Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ
04-14-2021, 12:43 PM,
RE: Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ
साहिल:: रोना बंद करो तुम प्लीज़, मुझे बताओ क्या बात हैं? क्यों तुम ये सब कर रही हो ? किसके कहने पर तुमने ये सब किया ?

साहिल ने रोते रोते अपने दोनो हाथों को साहिल के आगे जोड़ दिया और बोली:"

" मैं बहुत मजबूर हूं, आपको कुछ नहीं बता सकती। लेकिन अपने ये सब अपनी खुशी या पैसे के लिए नहीं बल्कि मजबूरी में किया हैं।

साहिल ने उसे ज्यादा जोर देना सही नहीं समझा और चुप बैठ गया। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि इसकी आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जिसके चलते ये इतना सब कुछ कर गई।

चुप बैठा हुआ अनूप अचानक से फट पड़ा और बोला:"

" कमीनी तेरी कोई मज़बूरी नहीं हो सकती, तूने ये सब सिर्फ पैसे और मस्ती के लिए किया हैं।

साहिल ने एक जोरदार थप्पड़ अनूप को जड़ दिया और बोला:"

" तुझसे किसने बोलने को कहा ? साले तेरे वजह से इतना बड़ा ड्रामा हुआ हैं। कुछ पता हैं तुझे चल क्या हैं तेरे परिवार के साथ ?

अनूप पूरी तरह से बे इज्जत हो गया था इसलिए कुछ नहीं बोला और आराम से बैठा हुआ अपना गाल सहलाता रहा। लीमा एक बात साफ समझ गई थी साहिल अपने बाप को पसंद नहीं करता और उसे भी यहां बंद किया गया हैं।

साहिल सोच में डूब गया और रूबी के फोन का इंतजार करने लगा।

साहिल के जाते ही रूबी ने दरवाजा खोल दिया और शांता अंदर अा गई। रूबी उसे देखकर एक पल के लिए तो डर गई लेकिन अगले ही पल उसे एहसास हुआ कि साहिल घर के अंदर ही हैं और जरुरत पड़ने पर कभी भी अा सकता हैं।

शांता ने झाड़ू उठाई और काम शुरू कर दिया। सफाई करते हुए बोली:"

" बेटी रूबी तुम मेरे लिए अब इतना खर्च मत किया करो। मुझे अच्छा नहीं लगता ये सब।

रूबी:" कैसी बात करती है आप ? बेटी भी कहती हैं और ध्यान रखने से मना भी करती हो।

शांता:" ये बात नहीं हैं। मैं कैसे तुम लोगो का ये कर्ज उतार पाऊंगी। मैं गरीब इस लायक नही हूं बेटी। ।

रूबी का मन तो कर रहा था कि वो पत्थर उठा कर उसके सिर में मार दे लेकिन वो स्माइल करते हुए बोली:"

" मा और बेटी में कोई कर्ज नहीं होता। आपने अपनी सारी उम्र हमारे लिए ही कुर्बान कर दी तो हमारा भी तो कुछ फर्ज़ बनता हैं ना आपके लिए।

शांता ने इस बार ध्यान से रूबी के चेहरे को देखा तो उसे मासूमियत और भोलापन नजर आया और उसके दिमाग में कहीं ना धमाका सा हुआ कि ये सच में एक अच्छी और भली औरत हैं। क्या मै उसके साथ सही कर रही हूं ?

तभी उसका दिल नफरत से भर गया और सोचने लगी कि मेरे बाप , मा और भाई भी तो नेक इंसान थे, उनके साथ भी तो गलत हुआ। मुझे अपने बदला पूरा करना हैं और ये सब मेरे दुश्मन हैं और दुश्मन अच्छा या बुरा नहीं होता सिर्फ और सिर्फ दुश्मन होता हैं।

रूबी:" क्या हुआ मा? किस सोच में खो गई आप ?

शांता जैसे सपने से जागी और बोली:" कुछ नहीं मुझे अपनी बेटी की याद आ गई थी। वो होती तो बिल्कुल ऐसी तरह मेरा ध्यान रखती।

रूबी हिम्मत करके आगे बढ़ी और शांता का हाथ पकड़ते हुई बोली:"

" क्या मैं आपकी सगी बेटी नहीं हूं ? क्या मेरे प्यार में कोई कमी हैं क्या ?

शांता पूरी तरह से पिघल गई और उसकी आंखे भर आई तो रूबी ने उसके आंसू साफ किए और बोली:'

" बस मा बस। मैं जमीन आसमान एक कर दूंगी, आपकी बेटी को ढूंढने के लिए, दुनिया में किसी भी कोने में हो होगी मैं लेकर आऊंगी l।

दोनो ना चाहते हुए भी एक दूसरे के गले लग गई। दोनो जानती थी कि हम एक दूसरे की दुश्मन हैं और ऐसा उनके चेहरे पर आए गुस्से के भाव से साफ महसूस हो रहा था कि मानो दो ज़हरीली नागिन आपस में लिपटी हुई हो।

शांता जहां रूबी के अच्छे व्यवहार से प्रभावित थी वहीं दूसरी रूबी आज जान गई थी कि आज तक जिस दौलत और शोहरत की ज़िन्दगी वो जी रही है उसकी असली हकदार शांता यानी ज्योति थी। रूबी को कहीं ना कहीं अपने परिवार मतलब अपने ससुर के लिए पर पछतावा हो रहा था।

तभी शांता की आंखे लाल हो गई और चेहरा कठोर होता चला गया और वो एक झटके के साथ रूबी से अलग हो गई और झाड़ू लगाने लगी।

रूबी भी बिना कुछ बोले किचेन में घुस गई और खाना बनाने लगी। रूबी को साहिल की बहुत फिक्र हो रही थी। उसने खाना बनाया और शांता को अपने पास बिठाकर खिलाया।

शांता खाना खाकर फिर से अपने कमरे में चली गई। रूबी ने साहिल को फोन किया तो साहिल तहखाने से बाहर निकला और घर के अंदर अा गया।

साहिल के साथ अनूप भी बाहर अा गया था । ये देखकर रूबी गुस्से से भर उठी और बोली:"

" साहिल तुम इसे क्यों बाहर निकाल लाए ? इसे वहीं सड़ने दो अंदर ही।

अनूप आगे बढ़ा और रूबी के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगते हुए बोला:"

" बस मुझे माफ़ कर दे रूबी, मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा है, अब देखना मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।

रूबी: दूर हटो मुझसे, तुम कुछ नहीं कर सकते, तुम फिर से मुझे उस नीरज के हाथ सोने के लिए मजबूर करोगे।

अनूप:" नहीं , अब ऐसा कुछ नहीं होगा। मेरी आंख पर पड़ी हुई पट्टी अब हट चुकी हैं और मुझे सब कुछ साफ़ साफ़ नजर आ रहा है।

रूबी कुछ बोलती उससे पहले ही साहिल ने उसे इशारे के कुछ समझाया और रूबी बोली:"

" ठीक हैं लेकिन सोच लेना ये तुम्हारे लिए आखिरी मौका होगा।

अनूप:" मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन तुझे कुछ नहीं होने दूंगा।

साहिल:" मम्मी बहुत तेज भूख लगी है। खाना खाया जाए ?

रूबी:" खाना तैयार हैं। तुम दोनो बैठो। मैं खाना लगा देती हूं।

थोड़ी देर बाद ही खाना लग गया और तीनो साथ ने बैठकर खाना खाने लगे।

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RE: Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ - by desiaks - 04-14-2021, 12:43 PM

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