि हम लोगों का आक्सिडेंट हो गया था…
हहहे… लेकिन भैया मे सब समझ गयी.. कि ये आक्सिडेंट कैसे हुआ…

मे – अब तो तुम खुश हो ना खुशी.., लेकिन ये बात किसी और को मत बताना…

खुशी – नही बताउन्गि भैया, थॅंक्स सभी लड़कियों की तरफ से और हां ! आइ लव यू.., आप बहुत अच्छे हैं.. शाम को घर आना फिर बात करती हूँ..आओगे ना..!

मे – नही खुशी आज में अपने गाओं जा रहा हूँ, फिर कभी आता हूँ, और हां, अगर कोई और भी किसी भी लड़की को परेशान करे, तो उन चारों लड़कों को बोलना..

वो अब तुम लोगों की मदद करेंगे…

वो चोन्कते हुए बोली – क्या…? ऐसा क्या काला जादू कर दिया आपने उन हरम्जादो पर…?

मेने हँसते हुए कहा – कोई जादू-वादू नही किया है, बस थोड़ा हेवी डोज़ दे दिया है, जिससे वो अब अपनी औकात में आगये हैं…!

खुशी – लेकिन मुझे आपसे मिलना था, मेरी हेल्प करने के लिए स्पेशल थॅंक्स करना था आपको,,

मेने हँसते हुए कहा – स्पेशल थॅंक्स क्या होता है..? फोन पर ही बोल दे ना…

खुशी – नही, वो तो जब आप मिलोगे तभी कहूँगी..

मे - चल ठीक है कह देना, अब फोन रखता हूँ, टेक केर.. बाइ.

खुशी – बाइ भैया…थॅंक्स अगेन, लव यू…!

इस घटना के बाद खुशी के कॉलेज में रोमीयो गॅंग का जैसे नाम ही ख़तम हो गया…

उन चारों के अलावा अगर कोई और लड़का भी किसी लड़की के साथ इस तरह की हिमाकत करता तो वो लड़के अपने तौर पर उसे सबक सीखा देते.., और अगर उनके बस से बाहर की बात होती,

तो वो अपना एग्ज़ॅंपल देकर उनके अंदर डर पैदा करते…, बताते कि कोई नकाब पॉश है जो ये सब नही होने देगा, और वो डरकर उनकी बात मान लेते…

इस कॉलेज की सभी लड़कियाँ एक तरह से सेफ हो गयी थी..

उन चारों लड़कों के अंदर आए बदलाव से स्टूडेंट्स के साथ साथ कॉलेज प्रशासन भी आश्चर्यचकित था…!

दो दिन बाद मे गुप्ता जी से मिलने जब उनके घर गया, रोज़ की तरह गुप्ता जी पूजा में थे, अनायास ही कॉलेज को निकलती खुशी मुझे हॉल में ही मिल गयी…

मुझे देखते ही वो खुशी से उच्छल पड़ी, आव ना देखा ताव, दौड़कर वो मेरे गले में झूल गयी…और अनगिनत चुंबन मेरे गालों पर जड़ दिए…

मे अरे खुशी रुक तो सही, क्या करती है बोलता ही रह गया, लेकिन वो अपने मन की करके ही रुकी…

फिर उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर चूम लिया और बोली – थॅंक यू भैया मेरी मदद करने के लिए…

ये नज़ारा अपने कमरे से बाहर निकलते हुए उसकी माँ चंडिका देवी…ओह्ह्ह सॉरी शांति देवी ने देख लिया…!

कयामत ही टूट पड़ी उस बेचारी के उपर, वो वहीं से बुरी तरह चीखते हुए दहाडी – खुशिीिइ……! ये क्या हिमाकत है ? नौकर और मालिक का लिहाज भी नही है तुझे…

उपरोक्त डाइलॉग बोलती हुई वो हमारी ओर लपकी और तडाक…तडाक्क्क्क… दो तीन तमाचे उस बेचारी के गाल पर जड़ दिए…

मेने उस बेचारी को बचाने की कोशिश की, लेकिन वो मेरी ओर पलटकर दाहडी… दूर रहो, खबरदार जो आगे बढ़े तो...

नमकहराम कहीं का, जिस थाली में ख़ाता है उसी में छेद करने की कोशिश कर रहा है…, निकल जा यहाँ से अभी के अभी…!

खुशी तो बेचारी बुरी तरह से रोने लगी, मेने कहा – देखिए आप मेरी बात तो सुनिए…

मेरी बात अभी पूरी भी नही हुई कि तडाक… एक जोरदार तमाचा मेरे भी गाल पर पड़ा…तब जाकर मुझे अंदाज़ा हुआ कि खुशी इतना क्यों रो रही है…

क्या भारी हाथ था हिटलरनी का…. दिन में तारे नज़र आने लगे मुझे… तो खुशी का क्या हाल हुआ होगा…?

इतने में हंगामा सुनकर घर के सारे नौकर, संकेत जो कॉलेज के लिए रेडी हो रहा था, यहाँ तक कि गुप्ता जी भी अपनी पूजा छोड़ कर दौड़े चले आए,

गुप्ता जी – क्या बात है शांति, क्यों इतना हंगामा कर रही हो सुवह-सुवह..., और ये खुशी इतना क्यों रो रही है…?

शांति उसी दहाड़ के साथ – पुछो अपनी इस लाडली से, एक नौकर के गले लग्के मूह काला कर रही थी, ये हरामी ना जाने इसे कब्से अपने जाल में फँसा रहा है…

गुप्ता जी चोन्कते हुए बोले – तुम अंकुश की बात कर रही हो…? क्या किया है इन्होने..?

शांति – ये इसके गले लगकर इसके मूह को चूम रही थी,

गुप्ता जी – क्यों वकील साब ! क्या शांति सच बोल रही रही है…?

मेने उनके चेहरे पर अपनी नज़र गढ़ाते हुए कहा – हां ! जो इन्होने देखा वो सच है, लेकिन इनके कहने का मतलव ग़लत है…

शांति – अच्छा ! मे अंधी हूँ, नासमझ हूँ, इतनी भी समझ नही है मुझे कि एक लड़की क्यों किसी पराए मर्द के गले ल्गकर उसे चूमती है…!

मेने एकदम शांत लहजे में कहा – लेकिन मे क्या कर रहा था…?

शांति – इससे क्या फरक पड़ता है, कि तुम कुच्छ कर रहे थे या नही… छुरि खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरि पर, काटना तो खरबूजे को ही है ना…
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06-02-2019, 01:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अपनी माँ की बात सुनकर खुशी का धैर्य जबाब दे गया और वो पूरी ताक़त लगाकर चीखते हुए बोली – ये क्या बकवास है, कुछ तो शर्म करो मम्मी ! अपनी बेटी पर इतना घिनौना इल्ज़ाम लगाने से पहले एक बार भी नही सोचा कि आख़िर मेने वो क्यों किया…?

गुप्ता जी – तुम कहना क्या चाहती हो बेटी ? सच्चाई क्या है…?

खुशी – सच्चाई जानना चाहते है डेडी ! तो सुनिए...! पुछो इनसे मुझे ये ज़बरदस्ती कॉलेज भेजती रहती थी, बाबजूद इसके कि मेने इनसे कहा था कि मुझे कॉलेज में कुच्छ गुंडे परेशान करते है…पुछिये अपने लाड़ले बेटे से, इनको भी बोला था, लेकिन कुच्छ करना तो दूर ये उन लड़कों से बात करने से भी डरते थे…

फिर वकील भैया ने मेरी परेशानी का कारण पुछा, मे इन्हें नही बताना चाहती थी, लेकिन मेरी परेशानी देखकर इन्होने कहा – तू मुझे अपना भाई समझकर बोल..क्या प्राब्लम है… तो मेने इन्हें वो बात बताई, और जानते हैं डेडी उसके बाद क्या हुआ…?

इससे पहले कि खुशी कुच्छ बोले, मेने बीच में आते हुए कहा – अरे छोड़ ना खुशी, इतनी छोटी सी बात के लिए क्यों इतना बखेड़ा कर रही है…

मेने प्रिन्सिपल से शिकायत करके उन लड़कों को समझा दिया है, बस इतनी सी बात के लिए तू इतना एक्शिटेड हो गयी कि मेरे गले से लगकर मुझे थॅंक्स करने लगी…

अब इसमें सेठानी जी की भी क्या ग़लती है, उन्हें लगा कि तुम पता नही क्यों ऐसा कर रही हो…!

गुप्ता जी संकेत को डाँटते हुए बोले – ये काम तू नही कर सकता था, प्रिन्सिपल से शिकायत तो तू भी कर सकता था ना…!

संकेत नीची नज़र झुकाए हुए बोला – मेने कहा था उनसे, लेकिन वो लड़के बहुत बदमाश थे, नही माने बदले में उनकी हरकतें और बढ़ गयी…

गुप्तजी – तो फिर अब कैसे मान गये…?

खुशी भभक्ते हुए स्वर में बोल पड़ी – क्योंकि इस नौकर ने उन लड़कों की हड्डियाँ तोड़ के रख दी हैं, जिससे उसके मालिक की बेटी सकुन से कॉलेज जा सके..

सभी के मूह से एक साथ निकाला – क्य्ाआ……?????

खुशी – हां ! और इस काम में इनको भी कुच्छ हो सकता था, लेकिन इन्होने इस बात की परवाह ना करके, एक पराई लड़की के लिए ये ख़तरा मोल लिया, और मेरा सगा भाई, दुम दबाए रहा…

इसलिए मेने सच्चे दिल से इन्हें अपना भाई माना है, और अपने भाई के गले लगकर उसके गाल पर किस करना कॉन्सा गुनाह है डेडी… आप ही बताओ, सही मायने में भाई का फ़र्ज़ किसने निभाया है…

ये कहते कहते खुशी.. हिचकियाँ ले-लेकर रोने लगी… शांति देवी लज्जा के मारे अपना सर झुकाए खड़ी थी…

गुप्ता जी का पारा अपनी बेटी को रोते हुए देख कर चढ़ गया, और शायद जिंदगी में पहली बार उन्होने शांति के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया…

शांति देवी को इस बात की कतयि आशा नही थी, कि उनका चूहा पति, एक शेरनी को तमाचा भी मार सकता है, सो वो गुर्राते हुए बोली – तुम्हारी इतनी हिम्मत्त….

तडाक्क्क…वो अपनी बात पूरी भी नही कर पाई, की एक और तमाचा पड़ा…और इसी के साथ गुप्ता जी किसी सोए हुए शेर के जागने के बाद वाले स्वर में बोले-

अब और एक शब्द नही…, बिना सोचे समझे इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया तुमने, एक भले आदमी को ना जाने क्या-क्या बोलती रही…,

इस घर की मालकिन हो तो इसका ये मतलव तो नही कि किसी के साथ जैसा चाहो बर्ताव करो, और एक ये हैं जिन्होने हमारे उपर अनगिनत एहसान किए हैं,

आज हमारी बेटी की इज़्ज़त बचा कर तो इन्होने वो काम किया है जो तुम्हारे इस लाड़ले बेटे को करना चाहिए था,

उसका एहसान मानने की वजाय ना जाने क्या-2 बोलती रही..इन्हें जॅलील करती रही तुम..

फिर भी इनकी भलमांसाहत देखो, तुम्हें ग़लत नही ठहराया – अरे अब तो सुधर जाओ, और हरेक के साथ एक जैसा व्यवहार करना बंद करो…!

फिर वो मेरे सामने हाथ जोड़कर बोले – इसके व्यवहार के लिए हम तुमसे माफी माँगते हैं अंकुश…

मेने उनके हाथ पकड़ लिए और कहा – ये क्या कर रहे हैं आप, ये उनसे अंजाने में हुआ है, और इसमें उनकी अपनी बेटी की चिंता ही दिखाई देती है… प्लीज़ सर, आप माफी मत मांगिए, सेठानी जी के लिए मेरे मन में कोई ग़लत विचार नही हैं…

शायद शांति देवी को बात समझ आगयि थी, सो चुप चाप किसी मुजरिम की तरह सर झुकाए खड़ी रही,

दोनो बच्चे उन्हें उसी अवस्था में खड़ा छोड़ कर वहाँ से चले गये…
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06-02-2019, 01:19 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
गुप्ता जी भी भुन-भुनाते हुए अपने काम में लग गये, तो फिर मेने भी वहाँ से सरकने में ही अपनी भलाई समझी…

और बिना किसी से कुच्छ कहे सुने मे बाहर की तरफ चल दिया…,

मेरे मुड़ते ही शांति देवी मेरे सामने आई, और हाथ जोड़कर बोली – अंकुश बेटा ! हो सके तो मुझे माफ़ कर देना…!

उनकी आँखों में पश्चाताप के आँसू थे, रुँधे गले से बोली – मे सच में बहुत बुरी हूँ, लेकिन मे भी क्या करूँ,

कोई समझाने वाला था ही नही, इन्होने कभी मुझे रोका-टोका नही, अपने पैसा कमाने में ही लगे रहे, तो जैसा मेरे मन में आया करती रही..!

मेने उनके हाथ पकड़ लिए और कहा – मे समझता हूँ, आंटी जी, आप बिल्कुल ग़लत नही हैं, बस स्वभाव थोड़ा तीखा है, इसलिए सबको ग़लत लगता है…!

सच मानिए मुझे आपकी बात का बुरा नही लगा, और इसमें थोड़ी सी ग़लती खुशी की भी है, उसे अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नही रहा…!

शांति – नही बेटा ! वो तो बच्ची है, उसके मन में जो आया उसने कर दिया, लेकिन मे तो इतनी उमर गुजर चुकी हूँ, अभी तक अपने बच्चों को नही समझ पाई…!

पर अब बेटा मेरी एक विनती है, भगवान के लिए इसी तरह मेरे बच्चों का ख्याल बनाए रखना, मेरी वजह से हमें छोड़ मत जाना…!

मे – आप चिंता मत करो ! मे हमेशा इस परिवार के साथ खड़ा हूँ…!

बहुत – बहुत धन्यवाद बेटा, तुम सच में बहुत अच्छे इंसान हो, ये कहते हुए उनकी रुलाई फुट पड़ी और वो मेरे सीने से लग कर रोने लगी…..!

शांति देवी उपर से जितनी कड़क दिखती थी, आज मेरे सीने से लग कर रोते हुए देखकर मुझे लगा कि वो अंदर से कितनी कोमल हैं, उन्होने सच ही कहा था,

उनके इस स्वाभाव का मूल कारण भी कहीं ना कहीं गुप्ता जी की पैसे कमाने की धुन ही थी, जिसकी वजह से उन्होने अपने परिवार पर कोई ध्यान नही दिया…

मेने उन्हें चुप करते हुए कहा – आप शांत हो जाइए आंटी जी, प्लीज़ रोइए मत..

वजाय चुप होने के उन्होने मुझे और ज़ोर्से कस लिया और बोली - नही बेटा ! मुझे आज जी भरके रो लेने दो,

आज तक मे अपने इन आँसुओं को मुद्दत से अपने अंदर समेटे हुए थी, इन्हें बह जाने दो,

क्योंकि मेरे इस घर में आने के बाद से आज तक कोई मजबूत कंधा मिला ही नही जिसका सहारा पा कर मे अपने अंदर के गुबार को निकाल पाती…!

आज तुमने जो खुशी के लिए किया है, उसे देखकर मुझे लगने लगा कि मेरे अलावा भी कोई तो है, जो मेरे बच्चों का साथ दे सकता है…!

शांति देवी सीने से लगी मेरे कंधे को अपने आँसुओं से तर करती रही, मेने भी उन्हें अलग करने की कोशिश नही की, अच्छा है, आज इनके मन का गुबार जितना हो सके निकल जाए….

उनके अंदर का डर, गुस्सा, चिंता सब आज उनके आँसुओं के माध्यम से बाहर निकल रहे थे…

लेकिन…! अब उनके 38” के खरबूजे मुझे परेशान करने लगे थे, जो कि बुरी तरह से मेरे सीने में दबे हुए थे...,

उनको सांत्वना स्वरूप पीठ सहलाता हुआ मेरा हाथ अनायास ही उनकी कमर तक चला गया, मांसल जांघें मेरी जांघों से सटाती जा रही थी…!

मुझे लगने लगा कि ये एमोशन्स कोई दूसरा ही रूप लेते जा रहे हैं, इससे पहले कि मेरी पॅंट में क़ैद मेरा शेर जाग जाए, मेने उनके कंधे पकड़ कर अपने से अलग कर दिया,

उनके आँसू पोन्छे, और सांत्वना देकर मे वहाँ से चला आया ……........................!

अपने ऑफीस में आकर एक केस स्टडी करने लगा, तभी मेरे फोन की बेल बजने लगी, मेने कॉल करने वाले का नाम देखा, तो मेरे चहरे पर मुस्कान आगयि…

मेने कॉल पिक की और बोला – हेलो ! डॉक्टर. वीना, कैसी हैं आप ?

वो – ओ..हाई हॅंडसम ! तुम सूनाओ… लगता है जनाब हमें तो भूल ही गये…

मे – आप जैसी स्वपन सुंदरी भूलने वाली चीज़ थोड़ी है… मे तो आपके बुलावे के इंतेज़ार में ही था…

वो – हहहे….तो अब में चीज़ हो गयी… चलो कोई बात नही… इस चीज़ के बारे में क्या ख़याल है…

मे – हुकुम कीजिए मालिको…. बंदा हाजिर हो जाएगा….

वो – वैसे अभी फ्री हो क्या..?

मे – नही हैं, तो भी हो जाएँगे…. बोलिए कब और कहाँ आना है..?

वो – अभी आ जाओ मेरे घर… अकेली हूँ…

मे – क्यों ! आपके डॉक्टर साब कहाँ गये.. ? और आज हॉस्पिटल नही गयी…?

वो – मेरे हज़्बेंड फॉरिन गये हैं… किसी काम से एक हफ्ते में लौटेंगे… और आज हॉस्पिटल बंद रहेगा… कोई एमर्जेन्सी होगी तो ही खुलेगा…,

बस पुराने मरीज़ों को ही देखा जाएगा…, जो नर्सस संभाल लेंगी…

मे – ठीक है.. मे एक घंटे में हाज़िर हो जाता हूँ, आप अड्रेस बताइए…

वो – मे अभी मेसेज कर देती हूँ…जल्दी आना…

मे एक घंटे के बाद डॉक्टर. वीना के बंग्लॉ के सामने खड़ा था,

वाउ ! क्या शानदार बंग्लॉ था, लगता है काफ़ी दौलत कमाई है, दोनो ने मिलकर…

मेने मैन गेट की बेल बजाई…कुच्छ देर में एक मोटी सी अधेड़ औरत ने आकर गेट खोला, उसकी पहाड़ जैसी चुचिया… उसके गाउन को फाडे दे रहे थे…

मुझे देख कर वो बोली… किसकू मिलना है… ?

तभी पीछे से डॉक्टर. वीना की आवाज़ आई, जुली कॉन है…?

वो – पता नही मेम्साब ! कोई छोकरा सा है….

तब तक वीना ने अपने हॉल के गेट से ही मुझे देख लिया… और बोली – आने दो जली… इन्हें मेने ही बुलाया है…

वो मुझे अंदर लेकर वापस जाने को पलटी,… बाप रे…. इतनी बड़ी गान्ड…, ऐसा लगता था मानो दो बड़े-2 मटके उल्टे करके कमर से बाँध दिए हों…

वो उन्हें हिलाते हुए मेरे आगे – आगे चल दी… मेरी नज़र उसकी हिलती हुई भारी भरकम गान्ड पर ही टिकी थी…

मुझे देख कर डॉक्टर. वीना, वहीं खड़ी – 2 मुस्करा रही थी, जुली दूसरी तरफ चली गयी और मे वीना के साथ हॉल में आगया….

वीना चुटकी लेते हुए हस्कर बोली – क्या देख रहे थे..?

मे – बाप रे ! क्या गान्ड है इसकी… कैसे संभालती होगी इतने वजन को, उपर से इतनी भारी चुचियाँ….

वो मेरी बात सुन कर ठहाका लगा कर हँसने लगी… और बोली – लगता है… जूली की गान्ड पर मन आगया है तुम्हारा….!

मे हँसते हुए कहा – कोई पागल ही होगा… जो ऐसे माँस के लोथडे पर अपनी एनर्जी वेस्ट करेगा…
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06-02-2019, 01:19 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
कुच्छ देर हम दोनो हँसते रहे.. फिर वो बोली – क्या लोगे, ठंडा, गरम…, कोई हार्ड या सॉफ्ट ड्रिंक…

मे – मुझे तो बस एक ही चीज़ की प्यास है इस समय…
वो मेरी बात को समझते हुए बोली – क्या…?

यहाँ हर चीज़ मौजूद है… तो मेने खड़े-2 ही, उसके चहरे को अपने हाथों में लेकर उसके होठों को चूम लिया…

इन रसीले होठों को छोड़ कर भला और रस पीना क्यों चाहेगा कोई…

वो – ये भी मिलेगा… थोड़ा बैठो, जल्दी तो नही है ना…, और ये कहकर उसने हाथ पकड़ कर सोफे पर बिठा लिया…

वैसे अब तक तुमने ये नही बताया कि तुम काम क्या करते हो..? उसने सवाल किया.

मे आड्वोकेट हूँ, और यहीं डिस्टिक कोर्ट में प्रॅक्टीस कर रहा हूँ…मेने कहा.

हम दोनो हॉल में पड़े मास्टर सोफे पर एक दूसरे से सटे हुए ही बैठे थे, उसने मेरी जाँघ सहला कर पुछा...

ओह्ह्ह…! तो वकील साब कैसी चल रही है आपकी वकालत…?

मेने भी उसकी एक चुचि को मसलते हुए जबाब दिया – ठीक ही है, धीरे – 2 गाड़ी पटरी पर आती जा रही है…

बातों – 2 में ही हम दोनो एक दूसरे के बदन को छेड़ते हुए गरम होने लगे…

उसने मेरा पॅंट खोल कर लंड बाहर निकाल लिया, और अपनी मुट्ठी में लेकर बोली – जब से तुम्हारा ये हथियार देखा है, सपने में भी मुझे यही दिखाई देता है…

ना जाने कितनी बार इसे सोच-सोच कर अपनी पुसी में फिंगरिंग कर चुकी हूँ… आज नही छोड़ूँगी इसे… आज तो इसका रस पीकर ही रहूंगी…

इतना बोलकर उसने उसे अपने मूह में ले लिया, और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी…

वीना एक झीने कपड़े की शॉर्ट मिडी पहने थी, जो उसके घुटनों तक ही थी…

सोफे पर बैठी वो झुक कर मेरा लॉडा चूस रही थी… मेने उसकी मिडी को उसकी गान्ड के उपर तक कर दिया और उसकी गद्देदार गान्ड को मसल्ने लगा…

उसकी छोटी सी पेंटी गान्ड की दरार में घुसी पड़ी थी…जिसे मेने साइड में करके.. उसकी गान्ड के सुराख में उंगली डाल दी…

वो अपनी गान्ड को इधर-उधर हिलाकर अपनी गान्ड के छेद से मेरी उंगली को निकालने की कोशिश करने लगी, लेकिन लंड मूह से नही निकलने दिया…

मेने उसकी मिडी को और उपर करके उसके सर के उपर से निकाल दिया… उतने समय के लिए मेरा लंड उसके मूह से बाहर आया…

वो अब ब्रा और पेंटी में थी……

मेने उसे पुछा – बेड रूम में चलें.. तो वो इठलाकर बोली – मुझे गोद में उठाकर ले चलो, तो ही जाउन्गि…

वो थोड़ी सी भारी तो थी, लेकिन मेने उसे आराम से उठा लिया और उसके बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया…
सॉफ्ट गद्दे के उपर वो दो-तीन बार उपर-नीचे जंप हुई…

मेने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसकी ब्रा और पेंटी को निकाल कर, पलंग पर लेट गया…

वो अपनी धरा सी गान्ड लेकर मेरे मूह पर बैठ गयी, फिर मेरे उपर लेट कर मेरा लंड फिर से मूह में ले लिया…

अब हम 69 की पोज़िशन में थे, वो मेरा लंड चूस रही थी, और मे उसकी चूत की खुदाई अपनी जीभ घुसा-घुसा कर करने लगा…

कभी उसकी चूत को दाँतों से काट लेता तो वो अपनी गान्ड को और ज़ोर से हिला-हिला कर मेरे मूह पर रगड़ देती…

10-15 मिनिट में ही हम दोनो एक दूसरे के मूह में झड गये…और अगल-बगल में लेट कर लंबी- 2 साँस भरने लगे…

मूह एक दूसरे के रस से सना हुआ था, तो फिरसे किस्सिंग में जुट गये… और अपने-2 रस का स्वाद बाँट लिया….

कुच्छ देर बाद हम फिरसे एक दूसरे से लिपट गये,

डॉक्टर वीना, जल्दी ही कमतूर होकर मेरा लंड लेने को बाबली सी हो गयी…

मेने उसकी गान्ड के नीचे दो पिल्लो रखे, और उसकी रसीली चूत में अपना मूसल पेल दिया…

शुरू-शुरू में उसे मेरा लंड अड्जस्ट करने में थोड़ी तकलीफ़ हुई, लेकिन फिर जल्दी ही मज़े लेकर चुदने लगी…

शाम तक मेने डॉक्टर. वीना के दोनो छेदो की जम कर खुदाई की… वो मेरे लंड की दीवानी हो गयी,…

सच में बहुत मज़ा देते हो तुम, किसी औरत को सॅटिस्फाइ करने की कला अच्छे से आती है तुम्हें.. वो मेरे बालों में अपनी उंगलिया घूमाते हुए बोली…

मेने कहा – मज़ा तो आया ना मेरे साथ सेक्स करके….?

बहुत…! मेरे हज़्बेंड ने कभी मुझे इतनी देर तक नही छोड़ा… और वैसे भी उनका लंड तुम्हारे से छोटा भी है,

इसलिए शुरू में थोड़ा हार्ड लगा मुझे इसे अपनी पुसी में लेने में…, वो मेरे लंड से खेलते हुए बोली..

हम दोनो अभी भी नंगे उसके बिस्तेर पर पड़े हुए थे… फिर वो उठी, बाथ रूम से फ्रेश होकर कॉफी बनाने चली गयी… इतने में मेने भी अपने कपड़े पहन लिए थे…

कॉफी का मग मुझे पकड़ते हुए वो बोली – अरे यार अंकुश !

एक बेचारी लड़की मेरे हॉस्पिटल में है, उसके साथ गॅंग रेप हुआ है, अब रेप करने वाले लड़के बड़े-2 घरों से हैं.. तो पोलीस भी उसकी कंप्लेंट नही ले रही…

तुम लॉयर हो, कुच्छ करो ना यार.. बेचारी के घरवाले भी बड़ी मुसीबत में हैं…

उनको धमकी भी मिल रही हैं लगातार.. कि अगर उन्होने पोलीस में रिपोर्ट करने की कोशिश की तो सारे परिवार को ख़तम करवा देंगे…

मेने कहा – चलो चलके देखते हैं, क्या हो सकता है…?

कॉफी ख़तम करके वो भी रेडी हो गयी… वो अपनी कार से और मे अपनी बुलेट से उसके हॉस्पिटल की तरफ चल दिए…!
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06-02-2019, 01:19 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
राम लाल, मुनिसिपल कॉर्पोरेशन में चपरासी है, अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ, दो कमरों एक के छोटे से मकान में अपनी जिंदगी बसर कर रहा था…

बड़ी बेटी रेखा, कॉलेज में पढ़ती है, इस समय वो सेकेंड एअर की स्टूडेंट है, उमर अभी 20 पूरा ही किया था…

दूसरी बेटी प्राची 12थ में है, और सबसे छोटा एक बेटा, सुनील जो 9थ में पढ़ता है…

पाँच प्राणियों का ये परिवार राम लाल की छोटी सी पगार से ही चलता है, और इसी में सब लोग हसी खुशी जिंदगी बसर कर लेते थे…

गुणी पत्नी सरला देवी, अपने पति की आमदनी को सही ढंग से इस्तेमाल करके घर का खर्चा पूरा कर लेती थी, थोड़ा बहुत बचत करके घर के लोन की ईएमआई भी भर जाती थी…

बड़ी बेटी रेखा, पड़ोस के ही दो चार बच्चों को ट्यूशन देकर थोड़ा बहुत सहारा दे रही थी… सहारा भी क्या, बस समझ लो अपने कॉलेज का खर्चा निकाल लेती थी…

रेखा, मध्यम कद काठी, गोरे रंग और अच्छे नयन नक्स वाली एक आवरेज सी लड़की थी,

32-24-32 के फिगर के साथ उसमें इतना आकर्षण तो था, कि कॉलेज के लड़के उससे नज़दीकी रखने की कोशिश करते रहते थे…

लेकिन सरल स्वभाव और संस्कारी रेखा, अपने काम से काम रखती, घर से कॉलेज, कॉलेज से घर, बस यही उसका रुटीन रहता… ,

कॉलेज में उसकी ज़्यादा फ्रेंड्स भी नही थी…बस दो-चार लड़कियों से जस्ट हाई-हेलो हो जाती थी…

इसका बहुत बड़ा कारण था, उसका अपना घरेलू स्टेटस, जो उन दूसरी लड़कियों से मेल नही ख़ाता था…

शहर का नामी गिरामी गुंडा… नाम है उष्मान ख़ान… सभी उसे उस्मान भाई कह कर बुलाते हैं… ऐसा कोई ग़लत काम नही है, जो उसने अपने जीवन में ना किया हो…

किसी जमाने का एक टुच्छा सा गली का गुंडा, आज शहर का ड्रग माफ़िया था, शुरू- 2 में उसने पॉकेट मारी से लेकर छोटी- मोटी चोरियाँ करना, ऐसे कामों से शुरुआत की…

फिर वो लोगों को लूटने लगा, धीरे -2 और छोटे-मोटे गुंडे उससे जुड़ते गये और उसने देखते-2 एक बड़ा सा गॅंग खड़ा कर दिया…

पॉल्टिकल मर्डर, ज़मीन हथियाना ऐसे कामों से आगे बढ़ते हुए उसने ड्रग का धंधा, गैर क़ानूनी शराब और यहाँ तक की हथियारों की तस्करी भी करने लगा…

अब तो शहर के जाने माने पॉलिटीशियन, बुरॉकरटेस और बिल्डर्स भी उसकी मदद लेने लगे, और वक़्त आने पर वो उनकी मदद से अपने को बचाए भी रखता था…

जिस कॉलेज में रेखा पढ़ रही थी, उसी में उस्मान का बेटा असलम भी पढ़ता था…

वो गाहे बगाहे लड़कियों को छेड़ना, किसी को भी मारना पीटना उसके लिए आम सी बात थी..

असलम के दोस्तों की फेहरिस्त में भी अच्छे-2 परिवार के लड़के ही थे, जो कहीं ना कहीं उसके बाप के कारोबार में उसके सहभागी थे…

रेखा के बयान के मुतविक असलम ने कई बार उसको भी छेड़ा, पर वो बेचारी लहू का सा घूँट पीकर बस उस जैसे गुण्डों से किसी तरह अपने आपको बचाती रही…

एक दिन कॉलेज में फंक्षन था, सब उसमें बिज़ी थे…रेखा भी उस वक़्त कॉलेज में ही थी…साथ में एक रूबिया नाम की लड़की बैठी थी…

अचानक से रूबिया उससे बोली – चल रेखा कॅंटीन में चल कर कुच्छ ठंडा गरम पीते हैं…

रेखा ने बहुत मना किया, लेकिन वो नही मानी और उसे जबर्जस्ति खींच ले गयी…

रेखा को कॅंटीन की ब्रेंच पर बिठाकर वो रिसेप्षन से दो ठंडे की बॉटल ले आई, एक रेखा को दी और दूसरी उसने खुद ले ली…

ठंडा पीने के कुच्छ देर बाद ही रेखा का सर चकराने लगा…, जब उसने रूबिया को ये बात बताई.. तो वो बोली –

हो सकता है, तुझे कॉलेज के शोर शराबे की वजह से ऐसा फील हो रहा हो, चल में तुझे घर छोड़ देती हूँ…

उसने रेखा को रिक्शा में बिठाया और वहाँ से निकल गयी… रिक्शा में बैठने के कुछ देर बाद ही रेखा की आँखें बंद हो गयी और वो रूबिया की गोद में लुढ़क गयी….

जब उसे होश आया, तो उसने अपने आप को किसी फार्म हाउस के एक बड़े से कमरे में बेड पर लेटे हुए पाया…

उसका सर अभी भी चकरा रहा था, लेकिन शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना भरती जा रही थी….

अभी वो उस बेड से उतर कर खड़ी ही हुई थी…, कि उसने असलम को कमरे के अंदर आते हुए देखा…

रेखा असलम को देखकर चोंक पड़ी, और बोली – त्त्त्त्तुम्म्म…., मे यहाँ कैसे पहुँच गयी…?

असलम – हम लेकर आए हैं मेरी जान तुम्हें यहाँ…! चिंता मत करो.. यहाँ तुम्हें कोई तकलीफ़, नही होगी… बस थोड़ा सा हमें खुश कर देना…

इतना कह कर वो एक दरिंदगी वाली हँसी हँसते हुए उसके नज़दीक आया, और उसके बदन के साथ छेड़ खानी करने लगा…

रेखा ने अपने हाथ से उसका हाथ अपने बदन से दूर झटक दिया और बोली – मुझे जाने दो … मे ये सब नही कर सकती…

तब तक कमरे में उसके तीन साथी और आगये, जिनमें एक एमएलए रस बिहारी का भतीजा भी था.

वाकई दो को वो नही पहचानती थी…
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06-02-2019, 01:19 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उन चारों ने मिल कर उसे घेर लिया…, और उसके साथ ज़ोर जबर्जस्ती करने लगे…

वो उनसे बचने की कोशिश करती रही, लेकिन बच नही पा रही थी, कभी एक से बचती, तो दूसरा उसे पकड़कर उसके नाज़ुक अंगों से छेड़-छाड़ कर देता…

एक पल को वो भी उन्माद से भर जाती, शायद ये उसको दी गयी दवा का असर था, लेकिन दूसरे ही पल वो उनसे फिर बच निकलने के प्रयास करने लगती…

वो चीखती रही चिल्लाति रही… लेकिन उन दरिंदों ने उसकी एक ना सुनी, और उसके बदन से एक-एक करके सारे कपड़े नोच डाले…

फिर खेल शुरू हुआ दरिंदगी भरा…और वो चारों मिलकर उसे नोचते- खसोटते रहे.. उसके बदन पर कई जगह दाँतों के काटने से घाव बन गये, जो उसके गाल, थोड़ी, गले पर साफ साफ दिख रहे थे…

उन चारों ने उसको जी भर कर मसला, बुरी तरह से रौंदा, इस दौरान वो कई बार अपनी चेतना भी खो चुकी थी…

लेकिन वो नरभक्षी भेड़िए उसके बदन को तब तक भभोड़ते रहे, जब तक उनकी खुद की उत्तेजना शांत नही हो गयी…

फिर उन्होने उसके बेदम हो चुके शरीर को गाड़ी में डाला और हॉस्पिटल के सामने फूटपाथ पर फेंक कर भाग गये…!

फुटपाथ पर भी ना जाने वो कितनी देर तक पड़ी रही, फिर एक राह चलते आदमी ने हॉस्पिटल में आकर बताया, तब कहीं जाकर उसे अंदर लाए और उसका ट्रीटमेनेट शुरू किया…


उसकी दुख भरी कहानी सुन कर मेरे शरीर के रौंय खड़े हो गये…गुस्से से मेरा शरीर काँपने लगा……..!

मे उसके चेहरे और गर्दन के घावों को ही देख रहा था, कि तभी डॉक्टर. वीना
बोली – क्या देख रहे हो अंकुश… ये तो कुच्छ भी नही हैं…

इसके वाकी के शरीर के घावों को तो तुम देख भी नही सकोगे… इसके वक्षों को तो इस कदर दाँतों से काटकर घायल किया है.. कि बस क्या कहूँ…? बता भी नही सकती मे..

इसके निपल्स को तो बिल्कुल खा ही लिया है उन हराम्जादो ने…

पिच्छले 48 घंटों से ये इसी तरह दर्द से तड़प उठती है… अभी भी ज़्यादा हिलने डुलने की कोशिश में इसकी यौनी से खून बहने लगता है…

मेने वीना से कहा – इसकी रिपोर्ट मिल सकती है मुझे…?

उसने मुझे रिपोर्ट लाकर दी, जिसे मेने एक बार पढ़ा और फिर कृष्णा भैया को फोन लगा दिया…….!
कॉल पिक होते ही मेने कहा – मे आइ टॉक टू एसपी कृष्ण कांत शर्मा…?

वो – यस ! एसपी कृष्ण कांत हियर …

मे अंकुश बोल रहा हूँ भैया, क्या आप अभी सहयोग हॉस्पिटल आ सकते हैं…इट्स आन अर्जेन्सी …

वो – ईज़ सम थिंग सीरीयस…?

मे – यस ! मोर दॅन सीरीयस…

वो – ओके, आइ विल बी देयर, विदिन अवर…

एक घंटे के बाद भैया अपने दल-बल के साथ हॉस्पिटल पहुँच गये… मेने उन्हें सारी वस्तु स्थिति से अवगत कराया…

उन्होने रेखा का स्टेट्मेंट दर्ज कराया, फिर उसके पिता से बोले – राम लाल जी ! आपने कॉन से थाने में फरियाद की थी…

उसने उस थाने का नाम बताया, तो भैया ने उस थाने का नंबर लगाया, और उस इनस्पेक्टर को इम्मीडियेट तलब किया…

उसके आते ही उन्होने उसे बुरी तरह से लताड़ा… और वहीं खड़े-2 लाइन हाज़िर कर दिया… वो गिड गीडाता रहा… और बड़े – 2 नाम होने की वजह से रिपोर्ट ना लिखने का कारण बताया…

लेकिन उन्होने उसकी एक ना सुनी… वहाँ से हम सीधे कमिशनर ऑफीस पहुँचे…

जब उन दो लड़कों के नाम बताए, तो वो हड़बड़ा गये और बोले – जानते हो एसपी उन चार लड़कों में एक हमारा भी बेटा है…!

एसपी – क्या कह रहे हैं सर ! आपका लड़का रेपिस्ट में शामिल है…?

कमिश्नर- हां ! और इसलिए हम तुम्हें ये सलाह देंगे, कि तुम इस मामले को जैसे भी हो रफ़ा दफ़ा करो, लड़की के परिवार को हम संभाल लेंगे…
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06-02-2019, 01:20 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अब मेरा माथा ठनका, क्यों ये पोलीस इनस्पेक्टर रिपोर्ट नही लिख रहा था, बेचारे की इतनी औकात नही थी कि कमिशनर के बेटे को ही अरेस्ट कर सके…

मेने कहा - कमिशनर साब आप क़ानून के रखवाले हैं, और आप ही ऐसा करेंगे मुजरिमों को बचाने की कोशिश करेंगे, ये तो अपने पद के साथ गद्दारी हुई ना…

वो भड़क कर बोले – हू आर यू..? मुझे मत सिख़ाओ क़ानून के साथ क्या करना है क्या नही…!

मेने कहा – मे भी क़ानून का मुहाफ़िज़ हूँ, और क़ानून की इज़्ज़त करना मेरा धर्म है..!

कमिश्नर – हम इस मामले में तुम लोगों के साथ कोई बहस नही करना चाहते, बस एक बात हमारी सुन लो एसपी, इस केस में आगे बढ़ाने के लिए हम तुम्हें पेर्मिशन नही दे सकते…

मेने सीट से उठते हुए कहा - कोई बात नही सर, हम सीधे कोर्ट से ही अरेस्ट वॉरेंट निकलवा लेते हैं, चलो एसपी साब…

मेरी बात सुनकर कमिशनर चड्डा भड़क गया, और भैया को धमकाने लगा…

लुक एसपी, अगर तुमने मेरे बेटे या उसके दोस्तों को हाथ भी लगाया, तो समझ सकते हो तुम्हारा क्या हाल होगा…

मे – ज़्यादा से ज़्यादा ट्रान्स्फर ही कर सकते हैं आप, इससे ज़्यादा आपके हाथ में कुच्छ नही है..

इतना बोलकर हम उसकी और कोई बात बिना सुने वहाँ से निकल आए, मे भैया को लेकर सीधा जस्टीस ढीनगरा के पास पहुँचा….!

उनको सारी बात बताई, मेडिकल सर्टिफिकेट की बिना पर उन्होने तुरंत अरेस्ट वॉरेंट इश्यू कर दिया….

आनन फानन में उन तीन लड़कों को अरेस्ट कर लिया गया, चौथे का नाम उनसे उगलवा कर, उसे भी दबोच लिया, जो योगराज बिल्डर का बेटा था…

चार्ज शीट बना कर उन्हें दूसरे दिन ही कोर्ट में पेश किया गया…और पोलीस कस्टडी ले ली…

भैया ने अपने तौर पर तो अपना काम कर दिया था… जिसके लिए उन्हें कमिशनर से काफ़ी लताड़ भी सुननी पड़ी….!

लेकिन हवालात में उन लड़कों के साथ मुजरिमों जैसा वार्तब कतयि नही किया गया, हमारे निकलते ही पोलीस वाले किसी मेहमान की तरह उन हराम्जादो की सेवा में लग गये….

इस दौरान राम लाल पर काफ़ी दबाब भी डाला, यहाँ तक कि, उसको खरीदने की भी कोशिश की गयी…

लेकिन रेखा ने अपने बाप को साफ-2 बोल दिया, कि अगर उसने ऐसा कुच्छ भी करने का सोचा भी तो वो मौत को अपने गले लगा लेगी… लेकिन अपने जीते जी, उन कुत्तों को माफ़ नही करेगी…!

दो दिन बाद रेखा को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी, और वो लोग अपने घर आगये…
8 दिन की पोलीस रेमंड के दौरान उन लोगों ने जी तोड़ कोशिश की… वो कहावत है ना ! कि पैसों से यहाँ सब कुच्छ खरीदा जा सकता है…!

वही सब हुआ, राम लाल 10 लाख लेकर कोर्ट में मुकर गया… उसने रेखा को भी सच्चाई बयान नही करने दी,

पैसों के दम पर उन्होने सुनवाई भी अपने फेवर के जड्ज के यहाँ करा ली…जो उनका ही आदमी था…

सारे सबूत झूठे साबित कर दिए गये…, यहाँ तक कि मेडिकल रिपोर्ट भी बदलवा दी गयी, और उन चारों को बा-इज़्ज़त रिहा कर दिया गया…जिन्होने कभी किसी की इज़्ज़त नही की.

उसके दो दिन बाद ही रेखा ने अपने आपको पंखे से लटका लिया… और वो इस लालच से भरी दुनिया को छोड़ कर चली गयी…!

पैसों के वजन के आगे, राम लाल को बेटी का गम भी हल्का महसूस हुआ… जो उन लोगों ने बाद में और बढ़ा दिया था, और उसने इस मामले में अपनी चुप्पी साध ली….!

इस घटना के बाद भैया के संबंध उनकी ससुराल से और ज़्यादा खराब हो गये, और कामिनी भाभी उनका बंगला छोड़ कर अपने पिता के घर रहने चली गयी….

खैर ये तो अच्छा ही हुआ, क्योंकि वो भी उनसे छुटकारा पाना चाहते थे, सो उन्होने अपनी तरफ से पहल करते हुए, डाइवोर्स केस फाइल कर दिया….!

मेने उनके यहाँ कोर्ट के थ्रू उसका नोटीस भिजवा दिया…

राजनीति का एक नेगेटिव पहलू भी होता है, ये साले नेता लोग परिवारिक प्रतिष्ठा को हर हालत में बचाए रखने का यता संभव प्रयास करते हैं..

सो जैसे ही डाइवोर्स नोटीस उन्हें मिला… वो लोग हड़बड़ा गये, दौड़े-दौड़े भैया के पास आए… और अपनी इज़्ज़त की दुहाई देने लगे.

भैया ने कहा – कि पहल तो तुम्हरी तरफ से हुई है… मे तो इस बेमानी रिस्ते से निजात ही दिला रहा हूँ… तुम भी खुश और मे भी चैन से रह सकूँगा…

जब वो ज़्यादा मिन्नतें करने लगे तो भैया ने दो टुक जबाब देते हुए बोल दिया… कि अब जो भी बात करनी हो, मेरे लॉयर से करो…,

मेरे ऑफीस का अड्रेस तो मेरे लेटरहेड में था ही, सो दूसरे ही दिन कामिनी मेरे ऑफीस आ धमकी….!

मुझे सामने देख कर वो चोंक गयी… और बोली – अरे देवेर जी ! आप और यहाँ..?

मेने पहले उनको नमस्ते किया फिर आराम से बैठने को कहा… जब वो मेरे सामने बैठ गयी तो मेने कहा – हां ! ये मेरा ही ऑफीस है… कहिए क्या सेवा करूँ आपकी…

वो मायूसी वाले स्वर में बोली – आप तो हमसे इतने ज़्यादा नाराज़ हैं, कि घर पर भी आपने ऐसा व्यवहार किया… जैसे मे आपकी भाभी ना होकर कोई दुश्मन थी…

मे – अपने उस व्यवहार के लिए मे माफी भी माँग चुका था, और आपको वादा भी किया की आइन्दा आपको टच भी नही करूँगा…,

वो – वही तो रोना है, मे तो चाहती थी, कि आप मेरे साथ वो बार – बार करो… थोड़े से दर्द के बाद मज़ा भी तो था उसमें,

पर आपने मुझे कुच्छ कहने का मौका ही नही दिया…

मे – क्या…? क्या सच में आप उस बात से नाराज़ नही थी…?

वो – ऑफ कोर्स नोट !

मे – ओह.. सच में मेने कितनी बड़ी भूल करदी, जो आप जैसी मस्त हॉट भाभी से दूर हो गया…

कामिनी को लगा कि उसका तीर चल गया है, वो उसकी धार और बढ़ाने के लिए अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आगयि और पीछे से मेरे गले में बाहें डाल कर बोली –

अभी भी कोन्सि देर हुई है देवेर जी, मे तो आप जैसे मर्द के लिए कुच्छ भी सहने को तैयार हूँ… प्लीज़ मुझे वो तकलीफ़ एक बार फिर से दो ना..!

इतना कह कर वो मेरी गोद में आकर बैठ गयी… और मेरे गाल को किस कर लिया…
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