08-30-2020, 01:09 PM,
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desiaks
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
“मेरे लाल! ओहह, जय” मिसेज शर्मा कईं बार कराहीं थीं। जय की उखड़ती साँसों, मन्द पलकों और भिंचते जबड़े से उस पर बड़ता तनाव साफ़ जाहिर होता था। टीना जी ने चर्मानन्द की दिव्य अनुभुति में उसके फुदकते हुए नितम्बों को ने अपनी बाहों के मातृ पाश में ले कर अपनी कोख में और अन्दर खेंच लिया। काम क्रीड़ा के परमानन्द के अन्तिम पलों में उनका पूरा बदन थरथरा उठा। स्फुटित होती आनन्द तरोंगों से योनि जकड़- जक्ड़ कर पुत्र के दीर्घ लिंग को भिंचती जाती थी। अपनी चीख को दबाने के लिये टीना जी ने निचले होंठ को दाँतों से काट खाया। उनके तीखे नाखुन जय कि भींची हुई गाँड पर निर्दयता से कसे जाते थे। |
अपनी वासना लिप्त माँ के मादा जानवर जैसे ऐंठते तन को देख कर जय के सब्र का बाँध टूट पड़ा। हाँफ़ता हुआ, साँड सा हुंकारता हुआ, अपने सर को पिच्छे कि तरफ़ फेंकता हुआ अपने गरम, खौलते वीर्य की लबालब बौछारें माँ कि योनि की गहराईयों मे उडेलने लगा। पुत्र के वीर्य की फुहार ने टीना जी कि योनि में उन्माद की कईं फड़कती थरथराहटें पैदा कर दी। योनि के जकड़ाव - फैलाव की तीव्रता और बढ़ गई। वीर्य स्खलन के आवेग में जय के हाथ लपक कर माँ के पसीने से तर स्तनों पर जकड़ गये थे और उनके मातृ - गौरव को निचोड़ रहे थे। साथ ही वो अपने पौरुष के पिघलते मलाईदार वीर्य से माता की योनि को लबालब भरे देता था। टीना जी चीख पड़ीं - चीख में उनके पाप - कृत्य से उत्पन्न लज्जा और अभूतपूर्व वासना सम्मिश्रित थी। उनका पुत्र उनकी योनि में वीर्य स्खलित कर रहा था। उन्होंने अपने ही पुत्र को काम - क्रिया का सहभागी बनाया था। कितना उत्तेजक था यह कृत्य! जैसे ही पुत्र-वीर्य की पहली बौछार का अनुभव उन्हें हुआ था, उन्होंने जय के फौव्वारे से लिंग को कस के भींच लिया था, कहीं उनके जवान बेटे के उपजाऊ वीर्य की एक भी बूंद व्यर्थ न हो जाए। बेटे जय को और उकसाते हुए बोलीं थीं वे :
* शाबाश बेटा जय! उडेल दे सारा जूस मम्मी की गरम चूत में !” ।
हरामी कैसे चूस चूस कर निप्पल से दूध पीता था! अब वैसे ही तेरे लन्ड को निचोड़ दूगी !”
देखें कितने लीटर स्टोर कर रखा था टट्टों में !” * मेरी कोख़ लबालब कर दे मेरे लाल !”
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
जय के मैच को देखने के लिये जब उसके मम्मी-डैडी घर से चले गये, तो सोनिया अपने बेडरूम में जा कर स्विमसूट ढूंढने लगी। अपने कईं स्विमसूटों में से वो एक ऐसा स्विमसूट चुनना चाहती थी जिससे राज अधिक से अधिक आकर्षित हो। उसने एक काले रंग की बिकीनी को चुना जिसे वो मम्मी से छुपा कर खरीद लायी थी। जानती थी, मम्मी उसे ये छोटी सी बिकीनी, जिससे उसके जिस्म की नुमाइश अधिक और लज्जा निर्वारण कम होता था, कभी नहीं पहनने देतीं। एक मॉडल की तरह वो बिकीनी पहन कर शीशे के सामने इतरा रही थी।
मुश्किल बिकीनी उसके यौवन के गौरव, उसके वक्ष को ढक पा रही थी। स्तनों के निप्पलों का उभार लचीले लायक्रा मैटिरीयल के नीचे साफ़ दिखता था। बिकीनी की जाँघिया क्या थी ? कपड़े का एक छोटा सा टुकड़ा था जो उसकी जाँघों के बीच के त्रिकों को मुश्किल से ढकता हुआ पीछे गाँड की खाई में कहीं गुम हो गया था। लायक्रा ऐसा कस के चिपक गया था कि योनि के दोनों होंठ और उनके आकार की हर बारीकी सामने से साफ़ दिखती थी। ।
“यह एक्दम फ़िट रहेगी!” उसने खुद से कहा। “अब देखें राज कैसे नहीं फंसता !”
सोनिया ने बिकीनी के ऊपर एक रोयेंदार बाथरोब लपेटा और पूल के पस्स एक आरमकुर्सी पर नॉवल पढ़ती हुई लेट गयी। बाथरोब के कुछ बटनों को ऐसे खोल दिया की उसके जिस्म की एक उत्तेजक झलक दिखती रहे, और राज का इंतजार करने लगी।
साहबजादे बिलकुल सही टाइम पर शर्मा परिवार के घर में दाखिल हुए। राज एक काले घंघराले बालों वाला लम्बा, गबरू जवान था। जिम में कसरत करते-करते अपने शरीर को बड़ा मजबूत कर लिया था। मोहल्ले में बिजली का काम और मोटर - रेपेयर जैसे छोटे-मोटे काम के लिये लोग उसे अक्सर घर पर बुलाते थे।
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