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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा ऋतु की कुँवारी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया। ऋतु अब लंबी-लंबी साँसे लेने लगी थी। मैंने अपने लौड़े को जरा सा जोर से दबाया तो थोड़ा सा लण्ड उसकी चूत में घुसा। ऋतु के चेहरे पर दर्द दिखाई दे रहा था। मैं उसको अभी और तड़पा के चोदना चाहता था। मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड थोड़ा
सा और घुसा दिया, तो उसकी हल्की सी चीख निकल गईं।
अब ऋतु की आँखों में आँसू आने लगे। मैंने अबकी बार अपना लौड़ा चूत से सटाकर कसकर शाट मारा, तो मेरा लण्ड उसकी कुँवारी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया। ऋतु ने जोर से एक चीख मारी। मैंने भी उसको रोका नहीं। क्योंकी में यही चाहता था की ऋतु की चीख उसकी माँ को सुनाई देनी चाहिए। मैं जानता था की वो साथ वाले रूम में होगी।
मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और अब मैंने कस के शाट मारा, तो मेरा पूरा लण्ड अब ऋतु की चूत में घुस गया था। ऋतु की आवाज में दर्द था और वो रोने लगी।
ऋतु बोली- "प्लीज बाहर निकाल लीजिए। मैं मर जाऊँगी, बड़ा दर्द हो रहा है.." और वो ऊऊऊ... आईईई... की
आवाजें निकालने लगी।
मैंने अब उसकी चूची को मुँह में ले लिया और हल्के-हल्के धक्के मारने लगा। ऋतु को अब जरा सा आराम मिला था जैसे।
मैंने उसके होंठों को चसते हुए कहा- "अब कैसा लग रहा है?"
उसने कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने उसको कहा- "अपनी जीभ मेरे मुँह में दो..' उसने दे दी। मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। फिर मैंने उसको कहा- "अपने दोनों हाथ मेरी कमर पे रख दो..."
उसकी चूड़ियों की खनक सेक्स का मजा दोगुना कर रही थी। उसका नाजुक बदन मेरे जिम से चिपका हुआ था। मैंने उसकी टांगों को थोड़ा और फैला दिया। मैंने अब धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। ऋतु की अब जोर-जोर से सिसकियां निकल रही थी। उसकी चूड़ियां में हर धक्के पर खनक उठती थी। उसकी पायजेब और चूड़ियां मेरे हर धक्के के साथ लय बना रही थी। फिर मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए और कस-कस के धक्के मारे। 20-25 धक्कों में मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में भर गया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया मेरा। लौड़ा झड़ने के बाद भी ऋतु की चूत में चिपक कर फंसा हुआ था। फिर धीरे-धीरे लण्ड सिकुड़कर बाहर आने लगा।
ऋत तेज-तेज सांसें ले रही थी। उसकी चूचियां अब ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने उसकी टांगों को अपनी टांगों में फंसा लिया था। मेरे हाथ जब उसकी गाण्ड पर लगे तो कुछ गीला-गीला सा लगा। मैंने देखा तो उसके सफेद पेटीकोट पर खून के धब्बे साफ दिख रहे थे।
मैंने उसको कहा- "अपने पेटीकोट से मेरा लण्ड पॉछ दो, और अपनी चत भी इसी से साफ कर लो.." उसने ऐसा ही किया। हम दोनों लिपटकर लेटे रहे।
थोड़ी देर बाद मैंने ऋतु में कहा- "जरा मेरे लिए पानी लेकर आओ.."
ऋतु में उठने की हिम्मत नहीं थी। मैं जानता था की उसकी कुंवारी चूत मेरे लण्ड की चोटों में सूज गई हैं। उसकी चूत में अभी भी दर्द हो रहा है। पर वो मजबूरी में उठी और कपड़े पहनने लगी।
मैंने उसको कहा- "कपड़े नहीं पहनों बस अपनी चूचियों को दुपट्टे से टक लो और इसी पेटीकोट में ही जाओ.."
ऋतु ये सुनकर मुझे अजीब तरह से देखने लगी। ऋतु ने दुपट्टे से अपनी चूचियों को टका और पानी लेने जाने लगी। उससे चला नहीं जा रहा था। वो अपनी जांघों को फैलाकर चल रही थी। मैं जानता था की बाहर शोभा उसको मिलेंगी। मैं भी चुपके से दरवाजे के पास जाकर खड़ा हो गया।
वैसा ही हुआ। बाहर निकालते ही शोभा ने अत को अपने गले से लगा लिया। ऋतु और शोभा दोनों गले लग कर रोने लगी। धीरे-धीरे क्या बात करी उन दोनों में मैं मन नहीं पाया। ऋत का पेटीकोट शोभा को दिखाई दे गया था। पर वो बोली नहीं कुछ। फिर ऋतु किचन से पानी लेकर मेरे पास आई।
मैंने पाजी पीकर उसको कहा- "अब मेरा लण्ड चूसकर खड़ा करो.."
ऋतु ने मुझसे कहा- "आपके लण्ड पर खून लगा हुआ है.."
मैंने कहा- "कोई बात नहीं। तुम मेरे साथ बाथरूम में चला। वहां तुम मेरे लौड़े को धोकर साफ कर देना..." कहकर मैं उठकर खड़ा हो गया। ऋतु मेरे साथ चल दी। हम दोनों बाथरूम में गये। वहां नल के नीचे मैंने अपना लौड़ा रखा। ऋतु ने मेरे लौड़े को साबुन लगाकर धोया।
मैंने ऋतु में कहा- "अपनी चूत भी धो लो.."
उसने अपनी चूत भी धोई। अब हम फिर से गम में चले गये। ऋतु का घर बड़ा छोटा सा था।
मैं जानता था की हम जो भी कर रहे हैं, वो शोभा और शिल्पा को सब पता चल रहा है। मैंने रूम में जाकर ऋतु को लण्ड पकड़ा दिया और कहा- "अब चूसो.."
ऋतु मेरे लौड़े को चूसने लगी। दो मिनट में मेरा लौड़ा टनटना का पूरा तैयार हो गया। ऋतु पलंग पर जाकर लेट गई, और अपनी दोनों टांगों को फैला दिया। मुझे देखकर हँसी आ गई।
मैंने उसको कहा- "मैं अब तुमको आगे से नहीं पीछे से चोदूंगा.."
ऋतु सुनकर घबरा गई। हाथ जोड़कर बाली- "प्लीज... आप वहां मत करिए बड़ा दर्द होगा.."
मैंने कहा- "सुनो। मैं तमको जैसा कहें वैसा करो.. मेरा मह खराब मत करो समझी?"
मैंने जब गुस्से से कहा तो वो डर गईं।
मैंने उसको कहा- "चलो एक काम करो, कोई तेल लेकर आओ.."
उसने कहा- "सामने खिड़की के पास से उठा लीजिए."
मैंने तेल की ट्यूब उठा ली और ऋतु को कहा- "तुम घोड़ी बन जाओ.."
वो घोड़ी बन गई। मैंने खूब सारा तेल उसके चूतड़ों पर डाल दिया। तेल की धार उसके चूतड़ों की दशा में होती हुई उसकी गाण्ड तक जा रही थी। मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड में घुसा दी। ऋतु ने अपनी गाण्ड आगे कर दी।
मैंने उसको कहा- "अगर अब तेरी गाण्ड एक इंच भी हिली तो मैं बिना तेल के ही तरी गाण्ड मार दूँगा..."
सुनकर ऋतु बोली- "नहीं-नहीं अब नहीं हिलाऊँगी..."
फिर मैंने उसकी गाण्ड में उंगली पेल दी। अब उसकी गाण्ड हिल नहीं रही थी, बस वो अपनी गाण्ड को सिकोड़ रही थी। दो-तीन मिनट मैं उसकी गाण्ड में उंगली चलाता रहा। फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गाण्ड में पेल दी। अब ऋतु को दर्द होने लगा और वो रोने लगी। मैंने उसको कुछ कहा नहीं, अपना काम करता रहा। जब मैंने देखा इसकी गाण्ड अब लौड़ा लेने को तैयार हैं तब मैंने उसको पलंग के कार्जर में घोड़ी बना दिया, और मैं नीचे खड़ा होकर उसकी गाण्ड पर अपना लौड़ा अइजस्ट करने लगा।
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
फिर मैंने उसकी गाण्ड में उंगली पेल दी। अब उसकी गाण्ड हिल नहीं रही थी, बस वो अपनी गाण्ड को सिकोड़ रही थी। दो-तीन मिनट मैं उसकी गाण्ड में उंगली चलाता रहा। फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गाण्ड में पेल दी। अब ऋतु को दर्द होने लगा और वो रोने लगी। मैंने उसको कुछ कहा नहीं, अपना काम करता रहा। जब मैंने देखा इसकी गाण्ड अब लौड़ा लेने को तैयार हैं तब मैंने उसको पलंग के कार्जर में घोड़ी बना दिया, और मैं नीचे खड़ा होकर उसकी गाण्ड पर अपना लौड़ा अइजस्ट करने लगा।
सही आंगल बजाकर मैंने उसको कहा- "में अब लौड़ा पेलने जा रहा है."
उसने फिर से रोना शरू कर दिया और बोली- "प्लीज मान जाइए ना.."
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मैंने कहा- "चुपचाप घोड़ी बनी रह, नहीं तो कुतिया बनाकर चोदूंगा.."
फिर मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड में जैसी ही डाला वो उछल पड़ी और मेरे पैरों में गिर के रोने लगी। मैंने उसको गुस्स से कहा- "प्यार से गाण्ड मरवा लें, नहीं तो तेरी माँ को यही बुलाता है। उसके सामने ही तेरी गाण्ड मारेगा..."
से सुनकर वो सिहर कर रह गई, और चुपके से फिर से घोड़ी बन गई। मैंने अब उसकी गाण्ड में लण्ड डाला। मेरा सुपाड़ा अब उसकी गाण्ड के छेद में चला गया था।
मैंने उसको कहा- "तू अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ जोर लगाकर धकेल.." मैं जानता था वो ऐसा नहीं कर पाएगी पर में देखना चाहता था की वो करती है या नहीं?
उसने करने की कोशिश की। अब मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में था। मेरी हर चोट पर उसकी एक जोर की चीख निकल रही थी। मैं उसकी चीखों की परवाह करें बिना उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेले जा रहा था।
ऋतु- "उईईई माँ उईईई माँ.." करती जा रही थी।
करीब 7-8 मिनट बाद मुझे लगा की मैं अब झड़ने वाला हूँ, तो मैंने कस के धक्के मारने शुरू कर दिए। उसकी चीखें और तेज हो गई। मैंने कस के एक शाट मारा और मैं उसकी गाण्ड में झड़ गया। उसकी गाण्ड में मैंने अपना लण्ड ऐसे ही पड़ा रहने दिया। मेरे लण्ड को उसकी गाण्ड ने अभी तक कस के दबाया हुआ था। ऋतु अभी तक अपनी गाण्ड को सिकाई जा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लण्ड की मालिश हो रही हो। अब मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा तो फुच्च की आवाज के साथ मेरा लौड़ा बाहर आ गया।
मैंने ऋतु में कहा- "जान मेरे लौड़े को साफ कर दो..."
उसने तौलिया से मेरा लौड़ा साफ किया। मैं पलंग पर लेटा रहा। ऋतु भी पेंट के बल पलंग पर लेट गई फिर
बोली- "आपने मुझे इतना दर्द दिया है, आप बड़े खराब हो..."
मैंने ऋतु के गाल को चूमते हुए कहा- "जान अब इस दर्द की आदत डाल लो.."
ऋतु ने कहा- "मैं टायलेट जा रही हूँ.."
मैं समझ गया उसकी गाण्ड में मेरा माल चिपचिप कर रहा होगा, मैंने कहा- "जाओ। लेकिन जल्दी से आजा..."
वो उठकर चली गई। थोड़ी देर में ऋतु आ गई।
मैंने उससे कहा- "मुझे अब नींद आ रही है... मैंने अपने सेल में 6:00 बजे का अलार्म लगा दिया और मत से कहा- "अलार्म बजते ही मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चसना शुरू कर देना। मेरा लौड़ा खड़ा करोगी तो मैं उठ जाऊँगा समझी या नहीं?"
ऋतु ने सिर हिला दिया।
मैं ऋत को अपनी बांहों में भरकर सो गया। फिर मुझे नींद आने लगी। सुबह मेरी नींद खुली तो पता चल गया की मेरे लौड़े को ऋतु चूस रही हैं। मैं जाग गया पर आँखें बंद करके लेटा रहा। ऐसें चुप्पा लगवाने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
फिर मैंने अपनी आँखों को खोला, और ऋत को कहा- "अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ और मेरे लण्ड पर अपनी
चूत रखकर बैठ जाओ.."
ऋतु मेरे ऊपर आ गई। उसने अपने नाजुक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया,
और हल्का सा दबाया। मैं तो इसी माके की इंतजार में था। जैसी ही ऋतु ने अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाया, मैंने नीचे से जोर का धक्का मारा।
ऋतु को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी, इसलिए उसने एक जार की चौख मारी- "उईईई मर गई.." मैंने उसकी
मर को कस के पकड़ रखा था। वो उठ नहीं पाई। एक मिनट तक लण्ड पूरा उसकी चूत में घुसा रहा।
फिर मैंने उसकी गाण्ड के नीचे हाथ रखकर उसको ऊपर उठाया और कहा- "अब मेरे लौड़े पर उछल-उछलकर इसको अपनी चूत में अंदर-बाहर करती रहो...
ऋतु ने हल्के-हल्के ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया।
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01-23-2021, 12:55 PM,
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
ऋतु को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी, इसलिए उसने एक जार की चौख मारी- "उईईई मर गई.." मैंने उसकी
मर को कस के पकड़ रखा था। वो उठ नहीं पाई। एक मिनट तक लण्ड पूरा उसकी चूत में घुसा रहा।
फिर मैंने उसकी गाण्ड के नीचे हाथ रखकर उसको ऊपर उठाया और कहा- "अब मेरे लौड़े पर उछल-उछलकर इसको अपनी चूत में अंदर-बाहर करती रहो...
ऋतु ने हल्के-हल्के ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया।
मैंने ऋतु में कहा- "अगर हर बार में पूरा लण्ड अंदर नहीं लिया तो मैं नीचे से फिर धक्का मारूंगा.."
सुनते ही ऋतु ने कहा- “नहीं नहीं प्लीज... आप मत करना.."
में मुश्कुरा पड़ा। मैं जानता था अब वो सही से लौड़ा खायेगी। फिर मैंने ऋतु से कहा- "मेरे मुँह में अपने हाथ से पकड़कर अपनी चूची चुसवाओ."
उसने मेरे मुँह में अपनी चूची लगा दी। मैं उसकी चूची चूसने लगा। अब मेरा लण्ड ऋतु की चूत में फिसल फिसल के जा रहा था। क्योंकी ऋतु की चूत अब पानी छोड़ रही थी।
ऋतु ने कहा- "अब आप मेरे ऊपर आ जाइए.."
मैंने कहा- "ऐसे नहीं, पहले तुम मुझे कहाँ की- 'प्लीज मेरे ऊपर आकर मेरी चूत मारो."
सुनकर ऋतु शर्मा गईं।
मैंने कहा- "ऋत सेक्स का मजा तभी आता है जब सेक्सी बातें की जाएं...
ऋतु ने हल्के से कहा- "मेरी जान मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदो.."
मैंने कहा- "ऐसे नहीं, जार में बोला.."
ऋतु ने अब जोर से कहा- "मेरी जान मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चोदो.."
ये सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने ऋतु को नीचे कर दिया और उसकी चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मैंने ऋतु से कहा- "अब तुम भी नीचे से अपनी चूत को उठा-उठाकर चुदवाओ..."
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ऋत को अब मजा आ रहा था। वो अब नीचे से अपनी चत उठा रही थी। ऐसा करने में उसकी चत दो बार झड़ गई। उसने अपनी आँखों को बंद कर लिया और उसके चेहरा पर स्माइल दिखने लगी। 5 मिनट ऐसे ही चलता रहा। फिर मैंने अपना सारा जोर लगाकर 10-15 शाट में ऋतु की चूत में माल झाड़ दिया। ऋतु ने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे। चुदाई में इसका पता नहीं चला। पर अब इसका एहसास होने लगा था। मैं ऋतु के ऊपर से उठने लगा, पर उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर दबा लिया।
मैंने कहा- "क्या हुआ?"
ऋतु ने कहा- "प्लीज... ऐसे ही लेटे रहिए ना.."
मैंने कहा- "मुझे अब जाना है, सुबह हो गई है.."
पर ऋतु ने कहा- "प्लीज... प्लीज मत जाइए..."
मैंने उसकी बात मान ली पर दो मिनट बाद जैसे ही उसकी पकड़ टोली हुई में उठकर खड़ा हो गया। फिर मैंने
अपने कपड़े पहन लिए। ऋतु में भी उठकर कपड़े पहन लिए।
मैंने कहा- "तुम आज भी आफिस मत आना। मैं शाम को जल्दी आ जाऊँगा...
ऋतु ने मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया, और मेरे सीने से कसकर चिपक गई। मैंने ऋत का चेहरा अपने हाथों में लिया तो उसकी आँखों में आँस देखकर सोच में पड़ गया।
मैंने उसके बालों में प्यार से हाथ फेरते हुए कहा- “क्या हुआ?"
ऋत बोली- "आपको समझ में नहीं आएगा..."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने भी बात को ज्यादा नहीं बढ़ाया। फिर मैंने उसको कहा- "अब मुझे जाने दो.."
मैं राम से बाहर निकला तो मुझे शोभा बाहर ही मिल गई। मैंने उसको कहा- "मैं जा रहा हूँ तुम ऋतु का आराम करने देना। शाम को मैं आऊँगा..."
शोभा में अपने सिर को हिला दिया। मैंने कार स्टार्ट की तो मुझे याद आया की मैंने ऋतु का सफेद पेटीकोट जिसपर उसकी चत का खन लगा हुआ था, वहीं छोड़ दिया है। पर मैं अब वापिस जाने के मह में नहीं था। सो मैंने कार घर की और बढ़ा दी। मैं घर पहुंचा तो 8:00 बज चुके थे। मैं सीधा बाथरूम में घुस गया।
सुबह मैं आफिस टाइम से चला गया था। मैं अपने केबिन में बैठा था। तभी अंजू ने आकर मुझसे पूछा- "सर, ऋतु कल से नहीं आई.."
मैंने उसको कहा- "उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उसने मुझे फोन से बता दिया था, और तुम बताओं की तुम्हारी मम्मी कैसी है?"
अंजू ने कहा "सर अब वो ठीक है..."
मैंने उसको कहा- "अब तुम जाओ..
अंजू चली गई।
मैंने ऋतु को फोन किया पर उसने फोन उठाया नहीं। दो मिनट बाद उसका फोन आया।
मैंने कहा- "क्या हुआ सोई हुई थी क्या?"
उसने कहा- "जी सर..."
मैंने कहा- "तुम अपना पेटीकोट जो रात को पहना था उसको संभाल कर रख देना। उसको धोना नहीं.."
ऋतु ने कहा- "ठीक है, मैं उसको रख दूँगी। पर आप उसका क्या करोगे?"
मैंने कहा- "आज शाम को बता दूँगा." फिर मैंने उसको कहा- "अब तुम आराम करो..."
मैंने स्टाफ से कहा- "अब मुझे कोई डिस्टर्ब मत करना। मैं कुछ जरनी काम कर रहा है... और मैं अपने काम में लग गया। काम में टाइम का पता ही नहीं चला कब 4:00 बज गये।
में रात को भी नहीं सोया था, इसलिए थोड़ा थका हुवा था। मैं आफिस से घर आ गया। मैंने आते ही एक पेग विस्की पी, और लेट गया। मुझे नींद कब आ गई पता ही नहीं चला। मेरे सेल की रिंग बाजी तो मेरी नींद खुल
गई। मैंने देखा ऋतु का फोन था मैंने पिक किया।
ऋत् ने कहा- "आप कब तक आओगे?"
मैंने चुटकी लेटे हुए कहा- "क्यों चुदने का मूड हो रहा है क्या?"
उसने शर्म से कहा- "नहीं वो बात नहीं है, मैं तो आपके लिए खाना बना रही थी आप खाना खाकर मत आना..."
मैंने कहा- "क्या बना रही हो?"
उसने कहा- आपकी पसंद की डिश है।
मैं समझ गया। मैं उठा और तैयार होकर अत के घर की और चल दिया। मैंने डोर बेल बजाई। अत ने ही दरवाजा खोला और प्यारी सी मुश्कन से मुझे वेलकम किया। मैं अंदर चला गया। ऋतु मेरा हाथ पकड़कर सीधा मुझे अपने रूम में ले गई, जिसमें कल हमारी सुहागरात हुई थी। मैं चयर पर बैठ गया।
ऋतु मेरी गोद में बैठ गई और बोली- "कब से आपका इंतजार कर रही हैं."
मैंने उसको सब बताया की कैसे मुझे देर हो गई।
ऋतु ने कहा- "आपके लिए ड्रिंक बनाकर लाती हैं..." और ऋतु ने मेरे लिए पेग बनाया मैं बिस्की की बोतल रात को उसके घर ही छोड़ गया था वा काम आ गई।
मैंने ऋतु में कहा- "तुम आज मेरा बड़ा खयाल रख रही हो, क्या बात है?"
ऋतु ने अपने चेहरे को गुस्से वाला करके कहा- "आपको जो समझना है समझिए। मैं तो अब ऐसी ही करेंगी.."
मैंने कुछ नहीं कहा। मेरा पेग खतम हो गया था। ऋतु को मैंने इशारा किया। उसने पैग बना दिया।
ऋत बोली- "आप पेंग खतम करिए मैं चेंज करके आती हैं." और वो चली गई।
मैं सिप करते-करतें सोच रहा था की एकदम से ऋतु का बिहेब कैसे इतना चेंज हो गया?
इतने में शोभा रूम में आकर मुझसे बोली- "डिनर तैयार है लगा दू?"
मैंने कहा- "10 मिनट में लगा देना.." कहकर मैं अपने मोबाइल को चेक करने लगा।
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01-23-2021, 12:56 PM,
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
थोड़ी देर में ऋतु आ गई। जैसी ही वो रूम में एंटर हुई, रूम में खुशबू ही खुशबू भर गई। मैंने ऋतु को देखा तो देखता ही रह गया। उसने पिक कलर की नाइटी पहन रखी थी, बाल खुले हुए थे, बिना लिपस्टिक के भी उसके होठों पिंक लग रहे थे। नाइटी ज्यादा तो नहीं पर थोड़ी सी ट्रान्सपरेंट थी। क्योंकी ऋतु की ब्रा पैटी साफ दिख रही थी। ऋतु आकर मेरी गोद में बैठ गई और अपनी गोरी गोरी बाहें मेरे गले में डाल दी, और अपने होंठ मेरे आगे कर दिए। मैं समझ गया मैंने भी उसके होंठों पर होंठ रख दिए और डीप-किस करने लगा। हम दोनों इस पोजीशन में पता नहीं कितनी देर से होंगे। तभी शाभा की आवाज में हमें हड़बड़ा दिया।
ऋतु मेरी गोद में वैसे ही बैठी थी। शोभा को देखकर वो शर्मा गई। हमने दरवाजा बंद नहीं किया था। इसीलिए ऐसा हो गया। ऋत उठने लगी।
तब मैंने उसको कहा- "शांती क्यों हो?"
मैंने शोभा से कहा- "हम अभी आते हैं."
हम दोनों दूसरे गम में गये। वहां डिनर लगा हुआ था। ऋतु ने मेरे लिए खाना लगा दिया।
मैंने उसको कहा- "तुम नहीं खाओगी?"
उसने कहा- "मैं आपके साथ ही खा लेंगी अगर आपको कोई पाब्लम ना हो तो.."
मैंने कहा- मुझे कोई प्राबलम नहीं है.... फिर हम दोनों में खाना खाया।
शोभा और शिल्पा ने हमारे साथ खाना नहीं खाया। मैंने कहा तो बोली हम बाद में खा लेंगे।
डिनर के बाद मैंने ऋतु को इशारा किया। वो समझ गईं। मैं उठकर दूसरे रूम में आ गया। मेरे पीछे ऋतु भी आ गई और दरवाजा बंद कर दिया। मैंने ऋत को अपनी बाहों में भर लिया। वो भी मेरे से चिपक गई। ऋत ने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए। मैंने शर्ट उतार दी। फिर ऋतु में मेरे लण्ड को जीन्स के ऊपर से पकड़ लिया। मैं समझ गया की अब उसकी चत चुदासी हो गई है, और होती भी कैसे नहीं। उसकी शादी की उम्र हो चुकी थी और शादी का चान्स अभी दूर-दूर तक नहीं था। 18 साल के बाद लड़की की चत लौड़ा माँगने लगती है।
हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए, और बैंड पर लेट गयें। ऋतु मेरे लण्ड को अपने कोमल हाथों में
सहला रही थी।
मैंने ऋतु से कहा- "कल से कैसे तुम मेरे साथ रात को रह पाओगी?'
ऋतु ने कहा- "मैं भी यही सोच रही हैं। कल से मैं अकेली कैसे साऊँगी? मुझे तो आपके बिना नींद ही नहीं
आएगी."
मैंने कहा- "कोई बात नहीं। मैं कुछ ना कुछ करेगा। अभी तुम रात खराब नहीं करो..." और मैंने उसके होंठों को चूसना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मैं उसकी चूत को सहलाने लगा।
ऋतु ने कहा- "मैं ऊपर आऊँगी..."
मैंने हँसते हुए कहा- "ऊपर ज्यादा मजा आता है क्या?"
उसने कहा- "हाँ.."
मैंने उसको अपने ऊपर ले लिया। इस तरह रात भर चुदाई का खेल चलता रहा। सुबह में 7:00 बजे ऋतु के घर से निकाल आया। मैंने ऋतु से कहा- "तुम भी 11:00 बजे तक आफिस आ जाना.."
अगले दिन ऋतु थोड़ा देर में आफिस आई। आते ही वो मेरे कैबिन में आ गई। आज उसकी अदाएं कहर ढा रही थीं। उसने सफेद कलर का पाजामी सूट पहना हुआ था। सफेद कलर ऋतु पर खूब फबता है।
मैंने उसको देखते ही कहा- "आज बड़ी प्यारी लग रही हो."
उसने स्वीट सी स्माइल से मुझे मेरे कांप्लिमेंट का जबाब दिया। मैं अपनी चेयर से उठा और ऋतु के पास जाकर उसको अपनी बाहों भर लिया। वो भी मुझसे किसी बेल की तरह लिपट गई।
मैंने उसको किस करते हुए कहा- "जानेमन तुम्हें देखकर तो अभी से मूड बन रहा है.'
ऋतु ने मुझसे खुद को छुड़ाते हुए कहा- "जी नहीं, अभी कुछ नहीं करना..."
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