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RE: kamukta Kaamdev ki Leela
कहानी के किरदार कुछ इस तरह है :
रामधीर सिंह : ६८ वर्ष का गठीला बदन का मालिक और बेहद सख्त स्वभाव
यासोधा देवी : ६३ साल की बेहद गड्राई और सुडौल जिस्म की मालकिन, अपने पति के बेहद निकट रहती है और अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है।
इनके दो बेटे :
महेश सिंह : ४५ साल, बेहद रोमांटिक मिज़ाज के आदमी
उनकी पत्नी आशा सिंह : ४१ साल की बहुत ही कामुक स्वभाव की औरत है और दिल में काफी रहस्य छिपे थे
इन के तीन संतान :
राहुल : २४ साल का नटखट युवक
रिमी : १९ साल की प्यारी से, भोली सी
नमिता : २७ साल की, एमबीबीएस स्टूडेंट और तीनों में सबसे बड़ी और सख़्त स्वभाव की
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चलते है दूसरे बेटे पर
गौरव सिंह : ५१ साल का बेहद पहलवान, बिल्कुल अपने पिता रणधीर की तरह
रमोला, उनकी पत्नी : ४० साल की बेहद खूसूरत और सुडौल जिस्म की मालकिन
इनके दो बच्चे :
रेवती : २७ साल की मदमस्त जिस्म की लड़की और बेहद शरारती किस्म की स्वभाव
अजय : बहुत शर्मीला, और खास बात उसका क्रॉसडरेस करने का स्वभाव
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चलिए देखते है इन सब को कामदेव क्या सुख दिलाता है।
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अपडेट १
ऊपर स्वर्ग में गजोधरी और कामदेव प्रेमलीला में लगे हुए थे। गाजोधरी की जिस्म फूलों के नदी में निखार के खिल उठी और श्री कामदेव अपनी गीत वाणी से उसकी मनोरंजन करता गया।
सारे अप्सराएं जलन के मारे चुप चाप उन्हें देखता गए। मधुर मधुर गीत पर गजोधारी नदी में डुबकी लगती और उभर आती, और फिर डुबकी लगती।
कामदेव : उफ्फ यह मनमोहक चंचल जिस्म हमें घायल कर देगा!
गाजोधारी : आप तो बस! खैर चलिए ज़रा पृथ्वी लोक पे नजर डालते हैं! क्या कहते है प्रभु?
कामदेव : बिल्कुल! क्या पता और एक कामुक परिवार मिल जाए!
चलिए चलते है नीचे की और जहां इंसान बसेरा करते है। चलते है सिंह परिवर की और!
पंछियों की आवाज़ चेहेक उठा आसमान में। रामधीर सुबह सुबह उठ के अपने आदत से मजबूर, हमेशा की तरह थोड़े व्याम में लग जाता है। गठीला बदन युही दिन या हफ्ते में नहीं बने थे, काफी समय लगा और मेहनल
भी तारीफे काबिल। सांवला जिस्म बेहद ज़ोर का संकल्प कर रहा था और सफेद बान्यान और लंगोट में कैद बरी आकर्षित लग रहा था।
रामधीर अपने समय के एक प्रसिद्ध पहलवान रह चुके थे और इतना ही नहीं, इनका खौफ काफी मशहूर भी था, चाहे अकहरा हो या दोस्तों में मस्ती हो या फिर घर में अपने पत्नी के साथ ठुकाई हो। कसरत के बाद अपने पसीने से भीगे बदन लेके बाथरूम घुस गए और एक टॉवेल लपेट लिए लंगोट निकालकर। बन्यान तो पहले ही त्याग दिया था बाल्टी में और ऐसे ही केवल टॉवेल लपेट के अपना हजाम बनाने लगे के तभी सामने पूजा पाठ की थाली लेके एक बेहद सुडौल और चौड़ी जिस्म की औरत एक सफेद फुलस्लीव ब्लाउस और हल्के पीले रंग की साड़ी पहनी, गायत्री गीत गाती हुई आती है और तभी हुआ युं के उसकी कलाई को जकड़ लेता है रामधीर और बाथरूम के अन्दर खीच लेता है।
वोह औरत और कोई नहीं बल्कि उनकी धर्मपत्नी यशोधा देवी थी। उसकी हाथ में से थाली नीचे गिर जाती हैं और आवाज़ देती है आशा "माजी क्या हुआ??"
लेकिन कोई आवाज़ आए तो ना! दोनों पति पत्नी होंठों को आपस में रगड़ के चुम्बन में व्यस्त थे, यशोधा को नीचे गिरे हुए थाली की ज़रा सी भी परवाह नहीं थी। फिर रामधीर अपने होंठों को आज़ाद करता है और कान की लौ को प्यार से चूम लेता है "जन्मदिन मुबारक! भाग्यवान"।
उफ्फ इतना खास दिन तो यादोशा देवि खुद भूल गई थी, लेकिन रामधीर थे आवारा आशिक़ कहिन के! इस उम्र में भी दोनों पति पत्नी एक दूसरे से नाक रिग्रने लगे और यशोधा देवी पल्लू को मूह में लाए हसने लगी।
यशोधा : बारे बेशरम हो आप! धत्त!
रामधीर : (कुछ बोला नाही) "तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है!" ओए होए मेरे धर्मपत्नी जी! आज ना रोको मुझे! मुझे जवानी के दिन याद आ रहे हे! क्या करू! तुम अब इतनी फूल को गई हो के और ज़्यादा प्यार आता है आज कल!
यशोधा : आप भी कहा कम हो! (पल्लू को सीधा करके, नीचे थाली उठिके) आज भी जोग व्यम करते है! थोड़ा उम्र का तो लिहाज कीजिए! बच्चो तो बच्चे! पोते पोतियों भी बड़े हो गए! फिर भी...
ऐसे समय में आशा आजती है और अपने सास और ससुर को देखकर हैरान होजाती है। "इस उम्र में भी ऐसा रोमांस! ऐसा नटखट मिज़ाज! उफ्फ! और एक में! (वहीं के वहीं खड़ी रही और सास ससुर का रोमांस देखने लगी) यह महेश तो अपने बाप के सामने कुछ भी नहीं!
फिर से यशोधा देवी और रामधीर की लप्लापती होंठ मिलने ही वाले थे के आशा झट से "माजी!" बोल परी और यशोधा देवी शरम के मारे बाथरूम में से निकाल जाती है थाली लेकर।
रणधीर भी फ्रेश होकर निकल आता है और अपने बहू को देखकर मुस्कुराता हुआ अपने कमरे में चले जाते हे। ससुर के तीखी नज़रों का अंदाज़ आशा को एक मदहोशी के आलम में रख देती थी हमेशा की तरह।
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RE: kamukta Kaamdev ki Leela
आज घर पे सारे सदस्य यशोधा देवी को लेकर झूम उठे, क्योंकि आज का दिन भी खास था। उमर के नए पड़ाव पर यशोधा देवी काफी खुश थी, एक तो इतना प्यार करनेवाला परिवार जो मिली थी, ऊपर से उससे भी ज़्यादा प्यार और रोमांस करनेवाला पतिदेव जो आज भी किसी आशिक़ से कम नहीं था। लेकिन आज तो जैसे हस हो गई थी क्योंकी जिस तरह से उनके साथ बाथरूम में बेशर्मी की गई, उससे तो ऐसा लगा जैसे उनकी पति में इमरान हाशमी का भूत सवार हुए हो!
रामधीर की हरकतों को याद करती हुई वोह शर्मा जाती है और तभी धीमे क़दमों से पीछे से उसे एक लड़की जकड़ लेती है। वह लड़की थी रोमी जी मस्त नहा के खिली खिली लग रही थी और सबसे पहले उसने अपने ही दादी को जकड़ लिया प्यार से "हैप्पी बर्थडे दादोमा!!!!!!!" केहके उनकी फूली हुई मोटे गालों को प्यार से चूम लेती है।
ऐसे वक्त में राहुल और अजय भी आ जाते है।
अजय : बस कर रिमी! हमे भी तो विश करने दे!
राहुल : अरे भाई! जाने भी दो। यह तो ठहरी नटखट! यह किसी को विश नहीं करने देगी।
रिमी : (ज़ुबान बाहर निकालकर) ऊऊऊऊऊऊ! जाओ आप लोग! दादिमा मुझसे ज़्यादा प्यार करती है!! क्यों दादी?
याधोशा देवी : देखो अगर ऐसी बात है तो में अपने पोते से भी एक एक चुम्मा लूंगी, इसी गाल पे!
अजय और राहुल तो लेकिन माननेवाले नहीं थे, दोनों एक एक गाल पर चूम लेते है और उन्हें देख रामधीर अख़बार रखके बोल पड़ा "अरे भाई! यह क्या मेरे अपने पोते मेरा पत्ता काट रहा है क्या!" और इतना कहके वह हसने लगते है। उनकी वाक्य से सब हंसे और रोमी मूह में हाथ रखे "च्ची दादाजी! कुछ भी बोलते हो जाओ!"
राहुल : अरे क्या पता हो भी सकता है! दादीमा है ही इतनी हॉट! क्यों अजय?
अजय : अब क्या बोलूं भइया! (भोला सूरत लिए) लेकिन सच तो यह है के आज दादाजी बड़े हैंडसम लग रहे है (इतना कहना था के वह चुप चाप रामधीर के बहू बैठके उनके कंधों को मसलने लगा, जैसे मसाज कर रहा हो। दादाजी प्यार से उसे गलो पर चूम लेता है, पर चुम्बन के एहसास से अजय थोड़ा सिहिर उठा। क्या पता क्यों लेकिन यह एहसास कुछ नया नहीं था। इस मुद्दे पर हम लोग धीरे धीरे आयेंगे।
खैर घर पर सभी औरतें बढ़िया खाना बनाने में जुट गए। आज का मेनू था चिकन कोरमा! आशा और रमोला सारे के सारे बर्तन, कांधा और चिकन तयार करते हुए शुरुवात कर लेते है। दूसरे और रिमी और नमिता भी अलग से मदत कर रहे थे। यशधा और राहुल एक साथ बेठेके टाइमपास करने लगे।
यादोशा देवी : अब राहुल बेटा! एक बहू लादे घर पे! अब बस में कुछ नहीं सुनना चाहती हूं!
राहुल : देखो दाडोमा! लड़की तो मैंने देख रखी है। लेकिन....
यशोधा देवी : (मुस्कुराके) लेकिन क्या मेरा बच्चा?
राहुल : (शरारती अंदाज में) लेकिन दाडमा! वोह थोड़ी मोटी है! थोड़ी उमर में बरी! और सच कहूं! बिल्कुल आपकी बड़ी बहू जैसी!
यशोधा : (कुछ सोचकर) बेशरम!!!!!! (पीठ में मारती हुई) अपने मा के बारे में बात कर रहा है तू! (हसने लगी)
राहुल भी हसने लगा, लेकिन सुबह के घटना के बाद अपने मा को लेके नई उमंगे जागृत करने लगा, क्या पता आज अचानक इतनी मामूली घटना को लेके वह इतना क्यों भावना में डूब रहा था। ना जाने क्या दिखा आज उसे आशा के आंखों में। जी कर रहा था बस वही के वही केवल अंडरवेयर पहने अपने मा को बाहों में लेकर उसकी आंखो में डूब जाए।
वोह सोच में था के उसके आंखों के सामने चुटकी बाजाती है रिमी "ओय मिस्टर! ऐसे ही बैठेगा या मदात भी करेगा किचेन में!"
"तेरी तो!!!" कहके राहुल उसके पीछे पीछे भागने लगा और दोनों के मासूमियत देखकर यादोधा देवी मुस्कुरा उठा । कुछ मिनटों बाद महेश और गौरव अपने मा को विश करके उनका पैर चू लेता है। घर परिवार हो तो ऐसा हो, प्यार से भरपूर और कुछ दूरी पे खड़ी गाजोधरी मुस्कुरा रही थी, मन में हजारों लट्टू फुट उठे और खुद को बोल परी "अब तो तीर लगाना ही पड़ेगा, यशोधा देवी अब आप की खैर नहीं!!"
दूसरे और खाना करीब बन चुका था, चिकन कोरमा की सुगंध से सब पागल हो उठे। रिमी बहुत ज़्यादा उत्तेजित थी और नमिता उसे दांट ने लगी क्योंकि बार बार वोह बस किचेन में बकियो को सताने में मगन थी। रिमी और नमिता की पक्की दोस्ती और बेहनपयार देखकर आशा और रमोला दोनों खुश हुए और धान्य था ऐसे परिवार का।
राहुल ना जाने क्यों अचानक सोफे में से उठकर अपने मा के पीछे खड़ा हो गया, कुछ ऐसे के अपने बेटे के गरम सांसें आशा अपने कंधो और गले के आसपास महसूस करने लगी। अपने मन में मुस्कुराती हुई ना जाने क्यों आशा कुछ खास आश्चर्य नहीं थी क्योंकि राहुल बड़े प्यार से उसकी मदत करने में जुट गया।
आशा : क्या बात है! आज बड़ा दिल आ रहा है मा पर!
राहुल : बस ऐसे ही, में आपका हर वक्त ऐसे ही हेल्प किया करूंगा।
सीन कुछ मनमहोक और अजीब भी था। राहुल मा के पीछे चिकपे चिपके उसकी सहायता करने लगा और यह यह दृश्य देखकर रीमी एक जोर की सिटी बजाती है "ओय होए! मा बेटे का प्यार तो देखो!"
नमिता : (बर्तन रखती हुई) कभी हमारा भी ऐसे सहायता किया कर! (हंसकर)
अजय : इंपॉसिबल! राहुल अपने मा के बराबर किसी को भी नहीं रखेगा!
रमोला : (बनावटी गुस्से में) हाए! एक तेरा बेटा और दूसरा वोह! (अजय के तरफ)
अजय : अरे मोम! आप चिकन की जिमिदारी लो, में भी ऐसे पीछे आके खड़ा हो जाऊंगा!
सब के सब हसने लगे। रामधीर अपने परिवार से बहुत खुश और संतुष्ट था। लेकिन फिर भी आज ना जाने क्यों उसे अपने सुहाग कामुकता के दिन बहुत याद आ रहा था। कैसे वोह पहली रात को उसने अपने पत्नी का उठघटन किया था और कैसे बार बार वोह सिसक उठी, हर चुम्बन पर, हर हमले पर!
अचानक अजय उठ गया और सबको ऐलान करने लगा के शाम को एक छोटा सा सरप्राइज था सब के लिए। सब के सब थोड़े हैरान और थोड़े उत्साहित होने लगे।
रिमी : लेट मी गेस! आप गाना गाओगे!
नमिता : मेरे खयाल से कोई मस्त डांस परफॉर्मेंस होगा, है ना अजय?
दोनों बहने एक कातिल मुस्कान के साथ अजय के तरफ देखने लगे, एक बात तो थी के दोनों बहनों के होंट एक दम रसभरे और लालिमा से भरे हुए थे। अगर कहीं ऐसा हुआ के इन दोनों के होंठ एक दूसरे से गलती से भी कहीं टकरा गए, तो कमायत आ सकता है। जहां नमिता थोड़ी सी सुडौल और गड्राई थी, वहा रिमी एकदम स्लिम और प्यारी सी परी जैसी।
शाम का इंतज़ार सब करने लगे और चिकन का आनंद लेने सब दिनिंग टेबल पर टूट परे।
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10-05-2020, 12:51 PM,
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RE: kamukta Kaamdev ki Leela
शाम का वक्त हो गया और यशोधा देवी अपने हाथों से सब के लिए खीर बनती हैं। फंक्शन का आयोजन हुए और सारे बच्चे मिलके बरो का मनोरंजन करने लगे। रिमी अहाई सब के बीच में और एक स्प्रय की बॉटल को माइक बनाएं इतराने लगी। हॉल में सभी मौजूद थे सिवाय अजय के।
रिमी : पेश है सिंह परिवार की एक बहुत की खास उत्सव पर! आज जैसे की आप लोग जानते है के हमारी घर की सबसे खास और प्यारी सदस्य, हमारी ददिमा यशोधा देवी की जन्मदिन है! हम इन्हें खुश करने के लिए कुछ रोमांचक आइटम्स पेश करेंगे!
रिमी के माइक रखते ही आती है नमिता, एक पुराने क्लासिकल गाने पे नित्य करने लगी। उसकी पोषक भी एकदम बढ़िया थी, सफेद सलवार सूट और लाल दुपट्टा अपनी मस्त कमर पर बांधे बढ़िया नित्यकार दिख रही थी। ना जाने क्यों बार बार राहुल की नज़रें अपने बहन के एक एक अंग पर टिका हुआ था, अक्सर उसके नज़रें नमिता के मस्त नितम्ब पर टिक जाते जो कि बहुत ही गजब लग रही थी सूट में! दोनों गाल हर धुन पर जैसे ऊपर नीचे थिरकने लगे।
अब नज़ारा यह था तो परिणाम कुछ ऐसा हुआ के उसका लुनद खड़ा होने लगा पैंट के अंदर, जो सीधा तम्बू बने आशा की गर्दन के पीछे दस्तक दे रहा था। दरअसल आशा सोफे पर बैठी हुई थी और राहुल बिल्कुल सोफे के पीछे खड़ा हुआ था, और हालात ऐसे हो गया के तम्बू के एहसास से आशा को अजीब तो लगा, लेकिन उसका ध्यान प्रोग्राम पे ज़्यादा थी। वहा दूसरे और रामधीर अपने पोती की परफॉर्मेंस से बहुत प्रसन्न हुआ, ना जाने क्यों उसकी जवानी देखकर, उन्हें यशोधा की जवानी की याद आगई। नित्य का तो उसे भी शौक थी पहले, और कमर के लचकने का देखने का शौक तो रामधीर को बहुत पहले से ही था।
नित्य ख़तम होने के बाद नमिता पसीने से भरी हुई, नीचे झुक के सलाम की अनारकली के स्टाइल में और फ्रेश होने के लिए अपने कमरे में घुस गई। राहुल से रहा नहीं गया और अचानक फैसला किया अपने दीदी कि और चलने कि। अगला आइटम रमोला की थी, उसने एक पुरानी गीत सुनाई जो सब के मन को भा गई।
वहा कमरे के बाथरूम में नमिता अपने पसीने में भीगे सुडौल बदन पर साबुन लगाने ही वाली थी के बाथरूम के आइने पे एक तेज़ रोशनी सी छाने लगी, जिसे देख नमिता दर गई और खौफ के मारे टॉवेल हैंडल को जकड़ के खड़ी रही। रोशनी धीरे धीरे कम होता गया और आइने में एक औरत की प्रतिबिंब नजर अयाई। उसे देख नमिता आश्चर्य और शरम के मारे अपनी गुलाबी रंग की टॉवेल को अपनी जिस्म पर कस लेती है।
आइने में वह औरत और कोई नहीं बल्कि खुद गाजोधरी थी। उसके पोशाक वहीं अप्सराओं वाली और बालों पे एक कमल का फूल बांधे अपनी हसीन चेहरे पे एक कातिलाना मुस्कान लिए खड़ी रही आइने के उस पार। उसे देख नमिता थोड़ी हैरान, नहीं नहीं बहुत ज़्यादा हैरान थी। ऐसा इफेक्ट तो उसने बस फिल्मों में देखी थी।
नमिता : (घबराकर) क्क कौन हो तुम?????
गजोधारी : पुत्री! घबराओ मत। में तुम्हारी अभिलाषा हूं! तुम्हारी मन में छिपी एक मीठी से इच्छा हूं! देखो घबराओ मत, मुझे अपना ही दोस्त समझो!
नमिता : म मुझे (लम्बी सांस लेते हुए) कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है!
गाजोधारी एक चुटकी बजाती है जिससे कुछ तितलियां उड़ने लगी पूरी बाथरूम में, उनमें से कुछ तितलियां अपनी पंखों से नमिता को यहां वहां सेहलाने लगी जिससे एक मदहोशी का सुरूर उसकी आंखों में समा जाती है और हाथ में से अपनी टॉवेल गोरा देती हे। अगले चुटकी पे वह धीरे धीरे आइने के सामने आने लगी, ऐसे मानो वह गजोधरी की इशारे पे चल रही हो।
गजोधरी (आइने के बाहर अपनी हाथ लाती हुई नमिता की जुल्फों को सहलाने लगी) : तुम्हारी पसीने की गंध बहुत मीठी हे! क्या इसका ज़िक्र किसी ने किया तुमसे? किया किसी ने इनकी गंध की तारीफ की? बताओ पुत्री।
नमिता : (मदहोशी में) नहीं। मालूम नहीं! लेकिन इनमें क्या बात है?
गजोधरी : यह तो तुम्हे तब पता चलेगा जब तुम इन्हें अपने साबुन या नहा के नष्ट नहीं करोगी! (मुस्कुराके)
नमिता की जिस्म मानो कांप उठी उस औरत की बातों से। लेकिन यह सब सुनना नॉरमल क्यों लग रही थी उसे? कितनी अजीब वर्तलब थी, फिर भी उसे लगा के शायद बात में कोई सच्चाई हो, क्या पता! गजिधरी कुछ देर और उसकी जुल्फों को सहला के आइने में से हंसती हुई गायब हो गई। पूरा माहौल नॉरमल हो चुका था। दूसरे और बाहर खड़ा राहुल यह सोच रहा था कि दीदी भला किस्से बात कर रही थी।
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RE: kamukta Kaamdev ki Leela
आहिस्ता आहिस्ता दरवाजा खुला बाथरूम का और धीमे क़दमों से पूरी के पूरी नंगण अवस्था में बाहर निकली नमिता! बाल और जिस्म पूरी के पूरी भीगी हुई, नहीं शॉवर के पानी से नहीं, बल्कि पसीने से! वहीं पसीना जो नित्य के दौरान उसकी जिस्म को प्राप्त हुई थी। अवस्था कुछ ऐसा था के दोनों भाई बहन की नज़रें मिली और राहुल अपने पूर्ण नंगा बहन को देखकर पागल हो गया। सामने अपने भाई को देखकर नमिता की मधोशी टूटी और शराम से लाल हो गई, लेकिन ताजुब की बात थी के उसने अपने जिस्म को धकने की जरूरत नहीं समझी ।
वहा दूसरे और रिमी माइक लिए बरी उत्तेजना में बोल परी "अब बारी है एक सरप्राइज परफॉर्मेंस की! वैल! मुझे खुद नहीं मालूम क्या है!" इतना कहके वोह हट जाती है और सारे लाइट्स ऑफ़!
एक धीमी रोशनी कहीं से जल उठी और टेप पर एक मधुर गीत शुरू हो गई :
"लग जा गले की फिर यह हसीन रात होना हो"
सब के नज़रें टिक गई एक सफेद और लाल बॉर्डर की सरी पहनी हुई, सर में पल्लू ओढ़े हुए एक लड़की या औरत सामने से आ रही थी। उसकी चाल तो ऐसे थे मानो मर्दों को पागल कर देने वाला हो। उसकी ठुमक गीत की हर एक बोल के साथ अमल कर रही थी। आशा धीरे से रमोला के साथ गप्पे लादाने लगी।
आशा : वैसे रेवती साड़ी में तो गजब लग रही है देवरानिजी!
रमोला : (कुछ हैरान होती हुई) दीदी! में खुद हैरान हू! रेवा तो आज तक कभी भी सारी नहीं पहनी! यह जीन्स और टॉप वाली लड़की साड़ी कब से पहनने लगी!
दोनों धीरे से हंस दिए और सामने देखने लगे। उस लड़की की हर एक चाल देखकर रामधीर तो पागल हो ही रहा था, साथ में माहेश और उसका भाई भी कुछ सिसक रहे थे पागल मर्दों की तरह। मानो कोठे पे गए हो किसी आयटम को देखने!
वहा दूसरे और नमिता और राहुल शर्मा के मारे नज़रें चुरा लिए दूसरे से, अपनी दीदी की बदन की पसीने की भीनी भीनी गंध राहुल के नक से गुजरता हुआ उसके दिल दिमाग में हावी हो रहा था।
आश्चर्य की बात यह थी के नमिता को कुछ शाराम या हाया नहीं आ रही थी अपने भाई के सामने! बल्कि वोह बरी प्यार से इतराते हुए अपनी पपीते जैसे स्तन पर कोहनी टीका के राहुल को देखने लगी। राहुल बेचारा अब तक यह वहा देख रहा था, इतनी आसानी से अपने ही बहन कि नग्न जिस्म देखे भी तो कैसे भला!
नमिता : तुझे मेरे पसीने का गंध कैसे लगा भाई?
राहुल हैरान रह गया, फिर भी नजर से नजर मिलने का जुर्रत नहीं कर पाया। यह कैसे अनाब शनाब पूछ रही थी दीदी! क्या हो रहा था इस कमरे में अचानक! सब उलट पल्ट लगने लगा राहुल को।
नमिता अब की बार कोहनी को और दबा दी अपने पपीते पर और पूछने लगी "मैंने कुछ पूछा तुझसे!" आवाज़ में मदहोशी से ही ज़्यादा एक घुस्सा थी, मानो अपने भाई से पूछ रही हो के उसने कॉलेज में पढ़ाई की या नहीं। राहुल अभी भी बौखला हुए वहीं सामने खड़ा था। चेहरा कुछ भी बोल, लेकिन नीचे पैंट में छिपे लंद महाशय को झूठ बोलना नही आता था, वोह अपने निश्चित रूप पे प्रकट हो गया।
राहुल के खामोशी को देखकर नमिता घुस्से से पागल हो उठी और खुद ही अपने भाई को नीचे बिस्तर पर पटक के उसके ऊपर सवार हो गई। जुल्फों में से एक एक पसीने की बूंद राहुल अपने चेहरे पर गिरते हुए महसूस करने लगा। घिन्न भी आ रही थी लेकिन एक बेचैनी जिस्म में पैदा हो रहा था साथ साथ।
नमिता के नमकीन पानी से गद गद मोटे मोटे स्तन अब राहुल के टीशर्ट से धके छाती पे धास गए।
ना जाने क्या होने चला था!
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RE: kamukta Kaamdev ki Leela
नमिता के नमकीन पानी से गद गद मोटे मोटे स्तन अब राहुल के टीशर्ट से धके छाती पे धास गए।
ना जाने क्या होने चला था!
वहा नीचे हॉल में कुछ ऐसा हुआ के आशा और रमोला के होश उड़ गए और मन में लाखो सवाल हो उठे। फट से उनके बीच में बैठ गई रेवती, हाथ में फोन लिए!
रेवती : सोरी! ऊप्स! आधा से ज़्यादा प्रोग्राम तो मिस कर दी मैंने!
आशा और रमोला आश्चर्य चकित एक दूसरे को देखने लगे। साथ साथ रेवती को सोफे पे बैठा देखकर महेश और उसका भाई भी हैरान रह गए। भला साड़ी पहनी हुई परफॉर्म करने वाली लड़की आखिर थी कौन??
और ऊपरवाले की मेहरबनी से यह सस्पेंस ज़्यादा देर ना रहा, क्योंकि गाना ख़तम हुआ और साथ साथ पल्लू भी सर से सरक गया। पल्लू से सरकते ही सब के सब हैरान, परेशान और ना जाने क्या क्या हुए! सब का मूह खुला का खुला रह गया और रिमी और रेवती की हाथ अपने अपने खुले हुए मूह को धकने के लिए उठ गए।
"ओह माय गॉड!! भइया!!!!???!!"
दोनों बहनों के मूह से एक साथ निकल गई क्योंकि सामने पल्लू को अपने साड़ी पर प्यार से एडजस्ट करती हुई वोह नारी और कोय नहीं बल्कि अजय था। जी हां यह था उसका सरप्राइज परफॉर्मेंस जो सरप्राइज से ज़्यादा एक मानसिक धक्के के बराबर था बाकी सदस्यों के लिए।
रमोला : (घुस्से में) यह क्या पागलपन है अजय!?????
गौरव : (और ज़्यादा घूस्सा होके) अजय!!!!! व्हाट द हैल!! यह सब क्या था??
आशा : अजय बेटा क्या है यह सब!
महेश और गौरव घुस्से में आग बबूला भी थे लेकिन फिर नीचे अपने अपने पैंट देखकर शारम के मारे लज्जित भी हो गए! खास करके गौरव जिसका अपना बेटा था अजय!
अजय : सोरी सबको! (रीमोला की और) मोम! इट्स ओके! कॉलेज में भी यह सब कर चुका हूं में!
रामधीर की मन में हजारों बाते घूम रहा था, वोह बोले तो क्या बोले! नाच तो उसे बढ़िया लगा और अजय का यह रूप देखकर वह काफी उत्तेजित हो उठा। उनके उत्तेजना को महसूस करके हॉल के कोने में खड़ी गजोधरी एक चुटकी बजाती है। चुटकी का असर सीधा रामधीर की दिमाग पर हुआ।
अब हुए यू के रामधीर तो ठहरा थोड़े बदतमीज और एैसे में और बेशरम हो गए "अरे राम राम! हमारा पिता इतना बढ़िया नारी निकलेगा, हमने तो सोचा भी नहीं था! उफ्फ क्या चल है! क्या गाल है! सुन रही हो भाग्यवान (यशोधा की और देखकर) मेरा तो दिल आगाया इस लड़के पे! उफ्फ अजय पुत्तर! दादा पे थोड़ा तो रेहम कर!"
घर के बुजुर्ग के ऐसे अश्लील वाक्य से सब के सब हैरानी से रामधीर के तरफ देखने लगे। अपने ससुर के ऐसे घिनौनी तारीफ से रमोला बहुत नाराज़ हो गई और वहा से निकाल गई अपने कमरे की और। रीमा और रेवती भी हैरान रह गए अपने दादा के केह गए शब्दो से, लेकिन फिर उनके खिलाफ बोल तो बोले कौन भला!
मज़े की बात थी कि अजय हंस पड़ा और दादा से गले मिल गया सीधा! पोते के आगोश में आके रामधीर कास के जकड़ लेता है उसे, जिसे देखकर यशोधा देवी के तो होश ही उड़ गए! पिछली कुछ मिनटों में ना जाने क्या क्या देख लिया और क्या क्या सुन लिया उन्होंने!
"हाए राम! यह अपने पोते को ऐसे जकड़ रहे है मानो कोई गोन की रात में दुल्हन को! ईश! यह में क्या क्या सोचने लगी!!!" अपनी सोच पे हैरान परेशान होकर यशोधा देवी पता नहीं क्यों अचानक ही धीमे से मुस्कुरा उठी।
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RE: kamukta Kaamdev ki Leela
यूं तो सारे के सारे सदस्य अपने अपने कमरे में नींद की आगोश में लेट चुके थे, एक कमरे में क्रोध और आग का माहौल छाया हुआ था। यह कमरा था रमोला और और गौरव का!
रमोला : (बाथरूम से निकलती हुई) उफ्फ यह लड़का मुझे पागल कर देगा एक दिन! सच कहती हूं! इसे मारने का जी कर रहा था!
गौरव : (अपना किताब साइड में रखता हुआ) मुझे खुद शरम महसूस हो रहा है! यह आज क़ल के लोंदे तो! बाप र बाप!!
ताभी अचानक रमोला अपने पति को जांघो की और देखकर कुछ लज्जित हो जाती हैं! गौरव उस को देखने लगा और उसके कंधो को मसाज करता हुआ उसके गर्दन को चूमने लगा।
पच! पच!
रमोला : उफ्फ देखिए मेरा मूड नहीं है! (लेकिन गर्दन आगे करती हुई) ओह! प्लीज!
गौरव : (कान की लौ के चूमता हुआ) सच कहूं! यह लड़का तुमपे गया है! (पच पच) वहीं चाल! वहीं सूरत उफ्फ! ओह प्लीज आज में बहुत मूड में हू! आओ ना!
अब गौरव अपने पत्नी को बताए भी तो कैसे बताए कि अजय के यह औरतों वाली परफॉर्मेंस देखकर उसके लिंग में आग लगा हुआ था।
रमोला : (अब की बार नाईटी को जिस्म से आज़ाद करती हुई) हाहई राम!!!!!! में तो अभी के अभी मर जाऊं!!!! कहीं जाकर डूब मारू! मेरा पति तो पागल हो गया है! अरे यह (गौरव के लिंग को जकड़ती हुई) मूसल इतना मोटा कुओं हो गया!! दया!!!
गौरव : (खुद नंगा होकर एक चादर खींच देता है दोनों के ऊपर) हाए धरमपत्नी जी!! यह मूसल आज नहीं रुकने वाला, आज तो बस!!! (लाइट को बंद करता हुआ, तुरंत अपने बीवी के अंदर। धस गया) आह!! वहीं अनोखा अनुभव आज भी! आह!!
दोनों मिया बीवी शारीरिक सुख में व्यस्त हो गए, हाला की रमोला ने कुछ काहा तो नहीं, लेकिन गौरव के मन में एक ही दृश्य घूम रहा था : अजय का अपने पल्लू पकड़के एक जननी कि तरह शर्माना, मानो कोय गोने की दुल्हन अपना प्यार इजहार कर रहा हो! रमोला भी यह सोचकर पानी पानी हो गई के रात का रंग उसके अपने बेटे के वजह से रंग गई थी।
"हाय दाईया!!" रमोला की आंखे बंद हो गई और अपने पति के बाहों को अपनी हाथों से जकड़ लिया ज़ोर से! कुछ पल के बाद गौरव उसी के पेट पर अपना माल उधेल देता है! आज वीर्य खिड़ थोड़ी रोमांचित अंदाज़ से निकला था मानो!
वहा दूसरे और और कमरे में एक अजीब सा माहौल चाय हुआ था। यह कमरा था उन तीन बहनों का! नमिता, रेवती और रिमी की! रिमी की आदत थी नमिता और रेवती की बीच में सोने की! परिवार की लाडली जो ठहरी!
रेवती सो चुकी थी लेकिन बाकी दोनों के आंखे अभी भी खुली हुई थी।
रिमी : दीदी! (नमिता की और नाक सिकुड़ के) लगता है डांस के बाद आप फ्रेश होना ही भूल गई!
नमिता : तुझे क्या अच्छी नहीं लगी?
रिमी : क्या??? शी! (दीदी के सुखी पसीने के गंध से) ऑफकोर्स नोट!!!
नमिता : (बहन को झाप्पी देती हुई) मेरी स्वीट बेहना! कभी तू भी अपनी पसीने को अपने जिस्म पर मलके देख! (एक गाल को चूमती हुई) अच्छा लगे गा!
यह चुम्बन तो मासूम थी, लेकिन रिमी को लगा के दीदी के शब्दो में कुछ मायाजाल जैसी जुड़ी हुई हो। वोह भी शरारती अंदाज़ में अपने दीदी के गले के एक चिपचिपी हिस्से को चाट लेती है और "ज़ायका इतना भी बुरा नहीं है!"
दोनों बहन खिलखिला उठे! कुछ पलो के बाद रोमी तो से गई लेकिन नमिता की आंखो में राहुल अभी भी छाया हुआ था! नजाने उस लम्हे में ऐसा क्या था के उसकी लगा के उसने अपने भाई को जैसे पहली बार देखा हो!
अपनी हरकतों से शर्माकर वह सोने की कोशिश में जुट जाती है। वहा राहुल के कमरे में भी माहौल कुछ इस कदर था के आंखों में मदहोशी चाई हुई थी और बार बार हाथ अपने जिस्म पे लगे दीदी के पसीने के सूखे बूंदों का स्पर्श कर रहे थे। उफ्फ कैसे वह मुलायम पपीते जैसे स्तन उसके सीने पे दबे हुए थे और कैसे उस युवती की आंखो में एक नशे कि सुरूर चाई हुई थी। यह सोचकर ही उसे उत्तेजना और कामवासना का एहसास होने लगा के वह नग्न युवती उसकी अपनी ही दीदी थी।
अब वक्त बदलने चला था, कुछ नज़रें धरम हाय को त्याग कर चुके थे तो कुछ पर्दे हट चुके थे। रात गहरी होती गई और घर के बगीचे के झूलन पर बैठी गजोधरी ऊपर चंद्रमा की और देखने लगी, मानो अपने प्रभु कामदेव से वर्तलाब कर रही हो चुपके से। आज फंक्शन का माहौल वाकई में उत्तेजना से भरपूर था और अब उसने यह ठान ली के हर सदस्य को कामोतेजना से लपलप कर देगी।
"क्योंकि कामदेव का तडका! अंग अंग फड़का!" सोचकर वह वहीं झूलन पर लेट गई और सुबह होने से पहले ही वहा से गायब हो गई।
......
अगले सुबह :
रामधीर अपने व्यम में व्यस्त हो गया, लेकिन उसके आंखो पे अभी अभी अपने पोते अजय का मनोरंजन घूम रहा था। कैसे भला हो सकता है के एक नर मादा कि तरह सजके सावरकर ऐसा कायक्रम पेश कर सकता है! भला क्या यह मुमकिन था। और सबसे बड़ी और अजीव बात यह थी के अजय की सूरत यशोधा से बहुत मिलती जुलती थी।
उफ्फ! इतना ही खयाल करना था कि उसके लिंग पर खुजली होने लगा और ऐसा लगने लगा के यह धोती को हटाकर क्यों ना सिर्फ लंगोट में कसरत किया जाए। लेकिन मर्यादा नाम की भी तो एक चिड़िया थी! और घर के बुजुर्ग होने के नाते इतनी आसानी से अपने कमकुता ज़ाहिर करते भी तो कैसे। खैर यह सब वोह सोच ही रही थी के सामने आती है आशा, हाथ में दूध और बादाम लिए। बरी अदा के साथ ठुमक के अपने ससुर के सामने आके खड़ी हो गई।
आंखों से आंखें ऐसे मिले जैसे कुछ के कहना चाहता हो और कुछ सुनना भी चाहता हो।
रामधीर : (अपने चेहरा सामने कल्स के पानी से धो ता हुआ) बहू! तुम ल? तुम्हारी सासू....
आशा : माजी अभी तक पूजा पाठ में ही व्यस्त है बाबूजी! आप यह लीजिए (दूध देती हुई)
रामधीर मुस्कुराता हुआ दूध पिलेता हे और ग्लास को वापस रखते ही उसके खुद्रे हाथ को बहू के हाथ का स्पर्श प्राप्त हो गया और दोनों के जिस्म मानो एक साथ सोहिर हो उठे। आशा अपने पल्लू को कस के जकड़ती हुई, नज़रें नीचे कर लेती है। रामधीर को कुछ अजीव लगा आशा के हरकतें!
आशा : बाबूजी! लाइए आपके कपड़े धोने देता हूं! (शर्मा के) बड़े गंदे लग रहे है!
रामधीर : हाहाहा! इसकी कोई जरूरत नहीं है बहू! वैसे (शरारत से) तुम चाहो तो....
आशा : बाबूजी बुरा मत मानिए! आपके कपड़े आपके पसीने से इतने लतपत जो गए है के (नाक सिकुड़े) इनके महक यह तक आ रही है!
रामधीर : (कपड़े उतराकर) महक????
आशा शर्मा गई और ससुर के वस्त्र लिए वहा से चल पड़ती है। वहा खड़े खड़े रामधीर को पता नहीं ऐसा क्यों लगा के जैसे बहू उनके बनियान को जैसे सूंघ रही थी। लेकिन दृश्य बड़ा ही मनमहोंक था और शक वाकई में सच था क्योंकि बाथरूम में जैसे आशा घुसी, बाल्टी में रखने से पहले उस बानियान के इर्द गिर्द अपनी नाक से परखने लगी, मानो कोइ जासूसी से लाश के कपड़े फोरेंसिक पे जांच रहा हो।
तभी कुछ अजीब सा घटना घटने लगी। बाथरूम की खिड़की से एक तेज़ रोशनी के जरिए आगयी गजोधरी! जो चुपके से वहीं खड़ी रही आशा के पीछे और धीरे से उसकी कान में कुछ मंत्र जैसे अजीव शब्द फुसफुसाई।
शब्दो का हल्के हल्के एहसास से आशा को कुछ होने लगी और तूरंत बाथरूम के दरवाजे को बंद किए, वोह खुद निर्वस्त्र ही गई! एक एक करके अपनी सारी, ब्लाउस, पेटिकोट और पैंटी ब्रा को त्याग दी और बाल्टी के पानी में अपने ससुर के पसीने से गदगद बनियान को मसलने लगी, फिर बाल्टी के पानी के अंदर भीगोन लगी मानो पसीने के बची हुई कतरो को पानी के कतरो से मिलाने लगी।
फिर उसी पानी को एक मग कि जरिए अपने बदन पर छलकने लगी। उफ्फ आजीव सा एहसास हो रही थी ऐसे करने में! बहुत सस्ती हरकत थी लेकिन दिल है कि मानता नहीं! क्यों दोस्तो? मनमानी तो करनी ही थी! मज़े की बात यह थी के ऐसे करने पर उसे साबुन कि कोई आवश्यकता महसूस नहीं हुईं । दृश्य बड़ी ही मनमोहक थीं एक ४० वर्ष मस्त सुडौल महिला नमकदार (या पसिनेदर) पानी से मस्त नहा रही थीं, मानो अमृत मिल गया हो।
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