antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
12-06-2018, 11:06 PM,
#91
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
प्रीती – क्या हुआ सो गये क्या...

कुशल – नही....

प्रीती – तो क्या कर रहे हो...

कुशल – कुछ नही बस सोने की कोशिश कर रहा हूँ...

प्रीती – क्यों इतनी जल्दी.... 

कुशल – इतनी जल्दी कहाँ है, 11 बज चुके है...

प्रीती – पर तुमने तो मुझसे कुछ प्रोमिस किया था ना....

कुशल – प्रोमिस कैसा प्रोमिस

प्रीती – इतनी जल्दी भूल गए या भूलने का नाटक कर रहे हो 

कुशल – नही मुझे याद नही तुम कौनसे प्रॉमिस की बात कर रही हो, मैंने तो तुमसे कोई प्रॉमिस नही किया.....

प्रीती – क्यों याद नही, आज दोपहर में लंच के टाइम पर तुमने मुझे मेसेज किया था कि आज रात...” प्रीती को अब सच में गुस्सा आ रहा था.....

कुशल – आज रात क्या..

प्रीती – तू ऐसे नही मानेगा... तूने मुझसे वादा किया था कि आज रात मेरी चूत मारेगा तू, क्यों याद आया या भूल गया....

कुशल प्रीती की इस तरह की भाषा से एक बार चोंक गया पर फिर मेसेज किया

कुशल – सोरी प्रीती, वो तो बस मैंने यूँ ही मजाक में कर दिया था....

प्रीती को अब बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था, और आये भी क्यों ना, उसने तो आज रात के लिए ना जाने क्या क्या सपने सजाये थे और कुशल उसके सपनों पर पानी फेरने वाला था......

प्रीती – मजाक, कैसा मजाक....

कुशल – सॉरी यार पर मैं वो सब नही कर सकता 

प्रीती – क्या मतलब नही कर सकता

कुशल – मतलब मैं तुझे नही चोद सकता

प्रीती ने जब उसका ये रिप्लाई पढ़ा तो उसके गुस्से का पारा बिलकुल चढ़ गया.... उसने झट से पहले आरू को मेसेज किया कि – दीदी, मैं अभी कुशल के रूम में जा रही हूँ....वो पता नही क्यूँ मुझे चोदने से मना कर रहा है.... मैं अभी उसके पास जाकर उसे मनाती हूँ... और हाँ मैं आपको कॉल करके फ़ोन चालू रख रही हूँ ताकि आप दोनों हमारी बाते सुन सको....हो सका तो मैं थोड़ी देर में उसे लेकर इस रूम में आ जाउंगी... तब तक आप वेट करो... और ये मेसेज करके प्रीती गुस्से में खड़ी हुई और सीधा कुशल के रूम की तरफ बढ़ गयी....

कुशल की आज किस्मत ख़राब थी कि उसने रूम भी अंदर से लॉक नही कर रखा था, इसलिए प्रीती ने जोर से दरवाजे को धकेला और झल्लाती हुई अंदर आकर दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया, कुशल उसे अचानक अपने कमरे में देखकर सकपका गया, गुस्सा उसके चेहरे पर साफ नज़र आ रहा था, 

कुशल – प्रीती....तू,,,,तू यहाँ क्यों आई है...

प्रीती – मैं यहाँ क्यों आई हूँ... साले कुत्ते अगर तेरे लंड में दम नही तो मुझे पहले ही बता देता.... कम से कम मैं तेरा इंतज़ार तो नही करती.......

कुशल – देख प्रीती... आराम से बात कर... ऐसे गाली गलोच करना मुझे पसंद नही...

पर प्रीती तो अब जैसे गुस्से से लाल हो चुकी थी....

प्रीती – आराम से.... माय फूट......साले अगर तू मुझे नही चोद सकता तो बता दे..मैं किसी और लंड का इन्तेजाम कर लुंगी....

प्रीती की बात कुशल के साथ साथ फ़ोन पर आरू और सिमरन भी सुन रहे थे, उन्हें भी यकीं नही हो रहा था कि प्रीती ऐसी बाते भी कर सकती हैं

कुशल – देख प्रीती ....यार मैंने सॉरी तो बोल दिया...अब क्यों गुस्सा हो रही है....प्लीज़ सॉरी

प्रीती – मुझे तेरा सॉरी नही चाहिए..

कुशल – तो क्या चाहिए

प्रीती – तेरा ये लंड चाहिए मुझे

और ये कहकर प्रीती कुशल के बिलकुल नजदीक आ गयी और उसके पजामे पर से ही उसके लंड को मुट्ठी में भर लिया... प्रीती की हथेली में आते ही लंड तो अपनी ओकात में आना शुरू हो गया...

प्रीती – ये देख तेरा लंड भी कैसे मेरी फुद्दी में घुसने के लिए तड़प रहा है, अब मुझे और मत तडपा... और जल्दी से अपना ये मुसल लंड मेरी चूत में पेल दे...

कुशल – नही प्रीती..मैं ये नही कर सकता..

प्रीती ( उसके लंड को जोर से दबाते हुए ) – पर क्यों नही कर सकता...

कुशल – अब तुझे कैसे समझाऊ कि क्यों मैं तुझे चाहते हुए भी नही चोद सकता..

प्रीती – नही, लगता है तुझमे दम ही नही जो मेरे जैसी मस्त फुद्दी को चोद सके, क्यूंकि इतनी गर्म चूत को चोदने की हिम्मत सिर्फ एक मर्द में ही हो सकती है, और तू तो नामर्द है कुत्ते...

प्रीती का इतना कहना था कि कुशल ने जोर से खिंच कर एक थप्पड़ प्रीती के गाल पर लगा दिया..

कुशल – क्या बोली साली कुतिया, मुझे नामर्द बोलती है, अगर मेरा बस चलता ना तो अभी तुझे नंगा करके तेरी चूत को फाड़ देता अपने लंड से, और इतनी बुरी तरह चोदता कि तू जिंदगी भर मुझसे चुदवाने के लिए तडपती....साली रंडी...

प्रीती – हाँ तो मैं भी तो यही चाहती हूँ... चोद क्यों नही देता मुझे, दिखा दे मुझे कितनी मर्दानगी है तुझमे...

कुशल – नही मैं तुझे नही चोद सकता...

अब प्रीती के सब्र का बाँध टूटता जा रहा था, क्यूंकि कुशल तो पिघलने के लिए तैयार ही नही था....इधर आरू और सिमरन जो फ़ोन पर उनकी बाते सुन रहे थे, उन्हें भी समझ नही आ रहा था कि आखिर कुशल प्रीती को चोद क्यूँ नही रहा, 

कुशल अब चुप हो गया, पर प्रीती इतनी जल्दी हार मानने वाली नही थी... उसने अपना सबसे खतरनाक दांव चल दिया...
और पलक झपकते ही प्रीती ने अपना नाईट गाउन उतारकर फ़ेंक दिया... प्रीती ने अंदर कुछ नही पहन रखा था...

अब प्रीती बिलकुल मादरजाद नंगी खड़ी थी, कुशल की आंखे तो ऐसे खूबसूरत हुस्न को देखकर चुन्धियाँ ही गयी..... और उसका लंड अब उसके पजामे में बिलकुल तनकर खड़ा हो गया...

प्रीती – देख कुशल देख, इस खूबसूरत बदन को चोदने के लिए तो लोग खून करने को भी तैयार हो जाए, और तू है कि ....

कुशल – नह.....न...नही प्रीती...मुझे मजबूर मत कर...

अब तो प्रीती का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ चूका था, और उसने वो बोल दिया जो शायद वो बोलना भी नही चाहती थी....

प्रीती – क्यों नही चोदना चाहता तू मुझे.... क्या कमी है मुझमे.... और क्या खास बात है मोम में जो तू मुझ जैसी जवान लड़की को छोडकर उसके पीछे पागल हुआ पड़ा है...बोल..

प्रीती की बात सुनकर कुशल बुरी तरह चोंक गया, साथ ही आरू और सिमरन भी अपने माथा पीट बैठे कि इस लडकी ने गुस्से में ये क्या बक दिया...

बड़ी अजीब सी स्तिथि हो गयी दोस्तों... प्रीती नंगे बदन अपने भाई के कमरे में खड़े होकर ये पुच्छ रही थी कि आखिर वो उसे छोडकर उनकी मोम को क्यों चोदता है....सिचुएशन गरमा गयी है...

आपको क्या लगता है अब क्या होगा...... 
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12-06-2018, 11:45 PM,
#92
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
प्रीती – देख कुशल देख, इस खूबसूरत बदन को चोदने के लिए तो लोग खून करने को भी तैयार हो जाए, और तू है कि ....

कुशल – नह.....न...नही प्रीती...मुझे मजबूर मत कर...

अब तो प्रीती का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ चूका था, और उसने वो बोल दिया जो शायद वो बोलना भी नही चाहती थी....

प्रीती – क्यों नही चोदना चाहता तू मुझे.... क्या कमी है मुझमे.... और क्या खास बात है मोम में जो तू मुझ जैसी जवान लड़की को छोडकर उसके पीछे पागल हुआ पड़ा है...बोल..

प्रीती की बात सुनकर कुशल बुरी तरह चोंक गया, साथ ही आरू और सिमरन भी अपने माथा पीट बैठे कि इस लडकी ने गुस्से में ये क्या बक दिया...

कुशल को समझ ही नही आ रहा था कि उसकी बहन को उसका ये राज़ कैसे पता चल गया, अब क्या होगा, सोच सोचकर उसका दिमाग भन्ना गया था, 

कुशल – ये.....ये... क्या बकवास कर रही है....तू.....

प्रीती – मैं कोई बकवास नही कर रही.... तू मोम को चोदता है ये बात मुझे पता है....

कुशल – क...क....क्या...नही ऐसा कुछ नही है...तू ये सोच भी कैसे सकती है....

प्रीती – ज्यादा नाटक करने की जरूरत नही है....मुझे सब पता है...

कुशल – क्या पता है तुझे

प्रीती – यही कि तू मोम को कई दिनों से चोद रहा है....

कुशल – नही ये सब झूट है...तेरे पास क्या सबूत है.......कि...

प्रीती – कमीने तुझे सबूत चाहिए ना....तो ठीक है, मैं अभी तेरी उस गस्ती मोम के पास जाकर उसी से पूछ लेती हूँ......और फिर पापा को भी बता दूंगी सब....” ये सब बोलकर प्रीती नंगे बदन ही बाहर जाने के लिए बढ़ी.....

आरू और सिमरन को भी समझ नही आ रहा था कि आखिर ये लडकी कर क्या रही है...

पर इससे पहले कि प्रीती दरवाज़ा खोल पाती, कुशल जल्दी से बेड से खड़ा हुआ और भागकर प्रीती को पकड़ लिया....

प्रीती – छोड़ मेरा हाथ, तुझे सबूत चाहिए ना....मैं लाकर देती हूँ तुझे सबूत...

कुशल – ओके..ओके... मैं मानता हूँ मैंने मोम के साथ सेक्स किया है... तुझे उनके पास जाने की जरुरत नहीं है.....प्लीज़ प्रीती पापा को ये सब मत बताना..वरना वो मुझे घर से निकाल देंगे

प्रीती – ठीक है मैं उन्हें नही बताउंगी, पर एक शर्त पर...

कुशल – क्या

प्रीती – तुझे अभी इसी वक्त मुझे चोदना होगा....

कुशल – नही यार मैं ये नही कर सकता....प्लीज़ मेरी मजबूरी समझ

प्रीती – ठीक है तो फिर मैं जा रही हूँ...

पर इससे पहले की प्रीती मुड पाती कुशल ने उसे एक झटके में खिंच कर अपनी बाँहों में लिया और झट से उसके होटों को अपने होटों की कैद में ले लिया... दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में लीन हो गये.....कुशल जोर लगाकर प्रीती के गुलाबी होठों का रसपान कर रहा था...लगभग 2 मिनट तक दोनों एक दुसरे के होठो को चूसते रहे....

प्रीती – वाह, ये हुई ना बात, अब बाकी का काम भी कर ही डालो...

कुशल – यार प्रीती मेरी मजबूरी है कि मैं चाहते हुए भी तुझे नही चोद सकता....

प्रीती – ऐसी क्या मजबूरी है जो तू मुझे नही चोद रहा है...

कुशल – वैसे भी तुझे मेरे और मोम के बारे में पता चल ही चूका है तो तुझे बताने में कोई हर्ज़ नही... तो सुन क्यों मैं तुझे चाहते हुए भी नही चोद सकता....

प्रीती – हाँ बता........ इधर आरू और सिमरन भी फ़ोन पर चिपके उनकी बाते सुन रही थी....

कुशल – असल में आज जब मैं और मोम स्विमिंग क्लास से वापस घर की तरफ आ रहे थे तो मेरे मुंह से गलती से निकल गया था कि मैं तुझे चोद चूका हूँ....

प्रीती – क्या....इसका मतलब मोम को पता है कि तू मेरे साथ सेक्स करता है...

कुशल – हाँ...पर इस बात से मोम बहुत ही ज्यादा सेड हो गयी थी...और नाराज़ भी.... और उन्होंने मुझे कसम दी कि मैं उनकी मर्ज़ी के बिना उनके अलावा किसी भी और लड़की को नही चोद सकता.....

प्रीती – ओह तो इस वजह से तू मुझे नही चोद रहा...

कुशल – हाँ, मेरी इच्छा तो बहुत ज्यादा है कि मैं तुझे अभी यहीं पटक कर चोद दूँ, पर यार मोम की कसम जो रखी है है..........

प्रीती – ह्म्म्म.....ये तो बड़ी प्रॉब्लम हो गयी है.

कुशल – अब तू ही बता मैं कैसे मोम की कसम तोड़ दूँ...

प्रीती काफी देर सोच विचार करके बोली..

प्रीती – हाँ वैसे एक आईडिया है मेरे पास

कुशल – वो क्या

प्रीती – देख मोम ने तुझे बाकि लडकियों के साथ सेक्स करने के लिए मना किया है पर उनके खुद के साथ तो मना नही किया ना.....

कुशल – ऑफ़ कोर्स नोट

प्रीती – तो तू एक काम कर, तू अभी मोम के कमरे में जा और उनकी फुद्दी में अपना लंड घुसा कर उन्हें चोद दे

कुशल – पर इससे तुझे क्या फायदा होगा...

प्रीती – सुन तू जब मोम के कमरे में जाये तो दरवाज़ा हलका सा खुला छोड़ देना, और तू जब मोम की बुर में अपना लंड घुसाकर उन्हें पेल रहा होगा तो चुपके से कमरे के अंदर आ जाउंगी और तुम दोनों को रंगे हाथ पकड़ने का नाटक करूंगी...

कुशल – फिर

प्रीती – फिर मैं पहले मोम को थोडा सा डरा दूंगी पापा के नाम से, और फिर मैं उन्हें मजबूर कर ही दूंगी कि वो तुझे मुझे चोदने की परमिशन दे ही दे

कुशल – ह्म्म्म, आईडिया तो तेरा ठीक है पर थोडा सा मुश्किल लग रहा है...

प्रीती – कुछ मुश्किल नही है, अब तू नीचे जा और मोम पूछे तो बोल देना कि हम तीनो लडकियां सो चुकी है, और फिर तू अपना काम शुरू कर देना...ठीक है ना..

कुशल – ह्म्म्म, ठीक है मैं जाता हूँ...

कुशल अब धीरे से गेट खोल कर निचे की तरफ चल दिया....और प्रीती भी अपने कपडे पहनने लगी.....

.....................................................

कुशल जब निचे जा चूका तो प्रीती झट से आरू के कमरे में चली गई...

प्रीती – दीदी, मैं कुशल को निचे ले जा रही हूँ...मैं...

आरू – हाँ हमने सब सुन लिया.. पर देखना कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये..और लेने के देने ना पड जाये..

सिमरन – अरे आरू हम तो देने के लिए ही तो तैयार बैठी है.....हे हे हे..

सिमरन की बात सुनकर सबके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई..

प्रीती – अच्छा दीदी अब मैं जाती हूँ...शायद निचे कार्यक्रम शुरू हो गया होगा....

........................

इधर अब कुशल स्मृति के रूम में पहुंच चूका था, स्मृति ने जब कुशल को अपने रूम में देखा तो वो चोंक गयी

स्मृति – अरे कुशल, तू इतने रात गये यहाँ क्या कर रहा है........तुझे पता हैं ना कि आज रात हम कुछ भी नही कर सकते , जा जाकर अपने रूम में सोजा 

कुशल – मोम, मुझे बिलकुल भी नींद नही आ रही है...प्लीज़ थोड़ी देर अपने पास सोने दो ना....प्लीज़...

स्मृति – नही कुशल, समझा कर यार, उपर तीन तीन लडकियाँ सो रही है, अगर कोई निचे आ गई तो,

कुशल – नही मोम, मैं अभी उन्हें देखकर आया हूँ, वो तो गहरी नींद में सो रही है सब...

स्मृति – नही मुझे ये ठीक नही लग रहा 

कुशल – अच्छा ठीक है, माँ, मैं आपको चोदुंगा नही, बस थोड़ी देर आपके पास सोकर वापस चला जाऊंगा...

स्मृति – नही तू कुछ ऐसी वैसी हरकत करेगा जरुर

कुशल – नही मोम, पक्का प्रॉमिस, मैं कुछ नही करूँगा...

सच तो ये था कि स्मृति भी कुशल को देखकर अब गरम हो चुकी थी 

स्मृति – चल ठीक है फिर आजा, पर जल्दी ही वापस उपर चले जाना...

कुशल – ठीक है मोम...


ये कहकर स्मृति वापस बेड की तरफ चल दी, कुशल ने बड़ी ही होशियारी से गेट को इस तरफ बंद किया कि उसमे थोड़ी सी जगह रह जाये, ताकि प्रीती आराम से उन दोनों की रासलीला देख सके....

स्मृति – चल अब चुपचाप सोजा

कुशल – नही मोम, हम दोनों एक ही कम्बल में सोयेंगे

स्मृति – पर....चल ठीक है आजा सोजा...

स्मृति भी कुशल के साथ एक ही कम्बल में ही लेट गयी, पर आज की रात क्या होने वाला था इसकी भनक उसको बिलकुल भी नही थी 

स्मृति और कुशल एक साथ सो तो गये पर वो दोनों एक दुसरे के बिलकुल करीब लेटे हुए थे, और उपर से स्मृति के जिस्म से बार बार रगड खाने से कुशल के शरीर में एक अजीब सी लहर उठ रही थी जिसकी वजह से उसके सोये लंड में अब थोड़ी थोड़ी हरकत भी होने लगी थी, 

कुशल – मोम, क्या आप मेरे उपर आकर सों सकती हो, प्लीज़

स्मृति – नही नही, अगर मैं तेरे और करीब आई तो फिर तो तू मुझे चोदे बिना नही मानेगा

कुशल – प्लीज़ मोम, मैं प्रॉमिस करता हूँ कि आपकी मर्ज़ी के बिना आपको नही चोदुंगा...

स्मृति – पर मैं कितनी भारी हूँ ना....

कुशल – नही आप कोई भारी वारी नही हो, मेरे लिए तो आप फुल की तरफ हल्की हो बिलकुल

स्मृति – चल चल रहने दे, ज्यादा मक्खन ना लगा अब मुझे, सोती हूँ मैं अभी, तभी तुझे पता चलेगा मैं कितनी भरी हूँ....

स्मृति ने कह तो दिया पर उसे भी नही पता था कि उसके इस तरह कहने का कुशल पर क्या असर पड़ेगा खासकर कुशल के लंड पर, क्यूंकि अब कुशल का लंड एक झटके में पूरी तरह तनकर उसकी पेंट फाड़ने को तैयार खड़ा था, कुशल की सिट्टी पिट्टी गुल हो चुकी थी ये सुनकर 

अब स्मृति भी धीरे धीरे मुड में आ चुकी थी और वो अब अपने कुशल के सामीप्य का सुख लेना चाहती थी , अब स्मृति धीरे से कुशल के शरीर के उपर आकर लेट गयी, पर जैसे ही वो कुशल के जिस्म के उपर पेट के बल लेटी अगले ही पल उसकी आँखे आश्चर्य के मारे फ़ैल गयी, क्यूंकि उसकी सलवार के उपर कुशल का खड़ा हुआ लंड बुरी तरह से धंसने की कोशिश कर रहा था, 

स्मृति के जिस्म में तो एक तेज़ सरसराहट दौड़ गयी, और साथ ही कुशल भी अजीब से सुख की अनुभूति कर रहा था, तभी अचानक ना जाने स्मृति को क्या सुझा और उसने एक झटके में कुशल के होटो पर अपने होठ सटा दिए पर अगले ही पल वापस भी पीछे खीच लिए, 

कुशल तो समझ ही नही पाया कि क्या हुआ, पर इतना साफ था कि उसे ये बहुत ही ज्यादा पसंद आया, इधर स्मृति को लगा कि शायद उसने जल्दबाजी कर दी, उसने तो खुद कुशल को मना किया था आज की रात कुछ भी करने के लिए,

इसीलिए स्मृति ने अपना मुंह घुमाया और कुशल के बदन से निचे उतरने लगी कि तभी अचानक कुशल ने उसे पकड़कर वापस अपने शारीर पर खीच लिया और अगले ही पल उसने ज़ोरदार तरीके से स्मृति के होठों को अपने होटों के कब्ज़े में ले लिए और उन फूलों का रसपान करने लगा,

थोड़ी देर बाद जब वो अलग हुए तो स्मृति बोली – कुशल बेटा, अब नही रहा जाता, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तू भी मुझे अपना प्यार दिखा ना

कुशल – मैं भी आपसे बहुत बहुत प्यार करता हूँ मोम

ये कहकर कुशल ने स्मृति को पलट कर खुद उसके उपर लेट गया

स्मृति अब कोई बात करके समय नही गवाना चाहती थी….वो फिर से कुशल के होंठो को चूसने लगी. इस बार उसने कुछ देर कुशल होंठो को चूसने के बाद, अपने होंठो को अलग कर दिया….और कुशल के सर को अपनी गर्दन पर झुकाते हुए बोली.

स्मृति: कुशल मुझे प्यार करो ना…मुझे किस करो. मेरे बदन के हर हिस्से को चुमो, चाटो….खा जाओ मुझे….

कुशल जैसे ही स्मृति के ऊपर आया…स्मृति ने अपनी टाँगे खोल ली, जिससे कुशल की टाँगें उसकी जाँघो के दरमियाँ आ गई…और उसका तना हुआ लंड उसके पेंट में से स्मृति की सलवार के ऊपर से उसकी चूत से जा टकराया..
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12-06-2018, 11:45 PM,
#93
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
"आह कुशलआआआ उंह “ स्मृति अपनी सलवार के ऊपर से ही कुशल के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए सिसक उठी….

उसने अपनी टाँगो को कैंची की तरह कुशल की कमर पर लपेट लिया…कुशल ने भी उसके मम्मो को मसलते हुए अपने होंठो को उसकी सुरहीदार गर्दन पर लगा दिया….और उसके गर्दन को चाटने लगा…..स्मृति मस्ती में फिर से सिसक उठी, उसने कुशल के सर के इर्द गिर्द घेरा बना कर उससे अपने से और चिपका लिया….

स्मृति- ओह्ह्ह कुशल हां खा जा मुझे आज पूरा का पूरा आहह…सीईइ कुशल आज मेरी आग को बुझा दो कुशलआआआ….

इधर प्रीती उनका ये मस्त नज़ारा देखकर खुद भी गरम हुई जा रही थी, उसने सोचा कि अभी जाकर उन दोनों को रंगे हाथो पकड ले, पर फिर सोचा कि क्यों ना थोड़ी देर और मस्ती करने दे उन्हें....

इधर कुशल भी अब पूरी तरह मस्त होकर अपनी मोम की चुचियों को मसलते हुए, उसके गर्दन को चूम रहा था….और स्मृति उसके सर को सहला रही थी…और बार बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही, कुशल के लंड पर दबा रही थी….

"ओह्ह्ह कुशल आहह और ज़ोर से दबाओ ना मेरे मम्मे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह…" स्मृति सिसकी

फिर कुशल उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे की ओर आने लगा….और उसके कुरती से बाहर झाँक रहे मम्मो के ऊपरी हिस्से को अपने होंठो में भर कर चूसने के कोशिश करने लगा…

"आह हां चुस्ससो अह्ह्ह्ह कुशल आह” ये कहते हुए, स्मृति ने अपने हाथो को कुशल के सर से हटाया, और फिर अपने दोनो हाथों को नीचे ले जाकार अपनी कुरती को पकड़ कर ऊपर करने लगी….ये देख कुशल जो कि अपना सारा वजन स्मृति के ऊपर डाले लेटा हुआ था, वो अपने घुटनो के बल स्मृति के जाँघो के बीच में बैठ गया….


स्मृति ने अपनी कुरती को पकड़ कर ऊपर करते हुए उतार दिया….और फिर चारपाई पर बैठते हुए अपनी फैशन वाली ब्रा के हुक्स खोल कर उसे भी जिस्म से अलग कर दिया….ब्रा को अपने बदन से अलग करने के बाद, उसने कुशल की ओर देखा, जो उसकी बड़ी बड़ी पकी हुई चुचियों को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था.

" ये आपको बहुत पसन्द है ना, लायन जी... ?" स्मृति ने मुस्कुराते हुए कुशल की ओर देखकर कहा, कुशल ने भी हां में सर हिला दिया

कुशल का लंड अब पूरी तरह तन गया था…जो अब सीधा स्मृति की चूत की फांको के ठीक ऊपर था…..कुशल ने भी तुंरत अपने लंड को अपनी पेंट की कैद से आजाद कर दिया 

स्मृति ने फिर से कुशल को बाहों में भरते हुए, उसके सर को अपनी चुचियों पर दबा दिया…

"आह कुशल चूसो ईससी अहह” कुशल भी पागलो की तरह स्मृति की चुचियों पर टूट पड़ा….और उसकी एक चुचि को मुँह में भर कर उसके अंगूर के दाने के साइज़ के निप्पल को अपनी ज़ुबान से दबा -2 कर चूसने लगा…. स्मृति ने उसके सर को फिर से सहलाना शुरू कर दिया…..

स्मृति: आह चुस्स्स्स लो आह कुशल खा जा मेरे मम्मो को अहह उंह सीईईईई आह हाईए मा ओह हां चुस्स्स्स्स कुशल और ज़ोर ज़ोर सी से चूसो

स्मृति की आवाज़ में अब मदहोशी साफ झलक रही थी….उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था…उसके गाल लाल होकर दिखने लगे…फिर स्मृति को अपनी चूत की फांको पर कुशल के लंड का गरम सुपडा रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हुआ. स्मृति एक दम से सिसक उठी, उसने कुशल के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया, उसका निपल खींचता हुआ कुशल के मुँह से पक की आवाज़ से बाहर आ गया….

स्मृति: (मस्ती में सिसकते हुए) हाय कितने जालिम हो तुम….

स्मृति की आँखें अब वासना के नशे में डूबती हुई बंद हुई जा रही थी, उसने अपनी नशीली अध खुली आँखों से एक बार कुशल की तरफ देखा, फिर उसके होंठो से अपने होंठ सटा दिए, कुशल ने भी स्मृति के नीचे वाले होंठ को अपने होंठो में दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….
उंह अहह उंघह" स्मृति घुटि आवाज़ में सिसक रही थी….

उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकार कुशल के लंड पर रखा, और उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया, कुशल के बदन में तेज सरसराहट दौड़ गई, स्मृति ने अपने होंठो को कुशल के होंठो से अलग किया और अपनी टाँगो को फेला कर घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा लिया, कुशल तो जैसे इस पल का इंतजार में था….वो अपने घुटनो के बल स्मृति की जाँघो के बीच में आ गया, और एक झटके में उसकी वो सलवार निकल कर फ़ेंक दी और फिर जैसे ही उसकी नज़र स्मृति की फूली हुई चूत पर पड़ी, उसका लंड फिर से झटके खाने लगा, जो उस वक़्त स्मृति के हाथ में था, स्मृति कुशल के लंड की फुलति नसों को अपने हाथ में सॉफ महसूस कर रही थी…..

उसने कुशल के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो कुशल के लंड का सुपडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा, स्मृति की चूत की फाँकें कुशल के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर कुशल के लंड का गरम सुपडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो, उसका पूरा बदन थरथरा गया….

स्मृति की चूत उसकी चूत से निकल रहे कामरस से एक दम गीली हो चुकी थी, स्मृति ने अपनी आँखो को बड़ी मुस्किल से खोल कर कुशल की तरफ देखा, और फिर काँपती आवाज़ में बोली…

स्मृति: कुशल अब पेल दे जोर से, अब और इंतज़ार नही होता 

अब कुशल ने धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को स्मृति की चूत के छेद पर दोबारा दबाना शुरू किया, जैसे ही उसके लंड का सुपडा स्मृति की गीली चूत के छेद में थोड़ा सा घुसा, स्मृति एक दम सिसक उठी, 

स्मृति – हाय...कुशल बस ज़ोर से घस्सा मारो….और एक ही बार मे मेरी फुद्दी की जड़ तक अपने इस मुसल लंड को पेल दो 

कुशल: अगर आपको दर्द हुआ तो ?

स्मृति: मैं सह लूँगी…तुम मारो न धक्का

कुशल ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की, और अपने आप को अगला शाट मारने के लिए तैयार करने लगा, स्मृति ने अपने दोनो हाथों से कुशल के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया..

स्मृति - कुशल…कुशल फाड़ दो अब…..

कुशल ने कुछ पलो के लिए स्मृति के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठो को दांतो में दबा रखा था. जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो, उसके माथे पर पसीने के बूंदे उभर आई थी, कुशल ने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर दार धक्का मारा



कुशल के लंड का सुपाडा स्मृति की चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, कुशल का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार मे अंदर जा चुका था…

कुशल ने अपने लंड की तरफ देखा, जो स्मृति की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा

"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह कुशलऽऽऽऽऽऽऽ…..कुशलऽऽऽऽऽऽऽ… कुशल…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ…कुशल…….." स्मृति ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से कुशल के बाजुओ को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून कुशल के बाजुओ में गढ़ने लगे, कुशल को अपने लंड के इर्द गिर्द स्मृति की टाइट चूत की दीवारे कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी, 

दोनो थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, कुशल अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था, पर स्मृति ने उसकी कमर में अपनी टाँगो को लपेट रखा था, जिसकी वजह से कुशल हिल भी नही पा रहा था, कुछ लम्हे दोनो यूँ ही लेटे रहे, अब स्मृति को अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी, अब उसे मज़ा आने लगा था, और उसने अपनी टाँगो को जो कि उसने कुशल की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया, जैसे ही कुशल की कमर पर स्मृति की टाँगों की पकड़ ढीली हुई, कुशल ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में स्मृति की चूत से बाहर खींचा, और फिर से एक झटके के साथ स्मृति की चूत में पेल दिया, 
धक्का इतना जबरदस्त था कि स्मृति का पूरा बदन हिल गया
"आह शीईइ कुशल उंह धीरे उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह हँ ओहहहहहहह हमममम"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह कुशलऽऽऽऽऽऽऽ…..कुशलऽऽऽ" स्मृति ने फिर से अपने पैरो को कुशल के चुतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया

जब उसे अपनी चूत की दीवार पर कुशल के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो एक दम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद स्मृति ने कुशल को धीरे से कहा

"कुशल अब धीरे से बाहर निकालो…मुझे कुछ देखना है" ये कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और कुशल ने घुटनो के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया, फिर से वही मज़े की लहर स्मृति के रोम-रोम में दौड़ गई, उसे कुशल के लंड का सुपाडा अपनी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था

"ओह्ह कुशल मेरी फुद्दि आह आह बहुत मज़ा आ रहा है..ओह्ह उम्ह्ह." स्मृति बोली

कुशल ने जैसे ही अपना लंड स्मृति की चूत से बाहर निकाला, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड स्मृति के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था
फिर स्मृति ने अपनी बाहों को खोल कर कुशल को आने का इशारा किया
कुशल उसके ऊपर झुक गया, स्मृति ने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके आँखो में झाँकते हुए बोली "मैं तुझसे बहुत प्यार करने लगी हूँ कुशल,मुझे छोड़कर मत जाना कभी" और फिर दोनो के होंठ फिर से आपस में गुथम गुत्था हो गए, फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाज़े उनके मुँह से आने लगी

प्रीती भी इस कामुक रासलीला को देखकर बुरी तरह गरमा चुकी थी,,,,,

कुशल का लंड अब अपनि मोम की चूत की फांको पर रगड़ खा रहा था, कुशल भी मस्ती में उसके होंठो को चूस्ता हुआ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से भिचते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था, स्मृति की चूत में कुलबुली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए कुशल के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी

थोड़ी देर के बाद अचानक से कुशल के लंड का सुपाडा स्मृति की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, स्मृति का पूरा बदन एक दम से थरथरा गया, उसने अपने होंठो को कुशल के होंठो से अलग किया और फिर कुशल की आँखो में देखते हुए मुस्कुराने लगी,फिर उसने अपने आँखे शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठो पर मुस्कान फेली हुई थी….

कुशल ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को स्मृति की चूत के छेद पर दबाना शुरू कर दिया….

"उंह कुशल सीईईईई अहह बहुत माजा आ रहा है….." स्मृति बोली

कुशल के लंड का सुपाडा स्मृति की चूत के छेद और दीवारो को फेलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, स्मृति के बदन में मस्ती के लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे कुशल के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी


धीरे-2 कुशल का पूरा लंड स्मृति की चूत में समा गया, स्मृति ने सिसकते हुए कुशल को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी टी-शर्ट ऊपर उठा कर उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी

"आह कुशल करो ना उंह आ सीईईई आह कुशल मुझे बहुत मज़ा आ रहा है….”

कुशल ने स्मृति के फेस को अपनी तरफ घुमाया, और फिर अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया, स्मृति ने अपने होंठो को खोल दिया, कुशल ने थोड़ी देर स्मृति के होंठो को चूसा, और फिर अपने होंठो को हटाते हुए, उसकी जाँघो के बीच में घुटनो के बल बैठते हुए, अपनी पोज़िशन सेट की, और अपने लंड को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा
कुशल के लंड के सुपाडे को स्मृति अपनी चूत की दीवारो पर महसूस करके एक दम मस्त हो गई, और अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी चुदाई का मज़ा लेने लगी

"अह्ह्ह्ह कुशल हाईए मेरे फुद्दि आह मारो और ज़ोर से मार आह फाड़ दो अह्ह्ह्ह ऑश”

धीरे-2 कुशल अपने धक्कों की रफतार को बढ़ाने लगा, पूरे रूम में स्मृति की सिसकारियो और बेड के हिलने से चर-2 की आवाज़ गूंजने लगी, स्मृति पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, स्मृति की चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी, जिससे कुशल का लंड चिकना होकर स्मृति की चूत के अंदर बाहर होने लगा था, स्मृति भी अपनी गान्ड को धीरे-2 ऊपर की ओर उछाल कर चुदवा रही थी….

"हाई ओईए अहह मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह कुशल बहुत मज़ा आ रहा है.आह चोदो मुझे अह्ह्ह्ह और तेज करो सही…मैं झड़ने वाली हूँ आह उहह उहह उंघह ह कुशल ममैं गाईए अहह…." स्मृति धीरे धीरे आहे भर रही थी

कुशल के जबरदस्त धक्को ने कुछ ही मिनट में स्मृति की चूत को पानी -2 कर दिया था, उसका पूरा बदन रह-2 कर झटके खा रहा था, कुशल अभी भी लगातार अपने लंड को बाहर निकाल-2 कर स्मृति की चूत में पेल रहा था, स्मृति झड़ने के बाद एक दम मस्त हो गई थी, उसकी चूत से इतना पानी निकाला था कि, कुशल का लंड पूरा गीला हो गया था

अब स्मृति अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी थी,और लंबी -2 साँसे ले रही थी, स्मृति ने अपनी आँखें खोल कर कुशल की तरफ देखा, जो पसीने से तरबतर हो चुका था, और अभी भी तेज़ी से धक्के लगा रहा था,अब रूम में सिर्फ़ बेड के चर्मार्ने से चू-2 की आवाज़ आ रही थी….जैसे -2 कुशल झटके मारता, बेड हिलता हुआ हल्की हल्की चू-2 की आवाज़ करता, स्मृति बेड के हिलने की आवाज़ सुन कर शरमा गई, और अपने फेस को साइड में घुमा कर मुस्कराने लगी…

कुशल: (अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए) क्या हुआ…?

स्मृति: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही…..

कुशल: फिर मेरी तरफ देखो ना…

स्मृति: नही मुझे शरम आती है…..

कुशल ने अपने दोनो हाथों से स्मृति के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया, पर स्मृति ने पहले ही अपनी आँखे बंद कर ली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान फेली हुई थी, कुशल ने स्मृति के होंठो को अपने होंठो में लेकर चुसते हुए अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर कुछ ही पलो में उसके लड में तेज सुरसुरी हुई, उसका लंड स्मृति की चूत में झटके खाने लगा, और फिर वो स्मृति के ऊपर निढाल हो कर गिर पडा, स्मृति और कुशल दोनों एक साथ झड़ कर शांत हो चुके थे,

स्मृति – आई लव यू कुशल 

कुशल – ई लव यू टू मोम

स्मृति – मोम नही स्मृति कहो मुझे

कुशल – आई लव यू टू माय स्मृति 

स्मृति और कुशल अभी लेटे लेटे लम्बी लम्बी सांसे ले रहे थे कि तभी अचानक प्रीती ने जोर से कमरे को दरवाज़ा खोल दिया और अंदर आ गई

प्रीती को अंदर देखकर स्मृति की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई

क्या गज़ब का सिन था, स्मृति और कुशल बिलकुल नंगे बदन बेड पर लेटे थे, स्मृति की चूत से उसका और कुशल का मिला जुला पानी निकलकर बेड को गिला कर रहा था, और प्रीती साइड में खड़ी स्मृति को घुर रही थी...

सिन गरमा गया है दोस्तों, आपको क्या लगता है अब क्या होगा.....
Reply
12-07-2018, 01:22 AM,
#94
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
बड़ा ही मस्त और गरम सिन था यारो, स्मृति अपने बेटे कुशल का लंड अपनी चूत से अभी अभी बाहर निकाल कर अपनी बिखरी सांसो को समेटने में लगी थी कि तभी अचानक प्रीती ने कमरे में आकर उसे एक मिनी हार्ट अटैक दे दिया, उसे जबरदस्त पसीना आने लगा, डर के मारे उसकी तो हालत खराब हो रही थी, पर दूसरी तरफ कुशल सिर्फ सिर्फ डरने का नाटक कर रहा था,,,,,

प्रीती – मोम, ये....ये...क्या कर रहे हो आप दोनों...ओह माय गॉड.....” प्रीती ने चिल्लाकर कहा

स्मृति – “प्र....प्रीति...बेटी....मैं...वो....तुम...गलत...समझ रही हो....प्लीज़....मेरी बात सुनो....” प्रीति के चिल्लाने से स्मृति और भी ज्यादा डर गयी थी...

प्रीति – मोम... आप अपने बेटे के साथ ही....छी....मैं आपको क्या समझती थी और आप तो क्या निकली.....

स्मृति – नही बेटी...मैं. तो बस...

प्रीती – बस क्या....यहीं ना कि बस आप तो अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में ले रही हो मजे से....

स्मृति – प्रीती.....

प्रीती – मोम.... मैंने तो सपने में भी नही सोचा था कि आप अपने बेटे के साथ ही.....छी....आपको श्रम नही आई........ 

स्मृति – “क्यों...जब तू इसका लंड लेती है तब तुझे शर्म नही आती...” आखिर स्मृति ने बोल ही दिया...

अब घबराने की बारी प्रीती की थी,

प्रीती – क.क..क.. क्या.....ये...ये...आप क्या बोल रही हो मम्मी

स्मृति – मम्मी की बच्ची...ज्यादा स्मार्ट बनती है क्या मेरे सामने, मुझे सब पता है कि कैसे तू कुशल का लंड अपनी चूत में लेती है...समझी...

प्रीती – तो क्या हुआ....आप भी तो लेती हो...

स्मृति – हाँ तो तू मुझे डराती है कमीनी...

स्मृति की खुन्नस देखकर अब प्रीती की हंसी निकल गयी....उसको हँसता देखकर कुशल भी हंसने लगा...उन दोनों को हँसते देखकर स्मृति को अजीब लग रहा था...आखिर माजरा क्या है...ये उसे समझ नही आ रहा था...तभी प्रीती ने उसकी मुश्किल दूर कर दी...

प्रीती – सोरी मोम आपको डराने के लिए.....वो ये सब मेरा ही आईडिया था....

और फिर प्रीती ने अपनी मोम को सारी बात बतानी शुरू कर दी....और उसने ये भी बता दिया कि कैसे वो आरू और सिमरन के साथ लेस्बियन सेक्स करती है...

स्मृति – तुम लोग तो बहुत एडवांस निकले

प्रीती – ये तो कुछ भी नही मोम, अब मैं आपको एक ऐसी बात बताउंगी जिसे सुनकर आप विशवास नही कर पाओगी...

स्मृति – वो क्या....

प्रीती – मोम, आपको पता है.....आरू दीदी है ना...वो..वो पापा से चुद चुकी है....

स्मृति – क्या.....?????????????

प्रीती – हाँ मोम......

स्मृति – पर कब....कैसे...

प्रीती – दिल्ली में......

स्मृति – मुझे तो लगता था कि सिर्फ मैं और कुशल ही एक दुसरे से सेट है पर यहाँ तो सब लोग ही एक दुसरे से सेट है...हा हा हा

स्मृति को हँसते देखकर कुशल और प्रीती के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी....

प्रीती – मोम आप नाराज़ तो नही ना

स्मृति – नही बेटी...मैं किसी से नाराज़ नही हूँ...अगर मैं कुशल के साथ चुदाई कर सकती हूँ...तो आरू भी अपने पापा के साथ कर सकती है...तू भी कुशल के साथ कर सकती है....मुझे सच में कोई दिक्कत नही है अब....

प्रीती – थैंक्स सो मच मोम.....

कुशल - वाओ...अब तो बस मजे ही मजे है...

स्मृति – ओह हेल्लो मिस्टर...रुको...

कुशल – क्या हुआ मोम...

स्मृति – तुम्हे तो अभी सजा भी मिलनी है..

कुशल - सजा कैसी सजा 

कुशल और प्रीती दोनों ही मोम की बातो से चोंक गये

स्मृति – सजा इस बात कि तूने मुझे सब कुछ नही बताया...और ये सब मुझे प्रीती ने बताया...जबकि तुझे सब कुछ बताना चाहिए था मुझे...

कुशल – पर मोम

स्मृति – पर वर कुछ नही , अब तुझे सजा तो मिलेगी ही...

कुशल – अच्छा ठीक है..आप बताओ क्या सजा है...

स्मृति – सजा ये है कि अब तुम चुपचाप नंगे उस सोफे पर जाकर बैठ जाओ और जब तक मैं ना बोलूँ वहां से उठोगे नही 

कुशल – पर...चलो ठीक है...मैं बैठता हूँ...और ये कहकर कुशल नंगा ही जाकर सोफे पर बैठ गया....

प्रीती – पर मोम हम तो बस मजाक कर रहे थे...

स्मृति – तू मजाक करेगी मेरे साथ...अभी बताती हूँ तुझे....

ये कहकर स्मृति ने प्रीती को बेड पर पटक लिया और खुद उसके उपर चढ़ गयी....


स्मृति : "अब बोल प्रीती की बच्ची ...करेगी मेरे साथ ऐसा मज़ाक....बोल...''

वो झुककर उसके काफ़ी करीब आ चुकी थी...और इसी बीच अपने को छुड़वाने के लिए प्रीती ने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया..

स्मृति को ऐसा लगा जैसे नीचे से कोई उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा है...क्योंकि दोनो की चूत इस वक़्त एक दूसरे बिलकुल ऊपर थी और अपनी चूत पर वो नमकीन सा दबाव महसूस करते ही उसकी चूत को पसीना आ गया...सेल्फ़ लुब्रीकेशन स्टार्ट हो गया अचानक उसमें से..और उसने भी प्रीती की लचीली कमर को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे ऊपर से ऐसे धक्के मारने लगी जैसे वो उसकी चुदाई कर रही हो.

प्रीती जो अभी तक हंस रही थी, स्मृति के ऐसे झटकों को समझकर वो भी हँसना भूल गयी और सीरियस सी होकर उसने अपनी बहन से पूछा : "म....मोम ....ये...ये ...क्या कर रहे हो.....ऐसा तो....आप मुझे चोदने की कोशिश कर रही हो क्या...पर इसके लिए तो लंड चाहिए ना...प्लीज़ मोम कुशल को परमिशन दे दो ना..फिर वो हम दोनों की चुतो की घिसाई करेगा मस्ती से.......''

प्रीती की बात सुनकर सोफे पर नंगा बैठा कुशल के चेहरे पर भी एक चमक आ गयी, उसे लगा कि अब जरुर उसकी मोम गरम होकर परमिशन दे देगी और उसकी सजा खत्म हो जाएगी पर ये शायद उसकी भूल थी...

क्यूंकि स्मृति ने प्रीती की बात का कोई जवाब नही दिया बस ना में सर हिला दिया......और अपने हाथ धीरे-2 उसने प्रीती की टी शर्ट में डाल दिए और ऊपर की तरफ खिसकाने शुरू कर दिए....

जैसे-2 स्मृति की उंगलियाँ सरककर उपर की तरफ आ रही थी...वैसे-2 प्रीती के माथे पर पसीना बढ़ने लगा था...वो चाहकर भी उसके हाथों को रोक नहीं रही थी , आज से पहले उसने ऐसा कभी भी महसूस नही किया था...भले ही वो अपनी बहन और उसकी दोस्त के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा चख चुकी थी पर अपनी मोम के साथ ऐसा करने में उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना महसूस हो रहा था, एक अजीब सा सेंसेशन हो रहा था उसे अपनी चूत पर...स्मृति की घिसाई से...और अब उसकी उंगलियों की थिरकन से भी उसे गुदगुदी महसूस होने लगी थी..

उसने ब्रा नही पहनी हुई थी...और जल्द ही स्मृति की दोनो हथेलियां उसके नन्हे उरोजों से आ टकराई और उसने बड़े ही प्यार से उसके नन्हे चूजों को अपने हाथों में भर लिया..

प्रीती की तो आँखे बंद हो गयी उस एहसास से जब स्मृति ने होले से अपने हाथ के दबाव से उसकी ब्रेस्ट को दबाया..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....आआआआहह....मोम......ये क्या कर रहे ........उम्म्म्ममममममममम....''

वो शिकायत थी या प्रश्न ...ये तो नही पता चल सका...पर प्रीती के हाथों ने अगले ही पल उपर की तरफ आते हुए टी शर्ट के उपर से ही स्मृति के हाथों को पकड़ लिया..स्मृति को लगा की वो हटाने के लिए कह रही है...पर वो धीरे से बुदबुदाई..

''मोम.....प्लीज़ .......ज़ोर से दबाओ ना......ऐसे....''

और उसने अपने हाथों से स्मृति के हाथों को जोर से दबा दिया...और स्मृति के हाथों के नीचे उसकी नन्ही गोल गोल टमाटर भी उस दबाव में आकर नीचुड़कर रह गयी.

स्मृति तो भभक उठी उसके बाद....उसने प्रीती की ब्रेस्ट को इतनी बेदर्दी से दबाना शुरू कर दिया की उसपर लाल निशान बनते चले गये...पर वो रुकी नही..

प्रीती के नुकीले निप्पल भी स्मृति के जालिम हाथों को रोकने में असमर्थ थे..भले ही वो काँटों की तरह उभरकर ब्रेस्ट की रक्षा कर रहे थे पर ऐसे काँटों से शायद इस वक़्त स्मृति को कोई असर ही नही पड़ रहा था...वो तो उन काँटों को भी बीच-2 में ऐसे मसल रही थी जैसे उनमे से दूध निकलने वाला हो..

दूध तो नही निकला..पर उसकी हर उमेठन से प्रीती की सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी.



अब तो साफ़ हो चुका था की आज ये दोनो बहने अपनी सारी सीमाएँ लाँघने की तैयारी कर रही है.. कुशल तो बेचारा चुपचाप सोफे पर बैठा उनको देख रहा था, सजा तो भुगतनी ही थी, इसलिए कुछ नही कर सकता था, सिवाय अपने लंड को मसलने के.... और जल्द ही इस गरम नज़ारे को देखकर कुशल का लंड दोबारा से तनकर बुरी तरह खड़ा हो गया.... 

स्मृति तो अभी तक जैसे किसी नशे मे ये सब कर रही थी...ऐसा नशा जो उसके शरीर को अपने बस में करने में असमर्थ था...वो ये भी भूल चुकी थी की ये उसकी वही छोटी बेटी है जिसने उसके प्यार उसके बेटे कुशल पर डाका डाला ...प्रीती तो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे ऐसी बातों में मज़ा मिलता था जो सैक्स से जुड़ी हो...


जैसे ही स्मृति के हाथों ने उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ...वो अपने हाथों के दबाव को उनपर डालकर और ज़ोर से दबाने की गुज़ारिश करने लगी स्मृति से..

उसकी ब्रेस्ट ही उसके शरीर का सबसे सेंसेटिव हिस्सा थी..

इसलिए उसपर हाथ लगते ही वो भी अपनी सुधबुध खो बैठी और फिर शुरू हुआ उस छोटे से कमरे में माँ बेटी के जिस्म के बीच उत्तेजना और सेक्स का वो सिलसिला जो शायद अब थमने वाला नही था.

प्रीती ने एक मादक सी अंगड़ाई लेते हुए अपनी टी शर्ट उतार कर दीवार पर दे मारी..

और उसकी साँवली और नन्ही छातियाँ देखकर स्मृति के मुँह में पानी भर आया.



उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे...और उसके निप्पल के घेरे पर भी महीन से दाने उगे हुए थे..स्मृति तो उसके निप्पलों की कारीगरी देखकर अचंभित रह गई...क्योंकि उसके दानों पर भी इतनी महीन कारीगरी नही की थी ऊपर वाले ने...वो बिल्कुल सादे से थे...पर उसकी ब्रेस्ट प्रीती के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी थी..प्रीती की तो अभी -2 आनी शुरू हुई थी..पर एक बार जब ये भर जाएगी तो कयामत ढाएगी ये लड़की..

और ये तभी भरेंगी जब इनके उपर मेहनत की जाएगी...ये सोचते हुए स्मृति का सिर उसकी छातियों पर झुकता चला गया..और अपने होंठ,दाँत और जीभ रूपी ओजरों से उसने प्रीती के बूब्स पर मेहनत करनी शुरू कर दी..
सबसे पहले अपनी गर्म जीभ से उसने प्रीती के निप्पल्स को छुआ.... प्रीती ने एक तड़प भरी किलकारी मारते हुए अपनी मोम के सिर को पकड़कर ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियो पर...और चीख पड़ी वो..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआअहह मोम............. ...उफफफफफफफफफफफफ फफफ्फ़.........क्या फीलिंग है ......माय गॉड ..... आआआआआआआअहह........ज़ोर से सक्क करो ना....मोम............प्लीईईईईस......काट लो इन्हे......जोरों से...............दांतो से..................आआआआआआहह उूुुुउउफ़फ्फ़ एसस्स ऐसे ही................. उम्म्म्ममममममममममममममममममममम आआआआआआआहह मोम..........यार .....कहाँ थी आप ......पहले क्यों नही किया ये सब..................उम्म्म्मममममममममममममम.......''

प्रीती तो भाव विभोर सी हुई जा रही थी अपने शरीर को मिल रहे इतने उत्तेजक मज़े को महसूस करते हुए...उसे पता तो था की ऐसा ही कुछ होता होगा..पर अभी जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ वो उसे शब्दों मे व्यक्त कर ही नही सकती थी...ऐसा मज़ा ...इतना आनद....उत्तेजना का इतना संचार...ऐसी तड़प...उसने आज तक सोचा भी नही था कि अपनी मोम के साथ सेक्स के खेल में भी इतना मज़ा आता है.


स्मृति के सिर को कभी एक पर तो कभी दूसरी ब्रेस्ट पर वो लट्टू की तरह घुमा रही थी...उसकी लार से उसने अपनी छातियों की पुताई करवा ली...उसके लंबे और नुकीले निप्पल अपने पुर शबाब पर आ चुके थे...वो बेड पर पड़ी हुई किसी मछली की तरह तड़प रही थी.

उसने अपनी नशीली आँखो से स्मृति की तरफ देखा..और फिर अपने हाथ उपर करते हुए उसने स्मृति की ब्रैस्ट को पकड़ लिया...

स्मृति को तो ऐसा लगा जैसे उसके दिल की धड़कन रुक जाएगी..जब प्रीती ने उन्हे मसलना शुरू किया..

''उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उऊहह ...............आआआआआआअहह प्रीती..................उम्म्म्ममममममममम...... .एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......''

और जैसे ही उसके बूब्स प्रीती की नज़रों के सामने आए, अपने आप ही उसका मुँह उनकी तरफ खींचता चला गया..और उसने एक जोरदार झटके के साथ उसकी बड़ी सी ब्रेस्ट को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया..
किसी बच्चे की तरह वो उसके लम्बे निप्पल का दूध पीने लगी..और स्मृति भी अपनी नन्ही बेटी को अपनी छाती से चिपका कर स्मृति ने एक रस भरी सिसकारी मारकर उसे और अंदर घुसा लिया..

''आआआआआआआआआअहह ओह्ह्ह्ह माय बैबी .................. सकक्क मी......सक्क.....इट ......बैबी.....''



बैबी तो पहले से ही उत्तेजना के शिखर पर थी...अपनी मोम की दर्द भरी पुकार सुनकर वो और ज़ोर से उसके दानों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगी...किसी चुहिया की तरह...और हर बार काटने पर स्मृति के शरीर से एक अजीब सी तरंग उठ जाती..जिसे प्रीती सॉफ महसूस कर पा रही थी..

ये खेल दोनों के लिए नया नही था....पर सेक्स भी अजीब तरह का खेल है..जितना खेलो उतना ही ज्यादा मजा आता है...

और यही हो रहा था दोनो के साथ...प्रीती के साथ तो कुछ ज़्यादा ही...वो छुटकी कुछ ज़्यादा ही उछल रही थी इस खेल में ...

इसलिए जब अच्छी तरह से उसने स्मृति की ब्रेस्ट का जूस पी लिया तो वो तुरंत खड़ी हुई और उसने अपनी केप्री भी उतार कर फेंक दी...और अब वो स्मृति के सामने बेशर्मों की तरह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी थी..

.और अब वो दोनो नंगी बैठी थी एक दूसरे के सामने.

स्मृति की नंगी ब्रैस्ट देखने में काफी यम्मी लग रही थी , वो प्रीती के मुकाबले काफी बड़ी भी थी,इसलिए स्मृति उनको हाथों में लेकर खुद ही दबाने लगी, और अपनी मोटी छातियों में और उभार ले आई 


अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर दोनो ने एक दूसरे की ब्रेस्ट को अच्छी तरह से चूस डाला था..पर अब क्या करे ,शायद यही सोचे जा रही थी वो दोनो...

उत्तेजना के नशे में प्रीती को सिर्फ़ वही याद आ रहा था की कैसे वो खुद,जब आरू और सिमरन दीदी उसकी चुत चूस रहे थे तो ज़ोर-2 से आहे भरकर मज़े ले रही थी..

बस,प्रीती ने भी वही ठान लिया..

उसने धीरे से धक्का देकर अपनी मोम को बेड पर लिटा दिया..

पहले तो अपनी उँगलियों को स्मृति की चूत में डालकर प्रीती ने अंदर के टेंप्रेचर और चिकनाई का अंदाजा लिया
और फिर धीरे -२ नीचे झुककर वो अपना चेहरा चूत के करीब ले गयी 

स्मृति का शरीर भी काँप उठा,ये सोचकर की उसके साथ क्या होने वाला है अब...उसके होंठ थरथरा कर रह गये, पर उनमे से ना नही निकल पाया...और उसने अपने आप को अपनी छोटी बेटी के सुपुर्द करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली. और फिर प्रीती नीचे झुकी और उसने अपने होंठों से उसकी गुलाब जैसी चूत की फेली हुई पंखुड़ियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
पहला नीवाला मुँह में लेते ही उसका स्वाद पता चल गया प्रीती को...जो उसे काफ़ी मजेदार लगा..

और स्मृति तो बिफर गयी अपनी चूत की चुसाई से...

''ऊऊऊऊऊऊऊहह प्रीती.............मेरी ज़ाआाआन्न........प्रीती बेटी ........सस्स्स्स्स्स्सस्स..... ये क्या कर दिया............आआआआहह .....बहुत मज़ा आ रहा है ............उम्म्म्ममममममममम..... एसस्स्स्स्सस्स...... अहह.....''

और फिर तो वो बावली कुतिया की तरह उसकी चूत के उपर लगे अखरोट के दाने पर और संतरे की फाँक जैसी चूत को खाने में लग गयी...

अपनी लंबी और गर्म जीभ को उसने अंदर भी धकेला..उसकी मलाई को चाटा ...चूसा...और अंत में पी गयी.
ऐसा स्वाद लगा उसे उसकी चूत का की वो उसे तब तक चूसती रही जब तक स्मृति झड़ने के करीब नही पहुँच गयी..

और स्मृति को तो अपनी चूत चुस्वाते हुए कुशल ही याद आ रहा था....पर कुशल तो बेचारा सोफे पर बैठा अपना लोडा मसले जा रहा था......,.,. सजा भी बड़ी ही अजीब मिली थी बेचारे को.....एक बार तो स्मृति ने सोचा कि अब कुशल की सजा खत्म करके उसे भी चुदाई के इस खेल में शामिल कर ही लिया जाए पर बाद में उसने सोचा कि थोडा सा इंतज़ार और करवाते है उसे...आखिर कुछ सजा तो मिलनी ही चाहिए उसे....इसलिए स्मृति ने दोबारा से अपना ध्यान कुशल से हटाकर प्रीती की और लगा दिया....


अब तो प्रीती ने और भी जोर से उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया...प्रीती को भी अपने मुंह में अपनी मोम और कुशल के वीर्य का स्वाद साथ साथ महसूस हो रहा था जिसे वो मस्ती से चुसे जा रही थी...इधर स्मृति ने अब अपनी ऊँगली को प्रीती की चूत में घुसा दिया.....और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी....

कुछ ही देर की मेहनत से दोनों की चुतो ने जोरदार तरीके से पानी छोड़ दिया....और दोनों बेड पर लेटकर हांफने लगी....
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12-07-2018, 01:22 AM,
#95
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल से अब बर्दास्त करना बिलकुल नामुमकिन हो चूका था, वो चुपके से उठा और बेड के बिलकुल करीब आ गया जहाँ उसकी माँ और छोटी बहन अपनी आँखें बंद किये अपनी बिखरी सांसो को समेटने की कोशिश कर रही थी, 

कुशल को तो यकीन नही हो रहा था कि उसके पास ही उसकी मोम और छोटी सी बहन बिलकुल नंगी पड़ी है, बाजू में बिखरी हुई जुल्फ़े और अस्तव्यस्त कपड़ों में रसीले होंठ वाली अप्सरायें सोई हुई हो तो उसका लंड भला कैसे सोता रहेगा? इसी वजह से कुशल का लंड अब तनकर छत की तरफ सर किये खड़ा था, 

कुशल का मन कर रहा था कि बस वो जी भर कर उन दोनों के बदन का चक्षु मर्दन करता रहे, उनकी सुन्दरता को आँखों में समालें, उनकी आँखे होंठ, गोरे गोरे गाल, कोमल उँगलियाँ, छत की ओर ताकते हुए मम्मे, और मम्मो पर एक दुसरे के काटने के निशान, एक भरी और एक बिलकुल सांचे में ढली हुई पतली कमर, एक की मांसल भरी जांघे और दूसरी की केले के तने जैसी चिकनी टाँगे, और फिर टांगो के जोड़ में उन दोनों की बेहद ही कामुक और मतवाली चूतें , जिन्हें देखकर कुशल की सांसे तक उपर निचे होने लगी.....

कुशल अपने चेहरे को उन दोनों की चुतो के और करीब ले गया ताकि उनकी खुशबू को अपनी सांसो में भर सके, जैसे ही वो थोडा सा करीब हुआ उनकी मस्त चूत की सुगंध उसके नथुनों में समा गयी....

उसने ध्यान से उन दोनों की चुतो को देखा, उसकी मोम की चूत ऐसी लग रही थी जैसे कोई गुलाब का फुल हो, और उसकी बहन की चूत तो की कली जैसी लग रही थी, जैसे कि गुलाब की कोई दो पंखुडियां आपस में चिपकी हुई हो....

अब कुशल और ज्यादा रुक ना सका और उसने धीरे से अपने होठ अपनी बहन की चूत से सटा दिए, कुशल के अधरों के स्पर्श मात्र और बेड की हलचल से प्रीती और स्मृति दोनों ही जग गये....

स्मृति – तू यहाँ क्यूँ आया, मैंने बोला था ना कि जब तक मैं ना बुलाऊ तब तक आना नही..

कुशल – मोम, प्लीज़ अब और बर्दास्त नही हो रहा, चूसने दो ना आप दोनों की चूत प्लीज़....

प्रीती – हाँ मोंम, अब और कितनी सजा दोगी भाई को....

स्मृति – ह्म्म्म....चल ठीक है तू कहती है तो इसे माफ़ करती हूँ....

कुशल – ओह थैंक्स मोम....अब तो मैं रात भर आप दोनों की चूत चूस चूस कर लाल कर दूंगा...और फिर प्यार से आप दोनों को चोदुंगा....

स्मृति – रुक रुक अभी इतनी जल्दी क्या है...

कुशल – क्या मतलब..

स्मृति – देखो मैं सोच रही हूँ कि अब आरू और सिमरन भी सब कुछ जानती है, तो उन दोनों बेचारियो को क्यों तडपाया जाये....

स्मृति की बात सुनते ही प्रीती की चेहरे पर जैसे खुसी की लहर आ गयी...

प्रीती – ओह...वाओ...ग्रेट आईडिया मोम....

पर कुशल के चेहरे पर थोड़ी सी शिकन भी आ गयी थी...जिसे स्मृति ने भांप लिया था...

स्मृति – क्यूँ कुशल, तू खुस नही है क्या...आरू पसंद नही क्या...

कुशल- ये बात नही मोम मैं तो खुद आरू दीदी को कब से चोदना चाह रहा हूँ पर ....

प्रीती – पर क्या कुशल 

कुशल – मैं उनके सामने कैसे...मतलब हमने अब तक कभी कुछ किया भी नही है फिर कैसे हो पायेगा....

प्रीती – अरे तू चिंता मत कर, वो तो खुद तेरे लंड के निचे लेंटने के लिए मरी जा रही है.....

कुशल – सच में ??

प्रीती – और नही तो क्या....

कुशल – तो फिर ठीक है...बुला लो उनको निचे...

स्मृति – भई ये काम तो हमारी प्रीती बिटिया ही कर सकती है...

प्रीती – जरुर मोम...

और ये कहकर प्रीती ने अपना मोबाइल निकाला और आरू दीदी का नंबर घुमा दिया...

आरू – हेल्लो प्रीती...

प्रीती – हाँ दीदी....मैं ही हूँ..

आरू – अरे तुम दोनों निचे गये थे ना...अभी तक आये क्यों नही...हम यहाँ कब से तुम दोनों का इंतज़ार कर रहे है...

प्रीती – नही दीदी ...अब हम उपर नही आ रहे...

आरू – तो??

प्रीती – आप दोनों निचे आ जाओ मोम के कमरे में...

आरू – पर मोम के सामने कैसे करेंगे..

प्रीती – दीदी आप चिंता मत करो मोम खुद आपको बुला रही है.....

आरू – सच में???

प्रीती – हाँ दीदी..और सिमरन दीदी को भी ले आओ जल्दी से...आज तो मोम अपने हाथो से कुशल का लंड आपकी चूत में फिट करेगी देखना...

आरू – पर ये सब हुआ कैसे??

प्रीती – वो सब बाद में बताउंगी...अभी आप दोनों जल्दी से सेक्सी ड्रेस पहनकर निचे आ जाओ..हम लोग आपका वेट कर रहे है..

और ये कहकर प्रीती ने फ़ोन काट दिया...

इधर आरू और सिमरन, प्रीती की बात सुनकर खुश भी थे और हैरान भी...आखिर ये सब कैसे हो गया.... पर अब तो उनका ध्यान आने वाली चुदाई पर था... क्यूंकि प्रीती ने जिस तरह से कहा था कि उसकी मोम खुद कुशल का लंड पकडकर उसकी फुद्दी में घुसएगी... वो सुनकर आरू बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गयी.....

कुछ ही देर में आरू और सिमरन तैयार होकर बिलकुल सेक्सी ड्रेस पहन चुके थे और अब वो दोनों निचे चल दिए.....

...........................................................

स्मृति – हाँ कुशल, चल अब दोबारा जाकर सोफे पर बैठ जा

प्रीती और कुशल ने आश्चर्य से मोम की ओर देखा

प्रीती – पर अभी तो आपने कहा था ना कि आप भाई को और ज्यादा सजा नही दोगी

स्मृति – हाँ कहा था

प्रीती – तो फिर अब आप दोबारा भाई को क्यों सोफे पर बैठा रही हो 

कुशल भी बिच में बोल पड़ा

कुशल – हाँ मोम अब प्लीज़ और सजा मत दो ना

स्मृति – अरे उल्लू सजा नही दे रही... कुछ अलग करने का सोच रही हूँ

कुशल – अलग पर क्या

स्मृति – तू पहले जाकर बैठ तो सही...

कुशल भी मन मारता हुआ जाकर दोबारा सोफे पर बैठ गया....

अब बारी स्मृति की थी... कुशल और प्रीती दोनों ही देखना चाहते थे कि आखिर उनकी मोम क्या अलग करना चाहती है.... कुशल का लंड तो बुरी तरह फुंकार रहा था.... वो तो बस चाहता था कि दोनों में से किसी की चूत में वो लंड घुसा दे....

स्मृति अब धीरे से बेड से उतरी और बड़ी ही स्टाइल से चलती हुई कुशल की तरफ जाने लगी... स्मृति की चाल किसी मॉडल से कम नही लग रही थी बस स्मृति पूरी तरह नंगी थी..... कुशल स्मृति को इस तरह चलकर अपने करीब आता देख बुरी तरह उत्तेजित हो गया....

अब स्मृति सोफे के बिलकुल करीब आ गयी... और वो सोफे पर चढ़ गयी. अपने दोनो पैर सोफे के दोनों बाजू रख कर खड़ी हो गई. नीचे देख कर उसने कुशल के लंड की ऊंचाई नाप ली और कुशल के कंधे का सहारा लेकर अपने चुतड को निचे लाई. जैसे ही उसकी चूत कुशल के सुपाडे के बराबर ऊपर आई तो एक हाथ की पहेली दो उँगलियों से उसने अपनी चूत खोली. जितनी हो सके उतनी चूत को चौड़ी करके उसने सुपाडे के ऊपर रख दिया और धीरे से सुपाडे को चूत में समा लिया. सुपाड़े को निगलने के बाद उसकी आँख मूंद गयी और मुंह से "आ....आ......आ.......आ....ह..." निकल गयी. 

वो कुछ क्षण रुकी और धीरे धीरे बड़ी सावधानी से वो कुशल के लंड पर बैठ गयी. उसकी चूत ने कुशल का पूरा लंड समा लिया था जैसे अजगर अपने शिकार को निगलता हो. इतना लम्बा और तगड़ा लंड उसकी छोटी सी चुत मे कैसे समता होगा. पक्का उसकी नाभि के पार निकल चूका होगा. इस तरफ कुशल का पूरा लंड अपनी चूत में समाये स्मृति कुशल के कंधे पर सर रख कर ढल गयी और थकी हुई आवाज़ में बोली “अभी कुछ मत करना....कुछ देर मुझे थकान उतारने दो.....”. और वो ऐसे ही पड़ी रही.

कुशल और प्रीती तो अपनी मोम के इस अंदाज़ को देखकर बिलकुल गरमा गए...... कुशल ने अब झट से अपनी मोम के बूब्स को अपने हाथो में दबोच लिया और उन्हें जोर जोर से दबाने लगा.... इधर प्रीती भी बेड से नंगी उठी...और जल्दी से चलकर कुशल और स्मृति की रासलीला में शामिल हो गयी.... प्रीती ने भी अपनी मोम के एक मम्मे को पकडकर अपने मुंह में ले लिया और झट से उसे चूसने लगी..... स्मृति तो इस दोहरे वार से अधमरी सी होती जा रही थी 

तभी अचानक डोर पर किसी ने दस्तक दी.... स्मृति और प्रीती के साथ साथ कुशल के चेहरे पर भी एक हलकी सी मुश्कान आ गयी क्यूंकि उन्हें पता था कि बाहर आरू और सिमरन खड़े है.....

प्रीती खड़ी होकर दरवाज़ा खोलने की और बढ़ी पर स्मृति ने उसका हाथ पकड लिया

स्मृति – रुक प्रीती मुझे खोलने दे...और एक बात सुन

प्रीती – हाँ बोलिए मोम

स्मृति – तू मुझे उनके सामने मेरे नाम से ही बुलाएगी....और कुशल तू भी..

प्रीती – पर क्यों..

स्मृति – देख इससे उनकी झिझक बहुत ही जल्दी खत्म हो जाएगी.....समझी

प्रीती – ओके ठीक है मोम....

और ये कहकर स्मृति कुशल के लंड से खड़ी हुई... जैसे ही कुशल का लंड स्मृति की चूत से बाहर निकला एक पक्क्क की आवाज़ उन तीनो के कानो में पड़ी जिसे सुनकर उनके चेहरे पर हंसी आ गयी....

स्मृति अब तुरंत सोफे पर खड़ी हो गयी अपनी चूत में से कुशल के लंड को निकालने के बाद उसने लंड को छुपाने के लिए उसके ऊपर एक तकिया रख दिया. और अपना नाईट गाउन झट से पहनकर डोर की तरफ बढ़ गयी....

जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला सामने आरू और सिमरन खड़ी थी...जो इतनी ज्यादा सेक्सी लग रही थी जैसे कही किसी पार्टी में जा रही हो बस यहाँ वो चुदाई पार्टी में आई हुई थी....

स्मृति ने डोर पूरी तरह नही खोला था जिसकी वजह से आरू और सिमरन प्रीती और कुशल को नही देख पा रही थी.... 

स्मृति – वाव... गर्ल्स... तुम दोनों तो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही हो...

आरू – थ...थ...थैंक्स मोम.....

स्मृति – इतनी घबरा क्यों रही हो आरू बेटी.... अब तो हम सब एक दुसरे के राजदार है...अब तो हमे बिलकुल भी एक दुसरे से शर्मना नही चाहिए....

सिमरन – हाँ आरू.... आंटी सही कह रही है... अब तो हम सब दोस्त है.....क्यों आंटी..

स्मृति – भई ये गलत बात है ..

सिमरन – क्या..

स्मृति – एक तो तुम मुझे अपना दोस्त कह रही हो और उपर से आंटी भी कह रही हो....

सिमरन – तो मैं क्या कहूँ

स्मृति – तुम मुझे मेरे नाम से पुकारो

सिमरन – पर आंटी... ओके ठीक है मैं आपको आज से स्मृति बुलाऊगी

स्मृति – दट्स माय गर्ल....

सिमरन – थैंक यू स्मृति 

स्मृति – और आरू मैं चाहती हूँ कि तुम भी मुझे मेरे नाम से बुलाओगी...

आरू – पर मोम मैं कैसे आपको नाम से बुला सकती हूँ.....,...

स्मृति – वैसे ही जैसे प्रीती और कुशल बुलाते है....

आरू – सच में????

स्मृति – तुम्हे यकीं नही अभी रुको...

स्मृति ने प्रीती को आवाज़ लगी...

स्मृति – प्रीती ................

प्रीती – हाँ.......स्मृति....

प्रीती भी अब बिलकुल नंगी जाकर दरवाजे पर पहुंच गयी..उसे इस तरह नंगा देखकर एक बार तो आरू और सिमरन थोड़े से झिझक सी गयी....

आरू को इस तरह झिझकता देख स्मृति बोली...

स्मृति – आरू, देख मैंने कहा था ना कि अब प्रीती और मैं बिलकुल पक्की सहेलिया बन गयी है.... इसलिए अब वो भी मुझे अपने नाम से बुलाती है... और हम तो अब एक दुसरे को गाली भी देते है...

आरू और सिमरन आश्चर्य से नंगी खड़ी प्रीती और अजीब अजीब बाते करती स्मृति को देख रहे थे....

स्मृति – देख आरू तू तभी इस कमरे में आ सकती है जब तू मुझे अपनी दोस्त समझने लगेगी और मुझे मेरे नाम से ही पुकारेगी...वरना तेरी एंट्री इस कमरे में नही होगी..

सिमरन – आरू यार सोच क्या रही है...अब इतना भी क्या शर्माना... चल आजा...ना...

आरू – चलो ठीक है मोम..आज से मैं आपको स्मृति ही कहकर बुलाऊगी... 

स्मृति – ये हुई ना बात.. अब दोनों अंदर आ सकती हो...

स्मृति की बात सुनकर आरू और सिमरन अंदर आ गयी... पर जैसे ही वो दोनों अंदर आई.. सामने का नज़ारा देखकर उनकी चुतो से पानी की बुँदे निकलने लगी... क्यूंकि सामने सोफे पर कुशल बिलकुल नंगा लेटा था..और उसका लंड बिलकुल सांप की तरफ फुंकार रहा था...सिमरन और आरू ने अपनी जिन्दगी में कभी भी इतना मोटा और लम्बा लंड नही देखा था... दोनों के गले के थूक जैसे गले में ही अटक गया था..पर आँखों में एक चमक भी आ गयी थी कि आज की रात उन्हें इस लोडे की सवारी करने को मिलेगी...

वो दोनों अभी खड़े खड़े कुशल का लंड देख ही रही थी कि तभी स्मृति आगे बढ़ी, अपना नाईट गाउन उतारा और एक झटके में सोफे पर चढ़कर कुशल के लंड को अपनी चूत में सर्रररर से गाड दिया....

आरू और सिमरन को ये देखकर जोर का झटका लगा. उन दोनों का मुंह और आँखे फटी की फटी रह गई. एक तो इतना तगडा और लम्बा लंड था और स्मृति ने पलक झपकते ही अपनी चूत में ले लिया और ऊपर बैठ गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो!!!. 

स्मृति ने कुशल के लंड पर बैठे बैठे सब को कहा "इसमे हैरान होने की कोई बात नहीं है... तुम दोनों शांत हो जाओ... और आकर बेड पर बैठ जाओ..” 

स्मृति की आवाज़ सुनते ही आरू और सिमरन जैसे किसी स्वपन से बाहर आई हो, 

स्मृति – तुम दोनों अब शर्माना छोड़ भी दो और मजे लो जैसे मैं और प्रीती ले रही है

प्रीती ने भी अपनी मोम की हाँ में हाँ मिलायी और बोली

प्रीती – हाँ दीदी, स्मृति सही कह रही है, अब चलो आप दोनों भी झट से अपने कपडे उतार दो, ताकि कुशल भी तो आपके जवान बदनो को देख सके, बेचारा कब से आप दोनों को नंगा देखने के लिए मरा जा रहा है... अब और मत तडपाओ उसे...

अब आराधना और सिमरन के लिए भी बर्दास्त करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, क्यूंकि सामने स्मृति अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंड सटासट अपनी चूत में अंदर बाहर करे जा रही थी..... इसलिए दोनों सहेलियों ने शर्म त्यागने में ही अपनी भलाई समझी...

कुछ ही पलो में आरू का सलवार खुल कर उसके पैरों में था. उसकी पैंटी उतरकर घुटनों में आ चुकी थी. सिमरन ने भी अपनी टाईट पेंट उतार कर बाजु में रख दी थी और उसकी पैंटी भी उसके पैरों में गिरी पड़ी थी, प्रीती तो पहले से बिलकुल बेड पर लेटी थी और अपने पैरो को फैला कर अपनी नंगी चूत को हाथों से रगड़ रही थी और उसमे उंगलियाँ डाल रही थी. 

तभी अचानक स्मृति बोल उठी –

स्मृति – आरू, कुशल का लंड लेगी क्या????

स्मृति का सवाल सुनते ही जैसे वो सब होश में आये, दरअसल कुशल के इस तगड़े लंड को पाने की इच्छा तो अब सबमे थी...और इसीलिए उसे पाने के लिए सब के होंठ और गला सुख गया था. 

इधर बेचारे कुशल का क्या हाल हो रहा होगा ये आप लोग अच्छे से समझ सकते है....बेचारे के सामने चार चार रस टपकाती चुते थी जो कुछ ही देर में उसके लंड को अपने अंदर गटकने वाली थी....

अब आरू और सिमरन भी बेड पर बैठ गयी और अपने पैरो को फैलाना शुरू किया

क्या गज़ब का सिन था यारो... कुशल का लंड उसकी मोम की चूत में फंसा था.. और उसकी आँखों के सामने तीन तीन जवान फुद्दियाँ नज़र आ रही थी... कुशल तो ख़ुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था......

इधर तीनो लडकियाँ अब बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी...उनकी वासना उनकी बुद्धि पर सवार हो चुकी थी. वो दिमाग का कुछ सुनना नहीं चाहती थी. उन सब की वासना की आग भड़क उठी थी.. 

पहले प्रीती ने, फिर आरू ने, फिर सिमरन ने एक के बाद एक शर्म को छोड़ कर सब ने अपने पैर फैलाये. पैर फैलाते ही सबकी चूत में से वो दबा हुआ रस निकल कर बाहर छलक गया

स्मृति बोली "देखो आरू तुम्हारी चूत तुम्हारा हाल बयां कर रही है.. मैं तो कहती हूँ...ऐसा मोका फिर कभी नहीं मिलेगा. कुशल का लंड भी कितना तगड़ा है....अभी सही मोका है बिलकुल ...लेलो इसे अपनी इस खूबसूरत सी चूत में वर्ना बाद में जिंदगी भर अफ़सोस करती रहोगी...” 

प्रीती – पर स्मृति ..पहले तू तो मजा ले ले पूरा.....

स्मृति -"मैं तो पहले भी कई बार ले चुकी हूँ और आगे भी लेती रहूंगी....पर तुम लोगो का ये पहला मोका है.....इसलिए आज की रात तुम सब कुशल के लंड की सवारी करो और अच्छे से उसके लंड से निकली एक एक बूंद निचोड़ लो........” 

ये बोलकर स्मृति अब धीरे धीरे खड़ी होकर अपनी चूत में से कुशल का लंड निकालने लगी...सबकी नजरे स्मृति की चूत पर थी. स्मृति उठती गयी उठती गयी पर कुशल का लंड था कि ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा था. सब यही सोच रहे थे की अभी लंड का सूपाड़ा निकलेगा पर जब स्मृति काफी ऊपर तक उठी तब जाके सूपड़ा स्मृति की चूत के रस में नहाया हुआ दिखा. सबका मुंह और आँखे खुली की खुली रह गयी. 


स्मृति उठकर कुशल के पास बैठ गयी, कुशल अब राह देख रहा था कि कि कोई तो चुदाई के लिए उठेगी. पर कोई हिम्मत नहीं कर रहा था, आरू अपनी उंगलियाँ चूत की गहराईयों में डालने के लिए बड़ी मचल रही थी.


जब कोई पास नही आया तो आखिर कुशल खुद उठकर आरू के पास गया और उसके फैले हुए पैरों के बिच में अपने घुटनों के बल बैठ गया. बैठते ही कुशल का लंड उसकी चूत में गडी हुई उँगलियों को छु गया. लंड के छूते ही उसकी साँसे तेज हो गयी और उसने अपनी कमर को ऊपर उठा कर, चूत में से उंगलियाँ निकाल कर लंड को अपने हाथों से चूत पर दबा दिया. आरू अब कुशल के लंड को बड़े प्यार से सहलाने लगी, उसकी आँखे बंद हो गयी जैसे गहरी नींद में चली गयी हो. उसकी चूत उछल-उछल कर कुशल के लंड को टकरा रही थी. पर वो कुछ बोल नहीं पा रही थी. सबको आरू की ये हालत देखकर तरस आ रहा था...

इसलिए अब सब आरू की मदद के लिए उसके पास गए. 

सिमरन ने आरू को पूछा "क्या हुआ आरू??ले ले ना अंदर?”

आरू कांपते हुए बोली "यार डर लग रहा है...इतना बड़ा कभी लिया नही"

प्रीती बोल पड़ी "दीदी...चिंता मत करो..बस एक बार दर्द होगा..फिर देखना आप मजे से सरोबार हो जाओगी...और आप तो पहले ही पापा से चुद चुकी हो...तो लंड लेने में थोड़ी आसानी भी होगी...मुझे देखो मैंने तो अपनी चूत की सिल भी इसी मोटे लंड से तुडवाई थी.....”

आरू किसी का जवाब देने की हालत मैं नहीं थी. वो तो उछल-उछल कर अपनी चूत को लंड से टकरा रही थी और अपनी चूत को कुशल के लंड पर रगड़ रही थी. ”

स्मृति बोली "आरू , ओ आरू ....होश मैं आओ..”

प्रीती बोली "आरू .. डाल दे..”

आरू ने सर हिला कर मना किया. 

प्रीती बोली "जिद मत करो ना दीदी...कुछ नही होगा..आप डालो तो सही...”

अब बेचारे कुशल का धैर्य भी जवाब दे गया और वो बोला 

कुशल - "आरू दीदी डालने दो ना प्लीज़... आपकी चूत बहुत सुन्दर है....."

आरू ने ये सुनते ही कुशल को अपनी बाहों में भर लिया और कुशल के लंड के सुपाडे को अपनी चूत में समाने के लिए तड़पने लगी. कुशल ने भी उसकी चूत में डालने की कोशीश की पर कुशल का लंड सरक कर यहाँ वहां चला जाता था. आरू की चूत काफी कड़क हो चुकी थी और खुलने का नाम नहीं ले रही थी. इसीलिए कुशल का लंड उसके अन्दर नहीं जा रहा था.

सबको लगा कि शायद उन्हें ही अब मामला सम्भालना पड़ेगा... 

सिमरन ने कुशल को आरू के ऊपर से उठाने को कहा. कुशल के उठने पर आरू भी शरमा कर बैठ गयी... बिना देर किये प्रीती ने उसके ब्रा के हुक खोल कर आरू के स्तन को आज़ाद किया. आज़ाद होते ही दोनों स्तन अपनी अपनी जगह झूलने लगे. प्रीती ने आरू को वापस बेड पर सुला दिया और आरू के स्तन को सहलाने लागी. आरू अब अपने आपे में नहीं रही. प्रीती ने आरू के बाल खुले कर दिए. सबने आरू को कमर से जकड दिया ताकि वो उछलना बंद करे. आरू की कमर कंट्रोल में आते ही कुशल ने उसके पैर फैलाए और अपना सुपाडा फिर से उसकी चूत पर रखा. कुशल का लंड उसकी चूत में इतनी आसानी से जाने वाला नहीं था वो खुद भी ये बात जानता था.. 

इसलिए कुशल ने अपने दोनों हाथों से आरू की चूत को खोला और सुपाडे को उसकी चूत के कोने पर दबाया. अब सुपाडे की इधर-उधर जाने की कोई गुंजाइश नहीं थी. कुशल का सुपाडा गरम था पर आरू की चूत उससे कई गुना गरम थी. उसको कुशल का लंड ठंडा लग रहा था. उसकी चूत को कुछ ठंडा छुते ही आरू कमर से उछल पड़ी और कुशल का लंड फिर से बहार निकल गया. 

अब कुशल का धैर्य जवाब दे गया..उसने फिर से आरू की कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और लंड को उसके काने ऊपर रख कर एक जोर का धक्का मारा और आरू के ऊपर गिर पड़ा. कुशल का मुंह उसके दोनों स्तन की गहराई के बिच दब गया और लंड उसकी चूत को चिर कर उसकी गहराई को नाप रहा था. आरू जोर से चीखी..आरू को काफी दर्द हो रहा था...क्यूंकि उसने सिर्फ पंकज का लंड ही अपनी चूत में लिया था पहले वो भी सिर्फ 2 -3 बार...और पंकज का लंड कुशल के मुकाबले तो काफी छोटा ही था....

आरू हिलने की हालत में नहीं थी और उसने कुशल को भी हिलने से रोक दिया... आरू की साँसे फूली हुई थी. उसका गला सुख रहा था. कुछ देर बाद वो शांत हुई और अपनी आँखे खोल कर आसपास देखा. उसने सिमरन को अपने पास खिंचा और उसके होठों को चूमने लगी. अपने हाथों से अपने स्तन को सहलाने लगी. उसके साथ प्रीती और स्मृति भी जुड़ गयी. आरू के हाथों को हटाकर दोनो ने एक-एक स्तन पर कब्ज़ा कर लिया. उसे सहलाने लगे, चूमने लगे, चूसने लगे. 

प्रीती और स्मृति के के नंगे गोरे और मांसल चुतड कुशल की तरफ थे...उसने दोनों के चुतड पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा. कुशल उनके चुतडो पर हलकी हलकी थप्पड़ सी मारने लगा...फिर उसने प्रीती के चुतड को अपनी मुट्ठी में भरना शुरू किया ...उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी मखमल के कपडे को छु रहा हो...

इधर थप्पड़ पड़ते ही उनकी चुतड पर लहू उभर आया. दो चार और चमाट लगाने पर उनकी चुतड लाल हो गयी. वो द्रश्य बेहद खुबसूरत था. गोरी दूध जैसी चुतड पर लाल रंग और बिच में हल्के से काले बालों में घिरी चूत और उसके बराबर बिच में लाल चूत की पतली सी की दरार. दरार में से निकला हुआ चूत का रस उनके चूत के बालों में यहाँ वहां चिपका हुआ था. एक अदभुत नजारा था. 

कुशल ने अब प्रीती की चूत की तरफ ध्यान लगाना शुरू किया...

कुशल ने अपनी पहली दो उंगलिओं को उसकी चूत पर रगडा और चूत का रस उसकी पूरी चूत पर और उसकी चुतड पर मल दिया. उसकी चूत बेहद मुलायम थी. उसमे अंगूठा डालते ही दबा हुआ रस निकल कर उसकी जांघो पर गिरा. स्मृति और प्रीती की चूतें सहलाते हुए कुशल ने अब धीरे धीरे अपने लंड को आरू की चूत से बाहर निकाला. उसकी चूत कुशल के लंड पर बड़ी मजबूती से चिपकी हुई थी. लंड निकालते हुए एसा लग रहा था की उसकी चूत कुशल के लंड को चूस रही हो. लंड निकालते ही मालुम पड़ा की उसकी चूत खुल चुकी थी और हलकी सी फट गयी थी और थोडा खून निकल आया था. 

बिना कुछ देर किये कुशल ने फिर से अपना लंड उसकी चूत में गाड़ दिया. अब आरू को कुछ संतोष की अनुभूति हो रही थी. लंड का उसकी गहराईयों को छूते ही उसने कुशल की सहूलियत के लिए अपने पैर और फैलाए. कुशल ने भी लंड को फिरसे निकाला और देखा तो आरू की चूत अपना मुंह फाड़े बैठी है. अब वो भी उसकी चुदाई के लिए उतावला था और अब उसने उसकी चुदाई शुरू की. 

हर एक धक्के पर वो कुशल को और जोर से करने के लिए उकसा रही थी और कुशल का लंड भी हर बार नयी गहराई को छू रहा था. एक लय से आरू चुदे जा रही थी और सिमरन के होंठ और जोर से चूस रही थी. 

इस तरफ सिमरन अब आरू की चूत के पास बैठ गयी और कुशल की गोटीयों से खेलने लगी. करीब पांच मिनट में ही आरू उछल पड़ी. सब लोग बाजु हट गए और कुशल उसके ऊपर चढ़ गया. वो झडने लगी थी उसकी चूतने कुशल के लंड के ऊपर जोर की पकड़ जमा ली थी पर कुशल अभी भी उसी लय से उसकी चुदाई करता रहा. 

और तभी अचानक आरू की चूत से पानी की मस्त धारा बहने लगी... एक के बाद एक सतत कई बार झड़ने से वो संतोष की सभी सीमाए पार कर चुकी थी. उसके चहरे पर एक परम शांति और परम सुख का भाव था. सबने आरू का हाथ पकड़ कर रखा था नहीं तो वो कुशल की पीठ को जरुर नोंच लेती....

अब कुशल ने आरू की चूत में से लंड को निकाल दिया. आरू अपना पूरा शरीर ढीला छोड़ कर बेड पर आँख बंद करके सो गयी. स्मृति आरू के मम्मे मसल रही थी....और उसे हवा दे रही थी....आखिर इतना बड़ा लंड जो लिया है उसने 

कुशल –मोम अब आप आ जाओ

स्मृति – अरे नही...मैं तो पहले भी कर चुकी...आज इन बच्चियों की बारी है.....

सिमरन जैसे उसी पल की राह देख रही थी. उसने कुशल के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया. बड़ी बेताबी से वो पुरे लंडको चूसने लगी उसने कुशल का लंड पर से आरू का रस पूरी तरह से साफ़ कर दिया. पर शायद कुशल लंड चुसवाने के मुड में नहीं था.

कुशल – सिमरन दीदी... चुसो मत...हाँ अगर चुदवाना है तो आ जाओ निचे...

सिमरन के चेहरे का भाव कुशल का सवाल सुनकर तुरंत बदल गए. उसकी आँखों मैं मस्ती छा गयी और मुस्कुराते हुए बोली "जरुर मेरे राजा ..अब तो तेरे लंड को देखकर खुजली और भी ज्यादा बढ़ चुकी है ?”

प्रीती बोली "पर मेरा नंबर कब आएगा...”

सिमरन – तू चिंता क्यों करती है मेरी जान...आजा और मेरे उपर पेट के बल लेट जा......

प्रीती अब सिमरन के ऊपर पेट के बल सो गयी. कुशल के सामने एक के ऊपर चूत अपने पैर फैलाए लबलबाती पड़ी थी.

सिमरन बोली "चल अब सोचता क्या है? डाल न? तुझे इन्विटेशन देना पडेगा क्या?”

प्रीती बिच में ही बोली – अरे कुशल अब देखता क्या है...आज चढ़ जा आज हम दोनों के उपर...
पर कुशल शायद ये सोच रहा था कि पहले किसको चोदुं...

सिमरन से अब सहा नहीं गया. उसने कुशल को उसके लंड से पकड़ कर खिंचा और लंड के सुपाडे को अपनी चूत के दाने पर रख दिया. “चल न... टाइम पास मत कर".


अब कुशल ने प्रीती को उसकी पतली कमर से पकड़ा और सिमरन की चूत पर सुपाडा दबाया. सुपाडे के आगे नन्ही सी चूत थी. थोडा ज्यादा जोर लगाने पर सुपाडा लपक कर अन्दर घुस गया. लंड घुसते ही उसका चेहरा, जैसे पानी में देर तक डूबे रहने के बाद कोई पानी के बाहर सर निकालता है और सांस लेनेके लिए बेताब हो, वैसा था. 

वो एकदम हडबडा गयी थी. उसने कुशल को थोड़ी देर रुकने को कहा. उसकी जोर जोर से सांसे चल रही थी और यहाँ प्रीती ऊपर नीचे हो रही थी. कुछ देर बाद उसकी साँसे शांत हुई और कहा "ओह प्रीती...... क्या लंड है साले का !!...जिंदगीभर का अफ़सोस रह जाता अगर....

"आ...ह...."

"कुशल थोडा धीरे.....”

“oh my god.... "

"आह... रुक...... रुक जा रे.... ”

“पूरा डाल दिया क्या?”

कुशल कुछ बोलता इससे पहले स्मृति ही बोल पड़ी – सिमरन ..अभी तो आधा ही अंदर गया है....हा हा हा 

सिमरन बोली "चल झूठी....”

स्मृति बोली "ठीक है कुशल ... उसे पूरा डाल कर दिखा...”

दुसरे ही पल कुशल ने एक धक्का मारा और पूरा लंड सिमरन की चूत में समा गया. सिमरन एक जोर के झटके के साथ उछली. उसका भी गला सुखा गया और कुछ भी बोलने की हालत में न रही.

इधर कुशल ने अब सिमरन की चूत से लंड निकाला और झट से प्रीती की चूत पर रगड़ने लगा...प्रीती तो पहले से ही तैयार थी. उसे मालुम था की कितना दर्द होगा और दर्द के बाद कितना आनंद होगा. लंड का स्पर्श होते ही प्रीती को जैसे करंट लगा. वो लंड के सुपाडे को अपने हाथों से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और सुपाडे को पूरा गिला कर अपने अन्दर डाल दिया. सुपाडा अन्दर जाते ही उसके फैले हुए पैर कुशल की कमर के आसपास लिपट गए. 

“आ...ह.....”

“माँ......”

“मर गयी.....”

“ओ.....ह...”

“आ.............इ..”

आखिर में प्रीती पुरे लंड को निगल कर बोली....”तू अब हिलना मत... मैं जब बोलूंगी तब ही हिलना...."

प्रीती की चूत अन्दर से लबालब हो रही थी. लंड को अन्दर से कभी जकड रही थी तो कभी छोड़ रही थी. उसका बदन जैसे मोम की कोई मूरत हो. उसके पुरे बदन को कुशल महसुस करने लगा. जैसे ये सब कुशल के लंड के लिए मर रहे थे वैसे ही कुशल भी ये सब बेहद खुबसूरत बदन को पा कर धन्य हो रहा था. अपने आप को कह रहा था की ये वक्त बस ऐसे ही थम जाए 

यही सोचते हुए कुशल ने प्रीती के रुई जैसे स्तन पर हाथ रखा. प्रीती ने भी कुशल के हाथ पर अपने हाथ रख दिए और वो खुद ही कुशल के हाथों से अपने स्तन दबोच रही थी. 

थोड़ी देर बाद प्रीती ने सर हिलाकर कुशल को आगे बढ़ने को कहा...कुशल ने भी अब दनादन धक्के मारने शुरू कर दिए...एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्को से प्रीती का बदन सिहर गया और साथ ही उसके निचे लेती सिमरन का बदन भी झकझोर गया.... 

लगभग १० मिनट में ही प्रीती की चूत का फुवारा फुट पड़ा....जैसे ही प्रीती की चूत का पानी छुटा, कुशल ने अपना लंड तुरंत निकाला और सटाक से बिना किसी वार्निंग के सिमरन की चूत में घुसेड दिया... 

सिमरन के मुंह से आह निकल गयी.....

पर अब कुशल दे दना दन धक्के मारते जा रहा था और कुछ ही मिनटों में में सिमरन का भी पानी छुट गया...

अब कुशल को भी लगने लगा कि उसका पानी निकलने वाला है....इसलिए वो जोर से बोला- मेरा निकलने वाला है मोम...” और कुशल जोर जोर से मुठ मारने लगा...

कुशल की बात सुनते ही चारो कुशल के लंड के पास आकर बैठ गयी...कुशल खड़ा होकर मुठ मारने लगा...

चारो लडकियो ने अपनी अपनी जीभ बाहर निकाल ली जैसे कुशल के वीर्य को वो चखना चाह रही हों....

और अगले ही पल कुशल के लंड से वीर्य की मोटी मोटी धाराएँ निकलने लगी....और यहाँ वहां जाने लगी... 

चारो लडकियों ने मिलकर कुशल के वीर्य की एक एक बूंद चट कर डाली....

आखिर में थक कर चारो वहीं लेट गये....


>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>.


इस प्रकार इस परिवार की ये चुदाई का खेल ऐसे ही चलता रहा...जल्द ही इन सबमे पंकज भी शामिल हो गया.... अब तो ये सब लोग रात को एक ही जगह सोते है...जिसके मन में जो आया वो उसके साथ चुदाई कर लेता है......

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

THE END
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