Antarvasna परदेसी
08-23-2018, 11:25 AM,
#11
RE: Antarvasna परदेसी
उड़ते उड़ते अचानक से ही रोहित के सामने से एक लड़की चीखती हुई नीचे गिरी. रोहित को पता नही क्या सूझी, उसने भी डाइव मार दी. उसकी स्विम्मिंग की ट्रैनिंग थोड़ी बहुत काम आ रही थी. थोड़ी ही देर में उसने उस लड़की को पक्कड़ लिया. वो लड़की बहुत डरी हुई थी और थोड़ी ही देर में बेहोश हो गयी. रोहित को लगा कि उसको ज़्यादा देर संभालना थोड़ा मुश्किल होगा और वो किसी तरह से हाथ पैर मारता हुआ नीचे आने की कोशिश करने लगा.

उधर प्लेन में बिट्टू की भी हालत खराब हो रही थी. इतना धुआँ हो गया था अंदर के उसको आगे का द्वार, मध्य द्वार वगेरह कुछ याद नही आ रहा था कि कहाँ है. रह रह के हरिद्वार दिमाग़ में आता था... उसको यकीन था कि उसने अपने पाप धो लिए हैं और आज नही मरेगा. तभी एक ज़ोर से धमाका हुआ और बिट्टू मियाँ भी प्लेन के बाहर हो गये. अब उसको अपनी मौत बहुत करीब से दिख रही थी और दुख हो रहा था कि उसने वो आलू के पराठे नही खाए मरने से पहले. अब बस उसने आँखें बंद कर ली और अपने भगवान को याद करने लगा.

तान्या को भी समझ नही आ रहा था कि क्या करे.. उसे डर था कि उसका पैसों से भरा बॅग ना गिर जाए या खुल जाए, उसको यकीन नही था कि वो बच जाएगी, लेकिन अगर बचती है तो उसको अपने साथ वो बॅग ज़रूरी चाहिए था. इतना पैसा वो ऐसे नही छोड़ सकती थी. नीचे गिरते हुए उसने देखा कि उसके साथ बैठा इरिटेटिंग लड़का भी कलाबाज़ियाँ खाते हुए नीचे गिर रहा है. नीचे थोड़ी सी दूर एक नदी बह रही थी. तान्या ने सोच लिया कि यह बाग उस लड़के को पकड़ा के, वो अपनी सारी पवर्स से उस नदी की तरफ होने की कोशिश करेगी. उसने अपनी दिमागी शक्ति से बिट्टू को अपने पास खीचा और उस से चिपट गयी.

"भगवान तुमने मेरी सुन ली. बचा लिया मुझे" बिट्टू ने आँखें बंद में ही मॅन ही मॅन बोला

"अबे सुन. कोई भगवान नही है यह. यह बॅग पक्कड़. और चुप चाप मुझ से लिपटा रह"

"अर्रे खिड़की वाली मेडम आप... आप मेरे मॅन की आवाज़ कैसे सुन रही है.. कहीं आप ही भगवान तो नहीं"

'शट अप और जैसा मैं कहती हूँ वैसा ही कर" कहकर उसने वो बॅग उसके हाथों में थमा दिया. बिट्टू बॅग पकड़ के पूरी तरह से उस लड़की से चिपट गया. पता नहीं क्यूँ, इस हालत में भी उसका एरेक्षन हो गया. ज़िंदगी तो पता नही अब मिलेगी या नहीं, जो पल हैं, उसी में खुश रहो सोच के वो उस लड़की की मदहोश ज़ुल्फो में खो गया.

तान्या कितनी भी कोशिश कर ले, अपनी डाइरेक्षन चेंज नही कर पा रही थी. उपर से बिट्टू की गरम साँसें उसका कॉन्सेंट्रेशन और बिगाड़ रही तही. तभी उसकी कॉन्सेंट्रेशन बिगड़ी और बिट्टू का भी हाथ फिसल गया. बिट्टू नीचे खिचने लगा तो उसने बॅग को और ज़ोर से पक्कड़ लिया. जब तान्या ने देखा कि बिट्टू गिर रहा है तो उसने भी एक तरफ से बॅग को पकड़ लिया. अब बिट्टू और तान्या सिर्फ़ उस बॅग के ज़रिए ही आपस में उलझे हुए थे. 

"बॅग छोड़ दे. तू गिर रहा है"

"अर्रे गिरना तो है ही अगर बॅग छोड़ू या पकडू, तो फिर बॅग पक्कड़ के ही रखता हूँ, साथ में मरेंगे तो अगले जनम में भी हमारा बंधन बना रहेगा" वो तपाक से बोला

अब तान्या के पास कोई चारा नही था, उसको ना सिर्फ़ खुद को बचना था, पर अपने बॅग की भी ठीक तरह से रखवाली करनी थी. उपर से ज़मीन उसकी तरफ तेज़ी से आ रही थी. गिरने वाली जगह को उसने ध्यान से देखा तो पाया कि वहाँ पे बहुत मोटे मोटे पेड़ हैं. अगर तान्या अपनी पवर का इस्तेमाल करके एक पेड़ से चिपक जाती है, तो लड़का तो नीचे गिरके मरेगा, लेकिन वो अपना बॅग छोड़ सकती है. जब उसकी स्पीड ब्रेक हो जाए, तो वो अपना बॅग नीचे से उठा सकती है. उसको यह प्लान बहुत अच्छा लगा और वो अपनी सारी कॉन्सेंट्रेशन एक पेड़ पे लगाने लगी. चन्द ही पलों में पेड़ बहुत करीब आ गये थे. लेकिन इससे पहले कि तान्या बॅग को छोड़ती, बिट्टू ने बॅग छोड़ दिया और वो धम्म से पेड़ की शाखाओ में उलझ गया और टकराते हुए नीचे गिरा और थोड़ा सा ज़मीन में धँस गया. वहीं तान्या पेड़ से छिपकली की तरह चिपक गयी लेकिन ज़्यादा देर तक नही चिपकी रह सकी. वो बहुत वीक हो गयी थी और धम्म से नीचे गिरी. लेकिन तब तक उसकी सारी वेलोसिटी निल हो चुकी थी और उसको गिरने से ज़्यादा चोट नही लगी, लेकिन उसमें हिलने की हिम्मत नही थी.

दूसरी तरफ रोहित को ज़्यादा परेशानी नही हुई. उसने पहले ही डिसाइड कर लिया था कि वो पानी में ही गिरेगा ताकि लॅंडिंग सेफ रहे. उस लड़की को ज़ोर से पकड़ कर वो छप्पक से पानी में गिरा और काफ़ी अंदर तक चला गया. तभी दिया की भी बेहोशी टूटी और अपने चारों ओर पानी देख के वो घबरा गयी और साँस ले लिया. साँस लेते ही सारा पानी उसके अंदर चला गया. यह चीज़ रोहित ने देख ली थी. फॉर्चुनेट्ली वो लोग किनारे के काफ़ी करीब थे. रोहित ने जल्दी से दिया को पानी की सतह से उपर किया और उसे ले कर, स्विम करता हुआ किनारे पर आ गया. किनारे पर आ कर उसने जल्दी से दिया को थोड़ा माउत टू माउत दिया और उसकी छाती दबाई जिससे सारा पानी बाहर आ गया. दिया थोड़ा खाँसी और फिर करवट ले कर लेट गयी. रोहित भी बहुत ठक गया था और वो भी वहीं पर लेट गया. अब चारों लोग एक दूसरे के आसपास थे और पस्त हुए पड़े थे. कोई बेहोश था तो कोई सो रहा था. किसी का भी दिमाग़ अभी कुछ सोचने की हालत में नही था.
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08-23-2018, 11:26 AM,
#12
RE: Antarvasna परदेसी
आज रेगिस्तान के उस टीले के अंदर बहुत हलचल थी. इस प्लेन आक्सिडेंट ने सबकुछ चौपट कर दिया था. रणवीर का सारा प्लान, उसकी सारी मेहनत उसको मिट्टी में मिलती दिखाई दे रही थी. 

"रणवीर मैं तो सोचती हूँ कि उन लोगों को बता देना चाहिए असलियत" उसकी साथी सोनिया ने बोला.

"सोनिया मेरी इतने साल की मेहनत पर पानी फिर जाएगा. मैं चाहता हूँ कि इन लोगों को नॅचुरल तरीके से पवर डेवेलपमेंट होते देखूं ताभ इनके अंदर वो टोज़िन्स आएँगे जिनको मैं स्टडी करना चाहता हूँ"

"रणवीर लेकिन इतने बड़े प्लेन क्रॅश में, जब सिर्फ़ यह चार ही बचे रहेंगे, तो इनको शक तो होगा ही कि ऐसा क्यूँ है. अगर इन्होने किसी तरह से वो ट्रॅकिंग चिप अपने अंदर से निकाल दी, तो उसके बाद हम कभी फिर इनको नही ढूँढ पाएँगे कुछ तो सोचो तुम"

"सोनिया मैने सब सोच लिया है. तुम बस उस मशीन को हेलिकॉप्टर में डालो और मेरे साथ चलो. इस इन्सिडेंट की सारी मेमोरीस हमे उनके दिमाग़ से निकालनी होंगी"

"कमऑन रणवीर, यू मस्ट बी जोकिंग. तुम्हें पता है कि वो मशीन पूरी तरह से तय्यार नही है"

"सोनिया आइ आम रेडी टू टेक दट चान्स. वैसे भी हमारी वजह से ही आज उनकी जान सलामत है, नही तो मर गये होते अभी तक. हम जो चाहे उनके साथ कर सकते हैं"

"रणवीर भगवान बनने की कोशिश मत करो"

"सोनिया जैसे कहा है, वैसा करो. दिस ईज़ अन ऑर्डर" कहते हुए उसने सोनिया को वहाँ से भेजा. "रोनाल्ड, इन तीनो लड़कों के पेरेंट्स को फोन कर के बोल दो कि लड़के सेफ हैं और कभी भी वो लोग इस इन्सिडेंट के बारे में बात ना करें इनसे. मैं प्लेन कंपनी को फोन कर के पॅसेंजर लिस्ट से इन चारों का नाम हटवाता हूँ. डू इट क्विक्ली आंड कम वित मी. वी हॅव टू डू सम इंपॉर्टेंट वर्क वित दोज़ फोर"

"हरी अप एवेरिबडी. बिल्कुल समय नही है वेस्ट करने को. सोनाली, तुम तान्या को संभालो. एरिका टेक दिया, रसल टेक बिट्टू और रोनाल्ड रोहित ईज़ युवर रेपोंसिबिलिटी. टी माइनस 30 मिनिट्स एवेरिवन. 30 मिनिट्स में सारे ऑपरेशन ख़तम होना चाहिए. सब को हल्का अनेस्तीसिया दो जिससे इनकी नींद ना टूटे. भारी नही. आइ वान्ट देम अप इन 1 अवर. डॉक्टर डू आ क्विक हेल्त चेक. देखो किस की बॉडी में क्या चोट है. ट्रेगो तुम मशीन तय्यार करो" रणवीर एक मिलिटरी कमॅंडर की तरह धडाधड ऑर्डर दे रहा था. उसकी टीम बिल्कुल मेटिक्युलसली हर एक टास्क कर रही थी. रणवीर को पता था कि अभी 10 मिनिट का समय है, जब वो चारों तय्यार होंगे. तब तक वो साइड पे हो लिया.

दिन की शुरुआत में रणवीर बहुत खुश था. उस का काम बहुत आसान हो गया था. चारों सब्जेक्ट्स सेम जगह पर जा रहे थे जहाँ पे उनको अब्ज़र्व करना बहुत ही आसान हो जाएगा. उसका प्लान आखरी स्टेज पर था. जल्द ही वो समझ जाएगा इन चारों के शरीर में कितने बदलाव आए हैं और उनके कारण क्या क्या फायदा हो सकता है. एक चीज़ जो उसे बहुत एग्ज़ाइट कर रही थी वो यह थी के वो चारों बचपन से ले कर अब तक किसी भी बीमारी के शिकार नही हुए थे. तो यह तो पक्का हो गया था कि रणवीर के पास इस दुनिया को बीमारी युक्त कऱ्णे का फ़ॉर्मूला था जिसको बस अब थोड़ा तय्यार करना था. लहरों को देखते हुए वो सोचने लगा कि जिस तरह लहरों को पता नही होता कि अगले पल वो कहाँ होंगी, उसी तरह से इंसान को भी पता नही होता कि अगले पल उसके साथ क्या होने वाला है.

उसकी सारी एग्ज़ाइट्मेंट उस समय मर गयी थी जब उसको पता चला कि चारों जिस प्लेन में जा रहे हैं, उस का आक्सिडेंट हो गया है. उसको अपनी पिछली बहुत साल की मेहनत मिट्टी में मिलती दिखाई दे रही थी. लॅब में भी मातम सा माहौल छा गया था कुछ पल के लिए. फिर रोनाल्ड के ट्रॅकर से पता चला कि चारों सब्जेक्ट्स ज़िंदा है. यह खबर सुनके उसे बहुत खुशी होनी चाहिए थी लेकिन हुई नहीं. रह रह के रणवीर के मन में यह ख़याल आता कि उसने इन 4 लोगों को क्या बना दिया है... ना इनको बीमारी होती है और ना यह मरते हैं. लेकिन इस बारे में ज़्यादा सोचा नहीं था उसने. पहली प्राइयारिटी थी कि इन सब लोगों को वापस नॉर्मल किया जाए ताकि इनकी एवोल्यूशन स्टडी करी जा सके. 

"सर, एवेरिवन ईज़ रेडी. वेटिंग फॉर फर्दर इन्स्ट्रक्षन्स" एक क्र्यू मेंबर ने बोला तो रणवीर की ख्याली ट्रेन रुकी. वो फटाफट से उस जगह पहुँचा जहाँ सारे मॉनिटर्स वगेरह लगे हुए थे. 

"गुड. चारों कनेक्टेड हैं... यस.... अब दोस्तों जो हम अभी करने जा रहे हैं, वो पहली बार हो रहा है. इस मशीन का इस्तेमाल आज तक नही हुआ है और शायद यह ठीक से तय्यार भी नही है. लेकिन हमारी कम से कम 20 साल की मेहनत का फल आज इस मशीन पे डिपेंड करता है. इसको यूज़ करने से पहले मैं सब से सहमति लेना चाहता हूँ. यह मशीन इन चारों को मार भी सकती है, बट सीयिंग दा कटॅस्ट्रफी दीज़ पीपल हॅव सर्वाइव्ड, आइ डाउट इट. इस मशीन से इनको कितना डॅमेज होगा, पता नही. होगा - बस इतना पता है. मशीन यूज़ नही करी तो शायद इनको पेयरॅलिज़्ड करके लॅब में ही रखना पड़े इनको स्टडी करने के लिए. मैं चाहता हूँ कि आप सब में से अगर कोई अभी भी ऐसा सोचता है हमे यह मशीन यूज़ नही करनी चाहिए, अपना हाथ खड़ा कर दे"

अब उसका आर्ग्युमेंट तो ज़ोरदार था और ऑडियेन्स भी सारी साइंटिस्ट. उसे ज़्यादा आश्चर्या नही हुआ जब किसी का हाथ खड़ा नही हुआ. मशीन का एक्सपेरिमेंटेशन कभी ना कभी तो करना ही था, सब यह ही सोच रहे थे कि इस से अच्छा मौका नही मिलेगा. "देन लेट्स गो पीपल. वी हॅव मोर हिस्टरी टू क्रियेट" कहता हुआ वो मैन कंप्यूटर के पास आ गया. "रसल इन सब के दिमाग़ के उस हिस्से पे अटॅक करो जहाँ रीसेंट मेमोरीस होती हैं आंड वाइप दा लास्ट 1 अवर क्लीन" उसने कहा और रसल डाइयल्स से खेला और धीरे से एक बटन दबा दिया जिससे उन चारों के शरीर में एक करेंट दौड़ने लगा. 
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08-23-2018, 11:26 AM,
#13
RE: Antarvasna परदेसी
15 मिनिट बाद सारा काम ख़तम हो गया था. "सर वी हॅव डन और बेस्ट. रिज़ल्ट तभी दिखेगा जब यह जाग जाएँगे." रसल बोला. 

"एक्सलेंट वर्क गाइस. अब इन चारों को एक्सट्रा हेलिकॉप्टर में रखो और यह सारा एक्विपमेंट वापस पॅक करो मैं हेलिकॉप्टर में. सोनिया तुम मेरे साथ रहोगी एक पाइलट के साथ. एवेरिवन एल्स विल रिटर्न टू दा बेस विथ दा एक्विपमेंट्स. सब बस यह दुआ करो कि हमारा एक्सपेरिमेंट सफल हो जाए" उसने कहा और फिर सोनिया के साथ साइड में हो गया.

"आगे का क्या इरादा है रणवीर?" सोनिया ने उनसे पूछा.

"वी विल टेक देम टू टोरोंटो. रास्ते में कोई स्टोरी सुना देंगे इनको के यह कैसे बच गये. सब कुछ ठीक हुआ यह लोग फिर से अपना जीवन ठीक से शुरू कर सकेंगे"

"स्टोरी सुना देंगे??? रणवीर कमऑन... क्या कहोगे इनको... कैसे यकीन दिलाओगे इन्हे इस 'लक' पे... कम से कम 150 लोग मरे हैं. और सिर्फ़ यह 4 ही बचेंगे शायद"

"ह्म्म.. लक ईज़ गुड वर्ड. हम इनको बोलेंगे कि दीज़ वर 4 लकी पीपल, जिनको हमारे साथ हेलिकॉप्टर में जाने का चान्स मिला था. एर प्रेशर कम होने से इनकी तबीयत खराब हो गयी थी आंड वी हॅड टू गिव देम सम स्लीपिंग सीरम. यह लोग उठेंगे तो कन्फ्यूज़्ड होंगे, काम बन जाएगा" 

"मुझे इतना आसान नही लगता, पर तुमने सोच ही लिया है तो ठीक है. लेट्स सी व्हाट हॅपन्स"

"...अनफॉर्चुनेट्ली तुम्हारा बॅगेज उसी प्लेन में था और नही बच पाया" हेलिकॉप्टर में टोरोंटो की तरफ जाते हुए प्लान के हिसाब से सब कुछ उन्हे बोल दिया. देखने में लग नही रहा था कि उनके उपर कोई साइड एफेक्ट है. कोई बात उन्हें याद नही थी जर्नी की और सारे वाइटल्स भी ठीक थे.

"सर आप लगेज की बात कर रहे हो, यहाँ अभी भी गोटियाँ मूह में आई हुई हैं. पता नही क्यूँ दिल दहेल रहा है और गान्ड फट के 4 हुई पड़ी है" बिट्टू ने टनटन बोल दिया और फिर रीयलाइज़ किया कि उनके साथ 3 लड़कियाँ भी है जो उसको घूर रही थी. "ऐसे मत देखो मुझे. तुम्हारी नही फटती होगी, मैं तो अभी तक काप रहा हूँ. सर यह कैसा हेलिकॉप्टर है जिसमें इतनी जगह है. खिड़कियाँ भी इतनी सारी है. यह तो बिल्कुल प्लेन जैसा ही लगता है. मेडम मुझे खिड़की वाली जगह मिलेगी?" वो तान्या के पास जा कर बोला

"मेरा सर बहुत दुख रहा है. प्लीज़ परेशान मत करो और जा कर अपनी जगह पर बैठ जाओ. मैं यहाँ से नही हिलूंगी' कहते हुए उसने अपना बॅग और ज़ोर से पकड़ लिया

"अर्रे कोई ग़रीब को खिड़की वाली सीट दे दो... दूसरी बार का हवाई सफ़र है" बिट्टू ज़ोर से चिल्लाया

"तुम यह वाली सीट ले लो" दिया ने बोला

"कितनी अच्छी हो तुम मेडम. थॅंक्स फॉर दा विंडो. मैं दुआ करता हूँ कि आपका सारा सामान बिल्कुल सुरक्षित मिल जाए" उसने दिया को मुस्कुराते हुए बोला और तान्या को घूर्ने लगा. दिया भी थोड़ा सा मुस्कुराइ और अपनी जगह बिट्टू को दे दी.

रोहित एक कोने में बैठा कुछ गहरी सोच में डूबा हुआ था. पता नही क्यूँ उसको रणवीर की बात का भरोसा नही हो रहा था. वो बहुत ज़ोर डाल रहा था अपने दिमाग़ पर लेकिन उसको कुछ याद नही आ रहा था. बस एक विचार ही दिमाग़ में आ रहा था कि वो उड़ सकता है और कुछ देर पहले उड़ रहा था. आख़िर में थक कर उसने हार मान ली. शायद उनको बेहोश करने के लिए जो दवाइयाँ दी गयी थी, उनका असर था कि उसको ऐसा लग रहा था. वो बस इंतेज़ार करने लगा कि कब टोरोंटो आए, और वो अपने कॉलेज के कॅंपस में दाखिल हुए.

बिट्टू खिड़की से बाहर झाँक के खूब खुश हो रहा था. वो अपने आस पास के लोगों को बिल्कुल ही इग्नोर कर रहा था

"कुछ पूछ रहा है रणवीर" जब साथ बैठी दिया ने उसको कुहनी मारी तो उसको ध्यान आया कि प्लेन में और भी लोग हैं
"उहह हां .. बोलिए सर"

"एक तो सर कहना बंद करो मुझे"

"तो क्या फिर अंकल कहें?? उमर में इतने बड़े हो, मुझे लगता है वी वर नोट ईवन इन लिक्विड फॉर्म, व्हेन यू वर इन फुल फॉर्म" उसके यह कहते ही सब लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे. रणवीर गुस्से में लाल हो गया. उसके आगे ऐसा मज़ाक आज तक किसी ने नही किया था. 

"जो कहना है कहो"

"अभी तो आप कुछ कह रहे थे सर"

"हां. मैं पूछ रहा था कि अपना इंट्रोडक्षन तो दे दो सब. हमें तो बस तुम्हारे नामों के सिवा कुछ नही पता"

"क्यूँ नही जी.. बंदे को प्यार से बिट्टू कहते हैं. वैसे मैं हूँ ही इतना प्यारा कि लोग और किसी नाम से बुलाते ही नही हैं" उसने दिया को कुहनी मारी और हँसने लगा. ना जाने क्यूँ उसको दिया में बहुत इंटेरेस्ट आ रहा था. "पापा बिज़्नेस करते हैं, मैं पढ़ने के लिए टोरोंटो जा रहा हूँ. वैटलिस्टेड अड्मिशन था. वो शायद एंट्रेन्स एसी में कुछ गड़बड़ी हो गयी थी. हॅपी ने थोड़ा पी के लिखा था मेरे लिए और मैने भी वैसे ही छाप दिया था. हॅपी मेरा बचपन का यार है. हमारे पापा साथ ही बिज़्नेस करते हैं. मूड तो उसका भी बड़ा था कॅनडा आने का पर उसकी माँ थोड़ी सेंटी है, उसने फॉर्म भी भरने नही दिया था. आप मानोगे नहीं, पिछले महीने जब....."

"बस बस. अपने बारे में बताने को कहा था, दोस्तों के बारे में नही" दिया हँसते हुए बोली

"जी वो तुम कहती हो तो चुप हो जाता हूँ. लेकिन अगर तुमने उसका पिछले महीने वाला ट्रॅक्टर का किस्सा सुन लिया तो हँसते हँसते दम निकल जाएगा.. हुआ क्या कि हम ने लल्लन के खेत से रात को ट्रॅक्टर उठा लिया.. लल्लन पास में ही रहता है हमारे, जवार की खेती करता है.."

"अर्रे तुम फिर रेडियो की तरह शुरू हो गये.. बस करो अब" जब फिर से दिया ने कहा तो बिट्टू चुप हो गया और उसकी तरफ टकटकी बाँध के देखने लगा. देखने में वो कुछ ज़्यादा सुंदर नही थी. पर उसकी आँखों में डूबने का दिल कर रहा था. रह रह के उसकी नज़र दिया की छाती पर जाती. उसके वक्ष कुछ ज़्यादा ही "हेल्ती" थे और बिट्टू का मन उनको छूने का कर रहा था. "मेरा नाम दिया है. मेरे पेरेंट्स टोरोंटो में ही रहते हैं." 

"बिट्टू आवाज़ उपर से निकल रही है, वहाँ से नही" बिट्टू को अपनी छाती की तरफ घूरता देख उसने उससे टोका. 

बिट्टू झेंप गया और इधर उधर देखने लग गया.
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08-23-2018, 11:26 AM,
#14
RE: Antarvasna परदेसी
"मैं भी टोरोंटो पढ़ने जा रही हूँ"

"अर्रे यह तो बहुत बढ़िया बात है. लगता है भगवान ने हमे यहाँ मिलाया है. हमारी दोस्ती बहुत लंबी चलने वाली है. साथ ही पढ़ा करेंगे" बिट्टू फिर शुरू हुआ

"टोरोंटो में एक ही कॉलेज नही है. बहुत हैं"

"अच्छा कौन से कॉलेज में हो तुम?"

"क्यूँ बताऊं?"

"मेडम.. इतना घमंड भी ठीक नही है.. वो तो यहाँ थोड़ा कंट्रोल कर रहा हूँ, वरना बहुत लड़कियाँ मरती है नाचीज़ पर. एक इशारा कर दूं तो 3-4 को ज़मीन पे लेटा दूं. ज़मीन से याद आया, वो ट्रॅक्टर वाला किस्सा तो रह गया"

"नहीं सुनना मुझे ट्रॅक्टर वाला किस्सा. प्लीज़.. चुप रहो" दिया को पता नहीं क्यूँ, थोड़ा मज़ा आ रहा था. पहली बार ज़िंदगी में उसके साथ कोई इतनी ओपन्ली फ्लर्ट कर रहा था, पर वो यह ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी

"अच्छा तो चलो कॉलेज का नाम ही बता दो"

"तुमने ही कहा था ना कि भगवान ने मिलाया है हमें, तो चलो टेस्ट कर लेते हैं. भगवान ने चाहा तो फिर मुलाक़ात होगी टोरोंटो में"

"अर्रेयरे भगवान का टेस्ट... चलो यह भी कर के देख लेंगे. अगर मुलाक़ात हुई तो फिर कॉफी पीने चलना पड़ेगा मेरे साथ. बोलो मंज़ूर है"

"मंज़ूर है"

"तो फिर आओ झप्पी पा लो" कहते हुए उसने ज़ोर से दिया को हग कर लिया. उसके बूब्स को अपनी छाती से स्पर्श कर के ही उसको चैन आया. उसने एक बात नोटीस करी कि हर पल के साथ, दिया और खूबसूरत होती जा रही थी.

"आप दोनो का ख़तम हो गया हो तो आगे शुरू करें?" सोनिया बोली

"लो कर लो बात. आप लोग हमारी पर्सनल बातें सुन रहे थे? शरम नही आती" बिट्टू ने हँसते हुए कहा "चलो खिड़की वाली मेडम से पूछते हैं. मेडम आप भी कुछ बताओ अपने बारे में"

"मेरा नाम तान्या है. बचपन में माँ बाप का देहांत हो गया था आक्सिडेंट में. टोरोंटो मैं भी पढ़ने के लिए जा रही हूँ" तान्या ने एक साँस में जवाब दिया. उसको इस इंट्रोडक्षन में कोई इंटेरेस्ट नही था.

"मेडम उस बॅग में ऐसा क्या है.. तब से उसको अपने साथ सटा के बैठी हो.." बिट्टू फिर बोला

"तुमसे मतलब? अपने काम से काम रखो..." तान्या उसे घूरते हुए बोली..

"हां मुझे तो कोई मतलब नही है. बस यह उम्मीद करता हूँ कि हम दोनो एक कॉलेज में ना हो... और आप भाई साब... आप भी शकल से इंडियन ही लगते हैं... टोरोंटो पढ़ाई के लिए?"

"हां.. रोहित.. रोहित नाम है मेरा. मेरे मम्मी पापा का भी बिज़्नेस है. पढ़ के जाउन्गा और बिज़्नेस को संभालूँगा. पहली बार इंग्लेंड से बाहर निकला हूँ. पला बढ़ा इंग्लेंड में ही हूँ."

"चलो हो गया इंट्रो सब का. अब कुछ खाने को दे दो. बहुत भूख लग रही है" बिट्टू ने रणवीर को बोला

"ओह सॉरी.. मुझे नहीं लगता कि यहाँ कुछ खाने को है.. देखता हूँ"

"यार कमाल करते हो आप.. 7 घंटे की फ्लाइट है और कुछ खाने को नही है, मैं तो पागल हो जाउन्गा. मेडम आपके बॅग में कुछ है क्या?" 

तान्या ने फिर उसकी तरफ घूरा और कुछ नही बोली

"रणवीर देखो मेरे बॅग में कुछ सॅंड्विचस होंगे. वो दे दो" सोनिया पहले ही सारे साइंटिस्ट्स के लिए सॅंड्विचस बना के लाई थी, लेकिन टाइम कम होने के कारण किसी ने खाए नहीं.

"यह हुई ना बात. चिकन वाले हैं क्या?" बिट्टू बोला

"नहीं.. वेग है बिट्टू"

"अर्रे यार.. चलो वो ही आने दो.. अब कुछ तो खाना ही है" तभी रणवीर सॅंड्विचस ले कर आ गया. और बाँटने लगा. बिट्टू का नंबर तीसरा आया

"एक और मिलेगा.. थोड़े छोटे हैं" उसने रणवीर से बोला और एक और ले लिया

"नहीं जी मुझे नहीं चाहिए. आइ आम नोट हंग्री" जब रणवीर ने दिया के पास सॅंडविच किया तो वो बोली.

"अर्रे भूख कैसे नहीं है... सर आप रखो यहाँ.. मुझे पता है इसको अभी भूख लगेगी" कहते हुए बिट्टू ने सॅंडविच ले कर दिया के हाथ में थमा दिया और अपने वाले खाने लगा. "सो गयी क्या दिया?" 5 मिनिट बाद उसने पूछा. बाकी लोग भी सो गये थे

"ह्म.. अभी सोई ही थी. बोलो क्या हुआ"

"मैं कह रहा था कि नही खाना तो ज़बरदस्ती नही हैं, मैं खा लूँ?"

"अर्रे खा ले.. यह ले.. ठूंस ले" दिया ने हँसते हुए उसे सॅंडविच पकड़ा दिया जिसे वो 3 बाइटेड में हड़प कर गया.
उसने फिर थोड़ी देर बाहर देखा कि उसको अपने कंधे पर कुछ महसूस हुआ. मूड कर देखा तो दिया का सर था. वो मॅन ही मॅन बहुत खुश हुआ. दिया के चेहरे से उसकी नज़र नही हट रही थी. एक पोयम की तरह उसका चेहरा बिट्टू के दिमाग़ में घूम रहा था. अपने कंधे को और थोड़ा ढीला करके बिट्टू ने भी अपनी आखें बंद कर ली और दिया के सपनों में खो गया
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08-23-2018, 11:26 AM,
#15
RE: Antarvasna परदेसी
"एवेरिवन प्लीज़ गेट अप. वी हॅव रीच्ड" सोनिया की आवाज़ सुनते ही सब उठ गये. नींद से अभी भी उनका बुरा हाल था. शायद दवाई का असर अभी तक था. सब लोगों ने सेफ्टी बेल्ट लगा ली और डिसेंट का इंतेज़ार करने लगे. रोहित और तान्या अभी भी चुप थे, बिट्टू सिर्फ़ दिया के बारे में सोच रहा था और दिया अपने पेरेंट्स से मिलने के लिए बेताब हो रही थी. हेलिकॉप्टर लॅंड हुआ और उसके ब्लेड्स बंद होते ही रणवीर ने दरवाज़ा खोल दिया. 

"थॅंक यू रणवीर" सब जाते हुए उसको बोल के गये

"हमारी जान बचाने का धन्यवाद. यह एहसान मैं ज़िंदगी भर नही भूलूंगा" रोहित ने कहा और वो भी उतर गया.
रणवीर और सोनिया ने भी डिसाइड किया कि आज रात टोरोंटो में ही रुका जाए और सुबह होते ही वो वापस चले जाएँगे अपने बसे में.

बिट्टू, दिया, तान्या और रोहित ने अलग अलग कॅब्स करी और वो भी चले गये. दिया अपने घर गयी, बिट्टू और रोहित हॉस्टिल और तान्या ने सोचा कि थोड़ा शहर घूम ले, फिर हॉस्टिल चली जाएगी. चारों में से किसी को नही पता था कि बाकी कहाँ जा रहे हैं. बिट्टू और दिया के सिवा कोई आपस में मिलना भी नही चाहता था. रोहित और बिट्टू दोनो अलग अलग हॉस्टिल पहुँचे और फॉरमॅलिटीस पूरी कर के अपने इंडिविजुयल रूम्स में चले गये. उसके बाद दोनो ने अपने घरों पे फोन किया और बता दिया कि वो लोग पहुँच गये हैं. रणवीर ने उनको बताया था कि हेलिकॉप्टर में चढ़ने से पहले चारों ने अपने घर फोन कर दिया था कि वो हेलिकॉप्टर से जा रहे हैं, इसलिए उन्हे कोई टेन्षन नही थी पेरेंट्स को इनफॉर्म करने की. दोनो ने थोड़ा रिलॅक्स किया और फिर कपड़े वगेरह खरीदने के लिए मार्केट चले गये.

जब वापस आए तो देखा कि नोटीस बोर्ड पे एक बहुत बड़ा नोटीस लगा हुआ है "स्पेशल पार्टी टुनाइट अट दा कामन रूम्स फॉर ऑल दा न्यू ज़ोइनीस बाइ दा सीनियर्स. प्लीज़ कम". बिट्टू वो पढ़ के खूब खुश हुआ. "आते ही फ्री की दारू मिलेगी शायद. मज़ा आएगा" उसने सोचा और अपने रूम में चला गया. उसको पता था कि पार्टीस में हमेशा लेट ही जाना ठीक होता है क्यूंकी समय पर कोई नहीं पहुँचता. लेकिन जब वो पहुँचा तो कामन रूम खचाखच भरा हुआ था लोगों से. खाने का अलग काउंटर था और दारू का अलग. वो सोच ही रहा था कि कहाँ से शुरू करे के उसको तान्या दिख गयी. 

"सो वी मीट अगेन... बाकी लोग भी हैं क्या... टोरोंटो में इतने ज़्यादा भी कॉलेजस नही है मतलब"

"ओह्ह नो.. नोट यू अगेन... पूरे 3 साल झेलना पड़ेगा क्या तुम्हें" तान्या खिज कर बोली

"मुझे लोग झेलते नहीं, मेरा इंतेज़ार करते हैं. और ज़्यादा भाव मत बढ़ाओ अपने, मुझे कोई इंटेरेस्ट नही है तुम में. बस एक पहचाना चेहरा देखा तो आ गया"

"तुम अपने आप को बहुत कूल समझते हो ना..."

"इसमें समझने की क्या बात है.. मैं तो हूँ ही कूल.. कूलनेस मेरे दिल में भरी है... इनफॅक्ट कूल का स्कूल हूँ"

"ओह गॉड सेव मी... मुझे तो तुम बिकुल पागल लगते हो..."

"लगने को तो तुम भी मुझे बहुत इंटेलिजेंट लगती हो पर मुझे पता है कि जैसी तुम दिखती हो, वैसी हो नही.. सेम वित मी"

"चलो एक शर्त लगाते हैं....."

""क्या शर्त.. मेरा क्या फ़ायदा होगा इस-से?"

"तुम्हें प्रूव करने को मिलेगा कि तुम सच मच बहुत ही कूल और लड़कियों के चहेते हो... फिर मेरी नज़र में तुम्हारी रेस्पेक्ट बढ़ जाएगी.."

"अर्रे तुम्हारी नज़र की किसको पड़ी है.. मैं तो किसी और को ढूँढ रहा हूँ..."

"हाहहाहा.. इतनी जल्दी डर गये.."

"मेडम बिट्टू किसी से नही डरता.. शर्त बोलो.." तान्या के चुंगल में आसानी से फस गया बिट्टू

"वो देख 2 गोरी लड़कियाँ बैठी हैं... उनको जा कर हिन्दी में प्रपोज़ करो.. देखते हैं कितने कूल हो तुम... देखते हैं वो तुम्हारी दिल की कूलनेस देख पाती हैं या नहीं"

बिट्टू ने सोचा कि इसमें क्या है.. वैसे भी इतनी लाउड गाने की आवाज़ है, अगर चाँटा वांटा पड़ भी गया तो किसी को क्या सुनाई देगा... और वो उन लड़कियों के पास चला गया... देखने में वो दोनो बहुत ही हॉट लग रही थी और बिट्टू मॅन ही मॅन सोच रहा था कि काश एक हां कर दे तो मज़ा आ जाए. उन दोनो के पास पहुँच कर वो उनके सामने बैठ गया. 

"बहुत सुंदर हो आप... किसी ने यह बात बताई है आपको कभी"

"सॉरी" एक लड़की बोली

"डोंट बी सॉरी... खूबसूरत होना कोई पाप नही है...."

"êटेस-वू डे नाउस पार्लर" उस लड़की ने बोला ("आर यू टॉकिंग टू अस?")

"नही नही, सच में ... मज़ाक नही कर रहा मैं... इस अंधेरे रूम में अगर कोई चाँद है.. तो वो तुम ही हो" बिट्टू बोला

"जे ने स्व्स पास à वू कॉमपरेंड्र्य" ("आइ'म नोट अंडरस्टॅंडिंग यू")

"ओह्ह थॅंक यू. मुझे नही पता था कि आपको भी मैं सुंदर लग रहा हूँ... 

"वू êटेस फॉवू?" ("आर यू क्रेज़ी?")
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08-23-2018, 11:26 AM,
#16
RE: Antarvasna परदेसी
बिट्टू ने आगे बढ़के उस लड़की का हाथ पकड़ा और उसको चूम के बोला "आइ लव यू टू" चटाक़ की एक आवाज़ आई और म्यूज़िक बंद हो गया... सब बिट्टू की तरफ देखने लग गये और वो दोनो लड़कियाँ वहाँ से खिसक ली... "क्या तमाशा चल रहा है क्या यहाँ ?? चलो अपना अपना काम करो... गाने क्यूँ बंद कर दिए रे मनहूस... गाने चला" कहता हुआ बिट्टू अपना लाल गाल ले कर वापस वहीं पर आ गया जहाँ पे तान्या को छोड़ा था.

"ओह्ह तो उसने मुझ से पीछा छुड़ाने के लिए मुझे वहाँ भेजा था. खुद निकाल ली और मुझे पिटवा दिया" जब बिट्टू ने तान्या को वहाँ नही देखा तो सोचा.

"हे बिट्टू.. क्या चल रहा है... आते ही थप्पड़ खाने शुरू कर दिए... क्या हुआ..." रोहित ने उसके पास आ कर पूछा

"अर्रे यार पता नही तमिल में वो लड़कियाँ क्या बक रही थी... मुझे लगा प्रपोज़ कर रही हैं.. मैने हां कह दिया तो थप्पड़ पद गया.. अजीब शहर है"

"तमिल ?? पर वो तो फ्रेंच लग रही थी..."

"कुछ भी हो.. बोली समझ नही आई, यह इंपॉर्टेंट बात है.. कौनसी बोली थी, यह इंपॉर्टेंट नही है"

"हाहहाहा... लगे रहो.. आइ एम श्योर 50-60 थप्पड़ खा के तुम्हें या तो भाषा आ जाएगी, या कोई तुम्हारे जैसी मिल जाएगी... अगर नही भी मिली तो कम से कम थप्पड़ खाने की आदत हो जाएगी... " रोहित ने हँसते हुए कहा

"इन्न बातों को छोड़ और बता कि दिया दिखी क्या..."

"नहीं.. वो तो नहीं दिखी.... चल कल मिलते हैं" कहता हुआ रोहित वहाँ से चला गया

बिट्टू बेचारा अपनी किस्मत को रो रहा था. साले वो दोनो जिनमें उसको इंटेरेस्ट नही था, इसी कॉलेज में टपक पड़े और दिया नहीं है.. "भगवान तुझसे एक चीज़ माँगी थी, तूने वो तो दी नहीं, थप्पड़ पड़वा के बेइज़्ज़ती और करवा दी" सोचते हुए वो भी बियर पीने के लिए चल पड़ा


*-*
"रणवीर ऐसा कब तक चलता रहेगा? हम कब तक ऐसे ही मिलते रहेंगे" बिस्तर पर लेटी सोनिया ने पूछा

"सोनिया तुम्हें पता है कि हमारा फ्यूचर खराब हो जाएगा अगर कंपनी को पता चल गया इस अफेर के बारे में तो. दे हॅव स्ट्रिक्ट पॉलिसी रिगार्डिंग दिस"

"अभी कौन सा फ्यूचर अच्छा है रणवीर? यू आर 47, मैं 45 की हूँ, दोनो ने शादी नही करी है और दोनों टीनेजर्स की तरह छुप छुप के मिलते हैं" सोनिया ने गुस्से में कहा

"बस सोनिया हमारा यह एक्सपेरिमेंट ख़तम हो जाए, उसके बाद हम आराम की ज़िंदगी बिताएँगे" रणवीर ने सोनिया के बालों में हाथ फेरते हुए कहा. उसका हाथ धीरे धीरे थोड़ा नीचे गया और सोनिया के स्तनों तक पहुँच गया... वो धीरे धीरे उसके निपल पर हाथ फेरने लग गया. सोनिया की आँखें बंद थी... रणवीर ने अपना चेहरा उसके पास करके उसके मुलायम होठों पे एक हल्का से चुंबन दिया. अब सोनिया ने भी अपना हाथ उठा कर रणवीर के कंधे पर रख दिया और दोनो एक दूसरे को चूमने लगे. 

अभी दोनो गरम हो ही रहे थे कि रणवीर के फोन की घंटी बजी.

"आज की रात फोन मत उठाओ रणवीर. आज की रात सिर्फ़ मेरे नाम कर दो ना..." सोनिया उसके सामने गिड़गिडाई
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08-23-2018, 11:26 AM,
#17
RE: Antarvasna परदेसी
रणवीर ने भी फोन पे ध्यान नही दिया और सोनिया को चूमने में लगा रहा. फोन बंद हो गया और कुछ ही पलों में उनके रूम में रखा फोन बजने लगा. "सोनिया लगता है कुछ इंपॉर्टेंट बात है.. तभी यहाँ फोन आया है.. रूको मैं देख के आता हूँ क्या हुआ"

"रणवीर तुमने क्यूँ बताया कि हम इस होटेल में रुके हुए हैं?? क्या एक रात भी हम आराम से साथ नही रह सकते?" सोनिया ने बोला और इस बात को रणवीर ने अनसुना कर दिया

"हेलो.."

"सर, रसल हियर... एक बहुत इंपॉर्टेंट चीज़ दिखानी है आपको, प्लीज़ बेस कॅंप में जल्दी से जल्दी आ जाइए.. वी हॅव लिट्ल टाइम टू वेस्ट"

"क्या हुआ रसल"

"सर मैं फोन पे नही बता सकता. जितनी जल्दी हो सके, प्ल्ज़ रिटर्न. मैने यह अब्ज़र्वेशन किसी को नही बताया है और आपके साथ सबसे पहले शेयर करना चाहता हूँ. इट ईज़ ह्यूज"

"ओके रसल.. पेज दा पाइलट कि वो तय्यार रहे. हम निकल रहे हैं और 15 मिनिट में हेलिकॉप्टर तक पहुँच जाएँगे"

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रात में चारों को ठीक से नींद नही आ रही थी. रह रह के अजीब अजीब ख्वाब आते जैसे कोई प्लेन टूट रहा है और यह लोग गिर रहे हैं. हैरत की बात थी कि इनको दिख रहा था कि कैसे यह किसी को बचा रहे हैं या कोई इन्हें बचा रहा है. जैसे ही नींद लगती, थोड़ी देर में ही आँखें खुल जाती और पूरा शरीर पसीने से तर बतर होता. 

जब काफ़ी कोशिशों के बाद भी रोहित को ठीक तरह से नींद नही आई तो उसने हार मान ली. वो छत पर चला गया और वहाँ से नज़ारा देखने लगा. दूर दूर तक सिर्फ़ अंधेरा ही अंधेरा था और उन अंधेरो में टिमटिमाते दियों की तरह बिल्डिंग्स पर रोशनी. ठंडी ठंडी हवा चल रही थी. पहले ही पसीने में भरे होने के कारण, रोहित को झुरजुरी पड़ने लग गयी ठंडी हवा के थपेड़ो से. रह रह के रोहित के दिमाग़ में यह ही ख़याल आता कि क्या वो सच में उड़ सकता है या यह सब कुछ एक भ्रम ही है. कहीं उन दवाइयों के असर से ही तो ऐसा सब कुछ नही हो रहा जो हेलिकॉप्टर में उन्हे दी गयी थी... काफ़ी सोचने के बाद उसने डिसाइड किया कि वो एक ट्राइ करेगा. वो उँचाई से कूदेगा और उससे पता चल जाएगा कि वो सच मुच उड़ सकता है कि नहीं.

उसने छत के कोने से नीचे झाँक के देखा तो उसके होश उड़ गये. यह तो बहुत उँचाई है. अगर उड़ नही पाया तो जान तो जाएगी नही, उमर भर के लिए टुंडा हो जाएगा. उसने इधर उधर देखा और पाया कि एक टंकी है जिसके उपर वो चढ़ सकता है. वहीं पास में एक स्ट्रे रूम था जिसके अंदर झाँकने पर रोहित ने पाया कि उसमें कयि गद्दे रखे हैं. अब तो प्लान पूरा बन गया. रोहित ने कुछ गद्दे निकाले और टंकी के नीचे रख दिए. फिर वो 10 फुट की टंकी पे पहुँचा. उपर चढ़ते हुए उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था उसने उपर से नज़ारा देखा तो पाया कि वो और भी दूर दूर तक देख सकता है. दूर एक कमरे में जलती बुझती बत्ती दिख रही थी. रोहित ने सोचा कि वो अकेला नहीं है जो इतनी रात में जगा है. कोई तो और भी है. उसको मालूम नही था कि वो घर दिया का है और दिया अपने अंदर समाए करेंट से बत्ती ऑन/ऑफ कर रही है.

अपने दिमाग़ को सारी बातों से क्लियर कर के, उसने छलाँग लगा दी. अगले ही पल वो उन गद्दों पे था. खड़े हो कर उसने चेक किया तो जिस्म का कोई भी अंग दर्द नही कर रहा था. मतलब चोट तो नही लगी, ऐसा सोचते हुए वो वापिस टंकी पर चढ़ गया. इस बार उसने नया तरीका अपनाने का सोचा उसने अपने दिमाग़ से सारा डर निकाल दिया और अपने आप को कन्विन्स कर दिया कि वो सच मुच उड़ सकता है. वो अपने दिमाग़ में सोचने लगा कि वो उड़ रहा है और जंप मारी आँखें बंद कर के. जब एक पल तक उसको उन गद्दों का स्पर्श अनुभव नही हुआ तो उसने आँखें खोली. उसको लगा जैसे वो अभी भी टंकी पे ही खड़ा है. उसने अपने नीचे देखा तो हवा के सिवा कुछ नही था. थोड़ी नीचे गद्दे दिख रहे थे. डर और हैरानी ने फिर उसके अंदर प्रवेश किया और अगले ही पल धम्म से वो उन गद्दों पर गिर गया.

"ओ ओ सूपरमन.. क्या कर रहा है इतनी रात में... ऐसे ना तो टाँग टूटेगी और ना ही छत..." बिट्टू सीडीयों से उपर आता हुआ बोला

रोहित थोड़ा सकपका गया "कुछ नहीं, नींद नही आ रही थी तो उपर चला आया"

"वैसे यह ठीक किया... नींद नही आ रही थी तो टाँग तुड़वाने की कोशिश करी.. हॉस्पिटल में आराम से सोना... वैसे गद्दों के उपर क्यूँ कूद रहे थे"

"ऐसे ही यार. थोड़ा एग्ज़ाइट्मेंट"

"अर्रे एग्ज़ाइट्मेंट तो इस चीज़ से मिलता है" बिट्टू ने गांजे की 2 सिगरेट्स निकालते हुए कहा. "चलो आओ.. साथ में उड़ेंगे"

"तू भी उड़ता है?" रोहित ने हैरानी में पूछा

"अर्रे वाह.. पुराने खिलाड़ी मालूम होते हो. चलो आज उड़ ही लिया जाए" कहते हुए बिट्टू ने एक सिगरेट उसके आगे कर दी. दोनो छत के कोने में बैठकर कश मारने लगे. थोड़ी देर बाद रोहित बोला
"यार तुझे ऐसा कभी लगा है कि तू कुछ कर सकता है पर कर नही पाया हो"

"बिल्कुल. 10थ का हाफ यियर्ली था. मुझे लग रहा था कि फिज़िक्स आती है तो पढ़ा नहीं.. साला एक भी सवाल ठीक से हल नही कर पाया"

"हा हा हा.. ऐसे नहीं यार... कहने का मतलब है कभी तुम्हें लगा है कि तुम कुछ और करने के लिए पैदा हुए हो और कर नही पा रहे"

"पूरा वक़्त... मुझे लगता था कि मैं सिर्फ़ लड़कियों के लिए पैदा हुआ हूँ... पिछले कॉलेज में एक लड़की को चोदा, उसके बाद सारी मुझसे दूर भागने लगी... अब मेरी ग़लती थोड़े है कि आधे मिनिट में झड गया.. पहली बारी था यार"

"हा हा हा.. होता है पहली बार में... मेरे साथ भी हुआ था.. धीरे धीरे सीख जाता है बंदा"

"तुम तो गुरु लगते हो ... आज से तुम्हारा नाम गुरु सूपरमन. वैसे तुम गांजा मार के ही बात करते हो या वैसे भी मूह खुलता है कभी कभी"

"तुम्हारे जितना तो नहीं, पर हां बात तो करता ही हूँ"

"अच्छी बात है.. तुम्हारे से बहुत कुछ सीखना है मुझे"

"मुझसे सीखकर तो नरक में ही जाओगे"

"तो अभी कौन सा स्वर्ग का रिज़र्वेशन है. मेरे हिसाब से आदमी के पास 2 ऑप्षन होती हैं - दुनिया में स्वर्ग और मरने के बाद नर्क या दुनिया में नर्क और मरने के बाद स्वर्ग. अब मरने के बाद क्या होता है, किससे पता, इसलिए हम तो यहीं स्वर्ग का आनंद लेते हैं"
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08-23-2018, 11:28 AM,
#18
RE: Antarvasna परदेसी
अब रात में सोया लेट, तो जायज़ है कि सुबह टाइम से उठा नही जाएगा. अलार्म को स्नऊज़ करते करते बिट्टू आधा घंटा लेट उठा. घड़ी को देखा तो उसके चेहरे पे बारह बज गये. "नहाने से तो कोई फ़ायदा है नहीं, वैसे भी कल ही नहाया हूँ.. आज शेव कर के ही चल पड़ता हूँ" उसने सोचा और जल्दी जल्दी शेव करने लगा. अब शेव तो जल्दी जल्दी करी नही जा सकती, तो दूसरे ही पल उसके चेहरे पे एक लंबा सा घाव हो गया. "ओह शिट.. यह क्या हुआ, मुझे बदसूरत बनाने की चाल...." उसने सोचा और बाकी की शेव निपटाई. बाद में वो अपने बॅग से डेटोल ढूँढ के लाया तो शीशे में देखा कि उसका चेहरा पहले जैसा सपाट था. घाव का कोई नामोनिशान नही था. उसने इस बारे में ज़्यादा नहीं सोचा और कपड़े बदल के, कॉलेज की तरफ रवाना हो गया.


कॉलेज हॉस्टिल से थोड़ा ही दूर था. बिट्टू ने फटाफट बॅग टांगा और ओलिंपिक रन्नर की तरह भागना शुरू कर दिया. कॉलेज पहुँचा तो देखा कि कोई भी स्टूडेंट खुला नहीं घूम रहा. "यहाँ साले सब पढ़ने के लिए ही आते हैं क्या..." उनसे सोचा और अपनी क्लास ढूँढने लगा. तभी उसको एक लड़की वहाँ से जाती हुई दिखी..

"हेलो.. एक्सक्यूस मी..." बिट्टू ने बोला पर उस लड़की ने उसकी तरफ नही देखा, तो बिट्टू ने ज़ोर से सीटी बजा दी. वो लड़की पीछे मूडी

"व्हाट आर यू डूयिंग.. दिस ईज़ आ कॉलेज"

"हां वो ठीक है.. यह बताओ कि फर्स्ट एअर की अकाउंट क्लास कहाँ है... लेट हो गया हूँ मैं"

"आ जाओ मेरे साथ. आइ विल टेक यू"

बिट्टू महाशय खुश. उसको लगा चलो कोई तो है जो मेरे साथ लेट हो गया है. एक क्लास के सामने पहुँच कर उस लड़की ने अंदर की ओर इशारा किया और घुस गयी. बिट्टू 2 कदम की दूरी पे था. अंदर झाँका तो देखा क्लास चल रही है. बिट्टू ने सोचा कि शायद यहाँ पे क्लास में घुसने से पहले पूछने पाछ्ने का सिस्टम नही है, वो लड़की भी तो घुस के आगे बैठ गयी थी, तो वो भी झट अंदर घुस गया और खाली सीट देखने लगा.

"एक्सक्यूस मी"

"यस मॅ'म"
"व्हाट डू यू थिंक यू आर डूयिंग??"

"मॅम वो बैठने के लिए सीट ढूँढ रहा हूँ"

"शरम नही आती तुम्हें ऐसे अंदर घुसते हुए..."

"लो मॅम शरम क्यूँ आने लगी.. अब यह गुरुद्वारा यह मंदिर तो है नहीं कि चप्पल खोल के घुसू.. और वैसे भी बाहर किसी और की चप्पल तो पड़ी नहीं है"

"आइ मीन.. क्लास में घुसने से पहले तुम्हें अपने आप को एक्सक्यूस करना चाहिए... ऐसे कैसे घुस रहे हो जैसे यह कोई प्लेग्राउंड है"

"मॅम वो लड़की भी घुसी थी, मैने सोचा कि यहाँ सब ऐसे ही होता होगा तो मैं भी घुस गया... सॉरी..."

"जाओ और जा कर बैठ जाओ... पहले दिन ही लेट आए हो... आगे से कोई भी लेट हुआ तो क्लास में घुसने नही दिया जाएगा.. और मिस्टर.. जिसको तुम देख कर अंदर घुस गये थे, शी ईज़ माइ टीचिंग असिस्टेंट.. कोई स्टूडेंट नही है जो तुम्हारी तरह लेट आई थी"

"अर्रे मेडम बोल तो दिया ना सॉरी.. नहीं होगा आगे से.. आप बोलो तो 100 बार लिख के दे दूं कॉपी पे" बिट्टू ने कहा और सारी क्लास ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी

"शट अप आंड टेक युवर सीट" गुस्से में आग बाबूला हो कर टीचर बोली

बिट्टू चुप चाप पीछे जा कर बैठ गया. धीरे धीरे करके उसने सारी क्लास का मुआयना किया. तान्या उसे वहाँ बैठी दिखी लेकिन दिया नहीं दिखी. उसको लगने लगा कि शायद वो दिया से कभी नही मिल पाएगा.. क्लास भी बोर हो रही थी.. यह सब तो उसने 1स्ट एअर में पढ़ रखा था.. तभी उसका ध्यान शेविंग इन्सिडेंट पर गया.. अब उसको यकीन हो रहा था कि उसके अंदर कुछ तो बात है जो उसको कोई बीमारी या चोट नही होती.. फिर उसको कल की बात याद आई रोहित वाली.. कहीं रोहित के साथ भी तो ऐसा नहीं है.. क्या कल वो सच मुच हवा में उड़ रहा था या मेरी ग़लतफेहमली थी.. वो यह सोच ही रहा था कि तभी एक ज़ोर की घंटी बजी और क्लास ख़तम हो गयी..

"रोहित नही आया क्या" बिट्टू ने जा कर तान्या से पूछा

"नहीं.. दिया नहीं दिखी मुझे"

"हे हे हे.. पर मैने तो रोहित के बारे में पूछा"

"पर मुझे पता है कि तुम क्या पूछने वाले थे अल्टिमेट्ली. रास्ते से हटो मुझे अगली क्लास के लिए लेट हो रहा है"

"तुम्हारे जैसी नकचड़ी लड़की मैने अपनी ज़िंदगी में नही देखी.. या शायद देखी है... याद नहीं.. पर तुम बहुत ही नकचड़ी हो" बिट्टू ने जाती हुई तान्या के पीछे बोला जिसके रिप्लाइ में तान्या ने बस उसको जीब निकाल कर चिड़ा दिया और चलती रही... बिट्टू को भी याद आया कि उसको नेक्स्ट क्लास में जाना है और वो क्लासरूम ढूँढने लगा. पूरा दिन क्लासस में निकल गया. रोहित से उसकी मुलाक़ात हो गयी थी लेकिन दिया उससे कहीं नही दिखी. अब उसको यकीन हो गया था कि दिया किसी और कॉलेज में ही पढ़ रही है. उसने सोचा कि चलो दिया ना सही, किसी और को ही ढूँढ लेते हैं टाइम पास के लिए. उसने डिसाइड किया कि कल से वो किसी और लड़की पे लाइन मारेगा.. लेकिन किस पे - यह था सबसे बड़ा क्वेस्चन. पूरा दिन उसने लड़कियों की तोल मोल करी और इस निष्कर्ष पे निकला कि तान्या ही सबसे सेफ बेट है. वो उसके देश की थी और वो उसको थोड़ा बहुत जानती थी.. तो बात तो आराम से शुरू हो जाएगी.. लेकिन सबसे बड़ी प्राब्लम भी यही थी - वो बिट्टू को जानती थी. हो सकता है कि वो पहली बार में ही चाँटा मार दे...
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08-23-2018, 11:28 AM,
#19
RE: Antarvasna परदेसी
दूसरी ओर तान्या बिट्टू से बहुत खिजी हुई थी. उसको ज़्यादा बोलने वाले लड़के बिल्कुल पसंद नही थे और उपर से बिट्टू उसको बहुत इरिटेटिंग लगता था. वो इतना कूल बनता था जबकि था एक बड़ा फूल. जब भी वो उससे देखती, गुस्से से आग बाबूला हो जाती. उसका बस चलता तो ऐसे इंसानों को पैदा होने से पहले ही मार डालती. वो अपनी ही धुन में खोई हुई चल रही थी कि पीछे से उससे किसी ने आवाज़ मार. पीछे मूडी तो देखा के दिया है.

"हाई तान्या. क्या हाल.. वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़"

"मुझे देख कर सर्प्राइज़.. वेट टिल यू सी युवर आशिक़"

"डोंट टेल मी... बिट्टू भी इसी कॉलेज में है.."

"हां.. सुबह से 3 बार तुम्हारे बारे में पूछ चुका है... मैं तो हैरान हूँ कि अभी तक तुमसे मिला नही"

"ढूँढ तो मैं भी उसे रही थी.. फिर मुझे लगा शायद इस कॉलेज में नही होगा"

"डोंट टेल मी दिया... तुम कैसे उसे अपना दिमाग़ खाने देना चाहती हो.."

"बस ऐसा ही है... और बताओ.. तुम्हें कहीं ड्रॉप कर दूं..."

"हां प्ल्ज़, मुझे लॅडीस हॉस्टिल ड्रॉप कर दो" तान्या ने कहा और दिया के पीछे पीछे उसकी कार की तरफ चली गयी

वापस हॉस्टिल जाते हुए बिट्टू को फिर से रोहित दिखा. बिट्टू उसके पास गया और साथ साथ वो दोनो हॉस्टिल चलने लगे. उनके साथ एक और बंदा था जिस से रोहित नोन स्टॉप किसी सब्जेक्ट के बारे में बात कर रहा था. "कैसे लोग है यार यह.. कॉलेज में पढ़ कर मॅन नही भरा तो अब भी पढ़ाई की बात कर रहे हैं" उसने सोचा.. सारा रास्ता बिट्टू चुप रहा. जो रास्ता सुबह जल्दी से कट गया था, वो उसको जीटी रोड जैसा लग रहा था अब.. ऐसा लग रहा था कि घंटों से चल रहा है पर हॉस्टिल नही आ रहा था. उपर से रोहित और जॅक की बकवास. जैसे ही हॉस्टिल आया और जॅक अपने रूम की तरफ बढ़ा, बिट्टू ने रोहित का हाथ पकड़ लिया. "रोहित यार मेरे रूम में आ. तुझसे बहुत इंपॉर्टेंट बात करनी है" उससे कहा और उसको खीच के अपने रूम में ले गया.

रोहित हैरान था कि ऐसी कौन सी बात करनी है बिट्टू को. फिर उसको लगा कि शायद कल रात के बारे में बात करनी हो. उसने पहले ही सोच लिया था कि सारा ब्लेम गांजे पे डाल देगा. रूम के अंदर पहुँच कर बिट्टू ने अंदर से रूम लॉक कर दिया

"बिट्टू तुम मेरा रेप तो नही करने वाले ना"

"अबे तुझे मैं गे लगता हूँ? और वैसे भी रोहित नाम वाले लोग गे होते हैं. चल उधर बैठ जा" कहते हुए बिट्टू कुर्सी पर बैठ गया. "यार कल रात जो मैने देखा, मुझे नहीं लगता कि वो गांजे का असर था."

"अबे पागल हो गया है क्या तू. तुझे क्या लगता है कि मैं सच मुच उड़ सकता हूँ?"

"हां मुझे यही लगता है. और यह भी लगता है कि तुम उड़ने की ही प्रॅक्टीस कर रहे थे जब मैं उपर आया. यार मैं शकल से मूरख लगता होऊँगा, हूँ नहीं."

"यार कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है यार. तुझे कैसे लग सकता है कि मैं कुछ ऐसा कर सकता हूँ जो और कोई इंसान नही कर सकता"

"क्यूंकी मैं भी कुछ ऐसा कर सकता हूँ"

"क्या बकवास कर रहा है" रोहित ने हैरानी से पूछा

जवाब में बिट्टू ने टेबल से चाकू उठाया और अपनी एक उंगली के आगे का छोटा सा हिस्सा काट दिया. देखते ही देखते उंगली में से खून निकलने लगा. 2-3 सेक बहने के बाद रोहित ने देखा कि बिट्टू की उंगली का घाव अपने आप ठीक हो गया और वो उंगली बिल्कुल पहले जैसी हो गयी. हैरानी में रोहित का मूह खुले का खुला रह गया. "यह देखकर तुझे लग गया होगा कि तू अकेला इंसान नही है जो स्पेशल है. प्लीज़ यार. एक दोस्त होने की हैसियत से बता दे. मैं सच हूँ या ग़लत"

"यह क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है मुझे कुछ नही पता बिट्टू.. तुम्हारा घाव ठीक कैसे हो गया?"

"बात को बदल मत रोहित"

"मुझे नहीं पता कि मैं उड़ सकता हूँ कि नहीं. पर हां.. मुझे यह लगता ज़रूर है कि मैं उड़ सकता हूँ"

"आज रात को 9 बजे छत पे मिलते हैं. लेट्स सी अगर हम तेरी पवर को डेवेलप कर पायें" बिट्टू ने एक लंबी सास छोड़ते हुए बोला

दिया को रात में नींद नही आई. वो बस करवटें बदलते बदलते बिट्टू के बारे में सोच रही थी. इतने बड़े टोरोंटो में, वो दोनो एक ही कॉलेज में है, ऐसा कोयिन्सिडेन्स तो नही हो सकता. शायद भगवान चाहता ही था कि वो और बिट्टू भी एक दूसरे से मिले. उसने सोचा कि कल जाते ही सबसे पहले बिट्टू को ढूँढेगी कॉलेज में.

"बेटा खाने के लिए आ जाओ"

"हां माँ आई" दिया ने बोला और झट से नीचे पहुँच गयी

"बेटे कैसा गया पहला दिन कॉलेज में" खाने की टेबल पर उसके पापा ने पूछा

"ठीक गया पापा."

"बेटा एक बात पूछूँ.. जब से तुम वापस आई हो, इतना गुम्सुम क्यूँ रहती हो.. आज भी कॉलेज से आ कर सीधा अपने रूम में चली गयी...सब ठीक तो है ना"

"पापा मैं आप लोगों को 10 बार कह चुकी हूँ कि सब ठीक है. क्यूँ दिन रात एक ही बात के पीछे पड़े रहते हो. क्या ज़रूरी है कि कुछ हुआ हो तभी मैं यहाँ आई हूँ?"

"बेटा इस तरह से सब छोड़ छाड़ के आ जाना तो सब ठीक होने की तरफ इशारा नही करता"

"क्यूँ एक बात के पीछे पड़े हुए हो... बोल दिया कि नहीं है तो नहीं है कोई प्राब्लम" दिया ज़ोर से चीखी और खाना छोड़ कर उपर चली गयी. 

"अर्रे बेटा खाना तो खा ले. ऐसे क्यूँ नाराज़ होती है" उसके पापा ने पीछे से बोला. "अर्रे यह बत्ती को क्या हो गया... लगता है फ्यूज़ उड़ गया... अब खाने के बाद फ्यूज़ ठीक करना पड़ेगा"

दिया अपने रूम में गयी और अपने पलंग पर लेट गयी... उसके माँ बाप बार बार उसको वो रात याद दिलाते थे. वो ना चाहते हुए भी फिर उस डर और असहयता को एक्सपीरियेन्स करती थी. पहले तो उसको करेंट के झटके भी लगते थे, पर अब उसने उनको कंट्रोल करना सीख लिया था. लेकिन हर बार उसको अपनी पवर किसी चीज़ पे कॉन्सेंट्रेट करनी पड़ती थी. अभी कल प्लॅंट्स में आग लग गयी थी और आज फ्यूज़ पिघल गया. यह क्यूँ हो रहा है उसको नही पता था. पर जब भी उसके अंदर करेंट पैदा होता और वो उसे बाहर फेंकती तो उसको एक अच्छी सी पवर का एहसास होता. उसको लगता कि वो अब उतनी असहाय नही है जितनी उस रात थी. बस वो यही सोच रहही थी कि काश, उस दिन वो उस दरिंदे से बच पाती किसी तरह तो आज शायद उसकी ज़िंदगी इतनी उदास नही होती. उदासी में वो बाहर झाँक रही थी और झाँकते झाँकते कब सो गयी, उससे पता भी ना चला.
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08-23-2018, 11:29 AM,
#20
RE: Antarvasna परदेसी
"हां तो रोहित. कॉन्सेंट्रेट. तुझे हल्का महसूस हो रहा है... तू चलते चलते बहुत हल्का हो रहा है. अब तू हवा में उड़ रहा है... अब तू नीचे देख..."

"अबे तू क्या मुझे हाइप्नटिज़ कर रहा है हिन्दी फिल्मों की तरह?? ज़मीन पर ही हूँ मैं"

"यार मैं तेरी मदद कर रहा हूँ और तू ऐसे कर रहा है... कोशिश कर ना..."

"नही होती मुझसे और कोशिश."

"अबे तो कल कैसे हवा में चल रहा था... गांजा ख़तम है नहीं तो अभी तेरी नसों में घुसेड देता मैं.. तू उड़ बस.. मैं नही जानता"

"अबे मैं कोई रिमोट कंट्रोल्ड प्लेन नहीं हूँ जो ऐसे ही उड़ जाउन्गा"

"देख तू उड़ नहीं तो मैं फिर से अपना हाथ काट लूँगा. फिर खून को देख कर तुझे उल्टी होगी... तू जब तक नही उड़ेगा मैं तब तक ऐसा ही करता रहूँगा"

"शट अप बिट्टू.. क्या बच्पना है... नहीं उड़ा जा रहा मेरे से मैं क्या करूँ"

"क्या मैं तुझे नीचे धक्का दूं?? अपने आप उड़ जाएगा"

"और अगर नही उड़ पाया तो?"

"तो यमराज आ के उड़ा लेगा तुझे" कहता हुआ बिट्टू हँसने लग गया. 

"तुझे हर वक़्त मज़ाक ही क्यूँ सूझता है यार? चल बहुत ठंड लग रही है, अंदर चलते हैं" असल में बात यह थी कि रोहित बिट्टू के सामने उड़ना नही चाहता था. वो नहीं चाहता था कि बिट्टू को पता लगे कि वो भी एक आम इंसान नही है. बिट्टू की हरकतें उसे अभी भी कोई ट्रिक लग रही थी. उससे नहीं लग रहा था कि बिट्टू अपनी उंगली काट रहा है. उसको लगा शायद वो कोई नयी ट्रिक सीख के आया है और उसको मूरख बना रहा है... "वैसे बिट्टू तू है कौन सी जगह से" रोहित ने पूछा तो पाया कि बिट्टू उसके पास नही है. उसने पीछे मूड के देखा तो बिट्टू छत की एड्ज पे खड़ा नीचे देख रहा था

"रोहित तेरे को पता है कि अगर मैं यहाँ से कूद गया, तो नीचे गिर के मुझे कुछ नही होगा"

"बिट्टू फालतू के काम मत कर और चुप चाप नीचे चल"

"अर्रे मैं सच कह रहा हूँ. यह देख" कह कर बिट्टू ने छलाँग मार दी

"बिट्टू...." रोहित ज़ोर से चिल्लाया और उसके पीछे दौड़ा. बिट्टू नीचे गिर रहा था. उसकी आँखें बंद थी. जब काफ़ी देर तक वो ज़मीन से नही टकराया तो उसने अपनी आँखें खोली

"हे हे हे.. उड़ गये ना फिर तुम. चलो मुझे वहाँ ले कर चलो" बिट्टू ने इशारा करते हुए कहा

"दिमाग़ खराब है तेरा बिट्टू. कहते हुए रोहित उसे ले कर वापस छत की तरफ बढ़ा"

"कसम है तुम्हें अपने प्यार करने वालों की रोहित, मुझे वहाँ ले कर चलो" बिट्टू ने फिर इशारा करते हुए कहा

"क्या है वहाँ बिट्टू जिस के लिए तू अपनी जान तक पे खेल गया"

"मेरी जान है वहाँ. आज ही कॉलेज के डेटबेस में हॅक करके उसका अड्रेस निकाला है. चल ले चल ना यार. एक पल भी नही रहा जाता अब उसको देखे बिना."


"पागल हो गया है तू बिट्टू."

"हां हो तो गया हूँ. लेकिन थोड़ा सा. चल उस बिल्डिंग के आगे से राइट टर्न ले लेना... और हां थोड़ा उपर उड़ ताकि कोई हमें देख ना ले" बिट्टू ने उसे गाइड करते हुए कहा

"बिट्टू मेरे से और नही उड़ा जा रहा बिट्टू. मैं थक गया हूँ"

"अर्रे बस पहुँच गये मेरे यार. होसला रख"

"अबे होसला क्या रख साले. गधा हूँ मैं जो मेरी पीठ पर इतना भारी समान लाद दिया"

"अर्रे तू मुझे समान मत कह. चल मैं तेरा मनोबल बढ़ाता हूँ गाना गा के"

"अबे बकवास मत कर.."

"तू जहाँ, जहाँ रहेगा, मेरा साया साथ होगा...."

"अबे यह क्या गाने गा रहा है... इससे कोई मनोबल उठेगा क्या"

"अबे बहुत हिट गाना है अपने टाइम का. कोई ममता कुलकर्णी का रापचिक आइटम सुनाऊं क्या"

"बिट्टू मेरे से सच में ... नही.. हो रहा" कहते हुए रोहित ने झट से नीचे हो कर छत का एंड पकड़ लिया और उसपे लटक के उपर खिच गया. अब बिट्टू बेचारे को पता भी नही था कि ऐसा होने वाला है. वो मज़े से रोहित की पीठ पे लदा हुआ था और कि अचानक से रुक जाने के कारण धम्म से उसकी पीठ से नीचे गिरा. कम से कम 10 मीटर की उचाई से वो नीचे गिरा. 

"कौन है वहाँ..."घर के अंदर से आवाज़ आई. बिट्टू की आँखों के सामने तारे नाच रहे थे. सर पे चोट ज़ोर की लगी थी. थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा फिर खड़ा हो गया. "कौन है वहाँ, बाहर निकलो" फिर वो आवाज़ आई. बिट्टू को लगा कहीं वो आदमी गोली वोलि ना चला दे तो चुप चाप बाहर निकल गया.

"जी मैं बिट्टू हूँ. कोई चोर नही है. हाथ मेरे उपर ही हैं. प्लीज़ गोली मत चलना"

"यह तुम उपर से कहाँ से गिर रहे थे ??"

"जी मैने सोचा संतरे का पेड़ है. मूड हो रहा था खाने का तो चाढ़ गया"

"पर यह संतरे का पेड़ नही है"

"हां. उसपे तो बॅलेन्स की आदत है. ये कोई और पेड़ है इसलिए नीचे गिर गया. आप गोली मत चलाना"

"मेरे हाथ में बंदूक नही टॉर्च है. घर का फ्यूज़ उड़ गया है. वोही चेक करने आया था. तुम्हें फ्यूज़ ठीक करना आता है"

"अर्रे बिल्कुल आता है. मैने तो फ्यूज़ में ही पला बढ़ा हूँ. दिखाओ इधर" बिट्टू ने चैन की सास ली और लगा फ्यूज़ देखने.

"यह तो पूरा पिघल गया है.. नया लेना पड़ेगा सर जी आपको"

"अब इतनी रात में नया कहाँ से लाउ... यह तो कल सुबह ही हो सकता है अब.. लगता है रात अंधेरे में ही काटनी पड़ेगी"

"अर्रे हॅव नो फियर व्हेन बिट्टू ईज़ हियर... मैं डाइरेक्ट कनेक्षन कर देता हूँ.. मीटर की तार निकाल के... बहुत किया है गाओं में... लेकिन सुबह ठीक कर देना. गाओं में चलता था.. यहाँ किसी को पता चल गया तो कहीं फासी ना हो जाए"

"हां हां कर दूँगा. तुम लगाओ तो सही"

"अर्रे आप टॉर्च की लाइट मारो तो सही, ऐसे थोड़े लगेगा." बिट्टू ने कहा और लग गया काम में. 5 मिनिट में घर में बत्ती आ गयी. "लो जी हो गया. आप भी क्या याद रखोगे. घर मे संतरा है क्या?? मूड कर रहा है थोड़ा"

"हां हां अभी ला देता हूँ. अंदर ही क्यूँ नही आ जाते."

"अर्रे वाह आप तो बड़े बहादुर हो. किसी अंजान लड़के को ऐसे ही घर में घुसा दोगे संतरे के लिए..."

"शकल से तुम वैसे ज़्यादे बड़े चोर नही लगते.. और घर में मेरे पास बंदूक भी है" हँसते हुए उस आदमी ने कहा.."आ जाओ अंदर"

"संतरे के लिए तो मैं छत से कूद जाउ, यह घर में आना कौन सी बड़ी बात है.. चलिए... आज आपके घर का संतरा भी चख ही लेते हैं" बिट्टू ने कहा और पीछे पीछे हो लिया.
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