RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
उधर अईयर....
5 मीं तक ऐसे हे घूमता रहा...की क्या करे...तभी उसको सोढी की तरह आइडिया आया.....
टाइम 6:45 बजे.....!!
अईयर बॅग पॅक कर रहा होता है...और उसके शोर से बबीता की आँख खुल जाती है...लेकिन अच्छी तरह से नही उठी होती है...
बबीता :- अईयर ...आआ...उबासी लेती हुई...कहीं जा रहे हो क्या..
अईयर :- हाँ बबीता डार्लिंग ... वो क्या है ना आज ऑफीस का काम में बीच में छोड़ के आ गया था...तो काम बहुत ज़्यादा है...तो इसलिए अभी जा रहा हूँ...और शायद आते आते...थोड़ी देर हो जाए....तो इंतेज़ार मत करना...
पूरी बात एक ही सांस में बोल देता है...
बबीता बस इतना ही बोलती है....ओके...बट टेक केयर हाँ...और जल्दी आ जाना...और फिर से लेट जाती है...
अईयर माँ में....चलो ये बढ़िया हुआ...अब मुझे निकलना चाहिए......
और वो घर से निकल जाने की तैयारी करने लगता है....
टाइम 7 बजे....!!!
पोपटलाल को किसी को क्या बताना था...वो तो कुँवारा था...
वो विंग में से ..इधर उधर देखता है...कोई नही होता सोसाइटी में...सन्नाटा बिल्कुल सन्नाटा होता है....
वो अपने विंग से बाहर आता ही है....उसे रीता दिखाई दे जाती है...जो फोन पे बात कर रही होती है...अपने फ्लॅट के गेट के बाहर....
एक बार तो पोपटलाल घबरा जाता है....लेकिन...वो कुछ सोचता या करता...इससे पहले रीता वापिस अंदर जा चुकी होती है...
पोपटलाल मन में सोचता है...ये ब्रेकिंग न्यूज़ आ गई...काफ़ी दिनो के बाद दिखी...
पोपटलाल...पोपटलाल ...उसको आवाज़ आती है..एक मिनट एक लिए वो घबरा जाता है...मगर जब पीछे मुड़ता है...तो पीछे अईयर खड़ा होता है..
पोपटलाल :- अईयर भाई आप...
अईयर :- उसे बीच में रोकता हुआ...यहाँ बात करना ठीक नही है...चलो चलते हैं...
पोपटलाल ..भी उसकी बात से सहमत होता है...और चल पड़ते है......और दोनो सोसाइटी से बाहर...........!!
टाइम 7 :15 बजे....
तारक के घर....
तारक सोचता है...कि क्या बहाना मारा जाए....वो काफ़ी देर तक सोचता है..लेकिन आज उसका दिमाग़ कुछ काम नही कर रहा था....
तभी उसके दिमाग़ में कुछ आता है...और वो सोढी को फोन कर देता है....
सोढी :- हाँ मेहता साहब...जल्दी आ भाई..में तो यहाँ पहुँच चुका हूँ..
तारक :- भाई मेरा तो आज दिमाग़ ही नही काम कर रहा ...कि क्या बहाना दूं..
सोढी :- मेहता साहब आपको आइडिया नही आ रहा ...ये तो कमाल की बात है..
तारक :- अब भाई नही आ रहा तो क्या करूँ....दिमाग़ को निकाल के फेक दूं...
अच्छा ये छोड़...तू बता तूने क्या बहाना मारा...
और सोढी अपनी सारी बात बता देता है...
तभी तारक की दिमाग़ की बत्ती जल जाती है...
तारक :- वाहह सोढी कमाल हो गया मिल गया आइडिया....
अच्छा चल में तुझसे मिलके बात करता हूँ ओके बाइ...
और फोन कट...
लेकिन तारक कान से फोन नही हटाता...और तेज़ तेज़ बोलने लगता है...
अच्छा......ये क्या बोल रहा है....ओहूओ...अच्छा तू चिंता मत कर...हाँ में आ रहा हूँ...बस पहुँचता हूँ...तू वहीं इंतेज़ार कर मेरा...हाँ भाई बॅस आ रहा हूँ...
इतनी तेज़ तेज़ आवाज़ सुन की अंजलि उसके पास आती है..और बोलती है..क्या हुआ तारक..किसका फोन था..
तारक :- अरे वो सोढी का फोन था..वो बोल रहा था बालू की गाड़ी का आक्सिडेंट हो गया है...और मुझे साथ चलने को बोल रहा है..तो थोड़ी मदद मिल जाएगी..उसी...तो मेने हाँ कर दी...
अंजलि :- हाँ तो अच्छा किया ना आपने...आप को जाना चाहिए...
तारक :- हाँ ठीक है फिर....
और उठ कर कमरे में जाता है..और कपड़े पॅक कर के...बाहर आ जाता है..
बाहर अंजलि मेग्ज़ीन पढ़ रही होती है...
अंजलि :- ये क्या है इस बॅग में...
तारक :- अंजलि कपड़े की ज़रूरत पड़ेगी ना..तो ले जा रहा हूँ....गंदे हो गये होंगे..बल्लू के..तो सोढी ने बोला एक जोड़ी कपड़े ले आना...
अंजलि :- अच्छा ठीक है...अब जाइए.....
और तारक भी निकल जाता है....
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