Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा
09-20-2018, 02:00 PM,
#21
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"हां और मुझे भी कुछ हो गया था.. शायद उस पार्टी वाली रात की .कमी आज पूरी हो गयी.. जब मैने तुम्हारी चुचियाँ पकड़ी थी और तुम राज का लंड चूस रही थी." प्रीति ने कहा. "मुझे तो उस बात कुछ एहसास ही नही है.. में तो राज के लंड मे इतना खो गयी थी कि मुझे कुछ भी याद नही..." उसने प्रीति को वापस अपने बगल मे खींच लिया और चूमते हुए कहा... "क्या तुम्हे मेरी चूत चूसने मे मज़ा आया?"

"हाँ बहोत ज़्यादा... मेने आज से पहले कभी किसी की चूत नही चूसी थी.." प्रीति ने जवाब दिया... "अछा... फिर तो लगता है कि मुझे भी इसका स्वाद चख ही लेना चाहिए.." कहकर स्वीटी ने प्रीति को पलंग पर धकेल दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच आ गयी... "अपनी आँखे बंद करो अब तुम इसका मज़ा लो." कहकर उसने प्रीति की स्कर्ट और पॅंटी को नीचे खींच उतार दिया.

"ओह्ह्ह प्रीति ये क्या है? " उसकी बिना बालों की चूत को देख स्वीटी चिहुक पड़ी... "ऐसा नही है कि मेने कभी नही की लेकिन तुमने ये कब किया?"

तो दोस्तो ये थी राज की पहली चुदाई आशा करता हूँ आपको बहुत पसंद आई होगी बाकी कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः.......
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09-20-2018, 02:00 PM,
#22
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--7




गतान्क से आगे........

"राज नेतुम्हे अपना लंड दिखाया इसके लिए मेने उसे वादा किया था कि मैं कुछ भी करूँगी इसलिए राज ने कुछ दिन पहले ये सब किया है." प्रीति ने जवाब दिया. "प्रीति सही में मुझे नही पता था कि तुम मेरे लिए इतना आगे तक जा सकती थी.. इसके लिए फिर से शुक्रिया.. पर ऐसे नही आज में शुक्रिया एक अलग से ढंग से दूँगी." स्वीटी ने कहा. प्रीति ने अपनी आँखे बंद कर ली... और स्वीटी की उंगलियों के स्पर्श का आनंद अपनी चूत पर लेने लगी..


राज दरवाज़े के पीछे छुपा अपनी बेहन और स्वीटी की बातों का आनंद ले रहा था.. जब एक बार उसे लगा कि प्रीति उसे नही देख पाएगी तो वो वापस खुले दरवाज़े के बीच आ अपने लंड को मसल्ने लगा... अब उसे स्वीटी की नंगी गंद दीखाई दे रही थी जो उसकी बेहन की चूत पर झुकी उसे चूस रही थी.... ये सब देख अब राज से से अब नही रहा गया उसने अंदर जाकर उन दोनो के साथ इस खेल मे शामिल होने का फ़ैसला कर लिया.. वो दबे पावं अंदर आया और स्वीटी के ठीक पीछे आ अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया...

जब स्वीटी को राज के लंड का दबाव अपनी चूत पर हुआ तो वो अपनी जीब और तेज़ी से प्रीति की चूत के अंदर बाहर करने लगी.. राज ने अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक घुसा दिया था. .. वो राज के लंड को अपनी चूत के अंदर सहन नही कर पा रही थी... अब राज के हर धक्के के साथ स्वीटी की जीब प्रीति की चूत के अंदर तक घुस जाती.. दोनो ताल से ताल मिला चुदाई का मज़ा लेने लगे...

प्रीति ने अपनी आँखे खोली और अपने भाई को स्वीटी के पीछे खड़े उसे चोद्ते देखा तो वो और गरमा गयी.. वो अपनी चूत को उठा उठा कर स्वीटी के मुँह मे देने लगी.. जैसे ही प्रीति की नज़रे अपने भाई से मिली तो वो उसकी आँखों मे झलकते प्यार को पहचान गई.. और उसके लिए इतना ही काफ़ी था.. उसने अपनी कमर उठा अपनी चूत को और स्वीटी के मुँह मे घुसा दिया.. "ओह्ह्ह राज यहाँ मेरे पास आओ और अपने लंड को मेरे मुँह मे दे इसे अपने पानी से भर दो."

राज ने अपने लंड को स्वीटी की चूत से निकाला और अपनी बेहन के पास आ कर अपने लंड को उसके मुँह के सामने कर दिया... प्रीति ने उसके लंड को पकड़ अपनी और खींचा और अपने मुँह मे ले चूसने लगी.. उसकी मुट्ठी स्वीटी की चूत से चूते रस से भीग गयी जो राज के लंड पर लगा था.. वो किसी भूकि बच्ची की तरह उसके लंड को चूसने लगी..

राज अपनी बेहन को अपना लंड चूस्ते देख रहा था... उसे बहोत मज़ा आ रहा था कि स्वीटी ने अपने हाथ बढ़ा प्रीति की चुचियों को मुट्ठी मे भर मसल्ने लगी... तभी राज के लंड ने पिचकारी छोड़ी जिसे प्रीति आराम से गटक गयी और फिर उसके लंड को पकड़ उसके पानी को पीने लगी.. आख़िर राज ने अपने लंड को उसके मुँह से बाहर निकाल लिया..

तीनो पलंग पर तक कर निढाल पड़े थे तभी उन्हे घर के बाहर कोई गाड़ी के रुकने की आवाज़ सुनाई पड़ी.. वो समझ गये कि राज और प्रीति की मम्मी घर आ गयी है.. तीनो दौड़ते हुए उठे और अपने कपड़े पहनने लगे... फिर हॉल मे आकर सोफे पर बैठ गये... तभी वसुंधरा ने घर मे कदम रखा और तीनो को हेलो कहते हुए अपने कमरे मे चली गयी..

वसुंधरा ने कपड़े बदल थोड़ी देर तीनो बच्चो से बात की और फिर स्वीटी ने कहा कि वो घर जा रही है.. तीनो उसे छोड़ने घर के बाहर तक आए...

वसुंधरा सफ़र से काफ़ी थक चुकी थी और वो चुदासी भी काफ़ी हो रही थी... वो सोच रही थी कि क्या वो आज की रात अपने बेटे को नेट पर देख पाएगी.. क्या आज एक बार फिर वो अपने ही बेटे के मोटे लंबे लंड को देख पाएगी... उसके दीमग मे यही ख़याल दौड़ते रहे और उसकी चूत गीली होती रही...

रात के खाने के बाद वो बहाना बना के कि वो थक गयी है और आराम करना चाहती है.. अपने कमरे मे आ गयी और कंप्यूटर ऑन कर अपने बेटे राज यानी राज_मस्ताना का इंतेज़ार करने लगी...

वसुंधरा काफ़ी देर तक कंप्यूटर के सामने बैठी अपने बेटे का ऑन लाइन आने का इंतजार करती रही.... जब वो काफ़ी देर तक ऑन लाइन नही आया तो वो टाय्लेट के बहाने अपने क्मरे से निकल देखना चाहती थी कि राज कंप्यूटर पर बैठेगा की नही..

जब वो राज के कमरे के पास पहुँची तो उसे अंदर से प्रीति की आवाज़ सुनाई पड़ी... वो वापस अपने कमरे मे आकर इंतेज़ार करने लगी... राज और प्रीति दोनो आज दिन मे स्वीटी के साथ बीताए समय पर बात कर रहे थे... प्रीति उससे पूछ रही थी कि उसे स्वीटी के साथ पहली चुदाई कैसी लगी.. और राज उससे पूछ रहा था कि जिंदगी मे पहली बार किसी लड़की की चूत चूस कर उसे कैसा लगा...

"पहले तुम बताओ तुम मेरे कमरे मे कैसे आ गये?" प्रीति ने पूछा. "वो क्या है ना ... जब स्वीटी को ज़्यादा टाइम लग गया तो मेने सोचा कि तुम दोनो से तुम्हारे कमरे मे ही मिल लूँ.. लेकिन जब स्वीटी को तुम्हारी चूत चूस्ते देखा और उसकी खुली चूत दीखाई दी तो में अपने आप को रोक नही पाया." राज ने जवाब दिया.
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09-20-2018, 02:00 PM,
#23
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"हां राज हम दोनो एक जैसे ही है.. में भी अपने आपको नही रोक पाई थी.. जब तुम स्वीटी को तुम कमरे मे चोद रहे थे.. में तुम्हारे कमरे के बाहर खड़ी सब सुन रही थी... और इतना गरमा गयी थी मेने अपनी तीन उंगली अपनी चूत मे डाल ली थी." प्रीति ने कहा.

"चलो अछा है फिर तो हम दोनो का हिसाब किताब बराबर हो गया." राज ने हंसते हुए कहा.

"अछा एक बताओ तुम कंप्यूटर पर पूरी रात बैठ कर क्या करते हो?" प्रीति ने पूछा.

"चट्टिंग करता हूँ और नई औरतों को ढूंढता रहता हूँ" राज ने जवाब दिया... "कोई अछी मिली की नही" "हां एक मिली है.. बहोत ही गरम औरत है.. उसका आईडी 'गीली चूत' है.. पहले ही दिन उसने मेरा लंड देखने की इच्छा जाहिर की." राज ने कहा. "फिर क्या तुमने उसे दिखाया" प्रीति ने पूछा.

"हां दिखाया भी और देखा भी" "देखा भी क्या मतलब है तुम्हारा?" प्रीति ने फिर पूछा.

"मेने भी कह दिया कि अगर तुम अपनी चूत दीखओगि तो ही में अपना लंड दिखाउन्गा.. . फिर क्या था उसने अपनी सफ़ा चट चूत दीखाई और मेने उसे अपना लंड दीखा दिया.." राज ने जवाब दिया..

"फिर तो तुम्हारी बराबर बात होती होगी?"

"हां और शायद आज भी वो मेरा इंतेज़ार कर रही होगी" राज ने कहा.

"मुझे भी दीखाओ ना.. प्लीज़" प्रीति ने ज़िद करते हुए कहा.

राज ने अपना कंप्यूटर ऑन किया कि तभी 'गीली चूत' का फ्लश मेसेज आया.

>गीली चूत> राज कहाँ थे अब तक? मेने तो आज की रात तुम्हारे आने की उम्मीद ही छ्चोड़ दी थी..

>राज_मस्ताना> हाई.. वो क्या है आज मेरे साथ कोई था..इसलिए ऑनलाइन नही आया.

>गीली चूत> एम्म्म कोई बात नही.. क्या अब अकेले हो?

>राज_मस्ताना> नही वो अभी भी मेरे साथ है.. क्या तुम ज़्यादा देर तक रुकोगी?

>गीली चूत> पता नही हो भी सकता है और नही भी.

>राज_मस्ताना> ठीक है में फ्री होते ही तुम्हे बज़्ज़ करता हूँ.

> गीली चूत> ठीक है.

वसुंधरा समझ गयी कि उसके बेटे के साथ आज उसकी बेटी भी थी.. इसलिए उसने ज़्यादा कुछ नही कहा.. वो नही चाहती थी कि वो ऐसा कुछ लीखे जिससे राज को प्रीति को सब कुछ बताना पड़े.. लेकिन वो क्या जानती थी कि प्रीति को पहले से ही सब कुछ पता है...


"राज आज में भी तुम्हारी उस 'गीली चूत' की चूत देखना चाहती हूँ जिसे देख तुम अपना लंड मुठियाते हो." प्रीति ने अपने भाई से कहा.

"ठीक है लेकिन एक शर्त पर तुम्हे मेरा पानी चाटना होगा" राज ने कहा. "तुम भी ना भाई.. जब में कुछ कहती हूँ तुम कोई ना कोई शर्त लगा देते हो... लेकिन फिर भी में तुम्हारी बात मानती हूँ... आज मुझे उस 'गीली चूत' की चूत तो देखनी ही है.

"ठीक है तुम उस कुर्सी पर बैठ जाओ.. जिससे तुम कमेरे मे ना आओ..." राज ने कहा.

>राज_मस्ताना> **बज़्ज़**

.>गीली चूत> हाई राज

>राज_मस्ताना> तो क्या इरादा है आज रात का?

>गीली चूत> वही तुम्हारा प्यारा और मोटा लंड देखना चाहती हूँ.

>राज_मस्ताना> अगर तुम अपनी चूत दीखओगि तो.

>गीली चूत> वो तो दिखानी ही पड़ेगी ना.. वरना तुम नाराज़ हो जाओगे..

>राज_मस्ताना> हां वो तो है.. ठीक है में कॅम ऑन करता हूँ.

प्रीति चुप चाप कुर्सी पर बैठी अपने भाई को देखती रही.. राज ने कॅम ऑन किया और अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. राज ने कॅमरा का आंगल इस तरह कर दिया कि प्रीति को स्क्रीन तो दीख रही थी.. लेकिन वो कॅमरा मेनही थी.. राज ने उससे कहा की उसके कंप्यूटर से साउंड अटॅच नही है इसलिए वो चाहे तो उससे बात कर सकती थी. हर बार की तरह गीली चूत स्क्रीन पर आई... कॅमरा का आंगल ठीक उसकी चूत पर था.. आज उसने सॅटिन की गुलाबी रंग की पॅंटी पहन रखी थी.

>राज_मस्ताना> आज तो बहोत ही सुंदर पॅंटी पहन रखी है

>गीली चूत> तुम्हे पॅंटी पसंद है ना इसलिए ख़ास तुम्हारे लिए नई खरीद कर लाई हूँ.

>राज_मस्ताना> किसी को खुश करना तो कोई तुमसे सीखे

>गीली चूत> और मुझे दीख रहा है कि तुम्हे ये बहोत पसंद आई है. राज अपने लंड को मसल रहा था.. कॅमरा का आंगल ठीक उसके लंड पर था... उसके हाथ उसके मोटे और लंबे लंड पर उपर नीचे हो रहे थे.

>राज_मस्ताना> क्या आज तुम्हारे पास ऐसा कुछ है जिसे तुम अपनी चूत मे घुसा सको?"

>गीली चूत> हां मुझे पता है जब में नकली लंड अपनी चूत मे घुसाती हूँ तो तुम्हे लगता है कि वो तुम्हारा लंड है जो मेरी चूत मे जा रहा है.. इसलिए आज में तुम्हारे लंड के साइज़ का एक गुलाबी रंग का नया डिल्डो खरीद कर लाई हूँ. तभी स्क्रीन पर एक गुलाबी रंग का डिल्डो दीखाई देने लगा.. वो सही मे बहोत लंबा था.. उसे राज के लंड से मापना मुश्किल था.. वो लंड गीली चूत की चूत की दीवारो को चीरता हुआ अंदर घुस रहा था... जैसे ही वो लंड गीली चूत की बिना बालों वाली चूत मे गायब हुआ प्रीति ने अपनी पॅंटी उतार दी.. और अपनी चूत मे अपनी उंगलियाँ डाल अपने आप से खेलने लगी... और राज से कहने लगी कि एक दिन उसे भी इसी तरह अपनी चूत मे नकली लंड या फिर कुछ और डालकर मज़ा लेना पड़ेगा.
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09-20-2018, 02:00 PM,
#24
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
>राज_मस्ताना> बड़ा प्यारा ही डिल्डो लाई हो?.. इसे तो तुम्हारी चूत पूरी तरह चौड़ा गयी है.

>गीली चूत> हां.. अब अपने लंड पर क्रीम लगाकर उसे चिकना कर लो.

राज ने प्रीति के क्मरे से लाई हुई क्रीम अपने हाथों पर लगाई और अपने लंड पर मलने लगा... और प्रीति राज और गीली चूत की बातो का मज़ा लेते हुए राज से बातें कर रही थी. वो उसे बता रही थी कि उसका चिकना लंड कितना अछा लग रहा है.. और वो बाद मे उसके सारे पानी को अपनी जीब से चाट लेगी.. वो साथ ही अपनी चूत मे तेज़ी से उंगलियाँ अंदर बाहर कर रही थी...

राज और प्रीति दोनो के नज़रे स्क्रीन पर टिकी हुई थी जहाँ वो नकली लंड गीली चूत के अंदर बाहर हो रहा था...

>राज_मस्ताना> मेरा छूटने वाला है इतना लीखकर राज अपने हाथ पर अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा.. और उसके लंड ने उसके हाथो पर वीर्य उगल दिया...

प्रीति और राज दोनो गीली चूत्को झाड़ते देखते रहे..और प्रीति की चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. वो अपने हाथों मे अपने वीर्य को पकड़े रहा.. और तभी गीली चूत ऑफ लाइन हुई और राज ने भी कंप्यूटर बंद कर दिया.. प्रीति खिसक कर उसके पास आ गयी...

राज ने अपना हाथ प्रीति के मुँह के आगे कर दिया.. और वो उसके हाथो पर से उसके वीर्य को चाटने लगी.. राज का लंड फिर फुदकने लगा.. पूरी तरह उसके हाथों को साफ करने के बाद खड़ी हुई और अपने कमरे मे चली गयी..

रविवार की सुबह पूरा परिवार आराम से सोकर उठा... और घर के काम काज़ मे जूट गया... वसुंधरा की सफ़र की थकान अभी भी उत्तरी नही थी इसलिए वो दोपहर को फिर बच्चो से कह अपने कमरे मे सोने चली गयी... और उसे रात के खाने पर ही जगाने को कहा...

राज और प्रीति दोनो ही रात से ही काफ़ी उत्तेजित थे और एक दूसरे के स्पर्श के लिए तड़प रहे थे... जैसे ही प्रीति को विश्वास हो गया कि उसकी मा सो गयी है वो राज को घसीटते हुए उसके कमरे मे ले गयी... और कमरे मे आते ही वो उसके लंड को पकड़ मसल्ने लगी.. प्रीति ने अपने कपड़े उतार दिए और कुर्सी पर बैठ गयी और अपनी चूत पर हाथ फिराने लगी... "देखो ना राज ये कैसे रात से तुम्हारी जीब के लिए तरस रही है.. प्लीज़ आज इसकी प्यास अछी तरह बुझा दो ना? " राज ने भी अपने कपड़े उतार दिए.. और उसके पास आकर उसकी टाँगो के बीच बैठ गया.. उसकी टाँगो को फैलाते हुए उसने अपनी जीब उसकी चूत पर रख डी... वो अपनी जीब को उसकी चूत को उपर से नीचे फिरा चाटने लगा...

राज अपनी जीब को अपनी बेहन की बिना बालों की चूत पर फिरा रहा था.. प्रीति की चूत उत्तेजना मे थिरक रही थी... की तभी प्रीति ने राज के मुँह कोअपनी चूत पर से हटा दिया... राज को लगा कि प्रीति उत्तेजना के मारे जल्दी ही झाड़ गयी है... उसने देख की प्रीति उसे ही देख रही थी...

"राज में चाहती हूँ की आज तुम मुझे चोदो" "क्या तुम सही मे ये चाहती हो?" राज ने असचर्या से पूछा. "हां में बहोत सीरीयस हूँ में भी इस बात का अनुभव लेना चाहती हूँ कि जब लंड चूत मे घूस्ता है तो कैसा महसूस होता है.. क्यों लड़कियाँ बड़े मोटे लंड को देख चुदवाने को बैतब हो जाती हैं." प्रीति ने जवाब दिया..

"अगर तुम यही चाहती हो तो तुम्हे ये अनुभव देकर मुझे खुशी होगी" राज ने खुशी से कहा.... प्रीति कुर्सी से खड़ी हो राज के पलंग पर लेट गयी.... राज अपनी बेहन की टाँगे के बीच आ गया और उसे चूमते हुए उपर तरफ बढ़ने लगा.. आख़िर उसके होंठ उसके सपाट पेट को चूमते हुए उसकी चुचियों पर आए फिर उसके होंठों को अपने होठों से क़ैद कर लिया...
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09-20-2018, 02:00 PM,
#25
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
प्रीति को जब अपने भाई का लंड अपनी चूत पर रगड़ ख़ाता महसूस हुआ तो उसने अपनी टाँगे और फैला दी... राज ने जैसे ही अपने लंड को पकड़ उसकी चूत के मुँह से लगाया उसने अपने होंठो को दाँतों से भींच लिया... राज का लंड जब उसकी चूत की दीवारों को भेदता हुआ अंदर घुसा तो एक दर्द की लहर उसके बदन मे दौड़ गयी.. राज का लंड थोड़ा अंदर घुसा तो उसे लगा कि प्रीति के अंदर कोई चीज़ है जो उसके लंड को रोक रही है.. वो समझ गया कि ये प्रीति की चूत की झिल्ली है...

राज वहीं से अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा... वो बहोत धीरे धीरे धक्के लगा रहा था.. वो प्रीति को तकलीफ़ नही देना चाहता था...

'हाआँ राज अब घुसा दो ज़ोर से और फाड़ दो मेरी चूत को ऑश हां अच्छा लग रहा है.."

राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और एक ज़ोर का धक्का मारा... उसका लंड उसकी चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया...

'राज...! वो दर्द से चिल्ला उठी.. प्लीज़ थोड़ी देर के लिए रुक जाओ.. दर्द सहन नही हो रहा.." प्रीति दर्द से कराह उठी. राज रुक गया... प्रीति अपनी गंद हिला हिला कर उसके लंड को अपनी चूत मे अड्जस्ट करने लगी... जब राज ने देखा कि उसके बदन की कपन थोड़ी शांति हुई है... तो उसने फिर से धीमे धीमे धक्के लगाने शुरू कर दिए... लेकिन प्रीति से सहन नही हुआ उसके बदन मे तीव्र दर्द फिर शुरू हो गया..

"प्लीज़ राज रुक जाओ नही सहन हो रहा है.. काफ़ी दर्द हो रहा है.." राज ने अपना लंड बाहर निकाल लिया.... प्रीति ने उससे कहा कि वो मूठ कर उसका पानी छुड़ा देती है लेकिन राज ने मना कर दिया.. प्रीति लड़खड़ाते कदमों से उठी और अपने कपड़े पहन अपने भाई को चूम कर उसके कमरे से चली गयी..

अगले दिन सुबह प्रीति ने अपने भाई को बताया कि स्वीटी का फोन आया था और उसने उन दोनो को शुक्रवार की शाम को घर पर बुलाया है.. असल मे स्वीटी और शमा के कुछ दोस्त आ रहे थे और वो चाहती थी कि वो दोनो भी इस गेट टुगेदर मे शामिल हो जाएँ... दोनो आने वाले शुक्रवार का इंतेज़ार करने लगे..

गुरुवार की रात राज कंप्यूटर पर पॉर्न मूवीस देख रहा था कि प्रीति उसके कमरे मे आ गयी.. राज अपने लंड को शॉर्ट्स से निकाल मसल रहा था.... "भाई ये क्या अकेले अकेले " कहकर प्रीति उसकी टाँगो के पास नीचे बैठ गयी और उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी..."

राज ने अपनी टाँगे फैला दी... प्रीति ने उसके लंड को पहले तो उपर से नीचे तक चॅटा फिर उसकी गोलियों को मुट्ठी मे भर उसके लंड को अपने गले तक ले लिया और मुँह को उपर नीचे कर चूसने लगी.प्रीति की जीब से रगड़ खा लंड जब उसके गले तक घुसता तो राज को बहोत आनंद आता..

"ऑश हाआँ प्रीति चूसो और ज़ोर से चूसो ऑश हां ऐसे..." राज अपना हाथ उसके सिर पर रख कहने लगा... प्रीति ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को मुट्ठी मे भर चूसने लगी.. थोड़ी ही देर मे राज के लंड ने उबाल खाया और अपना वीर्य उसके मुँह मे छोड़ दिया.. ..

"अब तुम मुझे भी कुछ मज़ा दो... मेरी चूत मे खुजली मच रही है.." प्रीति ने कहा.

"तुम्हे में कैसे मना कर सकता हूँ.. तुम तो मेरी प्यारी गुड़िया बेहन हो" राज ने कहा. प्रीति ने अपने कपड़े उतारने की जहमत नही उठाई सिर्फ़ अपनी स्क्रिट को उपर कर पलंग के किनारे पर अपनी टाँगे नीचे किए लेट गयी...

क्रमशः.......
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09-20-2018, 02:00 PM,
#26
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--8-

गतान्क से आगे........

राज उसकी पीले रंग की कॉटन की पॅंटी को देखने लगा.. जो गीली हो उसकी बिना बालों की चूत से चिपक सी आई थी... वो उसकी टाँगो के बीच आया और उसकी चूत को पॅंटी के उपर से सूंघने लगा... चूत के महक ने उसे मदहोश सा कर दिया... वो नाक को उसकी चूत के अगल बगल रगड़ने लगा..... राज अपनी नाक साथ अपनी जीब उस जगह फिराने लगा जहाँ से पॅंटी गीली हो चुकी थी.. पॅंटी से रिस्ते रस को वो चाटने लगा...

"ऑश राज इस तरह तड़पाव मत ना.... प्लीज़ पॅंटी को उतार अछी तरह चॅटो और चूसो' प्रीति बड़बड़ा उठी.

प्रीति ने अपनी गंद को पलंग से थोड़ा उठा दिया और राज ने उसकी पॅंटी नीचे खिसका के उतार दी... बिना बालों की चूत बहोत ही प्यारी नज़र आ रही थी... वो अपनी जीब चूत के चारों और फिराने लगा... राज ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को थोडा चौड़ा किया और अपनी जीब उसके अंदर घुसा दी...फिर अपनी जीब को अंदर बाहर करने लगा... फिर वो कभी चूत के दाने को अपने मुँह मे ले काट लेता तो कभी उसकी पंखुड़ियों को चूस लेता..

"ऑश राज हाआँ ऐसे ही चूसो ऑश हां चॅटो और ज़ोर ज़ोर से चूसो... ओह कितना अछा लग रहा है... हां चूस लो सारा रस मेरी चूत का आअज" प्रीति सिसकने लगी.. राज उसकी चूत को चूस रहा था.. लेकिन प्रीति के दीमाग मे स्वीटी आने लगी.. वो सोचने लगी... कि क्या एक बार फिर स्वीटी उसकी चूत को चूस उसे वही आनंद देगी... ख़यालों मे अपने बदन को स्वीटी के नंगे बदन को रगड़ते हुए वो अपनी कमर उठा राज मे मुँह पर अपनी चूत दबाने लगी.. और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया...

प्रीति ने राज को खींच कर अपने बगल मे लीटा लिया और उसके होठों को चूसने लगी.. अपने ही रस का स्वाद उसे मिलने लगा.. "ओह्ह राज तुम कितने आछे हो?' "अब तुम्हारी चूत कैसी है.. अंदर से कैसा महसूस कर रही हो... क्या अब भी चूत के अंदर जलन हो रही है?" राज ने उसे चूमते हुए पूछा...

"नही राज ऐसा कुछ नही है.. बस उस दिन बहोत दर्द हुआ तो में थोड़ा डर गयी थी... पर आज सब कुछ ठीक है.." प्रीति ने कहा. "तो क्या आज फिर चुदवाना चाहोगी?" राज ने पूछा. "नही पागल अभी नही.. बहोत देर हो चुकी है.. मम्मी को शक हो जाएगा..." प्रीति ने जवाब दिया.

"ठीक है जब तुम्हारा दिल चाहे मुझसे कह देना अपने लंड को तुम्हारी चूत मे घुसा तुम्हे चोदने मे मुझे खुशी होगी" राज ने कहा. प्रीति को लगा की राज उसे टाइट कस रहा है.. "मेरा विश्वास करो राज में खुद तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे अछी तरह महसूस करना चाहती हूँ.. लेकिन में अभी खुद को तय्यार नही कर पा रही हूँ... बस सही वक्त आने दो फिर करेंगे" प्रीति ने पानी भाई को चूमते हुए कहा और अपने कपड़े पहन कमरे से बाहर चली गयी.

राज का दिल अभी भरा नही था.. उसका लंड मचल रहा था.. प्रीति के जाते ही उसने कंप्यूटर ऑन किया की शायद गीली चूत दीखाई दे जाए..उसकी किस्मत अछी थी... गीली चूत ऑन लाइन थी.

>गीली चूत> है राज.. कहा रहे इतने दिन?

>राज_मस्ताना> बस कुछ काम मे बिज़ी था... सच बोलूं तो अपनी पहली चुदाई का मज़ा ले रहा था..

>गीली चूत> अरे वाह! ये तो बहोट खुशी की बात है.बहोत मज़ा आया होगा तुम्हे? कौन है वो खुशनसीब लड़की?

> राज_मस्ताना> हाँ मज़ा भी बहोत आया.. और सबसे खुशी की बात है कि में इस लड़की को कई सालों से जानता हूँ.

>गीली चूत> बहोत ही अछी बात है.

> गीली चूत> क्या आज मुझे यहाँ देख कर तुम्हारा लंड खड़ा नही हो रहा?

>राज_मस्ताना> वो तो तुम्हारा नाम सोचते ही खड़ा हो जाता है.

>गीली चूत> हां वो तो दीख रहा है.. क्या तुम्हारे पास आज कोई पॅंटी है?

राज कमरे मे इधर उधर देखने लगा.. जाते वक्त प्रीति अपनी पॅंटी पहन गयी थी.. उसे निराश होने लगी.. इस वक्त उसकी पॅंटी बड़े काम आ सकती थी..

>गीली चूत> लगता है कि नही है...

>राज_मस्ताना> तुम रूको में लेकर आता हूँ

>गीली चूत> ठीक है

राज दौड़ कर बाथरूम मे गया और कपड़े धोने की बाल्टी मे पॅंटी ढूँदने लगा... उसे वहाँ एक पॅंटी दीखाई दी लेकिन वो सोच नही पाया कि ये पॅंटी उसकी बेहन प्रीति की है या फिर उसकी मा की... उसने वो पॅंटी उठा ली.. मा की बिना बालों की चूत के ख्याल से ही वो उत्तेजित होने लगा था..

>राज_मस्ताना> में वापस आ गया हूँ. राज कमेरे के सामने काले रंग की पॅंटी दीखाने लगा.. उसे मिल गयी थी..

वहीं अपने कमरे मे वसुंधरा उस पॅंटी को देख अपनी कुर्सी से गिरते गिरते बची... वो काले रंग की पॅंटी उसकी ही थी... जो आज उसने दिन मे पहन रखी थी.. और राज उसकी पॅंटी को बाथरूम से ले आया था.. मूठ मारने के लिए.. वो सोचने लगी कि क्या उसे मालूम है कि ये पॅंटी उसकी बेहन की नही है.

>गीली चूत> अछी है.. क्या ये तुम्हारी बेहन की है?

>राज_मस्ताना> पक्का नही कह सकता लेकिन शायद मेरी मा की है.

>गीली चूत> क्या सच मे?

>राज_मस्ताना> हां

>गीली चूत> क्या तुम अपन मा की पॅंटी भी लंड पर लपेट मूठ मारते हो?

>राज_मस्ताना> हां कभी कभी

>गीली चूत> क्या तुम्हारी मा को देख तुम उत्तेजित हो जाते हो?

>राज_मस्ताना> हां.. मेरी मा किसी विश्वा सुंदरी से कम नही है.

वसुंधरा अपने ही बेटे के मुँह से अपनी तारीफ सुन शर्मा गयी...

>गीली चूत> तुम कब से अपनी मा की पॅंटी मे मूठ मार रहे हो?

>राज_मस्ताना> यही कोई एक महीने से..


वसुंधरा की उत्सुकता बढ़ने लगी.. वो तो अभी तक यही सोच रही थी.. कि उसने अपने ही बेटे को इंटरनेट पर पटाया है.. लेकिन ये तो इससे पहले ही उसकी पॅंटी मे मूठ मारता रहा था.. उसके दीमाग मे कई ख़याल आने लगे.. अब वो ये जाने के लिए उत्सुक हो गयी कि उसके बेटे के दीमाग मे उसकी पॅंटी इस्टामाल करने का ख़याल क्यों और कैसे आया.

>गीली चूत> तुम्हे ये कब लगा कि तुम्हे अपनी ही मा की पॅंटी इस्टामाल करनी चाहिए?

>राज_मस्ताना> जब मेने पहली बार उनकी बिना बालों की चूत देखी.

>गीली चूत> अछा. कब और कहाँ देखी तुमने?

वहीं वसुंधरा सोचने लगी. कि उसके बेटे ने कब और कैसे उसकी चूत देख ली.. वो तो आज तक यही सोचती आ रही थी.. की उसकी बिना बालों की चूत को उसके पति के सिवाय किसी ने नही देखा है..

>राज_मस्ताना> सच कहूँ तो ये एक हादसा था जो हो गया.. में देखना चाहता था कि मेरी बेहन नंगी कैसी दीखती है.. इसलिए मेने बाथरूम मे कॅमरा छुपा दिया था.. पर मेरी मा मेरी बेहन से पहले नहाने के लिए बाथरूम मे आ गयी और सब कुछ कॅमरा मे क़ैद हो गया.. और जब में फिल्म देखने लगा तो मुझे लगा कि मम्मी की चूत देख मेरा लंड हरकत कर रहा है.. . तुम पागल तो नही हो गयी ना.. मेरी नादानी सुन कर.

>गीली चूत> नही इसमे पागल होने वाली क्या बात है? तुम पहले ही अपनी बेहन की पॅंटी मे मूठ मारते रहे हो.. लेकिन हां क्या तुम परेशान हो इस बात को लेकर.

>राज_मस्ताना> नही कुछ ख़ास नही.

वसुधारा सोचने लगी की उसे उसके बेटे के साथ आगे बढ़ना चाहिए कि नही.. आख़िर वो उसकी मा थी.. लेकिन जिस्म की गर्मी और गीली चूत उसके विचारों पर हावी हो गयी.

>गीइ चूत> क्या तुम अपनी मा की पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मेरे लिए मूठ मरोगे?

>राज_मस्ताना> हां क्यों नही इसीलिए तो लाया हूँ.

राज ने अपना लंड अपनी शॉर्ट्स से बाहर निकाल लिया.. उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा था... वो उस काले रंग की पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मसल्ने लगा... स्क्रीन पर गीली चूत की बिना बालों की चूत दीख रही थी... वो सोचने लगा कि अगर इस गीली चूत की चूत की जगह उसकी मा की बिना बालों की चूत होती तो कैसी लगती.. और अगर मेरा लंड उनकी चूत मे घुस्सता तो कैसा लगता.. वाशुंढरा देख रही थी कि किस तरह उसका बेटा उसी की पॅंटी को अपने लंड पर लपेटे मूठ मार रहा था... उसकी चूत मे चिंतियाँ रेगञे लगी... उसने अपनी चूत मे अपनी दो उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी... उसके के भी ख्याल मे उसके बेटे का लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा.. चूत से रस बहकर उसकी गंद को गीला करने लगा... उत्तेजना और उन्माद मे खोई हुई उसने अपना एक पावं उठा कर टेबल से टीका दिया और अपनी उंगली को चूत से निकाल अपनी गंद के छेद पर फिराने लगी.. फिर उसे अपने ही रस से गीला कर उसने अपनी उंगली अपनी गंद मे घुसा दी... अब वो एक हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी और दूसरे हाथ की उंगलियों को गंद के अंदर बाहर कर रही थी.

>राज_मस्ताना> अरे ये क्या.. तुमने अपनी उंगली अपनी गंद मे डाल रखी है.?
Reply
09-20-2018, 02:01 PM,
#27
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
वसुंधरा ने अपना हाथ अपनी चूत से हटाया और टाइप करने लगी..

>गीली चूत> हां

>राज_मस्ताना> क्या तुम्हे मज़ा आ रहा है?

>गीली चूत> हां बहोत अछा लग रहा है.

>राज_मस्ताना> वाउ.. लेकिन मेने पहले ऐसा करते कभी को देखा नही है.. क्या तुम्हे नही लगता ये सब गंदा है.

>गीली चूत> हां हर किसी को पसंद नही आता लेकिन मुझे पसंद है.

>राज_मस्ताना> मुझे विश्वास नही हो रहा.. क्या तुम मुझे और ये दीखा सकती हो?

>गीली चूत> मेरी उंगलियों की जगह अगर कोई लंड होता तो तुम्हे देखने मे और मज़ा आता

>राज_मस्ताना> क्या तुम अपनी गंद मे लंड भी घुस्वाति हो?

>गीली चूत> हां जब कभी मूड होता है.

> राज_मस्ताना> क्या तुम मुझे और दीखा सकती हो..में अपना पानी तुम्हारी गंद को देखते हुए छुड़ाना चाहता हूँ.

>गीली चूत> ठीक है फिर देखो ये.वसुंधरा ने अपनी दूसरी टांग भी टेबल की पुष्ट से टीका दी और अपनी गंद को थोड़ा उठा दिया.. अब उसकी गंद ठीक कॅमरा के सीध मे थी.. उसने अपनी बीच वाली उंगली गंद मे घुसा घुमाने लगी... इस ख्याल से ही कि उसका बेटा ये सब देख रहा है वो पूरी तरह गरमा चुकी थी.. उसने अपनी दूसरी उंगली गंद मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी.. वो स्क्रीन पर देख रही थी कि किस तरह उसका बेटा अपने लंड को उसकी पॅंटी से लपेटे मूठ मार रहा था...

>गीली चूत> हाँ और ज़ोर ज़ोर से मेरे लिए मस्लो.. और अपना पानी छोड़ दो..

>राज_मस्ताना> हां हाँ

वसुंधरा अपने एक हाथ से गंद मे उंगली करती रही और दूसरे हाथ से अपनी चूत को मसालते हुए स्क्रीन पर अपने बेटे के लंड से छूटती वीर्य की पिचकारी देखते रही... तभी उसकी चूत और गंद दोनो कड़ीहो गई और चूत ने पानी छोड़ दिया..

>गीली चूत> ओह्ह आज तो मज़ा आ गया..

>राज_मस्ताना> हां आज तुमने तो कमाल ही कर दिया.

>गीली चूत> हां अब में थक गयी हूँ सोना चाहती हूँ... गुड नाइट.

>राज_मस्ताना> ओके.. गुड नाइट.

दोनो ने अपने अपने कंप्यूटर बंद किए और सॉफ सफाई कर कपड़े पहन पलंग पर गिर कर सो गये.. दूसरे दिन राज सुबह सो कर उठा तो बहोत खुश था.. आज की रात वो और प्रीति स्वीटी के घर रहने वाले थे... और उसे पक्का विश्वास था की उसे स्वीटी की चूत का एक बार फिर मज़ा मिलने वाला था...

और अगर उसने अपना दाँव सही खेला तो शायद उसे प्रीति को चोदने का भी फिर से मौका मिल सकता था... उसे मालूम था कि अगर प्रीति ने उसे और स्वीटी को चुदाई करते देख लिया तो वो अपने आप को रोक नही पाएगी....

नाश्ते के टेबल पर वसुंधरा शरम के मारे अपने बेटे से आँख नही मिला पा रही थी... कल रात से जब से उसे पता चला की उसका बेटा उसकी पॅंटी से अपने लंड को लपेट मूठ मारता है.. उसके दीमाग मे अनेक ख़याल और इच्छाए जनम ले रही थी.. वो जानती भी थी और समझती भी थी की ये सब ग़लत है.. उसे ऐसा नही सोचना चाहिए.. लेकिन वो अपने दिल के हाथो मजबूर थी.. बार बार उसका ध्यान राज के मोटे और लंबे लंड की तरफ चला जाता... जब से राज ने उसे बताया था कि वो अपनी जीब उसकी चूत मे घुसा उसे चूसना चाहता है.. या फिर अपने लंड को उसकी चूत मे डाल चोदना चाहता है. वो सोचने लगी कि कास वो अभी इसी वक्त उसकी पॅंट खींच उसके मोटे लंड को वहीं टेबल के नीचे अपने मुँह मे लेकर चूसे तो कैसा रहेगा...
Reply
09-20-2018, 02:01 PM,
#28
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
इन्ही सब ख़यालों मे खोई वसुंधरा टेबल पर चुप चाप बैठी नाश्ता कर रही थी और अपने दोनो बच्चो की बातें सुन रही थी...जैसे ही राज टेबल से उठ किचन मे गया और कुछ लेकर लौटा तो उसकी निगाहें उसकी जाँघ के बीच उसके खड़े लंड के उभार पर ही टिकी हुई थी.. मन मे उठी इच्छाए और बदन मे उठती उत्तेजना उससे सहन नही हो रही थी.. उसकी समझ मे नही आ रहा था कि पति के बगैर वो इतने दिन कैसे गुज़र पाएगी.. उसके पति को आने मे तो अभी एक हफ़्ता पड़ा था... इन्ही सब बातों ने उसे एक बार फिर उत्तेजित कर दिया और वो अपने बच्चो से बहाना बना अपने कमरे मे आ गयी उसका इरादा अपनी चूत मे नकली लंड डाल चूत की गर्मी को शांत करने का था...

प्रीति को शाम की पार्टी के लिए कुछ शॉपिंग करनी थी..इसलिए वो गाड़ी लेकर चली गयी.. राज अपने कमरे मे आ गया.. पूरे दिन वसुंधरा घर की सफाई और बाकी के काम निपटाने मे लगी रही.. इसी बीच उसने अपनी चूत मे नकली लंड डाल कर अपनी चूत की गर्मी शांत की और फिर अपनी चूत पर उगी झांते फिर से सॉफ कर ली...

राज अपने कमरे मे थोड़ी देर तो कंप्यूटर पर सरफिंग करता रहा फिर सो गया.....

"राज क्या तुम चलने के लिए तय्यार हो... जल्दी से नीचे आ जाओ" प्रीति नीचे गाड़ी के पास ज़ोर से चिल्ला अपने भाई को बुलाने लगी... प्रीति की आवाज़ सुनकर राज हड़बड़ा कर पलंग से उठा.... पूरे दिन प्रीति शॉपिंग के लिए घर से बाहर रही थी और अब जल्दी मचा रही थी...

"बस पाँच मिनिट रूको... कल के लिए दो जोड़ी कपड़े बॅग मे डाल कर आता हूँ" राज ने चिल्ला कर जवाब दिया.... और अपनी स्पोर्ट्स बॅग मे से अपना फुटबॉल का समान बाहर निकाल उसमे अपने कपड़े रखने लगा...

प्रीति नीचे एक ट्रॅक पॅंट्स और स्लीव्ले टॉप मे खड़ी थी... उसके खड़े निपल टॉप से बिल्कुल सॉफ दीखाई दे रहे थे... तभी राज अपने कमरे से बाहर आया और अपनी मा से ये कहकर कीओ दोनो स्वीटी के घर जा रहे है और कल शाम को लौटेंगे... गाड़ी के पास आ गया.

राज और प्रीति अपनी मम्मी को बाइ बाइ कर गाड़ी मे बैठे और स्वीटी के घर की ओर चल पड़े....

राज और प्रीति जब स्वीटी के घर पहुँचे तो देख की स्वीटी और शमा घर के आँगन की सफाई कर रही थी....

"हाई कैसे हो तुम दोनो?" स्वीटी ने उन्हे देख कहा.... राज अपनी चचेरी बेहन को देखने लगा... स्वीटी ने डेनिम की एक छोटी और टाइट शॉर्ट्स पहन रखी थी जो उसके कुल्हों पर अछी तरह चिपकी हुई थी और उसकी गंद की गोलाइयाँ पूरे आकार मे दीख रही थी.... उसके उपर उसने बॅगी टी-शर्ट पहन रखी थी..जिसे देख कर राज को थोड़ी निराशा हुई... उसने अपने बालों को पीछे की ओर बाँध एक पोनी टेल बना रखी थी जहाँ से उसकी सुराही दार गर्दन नज़र आ रही थी.. राज का दिल किया की वो अपने होठों को उसकी गर्दन पर रख चूम ले...

"हाई स्वीटी" कहकर प्रीति उसकी ओर बढ़ गयी और वो अपनी दूसरी चचेरी बेहन शमा की ओर बढ़ गया.. वो भी स्वीटी की तरह लंबी और पतली थी... उसके बाल थोड़े भूरे थे और उसने काट कर उन्हे कंधों तक किया हुआ था... उसकी चुचियाँ भी स्वीटी की तरह छोटी और गोल गोल थी...

"हाई प्रीति.. हाई राज" उसने कहा...

राज और प्रीति स्वीटी के साथ घर के अंदर आ गये.. और शमा वहीं काम मे लगी रही..

"प्रीति तुम मेरे साथ मेरे कमरे मे रहोगी..." स्वीटी ने प्रीति से कहा, "और राज तुम बाहर इस दीवान पर रहोगे... तुम अपना बॅग यहीं पर रख दो... लेकिन शायद रात को सोने के लिए तुम्हे दीवान की ज़रूरत ही ना पडे" कहकर वो हँसने लगी...

जैसे ही राज अपना बॅग रखने के लिए हिला.. स्वीटी ने प्रीति को अपने पास खींचा और उसके होठों पर अपने होंठ रखते हुए अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी... प्रीति भी उसकी जीब से अपनी जीब मिला चूसने लगी... प्रीति ने स्वीटी के चूतदों पर हाथ रख उसे अपने और नज़दीक किया और उसकी चुचियों से अपनी चुचि रगड़ने लगी...

राज चुपचाप अपनी बहनो को एक दूसरे को चूमते और खिलवाड़ करते देखता रहा.. उसका लंड तनकर फड़फदा रहा था... "कुछ हो रहा है क्या राज?" स्वीटी ने अपना मुँह प्रीति के मुँह पर हटाया और उसे चिढ़ाते हुए उसके लंड को देखने लगी..

"हां.. वो क्या है मेने आज से पहले कभी दो लड़कियों को इस तरह चूमते नही देखा है... " वो हंस कर बोला.. स्वीटी उसके पास आई और उसे प्रीति की तरह चूमने लगी.. उसकी जीब को अपने मुँह मे ले चूसने लगी... राज ने अपना हाथ उसके टॉप मे डाल दिया तो उसने देखा कि वो ब्रा नही पहने हुई थी... वो उसकी चुचि को मसल्ने लगा.. और उसका लंड और फुदकने लगा...

"अभी नही.. अभी हमे शमा की मदद करनी चाहिए" स्वीटी ने उसके हाथो को अपनी चुचि पर से हटाते हुए कहा. तीनो नीचे शमा के पास आ गये और शाम की पार्टी की तय्यारी करने लगे... जब सब कुछ व्यवस्थित हो गया तो चारों लोग बैठ कर ड्रिंक सीप करने लगे...

थोड़ी देर बाद स्वीटी उठी, "चलो अब सब कोई तय्यार हो जाओ" वो अपनी जगह से उठती हुई बोली, "प्रीति तुम मेरे साथ आओ." कमरे मे आकर दोनो ने साथ साथ शवर के नीचे स्नान किया... और अपने बदन पौंछ बाहर आ गयी... प्रीति नंगी ही अपने बालों को संवार रही थी...फिर प्रीति अपनी बॅग से अपने कपड़े निकालने लगी..

"ये कैसी रहेगी" प्रीति ने एक छोटी पॅंटी निकाल कर उसे दीखाते हुए पूछा.. और फिर उसके उपर ब्रा बेहन ली..

"सच मे प्रीति अछा हुआ तुम मुझे अपने साथ शॉपिंग के लिए नही ले गयी.. नही तो सही मे में तुम्हारी चूत को वहीं चेंजिंग रूम मे खा जाती.." स्वीटी हंसते हुए बोली. "अरे यार इससे भी अछी चीज़ है जो हमे साथ साथ करनी है" प्रीति मुस्कुराते हुए बोली और एक छोटी डेनिम की स्कर्ट निकाल कर पहने लगी...

स्वीटी उठ कर उसके पास आ गयी.. "सच मे प्रीति दिल तो कर रहा है कि पार्टी को गोली मार दूँ और पूरी रात तुम्हारे इस मखमली बदन से खेलती रहूं"

"नही आज की रात पार्टी पहले फिर सब कुछ " प्रीति ने प्यार से उसके गालों पर हाथ फिराते हुए कहा, "अब जल्दी से उठ कर कोई सेक्सी ड्रेस पहन लो.. में देखना चाहती हूँ कि राज का लंड हमे देख कर कितना फुदकता है?"

"स्वीटी उठी और अपनी अलमारी से एक लेदर की स्कर्ट निकाल ली और फिर प्रीति से बोली, "तुमने तो बहोत छोटी पॅंटी पहन रखी है.. इसलिए तुम्हारा मुक़ाबला करने के लिए में ऐसा करती हूँ कि आज पॅंटी पहनती ही नही हूँ... " कहर उसने वो स्कर्ट पहन ली. "वो सब तो ठीक है.. लेकिन अगर मेरे हाथ बार बार तुम्हारी स्कर्ट के अंदर चले जाएँ तो चौंकना नही." प्रीति ने हंसते हुए कहा. "तुम उसकी चिंता मत करो" कहकर स्वीटी ने एक ब्लू रंग का टॉप पहन लिया... फिर दोनो कमरे से बाहर आ कर राज और शमा के पास आकर बैठ गयी.. अब चारों अपने आने वाले मेहमआनो का इंतेज़ार करने लगे..

"क्या बात है.. तुम दोनो मेरे आने वाले दोस्तों पर बिज़लियाँ तो नही गिराना चाहती ना? शमा ने दोनो को देखते हुए कहा. "तुम्हारी सहलियों को तो कुछ नही होगा.. हाँ उनके साथ आने वाले उनके बॉय फ्रेंड के लिए हम कुछ नही कह सकते... " प्रीति ने खिलखिलाते हुए कहा..

"तुम दोनो कुछ लेना पसंद करोगी?" राज ने प्रीति और स्वीटी से पूछा. "हां में वाइट वाइन लूँगी" स्वीटी ने कहा और प्रीति ने भी अपने लिए वही कह दिया... राज उठा और किचन मे जाकर अपने लंड को मसलने लगा.. जो उन दोनो को देख कर बुरी तरह मचल रहा था... दोनो शमा से भी सेक्सी लग रही थी.. किचन से आते हुए राज ने अपनी निगाह शमा पर डाली.. जिसने एक टाइट जीन्स पहन रखी थी.. और उसके उपर गुलाबी रंग की टी - शर्ट जिसने उसके समूचे बदन को जाकड़ रखा था... पर राज ने देखा कि आज उसकी चुचियाँ कुछ ज़्यादा बड़ी लग रही थी.. ज़रूर उसने कोई खास ब्रा पहन रखी थी..


क्रमशः.......
Reply
09-20-2018, 02:01 PM,
#29
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--9

गतान्क से आगे........

राज ने दोनो लड़कियों को उनकी ड्रिंक पकड़ाए और अपना बियर का मग लेकर प्रीति के पास बैठ गया.. उसका दिल तो कर रहा था कि वो अभी प्रीति की चुचियों को अपने मुँह मे ले चूसने लगे.. लेकिन वो ऐसा शमा के सामने नही कर सकता था... स्वीटी राज के सामने बैठी थी और वो बार बार अपनी टाँगे चौड़ी कर अपनी नंगी चूत उसे दीखा चिढ़ा रही थी.. राज बेचारा अपने लंड को संभाल नही पा रहा था...

तभी मैन डोर की बेल बज़ी तो स्वीटी और शमा दरवाज़े की ओर बढ़ी और अपने मेहमआनो का स्वागत करने लगी.. पार्टी बहोत ही अछी गुज़री बस इक्का दुक्का बार स्वीटी राज को छेड़ देती थी... जब भी उसे मौका मिलता वो अपने गंद को राज के खड़े लंड पर रगड़ देती... एक बार तो जब उसने देखा कि राज अकेला खड़ा है तो उसने अपना हाथ अपनी स्कर्ट के अंदर कुछ देर के लिए डाला और फिर हाथ को बाहर निकाल अपनी उंगली को चटकारे ले कर चूसने लगी.. राज था कि उसे स्वीटी की इन हरकतों मे मज़ा आ रहा था.. और जब वो दोनो अकेले मे कुछ देर के लिए मिले तो वो अपनी उंलगी को उसकी नाक के पास रख अपने ही चूत की महक उसे सूँघाने लगी.. और खिलखिला कर उससे दूर चली गयी.. यही छेड़ छाड़ उन दोनो के बीच होती रही... राज स्वीटी और प्रीति तीनो कुछ नशे मे भी हो गये थे.....

स्वीटी पूरी पार्टी मे आए हुए मर्दों को चिढ़ाती रही उकसाती रही आख़िर रात भी काफ़ी हो चुकी थी.. धीरे हीरे सभी मेहमान अपने घर जाने लगे... पूरी पार्टी के दौरान प्रीति पार्टी मे आए लड़कों से बात करती रही.... शमा अपने मेहमआनो का ख़याल रखने मे लगी रही.... और स्वीटी अपनी हरकतों से मर्दों को चिढ़ाती रही... जब रात काफ़ी हो गयी और करीब करीब सभी मेहमान जा चुके थे.. तो स्वीटी थक कर सोफे पर बैठ गयी...

"हे भगवान... स्वीटी ये क्या है? तुम्हारी पॅंटी कहाँ है" शमा अचानक अपनी छोटी बेहन पर चिल्लाई.. हुआ क्या स्वीटी अपनी दोनो टाँगों की पालती मार सीट पर बैठ गयी थी..

और उसे ध्यान नही रहा.. उसकी स्कर्ट उठ गयी थी और उसकी नंगी चूत नज़र आ रही थी... और शमा की नज़रे उसकी नंगी चूत पर ही टिकी हुई थी... राज भी उसके बगल मे ही खड़ा था...

"अरे दीदी कुछ नही है.... आज मेने तो पॅंटी पहनी ही नही थी..." स्वीटी ने हंसते हुए कहा.. उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी.. और वो कुछ नशे मे भी लग रही थी... "हे भगवान.. तुम्हे कुछ शरम लिहाज़ नही है.. तुम्हे दीखाई नही देता कि कैसे राज की नज़रे तुम्हारी नंगी चूत पर गढ़ी हुई है? शमा ने गुस्से मे कहा. "दीदी राज की ही नज़रे गढ़ी हुई है ना... अगर राज मेरी चूत को देख

रहा है तो कोई डर नही हां अगर मुझे ये देखने को मिल जाए कि उसने अपनी पॅंट मे क्या छुपा रखा है तो मुझे किसी की परवाह नही.." स्वीटी ने जवाब दिया.

स्वीटी का कहना था कि शमा की नज़रे राज की जाँघो के बीच उठ गयी.... उसे राज के खड़े लंड का उभार सॉफ दीख रहा था... और अब तीनो बहने उसके लंड के आकार को देख हैरत मे खड़ी थी...

"भगवान के लिए स्वीटी ये तुम्हारा भाई है" शमा ने कहा. "हां दीदी भाई तो है.. लेकिन आपने नहीं देखा... देखो ना इसका लंड कितना बड़ा है? स्वीटी कहकर राज की ओर देखकर मुस्कुराने लगी... राज अपने आप मे शरमा रहा था..

"क्या दीदी आप नही देखना चाहोगी?" शमा दुविधा मे फँस चुकी थी... उसे लगा कि उसकी बेहन सही कह रही है.. वो सच मे राज का लंबा और मोटा लंड देखना चाहती थी... पर वो डर भी रही थी और शर्मा भी रही थी.. उसकी छोटी बेहन के सामने वो भी जब राज की भी छोटी बेहन उसके साथ थी.. उसकी हिम्मत नही पड़ी... "में तो अपने लिए ड्रिंक लेने जा रही हूँ" प्रीति ने उठते हुए

कहा.. तभी शमा ने अपनी टांग उसकी टांग मे फँसा दी.. और वो ठीक स्वीटी की गोद मे गिर पड़ी और उसकी खुली चूत ढक गयी.... "सिर्फ़ राज तुम्हारी चूत को घूर रहा है इसका ये मतलब नही कि बाकी

बची रात में तुम्हारी चूत को देखती रहूं" शमा ने स्वीटी से कहा..

इसके जवाब मे स्वीटी अपनी जगह से खड़ी हुई और उसने अपनी स्कर्ट पूरी तरह से उप्पर उठा दी...

"राज क्या तुम्हे भी मेरी चूत देखनी अछी नही लगती? स्वीटी खिलखिलाते हुए बोली...

"देखना अछा लगता है.. लेकिन तुम्हे तो पता ही है कि सिर्फ़ देखने से दिल तो नही भरता? "

"भगवान के लिए.. राज उसे उक्साओ मत.." शमा ने कहा. "अरे क्या बुराई है इसमे... शाम से एक यही तो चूत देखने को मिली है.. और सही मे बहोत प्यारी है इसकी चूत" राज ने मुस्कुराते हुए

जवाब दिया..

"बड़े शैतान हो तुम दोनो" शमा ने कहा.

"अरे भाई कौन शैतान है.. मुझे भी तो कुछ बताओ? प्रीति अपनी ड्रिंक लाते हुए बोली.

"तुम्हारे भाई और तुम्हारी इस बेहन की बात कर रही हूँ" शमा ने दोनो की ओर इशारा करते हुए कहा, " इस स्वीटी की बच्ची ने क्या किया पता है.. ये अपनी स्कर्ट उठा अपनी चूत हम दोनो को दीखा रही थी."

"ओह्ह्ह स्वीटी कुछ देर के लिए रुक नही सकती थी.. मेने तो देखी ही

नही.. प्लीज़ मुझे भी दीखा दो ना? प्रीति हंसते हुए उसके सामने बैठ गयी.
Reply
09-20-2018, 02:01 PM,
#30
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"एक ही शर्त पर.. अगर तुम अपनी चुचियों को दीखाओ तो ही में अपनी

चूत दिखाउन्गि" स्वीटी खड़े हो अपनी स्कर्ट उठाते हुए बोली....

प्रीति ने अपने टॉप को उतार दिया और फिर अपनी ब्रा को भी निकाल दिया..

उसकी दोनो चुचियाँ फड़फदा कर आज़ाद हो गयी.... राज ताली बजाकर

अपनी बेहन की तारीफ करने लगा कि उसकी चुचियों कितनी सुन्दर थी...

शमा गुस्से मे उठी और बोली, "तुम तीनो के तीनो बड़े बेशरम हो..तुम सब कुछ भी कर सकते हो.. में तो सोने जा रही हूँ"

"राज इसे रोको इसने हमारा सब कुछ देख लिया और अपना कुछ भी

दिखाया ही नही" स्वीटी ज़ोर से चिल्लाई."

इसे अपना लंबा और मोटा

लंड दीखाओ.. जिससे ये रुक जाए.."

शमा स्वीटी की बात सुनकर रुक गयी और राज की तरफ घूम देखने

लगी.... उसके लंबे और मोटे लंड को देखने की उसकी जिग्यासा बढ़

गयी... जैसे ही राज ने अपनी पॅंट को पैरों मे गिराया उसकी सांस उपर

की उपर ही रह गयी... वो अपने गधे जैसे लंड को लेकर उसके सामने

खड़ा था..

"मेने कहा था ना इसका लंड बहोत बड़ा है" स्वीटी चहकते हुए

बोली... "राज अपने लंड को और मस्लो और बड़ा करो.. दीखाओ शमा को

की तुम्हारा लंड सही मे कितना लंबा है"

स्वीटी की बात सुन कर शमा सोच मे पड़ गयी वो सोचने लगी कि उसकी

बेहन को राज के लंड के बारे मे कैसे पता है... वो हैरत अंगेज़

नज़रों से राज को अपना लंड मसालते हुए देखने लगी... उसके बदन

गरमाने लगा था.. उसकी चूत मे खुजली मचने लगी थी.. निपल तन

कर खड़े हो गये थे.. "इसे छू कर देखो शमा सही मे अछा लगेगा" स्वीटी ने आगे बढ़ कर

उसके लंड को पकड़ते हुए अपनी बड़ी बेहन से कहा... राज थोड़ा आगे

चल कर आ गया ताकि शमा के नज़दीक आ सके. शमा ने अपना हाथ

उसके लंड पर रख अपनी मुट्ठी मे कस लिया... राज अपनी कमर को हिला

उसके हाथों मे मूठ मारने लगा...

शमा तो जैसे मन्त्र मुग्ध हो गयी थी.. वो अपनी छोटी बेहन के कहे

अनुसार करती जा रही थी.. उसे विश्वास नही हो रहा था कि इतना बड़ा

और मोटा लंड उसके हाथो मे है...

"शमा नीचे घुटनो के बल बैठ जाओ और इस लंड को चूसो" स्वीटी ने

अपनी छोटी बेहन से कहा... और अपनी स्कर्ट उतार दी.. उसकी चूत पूरी

तरह गीली हो रस छुआ रही थी... शमा अपने चचेरे भाई के सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लंबे लंड को मुँह खोल अंदर लिया.. अपनी जीब और मुँह की गिरफ़्त मे

ले वो उसे चूसने लगी... वो उस लंड को अपने गले तक लेने की कोशिश करने लगी... वो सोचने लगी कि क्या प्रीति को ये सब अछा लग रहा है कि वो उसके भाई का लंड चूस रही है.. तभी उसे अपने पीछे किसी के होने का एहसास हुआ... तभी पीछे से किसी ने अपनी चुचियों को उसकी

पीठ से रगड़ मसलना शुरू कर दिया.. वो समझ गयी कि ये प्रीति ही

हो सकती है.. प्रीति ने अपने हाथ आगे कर उसके टॉप के नीचे से अंदर डाल उसकी

चुचियों को पकड़ लिया और मसल्ने लगी... शमा राज के लंड को

चूस्ति रही... प्रीति का हाथ अब उसकी चुचियों से नीचे खिसक उसके

सपाट पेट के सहलाने लगे...

और फिर उसने अपने हाथ उसकी जीन्स के किनारे पर टीका दिए... तभी स्वीटी अपनी बड़ी बेहन के नज़दीक आई और उसकी जीन्स के बटन खोलने मे प्रीति की मदद करने लगी.. दोनो ने मिलकर उसकी जीन्स

नीचे खिसका दी.. दोनो ने देखा कि राज ने शमा के सिर को पकड़ लिया था और अपने लंड को अब उसके मुँह के अंदर बाहर कर रहा था... स्वीटी थी कि वो शमा को उकसा रही थी... वो वहीं उनके सामने अपने टाँगे फैलाए बैठी थी और अपनी तीन उंगलिया चूत मे डाल अंदर

बाहर कर रही थी... वो बड़े प्यार भरी नज़रों से अपनी बड़ी बेहन को अपने ही चचेरे भाई का लंड चूस्ते देख रही थी...प्रीति अब शमा के टॉप को उतार रही थी और शमा थी कि उत्तेजना मे वो प्रीति को उसकी मन मानी करने दे रही थी..

प्रीति ने फिर शमा की ब्रा के हुक खोल दिए और उसे उसकी बाहों से खींच कर उतार दी... अब वो उपर से पूरी तरह नंगी राज के सामने बैठी उसके लंड को चूस रही थी... प्रीति उसकी चुचियों को अपने

दोनो हाथों मे भर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी... उसके निपल को पकड़ खींच लेती काट लेती.. और शमा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी...

राज अपने लंड को शमा के मुँह के अंदर बाहर होते देख रहा था और साथ ही देख रहा था कि किस तरह उसकी बेहन शमा के शरीर से खेल रही थी... फिर उसने अपनी नज़रे स्वीटी पर डाली जो अपनी चूत मे तेज़ी से उंगली अंदर बाहर कर रही थी.... उसका लंड उबाल खाने लगा था... उसकी नसें तन रही थी... उसने शमा को बताया कि उसका लंड पानी छोड़ने वाला है.. शमा और तेज़ी से उसके लंड को चूसने लगी.. उसने मुँह को उपर नीचे कर उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी....

प्रीति भी अब शमा के नज़दीक आ कर उसे अपने भाई के लंड को चूस्ते हुए देखने लगी... वो अपनी बेहन के मुँह को राज के वीर्य से भरा हुआ देखना चाहती थी... स्वीटी भी उन दोनो के नज़दीक आ गयी...उसने अपना बयाँ हाथ शमा की चुचि पर रखा और उसे मसल्ने लगी.. साथ ही

अपने दाएँ हाथ को उसकी पीछे से उसकी जीन्स के अंदर डाल उसकी फूले चूतदों को पकड़ भींचने लगी...

तभी राज ने लंड ने पानी छोड़ना शुरू किया... शमा उसके लंड को अपने मुँह मे ले उसके पानी को पीने की कोशिश करने लगी... लेकिन वो सारा पानी पी नही पाई.. उसने अपना मुँह लंड पर से हटा लिया... और राज के लंड से फिर एक पिचकारी छूटी और सीधी गालों पर गीरी.. फिर

दूसरी उसकी नंगी चुचियों पर गिर पड़ी..
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