Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
06-20-2017, 10:26 AM,
#31
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
पांच मिनिट सर मेरी गांड में उंगली करते रहे और मैं मस्त होकर आखिर उनके सिर को अपने पेट पर दबा कर उनका मुंह चोदने की कोशिश करने लगा.

सर मेरे बाजू में लेट गये, उनकी उंगली बराबर मेरी गांड में चल रही थी. मेरे बाल चूम कर बोले "अब बता अनिल बेटे, जब औरत को प्यार करना हो तो उसकी चूत में लंड डालते हैं या उसे चूसते हैं. है ना? अब ये बता कि अगर एक पुरुष को दूसरे पुरुष से प्यार करना हो तो क्या करते हैं?"

"सर ... लंड चूसकर प्यार करते हैं?" मैंने कहा.

"और अगर और कस कर प्यार करना हो तो? याने चोदने वाला प्यार?" सर ने मेरे कान को दांत से पकड़कर पूछा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.

"सर, गांड में उंगली डालते हैं, जैसा मैंने किया था और आप कर रहे हैं"

"अरे वो आधा प्यार हुआ, करवाने वाले को मजा आता है. पर लंड में होती गुदगुदी को कैसे शांत करेंगे?"

मैं समझ गया. हिचकता हुआ बोला "सर ... गांड में .... लंड डाल कर सर?"

"बहुत अच्छे मेरी जान. तू समझदार है. अब देख, तू मुझे इतना प्यारा लगता है कि मैं तुझे चोदना चाहता हूं. तू भी मुझे चोदने को लंड मुठिया रहा है. अब अपने पास चूत तो है नहीं, पर ये जो गांड है वो चूत से ज्यादा सुख देती है. और चोदने वाले को भी जो आनद आता है वो .... बयान करना मुश्किल है बेटे. अब बोल, अगला लेसन क्या है? तेरे सर अपने प्यारे स्टूडेंट को कैसे प्यार करेंगे?"

"सर ... मेरी गांड में अपना लंड डाल कर .... ओह सर ..." मेरा लंड मस्ती में उछला क्योंकि सर ने अपनी उंगली सहसा मेरी गांड में गहराई तक उतार दी.

"सर दर्द होगा सर .... प्लीज़ सर " मैं मिन्नत करते हुए बोला. मेरी आंखों में देख कर सर मेरे मन की बात समझ गये "तुझे करवाना भी है ऐसा प्यार और डर भी लगता है, है ना?"

"हां सर, आपका बहुत बड़ा है" मैंने झिझकते हुए कहा.

"अरे उसकी फ़िकर मत कर, ये तेल किस लिये है, आधी शीशी डाल दूंगा अंदर, फ़िर देखना ऐसे जायेगा जैसे मख्खन में छुरी. और तुझे मालूम नहीं है, ये गांड लचीली होती है, आराम से ले लेती है. और देख, मैंने पहले एक बार अपना झड़ा लिया था, नहीं तो और सख्त और बड़ा होता. अभी तो बस प्यार से खड़ा है, है ना? और चाहे तो तू भी पहले मेरी मार सकता है."

मेरा मन ललचा गया. सर हंस कर बोले "मारना है मेरी? वैसे मैं तो इसलिये पहले तेरी मारने की कह रहा था कि तेरा लंड इतना मस्त खड़ा है, इस समय तुझे असली मजा आयेगा इस लेसन का. गांड को प्यार करना हो तो अपने साथी को मस्त करना जरूरी होता है, वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं. मैंने और मैडम ने तेरी बहन को कैसे मस्त किया था, समझा ना? लंड खड़ा है तेरा तो मरवाने में बड़ा मजा आयेगा तेरे को"

"हां सर." सर मुझे इतने प्यार से देख रहे थि कि मेरा मन डोलने लगा " सर ... आप ... डाल दीजिये सर अंदर, मैं संभाल लूंगा"

"अभी ले मेरे राजा. वैसे तुम्हें कायदे से कहना चाहिये कि सर, मार लीजिये मेरी गांड!"

"हां सर .... मेरी गांड मारिये सर .... मुझे .... मुझे चोदिये सर जैसे आपने दीदी को चोदा था."

सर मुस्कराये "अब हुई ना बात. चल पलट जा, पहले तेल डाल दूं अंदर. तुझे मालूम है ना कि कार के एंजिन में तेल से पिस्टन सटासट चलता है? बस वैसे ही तेरे सिलिंडर में मेरा पिस्टन ठीक से चले इसलिये तेल जरूरी है. अच्छा पलटने के पहले मेरे पिस्टन में तो तेल लगा"

मैंने हथेली में नारियल का तेल लिया और चौधरी सर के लंड को चुपड़ने लगा. उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में नाग जैसा मचल रहा था. तेल चुपड़ कर मैं पलट कर सो गया. डर भी लग रहा था. तेल लगाते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि सर का लंड फ़िर से कितना बड़ा हो गया है. सर ने भले ही दिलासा देने को यह कहा था कि एक बार झड़कर उनका जरा नरम खड़ा रहेगा पर असल में वो लोहे की सलाख जैसा ही टनटना गया था.

सर ने तेल में उंगली डुबो के मेरे गुदा को चिकना किया और एक उंगली अंदर बाहर की. फ़िर एक हाथ से मेरे चूतड फ़ैलाये और कुप्पी उठाकर उसकी नली धीरे से मेरी गांड में अंदर डाल दी. मैं सर की ओर देखने लगा.

वे मुस्कराकर बोले "बेटे, अंदर तक तेल जाना जरूरी है. मैं तो भर देता हूं आधी शीशी अंदर जिससे तुझे कम से कम तकलीफ़ हो." वे शीशी से तेल कुप्पी के अंदर डालने लगे.

मुझे गांड में तेल उतरता हुआ महसूस हुआ. बड़ा अजीब सा पर मजेदार अनुभव था. सर ने मेरी कमर पकड़कर मेरे बदन को हिलाया "बड़ी टाइट गांड है रे तेरी, तेल धीरे धीरे अंदर जा रहा है"
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06-20-2017, 10:26 AM,
#32
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैंने दूसरे कमरे में देखा. मैडम ने दीदी को गोद में बिठा लिया था और एक दूसरी की बुर में उंगली करते हुए वो दोनों बड़ी उत्सुकता से हमारी ओर देख रही थीं दीदी ने मुझे चिढ़ाते हुए मुंह बनाया कि अब देखना!

मेरी गांड से कुप्पी निकालकर सर ने फ़िर एक उंगली डाली और घुमा घुमाकर गहरे तक अंदर बाहर करने लगे. मैंने दांतों तले होंठ दबा लिये कि सिसकारी न निकल जाये. फ़िर सर ने दो उंगलियां डाली. इतना दर्द हुआ कि मैं चिहुक पड़ा.

"इतने में तू रिरियाने लगा तो आगे क्या करेगा? मुंह में कुछ ले ले जिससे चीख न निकल जाये. क्या लेगा बोल?" सर ने पूछा. मुझे समझ में नहीं आया कि क्या कहूं. मेरी नजर वहां पलंग के नीचे पड़ी सर की और मैडम की हवाई चप्पल पर गयी.

सर बोले "अच्छा ये बात है? शौकीन लगता है तू! कल से देख रहा हूं कि तेरी नजर बार बार मेरी और मैडम की चप्पलों पर जाती है. तुझे पसंद हैं क्या?"

मैं शरमाता हुआ बोला "हां सर, बहुत प्यारी सी हैं, नरम नरम."

"तो मेरी चप्पल ले ले, या मैडम की लूं?" सर ने पूछा.

"नहीं सर ... आपकी चलेगी" मैंने कहा.

चौधरी सर ने मुस्कराकर मैडम की एक चप्पल उठा ली "मैडम की ही ले ले, मुझे पता है कि तू कैसा दीवाना है इनका."

मैडम की चप्पल देख कर मेरे मुंह में पानी भर आया पर फ़िर मैंने सोचा कि ये ठीक नहीं है, सर से मरवा रहा हूं तो उन्हींके चरणों की चप्पल ज्यादा ठीक होगी. मैंने कहा "सर मैडम की बाद में ले लूंगा, मैडम की सेवा करूंगा तब, आज आप की ही चाहिये मुझे"

सर ने अपनी चप्पल उठाई और मेरे मुंह में दे दी. "ठीक से पकड़ ले, थोड़ी अंदर ले कर, मुंह भर ले, जब दर्द हो तो चबा लेना. ठीक है ना? तुझे शौक है इनका ये अच्छी बात है, मुंह में लेकर देख क्या लुत्फ़ आयेगा!"

मैंने मूंडी हिलाई और मैडम की हवाई चप्पल मुंह में ले ली. लंड तन्ना गया था, नरम नरम रबर की मुलायम चप्पल की भीनी भीनी खुशबू से मजा आ रहा था.

"अब पलट कर लेट जा, आराम से. वैसे तो बहुत से आसन हैं और आज तुझे सब आसनों की प्रैक्टिस कराऊंगा. पर पहली बार डालने को ये सबसे अच्छा है" मेरे पीछे बैठते हुए सर बोले.

सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक तकिया दिया और अपने घुटने मेरे बदन के दोनों ओर टेक कर बैठ गये. "अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल, तुझे भी आसानी होगी और मुझे भी. और एक बात है बेटे, गुदा ढीला छोड़ना नहीं तो तुझे ही दर्द होगा. समझ ले कि तू लड़की है और अपने सैंया के लिये चूत खोल रही है, ठीक है ना?"

मैंने अपने हाथ से अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये. सर ने मेरे गुदा पर लंड जमाया और पेलने लगे "ढीला छोड़ अनिल, जल्दी!"

मैंने अपनी गांड का छेद ढीला किया और अगले ही पल सर का सुपाड़ा पक्क से अंदर हो गया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मैंने मुंह में भरी चप्पल दांतों तले दबा ली और किसी तरह चीख निकलने नहीं दी. बहुत दर्द हो रहा था.

सर ने मुझे शाबासी दी "बस बेटे बस, अब दर्द नहीं होगा. बस पड़ा रह चुपचाप" और एक हाथ से मेरे चूतड़ सहलाने लगे. दूसरा हाथ उन्होंने मेरे बदन के नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगे. मैं चप्पल चबाने की कोशिश कर रहा था. सर बोले "लगता है कि थोड़ी बड़ी है तेरे लिये. आज पहली बार है तेरी, ऐसा कर ये मैडम की चप्पल मुंह में ले ले. जरा छोटी है, तुझे भी मुंह में लेने में आसानी होगी" अपनी चप्पल मेरे मुंह से निकाल कर उन्होंने मैडम की चप्पल मेरे मुंह में डाल दी. आराम से मैंने आधी ले ली और चबाने लगा. मैडम की चप्पल का स्वाद भी अनोखा था, उनके पैर की भीनी भीनी खुशबू उसमें से आ रही थी.

"अरे खा जायेगा क्या?" सर ने हंस कर कहा. फ़िर बोले "कोई बात नहीं बेटे, मन में आये वैसे कर, मस्ती कर. हम और ले आयेंगे तेरे लिये"

क्रमशः। ...........................
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06-20-2017, 10:26 AM,
#33
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-13

गतांक से आगे..............................
दो मिनिट में जब दर्द कम हुआ तो मेरा कसा हुआ बदन कुछ ढीला पड़ा और मैंने जोर से सांस ली. सर समझ गये. झुक कर मेरे बाल चूमे और बोले "बस अनिल, अब धीरे धीरे अंदर डालता हूं. एक बार तू पूरा ले ले, फ़िर तुझे समझ में आयेगा कि इस लेसन में कितना आनंद आता है" फ़िर वे हौले हौले लंड मेरे चूतड़ों के बीच पेलने लगे. दो तीन इंच बाद जब मैं फ़िर से थोड़ा तड़पा तो वे रुक गये. मैं जब संभला तो फ़िर शुरू हो गये.

पांच मिनिट बाद उनका पूरा लंड मेरी गांड में था. गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने हथौड़े से अंदर से ठोकी हो. सर की झांटें मेरे चूतड़ों से भिड़ गयी थीं. सर अब मुझ पर लेट कर मुझे चूमने लगे. उनके हाथ मेरे बदन के इर्द गिर्द बंधे थे और मेरे निपलों को हौले हौले मसल रहे थे. मैंने सिर घुमा कर देखा तो मैडम दीदी के मम्मे दबाती हुई कस के दीदी को चूम रही थीं. दीदी की आंखें मेरी इस हालत को देखकर चमक रही थीं.

सर बोले "दर्द कम हुआ अनिल बेटे?"

मैंने मुंडी हिलाकर हां कहा. सर बोले "अब तुझे प्यार करूंगा, मर्दों वाला प्यार. थोड़ा दर्द भले हो पर सह लेना, देख मजा आयेगा" और वे धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगे. मेरे चूतड़ों के बीच उनका लंड अंदर बाहर होना शुरू हुआ और एक अजीब सी मस्ती मेरी नस नस में भर गयी. दर्द हो रहा था पर गांड में अंदर तक बड़ी मीठी कसक हो रही थी.

एक दो मिनिट धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने के बाद मेरी गांड में से ’सप’ ’सप’ ’सप’ की आवाज निकलने लगी. तेल पूरा मेरे छेद को चिकना कर चुका था. मैं कसमसा कर अपनी कमर हिलाने लगा. चौधरी सर हंसने लगे "देखा, आ गया रास्ते पर. मजा आ रहा है ना? अब देख आगे मजा" फ़िर वे कस के लंड पेलने लगे. सटा सट सटा सट लंड अंदर बाहर होने लगा. दर्द हुआ तो मैंने फ़िर से मैडम की चप्पल चबा ली पर फ़िर अपने चूतड़ उछाल कर सर का साथ देने लगा.

सर मुड कर मैडम से बोले "देखा मैडम मेरे स्टूडेंट का कमाल? हूं की चूं नहीं की और कैसे आराम से मेरे मूसल को निगल गया. मैं कह रहा था ना कि ये बहुत आगे जायेगा, मेरा नाम रोशन करेगा."

मैडम वहीं खिड़की से देखती हुई बोलीं "हां सर, मान गये, मुझे विश्वास नहीं था कि ये सह लेगा पर आप ने तो कमाल कर दिया. क्यों अनिल, मजा आया सर का डंडा ले के?"

सर ने चप्पल मेरे मुंह से निकाल दी. "अब इसकी जरूरत नहीं है अनिल. बता .... आनंद आया या नहीं?"

"हां ....सर ... आप का ... लेकर बहुत .... मजा .... आ .... रहा .... है ...." सर के धक्के झेलता हुआ मैं बोला " सर .... आप ... को .... कैसा .... लगा .... सर?"

"अरे राजा तेरी मखमली गांड के आगे तो गुलाब भी नहीं टिकेगा. ये तो जन्नत है जन्नत मेरे लिये ... ले ... ले ... और जोर .... से करूं ...." वे बोले.

"हां .... सर ... जोर से .... मारिये .... सर .... बहुत .... अच्छा लग ... रहा है .... सर"

सर मेरी पांच मिनिट मारते रहे और मुझे बेतहाशा चूमते रहे. कभी मेरे बाल चूमते, कभी गर्दन और कभी मेरा चेहरा मोड कर अपनी ओर करते और मेरे होंठ चूमने लगते. फ़िर वे रुक गये.

मैंने अपने चूतड़ उछालते हुए शिकायत की "मारिये ना सर ... प्लीज़"

"अब दूसरा आसन. भूल गया कि ये लेसन है? ये तो था गांड मारने का सबसे सीदा सादा और मजेदार आसन. अब दूसरा दिखाता हूं. चल उठ और ये सोफ़े को पकड़कर झुक कर खड़ा हो जा" सर ने मुझे बड़ी सावधानी से उठाया कि लंड मेरी गांड से बाहर न निकल जाये और मुझे सोफ़े को पकड़कर खड़ा कर दिया. "झुक अनिल, ऐसे सीधे नहीं, अब समझ कि तू कुतिया है .... या घोड़ी है ... और मैं पीछे से तेरी मारूंगा"

मैं झुक कर सोफ़े के सहारे खड़ा हो गया. सर मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर फ़िर पेलने लगे. आगे पीछे आगे पीछे. सामने आइने में दिख रहा था कि कैसे उनका लंड मेरी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. देख कर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. मस्ती में आकर मैंने एक हाथ सोफ़े से उठाया और लंड पकड़ लिया. सर पीछे से पेल रहे थे, धक्के से मैं गिरते गिरते बचा.

"चल.. जल्दी हाथ हटा और सोफ़ा पकड़ नहीं तो तमाचा मारूंगा" सर चिल्लाये.

"सर ... प्लीज़... रहा नहीं जाता ..... मुठ्ठ मारने का मन .... होता है" मैं बोला.

"अरे मेरे राजा मुन्ना, यही तो मजा है, ऐसी जल्दबाजी न कर, पूरा लुत्फ़ उठा. ये भी इस लेसन का एक भाग है" सर प्यार से बोले. "और अपने लंड को कह कि सब्र कर, बाद में बहुत मजा आयेगा उसे"
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06-20-2017, 10:26 AM,
#34
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
सर ने खड़े खड़े मेरी दस मिनिट तक मारी. उनका लंड एकदम सख्त था. मुझे अचरज हो रहा था कि कैसे वे झड़े नहीं. बीच में वे रुक जाते और फ़िर कस के लंड पेलते. मेरी गांड में से ’फ़च’ ’फ़च’ ’फ़च’ की आवाज आ रही थी.

फ़िर सर रुक गये. बोले "थक गया बेटे? चल थोड़ा सुस्ता ले, आ मेरी गोद में बैठ जा. ये है तीसरा आसन ,आराम से प्यार से चूमाचाटी करते हुए करने वाला" कहकर वे मुझे गोद में लेकर सोफ़े पर बैठ गये. लंड अब भी मेरी गांड में धंसा था.

मुझे बांहों में लेकर सर चूमा चाटी करने लगे. मैं भी मस्ती में था, उनके गले में बांहें डाल कर उनका मुंह चूमने लगा और जीभ चूसने लगा. सर धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अपना लंड नीचे से मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगे.

उधर दीदी और मैडम अब लेट कर एक दूसरे की बुर चूस रही थीं और लेटे लेटे हमारी ओर देख रही थीं. खास कर दीदी तो एकदम मस्ती में थी, मैडम के सिर को अपनी टांगों में दबाकर पैर फटकार रही थी.


पांच मिनिट आराम करके सर बोले "चल अनिल, अब मुझसे भी नहीं रहा जाता, क्या करूं, तेरी गांड है ही इतनी लाजवाब, देख कैसे प्यार से मेरे लंड को कस के जकड़े हुए है, आ जा, इसे अब खुश कर दूं, बेचारी मरवाने को बेताब हो रहा है, है ना?"

मैं बोला "हां सर" मेरी गांड अपने आप बार बार सिकुड़ कर सर के लंड को गाय के थन जैसा दुह रही थी.

"चलो, उस दीवार से सट कर खड़े हो जाओ" सर मुझे चला कर दीवार तक ले गये. चलते समय उनका लंड मेरी गांड में रोल हो रहा था. मुझे दीवार से सटा कर सर ने खड़े खड़े मेरी मारना शुरू कर दी. अब वे अच्छे लंबे स्ट्रोक लगा रहे थे, दे दनादन दे दनादन उनका लंड मेरे चूतड़ों के बीच अंदर बाहर हो रहा था.

थोड़ी देर में उनकी सांस जोर से चलने लगी. उन्होंने अपने हाथ मेरे कंधे पर जमा दिये और मुझे दीवार पर दबा कर कस कस के मेरी गांड चोदने लगे. मेरी गांड अब ’पचाक’ पचाक’ ’पचाक’ की आवाज कर रही थी. दीवार पर बदन दबने से मुझे दर्द हो रहा था पर सर को इतना मजा आ रहा था कि मैंने मुंह बंद रखा और चुपचाप मरवाता रहा. चौधरी सर एकाएक झड़ गये और ’ओह ... ओह ... अं ... आह ...." करते हुए मुझसे चिपट गये. उनका लंड किसी जानवर जैसा मेरी गांड में उछल रहा था. सर हांफ़ते हांफ़ते खड़े रहे और मुझपर टिक कर मेरे बाल चूमने लगे.

पूरा झड़ कर जब लंड सिकुड़ गया तो सर ने लंड बाहर निकाला. फ़िर मुझे खींच कर बिस्तर तक लाये और मुझे बांहों में लेकर लेट गये और चूमने लगे "अनिल बेटे, बहुत सुख दिया तूने आज मुझे, बहुत दिनों में मुझे इतनी मतवाली कुवारी गांड मारने मिली है, आज तो दावत हो गयी मेरे लिये. मेरा आशिर्वाद है तुझे कि तू हमेशा सुख पायेगा, इस क्रिया में मेरे से ज्यादा आगे जायेगा. तुझे मजा आया? दर्द तो नहीं हुआ ज्यादा?"

सर के लाड़ से मेरा मन गदगद हो गया. मैं उनसे चिपट कर बोला "सर .... बहुत मजा आया सर .... दर्द हुआ .... आप का बहुत बड़ा है सर ... लग रहा था कि गांड फ़ट जायेगी ... फ़िर भी बहुत मजा आ रहा था सर"

सर ने मेरे गुदा को सहलाकर कहा "देख, कैसे मस्त खुल गया है तेरा छेद, अब तकलीफ़ नहीं होगी तुझे, मजे से मरवायेगा. अब तू कुंवारा नहीं है" फ़िर मेरा लंड पकड़कर बोले "मजा आ रहा है?"

"सर .... अब नहीं रहा जाता प्लीज़ .... मर जाऊंगा .... अब .... अब कुछ करने दीजिये सर" कमर हिला हिला कर सर के हाथ में अपना लंड आगे पीछे करता हुआ मैं बोला.

"हां बात तो सच है ... तू ज्यादा देर नहीं टिकेगा अब. बोल चुसवायेगा या ..... चोदेगा?"

"सर चोदूंगा .... हचक हचक के चोदूंगा" मैं मचल कर बोला.

"मैडम या दीदी को बुलाऊं .... या ...." सर कनखियों से मेरी ओर देखते हुए बोले. वे अब पलट गये थे और उनकी भरे पूरे चूतड़ मेरे सामने थे. मेरी नजर उनपर गड़ी थी.

"सर ... अगर आप ... नाराज न हों तो ... सर ...." मैं धीरे से बोला.

"हां हां ... कहो मेरे बच्चे ... घबराओ मत" सर मुझे पुचकार कर बोले.

"सर .... आप की गांड मारने का जी हो रहा है"

सर हंस कर बोले "अरे तो दिल खोल कर बोल ना, डरता क्यों है? यही तो मैं सुनना चाहता था. वैसे मेरी गांड तेरे जितनी नाजुक नहीं है"

"सर बहुत मस्त है सर ... मोटी मोटी ... गठी हुई ... मांसल ... प्लीज़ सर"

"तो आ जा. पर एक शर्त है. दो तीन मिनिट में नहीं झड़ना, जरा मस्ती ले ले कर दस मिनिट मारना. मुझे भी तो मजा लेने दे जरा. ठीक है ना? समझ ले यही तेरा एग्ज़ाम है, दस मिनिट मारेगा तो पास नहीं तो फ़ेल" सर बोले.

"हां सर .... मेरा बस चले तो घंटा भर मारूं सर" सर के चूतड़ों को पकड़कर मैं बोला.

वे मुस्कराये और पेट के बल लेट गये. "थोड़ी उंगली कर पहले, तेल लगा ले. मजा आता है उंगली करवाने में" 
मैंने उंगली पर तेल लिया और सर की गांड में डाल दिया. गरम गरम मुलायम गांड थी चौधरी सर की. मैं उंगली इधर उधर घुमाने लगा "हां .... ऐसे ही ... जरा गहरे .... वो बाजू में .... हां बस ... ऐसे ही ..." सर गुनगुना उठे. मैंने दो तीन मिनिट और उंगली की पर फ़िर रहा नहीं गया, झट से सर पर चढ़कर उनकी गांड में लंड फ़ंसाया और पेल दिया. लंड आसानी से अंदर चला गया.

"अच्छी है ना? तेरे जितनी अच्छी तो नहीं होगी, तू तो एकदम कली जैसा है" सर बोले.

"नहीं सर, बहुत अच्छा लग रहा है ... ओह .... आह" मेरे मुंह से निकल गया, सर ने गुदा सिकोड़कर मेरे लंड को कस के पकड़ लिया था.

"अब मार ... कस के मारना, धीरे धीरे की कोई जरूरत नहीं है" सर कमर हिला कर बोले.

मैं सर की मारने लगा. पहले वैसे ही झुक कर बैठे बैठे मारी पर फ़िर उनपर लेट गया और उनके बदन से चिपट कर मारने लगा. सर की चौड़ी पीठ मेरे मुंह के सामने थी, उसे चूमता हुआ मैं जोर जोर से चोदने लगा. उतना ही मजा आ रहा था कि जैसा मैडम को चोदते समय आया था. मेरी सांस चलने लगी तो सर डांट कर बोले "संभाल के ... संभाल के ... फ़ेल हो जायेगा तो आज उसी बेंत से मार खायेगा"

मैं रुक गया और फ़िर संभलने के बाद फ़िर से सर को चोदने लगा. सर भी मूड में थे. अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रहे थे "ऐसे ही अनिल .... बहुत अच्छे ..... लगा धक्का जोर से .... गांड मारते समय कस के मारनी चाहिये .... ऐसे नहीं जैसे नयी दुल्हन को हौले हौले चोद रहा हो ... ऐर चोदना चाहिये जैसे किसी रंडी को पैसे वसूल करने के लिये चोदते हैं ... समझा ना? ....अरे तेरी दीदी को भी मजा आता है ना कस के चुदवाने में? ..... फ़िर मार जोर से ..... हां .... बहुत मस्त मार रहा है तू" मेरे हाथ पकड़कर उन्होंने अपनी छाती पर रख लिये. मैं इशारा समझ कर उनके निपल मसलता हुआ उनकी गांड मारने लगा. बीच में हाथ से मैंने उनका लंड पकड़ा तो वो फ़िर से सख्त हो गया था.

किसी तरह मैंने दस मिनिट निकाले. फ़िर बोला "सर ... प्लीज़ सर ... अब ..."

सर बोले "ठीक है, पहली बार है उसके हिसाब से अच्छा किया है तूने. पर आगे याद रखना. अपने सर की सेवा ठीक से करना. तेरे सर की ये गांड तुझे मजा भी खूब लूटने देगी." मैं कस के सर की गांड पर पिल पड़ा और उसे चोद चोद कर अपना वीर्य उनकी गांड में उगल दिया. फ़िर हम वैसे ही पड़े रहे, चूमा चाटी करते.

मैडम लीना को लेकर हमारे पास आयीं "वाह, क्या खेल था गुरु शिष्य का. भई मजा आ गया. पर सर .... आप की ये स्टूडेंट बहुत तड़प रही है, आज इसकी प्यास बुझाये नहीं बुझती, मैंने इतनी चूसी इसकी पर ठंडी नहीं हो रही है, कहती है कि सर से चुदवाऊंगी"

सर उठ कर लीना को पलंग पर लेते हुए बोले "क्यों नहीं, आ जा लीना बेटी, अभी चोद देता हूं, तेरे भाई को चोदा, अब तुझे चोद कर तेरी प्यास बुझा देता हूं. पर झड़ूंगा नहीं लीना"

लीना सी सी करती रही, कुछ बोली नहीं. उसका चेहरा तमतमा गया था, आंखें चमक रही थीं. सर ने उसकी टांगें फ़ैला कर उसकी बुर में लंड डाला और शुरू हो गये. लीना ऐसे सर को चिपकी जैसे बंदर का बच्चा अपनी मां को जकड़ लेता है, अपने हाथों और पैरों से सर के बदन को बांध कर कमर हिलाने लगी "सर ... चोदिये सर .... प्लीज़ सर ... जोर से सर ... आह .... ओह"
क्रमशः। ...........................
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06-20-2017, 10:26 AM,
#35
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-14

गतांक से आगे..............................

मैडम ने मुझे अपनी टांगों के बीच लिया और बड़े अधिकार से अपनी बुर मेरे मुंह से लगी दी. "तू भी स्वाद ले ले अनिल. तेरी दीदी को तो खूब चखाया मैंने अपना शहद पर आज उसकी भूख ही नहीं मिट रही है, जानता है क्यों?

मैडम की बुर में जीभ डालकर अंदर बाहर करते मैंने आंखों आंखों में पूछा कि क्यों मैडम! वे बोलीं "जब उसने सर के मूसल को तेरी जरा सी गांड में घुसते देखा तो पागल सी हो गयी. पहले कह रही थी कि मैडम, अनिल मर जायेगा. मैंने उसे समझाया कि अरे अनिल को मजा आयेगा देख. जब बाद में सर ने तेरी तरह तरह से मारी और तू भी मजे से मरवाता रहा तो वो चुप हो गयी. वैसे बता अनिल, दर्द हुआ था न बहुत?"

"हां मैडम, लग रहा था कि आज जरूर फ़ट जायेगी, अस्पताल ले जाना पड़ेगा. पर मैडम, बहुत मजा आया मैडम, क्या लंड है सर का, अंदर घुसता था तो इतनी गुदगुदी करता था कि जैसे .... कि जैसे ..."

"जैसे हमारी औरतों की चूत में होती है लंड लेकर. वैसे सर तेरी गांड के आशिक हो गये हैं. इतना खुश मैंने उन्हें नहीं देखा कभी" कहकर कस के उन्होंने मेरे मुंह पर अपनी चूत लगायी और पानी छोड़ दिया.

पानी पी कर मैं बोला "मैडम .... अब मैं आप को चोदूं?"

मैडम मेरे लंड को पकड़कर बोलीं "अरे ये फ़िर सिर उठाने लगा? सच में जवाब नहीं तुम दोनों भाई बहन का, क्या रसीले बच्चे हो तुम लोग! पर नहीं अनिल, आज नहीं, अभी सर का तेरे साथ का लेसन खतम नहीं हुआ है. मैं तो बस लीना की तकलीफ़ दूर करने आयी थी. देखो सर क्या हचक हचक कर चोद रहे हैं तेरी बहन को. वो ठंडी होने को है देख"

सर कस के दीदी को चोद रहे थे, अंदर तक लंड पेल रहे थे. दीदी अपने हाथों से उनके पीठ को नोंच रही थी. फ़िर दीदी चीखी और लस्त हो गयी. पर सर ने उसे नहीं छोड़ा. मेरी ओर मुड़कर बोले "अनिल, यहां ध्यान दो, ये आसन ध्यान से देखो" उन्होंने दीदी के पैर मोड़कर उसकी टांगें दीदी के सिर के इर्द गिर्द कर दीं और फ़िर उसे चोदने लगे.

"देखा? ऐसे मोड़ कर मस्त चोदा जा सकता है, फ़िर छेद कोई भी हो, समझे ना? चाहे चूत में डाल दो या गांड में, आसन यही रहता है. और आगे से मस्त चुम्मे ले लेकर प्यार करते हुए गांड भी चोद सकते हैं."

मैं बोला "हां सर"

दीदी कसमसा रही थी "बस सर ... हो गया .... अब नहीं ... प्लीज़ .... छोड़िये ना .... मत कीजिये सर ...... प्लीज़ ...... मैं झड गयी सर.... बस...." पर सर चोदते रहे. "अरे लीना रानी, ऐसे हथियार नहीं डालते. अब चुदा रही हो तो पूरा चुदाओ" दीदी हल्के हल्के चीखने लगी तो सर ने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया.

पांच मिनिट में दीदी निश्चल होकर लुढ़क गयी. सर ने लंड बाहर निकाला "लो, ये तो गयी काम से. वैसे बड़ी प्यारी बच्ची है, काफ़ी रसिक है, इसकी चूत क्या गीली थी आज, मैडम ये आपकी स्टूडेंट आपसे भी आगे जायेगी " लंड जब दीदी की चूत से निकला, तो दीदी के पानी से गीला था.

"हां बहुत प्यारी बच्ची है, वैसे तुम्हारा स्टूडेंट भी कम नहीं है. लीना को ले जाऊं या यहीं रहने दूं? और चोदेंगे क्या इसे बाद में? " मैडम उठते हुए बोलीं.

"मैडम, अब कहां ले जायेंगी इसे? आप को उठा कर ले जाना पड़ेगा. इसे यहीं सोने दो बाजू में, आप इसका भोग लगाओ और मुझे अनिल का लेसन पूरा करने दो. आओ अनिल, यहां लेटो बेटे" सर मुझे पास खींचते हुए बोले.
मैं दीदी के बाजू में पेट के बल लेटने लगा तो सर बोले "अरे वो आसन तो हो गया, अब सामने वाला, बिलकुल जैसे तेरी दीदी को चोदा ना, वैसे. इसलिये तो तुझे देखने को कहा था मूरख, भूल गया? सीधा लेटो. तू भूल जायेगा कि तेरी गांड मार रहा हूं, तुझे भी यही लगेगा कि तेरी चूत चोद रहा हूं. ये अपने पैर मोड़ो बेटे, और ऊपर ... उठा लो ऊपर ... और ऊपर .... अपने सिर तक .... हां अब ठीक है"

मैंने टांगें उठाईं. सर ने उन्हें मोड कर मेरे टखने मेरे कानों के इर्द गिर्द जमा दिये. कमर दुख रही थी. "अब इन्हें पकड़ो और मुझे अपना काम करने दो" कहकर सर मेरे सामने बैठ गये और लंड मेरी पूरी खुली गांड पर रखकर पेलने लगे. पक्क से लंड आधा अंदर गया. मैंने सिर्फ़ जरा सा सी सी किया, और कुछ नहीं बोला.
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06-20-2017, 10:27 AM,
#36
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
"शाबास बेटे, अब तू पूरा तैयार हो गया है, देखा जरा सा भी नहीं चिल्लाया मेरा लंड लेने में. कमर दुखती है क्या ऐसे टांगें मोड़ कर?"

"हां सर" मैंने कबूल किया.

"पहली बार है ना! आदत हो जायेगी. ये आसन बड़ा अच्छा है कमर के लिये, योगासन जैसा ही है. तेरी कमर लड़कियों से ज्यादा लचीली हो जायेगी देखना. अब ये ले पूरा ...." कहकर उन्होंने सधा हुआ जोर लगाया और लंड जड़ तक मेरे चूतड़ों के बीच उतार दिया. एक दो बार वैसे ही उन्होंने लंड अंदर बाहर किया और फ़िर सामने से मेरे ऊपर लेट गये.

"हाय ... सर ...कितना प्यार लग रहा है अनिल इसी हालत में, इसके बाल लंबे कर दो तो कोई कहेगा नहीं इस हाल में कि लड़का है. अनिल, अपनी टांगों से सर के बदन को पकड़ ले बेटे" मैडम लस्त पड़ी दीदी की टांगों को फ़ैलाकर उनके बीच अपना मुंह डालते हुए बोलीं.

मैंने थोड़ा ऊपर उठकर सर की पीठ को बांहों में भींच लिया और अपने पैर उनकी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिये. बहुत अच्छा लग रहा था सर के सुडौल बदन से ऐसे आगे से चिपटकर. मेरा लंड उनके पेट और मेरे पेट के बीच दब गया था.

सर ने प्यार से मुझे चूमा और चोदने लगे. "अच्छा लग रहा है अनिल? या तुझे अनू कहूं. अनिल, थोड़ी देर को समझ ले कि तू लड़की है और चूत चुदा रही है" फ़िर मेरे गाल और आंखें चूमने लगे. वे मुझे हौले हौले चोद रहे थे, बस दो तीन इंच लंड बाहर निकालते और फ़िर अंदर पेलते.

कुछ देर मैं पड़ा पड़ा चुपचाप गांड चुदवाता रहा. फ़िर कमर का दर्द कम हुआ और मेरी गांड ऐसी खिल उठी जैसे मस्ती में पागल कोई चूत. गांड के अंदर मुझे बड़ी मीठी मीठी कसक हो रही थी. जब सर का सुपाड़ा मेरी गांड की नली को घिसता तो मेरी नस नस में सिहरन दौड़ उठती. मेरा लंड भी मस्ती में था, बहुत मीठी मीठी चुभन हो रही थी. मुझे लगा कि लड़कियों के क्लिट में कुछ ऐसा ही लगता होगा.

सर पर मुझे खूब प्यार आने लगा वैसा ही जैसे किसी लड़की को अपने आशिक से चुदवाने में आता होगा. मैंने उन्हें जम के अपनी बांहों में भींचा और बेतहाशा उन्हें चूमने लगा "सर .... मेरे अच्छे सर .... बहुत अच्छा लग रहा है सर..... चोदिये ना .... कस के चोदिये ना .... फ़ाड दीजिये मेरी गां .... चूत .... मेरी चूत को ढीला कर दीजिये सर ..... ओह सर ... आप अब जो कहेंगे मैं ... करूंगा सर .... आप .... आप मेरे भगवान हैं सर ....सर मैं आप को बहुत प्यार करता हूं सर .... सर .... आप को मैं अच्छा लगता हूं ना सर" और कमर उछाल उछाल कर मैं अपनी गांड में सर के लंड को जितना हो सकता है उतना लेने की कोशिश करने लगा.

सर मुझे चूम कर मेरी गांड में लंड पेलते हुए बोले "हां अनू रानी, मैं तुझे प्यार करता हूं. बहुत प्यारी है तू. तूने मुझे बहुत सुख दिया है. अब आगे देखना कि किस तरह से मैं तुझे और तेरी दीदी को चोदूंगा."


सर ने मुझे खूब देर चोदा. हचक हचक कर धक्के लगाये और मेरी कमर करीब करीब तोड़ दी. मैडम दीदी की बुर चूसती रहीं और अपनी बुर में उंगली करके हमारी रति देख कर मजा लेती रहीं. बीच बीच में मेरे गाल सहला कर शाबासी देती जातीं "बहुत अच्छा चुदा रहा .... सॉरी सर.... चुदा रही है तू अनू बेटी."

फ़िर बोलीं "सर ... कल एक खेल करते हैं. अनिल को लड़की और लीना को लड़का बनाते हैं. अरे पर कल तो रविवार है"

"हम लोग आ जायेंगे मैडम" मैंने और लीना ने एक आवाज में कहा.

"नहीं, आराम करो जरा. आराम करोगे तो सोमवार को और मजा आयेगा."

सर मेरी गांड में लंड पेलते हुए बोले "बहुत .... अच्छा .... खयाल .... है .... मैडम. आप तैयारी कर लीजियेगा. वो आपकी .... पैडेड ब्रा .... है .... ना ... वो निकाल ... कर रखिये .... और बालों का ... वो क्या ..... करेंगीं मैडम"

"आप फ़िकर मत कीजिये सर ... मैं विग ले आऊंगी आज शाम को. वो डिल्डो तो है ना जो हम रोज यूज़ करते हैं?" मैडम ने पूछा.

"हां .... यहीं .... रखा है .... इन तीन .... दिनों में .... जरूरत ... ही नहीं .... पड़ी .... देखिये .... ये बच्चे .... इतने होशियार .... निकले ...... ओह .... ओह .... अनू रानी .... अनिल राजा ..." और चौधरी सर भलभला कर झड़ गये. मैं कमर चलाता रहा क्योंकि मेरा लंड पागल सा हो गया था.

सर ने लंड मेरी गांड से निकाला और प्यार से मेरे मुंह में दे दिया "ले अनू रानी .... ऐश कर ... मेहनत का फ़ल चख"

मैडम ने मेरी गांड के छेद पर उंगली फ़िरायी "सर, आप ने तो इसकी गुफ़ा बना दी एक दिन में"

"छेद हो जायेगा फ़िर छोटा मैडम, आखिर जवान लड़का है" सर लेट कर सुस्ताते हुए बोले.

मैडम मेरे लंड को सहलाती हुई बोलीं. "इसे देखिये सर, है जरा सा और नुन्नी भर है पर ये कैसे कसमसा रहा है जैसे मजा आ रहा हो, क्यों रे अनिल, अच्छा लगता है?"

"हां मैडम, बहुत मीठा लग रहा है लंड में" मैं मैडम का हाथ पकड़कर अपने लंड पर और जोर से घिसने की कोशिश करते हुए बोला.

"मैडम. ऐसा होता है .... जब ज्यादा गांड मार ली जाये तो ऐसा ही होता है, लंड खड़ा नहीं होता पर मजा बहुत आता है. माल मिलेगा इसमें से. आप का मूड है या मैं चूस लूं"

पर मैडम कहां छोड़ने वाली थीं. झट से मेरी नुन्नी मुंह में ली और चूस डाली. मुझे इतना मजा आ रहा था कि समझ में नहीं आया क्या करूं. नजर सर की चप्पल पर पड़ी तो बिना सोचे समझे हाथ बड़ाकर चप्पल उठा ली और मुंह में ले कर चूसने चाटने लगा. सर प्यार से देखकर मुस्कराते रहे. अपने हाथ में उन्होंने अपनी दूसरी चप्पल ले ली और मेरे गालों और आंखों पर फ़ेरने लगे.
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06-20-2017, 10:27 AM,
#37
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैडम जब मुझे झड़ाकर मेरा वीर्य खतम करके उठीं तो हंस के बोलीं "ये लड़का तो आपकी चप्पलों का भी आशिक हो गया है लगता है. वैसे ठीक भी है, आप का शिष्य है, आपकी चरण पूजा करेगा तो आशिर्वाद ही पायेगा"

हम सब दस मिनिट ऐसे ही पड़े रहे. फ़िर मैडम बोलीं "चलो, शाम हो गयी, अब तुम लोग जाओ. सोमवार को आना ऐसे ही. खास खेल है. और नानी को बता देना कि सर दो घंटे की एक्सट्रा क्लास लेने वाले हैं"

दीदी अब तक होश में आ गयी थी. बहुत थकी हुई लग रही थी. मैडम ने हम दोनों के लिये शरबत बनाया. उसे पीकर दीदी जरा संभली. हमने कपड़े पहने और चलने लगे. मैं और दीदी दोनों पैर फ़ुतरा कर चल रहे थे. सर बोले "ये लो दो रुपये, रिक्षा से चले जाओ, ऐसे जाओगे तो लोग देख कर कहेंगे कि क्या हो गया. आज आराम करना. परसों एक और अच्छा मजेदार लेसन देंगे तुम लोगों को. मैडम आज कुछ शॉपिंग करने वाली हैं तुम लोगों के लिये"

घर पहूंच कर मैंने दीदी से कहा "दीदी, तू तो एकदम चुदक्कड़ हो गयी है, कैसे चुदवा रही थी सर से!"

दीदी बोली "तू कम था क्या, क्या गांड मरायी सर से? सच बता. दुखा क्या? तेरी गांड में जब वो मूसल घुस रहा था तो मुझे लगा कि अब फ़टी तेरी. पर अनिल, देख कर बहुत मजा आया, गांड में लंड घुसने का नजारा अलग ही होता है, तुझे मजा आया क्या? वैसे हालत खराब थी तेरी"

"हां दीदी, बहुत दुखा. पर दीदी, गांड मराने का मजा और ही है. तू मरायेगी क्या?"

"नहीं बाबा" दीदी कान पर हाथ रखकर बोली "मेरे लिये ये चूत चुदना काफ़ी है. तू ही लिया कर गांड में. सर का लंड कितना अच्छा है ना अनिल? मेरा तो मन ही नहीं भरता, लगता है चौबीसों घंटे चुदवाती रहूं. मैडम कितनी नसीब वाली हैं अनिल, उनको सर का लंड रोज मिलता है. वैसे वो तुझको लड़की और मुझे लड़का बनाने के बारे में क्या बोल रही थीं मैडम?"

"पता नहीं दीदी. परसों पता चल ही जायेगा."

उस रात जल्दी खाना खाकर हम सो गये, बहुत थके थे. नानी भी बोली "हां सो जाओ बच्चो. कितना थक गये हो आज, तुम्हारी सूरत पर से दिखता है. सर और मैडम बहुत पढ़ाते हैं लगता है. बेचारे इतनी मेहनत करते हैं. भगवान उन्हें लंबी उमर दे"

क्रमशः। ...........................
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06-20-2017, 10:27 AM,
#38
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-15

गतांक से आगे..............................

रविवार को हमने पूरे दिन आराम किया. दीदी तो सोती ही रही. मैं भी कहीं नहीं गया, गांड में अब भी दर्द था, सोचा बिस्तर में पड़ा रहूंगा तो जल्दी आराम मिलेगा.

सोमवार को हम काफ़ी ठीक हो गये थे. मेरी भी गांड सम्भल गयी थी, दर्द खतम हो गया था, जरा सी टीस भर थी. जब हम सर के यहां पहूंचे तो मैडम राह देख रही थीं. हमें खींच कर वे अंदर ले गयीं. वहां उन्होंने अपना गाउन उतारा और हमें भी कपड़े उतारने को कहा.

मैडम की नंगी जवानी को देखते हुए हम भी नंगे होने लगे. दो दिन के आराम से थकान गायब हो गयी थी. मेरा लंड मैडम को देखकर खड़ा हो गया.

"सर कहां हैं मैडम" दीदी ने पूछा.

"नहा रहे हैं. आज देर से सोकर उठे. वे जब तक आयें, तुम दोनों को तैयार करना है. आज खास खेल है बच्चो" मैडम मुस्करायीं और मुझे पास बुलाया. उनके हाथ में एक ब्रा थी. "इसे पहन लो अनिल. या मैं ही पहना देती हूं"

"मैडम, ये क्या है?" मैंने झिझकते हुए पूछा.

"अरे लड़की नहीं बनना है? भूल गया? कल खास जाकर लायी हूं तेरे नाप की छोटी" कहकर मैडम ने मुझे ब्रा पहना दी. टाइट थी. ब्रा के कपों में लगता है स्पंज की गेंदें भरी थीं. उन्हें दबाकर मैडम बोलीं "ये बन गयीं मस्त चूचियां तेरी. अब ये पैंटी पहनो." कहकर मैडम ने मुझे एक लेस वाली गुलाबी पैंटी पहना दी. उसमें पीछे और आगे छेद था. आगे के छेद में से मेरा लंड मैडम ने बाहर निकाल लिया. पीछे के छेद से उंगली डाल कर बोलीं "मजा आया? सर ने कहा था छेद रखने को जिससे पैंटी न उतारनी पड़े. अब रहे बाल तो ये लगा ले" कहकर उन्होंने मुझे एक विग लगा दिया. विग के कंधे तक रेशमी बाल थे.

"अब देख आइने में. तब तक मैं लिपस्टिक लगा दूं" मैडम मुझे लिपस्टिक लगाने लगीं. मैंने आइने में देखा तो सच में लड़की लग रहा था. बस लंड कस के खड़ा था. मुझे अजीब सा लगा, मन में गुदगुदी भी हुई.

दीदी खिलखिलाकर हंसने लगी. "मैडम, सच में .... क्या लगता है अनिल. इसे ऐसे ही बाहर रास्ते पर ले जाइये मैडम"

"हां ले जाऊंगी, साड़ी पहना कर एक दिन ले जाऊंगी. अभी अब ये चूड़ियां पहन अनिल और कान में ये बूंदी. डर मत, स्प्रिंग वाली हैं, कान में छेद नहीं करना पड़ेगा. और ये मेरा मंगलसूत्र पहन ले"

मुझे शरम लग रही थी पर मजा आ रहा था. लीना मुंह दबा कर मुझे चिढ़ा कर हंस रही थी. "तू क्यों फ़िदी फ़िदी कर रही है शैतान, अब तू आ इधर, तेरी बारी है."

लीना दीदी चुप हो गयी. फ़िर बोली "मैडम मैं?"

"तुझे भी तो लड़का बनाना है. चल बाल बांध ले" कहकर मैडम ने दीदी के बाल बांधकर छोटे कर दिये और एक क्रिकेट कैप पहना दी. फ़िर एक डिल्डो निकाला और दीदी को बांधने लगीं. "ये सिरा अंदर डाल ले, डर मत छोटा है, मजा आयेगा"

दीदी की बुर में डिल्डो का एक छोर घुसेड़कर मैडम ने स्ट्रैप उसकी कमर में कस दिये. डिल्डो स्किन कलर का था, ऐसा लगने लगा जैसे सच में दीदी का लंड उग आया हो. मैडम ने डिल्डो हिलाया तो दीदी सी सी करने लगी.

"क्या हुआ? दुखता है?" मैडम ने पूछा.

"नहीं मैडम, मजा आता है, कैसा कैसा तो भी होता है" दीदी सिहर कर बोली.

"अरे, वो जो डिल्डो का बेस है ना, तेरी चूत के मुंह पर जो सटा है, उसपर क्लिट को गुदगुदाने के लिये दाने से बने हैं. डिल्डो हिलेगा तो तुझे ऐसा मजा आयेगा जैसे मर्दों को चोदते समय आता है. आज तुझे लड़का बनकर खूब चोदना है"

"किसे मैडम?" दीदी ने पूछा.

"जिसे हम कहें. इतने लोग तो हैं यहां, सब चुदाते हैं, देखा नहीं दो दिन में? कोई बचा चुदने से? अब इधर आ, तेरे मम्मे बांधने हैं नहीं तो लड़का कैसे बनेगी?" कहकर मैडम ने एक रेशम का पट्टा लिया और कस के दीदी की छाती के चारों ओर बांध दिया. दीदी की जरा जरा सी चूचियां दब कर गायब सी हो गयीं. ऊपर से दीदी को मैडम ने एक टी शर्ट पहना दिया. अब दीदी ऐसे लग रही थी जैसे कोई अधनंगा सुकुमार लड़का हो जिसने बस टी शर्ट पहन रखी हो.

"वाह, ये हुई ना बात. एक नया लड़का और एक नयी लड़की" सर ने बोला. वे कमरे में कब आ गये थे हमें पता ही नहीं चला. एकदम नंगे थे और अपना लंड पकड़कर हिला रहे थे.

"चलिये सर, आजका खेल शुरू किया जाय"

"चलो, मैं तैयार हूं. बच्चो, आज मैं और मैडम जो कहेंगे वो करना. बहुत मजा आयेगा. पहले जरा सब लोग पलंग पर आओ. मिल जुल कर थोड़ा प्यार करेंगे, फ़िर खेल शुरू करेंगे" सर बोले.

पलंग पर हमारा प्यार शुरू हो गया. एक दूसरे को चूमना, लंड पकड़ना, मैडम की चूत में उंगली करना आदि कारनामे शुरू हो गये. दीदी परेशान थी, बेचारी की चूत डिल्डॊ से ढकी थी इसलिये कुछ कर नहीं पा रही थी.

सर बोले "मैडम, इस लड़के से चुदाइये तो जरा, देखें कैसे चोदता है" मैं मैडम पर चढ़ने लगा तो बोले "अरे तू नहीं, ये नया लड़का, लीना कुमार! या ऐसा करो इसे ललित कुमार नामे दे दो"

मैडम लीना को लेकर लेट गयीं. "आ जा लीना ... मेरा मतलब है ललित ... चोद ले अपनी मैडम को"
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06-20-2017, 10:27 AM,
#39
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
लीना को अटपटा लग रहा था. उसने मैडम की बुर में अपना नकली लंड डाला और मैडम पर लेट गयी. "अरे चोद ना, जैसे सर करते हैं या तेरा ये भाई, मेरा मतलब है ये अनू करती है"

लीना मैडम को चोदने लगी. उसका चेहरा खिल उठा "मैडम ... मैडम बहुत अच्छा लगता है... बहुत गुदगुदी सी होती है जब डिल्डो आपकी चूत में अंदर बाहर करती हूं"

"अरी बताया तो था कि तेरे क्लिट पर वो दाने रगड़ते हैं. ऐसा ही लगता होगा अनिल को या सर को जब वो तुझे चोदते हैं. अब चोद ठीक से, मेहनत कर के, अभी लड़की जैसी चोद रही है, नखरे कर के, जरा लड़के जैसे चोद जोर जोर से" मैडम ने लीना दीदी को मीठी फ़टकार लगायी.

"और तू इधर आ अनू रानी. मैं तुझे चोद लूं" कहकर सर ने मुझे नीचे चित लिटाया और मेरी गांड में लंड डाल दिया. वे तेल लगाकर ही आये थे. मुझे कल जैसी तकलीफ़ नहीं हुई फ़िर भी काफ़ी दर्द हुआ, मुंह से सिसकारी निकल गयी. सर ने मेरे पैर मोड़कर मेरे सिर के पास लाये और मुझे चोदने लगे. वे बार बार मुझे चूमते जाते. "बहुत सुंदर छोकरी है मैडम, चूत भी अब एकदम सही हो गयी है. और ये मम्मे तो देखो" कहते हुए वे मेरी नकली चूंचियां दबाने लगे.

चोदते चोदते अचानक लीना दीदी लस्त होकर मैडम पर गिर पड़ी. मैडम अब भी मूड में थीं "अरे रुक क्यों गया ललित, और चोद ना"

"मैडम .... हो गया मैडम ... अब नहीं होता" कहकर दीदी पड़ी रही. लगता है जोर से झड़ गयी थी.

"देखा कमाल डिल्डो का लीना? ये मजा आता है इसमें. बिना डिल्डो के तू घंटे घंटे चुदाती थी. अब चोद ना और, नखरे मत कर"

दीदी धीरे धीरे फ़िर शुरू हो गयी. पांच मिनिट में एक सिसकी लेकर फ़िर निढाल हो गयी.

"मैडम, आप ऊपर से चोदिये, इसके बस की बात नहीं है" सर ने मेरी गांड चोदते हुए मैडम को सलाह दी. फ़िर मुझे बोले "चल अनू, अब मुझे चुदने दे जरा"

अपना खड़ा लंड उन्होंने खींच कर मेरी गांड से निकाला और फ़िर मेरा लंड अपनी गांड में लेते हुए मेरे पेट पर बैठ गये. लगता है कि वे गांड में भी तेल लगा कर आये थे. मेरा लंड आसानी से अंदर हो गया. फ़िर सर उचक उचक कर अपनी मरवाने लगे. मैंने मस्ती में इधर उधर सिर हिलाना शुरू कर दिया. मेरी नजर नीचे पड़ी मैडम की चप्पल पर गयी. सर ने देखा तो मैडम की चप्पल उठा कर उन्होंने मेरे मुंह पर रख दी. "ले अनू, मजा कर" मैं मैडम की रबर की स्लिपर चाटने लगा. सर मेरे ऊपर चढ़े चढ़े मेरी नकली चूचियां दबाने लगे. "ये मस्त मम्मे हैं मैडम, एकदम ठोस, आप के जैसे ही हैं"

"कल चार दुकान घूमी तब मिले हैं सर" मैडम गर्व से बोलीं. फ़िर "आपका तो अभी खड़ा है सर, अनू को ठीक से पूरा नहीं चोदा?" मैडम ने उठते हुए पूछा.

"नहीं मैडम, अभी इसे काफ़ी मेहनत करनी है, झड़ने के पहले और मजा लेना है, असली काम तो अभी होगा थोड़ी देर से." और मैडम को आंख मार दी. मैडम हंसने लगीं "आप बड़े जालिम हैं सर"

"मैं और जालिम?" सर आंल्ह नचा कर बोले.

"बस बस, मुझे न उल्लू बनाइये, और आप को जो करना है कर लीजिये आज, अच्छा मौका है" मैडम बोलीं.

मैडम ने लीना को नीचे लिटाया और उसके ऊपर चढ़ कर डिल्डो अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे होने लगीं. दीदी बोली "प्लीज़ मैडम .... प्लीज़ ... कैसा तो भी होता है"

मैडम ने अनसुना कर दिया और तब तक चोदती रहीं जब तक वे खुद नहीं झड़ गयीं. दीदी तो एकदम से खलास हो गयी थी, बस इधर उधर सिर फेक कर मैडम से गुहार कर रही थी कि अब छोड़ दो.

सर की गांड में मेरा लंड चल रहा था. मैं दो तीन बार झड़ते झड़ते बचा. एकदम मस्ती चढ़ी थी पर सर मुझे झड़ने नहीं दे रहे थे. बस मेरी ओर देखकर मुस्करा रहे थे और उछल उछल कर मेरे लंड को अपनी गांड का मजा दे रहे थे. सर थोड़ी देर बाद मेरा लंड गांड में से सप्प से खींच कर उठे तो मैं तुरंत हाथ में अपना लंड लेकर मुठ्ठ मारने लगा. सर ने हाथ पकड़ लिया. "लगता है कि अब असली खेल शुरू करने का टाइम हो गया है मैडम, चलिये वो रस्सियां ले आइये"

मैडम उठकर साथ आठ रेशम की रस्सियां ले आईं. सर और मैडम मिलकर मेरे हाथ पैर बांधने लगे.

"ये क्या कर रही हैं मैडम, प्लीज़ .... " मैंने सकपका कर कहा तो सर बोले "घबरा मत, असली मजा तो अब आयेगा तुझे. तूने अपने लंड को हाथ लगाकर ये मुसीबत मोल ले ली नहीं तो शायद तुझे नहीं बांधना पड़ता. अरे आज भूल जा कि तू लड़का है, समझ लंड है ही नहीं, बस चूत है जिस में मीठी कसक हो रही है और कोई तुझे चोद तो रहा है पर झड़ा नहीं रहा"

दोनों ने मेरे हाथ पैर बांध कर मुझे पलंग पर लिटा दिया. फ़िर दीदी को बांधने लगे. दीदी घबराकर बोली "मैडम ..... मुझे क्यों ..."

"अरे तेरा तो खास काम है आज. नया खूबसूरत लड़का मिला है हम दोनों को आज, खूब मजे लेंगे. खास कर सर, तुझे तो मालूम है कि सर को कितना मजा आता है लड़कों को चोदने में" मैडम बोलीं.

दीदी बोली "पर मैडम ... मुझे तो ये डिल्डो ... याने इससे मेरी ... मैडम मेरी चूत ढकी है डिल्डो से ... सर कैसे चोदेंगे? डिल्डो निकाल देंगे?"

"अरे देखती जा, सब पता चल जायेगा." मैडम शैतानी से मुस्कराते हुए बोलीं.

दीदी के हाथ और पैर बांध कर सर ने उसे लिटा दिया. फ़िर उसपर चढ़ गये "अब तेरे लंड से मरवाता हूं, नये लंड से मरवाने की बात ही कुछ और है"
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06-20-2017, 10:27 AM,
#40
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
सर ने डिल्डो अपने छेद पर रखा और फ़िर उसे अपनी गांड में लेते हुए बैठ गये "आह ... मजा आया ...इस लंड की खास बात है कि ये झड़ता नहीं है, कितना भी चुदवाओ"

फ़िर सर ऊपर नीचे होकर अपनी गांड खुद मरवाने लगे. दीदी फ़िर सी सी करने लगी. उसकी बुर में डिल्डो थोड़ा सा अंदर बाहर हो रहा था और क्लिट पर उसके दाने रगड़ रहे थे.

सर लीना की टांगों पर हाथ फ़ेरते हुए बोले "लीना, तू पूछ रही थी ना कि मैं तुझे कैसे चोदूंगा? तो देख ले, एक तो इस तरह से जैसे अभी तेरे बदन को चोद रहा हूं, अपनी गांड से. और दूसरी तरह से कैसे चोदा जाता है लड़कों को? बता. कल नहीं देखा कि तेरे भाई को कैसे चोदा था"

"सर ... उसकी गांड ...."

"हां ... अब समझी? वैसे होशियार है तू लीना, इत्ती सी बात न समझे ऐसा हो ही नहीं सकता"

"नहीं सर .... प्लीज़ सर ... आप नहीं मारेंगे ना मेरी?" लीना रोने को आ गयी थी.

"क्यों नहीं मारूंगा? मैं तो कब से इस फ़िराक में हूं. इसी लिये तो तुझे लड़का बनाया है आज कि नये लड़के की गांड मारूं. पर अभी से क्यों डरती है, अभी तो तेरा लंड मेरी गांड चोद रहा है, उसका आनंद ले"

मैडम मुझसे लिपटकर मुझे चूमने लगीं. मेरे मुंह में अपनी चूंची दे दी और मेरी नकली चूंचियां दबाने लगीं. एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर बोलीं "मजा आ रहा है अनू?"

"हां मैडम, बहुत .... मस्ती लग रही है ... मैडम ... लंड चूस लीजिये ना प्लीज़" मैंने मचल कर कहा.

"अरे नहीं बाबा, सर मार डालेंगे मुझे, हां चोद सकती हूं कह तो" मैडम बोलीं.

"हां मैडम ... चोद डालिये ना .... जोर से" मैंने मिन्नत की.

मैडम मेरे लंड को बुर में लेकर चोदने लगीं. पर मेरी हालत और खराब हो गयी. चोद तो रही थीं पर खुद के मजे के लिये, मेरे लंड को बिना झड़ाये. "मैडम प्लीज़ ... चोदिये ना ... मुझे .... झड़ा दीजिये ना" मैं बोला.

"अरे चोद तो रही हूं, मैंने कहा था वैसे, मैंने ये थोड़े ही कहा था कि झड़ा दूंगी! आज तो समझ ले कि तू मेरा गुड्डा है ... या गुड्डी है, खेलूंगी मन भर के, गुड्डों से थोड़े कोई पूछता है कि अब खेलें या नहीं. इसीलिये तो तेरे हाथ पैर बांधे हैं" मैडम उछलते हुए बोलीं.

उधर लीना की हालत खराब थी. झड़ झड़ कर बेचारी परेशान हो गयी थी. बस "अं ...आह...ओह...नहीं सर ... बस सर .... प्लीज़ सर ...’ ऐसे बोल रही थी. उसके क्लिट पर डिल्डो का निचला सिरा घिस घिस कर चूत एकदम खलास हो गयी थी, वहा उसे अब जरा सा भी घिसना सहन नहीं हो रहा था.

सर मस्ती से गांड चुदवा रहे थे और लीना की रोने को आयी सूरत देख देख कर मजा ले रहे थे. उनका लंड अब ऐसे खड़ा था जैसे लोहे की सलाख हो. एक दो मिनिट के बाद वे डिल्डो गांड से निकाल कर बैठ गये और लीना को बाहों में उठाकर चूमने लगे "आ जा लीना, परेशान मत हो, अब तेरी गांड चोदता हूं. तू यही चाहती है ना?"

"नहीं सर ... मर जाऊंगी .... प्लीज़ .... " लीना धीमी कांपती आवज में बोली.
क्रमशः। ...........................
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