RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
रात के दो बजे!
गैलरी को पार करके पांडुराम तेजस्वी के फ्लैट की तरफ बढ़ा—अभी उसने बंद दरवाजे पर दस्तक देने के लिए हाथ हवा में उठाया ही था कि जहां का तहां रुक गया—कारण फ्लैट के अंदर से आ रही तेजस्वी की आवाज थी, वह ऊंची आवाज में कह रहा था—“व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर।”
“ब्लैक स्टार हीयर।” यह आवाज बहुत बारीक और धीमी थी।
पांडुराम स्टैचू बना खड़ा रह गया।
कानों में तेजस्वी की आवाज पड़ी—“मैंने योजना बना ली है सर, योजना भी ऐसी जिसे सुनकर आपकी बांछें खिल उठेंगी—सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस योजना के तहत हमारा दुश्मन नंबर वन अर्थात् इंस्पेक्टर तेजस्वी हमारे लिए काम करेगा।”
“क्या बकवास कर रहे हो?”
“योजना सुनने के बाद आप ऐसा नहीं कहेंगे।”
“बको!”
“आप जानते हैं, आज मैं सारे दिन चिरंजीव के काफिले के साथ रहकर बारीकी से सुरक्षा-व्यवस्था का अध्ययन करता रहा—सुरक्षा व्यवस्था निश्चित रूप से लाजवाब ही नहीं बल्कि ‘अभेद्य’ है—वह मंच पर चढ़ा स्पीच दे रहा हो, वी.आई.पी., प्रेस या पब्लिक से मिल रहा हो अथवा जुलूस की शक्ल में सड़क से गुजर रहा हो—हर हाल में तीन सुरक्षा घेरों में रहता है—पहला घेरा स्पेशल गाडर्स का है, दूसरा केन्द्रीय कमांडोज का और तीसरा स्थानीय पुलिस का—अन्य जगहों की सुरक्षा व्यवस्था के विस्तार में न जाकर अगर मैं वहां की सुरक्षा-व्यवस्था के विस्तार पर जाऊं तो बेहतर होगा जहां योजना के मुताबिक लक्ष्य को बेधा जाना चाहिए।”
“गुड।”
“वह जगह उसका अपना फार्म हाउस है।”
“बोलते रहो।”
“कार्यक्रम में अगर कोई आपातकालीन फेरबदल न हो जाए तो वह दोनों रात अपने फार्म हाउस पर गुजारेगा—बल्कि अब तो एक ही रात कहा जाना मुनासिब होगा क्योंकि आज की रात तो गुजार ही रही है—ऊपर वाले ने चाहा और मेरी योजना में कोई अप्रत्याशित अड़चन न आ गई तो कल रात इस वक्त तक वह दुनिया में नहीं होगा।”
“मतलब की बात करो व्हाइट स्टार।”
“आज की अंतिम सभा खत्म करके वह ठीक साढ़े बारह बजे फार्म हाउस पहुंचा—वहां वे लोग इकट्ठा थे जो ज्ञापन देना चाहते थे—रात के एक बजे तक ज्ञापन लिए, प्रांगण ही में छुटपुट बातें करता रहा और ठीक एक बजे सोने के लिए चला गया—प्रोग्राम के मुताबिक अब वह सुबह पांच बजे उठेगा—वह अन्य नेताओं की तरह लेट-लतीफ नहीं बल्कि टाइम का काफी ‘पंक्चुअल’ है। आज सारे दिन के कार्यक्रमों से यह बात सिद्ध होती है—हर सभा में लगभग ठीक टाइम पर पहुंचा—कल के कार्यक्रमों के मुताबिक वह एक घंटे में फारिग होकर फार्महाउस के प्रांगण में आ जाएगा तथा अपने चुनाव प्रचार में जुटे कार्यकर्ताओं के साथ एक घंटे तक भावी रणनीति पर विचार विमर्श करेगा—ठीक सात बजे जुलूस की शक्ल में उस पहली सभा की तरफ रवाना हो जाएगा जो आठ बजे सुबह रखी गई है—उसके बाद कल रात के एक बजे तक लगभग वे ही कार्यक्रम हैं जो आज थे अर्थात् आज की तरह कल रात भी करीब साढ़े बारह बजे फार्म हाउस पर पहुंचकर आधे घंटे तक ज्ञापन लेगा।”
“ज्ञापन वाली बात पर तुम ज्यादा जोर दे रहे हो।”
“क्योंकि मर्डर स्पॉट यही है।”
“ओह!”
“पूरा फार्म पांच एकड़ का है मगर उसके बीचों-बीच करीब दो हजार गज का एरिया ऐसा है जो चारों तरफ से एक वृत्त की-सी शक्ल की चारदीवारी से घिरा है—पन्द्रह फुट ऊंची इस चारदीवारी में अंदर जाने के लिए लोहे का केवल एक गेट है मगर इतना बड़ा कि ट्रक तक अंदर जा सकता है—चारदीवारी के वृत्त के बीचों-बीच करीब चार सौ गज का कवर्ड एरिया है—कवर्ड एरिए के चारों तरफ लॉन है।”
“बोलते रहो।”
“क्योंकि यहां उसे रात के साढ़े बारह से सुबह के सात तक का टाइम गुजारना है अतः फार्म हाउस की सुरक्षा में कहीं किसी किस्म की ढील नहीं बरती गई है—यहां तक कि जिस समय चिरंजीव कुमार वहां नहीं रहता अर्थात् सुबह के सात और रात के साढ़े बारह बजे के दरम्यान भी कोई शख्स बगैर तलाशी के चारदीवारी के अंदर दाखिल नहीं हो सकता।”
“तलाशी कौन लेते हैं?”
“हर स्थान की सुरक्षा का नेतृत्व ठक्कर के हाथ में है—वह अपने कमांडोज, स्थानीय पुलिस और एल.आई.यू. आदि का चाहे जहां, चाहे जिस रूप में इस्तेमाल कर सकता है—चारदीवारी वाले लोहे के विशाल गेट पर मैटल डिटेक्टर से लैस एक कमांडो के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस के जवान निगरानी करते हैं—कवर्ड एरिए के चारों तरफ फैले लॉन में कुल मिलाकर पचास सशस्त्र जवान और दस एल.आई.यू. के जासूस मौजूद रहते हैं—केन्द्रीय कमांडो दस्ते का एक कमांडो चिरंजीव के बैडरूम के अंदर रहता है—उसकी ड्यूटी चिरंजीव के अलावा किसी को भी किसी भी समय कमरे के अंदर कदम न रखने देना है।”
“यानि चिरंजीव अगर वहां न हो तब भी किसी बाहरी व्यक्ति का चारदीवारी के अंदर घुसना संभव नहीं है?”
“जाहिर है।”
“आगे?”
“साढ़े बारह के आसपास चिरंजीव के साथ वहां स्वयं ठक्कर, स्पेशल गाडर्स, एस.एस.पी., डी.आई.जी., एस.पी. सिटी और देहात के अलावा कमिश्नर शांडियाल और इंस्पेक्टर तेजस्वी भी पहुंच जाएंगे—सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो जाएगी।”
दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं उभरी।
तेजस्वी सांस लेने के लिए रुका था, बुरी तरह धड़क रहे दिल पर किसी तरह काबू पाए पांडुराम के कानों में पुनः तेजस्वी की आवाज पड़ी—“साढ़े बारह और एक बजे के दरम्यान विशाल गेट पर तलाशी लेने वालों की संख्या तिगुनी हो जाती है और तीन के हाथ में मैटल डिटेक्टर होते हैं—एक भी ज्ञापनदाता या कार्यकर्ता उनसे गुजरे बिना अंदर नहीं जा सकता। ज्ञापनदाता साढ़े ग्यारह के आसपास फार्म हाउस पर पहुंचने शुरू हो जाते हैं—उन्हीं में से एक हमारा मरजीवड़ा होगा—एक ज्ञापन के साथ पूरी तरह निहत्था पहुंचेगा वह।”
“निहत्था करेगा क्या?”
“इस बात को भूल जाइए कि कोई बाहरी तत्व किसी प्रकार के ‘वैपन’ के साथ चारदीवारी के अंदर पहुंच सकता है इसलिए दाखिल तो उसे निहत्था ही होना पड़ेगा—हां, वहां उसे गुलाब के एक घने पौधे की जड़ में पड़ा रिवॉल्वर मिल जाएगा।”
“वहां रिवॉल्वर कहां से आ जाएगा?”
“तेजस्वी रखेगा।”
“त-तेजस्वी?”
“तभी तो कहा था, दुश्मन नंबर वन हमारे लिए काम करेगा।”
“मगर क्यों, तेजस्वी ऐसा क्यों करेगा?”
“क्योंकि उसके मां-बाप, पत्नी और बेटी आपके कब्जे में होंगे।”
“ओह!”
“आप तुरंत उन्हें अगवा कर लीजिए।”
“ठीक है, हम अभी चिंकापुर स्थित ब्लैक फोर्स के मेजर को हुक्म दे देते हैं।”
“वैरी गुड सर।”
“आगे?”
“साढ़े बारह के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था का एक हिस्सा बना तेजस्वी फार्म हाउस पर पहुंचेगा—जाहिर है, सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े लोगों की तलाशी नहीं ली जाती—उस वक्त तेजस्वी के पास हमारा दिया हुआ एक रिवॉल्वर होगा—उसका काम उसे केवल गुलाब के पौधे की जड़ में छुपाना भर होगा।”
“उसके बाद?”
“पहले से वहां मौजूद हमारा मरजीवड़ा मौका देखकर उसे उठा लेगा—तभी ज्ञापन देने के बहाने चिरंजीव कुमार के नजदीक जाकर इतनी गोलियां चलाएगा कि उसके जीवित रहने का सवाल ही न रह जाए—मरजीवड़े को मालूम होगा कि उसकी हरकत के जवाब में चारों तरफ से सुरक्षाकर्मियों की इतनी गोलियां चलेंगी कि उसकी लाश का पोस्टमार्टम करने वाले ठीक से गिन तक नहीं पाएंगे।”
“उसकी फिक्र मत करो, हमारे एक इशारे पर मरने वालों की पूरी फौज तैयार है।” ब्लैक स्टार ने कहा—“हम खुद भी वहां मौजूद रहना चाहेंगे।”
“क-कहां?” तेजस्वी चौंक पड़ा—“फ-फार्म हाउस पर?”
“हां!”
“ल-लेकिन क्यों?”
“इस विकेट को अपनी आंखों से गिरता देखना चाहेंगे हम।”
“व-वो तो ठीक है सर, लेकिन ये खतरनाक होगा।” तेजस्वी कहता चला गया—“चिरंजीव के अंत के बाद उस चारदीवारी के अंदर जितने भी लोग होंगे, जांच के दरम्यान सबका इतिहास खंगाल लिया जाएगा।”
“फिक्र मत करो, हमें अपना असली इतिहास छुपाने और नकली इतिहास को असली सिद्ध करने की कला आती है।”
“ठीक है सर, आप चिंकापुर में कार्यवाही कराइए—इधर मैं अपना काम करता हूं।”
“ओ.के.!” उधर से इस शब्द को सुनते ही तेजस्वी ने संबंधविच्छेद कर दिया।
फ्लैट के बाहर खड़ा पांडुराम दांत भींचकर बड़बड़ा उठा—‘नहीं साब … नहीं, पांडुराम इतनी आसानी से इस देश को सूली पर नहीं चढ़ने देगा—मैं अभी कमिश्नर साहब के पास जाकर तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोले देता हूं …।’
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“व-वे मुश्किल से एक घंटा पहले ही तो आकर सोये हैं सर।” सशस्त्र सब-इंस्पेक्टर फोन पर गिड़गिड़ा उठा—“क-क्या एकदम जगा देना मुनासिब होगा?”
“उफ्फ … बेवकूफ आदमी!” ठक्कर झुंझला उठा—“तुम इस बहस में उलझकर वे क्षण गंवा रहे हो जिसमें तबाही आ सकती है—उन्हें फौरन जगाकर सूचना दो कि ठक्कर बात करना चाहता है।”
“स-सॉरी सर, मैं कोशिश करता हूं—आप होल्ड रखें।” कहने के साथ उसने वह बटन दबा दिया जिसके परिणामस्वरूप सीधे उस फोन की घंटी घनघना उठी जो कमिश्नर शांडियाल के बैडरूम में रखा था—दो बार रिंग जाने के बाद रिसीवर उठाया गया, अलसाया और थोड़ा झुंझलाहट भरा स्वर उभरा—“क्या बात है?”
“स-साहब।” उसका लहजा कांप रहा था—“ठक्कर साहब बात करना चाहते हैं।”
“ठ-ठक्कर?” शांडियाल अलर्ट नजर आए—“लाइन दो।”
एक क्षण गंवाए बगैर उसने लाइन दी।
“हैलो!” ठक्कर ने बेचैन अंदाज में कहा ही था कि दूसरी तरफ से शांडियाल ने हड़बड़ाहट भरे स्वर में पूछा—“क-क्या हुआ, कोई खास बात है क्या?”
“आप बगैर समय गंवाए चिंकापुर हैडक्वॉर्टर को हुक्म दें कि वे बिजली की-सी गति से वहां रहने वाले तेजस्वी के परिवार को अपने संरक्षण में ले लें।” ठक्कर ने लगभग चीखते हुए कहा।
शांडियाल उछल पड़े—“ऐसा क्या हो गया है?”
“प्लीज, समय मत गंवाइए—एक-एक क्षण कीमती है—सवाल-जवाब बाद में करते रहिएगा, चिंकापुर पुलिस को निर्देश दीजिए कि ब्लैक फोर्स के लोग इंस्पेक्टर तेजस्वी के परिवार को अपने कब्जे में लेने की कार्यवाही करने वाले हैं—किसी भी कीमत पर वे कामयाब न होने पाएं।”
समय की गंभीरता को समझते हुए कमिश्नर ने कहा—“ओ.के.।”
“वहां से जो रिपोर्ट मिले, कृपया तुरंत मुझे इस नंबर पर सूचित करें।” नंबर बताने के बाद ठक्कर ने रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया और इस तरह लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा जैसे मैराथन दौड़ जीतकर आया हो।
कुछ देर कमरे में खामोशी छाई रही।
फिर एकाएक नंबर टू ने कहा—“हमारी इस कार्यवाही से तो उन्हें पता लग जाएगा सर कि हम लोगों ने उनकी ‘फ्रीक्वेंसीज’ कैच कर रखी है और निरंतर ट्रांसमीटर पर उनके बीच होने वाली बातें सुन रहे हैं।”
“ये कहां से पता लग जाएगा?”
“जब चिंकापुर में पुलिस उनके हमले से पहले ही इंस्पेक्टर तेजस्वी के परिवार को अपने संरक्षण में …।”
“इससे ब्लैक स्टार को केवल यह पता लगेगा कि देशराज की मौत के बावजूद उनकी गतिविधियां पुलिस को ‘लीक’ हो रही हैं—यह लीकेज ‘ट्रांसमीटर्स’ की फ्रीक्वेंसीज के कारण है, यह पता लगने की फिलहाल कोई वजह नहीं है और फिर, कार्यवाही ही नहीं करेंगे तो सूचनाएं मिलने का लाभ क्या हुआ?”
“मेरी राय के मुताबिक अभी हमें यह कदम नहीं उठाना चाहिए था।” नंबर वन ने कहा।
“कारण?”
“ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार को अपनी साजिश के मकड़ जाल में गहरे फंसने दें तो ज्यादा ‘गेम’ कर सकेंगे।”
“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि जो वे करना चाहते हैं उसे होने दें?”
“बुरा क्या है सर?” नंबर थ्री ने सोफा सैट के बीचों-बीच पड़ी सैन्टर टेबल पर रखे शक्तिशाली ट्रांसमीटर और उससे कनैक्टिड टेपरिकॉर्डर की तरफ इशारा किया—“जब तक हमारे पास ये हैं तब तक वे कर ही क्या पाएंगे—जो तय करेंगे वह हमें पहले से मालूम होगा—जाहिर है, जिस क्षण चाहें उनके मंसूबों पर पानी फेर सकते हैं।”
फोर ने कहा—“जितनी गोट्स इस वक्त हमारे हाथ में हैं उनके बूते पर दो बड़ी कामयाबियां हासिल कर सकते हैं—पहली, चिरंजीव कुमार के मर्डर के उनके इरादों को ध्वस्त कर देना—दूसरी, ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार को गिरफ्तार कर लेना अथवा मौत के घाट उतार देना।”
“जबकि फिलहाल आपने जो कुछ किया है उससे वे सतर्क जो जाएंगे—इस बात की जांच शुरू कर देंगे कि ‘लीकेज’ आखिर हो कहां से रही है—मुमकिन है, फ्रीक्वेंसीज तक पहुंच जाएं—ऐसी अवस्था में हमारा ये सूत्र भी जाता रहेगा।”
“हम तुमसे सहमत हैं।” ठक्कर की ढेर-सारी खूबियों में से एक यह भी थी कि सामने वाले की बात जंचते ही बेहिचक अपनी गलती कुबूल कर लेता था—बोला—“निश्चित रूप से हमने कमिश्नर को आदेश देकर गलती की है, दरअसल यह सुनते ही कि ये लोग तेजस्वी के परिवार को बंधक बनाकर उसे विवश करना चाहते हैं—इसके अलावा कुछ सूझा ही नहीं कि ऐसा नहीं होने देना चाहिए, ज्यादा गहराई से सोचने का मौका ही नहीं मिला और फिर, समय रहते तुममें से भी तो किसी ने हमें नहीं रोका।”
उत्साहित नंबर वन ने कहा—“मैं रोकना चाहता था सर, लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी।”
“ये काम अब भी हो सकता है।” नंबर टू बोला—“मुमकिन है कमिश्नर चिंकापुर कॉन्टैक्ट न कर पाया हो।”
ठक्कर ने तेजी से फोन की तरफ हाथ बढ़ाया।
तभी घंटी घनघना उठी।
उसने रिसीवर उठाकर ‘हैलो’ कहा ही था कि दूसरी तरफ से शांडियाल का चिन्तित स्वर उभरा—“चिंकापुर से चिन्तित कर डालने वाली खबर है।”
“क्या हुआ?”
“तेजस्वी का मकान खाली पड़ा है, परिवार गायब है।”
“गुड!” यह शब्द ठक्कर के मुंह से स्वतः निकल पड़ा।
शांडियाल चौंक पड़े—“क-क्या मतलब?”
“आपने वहां की पुलिस को आदेश दिया होगा कि तेजस्वी के परिवार को खोजने में धरती-आकाश एक कर दें?”
“जाहिर है।”
“सबसे पहले पुनः चिंकापुर ‘कॉन्टैक्ट’ करके अपना ये आदेश वापस ले लें—वहां की पुलिस से कहें, तेजस्वी के परिवार को खोजने की जरा भी कोशिश न की जाए—इस तरह चुप्पी साध लें जैसे जानते ही न हों कि कोई परिवार गायब है।”
“क्या कहे चले जा रहे हो, दिमाग का फ्यूज उड़ गया है क्या?”
“यह बात मैं ठंडे दिमाग से सोची गई एक योजना के तहत कह रहा हूं कमिश्नर साहब—योजना क्या है, यह मैं इसी वक्त आपकी कोठी पर पहुंचकर बताता हूं—तब तक चिंकापुर पुलिस से वह कहें जो मैंने कहा है—याद रहे, देर करने की अवस्था में एक ऐसी योजना तार-तार होकर बिखर सकती है जिसके बूते पर हम लोग भविष्य में न सिर्फ चिरंजीव कुमार की हत्या के ब्लैक फोर्स द्वारा रचे गए एक और षड्यंत्र को ध्वस्त करने वाले हैं—बल्कि ब्लैक स्टार तक को अपने शिकंजे में फंसा सकते हैं।” कहने के बाद उसने कमिश्नर के जवाब की प्रतीक्षा किए बगैर रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया।
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