नए पड़ोसी
06-08-2017, 11:52 AM,
#31
RE: नए पड़ोसी
मयंक बोला "सॉरी बहना. बहुत दिनों बाद तुम्हे नंगा देखा तो रहा नहीं गया." और वापस रुची को चोदने लगा. मैं उन दोनों भाई बहन की चुदाई देख कर मस्त हुआ जा रहा था. अचानक मुझे रश्मि दीदी की याद आई. मैंने मयंक से पुछा की दीदी कहाँ है. वो चुदाई करते करते बोला "वो थक कर सो गयी तो मैंने जगाया नहीं." मैं अपने कमरे से निकल कर दीदी के रूम में चला आया. डोर तो मयंक खोल ही चूका था. दीदी पूरी नंगी बेड पर पड़ी सो रही थी. मैं भी पूरा नंगा था और जाकर रश्मि दीदी के बगल मे बैठ गया और गौर से उनके नंगे बदन को देखने लगा. रुची और आंटी का बदन दीदी के बदन के आगे कुछ नहीं है मेरे दिल से आवाज उठी. मुझे सबसे प्यारी तो दीदी की चुंचिया ही लगती है एक दम तोतापरी आमों जैसे. मैंने दीदी की चूत को भी ध्यान से देखा. मयंक का मोटा तगड़ा लंड लेकर दीदी की चूत थोड़ी खुल गयी थी और बहुत प्यारी लग रही थी. मन तो कर रहा था की इसे खा जाऊं पर मैं वापस दीदी की चुचियों की तरफ आया और धीरे से एक हाथ दीदी की नर्म चूंची पर रख दिया. उफ्फ्फ क्या एहसास था. दीदी सोती ही रही तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने दीदी की चूंची को मुह में ले लिया और चूसने लगा. दीदी बिना आँख खोले नींद में ही बोली "अब रहने भी दो मयंक बहुत थक गयी हूँ" और मैं भी चुपचाप वहा से उठा और वापस आ गया.

मेरा लंड दीदी के नंगे बदन को देख कर फिर से खड़ा हो गया था. जब मैं वापस कमरे में आया तो देखा की मयंक अब रुची को पलटा कर उसकी गांड मारने की कोशिश कर रहा था और रुची मना कर रही थी. मयंक ने मुझे देख कर बोला "देखो ना यार. तुमसे गांड मरवा ली और मुझे मना कर रही है". रुची बोली "अरे मनीष के लंड ने ही मेरी गांड फाड़ दी है और तुम्हारा तो उससे भी बड़ा है. न बाबा न. तुमसे मैं गांड नहीं मरवाऊंगी" मैंने मयंक को समझाते हुए कहा "यार ये कहा भागी जा रही है. फिर किसी दिन ले लेना. अब देखो न कितनी बार चुद चुकी है लेकिन अभी भी इसको चुदने में दर्द होता है. ऊपर बैठ कर तो लंड ले ही नहीं पाई". "अच्छा. वो तो बहस आसान है. कुछ गलत कर रहे होगे तुम लोग. दिखाओ तो कैसे कर रहे थे." मयंक ने मुझे आँख मार कर कहा. मैंने कहा "अभी दिखाता हूँ" और बेड पर लेट गया. लंड तो मेरा पहले ही दीदी को देख कर खड़ा था तो मैंने रुची को लंड चूत में लेकर मेरे ऊपर बैठने को कहा. रुची लंड लेकर बैठी तो दर्द से कराह उठी. अचानक मयंक रुची के पीछे से आया और बोला की जब ऐसे में दर्द हो तो आगे झुक कर सामने वाले को चूमना चाहिए और उसने रुची को धक्का देकर मेरे ऊपर झुका दिया. रुची मुझे किस करने लगी तो मयंक ने मुझे इशारा किया की मैं उसे अपनी बाँहों में भर लूं. मैंने वैसा ही किया और मयंक बेड पर चढ़ कर मेरी दोनों टांगो के बीच बैठ गया.


मैं समझ गया की क्या होने वाला है तो मैंने रुची के होठो को जोर से दबा दिया और उसको कस के पकड़ लिया. पीछे से मयंक ने अपना लौड़ा क्रीम लगा कर रुची की गांड के छेद में ठूस दिया. पता नहीं कितना लंड अन्दर गया पर रुची की आँखे निकल कर बाहर आ गयी. मयंक ने एक झटका और मारा और रुची की आँख से आंसू निकल कर मेरे चेहरे पर टपक गए. वो चीखना चाहती थी पर मैंने उसके होठ जकड़े हुए थे. आखिर में मयंक ने एक धक्का और मार कर अपना लंड पूरा जड़ तक रुची की गांड में ठूस दिया और अब आगे पीछे करने लगा. मुझे अपने लंड पर उसका लंड रगड़ खाता साफ़ महसूस हो रहा था. आज का दिन तो वाकई कमाल था. न सिर्फ आज मैंने रुची को चोदा, उसकी गांड का उद्घाटन भी किया. दीदी की चूंची भी मैंने आज ही चूसी और आज ही अपनी जिंदगी का पहला थ्रीसम कर रहा था.
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06-08-2017, 11:53 AM,
#32
RE: नए पड़ोसी
मयंक ने मुझसे कहा "सोच क्या रहा है तू भी धक्के मार तभी तो इसको मजा आयेगा." उसकी बात सुन कर जैसे ही मैंने रुची के होठ छोड़ कर धक्के लगाना शुरू किया रुची ने हम दोनों को गाली देना शुरू कर दिया. वो कहने लगी "हाय मादरचोदो, उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ रंडी समझ रखा है क्या. साले कुत्तो हाय्यय्य्य मेरा क्या हाल कर रहे हो तुम दोनों. बस्सस्सस्सस करूऊऊऊऊओ एक तो तुम दोनों को मजे दिए हाय्य्यय्य्य और साले कुत्ते तूऊऊऊऊऊ तो मेरा सगा भाई है. बस्स्स्सस्स्स्स करूऊओ आगे पीछे से एक साथ डाल रखा है. रुक्कक्कक्क भी जऊऊऊऊ. ये भी नहीं सोचा की मेरा क्या हाल होगा. बस करो निकलूऊऊऊओ" रुची जोर जोर से चिल्ला रही थी. रश्मि दीदी वैसे भी कच्ची नींद में थी तो रुची की चीखे सुन कर वो जग गयी और हमारे कमरे के दरवाजे पर आ गयी. जब उन्होंने देखा की की हम दोनों ही रुची को रौंद रहे है तो वो दरवाजे से ही चिल्लाई "अरे क्या कर रहे हो तुम दोनों. बेचारी की जान लोगे क्या. छोड़ो उसे." मैं तो नीचे था क्या करता पर मयंक ने दीदी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और रुची की गांड मारते हुए बोला "अरे रश्मि कैसी बात करती हो. कभी चुदाई से भी कोई मरता है क्या और मेरी प्यारी बहना तुझे पता भी है की औरतें इसी तमन्ना को दिल में लिए मर जाती है की काश हमको कभी दो मर्द एक साथ चोदे. तुझे तो अपनी किस्मत पर खुश होना चाहिए की तेरी जिंदगी में ये मौका इतनी जल्दी आ गया. तू बस मजे ले. देखना आज के बाद तुझे एक लंड से मजा नहीं आयेगा. हमेशा दो-तीन लंड माँगा करेगी. शाबास मनीष. और धक्के मारो." मयंक ने रुची को समझाते हुए कहा. अब मैंने और मयंक ने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी.

दीदी थोड़ी देर दरवाजे पर खड़ी देखती रही पर अन्दर नहीं आई. शायद नंगी वो मेरे सामने वो नहीं आना चाहती थी. वो वापस अपने कमरे में चली गयी और थोड़ी देर में कुरता पहन कर वापस आई पर तब तक रुची को दो लंडो का मजा आने लगा था. रश्मि दीदी ने आकर मयंक को पकड़ कर कहा :अरे अब छोड़ भी दो बेचारी को". तो रुची ने ही मना कर दिया "खबरदार जो अब तुम दोनों में से कोई रुका. बस चोदते जाओ दोनों. बहुत मजा आ रहा है". रश्मि दीदी बोली "कमाल है. अभी तो चिल्ला रही थी और अब कह रही है की रुको मत."
"अरे कमाल तो है ही. मजा ही कुछ ऐसा आ रहा है. सुनो तुम दोनों मेरे बाद रश्मि को भी मिल कर ऐसे ही चोदना तब इसको पता चलेगा की असली मजा क्या होता है." रुची हम दोनों से बोली. दीदी उसकी बात से नाराज़ हो गयी. "क्या उल्टा सीधा बोलती हो. मनीष मेरा भाई है." तब तक मयंक ने रश्मि दीदी को पकड़ के अपने पास खींच लिया और उनकी किस लेते हुए बोला "तो क्या हुआ मेरी जान. ये मैं जिसकी गांड मार रहा हूँ वो भी तो मेरी बहन है." फिर उसने दीदी की चूंची को उनके कुरते के ऊपर से ही दबा दिया. दीदी की सिसकी निकल गयी. दीदी ने नीचे पैजामा नहीं पहना था तो मैंने भी मौका देख कर उनकी मोटी जांघ पर हाथ रख दिया. पर दीदी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी वो मुझे और मयंक को गुस्से से देखती हुई कमरे से बाहर चली गयी.


मयंक बोला "भाई तेरी किस्मत ख़राब है. अगर रश्मि तुझे अपनी चूत दे देती तो तू भी जान जाता की बहन चोद कर क्या मज़ा आता है". तभी रुची बोली "अरे जो अभी दे रही है उस पर ध्यान दो न उसके चक्कर में सूख रहे हो जो नहीं दे रही." फिर हम दोनों ने रश्मि के ऊपर से ध्यान हटाया और रुची को ताबड़तोड़ चोदना शुरू किया. हमारे लंड रुची की कसी हुई चूत और गांड में थे फिर भी ऐसे लग रहा था की आपस में रगड़ रगड़ कर अन्दर बाहर हो रहे है. इसीलिए हम दोनों कुछ ही देर बाद लगभग एक साथ रुची की चूत और गांड में झड गए और बेड पर निढाल हो कर लेट गए. थोड़ी देर बाद मयंक उठा और बोला "रश्मि नाराज़ हो गयी थी. जाकर मना लेता हूँ. रुची तुम भी कपडे पहन लो फिर घर चलेंगे." मयंक दीदी के कमरे में चला गया और रुची भी उठ कर अपने कपडे लेकर बाथरूम में चली गयी पर मैं नंगा ही बेड पर पड़ा रहा और दीदी के नंगे बदन को याद करके सोचता रहा की क्या वाकई मैं कभी दीदी को चोद नहीं पाऊँगा. तभी रुची कपडे पहन कर वापस आ गयी और बोली "अरे ये तो फिर से तैयार हो गया. मन नहीं भरा क्या?" मैंने देखा वाकई मेरा लंड फिर से तन गया था. मैंने सोचा की दीदी को चोदने के ख्याल से ही इसमें जान आ जाती है. रुची ने मेरे लंड पर एक प्यार भरा किस किया और बोली हम लोग जा रहे है. कल फिर आऊंगी. और वो चली गयी. दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज से मैं समझ गया की मयंक और रुची अपने घर जा चुके है. मैंने आँखे बंद कर ली और दीदी के नंगे बदन को याद करके लंड सहलाने लगा. मुझे लगा की कोई मुझे देख रहा है तो मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो दीदी आंखे फाड़ फाड़ कर मेरा लंड देख रही थी. अचानक उन्होंने देखा की मैं उन्हें देख रहा हूँ तो वो बोली "मन नहीं भरा तेरा अभी. अब कपडे पहनेगा या युही पड़ा रहेगा." और मुड कर वापस जाने लगी. उनकी लचकती हुई गांड देख कर मेरे दिल में और छुरिया चल गयी.
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06-08-2017, 11:53 AM,
#33
RE: नए पड़ोसी
उस दिन के बाद हमारी चुदाई का सिलसिला चल पड़ा. लगभग रोज ही मयंक रुची के साथ दोपहर को हमारे घर आ जाता और फिर मैं रुची के साथ अपने कमरे में और मयंक रश्मि दीदी के साथ उनके कमरे में. हम दोनों ने एक दुसरे की बहनों को तबियत से चोदा. छुट्टियों भर हमारी चुदाई का दौर चलता रहा. मयंक रोज दिन में तो रश्मि दीदी की चोदता साथ ही साथ रात में मौका मिलने पर रुची की चूत भी मारता था पर इधर मैं सिर्फ रुची की चूत ही मार पा रहा था. काफी दिनों से आंटी की चूत के दर्शन भी नही हुए थे और रही बात रश्मि दीदी की तो उनको नंगी करके चोदने के सपने देख कर ही मैं कभी कभी लंड हिला लेता था. दीदी मयंक की चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी तो मेरा तो कोई चांस ही नहीं था. 

हमारी गर्मी की छुट्टी खत्म हो रही थी और हमारे रिजल्ट भी आ गए थे. मैं अच्छे नंबर से पास हो गया था पर मयंक सेकंड डिविसन में पास हुआ था. मेरा एडमिशन शहर के एक अच्छे कॉलेज में हो गया पर मयंक को कम नम्बरों की वजह से एडमिशन नहीं मिल पा रहा था. एक दिन शाम को मैं मयंक के पास उसके एडमिशन के बारे में पूछने जा रहा था तभी ओम ने मुझे रोक लिया और बोला "क्या मनीष भाई, आज कल तो हमसे बात करने की फुर्सत ही नही है तुमको. क्या हुआ मयंक और रुची से कुछ लड़ाई हो गयी है क्या?"
"अरे ओम भाई, आपको आंटी और चेतन की मम्मी से फुर्सत मिले तब तो हम आपसे बात करे. और लड़ाई की क्यों पूछ रहे हो?" मैंने भी ओम को सुनते हुए कहा. "अरे कहाँ भाई. आज कल तो हमारा मामला बिलकुल सूखा है, चेतन घर लौट आया है तो उधर नीलम भौजी ने भी कुछ दिनों के लिए मना कर दिया और लड़ाई की भी इसलिए पूछी की इधर कुछ दिनों से रुची और मयंक भी घर में ही रहते है, वैसे तो रोज तुम्हारे घर चले जाते थे तो अपना काम हो जाता था पर अब तो यहाँ भी सूखा है." ओम ने मुस्कुराते हुए कहा.

"वो हम लोग एडमिशन के चक्कर में बिजी थे न इसीलिए. अब मेरा एडमिशन तो हो गया अब मयंक का क्या हुआ वही पूछने जा रहा था पर आपने टोक दिया." मैंने बताया. "अच्छा अच्छा. वोही हमे लगा की इस खेल से भी किसी का दिल भरा है कभी जो तुम लोगो ने खेल बंद कर दिया."
"हम लोगों का खेल? क्या मतलब है आपका?" मैंने ओम से तल्खी में पुछा. तो ओम बोला "अरे नाराज क्यों होते हो. भाई तुमने कहा था की तुम मयंक की बहन चोदना चाहते हो और मयंक भी तुम्हारी बहन रश्मि को चोदना चाहता था अब तुम दोनों अपनी बहनों के साथ इधर एक महीने से ज्यादा हो गया दोपहर भर अपने घर में बंद रहते हो तो हमने सोचा की कुछ न कुछ तो खेलते ही होगे. हम तो तुमसे सब बता देते है और तुमने बताया ही नहीं की रुची को चोद कर तुम्हे कैसा लगा." 
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06-08-2017, 11:53 AM,
#34
RE: नए पड़ोसी
"क्या फालतू बात करते हो ओम भैया. अब इतनी गर्मी में दोपहर को क्या हम लोग सड़क पर क्रिकेट खेलेंगे. और वैसे भी हम लोग जो भी करे आपसे क्या मतलब है." मैंने थोडा गरम होकर कहा. इस पर ओम बोला "नहीं मतलब तो कुछ नहीं बस हम तुम्हारे आभारी है जो तुम मयंक और रुची को अपने घर बुला लेते थे तो हम यहाँ आंटी को आराम से चोदते थे. गर्मी तो अभी भी उतनी ही है तो कल भी बुला लेना दोनों को अपने घर तो हमारे प्यासे लंड की प्यास बुझ जाएगी."

"देखो आज के बाद मुझसे ये फालतू बात मत करना समझे." मैंने गुस्सा करते हुए कहा. "अच्छी बात है. पर हमारी आखिरी बात सुनते जाओ... सुनो चेतन का एडमिशन इंजीनियरिंग में हो गया है. एक हफ्ते बाद चला जायेगा. उसके बाद हम नीलम अरोड़ा को रोज पेलेंगे. तुमको क्या बताये जब नीलम भौजी ब्रा पैंटी पहन कर डांस करती है तो लौड़े में आग लग जाती है. अगर देखना हो नीलम भौजी का ब्रा पैंटी में मुजरा तो हमको बोलना भाई." नीलम आंटी का मलाई मक्खन जैसा बदन ब्रा पैंटी में दिखाने का ऑफर जो ओम आज मुझे दे रहा था अगर एक महीने पहले दिया होता तो मैं लपक लेता पर अब मैं ये जान गया था की ये बदले में मुझसे भी कुछ मांगेगा क्योंकि इसको शक हो गया है की मैं रुची को और मयंक रश्मि दीदी को चोदते है तो इससे ज्यादा बात करना खतरे से खाली नहीं है इसीलिए मैं ओम की बात का कोई जवाब दिए बिना मयंक के पास चला आया. 
एडमिशन की बात पूछने पर मयंक ने मुझे बताया की अंकल ने कुछ जान पहचान से मयंक का एडमिशन उसके मामा के शहर में करवा दिया और कुछ ही दिनों में वो अपने मामा की यहाँ चला जायेगा. मेरा दिल ख़ुशी से उछल पड़ा क्योंकि मैं जानता था की अब दीदी को रोज लंड लेने की आदत लग गयी है. अब अगर मयंक अपने मामा के यहाँ जाता है तो दीदी की चुदास मेरी किस्मत खोल सकती है. मैंने मयंक से पुछा "रश्मि दीदी को बता दिया." उसने कहा "अभी नहीं बताया है तुम ही बता देना." मैंने कहा "दीदी बहुत उदास हो जायेंगी ये सुन कर. और तुम भी वह रुची और दीदी के बिना कैसे काम चलाओगे." तो मयंक हँसते हुए बोला "यार रश्मि को दिक्कत जरूर होगी पर वो भी अब तेज हो गयी है, कुछ न कुछ कर ही लेगी वरना जब मैं छुट्टियों में आऊंगा तो पूरे साल का कोटा पूरा कर दूंगा. रुची के लिए तुम तो हो ही और रही बात मेरी तो वहीँ मेरी मौसी भी रहती है जिनकी बड़ी लड़की को मैं दो-चार बार चोद चूका हूँ और मामा की भी एक जवान लड़की है तो हो सकता है घर में भी जुगाड़ बन जाए. और नए कॉलेज में तो नए माल सेट होंगे ही." 

मैंने मन ही मन मयंक के हरामीपन की तारीफ़ की और दीदी को ये खुशखबरी देने घर पहुच गया और जैसा मैंने सोचा था जब रश्मि दीदी ने जब ये सुना की मयंक अपने मामा के यहाँ जा रहा है तो दीदी का मुह लटक गया. मैंने फ़ौरन मौके पे चौका मारते हुए कहा "दीदी परेशान क्यों होती हो. मयंक चला भी गया तो मैं तो हूँ." दीदी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और बोली "कभी सोचना भी मत समझे." और गुस्से से कमरे से बाहर चली गयी और मैं उनकी लचकती हुई गांड देख कर सोचने लगा की क्या मेरे लंड की किस्मत में ये गांड फाड़ना है या नहीं.
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06-08-2017, 11:54 AM,
#35
RE: नए पड़ोसी
मुझे लगा की रश्मि दीदी ऐसे तो मुझे नहीं चोदने देंगी लेकिन शायद वो मयंक की बात मान ले तो मैं अगले दिन सुबह ही मयंक के पास पहुच गया. दरवाजा आंटी ने खोला और मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोलीं "क्या बात है. आज कल अपनी आंटी की याद नहीं आती." 
"ऐसी बात नहीं है आंटी पर आप आज कल अकेली कहाँ मिलती है." मैंने जवाब दिया. "कोई बात नहीं. अगले हफ्ते रुची की छुट्टियाँ ख़तम हो जाएगी और मयंक भी परसों अपने मामा के यहाँ चला जायेगा फिर तो मैं घर पर अकेली बोर हो जाया करूंगी." आंटी ने बताया. "चिंता न कीजिये जब तक हम है आपकी बोरिंग करने के लिए आपको बोर नहीं होने देंगे बाकी ओवरटाइम के लिए ओम भैया तो है ही पर अभी तो जरा मयंक को बुला दीजिये कुछ काम है." मैंने हँसते हुए कहा.
"मयंक अपने कमरे में ही है. वही चले जाओ." आंटी ने मुझे अन्दर बुलाते हुए कहा. मैं मयंक के कमरे में पंहुचा तो देखा की वो पैकिंग में लगा हुआ है. मैंने पुछा "यार परसों जाना है और तुम आज सुबह से ही पैकिंग में क्यों लगे हो." वो बोला "यार कल मम्मी पापा के साथ गाँव के मंदिर जाना है, लौटते लौटते रात हो जाएगी और परसों सुबह की ट्रेन है तो सोचा सुबह सुबह पैकिंग कर लेता हूँ ताकि दोपहर को थोडा टाइम रश्मि के साथ बिता सकूं, तुम बताओ सुबह सुबह कैसे. रश्मि को बोला तो था की मैं आज दोपहर में आऊँगा." "अच्छा. दीदी ने बताया नहीं. पर अच्छा ही हुआ की मैं आ गया. अब आज के बाद तो तुम मिलोगे नहीं तो आज तुमको मेरा एक काम करना पड़ेगा." मैंने मयंक से बोला. 
"हाँ हाँ बताओ." मयंक ने काम पुछा. "यार तुम्हारे और रुची के बारे में जान कर और रश्मि दीदी को नंगा देख कर मेरा बहुत मन है की मैं भी अपनी बहन को चोदुं. अब जब तुम जाने वाले हो तो दीदी की लंड की जरूरत मैं पूरी कर सकता हूँ. तुम दीदी को मुझसे चुदवाने आईडिया दे देना और राजी भी कर लेना पर उनसे ये न कहना की मैंने तुमसे कहा है." मैंने मयंक से कहा.
"देखो भाई. मैंने पहले भी एक दो बार रश्मि से कहा था तुम्हारे साथ थ्रीसम करने के लिए लेकिन वो तुम्हारा नाम सुन कर भड़क जाती है. वो तुमसे चुद्वाने के लिए तैयार नहीं है फिर भी तुम्हारा दिल रखने के लिए मैं आज उससे एक बार और बात करके देखता हूँ." मयंक ने जवाब दिया. "यार अगर दीदी तैयार होती तो मैं तुम्हारे पास क्यों आता. पहले की बात दूसरी थी जब तुम दीदी को रोज लंड दे रहे थे पर अब तो तुम जा रहे हो दीदी को भी तो भूख मिटाने का जुगाड़ चाहिए न. मुझे लगता है की तुम कहोगे तो मान जाएगी." मैंने मयंक से बोला. "ठीक है अभी 2 घंटे में तुम्हारे घर आता हूँ फिर रश्मि से बात करूंगा." मयंक ने कहा और मैं वापस घर आ गया और मयंक का वेट करने लगा.

मयंक अकेले ही आया तो मैंने रुची के बारे में पुछा तो वो बोला "रुची अपनी फ्रेंड के घर गयी है शाम तक आयेगी. अब आज के बाद मेरे पास टाइम नहीं होगा तो मैं रश्मि से मिलने आ गया." मैंने कहा "कोई बात नहीं. अच्छा ही है. सुनो मैं भी 2-3 घंटे के लिए बाहर चला जाता हूँ फिर तुम पूरे घर में दौड़ा दौड़ा कर दीदी की लेना और मेरी बात भी कर लेना. दरवाजा बंद कर लो. दीदी अपने रूम में ही तुम्हारा वेट कर रही है."
मैं घर से बाहर निकल आया और मयंक ने दरवाजा बंद कर लिया. दरअसल मैंने सोचा की जब रुची भी घर में नहीं है और मयंक मेरे घर पर है तो मैं आंटी की सुबह वाली शिकायत दूर कर दूं और मैं आंटी को चोदने उनके घर चल दिया. पीछे वाले दरवाजे पर पहुच कर मैंने बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद आंटी ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर बोली "मयंक तो तुम्हारे यहाँ ही गया है." "हाँ वो आया था पर हमारा एक दोस्त और भी आ गया जिसके पास फिल्म का एक्स्ट्रा टिकेट था तो वो दोनों फिल्म देखने चले गए. मयंक ने बताया की रुची भी घर पर नहीं है तो मैंने सोचा की आप बोर हो जाएगी तो चला आया."
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06-08-2017, 11:54 AM,
#36
RE: नए पड़ोसी
आंटी हँसने लगी और मुझे अन्दर बुला कर बोली "अच्छा हुआ तुम आ गये वरना मैं ओम को बुलाने ही वाली थी" "अरे उससे तो मैंने ओवरटाइम करवाने को बोला था तो अभी क्यों बुलाने वाली थी उसको?" मैंने चिड़ते हुए कहा. "अरे नहाने जा रही थी तो सोचा की उसको बुला कर पीठ में साबुन लगवालूं."आंटी ने जवाब दिया. मैं बोला "अरे मेरे होते हुए आपको कोई और नहलाये लानत है मुझ पर" और मैंने आंटी को लपक कर गले लगा लिया. आज बहुत दिन बाद आंटी को चोदने के ख्याल से लंड ज्यादा ही झटके खा रहा था. साथ ही मन में उम्मीद भी थी की शाम को मयंक भी खुशखबरी दे सकता है. तो मैंने आंटी को कुछ ज्यादा कस के दबा दिया. "अरे अरे कुछ ज्यादा ही भूखे लग रहे हो. चलो कपडे उतर कर बाथरूम में चलो मैं अभी आती हूँ." आंटी ने अपने आपको छुडाते हुए कहा. 
मैं फ़ौरन कपडे उतर कर बाथरूम में पहुच गया और बेसब्री से आंटी का इंतज़ार करने लगा. जैसी उम्मीद थी आंटी लाल रंग की ब्रा पैंटी में बाथरूम में आई जिनको देख कर मेरे लंड ने एक जोर की सलामी दी. आंटी मेरे लंड को देख कर बोली "लगता है थोड़े दिनों में ही लम्बा और मोटा हो गया है." "रोज कसरत जो करवाता हूँ इससे." मैंने हँसते हुए कहा और मन में सोचा की इनको क्या पता की ये रोज इनकी बेटी के बिल में जा जा कर मोटा तगड़ा हो रहा है. "चलो पहले पीठ में साबुन लगा दो." आंटी शावर के नीचे जाकर ब्रा खोलती हुई बोली. आंटी के ब्रा खोलते ही उनकी दोनों चुंचिया कैद से आजाद होकर मुझे मुह चिढाने लगी.
मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने आगे बढ़ कर आंटी की चूंची को मुह में ले लिया और चूसने लगा. आंटी ने कहा अरे पहले नहा तो लेने देता. मैंने बोला "आंटी सबसे पहले चुदाई फिर बाकी के काम" ये सुन कर आंटी ने पैंटी भी उतार दी और अपने पांव को थोड़ा फैलाया और मेरे मुह को पकड़ कर अपनी चूत पर जोर से दबा कर बोली "तो ठीक है पहले इसको चाट".
मैं फ़ौरन नीचे झुक गया और किसी प्यासे कुत्ते की तरफ उनकी चूत को खोल खोल के अंदर तक मेरी जीभ घुमा घुमा के चाटने लगा. मेरी इतनी जबदस्त चूत चटाई से आंटी झड़ने लगी उन्होंने मेरे बाल को जोर से पकड़ कर मेरा मुह अपनी चूत पर दबा दिया और बोली "पी ले मनीष, सारा पानी पी जा" उनकी चूत के पानी के साथ साथ शावर का पानी उनके जिस्म से एक एक अंग से बह कर मेरे मुह में जा रहा था जो मुझे और भी उत्तेज़ित कर रहा था. आंटी की चूत चाटने के बाद मैं वापस उनकी चून्चियो पर आ गया और आंटी भी अब छोटे बच्चे की तरह मुझसे अपनी चुंचिया चुसवाने लगी. फिर आंटी मेरे लंड को पकड़ कर निचे बैठी और मेरा लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. मेरा लंड जो पहले से ही बहुत टाईट था उन्होंने चूस चूस के और टाइट कर दिया फिर आंटी मेरे सामने बाथरूम के फर्श पर बैठ गयी और अपनी टांगे फैलाकर चूत को खोल दिया. मैंने आंटी की चूत पर लंड ले जाकर धक्का मारा और पूरा लंड एक धक्के में अंदर चला गया.
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06-08-2017, 11:54 AM,
#37
RE: नए पड़ोसी
आंटी मुझे जोश दिलाने के लिए एकदम से आवाजें निकालने लगी "आह्ह ओह्ह हह्ह्ह ओह्ह हहह आऊउ मनीष आज तू तेरा पूरा लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत को फाड़ दे आज अपनी आंटी की चूत को एकदम से फाड़ दे अहह ओह अग्घ्घ उऔऔ उम्म्म अघ्घ्ग ओह हह्ह्ह उस्सस एस अह्ह्ह अय्य्य्य उम्म्म ओह्ह मनीष."
मैं और जोश में आकर उनको जोर जोर से चोदने लगा. फिर मैंने आंटी को बाथरूम के फर्श पर कुतिया बनाया और उनकी चूत में अपना लंड डाला और उनको पागल कुत्ते की तरह चोदने लगा. आंटी बोली मनीष घुटने में दर्द हो रहा है चलो बेडरूम में चलो. हम दोनों गीले ही बाथरुम से बाहर आये और उनके बेड रूम में चले गए. आंटी बेड पर लेट गयी. मैंने आंटी को पलटाया और अपना लंड उनकी गांड के छेद पर रखा और धीमे धीमे धक्का लगाने लगा. वह धीमे धीमें चीख रही थी "आह्ह ओह्ह हहह दुख रहा है धीरे धीरे कर, अरे क्रीम तो लगा लेता." जब लंड का सुपाडा अंदर चला गया और मैंने जोर से धक्का मारा.
तो आंटी बोली "भोसड़ीके क्या कर रहा है? निकाल और पहले क्रीम लगा." मैंने आंटी के मुंह पर हाथ रखा तो आंटी मेरा हाथ काटने लगी. मुझे थोड़ा गुस्सा आया और मैंने जोर से अपना लंड आंटी की गांड में पेल दिया. लंड आराम से अन्दर नहीं जा रहा था तो मैंने ज्यादा जोर डाला जिससे आंटी को काफी दर्द हुआ पर मैंने उनका मुह कसके बंद कर रखा था तो वो सिर्फ गों गों करके रह गयी और मैं जोर जोर से उनकी गांड मारने लगा. पूरे रुम में ठप ठप की आवाज सुनाई दे रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने एक दम से लंड बाहर निकाला और उनकी गांड के होल मैंने अपनी जीभ को हल्की हल्की घुमाने लगा. फिर मेने पूछा की क्या अब भी दर्द हो रहा है?
तो आंटी गुस्से से बोली "अरे पिछवाड़े में डालने से मना कब किया तुझे. बस क्रीम लगाने को की तो बोला था. अरे चूत तो पानी छोडती है तो चिकना रहता है. गांड में कुछ तो लगाना चाहिए था न. उफ्फ कितना दर्द हुआ मुझे." उन्होंने कहा "लेकिन अब तू डाल न दर्द के साथ मजा भी आ रहा है अब". ये सुनते ही मैंने वापिस उनकी गांड में एक झटके के साथ लंड पूरा अंदर घुसा दिया और उनकी गांड मारने लगा. साथ में उनकी चूत में भी एक साथ अपनी तीन उंगलिया घुसा दी.
आंटी बोली "तू खुद इतने दिन नहीं आया और बदला मुझसे ले रहा है? मुझे क्यों तड़पा तड़पा कर चोद रहा है? क्या हुआ क्यों ऐसा कर रहा है?" मैंने कहा "आंटी ये भी मोहब्बत का एक रंग है. इसके भी मजे लीजिये न." और लंड को उनकी गांड से निकालकर आंटी के बाल पकड़कर उनके मुंह में पूरा घुसा दिया, आंटी उह्ह ओह्ह कर रही थी, थूक बहार फेंक रही थी, आंखों से पानी निकल रहा था, लेकिन मैंने वह लंड उनके गले तक अंदर डाला फिर बाहर निकाला और मैंने पूछा "कैसा लगा?" आंटी बोली "अरे अभी इस सब ड्रामे का टाइम नहीं है. जल्दी से एक बार मेरी चूत में डाल के इसकी आग को ठंडा करदे. रुची कभी भी आ सकती है और अभी बहुत काम करने है." मैंने सोचा आंटी सही कह रही है और जल्दी घर जाकर मयंक और दीदी की चुदाई भी देखने को मिलेगी तो मैंने आंटी को सीधा लिटाया उनकी टाँगे अपने कंधो पर रखी और आंटी को बटरफ्लाई पोजीशन में चोदना शुरू किया और करीब 20 मिनट बाद अपना माल आंटी की चूत में छोड़ दिया. थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे फिर आंटी बोली "अब तू कपडे पहन कर जा. मैं भी नहाने जा रही हूँ." मैं कपडे पहन कर छत के रस्ते से चुपचाप अपने घर में आ गया. नीचे आकर मैंने देखा की मयंक और दीदी पूरे नंगे है और मयंक दीदी को सोफे पर लिटा कर ताबड़तोड़ तरीके से चोद रहा था और पूरा हाल उसकी थापों से गूँज रहा था. दीदी भी मस्ती में आह मयंक और जोर से अआः मर्र गयीईईईइ येस्स्स्स हाँ हां आःह्ह्ह की आवाजे निकाल रही थी. मैं छुप कर रश्मि दीदी का खुबसूरत नंगा बदन और मयंक को उन्हें चोदता हुआ देखने लगा.
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06-08-2017, 11:54 AM,
#38
RE: नए पड़ोसी
पर शायद उनकी चुदाई भी काफी देर से चल रही थी इसीलिए 5 मिनट के अन्दर ही रश्मि दीदी कहने लगी "और जोर से मयंक मैं बस झड़ने वाली हूँ. हाँ जोर से हाम्म्म आःह्ह्ह." मयंक ने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और अब उसका लंड दीदी की चूत से ऐसे अन्दर बाहर हो रहा था जैसे की किसी इंजन का पिस्टन और एक मिनट के अन्दर ही दोनों साथ साथ झड गए. मयंक ने दीदी की चूत से अपना लंड निकाला तो पक्क की आवाज आई और दीदी की चूत से मयंक का वीर्य बह कर बाहर आने लगा. मयंक दीदी के साथ की सोफे पर बैठ गया. दीदी के पानी से भीगा मयंक का लंड हाल की रौशनी में चमक रहा था.

दो मिनट बाद मयंक उठा और अपने कपडे पेहनने लगा और बोला "रश्मि आज तो सच में तुमने कमाल ही कर दिया. इतना मजा तो आज तक मुझे नहीं आया. इतनी पोजीशन तो मुझे भी नहीं आती है जो तुमने सिखा दी." दीदी बोली "अब तुम जा रहे हो तो इतना तो बनता था की ये वाली चुदाई तुमको हमेशा याद रहे और वैसे भी आज मनीष और रुची भी नहीं थे तो खुल के मस्ती की जा सकती थी."

"देखो मैं तो परसों चला जाऊँगा तो अभी बता दो की तुम्हारी क्या चॉइस है." मनीष ने दीदी से कहा. "मनीष वाली बात तो नहीं हो सकती हाँ तुमने जो दूसरी बात कही है मुझे लगता है की आगे के लिए वो ही ठीक रहेगा. उसमे कोई रिस्क भी नहीं है." दीदी ने मयंक को जवाब दिया. "तो ठीक है यही तय रहा फिर. चलो मैं चलता हूँ. बाकी सब तो फिक्स है ही." मयंक ने दीदी को गले लगाकर किस किया और चला गया. दीदी भी दरवाजा बंद करके बाथरूम में घुस गयी और मैं अपने कमरे में चला गया. मैं ये तो समझ गया था की मयंक ने दीदी को मुझसे चुदवाने के लिए कहा होगा जो दीदी ने मना कर दिया पर ये दूसरी बात इसने दीदी से क्या कही है जिसके लिए दीदी तैयार है. थोड़ी देर बाद दीदी नहा कर निकली तो मैं भी अपने रूम से निकल आया. दीदी अभी भी पूरी नंगी थी. मुझे घर में देख कर दीदी चौंक गयी और वापस बाथरूम में घुस गयी.

वो बाथरूम के अन्दर से ही बोली "तू कब आया और अन्दर कैसे आया." मैंने झूठ बोल दिया "अभी अभी आया हूँ. दरवाजा खुला था तो बेल नहीं बजाई." "पर दरवाजा तो मैंने बंद किया था खुला कैसे रह गया. अच्छा जरा मेरे रूम से मेरे कपडे तो देना." दीदी बोली. "ओफ्फो दीदी. देख तो लिया है मैंने तुम्हे बगैर कपड़ो के तो फिर क्यों ड्रामा कर रही हो." मैंने थोडा चिढ़ते हुए बोला. "तो क्या हुआ? जो गलती से हुआ वो जान बूझ कर करूं. फिर से याद दिला रही हूँ की हम भाई बेहेन है. जा कपडे ले कर आ." दीदी गुस्से से बोली.
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06-08-2017, 11:55 AM,
#39
RE: नए पड़ोसी
मेरी सारी आशाओं पर पानी फिर गया. "कौन से कपडे पहनोगी." मैंने दीदी से पुछा. "ब्लू स्कर्ट और सफ़ेद टी शर्ट ले आ." दीदी ने जवाब दिया. "और ब्रा पैंटी कौन से रंग की लाऊँ?" मैंने फिर पुछा. मेरे ये पूछने पर दीदी और गुस्सा हो गयी. चिल्ला कर बोली "तू अपने कमरे में चला जा. मैं अपने आप कपडे ले लूंगी." अब मेरा मूड भी ख़राब हो गया और मैंने भी चिल्ला कर कहा "नहीं जाता. क्या मैं तुम्हारा नौकर हूँ?" 

मुझे उम्मीद नहीं थी जो इसके बाद हुआ. दीदी ने बाथरूम का दरवाजा खोला और पूरी नंगी बाहर आकर मुझे घूरती हुई दौड़ कर अपने कमरे में चली गयी और कमरे का दरवाजा भड़ाम से बंद कर लिया. दीदी का गीला नंगा बदन देख कर मेरा मूड फिर से ठीक हो गया और मैं मयंक के पास ये पूछने चल पड़ा की दीदी के साथ उसकी क्या बात हुई है. मयंक मुझे घर के बाहर ही मिल गया. वो ओम की दुकान पर खड़ा कोल्ड ड्रिंक पी रहा था. मुझे देख कर ओम बोला "आओ आओ मनीष बाबु लो तुम भी कोल्ड ड्रिंक पीओ". "किस ख़ुशी में कोल्ड ड्रिंक पिला रहे हो ओम भाई" मैंने पुछा. "अरे पिला रहे है तो कोई तो ख़ुशी की बात होगी ही. लो पीओ". ओम ने के थम्सअप मेरे हाथ में भी थमा दी.

कोल्ड ड्रिंक पी कर हम दोनों थोडा अलग हट गए और मयंक बोला "यार कहा चले गए थे तुम". मैंने कहा "वो सब छोड़ो ये बताओ की दीदी ने क्या कहा." मयंक बोला "यार रश्मि ने तुमसे चुदवाने से साफ़ मना कर दिया.अब क्या कहूँ तुम्हारी किस्मत ही ख़राब है वरना आज तो तुम्हारी बेहन ऐसी मस्ती कर रही थी की मुझे लगा मान जाएगी. आज तो उसने कामसूत्र के आसनों में चुदवाया मुझसे. बहुत मस्त मूड में थी रश्मि आज पर लास्ट में मैंने जब पुछा तो बोली की मनीष के साथ तो कभी नहीं करवा सकती."

"ओह तो फिर तुम्हारे जाने के बाद क्या करेगी वो." मैंने जानना चाहता था की वो दूसरी बात क्या है जिसके लिए रश्मि ने हामी भरी है. "वो बोली की जब जब मैं छुट्टियों में वापस आऊँगा तब हम कर लिया करेंगे. इसमें कोई रिस्क भी नही रहेगा." मयंक ने बताया. मुझे याद आया की दीदी भी मयंक से कह रही थी की इसमें कोई रिस्क नहीं रहेगा. मैंने सोचा की अगर मुझसे चुदवा लेगी तो तो बिलकुल भी रिस्क नहीं रहेगा. चलो शायद मयंक के जाने के बाद दीदी मान जाये. मैंने मयंक से बोला "कोई बात नहीं भाई. चलो अब तो तुम जल्दी मिलोगे नहीं." मैंने मयंक को गले लगाया और वापस घर चला आया. रश्मि दीदी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी. मैं भी वही बैठ गया और खाना लेकर खाने लगा. दीदी बोली "अब कालेज में आ गया है. सिर्फ एक ही चीज में दिमाग मत लगा. थोडा पढाई पर भी ध्यान दे वरना फर्स्ट इयर में ही लटक जायेगा. समझा?" दीदी के ताने को सुन कर मैंने हाँ में सर हिलाया और सोचा की जब मयंक जा रहा है तो इनको पढाई याद आ रही है वरना तो सिर्फ चुदाई की ही याद रहती थी.
अगले दिन नाश्ता करने के बाद दीदी तैयार हुई और बोली "मैं कुछ काम से अपनी फ्रेंड के पास जा रही हूँ. शाम को आऊँगी." ये बोल कर दीदी बाहर चली गयी और मैं टीवी देखने लगा. करीब १५ मिनट बाद बेल बजी और जब मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो रुची थी. मैंने उससे पुछा "अरे तुम नहीं गयी अंकल आंटी के साथ गाँव?" "नहीं मेरा मन नहीं था. मैंने सोचा की कॉलेज खुलने से पहले एक बार खुल कर तुम्हारे साथ चुदवा कर मजे लूं." मैंने सोचा वाह आज मैं भी रुची को पूरे घर में दौड़ा दौड़ा कर चोदुंगा. मैंने कहा "सही किया जो नहीं गयी. आज तो घर में रश्मि दीदी भी नहीं है तो मजा दोगुना हो जायेगा."


"पता है इसीलिए तो आई हूँ. अब क्या बातें ही करते रहोगे." रुची टी शर्ट उतारते हुए बोली. उसकी काली ब्रा में कैद चुंचिया कमाल लग रही थी. मैंने रुची को गोद में उठाया और अपने रूम में लाकर बेड पर पटक दिया. और मैं उसके ऊपर आ गया और उसको चूमना शुरु कर दिया. ५ मिनट तक मैं उसको चूमता रहा. उसके बाद मैं ने उसकी ब्रा भी खोल दी. जैसे ही मैं ने ब्रा खोली तो उसकी चुंचिया उछल के बाहर आ गये मैं उसे देखकर उसको दबाने लगा. कितने दिनो के बाद इसके पूरे के पूरे बूब्स देखने को और दबाने को मिले फिर मैं ने उसकी निप्पल को मुंह मे रख दिया और चूसने लगा वो आआहहाआआहह्हहाहह कर रही थी. मैं उसे चूसता ही रहा थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोल दी. 

उसकी चूत हमेशा की तरह बहुत गरम हो रही थी तो उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने रुची की पैंटी को निकाल दिया और उसकी चूत को फैला के चाटने लगा. वो सिसकारी भर रही थी. अहाआआ अस्सशहस आआअहहस्स स्सशाआ आआहस्सह्हस्सस अहह ह्हह्हह हस्साआ आअह्ह ह्हहा हहाआ हहाहह… फिर रुची ने मेरे लंड को हाथ में लिया और खींच कर कस कर दबाने लगी और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघो के बीच लेकर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके. उसकी चूची मेरे मुंह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था.

अचानक उसने अपनी एक चूची मेरे मुंह मे ठेलते हुए कहा " मनीष आज अपनी सारी तमन्नाये पूरी कर लो. जी भर कर दबाओ. चूसो और मज़े लो. मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही करो. चूसो इनको मुंह में लेकर." फिर क्या था मैंने रुची की लेफ़्ट चूची मुंह में भर ली और जोर जोर से चूसने लगा.
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06-08-2017, 11:55 AM,
#40
RE: नए पड़ोसी
मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ को रुची के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया. मैं उसके दोनो अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लुंगा. रुची भी पूरा साथ दे रही थी. उसके मुंह से ओह! ओह! अह! सी, सी! की आवाज निकल रही थी. मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी. उसने अपनी लेफ़्ट टांग को मेरे कंधे के उपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघो के बीच रख लिया. मुझे उसकी जांघो के बीच उसकी चूत का मुलायम रेशमी एहसास हुआ. मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी हलकी हलकी झांटों मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बांध टूट रहा था. रुची भी बोली "आह मनीष, मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को."

पर मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा. उसने अपना मुंह मेरे मुंह से बिल्कुल सटा दिया और फिर से फुसफुसा कर बोली "अपनी रुची को चोदो न. अब और मत तडपाओ." रुची ने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रख कर रास्ता दिखा दिया. रास्ता मिलते ही मैंने एक ही धक्के में लंड का सुपाड़ा अंदर कर दिया.. फिर मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया. रुची के मुह से एक सुख की सीत्कार निकली "आआःआह उईई ईईइ ईईइ माआआ हुहुहह ओह बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड"

रुची की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी. उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी. मैं ने हाथ बढ़ा कर दोनो चूची को पकड़ लिया और मुंह में लेकर चूसने लगा. रुची ने अब मस्ती में अपनी कमर हिलानी शुरु कर दी. और मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. रुची को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी. अपनी रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया.

उसकी चूत में मेरा लंड तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुंच गया हूं. जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी मैं रुची के ऊपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा. रुची ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई में साथ देने लगी. मैं भी अब रुची की चूची को मसलते हुए ठका ठक शोट लगा रहा था. रुची अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रही थी और बोले जा रही थी "अह्हह आअहह उनहह ऊओहह ऊऊहह हाआआन हाआऐ मीईरे रज्जज्जजा, माआआअर गयययययये रीईए, लल्लल्लल्ला चूऊओद रे चूऊओद. उईई मीईईरीईइ माआअ, फाआआअत गाआआयीई रीईई शुरु करो, चोदो मुझे. लेलो मज़ा जवानी का मेरे ज्जज्जा" और अपनी गांड हिलाने लगी.

मैने काफी देर तक उसे चोदा. मैं भी बोल रहा था "लीईए मेरीईइ रानीई, लीई लीईए मेरा लौड़ा अपनीईइ ओखलीईए मीईए. लीईए लीई, लीई मेरीईइ रुचीआअ ये लंड अब्बब्बब तेराआ हीई है. अहह्ह! उहह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखाया तुने . मैं तो तेरीईईइ गुलाम हूऊऊ गयीईए." रुची गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड चूत में ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी चूचियों को मसल मसल कर अपनी रुची को चोदे जा रहा था. रुची मुझसे कह रही थी "लगाओ शोट" और मैं जवाब देता "ये ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत में". "जरा और जोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत में मनीष". " ये ले मेरी रानी, ये लंड तो तेरे लिये ही है." देखो मेरी चूत तो तेरे लंड की दिवानी हो गयी और जोर से और जोर से आआईईए. मैं गयीईईए रीई" कहते हुए रुची ने मुझको कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी चूत के ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया. अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला "मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन" और मैने भी अपने लंड का पनी छोड़ दिया और मैं हांफ़ते हुए उसकी चूची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया.
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