Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:15 PM,
#31
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--31
गतांक से आगे ...........
मेरी आवाज सुनते ही कोमल (जो कि अपूर्वा के चेयर के साथ थोड़ी झुक कर खडी थी, शायद अपूर्वा की गोद में कुछ था, जिससे वो देख रहे थे) पलटी।
मैं तो एकदम सुन्न हो गया, कुर्ती का गला बहुत ही गहरा था, जिसमें से उसके तने हुए उन्नत उभार और उनके बीच की गहरी खाई किसी की भी हालत खराब करने के लिए काफी थी। मेरी नजर तो सीधे उसके उभारों पर टिक गई।
मेरे इस तरह देखने से वो कुछ शर्मा गई।
क्या है, कभी लड़की नहीं देखी क्या--------------।
उसकी तीखी मधुर आवाज सुनकर मैं स्वप्न लोक से वापिस आया।
आपको किसने कह दिया कि मैं लड़की देख रहा हूं, मैंने कहा।
मैंने उसके उभारों की तरफ हाथ से इशारा किया, और फिर थोड़ा उसके पास होकर धीरे से उसके कान में कहा - मैं तो अमृतकलश के दीदार कर रहा था।
चिपपप-----, उसने धीरे से कहा और वापिस अपूर्वा की तरफ घूम गई और झुककर नीचे देखने लगी। परन्तु जैसे ही वो झुकी मैं थोड़ा सा और आगे हो गया और उसके उभारों के रिएक्शन से एक्शन में आया मेरा लिंग उसके कुल्हों की खाई में जा टकराया। मैं वापिस तुरंत पिछे हो गया।
कोमल ने खा जाने वाली नजरों से मेरी तरफ देखा और कुछ उसके होंठ फुसफुसाये पर कुछ समझ में नहीं आया।
तीखी मिर्ची है, बड़ा मजा आयेगा खाने में, मैंने मन ही मन सोचा और अपनी चेयर पर आकर बैठ गया और सिस्टम ऑन कर दिया।
आज किसी का कत्ल करने की तैयारी है क्या, मैंने चेयर को लड़कियों की तरफ घुमाते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर दोनों ने मेरी तरफ देखा, कोमल फिर कुछ बड़बड़ाई और वापिस अपूर्वा की गोद में देखने लगी।
ये तुम्हारी गोद में ऐसा क्या है, जो ये इतनी देर से वहीं झुकी हुई है, मैंने चेयर से उठते हुए कहा।
मैं अपूर्वा के पास आया और कोमल जिस तरफ खडी थी उसकी तरफ से आकर अपना हाथ कोमल की कमर में रखकर खड़ा हो गया और अपूर्वा की गोद में देखने लगा।
उसकी गोद में फोटो एलबम रखी थी, वो भी कोमल की। क्या एक से बढ़कर एक पोज दे रखे थे, सैक्सी सैक्सी से।
वॉव काफी अच्छे फोटो हैं, मैंने कहा और कोमल की तरफ मुंह करके, वैसे किसके हैं?
दिखाई नहीं दे रहा क्या, मेरे हैं, और किसके हैं, कोमल ने नाक सिकोड़ते हुए कहा।
तुम्हारा, दिखाना यार, और मैं अपूर्वा की गोद में रखी एलबम को पलटकर देखने लगा।
ये देखो, कितना अच्छा है ना, अपूर्वा ने एलबम को वापिस पिछे पलटकर एक फोटो दिखाते हुए कहा। उस फोटो में कोमल ने रेड कलर की साडी पहनी हुई थी जिसमें उसका सपाट मुलायम पेट कहर ढा रहा था, लम्बी नाभि तो घायल ही कर रही थी, साड़ी को उसने अपनी योनि से बस थोड़ा सा उपर बांधा हुआ था जिससे उसके कातिल कर्व साफ उजागर हो रहे थे, ब्लाउज ऐसा था कि मस्त उभारों को उपर से निकालने की कोशिश में लगा हुआ था शायद, कातिल क्लिवेज।
वॉव क्या सैक्सी मॉल है यार, तुम्हारी है क्या? फोटो को देखते ही जो पहले शब्द मेरे मुंह से निकले वो यही थे।
अपूर्वा ने मेरी जांघों पर एक मुक्का रसीद कर दिया और कोमल तो जैसे अभी के अभी मुझे कच्चा चब्बा जायेगी, इस तरह से मेरी तरफ देखने लगी।
कोमल ने झटके से एलबम को उठाया, और बंद करके, दूर हटो मुझसे, चिपपपप, कहकर मेरा हाथ अपनी पीठ पर से झटक दिया और बाहर चली गई।
उसके जाते ही अपूर्वा का भाषण शुरू हो गया।
आपको ऐसे नहीं कहना चाहिए था, बेचारी को कितना बुरा लग गया, आप भी ना, ऐसा भी कभी कहते हैं, किसी लड़की के बारे में। जाओ, मैं आपसे बात नहीं करती, आप बहुत वो हो।
और अपना मुंह फुला कर दूसरी तरफ कर लिया।
अरे यार, अब तुम तो नाराज मत होओ, सॉरी यार, पर मैं क्या करूं, फोटो ही ऐसा था, कि देखते ही सीधा मुंह से निकल गया, मैंने उसका मुंह अपनी तरफ करते हुए कहा।
आप है ना उसे सॉरी कह देना, फिर वो खुश हो जायेगी, अपूर्वा ने मेरी तरफ मुंह करके कहा।
ओ-के- बाबा, जब मिलेगी तो मैं उसे सॉरी कह दूंगा, मैंने उसके गाल को सहलाते हुए कहा।
आज सुबह है ना, मम्मी-पापा मेरी शादी की बात कर रहे थे, अपूर्वा ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
अरे तो इसमें बुरा मुंह बनाने की क्या बात है, ये तो बड़ी अच्छी बात है, मैंने कहा।
अपूर्वा चुपचाप मेरी आंखों में देखने लगी, वो कुछ सीरियस लग रही थी।
तभी कामवाली चाय लेकर आई, उसने हमें चाय दी और चली गई। मैं चाय लेकर अपनी चेयर पर आकर बैठ गया।
अच्छा तुम्हें कैसा लड़का पसंद है, मैंने चाय की चुस्की लेते हुए अपूर्वा से पूछा।
पर उसने कोई जवाब नहीं दिया।
क्या हुआ, बताया नहीं तुमने, तुम्हें कैसा लड़का पसंद है, मैंने फिर से पूछा।
मुझे नहीं पता, उसकी आवाज से शायद कुछ नाराजगी झलक रही थी।
नाराज हो मुझसे, मैंने कहा।
मेरी बात सुनते ही अपूर्वा एकदम मेरी तरफ घूमी और मेरे चेहरे की तरफ गौर से देखने लगी।
अरे यार मैंने कहा ना कि मैं उससे माफी मांग लूंगा, प्लीज अब तुम ऐसे नाराज मत होओ, मैंने कहा।
पक्का, प्रोमीश करो, अपूर्वा ने वैसे ही उदास से चेहरे से कहा।
प्रोमिश, मैंने अपने गले को पकड़ते हुए कहा।
वो वापिस अपने सिस्टम की तरफ घूम गई और चाय पीने लगी।
अच्छा, आज मैं 12 बजे ही चला जाउंगा, वो कुछ काम है, और बॉस भी सबके साथ घूमने जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा है कि यदि छूट्टी करना चाहो, तो छूट्टी कर सकते हो, तो तुम भी चल पड़ना, यहां अकेली बोर होउगी, मैंने अपूर्वा से कहा।
ओ-के-, अपूर्वा की धीमी सी आवाज आई।

तभी बॉस ऑफिस में आये, ओ-के- हम जा रहे हैं, तुम जब चाहो चले जाना, समीर तो किसी काम से जायेगा, तो अगर तुम भी चाहो तो चली जाना अपूर्वा, बॉस ने अंदर आते हुए कहा।
ओ-के- बॉस, अपूर्वा की आवाज कुछ रूंधी हुई सी थी।
बॉस कहकर चले गये। बॉस के जाने के बाद मैं उठकर अपूर्वा के पास गया और उसका चेहरा हाथों से पकड़कर उपर उठाया।
क्या हुआ बेबी, तुम रो क्यों रही हो, उसकी आंखों में आंसू देखकर मैंने कहा।
कुछ नहीं, बस ऐसे ही, उसने अपने आंसू पोंछते हुए कहा।
नहीं, बताओ, प्लीज, देखों तुम मुझे अपना अच्छा दोस्त मानती हो कि नहीं, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
बहुत अच्छा मानती हूं, अपूर्वा ने थोडा सा मुस्कराते हुए कहा।
तो फिर बताओ क्या बात है, क्यों रो रही हो तुम, मैंने कहा।
मैं वहीं पर जमीन पर उकडूं बैठ गया था और मेरे हाथ उसके नीचे झुके हुए चेहरे पर थे, और मैं उसके गालों को सहला रहा था और उसकी आंखों से निकलने वाले आंसुओं को पौंछ रहा था।
‘सच में, कोई बात नहीं है, ये तो बस ऐसे ही’, कहते हुए उसका गला फिर से रूंध गया और वो आगे कुछ नहीं बोल पाई।
मैं खड़ा हो गया और झुककर उसे अपने सीने से लगा लिया।
अगर बताने की बात नहीं है तो, कोई बात नहीं, पर ऐसे हिम्मत नहीं हारा करते, देखो तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती, मैंने उसके सिर में हाथ फिराते हुए कहा।
अच्छा ठीक है, आज शाम को मूवी देखने चलेंगे, अब तो खुश हो जाओ, मैंने बच्चों की तरफ उसे बहलाते हुए कहा।
अपूर्वा ने अपने नाकों से बह रहे पानी को वापिस खींचा और अपने चेहरे को मेरे सीने में से पिछे हटाया और मुस्कराते हुए हां में गर्दन हिला कर अपना नाक पौंछने लगी।
अच्छे बच्चे रोते नहीं, कोई बात नहीं, सुबह अपने मायके चली जाना, अब रोना बंद करो।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा ने एक मुक्का मेरी छाती में जमा दिया और फिर हंसते हुए बोली।
कौन-सी मूवी देखने चलेंगे, आज ई-पी- में चलते हैं, मैं वहां कभी नहीं गई हूं।
ओ-के-, मैंने उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा।
पर तुम तो अभी चले जाओगे, तो फिर मूवी देखने कैसे चलेंगे, उसने थोड़ा सा सीरियस चेहरा बनाते हुए कहा।
शाम को चलेंगे ना, अभी जाकर मुझे आंटी को डॉक्टर के पास लेकर जाना है, एक-दो घंटे का काम है, फिर शाम को चार बजे के आस-पास तुम आ जाना घर पर, मैंने कहा।
या फिर अभी मेरे घर पर ही चलना, और शाम को फिर सीधे वहीं से चल पडेगें, मैंने अपूर्वा को कहा।

आप तो डॉक्टर के चले जाओगे, मैं वहां बोर होती रहूंगी, मैं शाम को ही आ जाउंगी, अपूर्वा ने कहा।
हां ये भी ठीक है, तुम वहां खामखां बोर होती रहोगी, चलो तुम शाम को ही आ जाना, पर 4 बजे से पहले पहले आ जाना, नहीं तो फिर लेट हो जायेंगे, उधर के शो टाइम का भी पता नहीं है, मैंने कहा।
हां, मैं चार बजे तक आ जाउंगी, अपूर्वा ने कहा।
फिर हम काम करने लगे। मैंने 12 बजे का अलार्म सैट कर दिया ताकि लेट ना होउं। ठीक बारह बजे अलार्म बजा तो हमने अपने सिस्टम बंद किये और बाहर आ गये। सामने से कामवाली चाय लेकर आ रही थी।
क्या हुआ साहब, मैं तो चाय लेकर आई थी, कामवाली ने हमें बाहर देखकर कहा।
अभी तो पी थी चाय, इतनी जल्दी फिर ले आई, मैम को पता चल गया ना तो तेरी तनख्वाह में से पैसे काट लेगी, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
वो तो यहां पर हैं ही नहीं, सभी घूमने गये हैं, कोई भी नहीं हैं, तो पता कैसे चलेगा, कामवाली ने चहकते हुए कहा।
मैं एक मिनट अभी आई, अपूर्वा ने अपनी छोटी उंगली दिखाते हुए कहा और वापिस ऑफिस में चली गई।
मैं भी अंदर ऑफिस में आ गया और कामवाली भी चाय लेकर ऑफिस में ही आइ गई।
अपूर्वा दूसरे दरवाजे से बाथरूम में चली गई।
कामवाली ने चाय टेबल पर रख दी। मैं अपनी चेयर के साथ ही खड़ा था, जब उसने चाय टेबल पर रखी तो उसके कुल्हें मुझसे टच हो गये। मैं तुरंत पिछे घूम गया और मेरी जांघें सीधे उसके कुल्हों पर सैट हो गई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, पर वहां से बाथरूम दिखाई नहीं दे रहा था।
मेरा लिंग एकदम पोजीशन में आ गया और उसके जींस में उभार बनाते हुए उसके कुल्हों को दबाने लगा। कामवाली भी वैसे रहकर टेबल पर चाय के कपों को इधर उधर करती रही। जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने उसके कुल्हों पर दबाव बढ़ा दिया और अपने हाथों से उसकी जांघों को पकड़ लिया। सच्ची मुझसे इतना सैक्स भर गया था कि अगर आज अपूर्वा न होती तो उसका तो काम हो ही जाना था। मेरी नजर बार बार दरवाजे पर ही चैक कर रही थी कि कहीं अपूर्वा तो नहीं आ जाये।
मैं उसकी जांघों को पकड़कर कपड़ों में से ही धक्के मारने लगा। मेरे हर धक्के से वो आगे को सरक जाती और फिर वापिस पिछे हो जाती। बहुत मजा आ रहा था ऐसे डर डर कर मजे लेते हुए।
तभी बाथरूम का दरवाज खुलने की आवाज आई और मैं अपनी चेयर पर बैठ गया। वो भी खड़ी हो गई। उसका चेहरा एकदम लाल हो रखा था और उसकी सांसे भी तेज चल रही थी। मैंने इशारे से उसे बाहर जाने को कहा, और वो तुरंत अपूर्वा के अंदर आने से पहले बाहर निकल गई। मैंने एक कप अपूर्वा को दिया और एक खुद ले लिया और चाय पीने लगे। मैंने अपूर्वा की तरफ देखा तो वो चाय पीते हुए मुझे ही देखे जा रही थी।
क्या बात है, ऐसे क्या घूर रही हो, मैंने कहा।
क्यों देख नहीं सकती, मेरी मर्जी मैं जिसे चाहूं देखूं, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
देख सकती हो, देख सकती हो, तुम्हारी आंखें हैं, तुम्हारी जो मर्जी हो वो देखों, मैं तो बस वैसे ही पूछ रहा था, मैंने कहा।
हमने चाय खत्म की और बाहर आ गये।
आपकी बाइक कहां है, अपूर्वा ने पूछा।
वो---------- पैटरोल------ नहीं था------- ना----- तो वो----- मैं आज भी भूल गया, डलवाना, इसलिए आज भी नहीं लाया, मैंने कहा।
पर तुम टेंशन मत लो, तुम्हें परेशान नहीं करूंगा, आज मैं बस से जाउंगा, काफी दिन हो गये बस से सफर किये, मैंने बात पूरी करते हुए कहा।
ज्यादा बकवास मत करो, आपको लगता है कि मैं आपको घर तक छोडती हूं तो मैं परेशान हो जाती हूं, मुझे कोई परेशानी नहीं होती, उल्टा अच्छा ही लगता है, कुछ देर और आपके साथ रह लेती हूं, अपूर्वा ने कहा।
मेरा मतलब, कुछ देर और साथ हो जाता है, मतलब मेरा मतलब---------- मतलब मैं कहना चाहती हूं कि, मतलब वो-------।
क्या मतलब, इतने मतलब तो मैंने एक साथ कभी सुने ही नहीं, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
मेरा मतलब है कि थोडी देर और बाहर घूम लेती हूं, नहीं तो घर जाकर तो घर में ही रहती हूं फिर, अपूर्वा ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा।
ओ-के- चलो अब, मतलब मतलब,,,, बस आने वाली होगी, निकल गई तो दस पंद्रह मिनट वेट करना पड़ेगा, मैंने कहा।
बस से कयों जाओगे, मैं छोड़ देती हूं, घर पर, अपूर्वा ने स्कूटी स्टार्ट करते हुए कहा।
नहीं, आज मैं बस से ही जा रहा हूं, तुम सीधे अपने घर पहुंचो, मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा।
ओ-के- बाय- टेक केयर, अपूर्वा ने स्कूटी बाहर निकालते हुए कहा।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:16 PM,
#32
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--32
गतांक से आगे ...........
उसके साथ साथ मैं भी बाहर आ गया, और बस का इंतजार करने लगा। 2 मिनट में ही बस आ गई और मैं उसमें बैठ गया। बस में पूरी सीटिंग पूरी थी, तो मुझे खड़ा ही होना पड़ा। रस्ते में चार-पांच लडके और बैठे और आज ऐसे ही सूखा सूखा ही घर पहुंच गया।
सुबह क्या सोचा था, पर वैसा कुछ भी नहीं हुआ।
घर पहुंचा तो देखा सोनल की स्कूटी उधर ही खडी थी।
ये आज इतनी जल्दी कैसे आ गई, मैंने मन ही मन सोचा।
मैंने बोतल में से पैटरोल बाइक में डाला और उपर चल दिया। जब मैं पहली मंजिल पर पहुंचा, जिस पर सोनल और आंटी रहती हैं, तो मुझे अंदर से थोड़ी अजीब सी आवाज सुनाई दी, जैसी सैक्स के समय निकाली जाती हैं, मैंने थोड़ा धयान से सुना तो आंटी सिसकारियां ले रही थी, दरवाजा हल्का सा खुला था।
मैंने धीरे से दरवाजा खोला ताकि कोई भी आवाज न हो और सिर अंदर करके देखा कि हॉल में ही तो नहीं हैं। पर हॉल में कोई दिखाई नहीं दिया। मैं दबे पावों से अंदर आ गया। आवाज सोनल के बेडरूम में से आ रही थी। बेडरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था। मैं दीवार के साथ छुपते हुए थोड़ा सा सिर निकाल कर अंदर देखा तो आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
वॉव, इतनी जल्दी, कल ही तो सुझाव दिया था, मैंने मन ही मन सोचा।
सामने बेड पर आंटी पूरी नंगी लेटी हुई थी, उनकी टांगे हवा में उठी हुई थी और मजे के कारण आंखें बंद थी। उनकी मोटी मोटी चूचियां तनी हुई थी और सोनल के हाथ उन्हें मसलने में लगे हुए थे। सोनल का मुंह उनकी टांगों के बीच में घुसा हुआ था।
वॉव बहुत खूब, मैंने मन ही मन कहा और दबे पांव वापिस बाहर आ गया। मेरा दिमाग चकरा सा गया था, कि एक मां बेटी में ऐसा रिश्ता भी हो सकता है। यही सोचते सोचते मैं उपर आ गया और रूम में आकर बेड पर लेट गया।
आधे घंटे बाद मैंने आंटी के पास फोन किया कि आंटी मैं आ गया हूं, डॉक्टर के चलते हैं।
ठीक है बेटा, मैं अभी तैयार हो जाती हूं, फिर चलते हैं, आंटी ने जवाब दिया।
मैंने फोन रख दिया और चलने के लिए बाहर आ गया और रूम को लॉक कर दिया। मेरी नजर पूनम वाली छत पर पड़ी तो वहां पर अंकल (पूनम के पिता जी) और उनके साथ एक लड़की कुछ सामान रख रहे थे। लड़की को मैं नहीं जानता था। मैं नीचे आ गया और दरवाजा नोक किया।
कौन है, अंदर से सोनल की आवाज आई।
मैंने दरवाजा नोक किया तो वो थोड़ा सा खुल गया और मैं उसे खोलते हुए अंदर आ गया।
मुझे देखते ही सोनल के चेहरे पर मुस्कान आ गई, परन्तु अगले ही पल उसने अपना नाक सिकोड़ा और गर्दन झटकते हुए रसोई में चली गई।
चले आंटी, मैंने सामने बैठी आंटी से कहा। आंटी के चेहरे पर एक अलग किस्म की संतुष्टि सी झलक रही थी।
चलो बेटा, आंटी ने उठते हुए कहा।
मैं आंटी को सहारा देने के लिए उनकी तरफ बढ़ा और उनका हाथ पकड़कर अपनी गर्दन के पिछे से लेकर अपने कंधे पर रख लिया।
सोनल बेटा, कुछ मदद करना, नीचे उतरने में, आंटी ने सोनल को आवाज देते हुए कहा।
मेरा एक हाथ मेरे कंधे पर रखे आंटी के हाथ को पकड़े हुए था और दूसरा हाथ आंटी की कमर के पिछे से जाकर उनके दूसरे साइड से कमर को पकड़े हुए था।
सोनल ने आकर दूसरी साइड से आंटी का हाथ पकड़ लिया और हम बाहर आ गये। सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए सोनल आगे हो गई और आंटी का हाथ अपने कंधे पर रख लिया। धीरे धीरे हम नीचे उतर आये। मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और आंटी पिछे बैठ गई। मैंने सोनल की तरफ देखा, तो उसने अपना मुंह घुमा लिया और उपर चली गई।
मैं आंटी को लेकर डॉक्टर के पास आ गया।
डॉक्टर ने आंटी का चेकअप किया और कुछ दवाईयां लिख दी। वापिस आते हुए मैंने स्टोर पर से दवाईयां ली और हम घर आ गये।
मैंने बाईक अंदर खडी की और आंटी को सहारा देकर उपर ले जाने लगा।
आंटी ने सोनल की कोई आवाज दी पर या तो उसने सुनी नहीं या फिर वो जानबूझ कर नहीं आई।
जैसे तैसे मैं सहारा देकर आंटी को उपर ले आया। आंटी को मैंने सोफे पर बैठा दिया और उपर अपने रूम में आ गया।
उपर आकर मैंने देखा कि पूनम के पापा अभी भी छत पर ही हैं। मैं उनकी तरफ चला गया।
नमस्ते अंकल जी, मैंने मुंडेर के पास खड़े होकर कहा।

मेरी आवाज सुनकर अंकल ने मेरी तरफ देखा, नमस्ते बेटा, कैसे हो, अंकल ने कहा।
ठीक हूं अंकल, आप सुनाओ, इतनी धूप में छत पर क्या कर रहे हो, मैंने कहा।
तभी वो लडकी हाथ में कुछ टूटा-फूटा सामान लिए उपर आई, मैंने उसकी तरफ देखा, काफी सुंदर थी, पर उसकी तरफ ज्यादा धयान नहीं दिया, क्योंकि अंकल मेरी तरफ ही देख रहे थे।
कुछ नहीं बेटा, ये कुछ टूटा-फूटा सामान इक्कठा हो गया था, नीचे तो सोचा इसे उपर रख देते हैं, नीचे जगह घेर रहा था, अंकल ने कहा।
मैंने फिर से एक नजर उस लड़की की तरफ डाली, वो मेरी तरफ ही देख रही थी। मैं कुछ देर और वहां खड़ा रहा, अंकल अपने काम में लग गये थे और वो लड=की सामान रखकर वापिस नीचे चली गई थी। जब धूप ज्यादा लगने लगी तो मैं रूम में आ गया। मैंने टाइम देखा तो तीन बज चुके थे।
मैं बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर व्हाईट शर्ट और ब्लू डेनिम पहन ली और फ्रीज में कुछ खाने के लिए देखने लगा।
वॉव, रसगुल्ले अभी रखे ही हैं, सामने फ्रीज में रसगुल्लों का डिब्बा रखा देखकर मैंने खुद से कहा।
मैंने रसगुल्लों का डिब्बा बाहर निकाला और उसमें से चार-पांच रसगुल्ले एक कटोरी में रखे और डिब्बा वापिस रख दिया, अभी उसमे पांच-छः रसगुल्ले और रखे थे।
मैं बेड पर आकर बैठ गया और रसगुल्ले खाने लगा।
मेरे फोन की मैसेज टोन बजी तो मैंने उठाकर मैसेज ओपन किया, सोनल का मैसेज था।
हमारे बीच में अब तक जो भी हुआ, उसे एक बढ़िया सपना समझकर भूल जाना।
मेरी कुछ समझ में नहीं क्या, ये कहना क्या चाहती है तो मैंने उसे कॉल किया पर उसने कॉल नहीं उठाया।
कुछ देर बाद उसका एक मैसेज और आया, ‘मुझे ऐसे लडके बिल्कुल पसंद नहीं हैं, जैसा आज सुबह तुमने किया था’, इसलिए मैं नहीं चाहती कि अब हमारे बीच कुछ भी रहे, और हां, मुझे कॉल करने की भी जरूरत नहीं है’।
मैंने मैसेज पढा ही था कि एक और मैसेज आ गया ‘अगर कुछ पूछना चाहते हो तो मैसेज से पूछ सकते हो, पर कॉल करने की या मुझसे बात करने की कोशिश मत करना’,।
मैंने मैसेज पढ़ा और फोन को बेड पर फेंक दिया और रसगुल्ले खाने लगा।
उसके मैसेज पढ़कर मेरा दिमाग खराब हो गया था, इसलिए जल्दी जल्दी सारे रसगुल्ले खा लिये और फ्रीज में से बाकी बचे रसगुल्ले भी निकाले और उन्हें भी खा गया।
तभी मेरा फोन बजने लगा। मैंने उठाकर देखा तो अपूर्वा की कॉल थी। मैंने कॉल रिसीव की।
हाय बेबी, निकल ली क्या घर से, मैंने फोन उठाते ही कहा।
आपके दर पर पहुंच भी गई हूं, जरा बाहर निकल कर देखो, अपूर्वा ने कहा।
मैं तुंरत बाहर आया, पर बाहर कोई नहीं था, मैं मुंडेर के पास गया और नीचे गली में देखा तो अपूर्वा दरवाजे के सामने स्कूटी पर बैठी थी। वो उपर की तरफ ही देख रही थी। उसने मुझे हाथ हिलाकर हाय कहा, तो मैंने भी उसका जवाब दिया।
दो सैकिण्ड अभी आ रहा हूं, मैंने रूम को लॉक लगाते हुए कहा।
मैंने फोन कट किया और नीचे आ गया। अपनी बाइक स्टार्ट की और बाहर आ गया।
समवन इज लुकिंग वेरी हैंडसम, अपूर्वा ने अपने हाथ से ओ बनाते हुए कहा।
समवन इज लुकिंग सो ब्यूटीफुल, मैं बाइक उसकी स्कूटी के साइड में ले आया था, उसके गालों को भिंचते हुए मैंने कहा।
आई------ दर्द होता है, अपूर्वा ने अपना गाल मसलते हुए कहा।
ओ-के- अब चलो, कहते हुए मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और हम चल पड़े। सुबह वाली घटना के कारण मैंने हेलमेट ले लिया था, अपूर्वा टोपी वाला हेलमेट पहने हुए थी।

धीरे धीरे डराइव करते हुए हम दस मिनट में ई-पी-(एंटरटेनमेन्ट पैराडाइज) पहुंच गये। हमने स्कूटी और बाइक पार्क की और टिकट काउण्टर पर आ गये। मूवी लिस्ट देखकर अपूर्वा ने ‘जो उूबा सो पार’ मूवी सलेक्ट की। टिकट की लाइन लम्बी थी और भीड़ भी ज्यादा थी, इसलिए मैंने अपूर्वा को वहीं खडे होने को कहा और मैं टिकट लेने के लिए लाइन में लग गया। टिकट लेने में ही आधा घण्टा लग गया।
मैं टिकट लेकर आया तो अपूर्वा के पास तीन लडकियां खड़ी हुई थी, उनकी पीठ मेरी तरफ थी तो मैं उनका चेहरा तो नहीं देख पा रहा था, पर अपूर्वा उनसे हंस हंसकर बात कर रही थी।
बड़ी मुश्किल से मिली हैं, मैंने उनके पास आकर कहा।
मेरी आवाज सुनकर उन तीनों ने मेरी तरफ देखा, तो खुशी और आश्चर्य के मिले जुले भाव मेरे चेहरे पर आ गये, और साथ ही नवरीत के चेहरे पर भी।
हाय, आप यहां, मेरा मतलब आप भी मूवी देखने आई हैं, मैंने थोड़ा हड़बड़ाते हुए कहा।
नहीं जी मैं तो बस उंट की सवारी करने आई थी, नवरीत ने फन पार्क में खड़े उंट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तभी बीच में अपूर्वा बोल पड़ी, वॉव, आप दोनों एक दूसरे को जानते हैं, और मैं खामखां परिचय करवाने की तैयारी किए बैठी थी।
मैंने बाकी की दो लड़कियों की तरफ इशारा किया, तो नवरीत ने उनका परिचय करवाया।
ये मेरी फ्रेंड्स हैं, मेरे पड़ोस में ही रहती हैं, ये रिया और ये सुमन।
हाय, मैंने दोनों की तरफ एक एक हाथ बढ़ा दिया।
मुझे दोनों हाथ बढ़े देखकर सभी हंसने लगी और उन दोनों ने हाथ मिलाया।
और ये हैं मिस्टर समीर, मैं बस इतना ही जानती हूं, ज्यादा परिचय करना हो तो आप खुद ही कर लेना, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
आप दोनों एक दूसरे को कैसे जानते हो, पहले मुझे ये बताओ, मैंने अपूर्वा और नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
हम दोनों तो बहनें हैं, नवरीत अपूर्वा के बगल में जाकर खड़ी हो गई उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया।
दरअसल वो पहले हम गुरदासपुर में रहते थे, पंजाब में, रीत के पापा और मेरे पास बहुत ही अच्छे दोस्त हैं, अपूर्वा ने नवरीत को अपनी तरफ भींचते हुए कहा।
और जब अंकल की टरांसफर जयपुर हुई तो पापा भी जयपुर आ गये, नवरीत ने आगे बताया।
ओह तो बहुत ही गहरी दोस्ती है, दोनों अंकलों में, मैंने कनक्लूजन निकालते हुए कहा।
गहरी, सगे भाईयों से बढ़कर प्यार है दोनों में, और इतना ही हमारी दोनों मम्मीयों में, नवरीत ने कहा।
जब अंकल का टरांसफर हो गया और उन्होंने ये बात पापा को बताई तो पापा ने तभी कह दिया कि अकेले अकेले थोड़े ही जाने दूंगा, जहां तुम वहां हम, नवरीत ने अपनी फैमिली की दोस्ती की गहराई को और बयान किया।
वॉव, आजकल ऐसी दोस्ती कहां देखने को मिलती है, मैंने कहा।
मिलती क्यों नहीं, हमारे पापाओं की देख लो, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
मेरा मतलब उन जैसी और नहीं देखने को मिलती, मैंने कहा।
हे हे----- उन जैसी तो कहीं मिल भी नहीं सकती आपको, नवरीत ने फिर से कहा।
आप रीत दी से पार नहीं पा सकते, बातों में कभी भी नहीं जीतने देती किसी को, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
जी आप कुछ अपने बारे में भी बताइये, मैंने रिया और सुमन की तरफ मुखातिब होते हुए कहा।

चलो, चलो, शो का टाइम हो गया, नवरीत ने बीच में ही बात काटते हुए कहा।
आपने कौन-सी मूवी की टिकट ली हैं, मैंने नवरीत से पूछा।
जिसकी आपने ली हैं, नवरीत ने टिकटें दिखाते हुए कहा।
हम अंदर आ गये।
मैं कुछ स्नैक्स ले आती हूं, भूख भी लगी हुई है, नवरीत ने स्नैक्स की स्टॉल की तरफ बढ़ते हुए कहा।
मैं भी उसके साथ चल पड़ा, अब स्नैक्स तो मुझे भी खाने थे ना। नवरीत ने पांच सॉफ्रटड्रिंक और तीन समोसे और तीन पॉपकॉर्न लिए।
मैंने पेयमेन्ट की और हम आ गये। समोसे और पॉपकॉर्न उसने रिया और सुमन को पकड़ा दिये। तब तक एंट्री स्टार्ट हो गई थी। अंदर आकर हमने अपनी सीटें ढूंढी। रिया और सुमन सबसे अंदर वाली सीट पर जाकर बैठ गई। उनके दूसरी साइड में एक लड़का और उससे आगे दो लड़कियां बैठी थी। हमारी रो सबसे उपर से दूसरी थी। अभी सबसे उपर वाली रो पूरी खाली पड़ी थी। हमारी रो में हमारी सीटें लगभग बीच में ही थी। हमारी और नवरीत की रो तो एक ही थी पर सीटें थोड़े गैप पर थी। बीच में चार सीटों पर एक अंकल, आंटी और दो बच्चे थे, शायद पूरी फैमिली ही होगी। अपूर्वा अपनी सीट पर बैठ गई। नवरीत भी अपनी सीट के पास पहुंच गई थी। नवरीत के कुछ देर इधर उधर देखा।
अंकल जी, अगर आप बच्चों को उधर वाली सीट पर बैठा लेते तो, वो उधर आपके साथ वाली दोनों सीटें हमारी हैं, हम पांच हैं, तो एक साथ बैठ जाते, अगर आप बच्चों को उधर वाली सीट पर बैठा लेते तो, नवरीत ने अंकल से कहा।
ऐसे कैसे बैठा लें, टिकट हमने खरीदी हैं इन सीटों की, बीच में ही आंटी बोल पड़ी।
गयी भैंस पानी में, बड़बड़ाते हुए मैं भी अपनी सीट पर बैठ गया और नवरीत को भी बैठने का इशारा किया।
बेटा, आप लोग इधर आ जाओ, अंकल वाली सीट पर, अंकल उधर बैठ जायेंगे, अंकल ने अपने बच्चों से मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।
अपूर्वा खुश हो गई और तुंरत उठकर रिया के साथ वाली सीट पर बैठ गई। सुमन सबसे बाद वाली सीट पर बैठी थी। उसके बाद बैठे लड़के ने सीट बदल ली थी और अब उसके बाद वाली सीट पर लड़की बैठी थी और वो लड़का लड़के के बाद बैठा था।
क्रमशः..................
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06-09-2018, 02:16 PM,
#33
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--33
गतांक से आगे ...........
बच्चे उठकर हमारी सीटों पर चले गये। रीत आंटी के साथ वाली सीट पर बैठ गई, अब एक ही सीट बची थी मैं उस पर बैठ गया।
कुछ देर बाद मूवी स्टार्ट हो गई।
ये लो, सब अपना अपना पकड़ो, नवरीत ने ड्रिक की ट्रे हमारी तरफ करते हुए कहा।
सबने एक एक ड्रिंक उठा लिया।
अब समोसे और पॉपकॉर्न तो दो इधर, रीत ने रिया की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
उसने तीनों समोसे पकड़ा दिये और दो पॉपकॉर्न हमारी तरफ बढ़ा दिये। नवरीत ने समोसे पकड़े और मैंने पॉपकॉर्न पकड़ लिये। एक मैंने अपूर्वा की चेयर में फिट कर दिया और एक नवरीत की चेयर में फिट कर दिया। नवरीत ने एक समोसा मेरी तरफ बढ़ा दिया तो मैंने मना कर दिया पर उसने मेरी गोद में रख दिया। समोसा गर्म था तो मैंने तुरंत उठा लिया।
अभी तो मना कर रहे थे, अब क्यों उठा रहे हो, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
मैं मुस्करा दिया और समोसा नवरीत की गोद में रख दिया।
आईइइइइ--- उठाओ इसे, गर्म है, नवरीत ने मुझे आंखें दिखाते हुए कहा।
उसके एक हाथ में समोसे वाली ट्रे थी और दूसरे हाथ में ड्रिंक था, बेचारी उठा भी नहीं सकती थी।
प्लीज, उठा लो ना, बहुत गर्म है, और कपड़े भी गंदे हो रहे हैं, नवरीत ने सॉरी वाला मुंह बनाते हुए कहा।
मैंने समोसा उठा लिया, पर मेरी उंगली ऐसी जगह लगी जहां से वो कुछ ज्यादा ही गर्म था, तो मैंने एकदम उंगली वहां से हटाई तो समोसा हाथ से निकल गया। मैंने उसे पकड़ने के लिए जल्दी में हाथ नीचे किया तो मेरा हाथ सीधा नवरीत की जांघों से जा टकराया। मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा हाथ मक्खन से टकराया हो। समोसा उसकी जांघों के बीच बिल्कुल योनि के उपर गिरा, उसे पकडने के चक्कर में मेरे हाथ की एक उंगली उसकी योनि के उपर थी। उसकी नीली कुर्ती पर तेल के दाग पड़ गये थे, शुक्र है, सलवार पर नहीं गिरा, नहीं तो व्हाईट सलवार पर तो अलग ही नजर आते।
मेरा हाथ वहां पर लगते ही नवरीत के मुंह से एक हलकी सी आह निकली। मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया, और फिर समोसे को उठाकर वापिस ट्रे में रख दिया।
समोसे के चक्कर में गिलास से कुछ ड्रिंक आंटी की साड़ी के उपर गिर गया था, जो साफ दिखाई दे रहा था, पर शायद आंटी को पता नहीं चल पाया।
नवरीत, मैंने हल्के से उसके कान के पास कहा और फिर आंटी की साड़ी की तरफ इशारा किया।
ओहहहह, श्श्शिटटट,,,, नवरीत के मुंह से निकला और उसने तुंरत वहां से अपनी नजर हटा ली और मेरी तरफ आंखें निकालते हुए समोसे वाली ट्रे मेरी सातलों पर मार दी।
मैंने दोने में रखकर एक समोसा अपूर्वा को दिया और दूसरा रिया की तरफ बढ़ा दिया। रिया का धयान हमारी तरफ नहीं था। मैंने अपूर्वा को इशारा किया तो अपूर्वा ने उसकी कंधे पर अपना कंधा मारकर उसे समोसा लेने के लिए कहा।
नहीं, मुझे भूख नहीं है, मैं खाना खाकर आई हूं, रिया ने कहा।
तो फिर सुमन को दे दो, मैंने कहा।
नहीं मैं भी खाना खाकर आई हूं, सुमन ने भी कहा।
जब किसी ने नहीं लिया तो मैंने वापिस ट्रे में रख दिया और सॉस डालकर खुद ही खाने लगा।
मूवी स्टार्ट हो चुकी थी, पर अभी नम्बर्स चल रहे थे। हमने समोसा और ड्रिक खत्म किया और मूवी देखने लगे। अपूर्वा ने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने उसकी तरफ देखा पर उसका धयान मूवी देखने में था। जब नवरीत ने उसका सिर मेरे कंधे पर देखा तो उसने मुझे कोहनी मारी और अपूर्वा की तरफ इशारा करके माजरा क्या है, पूछने लगी।
कुछ नहीं, मैंने हलके से कहा और मूवी देखने लगा।
नवरीत ने फिर मेरी जांघ पर चिकोटी काट ली, मैंने उसकी तरफ देखा तो वो फिर से अपूर्वा की तरफ इशारा करके माजरा पूछने लगी।
उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के नजदीक कर लिया।
लगता है, कुछ पक रहा है, तुम दोनों के बीच में, नवरीत ने धीरे से कहा।
ऐसा कुछ नहीं है, हम अच्छे, बल्कि बहुत अच्छे दोस्त हैं, और कुछ नहीं, मैंने कहा।
चलो भी, अब मुझसे क्या शर्माना, बता दो, बता दो, मैं किसी को नहीं बताउंगी, नवरीत ने फिर से मेरी जांघ पर चिकोटी काटते हुए कहा।
मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया ताकि वो चिकोटी ना काट सके और मूवी देखने लगा।
मत बताओ, मैं इससे ही पूछ लूंगी, नवरीत ने थोड़ा नाराज होते हुए थोउ़ी तेज आवाज में कहा।
क्या हुआ, अपूर्वा ने अपना सिर उठाकर हमारी तरफ देखते हुए कहा।
कुछ नहीं, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरी तरफ इशारा करते हुए अपूर्वा को आंख मार दी, जिससे वो थोड़ा शरमा गई और फिर से मेरे कंधे पर सिर रख दिया।
अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी काख में से निकालते हुए मेरे हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दी और अपना हाथ मेरी सातल पर रख लिया।
दूसरी तरफ से नवरीत का हाथ मेरी दूसरी सातल पर था, जिसको मैंने पकड़ा हुआ था, ताकि वो चुटकी ना काट सके।
मैं आराम से बैठकर मूवी देखने लगा। कुछ देर बाद नवरीत ने भी झमाई लेते हुए अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और अपने हाथ की उंगलियां मेरे हाथ में फंसा ली।
मैंने उसकी तरफ देखा, पर उसकी नजरें पर्दे पर टिकी थी।
वैसे आपका सोनल के साथ वो वाला चक्कर है ना, नवरीत ने धीमें से कहा।
कौन से वाला, मैंने वैेसे ही बैठे हुए आराम से कहा।
वही वाला, नवरीत ने कहा।
कौनसा वही वाला, मैंने भी उसकी लहजे में सवाल किया।
चलो छोड़ो मैं ये भी उसी से पूछ लूंगी, उसने मेरी उंगलियों को भिंचते हुए कहा।
सच में अपूर्वा में साथ तुम्हारा कोई चक्कर नहीं हैं, नवरीत ने थोड़ी देर बाद फिर से सवाल किया।
नहीं, मैंने हलका से जवाब दिया।
तुम्हारा बेशक ना हो, पर इसका तो तुम्हारे साथ कुछ चक्कर है, नवरीत ने फिर कहा।
क्यों, तुम्हें कैसे पता, मैंने कहा।
और क्या, ऐसे ही थोड़े तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर बैठेगी, नवरीत ने कहा।
वो तो तुमने भी रखा हुआ है, इसका मतलब तुम्हारा भी कुछ चक्कर है, मुझसे, मैंने उसका हाथ दबाते हुए कहा।
मेरी बात अलग है, मैं तो अभी दूसरी बार ही मिली हूं तुमसे, पर वो तो हमेशा साथ ही रहती है, मुझे पता तो लगाना ही पड़ेगा, क्या चक्कर है, नवरीत ने कहा।
यार, अब तक ये भी नहीं पता कि मूवी में क्या हुआ है, तो मुझे लगता है अब मूवी पर धयान देना चाहिए, ताकि बाहर कोई पूछ ले कि कैसी थी तो कुछ तो बता सकें, मैंने कहा।
नाहहह,,,, मूवी तो कभी भी देखी जा सकती है, तुम थोड़े ही बार बार मिलोगे, नवरीत ने कहा।
अपूर्वा और नवरीत पॉपकॉर्न उठा उठाकर खा रही थी, पर मेरे तो दोनों हाथ बंधे हुए थे। नवरीत वाला हाथ तो मैं हटा नहीं सकता था, नहीं तो वो फिर से चुटकी काटने लग जाती। इसलिए मैंने अपूर्वा वाला हाथ उठाना चाहा तो उसने अपना दूसरा हाथ भी रख दिया और मेरे हाथ को पकड़ कर बैठ गई।
नवरीत शायद समझ गई थी, उसने खुद खाने के साथ साथ मुझे भी पॉपकॉर्न खिलाने शुरू कर दिये।
पूरी मूवी खत्म हो गई पर उसकी बातें खत्म नहीं हुई, पर मुझे भी तो मजा आ रहा था उसकी बातों में, इसलिए मूवी कब खत्म हुई पता ही नहीं चला। वो तो जब सभी खड़े होने लगे, तब पता चला कि मूवी खत्म हो गई है, और तो और मुझे तो इंटरवल का भी पता नहीं चला। पूरी मूवी में वो कभी सोनल के बारे में कभी अपूर्वा के बारे में, ऐसे ही पूछती रही।
मूवी खत्म होने पर हम बाहर आ गये। रिया मुझे कुछ अजीब तरह से घूर रही थी। पर मैंने ज्यादा धयान नहीं दिया।
चलो ना उंट की सवारी करते हैं, अपूर्वा ने कहा।
हां, मैं भी आज तक उंट पर नहीं बैठी हूं, सुमन ने भी सहारा लगाया।

चलो ठीक है, तो आज उंट की सवारी भी हो जाये, मैंने कहा।
मैं तो नहीं बैठूंगी, मुझे तो डर लगता है, रिया ने मुंह बनाते हुए कहा।
हम उंट वाले के पास आ गये, उसने एक पर्सन के पचास रूपये बताये। पहले अपूर्वा उंट की तरफ बढ़ी और मुझे भी कोहनी मार कर आने के लिए कहा। पर जब तक मैं आगे बढ़ता सुमन बढ़ चुकी थी।
अपूर्वा उंट पर बैठ गई, पर जब उसने मुझे दूर खड़े देखा और देखा कि सुमन साथ में बैठ रही है तो बुरा सा मुंह बना लिया। पर अब हो भी क्या सकता था।
वो दोनों उंट पर बैठ गई। सुमन ने अपने हाथ अपूर्वा मे पेट पर रख दिये और उसको कसकर पकड़ लिया। वो कुछ डर रही थी।
डर के आगे जीत है, मैंने जोर से आवाज लगाकर उसे कहा। वो मुस्कराई और अपूर्वा से चिपक के बैठ गई। मैंने अपने मोबाइल से उनके कुछ फोटो लिए। उंट वाला उन्हें पार्क में थोड़ी दूर तक घुमा कर लाया और वापिस आकर उंट को नीचे बैठा कर दिया। दोनों उतर गई।
मैंने नवरीत को चलने के लिए कहा, तो वो उंट पर जाकर बैठ गई। मैं उसके पिछे बैठ गया। अब बैठने की इतनी ही जगह थी कि दोनों चिपक कर ही बैठ सकते थे। जिसका असर ये हुआ कि जैसे ही मेरा शरीर नवरीत के फूल की तरह कोमल से शरीर से टच हुआ तो मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई और मेरा पप्पू खड़ा हो गया। मैंने अपने हाथ आगे बढ़ाकर उसके पेट कस दिये। नवरीत ने गहरी सांस ली और फिर अपने हाथ मेरे हाथों पर रखें और पिछे की तरफ होकर मुझसे सट गई।
पहले उंट आगे से आधा उठा जिस कारण से हम पिछे की तरफ झुक गये। मेरे हाथ एकदम से नीचे की तरफ फिसल गये और उसकी योनि पर जाकर रूके, गिरने के डर से मैंने अपने हाथों को कसा तो उसकी मेरी एक उंगली उसकी सलवार को धकेलते हुए उसकी योनि की फांकों के बीच में घुस गई। नवरीत के मुंह से एक सिसकारी निकली और उसके हाथ मेरे हाथों पर कस गये। मैं संभलकर अपने हाथ वहां से हटाने की कोशिश की ही थी कि उंट पिछे की साइड से पूरा खड़ा हो गया, जिस कारण हमारा झुकाव आगे की तरफ हुआ और जो मैं हाथों को उपर करने की कोशिश कर रहा था, मेरे हाथ सीधे नवरीत के उभारों पर जाकर अटक गये और मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। नवरीत तो अभी पहले सदमे से उभरी भी नहीं थी कि उसे दूसरा झटका मिल गया। उंट आगे से भी पूरा खड़ा हो गया। पर नवरीत मेरे हाथों का स्पर्श सहन नहीं कर पाई और उसका शरीर अकड़ गया। उसने मेरे हाथों को कसकर अपने उभारों पर दबा लिया और अपना सिर पिछे की तरफ कर दिया, जिससे उसके गाल मेरे गालों से टकरा गये। उसकी आंखें पूरी तरह बंद थी और वो गहरी सांसे ले रही थी। मेरा धयान नीचे गया तो अपूर्वा, सुमन और रिया बातें कर रहे थे, अपूर्वा बार बार हमारी तरफ देख रही थी और बुरा सा मुंह बना रही थी। उंट वाले ने उंट को आगे बढ़ा दिया।
सॉरी, मैंने धीरे से उसके कान में कहा।
मेरी आवाज सुनकर जैसे वो सपने से बाहर आयी हो, उसके हाथ एकदम मेरे हाथों पर से हट गये और मैंने भी अपने हाथ उसके उभारों पर से हटाकर उसके पेट पर कस दिये। उसने अपना चेहरा आगे कर लिया और अपने हाथ मेरे हाथों के नीचे अपनी जांघों पर रख लिये। उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। मुझे उसका पेट जोर जोर से कूदता महसूस हो रहा था।
सॉरी, प्लीज, मैंने फिर से उसके कान में कहा।
पर उसने कोई जवाब नहीं दिया।
उंट वाला हमें पार्क का एक चक्कर लगवा कर लाया और वापिस आकर उंट को बैठा दिया। बैठते वक्त भी उंट ने वही हरकत की, पर अब मैं चौकना था और अपने हाथों को फिसलने नहीं दिया। नवरीत ने भी मेरे हाथों को जोर से जकड़ लिया था। उंट के बैठने के बाद हम नीचे उतरे। नवरीत सीधा अपूर्वा के पास जाकर खडी हो गई। उसकी नजरें नीचे झुकी हुई थी और चेहरा एकदम गुलाबी हो गया था। गाल फड़क रहे थे।
मैंने उंट वाले को पैसे दिये और फिर नवरीत की तरफ देखा। उसने एक बार पलके उठाकर मेरी तरफ देखा, पर मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वापिस पलकें झुका ली।
उसने अपूर्वा का हाथ पकड़ रखा था। मैं उनके पास आया। किसी को और किसी चीज की सवारी करनी हो तो बताओ, अभी तो इधर ही हैं, मैंने कहा।
झुला----- रिया ने झूले की तरफ अपनी उंगली करते हुए कहा।
हम झूले के पास आ गये, अपूर्वा मेरी तरफ देखते हुए झूले पर बैठ गई, और नवरीत भी उसके साथ बैठ गई। जब नवरीत ने झूले पर चढने के लिए पैर आगे बढ़ाया तो मेरी नजर उसकी सलवार पर गीले स्पॉट पर पड़ी तो मैं गौर से देखने की कोशिश करने लगा, परन्तु तब तक उसने अपना दूसरा पैर भी आगे बढ़ा दिया था, जिससे मैं देख नहीं पाया।
मैं और रिया उनके सामने वाले सीट पर बैठ गये। मैं नवरीत की जांघों में वो गीला स्पॉट ढूंढने की कोशिश करने लगा, परन्तु कुर्ती के कारण कुछ नहीं दिख पा रहा था। सुमन हमारे से आगे वाली सीट पर बैठ गई और उसके साथ एक अंकल आंटी और उनका एक बच्चा बैठ गया। सीट फुल होने के बाद झूले वाले ने झूला चलाया और जैसे ही झुला थोड़ा सा तेज हुआ नवरीत की कुर्ती हवा के झोंके से उड गई और मेरी नजर तो वहीं पर थी, नवरीत की योनि के आगे से सलवार पर हलका सा गीलापन था। वो मेरे हाथों की छुउन से ही चरम सुख का आनंद ले चुकी थी। और इसीलिए शायद वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी। नवरीत ने कुर्ती को नीचे करके अपना हाथ जांघों पर रख दिया। झुला तेज तेज चलने लगा।
मैंने नवरीत के चेहरे की तरफ देखा, वो अभी भी गुलाबी था और उसकी नजरे नीचे ही झुकी हुई थी। वो अपूर्वा को पकड़कर बैठी थी। चेयर की बेल्ट ने उसके पेट को अच्छे से बांध रखा था। झुला तेज घूमने लगा तो मेरा सिर भी घूमने लगा और मुझे चक्कर आने लगे।
पांच मिनट तक झूला ऐसे ही तेज तेज घूमता रहा, तब कहीं जाकर वो धीमे होना शुरू हुआ। मेरा तो बुरा हाल हो चुका था। सिर पूरी तरह घूम रहा था। झुला रूकने पर सभी नीचे उतर गये। मैंने जैसे ही नीचे पैर रखा तो पैर डगमगाने लगा और मैंने झूले को पकड़ लिया। यही हाल अपूर्वा का भी था। उसने मुझे कसके पकड़ लिया। बाकी तीनों पर कोई असर नहीं था।
जब थोडी देर बाद हम नोर्मल हुए तो मैंने तीनों की तरफ देखा, वो हमें देख देखकर हंसे जा रही थी। अपूर्वा ने अभी भी मुझे पकड़ा हुआ था, उसके उभार मेरे कंधे के पास हाथों पर सटे हुए थे। नोर्मल होने के बाद अपूर्वा ने उनकी तरफ देखा।
क्या खीं खीं किये जा रही हो, इतनी तेज धूमा था कि अब तक सिर घूम रहा है, अपूर्वा ने गुस्सा होते हुए तीनों से कहा।
हम आप पर थोडे ही हंस रहे हैं दी, हमें तो इन महानुभाव पर हंसी आ रही है, देखो कैसे पैर भी लड़खड़ा रहे हैं, रिया ने कहा।
मुझे नहीं लगता कि अब ये खुद चलकर घर तक चले जायेंगे, हमें ही इनको उठाकर घर पटक कर आना पडेगा, नवरीत ने जुमला कसते हुए कहा। मेरी स्थिति देखकर वो उंट पर घटित घटना को भूल चुकी थी और अब खुलकर हंस रही थी और मेरा मजाक उडा रही थी।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:16 PM,
#34
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--34
गतांक से आगे ...........
ऐसे ही मजाक करते हुए हम पार्किग की तरफ चल दिये, वो दो स्कूटी पर आई थी। मैंने अपनी बाइक निकाली, अपूर्वा ने स्कूटी और रिया और नवरीत ने भी अपनी अपनी स्कूटी निकाली। हम बाहर आ गये। बाहर निकलते ही सामने एक फलूदा आइसकरीम वाला खडा था।
मुझे आइसकरीम खानी है, अपूर्वा ने आइसकरीम वाले को देखते ही कहा।
मैंने बाइक उसकी तरफ दौडा दी।
पांच प्लेट बनाना भाई, मैंने बाइक खड़ी करके आइसकरीम वाले के पास जाकर कहा।
कौनसे वाली बनाउ, उसने कहा।
मैंने लिखे हुए रेटों की तरफ देखा, पच्चपन वाली बना दो, मैंने सबसे ज्यादा रेट वही देखकर कहा।
उसने पांच प्लेट आइसकरीम बना दी। काफी बड़ी बड़ी प्लेट पूरी तरह से भरी हुई थी। सभी ने एक एक प्लेट ली और खाने लगे। बहुत ही स्वादिष्ट थी। इतनी स्वादिष्ट थी कि मैं तो जल्दी जल्दी सारी चट कर गया।
देखो कैसे खा रहे हैं, अरे हम नहीं खोसने वाले, आराम से खा लो, कहीं अटक सटक गई तो हमें ही निकालनी पडेगी फिर, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर सभी हंसने लगे। मैंने जल्दी से खाकर उसे पैसे दिये। उन सबकी तो अभी आधी भी खत्म नहीं हुई थी। मैं बाइक पर बैठ गया। मेरे बैठते ही अपूर्वा भी मेरे सरकाते हुए मेरे साथ बाइक पर ही बैठ गई।
अपूर्वा के बैठते ही नवरीत अपनी स्कूटी पर बैठ गई और सुमन रिया की पर और रिया अपूर्वा की पर। धीरे धीरे कोई दस पंद्रह मिनट में उन्होंने वो आइसकरीम खाई।
तभी मेरा फोन बजने लगा, मैंने फोन निकाला तो देखा आंटी का था। मैंने रिसीव किया।
हैल्लो आंटी, मैंने कहा।
हैल्लो बेटा, एक बार नीचे आ जाते, वो सोनल का पता नहीं कहा गई है, और वो मालिस करनी थी, दूसरी तरफ से आंटी ने कहा।
आंटी अभी तो मैं बाहर हूं, जैसे ही मैं पहुंचता हूं, आते ही कर दूंगा, मैंने कहा।
बाहर हो क्या बेटा, चलो कोई बात नहीं, आने पर कर देना, और नहीं तो तब तक सोनल ही आ जाये, आंटी ने कहा।
मैंने फोन काट दिया।
किसका फोन था, फोन काटते ही अपूर्वा ने पूछां
आंटी का था, मैंने कहा। वो उनके घुटनों में दर्द रहता है, तो सुबह दवाई लाये थे, वो थोड़ी मालिश करनी थी, सोनल कहीं गई हुई है, मैंने कहा।
तभी नवरीत ने अपना मोबाइल निकाला और नम्बर डायल करने लगी। नम्बर डायल करके उसने मोबाइल कान पर लगाकर कंधे से पकड़ लिया।
हैल्लो, कहां है तूं, नवरीत ने कहा।
?????????????????????
वहां क्या कर रही है, जानेमन, नवरीत ने फिर कहा।
?????????????????????
क्या, ------
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अरे कुछ नहीं----
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बस ऐसे ही कर लिया था---------------
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वो क्या है कि मूवी देखने आई थी तो यहां पर समीर और अपूर्वा मिल गये------------- अभी समीर के पास तुम्हारी मम्मी का फोन आया था तो उससे पता चला कि तू घर पर नहीं है, इसलिए मैंने फोन कर लिया कि पूछूं तो कहां पर है तू------------
?????????????????????
नहीं--------
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तो---------
?????????????????????
ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है, समझी, नहीं तो फोन में घुस में दो लगाउंगी,,,,,,
?????????????????????
क्या कहा तुने,,,,,,,, उस दिन तो बडी चिपक के बैठी थी, अब बेकार हो गया,-------
?????????????????????
हुआ क्या---- ये तो बता-------
?????????????????????
अरे तो बतायेगी नहीं तो पता कैसे चलेगा------------
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अच्छा मुझे तुसझे एक बात पूछनी है, एक मिनट रूक------- (और नवरीत हमसे थोड़ा साइड में चली गई, क्या बात हुई हमें कुछ नहीं सुना)।
फोन पर हुई बातों से ये तो पता चल गया था कि वो सोनल से बात कर रही थी, पर क्या कया बातें हुई ये समझ में नहीं आया।
थोडी देर बाद वो बात खत्म करके वापिस आई। और मेरे पास आकर मेरे गालों को भींचने लगी।
ओए होए,,,,,,,,,,, मेरे अन्ना हजारे----------- नाराज कर दिया ना मेरी दोस्त को, नवरीत ने दोनों हाथों से मेरे गालों को भींचते हुए कहा।

पर मैं बड़ी खुश हूं, तुम्हारे इस काम से,,,,,, नवरीत ने फिर कहा।
तभी मेरा फोन बजने लगा, मैंने देखा तो मम्मी का फोन था। मैंने कॉल रिसीव की।
नमस्ते मम्मी जी, मैंने कहा।
नमस्ते बेटा, कैसे हो, मम्मी ने कहा।
ठीक हूं मम्मी जी, मैंने कहा।
छुट्टी ले ली या नहीं ऑफिस से, मम्मी ने कहा।
छूट्टी, किसलिए,,,,, मैंने कहा।
घर नहीं आना तुझे,,,,,,,, मुझे कुछ नहीं पता,,,,, कल तक मुझे घर पर चाहिए तू----------- मम्मी ने गुस्सा होते हुए कहा।
पर किसलिए---- अभी तो छुट्टी भी नहीं है---- मैंने कहा।
इतवार को तुझे देखने वाले आयेंगे,,,, और अगर तू इतवार तक घर नहीं आया ना तो फिर देख लेना------ बहुत मारूंगी---- मम्मी ने कहां
आप भी ना मम्मी,,, अभी मेरी शादी की उम्र भी हुई है------- मैंने बहाना बनाते हुए कहा।
मैंने क्या कहा है, इतवार तक घर पहुंच जाना,,,,,, मम्मी ने कहा।
ठीक है,,, मम्मी जी,,,, देखूंगा-------- मैंने कहां
देखूंगा नहीं,,,, अगर नहीं आया ना तो उधर ही डंडा लेके आउंगी------ मम्मी ने डांटते हुए कहा।
ठीक है---- आ जाउंगा----- अब खुश--- मैंने कहा।
तबीयत ठीक है ना तेरी------ मौसम चेंज हो रहा है, थोड़ा धयान रखना------ कहीं बिमार पड़ जाये--- मम्मी ने कहा।
मैं बिल्कुल ठीक हूं मम्मी जी---- आप चिंता मत करो----- मुझे कुछ नहीं होगा--- मैंने कहा।
ठीक है---- और इतवार तक आ जाना याद करके----- मम्मी ने कहा।
ओके---- मम्मी आ जाउंगा,, बाये----- मैंने कहा।
बाये बेटा------ कहते हुए मम्मी ने फोन रख दिया।
क्या कह रही थी आंटी---- मेरे फोन जेब में रखते ही अपूर्वा ने पूछा।
अरे वही----- कि देखने वाले आ रहे हैं--- संडे तक घर आ जाना----- मैंने कहा।
तो--- जा रहे हो----- अपूर्वा ने कहा।
अब जाना तो पड़ेगा ही----- मैंने कहा।
नवरीत कभी मेरी तरफ तो कभी अपूर्वा की तरफ देख रही थी।
शादी में हमारा भी निमंत्रण होगा या नहीं---- रिया ने कहा।
जरूर क्यों नही होगा---- शादी होगी तो आपका निमंत्रण भी होगा---- मैंने कहा।
क्या मतलब शादी होगी तो------- अब देखने वाले आ रहे हैं तो शादी तो होगी ही----- सुमन ने कहा।
देखने के लिए आ रहे हैं, कोई सगाई करने नहीं आ रहे---- मैंने कहा।
तो---- तुम्हें तो कोई भी देखते ही शादी के लिये हां कर देगें------ अपूर्वा ने कहा।
पर जरूरी थोड़े ही है कि मैं भी हां कर दूं----- मैंने कहा।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा खुश हो गई और अपना हाथ मेरे हाथ में डाल दिया।
अच्छा तुम्हें कैसी लड़की पसंद है----- नवरीत ने कहा।
कैसी से क्या मतलब है---- अब कोई मैंने उसकी तस्वीर थोडे ही बना रखी है कि तुम्हें दिखाकर बता दूं कि ऐसी लडकी पसंद है, मैंने कहा।
फिर भी---- दिखने में कैसी हो------ किस टाइप की हो----- नवरीत ने पूछा।
अच्छा चलो---- अगर मेरे जैसी मिले तो चलेगी---- मेरे कुछ कहने से पहले ही नवरीत ने फिर कहा।
दौडेगी जी-------- आप चलने की कह रही हो---- मैंने कहा।
क्यों मुझमें ऐसा क्या है--- जो दौड़ेगी---- नवरीत ने कहा।
सब कुछ तो है जी----- चंचलता---- सादगी----- हंसमुख------ अच्छा स्वभाव, इतनी सुंदर हो--- और प्यारी भी इतनी हो कि मन करता है कि खा जाउं----- मैंने कहा।
बकसना जी बकसना---- अब तो थोड़ा संभल कर रहना पडेगा आपसे-------- कहीं सच में ही ना खा जाओ--- नवरीत ने कहा।
अच्छा अगर अपूर्वा जैसी लड़की मिले तो---- नवरीत ने फिर कहा।
तभी नवरीत का फोन फिर से बजने लगा--- उसने कॉल रिसीव की।
जी डैडी जी------
?????????????????????
नहीं, बस आ ही रहे हैं--------
?????????????????????
हां---- ठीक है--- बस अभी पहुंच जाउंगी-----
?????????????????????
नहीं ज्यादा देर नहीं लगेगी----
और उसने फोन काट दिया।
चलो चलो--- जल्दी चलो----- घर पे मेहमान आये हुए हैं, नवरीत ने स्कूटी स्टार्ट करते हुए कहा।
गहरा अंधेरा हो चुका था। हम सभी अपने अपने साधनों पर बैठे और घर की तरफ चल दिये। अपूर्वा नवरीत के साथ ही चली गई। और मैं अपने घर आ गया।
घर पर आकर मैंने बाइक खडी की और उपर जाने लगा तो आंटी बाहर ही बैठी थी।
आ गये बेटा---- सोनल तो अभी तक नहीं आई है--- चलो तुम ही मासिल कर दो,, आंटी ने कहा।
जी आंटी जी--- तेल कहां पर है,, मैंने कहा।
वो रसोई में रखा है बेटा--- आंटी ने रसोई की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैं रसोई में से तेल उठा लाया। आंटी चेयर पर बैठी थी--- और उन्होंने अपनी सलवार घुटनों से उपर कर ली और पैर आगे की तरफ कर दिया।
मैं नीचे बैठ गया और उनकी मालिश करने लगा। दोनों घुटनों की मालिश करके अभी मैं उठ ही रहा था कि नीचे गेट खुलने की आवाज आई। मैंने नीचे देखा तो सोनल आई थी--- वो स्कूटी खड़ी कर रही थी। मैं उठा और तेल को किचन में रखा और आंटी के पास आकर बैठ गया।
कुछ आराम भी हुआ है आंटी, या नहीं- मैंने कहा।
अभी तो कुछ आराम नहीं हुआ है बेटा---- एक दो दिन तो लगेगा ही---- थोड़ा थोड़ा आराम होने में--- आंटी ने कहा।
सोनल उपर आ गई। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो नाक सिकोड़ते हुए अंदर चली गई।
ओके आंटी--- गुड इवनिंग, कहते हुए मैं खड़ा हो गया और उपर आ गया।
पूनम छत पर ही थी--- परन्तु उसके साथ वो दोपहर वाली लड़की भी थी,,, इसलिए मैं सीधा अंदर आ गया और बेड पर लेट गया। भूख तो कुछ खास नहीं थी,,, इसलिए खाना नहीं बनाया।
मैं बाहर आकर छत पर टहलने लगा। मेरी नजर सामने वाले मकान पर गई तो वहां उपर एक लड़की टहल रही थी---- वैसे तो अंधेरा था, पर देखने से ही पता चल रहा था कि वो विदेशी है----- एकदम गोरी-चिटी---- टी-शर्ट ऐसी पहनी हुई थी कि नाभि भी साफ दिखाई दे रही थी---- और फिर शॉर्ट भी ऐसी की अगर झुक जाये तो आधे कुल्हें बाहर आ जाये। उसके उभार कुछ छोटे छोटे ही लग रहे थे---- अंधेरा था--- इसलिए कुछ भी साफ नहीं दिखाई दे रहा था। शॉर्ट एकदम टाइम थी जिससे छोटे छोटे कुल्हें--- उजागर हो रहे थे---- बहुत ही स्लीम थी वो लड़की--- कमर इतनी की दोनों हाथों में पकड़े तो पूरी कवर हो जाये।
अभि---- एक मिनट इधर आना----- जब उसकी ये आवाज मेरे कानों में पड़ी तो ऐसा लगा कि जैसे कोयल बोली हो।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:16 PM,
#35
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--35
गतांक से आगे ...........
यार हिन्दी तो इतनी अच्छी तरह से बोलती है, जैसे भारत की ही रहने वाली हो--- पर देखने से तो नहीं लग रही, मैंने खुद से कहा।
मैंने नीचे गेट पर देखा तो टू-लेट का बोर्ड हट चुका था। तो ये इनके नये किरायेदार हैं, मैंने खुद से कहा।
क्या हुआ,,, मारशैला--------- अंदर रूम में से निकलते हुए एक लड़के ने कहा।
शायद यह अभि था। लड़का भारतीय ही था।
वो उधर देखो, वो वो अंकल क्या कर रहे हैं,, लड़की ने कहा।
उनके मकान भी कोने पर ही था, पर उनके मकान के सामने से एक दूसरी गली भी निकलती है तो मुझे उस गली का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
वो कुछ देर उधर ही देखते रहे। मैं दूध लेने के लिए नीचे आ गया। सोनल नीचे गेट के पास खड़ी थी। गेट आधा खुला हुआ था। मैंने और खोलने की जहमत नहीं उठाई और सोनल से सटते हुए बाहर निकल गया। मैंने थोड़ा आगे निकल कर वापिस मुड़कर देखा, तो वो मुझे ही घूर रही थी। जब मैं गली के सामने से गुजरा तो उस तरफ देखा तो एक अंकल गधे की सवारी कर रहे थे, और कुछ बच्चे उनके पिछे पिछे भाग रहे थे। उन्हें देखकर मेरी हंसी छूट गई। मैं दूध लेकर आया। सोनल अभी भी गेट में ही खड़ी थी। मैं फिर से वैसे ही उससे सटकर निकलते लगा, पर जैसे ही मैं उसके सटकर निकलते हुए उसके बगल में पहुंचा, उसने मुझे अपने शरीर से धक्का दे दिया और मैं गिरते गिरते बचा।
ये क्या बदतमीजी है, मैं थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा।
बड़े आये तमीज वाले, इतनी ही तमीज की चिंता होती तो ऐसे मुझसे सटकर नहीं निकलते, सोनल ने मेरी चिढ निकालते हुए कहा।
तुम्हें हो क्या गया है, कहीं कोई भूत-वूत तो नहीं घुस गया है तुम्हारे अंदर, मैंने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा।
मैंने कहा ना कि मुझसे बात करने की जरूरत नहीं है, अपने काम से काम रखो, उसने झल्लाते हुए कहा।
तभी मेरी नजर सामने वाली छत पर गई, वो लड़की मुंडेर के पास खड़ी थी और हमें ही देख रही थी।
भाड़ में जाओ, मैंने उस लड़की की तरफ देखते हुए सोनल से कहा और उपर की तरफ चल दिया। उपर पहुंचकर मैंने उस छत पर देखा तो वो लड़की अंदर जा चुकी थी। मैं भी अंदर आ गया और दूध गर्म करने के लिए रख दिया। दूध गर्म करने के बाद मैं बाहर छत पर आ गया।
हाय समीर, पिछे से पूनम की आवाज आई।
मैं उनकी तरफ घुमा तो पूनम और वो दोपहर वाली लड़की छत पर खड़ी थी और मेरी तरफ ही देख रही थी।
हाय, कैसी हो,, मैंने उनकी तरफ बढ़ते हुए कहा।
एकदम मस्त,, इनसे मिलों ये हैं मेरी बड़ी बहन पायल--- पूनम ने कहा।
हाय पायल जी--- कहते हुए मैंने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।
हाय, समीर जी, कैसे हैं आप, पायल ने मुझसे हेंडशेक करते हुए कहा।
एकदम कोमल हाथ था उसका।
आप पहले तो कभी नहीं दिखी यहां पर, मैंने हाथ छोड़ते हुए कहा।
वो दीदी, मामा जी के यहां रहती हैं, दिल्ली में, वहीं पर पढ़ती थी, पूनम ने जवाब दिया।
अब पहली बार मैंने उस लड़की को सही तरह से देखा था, काफी सुंदर थी और भरा हुआ बदन था। कपड़े बहुत ही सलीके से सही तरह से पहने हुए थे जिसमें से एक एक कर्व शानदार तरीके से दिखाई दे रहा था। उसे देखकर न तो ऐसा ही लगता था कि चालू है और न ही ऐसा कि सीधी-साधी है।
शायद इश्क-विश्क प्यार-व्यार का कोई चक्कर है इसका, मैंने मन ही मन सोचा।
आप बहुत ही सुंदर लग रही हैं, नॉर्मली लड़कियों को देखकर हॉट या सैक्सी कहते हैं, पर आपको देखकर बस एक ही शब्द आ रहा है, ब्यूटीफुल, मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा।
अपनी तारीफ सुनकर वो शरमा गई, नजरे नीची कर ली और पूनम के थोड़ा सा पिछे हो गई।
अरे दीदी आप तो ऐसे मेरे पिछे छुप रही हो, जैसे मैं बड़ी हूं आपसे, पूनम ने कहा।
पायल ने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर से अपनी नजरें झुका ली।
तभी अंकल (पूनम के पापा) उपर आ गये।
क्या चल रहा है, पड़ोसियों में, उपर आते हुए अंकल ने कहा।
देखो न पापा, दीदी कैसे शरमा रही है, देखों मेरे पिछे छुपी हुई है, पूनम ने कहा।
उसकी बात सुनकर मैं और पायल एकदम सकपका गये। पायल ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा।
क्यों शरमा रही है मेरी गुडिया रानी, अंकल ने कहा।
समीर ने इनकी तारीफ में दो शब्द क्या कह दिये, छुईमुई बन गई हैं दीदी, पूनम पर पायल की आंखों का कोई असर नहीं हुआ।
अंकल ने मेरी तरफ देखा और फिर पायल को कहने लगे।
बेटा, तुम इतनी सुंदर हो, तो लोग तो तारीफ करेंगे ही, इसमें शरमाने की क्या बात है, और वैसे शरमाना ठीक भी है, शरम तो औरत का गहना होती है, अंकल ने मुस्कराते हुए कहा।
थोड़ी देर अंकल मुझसे मेरे काम और घर के बारे में पूछते रहे। 11 बजने वाले थे, तो अंकल और वो दोनों नीचे चले गये। मैं भी अपने रूम में आकर लेट गया।
रूम में आते ही मुझे कुछ सूना-सूना सा लगने लगा और सोनल की याद आने लगी।
मैं उठकर बाहर आ गया और नीचे झुककर देखा। वहां पर कोई नहीं था। मैंने सोनल को कॉल की पर उसने फोन काट दिया।
तुरंत ही उसका मैसेज आया, ‘क्या है, क्यों परेशान कर रहे हो’।
क्या हुआ यार, क्यों नाराज हो, (देखों सारे एक्सबी वाले कितने परेशान हो गये हैं, मुझसे पूछते रहते हैं कि इस सोनल को क्या हुआ अब

कुछ देर तक कोई रिप्लाई नहीं आया।
आ जाओ ना यार, बहुत अकेला अकेला लग रहा है, मैंने फिर मैसेज किया।
मुझे ऐसे लड़के बिल्कुल पसंद नहीं है, जो ज्यादा इमानदार बनने का ढोंग करते रहते हैं, सोनल का रिप्लाई आया।
तो अब मैंने क्या किया,,, मैंने वापिस मैसेज भेजा। कुछ कुछ मेरी समझ में तो आ रहा था पर फिर भी क्लियर करना जरूरी था।
पूछ तो ऐसे रहो हो, जैसे कुछ मालूम ही ना हो,, उसका रिप्लाई आया।
अब मुझे क्या मालूम,, तुम कुछ बताओगी तभी तो मालूम चलेगा, मैंने मैसेज किया।
फाला आज तो बैलेंस की ऐसी-तैसी होकर रहेगी, एक मैसेज का एक रूपया लग रहा था, अब उसको कह भी नहीं सकता कि एक मैसेज में जवाब दे दे,, और जयादा नाराज ना हो जाये कहीं।
सुबह पचास रूपये में काम चल रहा था, पर नहीं मैं तो अन्ना हजारे का खास चेला हूं,, रिश्वत तो दूंगा ही नहीं, उसका मैसेज आया।
अभी मैं मैसेज टाइप कर ही रहा था कि फिर से एक और मैसेज आया।
दो सौ रूपये लगे वो लगे, दो घंटे लाइन में खड़ी रही, चालान भरने के लिए और फिर पता चला कि ये तो जनाब के लाइसेंस पर है, वो ही भर सकते हैं।
तो यार, तेरे को किसने कहा था, चालान भरने के लिए, मैं खुद भर आता,, मैंने टाइप किये हुए मैसेज को ड्राफट किया और नया मैसेज टाइप करके भेजा।
तो चालान कटवाने की जरूरत ही क्या थी, जब वो पैसे लेकर मान रहा था तो, उसका जवाब आया।
तुम उपर आ जाओ, यहां बैठकर बात करते हैं, मैंने मैसेज भेजा।
मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी, उसका रिप्लाई आया।
अब इसका क्या करूं, मैं बैठकर सोचने लगा।
फिर मैसेज आया, ‘हर कोई पैसे देकर अपना काम निकलवाता है, पर आपको को डॉक्टर ने मना किया है ना रिश्वत देने से’।
और रिश्वत नहीं थी वो, चालान के भी पैसे लगे, वो उनको दे देते तो परेशान होने से बच जाते,,, एक और मैसेज आया।
यार, ये लड़की भी ना, अब इसको कैसे समझाउं, मैं सोचने लगा।
यार तुम एक बार आ जाओ ना, या फिर मैं आ जाता हूं, आराम से बैठकर समझाता हूं तुम्हें, मैंने मैसेज किया।
न तो मुझे कुछ समझना है, और न ही कुछ समझाना है, मैं किस लिए नाराज हूं मैंने बता दिया और मनाने से कोई फायदा नहीं है, अब मुझसे बात करने की कोशिश मत करना, उसका मैसेज आया।
फाला, इतने बैलेंस की ऐसी तैसी करके, अब कह रही है कि बात भी मत करना, मैंने गुस्से में खुद से कहा और मोबाइल को स्वीच ऑफ करके जेब में रख लिया।
कुछ देर मैं बाहर बैठा हुआ दिमाग को खुजलाता रहा और फिर उठकर अंदर आ गया।
12 बज गये थे, पर नींद आंखों के आसपास भी नहीं थी।

अंदर आकर मैं बेड पर लेट गया और सोनल के बोर में सोचता रहा, और सोचते सोचते ही नींद आ गई।

उठो----- अभी तक सो रहे हो, ऑफिस नहीं जाना क्या, सोनल ने मुझे झिंझोडते कर उठाते हुए कहा।
उंहहह सोने दो ना, किती अच्छी नींद आ रही है, मैंने उसको भी बेड पर खिंचते हुए कहा।
तो ये बात है, जनाब को नींद नहीं आ रही, मस्ती सूझ रही है, सोनल ने बेड पर चढकर मेरे उपर लेटते हुए कहा।
मैंने अपनी दोनों बाहें उसकी कमर में कस दी और उसे अपनी बाहों में भींच लिया। सोनल ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और जोर जोर से चूसने लगी। मैं अपने हाथ नीचे की तरफ ले गया और उसकी इलास्टिक वाली पजामी को खींच कर नीचे सरका दिया और फिर अपने शॉर्ट को भी नीचे कर दिया। पजामी और शॉर्ट के साथ साथ हमारे अंदर के कपड़े भी नीचे हो चुके थे। मेरा लिंग सीधा सोनल की योनि पर जाकर टकराया, जिससे सोनल के होंठो से एक आह निकली, वो थोड़ा सा उपर को उठी और मेरे लिंग को अपनी योनिछिद्र पर सैट करके धीरे धीरे नीचे होती गई। मेरा लिंग मक्खन में चाकू की तरह उसकी योनि में समाता चला गया।
वो वैसे ही लेट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी। मेरे हाथ उसके कुल्हों को मसल रहे थे। हमारी टांगे एक दूसरे से उलझी हुई थी। वो इतनी वाइल्ड हो गई थी कि कभी खुद उपर आ जाती और फिर कभी पलटी मारकर मुझे उपर खींच लेती। बेड की चदद्र एक जगह इक्क्ठी हो गई थी। सोनल फिर से मेरे उपर आ गई और मेरे लिंग पर बैठ गई।
उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रखे और मेरे लिंग पर उछलने लगी।
मैं उसके अंदर की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरे लिंग ने झटके खाने शुरू कर दिये। मेरी पिचकारी उसकी योनि को अपने रस से भरने लगी।

और इसी के साथ मेरी नींद खुल गई। ओहहह---- सिसससट,, आज ये क्या हुआ,,, इस सोनल की बच्ची ने तो जीना हराम कर दिया है।
मैं उठकर बाथरूम में गया और खुद को साफ किया, अंडरवियर और शॉर्ट को बाल्टी में डालकर पानी डाल दिया और खुद को तौलिये से पौंछ कर तौलिया लपेट कर बाहर आ गया। मैंने दूसरा अंडरवियर और शॉर्ट पहना और बेड पर आकर बैठ गया। मैंने टाइम देखा तो साढ़े चार बजने वाले थे।
सिर में हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था। मैं वापिस बेड पर लेट गया और पांच बजे वाले अलार्म को बंद कर दिया। मैं सोने की कोशिश करने लगा और कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।
सात बजे अलार्म के बजने से मेरी नींद खुली। उठकर मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और नहा धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो गया। नाश्ता बनाने का टाइम नहीं बचा था, इसलिए बाहर ही खाने का प्रोग्राम बना लिया।
साढ़े आठ बजे मैंने रूम लॉक किया और नीचे आ गया। आंटी का दरवाजा खटखटाया, थोड़ी देर बाद सोनल ने दरवाजा खोला।
क्या है, क्यों शोर कर रहे हो, सोनल ने मुझपर झल्लाते हुए कहा।
शोर की बच्ची, चल वो चालान दे, भर आता हूं आज,, मैंने अंदर आते हुए कहा।
मम्मी को पता नहीं चलना चाहिए कि मैं तुमसे नहीं बोलती हूं, उसने मेरे पिछे आते हुए कहा।
सोनल ने मुझे चालान लाकर दे दिया, आंटी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी।
आंटी कहां हैं, मैंने उससे पूछा।
चालान मिल गया, अब फूट लो यहां से,, सोनल ने गुस्से से कहा।
मैं भी कौनसा कम था, उसके मुंह दर दरवाजा बंद करते हुए मैं बाहर आ गया और ऑफिस के लिए निकल लिया।
ऑफिस पहुंचते पहुंचते साढ़े नौ बज गये थे, सही स्पीड से आया था, फिर भी पता नहीं क्यों आज लेट हो गया।
अपूर्वा आ चुकी थी, मैंने उसकी स्कूटी के पास अपनी बाइक खड़ी की और ऑफिस की तरफ बढ़ गया।
जैसे ही ऑफिस में घुसा तो मुझे कोमल की चिकनी जांघों के दर्शन हुए पिछे की साइड से। अपूर्वा काम कर रही थी और कोमल उसकी चेयर के साथ खड़ी थी। कोमल ने शॉर्ट पहनी हुई थी जो उसके कुल्हों से थोड़ी सी नीचे तक थी। उसकी टीशर्ट भी नाभि से उपर तक ही थी।
मैं अंदर आ गया। बॉस भी ऑफिस में ही थे और अपने सिस्टम पर कुछ काम कर रहे थे।
गुड मॉर्निग सर, मैंने बॉस को देखते ही कहा।
गुड मॉर्निग, आज फिर लेट हो गये, बॉस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
सर वो, लेट उठा तो, इसलिए लेट हो गया, मैंने कहा और अपना सिस्टम चालू कर दिया।
गुड मॉर्निग अपूर्वा, गुड मॉर्निग कोमल, मैंने चेयर पर बैठते हुए कहा।
गुड मॉर्निग जी, अपूर्वा ने जवाब दिया। पर कोमल का कोई जवाब नहीं आया। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुंह बनाकर फेर लिया और अपूर्वा से बात करने लगी।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:16 PM,
#36
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--36
गतांक से आगे ...........
सर वो मुझे चालान भरने जाना है, तो अभी दस बजे मैं निकल जाउंगा, मैंने कहा।
कैसे कटवा लिया चालान, बॉस ने कहा।
सर वो कल हेलमेट भूल गया था, तो रस्ते में मिल गये, मैंने कहा।
ठीक है, जल्दी से भरवा आना, फिर वो सोनाली मैडम आयेेंगी आज, दो बजे के आसपास, बॉस ने कहा।
ओके बॉस, फिर तो मैं अभी निकल जाता हूं, पता नहीं वहां पर कितनी भीड़ मिले, मैंने कहा।
ठीक है, निकल जाओ, बॉस ने कहां
मैं उठ खड़ा हुआ और बाहर आ गया।
गुड मॉर्निग समीर, अभी तो आये थे अब कहां चल दिये, मैम की आवाज आई।
मैंने इधर उधर देखा तो कहीं दिखाई नहीं दी।
यहां अंदर रसोई में हूं, मैम ने कहा।
मैंने रसोई की तरफ देख तो मैम खिड़की के पास खड़ी थी। क्या मस्त लग रही थी।
वो मैम चालान हो गया था, भरवाने जा रहा हूं, मैंने कहा और बाइक स्टार्ट करके बाहर आ गया।

मैंने जाकर चालान भरा, एक दो ही भरने वाले थे, पांच मिनट में ही फ्री हो गया। फिर मैं वापिस ऑफिस की तरफ चल दिया।
वापिस आते वक्त रस्ते में खाना भी पैक करवा लिया, कयोंकि सुबह तो खाया नहीं था। थोड़ा सा एक्स्टरा पैक करवा लिया ताकि कोई और साथ खाने लगे तो, वैसे भी अपूर्वा तो खायेगी ही, वो तो मुझे कुछ भी अकेले खाने ही नहीं देती।
ऑफिस पहुंचकर मैंने बाइक पार्क की और ऑफिस की तरफ चल दिया।
समीर, इधर आओ एक बार, अंदर से मैम की आवाज आई तो मैं अंदर चला गया।
कोमल सोफे पर बैठी थी और कोई मैग्जीन पढ़ रही थी।
जी मैम, मैंने अंदर आकर मैम से कहा।
मैम कोमल के पास ही सोफे पर बैठी थी।
आओ बैठो, मैम ने अपने पास सोफे पर खाली जगह की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैंने एक बार कोमल की तरफ देखा और फिर मैम के पास जाकर बैठ गया। मैं बीच में था, एक तरफ कोमल थी और दूसरी तरफ मैम। कोमल ने अपनी एक कोहनी सोफे के साइड वाले स्टैण्ड पर रखकर अपना पंजे से सिर को सपोर्ट दे रही थी, जिस कारण से वो टेढी होकर बैठी थी। उसने अपने एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा रखा था। मैम ने भी अपने एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा रखा था, पर वो सीधी बैठी थी। मैम ने साड़ी पहनी हुई थी, जबकि कोमल ने वहीं सुबह वाले कपड़े (छोटी सी टीशर्ट और छोटी सी शॉर्ट) पहने हुए थे। कोमल की चिकनी गदराई हुई जांघे बार बार मेरी नजरों को अपनी तरफ खींच रही थी। मन कर रहा था कि हाथ रखकर सहला दूं। पर मैंने खुद पर कंटरोल रखा और अपना एक हाथ मैम की जांघों पर रख दिया।
अगर कोई बाहर से अंदर आता तो उसे मेरा हाथ मैम की जांघों पर दिख जाता, पर टेढे होकर बैठने के कारण कोमल को नहीं दिख रहा था, वैसे भी उसके चेहरे के सामने मैग्जीन थी।
मैम ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी योनि की तरफ खींच लिया। अब मेरा हाथ मैम की योनि के ठीक उपर था। मैंने कोमल की तरफ देखा तो वो मैग्जीन पढने में ही मशगूल थी।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके अपना दूसरा हाथ अपनी सातल पर ऐसे रखा कि वो हल्का सा कोमल की चिकनी जांघों से टच होने लगा।
कुछ देर तक मैंने अपना हाथ ऐसे ही रखा, कोमल ने कोई धयान नहीं दिया।
मेरा दूसरा हाथ मैम की योनि को साड़ी के उपर से ही सहला रहा था, मेरी नजरें कोमल को ही देख रही थी, ताकि स्थिति बिगडने से पहले संभला जा सके।
जब कोमल का कोई रिएक्शन नहीं हुआ तो मैंने अपने हाथ को एक बार अपने बालों में घुमाया और फिर से थोड़ा ज्यादा उसकी जांघों से सटाते हुए रख दिया। उसने मैग्जीन को साइड में किया और मेरी तरफ देखने लगी, पर मैं सीधा सामने देखने लगा। उसने अपना पैर थोड़ा सा साइड में कर लिया और फिर से मैग्जीन पड़ने लगी।
जी मैम, बोलिये क्या काम था, मैंने मैम को कहा।
वो मेरे पेट में दर्द हो रहा है, और तुमने एक दिन बताया था कि तुम नाभि (हमारे वहां पर इसको धरन बोलते हैं, पर अब सभी धरन समझते नहीं होंगे, इसलिए नाभि लिख रहा हूं) अच्छी देखते हो, इसलिए बुलाया था, कि क्या तुम मेरी नाभि देख दोगे, मैम ने कहा।
मैंने हैरान होते हुए मैम की तरफ देखा, मैंने तो कभी भी मैम को ऐसा कुछ नहीं कहा, मैंने मन ही मन सोचा।
मुझे ऐसे देखते हुए पाकर मैम ने अपनी एक आंख दबा दी। मैं समझ गया कि मैम थोड़े मजे लेने के लिए बहाना बना रही है।
आप नीचे लेट जाइये मैम, मैं देख देता हूं, मैंने कहा।
मैम खडी हुई और नीचे कालिन पर दरी बिछाकर उस पर लेट गई।
मैं मैम के पास गया और दूसरी साइड से होकर इस तरह से बैठ गया कि मेरा चेहरा कोमल की तरफ था और वो हमें साफ साफ देख सकती थी।
मैंने मैम की साड़ी का पल्लू हटाकर उनके उभारों पर रख दिया और हल्का सा उनके उभारों को दबा दिया। मैम के मुंह से एक हल्की सी आह निकली। मैंने कोमल की तरफ देखा, उसने जल्दी से मैग्जीन अपने चेहरे के सामने कर ली, मतलब वो हमें ही देख रही थी।
फिर मैं मैम के पेट की तरफ देखने लगा, एकदम कसा हुआ पेट था। मैंने अपनी उंगलियां मैम के पेट पर रख दी। जैसे ही मेरी उंगलियां मैम के पेट पर लगी तो मैम का पेट उछलने लगा और मैम आहें भरने लगी। मैंने हलके से कोमल की तरफ इस तरह से देखा कि उसको पता न चले कि मैं उसे देख रहा हूं, वो मैग्जीन के साइड से हमें ही देख रही थी।
मेरे चेहरे पर मुस्कान तैर गई।

मैं दबा दबा कर मैम के पेट को चैक करने लगा, जैसे बचपन में मम्मी हमारा चैक करती थी जब पेट में दर्द होता था (मम्मी को नाभि देखनी आती थी और वो पैरों को झटके मारकर ठीक कर देती थी)।
मैम ने साड़ी को काफी नीचे बांधा हुआ था, जिससे उनका पेडू भी नजर आ रहा था। मैंने ऐसे ही पेट को दबाते हुए नीचे की तरफ से चैक करने लगा। अब मेरा हाथ मैम की योनि से थोड़ा सा ही उपर चैक कर रहा था। मैं मैम के पैरा के बीच में आ गया और उनकी साड़ी को किनारों से पकड़कर थोड़ा सा नीचे कर दिया। उनकी योनि के उपर वाले हिस्से के बाल दिखाई देने लगे। मैंने कनखियों से कोमल की तरफ देखा तो वो बहुत ही गौर से हमें ही देख रही थी।
अब मैं मैम की योनि के पास हाथ लगाकर दबा दबाकर चैक करने लगा। कोमल की जांघे आपस में भींच गई थी और उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था। उसका एक हाथ उसकी जांघों के बीच में था जो जांघों के बीच भींचा हुआ था।
कुछ देर ऐसे ही दबा दबाकर कोमल को गरम करने के बाद मैं उठा और मैम की साड़ी को उनकी जांघों तक उपर कर दिया और फिर उनका पैर पकड़ कर हल्का सा झटका दिया। झटका थोडा सा तेज हो गया था। मैम के मुंह से एक आह निकली। मुझे लगा कि कहीं नाभि सरक ना गई हो अपनी जगह से तो मैं वापिस आकर चैक करने लगा। पर वो बिल्कुल नाभि के सेंटर में ही फुदक रही थी। मैंने चैन की सांस ली और फिर दूसरे पैर को भी एक बहुत ही हलका सा झटका मारा। और फिर वापिस आकर नाभि चैक की।
मैंने मैम की तरफ आंख दबाई।
अब तो कुछ आराम लग रहा है, मैम ने कहा।
मैंने एक कपड़े का गोला सा बनाया और मैम के पेट पर रख दिया और उसके पकड़े हुए ही मैम की गर्दन के नीचे हाथ लगाकर उठाने लगा। मैम उठने लगी। मैंने उन्हें उकडू बैठने को कहा। जैसे ही वो उकडू बैठी, जिस हाथ से मैंने कपड़े को पकड़ा हुआ था वो एक तरफ तो उनकी जांघों पर सट गया और उपर से मैम की चूचियों पर दब गया। मैम के मुंह से सिसकारी निकली। मैं मैम की चूचियों को मसलते हुए अपना हाथ बाहर निकाल लिया।
आप कुछ देर ऐसे ही बैठे रहिये, अपने आप ठीक हो जायेगी, मैंने कहा।
मैं वही सब कर रहा था, जैसे बचपन में मम्मी करती थी। आता जाता कुछ नहीं था।
थोड़ी देर बाद मैंने मैम से पूछा कि ठीक हो गया क्या।
हां अब आराम महसूस हो रहा है, मैम ने कहा।
मैंने उनकी कमर में हाथ लगाया और उनका हाथ पकड़कर उनको खड़ा किया और फिर सहारा देकर सोफे पर बैठाने लगा।
मैंने जान बूझ कर उनको कोमल से सटाकर बैठाया, और उनको बैठाते वक्त मेरा हाथ कोमल के नरम नरम कुल्हों से टच हुआ तो मैंने उन्हें और जोर से दबा दिया। बहुत ही नरम कुल्हे थे।
उसके कुल्हें और सातलों को रगड़ते हुए मैंने अपना हाथ निकाल लिया। कोमल मेरी तरफ तिरछी नजरों से देख रही थी।
ओके मैम अब मैं चलता हूं, मैंने कहा और बाहर आ गया। मैंने बाइक से खाना निकाला और ऑफिस में आ गया।
अपूर्वा काम कर रही थी, पर बॉस ऑफिस में नहीं थे।
बॉस कहां गये, मैंने अपूर्वा से पूछा।
आ गये आप, बॉस तो बैंक गये हैं, अपूर्वा ने कहा।
फाला, पहले पता होता तो, मैम और कोमल के और मजे लेकर आता, पर चलो कोई नहीं फिर कभी, मैंने मन ही मन सोचा।
चालान कैसे हो गया था, अपूर्वा ने पूछा।
अरे कल मैं बाइक तो लाया नहीं था, वो सोनल के साथ आया था, दोनों में से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था, और जैसे ही मयूर वाटिका के नीचे से निकले, सामने मामू खड़े थे। अब वापिस भी नहीं कर सकते थे, तो वो चालान कर दिया दौ सौ का।
आप चला रहे थे, अपूर्वा ने थोड़ा चेहरे पर सिकन लाते हुए पूछा।
नहीं, वो ही चला रही थी, पर जब चालान काटा तो लाइसेंस मैंने अपना दे दिया था, मैंने कहा।
अपूर्वा ने थोड़ी राहत की सांस ली।
ये क्या लाये हो, उसने मेरे हाथ में पकड़े पैकेट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
अरे सुबह लेट उठा तो, खाना तो बनाया नहीं, इसलिए अभी लेकर आ गया हूं, दोपहर को खा लूंगा, मैंने कहा।

तेरी आंखों के कैदी हैंए मोहब्बत काम है मेराए--------------- हैल्लो!
अपूर्वा का फोन बजा और उसने एक रिंग पूरी होने से पहले ही पिक कर लिया।
मैंरू वॉव यारए रिंगटोन तो बहुत अच्छी लगाई हैए
सीइइइइइइइइ--- अभी मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि अपूर्वा ने अपने मुंह पर उंगली रखकर चुप होने का इशारा किया।
मैं चुप हो गयाए अपूर्वा धीरे धीरे बातें करने लगीए वो इतनी धीरे बोल रही थी कि मुझे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था

तेरी आंखों के कैदी हैं, मोहब्बत काम है मेरा,----------- अपूर्वा के मोबाइल की रिंग बजी।
एक रिंग पूरी होने से पहले ही उसने कॉल पिक कर ली।
हैल्लो, मोबाइल को कान से लगाते हुए उसने कहा।
वो बहुत ही धीरे से बोली थी, और इसके बाद तो उसकी आवाज मुझे सुनाई देनी ही बंद हो गई थी, बहुत ही धीमी आवाज में बात कर रही थी।
किसका फोन था, जो इतने धीमे बात कर रही थी, उसके कान से फोन हटाते ही मैंने कहा।
अगर बताना ही होता तो इतने धीमे बात क्यों करती, उसने मुस्कराते हुए कहा।
उसकी ये बात मुझे इतनी गहरी जाकर लगी कि आंखों में से हल्के से आंखू निकल आये।
मैं भी ना कितना बेवकूफ हूं, इसकी अपनी पर्सनल लाइफ भी है, अब सभी चीजों के बारें में मुझे थोड़े ही बतायेगी, मैंने अपने मन को सांत्वना देते हुए मन ही मन खुद से कहा।
परन्तु एक टिस सी बन चुकी थी, जो परेशान कर रही थी।
मैंने सिस्टम की तरफ मुंह फेर लिया और आंखों में आये हलके आंसुओं को पोंछा और काम करने लगा। परन्तु जैसे ही साफ किये आंसु फिर से छलक आये।
जब रूके ही नहीं तो मैं उठकर बाथरूम चला गया और मुंह धोकर फ्रेश होकर वापिस आकर पानी पिया। पानी पिने के बाद कुछ हल्का सा महसूस किया। मैं काम करने लग गया। परन्तु टिस वैसी की वैसी ही थी, खत्म हो ही नहीं रही थी।
खाना तो खाया ही नहीं आपने, अपूर्वा की आवाज सुनकर मैं जागा।
नींद तो नहीं आई थी, पर ख्यालों में खो सा गया था। मैंने टाइम देखा, ढाई बजने वाले थे।
मैंने बीच में टेबल रखी और उस पर खाना लगा दिया।
आ जाओ, खाना लगा लिया है, खाते हैं, मैंने अपूर्वा से कहा, जो वापिस अपने काम में मशगूल हो गई थीं
क्या मैं, ना बाबा ना, सुबह कुछ ज्यादा ही खा लिया था, और अब खा लिया तो फिर शाम की छुट्टी हो जायेगी।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा पर वो फिर से अपने काम में बिजी हो गई थी।
आ जाओ ना यार, अब अकेले थोड़े ही खाउंगा, चलो ज्यादा नहीं तो थोड़ा सा खा लेना, मैंने उसकी चेयर को घुमाते हुये कहा।
वो हलके से मुस्कराई और हम खाना खाने लगे।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:17 PM,
#37
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--37
गतांक से आगे ...........
ये क्या है, ये कोई रोटियां हैं, एकदम ठण्डी पड़ी हैं, उसने एक रोटी को लटका कर दिखाते हुए कहा।
इतनी देर से रखी हैं तो ठण्डी हो गई, मैंने कहा।
हमने खाना स्टार्ट किया। अपूर्वा कम खा रही थी, मैंने दो रोटियां खा ली पर उसने आधी भी नहीं खाई थी।
ये क्या, मैं ज्यादा लाया था कि तुम भी खाओगी साथ में पर तुम तो खा ही नहीं रही, मैंने कहा।
खा तो रही हूं, और आपने ही तो कहा था कि चाहे कम खा लेना, पर साथ तो दो, उसने मुंह बनाते हुए कहा।
मैंने एक रोटी का कौर तोड़ा और सब्जी लगा कर उसकी तरफ बढ़ा दिया। वो पहले मुस्कराई और फिर अपना मुंह खोल दिया। मैंने रोटी उसे खिला दी, पर उसने जानबुझ कर मेरी उंगली को भी काट लिया और फिर हंसते हुए उठ गई।
बस, अब और नहीं खाउंगी, नहीं तो शाम को फिर भूख नही लगेगी, कहते हुए वो वासबेसिन की तरफ बढ़ गई।
अब जब वो उठ ही गई थी तो मैं भी क्या कर सकता था, मैंने खाना समाप्त किया और फिर कचरे को डस्टबिन में डाल दिया और हाथ धोकर वापिस अपने काम में मशगूल हो गया।
साढे तीन बजे कोमल चाय लेकर आई।
क्या हुआ, लगता है तुम्हारे आने के बाद तुम्हारी दीदी ने कामवाली को छुट्टी दे दी है, मैंने हंसते हुए कहा।
चुपचाप चाय ले लो, नहीं तो ये भी नहीं मिलेगी, कोमल ने घुर्राते हुए कहा।
ओ-के- जी, लाओ,,,,, खामखां में चाय भी क्यों छोडूं, बाकी तो पता नहीं मिलेगा या नहीं, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
पता नहीं उसे क्या सूझी, उसने मेरे पैर पर अपना पैर दे मारा। वो तो शुक्र है कि मैंने जूते पहन रखे थे, वरना काफी जोर से मारा था। पर ये उसे ही भारी पड़ा। बदले में मैंने उसके कुल्हें पर चुटकी काट ली, क्या नरम कुल्हें थे, एकदम मखमल जैसे। पतली पजामी में से जब मैंने उन्हें छुआ तो मेरा पप्पू ने सलामी पेश की।

अपूर्वा अभी हमारी तरफ नहीं घूमी थी, तो उसे कुछ मालूम नहीं चल रहा था और इसीलिए कोमल मेरी पिटाई कर रही थी।
लो हो गया पूरा, अब आराम से चाय पिउंगी, अपूर्वा ने अपनी चेयर को घुमाते हुए कहा।
वॉव, इतनी जल्दी पूरा कर दिया तुमने, मेरा तो अभी भी इतना बचा है कि तीन चार दिन और लग जायेंगे, मैंने खिलखिलाती हुई अपूर्वा से कहा।
अपने सिर में हाथ रख कर देखो, अपूर्वा ने खिलखिलाते हुए मेरे बालों की तरफ इशारा किया।
मैंने तुरंत अपने सिर पर हाथ रखा तो मेरे हाथ में छोटे छोटे दाने आये। कोमल की बच्ची रूक तेरी तो, कहते हुए मैं उठने लगा।
उसने मेरे बालों में नमकीन डाल दी थी। कोमल अपूर्वा के साइड में जाकर खड़ी हो गई और मुस्कराने लगी। मैं जैसे ही उसकी तरफ बढ़ा अपूर्वा बीच में आ गई।
उधर कहां जा रहे हो जनाब, आपकी चेयर उधर है, अपूर्वा ने मेरी चेयर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तुझे तो मैं बाद में देखूंगा, कहते हुए मैं वापिस अपनी चेयर पर बैठ गया।
बहुत देखें हैं बाद में देखने वाले, कहते हुए उसने अपूर्वा की तरफ हाथ बढ़ा दिया और दोनों ने ताली मारी।
मैं मुस्करा दिया कि धीरे धीरे लाइन पर आ रही है, जल्दी ही अलाइनमेंट भी हो जायेगा।
हमने चाय पीनी शुरू की।
शाम को मूवी देखने चले, चाय पीते हुए मैंने अपूर्वा से पूछा।
कच्चच--- अपूर्वा ने ना में अपने मुंह से आवाज निकाली।
क्यों, कोई काम है क्या, मैंने फिर से अपूर्वा से पूछा।
बस मन नहीं है, उसने ढीला ढाला उतर दिया और चाय पीने लगी।
मेरा चेहरा लटक गया।
आपका मन हो तो आपके साथ ही चलते हैं, मैंने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
मैं, उंहहह,,, वो भी तुम्हारे साथ, नाह,,,, मुझे देखनी होगी तो मैं खुद ही देख आउंगी, कोमल ने लगभग मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा।
मत जाओ, मैं अकेला चला जाउंगा, मैंने मुंह बनाते हुए कहा और अपनी चाय खत्म करके काम करने लगा।
पांच बजे मैंने अपना सिस्टम बंद किया और अपूर्वा की तरफ मुड़ा तो उसका सिस्टम बंद था और वो मोनीटर के सामने टेबल पर सिर रखकर सो रही थी।
नींद पूरी हो गई हो तो चलते हैं जी, चलने का टाइम हो गया, मैंने अपूर्वा से कहा।
बज गए पांच, उसने अपना चेहरा उठाते हुए कहा।
वो अपनी चेयर पर से उठी और बाहर की तरफ चल दी। मैं भी बाहर आ गया।
आज पूरे दिन में मैंने नोटिस किया कि अपूर्वा मुझसे पहले की तरफ बिहेव नहीं कर रही थी, पर मैंने ज्यादा धयान नहीं दिया।
हम बॉस को गुड इवनिंग बोलकर अपने अपने घर के लिए चल पड़ें।
घर आकर मैंने बाइक खड़ी की, सोनल की स्कूटी वहीं पर खड़ी थी, मतलब वो आज भी कॉलेज नहीं गई थी या फिर जल्दी आ गई थी।
मैं सीधा उपर आ गया। जैसे ही मैं छत पर पहुंचा तो सोनल और पूनम मुंडेर के पास खड़ी थी।

मैं सीधा उपर आ गया। जैसे ही मैं छत पर पहुंचा तो सोनल और पूनम मुंडेर के पास खड़ी थी।

आवाज सुनकर वो मेरी तरफ मुड़ी और मुझे देखते ही सोनल ने अपनी नाक सिकोड़ी और वापिस गली में देखने लगी।
गुड इवनिंग, पूनम ने मुझे देखकर कहा।
मैंने अपने रूम का लॉक खोला और फिर से सीढ़ियों के पास आकर खडा हो गया।
मैंने आंखों के इशारे से उसे जाने के लिए कहा तो वो मेरी तरफ सवालियों निगाहों से देखने लगी।
मैंने थोड़ा रिक्वैस्ट करने वाला चेहरा बनाकर हाथ जोड़कर उसे जाने के लिए कहा तो उसने आंख मारी दी।
ओह तेरे की, मर गई आज तो, पूनम ने अचानक ही कहा।
क्या हुआ, सोनल ने थोड़े आश्चर्य से पूछा।
मम्मी ने काम बताया था और मैं भूल ही गई, जाते हुए पूनम ने कहा।
मैं अभी भी सीढ़ियों के पास ही खड़ा था।
पूनम के जाते ही सोनल भी नीचे जाने के लिए बढ़ी। मैं थोड़ा सरकर सीढ़ियों के रस्ते के बीच में आ गया।
हटो, मुझे नीचे जाना है, सोनल ने मेरे सामने आकर खड़े होते हुए कहा।
पर मैं मुस्कराता हुआ खड़ा रहा। जब उसने देखा कि मैं नहीं हट रहा हूं तो उसने फिर से कहा।
क्या बेवकूफी है ये, हटो, मुझे नीचे जाने दो, उसने फिर से कहा।
पर मैं ऐसे ही खड़ा रहा। जब उसने देखा कि मैं नहीं हटूंगा, तो उसने वो मुझे एक तरफ धकाते हुए निकलने का प्रयास करने लगी।
पर मैंने उसे पकड़ा मेरा एक हाथ सीधा उसके कुल्हों पर और दूसरा उसकी गर्दन के नीचे और उसे गोद में उठा लिया।
छोउ़ो, क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे, क्या बदतमीजी है ये, सोनल ने दबी दबी आवाज में कहा, ताकि कोई और ना सुन ले।
मैंने उसके होंठों पर एक किस करनी चाही पर उसने अपना मुंह हटा लिया और मेरे होंठ उसके गालों पर जाकर टिक गये।
मैं उसे उठाये उठाये ही रूम की तरफ चल दिया। सोनल ने अपने पैर पटकने शुरू कर दिये। और मेरी छाती और कंधों पर मुक्के मारने लगी।
छोड़ो मुझे, नहीं तो देख लियो, अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिये, छोड़ो, कहते हुए उसके मुक्के तेज हो गये।
पर आज मैं उसे छोउ़ने के मूड में नहीं था, एक तो अपूर्वा की दी हुई टिस अभी तक थी और उपर से दो दिन से इसने भी परेशान कर रखा था।
मैं रूम में आ गया और दरवाजा बंद करके अंदर की कुंडी लगाने लगा, पर उसने दरवाजे को अपनी तरफ खींच लिया, जिससे मैं कुंडी नहीं लगा पा रहा था।
मैं ऐसे ही बेड की तरफ चलने लगा, पर उसने दरवाजे के हैंडल को पकड़ लिया था, जिससे दरवाजा खुल गया और मैं आगे नहीं बढ़ पाया।
छोड़ो ना अब इस दरवाजे को, नहीं तो टूट जायेगा, मैंने उससे कहा।
तुम मुझे छोड़ो नहीं तो देख लेना, बहुत बुरा हाल करूंगी, उसने गुस्सा होते हुए कहा।
उसने दरवाजा नहीं छोड़ा तो मैं परेशान हो गया, फिर मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने उसे गुदगुदी करनी शुरू कर दी। जैसे ही उसने मुझे रोकने के लिए दरवाजा छोड़ा मैंने पैर से दरवाजा बंद कर दिया और उसे बेड पर लाकर पटक दिया।
वो तुरंत उठकर भागने लगी, पर मैंने उसे पकड़ कर फिर से बेड पर पटका और उसके उपर आ गया।
छोडो मुझे, उंहहहहहहह,,,, उसने मेरी छाती में मुक्के मारते हुए मुझे पिछे धकाने की कोशिश करने लगी।
मुझे जाने दो, नहीं तो मैं चिल्लाउंगी, उसने कहा।
मैंने अपने हाथ उसके उभारों पर रख दिये और उन्हें मसलने लगा।
आउउउउचचचच, मैं सच में चिला दूंगी, नहीं तो जाने दो मुझे, उसने मुझे गुस्से से भरी धमकी दी।
मैंने अपनी शर्ट निकालनी शुरू कर दी।
वो मेरे चंगुल से निकलने के लिए मचल रही थी और मुझे धक्का दे रही थी।
मम्म्मम---------------------- उसने जोर से चिल्लाने के लिए मुंह खोला ही था कि मैंने अपना हाथ इसके मुंह पर रख दिया।
उसके मुंह से उंहहहह उंहहह उंहहहहह की आवाज निकलने लगी।
वो अपने हाथों से मेरा हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी, पर सफल नहीं हो पा रही थी।
मैंने अपनी शर्ट को ऐसे ही छोउ़ा और उसके उपर लेट गया और अपना हाथ हटाया। मेरा हाथ हटते ही उसने चिल्लाने की कोशिश की पर मैंने तुरंत अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये, उसकी आवाज मेरे मुंह में गुम हो गई।
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उपर की तरफ बेड पर रख दिये। फिर मैंने अपने पैरों की सहायता से अपने जुते निकाले और उसके पैरों को भी अपने पैरों से दबोच लिया। और अपनी जांघों को धीरे धीरे उपर नीचे करने लगा।

मैं उसके होंठों को चूसे जा रहा था और वो बार बार अपना चेहरा इधर उधर कर ही थी।
अचानक उसने मेरे होंठों पर अपने दांत गड़ा दिये और काटने लगी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। पर मैं पिछे नहीं हटा और दर्द सहता रहा। मेरे होंठों से खून निकलने लगा जो उसके मुंह में जाने लगा। जब उसे महसूस हुआ कि मेरे होंठों से खून निकल रहा था तो वो उसने अपने दांत हटा लिये। उसके दांत मेरे होंठों में काफी गहरे गढ़ गये थे, और अब जब उसने अपने दांत हटाये तो खून ज्यादा बहने लगा जो उसके होंठों पर गिरने लगा। उसने अपने होंठ बंद कर लिये ताकि खून उसके मुंह में ना जाये। खून उसके मुंह पर से बहने लगा। ज्यादा तो नहीं निकल रहा था, पर बार बार टपक रहा था।
पर मैंने परवाह ना की और उसके होंठों पर अपने होंठ टिका दिये। उसने अपने होंठों को भींच रखा था। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके मुंह में ठूंसने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद मेरी जीभ कामयाब हो गये और उसके होंठ खुल गये। मैं उसके उपर वो होंठ को अपने होंठों के भींच लिया। अब मेरा नीचे वाला होंठ उसके होंठों के बीच में था जिससे उससे निकल रहा खून सीधे उसके मुंह में जा रहा था।
उसकी आंखें बंद थी, पर मेरी खुली थी। उसके होंठ को चूसते हुए मुझे भी खून का स्वाद महसूस हो रहा था। मैं बुरी तरह से उसके उपर वाले होंठ को चूसने लगा।
उसने अपने हाथों को ढीला छोड़ दिया था, जिससे मैंने उसके हाथों को छोड़ा और अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठाकर अपनी जींस के हुक खोलने लगा।
हाथ फ्री होते ही उसने मेरी कमर में मुक्के मारने शुरू कर दिये। पर अब उसके मुक्कों में वो बात न थी।
उसने मेरे नीचे वाले होंठ को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने हुक खोलकर जींस को जांघ से नीचे सरका दिया, साथ में अंडरवियर भी नीचे हो गया।
उसके मेरे होंठ पर जीभ फिराने से मैं थोड़ा निश्चिंत हो गया था। जिससे उसने मौके का फायदा उठाया और मुझे बेड पर नीचे लुढकाते हुए उठ कर भागने लगी।
मैंने तुरंत एक्शन लिया और बेड से नीचे उतरने से पहले ही उसे पकड़कर अपने उपर खींच लिया।
अब मैं नीचे था और वो मेरे उपर पड़ी छुटने की कोशिश कर रही थी।
छोड़ो मुझे,, मम्म्म, जैसे ही उसने फिर से चिल्लाने की कोशिश की मैंने उसके मुंह को बंद किया और उसे वापिस बेड पर नीचे गिरा दिया और उसके उपर लेटकर अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये।
दूसरे हाथ को मैं नीचे की तरफ ले गया और उसकी पजामी को नीचे सरकाने लगा। वो छटपटाने लगी और बेड पर अपने पैर पटकने लगी।
मैंने अपने पैरों से उसके पैरों को जकड़ा और उसकी पजामी को जांघों से नीचे सरका दिया, पर वो कुल्हों के नीचे दबी हुई थी, जिससे ज्यादा नीचे नहीं हो पा रही थी।
मैंने एक पलटी खाई जिससे वो मेरे उपर आ गई और उसके कुछ समझने से पहले ही उसकी पजामी को कुल्हों से नीचे किया और फिर वापिस उसे अपने नीचे कर लिया।
मेरा लिंग उसकी जांघों पर ठोकर मार रहा था, पर अभी भी उसकी योनि और मेरे लिंग के बीच में पेंटी की दीवार खड़ी थी।
मैं पेंटी के उपर से उसकी योनि पर अपना लिंग दबाने लगा जिससे उसके मुंह से आहें निकलने लगी जो सीधे मेरे मुंह में जाकर गुम हो रही थी।
अब उसका शरीर ढीला पड़ गया था और उसने छूटने का प्रयास करना बंद कर दिया था। पर फिर भी मैंने चांस नही लिया, क्या पता पहले की तरह चाल चली हो उसने इस बार भी।
मैंने उसकी टी-शर्ट को उपर उठा दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, मेरा तो एक काम आसान ही कर दिया था उसने।

मैंने अपना हाथ उसके उभारों पर रख दिया और हौल्ले हौल्ले सहलाने लगा। अब उसके पैर मेरे पैरों की जकड़न में ही मचलने लगे और मेरे पैरों से घिसने लगे।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:17 PM,
#38
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--38
गतांक से आगे ...........
उस पर मस्ती छाने लगी। उसको मस्त होते देखकर मैंने उसके हाथों पर अपने हाथ की पकड़ थोड़ी सी ढीली कर दी पर छोड़े नहीं।
मैं उसके होंठों को चूस रहा था, शायद मेरे होंठ में से खून निकलना बंद हो गया था। उसने भी मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया था।
उसने अपने हाथों को झटका दिया, मैंने ढीला पकउ़ा हुआ था इसलिए उसके हाथ छुट गये। उसने अपने हाथ मेरी कमर पर रख दिये और शर्ट को उपर करके मेरी कमर को बुरी तरह सहलाने लगी।
फिर उसके हाथ मेरे सिर पर आये और मेरे सिर को पकड़कर मुझे बुरी तरह किस करने लगी।
मेरे दोनों हाथ फ्री हो गये थे, इसलिए मैं उसकी पेंटी निकलने की कोशिश करने लगा। एक हाथ मैंने उसके कुल्हों के नीचे दिया और नीचे से उसकी पेंटी को सरका दिया और फिर आगे से भी सरका कर जांघों तक कर दिया। मेरा लिंग सीधे उसकी योनि पर टक्कर मारने लगा।
अचानक उसने मुझे पलट कर बेड पर लेटा दिया और मेरे उपर आ गई और मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने और काटने लगी।
अब मैं निश्चिंत हो गया और आराम से उसकी टी-शर्ट को उसके शरीर से अलग करने लगा। एक एक करके उसके हाथों से मैंने टी-शर्ट को निकाल दिया, परन्तु जैंसे ही मैं उसके गले से निकालने लगा, वो एक तरफ लुढक गई और उठकर बेड से नीचे उतर गई और मुझे ठेंगा दिखाते हुए अपनी पजामी को उपर करके दरवाजे की तरफ भागी और दरवाजे पर जाकर अपनी टीशर्ट को पहने लगी।
मैं तुरंत उठा और इससे पहले कि वो टी-शर्ट पहनें उसको जाकर पिछे से पकड़ लिया और अपने हाथ उसके नंगे उभारों पर रख दिये। मेरा लिंग सीधा उसके कुल्हों की दरार में सैट हो गया। उसके मुंह से एक आह निकली और वो मेरे चंगुल से छूटने के लिए मचलने लगी।
वहीं खडे खडे मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी और उसे थोड़ा पिछे हटाकर उसके उभारों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा। मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर टिका दिये और उसके कुल्हों की दरार में अपने लिंग से हलके हलके धक्के मारने लगा।
उसकी टी-शर्ट को मैंने उसके जिस्म से अलग किया और एक तरफ फेंक दिया और फिर एक हाथ से उसकी पजामी को पेंटी के साथ नीचे सरका दिया और अपने पैरों से मसल मसल कर उसके घुटनों से नीचे तक पहुंचा दिया। फिर मैंने अपना एक पैर उपर किया और उसकी पजामी में फंसाकर उसके पैरों के पंजे तक निकाल दी।
मैंने अपना एक हाथ उसकी योनि पर रखा और अपनी उंगली उसकी योनि में फिराने लगा। वो मचल उठी और अपना चेहरा घुमाकर मेरे लबों पर अपने लब टिका दिये और अपने हाथ पिछे करके मेरे बालों में फिराने लगी और एक हाथ मेरी से मेरी गर्दन पकउ़ ली।
मैं इस जबरदस्ती में बहुत ही ज्यादा उतेजित हो गया था और मैं जोर जोर से उसके कुल्हों पर लिंग की ठोकरें मारने लगा। उसने अपने कुल्हों को पिछे की तरफ निकाल दिया, जिससे मेरा लिंग सीधा उसके गुदा द्वार पर जाकर टकराया।
उसके मुंह से तेज आहहह निकली और वो ओर जोर से मेरे लबों को चूसने लगी।
मैं अपने लिंग को उसके गुदा द्वार में घुसाने की कोशिश कर रहा था, पर ज्यादा टाइट होने के कारण अंदर नहीं जा रहा था।
मैंने अपने एक हाथ उसकी कमर पर रखा और उसके नीचे झुकाने लगा। मेरे हाथ के दबाव से वो नीचे झुकती चली गई और उसने झुक कर गिरने से बचने के लिए अपने हाथ सामने रखी टेबल पर रख दिये।
उसके इस तरह झुकने से उसकी योनि पिछे की तरफ निकल आई और मेरा लिंग अब उसकी योनि के उपर ठोकर मारने लगा। मैंने अपने एक हाथ लिंग को उसकी योनि द्वार पर एडजस्ट किया और एक जोर का धक्का मार दिया। मेरा लिंग उसकी योनि को चीरता हुआ सीधा उसके गर्भाश्य से जा टकराया। उसके मुंह से एक जोर की दर्द और आनंद की सिसकारी निकली और उसने अपनी कमर को पिछे की तरफ दबा दिया। मैंने अपना एक हाथ उसके उभार पर रखा और दूसरा उसके कंधे पर और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। उसकी योनि रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी, जिससे मेरा लिंग पूरा का पूरा बिना किसी परेशानी के अंदर जा रहा था। सोनल के मुंह से सिसकारियां निकल रही थी और वो अपनी कमर को बार बार पिछे की तरफ धक्का दे रही थी।
मेरी जांघें उसके नरम कुल्हों से टकराती तो मजे की एक लहर मेरे शरीर में दौड़ जाती और एक थप का संगीत उत्पन्न होता।
मैं बहुत ज्यादा गरम हो चुका था, और उसके अंदर की गर्मी को सहन नहीं कर पाया और मेरा लिंग और भी ज्यादा मोटा होकर अकउ़ गया, उसकी योनि ने मेरे लिंग को बुरी तरह जकड़ लिया और अपने रस की बौछार करनी शुरू कर दी।
मेरे लिंग की कठोरता, और मेरे गरम गरम रस को उसकी योनि भी सहन नहीं कर पाई और उसने भी अपना पानी बहाना शुरू कर दिया। मैं अभी भी तेज तेज धक्के लगा रहा था। जिससे मेरा और उसका रस एक पतली सी पिचकारी की धार की तरह बाहर की तरफ बैकफायर कर रहा था जो सीधा मेरी जांघों पर गिर रहा था।
मैंने अपनी जांघों को उसके कुल्हों से चिपका दिया और लिंग से रस की एक एक बूंद को उसकी योनि में टपकाने लगा।

सोनल का शरीर भी ढीला पड़ गया था और उसने अपना चेहरा टेबल पर रख दिया था और गहरी सांसे ले रही थी। मैं ऐसे ही उसकी कमर पर अपना चेहरा रखकर उसके उपर लेट गया। और हांफने लगा। अपने हाथों को मैंने नीचे लटका कर ढीला छोड़ दिया।
थोड़ी देर में मेरा लिंग छोटा होकर उसी योनि से बाहर आ गया। और मेरे लिंग के साथ साथ हमारा मिक्सचर भी उसकी जांघों पर से नीचे की तरफ बहने लगा। हम ऐसे ही आधे खडे आधे लेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे।
कुछ देर बाद सोनल ने उठने की कोशिश की तो मैं उसके उपर से उठ गया और उसे अपनी बांहों में उठाकर बेड पर लाकर लेटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गया। सोनल ने अपनी बांहें मेरे गलें में डाल दी और अपना चेहरा मेरी छाती पर रखकर मुझसे चिपक कर लेट गई।
हम ऐसे ही लेटे हुए थे, मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी कि तभी दरवाजे पर खट-खट हुई।


आवाज सुनते ही सोनल एकदम से उठ कर बैठ गई।
अब ये कौन कबाब में हड्डी आ गया, सोनल ने बड़बड़ाते हुए कहा और ऐसे ही बाथरूम की तरफ भागी और अंदर जाकर दरवाजा बंद कर लिया, पर वो अपने कपड़े तो यही छोउ़ गई थी जो बेड पर ही अस्त व्यस्त पड़े थे।
मैंने उन पर चदद्र डाल दी और तौलिया लपेटकर दरवाजा खोला। सामने पायल खड़ी थी।
उसे देखते ही मेरे होश उड़ गये। उसने गुलाबी टी-शर्ट जो कि उसकी नाभि को उजागर कर रही थी और नीचे एक नीकर जो कि उसके घुटनों से उपर ही रह गई थी, पहनी हुई थी।
उसके मोटे मोटे उभार देखकर मेरी नजरें वही पर जम गई और मेरे पप्पू ने तौलियों के अंदर तम्बू बना दिया।
हाय, उसने मेरी नजरों का पिछा करते हुए कहा और जब पता चला कि मेरी नजरें कहां पर है तो थोउ़ा झेंप गई।
उसकी आवाज सुनकर मैं सपने से बाहर आया।
हाय, आप, इतना कहकर मैं इधर उधर देखने लगा कि "ाायद पूनम भी उसके साथ ही आई हो। परन्तु वहां पर उसके इलावा कोई नहीं था।
अगर आपको एतराज न हो तो मैं अंदर आ सकती हूं, उसने कहा और मेरे उतर का इंतजार किये बगैर ही आगे की तरफ बढ़ गई। मैं थोड़ा सा साइड में हो गया, परन्तु वो कुछ इस तरह से अंदर की तरफ आई की मेरा लिंग उसकी साइड से उसकी जांघों से टकरा गया। मेरी तो सांसे रूक सी गई।
सोनल अंदर बाथरूम में ही थी, कहीं वो ये सोचकर बाहर ना निकल आये कि जो था वो चला गया होगा, मैं बस यही सोच कर घबरा रहा था।
कमरा तो शानदार सजा रखा है आपने, इतना साफ सुथरा तो मेरा रूम भी नहीं रहता, वो मुस्कराते हुए बोली।
जी ऐसा कुछ नहीं है, वो तो बस ऐसे ही, मैंने दरवाजे के पास खड़े खड़े ही कहा।
फिर उसकी नजरें मुझ पर जम गई।
नाइस बॉडी, उसने मुस्कराते हुए कहा।
जी ये तो बस नेचुरल ही है, कभी जिम वगैरह नहीं गया तो इसलिए ज्यादा अच्छी नहीं है, मैंने शरमाते हुए कहा।
वो बेड पर बैठ गई, बैठने से उसकी टी-शर्ट ने उसके पेट को छुपा लिया परन्तु उसकी निकर से उसकी योनि का उभार प्रदर्शित होने लगा। वो बड़ी ही लापरवाही से पैरों को थोड़ा सा चौड़ा करके बैठी थी और नीचे लटके हुए पैरों को हिला रही थी और इधर उधर देख रही थी।
मैं बेड के पास गया और अपनी टी-शर्ट उठा कर पहन ली और फिर अपना अंडरविडर और कैपरी उठा कर बाथरूम की तरफ चल दिया।
अरे कोई बात नहीं, ऐसे ही अच्छे लग रहे हो, पायल ने मुझे आंख मारते हुए कहा।
पर मैं सीधा बाथरूम में घुस गया और अंदर जाकर दरवाजे की चिटकनी लगा दी। सोनल आराम से कमोड पर बैठी थी। मुझे देखते ही वो बुदबुदायी, कौन है?
पूनम की बहन है, मैंने हलके से कहा।
वो यहां क्या कर ही है, कहीं मेरे पिछे से तुमने उसको भी तो नहीं----- सोनल ने कहा।
अरे नहीं यार, पता नहीं क्या करने आई है, कहते हुए मैंने तौलिया खोल दिया और अंडरवियर पहनने लगा।
जैसे ही मैंने तौलिया खोला, सोनल ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और मसलने लगी। मेरे मुंह से जोर की आह निकल गई।
क्या हुआ, बाहर से पायल की आवाज आई। शायद उसने मेरी आवाज सुन ली थी।
मरवाओगी तुम, छोड़ो, मैं उसे भगाता हूं, फिर कर लेना जो करना है, मैंने सोनल का हाथ अपने लिंग पर से हटाते हुए कहा।
मरवाउंगी, अरे जब उसे पता चलेगा कि उसके आने से पहले यहां क्या चल रहा था, तो उसकी चूत गीली हो जायेगी, और तेरा ये मोटा लंड लेने के लिए तड़पने लगेगी, सोनल ने खड़े होते हुए मेरे लिंग को अपनी योनि पर रगड़ते हुए कहा और अपने हाथ मेरी गर्दन में डाल कर मेरे होंठों पर एक किस ली।
मैंने उसे अपने से दूर किया और कपड़े पहनकर बाहर आ गया।
क्या हुआ था, पायल ने बाहर आते ही मुझसे पूछा।
मैंने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा।
अरे वो आपकी आहह की आवाज आई थी, इसलिए पूछ रही हूं, उसने उतर देते हुए कहा।
नहीं कुछ नहीं, हाथ टूंटी से टकरा गया था, बस इसलिए आह निकल गई, मैंने बात को संभालते हुए कहा।
अरे दीदी, आप यहां पर बैइी हो, और वहां मैं आपको कहां कहां नहीं ढूंढ के आई, पूनम ने अंदर आते हुए कहा और मेरी तरफ देखकर मुस्कराई।
वो--- वो--- मैं उपर छत पर घूमने आई थी तो सोचा समीर का रूम देख लेती हूं, कैसा है, पायल ने थोड़ा हड़बड़ाते हुए कहा।
कैसा लगा, अच्छा है ना, पूनम ने चहकते हुए कहा।
काफी इम्प्रेसिव है, पायल ने तारीफ करते हुए मुंह बनाकर कहा।
चलो आपको पापा बुला रहे हैं, पूनम ने कहा।
चलो, कहते हुए पायल बेड पर से उठी गई।
कल आउंगी, सुबह, आज तो सही तरह से नहीं देखा है रूम, कल देखूंगी, कहते हुए वो और पूनम बाहर निकल गई।
मैं भी उनके पिछे पिछे बाहर आ गया और जब वो नीचे चली गई तो, मैं वापिस अंदर आया और बाथरूम में गया।
सोनल अभी भी कमोउ पर ही बैठी थी और अपनी कमर पिछे लगाकर आंखें बंद करके बैठी थी।
मैं आराम से उसके पास गया और झुककर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये।
उसने एकदम से आंखें खोली और मुझे देखकर अपने हाथ मेरे सिर पर रख दिये और मुझे किस करने लगी।

क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:17 PM,
#39
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--39
गतांक से आगे ...........
‘गई वो’, सोनल ने अपना चेहरा पिछे करते हुए कहा।
हां गई, मैंने उसकी चूची को पकउ़कर उमेठते हुए कहा।
मेरी बात सुनते ही सोनल खड़ी हो गई और मेरा हाथ पकउ़कर मुझे खींचते हुए बाहर आ गई।
उसने मुझे बेड पर धकेलते हुए बैठा दिया और मेरे सामने खड़ी हो गई। मेरी नजरें उसके पेट पर पड रही थी।
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और अपनी तरफ खींचकर उसकी नाभि के चारों तरफ अपने होंठ रख दिये और सुक करने लगा।
एक पल को तो वो मस्ती से झूम उठी पर अगले ही पल उसने मेरे हाथों को एक तरफ झटका और मेरे सिर को पकड़कर चेहरा पिछे हटा दिया।
वो कातिल निगाहों से मेरी आंखों में घूर रही थी।
फिर उसने अपनी टांगे चौड़ी की और मेरी जांघों पर बैठ गई और अपने हाथ मेरी सिर के पिछे रखकर मेरे लबों को अपने लबों में कैद कर लिया और चूसने लगी।
मैंने फिर से अपने हाथ उसकी कमर पर रखने चाहे, पर उसने हाथों को हटा दिया और अपना वजन मेरे उपर डाल दिया। गिरने से बचने के लिए मैंने अपने हाथ सहारे के लिए पिछे बेड पर टिका दिये और थोड़ा सा पिछे की तरफ झुक गया।
सोनल मेरे उपर छाती ही जा रही थी। उसके घुटने बेड पर रखे थे और पैरों के पंजे बाहर की तरफ हवा में उठे हुए थे।
वो कभी मेरे उपर वाले होंठ को चूस रही थी तो कभी नीचे वाले होंठ को। ऐसा लग रहा था कि आज मेरे होंठों का सारा रस चूस कर ही दम लेगी।
उसने मेरे उपर वाले होंठ को अपने होंठों के बीच दबा लिया और जोरों से चूसने लगी। मैंने मौका का फायदा उठाते हुए उसके नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में दबा लिया। उसने तुरंत अपने होंठ मुझसे अलग किए और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे गालों पर एक हल्का सा थप्पड़ जड़ दिया और फिर से मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने अपनी जीभ उसके होंठों के बीच घुसाने की कोशिश की तो उसने फिर से मेरे होंठों को चूसते चूसते ही मेरे गाल पर एक और चप्पत लगा दी। अबकी बार थोड़ा चरचरा(तीखा, जोर का) लगा था।
मैंने अपना और उसका सारा वजन एक हाथ पर सैट किया और एक हाथ को बेड पर से उठाकर उसकी कमर में ले गया और उसकी कमर और कुल्हों को सहलाने लगा, पर उसने मेरे हाथ को झटक दिया और फिर से मेरे गाल पर एक चप्पत लगा दी।
मैंने अपना हाथ वापिस पिछे बेड पर रख दिया सहारे के लिए। पर उसने अपने हाथ मेरे सिर पर से हटाये और मेरे हाथों को पकड़ कर साइड में खिंच दिया। मेरे हाथ हटते ही मैं सीधा बेड पर जाकर गिरा और मेरे साथ साथ सोनल मेरे उपर। उसके उभार मेरी छाती में दब गये और उसके मुंह से एक जोरदार आह निकली, साथ में मेरे मुंह से भी।
मेरे पैर बेड से नीचे लटक रहे थे और कोमल के घुटनों से नीचे के पैर बेड से बाहर थे और उपर की तरफ उठकर हवा में झूल रहे थे। उसने अपने मेरे हाथों कि उंगलियों में अपने हाथों की उंगलियां फंसा दी और फिर से मेरे लबों को अपने लबों से जकड़ लिया।
वो जंगली की तरह मेरे होंठों को चूस रही थी और अपनी योनि को मेरी जांघों पर रगड़ रही थी।
मैंने अपने हाथों को उसके हाथों से छुड़ाया और सीधे उसके कुल्हों पर रख दिये। मैं उसके कुल्हों को जोर जोर से मसलने लगा और अपनी उंगली को उसकी खाई में फिराने लगा। उसके कुल्हें एकदम ठंडे थे। मैंने अपनी उंगली उसके गुदा द्वार पर रखी और कुरेदने लगा। उसके शरीर ने एक झटका खाया। पर उसने फिर से मेरे हाथों को पकड़ लिया और अपने शरीर से एक तरफ हटा कर बेड पर रख दिये।
थोड़ी देर बाद वो उठी और साइड में बैठ गई। फिर मेरा हाथ पकड़कर मुझे भी बैठा दिया और मेरी टी-शर्ट को एक ही झटके में खींच कर मेरे शरीर से अलग कर दिया। फिर वो अपनी कोहनी के बल थोड़ी सी लेट गई और मेरी कमर में अपने होंठों से सहलाने लगी और अपने दांतों को चुभोने लगी।
मैंने अपने हाथ उसकी जांघों पर रख दिये, परन्तु उसने उन्हें एक तरफ झटक दिया।
मैंने फिर से अपने हाथ उसकी जांघों पर रख दिए और उसने फिर से झटक दिये। अबकी बार मैंने अपने हाथ सीधे उसकी योनि पर रखे और अपनी एक उंगली सीधी उसकी योनि में घुसा दी।
वो एकदम से उठी और मुझे पिछे की तरफ धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे पेट पर आकर बैठ गई।
उसकी योनि से निकलता रस मेरे पेट पर गिरकर नीचे की तरफ बहने लगा। मैंने अपने हाथ उसके तने हुए उभारों पर रख दिये, उसने मेरी तरफ आंख निकाल कर देखा और फिर से मेरे हाथ हटा दिये और मेरे उपर लेट गई।
मुझे भी तो------ मैंने इतना ही कहा था कि वह फिर से वापिस उठ कर बैठ गई और मेरी तरफ आंखें निकालते हुए अपने मुंह पर सीीइइइइइइइ करते हुए उंगली रख दी।
बेटा समीर आज तो तेरा ऐसा रेप होने वाला है कि तुझे मजा भी आयेगा, पर तू कुछ कर नहीं पायेगा, मैंने मन ही मन सोचा।
तभी वो अचानक से बेड के उपर खड़ी हो गई और अपने हाथ कमर पर रखकर मुझे घूरने लगी। मुझे लगा कि कहीं ये एकदम से मेरे उपर तो नहीं कूदेगी।
पर वो नीचे झुकी और मेरे पैर जो कि बेड से नीचे लटक रहे थे को पकउ़कर बैड पर खिंच लिये और मुझे अच्छी तरह बेड पर लेटा दिया।
फिर वो मेरे पैरों पर बैठ गई और मेरी कैपरी में अपने अंगूठे फंसाकर उसे नीचे सरका दिया और फिर धीरे धीरे पैरों से अलग कर दी। कैपरी के साथ ही साथ उसने मेरे अंडरवियर को भी शरीर से अलग कर दिया था। मेरा लिंग उछलकर बाहर आ गया और दो-तीन झटके खाकर मेरे पेट पर आकर झूलने लगा।

वो थोड़ी उपर की तरफ हुई और नीचे की तरफ झुक कर मेरे लिंग को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे खा जाने वाली नजरों से घूरने लगी।
उसने एक पल के लिए मेरी आंखों में देखा और फिर एकदम से मेरे पूरे लिंग को गलप कर गई। उसके होंठ मेरे लिंग के बेस पर टिके थे और मेरा पूरा लिंग उसके मुंह में था। मेरा सुपाड़ा उसके गले में जाकर फंस गया था। उसकी आंखों से आंसू निकल आये थे, पर उसने लिंग को बाहर नहीं निकाला।
फिर उसने जो किया उससे तो मैं सांतवे आसमान पर पहुंच गया और मेरे हाथ खुद ब खुद उठकर उसके सिर पर चले गये। पर उसने पहले की तरह मेरे हाथों को एक तरफ फेंक दिया।
उसने अपनी जीभ को मेरे लिंग पर लेपटा और एक झटके में पूरा लिंग मुंह से बाहर निकाल दिया। मैं तो बस मरने के करीब पहुंच गया। इतना आनंद आज तक महसूस नहीं किया था। मेरे कुल्हें उसके मुंह के साथ साथ उपर उठ गये और लिंग मुंह से निकलते ही वापिस बेड पर आ गिरे।
तुरंत ही उसने मेरे लिंग को फिर से पूरा अपने मुंह में भर लिया। अंदर जाते हुए उसकी जीभ की रगड़ मैं सहन नहीं कर पा रहा था और मेरी कमर हवा में उठ रही थी।
मजे में मेरी आंखें बंद हो चुकी थी और हाथ से चद्दर खींच चुकी थी। फिर उसने वापिस से जीभ को रगड़ते हुए मेरे लिंग को वापिस बाहर निकाल दिया और अगले ही पल वापिस जीभ से रगड़ते हुए मुंह के अंदर पूरा का पूरा लिंग। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। पर उसे इनकी कोई परवाह नहीं थी।
फिर उसने मेरे लिंग को पूरा मुंह में भरकर ऐसा अंदर की तरफ खींचा की मेरे लिंग वो सकिंग और उसके मुंह की वो गर्मी और जीभ का वो घर्षण सहन नहीं कर पाया और जोर जोर से पिचकारी मारनी शुरू कर दी।
उसे शायद पहले ही एहसास हो गया था कि मैं निकलने वाला हूं, उसने मेरे लिंग को पूरा अपने मुंह में समेट लिया था और मेरे लिंग से निकलते जूस सीधा उसके गले से उसके पेट में जा रहा था।
उसके होंठ बहुत ही जोरों से मेरे लिंग पर कसे हुए थे और उसकी जीभ लिंग को कुरेद रही थी।
मेरी कमर हवा में उठी हुई थी और आंखें बुरी तरह से बंद थी। लिंग से सारा रस चूसने के बाद उसने लिंग को हलका सा बाहर निकाला और उस पर लिपटा सारा रस पी जीभ से चाट कर गटक गई।
इतना रस निकाल कर मेरा लिंग अब सोना चाहता था, जिस कारण छोटा होना शुरू हो गया था।
मैंने अपनी आंखें खोली, लिंग सोनल के मुंह में ही था, और वो मेरी तरफ ही देख रही थी।
कुछ ही देर में मेरा लिंग मूंगफली जितना हो गया।
फिर उसने जो किया एक सेंकड में ही मेरा लिंग अपने विकराल रूप में आ गया। उसने मेरे लिंग को पूरा मुंह में भर रखा था, पर उसके साथ साथ उसने मेरी गोलियों को भी अपने मुंह में भर लिया, जिस कारण से मेरा लिंग तुरंत ही फिर से मैदान में गया और उसका पूरा मुंह इस तरह से भर दिया कि उसको लिंग को मुंह से बाहर निकालना पड़ा।
उसने मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी। मैंने भी उसे एक स्माइल पास की और उसको पकड़ने के लिए अपने हाथ उठाने लगा, पर उसने गर्दन हिला कर मना कर दिया और मेरे हाथों को वापिस बेड पर पटक दिया।
वो उठी और मेरे जांघों पर बैठते हुए लिंग को अपनी योनि द्वार पर सैट किया और एकदम से बैठ गई। मेरी तो आहहहह ही निकल गई। पूरा लिंग एक ही बार में उसकी योनि में समा चुका था।
वो उपर उठी और फिर धम से बैठ गई। उसकी योनि ने लिंग को बुरी तरह जकड़ रखा था, जिससे अंदर बाहर होते हुए बहुत ही ज्यादा घर्षण हो रहा था, जिसे सहन नहीं कर पा रहा था।
वो जल्दी जल्दी मेरे लिंग पर उछलने लगी और अपने हाथ मेरे सीने पर रख दिये। कभी वो अपने सिर को झटकती जिससे उसके बाल लहरा जाते और कभी मेरी नजरों में नजरें डालकर उछलती रहती।
अचानक उसने अपनी योनि को कस के भींच लिया और आहहहह अअहहह करती हुई जोर जोर से उछलने लगी। उसकी योनि से निकलता हुआ पानी मेरे पेट और जांघों पर बह रहा था। उसकी योनि का गर्म पानी महसूस करके मेरा लिंग भी अपनी मस्ती में आया और अपने रस की बौछार कर दी। उसका शरीर अकड़ गया और वो कमान की तरह पिछे को झुक गई। उसके हाथ मेरे घुटनों पर रखे थे और उभार छत की तरफ अपना सिर उठाये हुए थे।
कुछ देर बाद हम नोर्मल स्थिति में आये और वो धम से मेरे उपर गिर गई। उसकी चूचियां मेरी छाती में दब गई और मेरे हाथ उसकी कमर पर पहुंच गये। वो मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर आराम से सांसें नोर्मल करने लगी। मेरे हाथ उसकी कमर को सहला रहे थे।
आई लव यू------- अचानक उसके मुंह से निकला, और उसने मेरे गले में अपनी बांहें डाल दी और आंखें बंद कर ली।
मैंने भी उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और जोर भींच कर अपनी आंखें बंद कर ली।
दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली और मैंने सिर उठाकर दरवाजे पर देखा तो मुस्कराए बिना न रह सका।
सोनल सो चुकी थी शायद।

दरवाजे पर तान्या खड़ी थी। वो दरवाजा खोलकर अंदर आ गई। मैं देखकर हैरान रह गया कि उसके साथ रूपाली भी थी।
अब तो लगता है सुबह शाम एक ही काम रह गया है इसके पास, तान्या ने सोनल के कुल्हों पर एक चप्पत लगाते हुए कहा।
रूपाली कुछ शर्मा रही थी और दरवाजे पर ही खड़ी हुई चोर नजरों से हमारी तरफ देख रही थी।
तान्या की चप्पत के कारण सोनल की नींद खुल गई थी। वो उंहहहह करते हुए थोड़ा सा हिली।
सोने दो ना, नींद आ रही है, कहते हुए फिर से आंखें बंद कर ली।
बड़ी मस्ती चढ़ रही है, आंटी से कहकर लड़का ढूंढना पड़ेगा अब तो, तान्या ने अपना चेहरा उसके कान के पास करते हुए कहा।
सोनल एक झटके से उठकर बैठ गई और तान्या की तरफ देखने लगी।
तुम कब आई, सोनल ने तान्या को देखकर कहा।
तभी उसकी नजर दरवाजे पर खड़ी रूपाली पर पड़ी और सोनल ने जल्दी से चद्दर उठाकर अपने उपर कर ली।
तू वहां क्यों खड़ी है, अंदर कोई तुझे खायेगा नहीं, सोनल ने रूपाली से कहा।
तान्या और रूपाली को देखकर मेरा लिंग तो पहले ही मैदान में आने के लिए तैयार हो चुका था।
रूपाली भी तान्या के पास आकर खड़ी हो गई। उसकी नजरें मेरे तने हुए लिंग पर ही टिकी हुई थी।
कब से तेरा फोन ट्राई कर रही हूं, पर कोई जवाब नहीं, तान्या ने सोनल की चदद्र को खिंचते हुए कहा।
वो फोन नीचे ही रखा है, सोनल ने उंघते हुए जवाब दिया और चदद्र को तान्या से छुड़ाकर अपने उपर कर लिया।
वो तो मुझे आंटी ने ही बता दिया था कि मोबाइल तो घर पर ही है, पर सोनल का पता नहीं कहां है, तान्या ने सोनल को अपने कुल्हों से सरका कर बेड पर बैठते हुए कहा।
आधे घंटे से हम नीचे बैठे थे, कि मैडम पता नहीं कहां गई है आ जाये आ जाये, पर मैडम तो यहां मस्ती में सो रही है, तान्या ने सोनल के कंधे पर अपनी ठोडी रखते हुए कहा।
वो तो मैंने सोचा कि तब तक समीर से ही मिल लेते हैं, और उपर आ गई, और देखों मैडम जी तो यहां पर ऐश कर रही है, तान्या ने फिर कहा और अपना एक हाथ चद्दर के अंदर डालकर सोनल की चूची पर कस दिया।
सोनल के मुंह से एक आहहह निकल गई, पर रूपाली के सामने उसने जाहिर नहीं की और अंदर ही दबा गई।
तान्या ने रूपाली को हाथ पकड़ा और खींचकर उसे बेड पर गिरा दिया। रूपाली बेड पर आकर गिरी और बैलेंस न बना पाने के कारण उसके होंठ सीधे मेरे खड़े हुए लिंग पर आकर टकरा गये।
मेरे शरीर में एकदम करण्ट दौड गया। रूपाली कुछ पल तक मेरे लिंग को महसूस करती रही और फिर उठकर बेड पर आराम से बैठ गई।
क्या बात है, क्या बात है, बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा, सीधे होंठों से चख लिया, तान्या ने रूपाली पर ताना कसते हुए कहा।
रूपाली शरमा गई और अपनी गर्दन नीचे करके मुस्कराने लगी।
अच्छा सुन मैं घर पर बोलकर आई हूं कि सोनल के घर पर पार्टी है, वहां पर जा रही हूं, और अगर लेट हो गई तो वहीं सो जाउंगी, और रूपाली को भी साथ ले आई ताकि पापा को शक ना हो, तान्या ने सोनल से कहा।
पर यहां तो कोई पार्टी नहीं है, सोनल ने कहा।
पता है मेरी जान, पर मेरा बहुत मन कर रहा था समीर के साथ सोने का, इसलिए, तान्या ने सफाई दी।
पर रूपाली------ सोनल ने कहा।
अरे टैंशन मत लो, मैंने इसकी मम्मी को भी बोल दिया कि शायद रात को नहीं आ पायेंगे, और जब से मैंने इसको बताया है उस रात वाला किस्सा तो ये भी मरी जा रही है अपनी का उद्घाटन करवाने के लिए, तान्या ने चहकते हुए कहा।
उसकी बात सुनते ही मेरा पप्पू तो कुलाचे भरने लगा, और फूल कर कुप्पा हो गया।
जब सोनल की नजर उस पर पड़ी तो, मेरे गालों पर एक चांटा रसीद कर दिया।
एक से मन नहीं भरता इन लड़कों का कभी भी, नई लड़की देखी नहीं कि लगे राल टपकाने,,, सोनल ने मेरे पप्पू को घूरते हुए कहा।
अच्छा ठीक है, नीचे चलो मैं अभी फ्रेश होकर आती हूं, सोनल ने बेड से उठते हुए कहा और बाथरूम में घुस गई।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:17 PM,
#40
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--40
गतांक से आगे ...........
तान्या आगे हुई और मेरे लिंग को मुठ्ठी में पकड़ लिया। मेरे मुंह से सिसकारी निकली और मेरे हाथ सीधे उसके उभारों पर पहुंच गये।
रूपाली चोर नजरों से हमें देख रही थी और नीचे मुंह किये हुए मुस्करा रही थी। उसके गाल एकदम लाल हो चुके थे और उसकी लम्बी नाक बार बार फूल रही थी। उसकी मस्त गोल गोल चूचियां उसकी तेज चलती सांस के साथ उपर नीचे हो रही थी। उसने पीले कलर की कुर्ती पहनी हुई थी जो कि उसके दूध से सफेद गोरे रंग पर बहुत ही जंच रही थी। कुर्ती का कपड़ा बहुत ही झीना सा था जिसमें से उसकी व्हाईट समीज साफ नजर आ रही थी।
टाइट पजामी में उसकी मांसल जांघें मेरे पप्पू को ललचाने के लिए काफी थी। तान्या के उभारों पर मेरे हाथों की हरकत रूक गई थी और मेरी नजरें रूपाली के जिस्म को पी रही थी।
इतने में सोनल टॉवल लपेटे बाथरूम से बाहर निकली।
तुम अभी तक यहीं पर बैठी हो, सोनल ने दोनों को वहीं पर बैठी देखकर कहा और अपने कपड़े ढूंढ कर पहने लगी।
तान्या ने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे होंठों पर एक प्यारी सी किस की और खड़ी हो गई। उसके साथ ही रूपाली भी खड़ी हो गई।
वो तीनों बाहर चली गई। और सीढ़ियों से उनके नीचे जाने की आवाज आई।
मैं उठकर बाथरूम में गया और शॉवर ऑन करके नहाने लगा। मेरे कानों में बार बार बस एक ही बात गूंज रही थी, ‘‘ये भी मरी जा रही है अपनी का उद्घाटन करवाने के लिए’’।
और इस बात का समरण होते ही मेरा लिंग एक जोर का झटका मारता। नहाकर मैं रूम में आ गया और शरीर पौंछ कर कपड़े पहनकर बाहर छत पर आकर चेयर पर बैठ गया।
मैंने एक नजर पूनम की छत पर दौड़ाई पर वहां पर कोई नहीं था। मैं सामने की तरफ देखने लगा तो सामने की छत पर मेरी नजर उस नई नई आई किरायेदार पर पड़ी।
वो और उसका साथी (पति भी हो सकता है) छत पर टहल रहे थे। उस लड़की ने ब्लैक कमीर और व्हाइट सलवार पहन रखी थी जो कि उसके गोरे बदन पर बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
नाम क्या था इसका,,,, मैंने अपने दिमाग पर जोर देते हुए सोचा,,, पर उसका नाम याद ही नहीं आ रहा था।
लड़के का नाम थाकृअंहहंहहहहनननन हां--- अभि-------- पर लड़की का क्या नाम था-------
काफी देर दिमाग पर जोर डालने पर बस इतना ही धयान आया कि लड़की का नाम शायद ‘म’ से शुरू होता था।
लड़के अपने मोबाइल में गुम था और लड़की उसके साथ साथ टहल रही थी।
मैं वहीं पर बैठा हुआ उन दोनों को देखता रहा। कुछ देर बाद वो दोनों अंदर चले गये। मैं वहीं चेयर पर बैठा रहा। मुझे भूख महसूस हुई तो मैं उठकर अंदर आ गया। पर फिर सोचा अब कौन खाना बनायेगा, इसलिए अपना पर्स उठाया और ढाबे पर खाना खाने के लिए चल पड़ा।

जब खाना खाकर वापिस आया छत पर लड़कियों का जमावड़ा लगा हुआ था। उनके छोटे छोटे कपड़े देखकर तो मेरा सिर ही चकरा गया।
सोनल, तान्या, रूपाली, पायल, पूनम, पांचों की पांचों छत पर बैठी थी मण्डली बनाकर।
कहां चले गये थे, देखों खाना भी ठण्डा हो गया, मेरे उपर आते ही सोनल का तीर मुझे लगा।
ओहहह शिश्श्टट्, मैं तो खाना खाने गया था, तुमने बोला ही नहीं कि खाना लेकर आ रही हूं, और मुझे भूख लगी थी तो मैं ढाबे पर खाने चला गया, मैंने भोला सा मुंह बनाते हुए कहा।
तेरी तो मैं----- सोनल कचकचाते हुए उठी और मेरे पास आकर मेरा हाथ पकड़कर उन सबके बीच में रखी खाने की थाली के पास ले जाकर बैठा दिया।
अब ये सारा खाना है तेरे को, इती मेहनत से बनाया है, बिल्कुल भी मन नहीं था, फिर भी तुम्हारे लिए बनाया,,,,, सोनल ने मेरे बालों को बिगाड़ते हुए कहा।
यार मेरा पेट तो फुल भर गया है, अब इसे कैसे खाउं, मैंने सोनल की तरफ देखते हुए कहा।
मुझे नहीं पता, कैसे भी खाओ, गली में भाग भागकर पेट को खाली करो, पर ये खाना बचना नहीं चाहिए, सोनल ने फरमान जारी कर दिया।
बाकी सभी लड़कियां हमें देख देखकर हंसें जा रही थी।
मैं मुंह लटका कर खाने की थाली के सामने बैठ गया। मैंने एक बार सोनल की तरफ देखा, वो हंसे जा रही थी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था इसे कैसे खत्म करूं।
तभी मेरे दिमाग की घंटी बजी। मैंने सोनल का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर अपने पास बैठा लिया। मेरे दूसरे साइड में रूपाली बैठी थी और पूनम और पायल सामने बैठी थी।
मैंने रोटी तोड़ी और सब्जी लगाकर सोनल में मुंह में दे दी।
उंहहहहह,, करते हुए उसने मुंह खोला और रोटी खा ली। फिर मैंने सभी को रोटियां खिलाई और चार रोटियों में से मेरे हिस्से में बस आधी ही आई। खाना भी खत्म और सोनल भी खुश। (यार मुश्किल से तो मानी है, कहीं फिर से नाराज हो गई तो, इसलिए खाना तो खाना ही था। बस लड़कियों ने काम आसान कर दिया।)
खाना खत्म करके मैंने सोनल की तरफ देखा, वो मुझे देखकर मुस्करा रही थी। खाना खाने के बाद उसने बर्तन उठाये और नीचे रखने चली गई।
मैं उठकर पानी पीने के लिए किचन में आ गया। मेरे पिछे पिछे पूनम भी आ गई।
मैंने फ्रीज में से पानी निकाला और पीने लगा।
हे हे----- ये क्या कर रहे हो, अभी तो खाना खाया है, और उपर से ठंडा पानी पी रहे हो, पूनम ने मुझे रोकते हुए कहा।
तो---- मैंने कहा।
खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए और ठण्डा तो बिल्कुल भी नहीं, उसने कहा।
अरे यार, पूरी जिन्दगी तो पीते हुए निकल गई अब तो पी ही लेता हूं, मैंने हंसते हुए कहा और पानी पीने लगा।
पूनम ने एक बार दरवाजे की तरफ देखा और किचन में अंदर आकर पीछे से मुझसे लिपट गई।
हे--- हे--- क्या कर रही हो, पानी तो पीने दो यार, मैंने कहा।
वैसे तुम्हारी बहन भी मस्त माल है, बात कर ना उससे, मैंने पानी की बोतल वापिस फ्रीज में रखते हुए कहा।
पूनम एकदम से पीछे हुई और मेरी कमर में एक जोर का मुक्का मार दिया।
तुम लड़कियों के है ना हाथ बहुत चलते हैं, तुम्हारे हाथ में तो हमेशा पकड़ा कर रखना चाहिए, मैंने उसका हाथ पकड़कर कैपरी के उपर से ही अपने खड़े लिंग पर रख दिया।
उसने मेरे लिंग को मुठठी में भर लिया।
दीदी के बारे में ऐसी बातें नहीं, समझे, पूनम ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा।
ओके जी समझ गया, वैसे भी दो बहनों के साथ एक साथ सैक्स का तो मजा आ जायेगा पर रोमांस का मजा नहीं आयेगा, मैंने कहा।
पूनम ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और एक जोर की किस करके बाहर की तरफ चल दी। उसके पीछे पीछे मैं भी बाहर आ गया।
पायल अपनी छत पर जाने के लिए मुंडेर को कूद रही थी। जब उसने अपनी एक टांग उठाकर मुंडेर पर रखी तो उसके सैक्सी कुल्हें क्या मस्त लग रहे थे। जब पूनम ने मुझे अपनी बहन को घूरते देखा तो उसने मेरे कंधे पर एक मुक्का मार दिया।
मैंने उसकी तरफ देखा और फिर जब वापिस पायल की तरफ देखा तो वो दूसरी तरफ जा चुकी थी।
मैं आकर तान्या और रूपाली के पास बैठ गया, पूनम भी मेरे सामने आकर बैठ गई। हम छत पर नीचे ही बैठे थे, बस एक चद्दर बिछी हुई थी।
इतने में सोनल भी उपर आ गई।
चलो, अब मुझे नींद आ रही है, सोनल ने तान्या की पीठ में हाथ मारते हुए कहा।
तान्या ने उसकी तरफ घूर कर देखा और उसका हाथ पकड़कर नीचे खंीचं लिया।
यार मुझे नींद आ रही है, ओके चल तुम बाद में आ जाना जब तुम्हें नींद आये, पर मुझे तो जाने दो, सोनल ने कहा।
तान्या ने उसका हाथ छोड़ दिया और सोनल नीचे चली गई। पूनम अभी भी यही बैठी थी, इसलिए बेचारी तान्या कुछ नहीं कर पा रही थी।
उंहहहह--- मुझे भी नींद आ रही है, मैं भी सोने जा रहा हूं, उंघते हुए मैंने कहा और तान्या की तरफ आंख मार दी।
मैं उठ खड़ा हुआ और अंदर की तरफ चलने लगा। तान्या और रूपाली मायूस सा मुंह लटकाये उठी।
क्या यार, अभी बैठते हैं ना कुछ देर और, अभी कौनसा सोने का टाइम हो गया, पूनम ने झुंझलाते हुए कहा।
कितना अंधेरा हो गया है, और तुम कह रही हो सोने का टाइम नहीं हुआ है, मैंने पूनम की तरफ देखते हुए कहा।

तान्या ने मेरी तरफ मायूस दृष्टि से देखा तो मैंने उसे आंखों के इशारे से आश्वासन दिया और पूनम को उठाकर एक साइड में ले गया।
अरे यार ये अपने घर पर झूठ बोलकर आई हैं, ताकि मेरे साथ सो सकें, पर तुम्हारे कारण शर्मा रही हैं, मैंने धीरे से पूनम से कहा।
क्या------ ये भी------- कमाल करते हो समीर साहब,,,,,, कितनी लड़कियों के साथ चक्कर हैं आपके, पूनम ने दबी आवाज में कहा।
और एक साथ दो-दो, इनको जरा भी शर्म नहीं है क्या--- पूनम ने उनकी तरफ देखते हुए कहा।
इसका मतलब तुम भी बेशर्म हो, मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
मैं कैसे, पूनम ने कहा और मेरी आंखों में देखने लगी।
याद है ना सोनल के साथ, सुहानी रात,,, मैंने चटकारा लेते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर पूनम शर्मा गई।
ओके ठीक है,,, मैं चलती हूं, पर ये रात उधार रही आप पर, चुन चुनकर बदला लूंगी, कहते हुए वो अपनी छत पर चली गई।
पूनम के जाते ही तान्या मुझसे लिपट गई और पागलों की तरह मेरे गालों और होंठों को चूसने लगी।
अंदर तो चल, यही पे शुरू हो गई, रूपाली ने तान्या को इस तरह पागल होते देख कहा।
तान्या ने मेरा हाथ पकड़ा और खींचकर अंदर ले आई। हमारे पीछे पीछे रूपाली भी अंदर आ गई।
अंदर आते ही तान्या ने मुझे बेड पर धक्का दिया और खुद भी उपर आ गई। रूपाली ने दरवाजा बंद करके कुंडी लगा दी।
तान्या ने अपनी टीशर्ट उतारकर एक तरफ फेंक दी और पिछे हाथ करके अपनी ब्रा भी उतार दी और फिर मेरी टी-शर्ट को उतारने लगी। मैंने अपनी कमर उपर करके उतारने में उसकी मदद की। टीशर्ट को उतार कर वो मेरे उपर लेट गई। उसके मीडियम आकार के उभार मेरी छाती पर दब गये और उसके होंठ ने मेरे होंठों को कस लिया। उसकी और मेरी बेल्ट आपस में मेल-जोल बढ़ा रही थी। उसकी जांघें मेरी जांघों पर उठा पटक कर रही थी।
मैंने रूपाली की तरफ देखा, वो दरवाजे से पीठ लगाये खड़ी हमें ही देख रही थी। मैंने अपने हाथ तान्या की कमर में रखे और सहलाने लगा। मेरे हाथ लगते ही उसने एक झटका खाया और बैठ गई।
वो बेड से नीचे उतरी और अपनी बेल्ट खोलने लगी। अपनी बेल्ट खोलकर उसने जींस का हुक भी खोल दिया और जींस की चैन खोलकर मेरी कमर की तरफ अपने हाथ बढ़ा दिये।
उसने मेरी बेल्ट को खोला और जींस का हुक खोलकर अदा के साथ चैन को खोलने लगी। चैन को खोलकर उसने जींस के अंदर हाथ दिया और मेरे सांप को मुठठी में पकड़कर अंडरवियर समेत बाहर खिंच लिया।
मैंने रूपाली की तरफ देखा, उसकी सांसे जोर से चल रही थी और उसका चेहरा एकदम लाल हो चुका था। उसकी सांसों के साथ उसकी चूचियां उठक बैठक कर रही थी और उसका एक हाथ बार बार उसकी मुनिया को सहला रहा था।
तान्या ने मेरे लिंग को अंडरवियर से बाहर निकाला और एक बार मेरी आंखों में देखा और फिर अपने होंठों को मेरे सुपाड़े पर कस दिया। मेरे मुंह से एक जोर की सिसकारी निकली। मेरे सुपाड़े को होंठों में कसे हुए वो उस पर जीभ फिरा रही थी। मेरे शरीर में रह रहकर तरंगे उठ रही थी और साथ में मेरी कमर भी।
मेरे सुपाड़े को चूसते हुए उसने अपनी उंगलियों को मेरी जींस के किनारों में फंसाया और धीरे धीरे नीचे सरकाने लगी। घुटनों तक जींस को सरकाने के बाद उसने अपने हाथ मेरी नंगी जांघों पर रख दिये और सहलाने लगी। मैं कमर उठा कर अपने लिंग को और अंदर करने की कोशिश कर रहा था पर वह मेरी कमर के साथ साथ अपना मुंह भी उपर की तरफ कर लेती। उसने मेरे सुपाड़े को जोरों से अपने होंठों के बीच भींचा हुआ था और जीभ से चाट रही थी।
मुझे लग रहा था कि अगर कुछ देर और ये ऐसे ही चाटती रही तो मैं तो गया काम से, और अबकी बार गया तो काफी टाइम लगेगा दोबारा तैयार होने में, पहले ही सोनल की बच्ची ने ऐसा चबाया था।
मैंने उसके चेहरों को पकड़ा और बैठते हुए उसके मुंह को उपर लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
उसके होंठों को चूसते हुए मैं खड़ा हो गया। खड़े होते ही मेरी जींस घुटनों पर आकर टिक गई। मैंने पैरों को हिला हिलाकर जींस को पैरों से अलग कर दिया और अपने हाथ नीचे ले जाकर उसकी जींस को नीचे सरकाना शुरू कर दिया।
अचानक उसने किस तोड़ी और थोड़ा पीछे होते हुए जींस को पकउ़कर अपने पैरों से अलग कर दिया। जींस निकालते हुए उसका मुंह और सिर मेरे लिंग से टकरा रहा था।
क्रमशः.....................
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