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RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
रूम सर्विस --4
सब लोग ऋतु में आए इस बदलाव को देख के हैरान थे… उसी ऑफीस में काम करने वाली एक और सेल्स ऑफीसर थी – पायल. पायल दिल्ली की ही रहने वाली थी..और उसने ऋतु के साथ ही ट्रैनिंग ली थी सेल्स की. पायल ने आके ऋतु से पूछा
“हाय…क्या बात हैं ऋतु आज तो बहुत अच्छी लग रही हो”
“हाय पायल.. अर्रे कुछ नही यार बस ऐसे ही.. वीकेंड पे थोड़ी शॉपिंग करने निकल गयी थी”
“थोड़ी?? अर्रे तू तो सर से पाँव तक बदल गयी हैं”
“हहे अर्रे ऐसा कुछ नही हैं यार… तुम ही बस ऐसे ही”
“अच्छा सुन वो ह्युंडई आइ10 भी तेरी ही हैं ना??”
“ओह वो.. हां मेरी ही हैं… इंस्टल्लमेंट पे ली हैं… ”
“ओके… ऋतु लगता हैं तेरी तो पक्का कोई लॉटरी लगी हैं”
“ऐसा ही समझ ले” और ऋतु उठकर एक फाइल लेके अपने मॅनेजर के कॅबिन में चली गयी लहराती हुई.
उस दिन ऋतु के पास 2 नये क्लाइंट्स आए और उन्होने फ्लॅट्स पर्चेज किए. इन दोनो सेल्स से ऋतु को अछा ख़ासा कमिशन मिला. करण के निर्देश का पालन करते हुए ऋतु के पास सारे जेन्यूवन क्लाइंट्स भेजे जाने लगे. ऋतु दिन ब दिन दुगनी और रात चौगिनी तरक्की करने लगी.
वहाँ करण भी उसके फ्लॅट पे अक्सर आता था और सुबह तक अपनी वासना की आग बुझाकर चला जाता था. ऋतु अब इस नये महॉल में अपने आप को पूरी तरह से ढाल चुकी थी. उसे ऐश-ओ-आराम की यह ज़िंदगी भाने लगी थी.. अक्सर ऋतु और करण ऑफीस के बाद कहीं बाहर जाकर अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाते थे और उसके बाद ऋतु के फ्लॅट पे जाके सेक्स करते थे. करण के पास फ्लॅट की एक चाबी रहती थी. कई दफ़ा जब ऋतु फ्लॅट में लौट-ती थी शाम को तो करण उसे वहीं मिलता था. करण की कंपनी में ऋतु ने रेग्युलर्ली ड्रिंक करना चालू कर दिया था. बिना वाइन वोड्का विस्की जिन कॉग्नॅक या रूम के उसे डिन्नर करने में मज़ा ही नही आता था. जहाँ वो पहले मोहल्ले के टेलर से साल में 2-3 सूट सिल्वाती थी वहीं अब हर वीकेंड शॉपिंग करती थी बड़े बड़े माल्स के उचे शोरूम्स में. डिज़ाइनर लेबल्स पहनने लगी थी. जहाँ पहले उसके पास सिर्फ़ 2 जोड़ी सॅंडल थी अब वहीं दर्जनो थी. ऋतु इस पैसे, शान-ओ-शौकत,और अयाशी की ज़िंदगी में इस कदर घुल मिल गयी थी कि कहना मुश्किल था की यह लड़की पठानकोट के एक साधारण मध्यम वर्गिया परिवार से हैं.
ऑफीस में भी लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे. रूपक ने ना जाने कैसी कैसी बातें कहीं थी पूरे स्टाफ में. बाकी सेल्स ऑफिसर्स ऋतु से ईर्ष्या करने लगे थे. पायल जो की ऋतु की अच्छी सहेली थी उससे दूर हो गयी थी. सभी लोग ऋतु और करण के पीठ पीछे उनके बारे में तरह तरह की बातें करते थे. कुछ लोग तो ऋतु को करण की ‘रखैल’ तक बोलते थे.
ऋतु को भी इस बात का एहसास था. उसे यह अच्छा नही लगता था. वो करण को बेहिसाब प्यार करती थी. उससे तन मन धन से अपना सब कुछ मानती थी… और उनके रिश्ते को .लोग बुरी नज़र से देखें यह उसे गवारा नही था. उसने कई बार यह बात करण के साथ करनी चाही लेकिन करण ने हमेशा टाल दिया.
एक रात जब करण और ऋतु सेक्स करने के बाद बेड पे लेटे हुए थे तो ऋतु ने कहा
“करण… डू यू लव मी?”
“हां ऋतु… इसमे पूछने वाली क्या बात हैं”
“मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में??”
“व्हाट डू यू मीन ऋतु”
“वही जो मैं पूछ रही हूँ.. मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में?”
“तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.. और क्या”
“तुम्हे कैसा लगेगा अगर कोई यह कहेगा की मैं तुम्हारी रखैल हूँ”
“व्हाट!! किसने कहा…. मुझे नाम बताओ उसका”
“किस किसका नाम बताउ करण… हम लोगों की ज़ुबान तो नही बंद कर सकते. तुम और मैं कितने महीनो से यहाँ एक साथ पति पत्नी की तरह रह रहें हैं… लेकिन सच हैं की हुमारी शादी नही हुई हैं. बताओ करण लोगों को क्या नाम देना चाहिए इस रिश्ते को”
“ओह प्लीज़ ऋतु… यह सब बातें फिर से शुरू ना करो. तुम्हे पता हैं मुझे कोई फरक नही पड़ता की कौन क्या सोचता हैं और क्या बोलता हैं”
“तुम्हे फरक नही पड़ता करण क्यूकी तुम एक लड़के हो. अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ सोता हैं तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं. उसे मर्द कहते हैं. लेकिन अगर यही काम कोई लड़की करे तो उसे छिनाल और रंडी कहते हैं. उसे लूज कॅरक्टर कहते हैं”
“ऋतु तुम्हारी बातों से मुझे सर दर्द हो रहा हैं. प्लीज़ स्टॉप इट.” करण ने उची आवाज़ में कहा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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rajsharmaSuper memberPosts: 6450Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
Post by rajsharma » 08 Nov 2014 22:33
“करण तुम हमारे प्यार का ऐसा अपमान होते कैसे देख सकते हो.. क्यू तुम्हे कोई फरक नही पड़ता. क्यू …..”
करण उठा और उसने अपनी जीन्स पहन ली और अपनी शर्ट पहनने लगा..
“कहाँ जा रहे हो करण”
“ऐसी जगह जहाँ मुझे थोड़ा सुकून मिले.”
“इस टाइम… ऐसा मत करो करण.. प्लीज़ ”
करण उसकी बात उनसुनी करते हुए फ्लॅट से निकल गया और दरवाज़ा ज़ोर से ढक दिया. दरवाज़े की धडाम की आवाज़ के साथ ही ऋतु रोने लगी और तकिये में मूह दबा लिया.
करण पुर हफ्ते फ्लॅट पे नही आया… वो कॉर्पोरेट ऑफीस गया पुर हफ्ते… सेल्स ऑफीस नही आया जहाँ ऋतु काम करती थी. ऋतु का मूड पूरे हफ्ते खराब रहा. बिना सेक्स के वो चिड़चिड़ी हो गयी थी. वो हर शाम फ्लॅट में दारू की बॉटल लेकर बैठ जाती और इंतेज़ार करती की करण आएगा. उसने करण को फोन भी लगाया लेकिन उसने फोन नही उठाया. ऋतु ने उसको कई एसएमएस भी भेजे. उसको सॉरी कहा लेकिन कारण नही आया. ऋतु और कारण का 6 महीने का प्यार लगता था अंत होने वाला हैं. ऋतु को अब भी उमीद थी. करण की इस बेरूख़ी से वो बहुत परेशान थी.
शनिवार शाम को फ्लॅट के दरवाजे पे खटखताहत हुई और ऋतु दौड़कर उसे खोलने के लिए गयी. दरवाज़ा खोला तो ऋतु की आँखें चौंक उठी. सामने थी उसकी कोलीग पायल.
“हाय ऋतु”
“हाय पायल” और ऋतु की निगाहें पायल के पास खड़े लड़के पे गयी…
“ऋतु यह हैं कमल.. मेरा बाय्फ्रेंड.”
“ओह हेलो कमल. प्लीज़ कम इन.”
दोनो अंदर आ गये. ऋतु का शानदार फ्लॅट देखके पायल और कमल दंग रह गये.
“ऋतु तुम्हारा फ्लॅट तो अमेज़िंग हैं”
“थॅंक्स पायल.. कहो आज यहाँ का रास्ता कैसे भूल गयी”
“अर्रे बस यार कमल आया हुआ था और हम लोग पास ही माल में शॉपिंग कर रहे थे तो सोचा तुझसे मिलती चलूं… तू तो जानती हैं मैं थर्स्डे और फ्राइडे को छुट्टी पे थी….. कमल आया हुआ था इसीलिए”
“कमल आया हुआ था मतलब?? कमल यहाँ नही रहता क्या”
तभी कमल बोल उठा “ऋतु मैं बताता हूँ.. दरअसल मैं आर्मी में हूँ.. मेजर कमाल नौटियाल और मेरी पोस्टिंग कश्मीर में हैं.. मेरा घर हैं देहरादून में. दीदी दिल्ली में रहती हैं जिनसे मैं मिलने आया था छुट्टी”लेकर
पायल “अच्छा जी सिर्फ़ दीदी से मिलने आए थे तो पिछले 3 दीनो से मेरे साथ क्यू घूम रहे हो.. जाओ अपनी दीदी से मिल लो” पायल ने झूठ मूठ नाटक किया गुस्सा होने का, और तीनो खिलखिला के हस पड़े.
कमल “अर्रे पायल अगर दीदी से मिलने ना आया होता तो 2 साल पहले तुम्हे कैसे मिलता.”
पायल “ऋतु आक्च्युयली कमल की दीदी हमारी पड़ोस मैं रहती है.. एक दिन उनकी छत से कोई कपड़ा उड़ के हमारे आँगन में आ गिरा और कमल साहिब दीवार कूद के हमारे घर में आ घुसे वो कपड़ा लेने… घर पे कोई नही था और मैने शोर मचा दिया की चोर चोर बचाओ बचाओ.”
ऋतु “हाहहाहा वाकई.. यह तो बहुत इंट्रेस्टिंग स्टोरी हैं,… आगे क्या हुआ?”
पायल “आगे क्या.. मोहल्ले वालों ने इनको पकड़ लिया… थोड़ी देर बाद कमल की दीदी ने आके इसको बचाया वरना यह तो उस दिन गया था काम से.”
कमल “बस उसके बाद मुलाक़ातें बढ़ती गयी और तबसे जब भी छुट्टी मिलती हैं तो मैं देहरादून जाने से पहले 1-2 दिन दीदी से मिल लेता हूँ.”
पायल “ठीक हैं सिर्फ़ दीदी से ही मिलना अपनी”
कमल “अर्रे पागल दीदी तो एक बहाना हैं.. मैं तो तुम्ही से मिलने आता हूँ… वैसे ऋतु यू नो इस बार मैं घर जाके मम्मी डॅडी से बात करने वाला हूँ अपने और पायल के बारे में. हम दोनो जल्दी ही शादी करने का सोच रहे हैं”
ऋतु “वाउ!! दट’स गुड न्यूज़… आइ विश यू ऑल दा बेस्ट. दिस कॉल्स फॉर ए सेलेब्रेशन”.
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RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
ऋतु की तो दुनिया ही उजड़ गयी थी… एक हफ्ते पहले वो कितनी खुश थी. अच्छी नौकरी, करण का प्यार, रहने के लिए बढ़िया फ्लॅट, गाड़ी, अच्छे कपड़े, ज्यूयलरी.. सब कुछ था उसके पास… और बस एक झटके में करण उससे दूर हो गया, उसकी नौकरी चली गयी और बाकी चीज़ों का मोह ख़तम हो गया. वो एक हफ्ते से अपने कमरे में पड़ी हुई थी. ना कहीं बाहर गयी ना किसी से मिली ना ही फोन उठा रही थी. गम के सागर में उसकी जीवन की नैया डावाँ डोल हो रही थी.
ऋतु की पुरानी सहेली पूजा को कहीं से पता चला की ऋतु की नौकरी छूट गयी हैं और वो बहुत डिप्रेस्ड हैं. वो एक दिन ऋतु को मिलने आई. दरवाज़ा खटखटाया. ऋतु ने जब दरवाज़ा खोला तो पूजा को देखते ही फूट फूट के रोने लगी और उसके गले लग गयी. दोनो अंदर गये और ऋतु ने पूजा के सामने अपना दिल खोल दिया और सब कुछ बता दिया.. पूजा ने ऋतु को होसला दिलाया और उससे समझदारी से काम लेने का मशवरा दिया.
पूजा के जाने के बाद ऋतु ने खूब सोचा और उसे यह एहसास हुआ की वो अपनी ज़िंदगी एक सेट्बॅक की वजह से बर्बाद नही कर सकती. उसने अगले दिन ही पेपर्स में जॉब के लिए खोज चालू कर दी. रिसेशन की वजह से वैसे ही नौकरियाँ कम थी और जो मिल भी रही थी वो सॅलरी बहुत कम दे रही थी. ऋतु को अब इस ऐशो आराम की ज़िंदगी की आदत पड़ गयी थी. उसकी कार का एमी 10000 रुपये था हर महीने. ऋतु को जल्दी ही कोई जॉब लेनी थी. फ्लॅट का किराया कार का एमी और भी कई खर्चे थे जो.
अंत में ऋतु को एक जॉब मिल गयी. प्रेस्टीज होटेल में हाउस्कीपर की. सॅलरी उसकी उमीद से बहुत कम थी लेकिन ऋतु को कुछ ना कुछ तो चाहिए था. उसके पास थोड़ी बहुत सेविंग थी लेकिन वो काफ़ी नही थी. नौकरी होने से उसका मन भी लगा रहता. ऋतु किसी भी काम को छोटा बड़ा नही समझती थी इसलिए हाउस्कीपर की जॉब लेने में उसे कोई झिझक नही थी.
हाउस्कीपर की जॉब बहुत ही डिमॅंडिंग थी. रोज़ करीब 16 रूम्स की देख रेख का ज़िम्मा ऋतु पे थे. ऋतु पूरे मन से अपना काम करती थी. उसकी मेहनत सबकी नज़र में आ रही थी. उसकी सूपरवाइज़र कुमुद नाम की एक 35 साल की औरत थी. डाइवोर्स और कोई बच्चा नही. कुमुद देखने में बहुत ही खूबसूरत थी और 35 साल की होने के बावजूद उसने अपने आप को इस कदर मेनटेन किया था की कोई उसे देख के 30-32 की ही समझता. बोल चाल के लिहाज से भी कुमुद बहुत सोफिस्टीकेटेड औरत थी. ऋतु का काम कुमुद को बहुत पसंद आया.
ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.
कुमुद -“कम इन”.
ऋतु – “गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया.”
कुमुद -“हेलो ऋतु.. प्लीज़ हॅव ए सीट”.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम”
कुमुद -“ऋतु आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीज बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”.
ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी.. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में.”
कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया.-“ऋतु… यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. ”.
प्रेस्टीज होटेल वाज़ वन ऑफ दा बेस्ट फाइव स्टार होटेल्स इन टाउन. इट वाज़ सिचुयेटेड अट ए प्राइम लोकेशन नियर दा इंटरनॅशनल एरपोर्ट आंड ऐज ए रिज़ल्ट ए लॉट ऑफ डिप्लोमॅट्स, पॉलिटिशियन्स, फॉरिनर्स आंड बिज़्नेस्मेन स्टेड देअर. ए जॉब अट प्रेस्टीज वुड मीन ए स्टेडी सोर्स ऑफ इनकम. ऋतु वाज़ हॅपी. फाइनली शी हॅड बिन एबल टू इंप्रेस हर सूपरवाइज़र आंड वाज़ नाउ बीयिंग अपायंटेड बाइ दा होटेल इन ए पर्मनेंट पोज़िशन.
कुमुद -“ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मी ऑफ युवरसेल्फ. आइ आम स्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन”. शी विंक्ड.
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RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
ऋतु थोड़ी हैरान हुई की कुमुद मेडम ने आँख क्यू मारी लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा.
कुमुद -“क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी”.
ऋतु – “नही मेम ऐसी बात नही हैं… सॅलरी देख के थोड़ा सा मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ आंड मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए.”
कुमुद -“ऋतु .. प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु”.
ऋतु – “मेम … आपसे क्या छुपाना. इसी पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ऑन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड माइ टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. ई वाज़ ऑल्सो गिवन थे स्तर परफॉर्मर अवॉर्ड आंड मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. ”
ऋतु जानती थी उसके सीनियर हमेशा उसको चोदने की फिराक मैं रहते थे
“इतनी इनकम थी वहाँ की मैने पीजी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिड्ज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इंस्टल्लमेंट पे. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे."
“रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बाइयर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी”
ऋतु असली बात छुपा गयी लेकिन कुमुद को इस बात का एहसास हो गया की ऋतु की माली हालत ठीक नही हैं और वो एक फाइनान्षियल क्राइसिस से गुज़र रही हैं. उसको ऋतु में एक महत्वाकांक्षी लड़की की झलक मिली जो यह जानती थी की उसको क्या चाहिए. बस तरीका क्या हैं यह पाने का वो बताने की ज़रूरत थी. कुमुद के दिमाग़ में एक प्लान दौड़ा. और वो मन ही मन मुस्कुराने लगी.
ऋतु जैसे तैसे अपनी सॅलरी में महीने का खर्च चला रही थी… गाड़ी की ईएमआइ फ्लॅट का किराया और उसका रख रखाव सब मिलकर इतना हो जाता था की उसके पास बहुत ही कम पैसे बचते थे. हाथ तंग होने की वजह से अब वो पहले की तरफ शॉपिंग और रेस्टोरेंट्स में खाना नही खा पाती थी. मेकप, ब्यूटीशियन के पास जाना, महनगे कॉफी शॉप्स एट्सेटरा में जाना अब सब बंद हो चुक्का था.
हालात इतने खराब हो गये की वो अपनी गाड़ी की इनस्टालमेंट्स टाइम पे नही दे पाई तो रिकवरी एजेंट्स उसके दरवाज़े पे खड़े हो गये. आख़िरकार उन्होने गाड़ी जब्त कर ली और ऋतु बेबस सी कुछ ना कर सकी. बिना गाड़ी के होटेल पहुचने में उसे देर हो गयी. जब वो होटेल पहुचि तो कुमुद ने उसे आते हुए देखा. उसने आज तक ऋतु को कभी 5 मिनट भी लेट आते हुए नही देखा था. आज ऋतु के 1 घंटा लेट होने पर कुमुद को असचर्या हुआ. उसने ऋतु को रोक के पूछा
“क्या हुआ ऋतु आज तुम लेट कैसे हो गयी.”
“गुड मॉर्निंग मेम. कुछ प्राब्लम हो गयी थी जिसकी वजह से मैं लेट हो गयी”
“क्या हुआ?”
“कुछ नही मेम… अब प्राब्लम नही रही”
“अर्रे बताओ भी क्या हुआ… शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ.”
“मेम…मैं वो…आक्च्युयली..” ऋतु नीचे देखते हुए बोली
कुमुद ऋतु के पास आई और उसके कंधे पे हाथ रखा. ऋतु ने कुमुद की और देखा. ऋतु की आँखें बद्दबाई हुई थी. किस तरह वो अपनी सूपरवाइज़र को बताए की उसकी गाड़ी जब्त कर ली थी रिकवरी एजेंट्स ने क्यूकी उसने ईएमआइ नही दी थी.
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