Antarvasna परदेसी
08-23-2018, 11:29 AM,
#21
RE: Antarvasna परदेसी
अंदर से घर बहुत आलीशान था. ऐसा हर बिट्टू ने अपने गाओं में कभी नही देखा था. वॉल टू वॉल कार्पेटिंग, सेंट्रली टेंपरेचर कंट्रोल्ड, महनगा फर्निचर.. यह पार्टी तो सच मुच मालदार लगती थी. वो अभी घर की खूबसूरती निहार ही रहा था कि उसकी नज़र एक बड़ी सी फोटू पे पड़ी. फॅमिली पोर्ट्रेट था. वो आदमी, उसकी बीवी और दिया. "वाह रे उपर वाले.. भला हो तेरा... टपकाया भी तो सीधा मेरी माशूका की गोद में" उसने सोचा और इधर उधर देखने लग गया कि शायद दिया कहीं दिख जाए. 
"क्या देख रहे हो मियाँ.. कहीं सच में कोई चोरी का इरादा तो नहीं..."

"अर्रे नहीं जी... मैं देख रहा था कि मेज़ पे एक प्लेट पड़ी है खाने की और घर में आपके सिवा कोई भी नहीं है..."

"मेरी वाइफ सो गयी है. बेटी का मूड थोड़ा ठीक नही है, तो उसने खाया नहीं.. मुझे तो वैसे ही कम नींद आती है... कुछ पियोगे"

"जी संतरे का जूस है क्या..."

"यह क्या संतरा संतरा लगा रखा है.. संतरा ना हुआ हीरा हो गया... कुछ बियर वगेरह पीयोगे?"

"अर्रे नही सर.. इतनी ठंड में बियर पी के कहाँ जाउन्गा... चलो आप इन्सिस्ट करते हो तो... विस्की है क्या.."

"हां हां क्यूँ नही... रोज़ अकेला पीता हूँ.. आज तुम्हारा साथ मिल गया..." कहते हुए अंकल ग्लास और दारू लेने चले गये और बिट्टू फिर इधर उधर देखने लग गया

दिया का भी भूख के मारे बुरा हाल था. जोश में वो खाना छोड़ के तो आ गयी थी, पर अब उसको भूख लगी थी. वो बिस्तर से उठी और सीडीयों की तरफ चल पड़ी डाइनिंग एरिया में जाने के लिए. उसका रूम 1स्ट फ्लोर पे था. वो जैसे ही सीडीयों के पास पहुँची उसको किसी की आवाज़ आई नीचे से उसके पापा से बात करते हुए. वो सोचने लगी कि इतनी रात में कौन आ गया है. उसने थोड़ी सी बातें सुनी तो उसको वो आवाज़ जानी पहचानी सी लगी .. कहीं यह..... वो फटाफट से नीचे उतरी और सच में बिट्टू वहाँ खड़ा हुआ था... उसको देख के अजीब से हँसी हँस रहा था. दिया भी उस को देखती रह गयी.. कैसा लड़का है.. यहाँ तक पहुँच गया .. वो उसे देख कर बस सोचती रही

"तुम यहाँ कैसे आ गये"

"उड़ के आया हूँ. खीच लाई तुम"

"तुम्हें यहाँ का अड्रेस किसने दिया"

"भगवान की कृपा है मेडम"

"तुम अंदर कैसे घुस गये?"

"संतरे का कमाल मेडम संतरे का कमाल.. तुम क्या जानो कितनी महान चीज़ है संतरा... अर्रे अंकल आप रहने दो अब.. मेरा हो गया..."

"क्या हो गया बेटा.." अंकल हाथ में 2 ग्लास ले कर आ गये थे. "अर्रे आप भी यहाँ है.. गुस्सा हो गया ठंडा.. इनसे मिलो.. यह हैं... यह हैं..."


"बिट्टू जी.. बिट्टू नाम है मेरा. बताया था ना आपको.. शायद बंदूक के डर से ज़ोर से नही बोला था.. वैसे हम दोनो मिल चुके हैं"

"मिल चुके हो... कहाँ??"

"पापा मैने बताया था ना कि हेलिकॉप्टर में 4 लोग थे.. यह भी उनमें से एक है" दिया बोली.

"वेरी इंट्रेस्टिंग... बैठो बिट्टू... कौन कौन है तुम्हारे घर में"

"रहने दो पापा.. यह एक बार शुरू हो गया तो फिर इसका बंद होना मुश्किल है.. रात बहुत हो गयी है.. आप सो जाओ..."

"हा हा हा.. सीधा क्यूँ नही कहती बेटी कि तुम्हें अकेले वक़्त बिताना है इसके साथ.. तुम्हारा बाप हूँ.. बुढ्ढा हो गया हूँ लेकिन थोड़ी बहुत अकल है अभी भी मुझमें" कहते हुए अंकल उठे और अपने रूम में चले गये

"देखो भगा दिया पापा को.. कैसी बेटी हो तुम" बिट्टू ने एक ही सास में सारी विस्की हलक से उतारते हुए कहा

"रहने दो तुम इन बातों को.. और यह बताओ कि यहाँ तक पहुँचे कैसे."

"मैं और रोहित घूमते घूमते आ गये थे."

"उस खड़ूस को साथ लाए हो?"

"अर्रे अच्छा आदमी है वो भी... उस दिन थोड़ा रिज़र्व्ड था, बट दिल का बहुत अच्छा है... मेरी तरह"

"तुम्हारे से तो हर कोई अच्छा होगा... पीछा करते करते यहाँ तक आ गये"

"अर्रे यह तो उपर वाले की मेहेरबानी है... और वैसे भी अब तो हमारी कॉफी डेट पक्की है... कल चलें"

"अर्रे इतनी ठंड में कॉफी की याद मत दिलाओ... "

"ओ तेरी.. ठंड से याद आया.. रोहित तो बाहर ही रह गया..."

"कितने बड़े गधे हो तुम, अंदर ले आओ उसे. कुलफी जाम गयी होगी उसकी तो" दिया ने हँसते हुए कहा
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08-23-2018, 11:30 AM,
#22
RE: Antarvasna परदेसी
बिट्टू बाहर गया और इधर उधर देखा. रोहित का कहीं नामोनिशान नही था. उसने इधर उधर काफ़ी ढूँढा पर रोहित कहीं दिख नही रहा था. वो वापस अंदर गया और बहाना बना के दिया को छत पर ले गया. उसे लगा कि रोहित वहाँ होगा लेकिन वहाँ भी और कोई नही था

"कहाँ चला गया रोहित."
"अर्रे छत पे कहाँ ढूँढ रहे हो उसे?? आसमान से टपके थे क्या तुम लोग"
"टपके तो थे. पर उसको यहीं कहीं होना चाहिए"
"उसको फोन कर के क्यूँ नही पूछ लेते कि वो कहाँ है"
"अर्रे हां. काफ़ी इंटेलिजेंट हो तुम. फोन तो कर ही सकते हैं. अपना फोन दो. मेरे में बॅलेन्स कम है" दिया नीचे अपना फोन लेने चली गयी और बिट्टू छत पे घूमता रहा
"अर्रे पापा. आप क्यूँ ग्लास उठा रहे हो... मैं उठा दूँगी ना"
"अर्रे बेटा कुछ नही होता. वैसे भी मुझे नींद नही आ रही. तुम एंजाय करो" उसके पापा ने कहा. अगर दिया थोड़ी देर और रुकती तो देखती कि उसके पापा वो ग्लास डिश वॉशर में डालने की बजाए अपनी बेसमेंट की लॅबोरेटरी में ले गये हैं.

"लो. ले लो फोन... कंगाल कहीं के" बिट्टू को फोन देते हुए दिया बोली.

"अर्रे कंगाल नही हूँ. बस थोड़ा बुरे दौर से गुज़र रहा हूँ. और तुम्हारे सामने तो पूरी दुनिया ही कॅंगाल है. इतनी अमीरी मैने देखी नहीं है किसी पे"

"चुप रहो और फोन लगाओ"

"अर्रे फोन कहाँ भागा जा रहा है. अच्छा ही है कि रोहित यहाँ नहीं है. कम से कम हमे थोड़ा टाइम अकेले में बिताने का मौका तो मिला"

"तुम्हें क्यूँ अकेले में मेरे साथ टाइम बिताना है? मुझे कोई ऐसी-वैसी लड़की मत समझना"

"अर्रे तुम्हें मैं अगर ऐसी वैसी लड़की समझता तो सीधा तुम्हारे बिस्तर पे आता, छत पे नही"

"शट अप और फोन लगाओ..."

"लगा रहा हूँ. जितनी मुझे रोहित की चिंता नही है, उससे कहीं ज़्यादा तुम्हें लग रही है... कुछ है तो बता दो... रास्ते से हटा दूँगा उसको"

"उफ्फ तुम कितना बोलते हो.."

"ह्म्म लेकिन अच्छा बोलता हूँ ना... हेलो.." कॉल लग गयी थी "अबे कहाँ है बे... मुझे यहाँ छोड़ के कहाँ भाग गया"

"मेरी हालत ठीक नही है बिट्टू. बहुत वीकनेस लग रही है. तुम्हें वापस उठाने की हिम्मत नही थी मेरे में.. और वैसे भी मुझे लगा कि तुम्हारा कोई प्रॉब्लम हो गया है मकान मालिक के साथ, इसलिए मैने वहाँ रुकना मुनासिब नही समझा"

"वाह.. दोस्त को प्राब्लम में देख के भाग गया... तुझसे आ के निपट-ता हूँ. कहाँ है अभी"

"रास्ते में ही थोड़ा रेस्ट कर रहा हूँ.. उड़ा नही जा रहा... सब तेरी वजह से हुआ.. शायद रास्ता भी भूल गया हूँ मैं.. किसने कहा था तुझे इतना ठूँसने को"

"अबे फोन धर अब... आके तेरा हिसाब किताब क्लियर करता हूँ मैं" कहते हुए बिट्टू ने फोन वापस दिया को दे दिया "कैसे बंद करते हैं इसे... फोन है या करमफूटर"

"तुम्हें यहाँ का अड्रेस मिला कैसे ? सच सच बताना..." दिया ने फोन लेते हुए कहा

"देखो दिया.. मैने इस बात को छुपा के नहीं रखा है कि तुम मुझे अच्छी लगती हो. अब मैं उन लोगों में से नही हूँ जो भगवान की मर्ज़ी प्रकट होने का इंतेज़ार करते रहें. मुझे तुमसे मिलना था, मैने अड्रेस ढूँढ लिया और टपक पड़ा. डीटेल्स में क्यूँ जाना है तुम्हें"

"तुम्हें पता है तुम कितने अजीब हो..."

"हां मैं अजीब ही सही दिया.. लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हें मुझे एक मौका देना चाहिए. एक बार मेरे साथ होके देखो. अगर तुम्हें मैं पसंद नही आया, बस एक बार बोलने भर की देर है.. मैं कभी तुमसे बात नही करूँगा"

"बिट्टू इतनी जल्दी मैं ऐसा डिसिशन नही ले सकती. यह हमारी दूसरी मुलाक़ात है बस. तो मैं कैसे तुम्हें इतनी जल्दी जड्ज कर सकती हूँ. थोड़ा टाइम दो, सब ठीक हो जाएगा."

"ओके.. चलो रोमॅंटिक बातें करते हैं.."

"व्हाट....."

"वो चाँद देख रही हो..."

"यार अब यह चाँद तारों की बोरिंग बातें मत करना..."

"बोरिंग??"

"हां मैं जानती हूँ कि तुम अब कहोगे कि मैं चाँद की तरह हूँ, उसपे दाग है, मुझपे नहीं एट्सेटरा एट्सेटरा"

"अर्रे चाँद को तो लोगों ने ऐसे ही मशहूर कर रखा है.. क्या सुंदर है उसमें ?? अपनी रोशनी तक नही है उसके पास. सूरज की उधार ले कर धरती को रोशन करता है. तुम्हें चाँद से कंपेर करना तुम्हारी सुंदरता की बदनामी करना होगा दिया.."

"हा हा हा... तुम तो बिल्कुल फिल्मी हो बिट्टू... मुझे नही पता था कि तुम ऐसी बातें भी कर सकते हो"

" हा हा हा... सीख के आया था यह डाइलॉग... वैसे चाँद को देखना हो तो कभी हमारे खेत से देखो, गन्ने चूस्ते हुए... ऐसा लगता है कि हम किसी और दुनिया में हैं... जहाँ सिर्फ़ हम और चाँद. जब बहुत टेन्षन में होता हूँ, तो मैं यही करता हूँ"

" कभी इंडिया आई तो ज़रूर तुम्हारे खेत आउन्गि.."

" बहुत बढ़िया.. वहाँ तुम्हें हॅपी से भी मिल्वाउन्गा. बहुत अच्छा दोस्त है मेरा. मेरे दिल, जिगर, फेफड़ा, अंडकोष - सक का टुकड़ा है वो"

"छी..."
"ओह सॉरी.. में थोड़ा जज़्बात में बह गया था...."

"बिट्टू मुझे नींद आ रही है"

"तो मेरे कंधे पे सर रख के सो जाओ... कसम वाहे गुरु की.. ऐसी नींद कभी नही आई होगी तुमको."

"शट अप बिट्टू. रात बहुत हो चुकी है. अब तुम्हें भी जाना चाहिए."

"ना... मुझे तो ऐसा नही लगता... मुझे लगता है यह रात सिर्फ़ इसलिए बनी है कि हम दोनो एक दूसरे को जान पाए"

" अब मैं जा रही हू सोने.. तुम्हें जो करना है करो..."

" मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ.."

"शट अप..."

"मतलब है नीचे तक...यहाँ से कूद के तो नीचे उतरून्गा नहीं..."
" हां चलो.."
" पहले अपना फोन तो दो"
" अब क्या करना है?"
" एक मिस कॉल मारूँगा अपने नंबर पे और एक कॉल कॅब कंपनी को. मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे ख़याल दिमाग़ में रख कर मैं इतनी दूर पैदल जाऊं"
" यह लो"

बिट्टू ने कॅब कंपनी को कॉल किया तो मेसेज मिला के 15 मिनिट में कॅब पहुँच जाएगी. उसने दिया का नंबर अपने सेल में स्टोर किया और उसके साथ नीचे चल पड़ा
"यह नीचे की लाइट क्यूँ जल रही है.."
"पापा की लॅब है नीचे.. कुछ कर रहे होंगे.."
" अंकल डॉक्टर हैं?"
" नहीं साइंटिस्ट हैं.."
" क्या फरक पड़ता है... कोट तो दोनो ही पहनते हैं... चलो तुम भी जा के सो जाओ. मैं अंकल को बाइ करके निकलता हूँ"

" ओके... गुड नाइट... कॉलेज में मुलाक़ात होगी.."

"हां.. कॉलेज में शायद मुलाक़ात हो जाए.." बिट्टू ने कहा और विदा ले कर नीचे चला गया "क्या कर रहे हो अंकल"

" कुछ नही बेटा... ऐसे ही थोड़ा रिसर्च कर रहा था.."

"इतनी रात में काम... बहुत ज़रूरी है क्या..."

" काफ़ी स्ट्रेंज पज़्ज़ील है.. सुलझाने की कोशिश कर रहा हूँ... वैसे तुम्हारे घर में और कौन कौन है...."

" माँ बाप है... रिश्ते की बात करनी है तो उनका नंबर ले लेना..." कहते हुए बिट्टू हँसने लगा "वैसे मैं सिर्फ़ बाइ बोलने आया था. मैं जा रहा हूँ. आउन्गा कभी. फिर बता दूँगा सारी फॅमिली हिस्टरी आप को.. गुड नाइट"

" गुड नाइट बेटा.. आते रहना.. अपना ही घर समझना इसे"

" मेरे तो 2 घर आ जाएँगे यहाँ... थॅंक यू" कहते हुए बिट्टू बाहर निकल गया. टॅक्सी आ गयी तही. वो उसमें बैठ गया और उसको हॉस्टिल का अड्रेस दे दिया

रोहित ने फोन रखा तो वो बहुत हाफ़ रहा था. एक जगह से दूसरी जगह उड़ के जाने में सच मुच उसकी बहुत एनर्जी खरच हो रही थी. उसको लग रहा था कि वो अभी नही उड़ पाएगा और. वो थोड़ी देर छत पे बैठ कर अपनी एनर्जी रिस्टोर करने लगा. अब खाली बैठा है तो उल्टे सीधे ख़याल तो आएँगे ही. वो सोचने लगा कि इतनी बड़ी दुनिया, 19 साल में आज तक उसने एक भी आदमी नही देखा था जिसके पास सूपरहीरो पवर्स हो. अब ना सिर्फ़ उसके पास पवर्स थी, पर बिट्टू के पास भी थी. क्या यह सिर्फ़ लक है कि 4 अजनबी प्लेन क्रॅश में बच गये और एक अंजान हेलिकॉप्टर में सेफ्ली अपनी डेस्टिनेशन पर पहुँचाए गये. क्या यह लक ही है कि उन चार में से 2 लोगों के पास वो पवर्स हैं... रोहित का रॅशनल दिमाग़ यह मान-ने को तय्यार नही था कि यह सब लक या कोयिन्सिडेन्स है. हो ना हो, कुछ कनेक्षन तो है हम चारों में - वो ऐसा सोचने लगा.
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08-23-2018, 11:30 AM,
#23
RE: Antarvasna परदेसी
जितना ज़्यादा वो सोच रहा था, उतना ही ज़्यादा उसे यकीन हो रहा था कि वो सही है. क्या कनेक्षन है, वो नही समझ पा रहा था, लेकिन कनेक्षन है ज़रूर यह उसने डिसाइड कर लिया. "तो अगर बिट्टू और मेरे पास पवर्स हैं, तो हो ना हो दिया और तान्या के पास भी पवर्स होंगी. और कितने लोग हैं जिनके पास यह पवर्स हैं ?? क्यूँ यह पवर्स हमारे पास हैं?? क्या रणवीर और सोनिया जानते हैं हमारी पवर्स के बारे में या वो भी सिर्फ़ एक मोहरा ही हैं ?? क्या हमारे घर वालों को पता है कि हम नॉर्मल नहीं है ??" ऐसा वो सोचता ही रहा काफ़ी देर तक. जितनी देर वो सोचता, सल्यूशन उससे उतना ही दूर भागता. अब तो उसके दिमाग़ ने भी इस पेचीदा प्राब्लम के आगे घुटने टेक दिए. उसका सर ज़ोर से दुखने लगा. वो खड़ा हो गया और सोचा कि अब वापस हॉस्टिल जाना चाहिए. तभी उसकी नज़र नीचे गयी

नीचे गली में एक लड़की अकेली जा रही थी. उसके हाथ में पर्स और कुछ सामान था. गली बिल्कुल सुनसान थी और वो लड़की भी आराम से चले जा रही थी. शायद उसने थोड़ी पी हुई थी क्यूंकी उसकी चाल रह रह कर एक ग़लत कदम लेती थी. तभी एक आदमी उस लड़की के पास आया और उसका बॅग छीन के भागने लगा. रोहित पहले से ही सूपरहीरो की तरह फील कर रहा था. अब तो उसका सूपरमन बनने का टाइम आ ही गया था. उसने आव देखा ना ताव, बिल्डिंग से नीचे कूद गया और उड़ता हुआ उस आदमी से जा टकराया और आदमी और बॅग लेकर आगे उड़ गया. थोड़ा दूर चलने पर उसने आदमी को छोड़ दिया जो रोड पे गिर गया. रोहित भी नीचे उतर आया और आदमी को जा के 2 पंच मार दिए. वो दर्द से कराह रहा था. शायद उसकी टाँग टूट गयी थी. फिर किसी हीरो की तरह रोहित वापस मुड़ा और उस लड़की की तरफ चलने लगा. उसको लगा कि उड़ के जाने से थोड़ी ज़्यादा हीरोगिरी हो जाएगी. 

वो अभी 10-12 कदम ही चला था कि ज़ोर से गोली चलने की आवाज़ आई. उसके हाथ से वो बॅग छूट गया और कंधे में तेज़ दर्द होने लग गया. उसने अपना बाया हाथ जब दायें कंधे पे रखा तो उससे कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ. उसने गौर से देखा तो उसके कंधे में से खून निकल रहा था. उस का सर चकराने लगा और वो नीचे गिर गया. गिरते हुए उसने देखा कि सामने से वो लड़की भागी हुई उसके पास आ रही है और साइड से 4 बदमाश और आ रहे हैं.

उसने उठने की कोशिश करी पर उठ ना सका. उड़ने की कोशिश करी पर कंधे में दर्द होने के कारण वहाँ भी कॉन्सेंट्रेट ना कर पाया. तभी वो लड़की उसके पास आ गयी

"ओह माइ गॉड... रोहित.. क्या ज़रूरत थी यह करने की"

"तान्या... वो.. गन... वहाँ... 4.." रोहित के मूह से शब्द भी नही निकल रहे थे. तान्या ने तभी देखा कि 4 और बदमाश टाइप लोग पीछे से आ के उन दोनो को घेरने लगे. 2 और लोग जा कर उस गिरे हुए गुंडे की मदद करने लगे. 

"देखो जो तुम्हें चाहिए, तुम ले लो. बस हमे छोड़ दो"

"तुम्हारे साथी ने हमारे आदमी को चोट पहुँचाई है... अब तो हम तुम दोनो को ऐसे नही जाने दे सकते. तुम्हारा सारा समान तो हम लूटेंगे ही, साथ में तुम्हारी जान भी लेंगे... पता चला कल को पोलीस ले कर आ गये तुम दोनो हमारी पहचान करने"

"ऐसा कुछ नही होगा, मैं वादा करती हूँ.. ऐसा कुछ नही होगा"

"हाहाहा.. पता नहीं क्यूँ तुम्हारे वादे पे यकीन नही आता... पहले इसको मारूँगा.. फिर हम लोग तेरी इज़्ज़त लूटेंगे, फिर तू मरेगी... पकड़ लो इन दोनों को और ले चलो अड्डे पे" लगभग साडे 6 फीट की हाइट वाले उस बंदे ने बोला. बोलने के तरीके से वो इन लोगों का बॉस लग रहा था. 

"बॉस लड़के का एक्सट्रा बोझ क्यूँ उठा के चलें? इसे यहीं पे मार के छोड़ देते हैं... अपने आप कल किसी को मिल जाएगी बॉडी" एक बंदे ने बोला

"बात तो तेरी ठीक है. चल इसको यहीं पर ख़तम कर देते हैं" कहते हुए बॉस ने उंगली ट्रिग्गर पर रख दी... वो ट्रिग्गर दबाना चाह रहा था पर दबा नही पा रहा था अपना पूरा ज़ोर लगाने पर भी.

"मैने तुम्हें बोला था कि हमे छोड़ दो... तुम्हें मेरी बात मान लेनी चाहिए थी... अब बहुत देर हो गयी..." तान्या ने कहा

उस बॉस ने देखा कि उसके तीनो आदमी जो तान्या को पकड़े हुए थे, अगले ही पल उड़ के अलग अलग दिशाओं में जा गिरे. उसने हड़बड़ा के गन तान्या के उपर तान दी लेकिन अभी भी उससे ट्रिग्गर नही दब रहा था... "तूने कहा था ना कि अगर तूने हमे ज़िंदा छोड़ दिया तो तुझे डर है कि हम कल को तुझे पहचान लेंगे... मुझे भी इसी बात का डर है... इसलिए मैं तुम्हें ज़िंदा नही छोड़ सकती" तान्या बोली और इशारे से ही "बॉस" को हवा में उठा लिया. डर के मारे उस आदमी का बुरा हाल हो रहा था. वो समझ नही पा रहा था कि आज किस से टकरा गया है. लेकिन इतना समझ गया था कि आज उसका बच निकलना असंभव था. मौत उसको अपने सर पर तांडव करती हुई दिख रही थी... एक तेज़ चुभन उसको हुई और फिर कुछ भी महसूस होना बंद गया. 

तान्या ने उस निर्जीव शरीर को दूर फेंका और बाकी तीनो के उपर कॉन्सेंट्रेट करने लग गयी. वो सोचने लगी कि ऐसा क्या किया जाए कि किसी को शक ना हो कि यह मर्डर है... एक पल में ही उससे आइडिया आ गया... उसने एक एक कर के उन सब आदमियों को हवा में उठा लिया... वो उनको तब तक उड़ाती रही जब तक वो बिल्डिंग की हाइट तक नही पहुँच गये. फिर उसने एक एक कर के उन तीनो को रिलीस कर दिया. इतनी उँचाई से ज़मीन पर टकराते ही उनके सर से खून का फव्वारा छूटने लगा और भेजा इधर उधर गिर गया. 

वो बाकी बचे 3 लोगों को ढूँढ रही थी कि तभी पोलीस साइरन की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आने लगी. उसकी पहली इन्स्टिंक्ट थी कि अपना सारा समान उठा के भाग जाए. लेकिन तभी उसने सोचा कि उसको रोहित को ऐसे छोड़ कर नही जाना चाहिए. क्या पता इसने क्या देखा है और पोलीस के सामने क्या बक दे... और तो और, यह धोखा नही था कि तान्या को लगा कि रोहित बिल्डिंग के उपर से कूदा और उड़ कर उस आदमी से जा टकराया. उसने इधर उधर नज़र दौड़ाई तो एक पार्क्ड कार दिखी... उसने अपनी पवर से उसके डोर्स खोलें और रोहित को उसके अंदर डाल दिया... फिर उसने अपना सारा सामान समेट के कार में रखा.. यह सब करने में उसको सिर्फ़ 2 पल ही लगे थे. कार में बैठ कर उसने देखा कि उसमें चाबी नही है, और होती भी क्यूँ... उसने फटाफट से कार को हॉटवाइर किया और फुल स्पीड में वहाँ से निकल गयी... 

10 मिनिट तक 100अंपेच की स्पीड से चलाने के बाद ही उसे साँस आई... अब वो सोचने लगी कि आगे क्या किया जाए. रोहित को वो हॉस्पिटल ले कर जा नही सकती थी. वहाँ पे उसको बहुत सारे सवालों का जवाब देना पड़ता. उस ने डिसाइड किया कि वो उसको अपनी आंटी के यहाँ ले जाएगी. आंटी और अंकल छुट्टियाँ के लिए बाहर गये हैं तो घर पे कोई होगा नहीं, और चाबी तान्या के पास थी ही... उसको यह आइडिया बहुत ही अच्छा लगा और उसने वो गाड़ी घुमा ली... थोड़ी और दूर जाने पर उसे रियलाइज़ हुआ कि यह कार चोरी की है और जीपीआरएस से आराम से ट्रॅक किया जा सकता है और इन दोनों को पकड़ा भी जा सकता है. यह ख़याल दिमाग़ में आते ही उसने कार एक जगह पार्क कर दी. फिर उसने एक टॅक्सी ली और रोहित को किसी तरह से उसमें लादा. थोड़ी ही दूर जाने पर उसने चोरी की कार में भी आग लगा दी ताकि पोलीस चाह के भी उस तक ना पहुँच पाए. वो इतने सालों से क्राइम वर्ल्ड में आक्टिव थी कि यह सारी सावधानियाँ बरतना उसके लिए नॅचुरल हो गया था
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08-23-2018, 11:30 AM,
#24
RE: Antarvasna परदेसी
तान्या ने रोहित को घर में ले जा कर सीधा बाथ टब में बैठा दिया और उसका घाव धोने लगी. रोहित बेहोश ही था. शायद खून ज़्यादा बह जाने के कारण. तान्या ने आंटिसेपटिक ढूँढा और रोहित के घाव को सॉफ करने लगी और उसके बाद अच्छी तरह से पट्टी कर दी. अब रोहित बीच बीच में कुछ बोल रहा था लेकिन तान्या के समझ में नही आ रहा था कि वो बोल क्या रहा है. रोहित का जिस्म बुखार से तप रहा था. तान्या ने उसको एक पेरासीटामोल और एक पेन किल्लर भी दे दी और उसको बिस्तर पे लेटा दिया. तान्या को टेन्षन हो रही थी कि कहीं रोहित को कुछ हो ना जाए. वैसे तो रोहित से उसका कोई लेना देना नहीं था पर अगर उसको कुछ हो जाता है तो वो उम्र भर अपने आप को माफ़ नही कर पाएगी कि एक आदमी उसको बचाते हुए मारा गया. अगर वो पहले ही अपनी पवर से उस गुंडे को रोक लेती तो शायद रोहित नीचे ना कूद ता और अभी तक ठीक होता.

"पानी.. पानी" रोहित ने बुदबुडाया. तान्या झट से उसके लिए पानी ले आई और थोड़ा थोड़ा कर के उसको पिलाने लगी. थोड़ा सा पानी पी के रोहित फिर बेहोश हो गया. तान्या भी बिस्तर पर उसके पास ही लेट गयी और उसे कब नींद आ गयी, उसे पता ही नही चला. थोड़ी देर में उसकी नींद फोन की घंटी से टूटी. रोहित का फोन बज रहा था. उसने फोन निकाला तो देखा बिट्टू का कॉल है. वो सोचने लगी कि फोन उठाया जाए या नहीं कि तभी फोन कट गया. एक पल बाद वापस फोन बजने लग गया बिट्टू के कॉल से. तान्या को लगा कि बिट्टू आराम से नही मानेगा इसलिए उसने फोन उठा ही लिया.

"अबे कहाँ है साले... मुझे वहाँ छोड़ कर खुद रफूचक्कर हो गया... अब दरवाज़ा नही खोल रहा"

"हेलो"
सामने से लड़की की आवाज़ सुनकर बिट्टू चौंक गया. "हाई. मैं बिट्टू बोल रहा हूँ. आप कौन" उसको लगा कि रॉंग नंबर है, पर जब लड़की सामने हो तो फोन क्यूँ रखा जाए.

"रॉंग नंबर" तान्या बोली

"अच्छा ठीक है रॉंग नंबर है तो.. पैसा तो मेरा कट रहा है.. तुम अपना नाम तो बताओ"

"किससे बात करनी है तुम्हें?"

"मेडम अब नंबर आपका लगा है तो आप ही बात कर लो... "

"इतनी रात में तुम्हें कोई काम नही है?"

"काम तो तुम्हें भी नही लग रहा... ऐसे ही टाइम पास कर रही हो.. नाम बता देती तो ठीक होता"


"शट अप." कहके तान्या ने फोन काट दिया.

"यह कैसा नाम है... हेल्लू.. हेलो.... अबे फोन मत काटो यार... " जब सामने से फोन कट गया तो बिट्टू थोड़ा उदास सा हो गया... उसके साथ ही ऐसा क्यूँ होता है... क्या जा रहा था उस लड़की का थोड़ी देर बात करने में.... उसको लगा कि रोहित शायद सो रहा होगा, इसलिए वो भी अपने कमरे में जा कर सो गया. 

सुबह जब बिट्टू उठा तो फिर लेट था. गनीमत थी कि वो रात को कपड़े बदले बिना सो गया था... तो वो फटाफट से टाय्लेट गया और मूह धो के, बॅग कंधे पे टाँग कर निकल पड़ा. बदक़िस्मती से जब वो कॉलेज पहुँचा तो क्लास स्टार्ट हो चुकी थी. 

"एक्सक्यूस मी मॅम.. मे आइ एंटर?"

"नो यू मे नोट. रोज़ रोज़ लेट आने की आदत है क्या?"

"मॅम वो लूस मोशन लग गये हैं यहाँ के खाने से, इसलिए लेट हो गया" बिट्टू ने झूट बोला और सारी क्लास हंस पड़ी. 

"शट अप. तुम्हें सिर्फ़ बहाने बनाना आता है... तुम मेरी क्लास में लेट नहीं घुस सकते. स्टे आउट"

"अर्रे मेडम थोड़ी तो दया करो. टाइम डिफरेन्स देखो इंडिया और कॅनडा का... इतनी जल्दी कैसे कोई आदमी अड्जस्ट हो सकता है?"

"बाकी लोग भी तो हैं... उन्हें तो कोई प्राब्लम नही हुई..."

"मेडम आज के लिए माफ़ कर दो प्ल्ज़"

"नो... स्टे आउट"

"मेडम प्ल्ज़"

"मेरी बात ध्यान से सुनो. इस लेक्चर में या तुम रहोगे, या मैं... जल्दी डिसाइड करो.."

"मेडम एक आइडिया है... आप स्लाइड्स को ऑटो टाइमर पे लगा दो.. मैं बैठ जाता हूँ, आप बाहर से लेक्चर देते रहना" जब बिट्टू ने देखा कि टीचर की आँखें गुस्से में लाल हो रही हैं तो "सॉरी आइ वाज़ जोकिंग.. जा रहा हूँ मैं" कह के वो निकल गया. उसने सोचा कि कॅंटीन में बैठ कर थोड़ा नाश्ता कर लेगा अगली क्लास तक.. वो कॅंटीन जा ही रहा था कि उसको सामने से दिया आती हुई दिखाई दी."हाई दिया क्या हाल चाल है... लेट हो गयी क्या?"

"नहीं.. मेरी क्लास शुरू होने में 10 मिनिट हैं.. क्लास के बाद मिलते हैं"

"आओ कॅंटीन चलते हैं." उसने दिया का हाथ पकड़ के कहा

"बिट्टू मेरी क्लास है. हाथ छोड़ो मेरा.. मुझे जाना है.. तुम क्लास में क्यूँ नही हो"

"अर्रे क्या रखा है ऐसी क्लास में.. उल्टा सीधा पढ़ा रही थी टीचर, उठ के बाहर आ गया मैं"

"मतलब तुम्हें बाहर निकाल दिया गया क्लास से"

"तुम्हारी कसम.. मुझे बाहर नही निकाला क्लास से"

"फिर तुम यहाँ क्या कर रहे हो.."

"मुझे क्लास में घुसने ही नही दिया.. आक्च्युयली टीचर मेरी नालेज से जलती है.. चलो ना कॅंटीन प्ल्ज़... थोड़ा साथ में रहेंगे... पढ़ाइयाँ तो होती रहेंगी" बिट्टू ने दिया को खीचते हुए बोला

"बिट्टू मैं क्लास मिस नही करूँगी. आइ म लीविंग."

"तुम्हारी क्लास 10 मिनिट पहले शुरू हो चुकी है.. मैने ही तुम्हारी फ्रेंड को कल बोला था तुम्हें ग़लत टाइम मेसेज करने को" बिट्टू ने अंधेरे में तीर छोड़ा

"व्हाट!!! तुम ऐसा कैसे कर सकते हो... कितनी इंपॉर्टेंट क्लास है पता है तुम्हें?"

"ना मुझे तो कुछ नही पता... मैं तो एक गवार आदमी हूँ जो अभी क्लास में ही बैठा है... रोने से कोई फ़ायदा नहीं. चलो कॅंटीन". दिया ने बिट्टू की बात का विश्वास कर लिया और दोनो गप्पे मारते हुए कॅंटीन की ओर चल दिए

"बिट्टू... बिट्टू को बुलाओ...." रोहित ने बदहवासी में बोला..

"क्या रोहित.. क्या हुआ..." तान्या की नींद टूटी और वो झट से रोहित के पास हो ली... उसने चेक किया तो रोहित का माथा एकदम गरम था. शायद दवाई ने असर नही किया था

"बिट्टू को यहाँ बुलाओ..."

"अर्रे क्या करेगा वो यहाँ आ कर.. और दिमाग़ खाएगा तुम्हारा. आइ विल मेक श्योर दट यू आर अलराइट" तान्या ने कहा

"बिट्टू को बुलाओ..." रोहित ने एक बार और बोला और बेहोश हो गया. तान्या सोचती रही कि क्या उसे बिट्टू को फोन करके बुलाना चाहिए या खुद ही रोहित की देखभाल करनी चाहिए. अंत में उसने डिसाइड किया कि बिट्टू को बुला ही लेना चाहिए. वो इन्सिडेंट में इन्वॉल्व्ड नही था और शायद आराम से रोहित को हॉस्पिटल ले जाए. यह सोचते ही उसने रोहित का फोन उठाया और बिट्टू को मिला दिया

"हां तो उस दिन रात को हॅपी ने ट्रॅक्टर चुरा लिया..." बिट्टू ने सॅंडविच का एक बड़ा बाइट लिया और दिया को किस्सा सुनाने लगा...तभी उसके फोन की घंटी बज गयी..."हां रोहित"

"दिस ईज़ तान्या.."

"ओह्ह.. कल रात को तुमने फोन उठाया था जब मैने कॉल किया था... तुम और रोहित...."

"रोहित का आक्सिडेंट हो गया है... यह अड्रेस लिखो और जल्दी से यहाँ पर पहुँच जाओ..."

"व्हाट... जल्दी दो अड्रेस. " बिट्टू जल्दी जल्दी अपनी कॉपी में अड्रेस नोट करने लगा और फोन रख दिया. "सॉरी दिया.. मुझे जाना पड़ेगा." उसने दिया को कारण बताना मुनासिब नही समझा.

"व्हाट डू यू मीन जाना पड़ेगा... तुमने मेरी क्लास मिस करवाई और अब तुम मुझे छोड़ के जा रहे हो??"

"मैने झूठ बोला था ऑलराइट... तुम्हारी क्लास शुरू होने में अभी भी 1 मिनिट रहता है... अगर तुम भाग के जाओगी तो पहुँच जाओगी.. मुझे अर्जेंट काम आ गया है... आइ हॅव टू रश..."

"व्हाट अन आस यू आर" दिया ने कहा और अपनी बुक्स उठा के क्लासरूम की तरफ भागी... बिट्टू भी भागते हुए मेन रोड तक पहुँचा और एक टॅक्सी ले कर, तान्या के बताए अड्रेस की तरफ रवाना हो गया
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08-23-2018, 11:31 AM,
#25
RE: Antarvasna परदेसी
बिट्टू तान्या के बताए पते पर पहुँच गया. उसको बहुत हैरानी हुई यह देख कर कि वहाँ एक घर है. उसको लगा कि आक्सिडेंट के बाद तान्या रोहित को ले कर हॉस्पिटल गयी होगी. उसने घर की घंटी बजाई. घंटी की आवाज़ सुनकर तान्या की नींद टूटी. पहले उससे लगा कि उसकी आंटी वापस आ गयी हैं.. फिर उससे याद आया कि उसने बिट्टू को कॉल किया था. वो जल्दी से उठी और जा कर दरवाज़ा खोल दिया.

"कहाँ है रोहित?"

"वो वहाँ कमरे में है. चलो मेरे साथ"

"कैसे हुआ आक्सिडेंट?"

"कल रात को हम दोनो घूम रहे थे, तभी शायद कोई गँवार हुआ और एक गोली रोहित को लग गयी"

"व्हाट!!! रोहित को गोली लगी है... तुम उसे हॉस्पिटल क्यूँ नही ले कर गयी?? आर यू मॅड?? कितने बजे हुआ यह हादसा"

"कल रात लगभग 9 बजे.."

"पर उस वक़्त तो रोहित मेरे साथ था... तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो तान्या.."

" मैं तुमसे क्या छुपाउंगी... और तुम आते ही मेरा इंटरव्यू क्यूँ लेने लगे... रोहित की हालत ठीक नही है"

"मुझे पता नही तुम क्या छुपा रही हो.. लेकिन कुछ तो है... बताओ मुझे तुम हॉस्पिटल क्यूँ नही ले कर गयी..."

"इतना खून देख के मैं डर गयी थी... आइ डोंट लाइक ब्लड"

"अच्छा डर गयी तही... इसलिए उससे घर पर ले आई और उसकी पट्टी खुद ने करी..." रोहित के पास बैठकर बिट्टू बोला.

"तान्या मुझे बता दो कि क्या छुपा रही हो..."

"बिट्टू मेरा दिमाग़ नही चल रहा था. मुझे पता था कि अगर हम हॉस्पिटल जाते तो वहाँ पोलीस केस होता जिसमें और टाइम लगता.. उपर से गोली बारी में मौतें भी हुई हैं.. कहीं पोलीस हमे ज़िम्मेदार मानती तो"

बिट्टू को पता था कि तान्या जितना मूरख होने का नाटक कर रही है, उतनी मूरख है नही. लेकिन इस समय उसने तान्या से बहस ना करना ही मुनासिब समझा. वो रोहित के पास बैठ गया और कॅब को फोन किया.

"कहाँ जा रहे हो इससे इस हालत में ले कर"

"हॉस्पिटल ले जा रहा हूँ... इसका शरीर बुखार से तप रहा है... घाव से खून भी बह रहा है... इसको मारने का इरादा है क्या तुम्हारा..."

"अभी इसको सोने दो... मुझे लगता है कि यह ठीक हो जाएगा..."

"तान्या यह कोई खरोंच नही है जो अपने आप ठीक हो जाएगी. मुझे इसे हॉस्पिटल ले कर जाना ही पड़ेगा... कहीं इसकी जान ना चली जाए..."

"ठीक है जैसा तुम्हारा मन करता है तुम करो... ले जाओ इससे हॉस्पिटल" तभी कॅब आ गयी और बिट्टू ने रोहित को अपनी गोद मैं उठा लिया.. 

"चलो दरवाज़े खोलो जल्दी... मुझे नहीं लगता ज़्यादा देर तक इसे उठा पाउन्गा..." अब बिट्टू को रीयलाइज़ हो रहा था कि कैसे रोहित उसे उठा के इतनी देर तक उड़ता रहा... "अबे कार का दरवाज़ा भी खोल मूरख... छत पर रख के ले जाउन्गा क्या इसे"झल्लाते हुए उसने तान्या से बोला जिसको सुनते ही तान्या ने फटाफट दरवाज़ा खोल दिया... "तुम आगे बैठ जाओ.. मैं इसके साथ पीछे बैठ जाता हूँ"

"मैं नही आ रही बिट्टू. तुम जाओ..."

"व्हाट..." हैरानी में भर के बिट्टू ने बोला.. "चलो तुम्हारी मर्ज़ी.. मैं ले कर जाता हूँ इसे. अपना नंबर दे दो. ज़रूरत पड़ने पर फोन कर दूँगा..."

"मैने तुम्हें बोला ना कि मुझसे खून नही देखा जाता... चलो नंबर लिखो मेरा.." और तान्या ने अपना नंबर बिट्टू को बता दिया और कार के जाते ही मूड कर वापस घर में चली गयी... उसको मेन डर बस पोलीस का ही था. उसे डर था कि अगर किसी तरह से भी पोलीस ने उस पर शक किया और उसको प्रेसराइज किया, तो कहीं वो फिर कोई खून ख़राबा ना कर बैठे. इन सारी चीज़ों से बचने के लिए ही उसने हॉस्पिटल जाने से इनकार किया था. अब जब वो शांति से घर में आ कर बैठी तो उसका दिमाग़ तेज़ी से काम करने लगा. 

"तो रोहित उड़ सकता है".. उसने मन ही मन कहा... मतलब कहीं ना कहीं उसके पास भी कुछ पवर्स हैं. आज तक तान्या समझ रही तही कि सिर्फ़ उसी के पास ऐसी पवर्स हैं, पर इस घटना ने उसको सोचने पर मजबूर कर दिया. जिसको आज तक वो एक रॅंडम आक्ट ऑफ नेचर समझती थी, वो उतना रॅंडम नही था मतलब. हो सकता है और लोगों के पास भी पवर्स हो. कहीं उन चारों के पास तो पवर्स नही हैं जो उस हेलिकॉप्टर में आए थे. मतलब रणवीर और सोनिया भी इस चीज़ में इन्वॉल्व्ड हैं. उसको इस बात पे पहले ही शक था. इसलिए उसने अपने पेंडेंट में लगे कमेरे से उनकी तस्वीर उतार ली थी. अब उसने वो तस्वीरें अपने लॅपटॉप पे डाउनलोड करी और उन दोनो की असलियत ढूँढने का ट्राइ करने लग गयी. 

दूसरी तरफ दिया का भी मन नही लग रहा था क्लास में. उसको रह रह कर बिट्टू पे गुस्सा आ रहा था. जब प्रोफेसर ने उसको ध्यान ना देने के लिए टोका, तो वो खुद ही उठ के बाहर हो ली. वो चलते चलते बस बिट्टू के बारे में ही सोच रही थी कि ऐसा क्या हो गया जो उसको क्लासस छोड़ के ऐसे भागना पड़ा... उसने बिट्टू को कॉल किया पर बिट्टू ने फोन नहीं उठाया जिससे उसकी चिंता और बढ़ गयी. वो क्लासरूम के बाहर बैठ कर, फाउंटन को देखते हुए चिंता कर रही थी कि तभी उसके कंधे पर एक हाथ आ कर लगा. चौंक के उसने पीछे देखा

"अर्रे पापा आप. आप यहाँ कैसे"

"यही सवाल मुझे तुमसे पूछना चाहिए बेटी.. बाहर कैसे.. क्लास से बाहर निकाल दिया तुम्हें?"

"नही पापा वो थोड़ी तबीयत ठीक नही थी..."

"हां हां रहेगी भी कैसे जब इतनी रात में दोस्तों से बात करती रहोगी"

"आपने यह नही बताया कि आप यहाँ कैसे..."

"वो थोड़ा रिसर्च का काम देखने आया था... अब ट्रस्टी भी हूँ तो एन्षूर करना पड़ता है कि सही जगह पैसा डाल रहा हूँ. वैसे बिट्टू कहाँ है"

" वो ज़रा... पता नहीं... दिखा नहीं सुबह से..."

"और वो बाकी 2 लोग जो तुम्हारे साथ थे हेलिकॉप्टर में... तुमने बताया था कि वो भी इसी कॉलेज में हैं..."

"हां.. पर आज वो भी नही दिख रहे..."

"अच्छा.. मिलो उनसे तो उनको कहना कि कभी घर आया करें... ऐसा करो.. उन सब को फ्राइडे नाइट डिन्नर के लिए बुला लो.. तुम्हारी मम्मी भी खुश हो जाएँगी कि घर पे कोई आ रहा है..."

"हां ज़रूर पापा.. मैं बुला लेती हूँ" दिया ने खुश होते हुए कहा. 

"चलो ठीक है मैं चलता हूँ फिर. घर पे ही मुलाक़ात होगी" कहकर उन्होने विदा ली और चल दिए

उधर बिट्टू की हालत पतली थी. रोहित को इस हाल में देख कर उसको बहुत बुरा लग रहा था और यह ही लग रहा था कि वो ही इस हालत का ज़िम्मेदार है.. ना ही कल वो ज़िद्द करता और ना ही रोहित उसे दिया के घर ले जाता और ना ही यह हादसा होता. लेकिन इन सब के बीच वो नकचड़ी तान्या कहाँ से आ गयी... वो कैसे घुस गयी बीच में और क्या उसने रोहित को उड़ते हुए देख लिया था जिसके कारण वो उसे हॉस्पिटल नही ले कर गयी... बिट्टू अभी सोच में डूबा ही हुआ था कि रोहित को थोड़ा सा होश आया...

"बिट्टू....बिट्टू.."

"हां भाई बोल... मैं यहीं हूँ"

"खून... खून..."

"हां हॉस्पिटल ले कर जा रहा हूँ तुझे.. महेंगे वाले में जा रहे हैं.. अच्छा सा खून चढ़ा देंगे वो तुझे..."

"बिट्टू तेरा खून दे..."

"अबे तू मेरा खून पीएगा... पहले कम जल रहा है यह जो अब तू भी चूसेगा.... क्या बके जा रहा है..."

"बिट्टू तेरा खून...." कह कर रोहित फिर बेहोश हो गया...
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08-23-2018, 11:31 AM,
#26
RE: Antarvasna परदेसी
बिट्टू को समझ ना आ रहा था कि दिया का फोन उठाया जाए या नहीं. उठा लिया तो उसको भी रोहित के बारे में बताना पड़ेगा. इस बात को जितने कम लोग समझे उतना ही अच्छा है. दूसरी तरफ दिया का बाप साइंटिस्ट था तो लोगों को जानता भी होगा. हो सकता है वो इस मामले को दबाने में कुछ हेल्प कर दे. उसने सोचा के सुत्टा मारते हुए इस बात पर सोचता है.

"भाई गाड़ी साइड में लगाना 5 मिनट के लिए"

"सर आपको हॉस्पिटल नही जाना?"

"जाना है.. 5 मिनट रोक साइड में कहीं सिगेरेट बूथ पे जहाँ मैं खड़ा हो कर सुत्टा मार सकूँ"

"सर मुझे लगता है कि आपको पहले हॉस्पिटल लेके जाना चाहिए अपने दोस्त को"

"ओये तेरे को पूछ कौन रहा है... दोस्त मेरा, टेन्षन तुझे हो रही है"

"सर लेकिन टॅक्सी तो मेरी है ना..."

"अबे तो खा थोड़ी रहा है यह तेरी टॅक्सी... 5 मिनट में मरेगा नही.. फिकर ना कर तू" 

ड्राइवर ने एक बूथ के पास गाड़ी रोक दी और बिट्टू चला गया सुत्टा मारने. सुत्टा मारते हुए वो यही सोच रहा था कि कैसे वो यह सब मामला भी ठीक कर दे और दोनो की पॉवर्स की बात भी किसी को ना पता चले. "पॉवेर्स.... अर्रे शायद तभी रोहित को मेरा खून चाहिए था... हां यही कारण होगा.. रिस्क है लेकिन ट्राइ कर सकते हैं" उसने सोचा, जल्दी से अपना सुत्टा ख़तम किया और टॅक्सी में बैठ गया.. "भाई ऐसा कर.. हॉस्पिटल का प्रोग्राम कॅन्सल.. यह अड्रेस हैं, यहाँ पे चल" उसने अपने हॉस्टिल का अड्रेस बताते हुए ड्राइवर को बोला

"सर हॉस्पिटल नही जाना क्या"

"अर्रे मैं तुझे बोल रहा हूँ ना.. क्यूँ पगला रहा है... जैसा कहता हूँ, वैसा ही कर"ड्राइवर का माथा थोड़ा ठनका लेकिन वो भी क्या कर सकता था. उसने गाड़ी घुमाई और बिट्टू के दिए अड्रेस पर चल पड़ा. थोड़े टाइम वो हॉस्टिल पहुँच गये. बिट्टू ने रोहित को गाड़ी में से निकाला और उसको उठा के हॉस्टिल की तरफ चला गया. उसने देखा नहीं कि पीछे से ड्राइवर ने फोन उठा के पोलीस को फोन लगा दिया है. ड्राइवर को शक था कि मरीज़ के साथ जो भी हुआ है उस लड़की और बिट्टू ने ही मिल के किया है और यह डर था कि कहीं रोहित मर ना जाए. इसलिए उसने फोन किया पोलीस को और बता दिया कि वो कहाँ पे खड़ा है और उसको क्या शक है. 

इस सब से अंजान बिट्टू रोहित को अपने कमरे में ले आया. उसने उसको बिस्तर पे लिटाया और उसको होश में लाने की कोशिश करने लगा. जब काफ़ी देर तक उससे होश नही आया तो बिट्टू ने सोचा कि किसी तरह से ऐसे ही खून रोहित के अंदर पहुँचाना होगा. वो उसने चाकू से अपनी उंगली काटी और रोहित का मूह खोल के काफ़ी देर तक बार बार उंगली पे चीरा लगा के खून उसके मूह में टपकाने लगा. जब 5 मिनट में रोहित को होश नही आया तो बिट्टू ने उसकी पट्टियाँ खोल दी. उसने देखा कि गोली अंदर नही फसि हुई. शायद कंधे को छू कर निकल गयी थी. उनसे अपना थोड़ा खून उसके कंधे पर भी टपकाया लेकिन फिर भी कुछ असर नही हुआ... उल्टा खून और बहे जा रहा था. बिट्टू को लगा कि हॉस्पिटल ही जाना ठीक होगा. फिर भी एक बार उसने आख़िरी ट्राइ करने की सोची. वो अपने रूम से बाहर आया और अपने विंग के डॉक्टर वाले रूम में चला गया. किस्मत से वहाँ पे डॉक्टर नही था. उसने थोड़ी ड्रॉयर्स टटोली तो उसको एक नीडल और सरिंज मिल गयी. उसने वो फटाफट से अपनी जब में डाल ली और वापस अपने रूम में आ गया. उसने नीडल को सरिंज में लगाया और अपनी नस में घुसा कर उसमें खून भर लिया. फिर उसने रोहित के हाथ की नस ढूंढी और गले की नस ढूंढी और दोनो में आधी आधी सरिंज खून डाल दिया और वेट करने लगा. तभी उसके दरवाज़े पे दस्तक हुई. उसने उठ कर दरवाज़ा खोला तो सामने 2 पोलीस वाले, वॉर्डन और वो टॅक्सी ड्राइवर खड़ा था.

"यही है क्या.." पोलीस वाले ने ड्राइवर से पूछा

"हां यही है.."

"क्या हुआ सर.. कोई प्राब्लम है क्या..." बिट्टू ने डरते हुए इनस्पेक्टर से पूछा.

"वो तो तुम ही बता सकते हो हमें. इस टॅक्सी वाले का मान-ना है कि तुमने अपने दोस्त को मारने की कोशिश करी है और हॉस्पिटल तक नही ले गये"

"अर्रे आप भी कैसे कैसे लोगों की बातों में आ जाते हैं... ऐसा कुछ नही है... अपना काम करिए जा के"

"तुम हमे मत समझाओ कि हमारा काम क्या है.. वॉचमन ने भी तुम्हें एक लड़के को अंदर लाते हुए देखा है.. हमे तुम्हारा कमरा चेक करना पड़ेगा."

"ऐसे कैसे करना पड़ेगा... तुम्हारे ससुर का कमरा है क्या?"

"देखो बेटा, कमरा तो चेक करवाना ही पड़ेगा .. इसलिए मैं भी साथ आया हूँ" वॉर्डन ने बोला

"अर्रे आप क्या ओबामा हो कि साथ आ गये तो करवाना ही पड़ेगा कमरा चेक... सर्च वॉरेंट है आपके पास?" 

"बेटा बहुत मूवीस देखते हो लगता है... इन चीज़ों के लिए कोई वॉरेंट्स की ज़रूरत नही पड़ती.. अब तुम हट ते हो या ज़बरदस्ती उठा के बाहर फेंकू तुम्हें रूम से" पोलीस वाले ने कहा. दोनो पोलीस वालों की आँखों में गुस्सा सॉफ झलक रहा था. बिट्टू को यकीन था कि अब वो तो फस ही गया है... जितना डिले करेगा, उतना ही प्राब्लम और होगा... इसलिए वो खुद ही हॅट गया और पोलीस वाले को अंदर जाने दिया.

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इधर तान्या पूरी कोशिश के साथ रणवीर और सोनिया की असलियत जान-ने की कोशिश कर रही थी. उन इमेजस से उसने पूरी जान लगा दी उनके बारे में इंटरनेट से जानकारी निकालने में लेकिन उसको नाकामी ही हाथ लगी. जब वो हार मान-ने ही वाली थी तो उसकी नज़र एक वेबसाइट पर पड़ी जहाँ रणवीर का नाम था. उसने वेबसाइट खोली तो देखा किसी कान्फरेन्स के बारे में लिखा है जो रणवीर ने अटेंड करी थी. उस कान्फरेन्स के बारे में विस्तार से पढ़ने के बाद उससे पता चला कि यह साइंटिस्ट्स की कान्फरेन्स थी. मतलब रणवीर एक साइंटिस्ट था. उसने अटेंडीस की लिस्ट देखी तो रणवीर के नाम के आगे उसकी कंपनी का नाम भी लिखा था. उसने उस कंपनी के बारे में सर्च करना शुरू करा. उसकी वेबसाइट पर जाने के बाद उसको पता चला कि रणवीर और सोनिया वहाँ पे सीनियर साइंटिस्ट्स हैं. वो कंपनी नासा की हेल्प कर रही थी यूनिवर्स की मिस्टरीस सुलझाने में. थोड़ा और रिसर्च करने पर उसे एक वेबसाइट मिली जहाँ "सोर्सस" से मिली खबर के अनुसार यह लिखा था कि उस कंपनी ने कोई ब्रेकत्रू हासिल करी है कुछ बाहरी दुनिया के सिग्नल्स टॅप करने में. ऐसी कॉन्स्पिरेसी थियरीस तान्या ने बहुत पढ़ी थी और उसको पता था कि यह कभी सच नहीं होती. बस कोई पागल आदमी जो अपने कंप्यूटर के आगे बैठ के बोर हो गया होता है, वो ऐसी कोई थियरी निकाल देता है थोड़ा नाम कमाने के लिए. इसलिए उसने इस रिपोर्ट पर ज़्यादा ध्यान नही दिया. तभी उस की नज़र पड़ी उस रिपोर्ट की डेट पर. डेट आज से 20 साल पहले की. यानी उस समय के आस पास की जब तान्या का जानम हुआ था... वो सोचने लग गयी कि क्या यह एक कोयिन्सिडेन्स है या इस रिपोर्ट में सच में कोई सच्चाई छुपी है. रणवीर और सोनिया ने उनको बताया क्यूँ नही कि वो साइंटिस्ट्स हैं? उसने प्लेन क्रॅश में हुए विक्टिम्स की लिस्ट देखी और पाया कि इन चारों के नाम पॅसेंजर लिस्ट में नही है और क्लियर्ली लिखा था कि सारे पॅसेंजर्स मर गये हैं... जैसे जैसे उसे एक्सट्रा इन्फर्मेशन मिल रही थी, यह मिस्टरी और गहरी होती जा रहही थी. उसका सर दुखने लगा और उसने कंप्यूटर बंद कर दिया. तभी उसका फोन बजा.

"हेलो"
"तान्या.. मैं दिया बोल रही हूँ.. कहाँ हो..."

"मैं.. मैं अपने रिलेटिव के घर पे हूँ..."

"अर्रे कॉलेज नहीं आई.. क्या हुआ??"

"कुछ नहीं.. बस थोड़ा सा पेट में दर्द था... बताओ कैसे फोन किया.."

"कॉलेज में पापा से मुलाक़ात हुई थी... उन्होने तुमसे, रोहित और बिट्टू से मिलने की इच्छा जताई है और फ्राइडे को डिन्नर पे इन्वाइट किया है... तुम्हें आना है..."

"देखती हूँ यार.. तबीयत ठीक हो गयी तो ज़रूर आउन्गी" तान्या ने बात को टालते हुए कहा

"कुछ नही सुन-ना मुझे.. तुम्हें आना ही पड़ेगा.. बस.." कह कर दिया ने फोन काट दिया. तान्या फिर से सीधा अपने कंप्यूटर के पास गयी और कॉलेज रेकॉर्ड्स में से दिया की इन्फर्मेशन फाइल निकाली और उसके पापा की डीटेल्स पढ़ी.. उससे पता चला कि वो भी एक साइंटिस्ट हैं..."ह्म्म... मुझे लगता है यहीं से कुछ इन्फर्मेशन मिलेगी इस मिस्टरी की" तान्या ने सोचा और फ्राइडे की रात का प्रोग्राम पक्का कर लिया
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08-23-2018, 11:31 AM,
#27
RE: Antarvasna परदेसी
बिट्टू को समझ ना आ रहा था कि दिया का फोन उठाया जाए या नहीं. उठा लिया तो उसको भी रोहित के बारे में बताना पड़ेगा. इस बात को जितने कम लोग समझे उतना ही अच्छा है. दूसरी तरफ दिया का बाप साइंटिस्ट था तो लोगों को जानता भी होगा. हो सकता है वो इस मामले को दबाने में कुछ हेल्प कर दे. उसने सोचा के सुत्टा मारते हुए इस बात पर सोचता है.

"भाई गाड़ी साइड में लगाना 5 मिनट के लिए"

"सर आपको हॉस्पिटल नही जाना?"

"जाना है.. 5 मिनट रोक साइड में कहीं सिगेरेट बूथ पे जहाँ मैं खड़ा हो कर सुत्टा मार सकूँ"

"सर मुझे लगता है कि आपको पहले हॉस्पिटल लेके जाना चाहिए अपने दोस्त को"

"ओये तेरे को पूछ कौन रहा है... दोस्त मेरा, टेन्षन तुझे हो रही है"

"सर लेकिन टॅक्सी तो मेरी है ना..."

"अबे तो खा थोड़ी रहा है यह तेरी टॅक्सी... 5 मिनट में मरेगा नही.. फिकर ना कर तू" 

ड्राइवर ने एक बूथ के पास गाड़ी रोक दी और बिट्टू चला गया सुत्टा मारने. सुत्टा मारते हुए वो यही सोच रहा था कि कैसे वो यह सब मामला भी ठीक कर दे और दोनो की पॉवर्स की बात भी किसी को ना पता चले. "पॉवेर्स.... अर्रे शायद तभी रोहित को मेरा खून चाहिए था... हां यही कारण होगा.. रिस्क है लेकिन ट्राइ कर सकते हैं" उसने सोचा, जल्दी से अपना सुत्टा ख़तम किया और टॅक्सी में बैठ गया.. "भाई ऐसा कर.. हॉस्पिटल का प्रोग्राम कॅन्सल.. यह अड्रेस हैं, यहाँ पे चल" उसने अपने हॉस्टिल का अड्रेस बताते हुए ड्राइवर को बोला

"सर हॉस्पिटल नही जाना क्या"

"अर्रे मैं तुझे बोल रहा हूँ ना.. क्यूँ पगला रहा है... जैसा कहता हूँ, वैसा ही कर"ड्राइवर का माथा थोड़ा ठनका लेकिन वो भी क्या कर सकता था. उसने गाड़ी घुमाई और बिट्टू के दिए अड्रेस पर चल पड़ा. थोड़े टाइम वो हॉस्टिल पहुँच गये. बिट्टू ने रोहित को गाड़ी में से निकाला और उसको उठा के हॉस्टिल की तरफ चला गया. उसने देखा नहीं कि पीछे से ड्राइवर ने फोन उठा के पोलीस को फोन लगा दिया है. ड्राइवर को शक था कि मरीज़ के साथ जो भी हुआ है उस लड़की और बिट्टू ने ही मिल के किया है और यह डर था कि कहीं रोहित मर ना जाए. इसलिए उसने फोन किया पोलीस को और बता दिया कि वो कहाँ पे खड़ा है और उसको क्या शक है. 

इस सब से अंजान बिट्टू रोहित को अपने कमरे में ले आया. उसने उसको बिस्तर पे लिटाया और उसको होश में लाने की कोशिश करने लगा. जब काफ़ी देर तक उससे होश नही आया तो बिट्टू ने सोचा कि किसी तरह से ऐसे ही खून रोहित के अंदर पहुँचाना होगा. वो उसने चाकू से अपनी उंगली काटी और रोहित का मूह खोल के काफ़ी देर तक बार बार उंगली पे चीरा लगा के खून उसके मूह में टपकाने लगा. जब 5 मिनट में रोहित को होश नही आया तो बिट्टू ने उसकी पट्टियाँ खोल दी. उसने देखा कि गोली अंदर नही फसि हुई. शायद कंधे को छू कर निकल गयी थी. उनसे अपना थोड़ा खून उसके कंधे पर भी टपकाया लेकिन फिर भी कुछ असर नही हुआ... उल्टा खून और बहे जा रहा था. बिट्टू को लगा कि हॉस्पिटल ही जाना ठीक होगा. फिर भी एक बार उसने आख़िरी ट्राइ करने की सोची. वो अपने रूम से बाहर आया और अपने विंग के डॉक्टर वाले रूम में चला गया. किस्मत से वहाँ पे डॉक्टर नही था. उसने थोड़ी ड्रॉयर्स टटोली तो उसको एक नीडल और सरिंज मिल गयी. उसने वो फटाफट से अपनी जब में डाल ली और वापस अपने रूम में आ गया. उसने नीडल को सरिंज में लगाया और अपनी नस में घुसा कर उसमें खून भर लिया. फिर उसने रोहित के हाथ की नस ढूंढी और गले की नस ढूंढी और दोनो में आधी आधी सरिंज खून डाल दिया और वेट करने लगा. तभी उसके दरवाज़े पे दस्तक हुई. उसने उठ कर दरवाज़ा खोला तो सामने 2 पोलीस वाले, वॉर्डन और वो टॅक्सी ड्राइवर खड़ा था.

"यही है क्या.." पोलीस वाले ने ड्राइवर से पूछा

"हां यही है.."

"क्या हुआ सर.. कोई प्राब्लम है क्या..." बिट्टू ने डरते हुए इनस्पेक्टर से पूछा.

"वो तो तुम ही बता सकते हो हमें. इस टॅक्सी वाले का मान-ना है कि तुमने अपने दोस्त को मारने की कोशिश करी है और हॉस्पिटल तक नही ले गये"

"अर्रे आप भी कैसे कैसे लोगों की बातों में आ जाते हैं... ऐसा कुछ नही है... अपना काम करिए जा के"

"तुम हमे मत समझाओ कि हमारा काम क्या है.. वॉचमन ने भी तुम्हें एक लड़के को अंदर लाते हुए देखा है.. हमे तुम्हारा कमरा चेक करना पड़ेगा."

"ऐसे कैसे करना पड़ेगा... तुम्हारे ससुर का कमरा है क्या?"

"देखो बेटा, कमरा तो चेक करवाना ही पड़ेगा .. इसलिए मैं भी साथ आया हूँ" वॉर्डन ने बोला

"अर्रे आप क्या ओबामा हो कि साथ आ गये तो करवाना ही पड़ेगा कमरा चेक... सर्च वॉरेंट है आपके पास?" 

"बेटा बहुत मूवीस देखते हो लगता है... इन चीज़ों के लिए कोई वॉरेंट्स की ज़रूरत नही पड़ती.. अब तुम हट ते हो या ज़बरदस्ती उठा के बाहर फेंकू तुम्हें रूम से" पोलीस वाले ने कहा. दोनो पोलीस वालों की आँखों में गुस्सा सॉफ झलक रहा था. बिट्टू को यकीन था कि अब वो तो फस ही गया है... जितना डिले करेगा, उतना ही प्राब्लम और होगा... इसलिए वो खुद ही हॅट गया और पोलीस वाले को अंदर जाने दिया.

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08-23-2018, 11:33 AM,
#28
RE: Antarvasna परदेसी
इधर तान्या पूरी कोशिश के साथ रणवीर और सोनिया की असलियत जान-ने की कोशिश कर रही थी. उन इमेजस से उसने पूरी जान लगा दी उनके बारे में इंटरनेट से जानकारी निकालने में लेकिन उसको नाकामी ही हाथ लगी. जब वो हार मान-ने ही वाली थी तो उसकी नज़र एक वेबसाइट पर पड़ी जहाँ रणवीर का नाम था. उसने वेबसाइट खोली तो देखा किसी कान्फरेन्स के बारे में लिखा है जो रणवीर ने अटेंड करी थी. उस कान्फरेन्स के बारे में विस्तार से पढ़ने के बाद उससे पता चला कि यह साइंटिस्ट्स की कान्फरेन्स थी. मतलब रणवीर एक साइंटिस्ट था. उसने अटेंडीस की लिस्ट देखी तो रणवीर के नाम के आगे उसकी कंपनी का नाम भी लिखा था. उसने उस कंपनी के बारे में सर्च करना शुरू करा. उसकी वेबसाइट पर जाने के बाद उसको पता चला कि रणवीर और सोनिया वहाँ पे सीनियर साइंटिस्ट्स हैं. वो कंपनी नासा की हेल्प कर रही थी यूनिवर्स की मिस्टरीस सुलझाने में. थोड़ा और रिसर्च करने पर उसे एक वेबसाइट मिली जहाँ "सोर्सस" से मिली खबर के अनुसार यह लिखा था कि उस कंपनी ने कोई ब्रेकत्रू हासिल करी है कुछ बाहरी दुनिया के सिग्नल्स टॅप करने में. ऐसी कॉन्स्पिरेसी थियरीस तान्या ने बहुत पढ़ी थी और उसको पता था कि यह कभी सच नहीं होती. बस कोई पागल आदमी जो अपने कंप्यूटर के आगे बैठ के बोर हो गया होता है, वो ऐसी कोई थियरी निकाल देता है थोड़ा नाम कमाने के लिए. इसलिए उसने इस रिपोर्ट पर ज़्यादा ध्यान नही दिया. तभी उस की नज़र पड़ी उस रिपोर्ट की डेट पर. डेट आज से 20 साल पहले की. यानी उस समय के आस पास की जब तान्या का जानम हुआ था... वो सोचने लग गयी कि क्या यह एक कोयिन्सिडेन्स है या इस रिपोर्ट में सच में कोई सच्चाई छुपी है. रणवीर और सोनिया ने उनको बताया क्यूँ नही कि वो साइंटिस्ट्स हैं? उसने प्लेन क्रॅश में हुए विक्टिम्स की लिस्ट देखी और पाया कि इन चारों के नाम पॅसेंजर लिस्ट में नही है और क्लियर्ली लिखा था कि सारे पॅसेंजर्स मर गये हैं... जैसे जैसे उसे एक्सट्रा इन्फर्मेशन मिल रही थी, यह मिस्टरी और गहरी होती जा रहही थी. उसका सर दुखने लगा और उसने कंप्यूटर बंद कर दिया. तभी उसका फोन बजा.

"हेलो"
"तान्या.. मैं दिया बोल रही हूँ.. कहाँ हो..."

"मैं.. मैं अपने रिलेटिव के घर पे हूँ..."

"अर्रे कॉलेज नहीं आई.. क्या हुआ??"

"कुछ नहीं.. बस थोड़ा सा पेट में दर्द था... बताओ कैसे फोन किया.."

"कॉलेज में पापा से मुलाक़ात हुई थी... उन्होने तुमसे, रोहित और बिट्टू से मिलने की इच्छा जताई है और फ्राइडे को डिन्नर पे इन्वाइट किया है... तुम्हें आना है..."

"देखती हूँ यार.. तबीयत ठीक हो गयी तो ज़रूर आउन्गी" तान्या ने बात को टालते हुए कहा

"कुछ नही सुन-ना मुझे.. तुम्हें आना ही पड़ेगा.. बस.." कह कर दिया ने फोन काट दिया. तान्या फिर से सीधा अपने कंप्यूटर के पास गयी और कॉलेज रेकॉर्ड्स में से दिया की इन्फर्मेशन फाइल निकाली और उसके पापा की डीटेल्स पढ़ी.. उससे पता चला कि वो भी एक साइंटिस्ट हैं..."ह्म्म... मुझे लगता है यहीं से कुछ इन्फर्मेशन मिलेगी इस मिस्टरी की" तान्या ने सोचा और फ्राइडे की रात का प्रोग्राम पक्का कर लिया
"अर्रे यहाँ तो कोई नहीं है" जब अंदर से आवाज़ आई तो बिट्टू भी अंदर की ओर हुआ. सच मैं वहाँ कोई नहीं था. "कहाँ है वो दूसरा लड़का" पोलीस वाले ने बिट्टू से पूछा. अब बिट्टू को तो खुद ही नही पता था. अभी तो वो उसे यहीं छोड़ के गया था. 
"सर यहीं होगा.. जाएगा कहाँ... अर्रे मेरा मूह क्या ताक रहे हो, बिस्तर के नीचे तो देखो" तभी टाय्लेट में से किसी के ज़ोर ज़ोर से उल्टी करने की आवाज़ आई. "अर्रे अंदर है... रोहित दरवाज़ा खोल.. ठीक है तू" बिट्टू ने दरवाज़े पे दस्तक देते हुए बोला. 

"हां ठीक हूँ. रात की उतार रहा हूँ उल्टी करके... साले इतनी क्यूँ पिला देता है..."

"हां हां आराम से कर उल्टी... बाहर कुछ लोग आए हैं मिलने. ठीक हो जाए तो आ के मिल लेना"

"यार थोड़ा पेट खराब है... हल्का हो कर आता हूँ" रोहित ने अंदर से बोला

"एक तो आप लोग इस छोटे से कमरे में भीड़ मत बढ़ाओ... एक को रुकने दो.. बाकी सब बाहर खड़े रहो.. मैं तो समझता हूँ कि रुकने की ज़रूरत किसी को भी नही है.. आवाज़ सुन ली है, अब चलते बनो" पलट कर बिट्टू ने बोला.

"नही ऐसा नही हो सकता. चेक तो करना ही पड़ेगा. मैं अंदर रुकता हूँ. बाकी सब लोग बाहर जा रहे हैं.. वैसे तुम इतनी टेन्षन में क्यूँ हो ..."

"मुझे किस चीज़ की टॅन्षन होने लगी अब... मेरी बला से.. यहाँ रूको, सब चेक करो.. कहो तो रोहित को बोल दूं कि फ्लश ना करे, रंग भी चेक कर लेना अंदर जा के" खीजते हुए बिट्टू ने कहा और अपने बिस्तर पर लेट गया. पास पड़ी कुर्सी पे पोलीस वाला बैठ गया और इंतेज़ार करने लगा. 

"कमरा बहुत गंदा रखते हो तुम..." वो बिट्टू से बोला

"तो तुम्हें यहाँ आ कर रहना है क्या .. या तुम्हें सॉफ करना है.. यार क्यूँ दिमाग़ की दही करते हो.. बस चुप चाप बैठे रहो और मेरे दिमाग़ को भी शांति दो" बिट्टू ने अपनी आँखें बंद कर ली. सुबह से टेन्षन में इधर उधर भागते हुए वो भी थक गया था. "अबे रोहित किला फ़तेह कर रहा है क्या अंदर.. एक बार रोक के बाहर आ जा... तेरा थोबड़ा देखने के लिए बैठे हैं इनस्पेक्टर साहब. पसंद आया तो लड़की का रिश्ता करवाएँगे अपनी"

तभी दरवाज़ा खुला और रोहित टाय्लेट से बाहर आ गया...शर्ट उसने पहनी नही हुई थी और उसके शरीर पे कोई भी घाव नही दिख रहा था. "हां जी. बोलो.. क्या काम है.." उसने इनस्पेक्टर की तरफ देखते हुए कहा

"मुझे बस चेक करना था कि आप सही सलामत हैं कि नहीं"

"चेक कर लिया ना.. अब निकलो... खाने के लिए बैठे हो क्या यहाँ अभी.." बिट्टू फिर बीच में कूदा

"तुम्हें क्या तकलीफ़ हो रही है?? यह मेरी ड्यूटी है और मुझे करनी है.. मुझे भी तुम्हें देख कर कोई ज़्यादा खुशी नही हो रही ना ही कोई इंटेरेस्ट है तुम में कि यहाँ बैठा हूँ. कंप्लेन हुई है तुम्हारे खिलाफ, तो मामले की तह तक पहुँचना मेरा फ़र्ज़ है" पोलीस वाला गुस्से में बिट्टू को बोला

"हां तो देख लिया ना, पहुँच गये मामले की तह तक.. अब क्या यहाँ बॉम्ब बनाने का समान ढूँढ रहे हो?? टेररिस्ट लगता हूँ मैं तुम्हें... यह रेशियल डिस्क्रिमिनेशन है...'

"जस्ट शट अप. सर आप ठीक हैं बिल्कुल? कोई परेशानी?"

"बिल्कुल ठीक हूँ, कोई परेशानी नही है.. बस कल रात थोड़ी ज़्यादा पी ली थी.. नतिंग एल्स."

"वो टॅक्सी वाला कह रहा था कि आपके कंधे से खून बह रहा था.."

"हां तो वो भगवान है क्या.. खून बह रहा था तो अभी कहाँ गया ?? साले पता नही सुबह सुबह क्या चढ़ा लेते हैं, फिर हम जैसी इनोसेंट सवारियों को परेशान करते हैं... अगर यह इंडिया होता ना, कभी फोन ना घुमाता कोई टॅक्सी वाला पोलीस को.. उसको पता होता कि इन्फर्मेशन ग़लत निकल गयी तो उसकी खैर नही हैं... मैं तो यह सारे हालत आपकी ही ग़लती मानता हूँ" बिट्टू ने फिर से बीच में टाँग अड़ाई.

पोलीस वाले ने बस उसको घूरा और रूम से बाहर निकल गया. रोहित ने जा कर दरवाज़ा बंद किया. दरवाज़ा बंद होते ही बिट्टू कूद के पलंग से उठा. "क्या हुआ रोहित.. कैसा लग रहा है... घाव तो एकदम गायब हो गया यार"

"हां.. देखा मैने... लेकिन उल्टियाँ हो रही थी.. थोड़ा खून भी निकला था उनमें.. लेकिन चलो अब सब सही है"

"यार हुआ क्या था कल रात को...."

"पता नहीं यार.. कुछ याद नहीं है..."

"तान्या को तेरी पवर का तो पता नही चला ना यार..."

"मुझे लगता तो नहीं... मैं तो चल ही रहा था जहाँ तक मुझे याद है"

"फिर तो बहुत अच्छी बात है.. वैसे अब सब सही लग रहा है..."

"हां सही तो लग रहा है..."

"मेरे खून का कमाल है... अब तू सीना तान के कह सकता है कि तेरी रगों में मेरा खून दौड़ रहा है..."

"अबे चुप कर कमिने.. मैं अपने रूम जा रहा हूँ.. तान्या का नंबर है तेरे पास?"

"हां है... टेन्षन मत ले.. उसको फोन करके बोल दूँगा मैं कि तुम ठीक हो"

"नहीं मैं खुद करूँगा.. तू नंबर दे...."

"हाँ हाँ क्यूँ नही... नियर डेत एक्सपीरियेन्स लिया है उसके साथ... पटा लो उसको.. नकचड़ी है लेकिन पीस तो सॉलिड है..."

"अबे बोल कम और नंबर दे..." और रोहित बिट्टू से नंबर ले कर अपने रूम में चला गया

"हेलो"

"हां.. क्या हाल चाल है... कैसी चल रही है क्लासस"

" पहली में से खुद बाहर आ गयी, और दूसरी में से प्रोफेसर ने निकाल दिया... सोच रही हूँ कि घर चली जाओं अब.. मन नही लग रहा आज.." दिया ने बोला

"हां मन लगेगा भी कैसे, मैं जो नहीं हूँ वहाँ."

"हां.. तुम तो मुझे बैठा के भाग निकले... कैसे आदमी हो तुम"

"नहीं यार थोड़ा ज़रूरी काम आ गया था. तुम बोलो तो अभी आ जाता हूँ.. साथ चलते हैं कहीं मूवी शूवीए के लिए"

"नहीं रहने दो.. " दिया ने बोला.. मन तो उसका बहुत था बिट्टू के साथ टाइम बिताने का लेकिन वो चाहती थी कि बिट्टू और कोशिश करे उसके लिए... अगर बिट्टू एक बार और पूछता तो शायद मान भी जाती... लेकिन बिट्टू ने पूछा नहीं

"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. कल मिलते हैं फिर"
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08-23-2018, 11:33 AM,
#29
RE: Antarvasna परदेसी
"अर्रे एक बात बताना तो भूल ही गयी.. पापा ने डिन्नर पे इन्वाइट किया है फ्राइडे को"

"अर्रे यार.. मैने अंकल को पहले ही कहा था कि शादी की बात सिर्फ़ पेरेंट्स से ही करें... चलो फोन पे बात कर लेंगे.. अपना फोन में पूरा टॉक टाइम रखना... इज़्ड कॉल्स महनगी होती हैं"

"ऐसी कोई बात नहीं हैं... उन्होने तान्या और रोहित को भी बुलाया है..."

"रोहित तो मेरे साथ ही था सुबह से.. उसको तो कोई फोन नही आया.. कहीं तुम मुझे अकेले में बुला कर मेरी इज़्ज़त पे हाथ डालना तो नहीं चाहती दिया"

"इन युवर ड्रीम्स बिट्टू..."

"वाह.. क्या ड्रीम्स होंगी वो भी... मैं, तुम और हमारा अपना खेत"

"शट अप... कल मिलते हैं.. मुझे रोहित को भी फोन करके बोलना है"
"ओके देन" खेकर बिट्टू ने फोन रख दिया.


"हेलो"

"इस दट तान्या"

"यस"

"तान्या रोहित बोल रहा हूँ"

"ओह्ह हाई रोहित. तुम्हार तबीयत कैसी है? हाथ कैसा है तुम्हारा?"

"अब मैं ठीक हूँ. मुझे तुमसे मिलना है तान्या"

"क्यूँ नही.. कभी भी बोलो मिल लेंगे.."

"अभी.. अभी आ रहा हूँ मैं वहाँ.. अपना अड्रेस दो"

"अभी ?? हां लिख लो अड्रेस... और हां .. उड़ के मत आना... "हँसते हुए तान्या ने अपना अड्रेस लिखवा दिया

"मैं 30 मिनट में आता हूँ तान्या" कह कर रोहित ने फोन रख दिया. वो अपने बाथरूम में जा कर अच्छी तरह से नहाया. उसे अभी भी कमज़ोरी लग रही थी. उसको खून की उल्टी एक बार और हुई और उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा. शायद उसकी बॉडी बिट्टू का खून रिजेक्ट कर रही थी. पर अब उसको डर नही था क्यूंकी अब उसके घाव भर चुके थे. नहा धो के वो तय्यार हुआ और टॅक्सी ले कर तान्या के बताए पते पर चला गया.
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उधर तान्या के मन में एक प्लान बन रहा था. देर सवेर किसी तरह से रोहित को पता चल ही जाएगा कि उसके पास भी पवर्स हैं.. खास कर के अगर उसको कल की डेत्स के बारे में पता चलेगा तो क्यूंकी एक भी बंदा गोली लगने से नही मरा था. उसको लगा कि क्यूँ ना वो खुद ही रोहित को अपनी सच्चाई बता दे. शायद बिट्टू ने उसको कुछ बताया हुआ था जिसके कारण वो अधमरी हालत में भी बिट्टू को याद कर रहा था. लेकिन उसपर अपनी पवर्स ज़ाहिर करने से पहले तान्या को उसको अपने वश में करना होगा. रोहित को अपने प्यार के जाल में इस कदर फसाना होगा के वो चाहकर भी कभी उससे अलग ना हो पाए. वो सोचने लगी कि अगर वो और रोहित मिल जायें तो क्या क्या नही कर सकते. वो रोहित के साथ मिल के कोई बड़ा हाथ मारेगी और फिर उसको छोड़ कर, सारी उम्र आराम से बिताएगी. अगर छोड़ ना भी पाई तो भी रोहित के साथ उम्र बिताने में भी उससे कोई प्राब्लम नही थी. रोहित एक हॅंडसम और इंटेलिजेंट आदमी था और उसने प्रूव कर दिया था कि वो डरपोक भी नही है. धीरे धीरे वो अपने मन में रोहित को फसाने का प्लान सोचने लगी. 

उसकी सोच तब टूटी जब दरवाज़े की घंटी बजी. घंटी सुनते ही वो रोहित को रिसीव करने के लिए जल्दी से दरवाज़े की तरफ भागी और देखा कि सच मुच वो ही आया है. दरवाज़ा खोल के वो उससे लिपट गयी

"ओह्ह रोहित तुम्हें पता है कि मुझे तुम्हारी कितनी चिंता हो रही थी.. कैसे हो तुम.. फोन पे तुम थोड़े वीक लग रहे थे"

"हां थोड़ी वीकनेस है. पर ठीक हूँ मैं" रोहित ने सूप्राइज़्ड होकर बोला. उसने तान्या से ऐसे वेलकम की उम्मीद नही करी थी

"चलो अंदर आ जाओ" उसका हाथ पकड़ कर तान्या उसे अंदर ले आई. रह रह कर रोहित की नज़र तान्या के बदन पर जाती. उसने एक डेनिम की शॉर्ट्स और स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए थे. संगमरमर की तरह का उसका बदन नुमाइश पे लगा हुआ था और उसको देख के रोहित का ईमान डोल रहा था. उसकी महकी खुश्बू रोहित को और दीवाना बना रही थी और उसके हिलते होठों को देखकर रोहित किसी और ही दुनिया में खोता जा रहा था.. "तुम कुछ सुन भी रहे हो कि नही" जब तान्या ने बोला तो रोहित का ध्यान टूटा

"नही.. मतलब हां.. मतलब मेरा सर बहुत दुख रहा है.. मुझे अभी कुछ नही सुन-ना"

"तो फिर तुम यहाँ आए क्यूँ हो" तान्या को पता चल चुका था कि उसका जादू कुछ कुछ असर करने लग गया है रोहित पे

"तान्या मैं कल के बारे में बात करना चाहता था"

"हां. वो बात तो मुझे भी सुन-नी थी. कल मैने देखा था. तुम सच मुच उड़ रहे थे" तान्या ने हैरत में अपनी आखें बड़ी बड़ी करते हुए बोला. 

"हां टान्या. मुझे पता नही यह कैसा होता है और मेरे साथ क्यूँ होता है, पर मैं सच मुच उड़ सकता हूँ" उसकी आँखों में खोते हुए रोहित ने बोला

"मतलब तुम आज के ज़माने के सूपरमन हो ना" अपनी पलकें झपकाती हुई तान्या बोली

"मुझे कुछ पता नही है तान्या. कुछ समझ नही आता. बस एक दरख़्वास्त है कि हम दोनो के अलावा तुम किसी और को यह बात मत बताना. मैं नही जान-ता कि लोगों का क्या रिक्षन रहेगा इस बात पे. जब मेरे लिए ही यकीन करना इतना मुश्किल है तो औरों के लिए तो और भी मुश्किल होगा"

"तुम मेरा विश्वास करो रोहित. मैं यह बात किसी को नही बताउन्गी. यह राज़ मेरे अंदर ही दबा रहेगा." तान्या ने उस का हाथ अपने हाथ से सहलाते करते हुए कहा.

इतनी सुंदर लड़की झूठ नही बोल सकती. ऐसा सोच कर रोहित का मन उसपर विश्वास करने को हो गया. पता नही क्यूँ आज उसकी नज़रें तान्या से हट ही नही रही थी. यह तान्या की ड्रेस के कारण था या किसी और कारण से, उसे पता नही.. पर आज तान्या उसको बहुत सेक्सी लग रही थी. वो सोचने लगा कि पहले उसने क्यूँ नही तान्या को इन नज़रों से देखा, अगर देख लिया होता तो शायद प्लेन से ही ट्राइ कर रहा होता उसके लिए. उसका मन कर रहा था कि बस यूँ ही तान्या को देखता रहे और वक़्त कभी ना थमे. उसके ऐसे घूर्ने से तान्या भी थोड़ा अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी. हालाँकि उसने पूरा प्लान सोच समझ कर ही यह चाल चली थी, पर फिर भी जिस तरह से रोहित उसको घूर रहा था, उसको थोड़ा अजीब सा लग रहा था. "रोहित तुम कुछ खाओगे" कहते हुए वो उठी.

"हां. कुछ भी बना दो. बहुत भूख लग रही है"

"तुम लेट जाओ. मैं कुछ बना के लाती हूँ"

"यार तुम तो मुझे पूरा पेशेंट की तरह ट्रीट कर रही हो. नही लेटना मुझे. मैं भी हेल्प कर देता हूँ थोड़ी" कह कर वो उठ गया. तान्या ने भी मना नही किया और दोनो इधर उधर की गप्पें मारते हुए किचन में पहुँच गये और खाना बनाने लगे.
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08-23-2018, 11:33 AM,
#30
RE: Antarvasna परदेसी
पूरी कॉन्वर्सेशन के दौरान रोहित को ऐसा लगता रहा जैसे तान्या उस से फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है. कोशिश क्या, फुलटू फ्लर्ट कर रही है. हो सकता है यह उसके मन का वेहम हो और उसे वही लग रहा हो जो वो करना चाहता है इसलिए उसने इस बात का ज़िक्र ना करने की ही सोची. तान्या ने खाना बना लिया और दोनो ने अपनी प्लेट में डाल के खाना शुरू कर दिया. खाते वक़्त भी वो इधर उधर की बातें करने लगे. खाना ख़तम करने के बाद, उन्होने प्लेट्स वापस रखी तो तान्या रोहित की आँखों में झाँकति हुई बोली, "रोहित एक बात कहूँ बुरा तो नही मानोगे"

"नहीं मानूँगा. बोलो.." शायद वो बोलने वाली थी जो सुनने को रोहित के कान तरस रहे थे

"अपनी शर्ट उतारोगे एक मिनट"

"व्हाट !! क्यूँ??"

"मुझे देखना है कि तुम्हारा घाव कैसा है"

"नहीं है कोई घाव वहाँ पे"

"प्लीज़. एक बार .. मेरे लिए" फिर अपनी पलकें झपकते हुए उसने कहा

"ठीक है. पर मेरी बॉडी देखकर हसना मत" कहते हुए रोहित ने अपनी शर्ट उतार दी और उसके सामने खड़ा हो गया. 

तान्या ने हैरानी से उसके कंधे के वहाँ देखा और वहाँ सच मुच कोई घाव नही था. वो उठ कर उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ फेरने लग गयी. हाथ फेरते हुए वो धीरे धीरे अपना मूह उसके पास लेकर आई और पहले उसका कंधा और फिर उसकी गर्दन चूमने लगी. रोहित ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधे पर रखा और थोड़ा नीचे मूह कर के अपने होठ उसके नाज़ुक से फूल जैसे होठों पर रख के दबा दिए

तान्या के नरम मुलायम होठ उसको ऐसी फीलिंग दे रहे थे मानो वो किसी गुलाब की पंखड़ी को छू रहा हो. धीरे धीरे वो अपना हाथ तान्या की पीठ पर फेरने लगा और अपने होठ उसके होठों से हटा कर उसकी गर्दन को धीरे धीरे चूमने लगा. यह सिलसिला थोड़ी देर तक जारी रहा और उसके बाद दोनो ने साँस ली.

"यह क्या कर रही हो तान्या"

"मैं क्या कर रही हूँ तुम्हें नही मालूम? तुम भी तो लगे हुए हो" थोड़ा सा मुस्कुरा कर तान्या ने बोला

"मतलब हम ऐसा क्यूँ कर रहे हैं"

"तुम्हें नही पता ? तुम्हारी तबीयत ठीक है?"

"मतलब तान्या कि अचानक से यह सब..."

"आइ लाइक यू रोहित. आइ लाइक यू आ लॉट. पहले दिन से ही. और जब कल तुमने मेरे लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी तो मुझे तुम और अच्छे लगने लगे"

"तान्या मैने तुम्हारे बारे में कभी वैसे सोचा नही.. तुम बहुत सुंदर हो, आइ वुड लव टू गो आउट वित यू. पर हम शायद जल्दी कर रहे हैं" 

तान्या फिर झुकी और उसको चूमने लग गयी जिंदगी में किसी भी चीज़ में हारना उसे कतयि पसंद नही था. धीरे धीरे रोहित ने भी हार मान ली और अपने आप को पूरी तरह से तान्या को समर्पित कर दिया. उसको पता था कि इस क्रिया का अंत जो भी हो, जीत तो उसे महसूस होगी ही. तान्या की लगाई हवस की आग में वो ऐसा उलझा कि उसको 30 मिनट बाद ही होश आया जब वो दोनो बिस्तर पर बदहवास पड़े थे. रोहित मुस्कुरा रहा था क्यूंकी इतना मस्त सेक्स उसने आज तक महसूस नही किया था. तान्या इसलिए मुस्कुरा रही थी क्यूंकी उसको पता था कि उसके बिछाए जाल में रोहित कदम रख चुका है और जल्द ही वो समय आएगा जब रोहित ना चाहते हुए भी इस जाल में उलझ चुका होगा. तभी रोहित के फोन की घंटी बजी

"हेलो"

"हाई रोहित.. दिस ईज़ दिया"

"हां दिया"

"फ्राइडे को क्या कर रहे हो..."

"पता नही.. कुछ प्लान है क्या..." आज तो लगता है किस्मत उसपे मेहेरबन थी... फ्राइडे को थ्रीसम के चान्सस लग रहे थे

"हां. मेरे पापा ने इन्वाइट किया है डिन्नर के लिए तुम्हें, बिट्टू और तान्या को.. वो दोनो तो आ रहे हैं. तुम्हें भी आना है"

"अच्छा.. कोशिश करूँगा. अभी के लिए हां समझो" रोहित के सपनों का महल टूट गया. पर सेक्स ना सही, घर का बना खाना तो मिलेगा, यह सोचकर ही वो खुश था

"किसका फोन था" तान्या ने रोहित के फोन रखने पर पूछा

"दिया का था.."

"ओह्ह वो फ्राइडे नाइट की पार्टी. अचानक से ही पता नही उसके बाप को क्या सूझी जो हमे इन्वाइट कर लिया..."

"हां.. पर जाता क्या है... अच्छा खाना मिलेगा. शायद दारू भी हो.. मज़े करेंगे.."

"मज़े तो अभी भी कर रहे हैं" तान्या ने कहा और फिर रोहित को चूम लिया. रोहित फिर से गरम हो गया और एक बार वापिस सेक्स किया. इस बार उसने ध्यान रखा कि तान्या की नीड्स का भी ख़याल रखे. फिर वो दोनो निढाल हो गये और इस बार सो गये.

जब रात में खाने की मेज़ पर बिट्टू ने रोहित को नही देखा तो उसका माथा ठनका कि रोहित ठीक भी है या नहीं. वो उसके रूम में गया पर वहाँ तो ताला लगा हुआ था. उसने रोहित को फोन घुमाया तो पता चला कि वो बाहर है और थोड़ी देर में वापस आएगा. अब बिट्टू ने भी टाइम पास के लिए दिया को फोन लगा दिया और दोनो इधर उधर की बातें करने लगे. दिया बहुत एग्ज़ाइटेड थी कि फ्राइडे को वो चारों उसके घर पे मिलेंगे. वो अपनी माँ के खाने की तारीफ करते नही थक रही थी. सुन सुन के बिट्टू के भी मूह में पानी आ रहा था और उसको फिर से भूख लग गयी. उसने दिया से विदा ली और वापिस कॅंटीन पहुँच कर खाना खाने लग गया. थोड़ी ही देर में देखा कि रोहित भी वहाँ आ गया है. तब तक बिट्टू का खाना ख़तम हो गया था. उसने अपनी प्लेट डिशवाशर में डाली और लपक के रोहित के पास हो गया

"कहाँ था रे..."

"क्यूँ क्या हुआ.."

"हुआ तो कुछ नहीं, बस बदनामी हो गयी हॉस्टिल में के दोनो लौन्डे साथ सोते हैं"

"अबे छोड़ ना.. और बता क्या किया दिन भर.."

"अर्रे मेरी छोड़ और अपनी बता.. कहाँ था दिन भर..."
"कुछ नहीं यार. बस ऐसे ही.. इधर उधर..."
"ओ माइ गॉड.."
"क्या हुआ..."
"तू तान्या के साथ था ना..."
"यह तू कहाँ से पता कर के बोला?"
"अर्रे चोट ना लगना मेरी पॉवर है पर यह मेरा टॅलेंट है.. तो बता.. कुछ हुआ क्या"

"यार मैं सिर्फ़ यह एन्षूर करने गया था कि उसके उपर मेरी पॉवर तो ज़ाहिर नही हुई ना.."

"अर्रे वो छोड़ और बता कुछ हुआ क्या"

"भगवान का शुकर है के उसको कुछ नही पता"

"ओ माइ गोद..."

"क्या हुआ"

"तुमने सेक्स किया आज..."

"अबे चुप कर.. कुछ भी बोल रहा है"

"अपनी माँ की कसम खा के नहीं किया..."

"मैं ऐसी बातों में कसमें नही खाता"

"देखा.. मुझे पता था... कैसी है वो... वैसे तो बड़ी बॉम्ब लगती है.. बिस्तर में भी क्या.."

"शट अप यार बिट्टू.. तुझे और कुछ नहीं है क्या बोलने को" रोहित ने बोला और दोनो कुछ पल तक बिल्कुल शांत हो गये.

बिट्टू रोहित को घूरता रहा और रोहित खाना खाता रहा... "हां. बिस्तर में भी वो एक फुलझड़ी है.. बस खुश?"

"मुझे पता था. ऐसी लड़कियाँ होती ही ऐसी हैं.. हमेशा खुद को उपर रखती है... मज़ा आया ?"

"बहुत... ज़िंदगी का सबसे बेस्ट सेक्स था"

"साला एक मेरी ज़िंदगी है... गर्ल फ्रेंड ने कभी दी नहीं, जिस-से ली, उसको पैसे देने पड़े... वैसे फरक होता है क्या प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स करने में और किसी को जानते हो उसके साथ सेक्स करने में?"

"पता नहीं, मैने कभी प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स नही करा"

"लकी है तू तो... मैने तो उन्ही के साथ किया है.. एक बार पैसे कम थे तो मुझे हॅपी के साथ मिल कर एक बंदी को चोदना पड़ा. ऑफर था. 2 बंदे एक सिट्टिंग में लेती थी तो 2 गुना की बजाए 1.5 गुना ही चार्ज कर रही थी. वो ही मेरा बेस्ट रहा है"

"यार कैसा है तू... घिन नही आती?"

"आती तो है लेकिन चूत देख कर चली जाती है" कहता हुआ बिट्टू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और उसको हँसता देख रोहित को भी हँसी आ गयी. "दिया का फोन आया?"

"हां आया था."

"तो चल रहा है ना फ्राइडे को?"

"ओफ़फकौर्स"

"यार कुछ ले कर जाना चाहिए ना.. पहली बार उसके घरवालों से मिल रहे हैं"

"अबे तो रिश्ते की बात करने थोड़ा जा रहे हैं"

"तू नही जा रहा होगा, मैं तो जा रहा हूँ. सोच रहा हूँ सूट में जाऊं"

"अबे पागल हो गया है क्या..."

"यार एक मस्त इंप्रेशन बनाना है उसके पेरेंट्स पर. क्या पता कल को वो मेरे भी पेरेंट्स हो जायें"

"मस्त इंप्रेशन बनाना है तो मूह बंद रखियो. नही तो क्या सूट और क्या कच्छा, सब खुल जाएँगे तेरे मूह खोलते ही"

"ह्म्म.. सोचना पड़ेंगा. और बता... यार आइ रियली कॅंट बिलीव इट कि तान्या के साथ तेरा फिट हो गया... कहाँ वो और कहाँ तू"

"क्या मतलब तेरा"

"मतलब कहाँ वो एक हूर परी और कहाँ तू.. शकल से ऐसा लगता है जैसे कान से मैल निकालने का बिज़्नेस हो तेरा"

"शट अप..."

"चल छोड़ इन बातों को. मैं चला अपना नाइट डोज लेने. तुझे चाहिए हो तो आ जइयो.. नहीं तो कल कॉलेज में मुलाक़ात हो शायद" कहता हुआ बिट्टू उठा और अपने रूम में चला गया

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