नए पड़ोसी
06-08-2017, 11:48 AM,
#21
RE: नए पड़ोसी
अब धीरे-धीरे मयंक का लंड दीदी की चूत के अंदर जा रहा था अब दीदी छटपटा कर छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मयंक ने दीदी को जैसे जकड़ा था वो हिल भी नहीं पा रही थी. अब रश्मि दीदी के मुँह से सिर्फ़ ह्म्म्मुहमममहम्म की आवाज़ ही आ रही थी. मयंक हलके हलके झटके लेकर अपने लंड को दीदी की चूत में घुसाता ही जा रहा था और अब जब उसका पूरा लंड दीदी की चूत के अंदर चला गया तो मयंक रुक गया. मैंने देखा की दीदी की चूत से हल्का सा खून भी निकल रहा था. मुझे मयंक की किस्मत पर रंज हुआ साले को सील पैक चूत की सील तोड़ने को मिल गयी थी. 

मयंक ने जैसे ही रश्मि दीदी का मुँह छोड़ा दीदी कहने लगी "प्लीज बाहर निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है प्लीज निकाल लो" लेकिन मयंक बोला "डार्लिंग बस ये पहली बार का दर्द था जो तुमने सह लिया अब मजा ही मजा है." लेकिन दीदी नहीं मानी और उससे लंड बाहर निकालने को कहती रही. मयंक ने दुबारा से दीदी का मुँह अपने हाथ से दबाया और अपना लंड पूरा बाहर निकाला और फिर से एक झटके में पूरा अन्दर डाल दिया और ताबड़तोड़ दीदी को चोदने लगा. मुझे रश्मि दीदी को देखकर लग रहा था कि वो बहुत दर्द में है लेकिन मयंक उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. वो पूरी तेज़ी से झटके मार रहा था. मैं भी देख रहा था कि कैसे मेरी बहन की इतनी बेरहमी से चुदाई हो रही है और मुझे एहसास हुआ की सिर्फ आंटी की चुदाई देख कर ही नहीं बल्कि अपनी सगी बहन की चुदाई देख कर भी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. 
थोड़ी देर की चुदाई के बाद दीदी भी मचलने लगी. शायद उनका दर्द अब मजे में बदल गया था. पहली बार दीदी मोटे और तगड़े लंड से चुद रही थी. अब मयंक ने उनके मुह से हाथ हटा लिया और दीदी की मस्ती भरी आवाजो से पूरा कमरा गूँज रहा था. मयंक लगातार दीदी की चूत में अपने मोटे लंड से झटके मारे जा रहा था और झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. शायद उसने जो स्प्रे किया था ये उसी का असर था. दीदी एक बार फिर से झड गयी पर मयंक पूरे जोश से दीदी की चूत का बाजा बजाये जा रहा था. मेरा लंड वापस से खड़ा होकर फटने की कगार पर था. मैंने जोर जोर से लंड को हिलाना शुरू कर दिया उधर मयंक ने दीदी को पलटा कर कुतिया बना दिया और पीछे से उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया और झटके मारने लगा. दीदी की कसी हुई चूत में मयंक का मोटा लंड बहुत फंस कर अन्दर बाहर हो रहा था. मयंक ने दीदी की ब्रा फिर से खोल दी और दीदी की चुचिया हवा में लटकी झटको के साथ आगे पीछे झूल रही थी और मेरी बहन इस पोज़ में बहुत प्यारी लग रही थी. मेरा मन कर रहा था की मैं खुद अन्दर जाकर मयंक को हटा कर अपना लंड अपनी प्यारी दीदी की चूत में पेल दूं. ये शायद पहली बार हुआ था की मैंने अपनी बहन को चोदने के बारे में सोचा था और इसी सोच के साथ मेरे लंड ने फिर से वीर्य उगलना शुरू कर दिया.

उधर मयंक रश्मि दीदी की चूत मारते हर उनकी गांड के छेद को भी सहला रहा था. मुझे लगा की शायद साला आज दीदी की गांड भी मारेगा. वैसे भी दीदी शाम तक का प्रोग्राम तो बना कर ही आई थी. मयंक ने दीदी की चूत मारते मारते वो स्प्रे वापस उठाया और दीदी की गांड के छेद पर डाल दिया. शायद वो स्प्रे लुब्रिकेंट का काम भी करता था. दीदी की चूत में अपना लंड पेलते हुए मयंक ने दीदी की गांड में अपनी एक उंगली डालकर उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया. दीदी की गांड का छेद बहुत छोटा था और उनको ऊँगली अन्दर जाने से दर्द होने लगा था और वो मयंक से बोली "ऐसा नहीं करो. मुझे दर्द हो रहा है" मयंक बोला "रश्मि मेरी जान, थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करो फिर मज़ा ही मज़ा आएगा" और थोडा स्प्रे दीदी की गांड पर और डाल दिया और दो उंगलिया दीदी की गांड में डाल दी. आहिस्ता-आहिस्ता मयंक ने दीदी की गांड में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी और उंगलियों से दीदी की गांड मारता रहा.
Reply
06-08-2017, 11:48 AM,
#22
RE: नए पड़ोसी
फिर अचानक उसने अपना लंड दीदी की चूत से निकाल लिया. दीदी की चूत के पानी से मयंक का लंड एकदम चिकना हो कर चमक रहा था. मयंक ने लंड दीदी की गांड के छेद पर रखा और आहिस्ता से अंदर डालना शुरू किया. अभी लंड का टोपा ही बड़ी मुश्किल से अंदर गया था कि तभी दीदी दर्द से चिल्लाने लगी. दीदी कहने लगी "मयंक बाहर निकालो वरना में मर जाऊंगी. वहां मत डालो. आगे डालो प्लीज." मयंक उसी पोज़िशन में रुक गया और उसने दीदी का मुँह तकिए पर दबा दिया और फिर एक जोरदार झटका मारा तो आधा लंड दीदी की गांड में घुस गया. दीदी की आँखे बाहर निकल आई थी और उनसे आँसू बहने लगे. रश्मि दीदी बुरी तरह से तड़पने लगी. मयंक दीदी की चुंचिया दबाता रहा और दीदी की पीठ चूमता चाटता रहा. क़रीब 5 मिनट के बाद दीदी के आँसू आने बंद हुए तो मयंक ने आहिस्ता-आहिस्ता दीदी की गांड मारना शुरू किया और फिर अपनी स्पीड बढ़ाता चला गया और फिर से एक जोर का झटका लगा के अपना पूरा लंड जड़ तक दीदी की गांड में ठूस दिया.
दीदी के मुह से फिर से एक चीख निकल गयी लेकिन अब दीदी को भी गांड मराने में मज़ा आने लगा था. मयंक करीब २०-२२ मिनट तक रश्मि दीदी की गांड मारता रहा. दीदी की हालत पस्त हो गयी थी और वो पूरी तरह से पसीने में नहा रही थी लेकिन दीदी की गांड इतनी नर्म और ज़बरदस्त थी कि मयंक का उसे छोड़ने का दिल ही नहीं कर रहा था फिर भी बीच बीच में मयंक अपना लंड दीदी की गांड से निकाल कर दीदी की चूत में डाल देता और थोड़ी देर चूत मारने के बाद वापस दीदी की गांड मारने लगता. ऐसे ही रश्मि दीदी की जबरदस्त चुदाई करने के बाद मयंक आखिरकार दीदी की गांड में झड़ गया और अपना लंड उसकी गांड में ही डालकर उसके ऊपर लेट गया. मैं भी खड़े खड़े थक गया था. दो बार मुठ भी मार चूका था तो अब मैं वापस छत पर आकर अपने घर आ गया और अपने कमरे में आकर लेट गया. कब मुझे नींद आ गयी पता ही नही चला. करीब 2 घंटे तक मैन्सोता रहा और ख्वाबों में अपनी बहन को नंगा देखता रहा कभी मयंक से चुदते और कभी खुद चोदते. जब मेरी नीद खुली तो मैंने देखा की रश्मि दीदी अभी तक वापस नहीं आई है. मुझे लगा की साला मयंक अभी तक क्या कर रहा है. दीदी की चूत और गांड दोनों ही फाड़ दी थी उसने मेरे सामने. मैं वापस छत पर जाने लगा तो देखा दीदी खुद ही ऊपर से उतर कर आ रही थी. दीदी के बाल गीले थे शायद वो मयंक के साथ नहा कर वापस आई है. दीदी को देख कर मेरे मुह से निकल ही गया "इतनी देर कैसे लगा दी. कितनी बार किया तुम दोनों ने." ये सवाल सुन कर दीदी का चेहरा शर्म से लाल हो गया. मुझे भी एहसास हुआ की मैंने गलत बात पूछ ली है. बात घुमाते हुए मैंने फिर से बोला "खाना खाया या नहीं." दीदी ने अब जवाब दिया "हां खा लिया."
"जाओ दीदी बाल सुखा लो वरना बीमार हो जाओगी. क्या वहीँ नहा भी लिया क्या?" मैंने फिर पुछा. दरअसल मैं दीदी को सहज करना चाहता था. "हां. पूरे बदन में पसीना भर गया था तो मयंक बोला नहा कर जाओ." दीदी ने थोडा सहज होते हुए जवाब दिया. "और तुम्हारे जो कपडे फाड़ दिए थे मयंक ने." मैंने थोडा और बोल्ड होते हुए दीदी की पैंटी के बारे में पुछा. "वो रुची के अंडरर्गारमेंट दे दिए थे मयंक ने." दीदी ने नार्मल रहते हुए जवाब दिया. "रुची के? उसका साइज़ आ गया तुमको?" मैंने और मजे लेने की कोशिश की. "थोडा कसा है पर मैं अभी बदल लूंगी." दीदी ने इस बार भी सहज रहते हुए बोला. "अब बस भी करो मैं बहुत थक गयी हूँ जाकर अपने रूम में थोडा आराम कर लेती हूँ". "हा हा जाओ. थक तो जाओगी ही इतनी मेहनत जो करके आई हो." मैंने दीदी की चुटकी लेते हुए कहा. मेरी बात दीदी को शायद बुरी लग गयी वो रुकी और मुझसे बोली "देखो मनीष मेरी एक बात ध्यान से सुन लो." मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैंने फ़ौरन दीदी की बात काट कर कहा "तुम चिंता मत करो दीदी. आज की बात मैं किसी से नहीं कहूँगा और तुम दोनों को फुल सपोर्ट भी करूंगा बस जब वक़्त आये तुम भी मेरा साथ देना. ओके" इतना कह कर मैं घर से बाहर निकल आया. दीदी पीछे से पर मेरी बात तो सुनो कहती ही रह गयीं पर मैंने उन्हें अनसुना कर दिया क्योंकि मुझे पता था की अब मैं वहां रुका तो दीदी के साथ जो भी बात करूंगा वो गड़बड़ हो जाएगी.
Reply
06-08-2017, 11:49 AM,
#23
RE: नए पड़ोसी
घर से निकलते हुए मैंने सोचा की मयंक के पास चलना चाहिए पर जब मैंने घर का दरवाजा खोला तो देखा की सामने वाली लाइन के एक घर से ओम भी निकल रहा था. अचानक मुझे देख कर ओम थोडा हडबडा गया. मैंने उस घर की तरफ ध्यान से देखा ये तो अरोरा अंकल का घर था जिनका बेटा चेतन मेरा दोस्त था और आजकल अपने मामा के यहाँ दिल्ली गया हुआ था. इस समय अरोरा अंकल भी ऑफिस में होंगे मतलब नीलम आंटी घर पर अकेली होंगी. तो ये साला ओम मोहल्ले की सारी औरतों की लिस्ट बनाये है जो दोपहर को घर पर अकेली रहती है. अब ओम को जब मैंने देख ही लिया तो वो भी फीकी सी हसी हसता हुआ मेरी तरफ आने लगा. मैं भी उसका सड़क पर खड़ा होकर वेट करने लगा.

मेरे पास आकर ओम बोला "कहाँ जा रहे हो मनीष बाबु." "बस घर पर बोर हो रहा था तो ऐसे ही मयंक के पास जा रहा था पर आप बताओ आप कहा से आ रहे हो." मैंने उससे पुछा. "पर मयंक तो कोचिंग गया है अभी आया नहीं होगा." उसने बात घुमाते हुए कहा. "अभी थोड़ी देर पहले मैंने उसे आते हुए देखा था. पर आप कहाँ से आ रहे हो ये आपने नहीं बताया." मैं बात को फिर पॉइंट पे ले आया. "वो नीलम भाभी ने कुछ सामान मंगाया था वोही देने गया था" ओम ने साफ़ झूठ बोल दिया. "ओम भैया तुम्हे दुकान बंद करके उनके घर में घुसे 4 घंटे हो गए है और तुम अब निकले हो. पिछले 4 घंटे से क्या सामान दे रहे थे नीलम आंटी को जरा हमें भी तो बताओ." मैंने मुस्कुराते हुए पुछा. "अरे जाने भी दो. काहे शरीफ औरतों की बातों में पड़ते हो." ओम ने बात टालते हुए कहा. "भाई तुमसे मिलने के बाद औरतें शरीफ रह कहा जाती है. आंटी की तो तुम पहले ही ले रहे थे अब नीलम आंटी को भी चोद डाला." मैंने साफ साफ़ ओम से पुछा.
"नहीं नहीं भौजी से तो बस हमारा हँसी मजाक चलता है बस उससे आगे कुछ नहीं है." ओम ने साफ़ झूठ बोल दिया. "भाई एक दिन मैं छत से आंटी के घर गया था. मम्मी ने कुछ सामान दिया था आंटी को देने के लिए और उनके घर जाकर मैंने देखा की तुम आंटी को उन्ही के बेडरूम में नंगा करके चोद रहे थे तो मुझसे छुपाने की जरूरत नहीं है. मैं सब जानता हूँ. अब जल्दी बताओ की नीलम आंटी को कैसे फसाया." मैंने ओम को अब झूठ बोलने का कोई मौका नहीं दिया. "अच्छा तो जब सब जानते ही हो तो पूछ काहे रहे हो. देखो मनीष भैया हम किसी को फसाते नहीं बस सोशल सर्विस करते है. जिसको जरूरत होती है बुला लेती है. तुम्हारी आंटी को अंकल मजा नहीं देते और नीलम भौजी के पति ऑफिस की किसी लौडिया से फसे है. अब तुम्ही बताओ घर में नीलम जैसी मक्खन मलाई खुली छोड़ देंगे तो कोई तो मुह मारेगा ही." ओम ने मुस्कुराते हुए कहा. "चलो दुकान खोलते है. बहुत देर से बंद है. वहीँ चल कर बात करेंगे." ये कह कर ओम दुकान की तरफ चल दिया. मैं भी उसके साथ चल दिया और सोचने लगा की अरोरा अंकल अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़ कर ऑफिस की किसी लौंडिया के पीछे पड़े है, सच में लंड की भूख कभी शांत नहीं होती. ओम ने जाकर दुकान खोली और मैंने देखा की मयंक ने भी घर का गेट खोल दिया था. मैंने घर की बेल बजाई और ओम से पुछा "और किस किस आंटी की ले रहे हो मोहल्ले में." ओम हँसने लगा और बोला "वो सब जान कर क्या करोगे. मैंने तो तुमसे कहा था की आंटी की दिलवा दूंगा पर तुमने ही मना कर दिया." "हम्म, अच्छा नीलम आंटी की कितनी बार ली है ये तो बताओ." मैंने पुछा. "ज्यादा नहीं सिर्फ 4-५ बार ही. आज पहली बार गांड मारी है. तुमको क्या बताऊँ मस्त माल है नीलम भौजी." "आंटी से भी ज्यादा मस्त" मैंने पुछा. "अरे भाई मोहल्ले की हर औरत से ज्यादा मस्त. नयी लौंडिया भी उनके आगे फेल हैं और वैसे भी मुझे सिन्धी पंजाबी औरतें बहुत पसंद है."
Reply
06-08-2017, 11:49 AM,
#24
RE: नए पड़ोसी
तब तक मयंक ने गेट खोला और मुझे देख कर बोला "आओ आओ मनीष. अन्दर आओ." मैंने ओम से कहा की बाद में बात करेंगे और मयंक के साथ उसके घर के अन्दर चला गया. "मुझे लग ही रहा था की तुम आओगे" मनीष ने कहा. "आना ही था. एक तो ये पूछना था की साला इतनी देर तक तुम और दीदी क्या कर रहे थे और दूसरा की रुची से मेरा कैसे कराओगे." मैंने मयंक से पुछा. "तुमने कब तक देखा था" मयंक ने पुछा. "जब तुमने दीदी की गांड मारी तब तक." मैंने जवाब दिया.

"अच्छा. अरे उसके बाद मैं रश्मि को अपनी बाँहों में उठा कर बाथरूम में ले गया और अपने हाथों से उसको रगड़ रगड़ कर नहलाया फिर बाथरूम में एक बार उसको और चोदा. उसको नंगी अपनी गोद में बिठा कर अपने हाथो से खाना खिलाया और फिर एक बार और रश्मि को चोदा और गांड मारी फिर उसको अपने हाथों से कपडे पहनाये और फिर भेज दिया. कसम से दोस्त मजा आ गया" मयंक ने शोर्ट में मुझे मेरे जाने के बाद क्या क्या हुआ ये बताया. "अब ये बताओ की ऐसा मज़ा मुझे कैसे आयेगा. रुची को मैं कैसे चोद पाऊँगा." मैंने मयंक से पुछा. "यार अब तुमसे क्या छुपाना पर किसी से कहना नहीं. मैं खुद रुची को चोद चूका हूँ तो उसके वापस आने पर उसको लेकर मैं तुम्हारे घर आ जाऊँगा और उससे सीधे सीधे कह दूंगा की वो तुमसे चुदवा ले." मयंक ने मेरे ऊपर एक और बम फोड़ दिया. "क्या कह रहे हो. अपनी सगी बहन को ही चोद दिया?" मैं आश्चर्य से पुछा. "अबे ज्यादा ड्रामा न कर. तुम अपनी सगी बहन को चुदते देख कर लंड नहीं हिला रहे थे क्या? सोचो जब तुम्हे बहन चुदते देख कर इतना मज़ा आया तो चोदने में कितना आता बल्कि मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ की मौका मिलता तो तुम खुद अपनी बहन की चूत में अपना लंड पेल देते. भाई दुनिया में किसी को चोदने में इतना मज़ा नहीं आता जितना मज़ा जवान खूबसूरत बहन को चोदने में आता है समझे." मयंक ने बोला. बात तो उसकी सही थी की मैं खुद भी रश्मि दीदी को नंगा देख कर उत्तेजित हो गया था और उस वक़्त उनको चोदने की सोच रहा था पर सच में ऐसा कभी न कर पाऊँ. मुझको सोच में पड़ा देख कर मयंक ने फिर कहा "अच्छा रुको मैं तुमको ब्लू फिल्म दिखाता हूँ जिसमे सगे भाई बहन आपस में चुदाई करते है. तुम टीवी वाले रूम में चलो मैं cd लेकर आता हूँ." मैं टीवी वाले रूम में आकर बैठ गया और मयंक अपने रूम में चला गया.
मुझे ब्लू फिल्म देखने का चस्का मयंक का ही लगाया हुआ है. जब पहली बार उसने मुझे मोर्निंग शो में फिल्म दिखाई थी तो मुझे लगा शायद वही ब्लू फिल्म होती होगी पर बाद में मयंक ने मुझे बताया की ब्लू फिल्म अलग होती है और उसके पास ब्लू फिल्मो का बहुत बड़ा कलेक्शन है. उसके बाद उसने मुझे कई बार ब्लू फिल्मो की cd दी जो मैं जब घर पर अकेला होता था तो देखता था. मयंक cd लेकर आ गया और उसने फिल्म चालू कर दी. फिल्म में एक लड़का अपनी सोती हुई बहन को चोदने की कोशिश करता है पर लड़की जाग जाती है और उस लड़के को मना करती है. वो उसे अपना भाई बताती है पर लड़का उसकी एक नहीं सुनता और उसको चोद डालता है बाद में लड़की भी अपने भाई का साथ देने लगती है. मैंने मयंक से कहा "ये तो फिल्म है पता नहीं की सच में ये भाई बहन है या नहीं." "यार मेरे पास ऐसी भी फिल्मे है जिनमे लड़के लड़की के पहचान पत्र भी दिखाए जाते है जिनमे माँ बाप के नाम एक ही होते है और ऐसी फिल्मे तभी तो बनती है जब लोग इनको पसंद करते है मतलब भाई बहन आपस में चुदाई करना पसंद करते है. मैं तुम्हे एक दो दिन में ऐसी ही फिल्मे दूंगा तब तुम देखना. फिलहाल ये किताब ले जाओ. इसमें ऐसी ही कहानिया है." ये कह कर मयंक ने मुझे मस्तराम की एक ऐसी किताब दी जिसमे सिर्फ भाई बहन की चुदाई की कहानिया ही थी.


मैंने वो किताब ली और उसे अपने कपड़ो में छिपा कर बाहर आ गया. बाहर आकर मैंने देखा की ओम की दुकान में थोड़ी भीड़ थी तो मैं घर वापस आ गया. मम्मी पापा घर आ चुके थे. मैंने मम्मी से पुछा "दीदी कहाँ है" तो उन्होंने बताया "रश्मि कह रही थी की उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं है तो वो अपने कमरे में जाकर सो गयी है." मैं भी चुपचाप अपने कमरे में आया और वो किताब छुपा दी. बगल का कमरा दीदी का था तो मैं किताब छुपा कर दीदी के कमरे में गया तो देखा की दोपहर की ताबड़तोड़ चुदाई से थक कर रश्मि दीदी गहरी नींद में सो रही थी. दीदी की उठती गिरती चुचियों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने थोड़ी देर दीदी को देख कर अपना लंड सहलाया और फिर कमरे से बाहर आ गया.
Reply
06-08-2017, 11:49 AM,
#25
RE: नए पड़ोसी
खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और मम्मी पापा ऊपर अपने कमरे में चले गए. दोपहर को सोने की वजह से मुझे नींद तो आ नहीं रही थी तो मैंने मयंक की दी हुई किताब निकाली और पढने लगा. किताब में 4 कहानियां थी और सबमे सगा भाई अपनी छोटी या बड़ी बहन को चोदता है या दोस्तों से चुद्वाता है. देखा जाए तो एक तरीके से मैंने खुद आज अपनी बहन को अपने दोस्त से चुदवा दिया था तो मैं सारी कहानियों को झूठी नहीं मान पाया. कहानियां ख़तम करते करते बहुत रात हो गयी और मैं सो गया. सपने में मैंने देखा की मैं भी रश्मि दीदी को चोद रहा हूँ और इसी सपने की वजह से नींद में ही मैं झड गया. गीला गीला लगने से मेरी नींद खुल गयी और मैंने उठ कर अपने कपडे बदले और टाइम देखा तो रात के ३ बज रहे थे. मैं पता नहीं क्या सोच कर रश्मि दीदी के रूम में चला गया. दीदी आराम से उलटी होकर सो रही थी पर उसने कपडे बदल लिए थे. अपना सलवार कुरता बदल कर उसने गाउन पहन लिया था और गाउन नीचे से थोडा ऊपर उठ गया था तो दीदी की एक टांग थोड़ी से नंगी दिखाई दे रही थी. नाईट बल्ब की नीली रौशनी में दीदी की सफ़ेद टांग एकदम चमक रही थी. मैंने आगे बढ़ कर दीदी का गाउन थोडा सा और ऊपर कर दिया दीदी ने कोई हरकत नहीं की. फिर मैंने गाउन खीच कर दीदी जांघ को भी नंगा कर दिया. दीदी की केले के तने जैसी मोती और चिकनी जांघ देख कर मेरा लंड फिर से तन गया. वैसे कपड़ो के ऊपर से दीदी की जांघ देख कर कोई नहीं कह सकता था की दीदी की जांघे इतनी मोटी है. गाउन काफी ढीला था तो मैंने दूसरी टांग की तरफ से भी उसको ऊपर उठाया और धीरे धीरे दीदी की गांड तक ले आया. मेरी किस्मत काफी अच्छी थी क्योंकि दीदी ने पैंटी नहीं पहनी थी. अब दीदी की नंगी गांड मेरे सामने थी. सुबह जब मैंने दीदी को नंगा देखा था तो काफी दूर से देखा था पर अब इतने करीब से दीदी को देखने का ये मेरा पहला मौका था. मैंने हौले से अपना हाथ दीदी की गांड की तरफ बढ़ाया. मेरा हाथ डर से कॉप रहा था पर वासना से भी तो हमको हिम्मत मिलती है. और मैंने हिम्मत करके हाथ दीदी की गांड पर रख ही दिया. उफ्फ दीदी की गांड बहुत नर्म और गद्देदार थी. मैंने ध्यान से देखा तो दीदी की गांड एकदम बेदाग़ थी पर छेद के आस पास काफी लाल हो गयी थी. क्या हाल किया साले मयंक ने मेरी प्यारी दीदी की गांड का. रुची से पूरा बदला लूँगा. मैंने मन में सोचा फिर १ मिनट दीदी की गांड सहलाने के बाद वापस उनका गाउन नीचे करके मैं अपने कमरे में आ गया और दीदी के नाम का मुठ मारने लगा. मैं अभी थोड़ी देर पहले ही नींद में झडा था तो इतनी जल्दी झड़ने का सवाल ही नही था. जब मैं झडा तब तक मेरा लंड लाल हो चूका था और हल्का हल्का दर्द भी करने लगा था. मैंने फर्श से अपना वीर्य साफ़ किया और कपडे पहन कर वापस सो गया.

सुबह रश्मि दीदी की आवाज से मेरी नींद खुली "अरे उठ भी मनीष. बहुत देर हो गयी है". मैंने कहा "बस थोड़ी देर और सोने दो न दीदी." "अरे ११ बज रहे है. मम्मी पापा कब के चले गए. अब उठ भी जाओ. मैं नहाने जा रही हूँ. तुम्हारी चाय और नाश्ता किचन में रखा है. तुम ऊपर वाले बाथरूम में फ्रेश होकर खा पी लेना." दीदी ये बोल कर चली गयी. मैं थोड़ी देर बिस्तर पर ही पड़ा रहा. ११ बज गए और मुझे पता ही नहीं चला. अचानक कल का पूरा घटनाक्रम मेरे दिमाग में घूम गया और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मैं उठा और कमरे से बाहर आया. रश्मि दीदी नहाने चली गयी थी. बाथरूम से शावर की आवाज आ रही थी. मैं ऊपर मम्मी पापा के बाथरूम में फ्रेश होने जाने लगा तभी अचानक दिमाग में ख्याल आया की दीदी शायद पूरी नंगी होकर नहा रही होगी. मैं वापस एक स्टूल लेकर बाथरूम की तरफ आया और स्टूल धीरे से बाथरूम के दरवाजे के सामने रख कर उसके ऊपर खड़ा हो गया. दरवाजे के ऊपर के रोशनदान से मैंने बाथरूम के अन्दर झाँका तो रश्मि दीदी का संगेमरमर सा सफ़ेद बदन पीछे से पूरा नंगा नजर आया. शावर से निकल कर दीदी के जिस्म पर पड़ती पानी की बूंदे दीदी की खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी. अचानक दीदी घूमी और मेरी तो लाटरी ही निकल पड़ी. उफ्फ क्या हुस्न था. कल थो मैं ठीक से देख नहीं पाया था क्योंकि ज्यादातर तो मयंक दीदी के ऊपर लदा हुआ था पर इस वक्त दीदी के बदन और मेरी आँखों के बीच एक सूत का धागा भी नहीं था. दीदी ने आंखे बंद कर रखी थी तो मैंने बेफिक्र होकर दीदी के बदन पर अपनी नज़रे गडा दी. दीदी की सुडौल आम जैसी कड़क चुचिया, पतली कमर, चौडी नाभि, क्लीन शेव चूत की लकीर उफ्फ दीदी स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा लग रही थी.


थोड़ी देर पीठ पर पानी डाल कर दीदी वापस घूम गयी और दीदी के बदन को कुछ देर पीछे से देखने के बाद मैं धीरे से स्टूल लेकर वहां से खिसक गया और ऊपर के बाथरूम में पहुच गया. मन तो बहुत हो रहा था की दीदी के नाम की मुठ मारू लेकिन मैंने सोचा की अगर सारा दिन तो दीदी को देख कर मेरा लंड खड़ा रहेगा तो मैं कितनी बार मुठ मारूंगा और मैंने फ़ैसला किया की अब मैं दीदी के नाम की मुठ नहीं मारूंगा बल्कि कुछ जुगाड़ करके दीदी की चूत ही मारूंगा. मैं फ्रेश हुआ और ये सोच कर की रुची की चूत कभी भी मिल सकती है नहाने से पहले अपनी झांटे भी साफ़ कर ली. मैं नहा धोकर जब नीचे आया तब तक दीदी भी तैयार हो चुकी थी और टीवी देख रही थी. मैंने अपना नाश्ता लिया और उनके साथ बैठ कर खाने लगा. मैंने देखा की दीदी ने जीन्स टीशर्ट पहन रखी थी जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी. वैसे दीदी ज्यादातर सलवार कुरता ही पहनती थी और स्कर्ट जीन्स काफी कम पहनती थी पर जब से उनका मयंक से चक्कर चला है दीदी का ड्रेसिंग स्टाइल काफी बदल गया है. हम दोनों के बीच कुछ बात नहीं हुई. मैं दीदी के ताड़ते हुए नाश्ता करता रहा और दीदी टीवी देखती रही. मैं उठा ही था की फ़ोन बजा. मैंने दीदी से कहा की मैं देखता हूँ. मैंने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ से मयंक की आवाज आई, "हाँ मनीष. क्या हो रहा है." "कुछ नहीं नाश्ता कर रहा था. क्या हुआ रुची वापस आ गयी क्या?" मैंने पुछा. "इसीलिए तो मैंने तुम्हे फ़ोन किया है. ये सब लोग कल देर रात ही वापस आ गए थे. मेरी रुची से बात हो गयी है. अगर घर पर कोई न हो तो हम दोनो अभी एक घंटे में तुम्हारे घर आ जाते है." मयंक ने पुछा. "नेकी और पूछ पूछ. आ जाओ भाई. घर पर केवल मैं और रश्मि है. मम्मी पापा शाम तक वापस आएंगे." मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा. "ठीक है. हम तैयार हो कर आते है. तुम दोनों भी तैयार हो जाओ." ये कह कर मयंक ने फ़ोन काट दिया.
Reply
06-08-2017, 11:51 AM,
#26
RE: नए पड़ोसी
मैं तो चुदाई करने के लिए हमेशा तैयार हूँ मैंने मन में कहा और वापस रश्मि दीदी के पास आकर बैठ गया. दीदी ने पुछा "किसका फ़ोन था." "मयंक का." मैंने बताया. मयंक का नाम सुन कर दीदी के चेहरे पर एक लालिमा छा गयी. "क्या कह रहा था?" दीदी ने पुछा. "कह रहा था की अभी एक घंटे में आएगा." मैंने दीदी से कहा. "क्यों?" दीदी ने थोडा परेशान होते हुए पुछा. "अरे इसमें क्यों वाली क्या बात है. मुझसे मिलने आयेगा. तुमसे मिलने आयेगा और क्यों?" मैंने दीदी को ये नहीं बताया की वो रुची को लेकर आ रहा है. "नहीं नहीं. मतलब ये तो उसका कोचिंग का टाइम है न इसीलिए पुछा." दीदी ने सफाई दी. "अरे जैसे वो कल कोचिंग नहीं गया था वैसे ही आज भी नहीं गया होगा." मैंने दीदी से कहा. कल की बात सुन कर दीदी का चेहरा फिर से लाल हो गया और फिर वो कुछ नहीं बोली. मैंने मन ही मन सोचा की वाकई मयंक बात का पक्का निकला. एक हफ्ता बोला था पर एक ही दिन में रुची को लेकर आ रहा है वैसे इसमें उसका भी स्वार्थ है क्योंकि इसी बहाने वो दीदी को आज फिर से चोदेगा. थोड़ी देर बाद दीदी उठ कर अपने रूम में चली गयी और मैं टीवी देखते हुए रुची का वेट करने लगा. करीब ४० मिनट बाद डोर बेल बजी और मैंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला. मयंक शोर्ट और टीशर्ट में खड़ा था और साथ में रुची एकदम स्किन फिट जीन्स और कसी हुई पिंक टीशर्ट में खड़ी थी. मैंने दोनों को अन्दर बुलाया. मयंक ने पुछा "रश्मि कहा है" मैंने बताया "अपने रूम में है. तुम वही चले जाओ." मयंक बोला "ठीक है तुम रुची को अपने कमरे में ले जाओ और रुची मनीष का पूरा ध्यान रखना." मैं रुची को लेकर अपने कमरे में आ गया और हम दोनों चुप चाप बैठ गए. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की बात कहा से शुरू करूं. उधर मयंक दीदी के कमरे में चला गया. हमारा कमरा अगल बगल है तो उनकी आवाज हमारे कमरे में आ रही थी. हम दोनों उनकी बातें सुनने लगे. दीदी मयंक से बोली "अरे आ गए तुम चलो बाहर बैठते है". "बाहर क्या करेंगे. यहीं बैठते है वैसे जीन्स में बड़ी सेक्सी लग रही हो मेरी जान." मयंक ने शायद दीदी के साथ कुछ छेड़ छाड़ की क्योंकि दीदी की सिसकारी सुनाई दी. "उफ्फ्फ स्स्सीईई. क्या कर रहे हो. मनीष घर में ही है. क्या सोच रहा होगा. चलो बाहर चलते है." दीदी ने फिर बोला. "अरे उसने बताया नहीं की मेरे साथ रुची भी आई है उससे मिलने और वो दोनों उसके रूम में बिजी है. तो उसके पास हमारे बारे में सोचने का टाइम नहीं है. अब इधर भी आओ मेरी जान." इसके बाद कुछ आवाज नहीं आई शायद दोनों चूमाचाटी में लग गए थे.



"तुम्हारी बहन नखरा बहुत करती है" रुची ने चुप्पी तोड़ते हुए धीरे से कहा. "क्या कहा?"मैंने वापस पुछा. "मैंने कहा की तुम्हारी बहन नखरा बहुत करती है. अरे कल तुम्हारे सामने मयंक से चुद चुकी है और फिर भी बातें सुनो. क्या कर रहे हो? मनीष क्या सोचेगा?" रुची ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया. मतलब मयंक ने इसको सब कुछ बता दिया. वाह भाई बहन का रिश्ता हो तो ऐसा. आपस में हर बात शेयर करते है. मैंने रुची से पुछा "तो तुम नखरा नहीं करती." "बिलकुल नहीं. अब जल्दी से आ जाओ." ये कहते हुए रुची ने खुद ही अपनी टीशर्ट उतार दी. अन्दर उसने ब्रा नहीं पहनी थी. उसके अमरुद जैसे चुंचे मेरी आँखों के सामने आ गए और अब मैं भी बिना देर किये उसके चुन्चो पर टूट पड़ा.

उस दिन मैंने पहली बार रुची की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसा. मेरे हल्का सा चूसने के बाद ही रुची के निप्पल एकदम तन कर खड़े हो गए. उसकी अमरुद जैसी चुचियों पर खड़े हुए निप्पल बहुत प्यारे लग रहे थे. मैंने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से पकड़ा और हलके से दबाया.

"इस्स…" रुची के मुँह से आवाज़ आई मतलब उसे भी मज़ा आ रहा था. मैंने फिर से उसके निप्पल मुँह में लिए और चूसे. उसने मस्ती से भर कर मेरा सर अपनी छातियों में दबा दिया और मैं बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूसता रहा. रुची लगातार ‘इस्स… उफ़्फ़… आह…’ जैसी आवाजे करती रही जिनसे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. मैंने रुची की जीन्स उसकी पैंटी के साथ ही नीचे कर दी अब रुची की चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी. मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखा तो अंदर से उसकी चूत गुलाबी रंग की थी जो जैसे जैसे गहरी होती जा रही थी वैसे वैसे लाल होती जा रही थी. देखने से तो उसकी चूत काफी छोटी और अनचुदी लग रही थी.
Reply
06-08-2017, 11:51 AM,
#27
RE: नए पड़ोसी
मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गया और रुची की दीवार से सटा कर अपना मुँह उसकी छोटी सी चूत में लगा दिया. रुची मस्ती से तड़प उठी. आंटी को चोद चोद कर अब मैं भी थोडा बहुत चुदाई के खेल को जान गया था और दोस्तों मैं आपको बताना चाहता हूँ की लंड के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज चुदाई ही है तो आंटी की चुदाई करने से मेरा लंड थोडा मोटा भी हो गया था. भले ही रुची अपने भाई के बड़े लंड से चुद चुकी थी पर मैं भी उसको पूरा मजा देने वाला था. उसकी चूत चाटते अब मुझे उसकी चूत के अंदर से आने वाले पानी का स्वाद आ रहा था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. जब वो अच्छे से झड गयी तब मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी टाँगे उठा कर जीन्स और पैंटी को निकाल कर जमीन पर फेंक दिया. फिर मैंने भी अपने कपडे उतारे और रुची को सीधा लिटाने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत पे घिसा. जब मेरे लंड के सुपाडे ने उसकी चूत के दाने पर रगड़ खाई तो रुची के चेहरे पर आनन्द का भाव छा गया. फिर मैंने उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पे रखीं और फिर नीचे झुक कर उसकी चूत से मुँह लगाया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा. रुची के मुह से फिर से एक आःह्ह निकला. फिर मैंने उसकी कमर अपने हाथों में पकड़ी और ऊपर उठा कर अपने मुँह से लगा ली. अब मैं उसकी गाँड को चाट रहा था. रुची का मस्ती के मारे बुरा हाल था.

मेरे चाटने से वो बार बार अपनी कमर को झटके दे रही थी. कभी ऊपर को, कभी दायें को कभी बाएँ को. मैंने उसकी तड़प का अंदाज़ा लगा लिया था कि अब यह चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मैंने उसकी कमर छोड़ दी और उसे वापस बेड पर लिटा दिया. "रुची, मेरी जान, अपने यार का लंड अपनी चूत पे रखो" मैंने कहा तो रुची ने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत पर रख लिया. मैंने ज़ोर लगाया मगर लंड फिसल गया अंदर नहीं गया. मैंने उठ कर रुची की टाँगे वापस अपने कंधे पर रख ली तो उसकी दोनों टाँगें पूरी तरह खुल गयी और मैंने अपने लंड से ही टटोल कर उसकी चूत का छेद ढूंढा और अपना लंड उस पर टिका दिया फिर मैंने अपने लंड पर ज़ोर डाला और मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
Reply
06-08-2017, 11:51 AM,
#28
RE: नए पड़ोसी
मयंक ने मुझसे कहा था की वो रुची को चोद चूका है मगर रुची की चूत बहुत कसी हुई थी. रुची के मुह से हलकी सी चीख भी निकल गयी जो शायद मयंक ने भी सुनी और वही से चिल्लाया "क्या हुआ रुची." मैंने भी चिल्ला कर जवाब दिया "कुछ नहीं. मैंने तुम्हारी बहन का उद्घाटन कर दिया." रश्मि और मयंक की हँसने का आवाज आई और फिर मैंने थोड़ा सा अपना लंड पीछे को किया. रुची के चेहरे पर थोड़ा सा आराम आया और उसके बाद मैंने और जोर से वापिस अपना लंड उसकी चूत में ठेल दिया.

‘आह…’ अबकी बार चीख और ऊंची और ज़्यादा दर्द भरी थी. "आराम से भाई देखो रश्मि की आवाज आ रही है क्या?" मयंक ने बोला. मैंने उसकी बात अनसुनी करके फिर से अपना लंड थोड़ा सा पीछे करके दोबारा पूरी दम से अंदर धकेल दिया. रुची के मुह से एक जोर की सीत्कार निकल गयी. मैंने देखा तो मेरा लंड जड़ तक रुची चूत में घुस चूका था. मैंने रुची के होंठों को चूमा और अपना लंड धीरे से बाहर निकाल लिया.

अब मैं बड़े आराम से रुची को चूम चाट कर चोद रहा था ताकि मयंक को कोई शिकायत न हो और मेरा पानी भी जल्दी न निकले. मैं तो चाहता था कि कम से कम एक घंटा मैं रुची की चुदाई करूँ. रुची वैसे भी फूल जैसी हल्की थी. मैंने उसे चोदते चोदते ही अपने से लिपटा लिया और बेड से उतर कर नीचे खड़ा हो गया. फिर रुची को दरवाजे से लगा कर हवा में लटका कर चोदने लगा. ये पोजीशन मैंने एक ब्लू फिल्म में देखी थी और तभी से मेरा मन रुची को इस पोज़ में चोदने का था क्योंकि आंटी के साथ मैंने कोशिश की थी पर उनका वजन मैं नही उठा पाया था. आज मेरा एक और सपना पूरा हो गया था. थोड़ी देर रुची को ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उसे नीचे उतारा और कुतिया बनने को कहा. वो फ़ौरन अपने चारों पाँव पर आ गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला. साथ ही मैंने देखा उसकी गोल गोल गाँड के बीच में छोटा सा छेद.

मैंने उसकी गाँड के छेद पर थूका और अपना एक अंगूठा धीरे धीरे करके उसकी गाँड में डालना शुरू किया मगर उसने मना कर दिया "नहीं नहीं, ये मत करो." "क्यों? क्या मयंक ने पीछे नहीं डाला कभी." मैंने रुची से पुछा. "भाई ने क्या किसी ने भी पीछे नहीं डाला कभी. आगे भी तो आज कई महीनों बाद किसी ने डाला है. गाँव में अच्छा भला मामला फिट हो रहा था पर नानी ने पकड़ लिया और फिर मम्मी पापा आकर मुझे वापस ले आये. लेकिन मेरी चूत की पुकार ऊपरवाले ने सुन ही ली और तुम्हारा लंड मिल ही गया." रुची ने जवाब दिया. मेरी तो बाछे खिल गयी की चलो इसका कोई छेद तो कुवारा है. मैंने अपना अंगूठा बाहर निकाल लिया और उसे और जोर जोर से चोदने लगा.

मैं रुची को हर अंदाज़ में चोद लेना चाहता था इसलिए मैंने उसे उल्टा लेटा दिया खुद उसके ऊपर लेट गया और अपना लंड उसकी चूत में डाला फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने ऊपर कर लिया और मैं नीचे लेट गया. अब रुची मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर खुद चुदाई कर रही थी मगर इस स्टाईल में उसे हल्का दर्द हो रहा था तो मैंने उसे फिर से नीचे लेटा कर खुद ऊपर आ गया. इसी तरह खेल तमाशे करते करते करीब 40 मिनट बीत गये पर मैंने अपना माल नहीं झड़ने दिया. इतनी लंबी चुदाई के दौरान रुची दो बार झड चुकी थी. मैं उसके साथ सारे तौर तरीके आज़मा चुका था और अब खुद भी झड़ने वाला था तो मैंने उसकी दमदार ताबड़तोड़ चुदाई शुरू की. रुची भी खुद ऊपर उठ उठ कर बार बार मेरे होंठ चूम रही थी. उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया और वो एकदम से नीचे को गिरी "आह… आह… आ…" की आवाज करते हुए रुची एक बार और झड गयी. उसके झड़ने के साथ ही मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके पेट और चूचियों पर अपना सारा वीर्य झाड़ दिया. "छि‘ईईए, ये क्या किया?’ उसने बोला. "जानेमन अगर ये तेरे अंदर छोड़ देता तो पक्का तुझे 9 महीने बाद बच्चा हो जाता." मैंने उसे बताया. "अरे वो तो ठीक किया पर मेरे ऊपर क्यों गिरा दिया. मुह में दे देते. चलो अब एक टिश्यू पेपर तो दे दो ये सब साफ़ करने के लिए." रुची ने कहा. मैंने उसे टिश्यू पेपर देते हुए कहा "चलो कोई बात नही तुम अब मुह में ले लो." अपनी छाती और पेट की सफाई करने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
Reply
06-08-2017, 11:52 AM,
#29
RE: नए पड़ोसी
इधर रुची मेरा लंड चूस रही थी तो मैंने बगल वाले कमरे पर ध्यान लगाया तो वहां से ठप ठप की आवाजें आ रही थी मतलब मयंक दीदी की जोर शोर से चुदाई कर रहा था. दीदी के चुदाई के ख्याल और रुची की मेहनत से मेरा लंड फिर से तैयार हो गया. मैंने फिर से रुची को घोड़ी बनाया और रुची के चूतड़ सहलाते हुए कहा "देखो रुची, तुम जितनी अपनी गाण्ड मरवाओगी, उतनी ये सुन्दर दिखेगी जैसे जितने तुम मम्मे दबवाया करोगी उतने वो बढ़ें होगे. इसका सीधा मतलब ये है कि जितनी तुम चुदोगी उतनी ही सुन्दर होती जाओगी. तुम रास्ते पर चलोगी तो लोगो का लंड तुम्हे देखते ही खड़ा हो जायेगा."

रुची बोली "मैंने कोई कसम नहीं खाई है गांड न मरवाने की बस डर लगता है की बहुत दर्द होगा. देखो न कई बार चुदने के बाद भी चूत अभी भी दर्द होती है."

मैंने रुची को बेड पर लिटा दिया और उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दीया जिससे उसकी गाण्ड ऊपर की ओर निकल आई. उसकी गांड के भूरे छेद को सहलाते हुए मैंने बोला "बड़ी मस्त गाण्ड है तुम्हारी. एक बार लंड लेकर तो देखो. मजा आएगा. मैंने जैसे ही रुची की गांड के छेद को सहलाया रुची मचलने लगी और उसने अपनी गाण्ड के छेद को जोर से बंद कर लिया फिर मैं उसकी गाण्ड को हाथ से फैला कर जीभ से चाटने लगा. वो एकदम से सिहर गई. मैं अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी गाण्ड के छेद पर रख कर अन्दर डालने की कोशिश करने लगा और साथ में उसकी चूत के दाने को भी रगड़ने लगा जिससे रुची और मस्ती में आ गई और अपनी कमर को घुमाने लगी और आवाज भी निकालने लगी. उसको बहुत मजा आ रहा था, उसकी गाण्ड का छेद खुल गया था और अन्दर का गुलाबी रंग दिखने लगा था. मेरा लन्ड अब और टाइट हो गया था. मैं उसकी चूत को भी सहला रहा था और गाण्ड को भी चाट रहा था. इस दोहरी मार ने रुची की हालत एकदम ख़राब कर दी थी और वो बोली "मेरी चूत मैं अपना लन्ड डाल कर मेरी चूत की गर्मी बुझा दे यार"

मगर मैं उसकी चूत में अपना लंड डालने के मूड में नहीं था.. मैंने अब अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा.. जो कि एकदम फूल गया था.. और उसकी नसें भी उभर चुकी थीं. सुपारा फूल कर एकदम लाल हो चुका था. मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रख कर रगड़ने लगा, जिससे रुची पूरी तरह से काँप उठी. उसको अंदाज नहीं था कि मैं उसकी गांड पर लंड रख दूँगा. उसकी गांड एकदम गरम थी.. जो मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था. मैंने अपने सुपाड़े को उसकी गांड के छेद पर रखा और जोर देकर अन्दर डालने लगा मगर रुची की गांड बहुत ज्यादा टाइट थी, उसमें मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था. मैंने पास में रखी हुई फेस क्रीम उठाया और आधा रुची की गांड में खाली कर दिया. रुची समझ गयी की क्या होने वाला है "वो बोली नहीं मनीष बहुत दर्द होगा. रुको तो." पर तब तक मैंने फिर से अपना लंड उसके छेद पर रखा और जोर का धक्का दिया जिससे मेरा सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया. इसके साथ ही रुची की चीख निकल गई. वो लंड निकालने को कहने लगी. मगर मैं समझ रहा था कि एक बार निकाल दिया तो फिर ये कभी भी गांड मारने नहीं देगी. मैंने पीछे से ही हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों को कब्जे में ले लिया और अपने पूरा जिस्म का भार उसके नंगे जिस्म पर डाल दिया. उसकी गर्दन को चूसने लगा और जीभ से चाटने लगा.

"अरे अब क्या किया?" मयंक फिर से चिल्लाया. "कुछ नहीं यार. तुम रश्मि पर ध्यान दो. रुची की जिम्मेदारी मेरी" मैंने चिड़ते हुए जवाब दिया और एक हाथ को उसकी चूचियों से हटा कर उसकी चूत के दाने को मसलने लगा जिससे थोड़ी देर में उसके मुँह से हल्की-हल्की मादक सिसकारियाँ निकलने लगी. थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैंने वापस से एक जोर का झटका मारा.. जिससे मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया और लंड के मोटे हिस्से तक जाकर रुक गया. अब तो रुची को और भी जोर का दर्द होने लगा और वो जोर से चिल्लाने लगी. वो अपना सर सामने तकिये पर पटक कर रोने लगी और अपना सर इधर-उधर पटकने लगी. अब मैंने इन्तजार नहीं किया और एक आखिरी झटका और मार दिया जिससे मेरा पूरा लंड उसके गांड में घुस गया और वो और जोर की चीख़ मार के अपना सर तकिये पर मार बैठी. मुझे लगा कि साली बेहोश न हो गई हो पर ऐसा नहीं था.

वाकई कुवारी गांड का मजा ही अलग है. अब मैं अपना पूरा भार उसके बदन पर डाल कर उसके कान को चूसने लगा और उसकी एक चूची को सहलाने लगा. मैं कभी उसके गले को चूसता चाटता तो कभी पीठ को चाटता. धीरे-धीरे उसका बदन हिलने लगा और वो कहने लगी "गांड से लंड निकाल दो. बहुत दर्द हो रहा है. मेरी गांड फट गई है. निकालो वरना दुबारा कभी हाथ भी नहीं लगाने दूँगी."
Reply
06-08-2017, 11:52 AM,
#30
RE: नए पड़ोसी
मैंने उसकी बात को अनसुनी कर दी और उसके बदन को सहलाता और मसलता रहा. बहुत ही ज्यादा कसी हुई गांड थी साली की. बहुत मुश्किल से मैंने लंड अन्दर-बाहर करना शुरू किया. मैं उसको कुतिया बना कर पीछे से उसकी गांड में अपना लंड पेल रहा था और उसकी चूची को मसल रहा था. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था मगर रुची की गांड बहुत टाइट थी. पर कुछ देर में क्रीम जब अच्छे से उसकी गांड में फ़ैल गयी तो मैं पूरी जोर से लंड को उसकी गांड में पेलने लगा था और उसकी गांड पर चपत भी मार रहा था. अब तो रुची भी चिल्ला कर कह रही थी "जोर-जोर से मारो मेरी गांड". यह सुन कर मैं भी पूरे जोश में उसकी गांड मार रहा था. 

आवाज मयंक के कानो में भी पड़ी तो उसने पुछा "अरे रुची की गांड भी मार दी क्या? उसकी गांड कुवारी है." "यार मेरी बहन की तो चूत भी कुवारी थी तो क्या तुमने छोड़ दी थी." मैंने जवाब दिया और दूने जोश से रुची की गांड मरने लगा. अचानक मुझे लगने लगा कि मेरे लंड की नसें फूल रही हैं और लंड का सारा पानी एक जगह जमा हो रहा है. रुची की कमर को जोर-जोर से पकड़ कर पंद्रह-सोलह झटके मारने के बाद मेरे लंड ने अपना गरम लावा उसकी गांड में ही छोड़ दिया और मैं उसकी पीठ पर ही लेट गया. रुची की गांड को चोद कर बहुत मजा आया. इतना मजा तो उसकी चूत मार के भी नहीं आया था. इसके बाद हम दोनों कुछ देर निढाल पड़े रहे फिर उठ कर बाथरूम में जाकर साफ-सफाई की और वापस कमरे में आ गए. कमरे में आते वक़्त हम दोनों ने दीदी के कमरे की खिड़की से देखा की मयंक भी रश्मि दीदी को कुतिया बना कर उनकी गांड मार रहा है. 

मैं रुची से बोला "देखा साला खुद मेरी बहन की चूत गांड सब पेल रहा है और अपनी बहन की बहुत चिंता है." रुची बोली "चिंता विंता कुछ नहीं वो तो खुद मेरी गांड की सील खोलना चाहता था पर यहाँ आकर मम्मी ने जॉब छोड़ दी है. अब वो पूरे दिन घर पर रहती है तो ये इस घर में कुछ कर नहीं पाता." हम दोनों बेड पर लेट गए और बगल के कमरे से आती रश्मि और मयंक की चुदाई की थापे सुनते सुनते कब सो गए पता ही नहीं चला. मेरी नींद तो तब खुली जब मयंक ने मेरा लंड पकड़ कर दबाया. मैं हडबडा कर उठ बैठा. मयंक बोला "यार बहुत दिन हो गए रुची को चोदा नहीं है. आज मौका है एक राउंड लगा लेता हूँ. जरा जगह देना." मैं बेड से हट कर खड़ा हो गया और मयंक रुची के बगल में लेट गया. मयंक का लंड एकदम खड़ा था मतलब वो काफी देर से अपनी सोती हुई नंगी बहन को देख रहा था. वो रुची की चुचिया चूसने लगा तो रूची कुनमुनाने लगी. मयंक ने आव देखा न ताव अपना लंड रुची की चूत के मुह पर रखा और एक जोर का झटका मारते हुए अन्दर कर दिया. दर्द से रुची की नींद खुल गयी और वो चीखती इससे पहले ही मयंक ने उसके होठ अपने होठो से बंद कर दिए और एक और धक्का मार के पूरा लंड अपनी बहन की चूत में उतार दिया. थोड़ी देर बाद जब मयंक ने रुची के होठ छोड़े तो वो बोली "तुम दोनों को बस अपने मजे की पड़ी रहती है. पहले इसने गांड मार कर मेरा बुरा हाल कर दिया और अब तुमने मेरी सूखी ले ली."
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,501,030 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,346 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,231,619 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 931,479 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,653,551 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,080,549 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,950,819 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,054,412 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,031,583 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,815 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)