RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“हैलो … हैलो देशराज।” शांडियाल ट्रांसमीटर पर चीख पड़े—“तुम्हारी आवाज में यह ‘कमजोरी’ कैसी है, जुबान लड़खड़ा क्यों रही है तुम्हारी—ठीक तो हो?”
“य-ये लोग ये चाहते हैं सर कि मर्डर स्पॉट पर अपने मददगार के रूप में मैं तेजस्वी का नाम ले दूं …।” दूसरी तरफ से देशराज मानो एक ही सांस में सब कुछ कह डालना चाहता था—“ये लोग मेरा भेद जान गए हैं—मेरे जरिए गलत इन्फॉरमेशन रिले कराकर तेजस्वी को आपकी नजरों में गिराना चाहते हैं—तेजस्वी पर कभी शक न करना सर, ये उसे फंसाने की साजिश …!”
‘धांय!’ एक गोली चलने की आवाज उभरी।
उसके बाद गूंजी देशराज की चीख।
वह चीख जो किसी शूल की मानिन्द सीधी शांडियाल के दिल में उतर गई।
अवाक् रह गए वे।
उस शख्स की मानिन्द जिसका क्षण भर में सब कुछ ठग लिया गया हो।
ट्रांसमीटर पर सन्नाटा छा गया—मौत का सन्नाटा था वह और फिर वे पागलों की तरह चिल्लाए—“देशराज … देशराज … हैलो … क्या हुआ तुम्हें … क्या हुआ बेटे?”
दूसरी तरफ मौन छाया रहा और फिर संबंध विच्छेद होने की ध्वनि!
“क-क्या हुआ सर?” नजदीक खड़े तेजस्वी ने तंद्रा भंग की।
“खत्म … सब कुछ खत्म हो गया।” कहने के साथ उन्होंने सिर से हैडफोन उतारा।
“मैं समझा नहीं, क्या खत्म हो गया?”
“द-देशराज।”
“क-क्या?” तेजस्वी उछल पड़ा।
शांडियाल की हालत ऐसी थी जैसे उनका जवान बेटा मर गया हो—“वे उसका भेद जान गए थे …।”
“क-कैसे?”
“ऊपर वाला जाने … मगर अब वह इस दुनिया में नहीं है।”
“ऐसा मत कहिए सर।”
“किसी के कुछ कहने से अब वह जिंदा नहीं हो जाएगा—पता नहीं हमें झूठी सूचना देने के लिए मजबूर करने हेतु कम्बख्तों ने उसे किस-किस तरह और कितना टॉर्चर किया होगा मगर फिर भी … मरता-मरता वह उन्हें शिकस्त दे गया।”
“मैं समझ नहीं पा रहा सर, आप कह क्या रहे हैं?” तेजस्वी पूरी तरह अधीरता का परिचय देता हुआ बोला—“प्लीज, मुझे पूरी बात बताइए … आखिर हुआ क्या है?”
शांडियाल ने सब कुछ बता दिया—जाहिर है, सुनने के बाद तेजस्वी ने ऐसा अभिनय किया जैसे जो कुछ हुआ था, उसका उसे उनसे भी ज्यादा दुःख था, अंततः शांडियाल ने पूछा—“अब क्या करें?”
“अब हम कर ही क्या सकते हैं सर!”
“ठक्कर को बतायें या नहीं?”
“ये सब तो बताना ही पड़ेगा—वरना वह बार-बार यह पूछकर हम लोगों का दिमाग खराब कर देगा कि देशराज की तरफ से क्या रिपोर्ट आई—वैसे भी, जाने कैसे कम्बख्त को स्वयं ही सब कुछ मालूम हो जाता है।”
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“य-ये तो एक नंबर का हरामी निकला सर।” ब्लैक स्टार द्वारा ट्रांसमीटर ऑफ किया जाते ही गोम्बा देशराज की लहूलुहान लाश पर नजर गड़ाए बोला—“इस हालत में पहुंचने के बावजूद साले ने वह नहीं कहा जो आप चाहते थे, बल्कि हकीकत उगल दी, सारा भेद खोल दिया।”
ब्लैक स्टार ने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा—“इसने वही कहा जो हम चाहते थे।”
“ज-जी?” गोम्बा की खोपड़ी कत्थक कर उठी।
“तुम्हारे और हमारे दिमाग में केवल इतना ही फर्क है, हम पहले से जानते हैं कौन शख्स किन परिस्थितियों में क्या करेगा, जबकि तुम यह सब नहीं जान पाते—तुम्हें अब मालूम हुआ है और हम पहले से जानते थे कि हरामीपन में ये अव्वल नंबर है—जो शख्स यहां आया ही मरने के लिए था, किन्हीं भी परिस्थितियों में मजबूर होकर भला वह ट्रांसमीटर पर ऐसा कुछ कह ही कैसे सकता था जो उसकी नजर में हम चाहते हैं।”
“य-यानि?”
“हम चाहते ही वह थे जो इसने किया, अब कमिश्नर की नजर में तेजस्वी से बड़ा दूध का धुला कोई नहीं होगा।”
हालांकि गोम्बा की मोटी बुद्धि में घुस अब भी कुछ नहीं पाया था मगर चुप रह गया, जबकि ब्लैक स्टार ने कहा—“इसे उठाकर जंगल में डाल आओ, गिद्धों के काम आएगा।”
गोम्बा ने लाश उठाकर कंधे पर डाली ही थी कि एक वर्दीधारी युवक ने कक्ष में प्रविष्ट होकर जोरदार सैल्यूट दिया।
“क्या बात है?” ब्लैक स्टार ने पूछा।
“एक शख्स आया है सर, जो अपना नाम गौरिल्ला बताता है।”
“गोरिल्ला … गुड! कहां है?”
“जंगल में, कहता है उसके पास व्हाइट स्टार का अर्जेन्ट मैसेज है।”
ब्लैक स्टार हवा के झोंके की मानिन्द कक्ष से बाहर निकल गया।
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ठक्कर को हैरान होता देखकर कमिश्नर साहब हैरान रह गए—उन्होंने अभी-अभी उसे देशराज के अंजाम की सूचना दी थी और हैरान इसलिए थे क्योंकि अन्य सूचनाओं की तरह ठक्कर के पास यह सूचना पहले से नहीं थी, बोला—“हुआ क्या है, विस्तारपूर्वक बताएं।”
“विस्तार के लिए हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं है—शायद वे लोग देशराज का भेद जान गए थे।”
“किस तरह?”
“क्या कहा जा सकता है …।”
“खैर, देशराज ने ट्रांसमीटर पर कहा क्या?”
“हम उसके बोलने की स्टाइल सुनकर ही चौंक पड़े थे—वह काफी मुश्किल से अपनी आवाज को शब्द दे पा रहा था—उस वक्त नहीं समझ पाए लेकिन बाद में समझ गए—उन्होंने उसे टॉर्चर किया होगा।”
“किसलिए?”
“ताकि ट्रांसमीटर पर वह वह सूचना दे जो वे चाह रहे थे।”
“हम समझे नहीं।”
“वे चाहते थे—देशराज हमसे कहे मर्डर स्पॉट पर उसका मददगार इंस्पेक्टर तेजस्वी होगा।”
“तेजस्वी?” ठक्कर की आंखें गोल हो गईं ।
“मगर देशराज ने वह सब कहने की जगह एक ही सांस में यह बता दिया कि उसके मुंह से ऐसा कहलवाने के पीछे ब्लैक स्टार की मंशा तेजस्वी को हम लोगों की नजरों में संदिग्ध बना देना है—जो कुछ पिछले दिनों तेजस्वी ने किया, उसके कारण दरअसल वह तेजस्वी से सबसे ज्यादा फुंका बैठा है और इसी कारण ऐसी चाल चलना चाहता था जिसमें फंसकर हम खुद तेजस्वी को छठी का दूध याद दिला दें—परंतु देशराज ने वह न कहकर जो वह चाहता था, भांडा ही फोड़ दिया—अपनी इस धृष्टता के कारण उसे मरना पड़ा—मरते-मरते उसने एक ही शब्द कहा था, तेजस्वी पर कभी शक मत करना सर … तेजस्वी पर कभी शक मत करना।”
“अब हमें अपनी रणनीति नए सिरे से तय करनी होगी।” ठक्कर ने कहा—“ये तो है नहीं कि जुंगजू के अभाव में ब्लैक स्टार अपने लक्ष्य को त्याग देगा।”
“हमने ऐसा कब कहा?”
“यानि आप मानते हैं, अब वह कोई नई साजिश रचेगा?”
“निःसंदेह।”
“नई साजिश के बारे में कैसे पता लगे?”
“आप सोचिए, स्थानीय पुलिस पर तो आपको भरोसा ही नहीं है।”
“ऐसा न कहें कमिश्नर साहब, वह मोहरा स्थानीय पुलिस की ही देन था जिसके जरिये अब तक उसकी सूचनाएं मिल रही थीं।”
“यह सच्चाई आप उस रणबांकुरे की मौत के बाद स्वीकार कर रहे हैं।” शांडियाल ने व्यंग्य किया—“हमारा सूत्र मिटा है, आपके वे सूत्र तो काम कर ही रहे होंगे जिनके जरिये सारी सूचनाएं आपके पास हमसे पहले होती थीं—उनके द्वारा पता लगायें ब्लैक स्टार की नई योजना क्या है?”
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कमांडो नंबर वन से लेकर फोर के बीच एक शक्तिशाली ट्रांसमीटर रखा था—कमरे में गूंजने वाली सूं-सूं की आवाज से पता लग रहा था कि वह ‘ऑन’ है—जिस सैन्टर टेबल पर वह रखा था, उसके चारों तरफ सोफे पड़े थे और सोफों पर पड़े थे वे चारों।
निढाल, निरुत्साहित से।
एकाएक नंबर वन ने कहा—“कहीं ‘फ्रीक्वेंसीज’ तो चेंज नहीं हो गई है?”
“तुम अपना भेजा अपने ही पास रखो तो बेहतर होगा।” नंबर टू अपने पोज में किसी किस्म का बदलाव लाए बगैर बोला, “इसका एक्सपर्ट मैं हूं और मेरे इस कथन पर विश्वास करें कि कोई ‘फ्रीक्वेंसीज’ चेंज नहीं हुई है—हमने इन्हीं ‘फ्रीक्वेंसीज’ पर कई बार उनकी बातें सुनी हैं और तब से ट्रांसमीटर यहीं सेट है।”
नंबर टू के इस जवाब के बाद उन तीनों के पास चुप रह जाने के अलावा कोई चारा न बचा।
करीब एक घंटे बाद ट्रांसमीटर से यांत्रिक खड़खड़ाहट उभरी।
चारों एक साथ हड़बड़ाकर चौकस हो गए।
उदासी, निराशा और सुस्ती जाने कहां काफूर हो गई!
चारों के जिस्म में मानो एक साथ बिजली भर गई, नंबर टू ने कहा—“टेपरिकार्डर ऑन करो।”
नंबर वन ने आदेश का पालन लिया।
ट्रांसमीटर से ‘इंटर-कनैक्टिड’ टेपरिकॉर्डर अब ट्रांसमीटर से निकलने वाली किसी भी आवाज को टेप करने के सफर पर निकल पड़ा था—चारों के कान खड़े होकर ट्रांसमीटर से निकलने वाली आवाज को सुनने हेतु सजग नजर आ रहे थे, एकाएक उससे आवाज निकली—“हैलो … हैलो … ब्लैक स्टार स्पीकिंग।”
“व्हाइट स्टार हीयर।” यह किसी अन्य की आवाज थी।
“सारा प्लान चौपट हो चुका है।”
“वजह?”
“जुंगजू दरअसल जुंगजू था ही नहीं।”
व्हाइट स्टार के चौंकने की आवाज—“तो कौन था?”
“भूतपूर्व इंस्पेक्टर देशराज।”
“य-ये कैसे हो गया?”
“पुलिस ने चाल चली थी।”
“अंजाम?”
“अब वह इस दुनिया में नहीं है।”
“मतलब हमारी प्लानिंग पूरी तरह बिखर चुकी है?”
“वह तो हमने शुरू में ही कहा था।”
“तो?”
“तो क्या!” ब्लैक स्टार का लहजा दृढ़ था—“अभी हमारे पास दो दिन बाकी हैं—नई योजना तैयार करो।”
“हालांकि आनन-फानन में नई योजना बनाना और उस पर अमल करना हाथ पर सरसों के उगाने जैसा है, मगर मैं दिमाग घुमाता हूं सर।”
“ओ.के.।” ब्लैक स्टार के इन शब्दों के बाद कमांडोज के बीच रखे ट्रांसमीटर पर संबंधविच्छेद होने की आवाज उभरी, नंबर वन ने हाथ बढ़ाकर टेपरिकार्डर का स्विच ‘ऑफ’ कर दिया।
चारों की आंखें जुगनुओं की मानिन्द जगमगा रही थीं।
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