Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:12 PM,
#11
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--11
गतांक से आगे ...........
सोनल: हाय पिंकु।
पिंकु: हाय सोनी, कहां है तू। (ये आवाज किसी लडकी की थी।)
सोनल: घर पर ही हूं।
पिंकु: घर पर तो मैं हूं, तू तो यहां पर कहीं नहीं है।
सोनल: अरे वो उपर आ गई थी थोड़ा टहलने के लिए।
पिंकु: ठीक है, मैं भी उपर आ रही हूं।
सोनल: अरे नहीं, मैं नीचे ही आ रही हूं।
पिंकु: ठीक है, जल्दी आ जा।
और सोनल ने फोन कट कर दिया।
फोन पर हुई बात सुनकर मेैं बैड पर लेट गया था। सोनल ने जल्दी से अपनी टी-शर्ट उठाई और पहन ली और बैड पर से नीचे उतर गई।
उसने मेरे माथे पर एक किस की।
सोनल: रात को आउंगी, तैयार रहना सील तुडवाने के लिए।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और सोनल नीचे चली गई।
मैं रिलीव होने के कारण थक गया था और मेरी आंखें भााी हो गई थी।
मुझे नींद आ रही थी। मैं ऐसे ही बैड पर लेटा रहा और पता ही नहीं चला कब मुझे नींद आ गई।
जब मेरी आंख खुली तो सोनल मेरे सामने खड़ी हुई मुझे झकझोर रही थी।

मैंने एक बार अपनी आंखें खोलकर वापिस से बंद कर ली, क्योंकि मुझे नींद आ रही थी। मुझे उठता न देखकर सोनल मेरे पास ही बैड पर बैठ गई और मेरे गालों पर अपने हाथ रखकर सहलाने लगी। मेरी नींद तो खुल ही गई थी, पर मैं थोड़ी देर और लेटा रहना चाहता था, क्योंकि बहुत थकावट महसूस हो रही थी।
सोनल: उठो ना! अभी से सो गये। ऐसे ही नंगे पड़े हो। अगर मम्मी उपर आ जाती तो। खाना भी नहीं खाया। चलो अब उठो मैं खाना लेकर आई हूं, खाना खा लो।
खाना का नाम सुनते ही मेरी नींद गायब हो गई क्योंकि मुझे बहुत जोरो से भूख लगी हुई थी।
मैं अपनी आंखों को मलते हुए उठकर बैठ गया। मेरे उठते ही सोनल ने अपना एक हाथ मेरे उपर से दूसरी तरफ बैड पर रख दिया और मेरे सामने अपना चेहरा लाकर मेरी आंखों में देखने लगी। उसे बाल खुले हुए थे जो मेरी जांघों पर गुदगुदी कर रहे थे।
जब मेरी नींद थोड़ी खुल गई तो कुछ देर पहले वहां घटित हुए घटनाएं मेरे जेहन में पिक्चर की तरह चलने लगी और मैं सोनल की तरफ देखकर मुस्करा दिया।
मैंने टाइम देखा तो 10 बजने वाले थे। मैंने सोनल का चेहरा अपने हाथों मे पकड़ा और उसके होठों पर प्यारी सी पप्पी दे दी।
सोनल मुस्कराई और बोली।
सोनल: उठो पहले खाना खा लो, और कुछ बाद में करना। मैं खाना लगाती हूं, तब तक फ्रेश हो जाओ। ऐसे ही पढे सो रहे हो।
मैं उठा और तौलिया लपेट कर बाथरूम में घुस गया। थोड़ी देर में मैं फ्रेश होकर बाहर निकला तो देखा कि सोनल ने खाना टेबल पर खाना लगा दिया था और मेरा ही इंतजार कर रही थी।
मैंने रूम में आकर टी-शर्ट और शॉर्ट पहन ली।
सोनल: अब जल्दी से आ जाओ, नही ंतो ठंडा हो जायेगा।
मैं आकर चेयर पर बैठ गया और सोनल से पूछा।
मैं: तुमने खा लिया।
सोनल: हां, आपने लगाकर दिया था जो खा लिया होगा।
मैं: तो अभी तक क्यों नहीं खाया। मैं तो सो गया था, कम से कम तुम तो खा लेती।
सोनल: चलो अब शुरू करो, मुझे बहुत भूख लगी है।
मैं: तो तुमने अपना तो लगाया ही नहीं, खाओगी क्या मुझे।
सोनल: ये लगा तो रखा है, आपके साथ ही खाउंगी, एक ही थाली में।
मैं (थाली को उससे थोड़ा दूर करते हुए): मैं नहीं खाउं तेरे साथ, अभी कुछ देर पहले तो मेरा सारा जूस पीया था।
सोनल (गुस्सा होते हुए): तो, पिया था तो। ज्यादा स्याना बनने की जरूरत नहीं है, चुपचाप थोड़ी को इधर करो।
सोनल: ज्यादा बन रहे हो। अभी मेरा जूस पीना है, ज्यादा नखरे दिखा रहे हो।
मैं: मैं तो कभी नहीं पीउं। मैं तो अपना मुंह ही वहां पर ना लगाउं।
सोनल: ज्यादा बकबक मत करो। थाली इधर करो। वो तो मैं अपने आप पीला दूंगी।
मुझे थाली को अपनी तरफ न करता देख सोनल चेयर पर से उठी और अपनी चेयर को मेरे साथ ही कर लिया और थाली में से खाना लेकर खाने लगी।
मैं आराम से बैठ गया। मुझे खाना न खाते देखकर उसने एक रोटी का टुकड़ा तोड़ा और सब्जी लगाकर मेरे मुंह के सामने कर दिया।
सोनल: मुंह खोलो। ज्यादा नखरे मत दिखाओ। नही ंतो मुझे गुस्सा आ जायेगा, बताए देती हूं हां।
और रोटी के कोर को मेरे होंठों से लगा दिया।
मुझे भी जोरो की भूख लगी हुई थी, इसलिए ज्यादा नखरा न करते हुए मैंने अपना मुंह खोला और जैसे ही सोनल ने रोटी मेरे मुंह में दी मैंने उसकी उंगली पर काट लिया।
सोनल (नाराज होते हुए): आउच! बच्चे हो क्या। उंगली काट ली। अब अपने आप खाओ।
मैं (हंसते हुए): सॉरी बाबा! (और मैंने एक रोटी का कोर तोड़ा और सब्जी लगाकर सोनल के मुंह के सामने कर दिया)।
सोनल ने तुरंत अपना मुंह खोला और मैंने जैसे ही रोटी का कोर उसके मुंह में दिया उसने मेरी उंगलियों को अपने होठों में दबा लिया।
मैंने अपनी उंगली उसके मुंह से बाहर निकाली।
फिर से सोनल ने एक रोटी का कोर लेकर सब्जी लगाकर मेरे मुंह के सामने कर दिया। मैंने अबकी बार फिर से उसकी उंगली पर दांत गड़ा दिये।
सोनल ने मेरी कमर में एक मुक्का मारा और -
सोनल: एकदम कमीने हो, बगैर काटे नहीं खा सकते। (और अपनी उंगली मुझे दिखाते हुए) देखो एकदम लाल हो गई।
मैंने उसकी उंगली को पकड़ा और अपने मुंह में ले लिया और अपनी जीभ उस पर फिराने लगा।
इसी तरह मैंने सोनल को और सोनल ने मुझे खाना खिलाया।
खाना खाकर हमने बर्तनों को रसोई में रखा और बाहर आकर थोड़ा टहलने लगे।
बाहर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और मौसम भी कुछ बारिश का हो गया था।
बहर आकर मैंने देखा कि पूनम अपनी छत पर ही टहल रही थी। मैंने उसे हाय बोला।
पूनम: हाय! हाय सोनल!
सोनल: ओहो तो पूनी तू भी मौसम का मजा ले रही है।
पूनम: क्यों मैं क्या इंसान नहीं हूं, जो इतने शानदार मौसम का मजा नहीं ले सकती।
सोनल: मैंने तो सोचा था कि बस तू पढ़ने का ही मजा लेती है और किसी चीज का नहीं।
और सोनल ने पूनम की तरफ आंख मार दी।
तभी बारिश होने लगी और तीनों भागकर अंदर घुस गये। (मैं और सोनल मेरे रूम में और पूनम अपने में। )
हमारे कपड़े थोड़े गीले हो गये थे। मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल कर टेबल पर डाल दी।
सोनल मेरे पास आई और मेरे सीने पर अपने हाथ रख दिये और धीरे धीरे सहलाने लगी।
मैंने सोनल को अपनी बांहों में भर लिया और उसके माथे पर चुम्मी लेने लगा। फिर मैंने थोडा झुककर उसके गले पर किस करनी शुरू कर दी।
सोनल भी अपने हाथ मेरी पीठ पर टिका कर मुझसे लिपट गई। मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर कसते हुए उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। मेरे जिस्म पर उसकी गीली टी-शर्ट के टच होने से शरीर में सिहरन सी दौड रही थी।
मैंने अपने हाथ नीचे करके उसके कुल्हों पर फिराने शुरू कर दिये। सोनल ने जो पजामी पहनी थी वो इतनी सॉफट और पतली थी कि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उसके कुल्हों को नंगा ही पकड़ रखा है। मैंने उसके कुल्हों को अपने हाथों में भरकर भींच लिया। सोनल के मुंह से एक लम्बी आह निकली। और उसने मेरे होठों पर अपने होंठ टिका दिये।
तभी सोनल का फोन बजने लगा, उसने देखा तो आंटी का फोन था।
सोनल: मम्मी का फोन है। और उसने कॉल रिसीव की।
सोनल: हॉ मॉम।
सोनल: आ रही हूं मॉम, वो बाहर बारिश शुरू हो गई थी, इसलिए थोड़ी देर रूक गई।
(बारिश बंद हो चुकी थी, बस थोड़ी सी ही आई थी।)
सोनल: हां बस अभी आ रही हूं।
सोनल ने फोन कट किया और रसोई से बर्तन उठाते हुए -
सोनल: वो गिलास में दूध रखा है, पी लेना। और मैं मॉम के सो जाने के बाद आउंगी, दरवाजा खुला रखना।
मैं: ओके जी! इंतजार करूंगा।
और सोनल ने एक पप्पी मेरे गाल पे दी और बर्तन लेकर नीचे चली गई।
मैं फिर से बाहर आकर छत की मुंडेर के पास खड़ा हो गया।
मैंने साथ वाली छत पर देखा पर कोई नहीं था। शायद पूनम नीचे चली गई होगी। मैं थोड़ी देर और बाहर ही खड़ा रहा, तभी फिर से बारिश शुरू हो गई और मैं वापिस अंदर आ गया।
अब मैं सोनल का ही इंतजार कर रहा था। तभी मुझे धयान आया कि दूध रखा है तो मैंने दूध पीया और बैड पर आकर लेट गया। लेटने के बाद मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई। अचानक बाहर कुछ गिरने की आवाज सुनकर मेरी आंख खुल गई। थोड़ी देर तो मेरी समझ में नहीं आया कि मेरी नींद क्यों टूटी है, तभी फिर से बाहर से कुछ कदमों की आवाज आई।
मैं उठ कर बाहर आया तो मैंने किसी को अपनी छत पर से साथ वाली छत पर भागकर जाते हुए देखा तो मैं भागकर उस तरफ गया। पर कोई दिखाई नहीं दिया।
मैं हैरान रह गया कि इस वक्त कौन आया था? कहीं कोई चोर तो नहीं था। तभी मुझे फिर से तीसरी वाले छत पर कोई भागता हुआ दिखाई दिया।
मैंने जोर से आवाज देकर कहा ‘कौन है वहां’, ठहर जा मैं आ रहा हूं, देखता हूं तुझे कौन है तू।
मेरी आवाज सुनकर उसने मेरी तरफ देखा और जल्दी से भागकर अगली छत पर गया और वहां से अगली छत नीचे थी उस पर कूद गया और फिर उस छत पर से गली में कूद कर भाग गया।
मैं थोड़ी देर ओर बाहर ही खड़ा रहा और फिर अंदर आ गया। मैंने टाइम देखा तो साढ़े बारह बजे हुए थे। तभी मुझे धयान आया कि सोनल आने वाली थी पर आई नहीं।
मैंने उसे फोन मिलाया तो पूरी रिंग जाने के बाद भी उठाया नहीं, शायद सो रही थी। मैंने फिर से फोन मिलाया तो नहीं उठाया।
मैंने यही सोचकर कि सो रही होगी दोबारा नहीं मिलाया। और बैड पर लेट गया। मुझे प्यास लगी हुई थी तो उठकर किचन में गया और पानी पीया और वापिस आकर फिर से एकबार फोन मिलाया।
अबकि बार दो रिंग जाते ही सोनल ने फोन उठाया।
सोनल: आ रही हूं और फोन काट दिया।
मैं आकर बैड पर लेट गया और आने वाले पल को सोचकर ही मुस्कराने लगा।
पांच मिनट बाद हल्के से दरवाजा खुला और सोनल अंदर आ गई। मैंने उसे हाय कहा तो उसने भी हाय कहा। उसने नाइटी पहनी हुई थी जो बहुत ही पतली थी और उसका शरीर दिखाई दे रहा था। उसने ब्रा नहीं पहनी थी फिर भी उसके पर्वत एकदम सिर तान कर खड़े थे। उसके निप्पल बाहर निकलने को हो रहे थे। उसकी नाइटी जांघों से थोड़ी सी ही नीचे तक थी। उसने सफेद पेंटी पहनी थी जो नाइटी में से साफ दिखाई दे रही थी। उसे देखते ही मेरा पप्पू खड़ा हो गया। मैं केवल अंडरवियर और बनियान पहने हुए था। मेरे अंडरवयिर में बंबू बन गया।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:12 PM,
#12
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--12
गतांक से आगे ...........
सोनल: थैंक्स यार! तुमने फोन कर दिया। मैं तो सो ही गई थी। तुम्हें अभी तक नींद नहीं आई।
सोनल: हां, आती भी कैसे! तुम्हारा मन तो बल्लियों उछल रहा होगा, कि आज तो लड़की मिलेगी मजे करने के लिए। तुम तो बस मेरे आने का इंतजार कर रहे होगे।
मैं: अरे मैं भी सो गया था, वो तो बाहर पता नहीं कौन आया था, कुछ गिरने की आवाज आई तो मेरी आंख खुल गई, शायद कोई चोर था। मैं बाहर निकला तो कोई मुझे दूसरी छत पर भागता हुआ दिखाई दिया। फिर गली में उतर कर भाग गया।
मेरी बात सुनकर शायद सोनल थोड़ी सी घबरा गई थी क्योंकि उसके चेहरे पर थोड़ी शिकन आ गई थी।
मैंने सोनल का हाथ पकड़कर उसे बैड पर बैठा दिया और उसके चेहरे को पकड़कर उसके गालों पर एक पप्पी रसीद कर दी।
सोनल ने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिये और मेरे उपर लेटते हुई मुझे भी बैड पर लिटा दिया और अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये। मैंने उसके नीचले होंठ को अपने होंठों में जकड़ लिया और उसने मेरे उपर वाले होंठ को। हमारे होंठ आपस में लड़ाई लड़ रहे थे कि कौन किसका ज्यादा रस चूसेगा। धीरे धीरे हमारी किस वाइल्ड होती जा रही थी। मैंने अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे रख दिया और दूसरा हाथ उसके बूब्स पर। तभी मुझे सोनल की शाम वाली हरकत याद आई जब उसने मुझे किस करते हुए अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने की कोशिश की थी। मैंने तुरंत अपनी जीभ बाहर को की और उसके होठों पर फिरानी शुरू कर दी। थोडी देर उसके होठों को चाटने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डालने की कोशिश की तो सोनल ने अपने होंठ खोल दिये और मेरी जीभ को अपने मुंह में ले लिया और उसे चुसने लगी। मुझे जीभ चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था। थोडी देर में ही मेरी जीभ दर्द करने लगी और मैंने अपनी जीभ को वापिस अंदर कर लिया और सोनल को होठों को चूसने लगा।
सोनल ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरी होठों पर फिराने लगी। धीरे धीरे वो अपनी जीभ को साइड में ले जाते हुए मेरे गालों को चाटने लगी। मुझे अपने गालों पर उसकी गीली जीभ से अपने शरीर में सरसरी सी महसूस हो रही थी।
तभी सोनल ने मेरा सिर पकड़कर नीचे की तरफ दबा दिया और अपने बूब्स मेरे चेहरे पर रगड़ने लगी।
मैंने उसके निप्पल को नाइटी के उपर से ही अपने होठों के बीच दबा लिया और चुभलाने लगा।
सोनल: आह---- ओह--- समीर चूसों इन्हें, आज इनकी सारी हरकत पूरी कर दो।
सोनल ने अपने हाथ मेरे सिर में फिराने शुरू कर दिये। मैंने अपने हाथ पिछे ले जाकर उसके कुल्हों पर रख दिये। मैंने उसके निप्पल पर अपने दांत गड़ा दिए।
सोनल: आउउउ--- आराम से।
मैंने उसकी नाइटी को उपर उठाकर उसकी पेंटी में अपने हाथ डाल दिये और उसके कुल्हों को मसलने लगा। मैंने अपनी एक उंगली उसकी गहरी खाई में फिरानी शुरू कर दी और उसके गुदा द्वार को अपने नाखून से कुरेदने लगा।
सोनल: आह---- ये- --- क्या ---- कर --- रहे हो। --- बहुत-- - -- -म---ज्ज्ज्जााज आा रहा---- है।
मेरी इस हरकत से सोनल एकदम पगला गई और मेरे सिर को जोर से अपने बूब्स पर दबाने लगी। मुझे सांस लेने में प्रोब्लम होने लगी तो मैंने अपने चेहरे को बड़ी मुश्किल से पिछे किया। मैं घुटनों के बल खडा हो गया और उसे भी घुटनों के बल खड़ी होने को कहा।

उसके खडी होते ही मैंने उसकी नाइटी को पकडा और उसके शरीर से अलग कर दिया। अब उसके उन्नत स्तन मेरी आंखों के सामने अपना सिर उठाये खडे थे मानों मुझे ललकार रहे हो। मैंने अपने हाथ उसके स्तनों पर रख दिये और अपने लबों को उसके लबों को रसपान करने लगा।
सोनल आहहह=ह=ह= ओ====--------- स-----मी----र मजा आ रहा है और पागलों की तरह मेरे लबों को चूसने और काटने लगी। उसकी गरम सांसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने अपने लबों को उसके लबों से छुडाया क्योंकि उसके काटने के कारण उनमें दर्द होने लगा था और मैं उसके गले पर किस करने लगा। मेरे हाथ लगातार उसके स्तनों का मर्दन कर रहे थे। उसके निप्पल एकदम कठोर हो गये थे। अपने उसके निप्पलों को अपनी उंगली के बीच पकडा और मसल दिया।
आह--- ओह---- दर्द हो रहा है-----, धीरे करों--- और मेरा सिर पकड़कर अपने स्तनों पर दबा दिया। मैं अपनी जीभ को उसके स्तनों के बीच की खाई में घुमाने लगा और अपने हाथ फिर से उसकी पेंटी में डालकर उसके कुल्हों को मसलने लगा। मैंने अपनी जीभ उसकी खाई में घुमाते हुए नीचे की तरफ आने लगा और उसके पेट पर अपनी जीभ फिराने लगा। अब मुझे घुटनों के बल होकर उसके पेट को चुसने में प्रोब्लम हो रही थी, इसलिए मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर आ गया और उसके पेट पर अपनी गीली जीभ फिरानी शुरू कर दी। मैंने अपनी जीभ उसकी नाभि के आसपास फिराते हुए उसकी नाभि में डाल दी और चाटने लगा। सोनल ने तड़प कर अपनी कमर उपर को उठा दी और मेरे हाथों को पकडकर अपने स्तनों पर रख दिया। अब मैं हाथों से उसके स्तनों का मर्दन कर रहा था और होठों से उसके पेट का।
मैंने थोडा नीचे आते हुए उसके पेडू स्थान पर किस करना शुरू कर दिया।
सोनल: आह, गुदगुदी हो रही है।
अब सोनल का पेट वैसे ही उछलने लगा जेसे शाम को मेरा उछल रहा था। मैं अपने एक हाथ को नीचे लाया और उसकी पेंटी के किनारों को पकड़ कर थोडा नीचे कर दिया। उसकी पेंटी काफी गीली लग रही थी, मानो उसने सुसु कर दिया हो। सोनल ने अपने कुल्हों को थोड़ा उपर कर दिया ताकि मैं उसकी पेंटी निकाल सकूं। मैंने अपना दूसरा हाथ से भी उसकी पेंटी के दूसरे किनारे को पकड़ा और पेंटी को उसके पैरो से अलग कर दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था शायद आज ही साफ किये थे।
उसकी चिकनी योनि को देखते ही मेरे लिंग ने एक झटका खाया।
मैंने अपने हाथों से उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया और फिर अपने होंठ उसकी योनि के उपर वाले भाग पर टिका दिये।
मेरे होंठ लगते ही सोनल ने एक लम्बी सिसकारी ली
आहहहहह-ह-ह-ह-ह-ह-ह----- आोहाहा------- मममममममम---------उउउउउउउउ----सीइइइइइइ----- मैं--------गगइइइइइइइइइइइइई---------------- ओेेेेओाअेोाहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह-----
और उसका शरीर अकड़ गया। उसने अपनी कमर को हवा में उठा लिया और मेरे सिर को अपनी योनि पर दबा दिया। उसकी योनि से ढेर सारा जूस निकल रहा था जो कि मेरे ठोडी और होठों पर लग रहा था। जब उसका जूस मेरे होठों पर लगा तो मुझे उसका स्वाद कुछ बकबका सा लगा।

थोड़ी देर वैसे ही हवा में उठी रहने के बाद उसका शरीर ढीला पडता गया और वो निढाल होकर बैड पर लेट गई। उसकी सांसे पूरी तरह से उखडी हुई थी और आंखे बंद थी। मैं सोनल के उपर आ गया और उसके स्तनों को चूसने लगा।
थोड़ी ही देर में सोनल फिर से गरम होने लगी और आआआआआआअहहहहहहहह---------- ओओोाहहहहहह--- कि आवाजे निकालने लगी।
मैंने अपनी बनियान और अंडरवियर को निकाल कर एक तरफ रख दिया। मेरा लिंग एक झटके के साथ बाहर आ गया। मैं सोनल की जांघों के बीच में आया और उसकी टांगों को फैला दिया। नीचे से चददर पूरी तरह गीली हो गई थी।
मैंने अपने लिंग को उसकी योनि पर सैट किया और हलका सा धक्का लगाया। मेरा सुपाडा उसकी योनि में घुस गया। मेरे लिंग में दर्द की एक लहर दौड़ गई और मेरे मुंह से दर्द भरी कराह निकली।
सोनल के मुंह से दर्द और मजे की मिली जुली सिसकारी निकली

ओहहहहहहहह----- आहहहह----
उसके चेहरे पर दर्द साफ दिखाई दे रहा था।

मैंने अपने लिंग को वापिस थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर से एक हल्का सा धक्का लगाया।
लिंग के 1 इंच अंदर जाते मेरी दर्द भरी कराह निकली और बहुत ज्यादा दर्द लिंग में होने लगा। मैंने लिंग को वहीं पर रोक लिया और कुछ देर ऐसे ही रखा। सोनल ने आंखें खोलकर मेरी तरफ देखा। मैंने फिर से लिंग को बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का मार दिया। मुझे लगा कि मेरा लिंग कट गया है। बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। अभी भी मेरा लिंग आधा बाहर ही था। दर्द के कारण मैं ज्यादा अंदर नहीं कर पाया।
दर्द इतना ज्यादा हो रहा था कि मैं वैसे ही बैठा रहा। फिर दर्द जब कुछ कम हुआ तो मैंने धीरे से लिंग को बाहर निकाला और फिर से एक धक्का मार दिया। जैसे ही मैंने धक्का मारा, सोनल ने भी नीचे से अपने कुल्हे उठाकर मेरा साथ दिया, जिस कारण मेरा पूरा लिंग उसकी योनि में समा गया। मेरा लिंग अंदर जाकर उसके गर्भाश्य से टकराया और इसके साथ ही सोनल के मुंह से जोर की सिसकारी निकली।
ओहहहहहहहहहहहह--- मैं ------ तो ----गईईर्ठईईईईईईईइ------ ससीइठइइइइइइइइईईर्ठईई
और दोबारा से उसका शरीर अकड गया।
मैंने लिंग को फिर से बाहर निकाला और उसके साथ ही सोनल का जूस भी बाहर की तरफ बहने लगा।
अब मुझे दर्द का अहसास कम हो गया था क्योंकि मजा ज्यादा आ रहा था। तो मैंने एक और जोर का धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा लिंग सोनल की योनि में समा गया था और मुझे ज्यादा दर्द भी नहीं हुआ था।
अब मैंने अपने लिंग को फिर से बाहर निकाला और अंदर घुसा दिया। मैंने तेज धक्के लगाने शुरू कर दिये।
सोनल: आहहहहह=------- ऐसे ही ------ बहुत ---- मजा आ ----रहा है----- जोर ---- से------- और ----अंदर----
हों----- ऐसे---- ही और अपनी टांगों को मेरी कमर पर लपेट लिया।
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। मेरे हर धक्के के साथ सोनल अपने कुल्हों को उपर की तरफ उछाल देती।
जल्दी ही मैं चरम पर पहुंचने को हो गया और मेरी आंखें मजे के मारे बंद होने लगी और मेरे लिंग ने पिचकारियां मारनी शुरू कर दी। मेरा गरम जूस अपने अंदर महसूस करके सोनल का शरीर फिर से अकड़ गया और उसने फिर मेरे जूस के साथ अपना जूस मिला दिया।
मैं सोनल के उपर लेट गया और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा। हम दोनों ही की सांसे काफी तेज चल रही थी। सोनल ने मेरे माथे को चूम लिया और मेरी कमर में हाथ फेरने लगी। मेरा लिंग सिकुड कर उसकी योनि से बाहर आ गया। और उसके साथ ही हम दोनों का मिला हुआ जूस भी उसकी योनि से बाहर बहने लगा। अब मुझे मेरे लिंग में बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा। मैं उठ गया और अपने लिंग को देखा तो वो एकदम लाल हो गया था और अब उसकी चमडी भी पहले से ज्यादा पीछे की तरफ हो गई थी। मुझे लिंग में बहुत ही जलन हो रही थी। मैं उठकर बाथरूम में गया और खुद को साफ किया। मेरे पीछे सोनल भी बाथरूम में आ गई और मुझे पीछे से बाहों में भर लिया।
मैं: देखों सूज कर कितना मोटा हो गया है। बहुत जलन हो रही है।
सोनल (मेरे लिंग को पकडते हुए): हम्म्ममम--- सील खुल गई बच्चू की। और मेरी लिंग की खाल को पीछे कर दिया।
मेरा लिंग के अंदर की चमड़ी कई जगह से फटी हुई लग रही थी और वहां से हल्का सा खून निकल रहा था। हमने खुद को साफ किया और वापिस बैड पर आकर बैठ गये। मैंने पेन किलर ली और बैड पर लेट गया। सोनल भी मेरे साथ ही लेट गई और हमें कब नींद आई पता ही नहीं चला।

सुबह मुझे अपने शरीर से कुछ छेड़छाड सी महसूस हुई तो मेरी आंख खुली। सोनल उठ चुकी थी और मेरे साइड में मुझसे चिपक कर लेटी थी और मेरे लिंग को अपने हाथ में लेकर सहला रही थी। हम दोनों नंगे ही सो गये थे।
मैंने आंखे खोली और सोनल की तरफ देखा तो वो मुस्करा दी।
सोनल: गुड मॉर्निंग, तो आपकी आंखें खुल ही गई। देखो आपका पप्पू आपसे पहले ही उठ गया।
मैं: गुड मॉर्निंग (और मैनें अपने लिंग की तरफ देखा)।
मेरा लिंग सूजकर बहुत ही ज्यादा मोटा हो गया था। शायद पेन किलर का असर अभी भी था, जिस कारण दर्द नहीं हो रहा था।
सूजने के कारण मेरा लिंग बहुत ही खूंखार मालूम पड रहा था।
मुझे जोरों की बाथरूम लगी थी। मैं जल्दी से उठकर बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट में धार लगा दी। मुझे बाथरूम करने में थोड़ी परेशानी हो रही थी, इसलिए रूक रूककर धार मार रहा था।
बाथरूम करने के बाद मैंने मुंह धोया और कुल्ला किया और फिर रूम में आ गया। सोनल अभी भी बैड पर ही लेटी हुई थी। मैंने टाइम देखा तो 5 बजने वाले थे।
मैं जाकर बैड पर सोनल के पास सीधा होकर लेट गया और रात का सीन मेरी आंखों में फिल्म की तरह चलने लगा।
सोनल मेरे गालों को चूमते हुए उठी और बाथरूम में जाने लगी। चलते हुए उसके कुल्हे मटकते हुए बहुत ही प्यारे लग रहे थे। मन कर रहा था कि अभी पकड़कर मसल दूं। सोनल बाथरूम में घुस गई। मुझे टॉयलेट में पानी गिरने की आवाज के साथ साथ पीस की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी।
थोड़ी देर बाद सोनल तौलिये से अपना मुंह पौछते हुए बाहर आई।
उसके आधे बाल पीछे उसकी कमर पर लटक रहे थे और आधे कंधे पर से आगे की तरफ आकर उसकी एक चूची को ढके हुए थे।
सोनल की दूसरी चूची एकदम तनी हुई थी (एक मुझे दिखाई नहीं दे रही थी कि तनी हुई है या लटकी हुई)।
मैं कल से उसके जिस्म के साथ खेल रहा था पर अभी तक उसे सही तरह से देखा ही नहीं था।
तभी सोनल ने तौलिया चेयर पर डाल दिया और सिर को एक झटका देकर अपने बालों को पीछे की तरफ कर दिया।
अब मुझे उसके दोनों उन्नत स्तन अपने सामने दिखाई दे रहे थे। उसके दोनों स्तन एकदम तने हुए थे, मानों वो पूरी तरह से गरम हो चुकी हो। उसका एक निप्पल थोड़ा कम बाहर को निकला हुआ था जबकि दूसरा निप्पल भाले की नोंक की तरह अपना सिर उठाये खड़ा था। उसके निप्पलों के चारों तरफ थोड़ा गहरा कलर था, गुलाबी गुलाबी सा। उसकी चुचियों एकदम दूध की तरह सफेद थी। उसके बूब्स का साइज एक भारतीय नारी की तरह सौंदर्य की प्रतिमा सा महसूस हो रहा था। उसके बूब्स न तो ज्यादा बड़े थे और न हीं ज्यादा छोटे। एकदम सही आकार में थे। उसके बूब्स के उपर मुझे एक दो लाल निशान दिखाई पड़ रहे थे, शायद रात को मैंने अपने दांत गड़ा दिये होंगे।
फिर मेरी नजर थोडी नीचे को हुई। उसका पेट एकदम चिकना और सपाट था। पेट पर थोड़ी सी भी चर्बी नहीं थी।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:12 PM,
#13
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--13
गतांक से आगे ...........
मैंने थोड़ा और नीचे देखा तो उसकी एकदम गोरी और बिना बालों वाली योनि दिखाई दी। उसकी योनि की फांके आपस में चिपकी हुई थी, मानों उसे मेरी नजरों से बचाने की कोशिश कर रही हों। उसकी मांसल और दूध जैसी गोरी सातलें उसकी योनि को मुझसे छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
अब जब मैंने सही तरह से सोनल को देखा तो वो एक सौंदर्य की प्रतिमूर्ति प्रतीत हो रही थी।
मुझे खुद को यूं घूरते देखकर सोनल ने अपने हाथों को अपनी चूचियों पर रखा और निप्पलों को पकड़कर उमेठ दिया। उसके मुंह से सिसकारी निकल गई।
आहहहहहह------- सीइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ-
उसकी इस हरकत से मेरे पप्पू ने एक झटका खाया, मानों उसे उसके इस कारनामे के लिए सलामी दे रहा हो।
सोनल धीरे धीरे चलते हुए मेरी तरफ आ रही थी। बैड के पास आकर सोनल ने अपना एक पैर उठाकर बैड पर रख दिया और ऐसे ही खडी हो गई और मेरी आंखों में देखने लगी।
मेरी नजर सीधी उसकी योनि पर जाकर टिक गई। उसके इस तरह खड़े होने से उसकी योनि की फांके थोडी सी खुल गई और उसकी योनि के अंदर का गुलाबी भाग दिखाई देने लगा।
मैंने लडकियों के दाने के बारे में सुना पर, पर अब जब मैं देखना चाह रहा था तो मुझे कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।
मैं: सोनल, एक बात पूछू।
सोनल: हां, पूछो।
मैं: तुम पहले कितनी बार सैक्स कर चुकी हो।
सोनल (हैरान होते हुए): तुम्हें कैसे पता कि मैं पहले सैक्स कर चुकी हूं।
मैं: अरे यार, जब एक लड़के को ही पहली बार में इतना दर्द हुआ है, तो लड़की को तो और भी ज्यादा होना चाहिए। उसकी तो सील भी टूटती है और इतना मोटा अंदर घुसता है तो उसकी योनि भी खुलती है।
सोनल: वाह जी, बस सील ही नहीं टूटी थी, बाकी तो सारी जानकारी है आपको। कोई सैक्स टीचर लगा रखी थी क्या।
सोनल: मैंने बस एक बार ही किया है। वो तुम्हारे यहां आने से पहले मेरे मामा जी का लड़का रहता था यहां पर। उसके साथ। उसी ने मेरी सील तोड़ी थी।
सोनल की बात सुनकर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।
मैंः अपने भाई के साथ तुमने सैक्स किया है।
सोनल: तो इसमें चौंकने की क्या बात है।
मैं: नहीं, नहीं, चौकने की बात थोड़े ही है, इसमें तो खुश होने की बात है, मुझे तो तुम्हें बधाई देनी चाहिए। वाह सोनल तुमने तो बहुत बड़ा काम किया है, अपने भाई से चुदवा के।
मेरी बात सुनकर सोनल थोडा झेंप गई और अपना चेहरा नीचे कर लिया।
मैं: तो फिर एक बार ही क्यों किया, वो तो इधर ही रहता था।
सोनल: वो उसने एकदम से अंदर डाल दिया था तो मेरी सील टूट गई और बहुत ज्यादा दर्द हुआ जिससे मेरी चीख निकल गई और दीदी और मम्मी उपर आ गई और हमें ऐसे देख लिया।
मैं: फिर?

सोनल: फिर मम्मी ने मुझसे पूछा कि इसने तेरे साथ जबरदस्ती की है या तू अपनी मर्जी से आई थी। मैंने तो कह दिया कि इसने जबरदस्ती मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ ये सब कर दिया।
मैं: तेरे से तो बचके रहना पड़ेगा, तू तो बहुत बड़ी मतलब खोर है।
मेरी बात सुनकर सोनल थोड़ी उदास हो गई।
मैं: ज्यादा सेंटी होने की जरूरत नहीं है, बस मैं तो ये कह रहा था कि थोड़ा धयान रखकर तेरे साथ मस्ती करनी पडेगी।
सोनल: मैं आपके साथ ऐसा कुछ नहीं करूंगी। अगर पकड़ी जाती हूं तो कह दूंगी कि मैं अपनी मर्जी से आई थी।
मैं: हां, वो तो तेरे चेहरे से झलक रहा है ना, बड़ी आई कहने वाली। तो उसके साथ ऐसा क्याें किया था।
सोनल: वो तो मैं उसके साथ ऐसा कुछ करना नहीं चाहती थी, उसने ही मुझे गर्म कर करके अपने जाल में फंसा लिया था और मैंने अपने जिस्म के हाथों मजबूर होकर उसके साथ सैक्स किया था।
सोनल का जो पैर बैड पर रखा हुआ था मैंने अपना हाथ उसपर रख दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा।
मैं: अच्छा, तो मैंने तो तुझे मजबूर नहीं किया, फिर मेरे साथ क्यों किया।
सोनल: आप तो मुझे अच्छे लगते हो।
मैं: अच्छा मैं तो अच्छा लगता हूं, और तुम्हें अपना भाई अच्छा नहीं लगता था।
सोनल: वो तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, हमेशा लड़कियों से फोन पर बात करता रहता था गंदी गंदी। इसलिए मैं तो उसके बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। एक नम्बर का कमीना था वो।
मैं: हां, ये सब तो तुम अब कह रही हो, तब तो तुम्हें वो बड़ा अच्छा लग रहा होगा।
सोनल (थोड़ा गुस्सा होते हुए): आप भी ना! अब छोउ़ो ना उस बात को।
मैं: ओके जी! और उसका हाथ पकड़कर कर खींचते हुए अपने उपर गिरा दिया।
मेरे खींचने से सोनल का एक पैर का घुटना (जो पैर नीचे था) बैड से टकरा गया और उसके मुंह से आउच निकला।
सोनल: आह, दर्द हो रहा है, बहुत जोर से लगा है।
मैंने सोनल को बैड पर लेटा दिया और उठकर उसके घुटने को देखने लगा। मैंने उसके घुटने को हाथ लगाया तो उसने मेरा हाथ हटाते हुए, दर्द हो रहा है।
मैंने अपने होंठ उसके घुटने पर रख दिये। मेरे होंठ उसके जिस्म से टकराते ही सोनल के मुंह से आह निकल गई।
मैंने उसके घुटने को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया। सोनल ने सिसकारी निकालनी शुरू कर दी। उसके योनि ने भी पानी टपकाना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर उसके घुटने को प्यार करने के बाद मैं थोड़ा उपर हो गया और उसकी जांघों पर किस करने लगा। मेरे होंठ अपनी जांघों पर महसूस करते ही सोनल के मुंह से फिर से लम्बी सिसकारी निकली।
ओहहहहह------ समीर-------- आअअअअअअहहहहहहहह--- मजा आ रह------ा हे-----------
मैंने धीरे धीरे उपर की तरफ होते हुए अपने होंठ से उसकी जांघों को सहलाने लगा और फिर उसकी योनि पर एक किस रसीद कर दी।
आहहहहहहहह--------- सीीइदइइइइइइ-इइ---------,
सोनल के मुंह से सिसकारी निकली और उसने मेरे बालों में अपने हाथ फिराने शुरू कर दिये।
फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी योनि की फांकों के साइड में फिराने लगा। सोनल बैड पर लेटी हुई मचलने लगी और मेरे सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी। मैंने अपने हाथों से उसकी योनि की फांकों को थोड़ा सा खोला।
ओह माई गोड, तो ये होता है चुत का दाना, (उसके योनि के उपर वाले हिस्से पर मुझे एक लम्बा सा दाना दिखाई दिया)।
सोनल मेरी बात सुनकर हंसने लगी और मेरे गालों पर प्यार से एक हलका सा चांटा लगा दिया।
बहुत बदमाश हो तुम तो, बस दिखते शरीफ हो।
मैंने अपनी उंगली से उसके दाने को छुआ। मेरी उंगली उसके दाने पर लगते ही सोनल के शरीर ने एक झटका खाया और उसकी योनि से थोड़ा सा जूस बाहर फेंक दिया, जो सीधे मेरे मुंह पर आकर गिरा। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसके दाने को चाटने लगा।
आह---हहहहहहहहहह-------- ओहहहहहहहह----- सीीदइइइइइइइ-इ------ इसे------ अपने---- होंठों- --- - से ---- चुचुचुचुससससससससससससससससो।
सोनल तडपने लगी। मैं समझ गया कि यही दाना इसकी कमजोरी है।
मैंने उसके दाने को अपने होठों के बीच में लिया और हल्के से होठों से दबाने लगा।
उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ---- मररररररररररररररररररररर गइइइइइइइइइइइइ-------- और सोनल अपने हाथों को मेरे बालों में फिराते हुए मेरे सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी।
मैंने उसके दाने को अपने दांतों के बीच पकड़ा और धीरे से अपने दांतों से मसलने लगा।
उहउहउहउउउउहहहहहहहहहहहहहकृओहह-------------सीीीदइददइदइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ--- मैं------------गगगगगगगगगगगगइइइइइइइइइइइई-------------------
और सोनल की योनि ने अपना जूस की बाहर की तरफ छोउ़ना शुरू कर दिया। मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि पर रखी और उपर से नीचे तक धीरे धीरे सहलाने लगा। सोनल ने अपने हाथ मेरे सिर पर से उठाये और अपनी चूचियों को पकड़कर मसलने लगी। बैड पर उसका सिर कभी इधर तो कभी उधर डोल रहा था और उसकी कमर बार बार हवा में उठ रही थी।
मैंने उसके निकलते जूस को अपनी जीभ से थोडा सा चाटा तो मुझे ज्यादा अच्छा नहीं लगा। मैंने वापिस से अपनी जीभ को उसके दाने पर फिराना शुरू कर दिया।
सोनल: अब और सहन नहीं हो रहा, डाल दो अंदर।
मैंने उसकी बात पर धयान नहीं दिया और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी योनि पर नीचे से उपर फिराने लगा।
आहहहहह ओहहहह गोडडडडडडडडडडडडडडडडड------- ऐऐऐएऐऐएसााााााााा--- ललगगगगगगगगगगगगगगग--- रहहहहहहहहहहहहहा --- हहहहहहहहहहहै---- ममममममममैं-------------- मरररररररररररररर जाउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउंगी
सोनल अपनी चूचियों को बुरी तरह से मसल रही थी।
मैंने अपनी जीभ को उसकी योनि के द्वार पर रखा और अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा। मेरी जीभ थोड़ी सी अंदर चली गई और मैंने जीभ ऐसे ही अंदर डाले हुए उसकी योनि को अपने होठों में भर लिया और अंदर की तरफ सुक करने लगा।
मेरी इस हरकत से सोनल ने अपने कुल्हों की उपर की तरफ उठाया और मेरे सिर पर हाथ रखकर नीचे की तरफ दबा दिया। मानों मेरे सिर को अपनी योनि में घुसाना चाह रही हो। मेरी नाक उसके पेडू पर दब गई और मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी।
मैंने उसके हाथों को सिर पर से हटाया और मुंह को उसकी योनि पर से हटा दिया। मैं जोर जोर से सांसे लेने लगा।
सोनल ने अपनी आंखें खोली और मेरी तरफ देखते ही हंसने लगी।
मैं: क्यों हंस रही हो।
सोनल: तुम्हारा मुंह मेेरे जूस से पूरा गीला हो गया है ओर चमक रहा है। और फिर हंसने लगी। बहुत प्यारे लग रहे हो ऐसे।
मैं उपर को उठा और उसकी जांघों के बीच में बैठ गया। मैंने अपने लिंग को उसकी योनि पर रखा और उपर नीचे फिराने लगा।

सोनल नीचे से अपने कुल्हे उठाकर लिंग को अंदर डालने का प्रयास करने लगी। पर मैं उसे तड़पाना चाहता था इसलिए जब वो नीचे से अपने कुल्हे उठाती तो मैं भी लिंग को थोड़ा सा वापिस कर लेता।
जब मैंने ऐसे ही छः सात बार किया तो सोनल ने नाराज होते हुए कहा -
सोनलः प्लीज! टब सहन नहीं हो रहा, डाल दो ना अंदर।
मैं: क्या, कहां डाल दूं।
सोनल: अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत की सारी प्यास बुझा दो।
सोनल के मुंह से चूत और लंड शब्द सुनते ही मैंने अपना लिंग उसकी योनि द्वार पर लगाया और एक जोरदार धक्के के साथ पूरा का पूरा लिंग उसकी योनि में डाल दिया। मेरा लिंग सीधा जाकर उसके गर्भाश्य से टकरा गया।
आहहहहह----- ओहकृहहहहहह------ हां-------- ऐेेससससससेसेे ही----- फाड------ दो-े-े---------- मममममममममममम्म्म्ममममम--- बहुत--- मजा आ रहा ह-हहहहहहहहहहहहहहै
मैंने फिर से अपने लिंग को बाहर निकाला और एक और जोरदार धक्का मार दिया।
ओहहहहहहह, ऐसे ही--- हां------ और जोर से------- सीइइइइइइइइइ
उउउउउउउ------ मर----गइइइइइ----
मैंने अपने लिंग को फिर से बाहर निकाला और जोरदार धक्कों से उसकी योनि की धज्जियां उडानी शुरू कर दी।
आअअअअहहहहहहहहह === ओहहहह------ आाआा------- ससीसीससीइइइइइइइइइ---- हआाआाााहहहहहह---- ओहहहहहह---
सोनल जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगी।
थोड़ी ही देर में सोनल का शरीर फिर से अकड़ने लगा और उसने अपनी टांगे मेरी कमर में लपेट दी और नीचे से अपने कुल्हें उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैं भी जोरदार धक्को के साथ उसकी गहराई तक जाकर लिंग को वापिस बाहर निकालता और फिर से एकदम जोरदार धक्के के साथ वापिस अंदर डाल देता।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:12 PM,
#14
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--14
गतांक से आगे ...........
तभी सोनल के मुंह से तेज सिसकारी निकली
आहहहहहहहह-हहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह हहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह मैं गईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ
और मुझे मेरे लिंग पर उसका गर्म जूस महसूस हुआ। उसका गर्म जूस को अपने लिंग पर महसूस होते ही मेरे लिंग ने भी उसकी योनि में पिचकारियां मारनी शुरू कर दी। मेरी पिचकारियों को महसूस करके सोनल ने दोबारा से जोरदार चीख मारी
ओआओहहहहहहहहहोाहहाहहहहहहहहहहहहह माइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ गोडडडडडडडडडडडडडडड, मुझझझझझझझझझझझझझझझझण्े लगगगगगग रहहहहहहहहहहा हैह किकककककककक तुम्हाराााााााााााााााा जूसससससस सीधा मेरे गर्भ में जा रहा है
और सोनल की योनि ने और भी ज्यादा पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
मैं उसके अंदर खाली होकर निढाल सा होकर उसके उपर लेट गया और हांफने लगा। चरम आनंद के कारण मेरी आंखें बंद थी। मैंने अपना चेहरा सोनल के बूब्स पर रख दिया और आराम से लेट गया।
सोनल ने अपना एक हाथ मेरी कमर में रखा और सहलाने लगी तथा दूसरे हाथ से मेरे बालों से खेलने ली।
तभी हल्के से दरवाजा खुला हम दोनों चौंक कर उठ गये।
दरवाजे पर पूनम खड़ी खड़ी मुस्करा रही थी।
पूनम: ओ तो ये बात है, लगता है पूरी रात बहुत मजे हुये हैं, यहां पर।
सोनल: तततत तुमममम यहहहाां कैससससे?
पूनम: अब इतनी तेज तेज सिसकारियां निकालोगी तो मैं तो क्या पूरा मोहल्ला आ जायेगा।
पूनम की बात सुनकर सोनल शरमा गई और अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया।
पूनम ने मेरी तरफ आंख मारी और वापिस चली गई। मैंने सोनल को अपने से अलग किया और उसके होंठो पर एक प्यारी सी पप्पी दी और उठने लगा।
सोनल ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
सोनल: अब क्या होगा! क्हीं पूनम ने किसी को बता दिया तो।
मैं: अरे तुम्हारी सहेली है, ऐसे थोड़े ही किसी को बतायेगी।
सोनल: वो तो बस थोड़ी बहुत दोस्ती है, ज्यादा कुछ नहीं है।
मैं: अरे नहीं बतायेगी। (और ये कहकर मैं बाथरूम में घुस गया)
सोनल भी उठी और मेरे साथ ही बाथरूम में आ गई। उसके योनि से हमारा मिला जुला रस निकल कर जांघों पर बह रहा था।
मैंने शॉवर चालू किया और सोनल को अपनी बाहाें में भरकर शॉवर के नीचे आ गया।
यहां मैंने सोनल को और सोनल मुझे नहलाया। और नहाकर बाहर आ गये।
बाहर आकर मैंने टाइम देखा तो 7 बजने वाले थे।
सोनल: मम्मी उठ गई होंगी, अगर मेरे रूम में जाकर देख लिया तो आज तो बैंड बज जायेगी।
और जल्दी से अपनी नाइटी और पेंटी उठाई और पहन ली।
मैं: इस तरह नीचे जाओगी। आंटी ने देख लिया कि तू इस ड्रेस में उपर गई थी तो तेरी बढ़िया खिंचाई होगी।
सोनल: अब क्या करूं, और कुछ है भी तो नहीं।
मैं: रूको, मैं देखता हूं।
और मैं बाहर आ गया। पूनम अपनी छत पर ही टहल रही थी।
मैं पूनम के पास गया और उसे सारी बात समझाई और एक पजामी लाने को कहा।
पूनम ने मेरे गालों पर चिकोटी काटी और मुस्करा कर नीचे चली गई, पजामी लाने के लिए।
कुछ ही देर में पूनम पजामी ले आई और मुझे दे दी। पजामी देते हुए पूनम ने मेरे हाथ के दबा दिया पर मैंने ज्यादा धयान नहीं दिया और अंदर आ गया।
मैंने पजामी सोनल को दी और बाहर आते हुए कहा, जल्दी से बाहर आ जाओ।
मैं जैसे ही बाहर निकला मुझे सीढ़ीयों में से किसी के उपर आने की आवाज सुनाई दी।
सोनल पजामी पहनकर बाहर आ गई और मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसके बूब्स नाइटी में से साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
मैंने उसे कहा जल्दी से बाथरूम में घुस जाओ, शायद आंटी आ रही है उपर।
सोनल: तो क्या हुआ, कपडे तो पहने हुए हैं।
मैं (उसके बूब्स को पकड़ते हुए): तुम्हारे पर्वत साफ दिखाई दे रहे हैं बाहर से।
सोनल भाग कर बाथरूम में घुस गई और तभी आंटी उपर आई।
आंटी: गुड मॉर्निंग बेटा!
मैं: गुड मॉर्निंग आंटी! आज सुबह सुबह उपर।
आंटी: वो बेटा सोनल आई क्या उपर।
मैं: हां आंटी वो बाथरूम में है।
आंटी: ठीक है बेटा, नीचे अपने रूम में नहीं थी तो सोचा कहीं उपर ना गई हो इसलिए देखने आ गई थी।
इतना कहकर आंटी सोनल को आवाज लगाती हुई कि सोनल बेटा जल्दी नीचे आजा खाने की तैयारी करनी है, और आंटी नीचे चली गई।
आंटी के नीचे जाते ही मैंने सोनल को बाहर बुलाया और सोनल जल्दी से नीचे चली गई।
साथ वाली छत पर पूनम सारा नजारा देखकर हंसे जा रही थी।
मैं अंदर आकर बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होके नाश्ता बनाने की तैयारी करने लगा।
मैं नाश्ता बनाते समय बहुत ही महीन पजामी और बनियान पहनता हूं, जिससे ज्यादा गर्मी न लगे।
मैंने थाली में आटा डाला और गूंदने लगा। तभी पूनम मेरे रूम में आई और ओह, नाश्ते की तैयारी चल रही है कहती हुई रसोई में आकर मेरे पास खड़ी हो गई।
मैं: हाय! क्या हाल हैं।
पूनम: हाय! बस ठीक ही हैं।
मैं: क्यों क्या हुआ।
पूनम: अब इतना गर्म सीन देखकर हाल कहां ठीक रहते हैं। (और थोड़ा सा मेरे पास होकर मेरे कंधें पर हाथ रखकर खड़ी हो गई।
मैं: लगता है गरम सीन देखकर आप भी गरम हो गई हैं।
मैंने आटा लगा दिया था और गैस पर तवा रखकर जार से घी निकालने लगा।
पूनम: चलो आज मैं अपने हाथ के परोंठे खिलाती हूं।
मैं: अरे नहीं मैं बना लूंगा, आप क्यों परेशान होती हो।
मुझे थोड़ा ये भी डर था कि कहीं सोनल उपर ना आ जाये, खामखां इसे मेरे साथ देखकर उल्टा सीधा सोचेगी।
पूनम (गैस के पास आकर खड़े होते हुए): इसमें परेशान होने की क्या बात है।
मैं: ओके, ठीक है, जैसी आपकी मर्जी। (और वहीं पर पूनम के पास खड़ा होकर उसे नाश्ता बनाते हुए देखने लगा।
पूनम रोटी बेलते वक्त कुछ ज्यादा ही हिल रही थी, जिससे वो बार बार मुझसे टच हो रही थी। उसने ब्लैक पाजामी और व्हाईट टीशर्ट पहनी हुई थी।
अब मुझे भी उससे टच होने में मजा आने लगा था, इसलिए मैं कोई चीज उठाने के बहाने उससे टच होने लगा।
मैं पूनम के लैफ्रट साइड खड़ा था। मैं उसके पीछे से उसके कुल्हों पर अपनी जांघे रगड़ते हुए दूसरी साइड गया। मेरे इस तरह उसके कुल्हों से सटकर जाने के कारण मेरे शरीर में एक तरंग दौड़ गई और मेरा लिंग सख्त होने लगा। दूसरी तरफ से एक कटोरी उठाकर वापिस से उसी प्रकार उसके कुल्हों पर अपनी जांघों को रगड़ते हुए फिर से लैफ्रट साइड में आ गया। मुझे उसके कुल्हें अपनी जांघों पर अच्छी तरह से महसूस हुए और वापिस आते समय तो ऐसा लगा जैसे मेरा लिंग उसके कुल्हों पर नंगा ही टच हो रहा है।
पूनम के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली जिसे उसने अपने होठों को भींचकर अंदर ही दबा लिया।
मैं लैफ्रट साइड में आकर खड़ा हो गया। मेरी इस हरकत से मेरा लिंग एकदम तन गया था और अंडरवियर के अंदर एक बंबू बनाकर उछलने लगा। मैंने अपना मुंह पूनम की तरफ किया और अपना हाथ उसके कंधे पर रखकर अपना चेहरा अपने हाथ पर रख लिया और थोड़ा सा सरककर आगे को हो गया, जिससे मेरा लिंग उसके जांघों पर साइड में से टच होने लगा।
पूनम मंद मंद मुस्करा रही थी और नाश्ता बना रही थी। पूनम ने नाश्ता बना दिया और थाली को वासबेसिन में रख दिया। मैं रूम में आ गया और बैड पर बैठ गया। पूनम रूम में आई।
पूनम: नाश्ता तैयार हो गया है, खाकर बताना कैसा बना (और यह कहकर चली गई)।
मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। नहाकर मैंने नाश्ता किया।
साढे आठ बजने वाले थे। मैंने कपड़े पहने और बाइक की चाबी लेकर रूम को लॉक करके नीचे आ गया। सोनल की स्कूटी वहां पर नहीं थी, इसका मतलब वो कॉलेज के लिए निकल गई थी।
मैंने भी अपनी बाइक स्टार्ट की और ऑफिस के लिए चल पड़ा।

ऑफिस पहुंचकर मैंने गेट खोला और अंदर आकर बाइक खड़ी कर दी। मैं सीधा ऑफिस में आ गया। अपूर्वा अभी नहीं आई थी। कामवाली अभी सफाई कर रही थी। मैं बाहर ही खड़ा हो गया और सफाई वाली के निकलने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में सफाई वाली सफाई करके बाहर आई।
मैं: आज इतनी देर कैसे हो गई।
कामवाली: जी वो मेमसाहब बाहर गई हैं तो उनके लिए खाना तैयार किया था पहले, तो इसलिए देर हो गई।
मैं: घर पर कोई है भी नहीं।
कामवाली: कोई नहीं है, साहब भी उनके साथ ही गये हैं।
तभी मेरा सैल की रिंग बजी। मैंने जेब से सेल निकाल कर देखा तो बॉस की कॉल थी। मैंने कॉल रिसीव की।
मैं: गुड मॉर्निंग बॉस।
बॉस: गुड मॉर्निंग। वो हमें किसी काम से बाहर जाना पड़ा है, तुम अगर चाहों तो छूट्टी कर लेना, अकेले बोर होओगे, अपूर्वा भी नहीं आयेगी आज।
मैं: अरे हों, बॉस मैं तो भूल ही गया था कि अपूर्वा आज नहीं आयेगी। ठीक है बॉस मैं कुछ देर काम करता लेता हूं, फिर अगर मन नहीं लगा तो चला जाउंगा।
बॉस: ठीक है।
और फोन कट गया।
कामवाली अभी भी मेरे पास ही खड़ी थी।
मैं (काम वाली से): आपका नाम क्या है?
कामवाली: जी, शुकन्तला।
मैं: सिर्फ नाम से ही शुकन्तला हो या वाकई में शुकलन्ता हो। (दोस्तों आपने दुष्यन्त और शुकन्तला के बारे में तो सुना ही होगा, शुकन्तला एक बेहद ही खुबसूरत राजकुमाीर थी और दुष्यन्त और शुकन्तला का आपस में प्यार हो गया था और शुकन्तला पूरी तरह पतिव्रता थी, ज्यादा जानकारी के लिए किताबें पढ़ लिजिए)
कामवाली: जी, मैं कुछ समझी नहीं।
मैं: शुकन्तला कौन थी, तुम्हें पता है।
कामवाली: जी नहीं, पर मेरा नाम शुकन्तला ही है।
मैं मुस्कराते हुए उसे देखता हुआ ऑफिस में आ गया। कामवाली हमारे बाथरूम की तरफ चली गई सफाई करने के लिए।
मैंने अंदर आकर अपना कम्प्यूटर चालू किया और चेयर पर बैठ गया। मैंने सोचा चलो मौका अच्छा है, कोई भी नहीं है तो rss ही खोल लेता हूं। मैंने मोजिला चलाया और rajsharmastories डॉट कॉम टाइप करके एंटर दबाया। परन्तु तभी पेज नोट फाउंड लिखा आ गया। मैंने दोबारा एंटर दबाया पर कोई फायदा नहीं हुआ। मैंने इंटरनेट कनेक्शन चैक किया तो इंटरनेट नहीं चल रहा था।
मुझे बड़ा गुस्सा आया तिकोना वालों पर (ऑफिस में तिकोना का ब्रॉडबैण्ड लगा हुआ है), आज ही तो मौका मिला था और आज ही सालों का इंटरनेट नहीं चल रहा था। मैंने तिकोना के कस्टमरकेयर पर कॉल लगाई और कम्पलेंट की तो उन्होंने कहा कि सर मौसम की वजह से थोउ़ी खराबी आई हुई है, थोडी देर में चालू हो जायेगा।
मैंने अपने मोबाइल को डाटा केबल के साथ पीसी से कनेक्ट किया और इंटरनेट कनेक्ट कर दिया।
अब 2जी में तो एक्सबी पर एक दो पेज खुलने में ही दस बीस मिनट लग जाती इसलिए मैंने फेसबुक का मोबाइल वर्जन ओपन किया और न्यूज फीड पडने लगा। मैंने अपने मोबाइल में से एक एमएमएस जो अभी नया ही आया था, मैंने अभी सही तरह से देखा नहीं था, उसे कम्प्यूटर में ट्रांसफर किया और कामवाली को देखा कहीं इधर ही तो नहीं है परन्तु वो सफाई करके दूसरी तरफ चली गई थी।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:12 PM,
#15
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--15
गतांक से आगे ...........
मैंने वीडियो चालू कर दी और चेयर पर आराम से पीठ लगाकर बैठ गया और वीडियो देखने लगा।
वीडियो में एक खूबसूरत लड़की का चेहरा दिखाई देता है जो गाड़ी में बैठी हुई थी।
लड़की: मैं मना कर रही हूं ना फोटो मत लो।
लड़का: कुछ नहीं होता, मैं देखने के बाद डिलीट कर दूंगा।
लड़की: अगर लीक हो गई ना तो फिर देख लेना, मैं तो बरबाद होउंगी, तुझे कहीं का नहीं छोड़ूंगी।
ये सुनते ही लड़का भड़क गया और लड़की बालों को पकड़कर खींच लिया और उसके मुंह को अपने पेट की जीप से बाहर निकाले लिंग पर टिका दिया।
लड़की ने अपना मुंह खोला और जीभ बाहर निकाल कर उसके लिंग को चाटने लगी।
मैं वीडियो देखने में मस्त हो गया।
तभी मुझे ऐसा लगा कि बाथरूम के साइड वाला दरवाजा खुला है, मैंने थोड़ा सा सिर घुमाकर देखा तो दरवाजा बंद ही था, शायद हवा से हिला हो।
मैंने वापिस वीडियो पर धयान दिया, लड़के ने लड़की के सिर को अपने लिंग पर दबा दिया था और उसका पूरा लिंग लड़की के मुंह में चला गया था। लड़की के मुंह से घूं घूंघूघूघू की आवाज आ रही थी और वो अपने हाथों को चला रही थी, खुद को छुड़ाने के लिए। पर लड़के की पकड़ मजबूत थी।
लड़के ने उसके सिर को थोड़ा सा ढीला छोउ़ा, लडकी ने अपना सिर उपर को उठाया पर जैसे ही लिंग सुपाड़े तक बाहर आया लड़के ने वापिस से उसके सिर को दबा दिया और उसका लिंग फिर से लड़की के मुंह में पूरा चला गया। लड़की घूंघूघू करके अपने पैर पटकने लगी। तभी लड़के के मुंह से आह निकली और उसका शरीर अकड़ गया। उसने अपने हाथ को पूरी ताकत से लड़की के सिर को दबा दिया। कुछ सैकण्ड बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया और उसके हाथ की पकड़ ढीली हो गई। हाथ की पकड़ ढीली होते ही लड़की ने अपने सिर को छुड़ाकर तेजी के साथ उपर को उठी। वो बुरी तरह से हांफ रही थी और उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। लड़की खांस रही थी और अपने हाथ से अपने गले को सहला रही थी। उसके मुंह से लड़के का जूस बाहर टपक रहा था। जब वो खांसती तो कुछ ज्यादा जूस बाहर की तरह आकर गिर जाता।

थोड़ी देर में लड़की की सांसे नॉर्मल हुई। उसने एक थप्पड लड़के के गाल पर रसीद कर दिया और कार का दरवाजा खोलने लगी। लड़के ने तुरन्त हरकत की और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया।
लड़की: छोड़ो मुझे।
लड़का: डार्लिंग, अभी चोदता हूं, टेंशन क्यों लेती है।
लड़की: बकवास मत करो, मेरा हाथ छोड़ो और मुझे जाने दो।
लड़का: अभी कैसे जाने दू, अभी तो बहुत कुछ बाकी है।
लड़की: मुझे कुछ नहीं करना, छोउ़ो मुझे।
तभी मुझे मेरे सिर के उपर गरम गरम सांस महसूस हुई।
मैंने तुरन्त पीछे घुमकर देखा तो शुकन्तला खड़ी हुई थी। उसका एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा हाथ उसकी योनि को सहला रहा था और उसकी नजरे मॉनीटर पर जमी हुई थी।
मेरे पीछे देखते ही वो एकदम हड़बड़ा कर पीछे को हो गई।
मैं उसे देखते ही एकबार तो घबरा गया, पर जब उसकी सिचुएशन देखी तो मुस्कराए बिना न रह सका।
मुझे मुस्कराता देखकर वो भी मुस्कराई और बाहर जाने लगी।
मैं: शुकन्तला, वो प्यास लगी है, पानी लाना।
शुकन्तला: जी, अभी लाती हूं और यह कहकर बाहर चली गई।
मेरे मन में शुकन्तला के साथ मजे करने का प्लान बनने लगा। मैं प्लान बनाने लगा कि कैसे शुकन्तला के साथ मजे करूं।
थोड़ी देर बाद शुकन्तला पानी लेकर आई और टेबल पर रखकर वापिस चली गई।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे कैसे चुदाई के लिए तैयार करूं। मैंने पानी पीया और सोचने लगा। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।
मैं उठा और बाहर की तरफ चल दिया। मैंने पहले रूम के पास आकर देखा कि शुकन्तला बाहर नहीं है, शायद अंदर ही होगी। मैंने दरवाजा को हलका सा धकाया तो वो खुल गया। मैं अंदर आ गया।
दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर शुकन्तला रसोई से निकल कर बाहर आई और मुझे वहां देखकर चौंक गई।
शुकन्तला: क्या हुआ साहब जी, आप यहां।
मैं: अरे वो चाय पीने का मन कर रहा था, तो सोचा कि तुम्हें बोल देता हूं।
शुकन्तला: अभी बनाती हूं, साहब जी। और वापिस रसोई में चली गई।
मैं भी उसके पीछे पीछे रसोई में आ गया। मैंने रसोई में अंदर आते हुए उसके जिस्म का नुमायना करना शुरू कर दिया। उसने अपने पूरे शरीर को साड़ी से ढंक रखा था इसलिए ज्यादा कुछ समझ तो नहीं आ रहा था। पर फिर भी वो एक भरपूर जवान जिस्म की मालकिन मालूम हो रही थी। शुकन्तला कोई 19 20 साल की जवानी से भरपूर लड़की थी।

शुकन्तला (मुझे रसोई में देखकर गले से थूक गटकते हुए): साहब जी आप यहां क्यों आ गये, मैं अभी बनाकर लेकर आती हूं, आप चलिये ना, मैं अभी ऑफिस में बनाकर लाती हूं।
मैं: कोई बात नहीं, मैं भी सीख लूूं कि चाय कैसे बनाते हैं, कभी बनानी पड़ गई तो।
शुकन्तला (खुश होते हुए): आपको चाय बनानी नहीं आती, बहुत आसान है।
मैं शुकन्तला के पास आकर खड़ा हो गया। शुकन्तला मुझसे थोड़ा हटकर खडी हो गई और चाय के लिए पतीला उठाकर गैस पर रख दिया और उसमें पानी डाल दिया। पानी के थोड़ा गर्म होने पर उसने चाय की पती का डिब्बा उपर से उतारा और एक चम्मच चाय की पती उसमें डाल दी।
मैं (बहाने से): कितनी चाय डालते हैं, इसमें। (और थोड़ा शुकन्तला की तरफ सरक कर पतीले की तरफ झुककर पतीले में देखने लगा। मेरा दायां हाथ शुकन्तला के शरीर से टच हो गया। शुकन्तला के शरीर ने एक झुरझुरी सी ली पर वो वहीं खड़ी रही। उसे हटते न देखकर मेरी थोड़ी सी हिम्मत बढ गई।
शुकन्तला ने अब चीनी का डिब्बा भी उतारा और बगैर मेरी तरफ देखे ही पूछा: कितनी चीनी लोगे साहब जी।
मैं (थेाड़ा और उससे सटते हुए): जितनी नॉर्मल डालते हैं और अपना हाथ पीछे की तरफ करके उसके कुल्हों से सटा दिया। और थोड़ा उसकी तरफ झुकते हुए उसे चीनी डालते हुए देखने लगा।
मेरे हाथ को अपने कुल्हों से टच होता महसूस करके शुकन्तला के माथे पर पसीने की कुछ बूंद झलक आई। उसने थूक को गटका और अदरक उठा कर उसको थोड़ा सा बेलन से पीटा और चाय में डाल दिया।
मैंने अपने हाथ को थोड़ी सी हरकत दी और उसके कुल्हों पर थोड़ा सा घिस दिया। मेरी इस हरकत से वो थोड़ा आगे को सरक गई जिससे वो स्लैब से एकदम सट गई। उसने अपने हाथ स्लैब पर रख दिए। और गहरी गहरी सांसे लेने लगी।
मैंने अपने हाथ को थोड़ा सा दबाव देकर उसके कुल्हों पर एक जगह स्थिर कर दिया।
अचानक उसके शरीर ने हरकत की और उसने अपने कुल्हें थोड़े से पिछे को कर दिये। मैंने अपने हाथ को उसी जगह पर मैनेज किए रखा जिससे मेरा हाथ उसके कुल्हें में गड सा गया। मैं सरककर और ज्यादा उसकी तरफ हो गया और अब मेरी जांघे उसकी जांघों पर साइड में से टच होने लगी। मेरा लिंग तनकर थोड़ा सा बाहर को उभार बनाए हुए था। मुझे लिंग में थोउा सा दर्द महसूस हो रहा था।
मैंने अपने हाथ वैसे ही उसके कुल्हें में दबाये हुए सीधा किया और उसके कुल्हे पर अपनी हथेली की ग्रिप बना दी।
शुकन्तला वैसे ही खड़ी थी और अपने कुल्हों को थोड़ा थोड़ा पीछे की तरफ धकेल रही थी। मैंने उसके एक कुल्हे को अपनी हथेली में भर लिया और भींचने लगा। शुकन्तला के मुंह से आह निकली और वो एकदम से साइड में हट गई।
शुकन्तला: ये ठीक नहीं है बाबू जी, आप बाहर जाओ, मैं चाय लेकर आती हूं।
मैं: क्यों, मजा नहीं आ रहा क्या।
शुकन्तला: आ रहा है, पर मैं शादी से पहले कुछ भी गलत नहीं करूंगी।
मैंने मन में सोचा इसको तैयार करने में थोड़ा टाइम लगेगा। खीर थोड़ी ठण्डी करके खानी पड़ेगी नहीं तो हो सकता है, खाने को ही ना मिले।
फिर भी मैं उसके पास गया और उसकी कमर को पकड़कर अपनी तरफ खींचा और खुद से सटा दिया।
शुकन्तला: छोड़ो ना बाबू जी, क्या कर रहे हो। मैं ये सब नहीं करूंगी।
मैं: ओके, कोई बात नहीं, ये सब कौन करने को कह रहा है, बस थोउ़े उपर से ही मजे कर लेते हैं।
शुकन्तला: नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। हटो, चाय जल रही है। ( और मुझे पीछे की तरफ धक्का देकर चाय में दूध डालने लगी।
मैं उसके पीछे आकर उसके कुल्हों से सटकर खडा हो गया। शुकन्तला ने पीछे देखा।
शुकन्तला: हटो ना, अब मान भी जाओ। प्लीज, मैं आपके हाथ जोउ़ती हूं।
मैं: मजा तो तुझे भी आ रहा है, पर कोई बात नहीं, फिर कभी देखूंगा, आज मेरा भी ज्यादा मूड नहीं है। ये कहकर मैं रसोई से बाहर आ गया और ऑफिस में आकर बैठ गया।
थोड़ी ही देर में शुकन्तला चाय लेकर आई और मुझे देकर चली गई।
मैंने चाय पी और सिस्टम को शटडाउन करके घर चलने के लिए बाहर आ गया। मैंने शुकन्तला को आवाज लगाई कि मैं जा रहा हूं।
शुकन्तला: क्यों, क्या हुआ। नाराज हो गये क्या।
मैं: अरे नहीं, आज कुछ काम है, इसलिए जा रहा हूं।
शुकन्तला: ठीक है, साहब जी, मैंने तो सोचा कि कहीं मुझसे नाराज हो गये हो।
मैंने अपनी बाईक स्टार्ट की और घर के लिए चल पड़ा। 11 बजे मैं घर पहुंचा। मैंने देखा कि

मैंने देखा कि सोनल की स्कूटी वहीं पर खड़ी थी। मैं बाईक खड़ी करके अपने रूम में आ गया और बैड पर लेट गया। रात को नींद पूरी न होने के कारण मुझे थोडी ही देर में नींद आने लगी। मैं उठा और कपड़े चेंज करके शॉर्ट और टी-शर्ट पहन ली। और वापिस आकर बेड पर लेट गया सोने के लिए। थोड़ी ही देर में मैं सो गया।
उठो---- उठो---- भी---- क्या कुंभकर्ण की तरह सो रहे हो।
मैंने हल्के से आंखें खोल तो सोनल बैड के पास खड़ी मुझे उठा रही थी।
मैं (आंखे मलते हुए): क्या हुआ, क्यों उठा रही हो, इतनी अच्छी तो नींद आई हुई थी।
सोनल: अच्छा एक बार उठो, फिर वापिस सो जाना।
मैं (बैठते हुए): क्यों क्या हुआ यार।
सोनल मेरे साथ बैठ गई और अपने हाथ में पकड़े मिठाई के डिब्बे में से एक रसगुल्ला निकाल कर मेरे मुंह में ठूंस दिया।
ऊऊहहहहहहहहह क्यययययययययययया है ये, मैंने अपने हाथ से टपकते हुए रस को पौंछते हुए कहा।
सोनल: पहले एक और (और एक और रसगुल्ला मेरे मुंह में ठूंस दिया)।
अभी मैंने पहला तो खाया भी नहीं था, इसलिए मेरा मुंह एकदम भर गया। सोनल ने मेरी थोड़ी और होंठों पर लगे हुए रस को अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया। मैंने मुश्किल से रसगुल्लों को खाया।
मैं: अब बताओ, ये रसगुल्ले किसलिये।
सोनल: मेरा माइक्रोसॉफ्रट में सलेक्शन हो गया।
मैं: वॉव, क्या बात है, तुम तो बड़ी छुपी रूस्तम निकली, बताया भी नहीं तुमने कि माइक्रोसॉफ्रट में एप्लाई किया हुआ है।
मैं: काँग्रेचुलेशन! और मैंने उसके होठों की एक पप्पी ले ली।
मैं (एक रसगुल्ला उठाते कर सोनल के मुंह के पास ले जाकर): तो अब इसी बात पे एक एक और हो जाये।
सोनल ने अपना मुंह खोला और मैंने पूरा उसके मुंह में ठूंस दिया।
सोनल: उंहूूहू, आराम से भी तो खिला सकते हो।
उसके होठों से टपकते हुए रस को मैंने अपने होठों से पी लिया और उसके नीचले होठ को अपने होठों के बीच में भरकर चूसने लगा। रसगुल्ले के रस में भीगे उसके होठों को चूसने में बहुत मजा आ रहा था।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:12 PM,
#16
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--16
गतांक से आगे ...........
मैंने उसके होंठों को छोड़ा और अपनी उंगली उसके मुंह में दे दी। सोनल ने मेरी उंगली पर लगा सारा रस चाट लिया और मिठाई के डिब्बे को साइड में रख दिया और अपनी उंगली मेरे मुंह में दे दी। हमने एकदूसरे की उंगलियों को चाटकर साफ किया और हमारे लब फिर से एक दूसरे में गुम हो गये।
सोनल मेरे उपर वाले होंठ को चुसने लगी और में उसके नीचे वाले होंठ को। मुझे तो पहले से ही शुकन्तला ने गरम किया हुआ था, मैंने अपने हाथ उसके बूब्स पर रख दिये। सोनल भी कहां पीछे रहने वालों में थी, उसने अपना हाथ मेरी शॉर्ट के अंदर डाला और अंडरवियर के उपर से ही मेरे लिंग को पकड़ लिया। मेरे मुंह से एक सिसकारी निकली जो हमारे होठों के चुम्बन में ही कहीं गुम हो गई। मैंने सोनल के निप्पल को (जो कि तनकर कड़क हो गये थे) अपनी उंगलियों के बीच में लिया और मसलने लगा। सोनल मचलने लगी और उसने अपना दूसरा हाथ मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी। मैंने उसके कमीज को पकड़ा और उपर उठाने लगा। पिछे से वो सोनल के नीचे दबा हुआ था, इसलिए उपर नहीं उठ पा रहा था। मेरी उलझन समझ कर उसने अपने कुल्हों केा थोड़ा सा उपर उठाया और मैंने सूट को उसके मम्मों से उपर कर दिया और ब्रा के उपर से ही उसके मम्मों को सहलाने लगा। जब मुझे ब्रा के उपर से जयादा मजा नहीं आया तो मैं अपने हाथ पीछे ले गया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिये। मैंने उसकी ब्रा को भी सूट के साथ उपर पहुंचा दिया। अब सोनल के नंगे बूब्स मेरे हाथों में थे। उसके बूब्स सख्त हो चुके थे और उसके निप्पल एकदम कडक। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स को मसलना शुरू कर दिया। सोनल की सिसकारी मेरी मुंह में ही घुट रही थी।
मैंने सोनल के दोनों होठों को अपेन होठों के बीच लिया और चुसने लगा। ऐसे चूसते हुए ही मैंने अपनी जीभ उसके होठों के बीच डाल दी जिसे सोनल चूसने लगी। मुझे किस करने में बहुत ही मजा आ रहा था। रसगुल्ले की मिठास से मजा दुगुना हो गया था।
मैंने मिठाई के डिब्बे को उठाकर थोड़ा दूर रख दिया और धीरे धीरे सोनल को बेड पर लिटाते हुए खुद भी उसके उपर लेट गया।
तभी नीचे से आंटी की आवाज सुनाई दी: सोनल बेटी, पूनम आई हुई है, मिलने।
आंटी की आवाज के बाद हमें सीढ़ियों में कदमों की आवाज सुनाई दी। मैं जल्दी से सोनल के उपर से उठ गया और सोनल से जल्दी में उसकी ब्रा के हुक नहीं लग पा रहे थे। मैंने अपने हाथ पीछे किये और हुक लगाने लगा, पर लग ही नहीं पा रहे थे।
तभी दरवाजा खुला, देखा तो दरवाजे पर पूनम थी। मैं अभी भी सोनल के हुक लगाने की कोशिश कर रहा था।
पूनम: ओह, तो ये बात हैं, मैं तो तुझे बधाई देने आई थी, मुझे क्या बता अभी कोई और तुझे बधाई दे रहा है।
मैंने सोनल का हुक लगाया और उसके सूट को नीचे कर दिया।
सोनल: पूनम की बच्ची! तू भी ना, कबाब में हड्डी बनने के लिए आ जाती है।
और सोनल झंझलाते हुए बेड पर से उठी और पूनम के साथ नीचे चली गई। मैंने टाइम देखा, अभी 3 ही बजे थे। मैंने सोचा थोड़ा और सो लेता हूं, पर नींद नहीं आई तो मैंने लेपटॉप पर मूवी लगा ली और मूवी देखने लगा।
तभी मुझे धयान आया कि ऑफिस के कम्प्यूटर से मैंने वो एमएमएस तो डिलीट किया ही नहीं।
फिर सोचा कोई नहीं, कल जाकर डिलीट कर दूंगा, अब कौन देखेगा। बॉस तो बाहर गये हुए हैं और अपना धयान मूवी देखने में लगा दिया।

दोस्तों, अभी इतना ही अपडेट दे पाउंगा। मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूं, इसलिए अब चार पांच दिन अपडेट नहीं दे पाउंगा। उसके बाद फिर से अबकी तरह रेगुलर अपडेट मिलेंगे।
आप कमेन्ट्स देते रहिए, मैं मोबाईल द्वारा रिप्लाई करने की कोशिश करूंगा।

मूवी खत्म होने के बाद मैंने लैपटॉप को ऑफ किया। टाइम देखा तो छः बजने वाले थे। मैं बाहर छत पर आ गया और टहलने लगा। ठण्डी हवा चल रही थी तो मैंने सोचा क्यों न पार्क में चला जाए। और मैं रूम का दरवाजा बंद करके नीचे आ गया पार्क में जाने के लिए। सोनल कहीं जाने के लिए अपनी स्कूटी निकाल रही थी।
मैं: कहां की तैयारी हो रही है?
सोनल: बस इधर ही जा रही हूं, बाजार तक। आप कहां चल दिए। अच्छा, सुनो, मैंने आज पार्टी रखी है तो खाना मत बनाना।
मैं: वॉव पार्टी, फिर क्यों खाना बनाउंगा।
सोनल अपनी स्कूटी निकालकर बाजार चली गई और मैं पार्क के लिए चल दिया।
जैसे ही मैं पार्क में घुसा सामने से वहीं लड़की (अरे वहीं यार जो पार्क में अपने कॉर्टून डॉगी के साथ आती है) आती हुई दिखाई दी।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कराया और वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और उसका डॉगी मेरी तरफ देखकर भोंका।
डॉगी के भोंकते ही वो खिलखिलाकर हंस पड़ी।
मैं: इस तेरे डॉगी को मेरे से क्या प्रॉब्लम है (और मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया, उसका डॉगी मेरे चारों तरफ चक्कर लगाने लगा)।
लड़की: वो तो अब इसी से पूछना पड़ेगा।
मैं: हाय! मेरा नाम समीर है।
लड़की: हाय! मेरा नाम मोनी है।
मैं: ओह, नाईस नेम, मोनी-सोनी।
मोनी (हंसते हुए): सोनी मेरी बउ़ी बहन का नाम है।
मैं: ओह तो सोनी-मोनी दोनों ही हैं (और हंसने लगा)।
मोनी भी हंसने लगी। उसका डॉगी मेरे चारों तरफ घूम घूमकर मुझे सूंघ रहा था, पता नहीं क्या ढूंढने की कोशिश कर रहा था।
मोनी: कल नहीं आये पार्क में।
मैं: अरे यार! वो थोड़ा काम हो गया था। (अब आप तो जानते ही हैं, क्या काम हो गया था, सोनल की बच्ची ने छोउ़ा ही नहीं)
मैं: अंकल आंटी कैसे हैं?
मोनी (थोड़ा आश्चर्य से): अंकल-आंटी? तुम जानते हो।
मैं: अरे वो कल सुबह ही तो मिले थे, तुम उनको बुलाने आई थी।
मोनी: अरे हां। मम्मी-पापा ठीक हैं। वैसे कल क्या बातें हो रही थी आपकी और पापा की।
मैं: कुछ नहीं, बस ऐसे ही कैजुअल बातें, जो अब आपके और मेरे बीच हो रही हैं।
उसका डॉगी मेरे जूतों को चाटने लगा।
मैं: चलें!
मोनी (आश्चर्य से): कहा?
मैं: अरे मेरा मतलब जॉगिंग करें।
मोनी: ओह!!! हां, क्यों नहीं।
और हमने जॉगिंग स्टार्ट कर दी। उसका डॉगी बार बार मेरे आगे आ जाता था, जिससे मैं थोड़ा पीछे रह हो जाता।
पीछे से उसके कातिल मस्त कुल्हें दौड़ते हुए तेजी से उपर नीचे हो रहे थे और बहुत दिलकश लग रहे थे।
मैंने मोनी की तरफ देखा, वो बार बार मेरी तरफ ही देख रही थी और हंस रही थी। वो हंसती हुई बहुत ही प्यारी लग रही थी, उसके गुलाबी होंठों से झांकते मोती की तरह चमकते सफेद दांत उसकी सुंदरता में कई चांद लगा रहे थे।
मैं: क्यों हंस रही हो।
मोनी: बस ऐसे ही। आपको पता है, हंसने से खून बढ़ता है।
मैं: अच्छा जी! मुझे तो मालूम ही नहीं था। फिर तो मैं भी हंसता हूं (और अपने दांत निकालकर हंसने लगा)।
मोनी (मेरी खीज निकालते हुए): हें हें हें,,,, ऐसे भी कोई हंसता है, कितना बनावटी लग रहा है।
मैं: तो और कैसे हंसू।
मोनी: मेरे कहने का मतलब है कि खुशी में जो हंसी आती है उससे, बनावटी से नहीं।
मैं: अब खुशी तो कहां से लाउं, मोनी से काम नहीं चलेगा क्या।
मोनी (मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए): नहीं चलेगा, खुशी ही चाहियेगी।
थोडी देर और जॉगिग करने के बाद वो चली गई और अपने घर आ गया।
घर पर कुछ चहल-पहल बढ़ गई थी, चार पांच स्कूटी नीचे खड़ी हुई थी। मैं उपर अपने रूम में आ गया।
साढ़े आठ बजे सोनल मेरे रूम में आई। मैं पानी पीने के लिए खड़ा ही हुआ था। सोनल ने आते ही मेरे होठों पर एक पप्पी दी और मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी।
सोनल: कितने पसीने आये हुए हैं। जल्दी से नहाकर नीचे आ जाओ, मेरी दोस्त भी आ गई हैं, फिर पार्टी शुरू करते हैं।
मैं: ओके! माई पार्टी गर्ल। अभी आता हूं। (और उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिये)।
मैं बहुत ही प्यार से उसके होंठों का रस पी रहा था। मैंने अपने हाथ उसकी कमर में ले जाकर उसके कुल्हों पर रख दिए और उन्हें मसलने लगा। थोउ़ी देर बाद मैंने अपने हाथ उसकी कमर में रखें और उसके भिंच लिया। उसके बूब्स मेरी छाती में दबकर पिचक गये। मैं अपने हाथ नीचे ले गया और अपना हाथ सोनल की जींस के अंदर डालने की कोशिश करने लगा।
सोनल ने मेरा हाथ पकउ़ लिया और जींस के उपर से ही अपने कुल्हों पर रख दिया। हमारे लब लगातार एक दूसरे के लबों का रस चूसने में मशरूफ थे। सोनल की गर्म सांसे मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। जल्दी ही हमारी सांसे उखड़ने लगी और हम दोनों अलग हो गये।

सोनल: ओके!!!!! अबबबब मैं चलतीीीी हहहहूं, तैयारररररर होकररर जल्दी नीचे आ जाओ।
और ये कहकर सोनल नीचे चली गई। मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।
नहाकर मैं नीचे चला गया। सोनल की सभी दोस्त एक से बढ़कर एक थी। मेरे अन्दर आते ही सोनल मेरे पास आई और मेरी कमर में हाथ डालकर अपनी सभी दोस्तों से मेरा परिचय करवाया। पांचों की पांचों मदमस्त हुस्न की मालिक थी। जब मैंने उनसे हाथ मिलाया तो उनके नरम और मुलायम हाथों को छूते ही मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। आंटी शायद किचन में कुछ तैयार कर रही थी।
सोनल ऐसा बिहेव कर रही थी कि जैसे मैं उसका बॉयफ्रेंड हूं। तभी किचन से किसी ने सोनल को आवाज लगाई और सोनल ‘अभी आती हूं’ कहकर किचन में चली गई। शायद आंटी ने बुलाया होगा।
मैं सोफे पर बैठ गया। सोनल की दोस्त कंचन भी मेरे पास ही आकर सौफे पर मुझसे सट कर बैठ गई।
उसके बैठते ही सोनल की दो दोस्त रूपाली और तान्या भी उसी सोफे पर आकर बैठ गई। तान्या मेरे दूसरी तरफ मुझसे सटकर बैठी थी, जबकि रूपाली कंचन के पास बैठ गई। बाकि की दो दोस्त निशा और प्रिया साथ वाले सोफे पर बैठ गई।
हम सभी आपस में बातें करने लगे। कंचन बातों ही बातों में बार बार अपना हाथ मेरी जांघों पर रख रही थी। उसकी इस हरकत से मेरी जींस टाइट होने लगी थी। कंचन ने एक जोक मारा और मेरी जांघों पर अपना एक हाथ कसकर रख दिया और दूसरे हाथ को तान्या की तरफ ले जाकर उसके हाथ से ताली मारी।
जोक कुछ अटपटा सा था, मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि क्या निष्कर्ष निकला, पर सभी हंस रहे थे तो मैं हंस दिया (गधे वाले सिचुएशन से बचने के लिए, आप लोगों को तो पता ही होगा, गधे की कहानी, चलो जिसको नहीं पता है, वो पढ़ लें, बता देता हूं, एक बार जंगल में सभा लगी हुई थी, कि शेर ने एक जोक सुनाया, जोक इतना फाउू था कि सारे जानवर हंस हंसकर लोट पोट हो रहे थे, पर गधा आराम से खड़ा था और उन सभी को आश्चर्य से देख रहा था। अगले दिन बंदर ने देखा कि गधा हंस हंसकर लोट पोट हो रहा है, और पेट को पकड़कर जोर जोर से हंसा जा रहा है। बंदर ने पूछा भाई क्या, हुआ इतने क्यों हंस रहे हो। गधे ने कहा कि वो कल वाला जोक मुझे अब समझ में आया है।)।
तभी सोनल एक टरे में कुछ सॉफट डरिंक ले आई और हम सभी को दिये और खुद भी एक लेकर बैठ गई। मैंने डरिंक पिया तो मुझे उसमें कुछ अजीब सी स्मैल आया और स्वाद भी कुछ अलग ही था।
तभी अंदर से काम वाली और डरिंक और स्नैक्स लेकर आई और टेबल पर रखकर वापिस चली गई। सोनल की सभी दोस्त गटागट डरिंक पी गई और दूसरा गिलास उठा लिया। मेरा तो अभी पहला ही आधा हुआ था। मैंने स्नैक्स लेने के लिए टेबल की तरफ देखा तो टेबल पर तो टेबल ही थी, सारे स्नैक्स खत्म हो चुके थे।
सोनल और उसकी दोस्त आपस में बातें कर रही थी और जोर जोर से हंस रही थी, वो बातों में मारवाड़ी का यूज कर रही थी, जिससे मुझे उनकी बातें पूरी समझ में नहीं आ रही थी और मैं चुपचाप बैठकर डरिंक पी रहा था। तान्या ने भी अपना डरिंक खत्म किया और डरिंक उठाने के लिए मेरी जांघों पर एक हाथ रखकर आगे को होकर दूसरा गिलास उठा लिया।
मैंने सोनल से पूछा कि ये कौन सा डरिंक है तो सोनल ने कहा कि कोक है।
मैं: पर कोक का स्वाद तो ऐसा नहीं होता।
मेरी बात सुनकर सोनल की सभी दोस्त हंस पडी और मुझे खा जाने वाली नजरों से देखने लगी।
सभी इस दूसरे डरिंक को धीरे धीरे छोटे छोट सिप लेकर पी रही थी। आखिरकार मैंने भी आधे बचे गिलास को एक घूंट में ही पी लिया।
सोनल अपनी जगह से उठी और टेबल पर से एक गिलास उठाया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई और गिलास मेरे सामने कर दिया। मैंने सोनल के चेहरे की तरफ देखा, उसकी आंखें थोड़ी लाल हो गई थी।
मैं: नहीं, मुझे इसका टैस्ट अच्छा नहीं लग रहा, मैं और नहीं लूूंगा।
सोनल: ये अच्छा है, इसे पियो, पीने के बाद तो फिर और भी मांगोगे।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:13 PM,
#17
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--17
गतांक से आगे ...........
मैंने अनमने मन से गिलास पकड़ लिया। सोनल ने तान्या के कंधे पर हाथ रखे और मेरी और तान्या की सातलों पर बैठ गई। सोनल के ऐसे बैठने से तान्या थोड़ा साइड में हो गई और सोनल मुझसे सटकर तान्या की जगह पर बैठ गई और मेरे गले में अपना एक हाथ डाल दिया।
मैंने जैसे ही एक घूंट भरने के लिए गिलास को अपने चेहरे के पास किया उसमें से तीखी स्मैल आई। मैंने सोनल की तरफ देखा।
सोनल: पी जाओ मेरे जानू, फिर देखना क्या मजा आता है।
और उसकी सभी दोस्त हंसने लगी।
कंचन (मेरी जांघों पर हाथ फिराते हुए): हम भी पी रही हैं लड़की होकर, और तुम लड़के होकर नहीं पी पा रहे हो।
अब बात इज्जत की थी। मैंने गिलास को अपने होठों से लगाया और एक ही घूंट में आधा कर दिया। अबकी बार तो स्वाद बहुत ज्यादा कड़वा था। मुझे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था और मेरा सिर घूम रहा था।
मैंने सोनल की तरफ देखा, वो अपना गिलास खाली कर चुकी थी।
सोनल: कुछ नहीं, बस थोड़ी सी बीयर मिलाई थी कोक में, ज्यादा कुछ नहीं है।
सबके गिलास खाली हो चुके थे। सोनल उठी और म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया और वापिस आकर मेरे पास बैठ गई। मैंने भी गिलास को दोबारा से अपने लबों से लगाया और पूरा का पूरा खाली कर दिया।
सोनल ने कामवाली को आवाज लगाई कि डरिंक खत्म हो गया है। तभी मुझे याद आया कि आंटी भी तो किचन में ही है।
मैंने सोनल की तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए किचन की आंटी अपनी उंगली करते हुए कहा ‘आंटी’।
मेरी बात सुनकर सोनल बोली, आज मम्मी घर पर नहीं है, 11-12 बजे तक आयेंगी, वो मंदिर में कीर्तन चल रहा है, वहां गई है।
मेरी समझ में सब आ गया कि आंटी यहां पर है नहीं, तो आज तो खूब बीयर चल रही हैं, इसकी कोई सहेली आते वक्त लेकर आ गई होगी।
तभी काम वाली एक टरे में और गिलास लेकर आई, अबकि बार वो साथ में प्लेट में कुछ व्हाईट डिश भी लेकर आई थी।
सोनल ने एक गिलास उठाया और मेरे सामने कर दिया। मुझे सुरूर बनना शुरू हो गया था। पहले कभी बीयर पी नहीं थी तो एक गिलास में ही कुछ ज्यादा नशा हो गया था। काम वाली जब टरे रखने के लिए झुकी तो उसकी कमीज गले पर से नीचे लटक गई, जिससे उसके मम्मे थोड़ा बाहर को निकल आये। उसने दुप्पटा नहीं पहना हुआ था, शायद किचन में उतार कर रख दिया होगा।
मैंने गिलास की तरफ देखा तो मेरी नजर सीधी कामवाली पर पड़ी जो टरे में से गिलास टेबल पर रखी टरे में रख रही थी। मेरी नजर उसकी लटकती चूचियों पर जम गई। सोनल ने मेरे सामने चुटकी बजाई।
सोनल: कहां खो गये जनाब! यहां पर उससे खूबसूरत जवान लड़कियां बैठी हैं।
कामवाली सामान रखकर वापिस चली गई।
मैं सोनल की बात सुनकर झेंप गया और अपनी नजरें नीचे करके मुस्कराने लगा।
सोनल ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और मुझे हिलाने लगी। मैंने उपर देखा तो उसने मेरे सामने गिलास कर रखा था। सोनल का हाथ एक जगह नहीं ठहर पा रहा था, शायद उसे नशा हो चुका था। मैंने गिलास को पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो मेरा हाथ गिलास के पास से होता हुआ गुजर गया। मुझे दो दो गिलास नजर आने लगे थे। मैंने फिर से अपने हाथ को गिलास की तरफ बढ़ाया तो मेरा हाथ गिलास से टकरा गया जिससे गिलास में से डरिंक छलक कर मेरे और सोनल के उपर गिर गया।
मैंने सॉरी कहते हुए गिलास को पकड़ लिया। मैंने सामने बैठी सोनल की दोस्तों की तरफ देखा, तो वो सभी मुझे और सोनल को ही घूर रही थी और आपस में कुछ खुसूर फुसूर कर रही थी।
मेरी नजर
प्रिया (सोनल से): सोनल! एक मिनट आना।
सोनल: क्या हुआ।
प्रिया: आओ तो।
सोनल उठकर प्रिया के पास चली गई। निशा ने उसका हाथ पकड़कर सोफे पर खींच लिया और वो उनके पास बैठ गई। वो दोनों उसके कान में खूसूर फूसूर करने लगी।
मैंने टेबल पर देखा तो डिश की प्लेट आधी से ज्यादा खत्म हो चुकी थी। मैंने मन ही मन में सोचा ये कब खत्म हो गई। तभी कंचन ने एक चम्मच से थोड़ी सी डिश ली और खा ली।
ओह, तो इसने खत्म की है।
मैंने भी एक चम्मच से डिश उठाई और खा ली। ओह तेरे की ये तो अंडे की भुर्जी है। मैंने पहले भी खाई थी पर ज्यादा नहीं इसलिए देखने भर से पहचान न पाया।
निशा ने सोनल के कान में कुछ कहा तो सोनल एकदम से झल्ला पड़ी।
सोनल: दिमाग तो ठीक है तुम्हारा।
प्रिया ने सोनल को दिखाते हुए मेरी तरफ हाथ से ईशारा किया तो सोनल शांत हो गई और फिर अपना मुंह उनके पास लेजाकर खुसूर फूसूर करने लगी।
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैंने कंचन की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी। फिर मैंने तान्या की तरफ देखा तो वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी। मैंने उनपर से धयान हटाया और गिलास को अपने लबों पर लगाया एक छोटा सा सिप लिया।
तभी मुझे मेरे लिंग पर कोई हाथ महसूस हुआ। मैंने नीचे देखा तो तान्या का हाथ मेरी जींस के उपर से ही मेरी जांघों पर मेरे लिंग वाली जगह पर था। कंचन का हाथ भी मेरी जांघों के अंदर की साइड में था। वो अपनी उंगलियों को धीरे धीरे हरकत दे रही थी। मैंने सोनल की तरफ देखा, वो अभी भी निशा और प्रिया से खुसूर फूसूर कर रही थी। मैंने तान्या का हाथ पकड़ा और साइड में कर दिया और फिर कंचन का हाथ भी पकड़कर साइड में कर दिया।
तान्या बिल्कुल मुझसे सटकर बैठ गई और एक हाथ मेरी कमर में डालकर सहलाने लगी और दूसरा हाथ फिर से मेरी जांघों पर रखकर सहलाने लगी। उसकी चूचियों मेरे हाथ पर दबी हुई थी।
मेरे शरीर में चिंटिंया सी रेंगने लगी। मुझपर बीयर का असर धीरे धीरे बढ रहा था। कंचन ने फिर से अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया पर कोई हरकत नहीं की।
धीरे धीरे मेरा लिंग अपने पूरे जोश में आ रहा था। उनकी हरकतों के कारण वो एकदम अकड़ कर जींस में दर्द करने लगा। मुझे अब बैठने में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही थी। मैंने अपने हाथ से उसे एडजस्ट करने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ, मेरा लिंग और ज्यादा दर्द करने लगा। मेरी स्थिति को भांपकर तान्या और कंचन हंस पड़ी।
तभी सोनल अपनी जगह से उठी और किचन में चली गई।
निशा और प्रिया भी सोफे पर से खड़ी हो गई। मैंने गिलास को खाली किया और टेबल पर रखने के लिए झुका तो खुद को संभाल न सका और मेरा सिर टेबल पर जाकर लगा। टेबल पर रखे सारे गिलास गिर गये और सारी बीयर टेबल पर बिखर गई।
तान्या से जल्दी से मेरे कंघों को पकड़कर मुझे उठाने लगी। आवाज सुनकर सोनल बाहर आई, वो बाहर का नजारा देखकर हैरान रह गई।
सोनल: ओह, तो जनाब ने लगता है पहली बार पी है, जो इतनी जल्दी लुढक गये।
और सभी सहेलियां हंसने लगी। मैं थोड़ा झेंप गया।
थोड़ी देर में कामवाली बाहर आई और टेबल को उठा ले गई। सोनल ने दूसरी टेबल लाकर वहां पर रख दी।
सोनल रसोई में जाने लगी तो प्रिया ने पिछे से आवाज लगाई।
प्रिया: यार यहां पर गर्मी लग रही है, चलो उपर चलते हैं।
मैं: मुझे तो नहीं लग रही, और उपर कौनसा ए-सी- लगा है।
सोनल: हां, ये सही है, उपर खुली हवा में बैठकर पीते हैं।
कंचन और तान्या ने खड़े होते हुए मेरे एक एक गाल को अपने हाथों से मसल दिया। मैंने आह करते हुए उनके हाथों को अपने गालों से हटाया और खड़ा होने लगा।
जैसे ही मैं खड़ा हुआ, एकदम से मेरा सिर चकराया और मैं वापिस सोफे पर बैठ गया।
सभी लड़कियां मेरी तरफ देखकर खिलखिलाकर हंसने लगी।

तान्या: लो, जनाब तो फेल हो गये इतने में ही। फिल्म तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई।
मैंने तान्या की बात सुनकर उपर तान्या की तरफ देखा।
मैं: कौन सी फिल्म, अब फिल्म भी देखोगी, इतनी देर तो हो गई है, आंटी भी आने वाली होगी।
सोनल: तभी तो उपर चल रहे हैं, ताकि मम्मी को कुछ पता ना चले।
सोनल मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर मुझे उठाया और मेरे हाथ को अपने सिर के पीछे से अपने दूसरे कंधे पर रखकर पकड़ लिया।
कंचन ने मौके का फायदा उठाया और मेरे दूसरी तरफ आकर मेरे दूसरे हाथ को उसी तरह कर लिया। कंचन ने अपना दूसरा हाथ मेरी कमर पर रख दिया।
वो उपर जाने लगी। मैंने अपना हाथ उन दोनों से छुड़ाया और अपना बैंलेस बनाने की कोशिश करने लगा। मैं आश्चर्य चकित था कि अभी बैठा था तो ज्यादा कुछ नशा ही नहीं हुआ था, एकदम खड़ा होते ही इतना नशा कैसे हो गया। मैंने अपना हाथ अपनी जांघों पर रखकर लिंग को थोड़ा एडजस्ट करने की कोशिश करने लगा।
निशा, प्रिया और कंचन सीढ़ियों में पहुंच चुकी थी। सोनल और तान्या मेरे पास ही खड़ी थी। मुझे ऐसे परेशान देखकर सोनल ने तान्या को कहा कि तुम चलो, मैं अभी आती हूं।
तान्या: कोई बात नहीं, साथ में ही चलते हैं।
सोनल मेरे पास आई और मेरी जींस के अंदर अपना हाथ डालने की कोशिश करने लगी, पर बैल्ट की वजह से नहीं गया।
सोनल ने तान्या की तरफ देखा तो तान्या खड़ी खड़ी मुस्करा रही थी।
सोनल ने मेरी बेल्ट खोली और सोफे पर रख दी। फिर मेरी जींस का बटन खोला और चेंज को भी खोल दिया। वो मेरे सामने खड़ी थी, जिससे तान्या को कुछ ना दिखे। पर तान्या हमारे साइड में आकर खडी हो गई। सोनल ने उसकी तरफ देखा।
तान्या: मैं क्या इसको खा जाउंगी, जो ऐसे देख रही है।
सोनल मुस्कराई और मेरी जींस के अंदर हाथ डालकर अंडरवियर के अंदर मेरे लिंग को उपर की तरफ कर दिया। मुझे अब थोड़ी राहत महसूस हुई।
सोनल (मेरी आंखों में देखते हुए): अब ठीक है।
मैंने अपने हाथ सोनल के चेहरे पर रखे और उसके होठों पर एक पप्पी दे दी।
मैं: अंअंअअ हां,,,,,, अअअअब ठीक है मेरी जाजाजाजाजाजाजननननननन।
बोलते हुए मेरी आवाज लड़खड़ा रही थी।
मैंने अपना हाथ सोनल की कमर में रख दिया और हम उपर की तरफ चल दिये।
तान्या हमारे पीछे पीछे आ रही थी। आधी सीढ़ीयों में आकर मुझे मेरी कमर में एक हाथ महसूस हुआ।
मैंने पीछे देखा तो तान्या ने अपना हाथ मेरी कमर में रखकर हमारे पीछे पीछे आ रही थी। मुझे पीछे देखता देख सोनल ने भी पीछे देखा और मुस्करा कर मेरी तरफ देखने लगी।
जैसे ही हम उपर आये, हवा का ठंडा झोंका हमसे टकराया और मेरा सुरूर और भी बढ़ गया।
मैंने अपना हाथ सोनल की कमर में से हटाया और छत पर टहलने लगा।
थोड़ी ही देर में कामवाली कुर्सिया और टेबल ले आई और रखकर नीचे चली गई।
सभी लड़कियां कुर्सियों पर बैठ गई, मैं पूनम की छत की तरफ टहलते हुए आ गया। उधर छत पर कोई नहीं था।
फिर मैं वापिस सबकी तरफ आया और सोनल के पास जाकर खड़ा हो गया।
मैं: तुमने पूनम को नहीं बुलाया पार्टी में।
सोनल: मैंने तो बुलाया था, वो उसके मामा जी के स्कूटर का कार के साथ एक्सीडेंट हो गया तो वो अपनी मम्मी पापा के साथ हॉस्पीटल में गई है, इसलिए वो आई नहीं।
मेरा नशा कुछ ढीला सा हो गया था, शायद मेरे शरीर ने एडजस्ट कर लिया था।
मैं सोनल के पास खाली पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। मेरे दूसरी साइड में निशा बैठी थी। मेरे बैठते ही निशा का हाथ सीधा मेरी जांघों के बीच आकर मेरे लिंग पर टिक गया और उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लिंग को भर लिया। मेरे मुंह से आह निकल गई। मैंने तुरंत सोनल की तरफ देखा।
सोनल: क्या हुआ?
मैं: कुछ नहीं, ठंडी हवा का झोंका मस्त लग रहा है।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:13 PM,
#18
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--18
गतांक से आगे ...........
सोनल मुस्कराने लगी और दूसरी सहेलियों से बात करने लगी। निशा धीरे धीरे मेरे लिंग को जींस के उपर से ही सहला रही थी। अचानक उसने मेरी जीप को खोला दिया और अपना हाथ अंदर डाल दिया। मैंने झट से सोनल की तरफ देखा कि कहीं उसने तो नहीं देख लिया और उसका हाथ बाहर निकाल दिया और उसे डराने वाली नजरों से देखने लगा। पर वो डरने की बजाय मुस्कराये जा रही थी। उसने मेरी जीप के उपर अपना हाथ रखा और एक उंगली को अंदर घुसा कर अंडरवियर के उपर से ही मेरे लिंग के साथ छेड़खानी करने लगी। उसने मेरे अंडरवियर की साइड में से अपनी उंगली को अंदर किया और अंडरवियर को एक साइड में सरकाने की कोशिश करने लगी। फिर उसने अपनी दूसरी उंगली भी अंदर कर दी और अंडरवियर को पकड़कर साइड में कर दिया जिससे मेरा लिंग अंडरवियर से बाहर आ गया और जींस के अंदर फुंफकारने लगा। निशा ने अपनी दो उंगलियों से मेरा लिंग को पकड़ लिया। उसकी कोमल उंगलियों का स्पर्श होते ही मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई।

तभी कामवाली खाना ले आई और टेबल पर रख दिया। निशा का हाथ अभी भी मेरी जींस के अंदर मेरे लिंग को सहला रहा था। मेरा धयान कामवाली की तरफ ही था कि कहीं उसकी नजर ना पड़ जाए। मैंने उसके हाथ को छुपाने के लिए अपना हाथ उसके उपर रख दिया। तभी काम वाली की नजर हमपर पड़ी और शायद वो समझ गई कि निशा का हाथ कहां है, क्योंकि उसने शर्माते हुए अपनी नजरें दूसरी तरफ कर ली। शर्माते हुए उसके गाल एकदम लाल हो गये।
कामवाली ने सभी के लिए प्लेटों में खाना परोसा और साइड में खड़ी हो गई। निशा लगातार मेरे लिंग को सहला रही थी, जिससे मुझसे सहन करना मुश्किल हो गया था। वो अपनी उंगलियों का ऐसा जादू चला रही थी कि बस मेरा जूस निकलने ही वाला था। मैंने एक झटके से उसका हाथ बाहर निकाला और खड़ा हो गया। परन्तु यहीं एक गड़बड़ भी हो गई। निशा के हाथ के साथ-साथ मेरा लिंग भी जींस से बाहर आ गया और मेरे खड़े होने से सबके सामने झटके खाने लगा। मेरा लिंग एकदम तनकर पेट की तरफ झटके खा रहा था, लिंग की मुंडी पर प्रिकम की बूंदे चमक रही थी।
मेरे खड़े होने से सबने मेरी तरफ देखा और सबका हाथ उनके मुंह पर चला गया। मेरे मस्त मोटे लिंग को देखकर सभी आंखें में चमक आ गई। मैंने सबकी तरफ देखा, तो सभी आंखें ललचाई नजरों से मेरे लिंग को घूर रही थी। सबके चेहरे एकदम लाल हो गये थे। मैंने कामवाली की तरफ देखा तो उसने अपना सिर नीचे झुका रखा था, पर मेरे लिंग को देखने का लालच नहीं छोड़ पा रही थी और बार बार नजरें उठाकर मेरे लिंग को देख रही थी। सबकी नजरों का पीछा करते हुए जब मेरी नजर अपने जींस से बाहर फुंफकारते लिंग पर गई तो मैं शरम से लाल हो गया। मैंने तुरंत अपना हाथ आगे लाकर लिंग को छुपाने की कोशिश करने लगा और निशा की तरफ खा जाने वाली नजरों से देखा। निशा बैठी बैठी हंस रही थी।
मैंने जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ किया और लिंग को वापिस जींस में डालने की कोशिश करने लगा, पर कुछ तो नशे के कारण और कुछ लिंग के तने हुए होने के कारण अंदर जा ही नहीं रहा था। मैंने जींस का हुक खोला और जल्दी से लिंग को अंदर करके वापिस हुक बंद किया। मैंने वापिस मुडकर सबकी तरफ देखा और बाथरूम की तरफ चलने लगा। पर मुझे चक्कर सा आया और लड़खड़ा कर गिरने ही वाला था कि निशा के कंधे पर हाथ पड़ गया। कुछ देर निशा का सहारा लेकर खड़ा रहा और फिर थोड़ा नॉर्मल महसूस करने पर बाथरूम की तरफ चल दिया। चलते हुए मेरे पैर लड़खड़ा रहे थे। मुझे धरती घूमती हुई दिख रही थी। ऐसा लग रहा था कि मेरा पैर उबड़ खाबड़ जमीन पर पड़ रहा है। जैसे तैसे करके मैं बाथरूम में पहुंचा। मैंने जींस को घुटनों तक निकाल दिया और बाथरूम करने लगा। जैसे जैसे मैं बाथरूम करता जा रहा था, नशा और भी बढ़ रहा था। मैंने एक हाथ दीवार पर टिका दिया। बाहर से सभी के हंसने की आवाज आ रही थी। अभी मैं बाथरूम करके अपनी जींस उपर करने के लिए झुका ही था कि बाथरूम का दरवाजा खुल गया। मैनें दरवाजे की तरफ देखा तो निशा खड़ी थी। मैंने उसे घूर कर देखा।
निशा: ऐसे क्या देख रहे हो, कोई रेप करने नहीं आई मैं तुम्हारा, हाथ धोने आई हूं।
और मेरे पीछे से निकल कर वॉशबेसिन की तरफ बढ़ गई। मेरे पिछे से निकलते हुए उसने मेरे कुल्हें पर चुटकी काट ली। मेरे मुंह से आउउउउ की आवाज निकली।
मैंने जल्दी से अपनी जींस को उपर किया और हुक लगाकर बाहर आ गया। बाथरूम करने के बाद मेरा नशा बढ़ गया था, पर अब मैं खुद पर कंट्रोल भी कर पा रहा था। मैं चलते हुए चेयर तक आया और बैठ गया। मेरे पीछे पीछे निशा भी आ गई और अपनी चेयर पर बैठ गई। सभी ने खाना खाना शुरू किया।
ज्यादा बीयर पीने के कारण सभी ने थोड़ा थोड़ा ही खाया और खाना खाकर सभी लड़किया उठ गई और छत पर इधर उधर टहलने लगी। कामवाली बर्तन उठाने लगी। मैं भी उठकर मुंडेर के पास आकर खड़ा हो गया। कामवाली बर्तन लेकर चली गई।
मुंडेर के पास खड़े हुए मुझे लग रहा था कि मैं बस अभी नीेचे गिरने वाला हूं। मैं मुंडेर से पीछे हट गया। सभी लड़किया एक साथ ही खड़ी थी और हाथ मिला रही थी। शायद जाने की तैयारी थी।
मैं सभी के पास गया।
मैं: अरे ये क्या, चलने की तैयारी। अभी तो पूरी रात बाकी है यार, अभी से कहां चल दी। (और निशा के कुल्हों एक चपत लगा दी।
कंचन: अरे यार, घर से बार बार कॉल आ रही है, और लेट हुए तो डांट सुननी पड़ेगी, फिर कभी मिलते हैं स्वीटू (और मेरे गालों को पकड़कर भींच दिया)।
मैंने उसके हाथ को एक तरफ कर दिया। सभी लड़कियां बायें कहते हुए नीचे जाने लगी। सोनल भी उनके साथ नीचे चली गई।
मैं आकर चेयर पर बैठ गया। थोड़ी देर में सोनल उपर आ गई। उसके साथ तान्या भी थी।
मैंने सोनल को देखते हुए तान्या की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा: इसके घर से फोन नहीं आ रहे क्या?
तान्या: अब मैं पीकर घर जाउंगी तो मेरी अच्छी वाली धुनाई हो जायेगी, इसलिए आज मैं सोनल के पास ही सोउंगी, मैंने आंटी से फोन करवा दिया है।
मैं: वॉव, दो-दो। मजा आयेगा।
मेरी बात सुनकर सोनल मेरी तरफ देखकर आंखें निकालने लगी।
मैं: क्यों, क्या हुआ? कुछ प्रोग्राम नहीं है क्या?
मैं तान्या के पास गया और उसके बाहों में भरते हुए उठा लिया, पर नशे के कारण लडखडा गया और उसे वापिस नीचे उतार दिया।
अब मुझपर नशा अच्छी तरह से हावी हो गया था।
मैं (नशे में): आज तो तान्या और मैं, और साथ में सोनलललललललललल, मजे करेंगगगगगगगगगगगगगगेेेेे (और तान्या के गालों को पकड़ कर मसलने लगा। तान्या के मुंह से आह निकली और वो मेरे हाथ को हटाने लगी, पर मैंने फिर से उसके दूसरे गाल को पकड़ लिया और सोनल की तरफ देखते हुए,
मैं: तुम और तान्या, तान्या और तुम,,,, और साथ में मैं भी,,,,,।
अभी मैंने इतना ही कहा था कि सोनल मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर रूम में ले आई। मैंने तान्या का हाथ पकड़ लिया था, जिससे वो भी हमारे साथ साथ रूम में खींची चली आई।
सोनल ने मुझे बैड पर बैठा कर पिछे को धक्का दे दिया और मैं बेड पर लुढक गया। सोनल ने मेरे जूते निकाले और मेरे पैरो को भी बैड पर कर दिया। मैं फिर से उठ बैठा पर सोनल ने वापिस से मुझे धक्का दे दिया और एक बार तान्या की तरफ देखकर बैड पर बैठकर मेरे उपर आ गई और मेरे होंठों पर उंगली फेरते हुए धीमी आवाज में कहा।
सोनल: सो जाओ माई स्वीटू, मैं रात को आउंगी।
सोनल की बात सुनकर मैं जोर से बोला: और तान्या भी।
सोनल ने मेरे मुंह पर अपनी उंगली रखकर सीइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ करते हुए कहा ‘सो जाओ’।
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और सोनल उठकर चली गई। दरवाजा बंद होने की आवाज सुनकर मैंने आंखें खोली, तो वो दोनों जा चुकी थी।
आंखें बंद करते ही मुझे सबकुछ घूमता हुआ महसूस हो रहा था, इसलिए मैं आंखें बंद नहीं कर पा रहा था। आंखें बंद करते ही ऐसा लग रहा था कि कोई मेरे बेड को उलट रहा है।
नींद के कारण मेरी आंखें बंद होती पर मैं फिर से खोल लेता। जब सोया नहीं गया तो मैं उठकर बाहर आ गया और छत पर टहलते हुए गाना गाने लगा।

मैं आकर चेयर पर बैठ गया और टेबल पर अपने पैर पसार दिए। ठंडी हवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया और मेरी आंखें बंद होने लगी। परन्तु आंखें बंद होते ही फिर से वही, मुझे लगा कि कोई मेरी चेयर को उलट रहा है। मैंने फिर से आंखें खोल दी।
मैं (बड़बडाते हुए): अच्छी मुसीबत है ये तो, सो भी नहीं सकते पीकर तो।
मैं गाना गा रहा था और बउ़बड़ा रहा था।
काफी देर तक मैं ऐसे ही परेशान होता रहा। तभी सीढ़ीयों से किसी के आने की आवाज सुनाई दी तो मैंने सीढीयों की तरफ देखा।
सोनल और तान्या दोनों ही उपर आ रही थी।
सोनल (उपर आकर मेरी तरफ आश्चर्य से देखते हुए): मैं तुम्हें अंदर सुला कर गई थी, तुम फिर बाहर आ गये।
मुझे गाना गाते सुनकर सोनल ने कहा ‘तो अब रात को गाकर दूसरों की नींद खराब करने का इरादा है’।
मैं: अरे यार, ये क्या मुसीबत है अब, आंख बंद करते ही सब कुछ घूमता हुआ लग रहा है और ऐसा लगता है कि कोई मेरा बेड उलट रहा है।
मेरी बात सुनकर तान्या और सोनल खिलखिलाकर हंसने लगी।
सोनल ने मेरा हाथ पकड़ा और उठाकर अंदर ले आई। तान्या भी हमारे साथ अंदर आ गई थी। सोनल रसोई में से एक गिलास पानी लेकर आई और मुझे पिलाया।
पानी पिलाने के बाद सोनल ने गिलास नीचे रख दिया और बेड पर मेरे पास सटकर बैठ गई। तान्या खड़ी हुई थी।
मैंने तान्या की तरफ देखते हुए उसे बेड पर अपनी बगल में हाथ से इशारा करते हुए बैठने को कहा।
तान्या थोड़ा शरमा रही थी, उसने सोनल की तरफ देखा, सोनल ने आंखों से इशारा करते हुए उसे बैठने को कहा। तान्या आकर मेरे दूसरे साइड में बैठ गई।
सोनल ने मेरे गालों पर अपने हाथ रख दिए और मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमा कर अपने तपते रसीले होंठ मेरे होठों पर रख दिए। हमारे होठों तुरंत ही एक दूसरे से बुरी तरफ उलझ गये। सोनल की आंखें बंद थी। मैंने भी अपनी आंखें बंद की पर आंखें बंद करते ही मुझे फिर से बेड पलटता हुआ महसूस हुआ और मैंने आंखें खोल दी।
हमें किस करते हुए देखकर तान्या ने अपना हाथ आगे करके मेरी जांघों पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। सोनल ने अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डाल दी और मजे लेकर मेरे होठों को चूसने लगी। उसकी गरम सांसें मुझे मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी, जो मेरी आंखों में भी लग रही थी, जिससे मुझे आंखें बंद करनी पड़ रही थी, पर आंखें बंद करते ही बेड पलटने लगता था, जिससे मैं आंखें नहीं बंद कर पा रहा था।
मैंने सोनल से अपने लबों को छुड़ाया और अपने लब उसके गले पर रख दिए। सोनल के मुंह से एक सिसकारी निकली। मैंने अपने हाथों को सोनल की चूचियों पर कस दिया और उन्हें मसलने लगा। सोनल मेरी कमर में अपने हाथों का कमाल दिखाने लगी।
तान्या ने अपना हाथ जींस के उपर से ही मेरे लिंग के उपर रख दिया और अपनी मुठ्ठी में भींचने लगी। मेरे मुंह से आह निकल गई और मेरी आंखें बंद हो गई। आंखें बंद होते ही फिर से बेड पलटता हुआ लगा तो मैंने संमभलते हुए शरीर को झटका दिया और आंखें खोली। सोनल एकदम पीछे को हट गई और मेरी बाजुओं को अपने हाथों से पकड़कर मेरी आंखों में देखने लगी। सोनल में आंखों के इशारे से पूछा कि क्या हुआ, मैंने अपनी उंगली को सिर के पास लाकर घुमाते हुए इशारे से बताया कि सब कुछ घूम रहा है।
सोनल मुस्करा दी और मेरे माथे पर अपने लब रख दिये और मेरे माथे को जगह जगह से चूमने लगी।
अब तान्या की हिम्मत भी कुछ बढ़ती जा रही थी। वो मेरी जींस की चैन खोलने की कोशिश कर रही थी, पर बेचारी सफल नहीं हो पा रही थी। मैं अपना हाथ नीचे ले गया और अपना हुक खोल दिया। तान्या ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचकर अपनी जांघों पर रख दिया। उसकी नरम और मांसल जांघों पर मेरा हाथ पड़ते ही तान्या और मेरे दोनों के मुंह से एक साथ आह निकल गई। सोनल ने शायद सोचा कि उसके चूमने के कारण मेरी आह निकली है। अब वो मेरे गालों को किस कर रही थी और अपनी जीभ निकालकर चाट भी रही थी। तान्या ने अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रखकर अपनी जांघों पर दबाने लगी और दूसरा हाथ मेरी जींस के अंदर डालकर मेरे लिंग को अंडरवियर के अंदर से निकालने की कोशिश करने लगी। मैंने अपना हाथ सरकाते हुए जींस के उपर से तान्या की योनि के उपर रख दिया और उसकी योनि को जींस के उपर से ही मसलने लगा।
तान्या ने अपना हाथ मेरे हाथ पर से हटा लिया था और उस हाथ को अपनी चूचियों पर रख कर अपनी चूचियों को मसलने लगी।
सोनल मेरे गालों को चाट रही थी और साथ ही अपने दांतों से धीरे धीरे काट भी रही थी। मेरे गालों को चूमते हुए ही सोनल ने मेरे कान के नीचे के हिस्से को अपने होंठों में जकड़ लिया और चुभलाने लगी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था, उपर सोनल के होंठ और नीचे तान्या का हाथ। ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग में पहुंच गया हूं।
अचानक सोनल ने मुझे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया। तान्या ने अपना हाथ एकदम से मेरी जांघों पर से हटा लिया और हमारी तरफ देखने लगी। सोनल ने मेरे उपर लेटते हुए अपने लब मेरे लबों पर रख दिये और वाइल्ड तरीके से किस करने लगी। मैंने भी जवाब देते हुए उसके होठों को अपने दांतों में दबा के हल्का सा काट लिया। सोनल ने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ा हुआ था और अपनी चूचियों को मेरी छाती में रगड़ रही थी। अचानक तान्या खड़ी हुई और सोनल के पास आकर उसने उसके कुल्हों पर हाथ फिराने शुरू कर दिये। सोनल ने एकदम से पिछा देखा और तान्या को कुल्हे सहलाते देखकर मुस्करा दी और वापिस से मेरे होठों में खो गई। तान्या खड़ी खड़ी मेरी आंखों में देख रही थी और सोनल के कुल्हों ओर कमर पर हाथ फेर रही थी। तान्या ने सोनल के कमीज को कुल्हों पर से उपर उठा दिया और उसकी आधी कमर को नंगी कर दिया और उसकी नंगी कमर को सहलाने लगी। तान्या के नरम नरम हाथ अपनी नंगी कमर पर महसूस करते ही सोनल के शरीर ने एक झटका खाया और उसके मुंह से आह की आवाज निकली जो हमारे होठों की लड़ाई में गुम हो गई। मैं अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर तान्या की जांघों को साइड में से पकड़ लिया, क्योंकि मेरा हाथ वहीं तक पहुंच रहा था। मैंने तान्या की टीशर्ट को पकड़कर उसके थोड़ा अपनी तरफ खींचा और अपने एक हाथ से ही उसकी जींस का हुक खोलने की कोशिश करने लगा, पर सफल न हो सका। तान्या मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी, और मुझे असफल होता देखकर मेरी तरफ जीभ निकाल रही थी।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:13 PM,
#19
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--19
गतांक से आगे ...........
मैंने आंखों के इशारे से उसे हुक खोलने के लिए कहा, पर उसने अपने कंधे उचका दिये और मेरी तरफ जीभ निकाल दी। वो लगातार मेरी आंखों में ही देखे जा रही थी। कुछ बीयर का नशा और कुछ वासना की आग, उसकी आंखें एकदम लाल हो गई थी। अचानक सोनल ने अपना हाथ नीचे की तरफ करके मेरी जांघों पर ले आई और मेरी जींस का हुक ढूंढने लगी। परन्तु जब उसका हाथ मेरे नंगे लिंग से टकराया तो वो हैरान होकर थोड़ा उपर उठी और मेरी जांघों की तरफ देखने लगी। मेरे लिंग को तो तान्या ने पहले ही जींस और अंडरवियर में से आजाद कर दिया था।
सोनल मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और अपना हाथ में मेरे लिंग को जकड़ते हुए वापिस से मेरे होठों पर टूट पड़ी। वो अपने हाथ से मेरे लिंग को दबा रही थी। लगातार किस की वजह से मेरे होंठ दर्द करने लगे थे।
तान्या ने अपना हाथ हमारी जांघों के बीच में डाल दिया और उसका हाथ मेरे लिंग को पकड़े हुए सोनल के हाथ से जा टकराया जो मेरे लिंग की जड़ों को छूने लगा। दो दो लड़कियों के हाथों को अपने लिंग पर महसूस करते ही मेरे लिंग ने स्वागत में दो बूंदे रस टपका दिया जो सोनल के हाथ पर लगकर गुम हो गया।
तान्या ने मेरी गोलियों को पकड़ा और हलका सा दबा दिया। मेरे पैर एकदम अकड़ गये और कमर उपर को उठ गई। थोड़ी देर मेरी गोलियों को दबाने के बाद तान्या ने अपना हाथ हटा लिया और सोनल की जींस का हुक खोलने लगी। तान्या का हाथ बार बार मेरे लिंग और सोनल के हाथ से टकरा रहा था। सोनल का हुक खोलने के बाद उसने अपना हाथ हमारे बीच में से निकाल लिया और अपने दोनों हाथों से पकउ़कर सोनल की जींस को उतारने लगी। सोनल ने अपने कुल्हों को थोड़ा सा उपर उठा दिया जिससे जींस आसानी से कुल्हों से नीचे पहुंच गई।
तान्या ने अपने हाथ सोनल के नंगे कुल्हों पर टिका दिए और मसलने लगी। सोनल और भी ज्यादा वहशीपने से मेरे होठों को काटने और चूसने लगी। अब मेरा लिंग सोनल की नंगी जांघों से टकरा रहा था। सोनल ने अपने हाथ को एडजस्ट करते हुए मेरे लिंग को उसकी योनि पर सैट कर दिया और उपर नीचे होकर मेरे लिंग को अपनी योनि पर सहलाने लगी। उसकी योनि से निकलते रस से मेरा लिंग एकदम गीला हो गया। मैंने भी अपने हाथ सोनल के नंगे कुल्हों पर रख दिये जो सीधे तान्या के हाथों पर जाकर टिके। तान्या ने मेरी तरफ देखा और मैंने उसकी तरफ आंख मार दी।
तान्या थोड़ा नीचे झुकी और सोनल के कुल्हों पर एक पप्पी दे दी। अपने नंगे कुल्हों पर किसी लड़की के होठों को महसूस होते ही सोनल के शरीर ने झटका खाया और उसकी योनि ज्यादा पानी बहाना शुरू कर दिया। उसकी योनि से निकलता पानी मेरी जांघों पर गिर रहा था और नीचे की तरफ जाकर मेरी जींस और अंडरवियर को भिगो रहा था। मैंने तान्या के हाथ को पकउ़कर अपनी जींस पर रखकर उसे नीचे करने का इशारा किया। वो मेरा इशारा समझ गई और मेरी जींस को पकड़कर नीचे खिसकाने लगी। मैंने अपनी कमर को उपर उठाया और उसने एक झटके में मेरी जींस घुटनों तक पहुंचा दी। वो पीछे की तरफ गई और सोनल की जींस को पकड़कर पेंटी के साथ ही उसके पैरो से अलग कर दिया और फिर मेरी जींस को भी अंडरवियर के साथ मेरे पैरों से निकाल कर साइड में रख दिया और फिर आगे आकर हमारे साइड में बेड पर बैड गई और कभी सोनल के कुल्हों को तो कभी साइड से मेरी जांघों पर हाथ फिराने लगी।
सोनल उसी तरह से अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ रही थी और मेरे लबों को काट और चूस रही थी। शायद आज मेरे लबों से सारा रस निकालने का प्लान बनाकर आई थी जो उन्हें छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने अपनी जीभ सोनल के मुंह में डाल दी और वो उसे चुसने लगी और अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी। बहुत मजा आ रहा था।
अचानक तान्या ने अपनी उंगली सोनल के गुदा द्वार पर रखकर थोड़ी सी अंदर की तरफ दबा दी। सोनल आह करते हुए एकदम से अकड़ गई और कुछ मेरे लिंग की मसाज और कुछ तान्या का उसकी गुदा से छेउ़छाड़ वो सहन नहीं कर पाई और उसकी योनि ने ढेर सारा जूस मेरी जांघों पर निकालना शुरू कर दिया। उसने मेरे सिर को जोरों से पकउ़ लिया और मेरे लिंग पर अपनी योनि को जोर जोर से रगड़ने लगी। जोश में वो कुछ ज्यादा ही आगे हो गई और जब वापिस पिछे केा हुई तो मेरा लिंग सीधा उसकी योनि के अंदर फचाक से पहुंच गया। मेरा लिंग सीधा उसके गर्भाश्य से जाकर टकराया और के शरीर ने एक और झटका खाया और वो बहुत ही तेजी से मेरी लिंग को अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसका शरीर एकदम शांत हो गया और वो निढाल होकर मेरे उपर लेट गई। उसने अपने चेहरे को मेरे कंधे पर टिका दिया और जोर जोर की सांसे लेने लगी। उसके तेज धक्कों से मैं भी झड़ने के करीब पहुंच गया था, पर वो मेरे झडने से पहले ही निढाल होकर गिर पड़ी तो मैं अभी झडने से रह गया। मैं भी अभी झडना नहीं चाहता था क्योंकि सामने एक नई कली जो थी, उसको भी तो चखना था अभी।
मैंने करवट ली और सोनल को बेड पर लिटा दिया, उसने अपनी आंखें खोलकर मेरी तरफ देखा और फिर से अपनी आंखें बंद करके आराम से लेट गई।
मैंने तान्या की तरफ देखा वो बैड पर बैठी हुई हमें देख रही थी। मैंने एकबार सोनल की तरफ देखा वो आंखें बंद किए लेटी हुई हल्के हल्के मुस्करा रही थी।
फिर मैं वापिस तान्या की तरफ मुडा.

मैंने तान्या की तरफ देखा वो बैड पर बैठी हुई हमें देख रही थी। मैंने एकबार सोनल की तरफ देखा वो आंखें बंद किए लेटी हुई हल्के हल्के मुस्करा रही थी।
फिर मैं वापिस तान्या की तरफ मुडा और उसका हाथ पकउ़कर अपने पास खींच लिया। वो तो तैयार बैठी थी, बस हल्के से झटके में ही मेरे उपर आकर लुढक गई। मैंने उसके चेहरे को पकड़कर उपर उठाया और उसकी आंखों में देखते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये। उसके होंठ लरज रहे थे। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथ मेरे सिर के पिछे ले जाकर मेरे चेहरे को कस कर अपनी तरफ दबा लिया और मेरे होठों को काटने और चूसने लगी। उसने अपनी जीभ मेरे होठों पर फिराई और मेरे होठों के बीच में घुसा दी। मैंने अपने होठों को हलका सा खोला और उसकी जीभ सीधे मेरे मुंह में प्रवेश कर गई। मैंने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया। मेरे हाथ तो कब के उसकी चूचियों पर पहुंच चुके थे। उसकी चूचियों एकदम तनकर कड़क हो गई थी। कुर्ती के उपर से मजा न आने के कारण मैंने अपने हाथों से उसकी कुर्ती की किनारियों को पकड़ा और उसकी कुर्ती को उपर की तरफ खींच दिया। उसने अपने होंठ मुझसे अलग किए और अपने हाथ उपर कर दिये। मैंने उसकी कुर्ती उसके शरीर से अलग करके साइड में रख दी। कुर्ती के नीचे उसने बस गुलाबी ब्रा पहनी हुई थी। मैंने ब्रा के उपर से ही उसके स्तनों को पकड़ा और दबाने लगा। उसने वापिस मेरे होठों को जकड़ लिया और उन्हें अपने दांतों के बीच में लेकर चुभलाने और काटने लगी। मैं अपने हाथों को पीछे ले गया और उसके ब्रा के हुक को खोल दिया। हुक खुलते ही मैंने उसकी ब्रा को उतारकर एक तरफ रख दिया और अपने होंठ उसके पर्वत की तरह तने ही उभारों पर रख दिया। उसके मुंह से सिसकारी निकली और उसने अपने हाथ मेरे सिर पर रखकर अपनी छाती में दबाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी घाटी में फिराई तो वो मचल गई और अपनी जांघों को आपस में रगड़ने लगी। उसके मुंह से लगातार आहहहहह ओहहहह सीइइइइ की आवाजें निकल रही थी। मैंने उसके दूसरे स्तन को हाथ में पकड़ लिया और उसके निप्पल को चुभलाने लगा। वो मछली की तरह तड़पने लगी और मेरे बालों में अपना हाथ घुमाने लगी। मैं अपना दूसरा हाथ उसकी कमर में ले गया और उसकी नंगी कमर को सहलाने लगा।
तान्या ने अपना एक हाथ मेरी जांघों में घुसा दिया और मेरे लिंग को सहलाने लगी। मैंने उसकी दूसरी चूची को अपने मुंह में ले लिया और उसके निप्पल पर हलके हलके काटने लगा। वो भी मेरे लिंग को जोर से दबाने लगी जैसे बदला ले रही हो। मैंने तान्या को घुटनों पर खड़ा किया और खुद भी खड़ा हो गया। मैंने जल्दी से तान्या की जींस को खोलकर उसके कुल्हों से निकाल दिया और फिर उसको सोनल के पास ही लिटा दिया और उसके पैरो को उपर करके उसकी जींस को पेंटी के साथ ही उसके शरीर से अलग कर दिया। अब मेरे सामने दो दो मदमस्त नंगी जवानी बेड पर लेटी थी। मैं तान्या की जांघों के बीच में आया और उसकी टांगों को दोनों तरफ फैला कर अपना मुंह उसकी योनि पर रख दिया। अपनी योनि पर मेरे महसूस करते ही उसकी गीली योनि ने जोरों से पानी बहाना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ मेरे बालों में और दूसरा उसके स्तनों पर कहर ढा रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके कुल्हों को पकड़ा और उसको उपर की तरफ उठा कर अपनी जीभ उसकी योनि की फांकों में घुसा दी। वो एकदम सिसक उठी और उसने अपनी कमर को और भी उपर उठा दिया जिससे मेरा मुंह उसकी योनि पर दब गया। उसका शरीर एकदम अकड़ा और उसकी योनि में से अमृत रस जोरों से बहने लगा। मैंने अपनी जीभ उसके रस में भिगोई, उसका स्वाद सोनल के जूस से कुछ ज्यादा अच्छा था। सारा रस निकलने के बाद वो भी सोनल की तरह निढाल होकर बेड पर धडाम से गिर पड़ी। मैंने फिर से अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी और अपने हाथ उसके स्तनों पर कस दिये। थोड़ी ही देर में वो फिर से गरम हो गई। अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और मैं उठकर उसकी जांघों के बीच में आ गया और अपना लिंग उसकी योनि पर रगड़ने लगा। वो बार बार नीचे से अपने कुल्हें उठा कर मेरे लिंग को अंदर डालने का प्रयास कर रही थी पर मैं अंदर नहीं डाल रहा था। तान्या ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरे लिंग को पकड़ लिया और अपनी योनि के द्वारा पर सैट करके नीचे से अपने कुल्हे उचका दिये, पर मैं भी उसके उपर उठने के साथ ही थोड़ा उपर हो गया, जिससे लिंग फिसल कर उसके दाने को कुचलता हुआ उसके पेट पर रगड़ गया। वो सित्कार उठी और अपने सिर को बेड पर इधर उधर पटकने लगी। फिर तान्या ने मेरी तरफ देखा और फुर्ती से मेरे हाथों को पकड़ कर मुझे अपने उपर खींच लिया और घुम कर मुझे अपने नीचे लेटा लिया। मैं उसकी फुर्ती देखकर हैरान रह गया। मेरे उपर आकर वो मेरी आंखों में देखकर मुस्कराई और मेरे लिंग को पकडकर अपनी योनि पर सैट कर दिया। उसने एक आह निकाली और धम से मेरे लिंग पर बैठ गई। मेरा आधा लिंग उसकी कुंवारी योनि को चीरता हुआ अंदर घुस गया और उसके मुंह से एक जोर की चीख निकल गई। वो एकदम कुंवारी थी। उसकी झीली फट गई थी और उसका गर्म खून मेरे लिंग से बहता हुआ नीचे को जा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि उसकी योनि ने मेरे लिंग को बुरी तरह जकड़ लिया है। मैं तो स्वर्ग में पहुंच चुका था। वो उसी स्थिति में बैठी रह गई, उसकी आंखों से झर झर आंसू निकल रहे थे। थोड़ी देर वो ऐसे ही बैठी रही और फिर उपर उठने लगी। मैं समझ गया कि अब ये बाहर निकाल देगी और सारा मामला गड़बड़ हो जायेगा। मैंने उसके हाथों को पकउ़ कर उसे अपने उपर खींच लिया। वो चिखती हुई मेरे उपर धड़ाम से गिर गई। मेरा लिंग थोउ़ा सा और उसकी योनि में घुस गया था। मैंने अपने दोनों हाथों को उसके कुल्हों पर कस दिया और अपने पैरों को बेड पर मोडकर रख दिया। वो मेरे लिंग को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, पर मैंने उसके कुल्हों को नीचे दबा रखा था, जिससे वो सफल नहीं हो पा रही थी, दर्द की वजह से वो ज्यादा हिल ढुल नहीं रही थी।
उसकी चीख सुनकर सोनल उठ गई थी और अपना मुंह फाड़कर हमें देख रही थी।
मैंने अपने हाथों को उसके कुल्हों पर कसकर नीचे से एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग पूरा का पूरा उसकी योनि में घुस कर उसके गर्भाश्य से जा टकराया। तान्या के मुंह से एक और चीख निकली और उसकी आंखूं से निकलते आंसूं मेरे गालों पर टपकने लगे। मैं कुछ देर के लिए रूक गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके आंसुओं को पीने लगा। मैं उसके उभारों को साइड में से पकड़कर सहलाने लगा। जल्दी ही उसका दर्द कम हो गया और वो अपने कुल्हों को हिलाने लगी। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके कुल्हों को पकड़कर थोड़ा उपर उठाया और लिंग को थोड़ा सा बाहर निकालकर एक और धक्का लगाया। वो फिर दर्द से तिलमिलायी।

उसकी हालत देखकर सोनल ने अपने हाथ उसकी कमर और कुल्हों पर फिराने शुरू कर दिये।
सोनल उठकर पीछे गई और नीचे लेटकर उसकी योनि पर अपनी जीभ रखकर सहलाने लगी। मुझे उसकी गीली जीभ अपने लिंग पर महसूस करके बहुत मजा आ रहा था। सोनल के इस हरकत ने जादू का काम किया और जल्दी ही तान्या मेरे उपर से उठते हुए मेरे छाती पर अपने हाथ रखकर मेरे लिंग पर बैठ गई। उसने मेरी आंखों में देखते हुए धीरे से अपने कुल्हों को उठ उठाकर मेरे लिंग को आधा बाहर निकाला और थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद फिर से मेरे लिंग पर बैठ गई। सोनल अब मेरी गोलियों को चाट रही थी। तान्या नीचे बैठी तो उसके कुल्हे सोनल के सिर पर जाकर लगे जिससे सोनल को प्रॉब्लम हुई और वो वापिस से हमारे साइड में आ गई। और तान्या के स्तनों को पकड़कर मसलने लगी।
सोनल के हाथ लगते ही तान्या ने अपने कुल्हों को उपर उठाया और फिर धम से नीचे बैठ गई। मेरा लिंग सीधा उसके गर्भ द्वार से टकरा रहा था। उसकी योनि ने पूरी तरह से मेरे लिंग को जकड़ा हुआ था, जिससे मैं जल्दी ही झडने के करीब पहुंच गया। मैंने तान्या को पकड़कर बिना लिंग को उसकी योनि से निकाले उसको बेड पर लिया दिया और उसकी टांगे अपने कंघे पर टिकाकर तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिये।
तान्या के मुंह से बस आहहहहहहहहहहहह ओहहहहहहहहहहह इइइइइइइइइइइइइइइ सीइइइइइइइइइइ की आवाजें निकल रही थी। उसकी आंखें बंद थी।
मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिये। जल्दी ही मेरे लिंग ने उसकी योनि में अपने रस की बौछार शुरू कर दी। अपनी योनि में मेरे गर्म गर्म रस की बौछार महसूस करके वो उसका शरीर भी अकड़ गया और उसकी योनि ने अपना जूस निकालना शुरू कर दिया। पूरा रस निकाल कर मैं उसके उपर लेट गया और गहरी सांसे लेने लगा। तान्या ने अपने हाथों से मेरी कमर सहलाने लगी। थोड़ी देर में मेरा लिंग छोटा होकर बाहर निकल आया।
सोनल भी हमारे साइड में लेट गई और मेरी कमर को सहलाने लगी। ऐसे ही लेटे लेटे कब हमें नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह पांच बजे जब अलार्म बजा तो मेरी आंख खुली। मैं अभी भी तान्या के उपर ही लेटा हुआ था। तान्या और सोनल आराम से सो रही थी। सोनल का हाथ मेरी कमर पर था और तान्या का एक हाथ सोनल के सिर के नीचे और दूसरा मेरे और उसके बीच में।
मैं हल्के से सोनल का हाथ हटाकर बेड पर रख दिया और तान्या के उपर से उठकर अलार्म को बंद किया और बाथरूम में आ गया। मैंने खुद को साफ किया और एक बढ़िया सा बाथ लेकर जब बाहर आया तो तान्या उठ चुकी थी, सोनल अब भी सो रही थी। मैंने तान्या से इशारे से सोनल को उठाने के लिए तो उसने सोनल को उठा दिया। सोनल अंगडाई लेते हुए उठी और तान्या की तरफ देखकर मुस्करा दी। तान्या शर्म से मुझसे और सोनल से नजरें नहीं मिला पा रही थी। सोनल ने उसका चेहरा उपर किया और उससे पूछा।
सोनल: रात को मजा आया मेरी जान।
तान्या ने अपना चेहरा नीचे करते हुए सिर हिलाकर हां कहा।
सोनल ने टाइम पूछा तो मैंने सवा पांच बताया।
सोनल (जल्दी से उठते हुए): अब जल्दी से अपने कपड़े पहन ले, नहीं तो मम्मी उठ गई होगी ना तो फिर तुम्हारे घरवाले अलग ही मजा देंगे।
सोनल की बात सुनकर तान्या जल्दी से उठी और अपने कपड़े ढूंढकर पहन लिए। कपडे पहनकर सोनल मेरे पास आई मेरे गालों पर पप्पी देकर बायें कहती हुई तान्या के साथ नीचे चली गई।
मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर छत पर आ गया।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:13 PM,
#20
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--20
गतांक से आगे ...........
गली के आखिरी कोने पर रहने वाली आंटी अपनी मस्त जवान बेटी के साथ पार्क की तरफ जा रही थी तो मैंने भी सोचा चलो पार्क में चलते हैं। पर मुझे सिर में हलका दर्द महसूस हो रहा था इसलिए पार्क में जाने का प्रोग्राम केंसिल कर दिया। मैं वापिस आकर अंदर बेड पर लेट गया। रात की नींद पूरी नहीं हुई थी तो थोड़ी ही देर में मेरी आंख लग गई और गहरी नींद में चला गया।
उठठठठठठठठो जब देखो सोते ही रहते हो।
मैं सोते सोते ही उउउउहूुुहूहूहू करके वापिस सो गया।
मुझे बहुत जोर की नींद आई हुई थी और आंखें भी नहीं खुल रही थी। तभी मेरे मुंह पर एक दम ठंडे पानी के छिंटे आकर गिरे।
पानी गिरते ही मुझे लगा कि शायद बारिश आ गई और मैं एकदम से उठ कर बैठ गया और आंखें मसलने लगा। उठकर देखा कि मैं तो अंदर सो रहा हूं। मेरे कानों में किसी के हंसने की आवाज पड़ी।
मैंने आंखों को खोलते हुए सामने देखा तो सोनल और तान्या खड़ी खड़ी हंस रही थी। सोनल ने अपने हाथ में गिलास पकउ़ रखा था। मैं फिर से आंखें बंद करके लेटने लगा तो सोनल ने मेरे चेहरे पर सीधा गिलास से पानी गिराना शुरू कर दिया। मैं वापिस बैठ गया और आधी खुली आंखों से उनकी तरफ देखने लगा।
तान्या मेरे पास आकर बैठ गई।
सोनल: अब उठ भी जाओ। 4 बज गये हैं, सुबह आई थी तब भी सो रहे थे।
सोनल की बात सुनकर मैंने वैसे ही अधखुली आंखों से घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे। फिर मैंने साइड से अपना मोबाइल उठाकर उसमें टाइम देखा तो उसमें भी चार बजने वाले थे।
मैंने वापिस सोनल की तरफ देखा, वो खड़ी खड़ी हंस रही थी।
मुझे जोरों की नींद आई हुई थी और बिल्कुल भी उठने का मन नहीं कर रहा था। मैं फिर से लेटने लग गया, पर सोनल ने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और ऐसा करने से मैं पलटी खाते हुए बैड पर लुढक गया। मेरा सिर सीधा बेड पर बैठी तान्या की गोद में चला गया। मैं वैसे ही लेट गया। तान्या ने अपने हाथ मेरे सिर रख दिये और मेरे बालों और गालों को सहलाने लगी। मैं भी उसके कोमल स्पर्श का आनंद लेते हुए सोने की कोशिश करने लगा।
अचानक तान्या ने अपने होंठे मेरे कानों के पास किए और ऐसी बात कही कि मेरी नींद एकदम पूरी तरह से गायब हो गई।
तान्या (बहुत ही धीमी आवाज में): मेरे घरवालों को रात के बारें में सब पता चल गया है, और वो बहुत गुस्सा हो रखे हैं।
उसकी बात सुनते ही मैं एक ही झटके में उठकर बैठ गया और आश्चर्य से कहा।
मैं: क्या? कैसे पता चल गया।
तान्या: वो कंचन जब अपने घर पर गई तो उसके भैया को पता चल गया कि उसने पी रखी है, तो उसने अपने मम्मी पापा को बता दिया। फिर उसके मम्मी पापा मेरे घर पे आए और मेरे मम्मी पापा को ताने देने लगे कि तुम्हारी लड़की के साथ रहती है, उसने ही बिगाड़ दिया इसको। जिससे मेरे मम्मी पापा को भी पता चल गया कि मैंने भी पी थी। अब वो बहुत गुस्से में हैं। सुबह जब मैं घर गई तो बहुत भला-बुरा सुनाया।
मैं (राहत की सांस लेते हुए): ओह! गोड! तुने तो मुझे डरा ही दिया था।
सोनल: क्यों! तुम क्यों डर गए थे, कोई तुम्हारे घर वालों को थोड़े ही पता चला है।
मैं: अरे यार, मैंने सोचा कि रात के बारे में पता चल गया।
सोनल: तो रात के बारे में ही पता चला है, दिन के बारे में नहीं।
मैं: अरे मेरे कहने का मतलब है कि, जो रात को हम तीनों ने किया था, उसके बारे में।
मेरी बात सुनकर तान्या के गाल एकदम लाल हो गये और उसने अपना सिर नीचे झुका लिया।
सोनल: चलो चलो, अब जल्दी से उठ कर फ्रेश हो जाओ। फिर मेरे को फ्रेंड के घर छोउ़ के आना। मेरी स्कूटी स्टार्ट नहीं हो रही है।
मैं तान्या के गालों को भींचता हुआ उठ गया और सीधा बाथरूम में घुस गया। मैं नहा-धोकर बाहर आया। वो दोनों अभी भी वहीं पर बैठी थी। मैंने टॉवल लपेट रखा था, तान्या मुझे घूर घूर कर देखे जा रही थी। मैंने उसकी तरफ आंख मारी और अलमारी में से कपड़े निकाल के पहन लिए। मुझे जोरो की भूख लगी थी।
मैं: कुछ खाने को मिलेगा, या ऐसे ही चलूं।
सोनल: ठीक है, चलो रस्ते में खा लेंगे।
मैंने कहा ठीक है और रूम को लॉक लगाकर हम नीचे आ गये।
मैंने अपनी बाईक निकाली। सोनल मेरे पीछे बैठ गई और तान्या उसके पीछे।
सोनल मुझे रास्ता बताती गई और हम उसकी दोस्त के घर पहुंच गये। पास में ही था, मालवीया नगर में ही, मॉडल टाउन में। वहां पर काफी चहल पहल थी। शायद कोई फंक्शन था। मैंने घर के सामने ले जाकर रोक दी। सोनल और तान्या उतर गई। तभी अंदर से एक बहुत ही खूबसूरत लड़की लगभग भागती हुई बाहर आई और सोनल के गले लग गई। मैं तो उसको देखता ही रह गया। अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही होगा, यही कोई उन्नीस के आसपास होगी। उसके उभार सोनल के उभारों से टकरा गए, मानों खुले मैदान में आने की चुनौती दे रहे हों। मेरा तो एकदम तन गया उनको गले मिलते देखकर। सच कहूं तो, पहली बार दो लड़कियों को इस तरह गले मिलते देखा था, बहुत ही गर्म और शानदार नजारा था। सोनल के हाथ उसकी कमर में थे और उसके हाथ सोनल के गले में। साइड से उस लड़की के मस्त गदराये हुए कुल्हों का नजरा एकदम शानदार नजर आ रहा था। उसके कुल्हे कोई पहाड़ जैसे तो नहीं थे, पर बहुत ही शानदार शेप में थे, उसकी कुर्ती उसके कुल्हों से बस थोड़ा सा नीचे तक थी जो गले मिलते हुए उपर को होकर उसकी जींस में से उसके मस्त कुल्हों का ललचाने वाला दृश्य दिखा रही थी। सोनल से मिलते हुए उसकी नजर मेरे उपर पडी। उसने सोनल के कान के पास अपने रसीले होंठ लाकर कुछ फुसफुस की। सोनल ने मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी। मैं अभी भी बाईक पर ही बैठा था। सोनल ने भी उसके कान में कुछ कहा और मेरी तरफ बढ़ गई। मेरे पास आकर उसने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।
लड़की: हाय! मैं नवरीत अहलुवालिया।

मैंने भी अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया।
मैं: समीर!
उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। बहुत ही मुलायम और कोमल हाथ था। मैं उसका हाथ पकडे पकड़े ही उसके चेहरे की तरफ देखता रहा। एकदम तीखे नयन नक्श, दूध जैसा गोरा रंग, चेहरे पर कोई भी दाग नहीं, बिल्कुल बेदाग। थोड़ी थोड़ी हल्की नीली नीली आंखें। मैं तो उसके चेहरे में गुम सा हो गया। जब मैंने कुछ देर तक उसका हाथ नहीं छोउ़ा तो उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे चेहरे के सामने चुटकी बजाई।
नवरीत: हैल्लो! कहां खो गये जनाब।
मैं जैसे नींद से जागा हों, जैसे समां में मधुर संगीत बज रहा हो, ऐसी उसकी आवाज। बहुत ही मीठी और प्यारी।
मैंने अनमने मन से उसका हाथ छोउ़ दिया। वो मंद मंद मुस्करा रही थी। फिर तान्या ने उससे हाय कहा। वो तान्या की तरफ मुड गई और उसका भी गले लगकर जोरदार स्वागत किया।
फिर उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए उन दोनों का हाथ पकड़कर अंदर खींच ले गई।
जाते जाते सोनल ने बायें कहा और उसके साथ अंदर चली गई।
मैं ठगा सा वहीं खड़ा उनको अंदर जाते देखता रहा, पर वो तो अंदर जाते ही गुम हो गई।
नवरीत मेरे दिमाग पर पूरी तरह छा गई थी। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में आज तक इतनी खूबसूरत और प्यारी लड़की नहीं देखी थी।
उसके शरीर के कसाव से लग रहा था कि अभी कोरी, अनछुई ही है।
तभी वो सोनल के साथ जल्दी-जल्दी बाहर आई और मुझे वहीं खड़ा देखकर खुश होते हुए बोली।
नवरीत: अरे आप अभी तक यहीं हैं, गये नहीं (और ये कहकर हंसने लगी)।
उसकी बात सुनकर मैं बुरी तरह झेंप गया और हेलमेट पहनने लगा। पर बीच में ही सोनल बोल पड़ी।
सोनल: अरे रूको, तो। वो नवरीत कह रही है कि चाय पीकर जाना।
मैं (नवरीत की तरफ हाथ करते हुए): ये! इसे तो टेंशन हो रही है कि मैं अभी तक यहां क्यों खड़ा हूं, चाय के लिए क्या पूछेगी।
मेरी बात सुनकर नवरीत संजीदा हो गई और मेरे पास आकर बोली।
नवरीत: सॉरी, वो तो बस ऐसे ही मजाक कर रही थी, प्लीज आईये ना, चाय तो पीकर जाइये।
मैं तो बस उसके खुलते और बंद होते गुलाब के पंखुड़ियों जैसे लबों को ही देख रहा था। उसने इतने प्यार और अपनेपन से कहा, फिर मैं कैसे ना कर सकता था।
मैंने हेलमेट को बाइक पर रखा और बाईक को साइड में खड़ा कर दिया।
वो दोनों अंदर चल दी और उनके पीछे पीछे मैं।
नवरीत: सोनल ने पहले नहीं बताया कि आप इनके यहीं पर रहते हैं, नहीं तो मैं पहले ही कह देती, आप खामखां इतनी देर बाहर ही खड़े रहे।
पूरी कोठी को बहुत ही शानदार तरीके से सजाया हुआ था। अंदर लड़कियों और लेड़िजों की काफी चहल पहल थी।
वो मुझे उपर ले आई, उपर कोई नहीं था। हम कमरे में आ गये। तान्या अंदर ही बैठी थी।

मुझे बैठाकर नवरीत और सोनल बाहर चली गई। मैंने तान्या की तरफ देखा, वो पैर के अंगूठे से अपनी सैंडिल को कुरेद रही थी।
मैं: इस बेचारे को किस बात की सजा दे रही हो, खता तो मैंने की है।
मेरी बात सुनकर तान्या का चेहरा एकदम लाल हो गया, उसने हल्के से पलके उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर वापिस हया से अपनी पलकें झुका ली।
मैं: इतना सब पता चलने के बाद भी तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें बाहर जाने से रोका नहीं।
तान्या ने मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखा और मेरी बात को समझते हुए कहा।
तान्या: अरे पापा तो इतना गुस्सा हो गये थे कि मुझे लगा कि अब मेरा घर से निकलना बंद। पर मेरी प्यारी प्यारी मॉम भी तो है। मॉम ने पापा को झिडक दिया कि अभी मस्ती नहीं करेगी तो क्या मेरी तरह बूढी होकर करेगी। आप तो खामखां मेरी बच्ची के पिछे पड़े हो। कौन नहीं पीता आजकल। और फिर पीने में बुराई ही क्या है, आप भी तो पीते हो।
तान्या: पता है, जब मम्मी ने मेरी साइड ली ना तो मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर तो पापा कुछ कह ही नहीं पाए।
मैं: वॉव। अगर मेरे घर वालों को पता चल गया ना कि मैंने पीनी शुरू कर दी है तो उसी दिन कह देंगे कि बेटे इब तू म्हारा कोन्या रह्या, तेर मैं दारू का रोग लाग्गया, इब तै तू आपना न्याराए ठिकाना टो ले। इब तै तू दारू का हो गया।
मेरी बात सुनकर तान्या हंसने लगी।
तान्या: सब सिर के उपर से गया, कुछ भी समझ में नहीं आया क्या कहा आपने।
मैं: मेरा मतलब घर वालें कहेंगे कि, बेटा, अब तू हमारा नहीं रहा, अपना अलग ठिकाना जमा ले।
मेरी बात सुनकर तान्या मुसकराने लगी।
तान्या: ऐसा कुछ नहीं है जी, मम्मी पापा हर गलती को माफ कर देते हैं।
तभी नवरीत और सोनल हाथों में थाली लेकर अंदर दाखिल हुई। थाली देखते ही मेरी भूख एकदम बढ़ गई। सोनल ने थाली बेड पर रखी और साइड में रखी टेबल को मेरे सोफे के सामने कर दिया। नवरीत ने अपने हाथों में पकड़ी थाली टेबल पर रख दी और सोनल भी अपनी थाली को बेड पर से उठा लाई और टेबल पर रख दी।
मैं अभी आई कहते हुए नवरीत वापिस बाहर चली गई।
पूड़ियों की महक ने भूख को और भी बढ़ा दिया। सोनल मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गई।
मैं: थैंक्स! याद रखने के लिए।
सोनल: अब ज्यादा थैंक्स-वैंक्स करने की जरूरत नहीं है, नही ंतो आगे से भूखे ही रहना पडेगा।
मैं: ओके बाबा! सॉरी।
सोनल आंखें दिखाते हुए मुझे घूरने लगी।
मैंने अपने कान को पकड़ा और खाने की तरफ धयान लगा दिया। एक थाली में चार कटोरियों में सब्जी थी, देखने से तो दो प्रकार की ही लग रही थी, दो कटोरियों में हलवा था और दो कटोरियों में खीर। दूसरी थाली में काफी सारी पूडियां रखी हुई थी। शायद सभी साथ में ही खाने वाले थे।
तभी नवरीत हाथ में जग और गिलास पकडे हुए अंदर आ गई। उसने जग और गिलास को टेबल पर रखा।
नवरीत: अरे आपने अभी तक खाना शुरू नहीं किया।
मैं: बस आपका ही इंतजार कर रहा था।
नवरीत: मेरा क्यों, खाना तो आपको खाना है।
मैं: आप ही तो कहकर गई थी कि अभी आइ्र्र।
मेरी बात सुनकर सभी हंसने लगे।
मैं: अरे यार तान्या, तुम अभी तक वहंी बैठी हो, अब क्या नीचे से गाने वाली बुलानी पडेगी, आओ जल्दी से, मुझे बहुत भूख लगी है।
तान्या: मुझे भूख नहीं है तो मैं क्यों आउं। आप खा लो।
मैं: अरे ये इतना सारा खाना लेकर आई हैं, तो मैं अकेला थोड़े ही खाउंगा।
नवरीत ने दो चेयर टेबल के पास रख दी और तान्या का हाथ पकड़कर उठा कर चेयर पर बिठा दिया और खुद दूसरी चेयर पर बैठ गई।
सोनल ने पूडी उठाई और एक कौर तोड़कर सब्जी लगाकर मेरे होठों से लगा दी। मैंने नवरीत की तरफ देखा, वो हमें देखकर मुस्करा रही थी। मैंने मुंह खोला और खाने का कौर मेरे मुंह के अंदर। फिर मैंने भी पूड़ी से एक कोर तोड़ा और सोनल को खिला दिया। सोनल को खिलाने के बाद मैंने दूसरा कौर तोड़ा और नवरीत के सामने कर दिया। शायद नवरीत यह एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी, इसलिए थोड़ी हैरान हुई, पर फिर अपना मुंह खोल दिया और मेरे हाथ को पकड़कर अपना मुंह आगे करके कौर खा लिया। मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए अपनी उंगलियों को उसके होठों पर ज्यादा दबा दिया। उसने भी मेरी उंगलियों को अपने होठों में भींच लिया। पर तुरन्त ही अपने हाथ से मेरे हाथ को पिछे कर दिया। मैंने अपनी उंगलियां अपने होठों में दबा ली, जैसे उसके होठों का रस पी रहा हो। वो मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और नीचे चेहरा कर लिया। फिर मैंने तान्या को भी एक कौर खिलाया। और फिर सभी खाने लगे। उन तीनों ने तो थोड़ा थोड़ा ही खाया। मेरा पेट भर गया था।
क्रमशः.....................
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