RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
कमिश्नर शांडियाल जैसी दुविधा का शिकार इस वक्त था वैसी दुविधा में पहले कभी नहीं फंसा था।
“क्या करे वह?”
जो हो रहा था, उसे मालूम था अगर वो हो गया तो उसकी, जेलर की और इंस्पेक्टर देशराज की अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा—इस दृष्टिकोण से उसे ठक्कर को रोकना चाहिए था, मगर दो कारणों से ऐसा नहीं कर सकता था—पहला, वह ठक्कर पर यह भेद नहीं खोलना चाहता था कि कैदी जुंगजू नहीं देशराज है—दूसरा, ब्लैक फोर्स के एक सदस्य की मौजूदगी में यह भेद खोलना अपने आप सारे प्लान को चौपट कर डालना था।
उसे गुस्सा आ रहा था तो केवल इस बात पर कि उनके प्लान के बीच ठक्कर क्यों पड़ा?
सड़क पर मौजूद जेलर, ए.के. सैंतालीसधारी और जुंगजू बना देशराज अभी कीलयुक्त पट्टी का अर्थ समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि अचानक सड़क के दाएं-बाएं से जिन्न की मानिन्द चार साए प्रकट होकर उन तीनों के सिरों पर सवार हो गए, वातावरण में आवाज गूंजी—“हैन्ड्स अप!”
पेड़ पर मौजूद शांडियाल जानता था कि वह आवाज ठक्कर की है।
नंबर वन ने ब्लैक फोर्स के आदमी को संभलने का मौका दिए बगैर उसकी ए.के. सैंतालीस झपट ली—वे तीनों अचानक अपने सिर पर सवार हो गई मुसीबत को पहचान भी नहीं पाए थे कि ठक्कर पुनः गुर्राया—“अगर जरा भी हरकत की तो भून दिए जाओगे!”
“तुम कौन हो और क्या चाहते हो?” हड़बड़ाए हुए जेलर ने हाथ ऊपर उठाते हुए पूछा।
“जब लोग सुनेंगे कि जेलर अपनी गाड़ी में बैठाकर एक खूंखार कैदी को फरार करने का प्रयास कर रहा था तो खुद- ब-खुद मालूम हो जाएगा हम कौन हैं?” ठक्कर एक-एक शब्द को दांतों से कुचल रहा था—“और फिलहाल चाहते केवल ये हैं कि आप लोग आगे का सफर हमारी गाड़ी से करें, तुम्हारी गाड़ी बेकार हो चुकी है।”
देशराज गुर्रा उठा—“तुम शायद जानते नहीं हरामजादों, हम ब्लैक फोर्स के लोग हैं।”
“और हमें केन्द्रीय कमांडो दस्ते के लोग कहा जाता है।”
ठक्कर हंसा।
पेड़ पर चढ़ा बैठा शांडियाल कुढ़ता रहा जबकि ठक्कर और उसके साथी तीनों को कवर किए झाड़ियों के बीच छुपी मारुति जिप्सी की तरफ बढ़ गए—अभी सड़क पार करके उन्होंने कच्चे में कदम रखे ही थे कि शांडियाल के जहन में बिजली सी कौंधी—एक तरकीब सूझी थी उसे—ऐसी, जिसे बेहतरीन तो नहीं कहा जा सकता था मगर परिस्थितियों के मुताबिक आवश्यक जरूर थी—या शायद अपनी योजना पर पानी फिरते देख न सका वह और चीख पड़ा—“ठहरो मिस्टर ठक्कर!”
सब सकपका गए।
ठिठके।
अभी किसी की समझ में यह तक नहीं आया था कि आवाज किस दिशा से आई—जबकि ठक्कर शांडियाल की आवाज को बखूबी पहचान चुका था, बोला—“ये कमिश्नर साहब की आवाज है …।”
“हां!” शांडियाल चिल्लाया—“मैं ही हूं।”
कमिश्नर साहब पेड़ से सीधे जमीन पर कूदे। उनके हाथ में रिवॉल्वर था, उनकी तरफ बढ़ते हुए बोले—“तुम पुलिस के सारे प्लान को चौपट किए दे रहे हो ठक्कर!”
“य-ये आप क्या बेवकूफी कर रहे हैं कमिश्नर साहब?” जेलर चीख पड़ा।
“ठक्कर ने यह बेवकूफी करने पर हमें विवश कर दिया है।”
“ल-लेकिन …!” जेलर ने बौखलाकर ब्लैक फोर्स के आदमी की तरफ देखा।
ठक्कर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, बोला—“पुलिस का प्लान … मैं कुछ समझा नहीं, आप और जेलर मुझे एक ही फिराक में नजर आ रहे हैं।”
“ये कैदी असली जुंगजू नहीं बल्कि उसके रूप में पुलिस का आदमी है।”
“क-क्या मतलब?” ठक्कर चिहुंक उठा।
“हम लोग जुंगजू के भेष में उनके बीच अपना आदमी भेज रहे थे—तुमने बीच में टपककर सारा गुड़ गोबर कर दिया।”
“ओह!” ठक्कर का स्वर बता रहा था कि उसकी समझ में सब कुछ आ गया है, ब्लैक फोर्स के आदमी की तरफ पलटकर बोला वह—“ल-लेकिन यह भेद आपने इसके सामने …।”
“हमें मजबूर कर दिया तुमने—जो किया है, अगर वह न करते तो क्या पेड़ पर काठ के उल्लू की तरह बैठे अपनी योजना को रसातल में मिलते देखते रहते? तुम इन सबको गिरफ्तार करके ले जा रहे थे …।”
“ल-लेकिन अब ब्लैक फोर्स के इस मैम्बर की जानकारी में यह आ जाने से भी तो योजना चौपट हो गई कि जिसे वह जुंगजू समझ रहा था, वह पुलिस का आदमी है?”
“इसी खौफ के कारण तो इतनी देर से पेड़ पर मिट्टी के माधो बने बैठे थे, मगर फिर दिमाग में एक तरकीब आई।”
“क्या?”
“ब्लैक फोर्स के इस आदमी को मार दिया जाए …।”
हालांकि सबके दिमाग में ख्याल उभरा—“इससे क्या होगा? मगर ठक्कर के दिमाग में यह सवाल नहीं उभरा क्योंकि वह समझ चुका था कमिश्नर साहब क्या चाहते हैं, उसके मुंह से एक ही शब्द निकला—“गुड!”
इधर ब्लैक फोर्स का मेम्बर समझ चुका था उसकी मौत निश्चित है—मौत से डरता नहीं था वह मगर दिमाग में विचार उभरा—‘अगर मैं न रहा तो ब्लैक स्टार को यह बताने वाला कोई न होगा कि जुंगजू के भेष में असल में पुलिसिया है …।’ इसी विचार के वशीभूत वह जान बचाने की खातिर एक तरफ को भागा।
मगर।
‘धांय … धांय!’ कमिश्नर के रिवॉल्वर ने दो शोले उगले।
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जेलर का सारा परिवार एक बैड पर रस्सियों से जकड़ा पड़ा था—मुंहों पर टेप चिपके हुए थे और तीन ए.के. सैंतालीसधारी बैड के तीन तरफ कुर्सियां डाले आराम से बैठे थे।
अचानक गैलरी में भागते कदमों की आवाज उभरी।
तीनों सतर्क हो गए।
भागते हुए जेलर और जुंगजू कमरे में प्रविष्ट हुए—उन पर नजर पड़ते ही तीनों एक साथ कुर्सियों से उछलकर खड़े हो गए।
दोनों धूल से अटे पड़े थे—कपड़े जगह-जगह से फटे हुए—जिस्म के विभिन्न हिस्सों से खून बह रहा था—बुरी मुसीबत से दो-चार होने के बाद यहां पहुंचे हैं।
“क-क्या हुआ?” उनमें से एक ने पूछा।
“स्पेशल कमांडो दस्ते के लोग थे वे …।” जेलर कह उठा—“वे न जाने कम्बख्त कहां से टपक पड़े—जेल रोड पर उन्होंने हमें घेर लिया, गाड़ी के चारों टायरों में कीलें धंसा दीं। बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागे हैं …।”
“हमारा साथी कहां है?”
“वह मारा गया।”
“म-मारा गया?” तीनों एक साथ चिहुंक उठे—“कैसे?”
“कमांडो दस्ते की चीफ की गोली लगी थी उसे—डिटेल बताने का वक्त नहीं है—उन्होंने जेलर को पहचान लिया था, मुमकिन है सीधे यहां आयें …।” हड़बड़ाया सा जुंगजू एक ही सांस में कहता चला गया—“वे यहां पहुंच गए तो बचकर निकलना मुश्किल हो जाएगा।”
“ल-लेकिन कमांडोज को हमारे मिशन की भनक कैसे लग गई?”
“सनसनाती गोलियों के बीच क्या मैं उनसे ये पूछता?”
ब्लैक फोर्स के तीनों मैम्बर अभी हकबकाई अवस्था में ही थे कि जेलर ने कहा—“बरबाद तो मैं हो ही चुका हूं—जान पर खेलकर जुंगजू को यहां तक इसलिए लाया ताकि अपने परिवार को बचा सकूं—मैंने अपनी ड्यूटी निभा दी है—अब अगर इसे यहां कुछ हो जाए तो मेरी जिम्मेदारी नहीं है, मेरे परिवार के किसी मैम्बर को हाथ तक नहीं लगाओगे तुम लोग।”
“चलो!” उनमें से एक ने जुंगजू का हाथ पकड़कर दरवाजे की तरफ जम्प लगा दी—बाकी दोनों भी उसके पीछे लपके—सबके निकलते ही जेलर ने झपटकर बैडरूम के दरवाजे की चटखनी अंदर से चढ़ा दी—वापस आकर धम्म से सोफे पर गिरा और बुरी तरह हांफने लगा।
अभी वह अपनी उखड़ी सांसों को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाया था कि कोठी के बाहर से फायरिंग की आवाज सुनकर उछल पड़ा, लपककर बैड के चारों तरफ बंधी रस्सी को खोलता हुआ बोला—“फिक्र मत करो, कमांडोज उन्हें रोकने का नाटक कर रहे हैं—सिर्फ नाटक … ताकि हम पर हमले की कहानी सच्ची साबित की जा सके—वास्तव में वे ब्लैक फोर्स के लोगों को रोकने में इन्ट्रेस्टिड नहीं हैं …।”
परिवार का हर सदस्य उनकी तरफ ऐसी नजरों से देखने लगा जैसे पागल हो गया समझ रहा हो।
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