02-19-2020, 12:43 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
दीपाली वैसे ही नंगी बैठी हुई अपनी चूत को देख रही थी।
अनुजा- क्या बात है बहन.. चूत को बड़ी गौर से देख रही हो.. क्या इरादा है?
दीपाली- कुछ नहीं.. बस देख रही हूँ कि कैसे सूज कर लाल हो गई है.. दर्द अब भी हो रहा है।
अनुजा- एक बार और चुदवा ले.. सारा दर्द भाग जाएगा और मज़ा भी मिल जाएगा।
दीपाली- नहीं दीदी.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. अब मुझे जाना होगा. मम्मी इन्तजार कर रही होंगी।
अनुजा- दीपाली तेरी मम्मी को पता है ना.. तू कहाँ पढ़ने आती है।
दीपाली- हाँ मैंने बताया है और खास आपके बारे में बताया है कि कैसे आप मेरा ख्याल रखती हो।
अनुजा- वेरी गुड.. अब चल जल्दी से अपने घर का फ़ोन नम्बर दे।
दीपाली- क्यों दीदी.. आप क्या करोगी?
अनुजा- अरे पगली ऐसी हालत में घर जाएगी तो तेरी माँ को शक हो जाएगा.. तू एक-दो घंटा यहाँ रुक.. मेरे पास दर्द की दवा है.. तुझे दूँगी… तू जब एकदम बराबर सही से चलने लगेगी.. तब जाना।
दीपाली- वो तो ठीक है.. पर फ़ोन नम्बर से क्या होगा?
अनुजा- तू सवाल बहुत करती है.. नम्बर दे, अभी पता चल जाएगा।
दीपाली से नम्बर लेकर अनुजा उसके घर फोन करती है।
वो कहते हैं ना देने वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।
अनुजा- हैलो मैं अनुजा बोल रही हूँ, वो आंटी क्या है ना कि मेरे पति किसी काम से बाहर गए हैं, मैं घर पर अकेली हूँ, मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है.. आप को ऐतराज ना हो तो दीपाली थोड़ा बाद में आ जाएगी।
दीपाली की मम्मी- अरे नहीं नहीं.. अनुजा बेटी… मुझे क्या दिक्कत होगी… बल्कि तुमने फ़ोन करके मेरी बहुत बड़ी परेशानी ख़त्म कर दी.. दरअसल मेरे भाई की तबीयत खराब है.. मुझे और दीपाली के पापा को गाँव जाना था, मगर दीपाली के कारण मुश्किल हो रही थी। इसके इम्तिहान करीब हैं इसको साथ नहीं ले जा सकते.. और यहाँ अकेली किसी के पास छोड़ नहीं सकते.. अब मेरी दिक्कत ख़तम हो गई.. तुमको परेशानी ना हो तो प्लीज़ एक दिन इसे अपने पास रख लो.. बड़ी मेहरबानी होगी तुम्हारी.. कल शाम तक हम आ जाएँगे।
अनुजा- अरे आंटी आप ये कैसी बात कर रही हो… दीपाली मेरी छोटी बहन जैसी है, आप चिंता मत करो.. मैं उसे संभाल लूँगी।
दीपाली की मम्मी- अच्छा सुनो.. सुबह इसे जल्दी उठा देना. स्कूल के लिए तैयार होने में इसे बहुत वक्त लगता है और इसका बैग और ड्रेस तो यहीं है. प्लीज़ तुम सुबह इसके साथ आ जाना मैं घर की चाबी गमले में रख दूँगी. दीपाली को पता है कहाँ है गमला…
अनुजा- ओके आंटी.. जरूर.. आप बेफिकर रहो।
दीपाली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है।
उसने जब अपनी मम्मी से बात की तब उसको समझ आया और उसने भी ‘हाँ कह दी- आप बेफिकर होकर जाओ दीदी बहुत अच्छी हैं.. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।
विकास को अभी भी कुछ समझ नहीं आया था.. वो बस दोनों को देख रहा था।
|
|
|