Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
06-20-2017, 10:39 AM,
#41
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
सर ने लीना के चूतड़ खोले और उसके जरा से छेद में अपना सेब जैसा सुपाड़ा फ़ंसा दिया. फ़िर पेलने लगे. दीदी का बदन कपकपाने लगा.

"आज आपका सुपाड़ा नहीं फ़िसला सर? पिछली बार उस लड़की ... क्या नाम था उसका .... वो बड़ी सेक्सी बदमाश लड़की थी बॉब कट वाली? ... हां .... रीता ... आपका बार बार फ़िसल जाता था, आधा घंटा लग गया था उसकी लेने में." मैडम बोलीं.

"अरे उसे बांधा नहीं था ना, आप ने सिर्फ़ मुंह पकड़ा था. आज इंतजाम अच्छा है. जल्दी पेल दूंगा" सर दीदी की गांड में अपना लंड पेलते हुए बोले.

"उसकी तो फ़ाड़ भी दी थी आप ने. डाक्टर के यहां ले जाना पड़ा था. अच्छा हुआ कि होस्टल की लड़की थी और डॉक्टर भी पहचान का था. और वो रीता भी मेरे ऊपर फिदा थी इसलिये मैंने किसी तरह मना लिया था, नहीं तो जरूर बड़ा लफ़ड़ा होता था सर" मैडम की बात सुनकर मैं अपनी कमर उचकाने लगा, लंड और तन गया. मैडम देखकर हंस कर बोलीं "ये अनिल देखो कैसा बदमाश है, दीदी की गांड फ़टने की बात सुनकर ही मजा आ गया इसको"

"अरे मैडम, ये मरवा चुका है ना, इसे मालूम है इसका मजा. वैसे आज ऐसा नहीं होगा. फ़ाड़ूंगा नहीं, आखिर इतनी प्यारी बच्ची है, आखिर साल भर मारनी है इसकी. हां मजे ले लेकर सारे दिन मारूंगा आज" कहकर सर ने और लंड पेला और सुपाड़ा आधा दीदी के गुदा में धंस गया. दीदी छटपटाने लगी. शायद चिल्लाने की कोशिश कर रही थी पर मुंह से बस हल्का सा ’गों’ गों’ निकल रहा था.

सर रुक गये. थोड़ा सा सुपाड़ा बाहर खींचा और फ़िर थोड़ा अंदर किया. "क्या सर छोकरी को तड़पा रहे हैं आप. मैंने वो टी वी पे देखा था, एक शेर हिरन के बच्चे का ऐसा ही शिकार कर रहा था" मैडम सर को चूम कर बोलीं.

"हां मैडम, इसीमें तो आधा मजा है. इतना टाइट पकड़ा है इस छोकरी की गांड ने मुझे कि लगता है मखमली शिकंजा है. धीरे धीरे इसका छेद चौड़ा करूंगा और फ़िर अंदर डालूंगा" सर बोले और दीदी के चूतड़ मसलने लगे. कई बार उन्होंने आधा सुपाड़ा दीदी की गांड में फ़ंसाया और फ़िर अंदर बाहर करके फ़िर निकाल लिया. दीदी बस धीरे धीरे सिसक रही थी.

थोड़ी देर खेलने के बाद सर ने फ़िर जोर लगाया और पक्क से अपना सुपाड़ा दीदी की गांड के अंदर कर दिया. दीदी जोर से तड़पी और उठने की कोशिश करने लगी. मैडम ने उसे दबोचे रखा. सर मस्ती में आकर मैडम को जोर से चूमने लगे "ओह मैडम ... ओह ... आपकी यह स्टुडेंट तो ..... गुड़िया है .... रबड़ की गुड़िया .... मजा आ गया मैडम"

मैडम सर के चूतड़ दबा कर बोलीं "अब पूरा डाल दीजिये सर, जड़ तक, मैं देखना चाहती हूं कि क्या होता है, वैसे ये लड़की ले नहीं पायेगी आपका लंबा डंडा, इसके मुंह से निकल आयेगा देखियेगा"

सर ने जोर लगाया और लंड दीदी की गांड में घुसने लगा. इस बार सर नहीं रुके और पेलते रहे. अचानक कच्च से उनका आधा लंड दीदी के चूतड़ों को चौड़ा करता हुआ अंदर घुस गया. दीदी अब बुरी तरह से तड़प रही थी और उसके बदन में झटके पड़ रहे थे.

"ये हुई ना बात, ओह सर ... ले लिया इस जवान कन्या ने, मुझे नहीं लेगा था कि ले पायेगी" मैडम अपनी बुर को घिसते हुए बोलीं.

"हां मैडम .... ओह मैडम .... मैडम .... मैं झड़ने वाला हूं ..." कहकर सर ने मस्ती में आंखें बंद कर लीं. मैडम ने उनके लंड का बेस को जोर से दबाया और झड़ने से रोक दिया. "अरे सर ... क्या कर रहे हैं आप, इतनी मुश्किल से ये तमन्ना आप की पूरी हुई है, अब ठीक से चोदिये आपकी शिष्या को"

सर एक मिनिट वैसे ही बैठे रहे, फ़िर बोले "धन्यवाद मैडम, आप ने बचा लिया नहीं तो हमेशा मैं आप को कोसता. मैं भी कैसा हूं, अब तक इतने लोगों को चोद चुका हूं फ़िर भी मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ, आप का कैसे शुक्रिया अदा करूं?" और झुक कर मैडम की चूंची चूसने लगे.

मैडम उनके सिर को छाती से चिपटा कर बोलीं "कोई बात नहीं सर, ये माल ही ऐसा है, अब तक की सबसे प्यारी गुड़िया है ये. मुझे तो इसकी चूत के स्वाद से ही मालूम था, पर आप को तो चूत से ज्यादा इसकी गांड में रस था ना! अब मुझे शुक्रिया देना है तो आज बिना झड़े, मन लगाकर, हचक हचक कर, पेल पेल कर, मसल मसल कर इस कन्या के बदन को भोगिये, मुझे सब मिल जायेगा आप की खुशी देखकर"

सर ने एक गहरी सांसे ली और दीदी की गांड में लंड पेलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे कोई मुलायम तरबूज में बड़ी छुरी घुस रही हो. दीदी अब चुपचाप पड़ी थी, शायद बेहोश हो गयी थी. मैडम ने शायद ये भांप लिया. सर को रोक कर बोलीं "रुकिये सर, ये बेचारी तो काम से गयी, इसे क्या मजा आयेगा. आप को और मुझे कोसेगी कि सोते सोते ही पूरा काम कर दिया. जरा होश आने दीजिये, फ़िर डालिये पूरा"

सर का आधा लंड बाहर था. वो बोले "हां मैडम, वैसे भी अब ये अंदर नहीं जा रहा है, जोर लगाना पड़ेगा. बड़ी टाइट म्यान है लीना बेटी की"

"बस यही तो मजे लेने की बात है सर. मैं इसे जगाती हूं, फ़िर इसे भी मजा दीजिये अपने लंड का. टाइट भले हो पर इन चुदैल जवान बदनों के छेद अच्छे गहरे होते हैं, आराम से ले लेते हैं आपका पूरा मूसल, आपने खुद तो देखा है इतनी बार" कहकर मैडम दीदी को चूम चूम कर उसे जगाने लगीं. उसके मुंह पर रुमाल से थोड़ा ठंडा पानी भी लगाया. सर की चप्पल दीदी के चिल्लाने की कोशिश करने की वजह से उसके मुंह से निकल आयी थी.

सर बोले "निकाल दीजिये अब मैडम"

"अरे नहीं, अपने सर की चरण पूजा का ऐसा मौका कहां मिलता है सब स्टूडेंट को. आप पूरा डाल कर मारना शुरू कर दीजिये, तब तक इसे स्वाद लेने दीजिये, देखिये मेरा स्टूडेंट कैसे चबा रहा है मेरी चप्पल! लगता है कि खा ही जायेगा" मैडम मेरी ओर देखकर लाड़ से बोलीं.

"आप की चप्पलें तो हैं ही खूबसूरत मैडम" सर ने कहा.

"आप की भी लीना को अच्छी लग रही होंगी. वैसे ये अच्छा नुस्खा है सर. याद है पहले आप किसी नये स्टूडेंट की मारते थे तो मुंह में कपड़ा ठूंस देते थे. चप्पल ज्यादा मजा देती होगी इनको"
क्रमशः। ...........................
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06-20-2017, 10:39 AM,
#42
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-17

गतांक से आगे..............................

मैडम ने जोर लगा कर दीदी के मुंह में फ़िर सर की चप्पल ठूंस दी, फ़िर उसे जगाने में जुट गयीं. "लीना उठ ना, आंखें खोल, देख तेरे सर कितना प्यार करते हैं तुझ को. बोले कि बेचारी के होश में आने के बाद ही पूरा लंड डालूंगा नहीं तो तू बुरा मान जायेगी कि सर ने अकेले में मजा ले लिया.

दीदी को होश आ गया. जब वह हिलने डुलने लगी तो मैडम ने सर को आंख मारी. सर ने कहा "बस अब एक बार में पेल दूंगा, डर मत लीना, मैं जानता हूं कि तू मुझसे नाराज है कि क्या सर धीरे धीरे पुकुर पुकुर कर रहे हैं. तेरे जैसी चुदैल छोकरी तो एक साथ लेने को मरी जा रही होगी. ले मेरी रानी" करके सर ने लीना दीदी के चूतड़ पकड़े और घच्च से एक बार में अपना मूसल अंदर कर दिया और दीदी पर लेट गये.

दीदी अब ऐसी तड़पी कि किसी ने गला दबा दिया हो. कस के अपने बंधे हाथ पैर फ़कने की कोशिश करने लगी. उसका सिर अब किसी हलाल होते बकरे जैसा इधर उधर हो रहा था. मैडम ने अपना हाथ उसके पेट के नीचे डाला और टटोल कर देखा "सर, इसकी तो छाती तक घुस गया है लगता है, देखिये पेट के ऊपर कैसा सुपाड़े का आकार महसूस हो रहा है"

"मैडम, ये लंड तो बना ही है ऐसे सुंदर स्टूडेंट्स की सेवा के लिये. उनके बदन में गहरा घुसता है तो बड़ा सुकून मिलता है" कहकर सर लीना के बाल चूमने लगे. मैडम ने दीदी के बदन को छोड़ा और मुझपर चढ़ गयीं और मेरा लंड चूत में लेकर मुझे चोदने लगीं. "मेरा काम हो गया सर. बस अब आप हैं और आप की शिष्या है. क्यों रे अनिल, मजा आया?" कहकर लाड़ से मैडम मेरे चेहरे पर अपने तलवे रगड़ते हुए बोलीं. वे अपनी ऐड़ी से मेरे मुंह में अपनी चप्पल अब और अंदर घुसा रही थीं.

मेरा हाल बेहाल था. मैं स्वर्ग में था, लंड ऐसी तना था कि जैसे सितार के तार. आंखों से मैंने मैडम को कहा कि मैडम, बहुत अच्छा लगा और कमर उचकार कर उन्हें नीचे से चोदने लगा. मैडम मुस्कराते हुए बोलीं "और मजा ले अनिल, अभी नहीं छोड़ूंगी तुझे, अभी तो सर का एक काम करवाना है मुझे तुझसे"

सर ने अब दीदी के बदन को बांहों में भर लिया था और अपनी टांगें दीदी की कमर के आस पास कस ली थी. दीदी की गांड को अब वे बुरी तरह से चोद रहे थे, जैसे घोड़ी की सवारी कर रहे हों. थोड़ी ही देर में दीदी की मख्खन भरी गांड से ’फ़च’ ’फ़च’ ’फ़च’ आवाज आने लगी.

"कैसा लग रहा है सर? स्वाद ले लेकर चोदिये जरा. जल्दबाजी मत कीजिये" मैडम अपना हाथ चौधरी सर की पीठ पर फ़ेरते हुए बोलीं.

सर बोलने की स्थिति में नहीं थे. उनकी आंखें खुमारी से लाल हो गयी थीं. "ओह ... ओह ... ये तो जन्नत है ... स्वर्ग है मैडम .... आह .... अं ... अं ... ओह" कहते हुए सर दीदी की गांड पूरे जोर से मार रहे थे. उनकी स्पीड देखकर नहीं लगता था कि वे ज्यादा देर टिकेंगे. ऐसा ही हुआ. ’आह .... ओह .... आह .... आह" कहते हुए वे अचानक झड़ गये और दीदी के बालों को बुरी तरह चूमने लगे.

मैडम मुस्करा दीं और मुझे बोलीं "देखा तेरी दीदी की करामत? सर जैसे पक्के चोदू भी नहीं टिक पाये. कल मुझसे बोल रहे थे कि घंटे भर चोदेंगे"

सर हांफ़ते हुए पड़े रहे. फ़िर संभलने पर बोले "कोई बात नहीं मैडम, ये तो शुरुआत है. आज तो दिन भर लीना की लूंगा मैं. ये देखिये मेरा लंड भी बस ढोंग कर रहा है, बस जरा सा थक गया है" उन्होंने अपना लंड आधा बाहर खींच कर दिखाया. वो अब ही काफ़ी तना हुआ था.

"निकाल लीजिये सर. बहुत रसीला लग रहा है. अनिल को देखिये. बेचारा कैसे ललचा कर देख रहा है. क्यों रे अनिल?" मैडम ने मेरे गाल को अपने पैर के अंगूठे से कुरेदते हुए पूछा. मैंने जोर से मुंडी हिलाई.

सर ने लंड पुक्क से बाहर खींच लिया. उसपर मख्खन और उनके वीर्य का झाग लगा था. मैडम ने मेरी मुंह से अपनी चप्पल निकाली और उठ बैठीं "बहुत हो गया मैडम की चरण पूजा. अनिल, अब तू ये मिठाई चाट ले, मैं भी तो जरा देखूं मेरी प्यारी गुड़िया का हाल"


सर मेरे पास आकर बैठे और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया. उधर मैडम ने जाकर दीदी के चूतड़ खींच कर फ़ैलाये और बोली "वाह सर, आपने एकदम चौड़ा कर दिया मेरी गुड़िया को. कैसी छोटी सी थी इसकी ये म्यान, अब देखिये, मुंह बा कर कैसे तैयार है. फ़टी तो नहीं?" कहकर वे दीदी के गुदा को उंगली से हौले हौले टटोलने लगीं.

मेरे सिर को अपने पेट पर सटाकर सर बोले "अरे नहीं मैडम, ऐसे सुंदर छेद तो कोई फ़ाड़ता है क्या? बचा कर रखी है मैंने, तभी तो धीरे धीरे कर रहा था शुरू में, आप ही जल्दी कर रही थीं. लगता है आप ही चाहती थीं कि लीना की फ़ट जाये"

"नहीं सर, मैं क्यों चाहूंगी पर कुछ भी कहिये, जब आपने रीता की फ़ाड़ी थी तब भी बहुत मजा आया था देखने में. वैसे वो लड़की भी बदमाश थी, मुंहफ़ट भी थी, जबरदस्ती करना पड़ी थी, हाथ नहीं लगाने देती थी. आप ने उसकी पूरी खोल दी, बाद में कैसी डरती थी वो, साल भर मरवाती रही पर चूं नहीं की उसने. ये दोनों तो बहुत प्यारे हैं, खुद ही कैसे आ गये हमारी सेवा करने को. इनसे जबरदस्ती का क्या काम" मैडम झुकीं और दीदी की गांड चाटने लगीं.

सर का फ़िर से जोर से खड़ा हो गया था और मेरे गले तक उतर गया था. वे आगे पीछे होकर मेरे गले को चोद रहे थे. मैं भी मस्ती से चूस रहा था कि सर और का माल मिल जाये.
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06-20-2017, 10:39 AM,
#43
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैडम ने जीभ अंदर डाल कर दीदी का गुदा साफ़ किया और फ़िर से उसमें थोड़ा मख्खन भर दिया. फ़िर सर को पकड़कर उन्हें खींच कर मुझसे अलग किया "चलो अब फ़िर से शुरू हो गये, इस लड़के को तो तुम ऐसे चिपटते हो कि आज का अपना काम भी भूल जाते हो."

"नहीं ऐसी बात नहीं है मैडम, आज तो बस लीना की गांड है और मैं हूं. असल में ये दोनों भाई बहन इतने प्यारे हं कि समझ में नहीं आता कि किस पर चढ़ूं और किसे छोड़ूं" सर उठकर दीदी के पास जाते हुए बोले.

"ठीक है सर. अब आप अपनी घोड़ी की सवारी फ़िर शुरू कीजिये, अब मैं आप को डबल मजा दिलाती हूं."

सर फ़िर दीदी पर चढ़ गये और उसकी गांड में अपना लंड उतार दिया. इस बार बस पांच मिनिट भी नहीं लगे. दीदी जरूर छटपटाई पर उसकी बोलती अब भी बंद थी, मुंह में सर की चप्पल जो थी.

"लीना, अब तेरे मुंह की चप्पल निकाल देती हूं. अगर चिल्लायी तो फ़िर ठूंस दूंगी. और इस बार पूरी अंदर तक डाल दूंगी, समझी ना? इतनी अच्छी प्यारी मस्त चुदैल छोकरी है, अब जरा नखरा छोड़ और सर को भी मजा लेने दे और खुद भी ले, सर जैसे लंड से गांड मराने का मौका किस्मत से मिलता है" मैडम ने मीठी फ़टकार लगायी.

दीदी के मंह से चप्पल निकली तो वो एक दो बार खांसी और फ़िर चुप हो गयी. "क्यों लीना बेटी, दर्द होता है?" सर ने प्यार से पूछा.

"हां सर" दीदी ने मुरझाये स्वर में कहा.

"अच्छी बात है, यह तो गवाही है तेरे कुंवारे बदन की. वैसे ऐसे खेलों में दर्द होने से भी मजा आता है, कम से कम दर्द देने वाले को जैसे मैं. मैंने तुझे बहुत सुख दिया था ना? बोल? मुझसे चुदने में मजा आता है ना?" सर ने पूछा.

"हां सर"

"तो दर्द भी सहन करना सीख. चिल्लायेगी नहीं तो हाथ पैर भी खोल दूंगा" कहकर सर शुरू हो गये. बड़े प्यार से हौले हौले वे दीदी के चूतड़ों के बीच अपना लंड अंदर बाहर करने लगे. दीदी थोड़ी सिसकी पर चुप रही.
"चलो. ये ठीक हुआ. अब जरा रुको" मैडम ने कहा और मेरे हाथ पैर खोल दिये. मेरे मुंह से चप्पल भी निकाल दी.

"चप्पल रहने दीजिये ना मैडम!" मैंने गुहार की. "बहुत अच्छी है, मुलायम और सौंधी सौंधी"

"अरे मेरे चप्पल के गुलाम, बाद में चाट लेना, कहीं भागी जा रही है क्या? मेरी और सर की ठीक से सेवा करेगा तो दे दूंगी तुझे, घर ले जाना और मन भर के चाटा करना. अब इधर आ और ये देख अपने सर का माल" मैडम ने सर की गांड पर हाथ रखकर कहा.

मैंने भी सर के गोरे कसे चूतड़ सहलाये.

"अच्छे हैं? वैसे तूने तो पहले भी इनका मजा लिया था" मैडम ने पूछा.

"हां मैडम, बहुत अच्छी गांड है सर की, मारने में मजा आया था"

"चल अब फ़िर मार. मैं मख्खन लगा देती हूं. पिछली बार तेल लगाया था ना? मख्खन से और मस्त सटकता है." मैडम ने मेरे लंड और सर के छेद में मख्खन चुपड़ा.

"मान गया मैडम आपको. आप कितना खयाल रखती हैं मेरा. ये तो कब से मेरे मन में था" सर अपने चूतड़ थोड़े हिलाकर बोले.

"अब लड़की के साथ साथ एक लड़का भी स्टूडेंट मिला है सर, इसका फ़ायदा तो लेना ही चाहिये. चल अनिल, आज सर को खुश कर दे"

मैडम बाजू में हटीं और मैं सर पर चढ़ गया. एक बार में आधा लंड गाड़ दिया उनकी गांड में. फ़िर पूरा पेला और उनपर सो गया.

"वाह मजा आ गया मेरे बेटे. अब मार मेरी. मैडम बहुत मस्त खड़ा है इसका, क्या बात है. डबल मजा आ गया. बस झड़ना नहीं मेरे शेर, बहुत देर मारना. समझ ले तू जब तक मेरी मारेगा तब तक मैं तेरी दीदी की कस के लूंगा. अब तू अगर चाहता है कि तेरी दीदी खूब लुत्फ़ उठाये अपनी गांड मरवाने का, तो तू मुझे वैसे ही चोद जैसे दीदी को चुदवाना चाहता है" सर दीदी की गांड में लंड पेलते हुए बोले.

मैं सर की गांड मारने लगा. लंड मस्त खड़ा था, मख्खन से फ़िसल भी मस्त रहा था.
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06-20-2017, 10:39 AM,
#44
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
हमने बहुत देर तक चुदाई की. पहले धीरे धीरे हौले हौले. फ़िर बाद में सर कस के दीदी की मारने लगे. उनके चूतड़ हवा में उछल उछल रहे थे. दीदी कराह रही थी, पर चिल्लाई नहीं, शायद मैडम के डर से. मैं भी सर के साथ साथ ऊपर नीचे होता रहा. मैडम हम दोनों का हौसला बढ़ाते हुए हमारे बाजू में ही बैठी थीं. कभी दीदी को चूमतीं, कभी मुझे.

"बस ऐसे ही सर, बहुत ठीक कर रहे हैं आप. मेरे पास कैमेरा होता तो पिक्चर ले लेती, बहुत बिकता. क्या दिख रही है आपकी ये तिकड़ी सर, एक बड़ा ऊंचा पूरा पुरुष और उसके दोनों और ये चिकने जवान भाई बहन सैंडविच बनाते हुए. लीना मजा आ रहा है ना? आखिर हम दोनों के पास आये हुए स्टूडेंट बनकर तो हमारा तो फ़र्ज़ है तुम्हे पूरा आनंद देना और तुम दोनों का फ़र्ज़ है अपनी मैडम और सर के सुख का खयाल रखना"

सर जब झड़े तो चिल्ला उठे, इतना मजा उन्हें आया कि वे रोक नहीं पाये. आखिर पहली बार किसी और की गांड मारते हुए अपनी गांड चुदाने का ये पहला मौका था. उनके झड़ने के बाद भी मैंने उन्हें नहीं छोड़ा और चिपक कर कस कर मारता रहा. मैडम ने मुझे अलग करने की कोशिश की तो सर हांफ़ते हुए बोले "अरे मजा कर लेने दीजिये उसे मैडम, बहुत मेहनत की है बेचारे ने, बहुत सुख दिया है अपने टीचर को. भगवान भला करे बेटा तेरा, ऐसा ही सुख लेता रह और देता रह."

इस चुदाई के बाद मैडम सब के लिये चाय बना लायीं. दीदी लस्त पड़ी थी, उठ कर बैठ भी नहीं रही थी. उसका मुरझाया चेहरा देख कर मैडम बोलीं "आज तो इस कन्या को निचोड़ लिया पूरा आपने सर"

"हां मैडम, बहुत अच्छा लगा. पर अभी मन नहीं भरा, अभी तो तीन चार घंटे हैं शाम होने में. आज लीना को मैं पूरा भोग लूंगा, जब से इसे देखा है, मन तरस रहा है, आज तो मुराद मिल गयी है मुझे, क्यों लीना बेटी, तुझे अच्छा लगा कि नहीं?"

दीदी बस चुप थी, टुकुर टुकुर सर और मैडम को देखती रही. "अभी वो सकते में है सर, बेचारी तब से अकेले आप को झेल रही है, वैसे इसे बहुत सुख मिला होगा, मैं कहती हूं ना, अब आप आगे शुरू कीजिये जल्दी" मैडम ने सर को कहा.

चाय पीने और नाश्ता करने के बाद सर बोले "अब बेचारी को थोड़ा आराम देंगे"

"याने अब आप इसकी गांड नहीं मारेंगे सर?" मैंने उत्सुकता से पूछा.

मैडम हंस कर बोलीं "क्यों रे तुझे अब जल्दी है क्या? सर से लाड़ करवाना है दीदी जैसा?"

मैं झेंप गया. सर मुझे चूम कर बोले "अरे ये तो मेरा लाड़ला है. पर बेटे, तूने तो मजा ले लिया पिछले दो दिन, अब दीदी को लेने दे. मेरा मतलब ये है कि अब इसपर चढ़ूंगा नहीं, गोद में बिठाऊंगा. आ जा लीना"

दीदी किसी तरह उठी और सर की गोद में बैठने लगी. "ऐसे नहीं मेरी रानी, ये खूंटा तो भिदवा ले अपने बदन में" कहकर सर ने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा और थोड़ा सा अंदर कर दिया. "अब बैठ जा"

दीदी सिसक कर बोली "मैडम दुखता है"

"अरे इतनी देर से गांड मरवा रही है अब भी लेने में डरती है? फ़िकर मत कर, मैं मदद करती हूं" कहकर मैडम ने दीदी के कंधे पकड़े और जोर से सर की गोद में उसे बिठा दिया. लंड गप्प से दीदी के चूतड़ों के बाच ढंस गया और दीदी धम्म से सर की गोद में बैठ गयी. वो चीखती इसके मैडम ने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया.

"तू इधर आ अनिल, मेरे पास बैठ" कहकर सर ने मुझे पास बिठा लिया और मेरा चुम्मा लेने लगे. फ़िर मेरा मुंह चूसते चूसते ऊपर नीचे होकर गोद में बैठी दीदी की गांड मारने लगे. मैडम तुरंत हमारे सामने नीचे बैठ गयीं और दीदी की बुर से मुंह लगा दिया. एक दो बार चाटकर सिर उठाकर बोलीं "सर मैं कहती थी ना कि छोकरी को मजा आ रहा है. ये देखिये इसके बदन से तो रस की धार बह रही है, भले ये बिलख रही हो पर ये लड़कियां तो ऐसा नखरा करती ही हैं. आप शुरू हो जाइये"

उस दिन पूरे दिन ऐसी ही चुदाई चलती रही. दीदी की गांड में सर का लंड दिन भर रहा. कई आसनों में चुदाई की गयी, आखिर में सर ने दीदी को दीवार से सटा कर खड़ा किया और मारने लगे. दीदी तो बेहोश सी ही थी, उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. मैडम बोलीं ’लीना अब पस्त हो गयी है सर, अब इस लिटा कर मारिये, देखिये ना गिरने को है"

"आप चिंता न कीजिये मैडम, नहीं गिरेगी, मेरे खूंटे से जो टंगी है, ये देखिये" कहकर सर ने दीदी के बदन से अपने हाथ हटा लिया. दीदी वैसी की वैसे रही. उसके पैर हवा में झूल रहे थे, बस सर के लंड से टंगी हुई थी.


क्रमशः। ...........................
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06-20-2017, 10:39 AM,
#45
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-18 end

गतांक से आगे..............................
"इतनी बार चोदने के बाद भी आपके खूंटे में इतनी ताकत है अभी सर, आप की तो जवाब नहीं" मैडम ने उनकी तारीफ़ की.

"अरे मैडम, माल ही ऐसा है, मेरे लंड को मालूम है कि वो कितना खुशकिस्मत है जो इतने प्यारे मस्त ये जवान बदन मिले हैं भोगने को, इसका मन ही नहीं भरता, लगता है आज जितनी बार चाहूं उतना चोद सकता हूं. और फ़ूल सा तो वजन है इसका, लंड को लगता भी नहीं कि कोई इसपर टंगा है" कहकर सर ने फ़िर दीदी के बदन को बाहों में लिया और उसके बदन को कस के भींच कर दीवार से सटा सट उसकी मारने लगे. "तू भी आजा अनिल. खड़ा हो जा मेरे पीछे, पर खबरदार झड़ना नहीं. तुझे आखिर में इनाम दूंगा एक प्यारा सा" सर का आदेश मान कर मैं उनके पीछे खड़ा होकर उनकी मारने लगा.

मैडम बस लेटी लेटी अपनी बुर में उंगली करती हुई मस्ती लेती रहीं और सर के कारनामे देखती रहीं.

शाम होते होते दीदी पूरी लस्त हो गयी. वह तो बेहोश ही हो गयी थी और चुपचाप पड़ी थी. सर जव पूरी तरह से तृप्त हो गये तो आखिर में मैडम ने मुझसे दीदी की गांड मारने को कहा. मैंने मन लगाकर मजे लेते हुए मारी. अब दीदी की इतनी फ़ुकला हो गयी थी कि सर की गांड भी उसके मुकाबले कसी हुई लगती थी. मैंने कहा तो मैडम बोलीं "अरे उसकी गांड में जो लंड चला आज दिन भर वो तेरे से दुगना है. तो फ़िर होगा ही. फ़िकर मत कर. आज रात तू दीदी की गांड में बर्फ़ के गोले भर देना. कल तक फ़िर अच्छी सिकुड़ जायेगी."

दीदी की मैंने पूरी मस्ती ले ले कर मारी. मजा आ रहा था कि दीदी जो हमेशा मुझपर रोल करती थी आज इस हालत में थी कि मुझे रोक भी नहीं सकती थी.

चुदाई खतम होने पर मैडम ने हमे आधा घंटा आराम करने दिया. फ़िर दीदी को नहलाया और उसे और मुझे दूध पीने को दिया. हमने कपड़े पहने. दीदी को मैडम ने कपड़े पहनाये. उसके बाद सर खुद हमें अपने स्कूटर पर बिठाकर घर छोड़ गये क्योंकि दीदी से चला नहीं जा रहा था. नानी ने पूछा तो सर बोले कि अरे जरा गिर पड़ी इसलिये पैर में मोच है.

मुझे डर था कि दीदी के साथ जरा ज्यादा ही हो गया, वो नानी को कह न दे. पर दीदी चुप थी.

नानी ने पूछा कि आज इतनी थकी मुरझायी क्यों लग रही है तो दीदी धीमी आवाज में बोली कि नानी, आज बहुत पढ़ाई की है दिन भर.

रात को खाने के पहले दीदी खुद ही बोली कि अनिल वो मैडम ने कहा था ना बर्फ़ के बारे में. मैंने बर्फ़ से दीदी की गांड सेक दी. वो सी सी करते हुए पड़ी रही. शायद बर्फ़ से दुख भी रहा था. मैंने कहा कि दीदी दुखता है तो रहने दो तो बोली कि अरे मैडम ने कहा था ना कि टाइट हो जायेगी फ़िर से, फ़िर सेक ना, मेरे दर्द की परवा न कर

खाना खाते समय दीदी चुप चुप थी. आखिर रात को सोते वक्त मैंने पूछा "दीदी, बहुत दर्द हो रहा है क्या?"

दीदी आंखें बंद करके हां बोली.

"दीदी ... वो मैंने भी आज तुम्हारी गांड मारी ... तुम को बुरा तो नहीं लगा?"

"अरे नहीं, मुझे तो पता भी नहीं पड़ा, वो सर ने ही मेरी ऐसी हालत कर दी थी कि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मैं तो बेहोश ही थी शायद. तुझे मजा आया क्या?"

"हां दीदी, बहुत प्यारी ... कोमल है तुम्हारी गांड. सर तो पागल हो गये थे, फ़िदा हो गये थे" मैंने दीदी के बदन को सहला कर कहा.

मैं कुछ देर चुप रहा, फ़िर बोला "दीदी, तुम चाहो तो कल गोल मार देते हैं. अगर तकलीफ़ हो रही हो तो अब सर और मैडम के पास नहीं जायेंगे तुम कहो तो. नानी को कहेंगे कि कहीं और ट्यूशन लगा दे"

दीदी बोली "तुझे मजा नहीं आया? सर और मैडम पसंद नहीं हैं तुझे?"

मैं उसकी ओर देखता रहा. फ़िर बोला "दीदी, बहुत मजा आया. पर तेरी जरा ज्यादा पिसाई हो गयी लगता है. सर और मैडम तो ऐसे हैं कि मैं तो उनकी पूजा करूं रोज. पर तेरी हालत आज जरा नाजुक हो गयी है इसलिये कह रहा था"

दीदी बोली "हां रे, ऐसा लगता है कि जैसे किसीने मूसल से कुटाई की हो. अंग अंग दुख रहा है"

थोड़ी देर वो चुप रही. फ़िर बोली "पर अनिल, जब सर मेरी मार रहे थे ना तो गांड तो बहुत दुख रही थी पर मेरी चूत ऐसी गीली थी कि .... बहुत मीठी कसक हो रही थी रे ... इतना अच्छा लग रहा था कि .... अनिल ...सर और मैडम के पास जादू है जादू. लगता है मैं पूरी चुदैल बन गयी हूं, देख फ़िर सी चूत बह रही है, याद आती है कि आज क्या हुआ तो ऐसी कसकती है अनिल .... अब ऐसा लगता है कि मेरी ये आग शांत ही नहीं होती. अनिल आ ना राजा, मेरी बुर चूस दे रे, फ़िर चोद देना"

"पर दीदी.... नानी ?"

"उसकी फ़िकर मत कर, वो सो जाती है तो उसे कुछ सुनाई नहीं देता. आज से तेरी डबल ड्यूटी. दिन में सर और मैडम और रात में मैं. चल आ जल्दी से"
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06-20-2017, 10:40 AM,
#46
RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
उस रात मैंने दीदी की बुर दो बार चूसी तब वो सोयी. दूसरे दिन मुझे डर था कि सर और मैडम न डांटें, आखिर उस दिन की धुंआधार चुदाई के बाद मेरा लंड ठीक से खड़ा भी होना मुश्किल था. पर उस दिन सर काम से बाहर गये थे और मैडम ने हमें बस पढ़ाया, और कुछ नहीं किया. मुस्करा कर बोली "आज छुट्टी. अब कल से नये लेसन शुरू करेंगे. लीना आराम कर लेना. सर कल से फ़िर लगेंगे तुम दोनों के पीछे. सच पूछो तो मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम दोनों मिल गये. अब सर को वो सुख मिलेगा जो मैं उन्हें पूरा नहीं दे पाती थी. और मुझे भी मिलेगा, मुझे थोड़ी राहत भी मिलेगी."

हम दोनों ने मैडम की ओर देखा.

वे बोलीं "अरे तेरे सर असल में शौकीन हैं इन गोल मटॊल गोरे चूतड़ों के. बुर के भी शौकीन हैं पर उनका असल इंटरेस्ट पूरा पिछवाड़े ही होता है. खास कर तुम जैसे प्यारे जवान लड़के लड़कियों के पिछवाड़े में. तुम नहीं थे तो मुझे झेलना पड़ता था, अब मेरी जान छूटी. वो सर मुझे चोदते कम थे और गांड ज्यादा मारते थे. तभी तो अनिल आ गया तो मैं खुश हो गयी, बहुत प्यार से चोदता है तू मुझे अनिल. और मुझे भी तुम जैसे बच्चे बहुत पसंद हैं. अब हम दोनों की चांदी है. मैं अपने तरह से तुम दोनों से सेवा करवाया करूंगी और सर अपनी तरह से."

कुछ देर बाद मैडम आगे बोलीं "तुम दोनों बहुत गरम हो, ऐसा बहुत कम होता है. बहुत सुख पाओगे आगे जा कर. बस मेरे और सर की तरह ही रहना और हमारा नाम रोशन करना"

"पर मैडम ...’ मैं झिझकता हुआ बोला "आप और सर तो ... पति पत्नी हैं .... और मैं और दीदी भाई बहन"

मैडम हंसने लगी "कितने भोले हो अनिल. तुझे कैसे मालूम कि हम दोनों पति पत्नी हैं? भाई बहन भी हो सकते हैं ना? तुझे मालूम है कि हम कहां से आये हैं, हमारा गांव कौन सा है? हम तो नये हैं यहां"

"पर मैडम ..." दीदी बोल पड़ी.

"अब चुप, किसी से कहना नहीं. पर हम दोनों जैसे तुम लोग भी आगे खूब मजे करना. ये जीवन है ही इस तरह का आनंद उठाने के लिये. भाई बहन का असली प्यार तुमने देखा है, अब आगे बहुत तरह के प्यार देखना" मैडम ने हमें चूम कर कहा.

उस दिन वापस आते समय मैंने लीना दीदी से कहा "दीदी, मैं तुमसे शादी करूंगा."

लीना दीदी मुझे डांट कर बोली "चुप कर. हम दोनों भाई बहन हैं"

"पर सगे तो नहीं हैं ना! दूर के रिश्ते में शादी चलती है. मैं तो मां से कह दूंगा."

"पर ये शादी का भूत कैसे सवार हो गया तेरे सिर पर?" लीना मुझे कनखियों से देखते हुए बोली. "आज मैडम की बात सुनकर?"

"हां दीदी. क्या मजा लूटते हैं दोनों. हम दोनों भी ऐसी ही मस्ती करेंगे" मैं बोला. लीना कुछ नहीं बोली, बस मुस्करा दी. पर उस रात घर पर नानी के सोने के बाद उसने मुझे पहली बार अकेले में चोदने दिया.

साल भर हमने सर और मैडम के साथ ऐसे ऐसे गुल खिलाये कि कभी सोचा भी नहीं था. साल के बाद उनका ट्रान्सफ़र हो गया. पर तब तक मैं और दीदी पक्के भोगी बन गये थे. आगे भी हमने सर और मैडम के रास्ते पर चलने का निश्चय किया और ऐसे ऐसे मजे किये .... वैसे वो एक अलग कहानी या उपन्यास है"

----समाप्त ----
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