महारानी देवरानी
08-06-2023, 09:49 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 44 B

बलदेव  महारानी  इश्क़  में आगे बढ़ने लगे 


बलदेव देवरानी के कान में बोलता है।

"2 मिनट मिले नहीं कि तुम फिर से साडी पहन के दुल्हन बन गई । पता है ना मैंने कितनी मुश्किल से खोली थी।"

देवरानी उसके लंड पर चूत को रगड़ते हुए!


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"तुम्हारा क्या है। खोल कर चले गए! पहनने में टाइम लगता है।"

बलदेव: तुम मुझे सीखा दो मैं तुम्हें रोज पहना दूंगा और निकाल भी दिया करूंगा।

और कस के दबोच के "हम्म क्या तगड़ी माल हो! बाहो में पूरी भर गई हो!"

"क्या कहा कमीने में कोई माल नहीं रानी हूँ!"

बलदेव अब उसको अपनी बाहो में कस कर पलट देता है।

देवरानी बलदेव के सर पर हाथ फेर रही थी और बलदेव अपने बड़े 9 इंच के लंड को देवरानी के पेट पर घिस रहा था।

देवरानी इतने बड़े लंड के स्पर्श को पहली बार अहसास कर थोड़ी भयभीत थोड़ी उत्तेजित भी थी।

देवरानी: तुम कितनी प्यारी लग रही हो। बदन का अंग-अंग मुड़ गया!

बलदेव: अब आदत डाल लो रानी बदन का अंग-अंग ही नहीं एक-एक नस ढीली कर दूंगा और वैसे भी तुम कौन-सी नाज़ुक हो इतनी भारी हो!

देवरानी: क्या कहा तुमने मुझे मोटी कहा।


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देवरानी अपनी ताकत लगा कर अपने ऊपर लेटे बलदेव को ले कर पलटी है और वह अब ऊपर आ जाती है।

देवरानी: चल मोटू तो तू है।

बलदेव फ़िर से देवरानी की चूत पर लंड रगड़ते हुए।

"ताकत दिख रही है। मोटी, अभी बताते हैं" और फिर देवरानी को ले कर के पलट जाता है।

देवरानी फिर से एक बार बलदेव को ले कर पलट जाती है।

बलदेव: बस मेरी रानी!


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बलदेव अब देवरानी का सर अपने हाथ पर रख कर उसके साथ चिपक कर लेट जाता है।

और अपने पैर अपनी माँ के पैरो के ऊपर रख लेता है।

एक हाथ कमर पर रख कर बोलता है ।

बलदेव: तुम सही में घोड़ी हो गई हो!

देवरानी: और तुम घोड़े हो गए हो!

बलदेव: मैं शेर हू!

देवरानी: बड़ा आया शेर!

बलदेव: वह तो पता चलेगा!

देवरानी: हाँ वह तो वक्त बताएगा कि कौन कितने पानी में है। हुंह!

बलदेव को जैसे ये बात ललकार देती है और वह देवरानी के ऊपर आ जाता है। एक हाथ से कमर पकड़ कर दूसरे हाथ से अपनी माँ के कंधों को बड़ी जोर से दबाता है।

"उहह आआआह बलदेव!"


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बलदेव धीरे-धीरे अपने हाथ को उसके स्तनों के बीच में ले जाता है और एक उंगली अपनी माँ के पहाड़ों के बीच रख कर नीचे करता है, जिस से देवरानी का ब्लाउज थोड़ा खुल जाता है और उसका वक्ष का कटाव देख बलदेव अपना जबान अपने होठो पर फेरता है।

देवरानी "उहह आआआह नहीं बलदेव!"

बलदेव का हाथ पर वह हाथ रख कर ईशारे से मना करती है।

देवरानी अब एक हाथ से बलदेव का हाथ पकड़े हुए थी और दूसरे हाथ को बलदेव के कंधे पर रखे हुए थी।

बलदेव अपना दूसरा हाथ देवरानी के कंधे पर रख अपने मुंह को देवरानी के पेट के पास लाता  है और अपने जबान से चाटने लगता है।

देवरानी: "उह्ह्ह्ह! आआआआआह! बलदेव!" इश्ह्ह! "

देवरानी आख बंद कर के मजे लेने लगती है और बलदेव अब देवरानी पर पूरा छा जाता है।


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और देवरानी के गाल पर चूम कर!

"मां क्या रसगुल्ले जैसे गाल हैं। तुम्हारे!"

अब बलदेव अपनी माँ की गर्दन पर चूमते हुए नीचे अपनी माँ के चूत पर अपना लंड बैठाता रहता है। अभी दोनों माँ बेटे का लंड और चूत पानी-पानी हो गया था।

बलदेव अब सीधा अपनी माँ के बड़े स्तनों पर धावा बोलता है और अपना मुँह उनके बीच में डाल देता है।

"उहह! आआआआहह! बलदेव।"

"इश्श मुझे कुछ हो रहा है। बलदेव!"

और एक धार गाढ़े पानी की देवरानी की चूत से छूटती है और साडी के अंदर पेटीकोट को भीगा देती है।

"आआआआ! हुउउहुहू ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बलदेव अह्ह्ह हे!" और तीन चार गाढ़े पानी की धार देवरानी की चूत से छूट गई।

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वो अपने आखे मूंदे हुए बलदेव का पीठ सहला रही थी और उत्तज़ना में डूबी हुई थी।

बलदेव: मेरी रानी! ये तुम्हारे होठ गुलाब जैसे हैं। खिले हुए लाल गुलाब, तुम्हारी झील-सी आँखों में देख डूब जाने का मन करता है।

देवरानी: आओ डूब जाओ मेरे प्रेमी!

देवरानी के दोनों दूध का आकार बढ़ कर दुगना हो चूका था ।

बलदेव अब अपने होठ उसके गर्दन से लेते हुए उसके होठो तक ले रहा था...!

तभी दोनों चौंकते हैं।

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"देवरानी ओ देवरानी!" "कहा हो इतने घंटो से?"

देवरानी आख खोल कर देखती है। उसे ऐसा लगता है जैसे वह कोई सपना देख रही थी और नींद से जगी है। पर उसके ऊपर लेटा बलदेव गुस्से में देख रहा था।

बलदेव: अब कौन है?

देवरानी: ये सृष्टि है। उठो जल्दी!

बलदेव लंड तो ठीक करते हुए उठता है।

"अब क्या करु बलदेव क्या कहूंगी तुम्हारी बड़ी माँ को?"

"बलदेव ऐसा करो तुम ये कम्बल ओढ़ के सो जाओ आख बंद किये रहना!"

देवरानी झट से जा कर अपनी साडी सही करती है। वह देखती है कि उसकी चूत से बहा पानी उसके साडी के ऊपर से भी दिख रहा है और उसकी गर्दन चाटे जाने के कारण से पूरी लाल है।

वो अपनी गर्दन थोड़ा साफ़ करती है और अपनी साडी के उस भाग को छुपाती है जो उसकी चूत का पानी से भीग गयी थी और जा कर दरवाजा खोलती है।



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देवरानी: अरे आप आइए ना!

सृष्टि: इतने देर से क्यू नहीं खोल रही थी!

देवरानी: वो दीदी मैं श्लोक पढ़ रही थी और आप तो जानती हैं, बिना पूरा पढ़े बीच में खड़े से कितना पाप होता है। इसीलिए पूरा अध्याय पढ़ कर उठी हू।

शुरष्टि की नज़र देवरानी की अस्त व्यस्त कपडो पर जाती है।

शुरुआत: (मन मैं) इसके हाल से लग तो नहीं रहा के ये कोई पूजा अर्चना कर रही थी।

तभी उसकी नज़र देवरानी के पेट पर जाती है। जो बलदेव के चाटने की वजह से भीगा हुआ था।

सृष्टि: देख के तो ऐसा लगता है, जैसे तुम सो कर उठी हो थकी-सी लग रही हो।

देवरानी: वो दीदी अब पूजा अर्चना में इतनी देर हो जाती है कि दुनिया का पता नहीं रहता।

शुरष्टि: अच्छा ठीक है। वह तो मैंने सोचा कि तुमसे प्रसाद ले आउ, क्योंकि आज सुबह तुमने प्रसाद नहीं दिया था और मैंने बोला था कि मैं प्रसाद लेने आउंगी ।


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देवरानी: अरे हाँ! दीदी मेरे तो ख्याल से ही निकल गया।

 (मन मैं) कामिनी तेरी वजह से मेरे प्रेमी का और मेरा प्रेम खेल रुक गया।

"दीदी मैंने आपके लिए रखा है, ये लीजिये प्रसाद!"

तभी सृष्टि की नज़र लेते हुए बलदेव पर पड़ती है।

सृष्टि: ये बलदेव यहाँ क्यूँ सो रहा है?

देवरानी: (मन में) अब तुम्हें क्या बताऊँ की तुमने मुझसे मेरा पति भी छीन लिया था, अब बेटा भी चाहिए। चुड़ैल! चैन से सोने नहीं देगी!

"दीदी वह बलदेव के पेट में दर्द था तो मैंने उसे काढ़ा पिलाया तो उसे यहीं नींद आ गई तो सो गया"

श्रुष्टि: हममम!

देवरानी: अब छोटा तो नहीं है। ये जो उठा के उसे उसकी कक्ष में लेटा दो!

श्रुष्टि: हं बस-बस बस!

सृष्टि जाने लगती है।

"अगर मैं सही हूँ तो क्या सही में इन दोनों में कुछ ... छी! में भी क्या सोच रही हूँ!" ये सोचते हुए सृष्टि जाने लगती है। फिर कुछ सोच कर दरवाज़े पर रुक कर देवरानी ज़रा मेरे कमरे में चलो ना।

देवरानी: क्यू दीदी?

सृष्टि: तुमसे थोड़ा पकवान बनाने का गुण सीखना था।

देवरानी: (मन में) अब मैं इसके साथ नहीं गयी तो ये पक्का शक करेगी!



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"हा चलो दीदी!"

और फिर दोनों चल देते है...

जारी रहेगी
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08-06-2023, 09:50 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 45-A

एक मर्द का साथ 



पलंग पर लेटा हुआ बलदेव अपनी माँ को जाते हुए देखता रह जाता है। कैसे उसकी बड़ी माँ ने उसका पूरा मजा किरकिरा कर दिया था और सृष्टि वहाँ से देवरानी को ले कर चली गई थी।



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"ये बड़ी माँ को तो सुकून ही नहीं है, माँ को थोड़ा-सा भी ख़ुश नहीं देख सकती हैं । मेरी रानी की इन लोगों ने आधी ज़िन्दगी बरबाद कर दी है। अभी उनकी आधी ज़िन्दगी बाकी है, उसे मैं इन लोगों को बरबाद नहीं करने दूंगा।"

अब तक बलदेव का लंड शांत हो चुका था और वह बुझे मन के साथ बाहर आता है। तो देखता है, उसकी माँ और बड़ी माँ दोनों रसोई में है।


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देवरानी देखती है। के बलदेव का चेहरा उतरा हुआ है और वह रसोई में काम करते हुए "बलदेव उठ गए तुम, तुम्हारे लिए आज क्या बनाऊँ?"

सृष्टि भी वही पर थी।

बलदेव: हाँ!

बस इतना कह कर मुंह लटकाए सीढ़ी पर चढ़ने लगता है।

शुरष्टि: अरे देवरानी इसको क्या हुआ?

देवरानी: मुस्कुरा कर"क्या होगा इसे अभी तो सो कर उठा है। ना"

! (मन में) इसे प्यार हो गया है।


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सृष्टि: परंतु फिर भी देवरानी उसने अपना मुँह बना रखा है और तुम्हारी बात का ठीक से जवाब भी नहीं दिया!

देवरानी: वह उसकी तबीयत ख़राब है। इसलिए!

 (मन में) वह भले से नहीं बोला पर मुझे उसके जज़्बात समझ आ गए हैं ।

सृष्टि हाँ! हो सकता है। वही तो मैं बोलू बलदेव जैसा मेहनती लड़का भरी दोपहरमें क्यू सो रहा है।

इस बात पर देवरानी शर्म से सर झुक कर मुस्कुरा देती है। (मन ही मन) "ये लड़का तो वैसे मेहनत ही कर रहा था, पर अपनी माँ पर!"

देवरानी अपने मन में बड़बड़ाती है।

सृष्टि: क्या?



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देवरानी: नहीं कुछ नहीं, मैं कह रही थी जल्दी से खाना बना लेती हूँ आप जाओ कमला को भेज दो!

सृष्टि (बुदबुदाती है) : क्या बात है। आज मेरी सौतन मुझे खाना नहीं बनाने दे रही है और पहले हमेशा मेरे से काम करवाने के लिए तुनकती थी । आज ये उल्टी गंगा कैसे बह रही है।

देवरानी: क्या कहा दीदी?

शुरुआत: कुछ नहीं, मैं जाती हूँ । कमला जो भेज दूंगी।

शुरष्टि चली जाती है और देवरानी अपने काम में लग जाती है।

"ये बलदेव भी ना एक पल भी मेरे बिना नहीं रहता। आज मुझे महसुस हुआ कि एक मर्द का साथ क्या होता है और एक औरत के जीवन में पुरुष का काम क्या है।"

"ये राजपाल ने तो जीवन भर कभी ना मुझे खोजा, ना पूछा, ना प्यार किया । सबका बदला लेगा मेरा बलदेव।"

और मुस्कुराती है। तभी वहाँ कमला आ जाती है।


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कमला: हाय बन्नो तो बड़ी मुस्कुरा रही है। लगता है। तुम्हारे दरिया में गोते लगा लिए बलदेव ने।

देवरानी देखती है। सामने कमला खड़ी हो कर उस पर ताने कस रही थी।

देवरानी: चुप कर कमिनी।

कमला: हा-हा अब मुझे क्यू बताओगी दुश्मन जो हू।

देवरानी: ऐसा नहीं है। कमला!

कमला: तो फिर बताओ ना उद्घाटन हो गया क्या?

देवरानी एक दम शर्म से लाल हो जाती है।

देवरानी: पागल वह सब नहीं हुआ।

कमला: क्या सब नहीं हुआ, दरवाजा लगा के भारी दोपहर में, घंटो भर अंदर थे तुम दोनों, और कहते हो कुछ नहीं हुआ। बुरबक समझी हो?


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देवरानी: अरे कहा ना कमला वैसा कुछ नहीं हुआ।

कमला: तो क्या अंदर बैठ कर क्या पूजा अर्चना कर रही थी और पाठ पढ़ा रही थी।

देवरानी: ऐसा नहीं है। वह तो बस ऊपर-ऊपर से...

फिर देवरानी अपना सारा झुक लेती है वह मारे शर्म के गड़ी जा रही थी।

कमला: अच्छा तो बस रगड़ा रगड़ी हुई है। , खूब कस के रगड़ा है, बलदेव ने। देखो अब तक गर्दन लाल है।



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देवरानी ये सुन कर अपने पैरो के अंगूठो को उंगली पर रख कर बोली 'बस करो कमला! खाना बनाओ' ! '

कमला: अच्छा ठीक है। महारानी! आपको पता है। महारानी सृष्टि कह रही थी कि बलदेव की तबीयत ख़राब है और तुम अध्याय ख़त्म कर रही थी कक्ष में।

और कमला ठहाका लगा कर हस देती है। जिसे देख देवरानी भी हस देती है।

"अब और क्या कहती?"

देवरानी मासूम बनते हुए कहती है।

कमला: वह तो है। आपने सही बेवकूफ़ बनाया उसे!


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देवरानी: हम्म झूठ बोलना पड़ा!

कमला: हाँ तो क्या बताती की आप किसी और भक्ति में लीन थे, और वैसे भी जीवन में कुछ पाने के लिए और खास कर आज के समय तो झूठ बोलना ही पड़ता है।

देवरानी: हम्म!

कमला: कुछ अच्छा होने के लिए कुछ बुरा करना संसार का नियम है। देवरानी!

और तुम इस नियम को जितना जल्दी सीख जाओ उतना अच्छा है। नहीं तो लोग सिर्फ तुम्हारा इस्तेमाल करेंगे। तुम्हारे लिए कोई कुछ नहीं करेगा।



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देवरानी: हाँ कमला अब मुझे अपने जीवन में खुशी के लिए किसी के भरोसे नहीं रहना है। खुद करना है। जो करना, सबने अपनी खुशी के लिए. मेरी खुशी का गाला घोंटा तो सही । तो अब मैं क्यों किसी नियम और समाज का सोचूं । मैं तो किसी की खुशीयो का गला तो नहीं घोट रही हूँ और अगर जरुरत पड़ी तो मैं वह भी करूंगी क्यू के मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है।

कमला: आपका बलदेव सब ठीक कर देगा अब ज्यादा मत सोचिए महारानी!

देवरानी: सुनना

देवरानी कमला के कान में कुछ कहती है।

फिर दोनों मिल कर खाना तैयार करते हैं और कमला बारी-बारी से सबको खाना तैयार होने का सुचना दे देती है।

सृष्टि जीविका देवरानी बलदेव सब मिल कर खाने लगते हैं। क्यू के आज राजपाल रात तक ही वहा आने वाला था।

सब चुप चाप खा रहे थे।

देवरानी के सामने बलदेव बैठा अपना सर झुकाए खा रहा था पर अपना सर उठाने का नाम नहीं ले रहा था।

देवरानी: (मन में) रूठ गया मेरा कन्हैया ।


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सृष्टि: कमला और सब्जी लाओ ।


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08-06-2023, 09:58 AM,
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अपडेट 45-B

एक मर्द का साथ 



पलंग पर लेटा हुआ बलदेव अपनी माँ को जाते हुए देखता रह जाता है। कैसे उसकी बड़ी माँ ने उसका पूरा मजा किरकिरा कर दिया था और सृष्टि वहाँ से देवरानी को ले कर चली गई थी।



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सृष्टि जीविका देवरानी बलदेव सब मिल कर खाने लगते हैं। क्यू के आज राजपाल रात तक ही वहा आने वाला था।

सब चुप चाप खा रहे थे।

देवरानी के सामने बलदेव बैठा अपना सर झुकाए खा रहा था पर अपना सर उठाने का नाम नहीं ले रहा था।

देवरानी: (मन में) रूठ गया मेरा कन्हैया ।


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सृष्टि: कमला और सब्जी लाओ ।

कमला: अभी लाई!

कमला सब्जी ले कर आती है।

कमला: लगता है आपको बहुत अच्छी लगी।

सृष्टि: हा स्वादिष्ट तो है। आज का पनीर किसने बनाया?

कमला: बनाया तो मैंने पर तेल मसाला सब महरानी देवरानी के हिसाब से था।

सृष्टि; ओह!


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देवरानी अभी भी बलदेव को देखे जा रही थी और वह अपना सारा झुकाए धीरे-धीरे खा रहा था।

बलदेव को गमशुम देख अब देवरानी का भी चेहरा उतर जाता है।

देवरानी: बलदेव ये सब्जी लो ना तुम्हें तो ये पसंद है।

बलदेव चुप रहता है।

देवरानी चमचे से उसकी थाली में रखने वाली थी कि वह अपने हाथ से चमचे को पीछे करता है।

जिसे देख देवरानी वापस सब्जी कटोरे में रख देती है।

बलदेव उठ जाता है और हाथ धो कर महल के बाहर जाता है।


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देवरानी कमला को इशारा करती है की रोको बलदेव को, उसने ठीक से खाया नहीं है।

कमला: अरे! युवराज आप ने बहुत कम खाया। हमने आपका मनपसंद पनीर बनाया था।

बलदेव: बस मेरी खुराक कम है। मेरा इतने से वह पेट भर जाता है, अब चाहे वह कोई भी चीज़ हो।

फिर एक बार देवरानी को तिरछी नज़र से देखता है और फिर पलट कर महल के बाहर जाने लगता है।

देवरानी जो गुमसुम थी अब हल्का मुस्कुरा की शरारत से "जितना खायेगा बलदेव उतना खिलाऊंगी ना, क्यू घबराता है और जिस दिन मुझे लगा कि तेरा मन मेरे से भर गया उस दिन बताऊंगी । आज बड़ा भाव खा रहा है।" (देवरानी मन में अपने आप से बात करती है) 

भोजन के बाद सब जा कर अपनी-अपनी कक्षा में कुछ समय विश्राम करने के लिए जाते हैं। पर देवरानी अब भी बरतन हटा कर वही बैठी हुई थी।

कुछ देर में बलदेव उसे वापस आता हुआ दिखायी देता है।


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" कितने मुछो पर ताव दिए हुआ है जैसे मैं इसकी पत्नी हूँ और इसको अपने पत्नी से मिलन नहीं करने दे रहे हैं । 

पर प्यार भी तो मुझसे ही करता है ना। "


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देवरानी बलदेव को देखते हुए सीढियो पर चढ़ने लगती है। जिसे अंदर आता हुआ बलदेव देख लेता है।

"ये माँ को क्या हुआ वह ऊपर क्यू जा रही है।"

बलदेव बस माँ को ही देखे जा रहा था जो एक बलखाती नागिन-सी सीढ़ियों से ऊपर जा रही थी।


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जैसे हे देवरानी को लगा के बलदेव उसे घुर रहा है। वह अपनी गांड को मटकती है।

देवरानी के दोनों बड़े चुतर को यू मटकता देख बलदेव से रहा नहीं जाता।

बलदेव (मन में) : "ये गांड बहुत मटका रही हो रानी जब इसे अपने मुसल से कुटूंगा तो पता चलेगा"।



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देवरानी (मन में) ; अब तो बलदेव का बच्चा आएगा ही मेरे पीछे!

और अदा से पीछे मुड़ कर देखती है फिर अपनी गांड पर गुमान करते हुए बलदेव के कमरे में जाती है।

बलदेव भी पीछे-पीछे चोरों की तरह अपनी माँ की गांड का पीछे करते हुए अपने कक्ष में प्रवेश करता है।

बलदेव को उसकी माँ सामने खिड़की पर खड़ी मिलती है। पर उसे अपने पलंग के सामने एक चित्र लटका हुआ दिखता है।




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दीवार पर चित्र में जिस महिला का चित्र था वह कुछ देवरानी जैसी थी, जिसे देख बलदेव समझ जाता है। ये तो माँ का ही चित्र है।

"ये माँ की चित्र कला की कृति किसने बनाई और मेरे कक्ष में कैसे आयी?"

बलदेव देवरानी को देखता है तो पाता है। की देवरानो बड़ी मनमोहक अंगड़ाई की अदा से खिड़की के दोनों ओर अपने हाथ रखे अपनी गांड को फेलाए खड़ी हुई थी।

बलदेव: (मन में) जी तो चाहता है। अभी खड़े-खड़े हे पेल दू पर ये कोई कमजोर माल नहीं है। ऐसी पारसी माल की मलाई खाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी ।


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जालीदार ब्लाउज और साडी में देवरानी के मनमोहक जिस्म को घुर कर बलदेव का लंड सर उठाने लगा तभी देवरानी अपना हाथ पीछे ले जाती है और अपने ब्लाउज का डोरी खोल देती है। जिसे देख फन्नं से बलदेव का शेर हुनकार भरने लगता है। फिर देवरानी एक अदा से बलदेव पर कहर बरपते हुए घूमती है।


जारी रहेगी
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08-06-2023, 10:00 AM,
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महारानी देवरानी


अपडेट 45-C

एक मर्द का साथ 


[Image: SAREE-J.gif]
दीवार पर चित्र में जिस महिला का चित्र था वह कुछ देवरानी जैसी थी, जिसे देख बलदेव समझ जाता है। ये तो माँ का ही चित्र है।

"ये माँ की चित्र कला की कृति किसने बनाई और मेरे कक्ष में कैसे आयी?"

बलदेव देवरानी को देखता है तो पाता है। की देवरानो बड़ी मनमोहक अंगड़ाई की अदा से खिड़की के दोनों ओर अपने हाथ रखे अपनी गांड को फेलाए खड़ी हुई थी।

बलदेव: (मन में) जी तो चाहता है। अभी खड़े-खड़े हे पेल दू पर ये कोई कमजोर माल नहीं है। ऐसी पारसी माल की मलाई खाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी ।


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जालीदार ब्लाउज और साडी में देवरानी के मनमोहक जिस्म को घुर कर बलदेव का लंड सर उठाने लगा तभी देवरानी अपना हाथ पीछे ले जाती है और अपने ब्लाउज का डोरी खोल देती है। जिसे देख फन्नं से बलदेव का शेर हुनकार भरने लगता है। फिर देवरानी एक अदा से बलदेव पर कहर बरपते हुए घूमती है।

देवरानी की ऐसी कातिल मुस्कान और उत्साह से भरे अंदाज़ ने बलदेव की कुछ भी सोचने समझने की शक्ति छीन ली और अब वह हर गुस्सा गिला शिकवा भुला कर देवरानी के पास जाना चाहता था । वह जा कर उससे पीछे से चिपक जाता है।


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बलदेव: मां जान लोगी क्या?

बलदेव उसके कानों में सरगोशी करते हुए कहता हैं। देवरानी आख बंद किये हुए थी।

"और उसका क्या जो दोपहर से तुम मुझ से दूर जा कर मेरे दिल को ठेस पहुँचा रहे थे?"

"माफ़ कर दो मेरी रानी!"

"उहह आआह! मुझे समझ आता है तुम्हारा प्यार! पर तुम शायद ये नहीं जानते बलदेव में इस प्यार के लिए बरसों से तरसी हूँ।"

"मां तो उस दिन राजा राजपाल से क्यू चिपकी थी और खूब हस-हस कर बाते कर रहे थे तुम दोनो।"

"वो मैं गुस्से में थी। तुम्हें बुरा लगा मेरे राजा!"

"हाँ मेरी रानी को कोई और छुए तो राजा को बुरा तो लगेगा! हे ना?"

"पर वह तुम्हारे बाप है। उसकी पत्नी हूँ मैं । अब भी तुम उनकी पत्नी के साथ-साथ छेड़-छाड़ करते हो और अपने पिता को नाम से बुला रहे हो।"

बलदेव अब कस के देवरानी को पीछे से दबा लेता है।


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"इश्श बलदेव!"

"वैसे पिता का क्या जिन्होंने मेरी रानी को जीवन भर तकलीफ दी है। और वह मेरा शत्रु है जिसने मेरी रानी को दुःख दिया ।"

"उहह आआह मेरे राजा! आराम से! अगर तुम्हें उस दिन के लिए बुरा लगा हो तो माफ़ कर दो! वैसे उस दिन भी तुम्हारे पिता जी ने बस मेरे साथ बाते की और फिर उस सृष्टि के कक्ष में चले गए मुझे छोड़ के. आआह!"

"मैं नहीं चाहता कि वह राजपाल तुम्हें छुए भी ।मेरी रानी!"

"बस तुमने कहा मतलब आज के बाद वह राजपाल मेरा कोई नहीं है।"

अब तक गले लगाने से दोनों के जिस्म गरम हो गए थे और दोनों एक दूसरे में समाना चाहते थे।

"वो सब छोड़ो बलदेव बड़े गुस्सा थे आज दिन में और शाम होते ही फिर प्यार आगया मुझ पर?"

"माँ तुम्हारे पास वह सब कुछ है जिससे मैं क्या, कोई भी मर्द किसी की हत्या भी कर दे!"

"उहह सच्ची बलदेव!"

"सच मेरी रानी!"


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बलदेव अब आला आते हुए ब्लाउज के डोरी को हाथ से हटा कर देवरानी के पीठ पर हाथ फेरते हुए।

"क्या पीठ है। तुम्हारी कसम से इसे तो चाटने का मन कर रहा है।"

"तो चाट लो!"


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फिर बलदेव अपना मुँह लगा कर पीठ को चूमता है और पीठ को जबान से चाटते हुए ऊपर आने लगता है।

"उम्म्म्म माँ! क्या दूधिया पीठ है, तुम्हारी!"

"उहह आआह बलदेव! आराम से! पूरा पीठ भीग गयी मेरी कितनी गरम जबान है तुम्हारी!" "आआआआह। उह्ह्ह्ह!"


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बलदेव ऊपर अपने होठ ले कर आता है।

"उहह्म्म्म ओम्म्म्म्म आह मा!"

"उफ्फ्फ बलदेव मेरी जान लोगे तुम अब।"

अगर तुम ऐसे बिजली गिराओगी दिन दिहाड़े तो मैं उसका बदला ऐसे ही लूंगा। "


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"हे भगवान! उफ्फ! घर पर सब है। संयम रखना सीखो! मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ । उह बलदेव!"

बलदेव अब सीधा हो कर देवरानी की गांड पर अपना 9 इंच का लंड चुभा देता है।

देवरानी ने भी अपनी 44 की गांड पर लंड मेहसूस कर आखे बंद कर ली थी ।



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"कैसा लग रहा है। माँ"

"ओह्ह बलदेव! बेशरम आह्ह!"

बलदेव ने नीचे से अपनी माँ को हाथो को अपने कब्ज़े में ले लिया था।

"बोलो ना माँ कैसा लग रहा है।"

"उह बलदेव! अच्छा!" देवरानी अब अपने पेट पर रखे बलदेव के हाथ को अपने हाथ से दबाती है।

"क्या इतना मजा कभी तुम्हारे पति ने दिया?"


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"इस्सस! चुप करो बलदेव! वह मेरी इज्जत नहीं करता मजा तो दूर की बात है।"

"तुम्हें मैंने हृदय से प्रेम किया है, पुत्र! तुम ही मेरे पहले प्यार हो मेरे आशिक!"

"पिता जी को उनकी गलती की सजा मिलेगी1"

"वो क्या मुझे प्रेम करेगा पिछले 18 वर्ष में 18 बार भी मेरे साथ नहीं सोया।"

"क्या माँ? ये क्या कह रही हो तुम?"

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08-06-2023, 10:01 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 45 -D

एक मर्द का साथ 



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बलदेव: मां जान लोगी क्या?




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"इस्सस! चुप करो बलदेव! वह मेरी इज्जत नहीं करता मजा तो दूर की बात है।"

"तुम्हें मैंने हृदय से प्रेम किया है, पुत्र! तुम ही मेरे पहले प्यार हो मेरे आशिक!"

"पिता जी को उनकी गलती की सजा मिलेगी1"

"वो क्या मुझे प्रेम करेगा पिछले 18 वर्ष में 18 बार भी मेरे साथ नहीं सोया।"

"क्या माँ? ये क्या कह रही हो तुम?"

"सच्ची बलदेव वह दुष्ट  18 बार क्या मेरे साथ मिलन करेगा 18 मिनट भी नहीं किया? "

"इसका मतलब तुमने अभी तक 18 बार भी मिलाप नहीं किया?" और बलदेव देवरानी के बालों में नाक लगा कर सुंघता है।


[Image: KIS-POSE.gif]

"नहीं बलदेव में झूठ नहीं कहूंगी । राजपाल ने पहली बार सुहागरात में मुझे कुछ समय दिया। सुहागरात के बाद हम केवल तीन या चार बार मिले।"

"उह माँ उम्हा!" बलदेव उसकी गर्दन पर चूम रहा था "तुम्हारी जुल्फो की ये खुशबू, माँ!"

"उहह आआह! बेटा तुम्हें पता है। तीन चार बार भी मैं ही छुप-छुप के उनके पास गई थी क्यू के उनको कसम थी सृष्टि की तरफ से।"

[Image: back-hug1.gif]
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"मेरे जीवन से खेला है इस सृष्टि ने!"

बलदेव चेतना जारी रखते हुए-हुए पूछता है "मां तुम्हारी आयु कितनी है।"

"उह आह आराम से बेटा! मैं 35 साल की हूं ।"

"अभी बहुत समय है। पश्चिम देशो में तो इस उमर में लोग विवाह करते हैं और वैसे भी मैं पूरे 18 साल का कसर पूरी कर दूंगा।"


[Image: back-hug2.gif]

बलदेव अब धीरे-धीरे अपने लौड़े को देवरानी की गांड की दरार में घुसा रहा था ।

"उह आआह बलदेव!" देवरानी अपनी आंखे बंद कर मजे ले रही थी।

"बलदेव मैं तुम्हें अपना मानती हूँ, दिल से! राजपाल की तरह धोखा ना देना।"

"मैं उसके जैसा बेवकूफ़ नहीं जो तुम जैसी माल के रहते हुए कहीं और मुँह मारू।"

"सब मर्द ऐसा ही कहते हैं।"


[Image: BAL-DEV1.jpg]

बलदेव देवरानी के बाल को खोल देता है।

"माँ तुम्हारा चाँद-सा मुखरा और सुंदर हो गया । तुम्हारी सुराही दार गर्दन! उफ़ माँ तुम्हारी आँखे 1 तुम्हारे होठो की लाली! तुम्हारे ये गाल दूध से चमक रहे है। काट लू!"

"उह! इतना प्यार करता है, मुझे!"

"यकीन नहीं होता तो आज़मा कर देखना कभी।"

"कितना प्यार करते हो मुझसे?"

"अपनी जान से भी ज़्यादा!"

"और तुम मेरी रानी! तुम कितना चाहती हो अपने प्रेमी बलदेव को?"

"इतना कि अब तुम ही मेरे भगवान हो और तुम्हारी इच्छा पूरी करना ही मेरी भक्ति है। बलदेव!"


[Image: back-hug3.gif]

"नहीं माँ पूजा तो मैं करना चाहता हूँ इस संगेमरमरी बदन की। तुम्हें तो मैं रानी नहीं महारानी बना कर रखूँगा और देवी माँ बना कर दिन रात उपासना करूँगा।"

देवरानी बलदेव को मुस्कुराते हुए एक अदा से दीवार की ओर ढकेलती है।

"अपनी माँ को महारानी बनायेगे। बड़ा आये! महाराजा तो अभी बने नहीं हो ।"

"माँ घटराष्ट्र का अगला महाराजा मैं ही हू और तुम बनोगी मेरी महारानी।"

देवरानी बलदेव के बलिष्ट सीने पर हाथ रख मुस्कुरा रही थी।

[Image: hugs-cuddle.gif]

"और वैसे भी मैंने घटराष्ट्र की महारानी को जीत लिया हू तो महाराजा तो हो ही गया हूँ । मुझे पिता जी राजा बनाएँ इसकी आवश्यकता ही नहीं है ।"

"देवरानी को अपनी महारानी बनाने का स्वप्न अगर देख रहे हो तो फिर सीने में तलवार खाने के लिए तैयार रहना ।"

"मर जाऊंगा पर तुम्हारे हर अधूरे सपने को पूरा करूंगा । ऐसी जान का क्या करना जो अपने प्यार पर ना मर सके"

देवरानी की आंखो में अचानक एक अलग-सा प्यार आ जाता है।

बलदेव यू प्यार से देख रही देवरानी के पास अपना मुंह ले जाता है।

"यही करना चाह रहा था ना दोपहर को!"


[Image: HUG-KIS.gif]

"हाँ मेरी महारानी!"

"आजा मेरे महाराजा!"

देवरानी बलदेव की आंखों में देख रही थी और बलदेव अपने होठ हल्का खोले हुए थे देवरानी के होठो के करीब धीरे से ला रहा था।

जैसे ही बलदेव के होठ देवरानी के होठो से टकराते है। वह आखे बंद कर लेती है। पर बलदेव अब भी उसके मासूम से चाँद से मुखरे में खोया हुआ था।

"उहह आआआहह!"


[Image: KIS-FRENCH.gif]

बलदेव ने हल्का-सा होठ को पकड़ा था और फिर वह अपने दोनों होठों से देवरानी के निचले होठों को पकड़ लेता है।

"उहह बल...!"

"उम्म्म्म माँ ह्ह्ह!" "

चप्पप्प ! चुउउउउ !की आवाज से बलदेव चुसे जा रहा था!

देवरानी अब अपने होठ थोड़े बलदेव के होठ पर रगड़ती है।

बलदेव दोनों होठों से देवरानी के निचले होठों को पकड़ता हैं।

देवरानी: उहह आआआहह!

ज़ोरो से अपनी छाती ऊपर नीचे करती है।

बलदेव होठ को चबा के चूस रहा था।


जारी रहेगी
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08-06-2023, 10:03 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 45-E

एक मर्द का साथ 



[Image: KIS-FRENCH.gif]

बलदेव ने हल्का-सा होठ को पकड़ा था और फिर वह अपने दोनों होठों से देवरानी के निचले होठों को पकड़ लेता है।

"उहह बल...!"

"उम्म्म्म माँ ह्ह्ह!" "

चप्पप्प ! चुउउउउ !की आवाज से बलदेव चुसे जा रहा था!

देवरानी अब अपने होठ थोड़े बलदेव के होठ पर रगड़ती है।

बलदेव दोनों होठों से देवरानी के निचले होठों को पकड़ता हैं।

देवरानी: उहह आआआहह!

ज़ोरो से अपनी छाती ऊपर नीचे करती है।

बलदेव होठ को चबा के चूस रहा था।


[Image: HUG0.gif]

देवरानी ज़ोरो से उत्तज़ना में बलदेव से चिपक जाती है। देवरानी अपने दूध बलदेव के सीने से सटाती है।

बलदेव उसके होठों को चूसते हुए उसके कमर पर हाथ रखे उसे अपने पास खींचता है।

और फ़िर उसके होठों को खूब ज़ोर से चूसता है । फिर देवरानी के दोनों ओंठो को खूब ज़ोरो से चूस रहा था बलदेव।

देवरानी: उहह आअम्म्म्म!

देवरानी उसका साथ देते हुएउसके होठों में अपनी जिह्वा डाल देती है।

"उम्म्म्म आआह्म्म्म!"

उह चुउउउ चुउउ आआआह उन्म्म्म! "


[Image: KIS-EMB.gif]


अब देवरानी भी खूब कस के साथ चूम और चाट र रही थी और उसकी सांसे रुकने लगी तो वह बलदेव के मुंह से थोड़ी दूर होती है।

अपने अंदर थूक गटकते हुए मुस्कुराते हुए कहती हैं।

"तुम थकते नहीं बलदेव!"

"तुम्हें प्यार करते हुए बरसो बीत जाए तो पता ना चले। इतनी जल्दी तुम थक गयी क्या मेरी रानी?"

"मैं तुम्हारी माँ हूँ! पारस की रानी!" और बलदेव उसे अपने से खूब जकड़ कर गले लगा लेता है।

"ये तुम्हारा चित्र मेरे कक्ष में कैसे आया और कहा से आया?"


[Image: KIS2.gif]

"अरे मेरे राजा! तो तुमने देख लिया वो, वह मेरी ओर से उपहार है मेरे प्रेमी के लिए!"

"उस चित्र में तुम माल लग रही हो तुम्हारे मांसल पेट और उभार सब दिख रहे हैं।"

"हुं! पागल! तो देखना सुबह शाम मेरे चित्र को।"

देवरानी बलदेव के सीने को सहलाते हुए कहती है।

बलदेव ये सुन कर फिर से बाहो में देवरानी को भरे हुए कहता है "ओह मेरी देवरानी!" मेरी प्रेमिका! "

और झट से उसके होठों को फिर अपने होठों में दबा लेता है। चुसने लगता है।, देवरानी उसके बाहो में सिमटी चली जाती है और अपने नाम पुकारने से और उत्साहित हो जाती है।


[Image: KIS-HUG1.gif]

देवरानी: (मन में) "हे भगवान! ये तो अपनी माँ को नाम से पुकार रहा है। जैसे मैं इसकी पत्नी हो गई!"

देवरानी के होठ की लाली को चूसते हुए बलदेव ने खूब जोर से नाम बोला था और फिर ओंठ चूसने लगा था । जिसे देख कर देवरानी भी अपने मन में कहती है "अब इसे प्रेमी बनाया है।" तो नाम तो लेगा ही "

देवरानी अब ज़ोर से बलदेव के ओंठो को अपने ओंठो में दबा लेती हैं और चूसती है ।

देवरानी अब पानी छोड़ने लगती है। उसकी चूत किसी भट्टी की तरह जल रही थी वह बलदेव के होठ को जकड़ के चूस के रस पी रही थी।


[Image: KIS-DEEP.gif]

बलदेव अब अपने लौड़े को देवरानी की बुर पर खूब ज़ोर से रगड़ता है और होठ चुस्ते हुए एक लंबी सांस ले कर अपनी माँ का होठ छोड देता है। , देवरानी की चूड़ी तन-तन बज रही थी।

बलदेव: देवरानी!

देवरानी: बलदेव! उह!

"ऐसे सर क्यू नीचे झुका रही हो? मेरे नाम लेने से कोई आपत्ति है, मेरे प्रेमीका को"

"नहीं मेरे प्रेमी! पहले बार सुना तो अटपटा लगा! पर तुम्हारा कहने का हक है।"

"मेरे प्रेमी कहो! पुकारो मेरे नाम से!"

"देवरानी जी.! महारानी देवरानी!"

"महाराजा जी! महाराजा बलदेव1"

और अपनी चूत को जोर से रगड़ती है। बलदेव के लंड से चूत पर थप्प कर चोट लगती है ।



[Image: KIS-LICK.gif]
देवरानी अपने होठ आगे बढ़ाती है और बलदेव उसके ओंठ पूरे अपने मुँह में भर कर चुसने लगता है।

बलदेव के मुँह से हल्का-सा निकलता है। "देवरानी!"

अब देवरानी किसी शेरनी की तरह उत्तेजित हो कर बलदेव पर भारी पड़ती हुई अपने जीभ को निकाल कर बलदेव के मुख में डाल, उसके होठों को बुरी तरह चूसने लगती है।

"उहम्आआ आआहा!"

देवरानी मन में"मेरे राजा अभी तुझे पता नहीं हैं पारस के शेरनी के मुँह लगने का अंजाम!"

उम्म्हा चुउ आआआह!

देवरानी अपने जिभ को अंदर घुसाए और अपने दोनों होठों से बलदेव के होठों को खाए जा रही थी और बलदेव भी उसे इस तरह से चूसने से हैरान था।


[Image: KIS-MMM.gif]

"उह्म्म्म आआह बल...!"

उह माँ!

और बलदेव के होठों को काट कर वह अपने होठों पर जबान फेरते हुए बलदेव के ओंठो को चूसती है।

देवरानी अब भी बलदेव के बलिष्ट सीने पर हाथ रखे हुई थी और संतुष्टि से बलदेव को देख रही थी। बलदेव उसे देख हैरान था।

"माँ तुम्हारा ये रूप बड़ा कातिल था!"

"तुम्हें एक तरसे हुए दिल और पारस की रानी को ख़ून चखा दिया है। अब देखते रहना ये शेरनी तुम्हारा क्या हश्र करेगी।"

"मैं मर मिटने के लिए तैयार हूँ मेरी रानी!"

देवरानी: तुम्हें संयम रखना सिखा दूंगी तुम्हें काम के सारे सूत्र पता चल जाएंगे मेरे काम देव!

बलदेव: मेरी रति रानी वही तो मैं चाहता हूँ!


[Image: KISS3.gif]

देवरानी: तो आजाना आज रात भोजन के बाद मेरे कक्ष में!

"तुमने कहा था ना देवरानी आज रात तुम्हें माँ नहीं देवरानी मिलेगी।"

देवरानी किसी भूखी शेरनी की तरह बलदेव के आखो में देखती है। बलदेव देवरानी का हाथ पकड़ कर चुमता है।

"मेरी देवरानी महारानी!"


[Image: EMBRACE.gif]

और फिर उसे गले लगा लेता है।

जारी रहेगी
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08-12-2023, 03:53 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 46 A


देवरानी बलदेव से खूब रगड़ पट्टी कर के उसके कक्ष से नीचे उतरती है। वह गुनगुनाते हुए अपने बाल जो बलदेव ने पूरे खोल दिए थे उसे संवारती हुई नीचे उतर रही थी।


[Image: shaking.gif]

शाम को वक्त, वैध जी कहे अनुसार जीविका टहल रही थी और तभी उसे ऊपर से उत्तर कर बलखाती हुई देवरानी, मुस्कुराती हुई किसी घोड़ी की तरह चल कर सामने से आती दिखाई दी।

जीविका: (मन में) "किसी घोड़ी जैसी मटक रही है। आज तो ये लोग दिन दहाड़े शुरू हो गए, शाम में ऊपर से उतर रही है । दिन भर ऊपर ही थी क्या चुड़ैल?"


[Image: JIVIKA1.gif]

देवरानी अब जीविका के सामने थी । जीविका उसे देखती ही रह जाती है। देवरानी के बिखरे बाल अस्त व्यस्त साडी, ब्लाउज ढीला-सा पड़ा हुआ था, घाघरा मुड़ा उलझा हुआ था, देवरानी के होठों की लाली कहीं पर थी कहीं पर नहीं थी, उसकी गर्दन और गाल पर लाल निशान थे जिन्हे जीविका गुस्से से देख रही थी।

जीविका बूढ़ी हो गई थी उसे समझने में देर नहीं लगी, कि देवरानी का ये हाल कैसे हुआ होगा? पर जीविका को समझ नहीं आता है कि बहू को क्या बोले!


[Image: SEMI00.jpg]

देवरानी: (मन में) बूढ़ी आखे फाड़ देख रही है तो देख ले की में करवा आई हूँ तेरे पोते से मालिश।

देवरानी जीविका को देखते हुए सोचती है पर जीविका बोल ही नहीं पा रही थी जैसे उसे कोई सांप सूंघ गया हो

देवरानी हल्का मुस्कुरा के जीविका के पैर छू लेती है।


[Image: BAHU.png]
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"प्रणाम सांसू माँ!"

" हाँ! जीती रही! मजबूरन जीविका के मुँह से निकलता है। जिसे सुन कर देवरानी एक कातिल मुस्कान देती है और मन में कहती है।

 (मन में: "अब लगा लो ज़ोर अपनी बुद्धि और अपनी बहू से पूरा जोर लगवा लो। इस बार तुम मेरी ख़ुशी नहीं छीन सकती! प्यारी सांसु माँ!") 


[Image: SAREE2.jpg]

"आ! ह!" हल्का मुस्कुरा के "तुम सबको तो मेरा बलदेव मजा चखायेगा! मेरे हर दुख का बदला लेगा वो!" और अपने सर के बाल को बाँध कर अपने पल्लू को झटका देकर चलती रहती हैं।

जीविका: (मन में) भगवान इस अधर्मी देवरानी की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। इसे सद्बुद्धि दे । ये तो अपने बेटे से ही रंगरलिया मना रही है।

"कही देवरानी हम सब से बदला लेने का तो नहीं सोच रही, ऊपर से आ कर चरण स्पर्श कर रही है जैसी सती सावित्री बहू हो।"

जीविका टहलते हुए सोचते हुए वह अपनी कक्षा में पहुँच जाती है।


[Image: KAMLA-RANI.jpg]

उधर देवरानी भी अपनी कक्ष में पहुँचती है तो देखती है कमला उसका बिस्तर ठीक कर रही थी।

कमला पलट कर देखती है देवरानी का हाल देख कर सोचती है।

"लगता है कमीनी अपना तिजोरी बलदेव के चाभी से खुलवा के आ गई!"

कमला: देवरानी क्या बात है आज बड़ी खिली-खिली लग रही हो?

देवरानी: हाँ बस अब तो मेरा समय शुरू हो गया है। मेरी कमला! अब तो मैं बस ऐसे ही रहूंगी।

कमला: कैसा समय महरानी?

देवरानी: अब बनो मत।



[Image: 1j.jpg]
murder smileys

कमला हस देती है ।

कमला: हे भगवान लगता है कोई तुम्हारी पूरी लाली खा गया हो!

देवरानी शर्मा कर "हां" 


[Image: bit2.jpg]

कमला: "हाँ महारानी कितना बुरा हाल बना रखा है?"

देवरानी: "क्यू ऐसा क्या हुआ है मुझे?"

कमला: "महारानी! अपनी हालत को देखो कोई बच्चा भी देखेगा तो समझ जाएगा कि खूब रगड़ पट्टी का खेल-खेल के आई हो।"

देवरानी: "चल मुझे घर में कौन देखने आ रहा है।"


[Image: SEMI9J.jpg]

कमला: "हे भगवान महारानी इतना भी ठीक नहीं है । किसी ने देखा तो नहीं ना आपको इस हाल में?"

देवरानी को जीविका का चेहरा याद आता है पर वह ये बात कमला से छुपाती है।

कमला: " हाय भगवान अपने आप को देखो! मेरा ऐसा हाल तो मेरी सुहागरात में रात भर सम्भोग करने के बाद भी नहीं हुआ था।"

[Image: bit1.jpg]


देवरानी झट से अपनी कक्ष में आईने के परदे को हटाती है और अपने आपको देख "इश्ह्ह!" कर शर्मा जाति है।

उसकी पूरा गर्दन, गाल और होठ पर निशान पड़े थे। गोरे बदन पर लाल निशान अलग ही दिख रहे थे।


जारी रहेगी
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08-12-2023, 03:54 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 46 B

रगड़ पट्टी 


कमला: हे भगवान लगता है कोई तुम्हारी पूरी लाली खा गया हो!

देवरानी शर्मा कर "हां" 


[Image: bit2.jpg]

कमला: "हाँ महारानी कितना बुरा हाल बना रखा है?"

देवरानी: "क्यू ऐसा क्या हुआ है मुझे?"

कमला: "महारानी! अपनी हालत को देखो कोई बच्चा भी देखेगा तो समझ जाएगा कि खूब रगड़ पट्टी का खेल-खेल के आई हो।"

देवरानी: "चल मुझे घर में कौन देखने आ रहा है।"

कमला: "हे भगवान महारानी इतना भी ठीक नहीं है । किसी ने देखा तो नहीं ना आपको इस हाल में?"

देवरानी को जीविका का चेहरा याद आता है पर वह ये बात कमला से छुपाती है।

कमला: " हाय भगवान अपने आप को देखो! मेरा ऐसा हाल तो मेरी सुहागरात में रात भर सम्भोग करने के बाद भी नहीं हुआ था।"

[Image: bit1.jpg]


देवरानी झट से अपनी कक्ष में आईने के परदे को हटाती है और अपने आपको देख "इश्ह्ह!" कर शर्मा जाति है।

उसकी पूरा गर्दन, गाल और होठ पर निशान पड़े थे। गोरे बदन पर लाल निशान अलग ही दिख रहे थे।



[Image: hot-saree.gif]
देवरानी: (मन में) ये बलदेव भी ना एक काम संयम से नहीं करता है । सब कुछ में अपना बल दिखाना जरूरी है।

कमला: क्या हुआ जी किसको याद कर रही हो।

देवरानी: तुम ज्यादा बड़बड़ मत करो या हाँ सुनो ये सफ़ेद चादर हटाओ पलंग पर से।

कमला: मैंने अभी बदल के नई बिछाई है।

देवरानी: नहीं हटाओ इसे दूसरी बिछाओ ।

देवरानी अपनी कक्ष के अंदर के कक्ष में जाती है जहाँ बड़ी आलमारी में से निकाल कर एक लाल रंग की चादर लाती है।



[Image: bites1.gif]

कमला; क्या बात है आज सफेद से सीधे लाल रंग पर, आज चुदाई का कार्यकर्म यहीं तो नहीं है?

देवरानी शर्मा के ..

देवरानी : कमला चुप कर! कुछ न कुछ उल्टा दिशा पूछती रहती है तू, हाँ है! आज बलदेव यहीं आएगा। तुझसे मतलब?

कमला: मुझे सब बता दिया करो । कब कहा ये कमला काम आजाए किसी को पता नहीं होता।

देवरानी: वह तो है कमला, तू है बड़े काम की चीज, बस एक काम करना । आज रात में तू महल में रुक जाना और मेरे कमरे में रसोई का सामान रखा है, उस कमरे में एक खटिया है, वही सोना है तुम्हें।


[Image: BB23.jpg]

कमला चादर बदलने लगती है

कमला: पर देवरानी, हमें यहाँ रुकना मना है।

देवरानी: समझो ...तुम्हें अपनी पैनी नज़र बनाए रखनी है। जैसे ही राजपाल या कोई अन्य मेरी कक्ष में आने लगे तो मुझे सचेत कर देना, ताली बजा के या खांसी कर के इशारा कर देना

कमला: बड़ी चाल बाज़ होते जा रही हो?

देवरानी वही कुर्सी पर बैठती है या कामसूत्र की किताब पलंग के नीचे से निकाल कर खूब चाव से पढ़ने लगती है।


[Image: ks0.jpg]

कमला सारा काम निपटाती है या रसोई में जा कर काढ़ा तैयार करने लगती है । फिर वह काढ़ा गिलास में ले कर आती है । देवरानी अब भी वह पुस्तक पढ़ रही थी।

कमला: कब तक पुस्तक ही पढ़ती रहोगी? ऐसा कुछ सच में भी करो!

कमला देवरानी के पास में ही बैठ जाती है।




[Image: LAP1.jpg]
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[Image: wall2.webp] [Image: wall3.jpg]
my pictures from 2017

देवरानी एक पन्ने को देख रही थी जिसमें एक पुरुष महिला की दोनों टांगो को अपने कांधे पर रख, बच्चे की तरह उठा रखा था। महिला दीवार के सहारे उसके ऊपर थी और उसका मुंह उस स्त्री के चूत में था।


[Image: lift01a.webp]

कमला: ऐसा करने का इरादा है क्या?

देवरानी: धत्त ये सब तो बस चित्रकला है। सच में ऐसा नहीं होता!

कमला: नहीं ये सच में भी होता है करना आना चाहिए.


जारी रहेगी
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08-12-2023, 03:56 PM,
RE: महारानी देवरानी

महारानी देवरानी


अपडेट 46 C

रगड़ा पट्टी

कमला सारा काम निपटाती है या रसोई में जा कर काढ़ा तैयार करने लगती है । फिर वह काढ़ा गिलास में ले कर आती है । देवरानी अब भी वह पुस्तक पढ़ रही थी।

कमला: कब तक पुस्तक ही पढ़ती रहोगी? ऐसा कुछ सच में भी करो!

कमला देवरानी के पास में ही बैठ जाती है।


[Image: wall2.webp]

देवरानी एक पन्ने को देख रही थी जिसमें एक पुरुष महिला की दोनों टांगो को अपने कांधे पर रख, बच्चे की तरह उठा रखा था। महिला दीवार के सहारे उसके ऊपर थी और उसका मुंह उस स्त्री के चूत में था।



[Image: wall1.webp]


कमला: ऐसा करने का इरादा है क्या?

देवरानी: धत्त ये सब तो बस चित्रकला है। सच में ऐसा नहीं होता!

कमला: नहीं ये सच में भी होता है करना आना चाहिए.

देवरानी: पर ये औरत इस चित्र में दीवार के सहारे इस पुरुष के कंधे पर बैठी है...छी!


[Image: WALL4.gif]

और देवरानी पास रखा काढ़े का ग्लास उठा कर पीने लगती है।

कमला: फिकर न करो महारानी। बलदेव! आपको दोनों कंधो पर क्या एक कंधे पर भी उठा सकता है।

देवरानी: चुप कर पापिन!

कमला: आज शाम का योग नहीं किया, तैयारी करो मजबूती से, नहीं तो तुम्हारी हड्डी पसली एक कर देगा ये बलदेव!

देवरानी मुस्कुराते हुए..


[Image: BB19.jpg]

"हाय! मेरी जान कमला में तो अंग-अंग तुडवाना चाहती हूँ । वैसे मैंने जड़ी बूटी वाला काढ़ा पी लिया है योग तो अब बलदेव के साथ रात को ही करूंगी।"

कमला: बड़ी छिनाल होते जा रही हो सती सावित्री से!

देवरानी: चुप कर... भगवान भी है इस कक्ष में, धीरे बोल!

कमला: तो क्या धीरे बोलने से तुम भगवान से बात छुपा लोगी और रात में यहीं अपने बेटे को ले सब कर लोगी, तो क्या भगवान को दिखेगा नहीं।?



[Image: KAMLA-DEV.jpg]
देवरानी: हम्म्म पर इसमे भगवान की ही मर्जी है, इसलिए सब कुछ हो रहा है। उनकी आज्ञा के बिना कुछ नहीं होता।

कमला: अरे! मैं तो मजाक कर रही थी महारानी! आप तो, इस पल का आनंद लो । पुस्तक पढ़ो, में खाना बनाने जा रही हूँ।

देवरानी: जाओ! मैं कुछ देर में आई!

और फिर कामसूत्र पुस्तक पढ़ने लगती है।


[Image: KS2.jpg]

वही बलदेव अपने कक्ष से बाहर आकार व्यायाम करने लगता है और सैनिक के साथ तलवार से अभ्यास करने लगता है ।

वही पर बैठे राजपाल उसे देख बोलता है ।

राजपाल: पुत्र बड़े ज़ोरो से तैयारी चल रही है कौन-सा क़िला फ़तेह करने का इरादा है।

बलदेव: (मन में) आपकी पत्नी का किला पिता जी!

"पिता जी अभ्यास और व्यायाम तो में रोज़ ही करता हूँ।"



[Image: baldev.jpg]
राजपाल: चलो अब संध्या हो गई है घर चले।

बलदेव पसीना-पसीना हो गया था वह पास में रखे एक टोकरी से फल उठा कर खाता है या कुछ पिसी हुई जड़ी बूटी को फाक कर पानी पीता है।

राजपाल बलदेव के करीब आ कर "लगता है मेरा बेटा अपने शरीर पर खूब मेहनत कर रहा है।"

"पिता जी शरीर जितना स्वस्थ रहे उतना अच्छा होता है।" मज़ाकिया अंदाज़ में बलदेव बोलता है । "पता है पास एक गाँव में सुखिया नाम के युवक की पत्नी भाग गई अभी कुछ दिन पहले उनका विवाह हुआ था ।"

राजपाल: "क्या बात कर रहे हो ये तो गलत है।"



बलदेव: "सही है पिता जी उस सुखिया में जान नहीं है किसी डंडे की तरह है । उसको बिना दिखाए लड़की से विवाह करवा दिया। लड़की उसे सुहागरात में देख के ही भाग गई."

"पर ये तो घटराष्ट्र के नियम का उल्लंघन है।"

"वो तो है पिता जी! सैनिक अभी भी ढूँढ रहे हो उस लड़की को शायद वह अब राष्ट्र में नहीं है।"

"पर पिता जी क्या ये सही है? क्या किसी की इच्छा की विरुद्ध उसका विवाह करवा देना उचित है? अपने दिल से सोचिए! अगर आपका विवाह ऐसे स्त्री से करवा दिया जाए जिसे कोई रोग हो, तो क्या आप उसको रखोगे?"

"आप नहीं रखोगे पिता जी, क्यू के मर्द तो अपनी मर्जी से चुन कर विवाह करता है । औरत देखे बिना करती है"

"मैं तुम्हारी बात समझ सकता हूँ पर यही हमारा नियम और धर्म है।"


[Image: KING2.jpg]

बलदेव (मन में) "अगर ये नियम ही धर्म है तो मैं इस नियम को नहीं मानता।"

"ठीक है पिता जी चले अब।"

"ठीक है चलो।"

ऐसे ही रात हो जाती है सब भोजन करने के लिए बैठ जाते हैं।

बलदेव ख़ुशी-ख़ुशी खा रहा था।

सृष्टि: आज दिन में तो मुह लटकाये हुए भोजन कर रहे थे तुम युवराज बलदेव। अभी बड़े खुश हो क्या बात है?

बलदेव: वह बस बड़ी माँ दिन में माँ का हाथ का था या अभी कमला के हाथ का है इसलिए!


[Image: BBW4.jpg]

सृष्टि ये उत्तर समझ नहीं पति क्यू के कमला से अच्छा भोजन तो देवरानी बनती है।

बलदेव देवरानी को देख मुस्कुराता है देवरानी हल्का गुस्सा दिखाती है और मार दूंगी का इशारा करती है।

सब अपना भोजन कर के अपनी-अपनी कक्ष की ओर जा रहे थे । बलदेव हाथ धो कर वहीँ टहलने लगता है।

बलदेव देवरानी के रास्ते में उसके सामने खड़ा हो जाता है। देवरानी अपना रास्ता बदल के आगे बढ़ने लगती है।, तभी बलदेव उसका हाथ पकड़ लेता है


[Image: dev-bal.jpg]

"अरी कहा जा रही हो मेरी जान?"

"बलदेव हम महल के बीचो बीच है बेटा !"

जारी रहेगी
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08-12-2023, 03:57 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 46 D

रगड़ा पट्टी



बलदेव देवरानी को देख मुस्कुराता है देवरानी हल्का गुस्सा दिखाती है और मार दूंगी का इशारा करती है।

सब अपना भोजन कर के अपनी-अपनी कक्ष की ओर जा रहे थे । बलदेव हाथ धो कर वहीँ टहलने लगता है।



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[b]बलदेव देवरानी के रास्ते में उसके सामने खड़ा हो जाता है। देवरानी अपना रास्ता बदल के आगे बढ़ने लगती है।, तभी बलदेव उसका हाथ पकड़ लेता है

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"अरी कहा जा रही हो मेरी जान?"


"बलदेव हम महल के बीचो बीच है बेटा1"

"मैं किसी से डरता नहीं, जब प्यार किया तो डरना क्या" और मुस्कुराता है।

देवरानी धीरे से


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"सब के सो जाने के बाद, आओ मेरे कमरे में" और शर्म से अपना सारा झुक लेती है।

सामने से राधा पायल खनकाती चली आ रही थी बरतन रखने, उसकी पायल की आवाज सुन कर बलदेव हाथ छोड़ देता है ।

बलदेव: "ठीक है माँ मैं भगवान का प्रसाद लेने आऊंगा।"

देवरानी "धत्त" और मुस्कुरा के शर्माते हुए अपने कक्ष में चली जाती है।

राधा को उन्हें देख कुछ शक होता है पर उसे कुछ समझ नहीं आता ।

राधा: (मन मैं) ये क्या हो रहा है मेरे दिमाग के बाहर है। इस बारे में महारानी सृष्टि से बात करनी पड़ेगी।

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देवरानी अपनी कक्षा में जाती है खूब अच्छे से स्नान कर के सजती सवारती है । फिर अपने आपको आईने में देखती है।

देवरानी अपने गहनों में खूब जच रही थी उसके ऊपरी हिस्से में एक छोटा-सा कपड़ा था, जो उसके वक्षो और अन्य अंगो को ढक कम और दिखा ज्यादा रहा था और नीचे एक धोती नुमा कपड़ा जो की उसकी जांघ तक ही आ रहा था । कुल मिला कर आज देवरानी बिजली गिराने वाली थी।


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खुद क ऐसा उत्तेजक रूप देख देवरानी बड़बड़ायी: "आज तो तुम गये बलदेव!"

देर रात चारो ओर से झींगुरो और सियार के बोलने की आवाज गूंज रही थी । सब के सब नींद की आगोश में चले गए थे । कमला देवरानी की बात मान, आज महल में ही रुकी थी और वही रसोई के पास खाट पर लेटी थी।

बलदेव हर पांच मिनट में महल और अपने कक्ष के चारों ओर चक्कर काट रहा था और देखने की कोशिश कर रहा था कि सब सोये के नहीं।


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आखिरकार उसे आधी रात में लगता है कि अब सब के सब सो गए और महल के बाहर सैनिक भी नींद में ऊंघ रहे ठेस । वह हल्का-सा अपने बदन पर इतर लगता है और खुद को महका के धीरे से देवरानी की कक्षा की ओर चल देता है।

देवरानी अपनी कक्ष में गोल-गोल घूम रही थी और बलदेव का इंतजार कर रही थी।

तभी बलदेव देवरानी के दरवाजे पर पहुँचता है।

और एकदम हल्की आवाज से फुसफुसाता है।


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देव...रानी...देव रानी! "और हल्के से उसके मुँह से सीटी निकलती है" श्श शी"

देवरानी ये सुन कर मुस्कुराती है और अपने कक्ष के द्वार की ओर बढ़ती है फिर-फिर जा कर दरवाज़ा खोलती है।

"कुंडी मत खड़काओ राजा!"

बलदेव आता है तो देवरानी को उस उत्तेजक एक छोटे से कपडे में देख पागल-सा हो जाता है।

देवरानी: सीधा अंदर आओ राजा, मन बनाओ मेरा ताज़ा ताज़ा!


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बलदेव: आज ये रूप में पहली बार देख रहा हूँ तुम तो जान ले लोगी माँ!

दरवाजा खुला था फिर भी।देवरानी मुस्कुराती है।

बलदेव तो बस आधी नंगी देवरानी के वक्ष या उसके आधे खुले जांघो में खो गया था।

देवरानी मुड़ते हुए अपने बिस्तार की ओर जाने लगी।

देवरानी: वैसे ये देवरानी का रूप है तुम्हारी माँ का नहीं!


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ऐसे बड़े-बड़े गांड, उन्नत वक्षो को छोटे से वस्त्र में देख के और फिर देवरानी की ऐसी कामुक कविता सुन कर बलदेव का लंड खड़ा हो गया था।

देवरानी तभी मुड़ कर देखती है और एक उत्तेजित स्वर में बलदेव को देख कामुक हो फुसफुसाती है । ।

"आओ राजा!"

बलदेव झट से दरवाजा लगाता है फिर अपनी माँ की ओर चल पड़ता है।

हरे रंग की धोती और कंचुकी में देवरानी कहर ढा रही थी, बलदेव उसके पीछे से उसका एक हाथ अपने हाथ में लेता है दूसरे हाथ से उसके मुलायम पेट को पकड़ता है ।

बलदेवःमां देवरानी!

"इश्श्श आआह बलदेव!"

"तुम इस परिधान में पहले कभी नहीं दिखी?"


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"किसके लिए पहनती ये? अब से जब भी तुम चाहोगे मैं ये पहनूंगी!"

"पर माँ तुम्हें लोग साडी में देख आपा खो देते हैं ये पहन के बाहर मत जाना।"

"अगर ये पहन बाहर गई तो?"

"तो कोई तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे देगा। ज़बरदस्ती भी कर सकता है।"

"इतनी हिम्मत नहीं किसी की देवरानी के पास भी फटके. तलवार से दो भाग में बाँट दूंगी उसे ।"

"पर माँ मैं नहीं चाहता कि कोई तुम्हें देख कर आहे भरे या नज़रो से पीये।"


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"ठीक है बलदेव जैसी तुम्हारी मर्जी! नजरों से तो चाँद को भी लोग प्यार कर लेते हैं पर छू तो नहीं सकते।"

बलदेव देवरानी के मखमली पेट को दबोच कर सहलाने लगता है।

"मां तुम भी मेरे लिए उस चांद से कम नहीं, जिसके लिए मैं सपना देखा करता था।"

"उहह आआह बलदेव आराम से।"

बलदेव देवरानी का पेट खूब अच्छे से सहलाता है और रगड़ता है


जारी रहेगी
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