Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:35 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:37 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--32

राधिका भी कुछ बोलना सही नहीं समझती और चुप चाप किचन में चली जाती हैं. कृष्णा फिर से गहरे विचार में खो जाता हैं. वो तो बस यही चाहता था कि किसी भी हाल में बिहारी से वो अपनी बेहन को दूर रखे.

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वहाँ से दूर बिहारी के रूम पर

विजय- यार कब तक मैं अपने धंधे बंद कर के रखूं. ऐसे में तो मैं बर्बाद हो जाउन्गा. तू भी कुछ नहीं कर रहा और उपर से पार्वती को मरवाकर हम ने और मुसीबत को अपने गले बाँध लिया हैं. बता कब तक चलेगा आख़िर ये सब..

बिहारी- विजय इतने दिन रुका हैं तो कुछ दिन और सही. अभी मामला बहुत गरम हैं. वो एसीपी भी गिद्ध की तरह हमारे पीछे पड़ा हुआ हैं. चिंता मत कर जितना जल्दी हो सके सबसे पहले उस लड़की का पता करवा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. अगर वो हमारे हाथ नहीं लगी तो समझ ले हमारा खेल ख़तम.

विजय- मैने अपने डिटेक्टिव्स लगा दिए हैं. जल्दी ही कुछ पता चल जाएगा.

दूसरे दिन राहुल अपने पोलीस फोर्स के साथ होटेल प्लाज़ा में छापा मार देता हैं. वहाँ उसे ड्रग्स के 3 सप्लाइयर्स भी उसकी गिरफ़्त में होते हैं और करीब 15 लड़कियों को जिस्म फ़रोशी के धंधे में अरेस्ट किया जाता हैं. विजय और बिहारी भारी मात्रा में इसी होटेल में ड्रग्स सप्लाइ करते थे और काजीरी की मदद से वो यहाँ लड़कियों का धंधा भी करते थे. जब उन्हें ये बात पता लगता हैं तो बिहारी को एक और बड़ा झटका लगता हैं..

विजय- ये देख आज के पेपर में. हमारे और तीन आदमी पकड़े गये. और तो और 15 लड़कियाँ को भी जिस्म के धंधे से आज़ाद करवाया गया हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम तो बर्बाद हो जाएँगे. ये हरामी इनस्पेक्टर तो जब से एसीपी बन गया हैं हमारा जीना मुश्किल कर दिया हैं. समझ में नही आता कि इसका क्या करूँ..

बिहारी- हां अब पानी सिर के उपर से निकल चुका हैं. अब हमे जल्दी ही कुछ करना पड़ेगा. सोचने दे मुझे मैं इस प्राब्लम का कोई सल्यूशन निकालता हूँ.

विजय- अरे कितने दिन से तो तू प्राब्लम की सल्यूशन ढूँढ रहा हैं. अगर इसी स्पीड से सल्यूशन ढूंढेगा तो जल्दी ही हमारे गले में फाँसी का फंदा होगा. विजय अपने दाँत पीसते हुए बोला.

तभी विजय के मोबाइल पर एक कॉल आता हैं. विजय फोन रिसीव करता हैं. फोन उसी डीटेक्टिव का था. उसने पूरा पता लगा लिया था. उसका नाम कुणाल था.

कुणाल- सर उस लड़की का पता चल गया जिसने पार्वती का मर्डर होते हुए अपनी आँखों से देखा था. उस लड़की का नाम राधिका हैं और धीरे धीरे वो डीटेक्टिव विजय को पूरी जानकारी दे देता हैं.

विजय- तुम्हें यकीन हैं ना जो तुम कह रहे हो वो सच हैं. अगर ये बात झूट हुई तो फिर तुम्हारी खैर नहीं.

कुणाल- आज तक मैने आपको कोई ग़लत रिपोर्ट दी है जो आज दूँगा. खबर 100% सच हैं. और इतना बोलकर कुणाल फोन रख देता हैं.

बिहारी- क्या हुआ उस लड़की का पता चल गया क्या. और तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हैं. बता ना ऐसा क्या कहा उस डीटेक्टिव ने.

विजय- अगर तू ये खबर सुन लेगा तो तेरे भी होश उड़ जाएँगे. जानता हैं वो लड़की कौन हैं जिसने पार्वती का खून होते हुए अपनी आँखों से देखा था.

बिहारी- हैरत से..........कौन???

विजय- राधिका.............कृष्णा की बेहन और उस बिरजू की बेटी.

इतना सुनते ही बिहारी अपने सिर पर दोनो हाथ रखकर वहीं फर्श पर बैठ जाता हैं.- रा.................धी........का .... ओह माइ गॉड.!!!
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04-05-2019, 12:35 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:38 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
विजय- क्यों फट गयी ना. अब तो जो हमारे बचने की उम्मीद थी अब वो भी ख़तम. वो साली उस राहुल की होने वाली बीवी हैं और चाहे कुछ हो जाए वो गवाही ज़रूर देगी. और वैसे भी वो हम दोनो के खिलाफ पहले से हैं. अब तो हमे उपरवाला भी नहीं बचा सकता. और तो जो हमने उसे हासिल करने के लिए सपने देखे थे अब वो भी ख़तम. अब तो सब कुछ उस राधिका के हाथ में हैं. मेरी मानो तो हम ये सहेर छोड़ कर कहीं और चले जाते हैं.

बिहारी- बंद कर अपनी ये बक बक.... अभी मेरे पास हुकुम का इक्का हैं. और मैने उसे अभी खोला नहीं हैं. जिस दिन मैं वो हुकुम का इक्का खोल दूँगा सब कुछ मेरी मुट्ठी में होगा.

विजय- तो खोल ना अब वो इक्का. सब कुछ ख़तम होने के बाद क्या वो इक्का खोलेगा. देख बिहारी मैं नहीं चाहता कि मैं जैल की सलाखो के पीछे अपनी जिंदगी बिताऊ.

बिहारी करीब 2 घंटे तक इसी विचार में खोया रहता है और आख़िरकार उसके दिमाग़ में एक ऐसा ख़तरनाक प्लान आता हैं जिसका तोड़ शायद राहुल के पास भी ना हो. वो तो यही चाहता था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. और शायद बिहारी के दिमाग़ में कुछ ऐसा ही षडयंत्र चल रहा था.वो क्या षडयंत्र था ये तो वक़्त ही बताने वाला था.

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उधर राधिका भी बहुत खुस थी कृष्णा के अंदर आयें ऐसे बदलाव को देखकर. अब कृष्णा हफ्ते में एक बार शराब पीता था और अपनी बेहन का पूरा ख्याल रखता था. राधिका भी हर रात कृष्णा के साथ सोती थी और अपने भैया कर हर ख्वाहिश पूरा करती. हर रात कृष्णा उसके साथ नये नये तरीके से सेक्स करता और राधिका भी पूरी तरह से एंजाय करती. राधिका की हवस अब इतनी बढ़ चुकी थी कि जब तक कृष्णा उसके साथ वाइल्ड सेक्स नहीं करता उसको चैन नहीं मिलता. दिन में राहुल और रात भर कृष्णा के साथ अपनी हवस को राधिका शांत करती फिर भी उसकी हवस कम होने के बजाय बढ़ती जाती. और शराब तो उसकी ज़िंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी. हर रोज़ वो शराब पीती और हमेशा नशे में रहती.

एक शाम जब कृष्णा घर आया वो उस दिन नशे में था अंदर आकर वो सोफे पर बैठ जाता हैं-

राधिका- भैया क्या बात है. आज कुछ परेशान लग रहे हो.

कृष्णा- राधिका मैं कितने दिनों से तुझसे एक बात कहना चाहता हूँ पर कह नहीं पा रहा हूँ. आज सोच रहा हूँ कि तुझसे कह ही दूं.

राधिका- कहिए भैया ऐसी क्या बात हैं.

कृष्णा- अब मैं तेरे साथ जिस्मानी संबंध और नहीं रखना चाहता. अब मुश्किल से तेरी शादी के 15 दिन ही बचे हैं. अगर ये सब ऐसे ही चलता रहा तो ना तेरे लिए अच्छा होगा और ना मेरे लिए. और मैं नहीं चाहता कि राहुल को ये बात पता चले. और अगर बापू को इस बात की भनक लग गयी तो पता नहीं वो हमारा क्या हाल करेंगे.

राधिका कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं- कुछ नहीं होगा. अगर आपका ख्याल मैं नही रखूँगी तो कौन रखेगा. सब कुछ एक दिन ठीक हो जाएगा. आप चिंता ना करें.

कृष्णा- ऐसे कह देने से सब कुछ ठीक नहीं होगा. आब मैं आज के बाद तुझे हाथ नहीं लगाउन्गा. चाहे तुझे अच्छा लगे या बुरा.

राधिका कुछ देर सोचती हैं फिर वो अपने भैया के सामने ही अपने कपड़े एक एक कर उतारने लगती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक उसके जिस्म से एक भी कपड़ा नहीं बचता. वो पूरी तरह नंगी होकर कृष्णा के सामने खड़ी हो जाती हैं. कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- ये क्या हैं राधिका. मैं कुछ समझा नहीं..
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04-05-2019, 12:35 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:38 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका- मैं आपके सवलो का जवाब दे रही हूँ. खाइए मेरी कसम कि आपको मुझे ऐसी हालत में देखकर कुछ नहीं होता. क्या आपका लंड खड़ा नहीं होता अपनी ही बेहन को देखकर. क्या आपका मन नही करता कि आप मेरी चूत गान्ड में अपना लंड डालें. और मेरी चुदाई करें. बिल्कुल करता होगा. क्यों कि जिस्म की आग कोई रिश्ता नाता नहीं देखती. हवस में इंसान को ये तक दिखाई नही देता कि कौन उसकी बेहन हैं और कौन उसकी बेटी. फिर आप आज ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं. इतना सब कुछ हो जाने के बाद अब आपके और मेरे बीच कुछ बचा हैं क्या. आज मैने भाई बेहन के बीच शरम की दीवार हमेशा हमेशा के लिए गिरा दी हैं.

कृष्णा वही चुप चाप सोफे पर बैठा रहता हैं जैसे उसकी ज़ुबान मानो सिल गयी हो. वो एक शब्द भी कुछ नहीं बोल पाता. फिर वो उठता हैं और वही पड़ा चद्दर राधिका के नंगे जिस्म पर डाल देता हैं.

कृष्णा- ये सही नहीं हैं राधिका. इंसान अगर अंजाने में कोई ग़लती करे तो उसे उसकी भूल समझकर उसको माफ़ कर दिया जाता हैं. मगर ग़लती जानबूझ कर की जाए तो वो माफी का हक़दार नहीं होता. और जो हमारे बीच अब हो रहा हैं अगर राहुल को इस बात का पता चलेगा तो वो हमे कभी माफ़ नहीं करेगा और हो सकता हैं वो तुझे कभी ना अपनाए.

राधिका- आज आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं भैया. राहुल चाहे मुझे अपनाए या ना अपनाए मुझे इस बात की चिंता नहीं हैं. मैं तो बस अब अपने भैया को खोना नहीं चाहती.

कृष्णा- होश में आओ राधिका. ये मेरा फ़ैसला है अब मैं तुम्हारे साथ नज़ायाज़ रिश्ता अब और नहीं बना सकता. चाहे तुम्हें अच्छा लगे या बुरा.

राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपके फ़ैसले के पीछे क्या वजह हैं. क्या मैं आपकी जिस्म की प्यास नहीं बुझा सकती. क्या मुझसे भी अच्छी वो रंडियाँ हैं जो आपके जिस्म की गर्मी को शांति करती हैं. क्या आप मुझे उन रंडियों के बराबर भी नहीं समझते...

राधिका के मूह से ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से अपना कंट्रोल खो देता हैं और एक ज़ोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. राधिका का चेहरा लाल पड़ जाता हैं.

कृष्णा- तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं. हर वक़्त पता नहीं उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. भला उन रंडियों से तेरी कैसी तुलना. तू मेरी बेहन हैं और मैं तुझे अपनी जान से ज़्यादा चाहता हूँ. मैं तुझे हमेशा खुश देखना चाहता हूँ. कल को अगर तुझे कुछ हो गया ना तो मैं तेरे बिन जी नहीं पाउन्गा.

राधिका अपने आँखों से आँसू पोछती हैं- मुझे माफ़ कर दो भैया. मुझे नहीं पता था कि आप मुझसे इतना प्यार करते हैं.

कृष्णा- माफी तो मुझे तुझसे माँगी चाहिए राधिका जो मैने तुझपर अपना हाथ उठाया. और कृष्णा राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं. ऐसे ही ना जाने कितने देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते हैं.

कृष्णा- एक बात पूच्छू राधिका खा मेरी कसम कि तू मुझसे कोई बात नहीं छुपाएगी.. राधिका कृष्णा को सवालियों नज़रें से देखने लगती हैं.

राधिका- पूछो भैया क्या पूछना हैं.

कृष्णा- तू मेरे साथ जिस्मानी संबंध क्यों बनाना चाहती हैं जब कि राहुल तुझे वो सुख भी देता हैं. फिर क्या वजह है क्या तू राहुल से अब प्यार नहीं करती या राहुल तुझे खुस नहीं रख पाता.

राधिका के चेहरा का रंग फीका पड़ जाता हैं कृष्णा के ऐसे सवाल सुनकर. वो कुछ बोल नहीं पाती और बस अपने भैया को देखने लगती हैं.

राधिका- मैने कहा था ना वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. मैं आपको अभी नहीं बता सकती.

कृष्णा- आख़िर तू किस वक़्त की बात कर रही हैं. मैं कुछ नहीं जानता अगर तू मुझे नहीं बताएगी तो मैं तुझसे कभी बात नहीं करूँगा.

राधिका- क्या करोगे भैया ये सब जानकार. मैने बचपन से हर चीज़ खोई हैं तो राहुल को खोना मेरे लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी.

कृष्णा- ये तू क्या बोल रही हैं राधिका मैं कुछ समझा नहीं.

राधिका तो नहीं चाहती थी ये बात अपने भैया को बताए मगर उनकी कसम ने उसे मज़बूर कर दिया था. वो फिर शुरू से एक एक बात कृष्णा को बताते चली जाती हैं. कैसे उसकी पहली मुलाकात राहुल से हुई. कैसे उससे प्यार हुआ. और निशा वाली भी सारी बातें एक एक कर वो अपने भैया को बताती हैं. सब कुछ सुनने के बाद कृष्णा अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ जाता हैं.
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04-05-2019, 12:35 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:38 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के आँख में इस वक़्त आँसू थे- आप ही बताइए भैया मैं राहुल से कैसे शादी कर सकती हूँ. जितना प्यार मैं राहुल से करती हूँ उससे कहीं ज़्यादा निशा राहुल को चाहती हैं. अगर राहुल उसे नहीं मिला तो वो मर जाएगी. आप ही बताइए मैं 8 साल पुरानी दोस्ती पहले निभाउ या 8 महीने वाला प्यार. बेहतर यही होगा कि मैं राहुल और निशा की ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाऊ. इस लिए मैने आपका दामन थामा ताकि मुझे आपका सहारा मिल जाए और मैं अपने राहुल को आसानी से भुला सकूँ. मगर इस दिल को कैसे समझाऊ जितना मैं राहुल से दूर रहना चाहती हूँ राहुल मेरे उतने ही पास आता जा रहा हैं. अब तो मैं चैन से ना जी पा रही हूँ और ना चैन से मर पा रही हूँ.

बचपन से सुना था कि प्यार इंसान की ज़िंदगी बदल देता हैं. हां मेरी भी ज़िंदगी बदल गयी इस प्यार की वजह से. मगर एक अभिसाप के रूप में. आप ही बताइए भैया मैं क्या करू. अब मैं राहुल से शादी नहीं करनी चाहती. अगर ऐसा हुआ तो निशा जीते जी मर जाएगी. और मैं अपनी निशा को खोना नहीं चाहती.

कृष्णा- निशा को खोने का गम हैं तो क्या राहुल से बिछड़ कर क्या उससे तू दूर रह पाएगी. राधिका जो कुछ हुआ ग़लत हुआ. ये बात मुझे पहले पता होती तो मैं तेरे साथ जिस्मानी संबंध कभी ना बनता. मैं इस बारे में राहुल से बात करूँगा. और उसे जाकर सारी सच्चाई बता दूँगा.

राधिका- आपको मेरी कसम हैं भैया. अगर आपने ऐसा किया तो मेरा मुरा मूह देखेंगे. आप राहुल और निशा को कोई बात नहीं बताएँगे. मुझे पूरा विश्वास हैं एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा. मैने अपना फ़ैसला उपर वाले के हाथो छोड़ दिया हैं. वो जो करेगा अच्छा ही करेगा.

कृष्णा- कितनी बड़ी हो गयी हैं तू. काश मैं पहले तुझे समझ पाता. ठीक हैं मैं चुप रहूँगा और भगवान से यही दुआ करूँगा कि तेरा प्यार तुझे मिल जाए और निशा को कोई दूसरा जीवन साथी.

राधिका- भैया छोड़िए इन सब बातों को और मुझे प्यार कीजिए. मुझे इस वक़्त आपके प्यार की ज़रूरत हैं. और इतना कहकर राधिका अपने शरीर पर ओधी चादर उतार कर फर्श पर गिरा देती हैं.

कृष्णा- नहीं अब और नहीं राधिका. ये सब जानने के बाद भला मैं अब तेरे साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ.

राधिका- भैया इस वक़्त मुझे आपके सहारे की ज़रूरत हैं. अगर आपने भी मेरा साथ छोड़ दिया तो आपकी राधिका जी नहीं पाएगी. थाम लो भैया मेरे हाथ मुझे इस वक़्त आपसे बहुत सी उम्मीदे हैं.

कृष्णा भी कुछ कह नहीं पाता और राधिका को अपने सीने लगा लेता हैं. राधिका आगे बढ़कर अपना लिप्स कृष्णा के होंठो पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगती हैं. कृष्णा भी धीरे धीरे राधिका के लिप्स पर अपनी ज़ुबान फिराने लगता हैं और एक हाथ आगे बढ़ाकर वो राधिका के सीने पर अपना हाथ रख देता हैं. राधिका भी अब कृष्णा में खोती चली जाती हैं.

राधिका- भैया मुझे आज इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाओं. मुझे बस आपका प्यार चाहिए.

कृष्णा- मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका. तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. फिर कृष्णा धीरे धीरे अपने उंगली राधिका के निपल्स पर रखकर उसे दोनो उंगलियों से मसल्ने लगता हैं. राधिका की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं. फिर कृष्णा अपनी दोनो उंगलियाँ नीचे लेजा कर राधिका की चूत में वो डाल देता हैं और तेज़ी से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका का सब्र टूटने लगता हैं. वो बार बार अपने जीभ कृष्णा के होंठो से लेकर उसके कान तक फिराती हैं.

कृष्णा फिर एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार देता हैं और फिर राधिका को अपने गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाता हैं. फिर उसे वही सुला कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रखकर उसकी चूत को धीरे धीरे चाटना शुरू करता हैं.
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04-05-2019, 12:35 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:38 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के मूह से ऊ...अयू...च.............आ.......ह........जैसे आवाज़े निरंतर निकल रही थी. वो भी बेचैन हो रही थी.कृष्णा उसी तरह राधिका की चूत को चाटता हैं. फिर धीरे धीरे एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और दूसरी उंगली उसकी गंद में. फिर एक साथ दोनो उंगली आगे पीछे चलने लगता हैं और साथ में चूत भी चाटने लगता हैं. राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत चिल्ला पड़ती हैं और झरने लगती हैं. कृष्णा फिर भी नहीं रुकता और उसी तरह राधिका की चूत चाटता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका फिर से गरम होने लगती हैं. फिर वो अपना होंठ राधिका के होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसने लगता हैं. राधिका भी कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं.

उसके मूह में भी अपनी चूत का मिला जुला रस मिलता हैं और वो इसी अंदाज़ में अपने भैया का होंठ चुसती हैं. फिर राधिका नीचे झुक कर अपने भैया का लंड धीरे धीरे अपने मूह में लेती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कृष्णा का पूरा लंड अपने हलक तक नहीं पहुँच जाता. कृष्णा भी तेज़ी से राधिका के मूह को चोदने लगता हैं और फिर राधिका को अपने उपर बैठकर एक ही झटके में अपना लंड पूरा राधिका की चूत में पेल देता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका वीर्य राधिका की चूत में नहीं निकल जाता.कमरे में दोनो की मादक सिसकियाँ निकल रही थी और दोनो की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी. कृष्णा करीब 30 मिनिट तक राधिका की चूत मारता हैं और इस बीच राधिका भी तीन बार झर चुकी थी. दोनो धम से एक दूसरे के उपर गिर जाते हैं और ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते हैं.

राधिका अपने भैया के सीने पर सर रखकर उनकी आगोश में सो जाती हैं.. दिल में एक तरफ राहुल का प्यार लिए और एक तरफ कृष्णा के प्रति लगाव में राधिका कितनी बदल चुकी थी उसको इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आने वाले वक़्त में उसका नसीब उसको कहाँ ले जाएगा. और वो जब तक वो इस बात को समझेगी तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी. कहते हैं ना अगर इंसान गिरता हैं तो भगवान उसको बचाने के लिए कोई ना कोई मसीहा ज़रूर भेज देता हैं यहाँ पर भगवान ने मशीहा के रूप में निशा को भेजा था मगर राधिका ने उसकी बात को भी नज़रअंदाज़ कर दिया था. ये तो अब वक़्त ही बताने वाला था कि राधिका के साथ क्या होगा. पर इतना ज़रूर तय था कि जो उसके साथ होगा वो शायद ठीक नहीं होगा.

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उधेर बिहारी अपनी प्लान पूरा तैयार कर चुका था. बिहारी वैसे तो राजनीति बहुत अच्छे से जानता था और हर सिचुएशन को अच्छे से हॅंडल करता था. मगर इस वक़्त हालत उसके पक्ष में भी नहीं थे. वो नहीं चाहता था कि कोई भी ज़रा सी चूक हो और राहुल सीधा उसकी गर्देन पकड़े. उसे इंतेज़ार था आज बिरजू का. वो बहुत बेसब्री से बिरजू का इंतेज़ार कर रहा था. मगर बिरजू का कहीं पता नहीं था. वो उस रात बिहारी के पास नहीं आया था.

दूसरे दिन सुबेह राधिका की नींद खुलती है और वो झट से उठती हैं और फ्रेश होकर नाश्ता बनाती हैं. कृष्णा भी उठकर फ्रेश होता हैं और सीधा राधिका के पास जाकर पीछे से अपने दोनो हाथ राधिका के कमर पर रखकर उसकी गर्देन चूम लेता हैं.

कृष्णा- गुड मॉर्निंग मेरी जान. मुझे जगाया नहीं तूने.

राधिका- सोच रही थी कल रात को आपने बहुत मेहनत की हैं तो थक गये होंगे. इस लिए सोचा कि आपको आराम करने दूं. राधिका शरारती अंदाज़ में बोली.

कृष्णा- हां मेरी जान आख़िर चुदाई बिना मेहनत के थोड़ी ना होती हैं. काफ़ी दम लगाना पड़ता हैं और तू तो मेरा पूरा लंड का पानी निचोड़ लेती हैं. कसम से राधिका जितना मज़ा मुझे तेरे साथ आता हैं उतना तो मुझे किसी और के साथ वो मज़ा नहीं मिलता.

राधिका- अच्छा बहुत हो गयी बातें. फटाफट मूह हाथ धो लीजिए मैं नाश्ता लगाती हूँ. तभी बिरजू भी घर आ जाता हैं. और राधिका अपने कामों में बिज़ी हो जाती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी अपने काम पर चल जाता हैं और बिरजू भी नाश्ता करके घर से निकल जाता हैं. राधिका भी थोड़ी देर पढ़ाई करती हैं फिर वो राहुल से मिलने चली जाती हैं. समय अपनी रफ़्तार से चल रहा था. उधेर मोनिका भी राधिका से गहरी दोस्ती कर ली थी और वो अब राधिका का सारा राज़ जान चुकी थी. उधेर बिहारी और विजय भी जब चाहते थे तब वो मोनिका को अपने फार्म हाउस बुलाकर उसके साथ सेक्स करते थे. अब वक़्त आ गया था जो अब इन सब की ज़िंदगी बहुत जल्द बदलने वाली थी.
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04-05-2019, 12:36 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:39 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--33

शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.

कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.

राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.

कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.

राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.

कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.

कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.

राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.

कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.

राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.

कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.

कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.
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04-05-2019, 12:36 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:39 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका मुस्कुराते हुए- ठीक हैं जैसी आपकी मर्ज़ी फिर राधिका अपने होंठ कृष्णा की गर्देन पर रख देती हैं और वैसे ही वो भी अपनी जीभ धीरे धीरे फिराती हैं. और एक हाथ से धीरे धीरे कृष्णा के शर्ट का बटन को खोलना शुरू करती हैं. फिर नीचे अपने कोमल हाथों को लेजा कर पेंट के उपर से ही कृष्णा का लंड को पकड़ लेती हैं और अपने लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसना शुरू करती हैं. फिर वो कृष्णा का पेंट उतार देती हैं और उसके बाद बनियान . अब कृष्णा इस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में था और उसके अंडरवेर में मानो टेंट बना हुआ था. राधिका ये देखकर मुस्कुराती हैं और अपना जीभ अंडरवेर के उपर से ही फिराती हैं. अंडरवेर तो पहले से ही बारिश में भीग कर गीला हो चुका था वो अपना मूह पूरा खोलकर अंडरवेर सहित कृष्णा का लंड अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा तो मानो पागल हो जाता हैं.

थोड़े देर के बाद वो अपनी एक उंगली अंडरवेर में फँसा कर उसको भी नीचे सरका देती हैं. अब कृष्णा भी एक दम नंगा राधिका के सामने खड़ा रहता हैं.

कृष्णा- राधिका मेरे लौडे को आज शांत कर दे ना. पता नहीं क्यों आज सुबेह से ही बहुत मचल रहा हैं.

राधिका मुस्कुराती हैं और वो वही घुटनों के बल बैठकर कृष्णा का लंड बड़े गौर से देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ धीरे से निकाल कर उसके टॉप को हौले हौले चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा एकदम से बेचैन हो जाता हैं फिर वो राधिका को अपनी पीठ के बल लेटने को कहता हैं. राधिका वही कृष्णा के लंड के नीचे अपना सिर रख देती हैं और कृष्णा राधिका के सिर को अपनी दोनो हाथों से कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड राधिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. राधिका भी पूरा अपना मूह खोल कर कृष्णा का समर्थन करती हैं. इस वक़्त अगर राधिका की ये पोज़िशन थी कि वो कृष्णा को मना तो दूर वो पूरे उसके रहमो करम पर थी जैसे कृष्णा उसे चाहे वैसे उसे चोदे.

कृष्णा पहले तो धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी के साथ अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे कृष्णा का लंड राधिका के मूह से होते हुए गले की ओर जाने लगता हैं. अब राधिका भी इस चीज़ की आदि हो गयी थी. उसे भी ये सब अच्छा लगने लगा था. कृष्णा अपने लंड पर उसी तरह से प्रेशर बनाए रखता हैं और अब कृष्णा का लंड राधिका के हलक तक पहुँच जाती हैं और वो उसी अवस्था में अपने लंड पर दबाव बनाए रखता हैं. राधिका की साँसें फूलना शुरू हो जाती हैं और आँखों से आँसू भी निकलने लगते हैं मगर वो एक भी बार कृष्णा को मना नहीं करती बल्कि उसका पूरा साथ देती हैं.

कृष्णा का लंड जब पूरा राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं तो वो उसी तरह से अपने लंड को राधिका के गले में डाले रहता हैं. हालाँकि वो जानता था कि राधिका की इस वक़्त क्या हालत हो रही होगी मगर आज उसके सिर पर हवस चढ़ कर बोल रही थी. वो आज राधिका को तकलीफ़ में देखकर उसके मज़ा आ रहा था. करीब 30 सेकेंड तक वो ऐसे ही अपना लंड राधिका के हलक में रखता हैं और फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं. उसकी साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी और चेहरा पूरा लाल पढ़ चुका था. उपर से ये बारिश में अभी भी ये दोनो भीग रहे थे. थोड़ी देर के बाद कृष्णा फिर से राधिका के बाल को पकड़कर एक झटके में अपना लंड राधिका के गले में पहुँचा देता हैं और इस बार तब तक अपना लंड राधिका के गले से नहीं निकलता जब तक उसका वीर्य राधिका के गले के नीचे नहीं उतर जाता. करीब 1 मिनिट तक वो अपना लंड राधिका के हलक में फँसाए रहता हैं और आख़िरकार उसका धैर्य टूट जाता हैं राधिका भी मानो एक लाश की तरह वहीं धम से गिर पड़ती हैं..

कृष्णा - तू ठीक तो हैं ना राधिका. पता नहीं मुझे आज क्या हो गया था.

राधिका मुस्कुराती है और धीरे से कहती हैं- भैया क्या आप भी ........लगता हैं कि आप आज मेरी जान लेने के पीछे पड़े हुए हो. भला कोई इतनी देर तक अपना लंड मेरे गले में डालता हैं क्या. ऐसा लग रहा था कि मेरा गला फट जाएगा. अगर आप थोड़ी देर तक और नहीं निकलते अपना लंड तो सच में मेरा गला फट गया होता.

कृष्णा- तू ही तो है जो मेरा इतना ख्याल रखती हैं. चल अपनी टाँगें पूरा फैलाकर बैठ जा मैं तेरी चूत चाटूँगा. राधिका मुस्कुरा कर अपनी दोनो टाँगें फैला देती है और कृष्णा वहीं झुक कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो भी अपने दोनो हाथों को कृष्णा के सिर पर फिराती हैं और अपनी दोनो टाँगें फैलाकर अपनी चूत चटवाती हैं. कृष्णा एक उंगली से उसकी चूत के लिप्स की फांकों को अलग करता हैं फिर अपना जीभ आयेज बढ़कर उसे धीरे धीरे चलाने लगता हैं. राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने निपल्स को अपने दोनो उंगलियों से मसलने लगती हैं.

कृष्णा फिर अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और नीचे झुक कर राधिका की गान्ड के छेद पर अपनी जीभ रख देता हैं. इस हमले से राधिका मानो उछल पड़ती हैं.

राधिका- भैया ये क्या कर रहे हो. भला कोई गान्ड भी चाहता हैं क्या. आपको घिंन नहीं आती.

कृष्णा- तुझे क्या मालूम चुदाई में कुछ भी गंदा नहीं होता.

फिर वो तेज़ी से अपने दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में आगे पीछे चलने लगता हैं और उतनी ही तेज़ी से राधिका की गान्ड भी चाटने लगता है. राधिका के मूह से लगातार....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............एयेए.ऊओ...ह.ई.ऊवूऊवूवाह्ह्फह....आह्ह्ह्ह्ह.आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. की आवज़ें आ रही थी. वो भी थोड़ी देर तक कृष्णा का सामना कर पाती हैं फिर चिल्लाते हुए तेज़ी से झरने लगती हैं.
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04-05-2019, 12:36 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:39 PM by sexstories.)
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा अपनी दोनो उंगलियों को आगे बढ़कर राधिका के होंठो पर रख देता हैं राधिका बिना कोई सवाल जवाब के कृष्णा की दोनो उंगली को चूसने लगती हैं. फिर वो अपना एक उंगली राधिका की गान्ड में पेल देता हैं और फिर तेज़ी से उसकी गान्ड में आगे पीछे अपनी उंगली को चलाने लगता हैं. फिर से वो अपनी उंगली को राधिका के मूह में डाल कर उससे चूस्वाता हैं..

काफ़ी देर तक बारिश में भीगने के बाद कृष्णा वही राधिका को फर्श पर सुला कर अपना लॉडा सीधा राधिका की चूत में एक झटके में पूरा डाल देता हैं. राधिका के मूह से आउच................की तेज़ आवाज़ आती हैं और फिर कृष्णा तेज़ी से अपना लंड आगे पीछे करने शुरू करता हैं. थोड़ी देर में कृष्णा का पूरा लंड राधिका की चूत के पानी से भीग जाता हैं. कृष्णा आगे बढ़कर अपना लंड फिर से राधिका से चुस्वाता हैं और फिर जब कृष्णा के लंड पर लगा राधिका की चूत का पानी पूरा सॉफ हो जाता हैं तो वो फिर एक झटके में अपना पूरा लंड राधिका की चूत में पेल देता हैं. ऐसे ही बीच बीच में वो राधिका से कई बार अपना लंड चुस्वाता हैं. और फिर करीब 45 मिनिट तक वो राधिका की चूत मारता हैं और आख़िरकार वो अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में ही निकल देता हैं. वो वही राधिका के उपर पसर जाता हैं.

बारिश भी अब कम हो गयी थी. वो दोनो वही पर काफ़ी देर तक ऐसे ही बारिश में नंगे एक दूसरे से लिपटे रहते हैं फिर कृष्णा उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर अपने बेडरूम में लेकर आता हैं फिर वो टवल से अपना जिस्म और राधिका के बदन को अच्छे से पोछता हैं.

थोड़ी देर के बाद वो दोनो खाना खाते हैं फिर कृष्णा राधिका की गान्ड के साथ खेलना शुरू कर देता हैं

राधिका- क्या भैया लगता हैं आज आप पूरी रात मुझे सोने नहीं देंगे.

कृष्णा- राधिका आज फिर से तेरी गान्ड मारने का मन कर रहा हैं.

राधिका- तो मार लो ना मैने कब मना किया हैं मगर धीरे धीरे अपना लंड डालना. वहाँ पर तकलीफ़ होती हैं.

कृष्णा मुस्कुरा देता हैं और बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं. राधिका जब अपने भैया को सोया हुआ देखती हैं तो वो सवालियों भरे नज़रो से कृष्णा को देखने लगती हैं.

राधिका- अब क्या हुआ. अभी कुछ देर पहले तो मेरी गान्ड मारने वाले थे. क्यों इतनी जल्दी ठंडा पड़ गये क्या.

कृष्णा- आज मैं तेरी गान्ड नहीं मारूँगा बल्कि तू खुद अपनी गान्ड मुझसे मरवाएगी. आज मैं तेरे उपर नहीं बल्कि तू खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपने गान्ड में लेगी मगर मेरी एक शर्त हैं.

राधिका हैरत से कृष्णा की ओर देखने लगती हैं- शर्त कैसी शर्त..

कृष्णा- आज मैं तुझे एक साथ डबल चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ.

राधिका को कृष्णा की बातें कुछ समझ नहीं आती और वो सवाल भरे नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं- डबल चुदाई से क्या मतलब हैं. कहीं आप ये तो नहीं चाहते कि मैं और किसी के साथ ये सब......

कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना. ये देखो मेरे हाथ में क्या हैं.

राधिका- जब एक नज़र कृष्णा की हाथों के तरफ देखती हैं तो वो भी समझ जाती हैं कि कृष्णा क्या चाहता हैं. कृष्णा के हाथ में एक मूली था जो करीब 3 इंच मोटा और 8 इंच बड़ा था.

कृष्णा- अब मैं अपना लंड तेरी गान्ड में डालूँगा और तू ये मूली अपनी चूत में डालेगी. जितनी तेज़ी से मैं तेरी गान्ड मारूँगा उतनी ही तेज़ी से तू अपना ये हाथ चलाएगी.

राधिका कुछ बोल नही पाती और इशारे में अपना सिर हिला देती हैं. फिर कृष्णा वही बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को भी पीठ के बल अपने उपर सुला लेता हैं. फिर वो अपने हाथ में रखा मूली को राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और जवाब में राधिका अपनी चूत को अपने दोनो हाथों से पूरा फैला देती हैं. कृष्णा धीरे धीरे वो मूली पर दबाव बनाता हैं और धीरे धीरे राधिका की चूत में डालना शुरू कर देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो मूली राधिका की चूत में पूरा चला जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं.

ऐसा पहला मौका था जब एक साथ राधिका की चूत और गान्ड में एक तरफ़ मूली तो दूसरी तरफ लंड घुसने वाला था. वो भी बहुत रोमांचित थी. उसे तो पता भी नहीं था कि एक साथ दो लंड से भी चुदाई होती हैं. कृष्णा अपने लंड पर दबाव बढ़ाते जा रहा था आज राधिका की गान्ड कुछ ज़्यादा टाइट लग रही थी क्यों कि चूत में पहले से ही मूली था. वो थोड़ा दबाव देता हैं और लंड करीब 4 इंच तक राधिका की गान्ड में समा जाता हैं. राधिका की चीख निकल जाती हैं..

राधिका- भैया प्लीज़ अपना लंड निकाल लो ना मुझसे ये नहीं होगा. बहुत दर्द हो रहा हैं.

कृष्णा- थोड़ी देर और सब्र कर राधिका फिर देखना तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी. फिर कृष्णा अपने लंड को बाहर निकालता हैं और एक तेज झटके के साथ पूरा अंदर पेल देता हैं.राधिका की तेज़ चीखें निकल जाती हैं. और अब कृष्णा रुकता नही है और धीरे धीरे वो अपना लंड राधिका की गान्ड में पूरा उतार देता हैं. राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द हो रहा था मगर वो कृष्णा की वजह से चुप थी. थोड़ी देर के बाद वो भी मूली को अपनी चूत में आगे पीछे करना शुरू करती हैं और इधेर कृष्णा भी अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं.
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04-05-2019, 01:07 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
थोड़ी देर में राधिका की दर्द की जगह पर सिसकारी गूंजने लगती हैं. कृष्णा अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल्ने लगता हैं जैसे कि वो आज पूरा दूध निकाल लेगा. और इधेर राधिका तेज़ी से अपने हाथ से मूली अपनी चूत में चला रही थी. मूली भी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीग चुकी थी. और निरंतर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. आज उसे इतना मज़ा आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो किसी जन्नत में हैं. इधेर कृष्णा तेज़ी से राधिका की गान्ड मारे जा रहा था. करीब 45 मिनिट तक धमाकेदार चुदाई के बाद कृष्णा अपना पूरा कम राधिका की गान्ड में निकाल देता हैं और राधिका भी एक लाश की तरह वही कृष्णा के उपर गिर जाती हैं. इस बीच राधिका आज 4 बार फारिघ् हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म में जान ही नहीं बची है. कमरे में दोनो की साँसें चलने की आवाज़ें आ रही थी और दोनो के शरीर भी पसीने के लथपथ थे. हालाँकि बारिश अभी भी हो रही थी मगर दोनो की प्यास अब बुझ चुकी थी.

राधिका बड़े प्यार से कृष्णा को देख रही थी जैसे कोई दो प्यासे एक दूसरे को देखते हैं. फिर वो कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं और अपना हाथ रखकर कृष्णा की बाहों में सो जाती हैं.
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04-05-2019, 01:08 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
रात के करीब 9 बज रहे थे. कृष्णा और राधिका एक दूसरे की बाहों में बेख़बर सो रहे थे. राधिका के मन में हर बार की तरह राहुल के लिए आत्म-ग्लानि थी. वो तो खुद ऐसे मज़धार में फँसी हुई थी कि उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे.

उधेर बिहारी के घर पर...................

बिहारी की तो वैसे भी फटी पड़ी थी राहुल की वजह से. और वो जान गया था कि अगर अब वो अपना हुकुम का इक्का नहीं खोला तो अब बहुत देर हो जाएगी और कल तक राहुल उसकी गर्दन मरोड़ चुका होगा. ये सोचकर वो अपनी अगली चाल चलता हैं..

बिहारी- बिरजू मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी. पर मुझे समझ में नही आ रहा कि मैं ये बात तुमसे कैसे कहूँ.??

बिरजू तो पहले बिहारी की बातें सोचने पर मज़बूर हो जाता हैं कि आख़िर बिहारी उससे कौन सी बात करना चाहता हैं पर वो अपने मालिक को निराश भी तो नहीं करना चाहता था. इसलिए वो इशारे में अपना सिर हां में हिला देता हैं.

बिरजू- कहिए मलिक. ऐसी कौन सी बात हैं जो आप इतना सोच रहे हैं??

बिहारी- क्या करें बिरजू बात ही कुछ ऐसी हैं. अगर नहीं कहा तो तेरे साथ ना-इंसाफी होगी और अगर कह दिया तो तू बुरा मान जाएगा.

बिरजू- आप तो मेरे मालिक हैं और मैं आपका वफ़ादार नौकर. मालिक की बातों का भला मैं कौन होता हूँ बुरा मानने वाला. आप बे-झीजक कहिए.

बिहारी कुछ देर सोचता हैं फिर कहना शुरू करता हैं- देख बिरजू बात बहुत ही गंभीर हैं. मैं नहीं चाहता कि तेरा परिवार बिखर जाए. मुझे तेरे बेटे कृष्णा की हरकतें कुछ ठीक नहीं लग रही.

बिरजू- क्या हुआ मलिक. कृष्णा ने कुछ कहा क्या आप से.

बिहारी- नहीं बिरजू हर बात कोई ज़रूरी थोड़ी ना हैं कि कहा ही जाए. तुझे पता भी हैं आज कल तेरे घर में क्या चल रहा हैं. तू तो दिन भर घर से गायब ही रहता हैं. और कृष्णा तेरी पीठ पीछे तेरी बेटी के साथ......................इतना बोलकर बिहारी खामोश हो जाता हैं.

बिरजू के चेहरे का रंग फीका पड़ जाता हैं- ऐसा क्या किया हैं कृष्णा ने मेरी बेटी के साथ. वो तो उसकी बहुत ख्याल रखता हैं. और आब तो कृष्णा राधिका को दिल-ओ-जान से चाहता हैं आख़िर वो उसकी एक-लौति बेहन जो हैं.

बिहारी- यही तो तू समझने की भूल कर रहा हैं. मैं ये नहीं कह रहा कि कृष्णा राधिका को दिल-ओ-जान से नहीं चाहता हैं मगर एक भाई बेहन के रूप में नहीं बल्कि अपनी प्रेमिका के रूप में.. अब तेरी बेटी हर रात कृष्णा का बिस्तेर गरम करती हैं और अब वो कृष्णा की रखैल बन चुकी हैं.

बिरजू- मालिक ज़ुबान संभाल का बात कीजिए. आप मालिक हैं इसका मतलब ये नहीं कि आप मेरी बेटी पर इतना गंदा इल्ज़ाम लगाएँगे. मैं ये कभी बर्दास्त नहीं करूँगा. बस आप चुप हो जाइए. मैं अब और अपनी बेटी के बारे में ये सब नहीं सुन सकता.

बिहारी- सच हमेशा कड़वा होता हैं बिरजू. मुझे पता था कि तुझे मेरी बातों का यकीन बिल्कुल नहीं होगा. पर मुझे क्या मिलेगा तुझसे झूट बोलकर. ये 100 आना सच हैं.

बिरजू- ऐसा कभी नहीं हो सकता. मेरी बेटी ऐसा घिनौना काम कभी नहीं कर सकती. और कृष्णा उसका भाई हैं भला वो कृष्णा के साथ ऐसा नीच काम कैसे कर सकती हैं. ये सरासर ग़लत हैं.

बिहारी- झूट बोलने का शौक मुझे भी नहीं है बिरजू. तुझे क्या लगता हैं कि मैं झूट बोल रहा हूँ. अगर तुझे मेरी बातों पर यकीन नहीं है तो जा इसी वक़्त अपने घर और जाकर अपनी आँखों से देख कि इस वक़्त कृष्णा तेरी भोली भाली बेटी की गान्ड मार रहा हैं कि नहीं. अगर मेरी बात झूट निकले तो बिहारी अपनी ज़ुबान कटवा देगा. ये बिहारी की ज़ुबान हैं.

बिरजू के चेहरे पूरा पीला पड़ गया था. वो ये बात आच्छे से जानता था कि बिहारी उससे ऐसा घिनोना मज़ाक कभी नहीं कर सकता. तो क्या ये सब सच हैं. क्या मेरी बेटी इस वक़्त कृष्णा के साथ ऐसा गंदा काम कर रही होगी................नहीं नहीं ये सच नहीं हो सकता. राधिका को मैं आच्छे से जानता हूँ. वो मर जाना पसंद करेगी मगर इतना गंदा काम कभी नहीं कर सकती.. बिरजू को ऐसे सोच में डूबा देखकर बिहारी मन ही मन बहुत खुस होता हैं..

बिहारी- देख बिरजू अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं. जा कर अपनी बेटी को समझा और अगर ये बात समाज़ में फैल गयी तो तू किसी को मूह दिखाने के लायक नहीं रहेगा. समझाना मेरा फ़र्ज़ था आगे तेरी मर्ज़ी.

बिरजू- ठीक हैं मालिक ईश्वार से मैं यही दुआ करूँगा कि आपकी बात सच ना हो. अगर ऐसा हुआ तो मैं आज के बाद आपके चौखट पर कभी अपना कदम नहीं रखूँगा. और अगर आपकी बात सच हुई तो मैं अपने इन्ही हाथों से अपनी बेटी का गला घोंट दूँगा.

बिहारी- तो फिर देर किस बात की हैं. इसी वक़्त घर जाकर देख ले कि तेरी बेटी कृष्णा की रातें रंगीन कर रही हैं कि नहीं. अगर मेरी बात ग़लत हुई तो तू बेशक़ मेरे चौखट पर अपने कदम मत रखना. और अगर मेरी बात सच हुई तो तू जो चाहे अपनी बेटी के साथ कर सकता हैं.

बिरजू वहाँ से थिरकते कदमों से वो अपने घर की तरफ़ निकल पड़ता हैं. बारिश आभी भी हल्की हल्की हो रही थी. आज बिरजू के माँ में हज़ार तरह के सवाल उठ रहे थे. उसे तो बिल्कुल याकीन नहीं हो रहा था कि उसकी अपनी बेटी अपने ही भाई से ऐसा गंदा काम भी कर सकती हैं. आख़िर राधिका की क्या मज़बूरी रही होगी क्या हवस में आदमी इतना नीचे भी गिर जाता हैं कि कौन उसका भाई हैं ये तक उसे दिखाई नहीं देता. ऐसे ही हज़ार तरह के सवाल इस वक़्त बिरजू के मन में उठ रहे थे.

बिरजू तो रास्ते भर ये मना रहा था कि ये सब बातें जो बिहारी ने उससे कही थी वो सब ग़लत हो. उसके कदम भारी होते जा रहे थे जैसे जैसे उसका घर नज़दीक आ रहा था. थोड़े देर के बाद वो अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ा होता हैं. वो भी इस वक़्त पूरा भीग चुका था. वैसे तो कितने सालों के बाद वो आज रात में अपने घर आया था. रात को तो वो कभी भी घर नहीं आता था. इस वजह से कृष्णा और राधिका बिरजू की तरफ से पूरी तरह बेख़बर थे. उन्हें क्या मालूम था की इस वक़्त बिरजू अपने घर के चौखट पर खड़ा है. इस वक़्त कृष्णा और राधिका एक दूसरे की बाहों में नंगे सोए हुए थे..


तभी उनके घर पर दस्तक होती हैं. दरवाज़े की खट-खटाहट सुनकर राधिका और कृष्णा की आँखें खुल जाती हैं और दोनो चौक कर उठ बैठते हैं.

कृष्णा- इस वक़्त कौन आ गया रात के 10 बजे. ऐसा कर राधिका फटा फट अपने कपड़े पहन ले मैं जाकर दरवाजा खोलता हूँ और कृष्णा अपने बदन पर लूँगी और बनियान डालकर वो दरवाज़े की तरफ बढ़ता हैं. उसके मन में भी कई तरह के सवाल थे. आख़िर इतनी रात में कौन आ सकता हैं. बापू तो नहीं होंगे उसे पूरा विश्वास था क्यों कि वो कितने सालों से उसके बापू रात में घर नहीं आते थे.

कृष्णा अपने ही सोच में डूबा हुआ वो दरवाजे की तरफ पल पल बढ़ रहा था और उधेर राधिका के दिल में भी दर जनम ले चुका था. वो भी फटाफट अपने कपड़े पहनती हैं मगर उसके कपड़े तो पूरे गीले थे. वो झट से अलमारी में से अपने सूट और सलवार निकाल कर जल्दी से पहनने लगती हैं. आख़िर कार कृष्णा दरवाजे के पास पहुँच जाता हैं और अपने बढ़ते कदमों को वहीं रोककर अपना एक हाथ आगे बढ़कर दरवाज़ा खोलने लगता हैं. उधेर बिरजू के मन में भी इसी तरह के सवाल चल रहे थे.

अंत में कृष्णा दरवाज़ा खोल देता हैं और जैसे ही दरवाज़े खुलता हैं कृष्णा की नज़र जब बिरजू पर पड़ती हैं तो कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. कृष्णा ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस वक़्त उसका बाप दरवाज़े पर खड़ा होगा.
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