Bahu ki Chudai मस्त मेनका
07-30-2018, 05:44 PM,
#31
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--12

गतान्क से आगे......................

रात 9 बजे राजा साहब मेनका & उसके माता-पिता के साथ उनके महल मे बैठे खाना खा रहे थे.उनलोगो ने ज़िद करके राजा साहब को आज रात महल मे रुक कल सुबह राजपुरा जाने के लिए तैय्यार कर लिया था.

खाने के बाद राजा साहब को 1 नौकर उनके लिए तैय्यर किए गये कमरे मे ले आया.थोड़ी ही देर बाद मेनका भी वाहा 1 नौकर के साथ आई,"लाओ ग्लास हमे दो,शंभू.",ग्लास थामा वो नौकर कमरे से बाहर चला गया.

"ये लीजिए दूध पीकर सो जाइए."

राजा साहब ने 1 हाथ बढ़ा ग्लास लिया & दूसरा उसकी कमर मे डाल उसे अपने पास खींच लिया,"हमे ये नही वो दूध चाहिए.",उनका इशारा उसकी छातियो की तरफ था.

"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा...छ्चोड़ो ना!",मेनका घबरा के उनकी गिरफ़्त से छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी.

"कोई नही आएगा.चलो हमे अपना दूध पिलाओ.",उन्होने उसके 1 गाल पे चूम लिया.

"प्लीज़..यश...!कोई देख लेगा ना!"

"जब तक नही पिलाओगी,नही छ्चोड़ेंगे.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए.

"अच्छा बाबा..पहले ये ग्लास ख़तम करो..जल्दी!",उसने उनके हाथ से ग्लास ले उनके मुँह से लगा दिया.राजा साहब ने 1 घूँट मे ही उसे ख़तम कर दिया.,"चलो अब अपना दूध पिलाओ."

"शंभू!",मेनका ने नौकर को पुकारा.

"जी!राजकुमारी.",नौकर की आवाज़ सुनते ही राजा साहब अपनी बहू से अलग हो गये.

"ये ग्लास ले जाओ.",और उसके पीछे-2 वो भी कमरे से बाहर जाने लगी,दरवाज़े पे रुक के मूड के उसने शरारत से राजा साहब की तरफ देखा & जीभ निकाल कर चिढ़ते हुए अंगूठा दिखाया & चली गयी.राजा साहब मन मसोस कर रह गये.उनका खड़ा लंड उन्हे बहुत परेशान कर रहा था.उसे शांत करने की गाराज़ से वो कमरे से बाहर आ टहलने लगे.तभी उन्हे रानी साहिबा,मेनका की मा आती दिखाई दी.

"क्या हुआ राजा साहब?कोई तकलीफ़ तो नही?"

"जी बिल्कुल नही.सोने के पहले थोड़ा टहलने की आदत है बस इसीलिए यहा घूम रहे हैं....बुरा मत मानीएगा पर ये दावा किसी की तबीयत खराब है क्या?",उन्होने उनके हाथों की तरफ इशारा किया.

"अरे नही,राजा साहब बुरा क्यू मानेंगे.हुमारी नींद की गोलिया हैं,कभी-कभार लेनी पड़ जाती हैं."

इसके बाद थोड़ी सी और बातें हुई & फिर दोनो अपने-2 कमरो मे चले गये पर राजा साहब के आँखों मे नींद कहा थी.जब तक अपनी बहू के अंदर वो 2-3 बार अपना पानी नही गिरा देते थे,उन्हे नींद कहा आती थी.मेनका के जिस्म की चाह कुच्छ ज़्यादा भड़कने लगी तो उन्होने उस पे से ध्यान हटाने के लिए दूसरी बातें सोचना शुरू किया.

वो जब्बार से बदला लेने के बारे मे सोचने लगे.उनका दिल तो कर रहा था की उस नीच इंसान को अपने हाथो से चीर के रख दे पर ऐसा करने से वो क़ानून की नज़रो मे गुनेहगार बन जाते.अगर वो क़ानून का सहारा लेते तो जब्बार शर्तिया बच जाता क्यूकी कोई भी सबूत नही था जोकि उसे विश्वा का कातिल साबित करता.उसे सज़ा देने के लिए उन्हे उसी के जैसी चालाकी से काम लेना होगा,ये उन्हे अच्छी तरह से समझ मे आ गया था.मगर कैसे....वो ऐसी चाल चलना चाहते थे जिस से साँप भी मार जाए & लाठी भी ना टूटे.पहले की बात होती तब शायद वो इतना नही सोचते & अभी तक जब्बार उनके हाथो मर भी चुका होता पर अब मेनका की ज़िंदगी भी उनके साथ जुड़ी थी & वो कोई ऐसा कदम नही उठना चाहते थे जिस से उसे कोई परेशानी उतनी पड़े.उसका ख़याल आते ही उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा.

वो फिर से बेचैन हो उठे.1 बार तो उन्होने सोचा कि लंड को हाथ से ही शांत कर दे पर फिर उनके दिल ने कहा कि लानत है राजा यशवीर सिंग!तुम्हारी दिलरुबा बस चंद कदमो के फ़ासले पे है & तुम खुद को मूठ मार कर शांत करोगे!वो तुरंत उठ खड़े हुए & कमरे से निकल गये.बाहर अंधेरा था,वो दबे पाँव मेनका के कमरे की ओर गये & धीरे से दरवाज़े पे हाथ रखा.

मेनका को भी कहा नींद आ रही थी.उसे अपने ससुर के लंड की ऐसी लत लगी थी की रात होते ही बस वो उनकी मज़बूत बाहों मे क़ैद हो उनसे जम कर चुदवाना चाहती थी.वो बिस्तर पे कर वते बदल रही थी & उसकी बगल मे उसकी मा गहरी नींद मे सो रही थी.उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बावली होने लगी तो वो नाइटी के उपर से ही उसे दबाने लगी.तभी उसकी नज़र दरवाज़े पे गयी जोकि आहिस्ते से खुला & उसे उसमे उसके ससुर नज़र आए.

वो जल्दी से उठ दबे पाँव भागते हुई दरवाज़े पे आई,"क्या कर रहे हो?तुम बिल्कुल पागल हो.जाओ यहा से!मा सो रही हैं यहा.",वो फुसफुसा.

"चले जाएँगे पर तुम भी साथ चलो."

"ऑफ..ओह!तुम सच मे पागल हो गये हो रात मे मा उठ गयी तो क्या होगा?!"

"ठीक है तो हम ही यहा आ जाते हैं.",राजा साहब अंदर आए & दरवाज़ा बंद कर दिया.

"यश..यहा...जाओ ना..मा उठ जाएँगी!"

"नही उठेंगी.नींद की गोलिया उन्हे उठने नही देंगी.",उन्होने उसे बाहों मे भर के चूम लिया.

"नही...प्लीज़..",मेनका कसमसाई पर राजा साहब ने उसे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया था.चाहिए तो उसे भी यही था पर उसकी मा के कमरे मे होने की वजह से उसे बहुत डर लग रहा था.राजा साहब भी जानते थे कि सब कुच्छ जल्दी करना होगा.उन्होने उसकी नाइटी नीचे से उठा अपने हाथ अंदर घुसा दिए.मेनका ने नाइटी के नीचे कुच्छ भी नही पहना था & अब राजा साहब के हाथों मे उसकी भरी-2 गंद मसली जा रही थी.

उसकी आँखे बंद हो गयी,"..ना..ही..यश..मा...जाग जा..एँ...गी.."

राजा साहब उसे चूमते हुए दीवार से लगे 1 छ्होटे शेल्फ के पास ले गये & उसे उसपे बिठा दिया.उनका 1 हाथ उसकी छातिया दबा रहा था & दूसरा चूत मे घुस गे था.मेनका हवा मे उड़ने लगी.उसने अपनी आँखें खोल अपनी मा की तरफ देखा,वो बेख़बर सो रही थी,उसे बहुत डर लग रहा था पर साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था.पकड़े जाने का डर उसे 1 अलग तरह का मज़ा दे रहा था.

राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को छेड़ने लगी तो उसकी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़ने लगी.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आहों पे काबू रखा था.उसने भी अपने हाथ राजा साहब के कुर्ते मे घुसा उनकी पीठ नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब ने जैसे ही महसूस किया कि मेनका उनके चूत रगड़ने से झाड़ कर पूरी तारह गीली हो चुकी है,उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोल उसे नीचे कर दिया.अब नाइटी उसकी कमर पे थी & उसकी चुचियाँ & चूत नंगे थे.
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07-30-2018, 05:44 PM,
#32
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
राजा साहब झुके & उसकी छातिया चूसने लगे,उनका 1 हाथ अभी भी उसकी चूत पे लगा हुआ था.मेनका ने दीवार से टिकाते हुए अपना बदन कमान की तरह मोड़ अपनी छातिया अपने ससुर की तरफ & उभार दी & उनके सर को पकड़ उनपे दबा दिया.उसकी कमर भी हिलने लगी & वो उनके हाथ को चोदने लगी.

तभी उसकी मा ने करवट ली तो मेनका & राजा साहब जहा थे वही रुक गये.मेनका का कलेजा तो उसके मुँह को आ गया & सारा नशा हवा हो गया.दोनो सांस रोके उसकी मा को देख रहे थे.उन्होने फिर करवट ली & इस बार उनकी पीठ उन दोनो की तरफ थी.राजा साहब ने फिर से धीरे-2 अपनी बहू की चूत कुरेदना शुरू कर दिया.मेनका तो शेल्फ से उतर कर वापस सोने की सोच रही थी पर उसके ससुर की इस हरकत ने उसकी चूत की प्यास को फिर से जगा दिया.1 बार फिर राजा साहब उसकी छत पे झुक उसके निपल्स चूसने लगे.

मेनका फिर से गरम हो गयी तो उसने उनके पाजामे मे हाथ डाला तो पाया की राजा साहब ने अपनी झांते साफ कर ली थी.उसे उनपे बहुत प्यार आया & वो लंड को मुट्ठी मे भर हिलाने लगी.राजा साहब के लिए ये इशारा काफ़ी था,उन्होने अपना पाजामा उतार दिया & शेल्फ पे बैठी मेनका की जांघे खोल उनके बीच आए & अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मेनका ने अपनी आ उनके कंधे मे दाँत गाड़ा के ज़ब्त की & अपनी टांगे & बाँहे उनके बदन से लिपटा कर अपनी कमर हिला कर उनके साथ चुदाई करने लगी.राजा साहब उसके उरज़ो को दबाते हुए उसके निपल्स अपनी उंगलियो के बीच ले मसल्ते हुए उसे चूमने लगे.

उनका हर धक्का उनके लेंड़ को मेनका की कोख पे मार रहा था & वो बस झाडे चले जा रही थी.राजा साहब का जोश भी अब बहुत बढ़ गया था,वो अब बहुत ज़ोर के धक्के मार रहे थे.चोद्ते-2 उन्होने अपने हाथ नीचे ले जा उसकी गंद को थामा & उसे शेल्फ से उठा लिया.अब मेनका शेल्फ से कुच्छ इंच उपर हवा मे अपने ससुर से चिपकी उनसे चुद रही थी.राजा साहब का लंड उसकी चूत के दाने को रगड़ता हुआ सीधा उसकी कोख पे ऐसे वार कर रहा थी की थोड़ी ही देर मे मेनका झाड़ गयी & अपने ससुर की गर्दन मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.राजा साहब ने उसे उठाए हुए ही अपनी कमर हिला उसकी चूत को अपने विर्य से भर दिया.

उन्होने उसे वापस शेल्फ पे बिताया & उसके बालों को सहलाते हुए उसके सर को हौले- चूमने लगे.जब मेनका थोडा सायंत हुई तो उसने भी उनके सीने पे हल्के से चूम लिया.राजा साहब ने 1 नज़र उसकी सोई हुई मा पे डाली & फिर उसे बाहों मे भर कर उसके होंठो को चूम लिया.धीरे से अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाला & फिर उसकी नाइटी उसे वापस पहना दी,फिर अपना पाजामा बाँध लिया & उसे गोद मे उठा कर उसे उसकी मा की बगल मे लिटा दिया.

जैसे ही वो जाने लगे मेनका ने उनके गले मे बाहें डाला अपने उपर खींच कर चूमा & फिर कान मे फुसफुसा,"आइ लव यू."

"आइ लव यू टू.",राजा साहब ने उसके होठों को चूमा & कमरे से बाहर चले गये.

मलिका कमरे मे लेटी अपनी चूत मे उंगली कर रही थी,जब्बार 2 दीनो से बाहर गया हुआ था & वो 2 दीनो से चूड़ी नही थी.तभी उसका फोन बजा,"हेलो."

"हा,मैं देल्ही मे हू.कल सवेरे 10 बजे तक वापस आऊंगा.",ये जब्बार था.

थोड़ी देर तक बात करने के बाद मलिका ने फोन किनारे रखा & फिर से चूत रगड़ने लगी.वो लंड के लिए पागल हो रही थी.तभी उसे कल्लन का ख़याल आया तो उसने फोन उठा कर उसका नंबर. डाइयल किया.

"हेलो.",कल्लन ने फोन उठाया.

"क्या कर रहा है,ज़ालिम?"

"बस यहा से जाने की तैय्यरी मे हू.",जब्बार ने कल ही कल्लन के अकाउंट मे उसके हिस्से के बाकी पैसे जमा कराए थे.कल्लन का काम हो गया था & अब वो किसी और चक्कर मे 2-3 महीनो के लिए बाहर जा रहा था.

"मुझे यहा तड़प्ता छ्चोड़ कहा जा रहा है?जब्बार देल्ही मे है.यहा आ के मेरी आग बुझा दे ना."

"मैं वाहा आने का चान्स नही ले सकता.अगर किसी ने देख लिया तो सारा भंडा फूटने मे देर नही लगेगी....वैसे तू चाहती है तो तू यहा आ जा.मैं कल चला जाऊँगा.",कल्लन भी मलिका को चोदने का लालच हो आया था.

"अच्छा ठीक है.मैं ही आती हू.वो कमीना तो कल सुबह आएगा.मैं आती हू पर कहा आना है?"

"शहर के चोवोक बाज़ार मे वो 'फियेस्टा' केफे है ना,वही पहुँच जाना.मैं वाहा से तुम्हे अपने घर ले चलूँगा.कितने बजे आओगी?"

"मैं 3 बजे तक 'फियेस्टा' पहुँच जाऊंगी.",उसने दीवार-घड़ी की तरफ देखा.
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07-30-2018, 05:44 PM,
#33
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
"ठीक है."

कहते हैं कि शातिर से शातिर मुजरिम से भी 1 ग़लती कर देता है & यहा तो कल्लन ने 3-3 ग़लतिया कर दी थी.पहली ग़लती उसने उस दिन की थी जब बॅंगलुर से आने के बाद मलिका ने उसे फोन किया & उसने उसे अपना शहर का ठिकाना बताया.वो कुच्छ दीनो मे अपने ठिकाने बदल देता था,पर मलिका उस से चुद ने के लिए लगभग उसके हर ठिकाने पे आ चुकी थी.दूसरी ग़लती उसने ये की,कि अपना जाना कल पे टाल दिया.

इन दोनो ग़लतियो का उसे खामियाज़ा नही भुगतना पड़ता अगर वो तीसरी ग़लती नही करता & तीसरी ग़लती थी कि वो चोवोक बाज़ार के मल्टिपलेक्स मे 11:30 बजे का फिल्म शो देखने चला गया.आपको लग रहा होगा कि कल्लन कोई स्कूल स्टूडेंट तो नही है जो बंक मार कर फिल्म देखना उसकी ग़लती हो गयी.पर नही दोस्तो,देखिए कैसे उस फिल्म के चलते कल्लन अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल मे फँसता है...

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष अपनी गर्लफ्रेंड पूजा के साथ फिल्म देख रहा था या यू कहें पूजा को चूमने-चाटने के बीच वो फिल्म भी देख रहा था..."आहह..इंटर्वल होने वाला है,लाइट्स जल जाएँगी.अब छ्चोड़ो ना!",पूजा ने उसे परे धकेल दिया.

"अच्छा बाबा.",तभी लाइट्स जल गयी,"क्या लॉगी कोल्ड ड्रिंक या कॉफी?",मनीष खड़ा होकर नीचे उतरने लगा.उनकी सीट्स सबसे आख़िरी रो की कॉर्नर मे थी.

"कोल्ड ड्रिंक ले आना & पॉपकॉर्न भी."

"ओके."

शो हौसेफुल्ल जा रहा था & रेफ्रेशमेंट काउंटर्स पे भी काफ़ी भीड़ थी.मनीष 1 लाइन मे खड़ा अपनी बारी आने का इंतेज़ार करता हुआ इधर-उधर देख रहा था कि तभी उसकी नज़र साथ वाली लाइन मे खड़े 1 लंबे शख्स पे पड़ी...ये तो वही आदिवासी के मोबाइल की फोटो वाला इंसान लग रहा था जिसकी उसे तलाश थी.इसने अपना हुलिया बदला हुआ है.ये फ्रेंच कट दाढ़ी रख ली है...ये वही है.

पर फिर उसे लगा कि पहले बात कन्फर्म करनी चाहियर.उसने तुरंत दुष्यंत वेर्मा को फोन लगाया,इस केस के बारे मे एजेन्सी मे बस यही दोनो इस केस के बारे मे जानते थे,"सर,मैं मनीष.."&उसने पूरी बात बता दी.

"मनीष,किसी भी तरह उस आदमी का फोटो अपने मोबाइल केमरे से ले के मुझे भेजो.मैं यहा बॉमबे के ऑफीस मे हू.यही से दोनो फोटोस चेक कर के तुम्हे बताता हू."

"मनीष पूजा के साथ फिर से फिल्म देखने लगा.वो शख्स उनसे 3 रो नीचे साथ वाले सीट्स के ब्लॉक की सेंटर कॉर्नर सीट पे बैठा था.मनीष पूजा को बाहों मे भर प्यार कर रहा था पर उसकी नज़र लगातार उस शख्स पे बनी हुई थी.उसका फोन बजा,"एस सर?"

"तुम सही हो मनीष,ये वही इंसान है.अब तुम 1 काम करो.मैं तो वाहा हू नही.अब तुम्हे ही सब संभालना है.मैं अभी यशवीर को खबर करता हू कि वो शहर पहुँचे & तुम साए की तरह इस आदमी के पीछे लगे रहो.मैं यश को तुम्हारा नंबर. भी दे देता हू.ऑफीस फोन करता हू,1 आदमी हॉल के बाहर शो ख़त्म होने के बाद वो किट तुम्हे दे जाएगा.ठीक है.सब काफ़ी सावधानी से संभालना बेटा.इस आदमी को हमे अपनी पकड़ मे लेना है.पोलीस के पास नही जा सकते क्यूकी हुमारे पास 1 भी पुख़्ता सबूत नही है.इसीलिए पहले हमे ही इस से सब उगलवाना होगा.ओके,बेटा.बेस्ट ऑफ लक!"

"थॅंक्स,सर."

"क्या यहा भी काम की बातें कर रहे हो?"

"सॉरी,डार्लिंग.",मनीष ने नाराज़ पूजा को बाहों मे भर के चूमा & उसके टॉप के उपर से ही उसकी चूचिया दबा दी.

"अफ..बदमाश..",पूजा मज़े मे फुसफुसा.दोनो इसी तरह फिल्म ख़त्म होने तक 1 दूसरे से चिपते रहे.

क्रमशः..................
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07-30-2018, 05:45 PM,
#34
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--13



गतान्क से आगे......................

पिक्चर ख़त्म होने ही वाली थी,"पूजा..",मनीष अपनी गर्लफ्रेंड को बाहों मे भरे हुए उसके कान मे फुसफुसाया.

"ह्म्म.."

"वो 3 रो नीचे सेंटर कॉर्नर वाली सीट पे ब्लॅक शर्ट वाला इंसान दिख रहा है?"

"कौन?वो जो हंस रहा है?",पूजा ने मनीष के आगोश मे ही गर्दन घुमा कर देखा.

"हा,वही."

"कौन है वो?"

"1 क्रिमिनल जिसकी मैं तलाश कर रहा था.आज इसे पकड़ने मे मेरी हेल्प करोगी?"

"ये भी कोई पुच्छने की बात है.क्या करना है?"

"मैं अभी निकल कर पार्किंग से बाइक निकलता हू वरना बाद मे बहुत भीड़ हो जाएगी & ये कही हमसे बच के ना निकल जाए.तुम उस सेकुच्छ दूरी पे रह उसके पीछे-2 निकलना & देखना कि ये किस तरफ जाता है.अगर पार्किंग की ओर आता है तो मुझे फोन करना नही तो बस इसके पीछे सावधानी से चलती जाना.मैं बाइक लेकर बाहर मैं गेट पे मिलूँगा."

"ठीक है."

मनीष हॉल से निकल भागता हुआ पार्किंग की ओर जा रहा था कि उसका मोबाइल बजा,"हेलो."

"मनीष,मैं अमीन.किट लाया हू."

"वेरी गुड यार.इधर पार्किंग मे आजा."

थोड़ी ही देर बाद 1 बेल्ट-बॅग जिसमे 1 नाइलॉन की रस्सी,1 हथकड़ी,1 क्लॉत नॅपकिन & ई क्लॉरोफॉर्म की शीशी उसके हाथों मे थी.यही वो किट थी जिसे मनीष ने अपने गले मे लटका लिया & बाइक स्टार्ट कर तुरंत मैं गेट पे पहुँचा.इतनी देर मे शो ख़त्म हो गया था & सारी भीड़ हल्लसे बाहर जा रही थी.गेट पे उसे पूजा दिखी,"मनीष,वो देखो उधर.वो उस ऑटो मे बैठ रहा है.",वो उसके पीछे बैठ गयी & मनीष ने बाइक कल्लन के ऑटो के पीछे लगा दी.

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राजा साहब मेनका के साथ उसके मायके से 11 बजे राजपुरा पहुँचे &सीधा ऑफीस गये.अपने चेंबर मे उन्होने अपनी बहू को हमेशा की तरह बाहों मे भर कर चूमना शुरू कर दिया & उसने भी हमेशा की तरह घबरा कर उनसे छूटने की कोशिश.

"अफ...तुम बिल्कुल पागल हो.... किसी दिन कोई हमे ज़रूर देख लेगा.",उसने उनके बाल पकड़ उनका चेहरा अपनी गर्दन से अलग किया.

"तुम बेकार मे इतना डरती हो.कुच्छ नही होगा.",उनके हाथ उसकी नंगी कमर को सहला रहे थे."घबराव मत.अभी हुमारे पास वक़्त नही है,शहर जाना है अपने वकील से मिलने.कुच्छ ज़रूरी काम है."

"क्या?फिर से जा रहे हो.",मेनका ने गुस्से से पूचछा.

"लो,अभी तो हमे अलग कर रही थी & अब जा रहे हैं तो नाराज़ हो रही हो."

"हम तो यहा ऑफीस मे मना करते हैं.घर पे थोड़े ही ना रोकते हैं.",उसने उनके सीने पे सर रख दिया.

राजा साहब हँसे & उसका चेहरा अपने हाथों मे ले उसके रसीले होंठ चूमने लगे.थोड़ी देर तक दोनो 1 दूसरे को चूमते रहे,फिर राजा साहब ने उसके होतो को आज़ाद किया,"अच्छा,अब चलते हैं."

"जल्दी आना."

"ओके."

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जब दुष्यंत वेर्मा का फोन राजा साहब के पास आया तो वो अपने वकील को अपनी नयी वसीयत जिसमे उन्होने अपना सब कुच्छ मेनका के नाम कर दिया था,लिखवा रहे थे.

"यार..यश ..तेरे कहे मुताबिक केवल मनीष उसके पीछे है.मैं उसकी मदद के लिए किसी और को नही भेज रहा हू.ऐसे काम मे बहुत ख़तरा होता है.तुम कहो तो मैं कुच्छ और लोगो को भी इस काम पे लगा देता हू."

"नही,दुष्यंत.ऐसा नही करना.फ़िक्र मत करो,मनीष को मैं किसी भी तरह के ख़तरे मे नही पड़ने दूँगा.तुम मुझे उसका नंबर. दो,मैं उस से बात कर के आगे की प्लॅनिंग करता हूँ."

"ओके,यश.ये ले उसका नंबर..."

कल्लन का ऑटो 1 ट्रॅफिक सिग्नल पर खड़ा था.उसके 2 गाड़ियाँ पीछे मैन्श & पूजा भी बाइक पे थे,"पूजा.तुम यहा से ऑटो लेकर घर चली जाओ.पता नही ये आदमी कहा जा रहा है.आगे ख़तरा भी हो सकता है."

"मनीष,मुझे बहुत डर लग रहा है.मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी."

"बात समझो,पूजा.मुझे कुच्छ नही होगा.तुम घर जाओ.मैं तुम्हे फोन करूँगा.चलो...वो देखो वो ऑटो खाली है..जाओ."

"मनीष.."

"मुझे कुच्छ नही होगा,डार्लिंग.फ़िक्र मत करो.देखो बत्ती हरी होने वाली है.चलो जल्दी से वो ऑटो पाकड़ो."

"ठीक है.मैं तुम्हारे फोन का इंतेज़ार करूँगी."

मनीष अब अकेला ही कल्लन का पीचछा करने लगा.मोबाइल बजा तो उसने हंडसफ़री ऑन कर दिया,"हेलो."

"हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं,मनीष.तुम इस वक़्त कहा हो?"

"नमस्ते,सर.लगता है ये आदमी चोवोक बाज़ार की ओर जा रहा है.मैं बाइक से उसके ऑटो का पीचछा कर रहा हू."

"ठीक है,हम भी वही पहुँचते हैं.",& फोन काट गया.
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07-30-2018, 05:45 PM,
#35
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
थोड़ी देर बाद मनीष राजा साहब के साथ उनकी स्कॉर्पियो मे बैठा था,गाड़ी 'फियेस्टा' केफे केसाम्ने खड़ी थी जहा थोड़ी देर पहले कल्लन गया था.थोड़ी देर बाद 1 कार रुकी &मलिका उसमे से उतर कर केफे के अंदर चली गयी.

"सर,ये तो..-"

"हा,मनीष.अब तो शक़ नही पक्का यकीन है कि ये इंसान जब्बार का साथी है & हुमारे बेटे की मौत मे इसका हाथ है.",तभी दोनो केफे से बाहर आकर मलिका की कार मे बैठ कही जाने लगे.मनीष दौड़ कर अपनी बाइक पे चला गया & वो & राजा साहब 1 बार फिर कल्लन का पीचछा करने लगे.मलिका ने कार 1 सस्ते से होटेल के सामने रोक दी & कल्लन के साथ होटल के अंदर चली गयी.

होटेल के कमरे के अंदर मलिका & कल्लन 1 दूसरे के कपड़े उतारते हुए पागलों की तरह चूम रहे थे.."..कितना तदपि हू ज़ालिम तेरे लिए.",मलिका ने कल्लन की पॅंट 1 झटके मे उतार दी & झुक कर उसका लंड अपने मुँह मे भर लिया.कल्लन खड़े-2 ही उसके सर को पकड़ उसका मुँह चोदने लगा.मालिका ने लंड चूस्ते हुए उसकी कमर को अपनी बाहों मे कस लिया & अपनी 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी.

"एयेए..आहह..",कल्लन जोश मे करहा.उसने अपनी कमर और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया.मलिका ने उसका लंड छ्चोड़ दिया & उसे बिस्तर पे धकेल दिया & फिर उसकी छाती पे चढ़ अपनी चूत उसके मुँह पेरख़् दी & 1 बार फिर उसका लंड अपने मुँह मे ले चूसने लगी.कल्लन ने उसकी गंद को मसल्ते हुए अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल दी & लगा उसके दाने को चाटने.

मलिका जोश मे अपनी कमर हिलाने लगी & मस्त होकर आहें भरने लगी.कल्लन ने उसे मज़बूती से थाम रखा था & अपनी जीभ तेज़ी से उसकी चूत मे फिरा रहा था.अचानक मलिका ने अपनी चूत उसके चेहरे पे दबा दी अपने मुँह से लंड निकाल अपना चेहरा उसकी झांतो मे च्छूपा लिया,वो झाड़ गयी थी.कल्लन उसकी चूत के छ्चोड़े पानी को चाट रहा था.मलिका थोड़ा होश मे आई तो उसने उसके लंड को पकड़ ज़ोर-2 सहिलना शुरू कर दिया & लंड के सूपदे को अपनी जीभ से च्छेदने लगी.अब कल्लन की बारी थी,उसकी कमर अपने आप हिलने लगी.मलिका ने उसके अंदो को हाथो मे भर कर दबाया & उसका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया.लंड उसके मुँह से होता हुआ उसके कंठ तक चला गया तो वो मुँह उपर-नीचे कर उसे मुँह से चोदने लगी.

मलिका के हाथो का अंदो पे दबाव & उसके मुँह की हर्कतो ने तुरंत ही कल्लन का पानी निकाल दिया,जिसे मलिका ने खुशी से निगल लिया.थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े रहे,कल्लन उसकी गंद सहलाता रहा & मलिका उसके लंड को हौले- चाटती रही.कुच्छ ही देर मे लंड फिर से खड़ा होने लगा तो मलिका घूम कर अब कल्लन के उपर लेट गयी और उसे चूमने लगी.कल्लन ने उसकी नंगी पीठ & कमर को सहलाने लगा.

उसने उसे बाहों मे भरा & करवट ले उसके उपर चढ़ गया.उसकी गर्दन चूमते हुए उसने अपने हाथों मे उसकी चूचिया भर ली & दबाने लगा.उसने उनके निपल्स को अपनी उंगलियो मे भर कर मसला &फिर 1 चूची को अपने मुँह मे भर लिया 7 दूसरे से उसकी दूसरी चूची मसल्ने लगा.

"..ऊ..ऊओह....और दबा ज़ालिम...और ज़ोर से...अब इस वाली को चूस ना..",उसने अपने हाथो से अपनी 1 चूची उसके मुँह मे डाल दी.

"आनन्न...आनन्नह...हान्न्न..ऐसे ही ..",मलिका ने अपना हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे लगा लिया & घुसाने लगी.कल्लन ने 1 धक्का मारा & लंड आधा अंदर चला गया.,"आईईयईी...",मलिका चीखी.

दूसरे धक्के मे लंड पूरा अंदर चला गया & फिर कल्लन ने उसकी चुदाई शुरू कर दी.दोनो 1 दूसरे से चिपते 1 दूसरे को चूम रहे थे.कल्लन कभी उसके चेहरे तो कभी उसकी चूचियो को चूमता & दबाता & मलिका भी अपने नाखूनओ को उसकी पीठ & गांद मे गादती हुई उसकी किस्सस का जवाब देती.उसने अपनी टांगे उसकी कमर पे लपेट ली थी & कमर हिलाकर उसके धक्कों की ताल से ताल मिलाते हुए चुद रही थी.

धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी & थोड़ी ही देर मे मलिका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.कल्लन ने जोश मे उसकी 1 चूची पे अपने होंठ कस दिए & उसकी कमर झटके खाने लगी & उसका लंड मलिका की चूत को अपने पानी से भरने लगा.

क्रमशः........................
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07-30-2018, 05:46 PM,
#36
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--14

गतान्क से आगे......................

होटेल के बाहर मनीष राजा साहब के साथ उनकी कार मे बैठा उन्हे अपनी किट दिखा रहा था,"..और ये क्लॉरोफॉर्म है सर जिसके सहारे हम टारगेट को बेहोश कर अपने क़ब्ज़े मे ले सकते हैं."

"तुम लोगो को ये सब इस्तेमाल करने की क़ानूनी इजाज़त है या नही?"

"नही,सर.पर इस जैसे लोगो को पकड़ने के लिए ये सब उसे करना पड़ता है.",मनीष मुस्कुराया.

"वो देखिए सर,दोनो बाहर आ रहे हैं...मैं अपनी बाइक पे जाता हू.",मनीष दरवाज़ा खोल कर तेज़ी से अपनी बाइक पे चला गया,उसकी किट वही कार मे छूट गयी थी.

कल्लन & मलिका फिर से उसकी कार मे बैठ कर चल पड़े & उनके पीछे-2 राजा साहब & मनीष.अब उनकी कार शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पे भाग रही थी.राजा साहब ने ड्राइव करते हुए मेनका को फोन लगाया,शाम हो चुकी थी & वो उनका इंतेज़ार कर रही होगी.उन्हे पता नही था कि इस आदमी को पकड़ने मे उन्हे कितना समय लगेगा,"हेलो..हम यशवीर बोल रहे हैं....आज रात हम वापस नही आएँगे."

"ये क्या बात है.मैं यहा तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ & तुम हो कि...बस!आख़िर ऐसा कौन सा काम है वकील साहब से?"

"अरे बाबा,आ गया है ऐसा कुच्छ काम.नाराज़ मत हो,कल सवेरे हम तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे..ठीक है...चलो बाइ!"

उन्होने बात करते हुए भी अपनी निगाह उस कार से नही हटाई थी.1 लेफ्ट टर्न लेते ही वो 1 धार्मिक जुलूस मे जा फँसे.मलिका की कार उस जुलूस के रोड पे आने से पहले ही निकल चुकी थी.राजा साहब ने फुर्ती से अपनी कार 1 साइड की गली मे घुसा दी पर मनीष इतना फुर्तीला नही था.थोड़ी ही देर मे राजा साहब गलियो से होते हुए वापस मैं रोड पे थे.उन्होने कार तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए उस कार को ढूँढना शुरू किया.करीब 3-4 मिनिट के बाद उन्हे वो कार नज़र आ गयी & वो उसके पीछे लग गये.

मनीष ने जैसे-तैसे उस जाम से बाइक निकली पर जैसे ही स्पेड बधाई,बाइक झटके खा के रुक गयी,"शिट!अब इसे क्या हुआ?!!",उसने झट से उतर कर बाइक चेक की पर वो फिर भी स्टार्ट नही हुई.उसने तुरंत राजा साहब को फोन मिलाया,"सर,पहले तो जाम मे फँस गया & अब मेरी बाइक खराब हो गयी है.आप कहा पहुँच गये?"

राजा साहब के दिमाग़ ने तेज़ी से काम किया,आज जब्बार का ये आदमी उनके हाथ मरने वाला था & वो नही चाहते थे कि इस बात का कोई गवाह हो,"मनीष,लगता है वो हमारे हाथ से निकल गया.उस जुलूस की वजह से हमने उन्हे खो दिया.तुम परेशान मत हो,अपनी बाइक ठीक करवा के वापस लौट जाओ.हम भी वापस जा रहे हैं....पर तुम्हारी जितनी भी तारीफ की जाए कम है,बेटे.तुमने कमाल का काम किया था पर शायद उसकी किस्मत उसके साथ है जो वो आज हमारे हाथ नही लगा."

"थॅंक्स,सर.पर अगर वो पकड़ मे आ जाता तब मुझे चैन मिलता."

"कोई बात नही.चलो,अब फोन काट ते हैं.हम ड्राइव कर रहे हैं."

"ओके,सर."

मलिका की कार अब शहर से बाहर 1 ऐसे इलाक़े मे आ गयी थी जो बहुत कम बसा हुआ था.वाहा बस इक्का-दुक्का मकान थे & कुच्छ तो अभी बन ही रहे थे.कोई भी ऐसा घर नही लग रहा था जहा कि पूरा परिवार रहता हो.कार जिस रास्ते पे जा रही थी उसके 1 तरफ बस खाली मैदान था & दूसरी तरफ बस 2 मकान थे & दोनो के बीच करीब 1/2 किमी का फासला था.मलिका की कार अब रोड के आख़िर मे दूसरे मकान के सामने रुक गयी,यही कल्लन का ठिकाना था.

राजा साहब ने 1 किमी पीछे अपनी कर रोड से उतार कर लगाई,किट उठाई & कार से उतर कर पहले मकान के पीछे चले गये & दौड़ते हुए कल्लन के मकान के पिच्छवाड़े पहुँच गये.कार रुकी थी & कल्लन कार से उतर कर ड्राइवर'स साइड पे आ ड्राइविंग सीट पे बैठी मलिका से बात कर रहा था.राजा साहब मकान की बगल मे आ खड़े हो उन्हे छिप कर देखने लगे.

"आज तो बिल्कुल मन नही भरा.तू क्यू जा रहा है?रुक जा ना..सारी रात मज़ा करते हैं."

"फिर कभी.बस1-2 महीनो की बात है.अभी जाना ज़रूरी है.",उसने झुक कर मलिका को चूमा & 1 हाथ उसके टॉप मे डाल कर उसकी छातियो को दबा दिया,"चल अब निकल.."

"तू बहुत ज़ालिम है.",उसने कल्लन का लंड पॅंट के उपर से ही दबाया & कार स्टार्ट कर घुमा दी.उसके जाते ही कल्लन घूम कर अपने घर के दरवाज़े पे आया & ताला खोलने लगा.

"एक्सक्यूस मी,सर.",आवाज़ सुन कर जैसे ही वो घुमा 1 मज़बूत हाथ ने उसकी नाक पे 1 कपड़ा दबा दिया.वो उस आदमी को परे धकेलने लगा पर उसे लग रहा था कि जैसे उसके बदन मे ताकता ही नही है,फिर भी उसने अपना पूरा ज़ोर लगा कर उस आदमी को धकेल दिया.

कल्लन का डील-डौल राजा साहब जैसा ही था & वो उन्ही की तरह ताकतवर भी था.उसके धक्के से राजा साहब गिर पड़े.कल्लन ने पास पड़ी 1 ईंट उठा कर उनपर फेंकी पर वो उसका वार बचा गये & अपनी 1 लात उसकी टाँगो पे मारी,कल्लन चारो खाने चित हो गया तो राजा साहब उसकी छाती पे चढ़ बैठे & क्लॉरोफॉर्म से भीगा नॅपकिन उसकी नाक पे लगा दिया.कल्लन अब पूरी तरह से बेहोश था.

राजा सहब ने उठ कर चारो तरफ देखा-कोई नही था.उन्होने अपनी कमर पे बँधी किट से हथकड़ी निकली & कल्लां को पेट के बाल लिटा कर उसके हाथ पीच्चे लाकर उस से बाँध दिए.फिर वो दौस कर गये & अपनी कार ले आए & कल्लन को उसमे डाल कर वाहा से निकल गये.

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रात के 12 बज रहे थे & मेनका अपने बिस्तर पे पड़ी हुई थी,नींद उसकी आँखो से कोसो दूर थी.उसे राजा साहब की याद सता रही थी.उसने करवट लेकर आँखे बंद कर सोने की कोशिश की तो उसे कल रात की अपने माएके मे हुई उसकी चुदाई याद आ गयी...कैसे उसके ससुर ने उसकी मा के होते हुए उसे पूरी तरह से चोदा था.उनकी चुदाई याद करते ही उसकी चूत मचल उठी & उसने अपनी उंगली उस मे डाल दी.अपनी जांघे 1 साथ रगड़ते हुए वो अपनी चूत मे उंगली अंदर-बाहर करने लगी.उसे अपने बदन पे अब ये नाइटी भी भारी लग रही थी.वो उठी & उसे उतार दिया,फिर 1 बड़े से तकिये से चिपक कर उस पे अपनी छातिया दबाते हुए अपनी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए अपने जिस्म की आग को ठंडा करने लगी.

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जब कल्लन को होश आया तो उसने खुद को 1 कमरे मे रस्सियों से बँधा हुआ & पूरा नंगा पाया.उसके सामने 1 कुर्सी पे राजा यशवीर बैठे थे.

"आ गया होश,जब्बार के कुत्ते.चल अब भौंकना शुरू कर दे वरना तेरा बहुत बुरा हश्र करूँगा."

"ये धमकी कही और देना राजा.मुझ पे ये सब खोखली बातें असर नही करती."

"अच्छा.ठीक है.",राजा साहब उठे & 1 सिगरेट जला ली.

कल्लन हँसने लगा,"कही भी इस से दाग दो राजा पर मैं अपना मुँह नही खोलूँगा."

राजा साहब उसके सामने आकर बैठ गये & सिगरेट मुँह से निकल कर उसके अंदो पे लगा दी.कल्लन दर्द से चिल्ला उठा."अब मैं तुम्हे भौंकने के लिए नही कहूँगा.बस ऐसे ही बहुत धीरे-2 तुम्हे मौत के पास पहुन्चाउन्गा.1 बात अच्छी तरह से समझ लो,अगर तुमने अपना मुँह नही खोला तो मैं तुम्हे मार दूँगा पर वो मौत इतनी आसान नही होगी.मैं तुम्हे इतना तडपा के मारूँगा कि मौत भी घबरा जाएगी.",& सिगरेट उसके आंडो पे दबा के बुझा दी.फिर वो उठे & बगल की टेबल से 1 चाकू उठा कर फिर उसके सामने बैठ गये.

करीब आधे घंटे के बाद कल्लन 1 पालतू मैना की तरह राजा साहब के सामने गा रहा था.राजा साहब को अब सारी बात पता चल गयी थी,उनके दिल मे बस 1 ही ख़याल था-जब्बार की मौत.वो चाहते थे कि अभी जाकर उसे & मलिका को मौत की नींद सुला दे....पर उनके बाद उनकी मेनका का क्या होता.उन्हे बदला लेना था पर ये सब बड़ी चालाकी से करना होगा ताकि उनपे कोई शक़ भी ना करे & वो मेनका के साथ ज़िंदगी का लुत्फ़ उठा सके.पूरी रात वो यही सोचते रहे & सवेरा होने तक उनके दिमाग़ मे 1 प्लान तैय्यार हो चुका था.

उन्होने कल्लन को बेहोश कर उसे कपड़े पहनाए & बाँध कर कार मे डाला.4:30 बज रहे थे.वो 6 बजे तक मेनका के जागने से पहले महल पहुँच जाना चाहते थे.उन्होने कार अपने शहर के 1 मकान से निकली & दौड़ा दी राजपुरा की ओर.

ड्राइव करते वक़्त उनके दिमाग़ मे विश्वा का ख़याल आ रहा था..इन दरिंदो ने उसकी कमज़ोरी का फ़ायडा उठा कर उनसे बदला लेने के लिए उसकी जान ले ली....वो इन तीनो का बहुत बुरा हाल करेंगे..उनकी कार अब राजपुरा के पहले पड़ने वाली पहाड़ी चढ़ रही थी...इसी रास्ते पे यूधवीर का आक्सिडेंट हुआ था..क्या उसमे भी इन लोगो का हाथ था?यही अगले मोड़ पे उसकी कार नीचे खाई मे जा गिरी थी...जब्बार को मारने से पहले वो इस सवाल का जवाब माँगेंगे....

कल्लन को होश आ गया था.उसने देखा कि वो 1 कार मे है....उसे रात की बात याद आई...राजा अभी भी उसे मार देगा...उसे यहा से निकलना ही होगा.उसके हाथ पीछे ले जाकर रस्सी से बाँधे गये थे & वो बॅक्सीट पे औंधे मुँह पड़ा था.मौत के ख़याल से वो काँप उठा & उचक कर उसने आगे की सीट पे अपने सर से धक्का मारा.राजा साहब अचानक मारे इस धक्के से हिल गये & कार उनके कंट्रोल से थोड़ा बाहर हुई & पहाड़ी के किनारे उतर गयी.कल्लन ने 1 और धक्का मारा तो राजा साहब फिर से हिल गये & कार पहाड़ी से नीचे उतरने लगी.राजा साहब कार कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे कि तभी कार 1 चट्टान से टकराई & मूड कर खाई मे गिर गयी,गिरती कार का पीछे का दरवाज़ा खुला & उसमे से बँधा कल्लन भी कार के साथ नीचे हवा मे गिरने लगा.

थोड़ी देर तक उस पहाड़ी पे सन्नाटा छाया रहा बस चिड़ियो के चाहचाहने की आवाज़ थी & फिर 1 ज़ोर का धमाका हुआ,नीचे खाई मे राजा साहब की कार धू-धू करके जल रही थी.धीरे-धीरे सवेरा हो रहा था पर राजकुल का सूर्या अस्त हो चुका था.

मेनका बुत बनी अपने कमरे मे बैठी हुई थी.आज राजा साहब की मौत को 1 महीना हो गया था.दुनिया की नज़रो मे तो वो उस दिन विधवा हो गयी थी जब विश्वा मरा था पर उसके लिए तो उसका वैधव्य राजा साहब की मौत से शुरू हुआ था.उस मनहूस सुबह जब पोलीस राजा साहब की कार के खाई मे बुरी तरह जाली हालत मे मिलने के बाद महल आई & उसे ये बताया कि कार मे 1 जाली लाश भी है जिसकी शिनाख्त के लिए उसे चलना पड़ेगा तो वो बेहोश हो गयी थी.
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07-30-2018, 05:46 PM,
#37
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
होश आने पे वो हॉस्पिटल पहुँची & जब उस लाश को देखा तो उसकी चीख निकल गयी.चेहरा पूरी तरह जल कर खाक हो चुका था & बाकी बदन भी,बस दाएँ हाथ & कलाई का कुच्छ हिस्सा अधजला सा रह गया था जिसपे उसका दिया ब्रेस्लेट अभी भी चमंक रहा था.उसी से उसने राजा साहब की लाश को पहचाना था.उसके बाद क्या हुआ उसे कुच्छ होश नही.उसके माता-पिता फ़ौरन उसके पास पहुँच गये थे & उसकी मा तो अभी भी उसके साथ थी.लोग जो कहते वो बस चुप-चाप करती जाती...किसी ज़िंदा लाश की तरह.

वो 1 हाथ मे राजा साहब का ब्रेस्लेट लिए,कुच्छ काग़ज़ों को देख रही थी,ये वसीयत थी जिसमे राजा साहब ने सारी जायदाद उसके नाम कर दी थी & आज से वो कुँवारानी नही रानी साहिबा हो गयी थी.उसने उन काग़ज़ों को देखा & आज राजा साहब की मौत के बाद पहली बार ऑफीस जाने का फ़ैसला किया.

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राजा साहब की मौत की खबर सुनकर तो जब्बार खुशी से पागल हो गया था.उसने सोचा भी ना था कि बिना उसके कुच्छ किए तक़दीर उसे ऐसा तोहफा देगी.इस वक़्त वो मलिका के साथ कार ड्राइव करता हुआ शंकारगर्ह नाम की जगह से शहर आ रहा था.शंकारगर्ह से शहर का रास्त 1 जंगल से होकर गुज़रता था.आमतौर पे लोग शाम ढलने के बाद उस रास्ते का इस्तेमाल नही करते थे बल्कि थोड़ा घूम कर हाइवे से शहर जाते थे.पर जब्बार को इन सब बातों की कोई फ़िक्र नही थी.ठीक भी था-गुंडे कब से गुणडो से डरने लगे.इस वक़्त शाम के 8 बज रहे थे.

तभी ज़ोर की आवाज़ हुई & जब्बार ने ब्रेक लगाया.उसकी कार का कोई टाइयर पंक्चर हुआ था."धत्त तेरे की!",वो कार से नीचे उतरा & उसके उतरते ही 2 नक़ाबपोश किनारे की झाड़ियो से निकल कर आ खड़े हुए.उनमे से 1 ने जब्बार को पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन पे चाकू रख दिया & दूसरे ने मलिका को कार से खींच कर उतार दिया.

"सालो,,क्या चाहिए तुम्हे?पैसे?तो लो & निकलो..."

"चुप बेहन्चोद!पहले हम इस माल को लूटेंगे फिर तेरे पैसों के बारे मे सोचेंगे...चल!",उसने मलिका की तरफ इशारा किया & दोनो लुटेरे जब्बार & मलिका को झाड़ियो मे खींच जंगल मे ले गये.1 मलिका को गिरा उसपर सवार हो उसके कपड़े नोचने लगा तो मलिका चिल्लाने लगी.दूसरे ने 1 रस्सी से जब्बार को बाँध दिया & अपने दोस्त के साथ मलिका को नंगी करने मे जुट गया.

तभी झाड़ियों को चीर वाहा 1 और इंसान पहुँचा.उसने दोनो गुणडो को 1-1 हाथ से पकड़ा & मलिका के उपर से खींच लिया.वो 1 सरदार था & उसने उनसे अकेले ही लड़ना शुरू कर दिया.मलिका जैसे ही गुणडो के चंगुल से छूटी तो वो भाग कर जब्बार के पास पहुँची & उसके बंधन खोल दिए.अब जब्बार भी उस सरदार के साथ मिल उन गुणडो की पिटाई करने लगा.थोड़ी ही देर मे गुंडे वाहा से रफूचक्कर हो गये.

"शुक्रिया.",जब्बार हाँफ रहा था.

"ये तो मेरा फ़र्ज़ था.बंदे को रविजित सिंग सोढी कहते हैं.",उस सरदार ने अपनी साँस संभालते हुए जब्बार से हाथ मिलाया.वो कोई 50 साल के आसपास की उम्र वाला लंबी कद-काठी का इंसान था.

"मैं जब्बार सिंग हू."

"आप दोनो मेरे साथ चलिए.शहर से पहले मेरा फार्महाउस है.रात वही गुज़ारिए.",उसने अपने कोट से मलिका के फटे कपड़ो से नुमाया हो रहे जिस्म को ढँक दिया.

"आपको खम्खा तकलीफ़ होगी."

"बिल्कुल भी नही.आइए,बैठिए...& अपनी कार की चिंता मत करिए.अभी थोड़ी देर मे अपने ड्राइवर & नौकरों से इसे मंगवा लेंगे."

कोई 1 घंटे बाद दोनो रविजित सिंग सोढी के साथ उसके फार्महाउस के ड्रॉयिंग रूम मे बैठे थे,मलिका 1 कमरे मे आराम कर रही थी.

"तो आप क्या करते हैं,जब्बार साहब?",उसने विस्की का 1 ग्लास बढ़ाया.

"मैं प्रॉपर्टी डीलर हू.और आप?",जब्बार ने ग्लास लेते हुए पूचछा.

"मैं तो एनआरआइ हू.जॅमेका मे मेरा बिज़्नेस है..",पेग ख़त्म कर वो दुबारा अपना ग्लास भर रहा था.

थोड़ी ही देर मे दोनो शराब के नशे मे खुल कर बातें करने लगे.

"उपरवाले का भी अजीब ढंग है,जब्बार साहब.पहले तो इंसान के दिल मे किसी चीज़ की चाह जगाता है & जब इंसान मेहनत-मशक्कत के बाद उस चीज़ को पाने के काबिल हो जाता है तो उपरवाला उस चीज़ का वजूद ही मिटा देता है.पिच्छले 26 सालों से मैं बस 1 ही मक़सद के लिए काम कर रहा था & आज जब उसे पूरा करने आया तो...."

"तो क्या,सोढी साहब?

"छ्चोड़िए.आप राजपुरा से हैं ना?"

"जी."

"तो आपको मेरी बात बुरी लग सकती है."

"क्यू?"

"क्यूकी जिस ख़ानदान की बात मे कर रहा हू,उसे आपके गाओं मे भगवान की तरह पूजा जाता है."

"आप राजकुल की बात कर रहे हैं?"

"जी,हाँ.राजकुल!जिसने मेरी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ दिया."

"सोढी साहब,यकीन मानिए,जितनी नफ़रत आपके दिल मे उस परिवार के लिए है,उस से कही ज़्यादा मेरे सीने मे है."

"क्या?"

"जी,हाँ.सोढी साहब & अगर आप मुझे इतने भरोसे के काबिल समझते हैं कि आपका दर्द बाँट साकु तो मैं आपको अभी भी उस परिवार से बदला लेने की तरकीब बता सकता हू."

"ठीक है,जब्बार साहब.वैसे भी ये कोई बहुत गहरा राज़ नही है.आज से 26 साल पहले मैं राजपुरा आया था.मैं 1 बहुत ग़रीब परिवार से हू.पॉलिटेक्निक से पढ़ने के बाद मेरी नौकरी राजकुल शुगर मिल मे लगी.रहने के लिए वही गाओं मे 1 फ़ौजी के घर मे 1 कमररा ले लिया.फ़ौजी कभी-कभार ही घर आता था & यहा केवल उसकी बीवी रहती थी.वो बला की खूबसूरत थी.मैं नौजवान था & वो भी मर्द के जिस्म के लिए तड़पति रहती थी.थोड़े ही दीनो मे हुमारे ताल्लुक़ात बन गये.बात केवल जिस्मो की आग बुझाने से शुरू हुई थी पर जल्द ही हम 1 दूसरे को दिल-ओ-जान से चाहने लगे..",उसने ग्लास खाली कर दिया.

"..कहते हैं ना कि इश्क़ & मुश्क च्छुपाए नही च्छुपते.हुमारे इश्क़ की खबर भी फैल गयी & जब फ़ौजी आया तो उसने हुंगमा शुरू कर दिया.उसकी बीवी मेरे साथ जाना चाहती थी & मैं भी उसे ले जाने को तैय्यार था.पर बात फ़ौजी की आन की थी,वो सीधा राजा यशवीर के बाप राजा सूर्यप्रताप के पास फर्याद लेकर पहुँच गया & उसने अपना हुक्म सुना दिया.मुझे नौकरी से निकाल कर गाओं से बाहर फिकवा दिया.इतना ही नही,मुझे आवारा घोषित कर दिया & इस वजह से मुझे कही और नौकरी नही मिली."

"काई महीनो तक मैं खाक छानता रहा & फिर किसी ने मुझे जॅमेका मे 1 नौकरी दिलवाई.वाहा पहुँच कर मैने अपनेआप को हर तरह से मज़बूत कर लिया केवल 1 बात के लिए-मुझे सूर्यपरताप के बेटे यशवीर को उसके बाप के किए की सज़ा देनी थी,पर आया तो पता चला कि वो कार आक्सिडेंट मे मारा गया."

"अब बताइए अपनी तरकीब?"

"सोढी साहब.आप राजकुल की मिल्स क्यू नही खरीद लेते?आप पैसे लगाइए मैं उसे यहा चलाऊँगा.पार्ट्नरशिप कर लेते हैं & हर महीने आपको मुनाफ़े की रकम मिलती जाएगी.मेरे दिल को तो इसी बात से सुकून मिलता रहेगा कि राजा की मिल्स मेरे हाथों मे हैं."

"पर क्या मिल्स बिकाउ हैं?"

"अगर नही हैं तो हो जाएँगी.उसकी आप फ़िक्र मत करो."

"जब्बार भाई,आपने अभी तक अपनी कहानी नही सुनाई."

"सुनाउन्गा,सोढी साहब.ज़रूर सुनाउन्गा.वक़्त आने दीजिए.आपने हमे अपना राज़दार बनाया है तो मैं भी वादा निभाऊँगा."

"ठीक है.मैं भी आप पे भरोसा करता हू.",दोनो ने हाथ मिलाया.

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मेनका का दिल अब कही भी नही लगता था.ऑफीस मे उसने मन लगाने की बहुत कोशिश की पर उसमे कामयाब नही हुई.ऑफीस आते हुए 15-20 दिन गुज़र गये थे पर उसे सब बोझ जैसा लगता था.वो ऐसे ही कुर्सी पे बैठी काग़ज़ उलट-पलट रही थी & बीते दीनो को याद कर रही थी.....वो जब डील साइन करने उनके साथ गयी थी तो उनकी बहू बनकर & लौटी उनके दिल की रानी बनकर.वो होटेल के कमरे मे दोनो की पहली रात....फिर यहा....& तभी उसके दिमाग़ मे एरपोर्ट पे सपरू साहब से हुई मुलाकात का ख़याल आया.

सपरू साहब.हाँ..क्यू ना वो मिल्स मे अपना हिस्सा उन्हे बेच दे.फिर वो यहा से शहर रहने चली जाएगी.राजपुरा तो अब उसे काटने को दौड़ता था.उसने तुरंत सेशाद्री साहब से बात की.उन्हे भी ख़याल अच्छा लगा.मेनका काम पे ठीक से ध्यान दे नही रही थी & इस से अभी तक तो नुकसान नही हुआ पर आगे हो सकता था.दोनो ने जर्मन पार्ट्नर्स से बात की तो वो भी राज़ी हो गये.

मेनका फ़ौरन अपनी मा के साथ देल्ही रवाना हो गयी.वाहा सपरू साहब के सामने जब उसने अपना प्रपोज़ल रखा तो मानो उन्हे मुँह माँगी मुराद मिल गयी.देल्ही से वापस आते हुए मेनका की मा अपने घर चली गयी & मेनका शाम ढले राजपुरा पहुँची.


क्रमशः...................
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07-30-2018, 05:46 PM,
#38
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मस्त मेनका पार्ट--15


गतान्क से आगे......................

मेनका महल पहुँची तो देखा की सेशाद्री उसका इंतेज़ार कर रहे हैं,"नमस्ते!अंकल.आइए हॉल मे चलिए."उसने 1 नौकर को चाइ का इंतेज़ाम करने को कहा.

"रानी साहिबा.1 बुरी खबर है."

"और भी कुच्छ बुरा होने को बाकी है अंकल.",उसने चाइ का कप उन्हे बढ़ाया.

"मिल वर्कर्स ने हड़ताल कर दी है."

"पर क्यूँ?"

"उन्हे पता चला कि आप अपना हिस्सा बेच रही हैं तो उनका कहना है कि इसमे उनके हितों का ख़याल नही रखा जाएगा."

"अंकल,हम तो हुमेशा उनका अच्छा सोच कर ही सारे फ़ैसले लेते हैं,फिर अचानक हड़ताल?"

"रानी साहिबा,इन सब के पीछे जब्बार का हाथ है.वो मज़दूरो के नेता को अपनी उंगलियो पे नचाता है.वो ये चाहता है कि खरीदार उसका आदमी हो.ऐसी कोशिश उसने पिच्छली बार भी की थी पर तब उसे मुँह की खानी पड़ी थी."

"ह्म्म्म.....ठीक है,अंकल.आप मज़दूरो को कह दीजिए कि हम बिना उनके सपोर्ट के कोई फ़ैसला नही लेंगे.बस वो कल से काम पे आ जाएँ."

"पर रानी साहिबा,ये तो उनके सामने घुटने टेकना हुआ."

"अंकल,1 इंसान की वजह से कितने मज़दूरो को नुकसान उठना पड़ रहा है.1 बार हम पीछे हट रहे हैं,इसका मतलब ये नही है कि हर बार ऐसा होगा.प्लीज़,आप हुमारी तरफ से मज़दूरो को समझा दीजिए."

"जैसा आप कहें.",सेशाद्री साहब ने चाइ ख़त्म की और चले गये.

उस रात मेनका राजा साहब की मौत के बाद पहली बार अकेली अपने बिस्तर पे लेटी थी.उनकी मौत के बाद से उसकी मा ने अपनी बेटी को 1 पल के लिए भी अकेला नही छ्चोड़ा था.

उसने 1 स्लिप पहनी हुई थी जोकि उसके घुटनो के उपर तक आ रही थी.वो करवाते बदल रही थी पर उसकी आँखो मे नींद आ ही नही रही थी.उसे राजा साहब की याद आ रही थी.काफ़ी देर तक करवाते बदलने के बाद सफ़र की थकान ने असर दिखाया & उसकी पलके भारी हो गयी & थोड़ी ही देर मे वो सो गयी.

रात के 1 बज रहे थे.चारो तरफ सन्नाटा छाया था पर वो क्या है...वो कौन है जो महल के चौकीदारो से छुप्ता लॉन पार कर महल तक आ पहुँचा है.थोड़ी ही देर मे वो साया 1 खिड़की खोल अंदर दाखिल हो चुका था.ये भी हैरत की बात है कि उसने सेक्यूरिटी अलार्म्स को कैसे चकमा दिया.अब वो उपरी मंज़िल की सीढ़िया चढ़ रहा था.पहले उसने राजा साहब का कमरा खोला & अंदर झाँका पर वाहा किसी को ना पाके आगे बढ़ा & मेनका के कमरे का दरवाज़ा खोला.


खिड़की से आती चाँदनी सोती हुई मेनका के उस छ्होटी स्लिप मे क़ैद गोरे बदन को नहला रही थी.वो अजनबी थोड़ी देर तक उसके हुस्न को निहारता रहा & फिर बिस्तर पे चढ़ उसके उपर झुक गया.मेनका को अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस हुई तो उसकी आँख खुली.वो डर के मारे चीखने वाली थी कि उस अजनबी ने अपना हाथ उसके मुँह पे दबा दिया.

मेनका की ख़ौफ़ & हैरत से फैली आँखो मे अचानक पहचान की झलक आई तो उस अजनबी ने अपना हाथ उसके मुँह से हटा दिया,"...तुम..!"

"हां,मैं.",उस अजनबी ने रानी साहिबा के होंठो पे अपने होठ रख दिए.मेनका भी उसे चूमने लगी & अपनी बाहों मे भर लिया...

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"..ऊओ...ऊउउउछ्ह्ह्ह....!..",मलिका बिस्तर पे पीठ के बल लेटी थी,उसकी गंद के नीचे 1 कुशन लगा था & अभी जब्बार ने उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसकी गंद के छेद मे अपना लंड पेला था.

"....एयेए...अहह...क्या फयडा होगा..उस सरदार का नौकर बनके..?..आ...ईइय्य्य...ययईए"

"नौकर कौन बन रहा है,मेरी जान.",उसने उसकी गंद मारते हुए चूत मे दो उंगलिया घुसा दी & अंदर-बाहर करने लगा,"ये तो बस उसको बोतल मे उतारने के लिए मैने कहा है पर कुच्छ ही दीनो मे मैं मालिक बन जाऊँगा & वो सरदार अपना लंड थामे खड़ा रह जाएगा.",उसने दूसरे हाथ से उसके 1 निपल को मसल दिया.

"..हा...अनन्न...और ज़ोर से मार ...फाड़ दे मेरी गा...आंदड़ड़...सा...आले...आआ...आहह....मज़ा आ ...गा...याअ....याअ..अहह...!",जब्बार के धक्के तेज़ हो गये,मलिका की बातें उसे मस्त किए जा रही थी & वो उसके बदन पे झुक उसकी चूचिया चूमने-चूसने लगा.

"मुझे लग ही रहा था कि सा...आअला...तू तो पैदाइशी हा...रा...अमि है....उस सरदार की भी ज़रूर लेगा.....एयाया....आअहह...,छ्चोड़ दरिंदे...."

जब्बार ने अपने दाँत उसकी चूची मे गाड़ा दिए थे & मलिका ने उसके बाल पकड़ उसका सर अपने सीने से अलग कर दिया.

"साली,रांड़ तुझे कितनी बार कहा है कि मेरी पैदाइश या मा के बारे मे कुच्छ मत बोला कर.ये ले..",उसने उसकी चूत के दाने पे चिकोटी काट ली.

"ऊओ.....उऊउककच..!",जवाब ने उसने भी अपने दाँत जब्बार की कलाई पे गाड़ा दिए & दोनो जुंगलियो की तरह अपनी हवस मिटाने लगे.

-------------------------------------------------------------------------------

मेनका पूरी नंगी अपने बिस्तर पे पड़ी थी & वो अजनबी उसकी खुली टाँगो के बीच उसकी चिकनी चूत को चाट रहा था & उसके हाथ उसकी चूचियो को दबा रहे थे.

"...आ...आह...",मेनका के बदन को इस तरह का मज़ा मिले 1 महीने से भी ज़्यादा हो गया था.उसने उसका सर अपनी भारी जाँघो मे भींच लिया & अपने हाथो से उसके मुँह को चूत पे और दबाने लगी.उसकी आँहे & उस अजनबी की जीभ की लपलपहट की आवाज़े कमरे के सन्नाटे को दूर कर रही थी.

मेनका का बदन उस अजनबी की जीभ की हर्कतो को बर्दाश्त नही कर पाया & वो झाड़ गयी.वो इंसान उसकी चूत से बहते सारे पानी को चाट गया.अब उसकी बारी थी,वो उठा & अपना लंड अपने हाथ मे ले मेनका के सीने के दोनो तरफ अपने घुटनो को बेड पे टीका कर बैठ गया,उसका लंड बिल्कुल मेनका की आँखों के सामने था.उसने 1 और तकिया अपने सर के नीचे लगाया & उस अजनबी के झांतो से घिरे लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.

उसके हाथ उसके बालो भरे अंदो को हौले-2 दबा रहे थे.उस इंसान की आँखे बंद हो गयी & उसने अपने हाथों से उसका सर पकड़ लिया & उसके मुँह को चोदने लगा.थोड़ी देर तक वो ऐसे ही उसके मुँह का मज़ा लेता रहा पर जैसे ही उसके अंदो मे उबलता हुआ सैलाब बाहर आने को हुआ उसने अपना लंड बाहर खींच लिया.मेनका ने ऐसे देखा जैसे कह रही हो कि ये बात उसे बिल्कुल पसंद नही आई.

वो उसकी टाँगो के बीच बैठ गया & अपना लंड उसकी चूत पे लगा कर 1 धक्का मारा,"..आ...हह...हा...अन्न्‍णणन्...!",मेनका की आँखे खुशी से बंद हो गयी & वो लेटी,आँहे भरती हुई उसके धक्को का मज़ा लेने लगी.वो वैसे ही घुटनो पे बैठा कभी उसकी चूचियो को मसलता,कभी उसके खूबसूरत चेहरे को सहलाता तो कभी उसकी जांघे सहलाता उसे चोद्ता रहा.

फिर उसने मेनका की दाई जाँघ को पकड़ कर उसे उसकी बाई जाँघ पे इस तरह कर दिया कि अब उसका उपरी बदन तो सीधा था पर निचला हिस्सा मानो करवट लिए था & उसका लंड उसकी चूत चोद्ते हुए उसकी भारी गंद से भी टकरा रहा था.वो लंड पूरा बाहर निकलता & फिर जड़ तक अंदर घुसेड देता.

मेनका अब तक दो बार झाड़ चुकी थी & उसकी पानी से सराबोर चूत मे लंड फूच-फूच करता अंदर-बाहर हो रहा था.वो अजनबी झुक कर उसके होठ चूमने लगा & उसकी छातिया दबाने लगा.मेनका का जोश दुगुना हो गया था.वो उसके होंठो को छ्चोड़ कर उठा & बिना लंड निकाले उसके बदन को घुमा कर उसे डॉगी पोज़िशन मे ले आया & उसके उपर इस तरह झुक गया कि उसका पेट & सीना मेनका की पीठ & कमर से पूरा चिपक गया.
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07-30-2018, 05:46 PM,
#39
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
अब मेनका घुटनो के बल थी & उसका चेहरा तकिये मे च्छूपा था & वो अजनबी पीछे से उस से चिपक उसकी मस्त चूचियो को दबाते हुए & उसके गालों & कानो मे जीभ फिराते हुए उसे चोद रहा था.उसने थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही चोदा,फिर 1 हाथ उसकी चूची से अलग किया & उसकी चूत के दाने पे लगा रगड़ने लगा.मेनका अपनी चूत पे इस दोहरे हुमले से पागल हो गयी & आँहे भरते हुए अपनी कमर हिलाने लगी & झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही उस इंसान ने भी ज़ोरदार धक्के लगा लगा कर उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

झाड़ते ही मेनका बिस्तर पर निढाल हो गिर पड़ी & वो भी वैसे ही उसकी पीठ पे गिर उसकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए अपनी साँसे संभालने लगा.

अगले करीब 2 घंटो तक दोनो ऐसे ही अलग-2 तरीक़ो से 1 दूसरे के बदन से खेलते रहे.आख़िर कौन है ये अजनबी जिस से मेनका इतनी बेताकल्लूफ़ी से चुद रही है?अरे वो क्या,मेनका बिस्तर से उठ गयी है & कही जा रही है...चलिए देखे कहा जा रही है.....

ये तो राजा साहब की स्टडी मे जा रही है..और...और ये क्या ...वो तिजोरी खोल रही है..!सारे इल्लीगल प्रॉपर्टीस वाले पेपर्स निकाल लिए है उसने & अब वापस अपने कमरे मे आ गयी है जहा वो अजनबी कपड़े पहन रहा है.,"ये लो.."

"सारे हैं ना?"

"हां."

क्या कर रही है मेनका?क्या इसके चेहरे के पीछे भी कोई और चेहरा है?क्या वो उतनी शरीफ सच मे है या 1 बहुत गहरा नाटक खेल रही है?अफ!मेरा तो सर चकरा रहा है....पर परेशान ना हो दोस्तो,कहानी के अंत तक ये राज़ भी खुल जाएगा.

उसने पेपर्स लेकर नंगी मेनका को बाहों मे भर लिया & उसे कुच्छ बहुत धीमी आवाज़ मे समझाने लगा जिसे मेनका पूरे ध्यान से सुनती रही.इसके बाद दोनो करीब 5 मिनिट तक 1 दूसरे को सहलाते हुए चूमते रहे.फिर वो अजनबी जैसे आया था वैसे ही चला गया.

"सेशाद्री अंकल,मुझे जब्बार सिंग से मिलना है?"

"ये आप क्या कह रही है?रानी साहिबा!"

"जी,अंकल.मुझे उस से मिलना ही है."

"आख़िर क्यों?"

"वो मैं आपको बाद मे बताउन्गि.पहले आप उस से मेरी मुलाकात करवाईए."

"ठीक है.जैसा आप कहें."

-------------------------------------------------------------------------------

"कमाल हो गया!ये आजकल हो क्या रहा है?पहले राजा अपने आप मर जाता है,अब उसकी बहू मुझ से मिलना चाहती है!",जब्बार अपना मोबाइल बंद कर मलिका की चूचिया फिर से मसल्ने लगा.जब सेशाद्री का फोन आया तो वो मलिका को चोद रहा था,वो ज़मीन पे बिछे कालीन पे लेटी थी & जब्बार उस पर चढ़ कर उसकी चूत को अपने मोटे लंड से पेल रहा था.

"...अकेले जाओगे या उस सरदार को भी ले जाओगे?",मलिका ने उसका मुँह अपनी छातियो पे दबाया.

"अभी नही,मेरी जान पहले खुद तो बात कर आओं.",उसने उसके निपल को काट लिया.

"आ...ह..",जब्बार ने उसकी चूची चूस्ते हुए अपने धक्के तेज़ कर दिए.

"...जब मिल्स खरीदोगे तो उसमे मुझे भी पार्ट्नरशिप चाहिए....ऊऊ..ऊओवव्व..!",जब्बार अब घुटनो पे बैठ कर उसे चोद रहा था & 1 हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा था.

"ले लेना मेरी जान!जो चाहिए वो ले लेना...",उसने अपने हाथ & कमर की रफ़्तार तेज़ कर दी.मलिका अपनी चूत पे इस दोहरी मार को ज़्यादा देर तक नही झेल पाई & तुरंत झाड़ गयी & उसके थोड़ी देर बाद जब्बार ने अभी अपना लंड उसके अंदर खाली कर दिया.

-------------------------------------------------------------------------------

राजकुल शुगर मिल के पीछे 1 खाली ज़मीन का टुकड़ा था जहा लोग कम ही आते-जाते थे.दोपहर के 1 बजे मेनका सेशाद्री & अपने ड्राइवर के साथ कार मे बैठी जब्बार का इंतेज़ार कर रही थी.

"काफ़ी देर हो गयी है,पता नही ये कम्बख़्त कब आएगा.",सेशाद्री अपनी घड़ी देखते हुए बोले,"...ये आदमी बिल्कुल भी भरोसे के लायक नही है,रानी साहिबा.आप उस से इस वीरान जगह मिलने को क्यू तैय्यार हो गयी?"

मेनका कुच्छ कहती उस से पहले ही जब्बार की कार आती दिखाई दी.जब्बार कार से उतर कर मेनका के पास आया,"नमस्ते.",वो उसके सीने की तरफ देख रहा था.

"नमस्ते."

"मुझ से क्या काम आन पड़ा आपको?"

"अभी जो मिल मे स्ट्राइक हुई थी उसी के बारे मे बात करनी थी.",मेनका कार से उतर कर खड़ी हो गयी,सेशाद्री भी उसके साथ खड़े थे.

"उस के बारे मे अपने वर्कर्स से बात कीजिए,मुझ से क्या बार करेंगी?मेरा उस स्ट्राइक से कोई वास्ता नही था.",वो मेनका के जिस्म को उपर से नीचे तक घूर रहा था.

"देखिए मिस्टर.जब्बार.मैं घूम-फिरा कर बात करने नही आई हू.सभी जानते है कि स्ट्राइक के पीछे आपका हाथ था.आप यही चाहते हैं ना कि हम मिल्स का अपना शेर आपको या आपके किसी आदमी को बेच दे?"

"खूबसूरत होने के साथ-2 आप समझदार भी हैं.सीधा मुद्दे पे आ गयी.",जब्बार बदतमीज़ी से बोला.

"अपनी ज़बान सम्भालो!",सेशाद्री गुस्से मे बोले.

"1 मिनिट अंकल....हा तो मिस्टर.जब्बार आप ये बताइए कि कैसे ख़रीदेंगे आप हुमारा हिस्सा?आपके लिए हुमारे वर्कर्स बस मोहरे हैं जिन्हे आप अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं,पर हुमारे लिए ये वो नमकहलाल लोग हैं जिनके बिना हुमारी तरक्की नामुमकिन थी.हम अपना तभी बेचेंगे जब हमे ये तसल्ली हो जाएगी की हुमारे वर्कर्स सही हाथों मे जा रहे हैं."

अब जब्बार भी संजीदा होकर उसकी तरफ देखने लगा,"....ये लड़की तो काम की बात कर रही है.",उसने सोचा.

"...हम आपके बारे मे भी अच्छी तरह से जानते हैं.आपकी इतनी औकात है नही कि आप अकेले मिल्स खरीद सके,तो फिर कैसे ख़रीदेंगे ज़रा हमे भी बताइए."

"अकेला नही 1 और शख्स है मेरे साथ.1 एनआरआइ है."

"अच्छा.तो मिलवाए उस से हमे."

"रानी साहिबा,ये आप क्या कर रही हैं!इस इंसान को आप राजकुल की विरासत बेचएंगी!"

"सेशाद्री साहब,चुप रहिए.मालिक की बात तभी काटिए जब कुच्छ बहुत ज़रूरी कहना हो."

सेशाद्री साहब हैरत से उसे देखने लगे.आज तक उन्हे ऐसे तो राजा साहब ने भी बेइज़्ज़त नही किया था.

"ठीक है,मैं उस इंसान से आपको कल ही मिलवाता हू."

"ठीक है.हम भी चाहते हैं कि दुस्शहरे के त्योहार तक ये काम पूरा हो जाए."

"ओके,तो मैं चलता हू.कल इसी वक़्त आपको उस से मिलवाऊंगा.",जब्बार कार मे बैठा & चला गया.

"हमे माफ़ कर दीजिए,अंकल.हमने बहुत बदतमीज़ी की आपके साथ."

सेशाद्री साहब को अब और ज़्यादा हैरत हो गयी.,"..पर ये सब हमने जब्बार को बेवकूफ़ बनाने के लिए किया."

"अंकल,ये इंसान हमे सपरू साहब के साथ डील करने नही देगा & शराफ़त की भाषा ये समझता नही.तो हमने सोचा की इसको इसी की भाषा मे जवाब दें.सपरू साहब ही हुमारे हिस्से को ख़रीदेंगे & ये डील हुमलोग अगले 4 दिनो मे ही कर लेंगे.मैने उनसे भी कहा है कि वो इस बात को अपने तक ही रखें."

दोनो कार मे बैठ कर वापस ऑफीस जा रहे थे,"..इस डील के बारे मे हुमारे जर्मन पार्ट्नर्स,सपरू साहब & उनका लड़का & हम & आप जानते हैं.डील तो अगले 4-5 दीनो मे हो जाएगी पर इसकी अनाउन्स्मेंट दुस्सेहरे के अगले दिन होगी."

"पर इस जब्बार के साथ क्या करेंगी?"

"इसे हम तब तक बातों मे उलझाए रखेंगे.1 बार हुमारी डील हो जाए,फिर सपरू साहब ने कहा है कि वो इस से निपट लेंगे."

"मान गये,रानी साहिबा आपकी सोच को."

"थॅंक यू,अंकल."

क्रमशः...................
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07-30-2018, 05:48 PM,
#40
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--16



गतान्क से आगे......................

जब्बार ने मेनका & सोढी की मीटिंग करवा दी जिसमे मेनका उसे अपना हिस्सा बेचने को राज़ी हो गयी.जब्बार की तो खुशी का ठिकाना नही था.अब तो वो बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहा था जिस दिन मिल्स के पेपर्स उसके हाथों मे आते.

इधर मेनका ने सपरू साहब के साथ चुप-चाप डील साइन कर ली . इस डील के मुताबिक दशहरे के अगले दिन 1 फॉर्मल अनाउन्स्मेंट होनी थी जिसके बाद मिल्स के मालिक सपरू साहब हो जाते.मेनका ने अपनी वसीयत मे भी ज़रूरी बदलाव कर दिए.

और आख़िर दशहरे का दिन आ ही गया जब जब्बार का सपना पूरा होने वाला था.आज वो सुबह से ही बॉटल खोल कर बैठा था & अभी जब शाम के 4 बज रहे थे,पी कर पूरी तरह से नशे मे था.

"सोढी...साहब..आप ना होते तो मैं आज का दिन कभी नही देख पता.थन्क्यौ,सर!"

"अरे,जब्बार भाई इसमे थॅंक्स की क्या बात है,आपने हमारी मदद की हमने आपकी.बस."

"नही,सर.आपने मुझपे बहुत बड़ी कृपा की है...आज.. आज जाके मेरी मा की आत्मा को शांति मिलेगी..."

"जी...मैं समझा नही."

"सोढी साहब अपने मुझे अपनी दास्तान सुनाई थी ना कि कैसे राजा ने आपकी ज़िंदगी का रुख़ बदल दिया.आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ."

"मैं कोई 13-14 साल का था.मैं शहर मे अपनी मा के साथ रहता था,पिता तो थे ही नही.मा के लिए तो बस मैं ही सब कुच्छ था,हर वक़्त उसे बस मेरी ही फ़िक्र लगी रहती थी.पर 1 बात थी जो मुझे कभी-2 ख़टकती थी.मैं बड़ा हो रहा था & मैने 1 बात गौर की थी कि हर शनिवार को मा शाम 5 बजते कही चली जाती & दूसरे दिन दोपहर 2-3 बजे तक आती.पुच्छने पर टाल जाती कि पास के गाँव के मंदिर जाती है & चूँकि वाहा बहुत भीड़ रहती है इसीलिए उसे इतना समय लगता है.."

"...मा अपनी 1 सहेली के परिवार के पास मुझे छ्चोड़ कर जाती थी पर इधर कुच्छ महीनो से मैं अकेला ही घर पे रह जाता था,अब मैं बड़ा हो रह था & किसी और के घर पे रहना मुझे अच्छा नही लगता था.उस शनिवार भी मा शाम होते चली गयी.मैं घर पे यूही बैठा था कि तभी मेरा 1 दोस्त आ गया & मुझ से साथ मे बाज़ार चलने को कहने लगा.मा तो दूसरे दिन से पहले आती नही सो मैं उस के साथ चला गया."

"...हम काफ़ी देर तक बाज़ार मे घूमते रहे कि तभी 1 आलीशान कार की पिच्छली सीट के दरवाज़े को खोल कर अंदर बैठती मुझे मा नज़र आई.मैं उस तरफ बढ़ गया....मुझे हैरत हो रही थी मा इतनी शानदार कार मे!मैं उस कार की तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी देखा कि दूसरी तरफ का दरवाज़ा खोल कर 1 शख्स कार के अंदर बैठा & बैठते ही मा को बाहों मे भर लिया...आगे मैं कुच्छ देख नही पाया क्यूकी कार के काले शीशे बंद हो गये थे & कार वाहा से निकल गयी."

"आप सोच भी नही सकते सोढी साहब मेरे दिल पे क्या गुज़री थी!कैसे-2 ख़याल आ रहे थे मेरे मन मे.पूरा हफ़्ता मैं इसी उधेड़बुन मे रहा & फिर से शनिवार आ गया.मैने सोच लिया कि इस बार इस मामले की तह तक ज़रूर पहुँचुँगा."

"..इस बार मा निकली तो मैने मा का पीछा लिया & पहुँच गया 1 शहर के सबसे पॉश इलाक़े मे 1 आलीशान कोठी के सामने.मा कार मे बैठ अंदर चली गयी थी & गाते पे गार्ड्स खड़े थे.मैं वही कोने मे छिप कर बैठ अंदर जाने का रास्ता सोचता रहा.घड़ी देखी तो पाया कि 9 बज रहे थे.मैने कोठी का 1 चक्कर लगाया & 1 जगह पाया कि दीवार पर चढ़ा जा सकता है.."

"..फिर सोढी साहब मैं जैसे-तैसे करके उस कोठी मे दाखिल हो गया & सावधानी से हर कमरे मे झाँकने लगा.1 कमरे से खिलखिलाने की आवाज़ आई तो मैं लपक कर वाहा पहुँचा.दरवाज़ा बंद था पर तभी मेरा ध्यान उस कमरे की बाल्कनी पे गया तो मैं किसी तरह उसपे पहुँच गया.वाहा 1 रोशनदन था,मैने पास पड़ी 1 कुर्सी पे चढ़ उस रोशनदन से झाँकने लगा.."

"अंदर हमारे दिवंगत राजा यशवीर के पिता पूरे नंगे घुटनो के बल बिस्तर पे खड़े थे.उनके 1 हाथ मे फोन का रिसीवर था जिस से वो किसी से बात कर रहे थे & दूसरे हाथ मे मेरी मा का सर जोकि उनके लंड पे उपर-नीचे हो रहा था.मैं तो सकते मे आ गया,कुच्छ होश नही रह..अपनी मा को उस हाल मे देख मुझे शर्मा कर हट जाना चाहिए थे पर मेरा तो दिमाग़ सुन्न हो गया था.."

"...तभी उन्होने रिसीवर रख दिया & दोनो हाथों से मेरी मा के सर को पकड़ अपनी कमर हिला उसके मुँह को चोदने लगे."

"ऐसी कौन सी ज़रूरी बात थी कि मुझ से भी ध्यान हटा दिया था?,मा उनसे पुच्छ रही थी."

"वो राजकुमार की पढ़ाई के बारे मे कुच्छ बात थी."

"1 राजकुमार तो आपका शहर मे भी है,हुज़ूर.,मा ने उनके लंड को हिलाते हुए कहा."

"कौन?,राजा सहब ने पूचछा"

"मेरा बेटा जब्बार भी तो आप ही का खून है तो वो भी तो राजकुमार हुआ.,मा ने लंड को दोनो हाथों मे भर अपने गाल से रगड़ा."

"राजा ने इतनी ज़ोर का थप्पड़ मा को मारा कि मा पलंग से नीचे गिर गयी,उसके होठ के कोने से खून बह रहा था."

"कान खोल के सुन ले.तू हमारी रखैल है & तेरा बेटा 1 रखैल का बेटा.कभी सपने मे भी उसकी बराबरी हुमारे राजकुमार से नही करना.समझी!,कह कर वो पलंग से नीचे उतरे & मेरी मा को उल्टा कर उसकी कमर पकड़ कर अपना लंड उसकी गंद मे पेल दिया."

"..बस उस दिन से मैने सोच लिया था कि राजकुल का विनाश कर दूँगा."

"बहुत दर्द भारी कहानी है,जब्बार साहब.चलिए राजा को उसके किए की सज़ा मिली.पूरा खानदान अपनेआप ही मौत के मुँह मे समाता चला गया."

"ग़लत,सोढी साहब.राजा यशवीर केवल अपनी मौत मारा है.उसकी दोनो औलादो को मैने उपरवाले के पास पहुँचाया है."

"क्या?"

"जी.बड़े लड़के यूधवीर की कार के ब्रेक्स फैल कर दिए थे.बहुत पेपड बेलने पड़े थे तब जा के कार से छेड़-खानी का मौका मिला था.लोगो को लगा कि आक्सिडेंट है & मेरा काम हो गया...& दूसरा लड़का विश्वजीत-उसको तो ऐसी ड्रग्स की लत लगाई की पुछो मत.राजा ने उसे हमारे चंगुल से निकल ही लिया था पर मैने उसे भी नही छ्चोड़ा.मार कर ही दम लिया."

जब्बार की शराब से खुलती ज़ुबान ने मलिका को चौकन्ना कर दिया,"डार्लिंग.अब बस करो.महल जाना है ना डील साइन करने.इस हालत मे तो खड़े भी नही हो पायोगे.",उसने ग्लास उसकी गिरफ़्त से अलग कर दिया.

"ओके.जानेमन.आज तो मैं तुम्हे महल की सैर कारवंगा.तुम मेरी रानी अब महल की रानी बनोगी.चलो,जाके तुम भी रानियो की तरह सारी पहन लो..जाओ!"

"पर मैं जा के क्या करूँगी?"

"पर-वार कुच्छ नही.तुम भी जाओगी.तुम रानी हो.जाओ सारी पहन कर आओ1"

सोढी ने मलिका को उसकी बात मान ने का इशारा किया.बस कुच्छ ही देर मे उन्हे मेनका से मिलने महल पहुँचना था.

-------------------------------------------------------------------------------

आज दशहरे का दिन था & पास के गाँव मे बहुत बड़ा मेला लगा था,जहा रावण को जलाया जाने वाला था.पूरा राजपुरा वही जा रहा था.मेनक ने भी महल के 1-1 नौकर को वही भेज दिया,यहा तक की गेट पे 1 गार्ड को भी नही रहने दिया.जब उन्होने उसके बारे मे पुचछा तो उसने कहा कि वो सेशाद्री साहब की फॅमिली के साथ आ जाएगी.

पूरा गाँव मेले की ओर जा रहा था & थोड़ी ही देर बाद राजपुरा मे सन्नाटा च्छा गया & महल मे भी.मेनका नही चाहती थी कि जब्बार महल आए तो कोई भी देखे.

"रानी साहिबा,मैं 1 घंटे बाद महल पहुँच जाऊँगा."

"ठीक है,सेशाद्री अंकल.हम आपके साथ ही दशहरे के मेले मे जाएँगे.",मेनका ने फोन रख दिया.तभी बाहर कोई कार रुकने की आवाज़ आई.

मेनका बाहर आई तो देखा कि कार से जब्बार,मलिका & सोढी उतर रहे हैं.

"नमस्कार रानी साहिबा.हम आ गये आपका भर हल्का करने.चलिए पेपर्स साइन करते हैं.",जब्बार नशे मे चूर बोले जा रहा था.
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