RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“तुम वही हवलदार हो न जिसे थारूपल्ला ने तेजस्वी को बेहोश करने का काम सौंपा था?”
“हां साब!” पांडुराम ने कहा—“हूं तो वही।”
“हम बेहद बिजी हैं।” कमिश्नर शांडियाल वाकई जल्दी में नजर आ रहे थे—“जो कहना है, एक ‘सेन्टेन्स’ में कहो।”
“मेरे पास बहुत ही महत्त्वपूर्ण जानकारी है साब।” पांडुराम ने कहा—“अगर ऐसा न होता तो मैं रात के इस वक्त यहां न आता।”
“उफ्फो!” कमिश्नर साहब झुंझला उठे—“पता नहीं बाहर खड़े सब-इंस्पेक्टर ने तुम्हें हमारे पास भेज क्यों दिया?”
“उन्होंने टालने की बहुत कोशिश की साब, मगर मैं उनके पैरों में पड़ गया—गिड़गिड़ाया—तब कहीं जाकर आपके पास पहुंच सका हूं—जो सूचना और जानकारी मेरे पास है अगर आपने उसे इसी वक्त सुनने की कृपा न की तो अनर्थ हो जाएगा।”
“जल्दी बोलो।”
“कल रात फार्म हाउस पर चिरंजीव कुमार का मर्डर होने वाला है।”
कमिश्नर साहब अवाक् रह गए—बुद्धि चकरा गई उनकी—जो सूचना उनके ख्याल से अभी केवल ठक्कर और उनके पास थी उसे एक हवलदार के मुंह से सुनकर दंग रह जाना स्वाभाविक था—कई मिनट तक पांडुराम के चेहरे को इस तरह देखते रहे जैसे दुनिया के सबसे बड़े आश्चर्य को देख रहे हों, फिर धीमे स्वर में सवाल किया—“तुम्हें यह जानकारी कहां से मिली?”
“इंस्पेक्टर तेजस्वी के मुंह से साब।” कहते वक्त पांडुराम के जबड़े भिंच गए।
कमिश्नर की आंखें सिकुड़कर गोल हो गईं, बोले—“मतलब?”
“सबसे हैरतअंगेज सूचना यही है साब कि इंस्पेक्टर तेजस्वी इस षड्यंत्र की अगवानी कर रहा है।”
शांडियाल के जहन में विस्फोट हुआ—देशराज के अंतिम शब्द तेजी से दिमाग में गूंजे—उन्हें लगा, तेजस्वी को उनके संदेह के दायरे में लाया जा रहा है—सतर्क हो बैठे वे—जी चाहा, झपटकर दोनों हाथों से हवलदार का गिरेबान पकड़ लें—अपनी इस प्रबल इच्छा को दबाए रखने हेतु उन्हें जबरदस्त मानसिक श्रम करना पड़ा, अपेक्षाकृत शांत स्वर में बोले—“पूरी बात बताओ।”
“आज रात जब सोने के लिए मैं अपने बैडरूम में गया तो मेरी पत्नी खुले दिल से इंस्पेक्टर तेजस्वी और उसके कारनामों की प्रशंसा करने लगी—उसकी बातों से प्रभावित होकर मैंने भी अपना वो कारनामा बयान कर दिया जिसके कारण तेजस्वी काली बस्ती में जाकर थारूपल्ला को मार डालने जैसे काम को अंजाम दे सका।”
“बोलते रहो, हम तुम्हारा इशारा समझ रहे हैं।”
“जोश में पत्नी को वह सब बता तो गया मगर आप समझ सकते हैं, पत्नी पर यह भेद भी स्वतः ही खुल गया कि अतीत में मैं ब्लैक फोर्स के लिए काम करता रहा हूं।”
“उसके बाद?”
“मेरा अतीत जानने के बाद पत्नी ने बहुत धिक्कारा—कहा कि जो कुछ मैं करता रहा हूं, उसके रहते एक पल के लिए भी अपने जिस्म पर पुलिस की वर्दी धारण करने का अधिकारी नहीं हूं—और जो कुछ मैं करता रहा हूं उसका अब केवल एक ही प्रायश्चित है—यह कि इसी समय तेजस्वी नामक देवता के पास जाकर हमेशा के लिए यह वर्दी त्याग दूं, खुद मेरे दिल में भी यही इच्छा प्रबल हुई और मैं सीधा तेजस्वी के फ्लैट पर पहुंचा …।”
ध्यान से सुन रहे कमिश्नर ने कहा—“बोलते रहो।”
“अभी मैं फ्लैट के बंद दरवाजे पर पहुंचा ही था कि अंदर से इंस्पेक्टर तेजस्वी के जोर-जोर से बोलने की आवाज कानों में पड़ी—वह खुद को व्हाइट स्टार कह रहा था।”
“व-व्हाइट स्टार?” शांडियाल भौंचक्के रह गए।
“जी हां!”
“किससे बातें कर रहा था वह?”
“ट्रांसमीटर के दूसरी तरफ ब्लैक स्टार था।”
“बातें बताओ।”
पांडुराम ने जो सुना था, बताता चला गया—अंतिम शब्दों तक पहुंचते-पहुंचते उसका चेहरा लाल-भभूका हो उठा, कहता चला गया वह—“अब आप ही सोचिए साब, यह सब सुनने के बाद मेरी क्या हालत हुई होगी—एक ऐसी नंगी सच्चाई मेरे सामने थी जिसे जानने के बाद मेरे जैसे शख्स का दिमाग ब्लास्ट तक हो सकता है।”
“ख-खामोश!” एकाएक कमिश्नर शांडियाल अभी तक का अपना सारा धैर्य गंवाकर चीख पड़े—“अपनी गंदी जुबान को लगाम दो हवलदार, वरना हम इसे काटकर फिंकवा देंगे।”
“ज-जी!” पांडुराम सकपका गया, कांप उठा वह—“क-क्या मतलब साब?”
“तो तू अभी तक ब्लैक फोर्स के लिए काम कर रहा है?”
“म-मैं समझा नहीं साब।”
“समझने के बच्चे!” कहने के साथ शांडियाल ने झपटकर दोनों हाथों से उसका गिरेबान पकड़ लिया और दांत भींचकर ज्वालामुखी की मानिन्द गर्जे—“अपने आका के निर्देश पर तू हमें जो कुछ समझाना चाहता है उसे हम अच्छी तरह समझ चुके थे—तेजस्वी उसकी आंखों का सबसे बड़ा कांटा है और अब ब्लैक स्टार उसे संदेह के दायरे में फंसाकर ध्वस्त करने की साजिश पर अमल कर रहा है।”
“अ-आप तेजस्वी के आभामंडल में फंसे हुए हैं साब।”
“क्या मतलब?”
“असल में वह कभी वैसा इंस्पेक्टर नहीं रहा जैसा आप और दूसरे अफसर समझते हैं—एक नंबर का धूर्त, हरामी और रिश्वतखोर है वह।” पांडुराम चीखता चला गया—“मनचंदा जैसे लोगों से रिश्वतें लेना, अपने इलाके में हुए क्राइम की रपट दर्ज न करना, गुण्डे-बदमाशों को शह देना उसके मुख्य धंधे हैं—देशराज जैसे पुलिस वालों की बदमाशियां तो उसके पासंग भी नहीं हैं साब … थाने में लुक्का की हत्या तक उसने …।”
“तड़ाक् … तड़ाक् … तड़ाक् …!” कमिश्नर साहब पागल से होकर उसके चेहरे पर चांटे बरसाते चले गए—वे और ज्यादा सहने की मानसिक अवस्था में नहीं रह गए थे।
पांडुराम कदमों में गिर पड़ा, दोनों हाथों से उनके पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ा उठा—“प-प्लीज साब, मेरा यकीन कीजिए … उस हरामी के आभामंडल से बाहर आइए … वह आज तक बचा हुआ ही इसलिए है क्योंकि आप उसके खिलाफ कुछ सुनने को तैयार नहीं होते—अगर आपने मेरी बातों पर विश्वास नहीं किया तो …।”
मगर!
पांडुराम अपना वाक्य पूरा न कर सका।
कमिश्नर साहब जुनूनी अवस्था में उस पर लात-घूंसों की बारिश करते चले गए, साथ ही चीखते जा रहे थे—“हरामजादे … कुत्ते … हमें लगता है तू केवल खौफ के कारण ब्लैक फोर्स का ‘पिट्ठू’ नहीं है, बल्कि बाकायदा उससे ‘पगार’ पाता है।”
पांडुराम उस वक्त फर्श पर पड़ा कराह रहा था जब एकाएक फोन घनघना उठा—गुस्से की ज्यादती के कारण पागल हुए जा रहे शांडियाल ने आगे बढ़कर रिसीवर उठाया—उनकी ‘हैलो’ के जवाब में दूसरी तरफ से मुख्य द्वार पर तैनात सब-इंस्पेक्टर की आवाज उभरी—“मिस्टर ठक्कर आए हैं सर।”
एक क्षण के लिए कमिश्नर साहब दुविधा में फंसे नजर आए किंतु अगले पल बोले—“भेज दो!”
रिसीवर वापस रखते ही वे पुनः कराहते पांडुराम पर झपटे और उसके बाल पकड़कर भीतरी कमरे की तरफ घसीटते हुए गुर्राए—“तेरा हिसाब-किताब इस जरूरी मुलाकात के बाद साफ करेंगे हरामजादे।”
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“गलत सोचा है उन्होंने बल्कि हम तो ये कहेंगे कि अपनी ही चाल में उन्हें बुरी तरह फंसना पड़ेगा!” ठक्कर की पूरी बातें सुनने के बाद कमिश्नर शांडियाल कहते चले गए—“तेजस्वी अपने परिवार की खातिर देश और फर्ज से किसी हालत में गद्दारी नहीं कर सकता।”
“क्या वह अपने परिवार को मर जाने देगा?”
“एकदम से ऐसा भी नहीं कह सकते—मगर हमें लगता है वह ऐसा कुछ करेगा जिससे परिवार भी महफूज रहे और उनका षड्यंत्र भी परवान न चढ़ सके।”
कमिश्नर ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि फोन की घंटी घनघना उठी—उन्होंने हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठाया और दूसरी तरफ से बोलने वाले की आवाज सुनते ही ठक्कर की तरफ बढ़ाते हुए बोले—“कमांडो नंबर वन बात करना चाहता है।”
ठक्कर ने झपटने के से अंदाज में रिसीवर उनके हाथ से लिया, ‘हैलो’ कहा और फिर ध्यानपूर्वक नंबर वन की बात सुनता रहा—वार्ता करीब पंद्रह मिनट चली—ठक्कर केवल हुंकारे भरता रहा—बोला भी तो एकाध ऐसा वाक्य जिससे शांडियाल के पल्ले कुछ न पड़ा—इधर ठक्कर ने रिसीवर वापस क्रेडिल पर रखा, उधर शांडियाल ने कहा—“बड़ी लम्बी वार्ता हुई, क्या मैटर था?”
“आपकी और मेरी सभी शंकाओं के जवाब मिल गए हैं।”
“क्या मतलब?”
“ताजा सूचना के मुताबिक तेजस्वी उनके दबाव में आ गया है।”
“न-नहीं!” शांडियाल की आवाज कांप गई—“ऐसा नहीं हो सकता।”
ठक्कर ने एक-एक शब्द पर जोर दिया—“तेजस्वी और व्हाइट स्टार के बीच सौदा हो चुका है।”
“क्या सौदा?”
“व्हाइट स्टार द्वारा ब्लैक स्टार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक वह कुछ ही देर पूर्व तेजस्वी से उसके फ्लैट पर मिला है—सबसे पहले व्हाइट स्टार ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसका परिवार ब्लैक फोर्स के कब्जे में है—विश्वास आने पर तेजस्वी आतंकित नजर आने लगा, पूछने लगा कि वे लोग चाहते क्या हैं—जवाब में व्हाइट स्टार ने कहा—‘इससे ज्यादा कुछ नहीं कि एक शख्स तुम्हें एक रिवॉल्वर देगा—तुम उस रिवॉल्वर को फार्म हाउस के लॉन में गुलाब के एक पौधे की जड़ में छुपा दोगे।”
कमिश्नर साहब ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि फोन एक बार पुनः घनघना उठा—उन्होंने रिसीवर उठाकर ‘हैलो’ कहा ही था कि दूसरी तरफ से द्वार पर तैनात सब-इंस्पेक्टर की आवाज उभरी—“मेरी बगल में इंस्पेक्टर तेजस्वी खड़े हुए हैं सर, इसी वक्त आपसे मिलना चाहते हैं।”
“क-क्या?” कमिश्नर साहब उछल पड़े—“तेजस्वी?”
“यस सर!”
“भेज दो!” कहने के बाद चेहरे पर हैरत के भाव लिए उन्होंने रिसीवर रखा ही था कि ठक्कर कह उठा—“तेजस्वी इस वक्त यहां क्यों आया है?”
“शायद उसके दिमाग में कोई योजना है …।”
“याद रहे!” ठक्कर ने चेतावनी-सी दी—“आप उससे जिक्र नहीं करेंगे कि हमें क्या कुछ मालूम है!”
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