10-23-2020, 02:27 PM,
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desiaks
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RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
दरवाज़ा खुला हुआ मिला….कमरा खाली था….जिस कुर्सी पर उसे बैठी हुई छोड़ कर गया उल्टी पड़ी दिखाई दी….उसके करीब ही काग़ज़ का एक टुकड़ा पड़ा मिला….जिस पर मोटे-मोटे हर्फ में
“ढांप”
लिखा था….!
ओह….खबीसों….ओह….मरदूदों….वो कमरे से दहाड़ता हुआ निकला….तुम सब इस काबिल हो कि बे-दरदी से कत्ल कर दिए जाओ….वो उसे भी निकाल ले गया
थोड़ी देर बाद वो सब चीफ के सामने सर झुकाए खड़े नज़र आए….
वो उन पर बुरी तरह गरज रहा था….!
.....................,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॉक्टर मलइक़ा को सिर्फ़ इतना ही याद था कि कमरे में अचानक अंधेरा हो गया….
और
उससे पूछ-गाच करने वाला कमरे को दोबारा बंद कर गया था….साथ ही धमकी भी दी थी कि निकल भागने की सूरत में गोली मार दी जाएगी….
वो देर तक अंधेरे में बैठी रही….
फिर
दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुन कर कुर्सी से उठी ही थी….ठीक उसी वक़्त उस पर पेन्सिल टॉर्च की रोशनी पड़ी थी….
और
किसी ने आहिस्ता से कहा था कि वो उसका दोस्त है….उसे रिहाई दिलाना चाहता है….ये बात उर्दू में कही गयी थी….इसलिए वो किसी नये कशमकश में पड़ जाने की बजाए उसके साथ कमरे से निकलती चली गयी थी….
वो उसका हाथ पकड़े हुए था….पार्क में पहुँच कर उसने उसे काँधे पर उठाया था….
और एक तरफ दौड़ लगा दी थी…..उसी दौरान में उसने ये महसूस किया था जैसे वो अपने एक हाथ से उसकी कनपटी दबाने की कोशिश करता रहा हो….
फिर
क्या हुआ था….उसका होश नही….दोबारा कुछ सोचे समझने के काबिल हुई थी….तो फिर….
खुद को एक कमरे में पाया….
लेकिन
वो कमरा हरगिज़ नही था जिस में क़ैद रही थी….ये कमरा उससे ज़्यादा बड़ा था….और….
उस में नकासी के दरवाज़े थे….उसने उठ कर एक दरवाज़ा खोलने की कोशिश की….फिर….दूसरे को आज़माया दूसरा हॅंडल घुमाते ही खुल गया….
और
दूसरे ही लम्हे में चीख पड़ी… “भाई जान”
ये भी एक कमरा ही था….
और उसके सामने डॉक्टर शाहिद एक आरामदेह कुर्सी पर नज़र आया….!
म….म….मैं नही जानता कि आप कौन है….? शाहिद सीधा बैठता हुआ बोला
मलइक़ा ठिठक कर रह गयी….
अगर….भाई जान हूँ तो बताओ कि मैं हूँ कौन….? मेरा घर कहाँ है….?
अरे भाई जान…..वो ख़ौफज़दा लहजे में कुछ कहते-कहते रुक गयी….
ठीक उसी वक़्त पीछे से आवाज़ आई….ये आप के भाई जान नही….
बल्कि मेरे अज़ाब जान है….!
मलइक़ा चौंक कर पीछे मूडी….सामने इमरान खड़ा था….!
डॉक्टर शाहिद भी कुर्सी से उठ गया….
मेरा नाम अली इमरान है मोहतर्मा….
मैं जानती हूँ….वो लंबी साँस ले कर बोली….आप की तस्वीर देखी थी….!
पिछली रात मैं ही था जिस ने आप को रिहाई दिलवाई थी….
और खुद पकड़े गये….डॉक्टर शाहिद बेस्खता बोल पड़ा….
अब तो वाक़ई पकड़े गये….इमरान बाई आँख दबा कर हंसा
और शाहिद के मूह पर हवाइया उड़ने लगी….!
परवाह मत करो….मैं इसी तरह यादश्त वापस लाता हूँ….इमरान बोला
म….म….मा….मैं नही समझा….?
तुम महफूज़ हो डॉक्टर….ढांप मेरा ही आदमी है
ओह….वो लोग भी किसी ढांप का ज़िक्र कर रहे थे….मलइक़ा बोली
उन्हे करना भी चाहिए….
मैं कहाँ हूँ….? शाहिद ने सवाल किया
एक महफूज़ मुकाम पर….सुरक्षा ही के लिए तुम्हे यहाँ रखा गया है….
बल्कि…. मेरी हिरासत में हो अब ढोलक बजवा ही दी जिए….!
अगर….वो आप का आदमी था तो उसने आधे तीतर का हवाला क्यूँ दिया था….शाहिद इमरान को गौर से देखता हुआ बोला
आप लोग आराम से बैठ जाइए….इमरान हाथ हिला कर बोला
फिर मलइक़ा से कहा….मैं पहले आप की कहानी सुनूँगा….!
एम्म….मेरी कहानी….ये है कि एक विदेशी लड़की मरीजा को देखने के बहाने मुझे हर्लें हाउस ले गयी थी….
और
मुझे बंद कर दिया गया था….
फिर
मैं नही जानती कि दूसरी इमारत में कैसे पहुचि थी….उन्होने मुझे बतौर कैदी रखा हुआ था….!
किस सिलसिले में….?
डॉक्टर शाहिद ज़ोर से खंकारा….जैसे मलइक़ा को बोलने से रोक रहा हो….
लेकिन
मलइक़ा खुद उसी से सवाल कर बैठी….क्या तुम किसी के बहुत ज़्यादा कर्ज़दार हो….?
नही….तो….सवाल ही पैदा नही होता….शाहिद बोला
लेकिन….वो कहे रहा था कि कोई बहुत बड़ी रकम है….इसी लिए गायब हो गये हो….
शाहिद कुछ ना बोला….मलइक़ा उसे गौर से देखती हुई कहती रही….तुम ने उससे ये रकम उसी के मुल्क में ली थी….जब तुम्हे मालूम हो गया कि वो यहाँ आ गया तो तुम गायब हो गये….!
क्यूँ डॉक्टर साहब….? इमरान ने पूछा
हो सकता है….शाहिद ने झूठी मुस्कुराहट के साथ कहा
लेकिन…. “आधा तीतर”….?
पता नही….आप क्या कहे रहे है इमरान भाई….
अभी थोड़ी देर पहले ढांप के सिलसिले में हैरत ज़ाहिर की थी कि अगर वो मेरा आदमी था तो उसने आधा तीतर का हवाला कैसे दिया था….!
ओह….दरअसल….वो जिस का मैं कर्ज़दार हूँ….वहाँ आधा तीतर कह लाता है….!
क्यूँ मोहतर्मा….क्या वो आधा तीतर था….इमरान ने संजीदगी से पूछा
मैं नही समझ सकती कि ये किस किस्म की गुफ्तगू शुरू हो गयी है….मलइक़ा ने ना-ख़ुशगवार लहजे में कहा
मतलब ये कि वो आधा तीतर की नकल रखता था….?
मैं नही जानती….
क्या उसने आप की आँखों पर पट्टी बाँध कर गुफ्तगू की थी….?
जी नही….
नाम बताया था….?
भला वो नाम क्यूँ बताता….जब कि उससे एक गैर क़ानूनी हरकत सर्ज़ाद हुई थी….!
ये भी ठीक है….
अच्छा उसका हुलिया ही बताइए….?
लंबा कद और लंबा चौड़ा आदमी है….!
कोई मख़सूस (विशिष्ट) पहचान….?
ठहरिए….मुझे सोचने दी जिए….एक निशान जो सभी को अजीब लगा है….पैशानी पर बायें (लेफ्ट) जानिब क्रॉस की शक्ल में ज़ख़्म का निशान सॉफ और इतना बड़ा है कि दूर से भी नज़र आता है….!
ये हुई ना बात….इमरान सर हिलाता हुआ बोला….अब उसका क़र्ज़ अदा करने की कोशिश करूँगा….!
शाहिद उसकी तरफ देख कर रह गया….
इमरान के होंठों पर अजीब सी मुस्कुराहट थी….
और कुछ पूछना है आप को डॉक्टर शाहिद से….? उसने मलइक़ा से सवाल किया
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