RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
इकबाल के चेहरे पर मौत का खौफ स्पष्ट नजर आने लगा—हकीकत ये है कि उसके मुंह से बोल न फूट पा रहा था—जबकि तेजस्वी ने दराज खोली—रिवॉल्वर उठाया, नाल पर लगे साइलैंसर को घूरा और बोला—“अब तुम्हारे चेहरे पर मैं मौत के खौफ को बाकायदा कत्थक करते देख रहा हूं दोस्त—तुम जैसी हस्ती के चेहरे पर यह मुझे अच्छा नहीं लग रहा इसलिए अलविदा।”
“पिट् … पिट् …।”
दो गोलियां चलाईं उसने।
एक इकबाल की छाती में जा धंसी, दूसरी ने भेजा उड़ा दिया।
रिवॉल्वर को वापस दराज में रखते वक्त तेजस्वी उसे रूमाल से साफ करना नहीं भूला।
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तो यह था मुख्यमंत्री का ब्रेकफास्ट!
नंबर टेन को लाश ठिकाने लगाने का ऑर्डर देने के बाद जब तेजस्वी कोठी से बाहर निकला तो उसके इंतजार में खड़ी भीड़ पुनः जोर-शोर से नारे लगाने लगी—सुरक्षाकर्मियों ने यांत्रिक तरीके से उसे अपने घेरे में ले लिया।
खुली जीप पर जा चढ़ा वह।
विजय जुलूस पुनः चल पड़ा—अपने स्वागत में उमड़ी भीड़ की तरफ वह ऐसी प्रसन्न मुद्रा में हाथ हिला रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो—चारों तरफ उसकी जय-जयकार के नारे लग रहे थे।
“तेजस्वी … जिन्दाबाद” का शोर था।
प्रतापगढ़ की विभिन्न सड़कों से गुजरता यह जुलूस एक बजे पुलिस मुख्यालय पहुंचा—निर्धारित प्रोग्राम के मुताबिक पहले वहां उसे लंच लेना था—उसके बाद पुलिस ऑफिसर्स की मीटिंग—मीटिंग के बाद पुनः खुली जीप द्वारा हैलीपैड पर पहुंचना था।
ठीक तीन बजे वापसी।
साढ़े तीन बजे राजधानी में भूकम्प-पीड़ितों को कम्बल बांटने थे।
लंच के बाद पुलिस ऑफिसर्स की मीटिंग उसने कुछ इस तरह लेनी शुरू की—
“कहिये मिस्टर शांडियाल, क्या हाल हैं?” उसने सीधे कमिश्नर से पूछा।
कमिश्नर साहब अदब से खड़े होकर बोले—“ठीक हूं सर!”
“और तुम मिस्टर डी.आई.जी.?” तेजस्वी ने कहा—“क्या नाम था तुम्हारा?”
“ए.एल.के. साहनी सर!” डी.आई.जी. हकला गया।
“प्रतापगढ़ में क्राइम की क्या ‘सिच्युएशन’ है?”
“इस बार गनीमत है सर।” एस.एस.पी. ने कहना चाहा—“पिछले साल इन दिनों में …।”
“हम तुम से नहीं, कमिश्नर से पूछ रहे हैं।” तेजस्वी ने ऐसी गुर्राहट के साथ कहा कि एस.एस.पी. बेचारा “सॉरी सर … सॉरी सर।” कहता बैठ गया।
शांडियाल ने कहा—“पिछले साल …।”
“खड़े होकर बताओ।”
“स-सॉरी सर!” कमिश्नर साहब हड़बड़ाकर खड़े हो गए—“पिछले साथ इन दिनों बासठ हत्याएं, पैंतीस डकैतियां, बारह बस लूट की घटनाएं हुई थीं, मगर इस साल अब तक कुल अड़तालीस हत्याएं …।”
“हमें आंकड़ेबाजी में उलझाने की कोशिश मत करो कमिश्नर।”
“ज-जी?”
“इस इलाके में ब्लैक फोर्स सक्रिय है।” तेजस्वी ने कहा—“उसके खिलाफ कोई कार्यवाही हुई या नहीं?”
मीटिंग में सन्नाटा छा गया।
लगभग सभी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो चुकी थी।
सहमी-सी नजरों से एक-दूसरे की तरफ देखते रह गए वे—किसी की समझ में नहीं आया क्या जवाब दिया जाए—उन्हें लगा, अब यह कहें कि ब्लैक फोर्स इलाके में खूब फल-फूल रही है तो पुलिस के मुंह से अजीब सा लगेगा और अगर यह कहें कि उसके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है तो चीफ मिनिस्टर साहब कहीं भड़क न उठें!
जिन्हें ‘सर’ कहते-कहते तेजस्वी की जुबान नहीं थकती थी उनके मुंह से खुद को ‘सर’ सुनने में उसे अलौकिक सुख का एहसास हो रहा था—जिनकी डांट से उसकी सिट्टी- पिट्टी गुम हो जाती थी, उन चेहरों पर मौजूद भावों को देखकर वह आनंदित हो उठा—इस वक्त वे सब बिल्ली की अदालत में खड़े चूहे-से लग रहे थे।
सन्नाटा लम्बा होने लगा तो वह गुर्राया—“क्या हुआ, सबको सांप सूंघ गया—क्या तुम लोग इतने नाकारा हो कि हमारे सवाल का जवाब तक नहीं दे सकते?”
हिम्मत करके एस.पी. सिटी ने कहा—“उनके खिलाफ कार्यवाही चल रही है सर!”
“क्या कार्यवाही चल रही है?”
“पिछले दिनों ब्लैक फोर्स के संरक्षण में चल रहे जुए के अड्डों और कच्ची शराब की भट्टियों पर छापे मारे गए।” एस.पी. देहात ने कोरी गप्पें हांकनी शुरू कर दीं—“बहुत-से लोग पकड़े गए, उन्हें जेल में …।”
“मैं ये पूछ रहा हूं मिस्टर एस.पी. कि ‘जंगल’ में कभी कोई कार्यवाही की जाएगी या नहीं?”
“ज-जंगल में सर …!”
“ये तो, हकलाने लगे!” तेजस्वी दहाड़ा—“तुम जवाब दो कमिश्नर।”
“व-वो सर आप तो जानते हैं—जंगल से उनका सफाया करने के अनेक अभियान छेड़े गए मगर कभी कामयाबी नहीं मिल पाई—उनके पास अत्याधुनिक हथियार हैं—विशेष रूप से जंगल की भौगोलिक स्थिति उन्हें मदद देती है—हर बार पुलिस को ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है—इसलिए ऐसा कोई ऑपरेशन नहीं किया गया।”
“क्या तुम्हारे ख्याल से ऐसा कोई तरीका है जिससे उनका उन्मूलन किया जा सके?”
“हवाई हमला ही एकमात्र तरीका है सर!”
“जब तरीका है तो अब तक इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?”
“हमें कभी किसी सरकार ने ऐसा हमला करने का आदेश नहीं दिया।”
“हम आदेश देते हैं।” तेजस्वी ने जोरदार लहजे में कहा—“हमारे यहां से निकलते ही अर्थात् सवा तीन के आसपास जंगल पर जोरदार हवाई हमला कर दिया जाए—हम कोई बहाना सुनना नहीं चाहेंगे—चाहे जितने बम इस्तेमाल करने पड़ें, लेकिन जंगल में ब्लैक फोर्स का एक भी आदमी जीवित नजर न आए—सुना है, उन्होंने जंगल के नीचे बेसमेन्ट बना रखा है—या तो वह पुलिस के कब्जे में होना चाहिए या ध्वस्त हो जाना चाहिए।”
कमिश्नर सहित सभी पुलिस अधिकारी उसे इस तरह देख रहे थे जैसे सूरज को पश्चिम से उदय होता देख रहे हों—लग रहा था, या तो उनके कान बज रहे हैं या यह वह तेजस्वी नहीं है जिसने ब्लैक स्टार के साथ मिलकर चिरंजीव कुमार की हत्या का षड्यंत्र रचा था और जो आनन-फानन में चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर पहुंचा ही ब्लैक स्टार की मेहरबानियों के कारण है।
तेजस्वी जानता था कि वे दंग हैं।
अगर उनके दिमागों में तेजस्वी के खेलों को समझने की क्षमता होती तो यह दिन ही क्यों देखना पड़ता—वह जानता था, ये लोग इस भ्रम में भी हो सकते हैं कि वह केवल दिखावे के लिए जंगल में कार्यवाही करने की बात कर रहा था—वास्तव में यह सब किया गया तो नाराज हो जायेगा, जबकि सच्चाई ये थी कि अपनी योजना के मुताबिक वह वास्तव में उक्त कार्यवाही कराना चाहता था ताकि नदी के पानी से त्रस्त ब्लैक फोर्स के मरजीवड़े बेसमेन्ट से निकलकर जंगल में आएं तो बरसते हुए बम उनका स्वागत करें।
यह थी तेजस्वी की मुकम्मल योजना।
एक-एक अफसर के चेहरे पर अपनी नजरें फिसलाता हुआ वह कहता चला गया—“रात के आठ बजे हमें हवाई हमले के परिणाम से अवगत कराया जाए—याद रहे, एक बार फिर कहे देते हैं—कोई बहाना नहीं सुनेंगे हम—अगर हंडरेड परसैन्ट कामयाबी की खबर नहीं मिली तो तुम सबको सस्पैंड कर दिया जाएगा।”
आश्चर्य के कारण सभी ऑफिसर्स का बुरा हाल था।
जबकि तेजस्वी ने अपने कुर्ते की जेब में हाथ डाला—रिमोट निकाला और यह सोचकर लाल बटन दबा दिया कि बेसमेन्ट को नदी के पानी से भरने के लिए दो-तीन घंटे तो चाहिएं ही—जब तक वे पानी से त्रस्त होकर ऊपर आएंगे, तब तक बमबारी शुरू हो चुकी होगी।
सभी ऑफिसर्स ने उसे लाल बटन दबाते देखा मगर कोई भला कैसे समझ सकता था कि ये नन्हां-सा बटन दबाकर उसने हजारों लोगों की जल-समाधि का इंतजाम कर दिया है।
तो यह था मुख्यमंत्री का लंच!
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