Bahu ki Chudai मस्त मेनका
07-30-2018, 05:38 PM,
#21
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
थोड़ी देर बाद होटेल के 1 कमरे मे माजिद नंगा लेटा था & उसका लंड उसके उपर बैठी मलिका की चूत मे था.मलिका उसके उपर झुक कर अपने बाए हाथ से पकड़ कर अपनी बाई चूची माजिद के मुँह मे दे रही थी & माजिद के हाथ उसकी पीठ पर फिसल रहे थे.थोड़ी देर बाद उसने बाई निकाली & दाई चूची उसके मुँह मे डाल दी.माजिद ने ऐसी खूबसूरत लड़की पहले कभी नही चोदि थी & उसके लिए अब अपना पानी रोकना मुश्किल हो रहा था.उसने अपनी कमर हिला कर धक्के मारना शुरू किया तो मलिका उठ कर बैठ गयी & कमर हिला-2 कर उसे चोदने लगी.

मलिका ने अपने हाथ अपने बालों मे फिराने शुरू कर दिए,माजिद की तो हालत बुरी हो गयी.उसने अपने हाथों से उसकी चूचिया मसलनी चालू कर दी & ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसकी चूत मे झाड़ गया.मलिका नही झड़ी थी पर जैसे ही उसने माजिद का पानी अपनी चूत मे महसूस किया वो झुक कर उस से चिपक गयी & झड़ने की आक्टिंग करने लगी.

मलिका उसके उपर से उतर कर उसकी बगल मे लेट गयी.माजिद उसे बाँह मे घेर कर उसका पेट सहलाने लगा.

"माजिद..."

"ह्म्म."

"तुम्हारे प्लेन मे काफ़ी माशूर लोग भी आते होंगे ना?"

"हुउँ.",माजिद झुक कर उसकी चूचिया चूसने लगा.

"कौन-2 बैठा है तुम्हारे प्लेन मे?"

"राहुल द्रविड़,जॉन अब्राहम,प्रिटी ज़िंटा,सानिया मिर्ज़ा..",उसने चूसना छ्चोड़ उन चूचियो को फिर से दबाना चालू कर दिया.

"रियली!और?",मलिका ने उसका लंड अपने हाथ मे ले लिया.

"..और....कुच्छ पॉलिटिशियन्स."

"..और बिज़्नेसमॅन?",वो अब लंड हिलाकर उसे दुबारा खड़ा कर रही थी.

"हा...जिंदल स्टील का मालिक आया था 1 बार.और अपने राजकुल के राजा साहब को तो मैं हमेशा ले जाता हू."

"सच मे?राजा साहब को भी.वाउ!....कही तुम मुझे बना तो नही रहे माजिद?"

"अरे नही,मेरी जान.तुम्हे पता है मैं हर बार उनकी फ्लाइट पाइलट करता हू.",वो इस लड़की को इंप्रेस करने का मौका नही छ्चोड़ना चाहता था."..और तुम्हे पता है कि उनका बेटा ..-"

"-..वो जो ड्रग अडिक्ट हो गया है?"

"हा,और जिसके बारे मे कोई नही जानता कि वो कहा गया है."उसने मलिका को लिटा दिया & अपनी उंगली उसकी चूत मे डाल दी.,"...पर मैं जानता हू."

"..अच्छा..",मलिका ने आँखे बंद कर ऐसे जताया जैसे उसे बहुत मज़ा आ रहा था जबकि हक़ीक़त मे उसका पूरा ध्यान माजिद की बातों पर था.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि बिना राजा का नाम लिए वो उसे ये सब बताने लगेगा.

"हा.राजा साहब का बेटा बॅंगलुर मे है किसी डॉक्टर.पूरी..नही पूर्वे.....हा याद आया.डॉक्टर.पुरन्दारे के क्लिनिक मे."

मलिका का काम हो गया था.उसने माजिद को अपने उपर खीच लिया जोकि अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा.


थोड़ी देर बाद माजिद को गहरी नींद मे सोता छ्चोड़ मलिका लिफ्ट से नीचे होटेल के एग्ज़िट की तरफ जा रही थी.माजिद बेचारे को पता भी नही था कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी थी.

मलिका की चूत मे आग लगी थी.माजिद उसे ज़रा भी शांत नही कर पाया था.घर पहुँच कर जैसे ही उसने जब्बार को सारी बात बताई वो खुशी से पागल हो गया & उसे खींच कर अपनी बाहों मे भर चूमने लगा.यही तो मालिका चाहती थी.उसने भी 1 हाथ से उसका लंड पकड़ लिया & दूसरे से अपने कपड़े उतारने लगी.

जब्बार अपने दोनो साथियों के साथ बॅंगलुर जाने की तैय्यर. करने लगा,"हम तीनो अलग-अलग बॅंगलुर पहुँचेंगे & इस होटेल के रेस्टोरेंट मे मिलेंगे.",उसने मिलने का दिन & समय भी दोनो को बताया.

"यहा से हम मे से कोई भी सीधे बॅंगलुर नही जाएगा.हम सब यहा से 3 अलग-2 शहरों को जाएँगे & वाहा से बॅंगलुर जाएँगे & कोई भी अपना सही नाम इस्तेमाल नही करेगा."

"वाहा पहुँच तो जाएँगे पर विश्वजीत को रहाब सेंटर से कैसे निकालेंगे?",ये सवाल कल्लन ने पुचछा.

"वाहा पहुँच कर हम सेंटर के बारे मे सारी जानकारी जुटाएँगे & फिर मैं आगे का प्लान बनाऊंगा.फिलहाल तो मैं हम सब के ट्रॅवेल प्लॅन्स अरेंज करता हू.",जब्बार फ्लॅट से बाहर निकल गया.

उसके निकलते ही मलिका दौड़ कर खड़े हुए कल्लन की गोद मे चढ़ गयी,अपनी टाँगो से उसने उसकी कमर जाकड़ ली & उसे चूमने लगी.कल्लन के हाथों ने उसकी गंद को थाम लिया.मलिका केवल 1 टी-शर्ट पहने थी.कल्लन ने उसे 1 दीवार से चिपका दिया & 1 हाथ से उसको थाम कर दूसरे से अपनी पॅंट खोल अपना लंड निकाल लिया.

उसने खड़े-2 ही अपना लंड मलिका की चूत मे उतार दिया & उसे दीवार से लगा कर धक्के मारने लगा.मलिका अपनी जीभ से उसके कान को चाटने लगी & उसके बड़े लंड का मज़ा उठाने लगी.

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सवेरे थोड़ी देर से मेनका की आँख खुली.कल राजा साहब ने उसे कुच्छ ज़्यादा ही जम कर चोदा था.उसे मज़ा तो बहुत आया था पर उतनी ही थकान भी हो गयी थी.उसने सोचा कि आज ऑफीस ना जाए पर फिर लगा कि कल ही तो उसे वी-पी बनाया गया है & आज पहले दिन ही ग़ैरहाज़िर रहे,ये अच्छा नही लगेगा.फिर आज सॅटर्डे था,तो ऑफीस आधे दिन मे ही ख़तम हो जाना था.

मेनका तैय्यार होकर नीचे आई तो पता चला कि राजा साहब पहले ही ऑफीस जा चुके हैं तो वो भी फटाफट नाश्ता कर ऑफीस पहुँच गयी.आज राजा साहब ने ऑफीस मे कल वाली हरकत नही दोहराई तो उसने राहत की साँस ली पर साथ ही साथ थोड़ा निराश भी हुई.पर फिर आने वाली रात का ख़याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान & चूत मे गीलापन आ गया.

शाम 4 बजे राजा साहब ने उस से ऑफीस से चलने को कहा.दोनो कार मे बैठ गये & राजा साहब ने ड्राइविंग शुरू कर दी.

"अरे,ये किधर जा रहे हो?ये रास्ता तो घर नही जाता."

"हा,हम घर जा भी नही रहे."

"तो फिर कहा जा रहे हैं?",मेनका खिसक कर अपने ससुर से सॅट कर बैठ गयी.

"वो तो पहुँच कर ही पता चलेगा.",उन्होने भी उसे अपनी बाँह मे समेट लिया.

"हम रात तक वापस तो आ जाएँगे ना?"

"अब तो हम कल शाम को ही लौटेंगे."

"ओह.पर हमे कपड़े तो ले लेने लेते घर से."

"जहा हम जा रहें है वाहा कपड़ों की कोई ज़रूरत नही है,मेरी जान.",राजा साहब ने उसके गाल पर चूम लिया.

"हटो.मैं बिना कपड़ों के नही रहूंगी.",मेनका बनावटी गुस्से से बोली.

"वो तो हम पहुँच कर देखेंगे.",उन्होने इस बार उसके होठ चूम लिए.

करीब 3 घंटे के बाद वो शहर को पार करते हुए अपनी मंज़िल पर पहुँच गये.वो 1 बड़ा-सा फार्महाउस था जिसके अगल-बगल और कोई बिल्डिंग नही थी.सबसे पास वाला फार्म हाउस भी 1/2किलोमीटर दूर था.राजा साहब ने कार से उतर कर गेट पे लटक रहा ताला खोला,कार अंदर की और गेट वापस लॉक कर दिया.

मेनका उतर कर अपने ससुर का हाथ थामे फार्महाउस को घूम कर देखने लगी.पीछे 1 बड़ा स्विम्मिंग पूल था और चारो तरफ हरी घास बिछि थी.फार्म हाउस की बिल्डिंग बहुत आलीशान थी.किचन मे खाने का सारा समान मौजूद था.

"ये सारा इंतेज़ाम,यहा की देख-रख कौन करता है?"

"केअरटेकर है.पर हमने उसे 2 दिन की छुट्टी दे दी है.अभी यहा हम दोनो के अलावा कोई भी नही है."राजा साहब उसे बाहों मे पकड़ने के लिए आगे बढ़े तो मेनका छितक कर दूर हो गयी.,"पहले कुच्छ खा लें."

मेनका ने खाना निकाला तो राजा साहब ने उसे खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया & दोनो वैसे ही खाने लगे.मेनका की बड़ी गांद का दबाव पड़ते ही राजा साहब का लंड खड़ा हो गया & मेनका उसकी चुभन अपनी गांद पे महसूस करने लगी.खाना ख़तम होते-2 दोनो गरम हो चुके थे.

राजा साहब ने गोद मे बैठी अपनी बहू को चूमना शुरू कर दिया.उनके हाथ उसकी कमर & गंद को सहला रहे थे.मेनका भी उनकी किस का पूरा जवाब देते हुए अपनी गंद से उनके लंड को रगड़ रही थी.राजा साहब ने अपना हाथ कमर से हटा उसके ब्लाउस मे डाल दिया तो मेनका भी उनके शर्ट के बटन खोलने लगी.दोनो जल्दी से उठ खड़े हुए & 1 दूसरे के कपड़े उतारने लगे.

नंगे होते ही दोनो 1 दूसरे के गले लग गये & चूमने लगे.राजा साहब ने अपनी बहू की भारी-2 गंद को जम के सहलाया & मसला.फिर मेनका उनके होठों को छ्चोड़ उनके सीने को चूमते हुए नीचे उनके लंड तक आ गयी & अपने घुटनो पे बैठ उसे चूसने लगी.उनके अंदो को अपने कोमल हाथों मे दबा कर जब लंड को उसने ज़ोर से चूसा तो राजा साहब की आह निकल गयी.

उन्हों ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया & ड्रॉयिंग रूम मे आ गये.वाहा उन्होने मेनका को सोफे पे लिटा दिया & उसके पेट को चूमने लगे.अपनी उंगली से उन्होने उसकी चूत को कुरेदना चालू कर दिया.

"ऊहह..!",मेनका की मस्त आन्हो से फार्महाउस का वीराना भी गुलज़ार हो गया.राजा साहब का चेहरा उसकी चूत पे झुक गया & वो उसके दाने को अपनी जीभ से चाटने लगे.मेनका पागलों की तरह अपनी कमर उचकाने लगी & झाड़ गयी.राजा साहब ने उसकी चूत के छ्चोड़े हुए सारे पानी को पी लिया.

फिर राजा साहब उठ कर उसके सर के पीछे खड़े हो गये,मेनका ने उनके लंड को अपनी आँखों के सामने देखा तो हाथ पीछे ले जा के उसने उनकी गांद को पकड़ लिया & अपना सर पीछे कर के उनका लंड 1 बार फिर अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.राजा साहब ने हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूचियो को दबाना & निपल्स को मसलना शुरू कर दिया.

तभी राजा साहब को कुच्छ ख़याल आया,उन्होने अपने लंड को मेनका के मुँह से निकाल लिया & भागते हुए किचन की तरफ चले गये.मेनका को हैरत हुई पर जब तक वो उठती राजा साहब वापस आ गये थे.उनके हाथ मे 1 बोल था.राजा साहब उसके पास बैठ गये & बोल मे रखी चीज़ चम्चे से उसकी चूचियो पे डालने लगे.

"ऊओ..!",सीने पे ठंडा गीलापन महसूस हुआ तो मेनका की आ निकल गयी.उसने देखा राजा साहब उसकी चूचियों को आइस-क्रीम से ढँक रहे थे.राजा साहब ने बोल किनारे रखा & टूट पड़े अपनी बहू की आइस-क्रीम से सराबोर चूचियों पर.मेनका तो पागल हो गयी.राजा साहब ने चाट-2 कर उसके सीने को सॉफ किया & फिर पहले उसकी नाभि को आइस-क्रीम से भरा & फिर अपनी जीभ से सॉफ किया.

अब उसकी चूत की बारी थी.राजा साहब ने वाहा भी आइस-क्रीम लगाई & फिर चाट-चाट कर सॉफ किया.अपने ससुर की आइस-क्रीम चाटती जीभ से मेनका 2 बार झाड़ गयी.अब उसकी बारी थी,वो उठी & पकड़ कर अपने ससुर को सोफे पे बिठा दिया & बोल से आइस-क्रीम निकाल कर उनके लंड & अंदो पे लगा दिया.फिर लगी अपनी जीभ से वाहा पे चाटने.सोफे पे टांगे लटकाए बैठे राजा साहब के मज़े का ठिकाना नही था.जैसे ही मेनका ने आइस-क्रीम की आखरी बूँद को चाट कर सॉफ किया,उन्होने उसे उठा कर सोफे पे बैठे-2 अपनी गोद मे अपने लंड पे बिठा लिया.

अब दोनो 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे,मेनका की चूत राजा साहब के लंड से भरी थी & उसके हाथों मे उनका चेहरा था जिसे वो चूम रही थी. राजा साहब भी उसके जिस्म को अपनी बाहों मे कसे हुए उसकी पीठ & गांद से खेल रहे थे.

मेनका ने अपने ससुर को चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर उन्हे चोदना शुरू कर दिया.राजा साहब का लंड उसकी कोख पर चोट कर रहा था & उसकी चूत मे तो जैसे सैलाब आ गया था-पानी था कि च्छुटे ही जा रहा था.

उसने अपने ससुर के सर को पकड़ कर अपनी चूचियो पर झुका दिया.राजा साहब भी उसकी चूचियो को चूसने लगे.उसकी चूचिया तो अब पूरी तरह से उनके होंठो के निशान से भर गयी थी. राजा साहब के भी अंदो मे अब मीठा दर्द होने लगा था.उन्होने अपनी बहू की गंद को दबोच लिया & उसके निपल को चूस्ते हुए नीचे से बैठे-2 ऐसे धक्के मार के अपना पानी छ्चोड़ा कि मेनका 1 बार फिर उनके साथ झाड़ गयी.

झड़ने के बाद दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते रहे,"ये फार्महाउस तुम्हारा है?"

"नही,हमारा है."उनका इशारा मेनका & अपनी तरफ था.मेनका ने नीचे देखा तो लंड झड़ने के बाद सिकुड़ने के बावजूद उसकी चूत मे ऐसे पड़ा था जैसे की अभी भी खड़ा हो.उसने अपनी चूत को हल्के से हिलाना शुरू किया.

"ये उन्ही प्रॉपर्टीस मे से 1 है जिनके पेपर्स स्टडी मे हैं."

"तुम तो ये सब दान करने वाले हो ना."

"हा,बिल्कुल.पर सोचते हैं कि इस फार्म हाउस को अपने नाम कर ले & इसे अपने प्यार का आशियाना बना ले.क्या कहती हो?"

जवाब मे मेनका ने मुस्करा कर उनके होठ चूम लिए.उसकी चूत की हर्कतो से राजा साहब का लंड फिर से गरम हो गया.वो वैसे ही उसकी चूत मे लंड डाले हुए खड़े हो गये & फार्महाउस के बेडरूम की तरफ बढ़ गये.

बेडरूम मे दाखिल होते ही मेनका चौंक गयी.पूरा कमरा जैसे सुहागरात के लिए सज़ा हुआ था.कमरे मे चारो तरफ फूल ही फूल भरे थे & बीचोबीच रखे बड़े से पलंग पर लाल गुलाब की पंखुड़िया बिखरी हुई थी.

उसने राजा साहब की तरफ सवालिया नज़रो से देखा.,"हमने केर्टेकर को कहा कि हमारा कोई जान-पहचान वाला अपनी नयी दुल्हन को लेकर यहा आएगा & 1 रात ठहरेगा तो उनके लिए उसने ये सजावट की & इसी बहाने हमने उसे छुट्टी भी दे दी कि वो जोड़ा नही चाहता कि कोई उन्हे डिस्टर्ब करे."

मेनका को लिए दिए राजा साहब बिस्तर पर लेट गये & लगे फिर से उसे चोदने लगे.थोड़ी देर तक मेनका उनके नीचे पड़ी चुदती रही,फिर उसने उन्हे पकड़े हुए करवट ले उन्हे अपने नीचे किया & उपर से कमर हिला-2 कर चोदने लगी.उसकी भारी चूचिया उसके ससुर के बालों भरे सीने पे रगड़ खा रही थी & होठ उनके होठों से सटे थे.

थोड़ी देर दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे कि फिर राजा साहब उसे पलट कर उस पर सवार हो गये & उसे चोदने लगे.दोनो की इस उठा-पटक से गुलाब की पंखुड़ीयान मसल रही थी & कमरे मे मदहोश करने वाली खुश्बू फैला रही थी.मेनका फिर से हवा मे उड़ रही थी.उसने अपनी टांगे अपने ससुर की कमर पे कस दी & नीचे से झटके मारने लगी.राजा साहब ने अपना लंड पूरा बाहर निकाला & फिर 1 ही झटके मे जड़ तक अंदर डाल दिया.

"ऊओ...ऊव्वववव..!..",मेनका चिल्लाई.राजा साहब ने फिर से यही हरकत दुहराते हुए उसे & ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.मेनका अब बिल्कुल आपे से बाहर हो गयी.उस ने अपने नाख़ून अपने ससुर की गंद मे गाड़ा दिए & उसकी चूत पानी छ्चोड़ने लगी.नाखूनओ की चुभन ने राजा साहब की कमर के हिलाने को और तेज़ कर दिया & वो 1 बार फिर अपनी बहू की चूत के अंदर अपना पानी छ्चोड़ने लगे.

क्रमशः............................
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07-30-2018, 05:40 PM,
#22
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट-8

गतान्क से आगे...............


सवेरे राजा साहब की नींद खुली तो उन्होने देखा कि वो बिस्तर पर अकेले हैं,मेनका शायद बाथरूम मे थी.वो उठकर किचन मे आ गये & अपना अंडरवेर उठा कर पहन लिया,पॅंट उठा कर उसमे से मोबाइल निकाला & बॅंगलुर डॉक्टर.पुरन्दारे से बात करने लगे.

खबर अच्छी थी,विश्वा अपनी लत छ्चोड़ने की पूरी कोशिश कर रहा था.राजा साहब को खुशी हुई पर फिर मेनका का ख़याल आया तो चेहरे पे आई मुस्कान गायब हो गयी.वो जानते थे कि विश्वा आएगा तो ये सब बंद करना पड़ेगा पर वो मेनका के हुस्न & इश्क़ के दीवाने हो चुके थे.इसीलिए उन्होने ये फार्महाउस का प्रोग्राम बनाया था.वो चाहते थे कि बेटे के आने से पहले वो मेनका के साथ जम के प्यार के मज़े लूट ले.

इन्ही ख़यालों मे गुम उन्होने दुष्यंत वेर्मा को फोन मिलाया,"क्या हाल है,दोस्त?"

"सब बढ़िया,तू सुना."

"ठीक हू.उस तस्वीर वाले शख्स के बारे मे कुच्छ पता चला?"

"नही यार.पहुँची चीज़ लगता है.उसका कोई सुराग नही मिला है.जब्बार से भी उसके तार जुड़ते नही दिखते हैं.वैसे जब्बार आजकल शहर से बाहर गया हुआ है.कहा ये मालूम नही."

"दोस्त,इधर जब्बार हमे परेशान नही कर रहा.इसीलिए हमे डर है कि या तो वो कोई बड़ी साज़िश रच रहा है या साज़िश की शुरुआत कर चुका है.पता नही क्यू हमारा दिल कहता है कि विश्वा को नशे की लत लगाने मे उसी का हाथ है."

"तू अब इतनी फ़िक्र मत कर,दोस्त.सब ठीक हो जाएगा & मेरा चेला मनीष इस मामले की तह तक पहुँच तेरी सारी मुश्किल आसान कर देगा."

"तेरे पे मुझे पूरा भरोसा है,दोस्त."

इसके बाद दोनो दोस्तो ने कुच्छ इधर-उधर की बातें की & फोन काट दिया....सब ठीक हो जाएगा..हो तो जाएगा पर मेनका & उनके बीच का रिश्ता...क्या है इस रिश्ते की मंज़िल?..राजा साहब के मन मे सवाल घूमड़ रहे थे की तभी मेनका वाहा आ गयी.

उसने 1 बातरोब पहना हुआ था जोकि उसकी गंद तक ही आ रहा था,"मुझे कपड़े चाहिए?"

"पहने तो हुए हो.",राजा साहब का दिल उसे देखते ही फिर से हल्का हो गया & मस्ती के मूड मे आ गया.

"प्लीज़ यश.दो ना कपड़े.",मेनका बच्चों की तरह मच्लि.

"ओके.",राजा साहब वैसे ही केवल 1 काला अंडरवेर पहने बाहर कार तक गये & 1 पॅकेट लाकर उसे थमा दिया.

"ये..इसे पहनु ना पहनु सब बराबर है.",मेनका के हाथों मे 1 रेड कलर की 2-पीस स्ट्रिंग बिकिनी थी.

"अरे पहन कर दिखाओ तो."

"पहनुँगी & 2 मिनिट मे तुम उतार भी दोगे.रात भर तो मेरी हालत खराब करते रहे.अब आज मुझमे इतनी ताक़त नही है.प्लीज़ ढंग के कपड़े दो ना."

"अरे,जान!बस 1 बार इसे पहन कर दिखा दो.",राजा साहब ज़िद करने लगे.

"1 शर्त पे पहनुँगी."

"क्या?"

"पहनने के बाद तुम मुझे बिल्कुल भी हाथ नही लगाओगे."

"ये कैसी अजीब शर्त है?इसे पहन ने के बाद तो तुम्हे प्यार करने और ज़्यादा मज़ा आएगा.प्लीज़ छ्चोड़ो ये शर्त-वर्त & पहन कर दिखाओ ना."

"ऊंन-हुंग.शर्त मानो तो पहनुँगी."

"ठीक है मानता हू शर्त,पर मेरी भी 1 शर्त है,तुम खुद अपने कपड़े उतरोगी & फिर मैं तुम्हे तब तक प्यार करूँगा जब तक मैं चाहू."

"ठीक है.करते रहना इंतेज़ार.खुद तो मैं कपड़े उतारने से रही."

मेनका ने बातरोब खोल कर अपने जिस्म से सरका दिया.अब वो पूरी नंगी थी बस गले मे वोही चैन लटक कर उसकी छातिया चूम रही थी.मेनका ने बिकिनी की पॅंटी उठाई & उसे अपनी टाँगो से उपर किया & अपनी चूत को ढँकते हुए अपनी कमर पर उसकी डोरियाँ बाँधने लगी.उसकी नज़रे अपने ससुर के चेहरे पर टिकी थी & होठों पे शरारत भरी मुस्कान खेल रही थी.

राजा साहब के होठ सुख गये थे.वो बस भूखी निगाहों से अपनी बहू को घूर रहे थे.मेनका ने बिकिनी का ब्रा उठाया & अपने गले मे डाल लिया & अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी डोरियाँ बाँधने लगी.फिर घूम कर अपनी मखमली पीठ अपने ससुर के सामने कर दी,"इसे बाँध दो ना,प्लीस!...और हाँ च्छुना नही."

राजा साहब के सामने उनकी बहू की लगभग नंगी पीठ थी & नीचे स्विमस्यूट की पॅंटी मे मुश्किल से समाती गंद.उन्होने हाथ बढ़ा कर डोरी बाँध दी.मेनका ने खाने का समान निकाला & अपने ससुर को बैठने का इशारा किया & झुक-2 कर अपनी चूचिया उनके मुँह के सामने छल्काते हुए उन्हे नाश्ता परोसने लगी.राजा साहब की पेट की भूख तो उनके लंड की भूख के आगे कुच्छ भी नही थी.जब तक दोनो कहते रहे उनकी नज़रे बिकिनी के टॉप से झँकते अपनी बहू के क्लीवेज को घुरती रही.

मेनका को अपने ससुर को तड़पाने मे बहुत मज़ा आ रहा था.वो उठी & घूम कर किचन से बाहर चली गयी.राजा साहब भी उसके पीछे-2 चलने लगे.

मेनका जानती थी कि उसके ससुर उसके पीछे उसके रूप के जादू से खींचे चले आ रहे हैं & शर्त के कारण उनके हाथ बँधे है.उसने उन्हे और तड़पाने की सोची & अपनी गंद थोड़ा ज़्यादा मटका के & लहरा के चलने लगी.राजा साहब का लंड उनके अंडरवेर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो उठा.

मेनका फार्महाउस के पीछे बने पूल पर आ गयी,"वाउ!कितना अच्छा पूल है.",और उसने उसमे गोता लगा दिया & लगी तैरने.राजा साहब वही बैठ कर उस जलपरी को निहारने लगे.मेनका तैरते हुए आती & पानी मे उपर नीचे होती तो उसकी चूचियाँ जैसे उसके ब्रा मे से निकलने को मचल उठती.

तभी मेनका पूल के उस हिस्से मे जहा सिर्फ़ 4 फ्ट पानी था,आके खड़ी हो गयी थी अपने ससुर के सामने.उसके गोरे बदन पे पानी की बूंदे हीरों की तरह चमक रही थी.

"क्या हुआ,यश?तबीयत तो ठीक है ना?",कह कर उसने हाथ सर के उपर ले जाके अंगड़ाई ली.ऐसा करने से उसकी छातिया उसके ब्रा के गले मे से और ज़्यादा नुमाया हो गयी.राजा साहब बुरी तरह तड़प रहे थे पर क्या कर सकते थे,शर्त जो मानी थी.

मेनका ने फिर तैरते हुए पूल के 2 चाक्कर लगाए & फिर वही आ के खड़ी हो गयी & लगी अपनी अदाओं से अपने ससुर को तड़पाने.पर इस बार राजा साहब ने भी जवाब सोच लिया था.वो खड़े हो गये & अपना अंडरवेर उतार दिया.राजा साहब का लंड फंफनता हुआ बाहर आ गया.राजा साहब ने उसे हाथ मे लिया & लगे हिलाने.

मेनका हैरत से उन्हे देखने लगी.वो पहली बार किसी मर्द को इस तरह से अपने लंड से खेलते देख रही थी.उसकी निगाहे अपने ससुर के लंड से चिपक गयी.इस लंड की तो वो दीवानी हो गयी थी.उसने राजा साहब को यूही तड़पाने के लिए शर्त दी थी पर हक़ीक़त मे वो भी हर वक़्त बस उनसे लिपट कर उनके लंड को अपने हाथों मे,अपने मुँह मे या अपनी चूत मे महसूस करना चाहती थी.

उसका हाथ अपने आप अपनी चूत पर चला गया था & उसे सहलाने लगा था.राजा साहब अपना लंड हिलाए चले जा रहे थे & मेनका की चूत गीली हुए जा रही थी.वो मस्ती मे आ रही थी & उसे अब कोई शर्त याद नही थी.उसने अपने हाथों से बिकिनी की डोरिया खोल दी & उसे पूल के पानी मे गिर जाने दिया.


राजा साहब की चाल काम कर गयी थी.वो भी पूल मे उतर गये & उसे बाहों मे भर उसे चूमने लगे.मेनका ने अपने हाथ मे उनका लंड पकड़ लिया & उनकी किस का जवाब देने लगी.राजा साहब ने उसकी गंद को दबाना चालू कर दिया तो मेनका हंसते हुए छितक कर उनसे दूर हो गयी & पानी मे तैरने लगी.राजा साहब भी उसके पीछे हो लिए & थोड़ी ही देर मे उसे पकड़ लिया.

पीछे से पकड़ के वो उस से चिपक गये & अपना लंड उसकी गंद की दरार मे अटका दिया.फिर तैरते हुए उसे कम गहराई वाली जगह लाके पूल की दीवार से लगा के पीछे से लंड चूत मे डालने लगे.

मेनका पलट गयी & उनके गले से लग गयी.अब उसकी चूत उसके ससुर के लंड के सामने थी उसने अपनी टाँगे फैला कर अपने हाथ से उनका लंड अपनी चूत मे डाला & फिर टाँगे उनकी कमर पर कस दी.दोनो के पेट के नीचे के हिस्से पानी मे थे.राजा साहब इसी तरह अपनी बहू की चूत चोदने लगे.मेनका उनसे चिपक कर मज़े के समंदर मे गोते लगाने लगी.अपने ससुर की चुदाई से ना जाने वो कितनी बार झड़ी उसे बाद मे याद भी नही था. बस इतना याद था कि उसकी चूत मे उसके ससुर का गरम वीर्या गिरा था & उसके बाद वो वैसे ही चूत मे लंड डाले उसे उठाए घर के अंदर आ गये थे & वो थक कर उनकी बाहों मे सो गयी थी.

मेनका की नींद खुली तो उसने देखा कि वो ड्रॉयिंग रूम के मखमली ईरानी गाळीचे पे लेटी थी,बगल मे उसके ससुर लेते थे & अपने ख़यालों मे खोए थे.घड़ी देखी तो 4 बज रहे थे...तो वो पिच्छले 4-5 घंटो से सो रही थी.और सोती भी क्यू ना,कल पूरी रात चोदने के बाद राजा साहब ने उसे सुबह 3:30 बजे छ्चोड़ा था.उसने करवट लेके उनके सीने पे सर रख दिया & वाहा पर के बालों से खेलने लगी,"क्या सोच रहे हो?"

"कुच्छ नही.",राजा साहब उसके सर पे हाथ फेरने लगे.

"ऐसी क्या बात है जो तुम मुझे बता नही रहे?उस दिन भी फोन आया &तुम भागते हुए शहर चले गये.आख़िर क्या मामला है,मैं जानना चाहती हू.",मेनका उनके सीने पे कोहनी रख उनके चेहरे को देख रही थी.

"बात तुम्हे पसंद नही आएगी."

"मैं फिर भी सुनना चाहती हू."

"तो सुनो मैं विश्वा के बारे मे सोच रहा था."

मेनका मुँह घुमा कर दूसरी तरफ देखने लगी.

"देखा,मैने कहा था ना.हो गयी ना अपसेट.",उ उसके गालों को सहलाने लगे.

"फिर भी बताओ शहर शहर क्यू गये थे?"

"तो सुनो.",राजा साहब ने करवट ली तो मेनका भी करवट लेकर लेट गयी.अब दोनो 1 दूसरे को देखते हुए करवट से लेते थे,"ये विश्वा की अपनी कमज़ोरी है कि वो इस बुरी लत का शिकार हुआ पर आख़िर वो कौन शख्स था जो उसे ड्रग्स देता था.मैं यही जानने की कोशिश कर रहा हू.",फिर उन्होने उसे दुष्यंत वेर्मा &उनके इन्वेस्टिगेशन के बारे मे बताया.

उन्होने उसकी बाई जाँघ खींच कर अपनी दाई जाँघ पर चढ़ा दी & अपनी दाई टांग उसकी टाँगो के बीच ऐसे डाल दी की लंड छूट से आ सता.अपनी बाई हाथ उसकी गर्दन के नीचे दल उसी हाथ से उसके कंधे को सहलाने लगे & डाए हाथ से उसकी चूत को.मेनका ने अपना बाया हाथ उनकी गंद पे रख दिया & दया नीचे ले जाकर उनके लंड & अंदो को रगड़ने लगी.

"आख़िर ये जब्बार आपसे इतनी नफ़रत क्यू करता है?"

"इसका जवाब तो हम नही जानते.पहले तो सोचते थे कि वो पैसो के लिए ऐसा कर रहा है पर अब लगता है कि दुश्मनी की वजह कुच्छ और है...पर हमे समझ नही आता कि क्या?हम तो उसे जानते तक नही थे जब उसने हमारी मिल्स मे हुन्गामा करने की कोशिश की थी.",अब तक लंड तन चुका था & चूत भी गीली हो गयी थी.उन्होने अपनी बहू को लिटाया & एक बार फिर उस पर सवार हो उसकी चिकनी चूत चोदने लगे.

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जब्बार बॅंगलुर पहुँच चुका था & डॉक्टर.पुरन्दारे का क्लिनिक भी उसने देख लिया था.अब असल काम शुरू होता था,उसे अंदर जाकर ये पता करना था कि अंदर कितने लोग हैं & विश्वा कहाँ पे रहता है.तभी उसके मोबाइल पे मलिका को फ़ोन किया,वो बॅंगलुर एरपोर्ट से बोल रही थी.जब्बार जब तक उसे लेने एरपोर्ट पहुँचा तब तक उसके शैतानी दिमाग़ ने क्लिनिक के अंदर जाने का रास्ता सोच लिया था.

थोड़ी देर बाद 1 कार रहाब सेंटर के गेट पर खड़ी थी,"प्लीज़ मैं देल्ही से आई हू &डॉक्टर.साहब से मिलना बहहुत ज़रूरी है."

"मैं समझता हू,मेडम पर बिना अपायंटमेंट आप डॉक्टर.साहब से नही मिल सकती."

"अच्छा भाय्या तो बस 1 बार मुझे उनसे फोन पर ही बात करवा दो,प्लीज़!मेरी रिसर्च का सवाल है."

"अच्छा मेडम मैं कोशिश करता हू.",वो गार्ड अपने कॅबिन मे जा अपने फोन का रिसीवर उठा कर डाइयल करने लगा.

"लीजिए बात कीजिए."

"हेलो!डॉक्टर.पुरन्दारे.गुड ईव्निंग,सर!मेरा नाम कविता कपूर है,मैं देल्ही के 'हेल्ती' मॅगज़ीन मे रिपोर्टर हू.बॅंगलुर 1 पर्सनल विज़िट पे आई थी कि मुझे आपके सेंटर & आपकी डे-अडिक्षन थियरीस का पता चला.सिर,मैं माफी चाहती हू कि बिना अपायंटमेंट,बिना फोन मैं इस तरह आ गयी पर सर क्या करू बिना आपका सेंटर देखे,आपसे मिले बिना जाने को मन नही माना.",जी हां,ये मलिका ही है जोकि सेंटर के अंदर जाने की कोशिश कर रही है.

जब्बार जानता था कि विश्वा उसे & कल्लन की शक्ल पहचानता है तो वोडोनो तो अंदर जेया ही नही सकते,इसीलिए उसने मलिका को इस्तेमाल किया.उसे इतना पता था कि सनडे की वजह से 6 बजे शाम तक केवल ट्रेनी डॉक्टर. ड्यूटी पे रहते हैं & सीनियर्स छुट्टी पे तो मलिका के पकड़े जाने का डर भी कम था.

"......थॅंक यू,सर!थॅंक यू सो मच!",उसने फोन गार्ड की तरफ बढ़ा दिया,"आपसे बात करेंगे."

"मेडम,आपका काम हो गया.मैं आपको सेंटर डॉक्टर.कुमार दिखा देंगे.जाइए.",मलिका के चेहरे पर जीत की मुस्कान खेल रही थी.

थोड़ी देर बाद मलिका की कार इन्स्टिट्यूट से बाहर आ गयी & बॅंगलुर शहर की ओर दौड़ने लगी.शहर पहुँचते ही जब्बार & वो 1 रेस्टोरेंट मे बैठ गये.,"क्या पता चला?"

"सेंटर मे सेक्यूरिटी बस गेट पे है.अंदर मे 2 फ्लोर्स पे 30 पेशेंट्स है.विश्वजीत किस फ्लोर पर है मुझे ये पता नही.पर रात मे बस 12 स्टाफ के लोग हैं &गेट पर 1 गार्ड."

"वेल डन,जान!",जब्बार ने टेबल के नीचे उसकी जाँघ पे हाथ से दबाया."अब बस कल्लन का इंतेज़ार है.चलो,कल तक वो भी आ जाएगा."

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07-30-2018, 05:40 PM,
#23
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
राजा साहब अपनी बहू के साथ वापस महल आ गये थे & अब बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे.मेनका अपने कमरे मे थी.सारे नौकर जा चुके थे & उन्हे डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नही था.

तभी मेनका वाहा आ गयी,उसने फिर वोही बॉमबे वाली काली नाइटी पहनी थी & उसके गले मे से उसका क्लीवेज चमक रहा था.,"क्या देख रहे हो,सोना नही है क्या?"

"नही.",कह कर उन्होने उसे खींच कर अपने पास बिठा लिया.

"फिर वही बात.अभी तक मन नही भरा?",उसने उनके शरारती हाथों को अपने सीने से हटाते हुए बोला.

"नही & कभी भरेगा भी नही.",वो उसे चूमने लगे & रिमोट उठा कर टीवी बंद कर दिया.

फिर उसे गोद मे उठा लिया & चढ़ने लगे सीढ़ियाँ.थोड़ी देर बाद दोनो उनके बिस्तर मे लेते 1 दूसरे को चूम रहे थे.राजा साहब उसके उपर चढ़े हुए थे & उनके हाथ उसकी नाइटी मे घुस कर उसकी ब्रा मे कसी चुचियाँ दबा रहे थे.मेनका उनके कुर्ते मे हाथ डाल उनकी पीठ सहला रही थी.

राजा साहब बेसबरे हो गये & उठ कर नंगे हो गये & अपनी बहू को भी नंगा कर दिया.मेनक अब केवल काले रंग की ब्रा & पॅंटी मे थी.राजा साहब उस पर सवार हो उसे पागलों की तरह चूमने लगे.मेनका उनकी मर्दानगी का लोहा मान गयी पिच्छले 2 दीनो से इस आदमी ने सिवाय उसे चोदने के और कोई काम नही किया था फिर भी इतने जोश मे था.

उसने उनकी गांद को दबाना & अपने नाकुनो से हल्के-2 नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर धक्के लगा रहे थे & मेनका गीली होती जा रही थी.उसने हाथ गंद से हटा उनका लंड पकड़ लिया & हिलाने लगी.राजा साहब ने करवट ली & उसे सीने से चिपका लिया &चूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा खोल दी.

थोड़ी देर तक उसकी पीठ सहलाते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से खेलते रहे & फिर अपना हाथ पीछे से उसकी पॅंटी के अंदर उसकी गंद पे सरका दिया & उसकी फांकों को मसल्ने लगे.मेनका मस्त हो गयी & जब राजा साहब उसकी पॅंटी सरका कर घुटनो तक ले आए तो उसने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया.

राजा साहब ने उसकी गांद मसल्ते हुए उसकी दरार को सहलाना शुरू कर दिया.ऐसा पहले उन्होने कभी नही किया था &मेनका के लिए ये बिल्कुल नया एहसास था.तभी उन्होने अपनी 1 उंगली उसकी गंद की छेद मे डाल दी.

"ओउ..च!",मेनक चिहुनक कर उनसे अलग होने लगी पर राजा साहब ने अपनी पकड़ मजबूत कर उसकी गंद मे उंगली जस की तस रहने दी.

"क्या कर रहे हो...वाहा नही?"

"प्लीज़...",

"नही...तुम पागल हो...दर्द होगा..",मेनका शर्मा गयी.

"नही होगा...प्रॉमिस..होगा तो निकाल लूँगा...प्लीज़..जान,प्लीज़!",राजा साहब बच्चों की तरह ज़िद करने लगे.

"ओके..पर दर्द हुआ तो मैं फिर कभी कैसे भी प्यार नही करने दूँगी."

"अरे मेरी जान दर्द होगा तब तो.",राजा साहब ने उसके होठों को अपने होठ से बंद कर दिया &अपनी उंगली से उसकी गंद मारने लगे.थोड़ी देर मे 2 फिर 3 उंगलिया उसकी गंद मे अंदर-बाहर हो रही थी.मेनका को मज़ा आ रहा था.उसने सिर्फ़ सुना था पर आज पहली बार वो गंद मरवाने वाली थी.

राजा साहब उस से अलग होकर अपने क्लॉज़ेट मे गये & वाहा से 1 क्रीम ले कर आए.उन्होने अपनी बहू को उल्टा कर दिया & झुक कर उसकी मोटी गंद को चूमने& चूसने लगे.जम के चूसने के बाद उन्होने अपनी जीभ उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका फिर चिहुनकि,"..ऊऊ...ऊ.."

पर राजा साहब उसे मज़बूती से थामे अपनी जीभ से उसके छेद को चाट ते रहे.थोदिदेर के बाद उसकी गांद सहलाते हुए उन्होने कहा,"जान...बिल्कुल मत घबराना.हम पर भरोसा रखो.ज़रा भी दर्द होगा तो हम रुक जाएँगे.तुम बस रिलॅक्स होकर अपने बदन & इसको ढीला छ्चोड़ दो.",उन्होने उसकी गंद मे फिर उंगली कर दी.

काफ़ी दे तक उसकी गंद को उंगली से मारते हुए वो उसको चूमते & सहलाते रहे.जब उन्होने देखा कि मेनका अब रिलॅक्स हो रही है तो उन्होने उसे उठा कर घुटनो पे कर दिया.मेनका ने भी अपनी गंद हवा मे उठा दी & मुँह तकिये मे छुपा लिया.राजा साहब अपनी उंगलियो मे क्रीम लगा कर उसके छेद मे लगा रहे थे.कुच्छ क्रीम उन्होने अपने लंड पे भी लगाई & फिर उसकी गंद के पीछे पोज़िशन ले ली.

अपने हाथ से पकड़ कर उन्होने बहुत धीरे-2 से अपना लंड उसकी गंद मे घुसाना शुरू किया.लंड का सूपड़ा बहुत मोटा था,"...ऊओ...ऊहह..",मेनका की आह निकल गयी.

"बस मेरी जान..शुरू मे थोड़ी तकलीफ़ हो गी.."राजा साहब उसकी पीठ सहलाते हुए अपने सूपदे को अंदर धकेलने लगे.थोड़ी ही देर मे सूपड़ा अंदर था & उन्होने बस सूपदे को ही आंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.मेनका कदर्द ख़तम हो गया & उसे अब मज़ा आने लगा.उसने सोचा भी नही था कि गंद मेलंड इतना मज़ा देता है.जब लंड अंदर जाता था तो उसकी गंद अपनेआप सिकुड कर लंड को कस लेती थी & उसके बदन मे मज़े की लहरें दौड़ जाती थी.गंद की इस हरकत से राजा साहब भी पागल हो रहे थे.

हल्के-2 धक्कों से उन्होने अब अपने पूरे लंड को गंद मे घुसाना शुरू किया.मेनका को हल्का दर्द हो रहा था पर उस से कही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.गंद मरवाने से होनेवाले दर्द का डर भी ख़तम हो गया था & वो अब पूरा लुत्फ़ उठा रही थी.

थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक उसकी गंद मे था.जब राजा साहब ने धक्का मारा तो वो उठ कर पीछ्हे बैठ गयी तो राजा साहब भी बैठ गये.

अब राजा साहब अपने घुटनो पे बैठे थे & उनकी गांद उनकी आएडियो पे थी & मेनका भी वैसे ही उनके उपर बैठी थी & उसकी गंद उनके लंड से भरी थी.राजा साहब ने हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियो को मसल्ने लगे.उसके निपल्स पहले ही कड़े हो गये थे.राजा साहब उसकी गर्दन को चूम रहे थे की मेनका ने अपनी गर्दन घुमाई &अपने होठों को उनके होठों पर कस दिया.

"दर्द तो नही हो रहा?",उन्होने उसके होठों को छ्चोड़ते हुए & उसकी चुचियाँ दबाते हुए पूछा.अब उनका 1 हाथ उसकी चूत पे था & उसके दाने कोसेहला रहा था.

"उन्न.उन्ह.",मेनका ने इनकार किया.राजा साहब अब फिर से उठ गये & दोनो डॉगी पोज़िशन मे आ गये.अब मेनका ने अपना सारा वजन अपने हाथों & घुटनो पे लिया हुआ था & पीछे से अपने ससुर से गंद मरवा रही थी.थोड़ी देर तक राजा साहब उसकी कमर थामे घुटनो पे खड़े बस उसकी गंद मारते रहे.

फिर वो झुक गये & अपना सीना उसकी पीठ से सटा दिया,अपना मुँह उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया & 1 हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूचियो दबाने लगे.मेनका को अपनी पीठ पे राजा साहब के सीने के बाल गुदगुदी करते महसूस हुए.उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी & गंद मे तो वो मज़ेदार एहसास हो रहा था की पुछो मत.

राजा सहब ने अपना हाथ उसकी चूचियो से हटा उसकी चूत पे लगा दिया & लगे उसकी चूत मे उंगली करने & उसके दाने को रगड़ने.मेनका ने मुँह पीछे किया & अपने ससुर को पागलों की तरह चूमने लगी.राजा साहब ने भी लंड के धक्के & उंगलियो की रगड़ तेज़ कर दी.मेनका की गंद ने भी अब तेज़ी से उनके लंड को कसना शुरू कर दिया था & उसकी चूत बस पानी छ्चोड़न ही वाली थी.

राज साहब ने अपनी जीभ से उसकी जीभ के साथ खेलना शुरू कर दिया कि तभी मेनका का जिस्म आकड़ गया & उसकी कमर हिलने लगी & उसकी चूत ने उनकी उंगली & गंद ने लंड को बिल्कुल कस के जाकड़ लिया.वो झाड़ गयी थी &गंद ने जैसी ही लंड को दबोचा,उनके लंड ने भी पानी छ्चोड़ दिया.मेनका की गंद ने अपने आप सिकुड कर उनके लंड का सारा पानी निचोड़ लिया.

दोनो निढाल होकर बिस्तर पे गिर गये.जब लंड सिकुड गया तो राजा साहब ने उसे बाहर खींचा & मेनका को सीधा कर अपनी बाहों मे भर लिया.,"तकलीफ़ नही हुई ना?",वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.

"नही..",मेनका ने उन्हे अपने पास खींचा & उनके सीने मे मुँह च्चिपाकर वाहा हौले-2 चूमने लगी.


क्रमशः..................
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07-30-2018, 05:41 PM,
#24
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--9

गतान्क से आगे.....................

उस रात राजा साहब ने अपनी बहू को दोबारा नही चोदा.वो जानते थे कि अभी उसकी गंद को & चूत को थोड़ा आराम चाहिए था.वो मेनका को बाहों मे भर कर वैसे ही सो गये.

सवेरे मेनका की नींद खुली तो वो अपने ससुर के बिस्तर मे,उनकी बाहों मे नंगी पड़ी थी.वो हौले से उनके आगोश से निकली,उनके होठों को बहुत धीरे से चूमा & क्लॉज़ेट के रास्ते अपने कमरे मे चली गयी.

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कल्लन बॅंगलुर पहुँच गया था & जब्बार & मेनका के साथ जब्बार के रूम मे बैठा था."भाई,मुझे ये समझ नही आ रहा कि रहाब सेंटर के अंदर कैसे घुसा जाए & राजा के पिल्ले को कैसे बाहर निकाला जाए?तुम्हे जगह दिखा दी है & इसने तुम्हे अंदर के सारे डीटेल्स भी दे दिए हैं.",जब्बार ने मलिका की ओर इशारा किया,"अब तुम्ही कोई रास्ता सुझाओ."

"1 रास्ता है पर उसके लिए कुच्छ चीज़ों की ज़रूरत पड़ेगी."

"कौन सी चीज़ें?"

"1 बेस्कॉम(बॅंगलुर पॉवेर को.) की वन & उसके साथ 1 लंबी सीधी.अगर आज इनका इंतेज़ाम हो जाता है तो आज रात को मैं 1 बार सेंटर के अंदर जाकर वाहा का जायज़ा लूँगा & कल रात विश्वजीत को बाहर निकल लाऊंगा."

"ओके.मैं कोशिश करता हू.तब तक तुम दोनो यही रहना.",जब्बार रूम से बाहर चला गया.

उसके निकलते ही मलिका दौड़ते हुए कल्लन की बाहों मे समा गयी & दोनो 1 दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे.मलिका उसे चूमते हुए उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी तो कल्लां उसकी टाइट जीन्स मे कसी गंद को दबाने लगा.मलिका ने उसकी शर्ट उतार कर उसे बिस्तर पर धकेल दिया & उस पर चढ़ कर बैठ गयी.वो भूखी शेरनी की तारह उस पर टूट पड़ी & उसकी छाती चूमने लगी.

उसने खुद ही अपनी शर्ट उतार दी,ब्रा उसने पहनी नही थी तो शर्ट खुलते ही उसकी छातिया कल्लन के सामने छलक गयी.उसने हाथ बढ़ा कर उन्हे दबोच लिया.मलिका अपनी गंद उसके लंड पे रगड़ रही थी.थोड़ी देर तक इसी तरह 1 दूसरे के जिस्मो को मसल्ने के बाद दोनो बेताबी से उठ बैठे & 1 दूसरे की पॅंट उतार दी.मलिका अब पूरी नंगी थी,वही कल्लन अब केवल 1 अंडरवेर मे था.

दोनो फिर 1 दूसरे से चिपक कर चूमने लगे.मलिका ने अपना हाथ कल्लन के अंडरवेर मे डाल दिया & उसके लॅंड को मसल्ने लगी.कल्लन भी उसकी गंद को बेतहाशा रगड़ रहा था.मलिका झुकी & उसका अंडरवेर उतार कर फेंक दिया & उसके लंड को अपने मुँह मे भर लिया.

अब कल्लन बेड पे घुटनो के बल खड़ा था & मालिका उसके लंड को चूस रही थी.कल्लन ने मलिका के बालों को पकड़ा हुआ था & कमर हिला-2 कर उसके मुँह को चोद रहा था.मलिका ने 1 हाथ से उसके लंड को पकड़ा हुआ था & दूसरे से अपनी चूत के दाने को रगड़ रही थी.

अब कल्लन के लिए अपने पे काबू रखना नामुमकिन हो गया था.उसने मलिका को अपने लंड से अलग किया & उसे बेड पर पटक कर उसकी टांगे फैला दी.फिर अपने लंड को पकड़ कर 1 ही झटके मे उसकी चूत मे उतार दिया."...एयेए...आअहह..!",मलिका कराही & उस से चिपक गयी.कल्लन का लंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने लगा & वो हवा मे उड़ने लगी.उसने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गढ़ा दिए & अपनी टांगे लपेट उसे अपने बदन से चिप्टा लिया.कल्लन ने अपने धक्के & तेज़ कर दिए & उसकी तेज़ चुदाई से मलिका तुरंत झाड़ गयी.थोड़ी ही देर मे कल्लन ने भी उसके अंदर अपना पानी छ्चोड़ दिया.वो उसके सीने पे सर रख हाँफने लगा.

थोड़ी देर तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मलिका ने फिर से अपनी चूत सिकोड कर उसके लंड को छेड़ना शुरू कर दिया.अपनी 1 उंगली उसने उसके गंद के छेद मे डाल दी तो कल्लन भी फिर से गरम होने लगा.उसने फिर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,लंड फिर से सख़्त हुआ तो उसके धक्कों मे और जोश आ गया & मलिका 1 बार फिर चुदने लगी.

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दोपहर का वक़्त था & मेनका राजा साहब के ऑफीस चेंबर मे उनकी चेर के बगल मे खड़ी उन्हे कोई फाइल दिखा रही थी.फाइल देखते-2 राजा साहब ने अपना बाया हाथ उसकी कमर पे लगा दिया & उसकी गांद सहलाने लगे.

"क्या कर रहे हो?कोई देख लेगा.",वो अलग होने के लिए च्चटपटाने लगी तो राजा साहब ने अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी,"..प्लीज़!छ्चोड़ो ना.",मेनका को बहुत डर लग रहा था....कही कोई आ गया तो ग़ज़ब हो जाएगा....& उसके ससुर तो बिल्कुल पागल हो गये थे.

"यश,प्लीज़...अभी नही...ऊऊओ...ऊऊहह..!",राजा साहब ने उसे वैसे ही चेर पे बैठ हुए पकड़ कर अपनी तरफ घुमा कर उसके पेट मे अपना मुँह घुसा दिया था.

"आ...आआहह..!...प्लीज़...छ्च..हहोड़ो नाअ.....कोई आ..ना.. जा..आए..".राजा साहब उसकी नाभि मे अपनी जीभ फिरा रहे थे & उसके चिकने पेट को भी चूम रहे थे.उन्होने अपने हाथ उसकी पीठ से सरका कर नीचे उसकी गंद को सहलाना शुरू कर दिया तो मेनका उनके बाल पकड़ उन्हे अपने से अलग करने लगी.उसकी चूत गीली हो रही थी पर उसे बहुत डर भी लग रहा था.

तभी दरवाज़े पे दस्तक हुई तो वो छितक कर उनसे अलग हो अपनी सारी ठीक कर फाइल पढ़ने लगी.राजा साहब ने भी अपने बाल ठीक किए,"कम इन."

"अरे आप हैं सेशाद्री साहब.आपको नॉक करने की क्या ज़रूरत है.",उन्होने 1 बहुत हल्की सी शरारती मुस्कान अपनी बहू की तरफ फेंकी जिसे सेशाद्री नही देख पाए.मेनका ने गुस्से से उन्हे देखा & फिर से फाइल पढ़ने लगी.

"क्या हुआ कुँवारानी?आप परेशान लग रही हैं.तबीयत तो ठीक है ना?",सेशाद्री मेनका से मुखातिब हुए.

"नही अंकल.तबीयत थोड़ी गड़बड़ लग रही है"

"अरे,तब आप यहा क्या कर रही हैं?आपको तो घर जाकर आराम करना चाहिए.सर,मैं ग़लत तो नही कह रहा."

"नही,सेशाद्री साहब."

"तो मैं घर जाऊं?",मेनका ने बड़ी मासूमियत से अपने ससुर से पूचछा.

"हा,हा.बिल्कुल."

"ओके.",मेनका ऑफीस के दरवाज़े की ओर बढ़ गयी &दरवाज़े पे पहुँच कर सेशाद्री की पीठ के उपर से अपने ससुर को मुँह चिढ़ा दिया.राजा साहब को मन ही मन सेशाद्री पे बहुत गुस्सा आ रहा था...अगर वो अभी नही आता तो वो मेनका को अभी चोद रहे होते.पर अब क्या किया जा सकता था.वो मन मार कर सेशाद्री के लाए पेपर्स पढ़ने लगे.

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रात को महल से सारे नौकर बाहर चले गये तो राजा साहब ने दरवाज़ा बंद किया & केवल 1 पाजामा पहने क्लॉज़ेट के रास्ते अपनी बहू के क्लॉज़ेट मे पहुँच गये.मेनका वाहा अपनी सारी उतारना शुरू ही कर रही थी कि उन्हे देख चिहुन्क पड़ी.

"अरे ये शुभ काम हूमे करने दो.",राजा साहब ने उसका आँचल पकड़ कर खींच दिया.

"अभी जाओ.हूमे कपड़े बदलने दो ना.",मेनका उनके हाथ से अपनी सारी खींचने लगी.

"फिर ये दरवाज़ा क्यू खुला छ्चोड़ा?",राजा साहब ने क्लॉज़ेट के सीक्रेट दरवाज़े की ओर इशारा किया.

"ये तो कपड़े चेंज करने के बाद के लिए..",मेनका शर्मा गयी तो उसके ससुर ने उसे खींच अपने सीने से लगा लिया & उसके चेहरे को हाथों मे ले निहारने लगे.उसका आँचल नीचे गिर गया था & उसकी ब्लाउस मे भारी चूचिया उनके बालों भरे सीने से दबी हुई थी.

"तुम कितनी खूबसूरत हो,मेनका.हूमे तो यकीन ही नही होता कि तुम सिर्फ़ हुमारी हो..",मेनका के गाल शर्म से लाल हो गये थे & आँखें बंद.राजा साहब ने उसकी बंद पलकों को & फिर गालों को चूम लिया.फिर हाथ उसकी कमर मे डाल उसके होठ चूमने लगे.मेनका भी उनसे लिपट गयी & अपनी जीभ उनके मुँह मे डाल उनकी जीभ से खेलने लगी.राजा साहब 1 हाथ आगे लाए & उसकी कमर पे अटकी सारी को खींच दिया & फिर उसे उसके बदन से अलग कर दिया.

मेनका के हाथ उनकी पीठ पर घूम रहे थे & वो अपनी चूचियो को उनके सीने पे हल्के-2 रगड़ रही थी.बीच-2 मे हाथ नीचे ले जाकर उनके पाजामे मे घुसा वो उनकी गंद पे भी अपने नाख़ून गढ़ा रही थी.राजा साहब ने उसके पेटिकोट को भी नीचे सरका दिया.आज मेनका ने पॅंटी नही पहनी थी तो राजा साहब अब उसकी नंगी गांद को जम के दबा रहे थे.उसकी चूत उसके ससुर की हरकतों से गीली होने लगी थी.इस बार जब उसके हाथ नीचे गये तो उन्होने उनके पाजामे को उनकी गंद से नीचे उतार दिया.पाजामा घुटनो तक आया तो उसने अपनी 1 टाँग उठाई & पैर से उसे नीचे उनकी टाँगो से उतार कर अलग कर दिया.

अब राजा साहब पूरे नंगे थे & मेनका केवल ब्लाउस मे थी,दोनो 1 दूसरे से चिपके 1 दूसरे की पीठ & गंद सहलाते,अपनी छातिया रगड़ते चूम रहे थे.राजा साहब का ताना लंड उनकी बहू की गीली चूत से सटा था & दोनो अपनी-2 कमर हिला कर लंड & चूत को1 साथ रगड़ रहे थे.

राजा साहब ने अपने हाथ पीच्चे ले जाकर मेनका के ब्लाउस के हुक खोल दिए & उसे नीचे उतार दिया.मेनका अब बिल्कुल गरम हो गयी थी,जब राजा साहब उसके ब्रा को उतारने लगे तो उसने हाथ नीचे कर अपनी चूचियाँ नंगी करने मे उनकी पूरी मदद की.अब दोनो पूरे नगे 1 दूसरे के जिस्मो से खेल रहे थे.

चूमते हुए राजा साहब की नज़र बगल मे पड़ी तो उन्होने देखा की ड्रेसिंग टेबल के शीशे मे दोनो की परच्छाई नज़र आ रही थी.उन्होने चूमते हुए मेनका को इशारे से ये दिखाया तो वो शर्मा कर क्लॉज़ेट से बाहर जाने लगी.पर राजा साहब ने हाथ पकड़ कर उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया & पीछे से उसकी कमर मे हाथ डाल कर खड़े हो गये.

"क्या कर रहे हो?...कमरे मे चलो ना..",मेनका का शर्म से बुरा हाल था.शीशे मे उसका पूरा हुस्न नज़र आ रहा था & पीछे से चिपके उसके ससुर भी.उसे लग रहा था जैसे कोई और उन दोनो को देख रहा हो.

"प्लीज़..यश चलो ना..!"

"क्यू मेरी जान?",राजा साहब उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसके निपल्स मसल रहे थे & उनका मुँह उसकी गर्दन मे था.

"हूमे शरम आती है."उसने 1 हाथ अपने ससुर के बालों मे फिराते हुए कहा.

"अरे अब हमसे कैसी शर्म?",राजा साहब ने उसे थोडा सा अपनी तरफ घूमाते हुए अपने होठ उसकी 1 चूची से लगा दिए.

"ऊओ..ऊवन्न...हह..!",मेनका की आँखे बंद हो गयी & वो अपनी गंद से अपने ससुर के लंड पर रगड़ने लगी.राजा साहब का मुँह उसकी 1 चूची पे,उनका 1 हाथ उसकी दूसरी चूची पे & उनका दूसरा हाथ उसकी चूत पे लग गये थे.मेनका तो जन्नत मे पहुँच गयी थी.उसके ससुर उसके नाज़ुक अंगो को छेड़ रहे थे & खास कर उनकी उंगली तो उसकी चूत को रगड़-2 कर उसे गीली पर गीली किए जा रही थी.

ये सारा नज़ारा दोनो शीशे मे देख और मस्त हो रहे थे.तभी राजा साहब ने उसे आगे झुकाया तो वो ड्रेसिंग टेबल का सहारा ले झुक गयी.उन्होने उसकी कमर पकड़ी & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया & उसे चोदने लगे.मेनका आँहे भरने लगी.चोद्ते हुए उन्होने ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाई & उसकी गंद मे लगाने लगे.मेनका समझ गयी कि आज फिर उसकी गांद मारी जाएगी &ये ख़याल आते ही उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

राजा साहब वैसे ही चोद्ते रहे & थोड़ी देर बाद लंड उसकी चूत से निकाल उसकी गंद मे उतार दिया.उसे हल्का सा दर्द हुआ पर जैसे ही लंड गंद मे उतरा,उसके ससुर ने उसकी चूचिया & चूत को फिर से रगड़ना शुरू कर दिया & उसे दर्द से ज़्यादा मज़ा आने लगा.राजा साहब थोड़ी देर तक उसकी गंद मारते रहे & फिर लंड निकाल कर फिर से चूत मे डाल दिया.काफ़ी देर तक वो ऐसे ही शीशे मे अपनी बहू से नज़रे मिलाते हुए, बारी-2 से उसकी चूत & गंद मरते रहे & इस दौरान मेनका 3 बार और झाड़ गयी.अब उसकी टांगे जवाब दे रही थी.राजा साहब भी ये भाँप गये थे.उन्होने अपना लंड निकाला & उसे गोद मे उठा कमरे मे बिस्तर पे ले गये.

अब मेनका लेटी हुई थी & उसके ससुर उसके उपर चढ़ कर लंड उसकी चूत मे घुसा रहे थे.मेनका ने अपनी टाँगो & बाहों मे अपने ससुर के बदन को कस लिया.अब राजा साहब अपनी बहू को उसी के बिस्तर मे चोद रहे थे.उनका बड़ा लंड उसकी चूत को तेज़ी से चोद्ते हुए उसकी कोख पे चोट कर रहा था.हर चोट पे मेनका के जिस्म मे मज़े की लहर दौड़ जाती & उसकी आह निकल जाती.उसकी कसी चूत की दीवारें भी उसके ससुर के लंड को अपनी पकड़ मे कसे हुए थी.
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07-30-2018, 05:41 PM,
#25
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
राजा साहब काफ़ी देर से अपने आंडो मे उमड़ रहे सैलाब को रोके हुए थे & अब उनके धक्कों मे तेज़ी आ रही थी,मेनका भी नीचे से ज़ोर-2 से अपनी कमर हिला रही थी.उसने अपने ससुर के बदन को कस के जाकड़ लिया & बिस्तर से उठती हुई उचक कर उन्हे चूमने लगी,उसकी चूत ने राजा साहब के लंड को बिल्कुल जाकड़ लिया & पानी छ्चोड़ दिया.जैसे ही वो झड़ी की राजा साहब की कमर भी झटके खाने लगी & उनके लंड ने उसकी चूत को अपने पानी से लबालब भर दिया.मेनका के चेहरे पे खुशी & संतोष का भाव आया & वैसे ही अपने ससुर से लिपटी हुई थकान के मारे नींद की गोद मे चली गयी.

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बेस्कॉम की वॅन रहाब सेंटर के पीछे की दीवार के साथ बने उस सुनसान रास्ते पे खड़ी थी.उसके काले शीशों के अंदर कोई नही देख पता पर अंदर जब्बार & मलिका बैठे थे.रात के 2 बज रहे थे & कल्लन सीधी के सहारे रहाब सेंटर की दीवार पर चढ़ गया था.चढ़ने के बाद उसने सीधी उठा कर सेंटर के अंदर के तरफ लगा दी & उतर गया.उसने सीढ़ी ज़मीन पे लिटा कर रख दी,उस एकमत्रा गार्ड को दूर से वो सीढ़ी कभी नज़र नही आती,वैसे भी वो अपने गेट के कॅबिन से बाहर निकलता था ही नही.

कल्लन चुपके से सेंटर के अंदर जाकर दोनो मंज़िलो पे मरीज़ो के कमरे मे देखने लगा.हर मरीज़ के कमरे मे दीवार पे 1 बोर्ड पे उस मरीज़ का नाम & उसकी केस डीटेल्स लगे थे.दूसरी मंज़िल के चौथे कमरे मे उसकी खोज ख़त्म हो गयी.विश्वा वाहा बेख़बर सो रहा था.कल्लन फ़ौरन वाहा से निकल बिल्डिंग का मुआयना करने लगा,बेसमेंट मे जेनरेटर लगा था पवर बॅकप के लिए.उस जेनरेटर को देखते ही उसके होठों पे मुस्कान खेलने लगी.

वॅन मे बैठे जब्बार से इंतेज़ार मुश्किल हो गया था.वो वक़्त काटने के लिए मलिका के जिस्म से खेलने लगा.उसकी शर्ट के बटन खोल वो उसकी चूचिया चूस रहा था & मलिका उसके पॅंट की ज़िप खोल उसके लंड को हिला रही थी कि तभी वॅन के शीशे पे दस्तक हुई.जब्बार ने अपना लंड अंदर किया & शीशा उतारा,कल्लन था.उसने दरवाज़ा खोला तो वो सीधी वॅन की छत पे चढ़ा अंदर पीछे की सीट पे बैठ गया.

"कुच्छ बात बनी?",जब्बार वॅन स्टार्ट कर शहर की ओर चलने लगा.

"हा,उसका कमरा भी मिल गया & उसे निकालने का रास्ता भी पर सब कल ही करना पड़ेगा."

"ठीक है."

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मेनका की नींद खुली तो देखा कि उसके ससुर उसकी छाती दबाते हुए उसके निपल्स को मसल रहे थे & उन्हे अपनी जीभ से छेड़ रहे थे.उसने अंगड़ाई लेते हुए उन्हे लिटा दिया & उठ कर उनके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.काफ़ी देर तक वो उनके लंड & अंदो को चूमती,चुस्ती रही & फिर उनके उपर चढ़ कर उनका लंड अपनी चूत मे ले लिया & उच्छल-2 कर अपने ससुर को चोदने लगी.

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष वो फोटो ले कर हर जगह छान-बीन कर रहा था."अरे साहब,ये आदमी तो कुच्छ दिन पहले तक मेरे से माल ले जाता था.पर इधर अचानक गायब हो गया है.मेरे को भी इसकी तलाश है."

"तुझे क्यू?तेरे ग्राहक कम हो गये हैं क्या?",मनीष शहर के 1 पहुँचे हुए ड्रग डीलर से बात कर रहा था.

"नही सर.उपरवाले के करम से धंधा मस्त चल रहा है.पर बात क्या है ना कि ये साला नशेड़ी लगता नही था.मुझे शुरू मे शक़ था,फिर लगा कि नया-2 शौक चढ़ा होगा पत्थे को.पर जब ये गायब हो गया तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि ये साला मुझसे माल खरीद कर आगे ज़्यादा दाम मे बेचता होगा...मा कसम!मिल जाए तो साले की ऐसी-तैसी कर दूँगा."

"ठीक है.कर देना ऐसी-तैसी.पर उस वक़्त ज़रा मेरा भी ख़याल रखना.मैं भी इस से मिलना चाहता हू.",उसने उसे 1000 का नोट पकड़ाया.

"ओके,सर.",सलाम ठोंक कर वो डीलर चलता बना.

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बॅंगलुर के उस बदनाम इलाक़े की उस तंग गली मे जब्बार & कल्लन चले जा रहे थे.यहा दिन के 12 बजे भी सूरज की रोशनी बड़ी मुश्किल से आ रही थी.दोनो 1 बड़े ख़स्ता हाल कमरे के आगे रुके.उस के दरवाज़े पे 1 काफ़ी पुराना ज़ंग लगा टला लगा था.कल्लन ने 1 झटके मे उस ताले को तोड़ दिया.अंदर चारो तरफ धूल & गंदगी थी.लगता था मानो इस कमरे मे बरसो से कोई इंसान नही आया था.कमरे मे1 अजीब सी बदबू फैली थी & परिंदो ने यहा अपने घोंसले बना लिए थे.

"ये जगह ठीक लगती है.काम होने के बाद हम जब तक यहा से निकलेंगे तब तक के लिए हुमारा राज़ यहा महफूज़ रहेगा."

"हा,आज रात ही काम ख़तम कर कल सवेरे यहा से निकल चलेंगे.",कल्लन ने बाहर आकर कमरे पे 1 नया ताला लगा दिया.गली से निकल कर मैं रोड तक आते हुए उनपर किसी ने कोई खास ध्यान नही दिया.ऐसे लोग यहा हुमेशा ही घूमते नज़र आते थे.

"आज रात.बस आज रात राजा की बर्बादी का आगाज़ हो जाएगा.",जब्बार ने कार मे बैठते हुए अपने आप से कहा.वाहा से निकल दोनो अपने-2 होटेल्स पहुँचे & चेकाउट कर दिया.मलिका भी अपने होटेल से निकल चुकी थी.बेस्कॉम की वो वॅन कवर लगा कर 1 होटेल की बेसमेंट पार्किंग मे खड़ी कर दी गयी थी.तीनो शहर मे अलग-2 घूम कर अपना वक़्त काटने लगे & रात का इंतेज़ार करने लगे.

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हर रात की तरह इस रात भी मेनका & राजा साहब उनके बिस्तर मे 1 दूसरे की बाहों मे नंगे पड़े 1 दूसरे के होंठ चूम रहे थे.राजा साहब के हाथ मेनका की गंद & चूची मसल रहे थे & मेनका उनका लंड हिला रही थी.राजा साहब उसके होठ छ्चोड़ नीचे आए & उसकी 1 चूची को मुँह मे भर लिया & चूसने लगे.

मेनका बहुत गरम हो चुकी थाई.उसने अपने ससुर को अपनी चूची से अलग किया & लिटा दिया & उनकी बगल मे घुटनो पे आके उनका लंड अपने मुँह मे ले लिया.राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसकी गंद पकड़ी & खींच कर उसे अपने उपर ले लिया.अब दोनो 69 पोज़िशन मे थे.मेनका झुक कर अपने ससुर का लंड अपने हाथों मे भर अपने मुँह मे ले रही थी & वो नीचे से अपने हाथों से उसकी कमर पकड़ उसकी चूत को अपनी जीभ पे लगा रहे थे.

उसके ससुर की लपलपाति जीभ ने मेनका की चूत को पानी छ्चोड़ने के लिए विवश कर दिया & वो कमर हिलाती हुई अपने ससुर के लंड को और ज़ोर से पकड़ कर चूसने लगी.वो उनके सूपदे से चूमती हुई नीचे लंड की जड़ तक आती & फिर उनके अंदो को 1-1 कर के अपने मुँह मे भर लेती.फिर जड़ से चूमती हुई वापस उपर सूपदे तक आती & फिर उसे अपने मुँह मे ले चूसने लगती.राजा साहब की जीभ तो लगातार उसकी चूत के दाने कोछेड़ रही थी.बहुत देर तक दोनो ऐसे ही लगे रहे.

फिर राजा साहब उठे & मेनका को घुमा कर अपनी गोद मे बिठा कर उसकी चूत मे नीचे से लंड डाल दिया.अब मेनका अपने ससुर की गोद मे बैठी उनके लंड पे धीरे-2 हिल रही थी,उसकी बाहें उनकी गर्दन मे लिपटी थी & हाथ उनके बालों मे थे,टांगे उसने उनकी कमर पे लपेट रखी थी.राजा साहब भी नीचे से अपनी कमर हिला रहे थे,मेनका को बाहों मे भर वो उसकी पीठ & गंद सहला रहे थे.दोनो के होंठ 1 दूसरे से जुड़े हुए थे.

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कल्लन कल रात की तरह ही सेंटर के अंदर घुसा & सीधा दूसरी मंज़िल पे पहुँच गया.यहा ड्यूटी रूम मे 1 डॉक्टर पड़ा उंघ रहा था.कल्लन विश्वा के कमरे मे पहुँचा,वो गहरी नींद मे था.कल्लन ने अपनी जेब से 1 शीशी निकाल कर उसमे से 1 लिक्विड निकाल अपने रुमाल को भिगोया & फिर वो रुमाल कस के विश्वा की नाक पे दबा दिया.विश्वा थोडा च्चटपटाया पर थोड़ी ही देर मे बेहोश हो गया.विश्वा के रूम मे उसका लॅपटॉप भी पड़ा था.उसकी हालत मे सुधार देखते हुए & उसका मन लगाए रखने के लिए डॉक्टर.पुरन्दारे ने उसे ये रखने की इजाज़त दी थी पर बिना नेट कनेक्षन के.कल्लन ने लॅपटॉप ऑन कर कुच्छ टाइप किया & फिर उसे वैसे ही ओं छ्चोड़ विश्वा के पास गया & उसे अपने कंधे पे उठाया & नीचे की तरफ बढ़ गया.

जब वो नीचे पहली मंज़िल पे पहुँचा तो किसी के आने की आहट सुनाई दी तो वो जल्दी से बगल के 1 कमरे मे घुस गया.वाहा 1 मरीज़ सोया पड़ा था.कल्लन ने दरवाज़े की ओट से देखा,इस फ्लोर का डॉक्टर राउंड लेता हुआ हर कमरे मे देख रहा था & उसी के कमरे की ओर आ रहा था.कल्लन दरवाज़े के पीछे हो गया.अगर डॉक्टर.अंदर आया तो उसके हाथों बेहोश ज़रूर होगा.

तभी दरवाज़ा खुला.विश्वा को अपने दाए कंधे पे उठाए अपना बाया हाथ उसने उपर उठा लिया.अगर डॉक्टर. अंदर आया तो बस गर्दन के पीछे 1 वार पड़ेगा & वो बेहोश हो जाएगा.डॉक्टर.ने दरवाज़ा खोल बाहर से ही झाँका & अंदर सोते हुए मरीज़ को देख दरवाज़ा खींच कर वापस चला गया.कल्लन ने राहत की सांस ली & थोड़ी देर उसी कमरे मे खड़ा रहा.फिर उसने बाहर झाँका,ड्र.अपने ड्यूटी रूम मे चला गया था.

कल्लन नीचे आया & बेसमेंट मे पहुँचा.वाहा 1 कार कवर पड़ा था.उसने विश्वा को उसी कवर मे लपेटा & वही छ्चोड़ दिया.फिर उसने जेनरेटर के कनेक्षन्स निकाल दिए.तभी जब्बार बेस्कॉम की वॅन ले मैन गेट पे पहुँचा,"गार्ड भाई,उधर के कॉलेज हॉस्टिल से कंप्लेंट आई है.वाहा कि बिजली ठीक करने के लिए थोड़ी देर के लिए पूरे फेज़ की लाइट बंद करेंगे.परेशान हो फोन पे कंप्लेंट मत करना,बस 25-30 मिनट का काम है."

"ठीक है,भाई.वैसे भी यहा जेनरेटर है.कोई परेशानी नही होगी.",सेंटर के पास ही 1 इंजिनियरिंग कॉलेज कम हॉस्टिल था & इसके अलावा 2-3 बिल्डिंग्स अंडर कन्स्ट्रक्षन थी.जब्बार वॅन ले आगे बढ़ा & जंक्षन बॉक्स खोल उसने सेंटर की बत्ती काट दी & वन वापस ले कॉलेज की ओर जाने लगा.

जैसे ही वन सेंटर के पास पहुँची वो गार्ड हाथ हिलाता नज़र आया.

"क्या हुआ?"

"अरे भाई,हुमारा जेनरेटर नही चल रहा?"

"अरे,अभी लाइट आ जाएगी.जेनरेटर का क्या करना है."

"देख लो भाई,मरीज़ो को तकलीफ़ हो जाएगी.",गार्ड ने बोला.

"अच्छा भाई.पहले तुम्हारा ही काम करते हैं.गेट खोलो."

वॅन अंदर लगा कर जब्बार उतरा,"कहा है जेनरेटर?"

"वाहा नीचे.",गार्ड नीचे जाने लगा.

"तुम रहने दो.मैं देखता हू.",जब्बार बेसमेंट मे चला गया.

"वॅन खुली है.इसे चुपके से उसमे पहुँचाओ & तुम भी उसमे छिप जाओ."

"ओके.",कल्लन धीरे-2 बाहर पहुँचा,गार्ड गेट के पास घूम रहा था.उस से छिपते हुए कल्लन ने विश्वा को अंदर डाला & खुद भी लेट गया.थोड़ी देर बाद जब्बार जेनरेटर स्टार्ट कर बाहर निकला & वन स्टार्ट कर दी,"हो गया भाई तेरा काम."

"शुक्रिया भाई.",गार्ड ने गेट खोला.इस पूरे दौरान जब्बार ने टोपी पहने हुई थी & अंधेरे की वजह से गार्ड ठीक दे उसका चेहरा नही देख पाया. जब्बार ने वॅन कॉलेज की तरफ घुमाई & फिर पीछे आके दीवार के पास गिरी सीढ़ी उठाई & फिर घुमा कर जंक्षन बॉक्स के पास गया & सेंटर की बिजली कनेक्ट कर दी.

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मेनका अभी भी अपने ससुर की गोद मे उनका लंड अपनी चूत मे लिए बैठी उन्हे चूम रही थी.राजा साहब थोड़ी ही देर पहले झाडे थे पर दोनो का दिल अभी भी नही भरा था.राजा साहब झुक कर उसकी चूचियाँ चूसने लगे तो मेनका मस्त हो कर नीचे से कमर हिलाने लगी.राजा साहब ने उसकी गंद मसालते हुए 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका चिहुनक के और ज़ोर से उनके लंड पे उच्छलने लगी.राजा साहब का सोया लंड 1 बार फिर से उनकी बहू की चूत के अंदर फिर से खड़ा हो गया था.वो भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगे.उन्होने अपने हाथों मे उसकी गंद की फांके भर 1 उंगली उसमे घुसाए हुए उठ कर अपने घुटनो पे बैठ गये & लगे उसे चोदने.मेनका मस्त हो गयी & उनसे लिपट कर चुदाई का मज़ा लेने लगी.राजा साहब झुक कर बारी-2 से उसकी चूचिया & कड़े निपल्स को चूस रहे थे.कमरे मे गीली चूत मे अंदर-बाहर होते लंड की फॅक-फॅक,राजा साहब की भारी साँसे & मेनका की आँहे गूँज रही थी.

मेनका के बदन मे बिजली दौड़ गयी & उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.राजा साहब की बहू उनसे कस के लिपट गयी,वो समझ गयी को वो झाड़ रही है,उन्होने ने भी 2-3 ज़ोरदार धक्के लगाए & उसकी चूत मे पानी छ्चोड़ दिया.

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विश्वा होश मे आया तो उसने अपने को 1 बाद गंदे कमरे मे कुर्सी पे बँधा पाया.सामने जब्बार,कल्लन & मलिका खड़े थे."तू..?",वो अपने बंधन खोलने की कोशिश करने लगा.

"आराम से कुंवर..",जब्बार ने अपने दोनो साथियो को इशारा किया,"..कुंवर साहब की खातिर शुरू करो.

कल्लन & मालिका ने उसके बँधे हाथो की नसो मे इंजेक्षन्स लगाने शुरू कर दिए.

"नही..नही..मुझे छ्चोड़ दे कामीने..!",विस्वा चिल्लाने लगा तो जब्बार ने उसके मुँह मे कपड़ा ठूंस दिया."लगाते रहो इम्जेक्षन..तब तक जब तक कुंवर साहब भगवान के पास ना पहुँच जाए.."

विश्वा की आँखे ख़ौफ्फ से फैल गयी और कल्लन & मलिका उसे इंजेक्षन लगाते रहे.

थोड़ी ही देर बाद विश्वा बेसूध हो गया.तीनो ने दस्ताने पहने हुए थे & मलिका यूज़ की हुई सरिंजस उठा कर 1 पॅकेट मे रख रही थी.कल्लन विश्वा की नब्ज़ देख रहा था,"..काम हो गया."

"यस!",जब्बार खुशी से चिल्लाया.खोलो इसकी रस्सियाँ & चलो बाहर."

उन्होने विश्वा की लाश गली के 1 नाले के पास गिरा दी & उस कमरे को वैसे ही खुला छ्चोड़ कर अलग-2 रस्तो से बॅंगलुर छ्चोड़ने की तैय्यारि करने लगे.

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सुबह के 4 बज रहे था & राजा साहब अपने पलंग पे लेते थे.उनकी बाई बाँह मेनका की गर्दन के नीचे थी & वो करवट ले उनसे सात उनके होठों को चूम रही थी.उसने अपनी बाई जाँघ अपने ससुर के जिस्म पे इस तरह चढ़ा रखी थी की उनका लंड उसके नीचे दबा था.वो अपने बाए हाथ से उनके सीने के बाल सहला रही थी & राजा साहब अपने दाए हाथ से उसकी बाई जाँघ को.

तभी राजा साहब का मोबाइल बजा,"हेलो...क्या?!!!.."वो चौंक कर उठ बैठे & थोड़ी देर तक फोन सुनते रहे.

"क्या हुआ?",मेनका उठ कर उनके कंधे पे हाथ फेरने लगी.

"विश्वा सेंटर से भाग गया है.बस अपने लॅपटॉप पे मेसेज लिख छ्चोड़ा है कि ड्रग्स की तलब अब उस से बर्दाश्त नही हो रही."

"क्या?",मेनका के माथे पे चिंता की रेखाएँ खींच गयी.

क्रमशः.............................
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07-30-2018, 05:41 PM,
#26
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--10

गतान्क से आगे.....................

आइए अब समय मे थोड़ा आगे चलते हैं-बस 2 दिन आगे.

महल मे मातम छाया हुआ था.राजा साहब अभी-2 अपने हाथों से अपने दूसरे बेटे की भी चिता को आग दे कर लौटे थे.उस सुबह डॉक्टर.पुरन्दारे के फोन के करीब 3 घंटे बाद बॅंगलुर पोलीस ने विश्वा की लाश को उस बदनाम मोहल्ले की गली से बरामद कर लिया था.राजा साहब तो बस बॅंगलुर के लिए निकलने ही वाले थे जब उन्हे ये मनहूस खबर मिली.

पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट मे मौत की वजह ड्रग ओवरडोस बताई गयी थी पर डॉक्टर.पुरन्दारे का कहना था कि विश्वा अपनी लत को काफ़ी हद तक छ्चोड़ चुका था & उन्हे बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था कि वो सेंटर से भाग गया था वो भी ड्रग्स के लिए.राजा साहब के लिए इन बतो का कोई मायने नही रह गया था,उनका दूसरा बेटा भी मौत के मुँह मे जा चुका था & अब वो अकेले थे,उनका वंश उनके बाद ख़तम हो जाने वाला था.

विश्वा की मौत ने उन्हे तोड़ दिया था & वो अपनी स्टडी मे बैठे अपनी किस्मत पे रो रहे थे.और मेनका.....

...मेनका को विश्वजीत की मौत का अफ़सोस था पर दुख...दुख नही था..और होता भी कैसे,उसने उसे कभी 1 पत्नी का दर्जा दिया ही नही था..उसके लिए तो बस वो उसकी जिस्म की भूख मिटाने की चीज़ थी बस.मेनका को उसकी मौत पे जितना अफ़सोस था उस से कही ज़्यादा अपने ससुर की चिंता थी.इस हादसे के बाद वो बिल्कुल निराश & हताश हो गये थे.वो शख्स जो अभी तक ज़िंदगी की सभी मुश्किलो का सामना 1 चट्टान की तरह करता आया था,आज उस सूखे पत्ते की तरह था जिसे वक़्त की हवाएँ जब चाहे,जहा चाहे उड़ा सकती थी.

मेनका उन्हे संभालना चाहती थी पर इस समय महल मे रिश्तेदारो की भीड़ थी,उसके मा-बाप भी वही थे.इन सब के होते उसे राजा साहब से बात करने का मौका ही नही मिल रहा था.और मौका मिलता भी तो क्या होता..वो अभी उनसे खुल कर बात भी तो नही कर पाती तो बस मेनका बस सही मौके का इंतेज़ार करने लगी.उसने ठान लिया था कि वो अपने ससुर & उनके द्वारा खड़े किए गये बिज़्नेस को बर्बाद नही होने देगी.

उधर जब्बार जश्न मना रहा था,"ये लो मेरी जान,पियो.",उसने मलिका की कमर मे हाथ डाल बियर की बॉटल उसके होठ से लगा दी.

"ये बताओ की मेरे अकाउंट मे मेरे पैसे जमा कराए की नही?",मलिका ने 1घूँट भरा.

"हा,मेरी जान.कल बॅंक जाकर चेक कर लेना.",जब्बार ने उसकी कमर से हाथ उपर लाते हुए उसके टॉप मे घुसा कर 1 चूची को दबोच लिया.मलिका ने उसके होठ चूम लिए,"एयेए...अहह..पूरे पैसे डाले है ना?या पिच्छली बार की तरह आधे ही डाले हैं?"

"तू बस कल बॅंक जाकर देख लेना.",जब्बार ने उसका टॉप उतार फेंका & उसकी चूचियो को चूसने लगा.थोड़ी देर तक मलिका खड़ी उस से अपनी छातिया चुस्वती रही फिर उसे धकेल कर परे कर दिया & ज़मीन पे सोफे से पीठ लगा कर बैठ गयी & बियर की बॉटल मुँह से लगा ली.जब्बार को तो बस उसे चोदने का भूत सॉवॅर था.उसने अपने कपड़े उतार दिए & मलिका के पास जाकर उसके हाथो से बॉटल छ्चीन अपना लंड उसके मुँह मे डाल दिया,"इसे पी,बियर से ज़्यादा नशा है इसमे."

ये बात सच थी,मालिका के लिए तो 1 मर्द का कड़ा & बड़ा लंड दुनिया की सबसे ज़्यादा नशीली चीज़ थी.वो लंड अपने मुँह मे ले चूसने लगी पर उसकी चूत को कल्लन के लंड का चस्का लग गया था & कल्लन उनके साथ राजपुरा आया नही था.

"तेरा वो पालतू कहा है,ज़ालिम?",उसने जब्बार के आंडो को हाथ से दबाया & जीभ उसके लंड की छेद पे लगा दी.

"उसे कुच्छ दीनो के लिए अंडरग्राउंड रहने को कहा है.जब ये विश्वा की मौत की खबर थोड़ी बसी हो जाए फिर वो बाहर आएगा.",उसने मलिका के सर को पकड़ लिया & अपनी कमर हिलाते हुए उसके मुँह को चोदने लगा.

"..अभी थोड़ी देर पहले जब तू नहा रही थी तब साले ने फोन किया था.उसे भी तेरी तरह अपने पैसों की चिंता लगी हुई थी.",जब्बार ने मलिका को वही ज़मीन पर लिटा दिया & उस पर चढ़ कर अपना लंड उसके अंदर घुसा दिया.

"आआनन्न...न्नह..",मलिका उस से चुदने लगी & वो जानती थी की उसकी चुदाई से वो झदेगी भी फिर भी जब्बार मे वो कल्लन वाली बात नही थी.करीब 1 घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद जब्बार ने उसे छ्चोड़ा & उठ कर बातरूम चला गया.उसके जाते ही मलिका ने उसका मोबाइल उठाया,उसमे कल्लन का नंबर देखा & अपने मोबाइल से डाइयल करने लगी,"कहा है ज़ालिम?मेरी प्यास तो बुझा जाता.",वो फुसफुसा.कल्लन ने उसे अपना ठिकाना बता दिया पर शायद उसे पता नही था कि वो कितनी बड़ी ग़लती कर रहा था.

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विश्वा की मौत को 1 महीने से उपर हो गया.मेनका की मा भी आज वापस चली गयी थी,उसके पिता तो काफ़ी पहले ही चले गये थे.मा उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर उसी ने बाद मे आने को कह के बात टाल दी.आज उसे मौका मिला था अपने ससुर से बात करने का.

रात नौकरो के जाते ही वो उनके कमरे मे पहुँच गयी.राजा साहब सर झुकाए बैठे थे.

"आप राजा यशवीर सिंग ही है ना?"

राजा साहब ने सर उठा कर उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखा.

"मैं जिस राजा यशवीर सिंग को जानती थी वो तो 1 हिम्मतवार & हौसले वाले इंसान थे.आप तो मुझे कोई और लग रहे हैं...1 ऐसा इंसान जिसकी शक्ल राजा साहब से मिलती है,बस."

"मेनका,हूमे प्लीज़ अकेला छ्चोड़ दो."

"क्यू?यहा अंधेरे मे हार मान कर आँसू बहाने के लिए?",मेनका उनके घुटनो पे हाथ रख उनके सामने बैठ गयी.,"मेरी तरफ देखो,यश.बॅंगलुर पोलीस को शक़ था कि विश्वा की मौत उतनी सिंपल नही जितनी दिखती है.सेंटर के डॉक्टर्स & बाकी लोगो से बात करने के बाद ये बात सॉफ थी कि विश्वा ठीक होने की पूरी कोशिश कर रहा था फिर आख़िर उस रात ऐसा क्या हुआ कि वो वाहा से भाग गया या फिर वो भगा नही उसे भगाया गया?"

"राजा साहब ने उसकी तरफ देखा,"देखो,मेनका हुमारा बेटा अब वापस नही आएगा.अब क्या फयडा है इन बातो का.",वो उठ कर खिड़की पे चले गये & बाहर देखने लगे.

"फयडा नही राजा यशवीर सिंग क़र्ज़ है आपके बेटे की मौत का.उसे हक़ है कि अगर उसकी मौत उसकी बुरी लत के बजाय किसी और कारण से हुई है,तो उस कारण का पता लगाया जाए & मौत के ज़िम्मेदार को सज़ा मिले.",उसने राजा साहब को अपनी तरफ घुमाया,"..ये देखिए",उसने उनका हाथ उठा कर उनके सामने किया जिसमे उसका दिया ब्रेस्लेट चमक रहा था."..राजकुल के सुर्य की चमक बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी आपकी है.राजकुल का खून बहाया गया है & जिसने भी ये काम किया है उसे इसकी कीमत आपको चुकानी पड़ेगी."

राजा साहब की नज़रे ब्रेस्लेट मे बने सुर्य पर टिकी हुई थी....किसी ने उनके बेटे की जान ली है & वो चुपचाप बैठे हैं?नही...आख़िर उन्हे हुआ क्या था जो वो इतने दीनो तक बैठे आँसू बहाते रहे?...आज मेनका ने उन्हे फिर से जगाया है.अब तो वो अपने बेटे की मौत की गुत्थी सुलझा कर रहेंगे.

उन्होने ने मेनका के हाथ अपने हाथों मे ले लिए,"हूमे होश मे लाने के लिए शुक्रिया...पता नही हूमे क्या हो गया था.थॅंकआइयू,मेनका.अगर तुम नही होती तो हुमारा क्या होता?"

"नही,यश.अगर तुम नही होते तो हुमारा क्या होता.तुमने इतनी मेहनत से कुल का मान & बिज़्नेस को बनाए रखा है.ये सब हम अपनी आँखो के सामने मिट्टी मे मिलते तो नही देख सकते थे ना."

राजा साहब ने मेनका की बात सुनकर उसे सीने से लगा लिया,फिर हाथों मे उसका चेहरा ले लिया,"इतने दीनो हम अपने गम मे खोए रहे,ये भी नही सोचा कि तुम पर क्या बीत रही होगी.",उनका ध्यान मेनका की सफेद सारी पे गया,"कल से ये मनहूस लिबास पहनने की कोई ज़रूरत नही है."

"यश,दुनिया की नज़रो मे मैं 1 विधवा हू & विश्वा को गुज़रे बस महीना भर ही हुआ है.लोग क्या कहेंगे?"

"ज़माना कहा से कहा पहुँच गया है & हुमलोग अभी तक लिबास के रंग मे अटके हैं.हम देखेंगे कौन क्या कहता है."

"समझने की कोशिश करो,यश.लोगो की हुमारे परिवार से कुच्छ उम्मीदें होती हैं,उनके लिए हूमे कुच्छ दिन तक ऐसे कपड़े पहन ने ही चाहिए."

"ठीक है तो विश्वा की मौत के 3 महीने पूरे होने के बाद तुम ये सफेद सारी नही पहनॉगी.",राजा साहब उसे साथ लेकर अपने बिस्तर पे बैठ गये.उन्होने उसके कंधे पे अपना हाथ रखा हुआ था.

"अच्छा बाबा!जैसा तुम कहो.",मेनका ने उन से सॅट के बैठते हुए उनका हाथ अपने हाथों मे दबा लिया.मेनका पिच्छले 1 महीने से नही चुदी थी.महल का माहौल विश्वा की मौत के कारण ऐसा हो गया था कि चुदाई का ख़याल उसके दिमाग़ से मीलो दूर था.पर इधर 2 दीनो से रात मे उसे राजा साहब के लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी.मेनका,जोकि हर रात कम से कम 3-4 बार चुद्ति थी,उसे पिच्छली दो रातों को अपने जिस्म को ठंडा करने के लिए अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ा था.

आज कई दीनो बाद उसका प्रेमी उसे अपने पुराने रंग मे आता दिख रहा था & उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बेकरार होने लगी थी.उसे शांत करने के लिए वो अपनी टांग पे टांग चढ़ा के बैठ गयी & चूत को अपनी जांघों मे भींच लिया.उसे पता नही चल रहा था कि राजा साहब चुदाई के मूड मे है या नही.उसने बात आगे बढ़ने की गरज से पूचछा,"तुम्हे तो याद भी नही होगा कि डॉक्टर.पुरनदरे & बॅंगलुर पोलीस के अफ़सर तुमसे मिलके गये थे?"

"याद है पर बस इतना ही की डॉक्टर.साहब माफी माँग रहे थे & पोलिसेवाले फॉरमॅलिटीस पूरी करने के लिए कह रहे थे.",उनका हाथ मेनका के कंधे से फिसल कर नीचे उसकी नंगी कमर पे आ गया था.

"डॉक्टर.साहब को यकीन है कि विश्वा खुद भागा नही था बल्कि कुच्छ और बात है.पोलिसेवालो का भी कहना है की पोस्ट मोर्टें रिपोर्ट तो ड्रग ओवरडोस का कारण बताती है पर ये कौन बताएगा कि ड्रग्स उसने खुद लिए थे या किसी ने ज़बरदस्ती इंजेक्ट किए थे.",बात तो गंभीर हो रही थी पर मेनका इतने दीनो बाद अपने ससुर के करीब आने पर गरम हुए जा रही थी.

"ह्म्म.मुझे बॅंगलुर जाना पड़ेगा.अब पानी सर से उपर गुज़र गया है.इसके पीछे जो भी है उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी."

"तुम पोलीस की मदद क्यू नही लेते?मैं नही चाहती तुम ख़तरे मे पाडो.",उसने प्यार से राजा साहब के चेहरे पे हाथ फेरा.

"नही,मेनका.पोलीस के पास गया तो दुश्मन सतर्क हो जाएगा.इस बार मैं उसे बच के नही जाने दूँगा.हो ना हो इसमे जब्बार का ही हाथ है."

"जो भी करना बहुत सावधानी से करना & ये ध्यान मे रखना कि तुम्हारे साथ मेरी जान भी जुड़ी है.",मेनका के जिस्म की आग की दाहक उसकी आँखों मे अब सॉफ नज़र आ रही थी.राजा साहब ने उसकी नशे से बोझिल आँखें देखी तो उनके दिल मे भी वोही आग भड़क उठी.उन्होने उसकी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींची & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए.मेनका तो इसी बात का इंतेज़ार कर रही थी.वो उनसे चिपक गयी & दोनो 1 दूसरे को पागलो की तरह चूमने लगे.राजा साहब उसके चेहरे को & गर्दन को अपनी किस्सस से सराबोर किए जा रहे थे.
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07-30-2018, 05:42 PM,
#27
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मेनका का आँचल सरक कर नीचे हो गया था & सफेद ब्लाउस के गले मे से झँकता उसका क्लीवेज भारी सांसो के साथ उपर-नीचे हो रहा था.राजा साहब ने अपने होठ उसके क्लीवेज पे लगा दिए तो मेनका पागल हो उठी & उनका सर अपने सीने पे दबा दिया.

राजा साहब ने थोड़ी देर तक उसके सीने को चूमने के बाद उसके ब्लाउस के सामने की तरफ बने बटन खोल दिए.सफेद ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया मस्त लग रही थी & उसके कड़े निपल्स ब्रा कप्स मे नुकीले उभार बना रहे थे.राजा साहब वैसे ही ब्रा मे बंद उसकी चूचिया चूमने-चाटने लगे.उनके हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे.घूमते हुए उनके हाथ उसकी ब्रा स्ट्रॅप के नीचे कुच्छ इस तरह घुसे की उसके हुक्स पटापट खुल गये.ब्रा के ढीले होते ही राजा साहब की जीभ उसकी पूरी छाती पे घूमने लगी & थोड़ी देर बाद ही उसका 1 निपल उनके मुँह के अंदर था.जैसे ही रहा साहब ने उसके निपल को चूसा महीने भर की प्यासी मेनका झाड़ गयी.

उसने उनका सर कस के पकड़ लिया & अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.राजा साहब के उसकी चूचिया चूसने मे उसका ब्रा & ब्लाउस अड़चन पैदा कर रहे थे.वो बेसबरे से होकर उसके सीने से अलग हुए & उन दोनो कपड़ो को उतार कर फेंक दिया & फिर से जुट गये उसके उरज़ोन को दबाने & चूसने मे.

मेनका अभी भी उनके कुर्ते के अंदर हाथ घुसा उनकी पीठ सहला रही थी की उसका 1 हाथ फिसल कर आगे उनके सीने पे आया & वाहा के बालों मे घुस गया.अब उसकी बारी थी.उसने अपने ससुर का कुर्ता उनके जिस्म से अलग किया & उन्हे धकेल कर बिस्तर पे लिटा दिया & उनके उपर झुक कर उनके बालों भरे सीने को चूमने लगी.उसने उनके 1 निपल को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया तो दूसरे को अपने नाख़ून से हल्के-2 छेड़ने लगी.

"आ...अहह..",राजा साहब की आह निकल गयी & उनके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया.मेनका छाती चूमते नीचे आई & उनकी नाभि मे अपनी जीभ डाल कर चाटने लगी.राजा साहब के लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था & वो जोश से पागल हुए जा रहे थे.मेनका ने डोरी खींच कर उनका पाजामा खोला तो उन्होने अपनी गंद उठा कर खुद ही उसे उतार दिया.

मेनका की आँखों के सामने उनका बड़ा लंड पूरा तना खड़ा था.कितने दीनो बाद ये प्यारा लंड उसके सामने था.इधर राजा साहब ने शेव नही किया था तो उनकी झाँते पूरी तरह से उस बड़े लंड को घेरे हुए थी.उसने उसे बड़े प्यार से अपने हाथों मे लिया & 1 उंगली के नाख़ून से धीरे-2 उनके लंड के सिरे से जड़ तक खुरचने लगी.राजा साहब की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.मेनका ने अपना मुँह लंड के सूपदे पे रखा & केवल सूपड़ा मुँह मे भर चूसने लगी.राजा साहब नीचे से गंद हिला कर पूरा लिंड उसके मुँह मे पेलने की कोशिश करने लगे पर मेनका ने अपनी मुट्ठी मे उसे मज़बूती से जाकड़ उन्हे ऐसा नही करने दिया.राजा साहब उसकी इस हरकत से पागल हो गये & उसके सर को अपने लंड पे दबाने लगे.

मेनका थोड़ी देर तक उन्हे ऐसे ही तड़पति रही & जब उन्हे लगा की वो ऐसे ही उन्हे झाड़वा देगी तो उन्हे चौंकाते हुए उसने उनका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया & चूसने लगी.राजा साहब ने नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.मेनका आज जी भर कर उनके लंड को चूसना चाहती थी.उसने हाथ रख कर राजा साहब को कमर हिलाना बंद करने का इशारा किया.उसने अपना मुँह लंड से अलग कर दिया & अपने ससुर की आँखों मे देखते हुए उनके अंदो को नाख़ून से छेड़ने लगी & लंड के आस-पास के बालो को चूमते हुए उन्हे जन्नत की सैर करने लगी.

उसके होठ घूमते हुए उनके अंदो पे कस गये.राजा साहब ने अपने हाथ उसके बालों मे घुसा दिया.मेनका ने लंड को हाथ मे भर ज़ोर-2 से हिलाना शुरू कर दिया.वो अपने होठ अंदो से हटा उनके लंड पे लाई,राजा साहब को लगा की वो उनका लंड मुँह मे लेने वाली है तो उन्होने ने अपनी कमर उचकाई पर मेनका ने उनको तड़पते हुए मुँह हटा लिया.अब वो मुँह नीचे लाती & लंड के सिरे के पास ला जैसे ही राजा साहब घुसाने को होते तो मुँह वापस खींच लेती.राजा साहब तो तड़प से पागल हो गये.उन्होने उसका सर पकड़ अपने लंड पे लगा दिया & इस बार अपना लंड 1 बार फिर उसके मुँह मे पूरा घुसा दिया.

मेनका ने उनका लंड अपनी मुट्ठी मे भर लिया & हिलाते हुए लगी चूसने.राजा साहब के लिए बात अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी थी.उन्होने उसके सर को पकड़ नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे अपना वीर्या गिरा दिया.मेनका उनका वीर्या पीने लगी जिसकी 1 बूँद उसके होंठो के कोने से निकल कर उसकी ठुड्डी पे आ गयी.पूरा लंड चाट कर सॉफ करने के बाद वो उठी & अपनी ठुड्डी पे गिर आई उस बूँद को 1 उंगली से पोंच्छा & उस उंगली को मुँह मे ले चूसने लगी.

उसकी ये कातिल हरकत देख राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर ले लिया & उसे चूमने लगे & अपने वीर्या का स्वाद चखने लगे.आज मेनका उन्हे तड़पने के मूड मे थी.जैसे ही राजा साहब ने उसके बदन पे अपनी बहो की गिरफ़्त मज़बूत की वो हँसती हुई अलग हो गयी.उन्होने हाथ बढ़ाया तो वो छितक कर अलग हो बेड से उतर गयी.

राजा साहब उठे & उसकी सारी का पल्लू पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया.,"छ्चोड़ो ना...मुझे नींद आ रही है.",मेनका उन्हे तड़पाने के इरादे से बोली.

"झूठ मत बोलो,चलो आ जाओ.",वो उसे फिर से बिस्तर पे ले जाने लगे.

"उउन्न्न...नही...",मेनका फिर मच्लि तो राजा साहब ने 1 हाथ से उसकी कमर को जकड़ा & दूसरे से उसकी सारी खींच दी.

"ऊन्न्न्ह्ह..बदमाश कहीं के!",मेनका ने उनके सीने पे बनावटी गुस्से मे मुक्के मारे.अगले ही पल उसका पेटिकोट भी ज़मीन पे था & थोड़ी दे बाद वो केवल 1 पॅंटी मे अपने नंगे ससुर की बाहों मे उनके बिस्तर मे पड़ी उन्हे चूम रही थी.चूमते हुए राजा साहब ने उसकी पीठ पे हाथ फेरते हुए उसकी पॅंटी मे हाथ डाल उसकी गंद को दबाने लगे.

थोड़ी देर गंद दबाने के बाद उन्होने ने उसकी पॅंटी को घुटनो तक सरका दिया & फिर अपनी टांग उठा कर उसकी पॅंटी मे फँसा उसे पूरी तरह से अपनी बहू के जिस्म से अलग कर दिया.अब वो उसकी चूचियाँ चूस रहे थे & हाथ पीछे से उसकी गंद दबाने के बाद उसकी चूत मे घुस उसके दाने को रगड़ रहा था.मेनका जोश मे कमर हिलाने लगी.विश्वा की मौत के पहले उसकी गोरी चूचियाँ उसके ससुर की लव बाइट्स से भरी हुई थी,पर इधर 1 महीने मे वो वापस बेदाग हो गयी थी.राजा साहब आज इस ग़लती को सुधारने मे लगे हुए थे & उसके सीने पे अपने होठों के निशान पे निशान छ्चोड़े जा रहे थे.उनकी उंगली की रागड़ाई ने मेनका को फिर से झाड़वा दिया.

राजा साहब ने उसे लिटाया & उसकी चूचिया चूमते हुए नीचे उसके पेट पे आ गये,थोड़ी देर तक उनका मुँह उसके पेट & नाभि पे घूमता रहा & फिर वो उसकी जाँघो के बीच आ गये & उसकी टाँगे अपने कंधों पे चढ़ा ली.वो झुक कर उसकी चूत के आस-पास चूमने लगे.मेनका ने अपनी उंगलियो मे उनके बाल पकड़ लिए & बेचैनी से मचलने लगी.चूमते हुए जैसे ही राजा साहब के होंठो ने उसकी चूत को च्छुआ उसकी कम्र हिलने लगी.राजा साहब की जीभ ने उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया & उनके हाथ उसकी चूचियो & उनके निपल्स से खेलने लगे.मेनका अपने ससुर के सर को अपनी भारी जाँघो मे दबा कर उनका मुँह अपनी चूत पे भींचने लगी.."ऊओ...ऊऊहह...या...ष्ह..!"

राज साहब ने चाट-2 कर उसकी चूत का सारा रस पी लिया.बीच-2 मे वो अपने होठ उसकी चूत से हटा उसकी आंद्रूणई जाँघो को चूमने-चूसने लगते & कही भी अपने होंठो के निशान छ्चोड़ देते.उनके हाथ उसकी बाहरी जाँघो को मज़बूती से थामे दबाते,सहलाते & फिर वापस उसकी मस्त चूचियो पे लग जाते.मेनका अपने ससुर की जीभ की चुदाई से 3 बार झड़ी.अब राजा साहब का लंड फिर से तैय्यर था.

वो उठे & घुटनो के बल अपनी बहू की जाँघो के बीच बैठ गये.उन्होने अपना लंड उसकी चूत की दरार पे 1 बार फिराया तो मेनका ने धीरे से अपनी कमर उचका उसे अपने अंदर लेने की कोशिश की.राजा साहब ने अपना लंड उसकी चूत पे ररड़ना शुरू किया.मेनका बेचैन हो गयी,वो चाह रही थी की राजा साहब अब उसे अपने नीचे दबा कर उसे जम कर चोदे पर वो तो बस लंड उसकी चूत पे रगड़ कर उसे तडपा रहे थे.
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07-30-2018, 05:42 PM,
#28
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"

"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.

"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"

"क्या करू?बताओ तो."

"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.

"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.

"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.

"तो ये अंदर भी नही जाएगा."

"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."

"पहले इसका नाम बताओ."

"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.

"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."

मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."

मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."

कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"

राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"

कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.

राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"

"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."

जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.

क्रमशः.................................
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07-30-2018, 05:42 PM,
#29
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--10

गतान्क से आगे.....................

मेनका ने राजा साहब को लिटा दिया & उनके सीने पे अपनी बड़ी बड़ी चूचिया रख के लेट गयी,"बॅंगलुर कब जाओगे?"

"सोचते हैं कल ही निकल जाएँ.",राजा साहब उसकी चिकनी कमर सहला रहे थे.

"हूमे भी ले जाओगे ना?"

"नही,मेनका.तुम्हे तुम्हारे मायके छ्चोड़ देंगे."

"क्यू?",मेनका अपनी कोहनी पे अपना भर रख थोड़ा उठ गयी.राजा साहब को अपने सीने पे उसकी चूचियो का दबाव बड़ा भला लग रहा था,उसके उठते ही छातिया हटी तो उन्होने हाथ कमर से उपर सरका उसकी पीठ दबा के उसके उरोजो को वापस अपने सीने पे दबा दिया.

"अभी तुम्हारा बॅंगलुर जाना ठीक नही होगा.ये कोई बिज़्नेस डील नही है.तुम अपने माता-पिता के पास रहोगी तो हम निश्चिंत रहेंगे कि तुम सही-सलामत हो."

"और हम कैसे निश्चिंत रहेंगे तुम्हारे बारे मे?",मेनका ने अपनी 1 जाँघ उनके उपर चढ़ा दी.

"हुमारी फ़िक्र मत करो.हम काम ख़त्म कर जल्दी वापस लौट आएँगे.",उन्होने उसकी जाँघ को खींच अब उसे अपने उपर पूरी तरह से ले लिया.अब मेनका की चूत उनके लंड पे लगी हुई थी.

"तो ठीक है.कल हूमे हुमारे मयके छ्चोड़ तुम बॅंगलुर चले जाना पर वादा करो कि जैसे ही वाहा से वापस आओगे सीधा हूमे लेने आओगे."

"वादा तो कर दे पर तुम्हारे माता-पिता को अजीब नही लगेगा & फिर वो ये भी तो चाहेंगे कि तुम उनके साथ कुच्छ और दिन रह लो.",राजा साहब ने उसकी गंद की फांको को फैलाते हुए नीचे से 1 धक्का मारा तो लंड 3 इंच तक उसकी चूत मे घुस गया.

"..एयेए..यईईए...!..तुम उस..की चिंता मत का...रो..ऊऊ..ऊओह...मैं वो संभाल लूँगी.तुम एयेए..आहह...बस वा..अदा करो..",मेनका ने उठ कर अपनी कमर हिलाई & पूरा लंड अपने अंदर ले लिया.

"वादा करते हैं,मेरी रानी!",राजा साहब उठ बैठे & उसे अपनी बाहों मे कस उसकी चुचियाँ अपने मुँह मे भर ली.मेनका भी मस्त हो उनसे लिपट कर कमर हिला-2 कर उन्हे चोदने लगी.

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अगली सुबह दोनो मेनका के मयके रवाना हो गये.राजा साहब ने उसे वाहा छ्चोड़ा & वाहा से कार से शहर आकर बॅंगलुर की फ्लाइट पकड़ ली.शाम 7 बजे वो बॅंगलुर मे थे.पहुँचते ही उन्होने डॉक्टर.पुरन्दारे से अगले दिन का अपायंटमेंट ले लिया.

अगले दिन सुबह 10 बजे राजा साहब डॉक्टर.पुरन्दारे के कॅबिन मे उनके सामने बैठे थे.

"राजा साहब,जो भी हुआ उसके लिए मैं आपसे माफी चाहता हू."

"डॉक्टर.साहब आप हूमे शर्मिंदा कर रहे हैं.जो भी हुआ उसमे आपकी कोई ग़लती नही थी.प्लीज़ अब आप खुद को दोष देना छ्चोड़ दीजिए."

"पर राजा साहब विश्वजीत मेरा पेशेंट था.मेरी ज़िम्मेदारी था..मुझे तो समझ नही आता ये सब आख़िर हुआ कैसे."

"डॉक्टर.साहब आपका मान ना है कि विश्वा काफ़ी हद तक ठीक हो गया था,इसीलिए वो यहा से ड्रग्स लेने के लिए भागने जैसी हरकत नही कर सकता.राइट?"

"राइट.मैने अपनी पूरी ज़िंदगी लोगो को ये लत च्छुड़वते बिता दी & मैं दावे के साथ कह सकता हू कि विश्वा ऐसा काम नही कर सकता था."

"तो फिर वो किसी और कारण से यहा से निकला होगा....ऐसा कौन सा कारण हो सकता है..?"

"यकीन मानिए,राजा साहब यही सवाल मुझे भी परेशान कर रहा है और 1 दिन भी ऐसा नही गुज़रा होगा जब मैने इसका जवाब तलाशने की कोशिश ना की हो."

"डॉक्टर.साहब,मुझे भी इस सवाल का जवाब मिलता नज़र नही आता.अच्छा उस रात यहा कौन-2 था?"

"जी,मरीज़ो के अलावा नाइट ड्यूटी के 2 डॉक्टर्स & गेट पे गार्ड."

"आपकी इजाज़त हो तो मैं उनसे बात कर सकता हू?"

"ज़रूर राजा साहब.आप इस सेंटर मे जिस से चाहे, जो चाहे पुच्छ सकते हैं & जब जी चाहे आ-जा सकता हैं."

"थॅंक योउ वेरी मच,डॉक्टर.तो प्लीज़ मुझे उन डॉक्टर्स & गार्ड से मिलवा दीजिए."

"अभी लीजिए.",कह के डॉक्टर.पुरन्दारे ने इंटरकम का रिसीवर अपने कान से लगा लिया.

डॉक्टर्स से राजा साहब को कुच्छ खास बात नही पता चली.इस वक़्त वो सेंटर के लॉन मे 1 चेर पे बैठे थे & उनके सामने उस रात की ड्यूटी वाला गार्ड खड़ा था,"हुज़ूर,हुमने सचमुच विश्वजीत साहब को बाहर जाते हुए नही देखा था & ना ही हम गेट से हीले थे या सोए थे."

"देखो,हम तुम पे कोई इल्ज़ाम लगाने नही आए हैं,हम तो बस ये जानना चाहते हैं कि उस रात क्या हुआ था."

गार्ड ने उन्हे वही सब बातें बताई जो डॉक्टर.पुरन्दारे,उनका स्टाफ & पोलिसेवाले कह रहे थे.

"..तो उस रात कुच्छ भी ऐसा नही घटा था जिस से की किसी अनहोनी की आशंका होती."

"जी नही,साहब.बस थोड़ी देर के लिए बिजली गयी थी जिसे बेस्कॉम वाले ठीक कर गये थे."

"क्या?बिजली गयी थी!पूरी बात बताओ."

गार्ड ने उन्हे पूरा किस्सा सुना दिया.

"तुमने ये बात पोलीस को बताई थी.?"

"जी,साहब."

"ह्म्म.अच्छा,जेनरेटर ठीक करने जो आदमी बेसमेंट मे गया था,क्या तुम भी उस के साथ गये थे?"

"नही,साहब.उसने हूमे माना कर दिया.कहने लगा कि हम परेशान ना हो,वो काम कर देगा बस छ्होटी सी गड़बड़ है.साहब,हुमने उस वक़्त भी गेट नही छ्चोड़ा था.और बिजली ठीक करने भी वॅन के साथ बस 1 आदमी आया था & 10 मिनिट मे चला भी गया था..और जाते वक़्त वो अकेला ही था."
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07-30-2018, 05:43 PM,
#30
RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
"तुमने उसकी शक्ल देखी थी?"

"कुच्छ ठीक से याद नही साहब.बहुत अंधेरा था....नाटा,काला सा आदमी था."

राजा साहब पूरी तैय्यरी के साथ आए थे,"क्या ये था?",अपना ब्रीफकेस खोल जब्बार की तस्वीर निकाल गार्ड के सामने कर उन्होने पूचछा.

"पक्का नही कह सकते,साहब...पर हां इसी तरह का था."

राजा साहब के लिए इतना काफ़ी था.थोड़ी देर बाद वो पोलीस स्टेशन मे विश्वा के केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर के सामने बैठे थे,"...उस रात शायद बिजली भी गयी थी उस इलाक़े की?"

"जी.ऐसा बहुत कामन है उस एरिया मे.नया बसा है ना.होते रहते हैं पवर कट्स & वैसे भी उस रात बिजली ठीक करने वाला आदमी बेस्कॉम की यूनिफॉर्म & वन के साथ था.मैने सारे रेकॉर्ड्स चेक किए थे बेस्कॉम की कोई भी वॅन गायब या चोरी की रिपोर्ट नही थी.सो,मुझे लगता है कि वो आंगल नही है.मुझे पक्का यकीन है गार्ड सो रहा था & आपका बेटा निकल गया & उसकी बदक़िस्मती की ग़लत लोगो के हत्थे चढ़ गया."

"ह्म्म.एनीवे,थॅंक यू ऑफीसर.आपने जो भी किया है उसके लिए मैं ज़िंदगी भर आपका आभारी रहूँगा.",राजा साहब ने अपना हाथ ऑफीसर की ओर बढ़ाया.

"जस्ट डूयिंग माइ जॉब,राजा साहब.मेरा भरोसा करिए,मुजरिम को तो मैं पकड़ कर रहूँगा.",उसने राजा साहब से हाथ मिलाया.

राजा साहब उस से विदा ले एरपोर्ट चल पड़े,उनका काम हो गया था.गार्ड से बात करके उन्हे यकीन हो गया था कि जब्बार ही उनके बेटे का कातिल है.उन्होने जानबूझ कर ऑफीसर को जब्बार का फोटो या उस पे शक़ होने की बात नही बताई थी.अब वो जब्बार को अपने हाथो से सज़ा देने की ठान चुके थे.एरपोर्ट पहुँच कर उन्होने मेनका को फोन मिलाया,"हुमारा काम हो गया है.हम अगली फ्लाइट से आ रहे हैं."

"सीधा हूमे लेने आना."

"ठीक है,मेरी जान."

मेनका के माता-पिता चाहते तो नही थे कि उनकी बेटी इतनी जल्दी वापस जाए पर मेनका ने ऑफीस मे ज़रूरी काम का बहाना बना दिया था.उसके माता-पिता को भी लगा कि उनकी विधवा बेटी का मन काम के बहाने ही सही बहल तो रहा है,सो उन्होने ने भी उसे रोकने के लिए ज़्यादा ज़िद नही की.अब मेनका अपने मायके मे बेसब्री से राजा साहब का इंतेज़ार कर रही थी.

क्रमशः...............................
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