02-23-2019, 04:22 PM,
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RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
मैंनेप्रीति की ब्रा और पैँटी को लेकर हर तरफ़ से छुआ, सूंघा, चाटा और पता नहीं क्या क्या किया। मैंने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला, ब्रा को अपने छाती पर रखा। मैं अपने खड़े लंड के ऊपर दीदीप्रीति की पैंटी को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था। फिर बाद में मैंप्रीति की नाइटगाऊन को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया। फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को नाइटगाऊन के ऊपरी भाग में फँसा दिया और पैँटी को नाइटगाऊन के कमर के पास फँसा दिया।
अब ऐसा लग रहा था की प्रीति बाथरूम में दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैँटी दिखा रही हैं। मैं झट जाकर प्रीति के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि मैं प्रीति की चुची चूस रहा हूँ। मैं अपना लंड को प्रीति की पैँटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा कि मैं प्रीति को चोद रहा हूँ।
मैं इतना गरम हो गया था कि मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनटना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ गया। मेरे लंड ने अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से प्रीति की पैंटी और नाइटगाऊन भीग गया था। मुझे पता नहीं कि मेरे लंड ने कितना वीरज़ निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे प्रीति के नाम पर निकला था।
मेरा पहले पहले बार झड़ना इतना तेज़ था कि मेरे पैर जवाब दे गए, मैं पैरों पर ख़ड़ा नहीं हो पा रहा था और मैं चुपचाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया। थोड़ी देर के बाद मुझे होश आया तो मैं उठ कर नहाने लगा। शोवर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताज़गी महसूस हुई और मैं फ़्रेश हो गया। नहाने बाद मैं दीवार से प्रीति की नाइटगाऊन, ब्रा और पैंटी उतारा और उसमें से अपना वीरज़ धोकर साफ़ किया और नीचे रख दिया।
उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मारने का तरीक़ा मेरा सबसे फ़ेवरेट हो गया। हाँ, मुझे इस तरह से मैं मारने का मौक़ा सिर्फ़ इतवार को ही मिलता था क्योंकि इतवार के दिन ही मैंप्रीति के नहाने के बाद नहाता था। इतवार के दिन चुपचाप अपने बिस्तर पर पड़ा देखा करता था कि कब प्रीति बाथरूम में घुसे और प्रीति के बाथरूम में घुसते ही मैं उठ जाया करता था और जब प्रीति बाथरूम से निकलती तो मैं बाथरूम में घुस जाया करता था।
इतवार को छोड़ कर मैं जब भी मुठ मारता तो तब यही सोचता कि मैं अपना लंड प्रीति की रस भरी चूत में पेल रहा हूँ। शुरू शुरू में मैं यह सोचता था किप्रीति जब नंगी होंगी तो कैसा दिखेंगी? फिर मैं यह सोचने लगा कि प्रीति की चूत चोदने में कैसा लगेगा।
मैं कभी कभी सपने ने प्रीति को नंगी करके चोदता था और जब मेरी आँख खुलती तो मेरा शॉर्ट भीगा हुआ होता था।
मैंने कभी भी अपना सोच और अपना सपने के बारे में किसी को भी नहीं बताया था और न ही प्रीति को भी इसके बारे में जानने दिया.
मैं बार बार यह कोशिश करता था मेरा दिमाग़ प्रीति पर से हट जाए, लेकिन मेरा दिमाग़ घूम फिर कर प्रीति पर ही आ जाता। मैं हमेशा 24 घंटेप्रीति के बारे में और उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता।
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RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
प्रीति की जुबानी जफ़र अंकल से रिश्ते की कहानी
कल तक जफ़र अंकल से जो मज़े मैंने आँख मूँद कर लिए थे, अब दिन में भी वो मेरी आँखों के सामने आते रहे, शाम होते होते जब मेरा मन मेरे काबू में नही रहा तो में जफ़र अंकल के रूम की और चल दी और जाते ही उनसे लिपट गयी ! धीरे धीरे उन्होंने मुझे अपने बाँहों में पूरी तरह से ले लिया ! हम बैठे थे दिवार के सहारे पलंग पर ! मैं जैसे जफ़र अंकल की गोदी में ही थी , वो मुझे चुम रहे थे ,और मैं भी बीच बीच में चुम कर जवाब देती थी ! कभी कभी तो हमारे चुम्बन की आवाज़ पूरे कमरे में फ़ैल जाती थी ! उनका एक हाथ मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी से दबा रहा था ! मेरे टॉप में इंतनी सलवटे पड़ गई थी , की लगता था अभी धो के निचोड़ा है ! जफ़र अंकल बोले , कपड़े ख़राब हो जायेंगे , उत्तर लो ! मैंने कहा जब आपका मन हो, उतार दीजियेगा , आज से ये आपका काम है !वो मेरी बात सुनकर और भी जोश में आकर चूमने लगे ! बोले ' रात को तो गालियाँ दे रही थी , और अब इतना प्यार' ! जफ़र अंकल जो आपको गालियाँ दे रही थी , वो एक कुवारी लड़की थी , और अब ये वही लड़की अपने दोस्त से कह रही हे !जफ़र अंकल बोल पड़े , सच में अगर तुम मुझसे शादी करती तो मैं मन नहीं करता , तुम दिल से भी बहुत खूबसूरत हो ! अब तो मैंने मन ही मन आपको भी पति मान लिया है , आखिर पति का असली सुख तो आपसे ही मिल रहा है !जफ़र अंकल बहुत भावुक हो गए , उन्होंने मुझे चूम चूम कर निहाल कर दिया ! अब जफ़र अंकल मेरा टॉप खोल रहे थे ! टॉप खोलने के बाद ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगे ! फैंसी चिकनी ब्रा जफ़र अंकल को बहुत अच्छी लगी !उन्होंने स्कर्ट ऊपर कर के पैन्टी भी देखी , मैचिंग थी ! तुहारी ब्रा पैन्टी बहुत सेक्सी होती है , कपडे का तुम्हारे पसंद का जवाब नहीं ! तुम कई गुना सुन्दर लगने लगती हो ! पैन्टी को सहलाते हुएजफ़र अंकल बोले, तुम तो तैयार बैठी हो , गीली है तुम्हारी पैन्टी ! जो घडी आने वाली है , उसको सोचते ही , मैं गीली हो जाती हूँ ! जफ़र अंकल ने पैन्टी उतार दी , हाथ में लेकर सूँघा और चूम लिया, मैं शर्मा गयी ! टॉप को उतार दिया और मुझे लिटा कर खुद मेरे बगल में लेट गए ! मेरे ब्रा के चारों तरफ चूमते रहे , जीभ से चाटते रहे, और धीरे धीरे उतारते रहे ! ऐसा ब्रा उतारना मुझे बहुत अच्छा लगा ! स्कर्ट उतार कर बिस्तर पर अलग रख दिया ! अब सिर्फ पेंटी रह गयी थी , जिसे जफ़र अंकल ने घुटनो तक खिसका दिया और मेरे चूत को चूमने लगे ! चूत उन्होंने कल भी चूसा था पर मेरी ऑंखें बंद थी ! मैंने जफ़र अंकल का सर हिलाया, बोली मैं देखना चाहती हूँ ! उन्होंने तकिये के सहारे मुझे थोड़ा उठा दिया ! जफ़र अंकल जीभ से मेरी चूत को चाट रहे थे और मेरा रोमांच बढ़ता जा रहा था !
अचानक जफ़र अंकल ने मेरी खास जगह मसल दी, चूत से फौवारा छूट गया, मैं रोक न सकी और पीछे तकिये पर लेट गयी ! थोड़ा होश आने पर दुबारा देखा , जफ़र अंकल के पूरे मुंह पर पानी के छींटे थे , जैसे अभी भीग के आ रहे हों बरसात में ! मुझे बहुत शर्म आई , और जफ़र अंकल से नज़र मिलते ही शर्मा गयी !जफ़र अंकल फिर से जीभ मेरी चूत में घुसा कर इधर उधर ऐसे घुमा रहे थे , जैसे कुछ ढूंढ रहें हों ! चपड़ चपड़ की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था ! मैं तो जैसे सातवें आसमान पर थी ! फिर जफ़र अंकल मेरी चूचियो का जायजा लेने लगे ! चूस चूस कर लाल कर दिया , दबा दबा कर उसे मुलायम कर रहे थे ! घुंडी तो बिलकुल कड़क हो गयी थी ! सच में मैंने कभी अपने बदन को इतना कीमती नहीं समझा था ! जफ़र अंकल ने समझा दिया था की असली खज़ाना यही है ! जफ़र अंकल मेरे ऊपर लेट गए थे , मेरे दोनों हाथों में अपना हाथ फंसा लिया था , और मुझे गर्दन , कान , कान के पीछे चूमने चाटने लगे ! मैंने कहा की जफ़र अंकल आपका हाथ मुझे जांघ पर चुभ रहा है , उन्होंने कहा , हाथ तो दोनों तुम्हारे हाथ में है ! अचानक मेरे दिमाग में जैसे बिस्फोट हो गया , मुंह से निकला "बाप रे" ! वो हाथ जैसी चीज़ जफ़र अंकल का लण्ड था !
मेरे तो होश उड़ गए, इतना बड़ा, मैं कैसे ले सकूँगी अपने अंदर ! जफ़र अंकल शायद समझ गए, बोले 'पगली घबराती क्यों है' सब कुछ आराम से हो जायेगा , तुम बस मेरा कहा करती जाओ ! जफ़र अंकल ने अपना कुरता पजामा उतारा , और अंडरवियर उतार दी ! काला, मोटा और डंडे सा लम्बा लण्ड हवा में लहरा रहा था ! मैं तो बेहोश हो जाती लण्ड देखते ही, पर जफ़र अंकल बोले , घबराओ मत , मैं पहले तुम्हें इसके लिए तैयार करूँगा , फिर थोड़ा थोड़ा कर के पूरा अंदर करूँगा ! देखो आज जितना ले सकती हो, ले लो, फिर अगले बार थोड़ा और ले लेना !
जफ़र अंकल ने मुझे लिटा कर , अपना लण्ड मेरे चूत पर सहलाना शुरू कर दिया , लण्ड से धागे की तरह लसलसा पानी चू रहा था !जफ़र अंकल ने अपना लण्ड मेरे चूत के छेद पर रखा ! मेरी चूत काफी ढीली होकर फड़फड़ा रही थी !जफ़र अंकल ने जगह बनाते हुए अपने आप को मेरे ऊपर कर लिया , मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद किया और हाथों को अपने हाथों से जकड लिया ! हल्का सा एक धक्का और जफ़र अंकल का सुपाड़ा अंदर लगा जैसे कोई दीवार गिरी थी चूत के अंदर , मेरी जान भी बाहर होने को थी ! मेरी चीख जफ़र अंकल के मुंह में रह गयी ! थोड़ा सा और अंदर गया लण्ड ,फिसलन की वज़ह से जो जफ़र अंकल ने चूस चूस कर बनाया था ! मुझे लगा किसी ने दो टुकड़े कर दिए मेरे ! जांघ के बीचों बीच कील ठोक दिया था जफ़र अंकल ने !
दो मिनट तक सब कुछ शांत रहा , मैं कुछ नार्मल हुई , और जफ़र अंकल ने आगे पीछे करना शुरू किया ! लग रहा था की चूत की दीवार ता चला गया है जफ़र अंकल का लण्ड ! एक बार उठकर देखना चाहा , जफ़र अंकल ने थोड़ा ऊपर उठकर दिखाया , अभी आधा लण्ड बाहर ही था ! अंदर बहुत जलन हो रही थी , लगता था चूत फैट गयी है और खून बह रहा है ! मैंने कहा , जफ़र अंकल आज इतना ही ! जफ़र अंकल समझ गए , उन्होंने उतने तक ही अपना लण्ड आगे पीछे करना जारी रखा ! हवा भी अंदर नहीं जा सकती थी, इतने टाइट होकर लण्ड अंदर बाहर हो रहा था ! मुझे मज़ा आने लगा था , अब जफ़र अंकल भी पूरी मस्ती में आ गए थे ! मैं बार बार पानी छोड़ रही थी चूत में, जिससे बहुत फिसलन हो गयी थी ! जफ़र अंकल ने स्पीड बढ़ा दी , मेरा अब तक का सबसे बड़ा झरना अब बह निकला ,तभी जैसे चूत में गरम पानी का नलका खोल दिया हो, पिचकारी छोड़ दी ! कमरा वीर्य के खुसबू से भर गया ! जफ़र अंकल झड़ते रहे, लण्ड सिकुड़ने लगा और जफ़र अंकल ने दवाब बना कर पूरा लण्ड अंदर ठोक दिया ! लण्ड में ढीलापन आ रहा था , लेकिन असली मर्द ने अपना जादू एक लड़की को दिखा कर उसे अपना गुलाम बना लिया था !
एक दोस्त ने ने अपने दोस्त की बेटी के साथ मस्त सुहागरात मना ली थी ! हम लस्त पस्त लेटे थे , की जफ़र अंकल के फ़ोन की लाइट जल पड़ी , शायद फ़ोन साइलेंट पर था !....
शालू की जुबानी
मेरे रैप ने मुझे हिला कर रख दिया था ,पर मेरी समझ ये नही आ रहा था की में अनिल को कैसे रंगे हाथ पकङु और उन्हें सुधारु। मेने सोचा अगर में जफ़र को विश्वास में ले लू तो हो सकता हे की अनिल राज मुझे पता चल जाये हालाँकि में जफ़र को बहुत नापसंद करती थी लेकिन अब में उसको अपना मोहरा बनाना चाहती थी।
एक दिन जब अनिल घर से बहार गए हुए थे मेने जफ़र को बुलाया और कहा ,तुमने मेरे साथ जो किया उसे में अब भूलना चाहती हु पर एक शर्त पर की तुम अनिल को सुधारने में सहायता करो ,उसकी आँखे चमक गयी वो बोला ,में तो कब से आपका साथ देना चाहता था लेकिन आपने मौका ही नही दिया ,में आपकी मदद करूँगा लेकिन उसके लिए एक बार आपको मेरे रूम पर आना पड़ेगा।
में उसकी हिम्मत देख कर दंग रह गयी ,लेकिन मुझे अनिल का पर्दाफाश करना था ,में राजी हो गयी।
मेने कहा की में रात को आती हु लेकिन तुमने कोई बदतमीजी करने की कोशिश की तो में तुम्हे ज़िंदा नही छोडूंगी ,उसकी आँखों में चमक आ गयी और चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान।
रात को जब में उसके रूम में गयी तो वो लुंगी में इस अंदाज में बैठा था की उसका लंड मुझे साफ़ दिख जाये ,में थरथरा गयी ,मुझे पुरानी दास्ताँ याद आ गयी उसने मेराहाथ पकड़ा और अपने उप्पर खीच लिया ,मेरा मुह बिलकुल उसके लंड के करीब जाकर गिरा वो बोला
कुत्ते की मूत मादरचोद .....तेरी माँ का भोस्ड़ा में ये बम्बू फंसा दूंगा ...!"मेने कहा , तुमसे कहा था न की अगर तुमने कोई बदतमीजी की तो तुम्हे ज़िंदा नही छोडूंगी ,वो बोला तू क्या समझती हे मदरचोदनी की में बरसो से तेरे पति की गुलामी ऎसे ,ही कर रहा हु में तो केवल तेरे इंतजार में यहाँ हु
!उसने कुछ देर होंट चुसे ,गाल चूमे फिर दोनों को कच कचा कर काट खाए !
" बोल रंडी ..तू मेरी रखेल हे ..."उसने अपना लोडा मेरे खुले मुह में आधा ठूंस दिया !
" बहुत दिनों से इसमें से पेशाब की बदबू आ रही हे ...चाट कर साफ़ कर साली रांड" चल नंगी हो कुतिया ,"में समझ गयी की में दुबारा जफ़र के चंगुल में फंस चुकी हु मुझे आज पता चला की उसके योवन में किसी नर के व्यक्तित्व को किस सीमा
हा
तक बदलने की क्षमता हे !
ये सोच करमेरे चुचक कड़े हो गए मांसल चूचियां पूरी तरह से तन गई और चूत में बह रहे पानी
का गाढ़ा पन और बढ़ गया !
कामुकता की ज्वाला मेरी योनि के भीतर दहकने लगी !
में इस जफ़र के मोटे काले विशाल लंड का आक्रमण अपनी चिपकी योनि के छोटे से छेद
पर झेलने के लिए उत्तेजित थी !
वो मेरी बड़ी बड़ी कठोर चुचियों को नोचते हुए सा बोला :-"ये तो रंडीयों वाली चूचियां हे साली .....कितने हरामियों
को दूध पिलाई हे ...अपने इन थनों से .....कुतिया ....?"
"चट्ट ...."
कठोर हाथों ने जब उसकी चूचियां मसलना नोचना शुरू किया तो मुझे पता चला की प्यार से
मसली गई चूचियां और हवस में नोची गई चुचियों में कितना बड़ा अंतर होता हे !
प्यार से जब चूची मसली जाती हे तो सिर्फ सनसनाहट होती हे , पर जब हवस में चूची दबोची जाती हे तो
दुखती हे .कल्लाती , टीस उठती हे और चुचियों में दर्द कई दिनों तक बना रहता हे !
किसी पके फोड़े की तरह चुचिया दुखती और टपकती हे कई दिनों तक !
और जितने दिन तक चूचियां टपकती हे स्त्री अपनी चूत को अपनी अंगुली से कुचल कर शांत करती हे !
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