RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“वादा करो। पहले तुम वादा करो कि अगर मैंने बता दिया तो तुम मुझे नहीं मारोगे मेरी बेटी की अस्मत से नहीं खेलोगे?"
"चल, तू भी क्या याद करेगा किसी रईस से पाला पड़ा था। मैंने वादा किया।” वह बिना एक भी पल गंवाएं बोला।
“त...तुम अपने वादे से मुकर तो नहीं जाओगे?" दास ने सशंक भाव से उससे पूछा।
“ठहर जा हरामखोर। अब क्या हाथ में गंगाजल उठाने से तुझे यकीन आएगा?"
"मैं...मैं बताता हूं।"
“ऊदबिलाव के पुंडे। शुरू हो जा।"
“दास एक क्षण के लिए सोच में नजर आया, फिर उसने गोपाल को साबिर का पता बता दिया।
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बीएमडब्ल्यू यमुना के गहरे ढलान पर इस तरह औंधी पड़ी थी कि उसका आधा हिस्सा यमुना के बहते पानी में डूबा हुआ था, जबकि आधा बाहर सूखे में था। उसका अगला हिस्सा झुलसकर काला पड़ गया था। उसके अग्रभाग में लगी आग हालांकि बुझ चुकी थी लेकिन अगले समूचे हिस्से से जर्द काला धुआं तब भी उठ रहा था।
घटनास्थल के इर्द-गिर्द लोगों की भारी भीड़ जमा हो चुकी थी। ऊपर सड़क के किनारे भी ढेर सारे लोग खड़े थे और नीचे ढलवां स्थान पर भी काफी तमाशबीन लोग उतर आए थे। पुलिस की दो पेट्रोल कारें वहां पहुंच चुकी थीं। फायर ब्रिगेड की भी एक वैन वहां खड़ी थी। उसी फायर ब्रिगेड ने बीएमडब्ल्यू की आग पर काबू पाया था और उसके अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला था।
वह जानकी लाल की बीएमडब्ल्यू थी, जिसमें ड्राइवर समेत कुल चार लोग मौजूद थे। जानकी लाल आगे ड्राइवर की बगल में बैठा था जबकि पिछली सीट पर उसके दोनों हथियारबंद बॉडीगार्ड मौजूद थे।
वह लोग अक्षरधाम मंदिर से होते हुए प्रगति मैदान के लिए आगे बढ़ रहे थे जबकि बीच में पड़ने वाली यमुना के बिल्कुल करीब वह हादसा पेश आया था और पीछे से आती एक तेज रफ्तार स्कार्पियो ने बेहद खतरनाक ढंग से बीएमडब्ल्यू को ठोक दिया था।
उस वक्त स्कार्पियों की रफ्तार सौ से कम तो हरगिज भी नहीं थी। बीएमडब्ल्यू उस वक्त यमुना के दोनों ओर से कवर्ड पुल पर दाखिल होने ही वाली थी जबकि पीछे से लगने वाली जोरदार टक्कर से उसका संतुलन बिगड़ गया था और उसका ड्राइवर बुरी तरह बौखला गया था। जानकी लाल समेत दोनों बॉडीगॉर्ड भी बौखला गए थे। फिर भी ड्राइवर ने बीएमडब्ल्यू को कंट्रोल करने की भरसक कोशिश की थी, लेकिन तभी पीछे आते ट्रैफिक के लश्कर में से किसी दूसरी तेज रफ्तार कार ने उसे आगे से ठोक दिया था।
बुरी तरह अनियंत्रित कार नीचे ढलान की ओर उतर गई, और फिर वह एक तेज आवाज के साथ उलट गई थी। उसके सभी शीशे झनझनाकर बिखर गए थे। फिर वह बेहद भयावह ढंग से कलाबाजी खाती हुई नीचे ढलान पर लुढ़कती चली गई थी।
वह दुर्घटना का बेहद भयावह मंजर था, जिसे देखकर सड़क का ट्रेफिक ठहर गया था। उसमें जबरदस्त हड़कम्प मच गया था।
बीएमडब्ल्यू में मौजूद किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिल सका था।
कितनी ही पलटियां खाने के बाद बीएमडब्ल्यू यमुना किनारे पर पहुंचकर स्थिर हुई तो उसमें मौजूद एक भी शख्स ऐसा नहीं था जो कि सिर से पांव तक लहूलुहान नहीं हुआ था और उसके जिस्म की सभी दो सौ छः हड्डियों का चूरा नहीं बन गया था।
फिर रही-सही कसर एकाएक बीएमडब्ल्यू में लग जाने वाली आग ने पूरी कर दी थी, जो कि गर्म इंजन पर पेट्रोल गिरने की वजह से लगी थी। लेकिन फायर तथा पुलिस कंट्रोल को दी गई सूचना पर आनन-फानन मौकाये वारदात पर पहुंची फायर ब्रिगेड तथा पुलिस की दो पेट्रोल कारों में पहुंचे पुलिस कर्मियों ने बेहद चुस्ती-फुर्ती का प्रदर्शन करते हुए बीएमडब्ल्यू की आग को बुझा दिया था और उसमें फंसे चारों लोगों को बाहर निकाल लिया था।
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