02-19-2020, 01:43 PM,
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RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
दीपक- उह्ह उह्ह आह्ह… तू कहती है तो उहह उहह.. ले आराम देता हूँ साली को आह्ह… अब इसका मुँह खोल.. मैं भी देखूँ क्या बोलती है ये?
दीपक रूक गया और प्रिया के ऊपर ही पड़ा रहा। उसका लौड़ा जड़ तक चूत में घुसा हुआ था। दीपाली ने जब मुँह से हाथ हटाया, प्रिया ने एक लंबी सांस ली जैसे मरते-मरते बची हो ... उसका चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था और हलक सूख गया था। वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई।
प्रिया- आह ब्ब..भाई … आपने ये अच्छा नहीं किया. आह्ह… क्या आह्ह… ऐसे बेदर्दी से कोई अपनी बहन को … चोदता है आह्ह…
दीपक- सही बोल रही है तू. कोई भाई अपनी बहन को बेदर्दी तो क्या प्यार से भी नहीं चोदता. ये तो तेरे जैसी रंडियाँ होती हैं जो अपने भाई को फँसा कर उससे चुदती हैं, समझी?
प्रिया- आह्ह… उ.. माँ आह्ह… मर गई.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है ... निकाल लो.. आह्ह… नहीं चुदना आपसे आह्ह… अयेए.. मैं तो समझी आप लंड हिलाते घूम रहे हो.. आह्ह… कुँवारी चूत मिलेगी तो खुश होगे.. आह्ह… मगर आप तो मुझे गाली दे रहे हो आह्ह… इससे अच्छा तो किसी और से अपनी सील तुड़वाती.. आह्ह… सारी जिंदगी मेरा अहसान मानता आह्ह…
दीपक- चुप कर, साली छिनाल.. किसी और की माँ की चूत.. किसमें हिम्मत थी जो तुझे चोदता.. साले का काट देता मैं.
दीपाली- ओ हैलो.. क्या बकवास लगा रखी है.. अब ज़्यादा शरीफ मत बनो.. दूसरों की बहनों के बारे में गंदे ख्याल दिल में रखोगे तो ऐसा ही होगा, समझे? ... अब चुपचाप चोदते रहो ... बेचारी प्रिया कैसे रो रही है।
(दोस्तों सॉरी, बीच में आने के लिए.. मगर आपसे ये बात कहना जरूरी था कि देखो किस तरह दीपक ने दीपाली पर गंदी नज़र डाली और आज उसको अपनी बहन के साथ चुदाई करनी पड़ रही है। तो सोचो हर लड़की किसी ना किसी की बहन या बेटी होती है, अगर उनकी मर्ज़ी ना हो तो प्लीज़ उनको परेशान मत किया करो.. ओके थैंक्स अब कहानी का मजा लीजिए।)
प्रिया- आह्ह… आह्ह… दीपाली तुम किसको समझा रही हो.. ये आह्ह… नहीं समझेगा।
दीपक- चुप.. अब बकवास बन्द करो.. मुझे चोदने दो.. आह्ह… उहह ले आह्ह… साली रण्डी आह्ह… ले चुद.. आह्ह… उहह…
प्रिया- आईईइ आईईईई ओह.. भाई आह्ह… मर गई.. आह उफ़फ्फ़ कककक आह आराम से आह उउउ उूउउ बहुत दर्द हो रहा है आह आह…
दीपक रफ़्तार से चोदता रहा.. पाँच मिनट बाद प्रिया थोड़ी सी उतेज़ित हुई और दर्द के साथ उसकी उत्तेजना मिक्स हो गई.. वो झड़ गई मगर उसको ज़रा भी मज़ा नहीं आया.. दीपक अब भी लगातर चोदे जा रहा था और आख़िरकार प्रिया की टाइट चूत ने उसके लौड़े को झड़ने के लिए मजबूर कर दिया.. दीपक ने पूरा पानी चूत की गहराइयों में भर दिया और प्रिया के ऊपर ढेर हो गया।
प्रिया- आह्ह… आह.. अब हटो भी.. आह्ह… मेरी चूत को भोसड़ी बना दिया आह्ह… अब क्या इरादा है आह्ह… उठो भी… दीपक ने लौड़ा चूत से निकाला तो प्रिया कराह उठी। दीपक एक तरफ लेट गया। दीपाली ने जल्दी से प्रिया की चूत को देखा… कोई खून नहीं था वहाँ ... हाँ, दीपक के लौड़े पर जरा लाल सा कुछ लगा था।
दीपाली- अरे ये क्या.. तेरी सील टूटी पर खून तो आया ही नहीं।
प्रिया- आह्ह… उफ़फ्फ़.. पता नहीं शायद मैंने ऊँगली से ही अपनी सील तोड़ ली होगी.. एक दिन खून आया था मुझे.. आह्ह… मगर दर्द बहुत हो रहा है।
दीपाली- यार पहली बार मुझे भी बहुत हुआ था.. मगर अब चुदने में बड़ा मज़ा आता है।
दीपक- दीपाली ... मेरी जान, बता ना किसने तेरी चूत का मुहूरत किया है.. आख़िर ऐसा कौन आ गया जो मुझसे भी बड़ा हरामी निकला।
दीपाली- तुम्हें उससे क्या लेना-देना, तुमको चूत मिल गई ना. अब अपना मुँह बन्द रखो और जल्दी लौड़े को तैयार करो ... मुझे भी चुदना है.. कब से चूत तड़प रही है लंड के लिए…
दीपक- अरे मेरी जानेमन, तेरे लिए ही तो मैंने ये खेल खेला है.. अपनी बहन तक को चोद दिया.. तू क्यों तड़प रही है.. आ जा, तू ही चूस कर खड़ा कर दे इसे।
दीपाली- नहीं पहले इसे धो कर आओ.. इस पर खून लगा है।
दीपक जल्दी से बाथरूम गया और लौड़े को धो कर वापस आ गया। प्रिया अब वैसे ही पड़ी दर्द के मारे सिसक रही थी.. दरअसल दर्द से ज़्यादा वो दीपक की बातों से दुखी थी।
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02-19-2020, 01:44 PM,
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RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
प्रिया- आह भाई, मज़ा आ गया आज तो.. अब उठो भी, ऐसे ही पड़े रहोगे क्या.. मुझे घर भी जाना है वरना माँ को शक हो जाएगा।
दीपक- हाँ तूने सही कहा.. देख किसी को जरा भी भनक मत लगने देना.. वरना हम तो क्या हमारे घर वाले भी किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे।
प्रिया ने ‘हाँ’ में अपना सर हिला दिया और जब वो उठने लगी उसको चूत और पैरों में बड़ा दर्द हुआ।
प्रिया- आईईइ उईईइ माँ! मर गई रे.. आहह.. भाई, मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा आहह.. आपने तो मेरी टाँगें ही थका दीं..
दीपक ने उसको सहारा दिया और खड़ी करके उसको हाथ पकड़ कर चलाया।
दीपक- आराम से चल.. कुछ नहीं होगा.. मैं तुझे दवा ला दूँगा.. दर्द नहीं होगा.. अभी थोड़ी देर यहीं चल के देख ... नहीं तो घर पर जबाव देना मुश्किल हो जाएगा कि क्या हुआ है..
प्रिया- आहह.. उई! पहली बार में आप जानवर बन गए थे.. कैसे ज़ोर से लौड़ा घुसाया था.. उई ... ये उसकी वजह से हुआ है।
दीपक- अरे पहली बार तो इंसान ही था.. कुत्ता तो दूसरी बार बना था हा हा हा हा।
प्रिया- बस भी करो.. आपको मजाक सूझ रहा है.. मेरी हालत खराब है।
दीपक- अब चुदने का शौक चढ़ा है तो दर्द भी सहना सीखो.. अभी तो तेरी गाण्ड की गहराई में भी लौड़ा घुसना है.. आज वक्त कम है.. नहीं तो आज ही तेरी गाण्ड का भी मुहूरत कर देता।
प्रिया- आहह.. ना भाई.. आहह.. आप बस चूत ही लेना.. गाण्ड का नाम भी मत लो.. चूत का ये हाल कर दिया.. ना जाने गाण्ड को तो फाड़ ही दोगे।
दीपक हँसने लगा और बहुत देर तक वो प्रिया को वहीं घुमाता रहा.. जब प्रिया ठीक से चलने लगी, तब दीपक ने कमरे का हाल ठीक कर दिया और दोनों ने कपड़े पहन लिए।
जब दोनों बाहर निकले तो दीपक ने प्रिया से कहा- कल रविवार है, दीपाली को यहाँ बुला लेना.. तीनों मिल कर मज़ा करेंगे.. चाभी तू अपने पास ही रखना।
प्रिया- हाँ भाई.. ये सही रहेगा.. अब आप जाओ.. हम साथ गए तो किसी को शक होगा.. मैं पीछे से आऊँगी।
दीपक- तू धीरे-धीरे आराम से जाना और घर में बड़े ध्यान से अन्दर जाना.. मैं थोड़ी देर में दवा ले कर आता हूँ.. वैसे भी मैंने सारा पानी तेरी चूत में भर दिया था.. कहीं कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे.. दर्द की दवा के साथ कुछ गर्भनिरोधी दवा भी लेता आऊँगा ओके.. अब जा…
दोनों वहाँ से अलग-अलग हो गए और घर की तरफ़ जाने लगे।
(चलो दोस्तों, आपको पता चल गया कि दीपाली के जाने के बाद इन दोनों ने क्या किया था। अब वापस कहानी को वहीं ले चलती हूँ.. जहाँ से हम पीछे आए थे।)
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02-19-2020, 01:44 PM,
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RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
दीपाली- रूको बाबा, यहाँ आओ ... आपको खाना देती हूँ।
भिखारी- अँधा हूँ बेटी.. कहाँ हो? मालिक तेरा भला करेगा।
दीपाली ने बाहर इधर-उधर देखा.. कोई नहीं था.. वो झट से बाहर गई और उसका हाथ पकड़ कर घर के अन्दर ले आई।
दीपाली- यहाँ आओ बाबा मेरे साथ.. चलो खाना देती हूँ।
वो उसके साथ अन्दर आ गया। दीपाली ने उसे अन्दर ला कर वहीं बैठने को कहा और खुद खाना लेने अन्दर चली गई। अन्दर जा कर दीपाली सोचने लगी कि इसका पूरा लंड कैसे देखूँ! इस का सुपाड़ा तो काफी बड़ा है.. अब क्या करूँ जिससे पूरा लौड़ा दिख जाए। तभी उसे एक आइडिया आया.. वो वापस बाहर आई।
दीपाली- बाबा, आप कौन हो? जवान हो.. बदन भी ठीक-ठाक है.. आप बचपन से अंधे हो या कोई और वजह से हो गए और आपने ये क्या फटे-पुराने कपड़े पहन रखे हैं?
भिखारी- बेटी, मैं पहले अच्छा था. ट्रक में माल भरने का काम करता था.. मुझमें बहुत ताक़त थी.. दो आदमी का काम अकेले कर देता था। आठ महीने पहले एक दिन सड़क पर किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी.. उसमें मेरी आँखें चली गईं.. अब पहले से ही मेरा कोई नहीं था तो मुझे कौन संभालता.. सरकारी अस्पताल में इलाज फ्री हो गया.. अब कोई काम तो होता नहीं है.. इसलिए भीख माँग कर गुजारा कर लेता हूँ.. कपड़े भी फट गए हैं.. अब मैं दूसरे कपड़े कहाँ से लाऊँ?
दीपाली- ओह्ह! सुन कर बड़ा दुख हुआ.. अच्छा, आपका कोई घर तो होगा ना…
भिखारी- पहले एक किराए के कमरे में रहता था.. अब वो भी नहीं रहा.. अब तो बस दिन भर घूम कर माँगता हूँ और रात को जहाँ जगह मिल जाए.. वहीं सो जाता हूँ।
दीपाली- मेरे पास मेरे पापा के पुराने कपड़े हैं.. मैं आपको देती हूँ.. ये कपड़े निकाल दो, पूरे फट गए हैं.. आपके बदन पर कितना मैल जमा है, नहाते नहीं क्या कभी?
भिखारी- बेटी, ना घर का ठिकाना है.. ना कुछ और.. सड़कों के किनारे सोने वाला कहाँ से नहाएगा?
दीपाली- ओह, आपकी बात भी सही है.. ऐसा करो यहाँ मेरे घर में नहा लो.. उसके बाद आपको कपड़े दूँगी.. चलो मैं आपको बाथरूम तक ले चलती हूँ।
भिखारी- नहीं.. नहीं.. बेटी, रहने दो.. आज के जमाने में भिखारी को लोग घर के दरवाजे पर खड़ा करना पसन्द नहीं करते.. तुम तो घर के अन्दर तक ले आईं.. और अब अपने बाथरूम में नहाने को बोल रही हो।
दीपाली कुछ सोचने लगी.. उसके बाद उसने कहा- देखो बाबा, मेरी नज़र में अमीर-गरीब सब एक जैसे हैं.. आप किसी बात का फिकर मत करो.. आओ नहा लो.. मैं साबुन तौलिया सब दे देती हूँ।
भिखारी- मालिक, तुम्हारा भला करेगा बेटी.. तुम घर में अकेली रहती हो क्या.. यहाँ और किसी की आवाज़ नहीं सुनने को मिली।
दीपाली- इस वक़्त अकेली हूँ.. सब बाहर गए हैं.. अब चलो, बातें बाद में कर लेना और ये फटे-पुराने कपड़े निकाल कर वहीं रख देना.. मैं कचरे में डाल दूँगी।
दीपाली उसका हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम में ले गई और उसको अन्दर खड़ा कर के पानी चालू कर दिया, उसके हाथ में साबुन दे दिया। दीपाली अच्छे पैसे वाले घर की थी। उसका बाथरूम काफ़ी बड़ा था। आम आदमी के कमरे से भी बड़ा था।
दीपाली- बाबा, तौलिया ये आपके दाहिनी तरफ़ खूंटी पर टंगा है। मैं दरवाजा बाहर से बन्द कर देती हूँ.. जब आप नहा लो तो आवाज़ दे देना.. मैं खोल दूँगी। आप अन्दर से बन्द करने की कोशिश मत करना.. ये चाभी वाला लॉक है.. कहीं आपसे बाद में नहीं खुला तो मुसीबत हो जाएगी।
भिखारी- ठीक है बेटी, जैसा तुम कहो.. मगर कपड़े तो ला देतीं.. नहा कर में पहन कर बाहर आ जाता।
दीपाली- आप नहा लो.. मैं बाहर रख कर लॉक खोल दूँगी.. आप बाद में उठा लेना.. ठीक है.. अब मैं दरवाजा बन्द करके जाती हूँ आप आराम से नहा लो।
दीपाली ने दरवाजा ज़ोर से बन्द किया ताकि उसे पता चल जाए कि बन्द हो गया और फ़ौरन ही धीरे से वापस भी खोल दिया. बेचारा भिखारी अँधा था.. उसको पता भी नहीं चला कि एक ही पल में दरवाजा वापस खुल गया है। अब उसने फटी हुई बनियान निकाल कर साइड में रख दी और जैसे ही उसने कच्छा निकाला उसका लौड़ा दीपाली के सामने आ गया। उसका मुँह भी इसी तरफ था.. दीपाली तो बस देखती रह गई।
लौड़े के इर्द-गिर्द झांटों का बड़ा सा जंगल था.. जैसे कई महीनों से उनकी कटाई ना हुई हो और उस जंगल के बीचों-बीच किसी पेड़ की तरह लंड महाराज लटके हुए थे.. हालाँकि लौड़ा सोया हुआ था मगर फिर भी कोई 5″ का होगा और मोटा भी काफ़ी था।
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02-19-2020, 01:44 PM,
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RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
दीपाली चुपचाप वहीं खड़ी बस उसको देखती रही.. वो भिखारी शायद कई दिनों से नहाया नहीं था पानी के साथ उसके बदन से काली मिट्टी निकल रही थी। वो साबुन को पूरे बदन पर अच्छे से मल रहा था.. जब उसने नीचे के हिस्से पर साबुन लगाया तो उसके हाथ लंड को भी साबुन लगाने लगे ... शायद उसे बड़ा मज़ा आ रहा था। लौड़े पर साबुन लगाते-लगाते उसने कई बार लौड़े को आगे-पीछे कर दिया.. जिससे उसकी उत्तेजना जाग गई.. लंड महाराज अंगड़ाई लेने लगे जैसे बरसों की नींद के बाद जागे हों और लंड अकड़ने लगा। ... जब लंड महाराज अपने विकराल रूप में आ गए तो दीपाली की आँखें फटने लगीं और उसका कलेजा मुँह को आ गया और आता भी क्यों नहीं? भिखारी का लौड़ा था ही ऐसा…
(दोस्तो, उसकी लंबाई कोई 9″ की होगी और मोटा इतना कि दीपाली की कलाई के बराबर.. और उसका सुपाड़ा एकदम गुलाबी, किसी कश्मीरी सेब की तरह अलग ही चमक रहा था.. कड़कपन ऐसा कि उसके सामने लोहे की रॉड भी फेल लगे।)
दीपाली के होश उड़ गए। वो नजारा देख कर उसका हाथ अपने आप चूत पर चला गया.. उसकी ज़ुबान लपलपाने लगी। दीपाली मन ही मन सोचने लगी कि इतना बड़ा और मोटा लौड़ा अगर चूसने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए। वो बस उसके ख्यालों में खो गई।
भिखारी 25 मिनट तक अच्छे से रगड़-रगड़ कर नहाया। इस दौरान उसका लौड़ा किसी फौजी की तरह खड़ा रहा। शायद उसे दीपाली की चूत की खुश्बू आ गई थी.. या सामने खड़ी दीपाली का यौवन दिख रहा था।
(अरे नहीं, आप गलत समझ रहे हैं.. भिखारी तो बेचारा अँधा है.. उसको कहाँ कुछ दिखेगा। मैं तो उसके लौड़े की बात बता रही हूँ.. वो थोड़ी अँधा है! हा हा हा हा। चलो बुरा मान गए आप.. मैं बीच में आ गई, आप आगे मजा लीजिए।)
भिखारी नहा कर एकदम ताजा दम हो गया.. उसके जिस्म में एक अलग ही चमक आ गई। उसका रंग साफ था और लौड़ा भी किसी दूध की कुल्फी जैसा सफेद था। भिखारी ने तौलिए से बदन साफ किया और उसे अपने जिस्म पर लपेट लिया।
भिखारी- बेटी कहाँ हो.. मैंने नहा लिया.. लाओ कपड़े दे दो…
उसकी आवाज़ सुनकर दीपाली को होश आया.. उसने दरवाजे को धीरे से बन्द किया।
दीपाली- हाँ यहीं हूँ.. आप तौलिया लपेट लो.. मैं दरवाजा खोल रही हूँ।
भिखारी- हाँ खोल दो.. मैंने लपेट रखा है।
दीपाली ने आवाज़ के साथ दरवाजा खोला ताकि उसको शक ना हो।
दीपाली- बाबा, बाहर आ जाओ आपको दिखता तो है नहीं.. अन्दर पानी है.. कपड़े वहाँ पहनोगे तो गीले हो जाएँगे.. बाहर आराम से पहन लो.. मैं आपको कपड़े दे देती हूँ।
भिखारी थोड़ा शर्म महसूस कर रहा था.. मगर वो बाहर आ गया। दीपाली उसका हाथ पकड़ कर कमरे में ले आई और बिस्तर के पास जा कर उसके कंधे पर हाथ रख कर बैठने को कहा।
भिखारी- बेटी, कपड़े दे दो ना..
दीपाली- अरे बैठो तो.. एक मिनट में देती हूँ ना…
बेचारा मरता क्या ना करता बिस्तर पर बैठ गया। दीपाली अलमारी से हेयर आयल की बोतल ले आई और उसके एकदम करीब आ कर खड़ी हो गई।
दीपाली- अब इतने दिन से नहाए हो.. तो सर में थोड़ा सा तेल भी लगा देती हूँ ताकि बाल मुलायम हो जाएं।
भिखारी- अरे नहीं.. नहीं.. बेटी, रहने दो.. मुझे बस कपड़े दे दो।
वो आगे कुछ बोलता दीपाली ने तेल हाथ में ले कर उसके सर पर लगाने लगी।
दीपाली- रहने क्यों दूँ.. अब लगाने दो.. चुप कर के बैठो.. बस अभी हो जाएगा।
दीपाली तेल लगाने के बहाने उसके एकदम करीब हो गई.. उसके मम्मे भिखारी के मुँह के एकदम पास थे। दीपाली के बदन की मादक करने वाली महक.. उसको आ रही थी। अब था तो वो भी एक जवान ही ना.. अँधा था तो क्या हुआ.. मगर दीपाली के इतना करीब आ जाने से उसकी सहनशक्ति जबाव दे गई और उसका लौड़ा अकड़ना शुरू हो गया। दीपाली ने एक-दो बार अपने मम्मों को उसके मुँह से स्पर्श भी कर दिया और अपने नाज़ुक हाथ सर से उसकी पीठ तक ले गई.. जिससे उसका लौड़ा फुफकारने लगा.. तौलिया में तंबू बन गया।
भिखारी- ब्ब..बस, अब रहने दो.. म..म..मुझे जाना है।
दीपाली- अरे क्या हुआ, बाबा.. अभी तो आपने खाना भी नहीं खाया.. अच्छा ये बताओ मैंने आपके लिए इतना किया आप मुझे क्या दोगे?
भिखारी- म..मैं क्या दे सकता हूँ. बेटी ... मुझ भिखारी के पास है ही क्या देने को?
दीपाली- बाबा, आपके पास तो इतनी कीमती चीज़ है.. जो शायद ही किसी और के पास होगी।
इस बार दीपाली का बोलने का अंदाज बड़ा ही सेक्सी था।
भिखारी- अच्छा, क्या है मेरे पास?
दीपाली ने उसके लौड़े पर सिर्फ़ अपनी एक ऊँगली टिका कर आह भरते हुए कहा- ये है आपके पास.. इसके जैसा शायद किसी के पास नहीं होगा।
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