antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
12-05-2018, 02:38 AM,
#81
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]दोनों बहने मस्त होकर बेड पर लेटी हुई थी, उनके चेहरे पर इस समय पूर्ण संतुष्टि के भाव झलक रहे थे, पर साथ ही साथ एक अजीब सा कोतुहल भी था, 

प्रीती –“वाह दीदी, आप तो सच में बहुत ही मस्त लडकी हो, कितनी प्यारी और नमकीन चुत है आपकी, मुझे तो ऐसा मजा पहले कभी नही आया सच्ची” प्रीती चहकती हुई बोली

आराधना –“हाँ मेरी छुटकी, तू भी बड़ी मस्त है रे, मैं नही जानती थी कि मेरी छोटी सी प्यारी बहन अब इतनी बड़ी हो चुकी है, सच में बड़ा मजा आया मुझे” आराधना अपनी सांसो को अभी भी सम्भालने की कोशिश कर रही थी 

प्रीती –“दीदी, पर आप पहले तो बिलकुल ही दबी दबी सी मेरा मतलब अलग अलग कटी सी रहती थी, दिल्ली जाते ही इतना बड़ा चेंज कैसे आ गया आप में” प्रीती ने पूछा 

आराधना –“ दिल्ली शहर ही ऐसा है मेरी जान, सब कुछ सिखा देता है” आराधना ने कहा, वो प्रीती को ये नही बताना चाहती थी कि ये सब उनके पापा का किया धरा है जिन्होंने कुछ ही दिनों में उस जैसी सीधी साधी लडकी को अपने मोटे लंड का गुलाम बना लिया है

प्रीती –“दीदी, वैसे अब हम एक दुसरे से इतना खुल चुके है, तो मैं....क्या.....अम्म्म्मम्म......” प्रीती थोडा हिचकिचा रही थी ये सवाल पूछने के लिए 

आराधना –“अरे बोल ना छुटकी, अब कैसा शर्माना, अब तो हम एक दुसरे की पक्की सहेलियाँ भी बन गयी है” आराधना ने प्रीती के गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा 

प्रीती –“वो तो है दीदी, पर अभी भी मुझे थोडा डर लग रहा है कि कहीं आप मेरे सवाल से नाराज़ तो नही हो जाओगी”

आराधना –“अरे नही मेरी प्यारी गुडिया, अब मैं तुझसे कैसे नाराज़ हो सकती हूँ, तूने तो आज मुझे सुख का एक नया संसार दिखाया है, बोल क्या पूछना है तुझे, खुल के पूछ”

प्रीती –“दीदी, वो मैं पूछ रही थी कि क्या आपने पहले, मेरा मतलब है कि आज से पहले भी.....वो.....वो....सेक्स किया है ना?????” प्रीती ने तो सीधा एटम बम दाग दिया 

आराधना को ऐसे सीधे सवाल की जरा भी उम्मीद नही थी, पर उसे लगा कि कहीं प्रीती को शक तो नही हो गया,

आराधना –“अम्म्म......ये...ये ....क्या बोल रही है...तू प्रीती.....मैं.....मैं...नही ...किसी से...नही.......तू कुछ भी बोल रही है..........” आराधना घबराते हुए बोली 

प्रीती –“आप घबराओ मत दीदी, अगर आपने सेक्स किया भी है तो कोई बात नही, आपका राज़ मेरे साथ सेफ है, मैं कभी भी किसी को नही बताउंगी......आप टेंशन मत लो..बस आप मुझे सच बता दो न प्लीज़...आपने सच्ची किसी के साथ सेक्स किया हुआ है ना”

आराधना को लगा कि अब सच छुपाने से कोई फायदा नही 
आराधना –“हाँ......प्रीती...मैं सेक्स कर चुकी हूँ...पर प्लीज़ उसका नाम मत पूछना...तुझे मेरी कसम”

प्रीती –“ओके दीदी, अब आप बोल ही रही है तो मैं नही पूछूंगी”

आराधना –“वैसे तुझे पता कैसे चला???”

प्रीती –“क्या पता चला????” प्रीती अब आराधना के मजे लेना चाहती थी......

आराधना –“तू जानती है क्या??”

प्रीती –“अरे मैं सच में नही जानती, प्लीज़ बताओ ना क्या पता चला” प्रीती ने खिलखिलाते हुए पूछा 

आराधना –“अच्छा बच्चू, बड़ी बहन से ही मस्करी”

प्रीती –“नही दीदी, मुझे सच में नही पता कि आप क्या पूछ रही हो, प्लीज़ बताओ ना क्या पता चला”

आराधना –“लगता है तू ऐसे नही मानेगी, तो सुन, मैं ये पूछ रही हूँ कि तुझे कैसे पता चला कि मैंने किसी के साथ चुदाई की हुई है, अब खुश”

प्रीती –“हाँ, अब खुश” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली

आराधना –“बता ना यार,कैसे पता चला” आराधना ने कोतुहल वश पूछा

प्रीती –“वो दीदी आपकी चुत देखकर पता चला”

आराधना –“चुत देखकर, पर कैसे” 

प्रीती –“दीदी, वो आपकी चुत की सिल टूटी हुई है ना, इसलिए”

आराधना को अब समझ आ गया कि प्रीती वाकई सेक्स के मामले में उससे भी ज्यादा एक्सपर्ट हो चुकी है 

आराधना –“पर तुझे ये सब किसने सिखाया”

प्रीती –“दीदी वो वो मैं...” अब घबराने की बारी प्रीती की थी

आराधना –“बता ना किसने सिखाया”

प्रीती –“मैं बताती हूँ दीदी, पर प्लीज़ आप प्रॉमिस करो कि आप उसके साथ झगड़ा नही करोगी”

आराधना –“ओके, नही करूंगी, अब बता”

प्रीती –“दीदी, वो मुझे ये सब.....वो सिमरन दीदी....ने सिखाया “
आराधना –“क्या.....सिमरन ने.....पर कब......कैसे.......तू कब मिली उससे...वो तो तुझसे ज्यादा बाते भी नही की कभी” आराधना को बड़ा आश्चर्य हो रहा था

प्रीती –“दीदी वो जब आप दिल्ली गयी थी न तब मैं एक बार आपके कॉलेज गयी थी....और फिर.....” प्रीती ने आराधना को सब बता दिया कि कैसे उसके और सिमरन के लेस्बियन सम्बन्ध बने पर उसने कई बाते छुपा ली जैसे कि सिमरन अपने भाई के साथ ही चुदाई करवाती है, और वो खुद भी कुशल से चुद्वाती है,

आराधना –“ये सिमरन तो बड़ी ही रंडी निकली, मेरी छोटी बहन को भी नही छोड़ा”

प्रीती –“दीदी आपने कहा था कि आप गुस्सा नही होगी”

आराधना –“अच्छा सोरी, वैसे उसने तुझे ये सब सिखाकर अच्छा ही किया”

प्रीती –“कैसे दीदी”

आराधना –“अरे उसकी वजह से आज तू और मैं भी तो ये सब कर पाए ना, इसलिए”

प्रीती –“हाँ वो तो है दीदी”

आराधना –“वैसे प्रीती, मुझे जहाँ तक पता है, उसका एक बॉयफ्रेंड भी है और वो अक्सर उससे चुदवाती भी है, तो फिर उसने तेरे साथ ऐसे कैसे किया, मेरा मतलब कि उसकी खुराक तो उसका बॉयफ्रेंड ही पूरी कर देता होगा ना”

प्रीती –“दीदी लड़का लडकी की चुदाई में तो मजा आता ही है, पर कभी कभी दो लडकियां भी आपस में मजे लेती है, जैसे कि मैंने और सिमरन दीदी ने लिया, और आज आपने और मैंने लिया”

आराधना –“हाँ वो तो है, अच्छा प्रीती तुझे एक बात बताऊ क्या सिमरन की”

प्रीती –“हाँ बताइए ना”

आराधना –“पता है, वो ना अपने बॉयफ्रेंड के साथ अपने घर में भी चुदाई कर चुकी है एक बार”

प्रीती –“अपने घर में......कब.........” प्रीती ने चोंकने का नाटक किया, क्यूंकि उसे तो सिमरन ने पहले ही बता दिया था कि वो अपने भाई के साथ उनके घर में चुदाई कर चुकी है, पर फिर भी वो आराधना को और ज्यादा गरम कर देना चाहती थी 

आराधना –“अरे जब लास्ट टाइम अपन सब शौपिंग के लिए गये था ना तब”

प्रीती –“अरे वाह, सिमरन दीदी तो फुल मजे लेती है मतलब”

आराधना –“हाँ वो तो है”

प्रीती –“ वैसे दीदी आपसे एक बात पूछूँ”

आराधना –“हाँ पूछ ना”

प्रीती –“ये सिमरन दीदी के बॉयफ्रेंड को आप जानती हो क्या”

आराधना –“नही यार, उसने आज तक मुझे नही बताया अपने बॉयफ्रेंड के बारे में, जब भी पूछती हूँ बस किसी तरह टाल देती है”

प्रीती –“वैसे दीदी, मैं जानती हूँ उनके बॉयफ्रेंड को”

आराधना –“क्या, पर कैस......ओह समझ गयी जब तुम दोनों मजे कर रहे थे तब उसने तुझे बताया होगा ना..... अच्छा मुझे बता ना कौन है उसका बॉयफ्रेंड जिसके साथ वो इतने मजे लेती है”

प्रीती –“दीदी वैसे तो मैंने सिमरन दीदी को प्रॉमिस किया था कि मैं किसी को उनके बॉयफ्रेंड के बारे में नही बताउंगी, पर आप तो उनकी बेस्ट फ्रेंड है, तो आपको तो बता ही सकती हूँ, पर आप प्लीज़ और किसी को मत बताना”

आराधना –“अरे तुझे ये कहने की जरूरत नही थी, मैं वैसे भी किसी को नही बताती, अब बता ना जल्दी, कौन है वो खुसनसीब जो सिमरन जैसी गरम लडकी की चुत मारता है” आराधना अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और अब वो खुलकर ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रही थी

प्रीती –“दीदी, उनका बॉयफ्रेंड कोई और नही बल्कि.................” प्रीती ने थोड़ी सी लम्बी सांस ली 

आराधना –“अरे बता ना जल्दी, क्या कर रही है यार.....”आराधना की उत्तेजना अब सांतवे आसमान पर थी 

प्रीती –“दीदी, उनके बॉयफ्रेंड का नाम ......अभिनव .....है....”

आराधना –“अभिनव....ये अभिनव कौन .......ओह माय गॉड......अभिनव तो उसके बड़े भाई का नाम है...कहीं तू ये तो नही कह रही कि सिमरन अपने बड़ी भाई से ही....” आराधना का मुंह आश्चर्य के मारे खुला सा रह गया था

प्रीती –“हाँ...दीदी....आपने सही समझा.....सिमरन दीदी....अपने बड़े भाई के साथ ही रोज़ चुदाई करती है.......”

आराधना –“पर उसने आज तक मुझे क्यों नही बताया.....” आराधना को अब भी यकीन नही हो रहा था कि सिमरन उससे इतनी बड़ी बात छुपा सकती है, वो भी खासकर तब जब उसने सिमरन को अपने और अपने पापा के बारे में इतना कुछ बता दिया था, तभी आराधना की आँखे चमक गयी
“कहीं सिमरन ने प्रीती को मेरे और पापा के बारे में कुछ.......”आराधना को ये सोचते ही एक जोर का झटका लगा 
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12-05-2018, 02:38 AM,
#82
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]प्रीती –“दीदी, आप कहाँ खो गयी......”

आराधना –“नही नही प्रीती....मैं बस ये सोच रही थी कि इतनी बड़ी बात उसने मुझे क्यूँ नही बताई......”
प्रीती –“वैसे दीदी....इसमें उनकी गलती नही है....अगर मैं अगर उनकी जगह होती तो मैं भी आपको ये बात नही बता पाती...”

आराधना –“पर क्यूँ......क्या तुझे मुझपर विश्वास नही है...”

प्रीती –“नही दीदी...बात विश्वास की नही है...अब देखो ना...आप दिल्ली जाने से पहले कितनी बोरिंग हुआ करती थी...हमेशा बस संस्कार के नाम पर लेक्चर दिया करती थी.....सेक्स से तो शायद आपका दूर दूर तक नाता नही था...ऐसे में आप क्या ये बात हज़म कर पाती कि सिमरन दीदी अपने भाई से ही चुदती है.....नही ना....”

आराधना –“वैसे....बात तो तेरी सही है......पर अब तो मैं बदल गयी हूँ......ना...”

प्रीती –“हाँ दीदी...अब तो आप बिलकुल झक्कास हो गयी हो....और मुझे जहाँ तक लगता है...अब तो शायद सिमरन दीदी आपसे खुद इस बारे में बात करेगी...” प्रीती ने कहा 

आराधना –“हा..मुझे भी यही लगता है...वैसे प्रीती उनके बिच ये सब कैसे हुआ....तुझे तो उसने बताया होगा ना...मुझे भी बता ना...” आराधना ने उत्सुकता पूर्वक पूछा 

प्रीती –“क्या हुआ दीदी...” प्रीती दोबारा मजे लेने के मूड में आ गयी

आराधना –“तू नही सुधरेगी...चल मैं ही बोलती हूँ....मुझे बता कि सिमरन और उसके भाई के बिच चुदाई कैसे और किन हालातो में शुरू हुई.....”

प्रीती –“चलो ठीक है दीदी...मैं आपको बता ही देती हूँ..पर आपको एक वादा करना पड़ेगा.....”

आराधना –“वो क्या...”

प्रीती –“यही कि कहानी पूरी होने के बाद आप भी मुझे बताओगी कि वो खुशनसीब कौन है जिसका लंड आपकी चुत की सवारी कर चुका...बोलो...मंजूर....”

आराधना तो अब बुरी फंस गयी...वो प्रीती को अपने और अपने पापा के बारे में नही बताना चाहती थी....पर वो सिमरन और उसके भाई की स्टोरी जानने के लिए मरी जा रही थी...ऐसे में अब वो करे क्या......

आराधना –“पर प्रीती मैंने तुझे बोला था ना कि यार प्लीज़ मुझसे उसका नाम मत पूछो.....”

प्रीती –“क्या यार दीदी...अब तो हम इतने क्लोज हो चुके है...अब कैसा शर्मना.....प्लीज़ बताओ ना...”

आराधना –“यार मैं...अब कैसे..............”

प्रीती –“ अच्छा चलो एक डील करते है.....”

आराधना –“कैसी डील” आराधना ने आश्चर्य से पूछा 

प्रीती –“अगर आप मुझे ये बताओगी कि आपकी चुत की सिल किसने तोड़ी, तो मैं भी आपको ये बताउंगी.....कि....मेरी फुद्दी सबसे पहले किसने मारी......” प्रीती ने नशीली आँखों से आराधना की तरफ देखते हुए कहा.....

आराधना –“क्या......तू भी.....” आराधना के आश्चर्य का ठिकाना ही नही था.....उसे तो लग रहा था कि प्रीती की बुर तो सिल पैक है पर शायद वो अभी इन मामलो में इतनी उस्ताद नही हुई थी कि सिर्फ 2-3 बार चुदी हुई चुत को पहचान सके 

प्रीती –“हाँ दीदी...मैं...भी....” प्रीती ने खिलखिलाते हुए कहा 

आराधना –“तू तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली यार...मैं तो तुझे बड़ी ही भोली भली समझती थी....पर तू तो कसम से एक नंबर की चुदक्कड निकली.......अपनी चुदाई के बारे में मुझे शक भी नही होने दिया...और मुझे लग रहा था कि मैं तो अब चुदाई में एक्सपर्ट हो गयी...पर तू तो मेरी भी उस्ताद निकली...” आराधना ने मुस्कुराते हुए कहा

प्रीती –“अब दीदी, ये जवानी की आग होती ही ऐसी ही है...रात रात भर बस करवटे ही बदलते रहते है जब तक इसकी आग को बुझाया ना जाये.......पर आप चिंता मत करो ...मैं आपको पूरा ज्ञान दे दूंगी.....हा हा हा...” प्रीती ने आराधना के निप्पल पे चिकोटी काटते हुए कहा 

आराधना –“उईइ....माँ....क्या करती है यार....अच्छा बता ना प्लीज़....कि कोन है वो किस्मतवाला....जिसे मेरी प्यारी बहन की ये सुंदर सी गुलाबी चुत नसीब हुई....बोल ना....”

प्रीती –“नही दीदी....पहले आप वादा करो कि आप भी मुझे बताओगी कि आपकी चुदाई करने वाला खुसनसीब कौन है...तभी मैं आपको अपने वाले के बारे में बताउंगी...”

आराधना अब सच में दुविधा में फंस चुकी थी.....उसकी उत्सुकता चरम पर थी...वो सच में जानना चाहती थी कि प्रीती ने किससे चुदवाया है...पर अपने और पापा के बारे में उसे कैसे बताये यही नही सोच पा रही थी 

प्रीती –“दीदी बोलिए ना......आप बताओगी ना....” प्रीती ने बड़ी ही मासूम सी शक्ल बनाते हुए कहा....

क्या मस्त नजारा था ये दोस्तों.....दो बहने बिलकुल नंगी बेड पर लेटी एक दुसरे से ये जानने की कोशिश कर थी कि उनकी पहली चुदाई किसने की ...........

आराधना ने काफी देर विचार किया और फिर आखिर उसने अपनी उत्सुकता के आगे हार मान ही ली 

आराधना –“अच्छा ठीक है...मैं तुझे बताउंगी.....पर पहले तू मुझे बताएगी उसके बाद मैं बताउंगी.....ओके”

प्रीती –“ओके ठीक है...”

आराधना –“चल तो बता कौन है वो बन्दा.....” आराधना ने खुद ही अपने हाथ से अपने मम्मे को मसलते हुए पूछा 

प्रीती –“दीदी....उसका नाम है.......कु...अम्मम्म....कुशल.....” 

प्रीती ने जैसे ही कुशल का नाम लिया आराधना की तो आश्चर्य के मारे आँखे ही इतनी बड़ी हो गई जैसे अभी बाहर आ जाएगी...

आराधना –“क्या.........कुशल......पर कैसे...और कब.....तू सच तो कह रही है ना.....या ”

प्रीती –“दीदी...सच में......कुशल ही वो लड़का है जिसने मेरी चुत की सिल तोड़ी थी...और उसके बाद भी २-३ बार वो मेरी चुदाई कर चूका है.....” प्रीती तो आराधना पर जैसे आज कहर ढहाने को तैयार बैठी थी 

आराधना –“पर कब....मेरा मतलब ये कैसे हो गया......तुम दोनों तो हमेशा लड़ते रहते हो ना...फिर ये सब कैसे.....” आराधना को तो अब ही यकीन नही हो रहा था कि कुशल और प्रीती आपस में सेक्स करते है 

प्रीती –“दीदी....एक्चुअली लड़ाई लड़ाई में हम लोग इतना आगे बढ़ गये कि कब मुझे कुशल से प्यार हो गया पता ही नही चला... मैं तो बस शुरू में उसे चिड़ाने के लिए अपने बदन का इस्तेमाल करती थी..जैसे कभी कभी उसको अपनी बॉडी का दर्शन करा दिया..वैगरह वैगरह ....पर धीरे धीरे मुझे भी इन सब में मजा आने लगा और फिर हम धीरे धीरे एक दुसरे को ओरल देने लगे..और फाइनली एक दिन उसने मुझे मोका देखकर चोद ही दिया...” प्रीती आराधना को अपने और कुशल के बिच हुए सेक्स एनकाउंटर्स की जानकारी दे रही थी...और आराधना भी बड़े ही गौर से उसकी बाते सुन रही थी.....

जब प्रिती ने अपनी बात खत्म की तब तक तो आराधना पूरी तरह गरम हो चुकी थी...उसने अपनी चूत को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया था.. उसकी आँखे नशे में अधखुली सी लग रही थी...

प्रीती ने जब आराधना को इस हालत में देखा तो उसके चेहरे पर एक कुटील मुस्कान आ गयी.....उसने बिना देरी किये धीरे से अपने होठों को आराधना की रस टपकती चूत से सटा दिया ....आराधना तो मजे के मारे दोहरी हो गयी....अब प्रीती ने जोर जोर से आराधना की चूत को चुसना शुरू कर दिया.....और तब तक मजे से चुस्ती रही जब तक कि आराधना की चुत ने दोबारा पानी की बोछार ना कर दी जिसे प्रीती ने बड़े ही मजे से चाटकर साफ कर दिया 

प्रीती –“वाह...दीदी...आपकी चूत का पानी तो सच में बड़ा लाजवाब है.....” प्रीती ने अपने होठों पर जीभ फिराते हुए कहा 

आराधना –“सच में तू बड़ी ही गरम लडकी निकली यार.....घर वालो के सामने तो कुशल को मारती है...और पीछे से खुद उससे मरवाती है....ह्म्म्म्मम्म...”

प्रीती –“अच्छा दीदी अब आप बताओ ना...आपकी सील पैक चुत का उद्घाटन किसने किया...”

आराधना –“मेरी बिल्लो रानी ..शायद हम दोनों बहने बिलकुल एक जैसी ही ही,,,जैसे तूने घर के घर में ही अपनी बुर का उद्घाटन करवाया वैसे ही मैंने भी घर के मर्द से ही अपनी चूत फडवाई....”

अब चोंकने की बारी प्रीती की थी....

प्रीती –“क्या....घर के मर्द से.....आपका मतलब है आपने भी कुशल से अपनी चूत मरवाई.....” प्रीती हैरानी से देखि जा रही थी 

आराधना –“अरे पागल...क्या अपने घर में एक ही मर्द है क्या....”

प्रीती –“पर दूसरा मर्द तो......ओह...माय...गॉड....तो आपने क्या........पापा से......”प्रीती के तो अब होश ही उड़ चुके थे...

आराधना –“हाँ...तू सही समझी.....पापा ने ही मेरी चूत का शिलान्यास किया है मेरी बिल्लो ....” आराधना ने मुस्कुरा कर कहा 

प्रीती –“पर ये सब कैसे हुआ......”

आराधना –“एक्चुअली...सिमरन ने मेरे दिल में पापा के लिए प्यार जगा दिया था...या कहूँ कि मुझे उससे जलन सी हो गयी थी क्यूंकि मैंने पापा को उसके करीब जाते हुए देख लिया था जबकि मैं खुद पापा को पाना चाहती थी....और फिर ...............” आराधना ने प्रीती को अपने और अपने पापा के बिच हुए एक एक वाकये को विस्तार से बताना शुरू कर दिया

इधर प्रीती इतनी गरम बाते सुनकर एक हाथ से अपनी चूत के दाने को मसल रही थी और दुसरे हाथ से अपने मम्मे को.....

प्रीती –“इसका मतलब आप दोनों ने दिल्ली में जम कर मजे लिए.......”

आराधना –“हाँ यार...हमारा तो और भी प्लान था पर किसी वजह से जल्दी आना पड़ा...पर अब तो मैं उनके बगैर नही रह सकती सच में....”

प्रीती –“वैसे दीदी...घर पर तो मोम है न फिर आप दोनों कैसे कर पाओगे”

आराधना –“अरे यार...अपनी मोम भी कुछ कम नही है...तुझे पता है..एक दिन जब पापा ऑफिस में थे.. तब मैंने मोम को किसी आदमी से चुदवाते हुए छुपकर देख लिया था...बिलकुल किसी रंडी की तरह अपनी चूत में वो मोटा सा लंड ले रही थी.......मैं उसकी शक्ल तो नही देख पाई पर उस बन्दे का लंड तो वाकई बहुत बड़ा था...पापा से भी बड़ा.....”

प्रीती आराधना की ये बात सुनकर धीरे धीरे मुस्कुराने लगी....

आराधना –“अरे मैं तुझे मोम की इतनी बड़ी बात बता रही हूँ और तू हँसे जा रही थी....”

प्रीती –“मैं इसलिए हंस रही हूँ दीदी क्यूंकि मैं ये बात पहले से जानती हूँ कि मोम किसी और से चुदवाती है...और मैं तो ये भी जानती हूँ कि वो कौन है....”

आराधना –“क्या सच में....बता ना यार कौन है वो जिससे मोम छुप छुप कर चुदवाती हैं”

प्रीती –“दीदी...वो कोई और नही बल्कि कुशल ही है जिसके साथ मोम रंगरेलियां मनाती है....”

आराधना –“क्या................................” आराधना को विश्वास ही नही हो रहा था ये सुनकर....

प्रीती –“हाँ..दीदी...और पता है...कल रात मैं इसीलिए जानबुझकर सिमरन दीदी के घर रहने के लिए गयी थी ताकि इन दोनों को थोड़ी प्राइवेसी मिल जाये............और पक्का इन लोगो ने कल रात तो जमकर चुदाई का दौर खेला है”

आराधना –“यार पता नही और कितने राज़ छुपे पड़े है......मुझे तो बिलीव ही नही हो रहा ये सब सुनकर”

प्रीती –“पर दीदी है तो ये सब सच.....अब देखो ना....आप पापा से चुदती हो....मोम कुशल से चुदती है...मैं भी कुशल से चुदाई करती हूँ.....”

आराधना –“हाँ...वो तो है...”

प्रीती –“वैसे दीदी एक बात कहूँ...अगर बुरा ना मानो तो”

आराधना –“अरे बोल ना...अब तो इतना कुछ शेयर कर चुके है..अब काहे का बुरा मानना...”

प्रीती –“दीदी...आपको ना...एक बार कुशल से भी चुदना चाहिए...सच में बड़ा ही मस्त लंड है उसका...इतना लम्बा और मोटा.....आपको सच में मजा आ जायेगा.....”

आराधना –“अब मैं तुझे कैसे बताऊ....दिल्ली में होटल में पापा के साथ चुदाई करते समय एक बार मुझे अचानक कुशल का चेहरा दिमाग में आ गया था और मुझे तब भी बड़ा अच्छा लगा था”

प्रीती –“तब तो फिर ठीक है....अब तो आपको कुशल से चुदवाना ही होगा, देखना आपको बड़ा मजा आएगा” प्रीती चहकते हुए बोली 

आराधना –“चल ठीक है...पर तुझे भी फिर पापा से चुदाई करनी पड़ेगी”

प्रीती –“ओके डन”

आराधना –“सच में अब तो बड़ा मजा आने वाला है”

प्रीती –“वैसे दीदी...आप इमेजिन करो करो कि.....हमारी पूरी फैमिली एक साथ मिलकर चुदाई करे...मेरा मतलब है कि......मैं आप और मम्मी बिलकुल नंगे लेटे हो यहाँ और कुशल और पापा मिलकर हमारी चुदाई करे....”

आराधना –“उफ्फ्फ्फ़....यार फिर तो मजा ही आ जायेगा...पर ये पॉसिबल कैसे हो पायेगा यार”

प्रीती –“दीदी आप चिंता मत करो ..अब हम दोनों बहने मिलकर जल्द ही इस सपने को सच करके रहेंगे.. देखना”

फिर प्रीती और आराधना ने फिर एक बार एक दुसरे की चूतों को चूसकर ठंडा किया और फिर कपडे पहनकर निचे आ गयीं.......

दोस्तों आपको क्या लगता है..अब क्या होने वाला है इस घर में................ 

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RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]आराधना और प्रीती पूरी तरह संतुस्ट होने के बाद अपने कपड़े पहन कर निचे आ गयी और सीधा किचन में घुस गयी , नीचे किचन में स्मृति दोपहर का खाना तैयार कर चुकी थी, 

आराधना –“मोम, आपने खाना तैयार कर लिया क्या, मुझे बहुत भूख लगी है सच में” 

स्मृति –“बस 5 मिनट और रुक जाओ आरू बेटा, तब तक तुम दोनों हॉल में बैठ जाओ, मैं खाना तैयार करके टेबल पर लगा देती हूँ, और हाँ अपने पापा को भी बुला लो, वो जब से आये है, बस सो रहे है”

आराधना –“वो मोम, पापा कल पूरी रात ड्राइविंग करते रहे ना, इसलिए शायद थक गये होंगे”

स्मृति –“हम्म....पर फिर भी अब तो काफी टाइम हो गया उन्हें सोते हुए, जाओ और जाकर उठा दो उन्हें, फ्रेश होकर खाना खा लेंगे”

आराधना –“वैसे मोम, कुशल कहाँ गया, दिखाई नही दे रहा” आराधना स्मृति के चेहरे पर कुशल के नाम से आने वाले भाव देखना चाहती थी पर स्मृति एक मंझी हुई खिलाडी थी, उसने बिलकुल भी अपने चेहरे पर कोई भाव नही आने दिए और बड़े ही नार्मल तरीके से बोली

स्मृति –“वो तो अपने किसी फ्रेंड से मिलने चला गया था सुबह ही, शायद भी थोड़ी देर में आ जायेगा”

आराधना –“ओके मोम, मैं जाकर पापा को उठा देती हूँ, प्रीती तब तक तू खाना टेबल पर लगाने में मोम की हेल्प कर दे” आराधना ने प्रीती की तरफ आँख मारते हुए कहा, प्रीती को भी समझ आ गया कि शायद आरू दीदी पापा के साथ थोडा सा मजा लेना चाहती है

प्रीती –“आप चिंता मत करो दीदी, आप पापा का आराम से जगाइए.....ओह मेरा मतलब पापा को आराम से जगाइए” प्रीती ने एक टेढ़ी मुस्कान हंस दी 

आराधना ने आँखे दिखाकर प्रीती को डराने की कोशिश की कि कम से कम मोम के सामने तो ऐसी बाते मत कर पर प्रीती कहाँ मानने वाली थी 

आराधना भी मुस्कुराती हुई अपने पापा के कमरे की तरफ चल पड़ी 

अंदर जाकर उसने देखा कि पंकज तो मस्त बेड पर सोया हुआ है, उसने एक पजामा और टीशर्ट डाली हुई थी, जिसमे ध्यान से देखने पर उसके लोडे का मस्त उभार महसूस किया जा सकता था, आराधना धीरे धीरे चलकर पंकज के बिलकुल पास आई और फिर अपने पापा के माथे पर हल्का सा किस करते हुए कहा 

आराधना –“पापा....उठ जाइये......लंच का टाइम हो गया है...मम्मी बुला रही है....”

पंकज ने आवाज़ सुनकर जब अपनी आँखे खोली तो उसके सामने उसके सपनों की रानी उसकी प्यारी बेटी आराधना खड़ी थी, जो बड़े प्यार से उसे उठाने की कोशिश कर रही थी, पंकज ने भी धीरे से अपनी आँखे खोली, और इससे पहले कि आरू उसे कुछ और कह पाती, उसने झट से आराधना के दोनों हाथो को पकड़ा और अपने उपर गिराते हुए फटाक से उसके कोमल होटों को अपने होठों की कैद में ले लिया,
आराधना बहुत ही सेक्सी लग रही थी, उसने अभी एक मस्त झीना सा सलवार सूट पहना हुआ था, जिसमे वो बहुत ही हॉट और गदराई सी लग रही थी, उसका डार्क ग्रीन कलर की कुर्ती उसके बदन से पूरी तरह चिपकी हुई थी, और निचे उसने डार्क मेहरून कलर की चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी 

आराधना की सलवार का कपडा सच में काफी पतला था, और उसकी सलवार उसकी टांगों से बेतहाशा चिपकी हुई थी, कुर्ते के ऊपर उसने मेहरून कलर की ही चुन्नी डाल रखी थी और सामने से अपने कुर्ते के गले और बोबो को अच्छी तरह से ढक रखा था, उसकी चुन्नी में से निकलते उसके गोरे चमकते हुए हाथ, एक हाथ में ब्रेसलेट, एक हाथ में वाच, उसके काले घने बाल, जिन्हें उसने क्लचेर से बाँध रखा था, उसके बालों में से निकली दो लटे जो उसके खूबसूरत फेस पर आ रही थी, उसकी काली बड़ी आँखें होंठो पर लिप ग्लॉस, गले में एक पतली सी चेन, उसके परफ्यूम और उसके बदन की कामुक खुशबु, ये सब एक साथ देखकर तो पंकज का दिल जैसे बाहर ही आने को हो गया, उसका लोडा एकदम से सख्त हो गया, और पंकज आरू को घूरता ही रहा, मानो उसके सामने कोई अजन्ता की मूरत ही हो 

पंकज को इस तरह घूरता देख आराधना भी मुस्कुराने लगी और बोली “कहाँ खो गये पापा, मोम आपको लंच के लिए बुला रही है”

पंकज "यार आरू, आज तो तू सच में बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही है इस सूट में, जी करता है कि तुझे कच्चा ही खा जाऊ”

आराधना थोड़ी सरमाते हुए –“मुझे बाद में खा लीजियेगा पर पहले लंच खा लीजिये” आराधना हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली 

पंकज -"मेरा लंच तो तू ही है” पंकज ने भी आरू की गदराई जांघों को दबाते हुए कहा 

आराधना –“अच्छा जी, ये बात है” आरू ने भी मुस्कुराकर ही जवाब दिया 

पंकज –“हम्मम्मम्म........अच्छा आरू एक बात पूछता हूँ, पर गुस्सा मत करना”

आराधना –“अच्छा पूछिए” आरू को भी पता था कि कोई सीधा साधा सवाल तो नही पूछा जायेगा, पर वो भी अब मजे के मूड में थी, और अभी अभी वो प्रीती के साथ रंगरेलिया मना कर आ रही थी, पर उसका दिल तो अभी तक नही भरा था,

पंकज –“अच्छा ये बता ना कि, तूने अंदर क्या परहेन रखा है" पंकज ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा 

आराधना –“चुप करो, आप तो बस हमेशा ये सब ही सोचते रहते हो” आराधना ने कहा, पर उसके मन में भी यही सब घूमता रहता था अब तो 

पंकज "आरू, प्लीज़ बताओ ना, इस प्यारे सूट के नीचे क्या पहेन रखा है तुमने" 

उसने मुस्कुराते हुए कहा -"क्या पापा, वही पहेन रखा है जो सब पहनते है, ब्रा और पेंटी" 
पंकज –"कौन सी वाली " 

आराधना –“क्या करोगे जानकार” आराधना कुटिल मुस्कान अपने चेहरे पर बिखरते हुए बोली

पंकज –“बता ना प्लीज़ आरू” पंकज एक छोटे बच्चे की तरह बेसब्रा हुआ जा रहा था

आराधना –“अच्छा बाबा बताती हूँ, ब्लैक कलर की ब्रा है नेट वाली और पिंक और ग्रे पेंटी" 

पंकज -"वाह आरू, तब तो बड़ी ही मस्त लग रही होगी अंदर तू तो आज”

आराधना –“चुप करो पापा,आपको तो बस हमेशा यही सब सूझता है, वो तो इस कुर्ते का कपडा थोडा सा पतला है ना तो नार्मल ब्रा की स्ट्रेप्स दिखती है और सामने से ब्रा का शेप भी दिखता है, इसलिए नेट वाली ब्रा पहनी आज,क्यूंकि वो चिपकी हुई रहती है तो दिखती नहीं है" 

आराधना का बस इतना कहना ही था कि पंकज ने उसे झट से पकड़ कर अपने उपर गिरा लिया और फिर बड़ी ही बेसब्री से किस करने लगा, वो छट पटाने और अपने हाथों से पंकज को अलग करने की नाकाम सी कोशिश करने लगी, पर पंकज अब कहाँ मानने वाला था, उसने पकड़ कर उसके दोनों हाथो को पीछे किया और लगातार आरू को किस करने लगा 


थोड़ी देर बाद आराधना ने छट पटाना बंद कर दिया, पंकज ने भी अब उसके हाथ छोड़ दिए, अब आरू भी अपने पापा का साथ दे रही थी और वो भी जमकर किस करने लगी,उसने अपने दोनों हाथ पंकज के सर पर रखे और फिर अपने कोमल रसीले होठों को अपने पापा के होठो से सटा दिया 

आरू को किस करते हुए ही पंकज धीरे धीरे चुन्नी पर से उसके खूबसूरत मम्मो को दबाने लगा, फिर उसने चुन्नी हटानी चाही पर 2 -3 बार कोशिश करने के बाद भी आराधना की चुन्नी हट नही पा रही थी, पंकज को इस तरह कोशिश करते देख आरू को अपने पापा पर बड़ा प्यार आया , उसने किस तोड़ते हुए कहा –

आराधना –“रुको पापा, पंकजने सेफ्टी पिन लगा रखी है, पहले पंकज उसे हटा लूँ” ये कहकर आराधना ने अपनी सेफ्टी पिन को हटाने लगी और पंकज उसकी गर्दन पर स्मूच करने लगा, फिर उसने सेफ्टी पिन हटा दी और उसकी चुन्नी साइड में गिर गयी, पंकज उसे वापस किस करने लगा, आराधना भी दोबारा पंकज को किस करने लगी, पंकज किस करते हुए उसके ग्रीन कुर्ते पर से उसके बोबे दबाने लगा, उन्हें सहलाने लगा 


फिर पंकज ने आराधना का हाथ पकड़ के अपनी पेंट पर से ही अपने लंड पर रख दिया, आराधना अब अपनी आँखें बंद किये बस अपने पापा के होठ चूस रही थी और साथ ही अब धीरे धीरे अपने पापा के लंड को भी सहलाते जा रही थी, फिर पंकज आराधना की कमर पर हाथ फेरने लगा और अचानक उसने आराधना के कुरते को पीछे से उपर कर दिया और अपना एक हाथ उसके अंदर डाल कर उसकी पतली सी सलवार के उपर से ही उसकी भरी हुई गांड को मस्ती से दबाने और सहलाने लगा,

इस अचानक हमले के असर से आराधना ने पंकज के होठो को छोड़ दिया और अपनी आँखे बंद करके सिसकियाँ भरने लगी, फिर पंकज आराधना के गले पर स्मूच करने लगा और उसके कुर्ते पर से उनके बोबो पर किस करने लगा, अब पंकज उस की पतली सलवार पर से उसकी चूत पर भी हाथ फेर रहा था उसे सहला रहा था, आराधना की उत्तेजना अब चरम पर थी, 

आराधना को पता था कि उसके पास ज्यादा वक्त नही है, इसलिए जो भी करना है जल्द से जल्द करना होगा, यही सोच कर आराधना ने झट से अपने पापा की पेंट के बटन खोलने शुरू कर दिए, और पलक झपकते ही पंकज की पेंट उसके शरीर से अलग होकर जमीन पर गिरी पड़ी थी 


अब आराधना ने जैसे ही अपने पापा की अंडरवियर पर से उनके लंड के उभार को देखा, उसके पुरे बदन में एक मस्त सी टिस उठ गयी, उसने चड्डी के उपर से लंड को अपने हाथो में भरने की कोशिश की और उसे सहलाने लगी, पंकज भी उसकी सलवार पर से उसकी चूत को सहला रहा था, फिर पंकज ने अपने होंठो से उसके कुर्ते पर से उसके बोबो पर स्मूच करने लगा, और जैसे ही पंकज ने उसका कुर्ता उतारना चाहा, आराधना ने पंकज का हाथ रोक लिया और बोली -"नहीं पापा, चुदाई नही, मोम लंच के लिए बुला रही है, कभी भी अंदर आ सकती है”

पंकज –“ठीक है बेटी, पर मेरे इस लंड को अब मैं कैसे शांत करूं जो तेरे करीब आने से ही पूरा तन कर खड़ा हो गया है”

आराधना –“ये नटखट तो जब देखो खड़ा हो जाता है” आराधना ने अंडर वियर के उपर से ही अपने पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए कहा 

तभी अचानक पंकज ने नीचे से उनके कुर्ते के अंदर हाथ डाला और उसकी नेट वाली ब्रा पर से उसके कोमल कोमल गदराये बोबे दबाने लगा, आराधना के मुंह से अब सिसकियाँ छुट रही थी, फिर पंकज ने उसके कुर्ते को ऊपर किया और उसकी नेट वाली ब्रा पर से ही उसके मम्मो को चूमना शुरू कर दिया, और फिर पलक झपकते ही उसने आराधना की वो ब्रा भी खिसका कर उपर कर दी 


आराधना को पता था कि इसमें बहुत रिस्क है पर फिर भी वो अपने पापा को अब रोक नही पा रही थी, आराधना के दोनों निप्पल अब तनकर खड़े हुए थे, पंकज ने झट से उसके एक बोबे को अपने मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दिया, अपने मम्मे पर अपने पापा के होठो के एहसास मात्र से ही आराधना की सिस्कारिया अब थोड़ी तेज़ हो गयी, उसके पुरे बदन में उत्तेजना की एक तेज़ लहर दोड गयी,

और उसने झट से अपने पापा के सर पर अपने हाथ रख दिए , वो अब पंकज के बालो में हाथ फेर रही थी, थोड़ी देर उसके बोबे चूसने के बाद पंकज ने आराधना को बेड पर पूरा लेटा दिया और खुद उसके उपर आ गया, अब पंकज धीरे धीरे आराधना को किस करते हुए उसकी सलवार का नाडा खोलने लगा, इधर आराधना ने भी अपने पापा की अंडर वियर अब पूरी निचे कर दी,

वाह क्या सिन था, एक बाप अपनी बेटी को लिटाकर उसे चुमते हुए उसके सलवार का नाडा खोल रहा है, और बेटी अपने बाप की चड्डी उतारकर उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ी हुई है,
पंकज का लंड हाथ में आते ही आराधना का पारा और गरम हो गया, सच पूछो तो अब तो उसे परवाह ही नही थी कि उसकी मोम अंदर आ सकती है, वो तो अब बस अपने पापा के साथ सारी हदों को पार कर देना चाहती थी 

इधर अब पंकज ने भी आराधना की सलवार उतार दी और उसकी पेंटी पर से उसकी चूत को सहलाने लगा, आराधना की पेंटी उसकी चूत से निकले पानी से पूरी तरह गीली थी, पंकज समझ गया कि इस छोटे से एनकाउंटर से ही उसकी बेटी पूरी तरह गरम हो चुकी है, उसने धीरे से आरू की पेंटी के इलास्टिक को उपर उठाया और बड़े ही प्यार से अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर डालकर उसकी कोमल चूत के होठों को सहलाने लगा,

अपनी चूत पर अपने पापा के हाथ को महसूस कर तो आराधना की आग और भी ज्यादा भड़क उठी, उसका रोम रोम जैसे सेक्स की आग में ताप रहा था, उसके बदन ने अंगडाईयां लेनी शुरू कर दी, दोनों को अब बहुत ही ज्यादा आनंद की प्राप्ति हो रही थी, और फिर तभी अचानक आराधना ने पंकज के साथ किस तोडा और झट से अपने घुटनों के बल बैठ गयी, और पलक झपकते ही अपने पापा के लंड को अपने मुंह में भर लिया 

वो अपने होंठो और जीभ से पंकज के लंड को अच्छे से चूसने चाटने लगी, पंकज आराधना के बालो में अपने हाथ फेरने लगा,पंकज ने धीरे से आराधना के बालो में से उसका क्लेचर निकाल दिया जिससे आराधना के घने बाल अब खुल गये,पंकज ने तुरंत आरू के बालो को अपने हाथो से पकड़ा और फिर उन्हें उपर निचे करने लगा, आरू भी अपने बालो की ताल से ताल मिलाते हुए अपने मुंह में लंड को अंदर बाहर करने लगी,
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12-05-2018, 03:00 AM,
#84
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]तभी पंकज ने आराधना को रोका और ऊपर उठाया

आराधना –“क्या हुआ पापा, आपने मुझे रोका क्यों”

पंकज –“आरू अगर मेरा पानी निकल गया तो तुम प्यासी रह जाओगी, इसलिए पहले मैं तुम्हारी प्यास बुझा देता हूँ”

आराधना –“आपको मेरी कितनी परवाह है पापा” ये कहकर आरू हौले हौले मुस्कुराने लगी, 

पंकज ने बड़े प्यार से उसे दोबारा लेटाया और और फिर अपना मुंह आरू की चूत से सटा दिया, आराधना की चूत तो गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी, फिर पंकज ने उसकी गरम चूत पर किस करना शुरू कर दिया, 

पंकज के मुंह से निकलती गरम सांसे जब आराधना की चूत पर महसूस होती तो आराधना की उत्तेजना और भी ज्यादा भड़क जाती, अब पंकज ने अपने होठो से आरू की चूत के होठों को दबोच लिया और उन्हें बड़ी ही बेसब्री से चूसने लगा, आराधना आँखें बंद करके लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी, और अपने पापा के बालो में हाथ फेरे जा रही थी, 

फिर पंकज ने अपनी जीभ का इस्तेमाल करते हुए आरू की चूत की दोनों स्किनो को अलग किया और बड़े ही प्यार से अपनी जीभ चूत के अंदर घुसा दी, आरू को तो जैसे जोर का झटका लगा, उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसके पापा अपनी जीभ से ही उसकी चुदाई कर रहे हो,
इधर पंकज अपनी जीभ को चूत के अंदर गोल गोल घुमाने लगा, और दुसरे हाथ से आराधना के नंगे मम्मो को बुरी तरह मसलने लगा, 

इस दोगुने हमले से आराधना तो मजे के मारे पस्त हुए जा रही थी, पंकज अपनी जीभ को चूत के और अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था, तकरीबन 5 मिनट बाद ही आराधना की सिसकियाँ जोर पकड़ने लगी, पंकज समझ गया कि आरू झड़ने वाली है, इसलिए पंकज भी आराधना की चूत में अपनी जीभ जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगा और उसकी पूरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा और जल्दी जल्दी उसके बोबे दबाने लगा उन्हें मसलने लगा 

तभी अचानक आराधना ने पंकज के बालो को कस कर पकड़ लिया और उसके मुंह से एक तेज़ लम्बी सिसकारी फुट पड़ी 
“आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...............पापा............." और साथ ही आराधना की चूत से बहुत सारा पानी निकल पडा जो उसकी जांघों से होते हुए बेडशीट पर गिरने लगा,

पंकजने अपनी जीभ से उसका लगभग सारा पानी चाट कर साफ कर दिया और उसकी झांग और चूत भी चाट के साफ़ कर दी,

आराधना –“मजा आ गया यार पापा......आप सच में कितना अच्छा चूसते हो.....अब मेरी बारी...”

ये कहकर आरू ने पंकज को अब लेटा दिया और खुद उनके टांगो के बिच बैठ गयी, और फिर उनका पूरा तना हुआ लंड अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी, वो उसे पूरा अपने मुह में लेके चूसने लगी, कभी वो अपनी जीभ पूरे लंड पर फेरती, उसे चाटती, कभी लंड के टोपे को जल्दी जल्दी अपने होंठो से अंदर बाहर करती, कभी अपने मुह से लंड निकाल के अपने हाथों से उसे जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करती

पंकज को तो इन सबमे बहुत मजा आ रहा था, आरू पूरी तल्लीनता से अपने पापा का लंड चूसने में लगी हुई थी, और उसकी मेहनत ने जल्द ही रंग दिखाना शुरू कर दिया, और पंकज के लंड ने बहुत सारा माल उगल दिया, जिसे आरू चटकारे लेकर चाट गयी,

पंकज –“वाह बेटी, सच में तू कमाल है” 

आराधना -“वो तो मैं हूँ ही पापा, अच्छा चलो अब फटाफट हाथ मुंह धो लो, मोम और प्रीती बाहर वेट कर रहे होंगे” हमे 15 मिनट से भी उपर हो गये है यहाँ 

पंकज –“हाँ सही कहा तुमने बिलकुल”

और पंकज और आराधना ने फटाफट अपने कपड़ो को ठीक किया और फिर बाहर आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया जहाँ प्रीती पहले से उनका इंतज़ार कर रही थी
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12-05-2018, 03:01 AM,
#85
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]पंकज और आराधना ने फटाफट अपने कपड़ो को ठीक किया और फिर बाहर आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया जहाँ प्रीती पहले से उनका इंतज़ार कर रही थी

सब लोग अब डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गये, स्मृति सभी को खाना सर्व करने लगी कि तभी बेल बजी 

स्मृति ने जाकर गेट खोला तो सामने कुशल खड़ा था,

स्मृति –“आज तो बड़ी देर लगा दी बेटा”

कुशल –“वो मोम, कई दिनों बाद मिला था ना फ्रेंड से, इसलिए टाइम लग गया”

स्मृति –“अच्छा चल जल्दी से हाथ मुंह धो ले, फिर आकर खाना खा ले”

कुशल –“ओके मोम”

कुशल ने जल्दी से हाथ मुंह धोया और आकर बाकि लोगो के साथ ही डाइनिंग टेबल पर बैठ गया, स्मृति ने जल्द ही सबके और खुद के लिए भी खाना सर्वे किया, और फिर सब लोग खाना खाने लगे

तभी अचानक कुशल का ध्यान प्रीती की तरफ गया, कुशल ने जब प्रीती की और ध्यान से देखा तो बस देखता ही रह गया, प्रीती आज वाकई बहुत ही क्यूट सी लग रही थी, उसने एक पता सा क्रीम कलर का टॉप और ब्लैक कलर का बरमुडा पहना हुआ था,

प्रीती और कुशल टेबल पर जस्ट एक दुसरे के सामने बैठे हुए थे, आराधना प्रीती के बगल में बैठी थी, कुशल की तरफ बाजु में स्मृति और हेड चेयर पर पंकज खुद बैठा हुआ था,

कुशल तो खाना खाते खाते बस प्रीती को ही देख रहा था, वैसे भी काफी दिन हो गये थे प्रीती की लिए हुए, इसलिए आज उसे प्रीती पर कुछ ज्यादा ही प्यार आ रहा था, प्रीती भी कुशल की आँखों को अपने बदन पर चुभती हुई महसूस कर रही थी, और सच पूछो तो उसे तो बड़ा मजा आ रहा था क्यूंकि कुशल ने कई दिनों से उसकी तरफ ध्यान से देखा भी नही था,

इधर कुशल को अचानक एक शरारत सूझी, उसने चुपके से जेब में से अपना मोबाइल निकाला और प्रीती को एक मेसेज कर दिया “क्या बात है प्रीती, आज तो बड़ी ही सेक्सी लग रही है, बिलकुल माल लग रही है कसम से, बता तो जरा अंदर कौनसी ब्रा पेंटी पहनी हुई है”

थोड़ी देर बाद ही प्रीती का रिप्लाई आ गया “क्या बता है, आज मुझ पर ध्यान कैसे दे लिया, वैसे तो मेरी तरफ देखता ही नही और आज तुझे मैं सेक्सी लग रही हूँ”

प्रीती का मेसेज पढकर कुशल को समझ आ गया कि शायद उस दिन वाली बात से ये आज भी खफा है जब उसने प्रीती को कमरे में बंद कर दिया था और निचे आकर अपनी मोम के साथ चुदाई की थी, कुशल ने सोचा की प्रीती के गुस्से को कम करना जरूरी है वरना बैठे बिठाये एक मस्त माल हाथ से निकल जायेगा 

कुशल ने झटपट मेसेज किया “ऐसा तो कुछ नही है, मैं तो हमेशा ही तेरी देखता हूँ, तेरे सिवा है ही कौन मेरा और मेरे पप्पू का ख्याल रखने वाला.......”

कुशल का जवाब पढकर प्रीती के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी पर उसने उसे ज़ाहिर नही होने दिया, उसने दोबारा रिप्लाई दिया “मुझे क्या पता तूने कहाँ कहाँ अकाउंट खुला रखा है, तेरा पप्पू का क्या भरोसा, पता नही किस किस के अकाउंट में जमा करवाता है”

कुशल ने भी जवाब दिया “नही यार, मेरा पप्पू तो बस तेरे अकाउंट में ही पैसे जमा कराना चाहता है, सच में”
कुशल का मेसेज पढकर इस बार प्रीती की हंसी कण्ट्रोल नही हुई और गले का निवाला हंसी के कारण अटक सा गया, और उसे खांसी आने लगी

स्मृति –“आराम से खा प्रीती, ऐसे क्या खा रही है, ले पानी पी” स्मृति ने पानी का गिलास प्रीती की और बढ़ाया जिसे प्रीती ने पी लिया 

आराधना ने आँखों के इशारे में ही प्रीती से पूछा कि क्या हुआ 
प्रीती ने भी झट से टेबल के निचे से ही आराधना को अपना मोबाइल दिखाकर इशारा किया, आराधना एक पल में ही समझ गयी कि जरुर प्रीती और कुशल की बाते चल रही है, आराधना ने टेबल के निचे से प्रीती की जांघों को हल्के से दबा दिया मानो कह रही हो कि मुझे भी पढ़ा ना 
इधर कुशल ने दोबारा प्रीती को मेसेज किया –“क्या कर रही है प्रीती, आराम से निवाला मुंह में ले, इसके बाद तो पता नही क्या क्या मुंह में लेने वाली है, अगर ऐसे खान्सेगी तो वो कैसे मुंह में लेगी”

प्रीती ने चुपके से दोबारा कुशल का मेसेज पढ़ा और झट से उसे आराधना के मोबाइल पर भी फॉरवर्ड कर दिया, आराधना तो कुशल का मेसेज पढकर गरम सी हो गयी, और मन ही मन सोचने लगी कि सच में उसका छोटा भाई अब छोटा नही रहा 

इधर प्रीती ने भी दोबारा रिप्लाई किया “मैं कुछ नही लेने वाली मुंह में”

कुशल : “तो तू ही बता दे फिर कहाँ लेगी हा हा हा”

प्रीती : “कहीं नही लेना मुझे तो”

कुशल : “ऐसे कैसे नही लेना, मैं जबरदस्ती दे दूंगा”

प्रीती : “क्या दे दोगे” प्रीती भी फुल मजे के मूड में आ गयी थी, इस बिच वो सारे मेसेज आराधना को भी फॉरवर्ड कर रही थी, और आराधना भी इन दोनों की इस मस्त चैटिंग को पढकर गरम हुए जा रही थी 

कुशल : “क्यूँ तुझे नही पता कि क्या दूंगा”

प्रीती : “नही मुझे तो नही पता”

कुशल : “नाटक करती है ज्यादा”

प्रीती : “इसमें नाटक क्या है, मुझे तो नही पता सच में क्या दे दोगे, और कहाँ दे दोगे, तुम ही बता दो”

कुशल : “लगता है मुझे खुलकर ही समझाना होगा तुझे”

प्रीती : “हाँ तो बताओ ना”

कुशल : “तो सुन, मैं मेरा लंड तेरे मुंह में दे दूंगा, और ज्यादा नाटक किया तो पहले तेरी चूत मारूंगा और बाद में तेरी गांड में भी घुसेड दूंगा”

प्रीती और आराधना ने जब ये मेसेज पढ़ा तो उन दोनों की ही उत्तेजना चरम पर पहुंच गयी 

प्रीती : “ओह्ह्ह्ह........मैं तुझे घुसाने ही नही दूंगी, फिर”

कुशल : “तो मैं जबरदस्ती घुसा दूंगा”

प्रीती : “इतनी हिम्मत तुझमे नही है”

कुशल : “रुक आज रात को ही मैं तुझे अपनी हिम्मत दिखा दूंगा, साली की वो चुदाई करूंगा कि जिंदगी भर याद रखेगी”

प्रीती : “क्यूँ ऐसा क्या करेगा तू”

कुशल : “साली आज रात को ही बताऊंगा वो तो, तेरी चूत फाड़ कर ना रख दी तो बताना”

प्रीती : “रहने दे, तुझमे उतना दम नही” प्रीती कुशल को और ज्यादा भड़का रही थी ताकि वो सच में उसकी जबरदस्त चुदाई करे रात को 

कुशल : “कुतिया साली, लगता है तू पहली चुदाई भूल गयी, याद नही कैसे चिल्लाई थी तू, कई दिनों तक दोबारा चोदने भी नही दिया था तूने, पर आज रात को तो उससे भी भयानक तरीके से चोदुंगा तुझे”

प्रीती : “कहीं उस दिन की तरह दरवाज़ा बंद करके भाग तो नही जायेगा”

कुशल : “नही, आज तो पूरी रात तुझे अच्छे से मसलुंगा, और आज तो तेरी गांड का भी उद्घाटन करूंगा”

प्रीती : “देखते है, कितना दम है तुझमे, या फिर बस फेंकता ही रहता है”

इधर आराधना को उन दोनों की चैट पढ़कर बहुत मजा आ रहा था और उसकी चूत में हल्की हल्की चीटियाँ भी रेंगने लगी थी,

प्रीती और आराधना अभी हल्के हल्के मुस्कुरा ही रही थी इस बात पर कि उसने कुशल को भड़का दिया कि तभी अचानक प्रीती को अपने पैर पर किसी के पैर का अहसास हुआ, उसे समझते देर ना लगी कि ये कुशल ही है पक्का 

कुशल ने प्रीती के पैर पर अपना पैर रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा, प्रीती अपना पैर हटाने की कोशिश कर रही थी पर तभी कुशल धीरे धीरे पैर को और उपर ले जाने लगा 

आज प्रीती ने बरमूडा पेहेन रखा था तो कुशल उसकी मस्त मुलायम चिकनी टांगों को मस्ती से सहला रहा था, और फिर धीरे धीरे वो अब उसकी जांघ पर भी अपने पांव को सहलाने लगा 

प्रीती भी अब धीरे धीरे गरम होने लगी, कुशल ने अपने पैर को थोडा सा और उपर ले जाने की कोशिश की और प्रीती ने भी अपने आप अपनी टांगों को थोडा सा चौड़ा कर लिया,

अब कुशल ने पैर के अंगूठे को प्रीती के बरमूडा ट्राई एंगल पर टिका दिया, यानि कि अब वो अपने पैर के अंगूठे से प्रीती की चूत को उसके बरमुडा के उपर से ही दबाने लगा, 

प्रीती को तो इसमें बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था, और तभी अचानक कुशल अपने पैर के अंगूठे को प्रीती की चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा, और जोर लगाकर उसकी चूत पर धक्के देने लगा, प्रीती की चूत तो कुशल की इस हरकत की वजह से पानी छोड़ने लगी, और कुशल भी चूत के उस गीलेपन को महसूस कर पा रहा था, 

इधर प्रीती ने उत्तेजना के मारे आराधना की जांघ को दबा दिया, आराधना ने उसकी और आँखों के इशारे से पूछा कि क्या हुआ, तो प्रीती ने आराधना को टेबल के निचे की और इशारा किया, 

आराधना ने सबसे बचके चुपके से जब टेबल के थोडा निचे की और देखा तो वो तो सन्न सी रह गयी, क्यूंकि कुशल का पैर का अंगूठा प्रीती की चुत में बरमूडा के उपर से ही धंसा हुआ था, और प्रीती का फेस भी अब थोडा लाल होने लगा था, 

आराधना को लगा कि ऐसे तो मोम या डैड को शक हो सकता है, कुशल को रोकना जरूरी है, इसलिए आराधना ने बहाने से अपनी चम्मच निचे गिरा दी, चम्मच की आवाज़ सुनकर जैसे कुशल और प्रीती दोनों को होश आया, कुशल ने झट से अपना पैर हटा लिया, इधर मोका पाकर प्रीती भी तुरंत उठ गयी

प्रीती – “मेरा खाना तो हो गया, मैं अपने रूम में जा रही हूँ मोम”

स्मृति – “ओके बेटा”

प्रीती ने जल्दी से अपने हाथ धोये और फटाफट उपर अपने रूम में चली गयी, जल्द ही बाकि लोगो ने भी खाना खा लिया, आराधना अपने रूम की तरफ चल दी, कुशल भी अभी जा ही रहा था कि स्मृति ने उसे रोक लिया 

स्मृति –“कुशल बेटा, मुझे शाम को स्विमिंग क्लास जाना है, तो मुझे छोड़ देना वहां”

कुशल –“ओके मोम” कुशल कुछ ज्यादा नही बोला क्यूंकि पंकज अभी व्ही पर था, पर उसके मन में तो लड्डू फुट रहे थे, उसे पता था कि जरुर आज कुछ न कुछ होना है मोम के साथ” यहीं सोचते सोचते वो उपर अपने रूम में आ गया,
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12-05-2018, 03:02 AM,
#86
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]खाना खाकर सब लोग अपने अपने कमरों में चले गये, आराधना भी काफी थक चुकी थी इसलिए उसने भी अब थोडा रेस्ट करना ही बेहतर समझा, प्रीती आज रात के सपने सजो रही थी, पंकज और स्मृति भी जाकर थोडा रेस्ट करने लगे, कुशल तो आज स्विमिंग क्लास में क्या क्या होने वाला है ये सोचकर ही उत्तेजित हुए जा रहा था

शाम के लगभग 4.30 बजने वाले थे, स्मृति की नींद खुल चुकी थी, उसने बाकि सब के लिए चाय बनाई और एक एक करके सबके कमरे में जाकर उनकी चाय रख दी,

अब वो कुशल की कमरे में गई, कुशल बेड पर आँख बंद किये लेटा था, स्मृति उसके बेड के पास गयी और चाय साइड में टेबल पर रख दी

सोते हुए कुशल उसे बहुत ही प्यारा लग रहा था, उसने झुककर उसके माथे पर एक किस कर लिया, जैसे ही हटने को हुई , कुशल ने तुरन्त उसे पकड़ा और दोबारा झुकाकर उसके होठों को चूसने लगा,

स्मृति को ये किस बहुत ही अच्छा लग रहा था, पर उसे पता था कि अभी सही वक्त नही है, इसलिए उसने कुशल को थोडा जोर लगाकर अपने से दूर किया और फिर बोली

स्मृति –“रुक जा, इतना बेसब्रा मत हो, वैसे भी अभी तुम्हे मुझे स्विमिंग क्लास ले जाना है, चल फटाफट चाय पीकर तैयार हो जा”

कुशल –“ओके मोम”

ये कहकर कुशल फटाफट बाथरूम में घुस गया, हाथ मुंह धोने के लिए, स्मृति भी उसके कमरे से बाहर आ गयी, वो पहले से ही तैयार हो चुकी थी, उसने पंकज को बताया कि वो कुशल के साथ स्विमिंग क्लास जा रही है,

थोड़ी देर बाद ही स्मृति और कुशल अपनी कार में निकल गये, रस्ते भर कुशल अपनी मोम के साथ हलकी फुलकी मस्ती करता रहा 

जब वो लोग स्विमिंग क्लास पहुंचे तो देखा वहां तो आज कोई दिखाई ही नही दे रहा था, कुशल ने कार पार्क की और वो दोनों वह खड़े एक गार्ड के पास पहुंचे

कुशल –“अरे भाई, आज यहाँ इतना सूना सूना क्यूँ है”

गार्ड –“सर, आज तो क्लासेज की छुट्टी है ना, आपको पता नही था क्या”

कुशल स्मृति की और देख कर –“मोम, आज तो छुट्टी है, अब क्या करे”

स्मृति गार्ड से –“पर भैया हम तो बहुत दूर से आये है, प्लीज़ थोड़ी देर प्रैक्टिस करके चले जायेंगे”

गार्ड –“पर मैम्म....” इससे पहले कि वो कुछ और बोलता स्मृति ने अपनी पर्स में निकालकर एक 500 का नोट उसकी तरफ लहरा दिया, अब भला गार्ड क्या बोलता,

गार्ड –“ठीक है मैडम, पर 1 घंटे से ज्यादा नही प्लीज़, मेरा नोकरी का सवाल है”

स्मृति –“ओके”

कुशल समझ नही पा रहा था कि मोम ने गार्ड को पैसे क्यूँ दिए, अगर छुट्टी थी तो वो घर वापस जा सकते थे, एक दिन नही तैरने से क्या फरक पड जायेगा, पर जब उसे कुछ नही समझ आया तो उसने सोचा जो होता ह होने दो


कुशल और स्मृति जब अंदर पहुंचे तो वाकई वहां आज कोई नही था, आज स्विमिंग पूल की सफाई करके बिलकुल फ्रेश पानी भरा गया था, इस वजह से स्विमिंग पूल और भी ज्यादा आकर्षक दिखाई दे रहा था, कुशल भी स्विमिंग पूल की खूबसूरती देखकर दंग सा रह गया,


स्मृति - “आज तो काफी अच्छा लग रहा है पूल बाकि दिनों से”

कुशल - “ हाँ मोम, वाकई ये तो काफी खूबसूरत है”

स्मृति - “तो फिर एक काम कर ना, तू भी नहा ले आज” 

कुशल –“पर मोम, ये तो लेडीज के लिए है ना, अगर किसी ने देख लिया तो?”

स्मृति –“अरे यहाँ कौन देखेगा, बाहर गार्ड ने कहा नही था कि आज कोई नही आएगा, तो तू टेंशन क्यूँ लेता है

कुशल –“चलो ठीक है मोम, मैं भी नहा ही लेता हूँ आज तो, पता नही फिर कभी आपके साथ नहाने का मोका मिले ना मिले 

स्मृति –“चल फिर अपने कपडे उतार”

कुशल –“आप भी नहाओगी न मोम” कुशल अपनी टी शर्ट उतारते हुए बोला 

स्मृति –“हाँ क्यूँ नही”

कुशल ने अपनी टीशर्ट और पेंट उतार दी, चड्डी में उसका शांत लौड़ा भी काफी बड़ा लग रहा था, स्मृति ने जब तिरछी नजर से कुशल की चड्डी के उभार को देखा तो उसने अपने होठों पर अपनी जीभ फेर दी 

कुशल –“मोम, आप भी तो अपनी साड़ी उतारो न, आपका स्विमसूट कहाँ है”

स्मृति –“वो तो मैंने अंदर ही पहन रखा है”

कुशल –“तो फिर जल्दी से अपनी साड़ी उतरिये और स्विम सूट बिकिनी में मुझे अपनी बॉडी के दर्शन कराइए ना मोम, देखो ना मेरा लंड भी कैसे उतावला हुआ जा रहा है आपको बिकिनी में देखने के लिए” कुशल ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा 

स्मृति ने जब दोबारा कुशल के लंड की और देखा तो अब सच में कुशल का लंड धीरे धीरे बड़ा होने लगा था,

स्मृति –“अच्छा ठीक है, मैं उतारती हूँ अपनी साड़ी, पहले तू अपनी अंडर वियर उतार और पूल में कूद जा”

कुशल –“पर मोम, चड्डी उतारने में तो रिस्क है ना”

स्मृति –“क्यूँ इतने से रिस्क से ही डर गया, ऐसे तो बड़ा लायन बना फिरता है” स्मृति जान बुझकर कुशल को उकसा रही थी,

कुशल –“अच्छा तो ये बात, अब तो आपको लायन की हिम्मत दिखानी ही होगी”

ये कहते हुए कुशल ने अपनी चड्डी को तुरंत अपने पैरो की कैद से आजाद कर दिया, चड्डी उतरते ही उसका लंड स्प्रिंग की तरह उछलकर स्मृति की आँखों के सामने आ गया, भले ही कुशल का लंड अभी पूरा तना हुआ नही था, पर अब भी उसका लंड कम से कम 6 इंच के आसपास नजर आ रहा था,

स्मृति –“ये हुई ना बात लायन, अच्छा अब पूल में कूद जा”

स्मृति का इतना कहना ही था कि कुशल फटाक से पूल में कूद गया 

कुशल –“अब आप भी तो अपने कपडे उतारो ना मोम”

स्मृति –“क्यूँ नही, अभी ले”

ये कहकर स्मृति अपनी साड़ी को धीरे धीरे उतारने लगी, कुशल तो ये नजारा देखकर बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया, क्यूंकि स्मृति गांड मटका मटका कर अपनी साड़ी उतार रही थी, अब स्मृति सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी, 

कुशल –“जल्दी करो ना मोम, अपना ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दो, मुझे आपको टू पिस बिकिनी में देखना है”

स्मृति ने भी कुशल को और तडपाना सही नही समझा, और तुरन्त अपना ब्लाउज और पेटीकोट भी उतारकर साइड में रख दिया, कुशल ने जब स्मृति को सिर्फ ब्रा पेंटी में देखा तो जैसे उसके दिमाग का फ्यूज़ ही उड़ चूका था,

कुशल अपनी मोम की मस्त मोटी मोटी चुचियों का उभार उनकी ब्रा में से साफ साफ देख पा रहा था, स्मृति का 
उठा हुआ गदराया लगभग नंगा पेट और उस पर एक बड़ी सी गहरी नाभि की झलक सी देख कर कुशल का तो कलेजा ही मुंह को आ गया, आज से पहले उसने अपनी मोम को बिकिनी अवतार में इस तरह नही देखा था, उनके पेट का उठाव और नीचे फैली हुई मस्त गदराई कमर को देख कर ही कुशल को अपनी मोम के फूले हुए गदराए भोसड़े का एहसास होने लगा था 

स्मृति की मोटी-मोटी जांघे इतनी गदराई नज़र आ रही थी कि कुशल को लग रहा था कि बस अभी मोम अपनी ब्रा पेंटी भी उतार दे और वो जाकर ताबड़तोड़ तरीके से उनकी जबरदस्त चूत मारे 

शायद स्मृति भी कुशल के मन की बात को जान गयी इसलिए उसने बड़े ही मस्ताने अंदाज़ में अपनी ब्रा और पेंटी भी उतार दी और भरपूर तरीके से कुशल को अपना बदन दिखाने लगी, कुशल का हाल अब और भी बुरा हो चूका था,

फिर स्मृति भी पूल के बिलकुल पास आकर झुककर पानी को छूती हुई बोली “वाह, पानी तो आज बहुत ही ताज़ा ताज़ा है, सच में बड़ा मजा आएगा आज तो” और ये कहते हुए स्मृति पूल में लगी सीढियों के सहारे पूल में उतरने लगी, स्मृति की गांड अब कुशल की तरफ थी 

कुशल ने जब अपनी मोम के बड़ी सी गांड और बिच में एक मस्त चूत के चीरे को देखा तो अब उससे और बर्दास्त करना बहुत मुश्किल हो गया, उसने आगे बढकर उसी अवस्था में अपनी मोम को जकड़ लिया, अपने बेटे की मजबूत बाँहों की जकड़ में आते ही स्मृति के बदन में भी एक टिस उभर गयी, स्मृति को अपनी गांड पर अपने बेटे के अब पूरी तरह तने 8.5 इंच के लोडे का अहसास होने लगा था, लंड के एहसास मात्र से ही स्मृति बुरी तरह सिहर उठी 

इधर कुशल ने अपने दोनों हाथो से अपनी मोम के मस्त खरबूजों को दबोच लिया और पीछे से अपने लंड को स्मृति की गांड से सटाकर मस्ती से रगड़ने लगा 

स्मृति की बुर अब बुरी तरह पनिया चुकी थी, इधर कुशल ने अब अपनी मोम को पलट दिया और उसका चेहरा अपनी तरफ कर लिया, 

कुशल स्मृति के होठों को अब बुरी तरह चूस रहा था, स्मृति भी अपने बेटे के इस चुम्बन में भरपूर साथ दे रही थी, कुशल का खड़ा लंड स्मृति की चूत के दरवाजे पर बार बार ठोकर मार रहा था, अब कुशल ने अपने दोनों हाथ स्मृति के पीछे किये और निचे लेजाकर उसके विशाल चुतरो को सहलाने लगा, स्मृति ने भी अपना एक हाथ आगे बढाकर पानी के अंदर खड़े कुशल के लौड़े पर लगा दिए,

अब कुशल झुका और अपनी मोम की भारी चुचियों का रस पीने लगा, कुशल ने अपने एक हाथ अब स्मृति की गांड से हटाया और आगे लाकर उसकी मस्त चुत पर रख दिया,

कुशल –“आह्ह्ह्ह.....मोम.....आपकी चुत कितनी गरम है” कुशल ने जोर से स्मृति की चूत को मसलते हुए कहा 

स्मृति - “ आऽऽहहह बेटाआऽऽऽ...............” स्मृति की आहें निकल रही थी 

कुशल - “ मोम अच्छा लग रहा है ना?” ये कहते ही कुशल ने स्मृति की चुत में अपनी दो उंगलिया घुसा दी, उसे तो ऐसा लग रहा था मानो उसने अपनी उंगलिया किसी गरम भट्टी में डाल दी हों 

स्मृति - “ आऽऽहहह............... हाँ बेटा, सच में बहुत अच्छा लग रहा है”

कुशल 5 मिनट तक स्मृति की चूत में अपनी अंगुलियों को अंदर बाहर करता रहा, साथ साथ अपने मुंह से उसकी चुचियों का रसपान भी करता रहा, इस दो तरफे हमले के सामने स्मृति ज्यादा देर तक टिक नही पाई और वो भालभला कर झड़ गयी 

स्मृति –“अह्ह्ह्हह.....बेटा ....सच में तू कमाल है......5 मिनट में ही मेरा पानी निकाल दिया”

कुशल –“मोम आपकी सेवा करना तो मेरा फ़र्ज़ है”

स्मृति –“चल अब थोड़ी सेवा मैं तेरी कर देती हूँ, चल अब इस दिवार पर बैठ” 

कुशल एक आज्ञाकारी बालक की तरह स्विमिंग पूल की साइड में आकर उपर चढ़कर बैठ गया, उसका मस्त लोडा अब भी आसमान की तरफ मुंह किये खड़ा था 

स्मृति पूल में रहते हुए ही उसकी दोनों टांगो के बिच में आ गयी, और फिर स्मृति ने धीरे से कुशल के उस विकराल लंड को अपने हाथो में ले लिया और बड़े प्यार से उसे चूमने लगी, वो अपनी पूरी जीभ से लोडे को चाट रही थी और फिर कुशल के बॉल्स भी चूसने लगी.

अपने लंड पर अपनी मोम के गरम होठों के एहसास से कुशल तो जैसे स्वर्ग में आ गया था, 

इधर अब स्मृति ने झट से अब लंड को अपने मुंह में लिया और जोर जोर से उसके सुपाडे को चूसने लगी,

कुशल मजे से भरकर स्मृति के मम्मे दबाने लगा, स्मृति भी उसका लौड़ा चूसते हुए उसके बॉल्ज़ को पंजे में लेकर सहला रही थी

अचानक कुशल बोला -“ आह्ह्ह्ह्ह.... मोम अब रुको, मैं नीचे आता हूँ” ये कहकर वो भी पानी में कूद गया

स्मृति –“क्या हुआ, तू निचे क्यूँ आ गया, मजा नही आ रहा था क्या”

कुशल –“मजा तो बहुत आ रहा था मोम, पर अगर 2 मिनट और आप मेरा लंड चूसती तो पक्का मेरा पानी निकल जाता और फिर आप प्यासी रह जाती, अब अब आप बाहर जाओ और यहाँ बैठो” ये कहते हुए उसने स्मृति को अपनी गोद में उठाया और उसे दिवार पर बैठा दिया और खुद आकर अब उसकी टांगो के बिच खड़ा हो गया 

कुशल –“मोम, अपनी टाँगे फैलाइए ना थोड़ी सी”

कुशल का बस कहना था और स्मृति ने अपने पैरो को जितना हो सकता था उतना चौड़ा कर लिया 

कुशल की आँखों के सामने अब स्मृति की चूत एकदम मस्त चमक रही थी, उससे रहा नही गया और उसने झट से अपना मुंह स्मृति की बुर में घुसा दिया और उसकी फाँकों को चाटने लगा

स्मृति के मुंह से अब जोर जोर से आहें निकल रही थी, उसने अपनी बाहँ पीछे करके अपनी जाँघों को उठाकर कुशल के कंधों पर रख दिया, कुशल भी मस्ती में आकर अपनी मोम की बुर चुसे जा रहा था, स्मृति भी अपनी कमर उछाल उछाल कर अपनी चूत को उसके मुँह से रगड़े जा रही थी

स्मृति - “ आऽऽऽऽह बस कर नाआऽऽऽऽऽ नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी आऽऽह्ह्ह्ह्ह”

कुशल अपना मुँह हटा कर बोला- “मोम, मुझे अब आपको चोदना है” 

स्मृति –“तो चोद ले ना, मैंने कब मना किया है”

स्मृति के कहते ही कुशल ने उसे पकडकर दोबारा पूल में खड़ा कर लिया और उसकी चुचिया दबाने लगा, स्मृति के पीठ कुशल के साइन से रगड़ खा रही थी, और उसकी चुत उसके लोडे को छु रही थी,

कुशल का लौड़ा इतना कड़ा हो गया था कि उसे अब दर्द सा होने लगा था, वो मस्ती में आकर अब अपने लंड का सुपाडा स्मृति की बुर पर रगड़ने लगा था, लंड की छुअन से ही स्मृति की सिसकारी निकल गयी,

अब कुशल बोला- “ मोम आप ख़ुद ही मेरे लौड़ा अपनी बुर पर रखो ना”

स्मृति ने मुस्कुरा कर अपने एक हाथ से अपनी बुर फैलायी और दूसरे हाथ को पीछे ले जाकर कुशल का लोडा पानी में ही पकड़ कर उसे अपनी चूत के छेद पर सेट कर लिया और फिर बोली –“ले बेटा, अब धक्का मार और अंदर डाल”

कुशल शरारत से मुस्कुराया और बोला- “ मोम क्या डालूँ? और कहाँ डालूँ?”

स्मृति भी प्यार से मुस्कुराती हुई बोली- “ आऽऽह बदमाश , अपना लौड़ा डाल अपनी मोम की बुर में, आह्ह्ह्ह्ह.....” कुशल ने बिच में ही एक दमदार शॉट लगाते हुए सर्रर्र से अपना लोडा पूरा स्मृति की चूत में घुसा दिया 

स्मृति –“हाय्य्य्य्य्य्य धीरेएएएएएए से बेटाआऽऽऽऽऽ.. तेरा बहुत बड़ा है रे....”

कुशल - “ आऽऽह मोम आपकी बुर कितनी टाइट है, आऽऽहहह मज़ा आ गया”

कुशल ने फिर से धक्का लगाया और इस बार पूरा लौड़ा उसने जड़ तक अंदर कर दिया

स्मृति की सिसकारियाँ गूँजने लगी।

कुशल - “ आऽऽहहह मोम बहुत मज़ा आ रहा है आपको चोदने में आऽऽह क्या मक्खन सी बुर है आऽऽहहह”

अब कुशल उसकी चूचियाँ दबाते हुए धक्के मारने लगा, स्मृति भी गरम होकर अपनी कमर उछाल उछाल कर चुदवाने लगी

स्मृति - “ आऽऽऽह बेटा तू बहुत अच्छा चोदता है रे..... हाय्य्य्य्य मेरी प्यास ऐसे ही बुझाते रहना आऽऽऽऽऽहहह..”

कुशल के पावरफुल धक्कों से स्मृति मस्ती से भर गयी और उसकी बुर से फ़च फ़च की आवाज़ आने लगी, 

20 मिनट की धांसू चुदाई के बाद स्मृति को लगा कि वह अब और नहीं रुक सकती तो वह कुशल के चूतरों को अपनी तरफ़ दबाने लगी जैसे उसके आँड भी अंदर घुसा लेगी, 

वो चिल्लायी- “ आऽऽऽऽहहह चोद हाऽऽऽऽयहय फाड़ दे मेरीइइइइइइइइइ बुर, मरीइइइइइइइइइइ मैं तो ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म उइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइइइइइ बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ..” 

कुशल भी उसकी आवाज़ों से गरम हो गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाकर झड़ने लगा, और अपना सारा पानी अपनी मोम की चूत के अंदर ही उड़ेल दिया 

स्मृति और कुशल का पानी स्मृति के चूत से रिसते हुए स्विमिंग पूल के पानी में मिलने लगा,

स्मृति और कुशल दोनों की ही आँखों में अब संतुष्टि साफ झलक रही थी, कुशल ने आखिरी बार अपनी मोम को किस किया और फिर दोनों ने फटाफट कपडे पहन लिए, और फिर बाहर आकर गाड़ी में बैठकर घर की तरफ रवाना हो गये,
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12-05-2018, 03:04 AM,
#87
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]अब कहानी को वापस घर की तरफ ले चलते है, इस बिच वहां काफी कुछ बदल चूका था, पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था, यानि कि जब शाम को स्मृति ने सबको उनके कमरों में जाकर चाय दी,

स्मृति ने सबसे पहले पंकज को चाय दी, और उसे बता दिया कि वो अभी कुशल के साथ स्विमिंग क्लास जा रही है, पंकज ने भी कोई ऐतराज़ नही किया, पंकज को चाय देने के बाद स्मृति उपर गई, उपर बाई तरफ कुशल का रूम था, और दाहिनी तरफ दो रूम प्रीती और आराधना के थे, स्मृति सबसे पहले कुशल के कमरे में गई, और उसे जगाकर चाय पीने को कहा और ये भी बता दिया कि अभी बस 10 मिनट में ही उन दोनों को स्विमिंग क्लास के लिए निकलना है, 

कुशल को जगाने के बाद स्मृति प्रीती के कमरे में गई, पर प्रीती तो शायद घोड़े बेचकर सो रही थी, उसने नींद में ही मोम को मना कर दिया कि उसे चाय नही पीनी और अभी कुछ देर और सोना है, स्मृति ने भी उसे डिस्टर्ब करना सही नही समझा और आराधना के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगी,

थोड़ी ही देर में आराधना ने दरवाज़ा खोल दिया, स्मृति ने उसे चाय दे दी और सीधा निचे की तरफ चल दी, आराधना ने भी दोबारा अपने रूम को बंद किया और बिस्तर में आकर चाय की चुस्कियां लेने लगी, 

अभी बस उसने जस्ट चाय खत्म की ही थी कि उसे निचे हॉल में कुछ हलचल की आवाज़ सुनाई दी, वो खड़ी होकर बाहर आई तो उसने देखा कि निचे हॉल में मोम और कुशल रेडी होकर कहीं जाने के लिए तैयार खड़े थे

स्मृति को समझ नही आया कि इस वक्त वो लोग कहाँ जा रहे है, इसलिए उसने खुद ही उनसे पूछ लिया

आराधना –“मोम, आप लोग कहीं बाहर जा रहे है क्या?”

‘स्मृति –“हाँ आरू, वो कुशल मुझे स्विमिंग क्लास में छोड़ने जा रहा है”

आराधना –“ओके मोम” ये कहकर आरू वापस अपने कमरे में आ गयी और स्मृति कुशल बाहर चले गये 

आराधना को ऐसे लग रहा था जैसे स्विमिंग क्लास के नाम से मोम कुछ ज्यादा ही एक्साइट नज़र आ रही थी, तभी उसे प्रीती की बात याद आ गयी कि कुशल और मोम आपस में चुदाई करते है, ये बात दिमाग में आते ही उसका माथा ठनका 

“जरुर मोम, स्विमिंग क्लास के बहाने कुशल के साथ मस्ती करके आएगी, सच में कितनी बड़ी रंडी है मोम, अपने बेटे का लंड भी अपनी चुत में ले लिया, पर इसमें उनकी भी क्या गलती, प्रीती बोल रही थी कि कुशल का लंड बहुत ही ज्यादा लम्बा और मोटा है, तभी शायद मोम की चूत पिघल गयी उसे देखकर, पर क्या सच में कुशल का लंड इतना मस्त है” कुशल के लंड के बारे में सोचते सोचते ही आरू की चूत से पानी की दो बुँदे छलक सी पड़ी, अपनी चुत में गीलेपन को महसूस करते ही आराधना के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गयी

“कमबख्त ये फुद्दी भी ना, जब देखो टेसुए बहाती रहती है, आज प्रीती और पापा से इस निगोड़ी की मालिश करा चुकी हूँ पर ये है कि मानती ही नही” आराधना अपनी चुत पर हाथ रखते हुए सोचने लगी 
..............................................................................

इधर स्मृति कुशल के जाने के बाद पंकज अपने रूम से बाहर आ गया, आज पुरे दिन रेस्ट करने की वजह से उसकी पूरी थकान उतर चुकी थी, हालांकि उसकी नींद तो तब ही उड़ चुकी थी जब आज दोपहर को आरू ने उसे अपनी मस्त चुत का पानी चखाया था, वो उस हसीं पल को याद करते हुए बाहर हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया, और अख़बार के पन्ने पलटने लगा 

वो अभी बस अख़बार पढ़ ही रहा था, कि तभी किसी ने डोर बेल बजा थी 

“इस वक्त कौन आया होगा” सोचते सोचते पंकज ने दरवाज़ा खोला, और दरवाज़ा खोलते ही उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गयी क्यूंकि उसके सामने उसकी बेटी की फ्रेंड सिमरन खड़ी थी,

सिमरन को देखते ही पंकज के लंड में एक सुरसुरी सी दौड़ गयी, पंकज तो बस उसे खड़ा खड़ा घुर ही रहा था, उसको इस तरह घूरते देखकर सिमरन के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी 

सिमरन –“घुरना खतम हो गया हो तो क्या मैं अंदर आ सकती हूँ” सिमरन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा 

पंकज -“हाँ हाँ बेटी आओ” पंकज थोडा सकपका गया 

सिमरन –“आज तो बड़े दिनों बाद दिखाई दिए आप, कहाँ गुल खिला रहे थे” सिमरन तो पहले से ही जानती थी कि पंकज तो दिल्ली में अपनी बेटी के साथ मस्तियाँ करके आया है, 

पंकज –“अरे बेटी, मैं क्या गुल खिलाऊंगा, मैं तो दिल्ली में था बिज़नस के सिलसिले में, पर अब वापस यहाँ आकर थोड़े गुल खिलाने की इच्छा हो रही है”

सिमरन –“अच्छा जी, हम भी तो जाने कौन है वो खुसनसीब”

पंकज –“है एक लडकी, मेरी बेटी की फ्रेंड है, पता है कुछ दिन पहले ही उसने मेरा बहुत ही मस्ती से चूसा है कसम से”

सिमरन –“क्या चूसा है”

पंकज –“मेरा लंड, और क्या, अब तो बस एक बार वो अपनी फुद्दी चूसा दे, फिर तो मोज़े ही मोज़े हैं”

सिमरन –“ह्म्म्म.... तो आपको अब उसकी बुर देखनी है, पर मिस्टर, इतना आसान नही है उसकी चूत देखना”

पंकज –“हय्य... इतना तो जुल्म ना करो ......एक बार अपनी फुद्दी का वो अनमोल खूबसूरत सुराख़ दिखा दो बस...... कसम से मजा आ जायेगा”

सिमरन –“क्यूँ आंटी नही दिखाती क्या अपना सुराख़”

पंकज –“दिखाती है, पर एक चीज़ को इतनी बार देखने पर इंटरेस्ट खत्म हो जाता है, अब कुछ नया देखने का मन करता है”

सिमरन –“तो आपको मेरी जरूरत क्या, आपके तो घर में ही एक बड़ा ही मस्त सुराख़ है, देख लीजिये” 

पंकज –“अरे नही, अभी तो तो आरू बच्ची है, उसमे वो मजा कहा” पंकज ने ऐसे दिखाने की कोशिश की जैसे मानो वो तो आरू को कभी उस नज़र से देखता ही नही है 

सिमरन –“अरे कहाँ बच्ची,अब तो वो पूरी माल बन चुकी है, एक बार ध्यान से देखिये तो सही” सिमरन पंकज को उकसाने की कोशिश कर रही थी ताकि वो उसे कुछ तो बताये अपने और आराधना के बारे में, पर पंकज अभी अपने और आरू के बारे में किसी को भी बताना नही चाहता था

पंकज –“अरे छोडो ना यार उसको, तुम अपना बताओ, प्लीज़ जल्दी से एक बार मेरे पप्पू को चूस दो ना, देखो ना तुम्हे देखकर कैसे तन गया है बेचारा” पंकज ने अपने लोअर के उपर से अपने तने हुए लंड की ओर इशारा करके कहा

सिमरन –“ अरे आपका हथियार तो सच में अभी से खड़ा होकर सलामी दे रहा है मुझे, पर इसे समझादो अभी सही टाइम नही है”

पंकज –“तो सही टाइम कब आएगा, अब और इंतज़ार नही होता सच में”

सिमरन –“चिंता मत करिये, जल्द ही वो टाइम आएगा, और तब जी भर कर अपने पप्पू की मालिश करवा लेना मुझसे”

पंकज उसकी बात सुनकर बड़ा खुश हुआ,

पंकज –“अच्छा ठीक है, अब तुम आरू से जाकर मिल लो, पर अपना वादा याद रखना”

सिमरन –“जरुर अंकल” ये कहते हुए सिमरन उपर की ओर जाने लगी और उपर जाते हुए उसने पंकज की और एक किस हवा में दे दिया 

पंकज सिमरन की अदाएं देखकर समझ गया कि पक्का ये लडकी जल्दी ही उसकी टांगो के निचे होंगी 
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12-05-2018, 03:05 AM,
#88
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
पंकज को अपनी चूत के सपने दिखाकर सिमरन सीधा उपर आराधना के कमरे में चली गई, आराधना उस समय अपने मोबाइल में कुछ काम कर रही थी, जैसे ही उसने सिमरन को देखा वो भागकर उसके गले लग गई,

सिमरन – क्या बात है आरू मैडम, आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर
आराधना – क्या यार, एक तो इतने दिनों बाद तुझे देखा है, और तू बोलती है.........

सिमरन – अच्छा नाराज़ क्यों होती है, मैं तो मजाक कर रही थी,

आराधना – चल ठीक है, आजा बेड पर बैठ कर बात करते है,

आराधना ने सिमरन को अंदर लिया और दरवाजे को अंदर से लॉक कर लिया और दोनों सहेलियाँ आकर बिस्तर पर बैठ गइ

सिमरन – अच्छा अब बता ना, क्या रहा दिल्ली में, जो काम करने गई थी, वो किया या खाली हाथ ही वापस आ गई...

आराधना – क्यूँ कमीनी, तुझे बड़ी जल्दी है जानने की... क्या करेगी जानकर 

सिमरन – अरे आरू बता ना प्लीज़.... जब से प्रीती ने मुझे फ़ोन पर बताया है कि तू वापस आ गई है तब से मेरे दिल में बैचैनी सी हो रही है जानने की 

आरू – अरे वाह, आजकल प्रीती से जयादा ही नजदीकियां बढ़ गयी है तेरी.... क्या चक्कर है??? 

आराधना जानना चाहती थी कि उसकी बेस्ट फ्रेंड उससे सच बोलती है या झूट, पर सिमरन ने भी उसे निराश नही किया 

सिमरन – देख आरू, अब तुझसे क्या छुपाना, सच तो ये है कि प्रीती भी अब जवान हो चुकी है, बेचारी को जवानी के मजे लेने थे, सो मैंने भी उसे जवानी का अलग मजा चखा दिया

आरू – “कैसा मजा???” आराधना अनजान बनती हुई बोली 

सिमरन – वो ही मजा जो दो लडकियाँ आपस में लेती है... समझी 

आरू – मतलब... तुम दोनों ने लेस्बियन रिलेशन बनाये...???

सिमरन – और नही तो क्या.... पर तू प्लीज़ गुस्सा मत होना उस पर ... और मुझ पर भी.... 

सिमरन की बात सुनकर आरू हंसने लगी..... 

सिमरन – अरे तू हंस क्यों रही है.... मैंने तो सोचा था तू मुझसे गुस्सा हो जाएगी... उस दिन वो कंडोम वाली बात के लिए कितनी नाराज़ हुई थी... 

आरू – पर अब मैं वो आरू नही रही,, अब मैं तुझसे गुस्सा हो ही नही सकती... दरअसल बात ये है कि.....

सिमरन – क्या बात है.. बता ना.......

आरू – दरअसल बात ये है कि मैंने भी प्रीती के साथ.....

सिमरन – प्रीती के साथ क्या....????

आरू – तुझे पता है क्या......

सिमरन – OMG.... मतलब तूने भी प्रीती की चूत का स्वाद चख लिया

आरू – ह्म्म्म.......

सिमरन – वाह... तू तो बड़ी ही तेज़ निकली... ये सब कब हुआ....

आरू – कल हम दिल्ली से वापस आये थे ना, उसके बाद ही ये सब कुछ हो गया.. अब तो प्रीती तेरी तरह ही मेरी बेस्ट फ्रेंड बन चुकी है... पर वो मुझे सब कुछ बताती है... तेरी तरह कुछ छुपाती नही...

सिमरन – क्यों, मैंने क्या छुपाया तुझसे????

आरू – यही कि तेरा बॉयफ्रेंड कोन है... कौन है वो जिसके साथ तू हमारे घर में मस्त रंगरेलिया मना कर गयी थी.....

सिमरन – मतलब... तुझे प्रीती ने सब कुछ बता दिया.......

आरू – हम्म्म्म......... पर मुझे लगा था कि तू मुझे बताएगी... खास कर जब मैंने तुझे अपने और पापा के बारे में इतना कुछ बता दिया....” आरू थोड़ी नाराज़गी से बोली....

सिमरन – सोरी यार आरू... मेरा मन तो था कि मैं तुझे बता दूँ कि मैं अपने भाई के साथ ही चुदाई करती हूँ... पर फिर मुझे डर था कि कहीं तू गुस्सा ना हो जाये...

आरू – चल ठीक है इस बार तो मैं तुझे माफ़ करती हूँ, पर आगे से तू मुझसे कुछ नही छुपाएगी, ठीक है ना

सिमरन – प्रॉमिस, पक्का कुछ नही छुपाऊगी , पर एक मिनट, तूने बोला कि प्रीति ने तुझसे कुछ नही छुपाया, इसका मतलब उसने तुझे ये भी बताया क्या कि वो भी किसी के साथ चुदाई करती है 

आरू – ह्म्म्म... ये भी बताया 

सिमरन – सच में.....

आरू – हाँ सच में...

सिमरन – मुझे बिलीव नही हो रहा, पहले तू मुझे बता कि उसने तुझे क्या बताया... कि वो किससे अपनी चूत मराती है 

आरू – तू ऐसे नही मानेगी, तो सुन, उसने मुझे बताया कि वो कुशल के साथ ही चुदाई करती है...अब खुश 

सिमरन – ये प्रीती तो बड़ी कमाल की निकली यार, अच्छा इसका मतलब तूने भी उससे कुछ नही छुपाया 

आरू – नही यार, अगर वो मुझे इतना कुछ बता सकती है, तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ना कि मैं भी उससे कुछ ना छुपाऊ

सिमरन – मतलब तूने उसे अपने और अपने पापा के बारे में सब कुछ बता दिया

आरू – हाँ यार, बता दिया.... और ये भी बता दिया कि दिल्ली में किस तरह मैंने और पापा ने सुहागरात मनाई... और कैसे उन्होंने प्यार से मेरी इस चूत को चूसा था... सब कुछ बताया

सिमरन – इसका मतलब तूने आखिर तीर निशाने पर मार ही दिया... हा हा हा 

आरू – ह्म्म्मम्म.....................हा हा हा 

सिमरन – काश मेरी भी प्रीती जैसी ही कोई बहन होती 

आरू – तो क्या मैं और प्रीती तेरी बहनों से कम है क्या 

सिमरन – हम्म... सच यार अब तो तुम दोनों मुझे अपनी सगी बहनों जैसे ही लगती हो... पर क्या तुझे पता है कि कुशल प्रीती के अलावा और किसकी फुद्दी लेता है 

आरू – हम्म्म्म...... मोम की ना....

सिमरन – यार तुझे तो सब पता है 

आरू – हाँ, प्रीती ने मुझसे कुछ नही छुपाया...

सिमरन – वैसे तूने कुशल का लंड देखा है क्या.....

आरू – नही यार, वैसे प्रीती कह रही थी कि उसका लंड कम से कम 8 इंच लम्बा और 3.5 इंच मोटा है, यानि पापा से भी बहुत बड़ा और मोटा

सिमरन – लगता है तेरी भी इच्छा हो रही है कुशल का लंड अपनी चूत में लेने की 

आरू – अब तुझसे क्या छुपाऊ यार, पर हाँ सच में मैं एक बार कुशल का लंड भी अपनी चूत में लेना चाहती हूँ...

सिमरन – सही कहा यार, जो लड़का अपने लंड से तेरी मोम जैसे मस्त घोड़ी की चूत शांत कर दे उसका लंड पक्का बड़ा ही तगड़ा होगा,

आरू – क्यूँ कमीनी, लगता है तेरा भी मन कर रहा है कुशल का लंड खाने का 

सिमरन – हाँ यार, प्लीज़ कोई जुगाड़ कर ना 

आरू – पहले मेरा तो होने दे, फिर तेरा भी करा दूंगी 

सिमरन – चल फिर ठीक है, तू जल्द से जल्द तेरे पापा की तरह ही कुशल को अपने जाल में फंसा कर अपने हुस्न का दीदार करा दे, फिर मैं भी थोडा हाथ साफ कर ही लुंगी,...हा हा हा ...

आरू भी सिमरन की बात सुनकर हंसने लगी....

कुछ देर और दोनों सहेलियाँ ऐसे ही बात करती रही... फिर सिमरन अपने घर चली गई... और आरू ये सोचने लगी कि अब कुशल को कैसे अपने जाल में फंसाया जाए....
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12-05-2018, 03:06 AM,
#89
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स

सिमरन – सही कहा यार, जो लड़का अपने लंड से तेरी मोम जैसे मस्त घोड़ी की चूत शांत कर दे उसका लंड पक्का बड़ा ही तगड़ा होगा,

आरू – क्यूँ कमीनी, लगता है तेरा भी मन कर रहा है कुशल का लंड खाने का 

सिमरन – हाँ यार, प्लीज़ कोई जुगाड़ कर ना 

आरू – पहले मेरा तो होने दे, फिर तेरा भी करा दूंगी 

सिमरन – चल फिर ठीक है, तू जल्द से जल्द तेरे पापा की तरह ही कुशल को अपने जाल में फंसा कर अपने हुस्न का दीदार करा दे, फिर मैं भी थोडा हाथ साफ कर ही लुंगी,...हा हा हा ...

आरू भी सिमरन की बात सुनकर हंसने लगी....

कुछ देर और दोनों सहेलियाँ ऐसे ही बात करती रही... फिर सिमरन अपने घर चली गई... और आरू ये सोचने लगी कि अब कुशल को कैसे अपने जाल में फंसाया जाए....

………………………………………………………….

आरू – अरे हाँ, याद आया, तुझे पता है? आज रात कुशल प्रीती की मस्त वाली चुदाई करने वाला है, 

सिमरन – तुझे कैसे पता???

आरू – अरे आज जब हम सब दोपहर को लंच कर रहे थे ना तो प्रीती और कुशल आपस में चैटिंग कर रहे थे मोबाइल पर, और उस टाइम प्रीती कुशल को बहुत ज्यादा चिड़ा रही थी, कुशल को भी बहुत गुस्सा आ गया था, और उसने मेसेज किया कि आज रात वो प्रीती की चूत बुरी तरह चोदेगा,

सिमरन – ओह माय गॉड, तब तो प्रीती की मौज है आज रात को...

आरू – हम्म्म्म यार....

सिमरन – काश मैं उन दोनों की चुदाई देख पाती 

आरू – यार इच्छा तो मेरी भी है.....

सिमरन – चल कोई नही फिर कभी देखा जाएगा

आरू – वैसे एक तरीका है मेरे पास, जिससे हम दोनों कुशल और प्रीती की चुदाई देख सकते है...

सिमरन – सच्ची... बता ना जल्दी से क्या तरीका है..

आरू – देख पहले तो तू आज रात यहीं रुक जा, अपने भैया को फ़ोन कर देना कि आज रात हमारे यहाँ ही रुकेगी...

सिमरन – हम्म... वो तो कोई प्रॉब्लम नही.... आगे बता

आरू – देख, मेरा और प्रीती का रूम बिलकुल आजू बाजू है, यानी कि एक ही दिवार है, और हमारा बाथरूम भी कॉमन है, कुशल का रूम हमारे सामने है,

सिमरन – हाँ वो तो मुझे पता ही है, पर इससे क्या फायदा 

आरू – सुन तो सही पूरी बात, हम चुपके से प्रीती के रूम की तरफ जो दरवाज़ा है ना बाथरूम का, उसमे छेद कर देते है.... और फिर रात को मजे से पूरा शो देख सकते है, क्यों क्या बोलती है...

सिमरन – वाह, आईडिया तो तेरा मस्त है, पर रात को हमे दिखेगा कैसा?

आरू – इसकी फ़िक्र तू ना कर, मैं प्रीती को बोल दूंगी कि रात को कमरे की लाइट बंद ना करे.... 

सिमरन – ह्म्म्म.... यार आईडिया तो तेरा एकदम धांसू है, चल फिर अभी से छेद के जुगाड़ में लग जाते है.... 

आरू – हाँ चल....

उसके बाद वो दोनों सहेलियाँ बाथरूम के अंदर गई, और किसी तरह प्रीती की तरफ वाले दरवाज़े में छेद करने लगी........

खटपट की आवाज़ से दूसरी तरफ सोयी हुई प्रीती की नींद खुल गयी, वो उठकर बाथरूम की तरफ गयी और इससे पहले कि वो दरवाज़ा खोले, अंदर से आराधना ने पहले ही दरवाज़ा खोल दिया 

प्रीती, आरू और सिमरन को एक साथ देखकर थोड़ी हैरान हुई, पर फिर बोली

प्रीती – आरू दीदी, ये आवाज़ कहाँ से आ रही थी, और आप दोनों बाथरूम के अंदर क्या कर रहे हो??

आरू – प्रीती, मैंने सिमरन को तेरे और मेरे बारे में सब कुछ बता दिया है, और कुशल के बारे में भी, अब हम तीनो एक दुसरे के राजदार है, 

प्रीती – सच में ....” प्रीती को ये सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई......

सिमरन – हाँ मेरी प्यारी गुड़िया..... अब हम तीनो के बिच कुछ नही छुपा... और हमे ये भी पता है कि आज रात तू कुशल के साथ मस्त सुहागरात मनाने वाली है 

सिमरन की बात सुनकर प्रीती बिलकुल शरमा गई..

प्रीती – स्टॉप इट ना दीदी, कुछ भी बोलते हो आप, 

सिमरन – देखो तो सही, कैसे सुहागरात के नाम से शर्मा गई बेचारी,,,

प्रीती को शर्माता देख आरू और सिमरन हंसने लगे 

प्रीती – पर आप दोनों यहाँ बाथरूम में क्या कर रही हो???

आरू – एक्चुअली हम दोनों तेरी और कुशल की चुदाई देखना चाहते है आज रात, सिमरन भी आज रात मेरे साथ ही रुकेगी... इसीलिए हम इस दरवाजे में छोटा सा छेद कर रहे है.... ताकि तुम दोनों की चुदाई देख सके.....

प्रीती – ओह तो ये बात है.... बड़ी इच्छा हो रही है आपको मेरी चुदाई देखने की बात क्या है... कहीं कुशल का लंड लेने की इच्छा तो नही हो रही ना... हा हा हा

प्रीती की बात सुनकर तीनो हंसने लगी....

उसके बाद तीनो लोग दरवाजे में किसी तरह छेद करने में लग गये, और कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने दो छोटे छोटे छेद बाथरूम के दरवाजे में कर दिए..... बाहर से वो छेद आसानी से नज़र नही आते,

अपनी मेहनत सफल होते देख तीनो सहेलियां बहुत खुश हो गयी.... इस बिच सिमरन ने फ़ोन करके अपने भाई को भी बता दिया कि आज रात वो आराधना के पास रुकेगी.....

...........................................................

अब कहानी को वापस कुशल की तरफ ले आते है......और वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था.......

कुशल और स्मृति स्विमिंग पूल में मस्त चुदाई करने के बाद वापस अपनी कार में बैठकर घर की तरफ रवाना हो गये, शाम का समय हो चूका था.. इसलिए थोडा अँधेरा भी हो चूका था......सडक थोड़ी सुनसान सी ही लग रही थी.... पर स्मृति के चेहरे पर पूर्ण संतुस्टी के भाव झलक रहे थे, और कुशल भी बहुत ही खुश नज़र आ रहा था 

कुशल – मोम, आज तो सच में मजा आ गया, आपकी टाइट चूत मारकर 

स्मृति – हाँ सच में यार, मुझे भी बहुत मजा आया आज तो, तेरे उसमे कोई जादू है, 

कुशल – उसमे किसमे??

स्मृति – “अरे तेरे इसमें...” स्मृति ने एक हाथ कुशल के लंड पर पेंट के उपर से ही फेरते हुए कहा 

कुशल – प्लीज़ नाम लेकर बोलो ना मोम 

स्मृति – लगता है तू मुझे अपने जैसा ही बना कर रहेगा??

कुशल – प्लीज़ मोम बोलो ना एक बार... मेरे किसमे जादू है....

स्मृति – अच्छा बाबा बोलती हूँ.... तेरे लंड में जादू है... जब भी अंदर जाता है... रोम रोम रोमांचित हो उठता है मेरा तो....

कुशल – कसम से मोम, मैंने आज तक जितनी भी चूत मारी है, आपकी चूत बेस्ट है, और आपकी चुत मारने में सबसे ज्यादा मजा आता है, 

कुशल का इतना बोलना था कि स्मृति ने जोर से ब्रेक मार दिया...और गाड़ी की स्टीअरिंग का बैलेंस थोडा बिगड़ गया.... कार सड़क से उतर गयी.... और सडक से थोडा दूर आकर रुकी.....अब सुनसान सी जगह पर कार में स्मृति और कुशल बैठे थे.....

स्मृति – क्या कहा तुमने...

कुशल – मैंने क्या कहा 

स्मृति – अभी अभी जो कहा था,

कुशल – यही की आपकी चुत मारने में सबसे ज्यादा मजा आता है 

स्मृति – नही उससे पहले

कुशल – “यहीं कि मैंने आज तक जितनी भी चुत मारी है, उसमे से आपकी चूत.....”

“ओह तेरी बहन दी....ये क्या बोल दिया मैंने” कुशल के दिमाग में आवाज आई......

स्मृति – इसका मतलब तूने किसी और की भी चूत मारी है... है ना 

कुशल – न....न......वो...वो...मोम.........मैं......

स्मृति – सच सच बता कुशल.... मेरे अलावा और किस किस की चूत मारी है तूने.......... 

कुशल – नही तो मोम... मैं तो बस......

स्मृति – “तुझे मेरी कसम, सच सच बता” स्मृति ने कुशल को बिच में टोक दिया

अब स्मृति ने अपनी कसम दे दी थी, अब बेचारा कुशल बुरी तरह फंस चूका था, झूट बोल नही सकता था, और सच वो बताना नही चाहता था.....

स्मृति – सोच क्या रहा है, जवाब दे मेरी बात का 

कुशल – पर आप नाराज़ तो नही होगी ना मोम....

स्मृति – वो बाद की बात है, पहले तू मुझे सच सच बता कि तूने मेरे अलावा और किस किस की चूत मारी है... और सच सच बताना बिलकुल....

कुशल – मोम..... वो मैंने...... आपके अलावा...दो... दो और लडकियों की चुत मारी है 

कुशल की बात सुनकर स्मृति के चेहरे पर नाराजगी के भाव साफ देखे जा सकते थे, शायद उसके मन में जलन की भावना थी, 

स्मृति – कौन है वो दो लड़कियां 

कुशल – मोम, एक तो वो .....वो..

स्मृति – वो वो क्या लगा रखा है.... साफ साफ बोल ना 

कुशल – मोम, एक तो वो मेरी टीचर है ना, प्रिया मेम.... करण की माँ 

स्मृति – क्या, तूने अपनी टीचर के साथ ही चुदाई कर ली.... 

कुशल – मोम वो सब कुछ इतने जल्दी में हो गया कि मुझे पता ही नही चला 

स्मृति – तो तू मना भी तो कर सकता था ना

कुशल – मैं सच में नही करना चाहता था मोम, पर ...

स्मृति – “पर यही ना, कि तुझसे कण्ट्रोल नही हुआ, शायद तेरा मुझसे जी भर गया है तभी बाहर मुंह मारता है....” स्मृति सच में कुशल की बात से थोड़ी दुखी हो गयी थी, उसे बहुत जलन हो रही थी....... वो कुशल को सिर्फ अपने लिए चाहती थी ..और शायद इसी वजह से उसे इतना बुरा फील हो रहा था...

कुशल – नही मोम, ये आप क्या बोल रही हो, आप बिलकुल गलत सोच रही हो, मैं तो आपको सब से ज्यादा प्यार करता हूँ, आप ये सोच भी कैसे सकती हैं कि मेरा आपसे जी भर गया है, मैं तो आपके बिना रहने का सोच भी नही सकता 

स्मृति – तू ये सब मुझे बहलाने के लिए बोल रहा है, सच तो ये है कि तू मुझसे प्यार ही नही करता, तुझे सिर्फ और सिर्फ चुत चाहिए, जहाँ भी तुझे चुत मिलेगी तू वहीं लार टपकाते हुए चल............

इससे पहले कि स्मृति कुछ भी और बोलती उसके गा्ल पर एक जोरदार तमाचा आकर पड़ा, वो तो वहीं सुन्न हो गयी....

कुशल – खबरदार जो ऐसा फिर कहा.... आपको पाने के लिए मैंने ना जाने क्या क्या किया है, और आप कह रही हो कि मैं आपसे प्यार नही करता... मैंने आपसे ज्यादा प्यार आज तक किसी से नही किया .... आपके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ.... आपके बिना तो मैं एक पल भी नही रह सकता......... पर अगर आपको अब मुझसे प्यार नही है तो मैं आपकी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाऊंगा....

कुशल अभी बोल ही रहा था कि उसके गा्ल पर भी एक जोरदार चांटा आकर पड़ा... 

स्मृति – ख़बरदार जो मुझसे दूर जाने की बात भी की तो.... बड़ी मुस्किल से जिंदगी में कुछ खुशियाँ आई हैं और तू चाहता है कि वो भी मुझसे छीन जाए.... 

स्मृति और कुशल दोनों की आँखों से आंसू बहने लगे... अब कुशल से रहा नही गया और उसने झट से आगे बढ़कर स्मृति के होठों को अपने होठों की कैद में ले लिया...... और जोर जोर से उसके होठों को चूसने लगा... स्मृति भी अब कुशल का पूरा साथ दे रही थी....... कुशल ने एक झटके में स्मृति के बूब्स को अपने हाथों की कैद में ले लिया..... और जोर जोर से दबाने लगा.... स्मृति ने भी अपना एक हाथ बढ़ाकर कुशल के लोअर में घुसा दिया और उसके लंड को मसलने लगी.... कुशल का लंड अपने आकार में आने लगा... दोनों के चेहरे पर हवस पूरी तरह से हावी हो चुकी थी....

स्मृति ने झट से कार में एक बटन दबाया जिससे आगे वाली दोनों सीटें अनफोल्ड होकर बिलकुल निचे हो गयी.... अब ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी में कोई छोटा सा बेड बन गया हो...

इधर कुशल जोर जोर से स्मृति के बूब्स दबाये जा रहा था.... स्मृति से अब बर्दास्त नही हो रहा था ...उसने खुद ही अपनी साडी का पल्लू गिरा दिया.... और फटाफट अपनी साडी खोलने लगी.....कुशल भी जल्दी से अपने कपडे उतारने लगा.... कुछ ही पलो में स्मृति और कुशल बिलकुल नंगे हो चुके थे.........

कुशल ने स्मृति को उस सीट पर लेटाया और उसकी चूत में अपनी एक ऊँगली पेल दी......

स्मृति - हाऽऽऽऽऽऽय्यय ऽऽऽऽऽ डाल...इइइइइइइइ, उइओओओओओओ, 

कुशल की उँगलियाँ अब अपनी मोम की बुर के अंदर बाहर हो रही थी, 

स्मृति- आऽऽहहह अब रुका नहीं जा रहा कुशल , चल फाड़ दे मेरी बुर अभी के अभी , 

कुशल- मोम, आज तो पूरी तरह आपकी बुर फाड़ूँगा

स्मृति- हाय्य्य्य्य जो करना है कर ले, मगर अब और ना तरसा, 

अब कुशल ने अपनी भरे बदन की मोम को सीट पर लेटाया...और अपने होठों को स्मृति की गर्दन पर घुमाने लगा...

अब कुशल ने स्मृति को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया, और उसकी गर्दन का पिछला हिस्सा चूमते हुए नीचे पीठ को चूमने लगा, फिर नीचे आकर उसने बड़े बड़े चूतरों को चाटने लगा....फिर नीचे जाकर उसकी जाँघों और पिंडलियों को चूमते हुए उसके पैर के पंजे को चूमने और चाटने लगा, स्मृति की आऽऽहहह निकलने लगी, 

स्मृति- आऽऽह क्या कर रहा है? ह्म्म्म्म्म्म.... डाल ना... क्यों तडपा रहा है......

पर कुशल तो फिर से उसके पावों को चाटते हुए ऊपर आया और उसकी चूतरों की दरार को खोल कर उसने अपना मुँह डालकर वहाँ भी चाटने लगा, 

स्मृति- आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽ उइइओइइइइइ 

कुशल अब उसकी गाँड़ के छेद पर जीभ फिराने लगा, 

स्मृति- उइइइइओओओ 

कुशल- मोम, थोड़ा चूतर ऊपर उठाओ ना, 

स्मृति ने अपना पिछवाड़ा उठा लिया.... 

कुशल थोड़ी देर तक तो उसके पिछवाड़े की सुंदरता को निहारता रहा 

“हाय....क्या गोरे गोल मांसल चूतड हैं मोम आपके... भूरी सिकुड़ी सी गाँड़ तो बिलकुल मक्खन जैसी चिकनी लग रही है....और ये रेशम जैसी मुलायम बुर तो पूछो ही मत... जितना चुसो उतना और चूसने की इच्छा होती है..... अब कुशल स्मृति की बुर भी चाटने लगा, 

स्मृति- हाऽऽऽय्य्य्य्य बेटाआऽऽऽऽ आऽऽऽऽज माऽऽऽर डाऽऽऽऽऽऽलेगा क्याआऽऽऽऽ,

कुशल फिर अपना लौड़ा उसकी बुर में रखा और उसने कहा- मोम, डालूँ?

स्मृति- आऽऽहहह क्या पंडित बुलाऊँ और मुहूर्त निकलवाऊँ, अरे नालायक डाऽऽऽऽऽऽल नाआऽऽऽऽऽऽ, 

कुशल- पर पहले आप मुझसे मेरे लंड की भीख मांगो तभी डालूँगा...

स्मृति- आऽऽऽहहह क्यों तंग कर रहा है? डाल दे ना, वह अपनी कमर को पीछे की ओर हिलाकर बोली,

कुशल- पहले बोलो तब डालूँगा, ये कहते हुए उसने उसकी बुर में अपना सुपाड़ा रगड़ा , 

स्मृति- आऽऽऽऽहहह डाऽऽऽऽल्लल्ल कमीने साले मादरचोद ,

कुशल हँसते हुए बोला- क्या डालूँ मोम , बोल ना,

स्मृति- मादरचोद, अपना मोटा लौड़ा और क्या डालेगा, हाय्य्य्य्य्य अब ड़ाऽऽऽऽल दे ना मेरा राजा बेटा, 

कुशल ने अपना लौड़ा उसकी बुर में ठेला और बोला- लो मेरा लौड़ा अपनी बुर में , और उसने ज़ोर से धक्का मार कर अपना लौड़ा पूरा पेल दिया, जड़ तक, उसके बड़े बॉल्ज़ उसकी गाँड़ के छेद से रगड़ने लगे, 

अब उसने चुदायी चालू की और धक्कों की स्पीड भी बढ़ाता चला गया, अब वह स्मृति की चूचियाँ भी दबाने लगा और उसके अंगूर जैसे बड़े निपल्ज़ को भी मसलने लगा, 

स्मृति - आऽऽऽऽहहहह बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है बेटाआऽऽऽऽऽऽऽ, और जोओओओओओओओओओर्रर्र से चोओओओओओओओओदो आऽऽऽहहह फ़ाऽऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओओ , उइइइइइओइइइइइइइ मैं तो गयी , कहते हुए वह ज़ोर ज़ोर से पीछे को धक्का लगाने लगी और उसके लौड़े को अपनी बुर में ज़ोर से भींच लिया, 

कुशल भी स्वर्गिक सूख का आनंद लेते हुए बोला- ले और ले , ह्म्म्म्म्म्म ले, आऽऽहहहह और ले साऽऽऽऽली क़ुतियाआऽऽऽऽऽऽऽऽ,

स्मृति उसके मुँह से ये शब्द सुनकर थोड़ी देर के लिए हैरान हुई पर फिर अपनी वासना की आँधी में बहते हुए मजा लेने लगी, 

स्मृति – और जोर से चोद साले मादरचोद...फाड़ दे मेरी बुर को आज...

कुशल – साली कुतिया...आज तो तुझे ऐसा चोदुंगा कि कई दिनों तक लंगड़ा कर चलेगी लोडी साली.....

कुशल और स्मृति दोनों ही इस जंगली चुदाई का मजा ले रहे थे.....गाली गलोच ने तो माहोल को और भी ज्यादा गरमा दिया था, और अब दोनों को बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था......


अब कुशल ने उसकी कमर को पकड़कर एक ज़बरदस्त धक्का दिया और स्मृति की चीख़ निकल गयी- हाऽऽऽऽऽऽऽयय्यय माआऽऽऽऽऽऽऽर्रर्र डाआऽऽऽऽऽऽऽऽला रेएएएएएएएएए, 
कुशल- मोम बस पूरा चला गया, अब नहीं दुखेगा,

स्मृति- आऽऽहहह फट गयी मेरीइइइइइइइ, आह्ह्ह्ह्ह अब चूचि दबा बेटा और बुर भी मसल दे बेटा,

अब कुशल उसकी चूचि दबाकर उसकी बुर के दाने को भी सहलाने लगा, जल्दी ही वह गरम हो गयी और बोली- आऽऽहहहह अब मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽय्यय्या ना, हाय्यय्यूय चल अब चोद मेरा राजा बेटा अपनी मोम की चूत को, हाय्य्य्य्य्य्य्य्य,

अब स्मृति की चुदायी सही माने में चालू हुई, कुशल के धक्कों से पूरा कार ठप ठप और चूँ चूँ की आवाज़ कर रहा था, कुशल की मर्दाना जाँघें स्मृति के चूतरों से टकराकर मस्ती वाली ठप ठप की आवाज़ निकाल रही थी, 
स्मृति भी हाऽऽऽयय्यय बेएएएएएएएएएटा कहते हुए अपने चूतरों को पीछे की ओर दबाकर चुदायी का पूरा मज़ा ले रही थी, 
कुशल के जवान जिस्म की पूरी ताक़त का अन्दाज़ अब स्मृति को हो रहा था और हर धक्के के साथ वह सुख के गहरे सागर में गोते लगा रही थी, कुशल के हाथ उसकी चूत और चूचि पर थे 

वह चिल्लायी- आऽऽऽऽहहह बेटा फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दे मेरीइइइइइइइइ गाँआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽड़ , 

कुशल भी आह्ह्ह्भ्ह्ह्ह्ह्ह क्याआऽऽऽऽऽऽऽ मस्त चिकनी चूत है मोमआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, हाऽऽऽयय्यय ,


लगभग 15 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद कुशल को लगा मानो उसका पानी निकलने वाला है....

कुशल – हाय.....मोम.... मेरा पानी निकलने वाला है कहाँ निकलूं....

स्मृति – हाययय...बेटा.... अंदर ही निकाल दे......मैं तेरे पानी को अपनी चुत में महसूस करना चाहती हूँ....निकाल दे अंदर ही....

और तभी कुशल को ऐसा लगा मानो उसकी सारी सख्ती उसके लंड की नसों में इकठ्ठा हो गयी और जोर जोर से उसके लंड से उसके वीर्य की बड़ी बड़ी पिचकारियाँ स्मृति की गरम चूत में जाने लगी... स्मृति इन पिचकारियों को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके मानो मदहोश सी हो गयी और उसका लावा भी साथ साथ फुट पड़ा......

कुशल और स्मृति दोनों ही आज बुरी तरह झड़े थे....इतना पानी आज तक दोनों का ही नही निकला था,,,, शायद गाली गलोच की वजह से दोनों ही कुछ ज्यादा ही गरम हो गये थे....

थोड़ी देर बाद दोनों ने अपनी सांसो को दुरुस्त किया, और अपने कपडे पहने ...

स्मृति और कुशल ने दोबारा एक बार किस किया और फिर स्मृति ने सीट को सही करके कार स्टार्ट की....और कार को घर की तरफ मोड़ दिया.....

स्मृति – वाह... आज तो सच में मजा आ गया बेटा....

कुशल – मोम, सोरी मैंने आप पर हाथ उठाया और आपको गाली दी...

स्मृति – नही बेटा, तेरा मुझे थप्पड़ मारना मुझे बिलकुल भी बुरा नही लगा, बल्कि ये तो इस बात का सबूत था कि तू मुझसे प्यार करता है.... थैंक्यू कुशल...

कुशल – थँक्स मोम.....

स्मृति – पर हाँ तूने ये तो बताया ही नही कि तूने दूसरी किस लडकी की चूत मारी....

कुशल – नही मोम, अगर मैंने आपको बताया तो आप मुझसे दोबारा गुस्सा हो जाओगी...

स्मृति – मैं प्रॉमिस करती हूँ कि गुस्सा नही करूंगी... तू बता...

कुशल – मोम.. वो वो दूसरी लडकी....

स्मृति – बोल ना कौन है वो दूसरी लडकी...

कुशल – मोम वो दूसरी लडकी प्रीती है.....

स्मृति पर तो जैसे बम फूटा.......उसने दोबारा जोर से ब्रेक लगाया..

स्मृति – क्या... तूने प्रीती को भी चोद दिया....कब हुआ ये...

कुशल – मोम... आपने प्रॉमिस किया था कि आप गुस्सा नही होगी....

स्मृति – पर तूने ऐसा क्यूँ किया.... 

कुशल – मोम.. मुझसे गलती हो गयी... पर मैं आपसे वादा करता हूँ कि आज के बाद आपके सिवा मैं किसी भी लडकी की तरफ देखूंगा भी नही... मुझे बस आप और आपकी ये प्यारी सी चूत चाहिए.....मैं आज के बाद किसी भी और लडकी को नही चोदुंगा......प्रॉमिस...

स्मृति – ठीक है तो.... अगर तू मुझसे प्यार करता है ना... तो मेरे से छुप कर कभी किसी दूसरी लड़की को नही चोदेगा...ठीक है ना..

कुशल – ठीक है मोम.......

अब स्मृति के चेहरे पर मुस्कान दोबारा आ चुकी थी.... उसे भरोसा हो चूका था कि उसका बेटा अब सिर्फ और सिर्फ उसे ही चोदेगा....भले ही स्मृति प्रीति की मोम थी पर थी तो ओरत ही.. और ओरत के मन में जलन की भावना आ ही जाती है... यहाँ भी स्मृति प्रीती और प्रिया मेम से जल रही थी.... उसे डर था कि उसका बेटा उसे छोड़ ना दे... पर अब उसका डर दूर हो चूका था.....

अब स्मृति और कुशल वापस घर की तरफ चल पड़े.....

..................

दोस्तों आपको क्या लगता है अब क्या होगा... एक तरफ तो प्रीति, आराधना और सिमरन बड़ी बेसब्री से रात को होने वाली चुदाई का इंतज़ार कर रहे है और इधर दूसरी तरफ कुशल ने अपनी मोम से वादा कर लिया है कि वो उसके अलावा और किसी को नही चोदेगा..... मामला बड़ा गड़बड़ होता जा रहा है........
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12-06-2018, 11:06 PM,
#90
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल अब सच में एक अजीब सी स्तिथि में फंस चूका था, एक तरफ वो अपनी मोम को वादा कर चूका था कि अब वो उनकी मर्ज़ी के बिना किसी और लडकी की चूत की तरफ देखेगा भी नही और दूसरी तरफ उसकी इच्छा थी कि उसे प्रीती की कोरी मलाईदार चूत से हाथ भी ना धोना पड़े, अजीब उहापोह में फंस चूका था बेचारा, पर अब तो वो अपनी मोम की कसम भी खा चूका था तो वादा तो उसे निभाना ही पड़ेगा, यही सब सोचते सोचते ना जाने कब स्मृति और कुशल वापस घर पहुंच चुके थे,

आरू, प्रीती और सिमरन अपने रूम में बैठी बाते कर रही थी, जब उन्होंने निचे गाडी की आवाज़ सुनी तो उन सबके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गयी...

सिमरन – ये ले आरू, आ गया बकरा अपनी अम्मा को चोदकर, हे हे हे

आरू – आने दो, आज तो प्रीती इसका पूरा मजा ले लेगी, क्यों प्रीती

प्रीती – हाँ दीदी, आज तो मैं कुशल को वो जन्नत दिखाउंगी कि आज के बाद ये मोम की चूत को भूलकर सिर्फ मेरी चूत के पीछे ही पड़ा रहेगा देखना....

सिमरन – अरे देखना प्रीती, कहीं हम दोनों को ना भूल जाना,

प्रीती –अरे नही दीदी, एक बार मैं जम कर चुदवा लूँ, फिर तो आप दोनों को भी जल्द ही कुशल के लंड के निचे लेटाने की जिम्मेदारी मेरी, क्यूँ आरू दीदी,, चुदोगी ना कुशल से या सिर्फ आपकी इस चूत पर सिर्फ पापा का ही नाम लिखा है..

आरू – अब भला चूत पर भी किसी का नाम लिखा होता है क्या, हे हे हे

आरू की बात सुनकर प्रीती और सिमरन हंसने लगे........

सिमरन – लगता है मेरी बिल्लो रानी को कुशल का लंड लेने की बड़ी खुजली हो रही है, क्यों आरू.. हो रही है ना तुझे खुजली

आरू – यार तू भी ना, अब एक तो इस प्रीती ने कुशल के लंड के बारे में जब से बताया है, वैसे ही मेरा मन बार बार उसका लंड देखने को हो रहा है अब ऐसे में चूत तो बेचारी टेसुए बहाएगी ही ना... वैसे तुझे इच्छा नही हो रही क्या कुशल का लंड लेने की कमीनी

सिमरन – अरे यार मुझे तो सबसे ज्यादा इच्छा हो रही है, देख मेरे भाई का लंड उतना ज्यादा बड़ा नही और प्रीती की बात अगर सही है तो कुशल का लंड तो मेरे भाई से दुगुना लम्बा और ढाई गुना मोटा है, अब ऐसे लंड को भला मैं अपनी बुर से कैसे दूर रख सकती हूँ, तू ही बता, हे हे हे...........

सिमरन की बाते सुनकर तीनो हंसने लगी....

..............................................................................................................

इधर कुशल और स्मृति अब कार पार्क करने के बाद घर के अंदर आ गये, उन्हें देखकर कोई नही बता सकता था कि अभी अभी ये गाड़ी में रासलीला मना कर आ रहे है, 

स्मृति – कुशल बेटा, तू उपर जाकर हाथ मुंह धो ले, मैं भी थोडा फ्रेश हो जाती हूँ, फिर जल्दी से खाना बना देती हूँ, ओके

कुशल – ओके मोम

और कुशल उपर की और जाने लगता है.....तभी अचानक स्मृति ने दोबारा से उसे टोका

स्मृति – कुशल सुन,

कुशल – हाँ मोम

स्मृति – अपना वादा याद रखना.....

कुशल – पक्का मोम... 

कुशल ने बोल तो दिया था पर उसे भी पता था कि उसे अपने वादा निभाने में बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, प्रीती की जवानी से बचने के लिए उसे ना जाने अब क्या क्या करना पड़ेगा.....यही सब सोचते हुए कुशल अपने रूम में चला गया....

इधर स्मृति भी अपने रूम के अंदर आ गयी.... पर जैसे ही वो अंदर आई... उसने देखा पंकज तैयार अपना बैग पैक कर रहा था जैसे कहीं जाना हो उसे....

स्मृति – अरे आप कहीं जा रहे हो क्या....

पंकज – हाँ यार, अभी अभी गुप्ता का फ़ोन आया था, कल दिल्ली में एक बहुत बड़ा कस्टमर के साथ मीटिंग फिक्स हुई है, इसलिए अभी रात को ही निकलना पड़ेगा....

स्मृति – पर इतनी रात को....

पंकज – क्या करूं यार बिज़नस के लिए जाना ही पड़ेगा....अपना मेनेजर गुप्ता है ना वो भी जाएगा मेरे साथ, अभी रस्ते में उसे भी पिक करना है मुझे

स्मृति – वापस कब आओगे...

पंकज – कुछ कह नही सकता....अगर कल की मीटिंग कामयाब रही तो कम से कम एक हफ्ता वहीं रुकना पड़ेगा....पर अगर ये डील मिल गयी तो हमारे पो बारह हो जायेगे....

स्मृति – पर आप... चलो ठीक है आप तैयार हो जाओ, मैं अभी आपके लिए फटाफट खाना बना देती हूँ... खाना खाकर ही जाना...
पंकज – ठीक है, पर जल्दी करो.....

फिर स्मृति ने जल्दी से कपडे चेंज किये और हाथ मुंह धोकर फटाफट किचन में घुस गयी.... लगभग आधे पोंन घंटे में उसने खाना बना दिया.....इधर पंकज की भी पैकिंग पूरी हो चुकी थी.....

स्मृति ने बच्चो को भी आवाज़ देकर बुला लिया.... कुशल, आरू प्रीती और सिमरन सब निचे आ चुके थे.... आरू ने जब पापा को इस तरह तैयार देखा तो बोली

आरू – अरे पापा, आप इस टाइम ऐसे सूट बूट में कैसे???

पंकज – बेटा, क्या है न कि मुझे वापस दिल्ली जाना है अर्जेंट काम से, १ हफ्ते के लिए.....इसीलिए.....

पंकज की बात सुनकर आरू थोड़ी सी उदास हो गयी, पर वो भी जानती थी कि बिज़नस भी बहुत जरूरी है... इसलिए कुछ नही बोली.....

सभी ने जल्दी से खाना खा लिया और फिर पंकज को कार में विदा किया......

.................................................................................................................................

आरू – मोम, आज सिमरन मेरे साथ ही रुकेगी, आज इनके घर पर कोई नही है ना इसलिए

स्मृति – कोई बात नही बेटी, जैसे तुम्हारी मर्ज़ी, वैसे भी सिमरन तो मेरी बेटी जैसी ही है....

आरू – थैंक यू मोम....

अब सब लोग अपने अपने कमरे में जा चुके थे.........

सब लोग अपनी अपनी जगह खुश थे सिवाय एक इन्सान के, वो था कुशल

क्यूंकि कुशल को पता था कि आज दोपहर को ही लंच के वक्त उसने प्रीती को बोला था कि वो आज रात उसकी चूत की सारी गर्मी निकाल देगा, पर अब वो प्रीती को कैसे मना करेगा, और अगर उसने आज भी उसे मना कर दिया तो वो पक्का उसका मजाक उड़ाएगी...... अजीब हालत हो गयी बेचारे कुशल की.... लंड कह रहा था कि जा जाकर मारले प्रीती की मक्खन चूत... और दिमाग कह रहा था कि नही, मोम से किया वादा नही तोड़ सकते... 
अब बेचारा कुशल करे तो क्या करे....

इधर स्मृति आराम से अपने कमरे में आकर सो गई क्यूंकि उसे पता था कि आज रात उसे अकेले ही सोना पड़ेगा क्यूंकि आज तो सिमरन भी यही रुकी है, ऐसे में वो कोई भी रिस्क नही ले सकती थी..... 

आरू और सिमरन टकटकी लगाये घडी की तरफ देखकर समय काटने की कोशिश कर रही थी, एक एक पल उन्हें एक एक दिन जितना लम्बा लग रहा था, वो तो बस चाह रही थी थी कि कब कुशल जल्दी से प्रीती के रूम में आये, और उन दोनों की चुदाई शुरू हो, ताकि उन्हें भी कुशल का लंड देखने का मौका मिल सके

प्रीती भी अपने रूम में जीरो वाट का बल्ब जलाये अपने बिस्टर पर करवटे बदल रही थी, पर वक्त तो उसका भी बड़ी मुश्किल से कट रहा था, वो तो बस उस पल का इंतज़ार कर रही थी कि कब उसके गेट का दरवाज़ा खटखटाये और कब कुशल आकर उसकी गरम फुद्दी को अपने लंड के गरमा गरम पानी से लबालब कर दे....

पर वक्त बीतता गया और रात के लगभग 11 बजने वाले थे, पर ना तो उसके दरवाज़े पर कोई दस्तक हुई ना ही कुशल का कोई मेसेज उसके फ़ोन पर आया... अब उससे और इन्तेजार नही हो पा रहा था, 

“कहीं वो कुशल भूल तो नही गया दोपहर वाली बात, या फिर कही वो सो तो नही गया है, तभी शायद नही आया होगा, पर अगर वो सो गया तो मुझे चोदेगा कौन, नही नही, मैं उसे नही सोने दे सकती, मुझे उसके पास जाना ही होगा, अगर वो नही आता तो मुझे ही उसके पास जाना होगा, पर फिर आरू और सिमरन दीदी कैसे देख पायेगी, पर..........एक काम करती हूँ, कुशल को मेसेज कर देती हूँ, शायद फिर वो आ जाये....” प्रीती ने मन में सोचा 

प्रीती ने कुशल को मेसेज टाइप किया – हाय, प्रीती हियर, सो गये क्या

इधर कुशल के फ़ोन पर मेसेज टोन आते ही कुशल समझ गया कि हो ना हो ये पक्का प्रीती का मेसेज है, पर अब वो क्या करे, वो प्रीती को चोद तो सकता नही था, तो फिर मेसेज पढकर क्या फायदा, उसने कुछ देर इग्नोर किया पर दोबारा प्रीती ने एक और मेसेज भेज दिया....इस बार कुशल से बर्दास्त नही हुआ और उसने फ़ोन उठा कर मेसेज चेक किये
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