XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-20-2021, 12:03 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
मोमो जिन्न एकाएक ठिठका तो लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा भी ठिठक गए। (इन तीनों के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'जथूरा' एवं 'पोतेबाबा' ।)

* गहरा अंधेरा छाया हुआ था। आकाश में चंद्रमा और तारे नजर आ रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी। परंतु लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा लगातार चलते रहने की वजह से पसीने से तर-बतर थे।

दोनों गहरी-गहरी सांसें लेने लगे।

जबकि मोमो जिन्न गर्दन एक तरफ करके, हौले-हौले सिर हिलाने लगा। स्पष्ट था कि जथूरा के सेवक उसे कोई नया निर्देश
दे रहे थे। इस दौरान मोमो जिन्न की आंखें बंद हो गई थीं। ___

चंद्रमा की रोशनी में लक्ष्मणदास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं। __ “सपन।” लक्ष्मणदास मुंह लटकाकर बोला—“मुझे तो बहुत भूख लग रही है।"

"मझे भी।"

“यहां तो खाने को कुछ भी नहीं है। जंगल जैसी जगह, ऊपर से घना अंधेरा।"

“मोमो जिन्न ने हमें बुरा फंसा दिया।" _“पहले ये कितना अच्छा था जब इसके भीतर इंसानी इच्छाएं आ गई थीं। यार बनकर रह रहा था। खुद भी खाता था और हमें भी खिलाता था। कितने प्यार से बोलता था।” लक्ष्मण दास ने गहरी सांस लेकर कहा।

“अब तो कड़क रहता है।"

“खुद को हमारा मालिक कहता है।"

“जबर्दस्ती मालिक बन गया हमारा। कितना अच्छा बिजनेस करते थे हम । अमीर हैं हम। परंतु मोमो जिन्न ने हम पर कब्जा करके, हमें फकीर से भी बुरा बना दिया। भूखे पेट रहना पड़ रहा


___ “बहुत कमीना है ये।"

_ “बहुत ही कमीना। कहता है कि जिन्न झूठ नहीं बोलते, परंतु इसने सब कुछ हमें झूठ बोला। हमें सोबरा के पास ले जा रहा था। कहता था सोबरा से कहकर, हमें वापस हमारी दुनिया में भिजवा देगा। कसमें खाता था। हम दोनों भोले हैं जो इसकी बात मानते रहें। अब कहता है, सोबरा के पास नहीं जाना है।" ___

"क्योंकि इसके भीतर जो इंसानी इच्छाएं आई थीं, वो गायब हो गई हैं। ये फिर से असली जिन्न बन गया।"

“लेकिन हमारी तो मुसीबत बढ़ गई। यहां तो पेट भरने के लाले पड़ गए हैं।"

सपन चड्ढा थोड़ा करीब आया। मोमो जिन्न पर नजर मारी। मोमो जिन्न अभी भी सुनने-सुनाने में व्यस्त था।

“लक्ष्मण भाग चलते हैं।"

"ये जिन्न हमें भागने देगा तब न।"

"ये बातों में व्यस्त है। मौका अच्छा है।"

“पागल न बन। इसकी नजर हम पर ही है।"

"तो क्या करें?”

"रात को भागेंगे। इससे कहते हैं कि हम थक गए हैं। हमें नींद आ रही है, उसके बाद...।"

"लेकिन जिन्न को तो नींद आती नहीं। ये जागता रहेगा।"

"ओह, ये तो मैं भूल गया था।” ।

"जब तक इसके साथ रहेंगे, ये हमें नचाता रहेगा।"

“मेरे खयाल में हमें नींद लेने का नाटक करना चाहिए और रात को मौका पाते ही खिसक लेंगे।"

"लेकिन जाएंगे कहां?”

"ये बाद में सोचेंगे। पहले इससे तो पीछा छूटे।"

"वो देख, शायद उसकी बातें खत्म हो गई हैं।" मोमो जिन्न सिर हिलाकर इन दोनों की तरफ पलटा।

“तुम दोनों एक-दूसरे के कान में क्या खुसर-फुसर कर रहे हो।" मोमो जिन्न ने दोनों को गहरी निगाहों से देखा। ____

“खुसर-फुसर?" लक्ष्मण दास जल्दी से कह उठा-"क्या कह रहे हो, हम तो एक-दूसरे की थकान और भूख के बारे में...।" ___

"फिर भूख।” मोमो जिन्न मुंह बनाकर कह उठा—"तुम इंसानों की ये बुरी समस्या है कि बात-बात पर कुछ खाने को कहते हो। शुक्र है कि बनाने वाले ने जिन्नों को पेट की बीमारी नहीं लगाई।"

“ये बीमारी तो तुम्हें भी लगी थी, जब तुम जलेबियां-रबड़ी-तरबूज खाते थे और हम तुम्हारी इच्छाएं पूरी करते थे। भूल गए तुम कि तुम्हें सिल्क का कुर्ता-पायजामा भी सिलवाकर... "

“ये बातें मत करो।”

“क्यों-क्या हम गलत... ।”

"बीच में, कुछ वक्त के लिए, किसी ने मेरे भीतर इंसानी इच्छाएं भर दी थीं।" मोमो जिन्न मुंह बनाकर बोला—“तभी तो मेरी इच्छा खाने-पीने और कपड़े पहनने की हुई।"

"तब तुम अपने मतलब को, हमारे यार बन गए थे।"

“वो वक्त मुझे याद मत दिलाओ।"

"क्यों?" सपन चड्ढा ने तीखे स्वर में कहा।

“जिन्न को ये सब सुनना अच्छा नहीं लगता।” मोमो जिन्न ने गहरी सांस ली।

"तब तुमने हमसे वादे भी किए थे।"

“तुमने हमें वापस हमारी दुनिया में पहुंचाने का वादा किया था।"

"तब हम तुम्हारी इच्छाओं के बारे में ढोल पीट देते तो ये बात जथूरा के सेवकों को पता चल जाती। वे तुम्हें मार देते। हमने अपना मुंह बंद रखकर तुम्हारा भला किया और तुम एहसानफरामोश हो कि सब भूल गए।"

"खामोश।” मोमो जिन्न कठोर स्वर में बोला—“जिन्न कभी एहसानफरामोश नहीं होता।”

"लेकिन तुम हो।”

"अपनी जुबान को लगाम दो।"

“तुम कमीने-झूठे-मक्कार... "

मोमो जिन्न गुस्से से आगे बढ़ा और सपन चड्ढा की गर्दन थाम ली।
सपन चड्ढा को अपनी सांस रुकती सी महसूस हुई।

“ये क्या कर रहे हो।" लक्ष्मण दास हड़बड़ाकर बोला—“ये मर जाएगा।"

"इसने मेरे साथ बदतमीजी की।”

“वो तो ठीक है लेकिन जो बातें कही हैं, उसमें कुछ भी झूठ नहीं है।” ___

“तब मुझमें इंसानी इच्छाएं थीं। मुझे अपने अच्छे-बुरे का पता नहीं था।" ___

"लेकिन तुमने हमसे वादे तो किए थे। तब भी तो तुम जिन्न

“म... मेरा गला।” सपन चड्ढा फंसे स्वर में बोला।

“पहले इसका गला छोड़ो।"

मोमो जिन्न ने सपन चड्ढा का गला छोड़ दिया। सपन चड्ढा गला मसलता, गहरी-गहरी सांसें लेने लगा।

"तुम हमें धोखे में रखकर यहां ले आए। लक्ष्मणदास ने कहा।

"तम दोनों मेरे गलाम हो।" ।

"हम किसी के गलाम नहीं हैं।" लक्ष्मणदास गुस्से से कह उठा।

“परंतु तुम हो। जिन्न या तो खुद गुलाम बनता है या बनाता है। मैंने तुम दोनों को.... "

“लक्ष्मण।” सपन चड्ढा गहरी सासें लेता कह उठा—“ये बहुत बड़ा कमीना है।" ___

"मुझे भी ऐसा ही लगता है।"

"तुम्हारी ये हिम्मत कि मोमो जिन्न से इस तरह बात करो।" मोमो जिन्न सख्त स्वर में बोला।

“तुम इसी लायक हो।”

“ओफ्फ—मैंने तुम दोनों को अपना गुलाम बनाकर अपनी इज्जत खराब कर ली है।"

“तुमने जो हमसे वादे किए, वो अब कहां गए। तुम स्वयं ही बेइज्जत जिन्न हो। वरना जिन्न तो ऐसे होते हैं कि जो कह देते हैं मरते दम तक अपना कहा पूरा करते हैं। तुम तो...।"

“आज तक तुम कितने जिन्नों से मिले हो जो ये बात कह रहे हो।” मोमो जिन्न ने दोनों को घूरा।

“ये बात हम तुम्हें नहीं बताएंगे।"

“सीक्रेट है।"

"क्या चाहते हो तुम दोनों?" मोमो जिन्न गम्भीर था।

“हम, वापस अपनी दुनिया में जाना चाहते हैं। तुमने वादा किया था कि हमें हमारी दुनिया में पहुंचा दोगे।

“पहुंचा दूंगा। परंतु कुछ समय बाद ।"

“तुम अब भी झूठ बोल रहे हो।"

“जिन्न को झूठा मत कहो।”

“तुम इस वक्त हमें महाकाली की तिलिस्मी पहाड़ी पर ले जा रहे हो। वहां हम मर गए तो तुम अपना वादा कैसे पूरा करोगे।"
मोमो जिन्न खामोश रहा।

“लक्ष्मण, तुम इसकी किसी बात का भरोसा मत करना।" ___

"कहने की क्या जरूरत है। मैं तो पहले ही भरोसा नहीं कर रहा। सिर्फ इसे भुगत रहा हूं।"

“पहले कहा करता था कि मैं तुम्हारे लिए जान दे दूंगा। इसकी बातों में आकर हम इसे जलेबी-रबड़ी-तरबूज खिलाते रहे। सिल्क के कपड़े सिलवाकर देते रहे और अब... " __

"जिन्न के बारे में कैसी बातें कर रहे हो।” मोमो जिन्न बोला—"मुझे तो घिन आ रही है।"

“तेरे को तो टापू पर अपने हिस्से का खाना भी खिलाया था। तब तू डकार मारा करता था।" __

“छी-छी—कैसी बातें करते हो। भला जिन्न भी कभी डकार मारते

__ “तुम मारते थे।"

"ओह कितना बुरा बन गया था मैं। जाने किस शैतान ने मुझमें इंसानी इच्छाएं भर दी थीं।"

“देख तो कैसा शरीफ जिन्न बन रहा है अब तो।"

"मेरा तो दिल करता है कि पटकी दे दूं इसे।"

"कमीना है ये।”
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