Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-01-2019, 02:35 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
तो बच्चों का फ़र्ज़ भी है, कि वो उनकी भावनाओं का सम्मान करें…

फिर मेने दोनो भाइयों से मुखातिब होकर कहा – आप लोगों ने भी तो वही राह चुनी जो बाबूजी ने सुझाई थी, तो मे कैसे अलग राह चुन सकता हूँ…

मेरी बातें सुनकर सबकी आँखें नम हो गयी, और बारी-बारी से सबने मुझे सीने से लगाकर आशीर्वाद दिया.

बाबूजी ने मेरे सर पर हाथ रखकर कहा - अब मुझे पूरा विश्वास है, कि तू जो भी करेगा उसमें अवश्य सफल होगा…!

आज मे ईश्वर का बहुत अभारी हूँ, जिसने मुझे इतने लायक बेटे दिए… मेरा जीवन धन्य हो गया…!

आज अगर तुम्हारी माँ जिंदा होती, तो अपने बच्चों को देख कर कितनी खुश होती..ये बोलते - बोलते माँ की याद में उनकी आँखें भर आईं.

भाभी ने बाबूजी से कहा – वो अब भी हमारे बीच ही हैं बाबूजी… आज इस घर में जो खुशियाँ दिख रही हैं, वो उनके त्याग और आशीर्वाद का ही तो फल है…!

बाबूजी ने भाभी के सर पर आशीर्वाद स्वरूप अपना हाथ रख कर कहा – तुम सच कहती हो बेटी,

लेकिन इन सबके अलावा विमला के जाने के बाद जिस तरह से तुमने अपनी छोटी उमर में इस घर को संभाला है, वो भी कोई मामूली बात नही है…

ये घर तुम्हारा हमेशा एहसानमंद रहेगा बेटी….

भाभी – भला अपनों पर भी कोई एहसान करता है बाबूजी…! मेने तो बस वही किया जो माजी मुझसे बोलकर गयी थी…

माहौल थोड़ा एमोशनल सा हो गया था, सभी की आँखें नम हो चुकी थी, इससे पहले की मामला कुछ और सीरीयस रूप लेता, कि तभी रूचि बीच में कूद पड़ी…

मम्मी ! आप लोग बात ही करते रहोगे, मुझे भूख लगी है..., सभी को उसके अचानक इस तरह बोलने से हँसी आ गयी, भाभी ने उठ कर उसे दूध दिया, तो माहौल थोड़ा नॉर्मल हुआ…

कुछ देर के वार्तालाप के बाद डिसाइड हुआ कि मुझे लॉ करना चाहिए, वो भी किसी अच्छे कॉलेज से, सो दूसरे दिन ही बड़े भैया, देल्ही के एक अच्छे से कॉलेज का फॉर्म ले आए…

मेरे ग्रॅजुयेशन के अच्छे नंबरों की वजह से देल्ही के कॉलेज में मुझे अड्मिशन मिल गया…, मे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए देल्ही जाने की तैयारियों में जुट गया….!

देल्ही जाने से एक दिन पहले शाम को मे अपने सभी परिवार वालों से मिलने के लिए घर से निकला…

पहले बड़े चाचा के यहाँ, फिर मनझले चाचा-चाची से आशीर्वाद लेकर मे छोटी चाची के यहाँ पहुँचा…

चाचा कहीं बाहर गये थे.. चाची ने मुझे देखते ही, चारपाई पर बिठाया और अंश को रूचि के साथ खेलने को भेजकर वो मेरे पास आकर बैठ गयी…

सी. चाची – लल्ला ! सुना है, तुम दिल्ली जा रहे हो पढ़ने के लिए, इसमें तो सालों निकल जाएँगे…

मे – हां चाची लगभग 4 साल तो लग ही जाएँगे…!

वो – हाए राम ! 4 साल..? चाची दुखी सी दिखाई देने लगी ये सुनकर, फिर मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर बोली…

बहुत याद आओगे तुम, वैसे हम सबके बिना कैसे काटोगे इतने दिन अकेले…?

मे – क्या करूँ चाची काटने तो पड़ेंगे ही… अब बाबूजी की आग्या का पालन तो करना ही पड़ेगा… वैसे आप मुझे बहुत याद आओगी चाची…

मेरी बात सुनकर उनकी आँखें डॅब्डबॉ गयी, और मुझे अपने सीने से लगाकर बोली – सच बेटा…! तुम्हें अपनी चाची की याद आएगी..?

ना जाने क्यों , चाची के मुँह से पहली बार बेटा सुनकर मेरा भी मन भर आया, मेरी आँखों से आँसू छलक पड़े, और मे कसकर उनके सीने से लिपट गया…!

फिर मेने उन्हें अलग करते हुए, उनके आँसू पोंच्छ कर कहा – चाची , एक बार फिरसे बेटा कहो ना… ये शब्द सुनने के लिए कान तरस गये थे मेरे…

चाची – सच बेटा…! मेरा बेटा कहना अच्छा लगा तुम्हें.. ?

मे उनके सीने से एक बार फिर लिपट गया, और हिचकी लेते हुए कहा – हां चाची… मुझे बेटा कहने वाला कोई नही है… आप मेरी माँ बन कर मुझे अपने गले से लगा लो..!

चाची की रुलाई फुट पड़ी, और रोते हुए उन्होने मुझे अपने कंठ से लगा लिया… फिर मेरी पीठ सहलाते हुए बोली – माँ की याद आ रही है मेरे बेटे को… मुझे अपनी माँ ही समझ मेरे बेटे…

मेने रोते हुए कहा – हां ! आप मेरी माँ ही तो हो, जिसने अपने बेटे की हर ख्वाहिश का ख़याल रखा है अबतक…

कुछ देर एमोशनल होने के बाद मेने थोड़ा माहौल चेंज करने की गरज से चाची के होंठों को चूम लिया..और उनकी आँखों में देखते हुए कहा…

वैसे मेरे तो आपसे और भी नाते हैं.. हैं ना चाची…?

वो भी मुस्करा पड़ी, और मेरे होंठों पर प्यारा सा चुंबन लेकर बोली – तुम तो मेरे सब कुछ हो, बेटा, जेठौत (भतीजा)…और..और…

मेने शरारत से उनके आमों को सहलाते हुए कहा- और क्या चाची.. बोलो..

चाची – और मेरे बच्चे के बाप भी…फिर वो मेरी जांघों को सहला कर बोली –

वैसे सच में बहुत याद आएगी तुम्हारी… ख़ासकर इसकी.. ये कहकर उन्होने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया…

मेने उनके आमों को ज़ोर से मसल दिया – सीधे-सीधे कहो ना कि एक बार और चाहिए ये आपको….

वो उसे ज़ोर से दबाते हुए बोली – अभी समय हो तो दे दो ना.. एक बार..

मे – यहीं…?,

ये सुनते ही वो झट से खड़ी हो गयी, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम की तरफ चल दी…
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06-01-2019, 02:35 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने चाची को नंगा कर के उनकी भरी हुई, मस्त जवानी का लुफ्त लेते हुए एक बार जमकर छोड़ा, और उन्हें उनके मन्मुताविक खुशी देकर अपने घर आ गया.

रात के खाने पर यही सब चर्चा होती रही, सभी लोग अपनी अपनी तरह से समझाते रहे मुझे, 

कैसे रहना है, क्या खाना है, क्या नही खाना है… अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखना है, इधर-उधर की बातों से बचना है.. यही सब बातें.

फिर सब सोने चले गये, मे भी अपने कमरे आकर बेड पर लेट गया, और भविश्य के बारे में सोचने लगा…

नींद तो आँखों से कोसों दूर थी…बस पड़ा था कमरे की छत को घूरते हुए…

लगभग 11 बजे भाभी मेरे कमरे में आईं, गेट लॉक कर के वो जैसे ही मेरी तरफ पलटी, मे उन्हें देखता ही रह गया…

मात्र एक मिनी गओन, जिसमें से उनका मादक दूधिया बदन छलक पड़ने को तत्पर दिखाई दे रहा था…

उनकी आँखों में अपने लाड़ले से बिछड़ने की उदासी साफ-साफ दिखाई दे रही थी..उन्हें देखते ही मे उठ कर बेड के सिरहाने से टेक लेकर बैठ गया…

हल्के कदमों से बढ़ती हुई वो मेरे बेड तक आईं, और बेड के साइड में खड़े होकर उन्होने अपना वो नाम मात्र का गाउन भी अपने बदन से सरका दिया…

भाभी की आँखें नम थी, जिन्हें देखकर मे भी बेड से नीचे उतरकर उनके सामने खड़ा हो गया….

मेने उनके हाथ को अपने हाथ में लेकर पूछा – भाभी आप यहाँ मेरे कमरे में और इस तरह… भैया को छोड़कर… वो क्या सोच रहे होंगे…?

वो अपनी रुलाई पर काबू करते हुए बोली – तुम्हें बस अपने भैया की फिकर है…मुझ पर क्या बीत रही है, इसका कोई अंदाज़ा नही है…

तुम उनकी फिकर छोड़ो, उन्हें मेने नींद की गोली देकर सुला दिया है, अब वो सुबह से पहले नही उठेंगे…

उनकी बात सुनकर मेने उनके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उनके लरजते होंठों पर अपने होंठ रख दिए… और एक गमगीन सा किस लेकर कहा…

मुझे पता है भाभी की आप पर क्या बीत रही है…, मे खुद नही समझ पा रहा हूँ, कि आपके बिना इतने साल मे कैसे रह पवँगा..?

भाभी मेरे सीने से लिपटकर फुट-फूटकर रोने लगी… मत जाओ लल्ला.. नही रह पाउन्गी मे तुम्हारे बिना…

मेने उनके नंगे बदन को सहलाते हुए कहा – मे भी नही चाहता भाभी…आप बाबूजी को समझाओ ना… यहीं पास के शहर में रहकर कुछ कर लूँगा…

कुछ देर सुबकने के बाद वो मुझसे अलग हुई… फिर अपने आँसू पोन्छ्कर बोली – अब कुछ नही हो सकता लल्ला, मे बाबूजी से क्या कहूँगी… नही..नही…तुम जाओ, रह लेंगे तुम्हारी यादों के सहारे…

मे नही चाहती की, मेरी वजह से तुम अपना भविश्य बरवाद करो…और तुम्हें भी अपना जी कड़ा करना होगा…

इसलिए मे तुम्हारे भैया को सुला कर तुम्हारे सामने इस अवस्था में खड़ी हूँ, कि आने वाले कुछ सालों के लिए इस रात को यादगार बना सकूँ, 

आओ मुझमें समा जाओ मेरे प्रियतम… मेरे दिलवर…. मेरे लाड़ले देवर…

ये कहकर वो मुझसे किसी बेल की तरह लिपट गयीं, और मेरे चेहरे पर जगह जगह अनगिनत चुंबन ले डाले…
उन्हें बाहों में समेटे, मे पलग पर ले आया और फिर मेने उनके बदन पर उपरर से नीचे तक चुंबनों की बौछार करदी…

वो जलबिन मछली की तरह पलंग पर पड़ी तड़पने लगी…, अपनी आँखें मीचे छन-प्रतिछन वासना की तरफ बढ़ने लगी…

चूमते हुए मे उनकी टाँगों के बीच आ गया और उनकी चिकनी चमेली को हाथ से सहला कर उनकी चुचियो को चूस लिया…

आआहह…..सस्स्सिईईईईईईईईईई….लल्लाआ….मुझे खूब सराअ…प्यार चाहिए…आजज्ज….हहुऊन्न्ं…

जब मेने उनकी रस गागर के मुँह पर अपनी जीभ लगाई… भाभी की कमर बुरी तरह से थिरकने लगी… मे अपनी एक उंगली चूत के अंदर डालकर उनकी क्लिट को चूसने लगा… 

आआययईीीई….म्म्मा आ….चूसूऊ…आअहह…खा…जाओ… उन्होने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपनी गान्ड को हवा में लहराते हुए झड़ने लगी.

भाभी ने मेरे बालों को पकड़कर अपने ऊपर खींचा, और मेरे होंठों को चूस्ते हुए बोली – तुम सच में जादूगर हो लल्ला… अब पता नही ऐसा मज़ा कब मिलेगा मुझे….?

मेने उनके आमों को सहलाते हुए कहा – ये सब आपने ही तो सिखाया है भाभी...

सच कहूँ तो इतना सकुन मुझे और कहीं नही मिलता, जितना आपके आगोश में मिलता है… आप ही मेरे लिए सब कुछ हो, 

मेरी गुरु, मेरी प्रेयशी, मेरी भाभी, मेरी माँ…सब कुछ… आप हैं, तो मे हूँ, वरना आपके बिना मेरा कोई वजूद नही…

भाभी ने मेरे नीचे लेते हुए, मेरे शेर को अपने हाथ में लेकर अपनी रसीली के मुँह पर रखा और अपनी टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेटकर कस लिया…

मेरा लंड सरसरकार उनकी गीली चूत में चला गया….

सस्स्स्सिईईईईईईई…..आअहह….इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से… उउफफफ्फ़…. रजाअ.. मत करो इतना प्यार…की ये मोहिनी कहीं मर ही ना जाए तुम्हारी जुदाई में…

भाभी के शब्द उनके मुँह में ही जप्त रह गये, क्योंकि मेने अपने होंठ जो टिका दिए उनके होंठों से… और अपनी कमर को और ज़ोर से दबा दिया….

मेरा पूरा लंड उनकी बच्चेदानी के मुँह तक दस्तक देने लगा… भाभी अपार सुख की सीमा लाँघ गयी… और ज़ोर से उन्होने मुझे अपने बदन से कस लिया….

मेने जैसे ही अपने मूसल को सुपादे तक बाहर लेकर एक जोरदार धक्का मारा…

उन्होने अपने दाँत मेरे कंधे में गढ़ा दिए.. और जोरदार सिसकारी भरते हुए अपनी कमर और ऊपर कर के मेरे शेर को गहरे और गहरे तक अपनी मान्द में समा लिया…

आज भाभी के साथ सेक्स करने में कुछ अलग सी ही फीलिंग हो रही थी, वो मशीनी अंदाज में अपनी कमर को झटके दे देकर चुदाई के मज़े को दुगना-तिगुना करने की कोशिश में लगी थी…

रात के अंतिम पहर तक भाभी मेरे पास ही रहीं, उनका मन ही नही था अलग होने का… लेकिन सामाजिक बाँधों में जकड़े उदास मन.. एक दूसरे से जुदा होना ही पड़ा..

उस रात मेरी माँ, मेरी अबतक की हमसफर, मेरी जान, मेरी सब कुछ, मोहिनी भाभी ने उस रात दिल्खोल कर अपने लाड़ले देवर को प्यार दिया…

मे उनके प्यार से सराबोर होकर, अपने परिवार की यादों को अपने साथ समेटे हुए, दूसरे दिन देल्ही लॉ की पढ़ाई करने के लिए निकल पड़ा….!
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06-01-2019, 02:35 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
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चार साल बाद ....................
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आज मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी का दिन था… क्योंकि पूरे 4 साल के बाद मे अपने घर वापस जा रहा था,

बीते 4 सालों से मे देल्ही में रहकर एलएलबी की पढ़ाई करता रहा था…, इस बीच रामा दीदी के यहाँ भी जाता रहा, लेकिन धीरे-2 वो भी बंद सा हो गया…

पिच्छले एक साल से एक जाने माने लॉयर के अंडर में मेने प्रॅक्टीस की, जिनसे मेने लॉ की बारीकियों को अच्छे से जाना था…

आज अपने गुरु प्रोफ़ेसर. राम नारायण जो उसी लॉ कॉलेज में प्रोफेसर भी हैं, उनसे पर्मिशन लेकर मे अपने घर जा रहा था…

ट्रेन में बैठा मे अपने बीते हुए दिनो को याद कर रहा था… साथ ही अपनी भाभी और प्यारी भतीजी रूचि से मिलने की एग्ज़ाइट्मेंट, …

बाबूजी और भैया का स्नेह और आशीर्वाद मिलने वाला था मुझे आज.

बीते कुछ दिनों में निशा से भी कोई बात नही हो पाई थी.., मेने कितनी ही बार उसके घर फोन किया, लेकिन लगा ही नही,

ना जाने वो क्या कर रही होगी आजकल, … फिर अचानक एक अंजानी सी आसंका ने मुझे घेर लिया…

कहीं उसके घरवालों ने उसकी शादी ना करदी हो…ये सोचकर ही मेरे शरीर में एक अंजाने डर की लहर दौड़ गयी… और मे बैचैन हो उठा…

इधर कुछ दिनो से मेरे घरवालों ने भी एक तरह से मुझसे संबंध सा ही ख़तम कर लिया था…

बस महीने के महीने मुझे खर्चा मिल जाया करता था, वो भी मनी ऑर्डर के ज़रिए….

मे जब भी फोन करता, लाइन मिलती, और मेरी आवाज़ सुनते ही कट कर दिया जाता...

जब पिछले कई महीनों से कोई खैर खबर नही मिली, तो मे बैचैन रहने लगा, जिसे प्रोफ़ेसर साब ने भाँप लिया और पुच्छ बैठे…

जब मेने सारी बात उन्हें बताई, तो उन्होने ही मुझे घर जाकर पता करने की बात कही…

फिर मेरी सोचों पर भाभी ने कब्जा कर लिया, उनके साथ बिताए वो स्वर्णिम दिन याद आने लगे, भाभी ने मेरी खुशी को कैसे अपनी जिंदगी ही बना लिया था…,

प्यार और स्नेह के साथ साथ उन्होने मुझे दुनियादारी भी सिखाई थी…, एक तरह से उन्होने ही मुझे इस काबिल बनाया था, मे उनके त्याग और ममता का ऋण कैसे उतार पाउन्गा…?

अपनी सोचों में गुम मुझे पता भी नही चला, कब मेरा स्टेशन आ गया…जब गाड़ी खड़ी हुई, तब जाकर मेरी सोचों पर भी ब्रेक लगे…

मेने लोगों से स्टेशन के बारे में पूछा.., हड़बड़ा कर मेने अपना बॅग लिया और डिब्बे से बाहर आया…

यहाँ से मुझे अपने घर तक बस से ही जाना था… जो करीब 1 घंटे बाद निकलने वाली थी…

मे जब अपने घर की चौपाल पर पहुँचा … जहाँ किसी समय बाबूजी की मौजूदगी में लोगों की जमात लगी होती थी वहीं आज सन्नाटा सा पसरा हुआ था..

बैठक का दरवाजा तो खुला था… इसका मतलव बाबूजी बैठक में हैं… लेकिन इतनी शांति क्यों है…

मे धड़कते दिल से बैठक के गेट पर पहुँचा… अंदर बाबूजी अकेले अपनी ही सोच में डूबे हुए आराम कुर्सी पर बैठे झूल रहे थे…,

वो आज मुझे कुछ थके-थके से दिखाई दिए.
मुझे सामने देखकर वो झटके से खड़े हो गये, मेने जाकर उनके पैर छुये, उन्होने मेरे सर पर हाथ फेर्कर आशीर्वाद दिया…

बाबूजी ने मुझे अपने गले से लगा लिया…, ना जाने क्यों उनकी आँखों से दो बूँद टपक कर मेरे कंधे पर गिरी…

मेने उनकी तरफ देखा… तो वो रुँधे गले से बोले… जा बेटा घर जाकर फ्रेश होले.. हारा थका आया है… थोड़ा आराम करले.. फिर बैठेंगे साथ में…

मे उनके पास से उठ कर अपना बॅग उठाए घर के अंदर पहुँचा…मेरी बिटिया रानी मेरी भतीजी… रूचि जो अब काफ़ी बड़ी हो गयी थी.. आँगन में खेल रही थी..

मुझे देखते ही दौड़कर मेरे पैरों से लिपट गयी… और चिल्लाते हुए बोली –
चाचू आ गये…. मम्मी… मौसी… देखो चाचू आ गये…

उसकी आवाज़ सुनकर भाभी और निशा दौड़ कर बाहर आई… मुझे देखते ही भाभी ने मुझे अपने कलेजे से लगा लिया… लाख कोशिशों के बाद भी उनकी रुलाई फुट पड़ी.. और उनकी आँखें बरसने लगी…

उनके पीछे खड़ी निशा भी रो रही थी…
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06-01-2019, 02:36 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने भाभी के कंधों को पकड़ कर उनसे कहा – क्या भाभी ! अपने लाड़ले का आँसुओं से स्वागत करोगी.. अब तो मे आ गया हूँ ना ! फिर ये आँसू क्यों..?

उन्होने अपने ऊपर कंट्रोल किया और बोली – ये तो मेरे खुशी के आँसू थे जो 4 साल से रुके पड़े थे… तुम्हें देखते ही कम्बख़्त दगा दे गये.. और छलक पड़े…

जाओ तुम पहले फ्रेश हो जाओ… फिर निशा की तरफ मुड़कर बोली… जा निशा लल्ला के लिए चाय नाश्ते का इंतज़ाम कर, ये थके हारे आए हैं..

भाभी मेरे हाथ से बॅग लेकर मेरे कमरे में चली गयी.. उनके साथ-2 रूचि भी थी.…

मे जब बाथरूम से लौट रहा था… तब रूचि भाभी से पुच्छ रही थी…

मम्मी..! आपने चाचू से झूठ क्यों कहा…? उन्हें सच क्यों नही बताया कि आप और मौसी क्यों रो रही थी ?

भाभी – नही बेटा ! चाचू अभी थके हुए हैं ना ! इसलिए मम्मी उन्हें परेशान नही करना चाहती थी… इसलिए..

रात को जब पापा आजाएँगे ना, तब दादू और हम सब मिलकर चाचू को बताएँगे… अभी तू चाचू को कुछ मत बताना.. ठीक है, मेरा अच्छा बच्चा..

रूचि ने हां में गर्दन हिला दी… लेकिन इन बातों ने मुझे अंदर तक हिला दिया था… ना जाने ऐसा क्या हुआ है यहाँ…? और ये निशा यहाँ क्यों हैं..?

अब मुझे चैन नही पड़ रहा था..मेरे अंदर उथल-पुथल होने लगी, मुझे किसी उन्होनी का आभास सा हो रहा था.

मे जानना चाहता था.. कि आख़िर ऐसा क्या हुआ है.. जिससे सब लोग दुखी हैं..
पर जब भाभी एक बार बोल चुकी हैं कि वो मुझे परेशान नही करना चाहती..

तो मे भी अब उनको पुच्छ कर उनकी परेशानी नही बढ़ाउंगा….. , ये सोचकर मे किचन की ओर बढ़ गया…

किचन में निशा मेरे लिए चाय बना रही थी.. मेने उसके पास जा कर उसको आवाज़ दी – निशु…!

मेरी आवाज़ सुनते ही वो पलट कर मेरे सीने से लिपट गयी और सूबकने लगी….

मेने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा – हुआ क्या है यहाँ…? मुझे कुछ बताओ तो सही…

ये सुनकर वो एक झटके में मुझसे अलग हो गयी… और अपने आँसू पोन्छते हुए बोली –

मे आपको कुछ भी नही बता पाउन्गि… प्लीज़ मुझसे कुछ मत पुछिये….

मेने झल्लाकर कहा… आख़िर बात क्या है.. तुम बता नही सकती, भाभी बताना नही चाहती… लगता है आप लोग मुझे पागल बनाक छोड़ोगे…

तभी वहाँ भाभी आ गयी… और बोली – थोड़ा सा इंतेज़ार कर लो लल्ला.. प्लीज़ अपने भैया को भी आ जाने दो…फिर बात करते हैं.. हां..!

मे – लेकिन भैया हैं कहाँ…? रात होने को आई.. अभी तो कॉलेज भी बंद हो गया होगा…

भाभी – वो थोड़ा शहर गये हैं, आते ही होंगे… अभी हम ये बात कर ही रहे थे.. कि भैया की गाड़ी की आवाज़ सुनाई दी.. रूचि भागते हुए बाहर गयी…

कुछ देर बाद भैया भी आ गये… मेने उनके पैर छुये, तो उन्होने मुझे आशीर्वाद दिया…

कुछ देर बाद उनके पीछे ही बाबूजी भी घर के अंदर आ गये… अब हम सब एक साथ बैठे थे…

बाबूजी ने भैया से पूछा… आज कुछ हुआ राम…?

भैया ने मेरी तरफ देखा… और बोले…, बाबूजी ! इससे पहले कि आज क्या हुआ… मे अपने भाई को सब कुछ साफ-2 बता देना बेहतर समझता हूँ…

भैया - छोटू ! मेरे भाई मुझे पता है, कि घर के बदले हुए हालत देख कर इसके बारे में जानने को तू उत्सुक है.. और मे आज कहाँ से आरहा हूँ…?

तो सुन , मोहिनी का भाई राजेश इस समय जैल में है… उसपर इरादतन कत्ल करने का संगीन इल्ज़ाम है.. दफ़ा 307 के तहत उसे जैल में डाला हुआ है,

पिच्छले 6 महीनों से धक्के खाने के बाद भी अभी तक उसकी जमानत नही हो सकी है..

भैया की बात सुन कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया… मेरे मुँह से आवाज़ तक नही निकली….

मेरी ऐसी अवस्था देख कर उन्होने मेरा हाथ पकड़ते हुए आगे कहना शुरू किया – ये क्यों हुआ… कैसे हुआ… मेरे ख़याल से ये सब आगे निशा ही बताए तो ज़्यादा सही होगा…

भैया की बात सुन कर मेने निशा की तरफ देखा… जो गर्दन झुकाए..बस रोए जा रही थी…..

बहुत देर की चुप्पी के बाद बाबूजी बोले – बता दे बेटी… तेरे ऊपर जो बीती है.. वो तुझसे अच्छा और कॉन बता सकता है… !

मे लगभग चीख ही पड़ा – क्या……? क्या हुआ था निशा के साथ..?

बोलो निशा ! क्या हुआ था तुम्हारे साथ……

निशा तो बस रोए ही जा रही थी, उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो कुछ भी बताने की स्थिति में नही है…

मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा था… सो ये भी भूल गया कि मेरे सामने कॉन-कॉन बैठा है…, और उसको कंधों से पकड़ का झकझोरते हुए बोला…

बताओ निशु ! मुझे सब कुछ सच सुनना है… तुम्हें अपने प्यार की कसम अब अगर अब भी तुम कुकच्छ नही बोली तो…मे तुम्हें कभी माफ़ नही करूँगा…

सब मेरे मुँह की तरफ देखने लगे… निशा किन्कर्तब्यविमूढ़ सी कुछ देर यौही बैठी सुबक्ती रही, मेरे इस तरह चीखने से उसकी रुलाई तो थम गयी थी, लेकिन फिर भी कुछ बोल नही पा रही थी,

फिर कुछ साहस बटोरकर सुबक्ते हुए वो अपनी आप बीती बताने लगी…!
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06-01-2019, 02:36 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
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निशा की आप बीती –
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मेरी सहेली मालती… उसकी शादी एक साल पहले ठाकुर सुर्य प्रताप के बेटे भानु प्रताप से हुई थी.. अब ये क्यों हुई कैसे हुई.. इस बारे में हमें ज़्यादा कुछ मालूम नही पड़ा..

हां ! इतना पता है कि भानु के पिता खुद मालती के दादा के पास आकर उसका हाथ माँगने आए थे…

शादी बड़ी धूम धाम से हुई, मालती के दादा के पास भी ज़्यादा तो नही पर अच्छी-ख़ासी ज़मीन जयदाद है.. सो उन्होने अपनी पोती की शादी में कोई कसर नही रखी…

भानु कभी –2 मालती के साथ हमारे गाँव आता था, जैसे और वाकी के रिस्तेदार भी आते हैं…

6 महीने पहले.. एक दिन मालती हमारे घर आई.. और मुझे अपने साथ अपने घर ले गयी… उसके साथ घर पर उसका पति भी मौजूद था…

उसके दादा – दादी कहीं बाहर किसी रिस्तेदार के यहाँ गये हुए थे.. घर पर वो दोनो ही थे…

मालती ने मुझे चाय बना कर दी… उस चाय के पीने के कुछ देर बाद ही मेरा सर चकराने लगा… मेने मालती को ये बात बताई तो उसने कहा – वैसे ही सर चकरा रहा होगा.. तू बैठ मे अभी आती हूँ..

मे उसके रूम में बैठी थी… मेरी आँखें बार-2 बंद खुल रही थी… तो मे कुछ देर बाद उसी पलंग के सिरहाने से टेक लेकर बैठ गयी…

मेरी आँखें बंद थी… कि तभी किसी के हाथों का स्पर्श मेने अपने शरीर पर किया… मेने जैसे तैसे कर के अपनी आँखें खोली – देखा तो मालती का पति मेरे बदन को सहला रहा था..

मे झट से उठ खड़ी हुई… और मेने उससे कहा – जीजा जी ये आप क्या कर रहे हैं..? मालती कहाँ है…?

वो मक्कारी भरी हसी के साथ बोला – वो तो किसी पड़ोसी के यहाँ गयी है… और मेरा हाथ पकड़ कर बोला – मे अपनी साली साहिबा को प्यार कर रहा हूँ…

आओ रानी मेरे पास आओ.. और ये कह कर उसने मुझे अपनी बाहों में भरना चाहा…

मे किसी तरह उससे छूट कर वहाँ से बाहर जाने के लिए भागी.. लेकिन देखा तो गेट अंदर से बंद था…

इससे पहले कि मे दरवाजे को खोल पाती, कि उसने मुझे फिरसे पकड़ लिया.. और मेरे साथ ज़ोर जबर्जस्ती करने लगा… छीना झपटी में मेरे कपड़े भी फट गये..
जिन्हें वो और तार-तार करने लगा…

मे बेबस और लाचार, नशे से बोझिल हो रही आँखों को किसी तरह खोले हुए रखकर उसके बंधन से छूटने की जी तोड़ कोशिश करती रही…

निशा अपनी आप-बीती सुनाते हुए सुबक्ती जा रही थी…. वो हिचकी सी लेकर फिर आगे बोली –

उसी दिन मेरे निकलते ही भैया घर आए थे, उन्हें ऑफीस में बहुत अच्छा प्रमोशन मिला था, वो बड़े खुश थे और सबके लिए कुछ ना कुछ गिफ्ट लेकर आए थे…

घर आकर जब उन्होने मेरे बारे में पूछा तो माँ बाबूजी ने बताया कि मे मालती के यहाँ गयी हूँ…

जब काफ़ी देर हो गयी.. और मे घर नही लौटी.. अंधेरा घिरने लगा था,.. तो घर पर सब लोग चिंता करने लगे…

कुछ देर और इंतेज़ार करने के बाद भैया मुझे लेने उसके घर पहुँच गये…
घर में सन्नाटा पसरा हुआ था… वो उसके चौक में जाकर आवाज़ लगाने लगे…

उनकी आवाज़ सुन कर मे अपनी पूरी ताक़त जुटाकर चिल्लाते हुए मेने भैया को मदद के लिए पुकारा..

भानु ने मेरे गाल पर एक जोरदार चान्टा जड़ दिया… और गाली देते हुए बोला.. साली चिल्लाकर अपने भाई को बुलाना चाहती है… और फिर उसने मेरा मुँह दबा दिया…

भैया ने मेरी आवाज़ सुन ली थी… वो गेट खटखटने लगे… और साथ ही साथ मुझे आवाज़ भी देते जा रहे थे…

भानु का थोड़ा ध्यान गेट की तरफ भटका… मेने मौके का फ़ायदा उठा कर उसके हाथ को बुरी तरह काट लिया… वो चीखते हुए दर्द के मारे ज़मीन पर बैठ गया…

इतने में मेने भाग कर गेट खोल दिया… और मे भैया से लिपट कर रोने लगी…

मेरे कपड़े फट चुके थे.. होंठों से खून रिस रहा था..मेरी हालत देख कर भैया की आँखें गुस्से से लाल हो उठी..

उन्होने मेरी पीठ सहलाते हुए.. मुझे अपने पीछे खड़ा किया और गुर्राते हुए भानु तरफ बढ़े….

तूने ये अच्छा नही किया हरम्जादे…, मेरी बहन की इज़्ज़त पर हाथ डालकर अपनी आफ़त मोल ले ली है तूने…

इससे पहले की वो उस तक पहुँच पाते… भानु के हाथों में ना जाने कहाँ से एक लंबा सा चाकू लहराने लगा…

उसने चाकू का बार भैया के ऊपर करना चाहा…,लेकिन उन्होने अपने आप को बचाते हुए उसकी चाकू वाले हाथ की कलाई थाम ली…

अब वो दोनो एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो चुके थे… कभी लगता की चाकू भैया की तरफ मूड गया, तो कुछ देर बाद उसका रुख़ भानु की ओर हो जाता…

मे खड़ी – 2 डर से थर-थर काँप रही थी…, मे किकरतव्यविमूढ़ सी कभी उसकी तरफ देखती, तो कभी भैया की तरफ…

उन दोनो में बहुत देर तक जद्दो जहद चलती रही, भानु की कोशिश थी कि वो चाकू का वार भैया पर कर सके, लेकिन उनकी मजबूत पकड़ उसकी कलाई पर बनी हुई थी…

फिर कुछ ऐसा हुआ कि चाकू वाला हाथ दोनो के बीच आ गया… और एक भयंकर चीख कमरे में गूँज उठी..

भानु का चाकू उसकी अंतड़ियाँ फाड़ते हुए उसकी पसलियों में जा घुसा था…

वो धडाम से फर्श पर गिर पड़ा.. चाकू उसके पेट में घुसा पड़ा था… भैया के कपड़े उसके खून से सन गये थे…
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06-01-2019, 02:36 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मे दौड़ कर भैया से जा लिपटी और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी… उन्होने मुझे चुप करते हुए वहाँ से निकल चलने को कहा…

अभी हम वहाँ से निकलने ही वाले थे कि तभी वहाँ मालती आ गयी.. वहाँ का मंज़र देखकर वो चीखने चिल्लाने लगी…

उसकी चीखें सुन कर मोहल्ले के लोग इकट्ठा हो गये…

उन्होने मेरी हालत देखी और फिर उनकी नज़र ज़मीन पर पड़े भानु के घायल शरीर पर पड़ी, जो दर्द से तड़प रहा था…

इतने में किसी ने पोलीस को इत्तला कर दी.. पोलीस ने आव ना देखा ताव… भैया को हथकड़ी लगा दी और अपने साथ थाने ले जाकर हवालात में बंद कर दिया…

इतना कहते-2 निशा बुरी तरह रोने लगी… भाभी उसे अपने से लिपटकर शांत करने की कोशिश करने लगी…
निशा की कहानी सुनकर मेरी हालत किसी लकवे के मरीज़ जैसी हो गयी, मे समझ नही पा रहा था, कि मुझे किस तरह से रिएक्ट करना चाहिए…

एक तरफ भानु और मल्टी के प्रति गुस्से का भाव भी था, तो दूसरी तरफ राजेश को बाहर निकालने की बैचैनि…

कुछ देर सबके बीच चुप्पी छाइ रही, फिर उसको तोड़ते हुए भैया ने आगे कहना शुरू किया…

हमने पोलीस को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन शायद वो शुर्य प्रताप के रुआब के कारण हमारी बात अनसुनी करते रहे… और उन्होने राजेश के ऊपर इरादतन हत्या की कोशिश करने का चार्ज लगा कर दफ़ा 307 के तहत जैल भेज दिया…

मेने किसी तरह अपने मनोभावों पर काबू करते हुए पूछा – आपने कृष्णा भैया को ये बात नही बताई…? उन्होने कुछ नही किया..

भैया – कहा था… उसने शुरुआत में तहकीकात भी की… लेकिन फिर पता नही क्यों वो भी पीछे हट गया…

और ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि एक बार चार्ज शीट फाइल हो गयी.. और अपराधी को जैल भेज दिया तो फिर कोर्ट से ही अब कुछ हो पाएगा…

तबसे लेकर आज तक मेने और मोहिनी के पिताजी ने खूब जी तोड़ कोशिश की… लेकिन हम राजेश की जमानत तक नही करवा पाए हैं…

मे – आपने किसी वकील से बात की…? कोई हाइयर किया है…?

भैया – हां बात की थी एक वकील से लेकिन थोड़ी बहुत खाना पूर्ति कर के वो भी पीछे हट गया…

इस डर से की भानु या उसका बाप निशा को और कोई नुकसान ना पहुँचा दे हम उसे यहाँ ले आए…

इसके लिए भी कृष्णा ने बाबूजी पर दबाब डाला कि, एक मुजरिम की बेहन को यहाँ क्यों रखा है…,

तब तेरी भाभी ने बाबूजी को बताया कि निशा इस घर की धरोहर है… इसे तेरे सुपुर्द करने की हमारी ज़िम्मेदारी है…

अब तक हमने ये ज़िम्मेदारी जैसे-तैसे निभाई है मेरे भाई… अब तू इसे संभाल आज से ये तेरी ज़िम्मेदारी है…

मेने हैरत से भैया की तरफ देखा, तो वो बोले… हमें तेरी भाभी ने सब कुछ बता दिया है.. इसी वजह से इसके माँ-पिताजी ने इसकी शादी नही की थी.. वरना ये नौबत ही नही आती…

मेने भभक्ते लहजे मे कहा – भैया ! अब मे निशा से शादी तभी करूँगा… जब इसका भाई खुद इसे अपने हाथों से विदा करेगा… तब तक ये आपकी ही ज़िम्मेदारी रहेगी…

भैया – ये तू क्या कह रहा है मेरे भाई… हम अपनी पूरी कोशिश कर के थक चुके हैं, अब तो एक तरह से आस ही छोड़ दी हैं हमने…

मेने उनसे ठहरे हुए लहजे में कहा – ठीक एक हफ्ते में राजेश भाई हमारे पास होंगे, ये मेरा वादा है आप सबसे.. उसके बाद ही मे और निशा एक होंगे…

मेरी बात सुन कर सभी मुँह बाए मेरी तरफ देखने लगे…, मेने उनसे कहा – इसमें इतना चकित होने की क्या बात है.. ?

क्या आप भूल गये, बाबूजी ने ऐसे ही कुछ मौकों के लिए मुझे लॉ करने के लिए कहा था.... अब आगे कैसे और क्या करना है वो आप सब मुझ पर छोड़ दीजिए….

अब मे भानु को ही नही, पोलीस को भी क़ानून का वो सबक सिखाउन्गा कि कुछ समय तक याद रखेंगे..

मेरे इतना कहने से सबके चेहरों पर आशा की एक किरण दिखाई देने लगी….!

निशा की रुलाई अब थम चुकी थी, और अब वो अपने मन में एक शांति सी अनुभव कर रही थी.

भाभी ने अपने आँसू पोन्छ्ते हुए मेरे माथे को चूम लिया…., उनके चेहरे से अब चिंता की सारी लकीरें मिट चुकी थी…

जैसे उन्हें अब पूर्ण विश्वास हो गया हो, कि उनका लाड़ला देवर अब सब कुछ ठीक कर देगा..….!

कस्बे में कॉलेज के समय के मेरे बहुत सारे ऐसे दोस्त थे जो किसी के बिना दबाब में आए मेरा साथ देते रहे थे.…

मेने अपनी उन्हीं सोर्स से पता किया कि इस समय मालती और भानु कहाँ हैं…? और क्या कर रहे हैं…?

दो घंटे में ही मुझे उनके बारे मे पता चल गया.

ठीक होने के बावजूद भी भानु ड्रामा कर के शहर के हॉस्पिटल में ही पड़ा हुआ है…

उसकी पत्नी मालती भी शहर में उसके शहर वाले घर पर ही रहती है..

दिखावे के लिए कि वो उसकी सेवा कर रही है.. लेकिन वो दोनो वहाँ ऐश कर रहे हैं…

जब मर्ज़ी होती है, घर आ जाते हैं, जब मर्ज़ी होती है.. हॉस्पिटल में भरती हो जाता है, पैसे और पवर का इस्तेमाल कर के डॉक्टर भी मन मर्ज़ी रिपोर्ट बनाकर दे देता है.

ये इन्फर्मेशन मेरे लिए किसी रामबाण से कम नही थी, बस फिर क्या था, अपनी बुलेट रानी उठाई, जो बेचारी सालों से धूल में पड़ी अपने असली राजा के इंतजार में बस खड़ी थी…,

उसकी सॉफ सफाई की, और निकल लिया शहर की तरफ………………….

शहर का नामी गिरामी सहयोग हॉस्पिटल, जहाँ की डॉक्टर. वीना जैन, निहायत ही सुंदर और परफेक्ट फिगर की मालिकिन, जिसकी शादी को कुछेक ही साल हुए थे…

पति पत्नी दोनो ही इसी हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं.., वो इस समय अपने कॅबिन में बैठी मरीजों को चेक कर रही थी…

नंबर बाइ नंबर मरीज आते वो उन्हें चेक करती…और मर्ज़ के मुतविक उन्हें प्रिस्क्रिप्षन लिख देती..

मे आइ कम इन डॉक्टर…! अगले मरीज़ ने जब अंदर आने की पर्मिशन माँगी.. तो डॉक्टर वीना ने अपनी शरवती आँहें उठाकर आवाज़ की दिशा में देखा…

आगंतुक को देखते ही वो उसकी पर्सनॅलिटी मे जैसे खो ही गयी… 6’2” की हाइट… गोरा रंग.. उँचे कंधे… चौड़ा विशाल सीना. वेल शेप्ड सीने के नीचे का बदन..

लाल रंग की फिटिंग वाली एक टीशर्ट और जीन्स में वो किसी कामदेव की तरह उसके गेट से धीरे-2 उसकी टेबल की तरफ बढ़ रहा था… वो मंत्रमुग्ध होकेर उसकी मर्दानी चाल में खो सी गयी…

एक्सक्यूस मी डॉक्टर ! युवक ने जब उसके सामने खड़े होकर कहा – तो जैसे वो नींद से जागी हो… और झेन्प्ते हुए बोली – यस प्लीज़…,

एर अपने सामने पड़ी चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए बोली – व्हाट कॅन आइ डू फॉर यू…मिस्टर्र्र्र्र्र्र्र्ररर…

माइ नेम ईज़ अंकुश शर्मा ! कुछ दिनो से मे एक अजीब से दर्द से परेशान हूँ..

वीना – कहाँ पर है ये पेन…?

अंकुश (मे) – डॉक्टर, वो मेरी नबल के नीचे होता है.. और कभी – 2 इतना तेज होता है जैसे ये मेरी जान ही निकाल देगा…

वीना – चलिए वहाँ चेक-अप टेबल पर लेट जाइए.. और हां अपनी टीशर्ट उतार देना..

मेने अपनी टीशर्ट उतार कर वहीं चेक-अप टेबल के पास पड़े स्टूल पर रख दी…
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06-01-2019, 02:36 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
वीना मेरे शरीर की कसावट और सिक्स पॅक देख कर प्रभावित हुए बिना रह ना सकी…

मे जाकर टेबल पर लेट गया…, वो मेरे बगल में खड़ी हो गयी.. और बोली – अब बताइए.. एग्ज़ॅक्ट्ली कहाँ पर होता है पेन… मेने कहा कि मेरे नबल से कोई एक इंच नीचे से शुरू होता है…

उसने मेरी जीन्स का बटन खोलने को कहा.. तो मेने वो भी खोल दिया… अब वो अपनी नरम-2 नाज़ुक पतली-पतली उंगलियों से मेरी नाभि के इर्द-गिर्द हल्के-2, दबा-2 कर देखने लगी…

फिर वो थोड़ा नीचे को जाने लगी.. और जहाँ से झान्ट के बाल शुरू होते हैं.. जो फिलहाल तो सॉफ मैदान था.. लेकिन कुछ दिन पहले ही सॉफ किया था.. तो उनके ठूंठ निकल आए थे…

वहाँ तक वो अपनी उंगलियों से दबाते हुए मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन नोट करती जा रही थी.., उसकी उंगलियों के इशारे से मेरी जीन्स की ज़िप काफ़ी नीचे तक खुल चुकी थी…

उसके दबाते ही मे दर्द में होने का नाटक करने लगता… लेकिन जैसे-2 उसकी उंगलियाँ नीचे को बढ़ रही थी… मेरे फ्रेंची में कसाब भी बढ़ता जा रहा था…जिसे उसने भी नोट किया…

वो अपनी उंगलियों का दबाब डालते हुए नीचे की तरफ बढ़ती जा रही थी, और मुझे पुछ भी लेती कि यहाँ दर्द है.. मे कह देता की, हां यहीं.. हां यहीं…

बीच बीच में वो उस जगह को सहला भी देती, ऐसा करते -2 आख़िरकार उसकी उंगलियाँ मेरे लौडे को छु गयीं.. जो काफ़ी कुछ अपने असली रूप में आ चुका था…

जीन्स की जिप तो कभी की नीचे हो चुकी थी, सो डॉक्टर वीना मेरे फ्रेंची में बने तंबू को बड़ी चाहत भरी नज़रों से देख रही थी…

तंबू पर नज़र गढ़ाए हुए ही उसने अपने लिपीसटिक से पुते होंठों पर जीभ की नोक फिराई….

एक बार उसने एक नशीली सी स्माइल करते हुए मेरी तरफ देखा, और अपनी उंगलियों को मेरे फ्रेंची में सरका कर, ऐन लंड की जड़ में दबाब डालते हुए बोली…

क्या यहाँ भी दर्द होता है…?

मेने आअहह भरते हुए कहा.. आअहह…डॉक्टर ज़ोर से नही, प्लीज़ बहुत दर्द है….

लौडे की जड़ पर उसकी मुलायम पतली-पतली उंगलियों के स्पर्श ने उसके लिए किसी टॉनिक का काम कर दिया, और वो फुल मस्ती में खड़ा हो गया…

अंडरवेर के ऊपर से ही उसके आकर को देखकर डॉक्टर. वीना की आँखों में वासना तैरने लगी, जो धीरे-2 उसके सर पर पहुँच रही थी…

स्वतः ही उसका हाथ मेरे लंड की तरफ जाने लगा, और उसने मेरे लंड को अंडरवेर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोली – क्या यहाँ भी दर्द होता है…

मेने नाटक करते हुए अपना एक हाथ झटके से उसके कूल्हे पर मारा और लगभग अपनी जगह से उठते हुए दूसरे हाथ से उसकी बाजू पकड़ कर कराहते हुए बोला…

आअहह…डॉक्टर… यहाँ ज़्यादा होता है….…..

वो मेरी आँखों में देखकर शरारत से मुस्कराते हुए बोली – नॉटी बॉय… !

और उसने अपने दूसरे हाथ को मेरे सीने पर रख कर दबाब डालकर मुझे लेटे रहने का इशारा किया.. और वो मेरे बालों भरे सीने को सहलाने लगी…

मेरा एक हाथ अभी भी पीछे से उसकी मस्त गद्देदार गान्ड पर रखा हुआ था… जो अब धीरे-2 उसे सहलाने भी लगा था…

वीना का धीरे-2 कंट्रोल छूटता जा रहा था.. वो मेरे फ्रेंची को नीचे सरकाने लगी… और आखिकार उसने मेरे लंड को नंगा कर ही लिया…

मेरे साडे 8” लंबे और मस्त सोट जैसे मोटे, और गोरे लंड की सुंदरता देख कर बुद-बुदाने लगी…
आहह… क्या मस्त है ये…

मेने कहा – क्या..?

वो – यही तुम्हारा हथियार…

मे – आपको अच्छा लगा…?

वो – हां ! बहुत…

मे – तो इसे प्यार करिए ना..डॉक्टर ! अच्छी चीज़ को ज़्यादा देर खुला छोड़ना अच्छी बात नही…वरना किसी और की नज़र में आ गया तो……

नॉटी स्माइल देते हुए, उसने अपने नीचे के होंठ को किनारे पर दाँतों से काटा, फिर वो उसके ऊपर झुकने लगी,

छन-प्रतिक्षण मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी, मे नज़र टिकाते उसके चेहरे को ही देख रहा था,

इतने सुंदर और रसीले होंठों को अपने लंड की तरफ बढ़ते हुए देखकर मेरी सारी उत्तेजना सिमट कर लंड में आ गयी…और उसने एक जोरदार झटका मारा…

तभी वीना के होंठ भी वहाँ तक पहुँच चुके थे, सो वो ठुमक कर उसके होंठों पर फिट हो गया…

मुस्काराकार उसने पहले मेरे लंड को चूमा… और फिर उसे मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी…

मेरे लाल सेब जैसे सुपाडे को देख कर वो बाबली हो गयी और उसने उसे अपने पतले रसीले गुलाबी होंठों में क़ैद कर लिया…

मेने उसकी गान्ड को ज़ोर से मसल दिया… वो मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मेरा लंड चूसने लगी…

मे उठ कर बैठ गया और उसकी 34” की मस्त गोल-गोल मक्खन जैसी मुलायम चुचियों को उसके कसे हुए ब्लाउज और ब्रा से बाहर निकालकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा…

कुछ देर वो पूरे मन से मेरा लंड चुस्ती रही…, मेरा हाथ उसकी गान्ड को सहलाते हुए उसकी दरार में भी घूमने लगा…

जब मुझे लगने लगा.. कि इसे अब रोका ना गया.. तो कभी भी मेरा पानी निकल सकता है…, मेने अपने माल को यौंही बर्बाद कभी नही किया था…

सो मेने उसके सर को पकड़ कर अपने लंड से हटाया… वो थोड़ा नाखुशी वाले अंदाज में मेरी तरफ देखने लगी…

मेने उसके होंठ चूमते हुए कहा – बस इतना सा ट्रेलर ही काफ़ी है डॉक्टर अभी के लिए…पूरी फिल्म फिर कभी तसल्ली से देखना…

अभी इसका समय नही है… क्योंकि मुझे ऐसे जल्दबाज़ी में सेक्स करने में मज़ा नही आता..
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06-01-2019, 02:36 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
उसकी आस अधूरी रह गयी… चूत पानी छोड़ने लगी थी… सो अपने हाथ से टाँगें चौड़ी कर के चूत को कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ते हुए बोली – कब..दिखाओगे पूरी फिल्म..?

मे – जब आप कहो.. अभी मे थोड़ा अर्जेंट काम से यहाँ आया था… दरअसल मेरा एक फ्रेंड यहाँ अड्मिट है.. मे उसे ही मिलने आया था.. तो सोचा अपनी प्राब्लम भी दिखा डून..

वो मुस्कुराकर अपनी नसीली आँखों को नचाते हुए बोली – लेकिन तुम्हारी प्राब्लम तो मिली ही नही अभी तक..?

मे – कोई बात नही फिर कभी देख लेना.. अभी मुझे आपकी थोड़ी हेल्प चाहिए..

वो – हां ! बोलो ना, तुम्हारी हेल्प कर के मुझे बड़ी खुशी होगी…

फिर मेने उसको भानु के बारे में बताया.. तो वो बोली – कि वो तो वैसे ही यहाँ टाइम पास कर रहा है.. वो तो कब का ठीक हो चुका है…

मेने चोन्कंने की आक्टिंग करते हुए कहा – क्या कह रही हो…? उसके पिताजी बेचारे कितने परेशान हो रहे हैं.. उसकी इस बीमारी को लेकर.. सारा बिज़्नेस चौपट पड़ा है…, क्या आप उसकी रिपोर्ट दे सकती हैं मुझे….?

वो कुछ देर सोचती रही फिर बोली – एक शर्त पर..!

मे – बोलिए.. क्या शर्त है आपकी… हालाँकि मे उसकी शर्त जानता था..

वो मुस्कराते हुए बोली – मुझे वो पूरी फिल्म देखनी है.. जो तुम दिखाने वाले थे…

मे – ऑफ कोर्स ! समय और जगह बता दीजिए.. मे पहुँच जाउन्गा.. आप जैसी हसीना के साथ पूरी फिल्म शूट करने में मुझे भी बहुत खुशी होगी…

फिर वो हँसते हुए अपने कॅबिन से बाहर चली गयी… और 10 मिनिट के बाद जब वापस आई तो उसके हाथ में भानु की फिटनेस रिपोर्ट थी..

मेने वो रिपोर्ट लेकर उसे थॅंक्स बोला… उसने अपना कार्ड मुझे दिया.. और बोली – दो दिन बाद इस नंबर पर कॉल करना.. इंतेज़ार करूँगी…

मेने उसके होंठों पर एक जोरदार किस किया और उसे बाइ बोलकर उसके कॅबिन से बाहर आ गया…

आज तो ऊपरवाला मेरे ऊपर अपनी मेहरवानियों की जैसे बारिश करने पर तुला हुआ था………….

डॉक्टर वीना के रूम से निकल कर मे जैसे ही गलेरी में आया… सामने से मुझे मालती आती नज़र आई… मे थोड़ा इधर – उधर देखते हुए उसकी तरफ बढ़ता रहा…

जैसे ही वो मेरे नज़दीक आई… मेने चहकते हुए कहा… ओह्ह…हाई.. मालती…! व्हाट आ प्रेज़ेंट सर्प्राइज़… तुम यहाँ कैसे…?

वो मुझे एकदम से अपने सामने देख कर हड़बड़ा गयी…. फिर कुछ संभालते हुए बोली – बस ऐसे ही कुछ काम था.. आप यहाँ कैसे..?

मे – तुम्हें तो पता ही होगा… मे अब गाँव में तो रहता नही हूँ, देल्ही में मेने अपना बिज़्नेस सेटप कर लिया है..

उसी सिलसिले में यहाँ आया था.. कि अचानक से कुछ प्राब्लम हो गयी.. तो यहाँ चेक-अप कराने चला आया…

खैर छोड़ो ये सब बातें ! तुम बताओ.. शादी-वादी की या नही…?

वो अपने मन में सोचने लगी.., लगता है इसको गाँव की परिस्थितियो के बारे में कुछ पता नही है…,

सो फटाक से बोली – हां मेरी तो शादी हो गयी.. आप बताओ.. निशा से कब शादी करने वाले हो..?

मेने उपेक्षा भरे लहजे में कहा – ओह .. कम ऑन डार्लिंग… किस बहनजी टाइप लड़की की बात छेड़ दी तुमने…!

मे उसे कब का भूल चुका हूँ.. मेरी अपनी भी लाइफ है यार !… घरवालों के सिद्धांतों से मेरा फ्यूचर थोड़ी ना बनने वाला है..

इसलिए बहुत पहले ही मे सब कुछ छोड़-छाड़ कर देल्ही सेट हो गया हूँ, … अब मुझे उसके बारे में कुछ पता नही है…

और बताओ.. अपनी वो मुलाकात याद आती है तुम्हें या भूल गयी…?

वो – आपने ही तो याद रखने को मना किया था… वैसे वो लम्हे तो मे चाह कर भी नही भूल सकती…

मे – तो फिरसे जीना चाहोगी उन लम्हों को…?

वो मेरी बात सुनकर खुश होते हुए बोली … क्या सच में ऐसा हो सकता है.. ?

मेने कहा – अगर तुम चाहो तो, ज़रूर हो सकता है…

वो एक्शिटेड होते हुए बोली - कब..?... कहाँ…?

मे – अगर समय हो तो आज ही 9 बजे होटेल आशियाना, रूम नंबर. 321 में आ जाओ.. रात भर एंजाय करेंगे..

वो तो जैसे तैयार ही बैठी थी, सो फ़ौरन आने को तैयार हो गयी, और इसी खुशी में झूमती हुई भानु के रूम की तरफ चली गयी…, मे अपनी कामयाबी की खुशी में हॉस्पिटल से बाहर की तरफ चल दिया…

मेने होटेल में ये कमरा सुबह ही बुक करा दिया था…

शहर के चक्कर लगाते – 2 शाम हो गयी… इस बीच मेने ये भी पता लगा लिया.. कि राजेश का केस कोन्सि अदालत और किस मॅजिस्ट्रेट के अंडर में है.

मेने अपने गुरु प्रोफ़ेसर. राम नारायण जी को फोन लगा कर सारा वृतांत कह सुनाया… उन्होने कहा..

चलो अच्छा है.. आगे बढ़ो मेरी शुभ कामनाएँ तुम्हारे साथ हैं..

अपनी जिंदगी के पहले इनडिपेंडेंट केस में तुम सफल रहो, यही कामना है मेरी..

मे – सर मेरी सफलता आपके सहयोग पर डिपेंड करती है.. फिर मेने उन्हें उस जज का नाम बताया जिसके यहाँ इस केस की सुनवाई होनी थी…

उसका नाम सुनकर वो बोले – अरे ये तो अपना लन्गोटिया यार रहा है.. तुम चिंता मत करो.. मे उससे बात कर लूँगा.. वो हर संभव तुम्हारी हेल्प करेगा…

वैसे केस की सफलता या असफलता तुम्हारी अपनी काबिलियत पर ही डिपेंड करेगी..

मे – सर आपका शिष्य हूँ, निराश नही करूँगा.. बस थोड़ी सी इतनी हेल्प मिल जाए की वो मेरे मन मुताविक सुनवाई की डेट दे दे..

वो – वो तो तुम्हें मिल ही जाएगी.. उससे मिल लेना… बेस्ट ऑफ लक…

मेने उन्हें थॅंक्स बोलकर फोन डिसकनेक्ट कर दिया…
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06-01-2019, 02:37 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
रात 8 बजे से ही में अपनी तैयारियों में जुट गया… कमरे में मेने कुछ कैमरे इस तरह से फिट किए कि उनमें मेरी कोई इमेज ना आए और मेरे सेक्स पार्ट्नर को पूरा दिखाया जा सके…

फिर मेने कुछ बीयर मॅंगा कर फ्रीज़र में रखवा दी.. और मालती का वेट करने लगा.. अभी 9 बजे भी नही थे कि डोरबेल बज उठी…

मेने उठ कर डोर खोला… आशानुकूल सामने मालती ही खड़ी थी.. जो इस समय एक वन पीस ड्रेस में थी.. ग्रीन कलर की ड्रेस जिसका एक शोल्डर तो था ही नही..



मालती पहले से भी ज़्यादा सेक्सी हो गयी थी… लंड की मार सहते-2 उसका बदन और ज़्यादा भर गया था, लेकिन सिर्फ़ उन जगहों पर जहाँ एक औरत को ज़रूरत होती है…

36 की बड़ी बड़ी चुचियाँ और 38 की गान्ड इस कसी हुई ड्रेस में मानो उबल ही पड़ रही थी…

मे उसे देखता ही रह गया… मेने एक तरफ को होकर उसे अंदर आने का रास्ता दिया…

डोर बोल्ट कर के उसकी गान्ड पर हाथ रख कर उसे अंदर सोफे तक लाया.. और खड़े-2 एक किस लेकर हम सोफे पर बैठ गये…

मेने उसकी मखमली जाँघ सहलाते हुए कहा - आज तो कुछ ज़्यादा ही हॉट लग रही हो जानेमन… सच कहूँ तो मेरी कामना तुम जैसी हॉट आंड बोल्ड लड़की की थी….मेने उसे चढ़ाते हुए कहा

वो – क्या सच में…! मे आपको बोल्ड और हॉट लगती हूँ..

मे – बहुत…! , अच्छा ये बताओ क्या लेना चाहोगी… कुछ हॉट, या कोल्ड या फिर और कुछ…

वो – आप प्यार से जो भी पिलाएँगे, पी लेंगे जनाब…

मे – तो फिर एक-एक बीयर हो जाए…

वो तपाक से बोली – मुझे कोई प्राब्लम नही है…

उसकी बोल्डनेस देख कर मे हैरान था.. और सोचने लगा कि ये वही मालती है.. गाँव की भोली-भाली… लड़की.

मेने फ़्रीज़ से दो चिल बीयर टीन निकाली, एक उसे ओपन कर के दी, और दूसरी मेने अपने होंठों से लगा कर सीप करने लगा…

मेने दो-चार सीप लेकर, उसे दिखाने के लिए एक सिगरेट सुलगा ली.. और फिर उसे भी ऑफर की…

ये तो कमाल ही हो गया… उसने पॅक से एक सिगरेट निकली जिसे मेने लाइटर से जला दिया..

मेने चुटकी लेते हुए कहा – काफ़ी मॉर्डन हो गयी हो… क्या बात है.. वैसे तुम्हारे पति देव का नाम क्या है.. और वो करते क्या हैं…?

वो मेरा सवाल सुन कर कुछ हड़बड़ा गयी … फिर संभाल कर स्माइल करती हुई बोली – क्या करेंगे जान कर…? आपको मेरे पति से क्या लेना देना… मे हूँ तो सही आपके सामने..

मे सोचने लगा… मछलि काफ़ी होशियार हो गयी है.. कोई नही थोड़ा और रुकते है.. और मे फिर से बीयर सीप करने लगा..

धीरे-2 कर के हम दोनो ने एक-एक तीन ख़तम कर दी.. फिर मेने खाना ऑर्डर कर दिया… खाने के साथ-2 एक- एक बीयर और ख़तम कर दी…

अब वो कुछ नशे में दिखने लगी थी…

हम दोनो अब बेड पर पहुँच गये थे… मेने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को चूमते हुए बोला –

वैसे मालती तुम हॉस्पिटल में भानु के कमरे में क्यों गयी थी…?

वो नशे और मदहोशी के आलम में एकदम से बोल पड़ी… वो मेरा पति है.. इसलिए उसके पास तो जाना ही था ना…!

मेने चोन्कने का नाटक करते हुए कहा – क्या..? वो साला गुंडा तुम्हारा पति..है..

वो नशे से बोझिल आँखें तरेर कर बोली– आए मिसटर … ज़ुबान संभाल कर बात करो ! वो मेरा पति है… फिर हहेहहे.. कर के हँसते हुए बोली – वैसे आपने सही कहा.. है तो साला वो गुंडा ही है…

मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – लेकिन तुम्हें उससे शादी करने की क्या ज़रूरत पड़ गयी…

इसस्शह….आहह… अंकुसजी…. आपको क्या पता मेने किन मजबूरियों में उस साले हरामी से शादी की…

वो नशे की झोंक में अनाप सनाप गाली बकते हुए बोली
अरे उस मादरचोद के हरामी बाप ने मेरे दादाजी को धमकाया था… कि अगर उन्होने अपनी पोती का व्याह उसके बेटे से नही किया तो वो उनका जीना मुश्किल कर देंगे..

अब वो बेचारे बड़े-बूढ़े आदमी वो भी अकेले… डर गये..और मेरी शादी उस गुंडे से हो गयी… हहेहहे…!

मे – तो इन सब आदतों को भी उसने ही सिखाया होगा तुम्हें…

वो – हां ! वरना मुझे इन सब का क्या पता था, … वो अब नशे में झूमने लगी थी, … उसकी आँखें नशे के कारण बंद होने लगी...,

इससे पहले कि वो अपने होश खोए, मेने उसका ड्रेस निकाल कर उसे सेक्स की तरफ लेजाने की कोशिश शुरू कर दी…….

उसकी ड्रेस निकालते ही बिना ब्रा के उसकी बड़ी-2 चुचियाँ थिरकति हुई मेरे सामने लहरा उठी…

मालती वाकई में पहले से ज़्यादा हॉट हो गयी थी,

उसके दशहरी आमों से खेलते हुए मेने पूछा – अब तुम्हारे दादा-दादी कहाँ रहते हैं…?

आह्ह्ह्ह… वो तो अभी भी गाँव में ही हैं…, थोड़ा और ज़ोर से दबाओ ना …सस्स्सिईइ…हाआंणन्न्, आआयययययीीई….ईीसस्शह…!

मेने उसके कड़क हो चुके निपल मरोड़कर कहा – वो अकेले ही गाँव में हैं…

मेरे निपल मरोडने से वो बिलबिला उठी – आआययययीीई…ज़ोर से नही…हां अब वो बेचारे अकेले ही हैं वहाँ…और कॉन रहेगा…

फिर मेने उसकी पेंटी भी निकाल दी, और उसकी गरम चूत को सहलाते हुए.. अपनी दो उंगलिया उसकी चाशनी से भरी चूत में डाल कर पूछा – तुम तो उनसे मिलने जाती रहती होगी ना…

आहह…………जीजू….क्या बताऊ… उस हरामी ने वहाँ जाने लायक रहने ही नही दिया मुझे.…सीईईईईईई….. हइई…..जल्दी कुछ कारूव….नाआ…बातें बाद में आआययईीीई…..कर लेना…आआ….
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06-01-2019, 02:37 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने अपनी उंगलियों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ते हुए पूछा – क्यों ? ऐसा क्या किया उसने…? सवाल दागते हुए मे उसकी चूत में उंगलियाँ अंदर- बाहर करने लगा…

उफफफफ्फ़……..हइईई…. उसने मेरी बेस्ट फ्रेंड निशा के साथ जबर्जस्ती बलात्कार करने की कोशिश की….हाईए… बहुत जालिम है वो हरामी…सआलाआ…आआ…

अब मुझे उससे फाइनल जबाब चाहिए थे… सो उसकी रसीली चूत पर हाथ फेरा और अपने मूसल को उसकी गीली चूत के मुँह पर रख कर रगड़ते हुए बोला…



तो क्या वो उसका बलात्कार कर पाया…?

आहह……….जिजुउुउ थोड़ा अंदर तो करो ईसीए….…. जल्दी…. उईईई…मेरी चुउउउत में चिंतियाँ सी काट रही हैं… प्लीज़….. जल्दी करूऊओ…वाकई बातें बाद मेंन्न…..

मेने अपने सुपाडे को थोड़ा सा उसके छेद के मुँह पर अड़ा कर कहा – करता हूँ… पहले बताओ तो सही, फिर क्या हुआ…?

सस्सिईईई…... नही कर पाया सालाअ…! इससे पहले कि वो कुछ कर पाता…, निशा का भाई वहाँ आ गया… और उसने उसे बचा लिया….!

मेने अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया.. और वहीं रुक कर बोला – तो अब वो हॉस्पिटल में क्या कर रहा है..?

वो – सीईईईईईईईईईई… उऊहह….बहुत बड़े जालिम हो जीजू… भेन्चोद.. चोद ना मुझे…. सीईईई.… आअहह….रोक क्यों लियाआअ….पूरा तो डालूओ…

मेने अपना लंड पूरा डालने की वजाय, उल्टा सुपाडे तक बाहर खींच लिया और उतना ही डाले हुए बोला – आगे बता ना साली रंडी… बोल ना वो मादरचोद अब भी हॉस्पिटल में क्या कर रहा है..?

मालती की चूत में आग लगी हुई थी, उसे एक-एक क्षण भारी लग रहा था, सो जल्दी से बातों का सिलसिला ख़तम करना चाहती थी…

अब जल्दी से जल्दी मेरे सवाल ख़तम हों इसलिए वो बिना हिचकिचाए बोली -

आहह…. उन दोनो की हाथापाई में उसका खुद का चाकू उसको लग गया और वो घायल हो गयाआ…आआईयईई…..धीरे…. झटके से लंड अंदर जाते ही वो बिलबिलाई…

मेने उसे दो चार तगड़े से धक्के मार कर फिर पूछा… तो क्या वो अब तक घायल ही है… ठीक नही हो पाया…इतने दिनो में ?

आहह… अब तो नाटक कर रहा है… मदर्चोद..ऊद्द्द….सीईईईई….… भोसड़ी का बहुत हर्राामी हाीइ….सीईईई…डालो ना….

मेने धक्के लगाते हुए पूछा – क्यों..? अब नाटक क्यों कर रहा है..?

वो – सस्सिईईई….आअहह… ताकि निशा के भाई को जमानत ना मिले….उफफफ्फ़ माआ…. हाइईईई…ज़ोर से कारूव….उूउउ…आययईीीई…

अब मुझे लगभग मेरे सवालों के जबाब मिल चुके थे…


सो मेने उसको अच्छी तरह से जमकर चोदा… वो भी किसी चुदाई मशीन की तरह कमर धकेल-धकेल कर जबरदस्त तरीक़े से चुदाई और बीयर की मस्ती में चूर चुदने लगी…

30 मिनिट तक धमाल चुदाई के बाद मेने उसकी चूत को अपने लंड के पानी से भर दिया…इतनी देर में मालती दो बार झड़कर मस्त हो गयी थी…

कुछ देर बाद फ्रेश होकर वापस हम पलंग पर आ गये… वो मेरी गोद में ही बैठी थी… मेने उसके बड़े-2 कलमी आमों से खेलते हुए पूछा-

मालती मुझे अब सारी बातें डीटेल में बताओ, तुम्हारी शादी भानु से किन हालातों में हुई, उसने ये हरकत निशा के साथ क्यों की… और ये भी की तुमने उसका साथ क्यों दिया…

वो – आप ये सब क्यों जानना चाहते हो… आपको तो उन लोगों से अब कोई मतलव नही है ना.. ! फिर !

मे – अगर मत्लव होता तो नही बताती…? इसका मतलब तुम मुझसे बस सेक्स तक का ही रिश्ता मानती हो…!

देखो मालती मे जानता हूँ.. ये सब तुमने अपनी मर्ज़ी से नही किया है, .. मे बस ये जानना चाहता हूँ.. कि ऐसी क्या बात थी जो ये सब हुआ…!

मे चाहता हूँ, कि फ्यूचर में भानु तुम्हें इस तरह से इस्तेमाल ना करे, और एक अच्छे पति की तरह ही बर्ताव रखे, इसके लिए मेरा सच जानना ज़रूरी है,

मेरी बात से वो कुछ देर सोच में पड़ गयी, लेकिन फिर कुछ सोच कर कहने लगी

– वैसे भानु अब मेरा पति है.. चाहे जैसा भी हो…, लेकिन सच कहूँ तो मे आपसे कोई बात चाह कर भी छुपा नही सकती..,

क्योंकि जो सुख आपने मुझे दिया है, वो मेरा पति शायद ही अपने जीवन में कभी दे पाए, इसलिए मे आपको सब कुछ सच-सच बताती हूँ…

बात आज से एक साल पहले की है… एक दिन मेरे दादा के पास ठाकुर सुर्य प्रताप आए.. और उन्होने अपने बेटे के लिए मेरा हाथ माँगा…,

दादाजी जानते थे कि उनका बेटा कैसा है.. और वो खुद भी कोई अच्छी छवि नही रखते थे.. सो उन्होने शादी करने से मना कर दिया…
उनकी ना सुनकर सूर्य प्रताप भड़क गये.. और उन्होने दादाजी को ताबड करने की धमकी दे डाली, और कहा – कि अगर तुम्हारी पोती की शादी मेरे बेटे से नही हुई.. तो वो किसी और से भी नही होने देगा…

दादा जी ने हथियार डाल दिए और हमारी शादी हो गयी… कुछ दिन तो हसी खुशी से निकल गये, लेकिन कुछ ही महीनों बाद भानु अपना रंग दिखाने लगा.. मेरे साथ मनमानियाँ करने लगा…

धीरे-2 कर के उसने मुझे भी नशे की आदत लगा दी.. फिर एक दिन हम दादा-दादी से मिलने गाँव आए हुए थे…

निशा मुझसे मिलने आई हुई थी… उसके बाद एक दिन उसने मुझे कहा कि तुम अपनी सहेली निशा से मेरे संबंध कर्वाओ.. मेने ना-नुकुर की, तो वो मुझे मारने पीटने लगा…

धमकी दी कि अगर मेने उसकी बात नही मानी तो वो मुझे तलाक़ देकर किसी कोठे पर बिठा देगा..

मेने जब ये कहा कि मे उससे ये सबके लिए नही बोल सकती.. तो फिर उसने ये प्लान बनाया, कि तुम उसे चाइ में नशा मिलकर पिला देना, और कुछ देर के लिए घर से गायब हो जाना, वाकी मे देख लूँगा…

मे – लेकिन वो ये सब करना क्यों चाहता था… निशा ही क्यों…?

वो – मुझे भी शक़ हुआ और मेने उसे पूछा भी… तो उसने मुझसे बस इतना ही कहा.. कि ऐसा करने से उसको बहुत बड़ा फ़ायदा होने वाला है.. लेकिन क्या ये नही बताया...

लेकिन जीजू…प्लीज़ ये बातें भानु को पता ना चले, वरना वो मुझे कहीं का नही छोड़ेगा…

मेने उसके होंठ चूमकर कहा – मेरा विश्वास करो मालती, आइन्दा भानु तुम्हें एक पत्नी का सम्मान ही देगा…

फिर मेने टॉपिक चेंज कर दिया और उसको सेक्स की तरफ मोड़ कर उसके साथ जम कर सुबह तक मस्ती की, उसकी अच्छी तरह से भूख शांत कर के, सुवह उसको घर विदा कर दिया….!
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