05-09-2019, 01:07 PM,
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sexstories
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RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
मेरे लिए आज का दिन बहुत ही यादगार होने वाला था। क्योंकि जिस चीज़ के लिए मैं महीनो से वेट कर रहा था जिसको सिर्फ अपने खयालो में सोच-सोच कर मुट्ठ मारता था आज उसी बहु को मैंने उसके बर्थडे वाले दिन चोद दिया वो भी तब जब उसके पापा घर पे थे। मैं बिस्तर के पास बैठा अपनी पेंट पहन रहा था।
मुझे इस बात की फ़िक्र हो रही थी की चुदाई के बाद बहु का रिएक्शन कैसा होगा। मैं इसी असमंजस में पड़ा था लेकिन बहु अपने बिस्तर पे नंगी लेट अपनी एक टाँग उपर उठा कर पेंटी पहनने की कोशिश कर रही थी। उसके चेहरे पे कोई ऐसे भाव नहीं थे जिससे मुझे लगे की वो अपने हस्बैंड को चीट कर गिल्टी महसूस कर रही हो।
मै अपने कपडे पहन कर कमरे से बाहर निकलने वाला था की तभी मुझे समधी जी की आवाज सुनाई दी।
प्यारेलाल - बेटी सरोज।। क्या तुम अंदर हो?
मै - अरे समधी जी क्या हुआ।। बहु अंदर है उसे चक्कर आ रहा था तो मैं उसे कमरे तक छोड़ने आया था।
प्यारेलाल - चक्कर।।? कैसे?
मै - जी वो सुबह से आपका इंतज़ार कर रही थी, कुछ खाया भी नहीं उसने तो थोड़ी वीकनेस महसूस कर रही है मैंने सुला दिया है।
प्यारेलाल - एक मिनट मैं देखता हूँ (समधि जी कमरे के अंदर प्रवेश कर जाते है, मैंने उन्हें २ मिनट बाहर रोका ताकि बहु को समझ में आ जाए की उसके पापा
बाहर हैं और वो जल्दी से कपडे पहन ले)
मै भी समधी जी के पीछे-पीछे कमरे में आया तो बहु एक चादर के अंदर लेटी थी।
प्यारेलाल - बेटी सरोज, क्या हुआ तुझे।। ?
सरोज - जी पापा।।
बहु शायद जल्दी में सिर्फ़ एक छोटा सा सलीव ही पहन पाई थी। जब वो चादर हटा कर बेड पे बैठे तो उसकी जांघो से चादर नीचे गिर गया और उसकी नंगी मोटी मोटी जांघे हमारी आँखों के सामने थी।
बहु का भरा बदन देख कर समधि जी की आँखें बड़ी हो गई। बहु के इस पोजीशन मैं बैठने से उसके थाइस और मोटे लग रहे थे। उसकी भरी भरी जवानी देख समधि जी का लंड तो जरूर खड़ा हो गया होगा, उनकी आँखों में अपनी बेटी के लिए सेक्स साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था। मौके का फ़ायदा उठाते हुए समधी जी ने सरोज के
जांघ पे अपना हाथ रखते हुए पूछा।
प्यारेलाल - क्या हुआ बेटी।। ?
सरोज - कुछ नहीं पापा आज बाहर गर्मी बहुत है न तो चक्कर आ गया अभी ठीक हूँ में।
प्यारेलाल - बेटी अपना ख्याल रखो, तुम्हे शादी से पहले तो मैं अपने हाथो से खाना खिलाता था और अब तुम अपना ध्यान नहीं रखति।
सरोज - पापा। कोई बात नहीं अभी आप आ गए हैं न मैं आपके हाथ से खाना खाउंगी।। आप चिंता न करें बस मुझे थोड़ी गर्मी लग रही थी, बाबूजी थोड़ा फैन चला देंगे प्लीज?
प्यारेलाल - बेटी मैं जानता हूँ यहाँ का मौसम बहुत गरम है, देखो तो तुम कितनी गरम हो गई हो।। तुम्हारी जाँघें कितनी गरम हैं (समधी जी ने बहु के जाँघो पे हाथ फेरते हुए कहा।।)
प्यारेलाल - तुम इतनी गर्मी में चादर क्यों डाली हो।। लेट जाओ ऐसे ही और रेस्ट करो ओके?
सरोज - नहीं पापा सोने के लिए तो सारी रात बाकी है, अभी मेरे प्यारे पापा आये हैं तो आपसे ढेर सारी बातें करुँगी। चलिये आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है मैं तबतक आपका सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी।।
प्यारेलाल - नहीं नहीं बेटी।। मैं गेस्ट रूम में रह लूंगा। तुम अब तक अकेली सोती थी न तो तुम्हे परेशानी होगी।
सरोज - नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे। हाँ मैं रोज़ अकेली सोती थी और बाबूजी अपने कमरे में। लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताऊँगी। (बहु ने अपने पापा से झूठ बोला क्योंकि पिछले कई दिनों से मैं बहु के साथ बिस्तर पे सो रहा था)
बहु ने आगे बढ़ कर अपने पापा को हग कर लिया, समधी जी भी अपनी बेटी के टॉप को छूते हुये अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टीका दिए और कस के लिपट गये। मैं वहाँ खड़ा सब देखता रहा बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे की बहु की बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे ।और। समधी जी अपनी बेटी के जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मजा ले रहे थे।
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