RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“हैलो … हैलो।” हैलीकॉप्टर में बैठा थारूपल्ला माइक पर जोर-जोर से चीख रहा था—उसे लग रहा था आवाज वहां नहीं पहुंच रही है जहां पहुंचाना चाहता था, इसीलिए चीखना पड़ रहा था उसे, मगर हल्की सी यांत्रिक खड़खड़ाहट के बाद हैडफोन के जरिए उसके कानों में आवाज पड़ी—“हैलो सर, हैलो … मैं कुछ कहना चाहता हूं, क्या मेरी आवाज आप तक पहुंच रही है?”
“हां, बोलो!” थारूपल्ला ने जोर से माइक पर कहा।
“एक जरूरी मैसेज है सर।” दूसरी तरफ से कहा गया।
“उसे छोड़ो, पहले हमारे सवाल का जवाब दो।” थारूपल्ला गुस्से में नजर आ रहा था—“हमें वह ट्रक अभी तक अपने स्थान पर खड़ा क्यों नजर आ रहा है जिसे प्लान के मुताबिक अब से पांच मिनट पूर्व इंस्पेक्टर को साथ लेकर चल पड़ना चाहिए था?”
“मैसेज उसी संबंध में है सर—उस तरफ वाली टुकड़ी के मुताबिक ऑपरेशन नाकाम हो गया है।”
“क-क्या?” थारूपल्ला दहाड़ उठा।
“स-सॉरी सर।” आवाज से जाहिर था कि दूसरी तरफ वाला कांप रहा है।
“कैसे हो गया ये सब? मुख्य ऑपरेशन कैसे नाकाम हो गया?”
“मुझे केवल इतना बताया गया है कि एस.पी. सिटी इंस्पेक्टर को गैलरी के एक मोड़ तक ले आया था मगर उसके बाद जाने क्या हुआ, इंस्पेक्टर एस.पी. का मर्डर करने के बाद वापस इमारत में चला गया।”
“यानि इस वक्त वह मुख्यालय में है?”
“यस सर।”
“तो हम मुख्यालय को मलबे के ढेर में कैसे तब्दील करेंगे?” थारूपल्ला दहाड़ उठा।
“मजबूरी है सर, आपको उसके रहते इमारत पर बमबारी शुरू कर देनी चाहिए—इमारत के अंदर मोर्चा संभाले वे लोग हम पर पहले ही से भारी पड़ रहे हैं—अगर आपने तुरंत इमारत को ध्वस्त करके इसे सभी पुलिसवालों की कब्रगाह न बना दिया तो हम लोग जबरदस्त संकट में फंस जाएंगे।”
“नहीं … जब तक इंस्पेक्टर इमारत में है तब तक हम वहां एक भी बम नहीं गिरा सकते।”
“त-तो क्या करें सर?”
“क्या इंस्पेक्टर को बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं है?”
“मेरी समझ में नहीं आ रहा, आप ही बता दें तो बेहतर होगा।”
बेचारा थारूपल्ला!
क्या बता देता?
एस.पी. सिटी की मौत उसकी मुकम्मल योजना को पीट चुकी थी, लगभग पस्त स्वर में हुक्म दिया उसने—“जैसे भी हो, अपने बाकी साथियों के साथ काली बस्ती पहुंचो।”
चकित स्वर—“जंग बीच में छोड़कर?”
“जिस जंग से कोई लाभ नहीं निकलना, उसे लड़ते रहना बेवकूफी है।” दहाड़ने के साथ उसने ट्रांसमीटर ऑफ कर दिया और सीधा चालक से बोला—“वापस चलो।”
“व-वापस?” वह चौंका, पॉलीथीन की थैली में रखे ढेर सारे बमों की तरफ देखता हुआ बोला—“आपने तो कहा था इनके इस्तेमाल से पुलिस मुख्यालय को मलबे का ढेर बना देना इस मिशन का क्लाइमैक्स होगा?”
“बकवास बंद करो।” थारूपल्ला चिंघाड़ उठा—“और वापस चलो।”
चालक सहम गया।
मुंह से बोल न फूटा।
मगर यह बात उसकी समझ में बिल्कुल नहीं आ रही थी कि जब बम भी हैं और वह इमारत भी जिसे ध्वस्त करने के टार्गेट से यहां आए थे तो बगैर टार्गेट पूरा किए वापस जाने का हुक्म क्यों मिला है—अभी वह इसी उलझन में फंसा हुआ था कि ‘टांय’ से गोली हैलीकॉप्टर की टंकी में आ लगी।
हैलीकॉप्टर लड़खड़ाया।
“इसे संभाल बेवकूफ!” चीखने के साथ थारूपल्ला ने बगल में रखी ए.के. सैंतालीस उठाकर पुलिस मुख्यालय की छत पर नजर आ रहे उस एकमात्र शख्स पर गोलियां बरसा दीं जिसने हैलीकॉप्टर पर गोली चलाने की हिमाकत की थी, मगर उस शख्स को गोलियों से बचकर वाटर टैंक के पीछे छुपते उसने साफ देख लिया।
मारे गुस्से के मानो पागल हो गया थारूपल्ला, दहाड़ा—“मैं इस हरामी के पिल्ले को नहीं छोड़ूंगा, हैलीकॉप्टर उधर लो।”
“सॉरी सर।” चालक बौखलाया हुआ था—“टंकी में आग लग चुकी है।”
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“बात समझ में नहीं आई तेजस्वी।” कमिश्नर शांडियाल ने पूछा—“तुमने हमसे अकेले में मिलने की इच्छा क्यों प्रकट की?”
“एक ऐसी घटना घट गई है सर, जिसके बाद मुझे किसी पर कोई विश्वास नहीं रह गया है।”
वहां मौजूद नंबर वन ने पूछा—“और हम पर?”
“पूरी बात सुनने के बाद आप लोगों को अपनी यहां मौजूदगी का कारण समझ में जा आएगा।”
“तो बोलो, ऐसी क्या खास बात करनी है जिसे बताने के लिए तुमने हमें इकट्ठा किया है?”
“एस.एस.पी. साहब ने मेरी इन बांहों में दम तोड़ा है।” तेजस्वी की आवाज गमगीन हो उठी, आंखें शून्य में स्थित हो गईं—जैसे कुम्बारप्पा की मौत का दृश्य इस वक्त भी आंखों के सामने मौजूद हो, कहता चला गया वह—“किसी ने सच कहा है—मरते हुए इंसान के भीतर मौजूद सभी शैतानों के ऊपर उसकी पवित्र आत्मा हावी हो जाती है—ऐसा ही शायद एस.एस.पी. साहब के साथ हुआ था तभी तो … तभी तो मरने से क्षण-भर पूर्व वे मुझे वह सब बता गए जो उनकी जिंदगी में अगर किसी को पता लग जाता तो या खुद मर जाते या जानने वाले को मार डालते।”
सबका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
नम्बर वन ने पूछा—“ऐसा क्या कहा उन्होंने?”
“बोले, अपने जीवन में जो कुछ मैंने किया आज … इस वक्त मुझे उस पर पश्चाताप हो रहा है तेजस्वी, चंद नोटों की एवज में मैंने अपना ईमान, धर्म, सत्य, निष्ठा सब कुछ बेच डाला और मैंने ही क्यों डी.आई.जी. चिदम्बरम भी तो पाप के उसी रथ पर सवार थे।”
“च-चिदम्बरम?” शांडियाल उछल पड़े—“चिदम्बरम के बारे में उसने ऐसा कहा?”
“हां।”
“क्या बताया एस.एस.पी. ने?” नंबर टू व्यग्र हो उठा—“किसके हाथों बिके थे वे?”
“ट्रिपल जैड के हाथों।”
“क-क्या?” एक साथ पांचों उछल पड़े।
“अब समझ में आ गया होगा मैंने आप लोगों को यहां क्यों बुलाया—दरअसल ट्रिपल जैड से संबंधित जानकारी मैं आप ही लोगों को देना चाहता था—क्योंकि इस शख्स की प्रतापगढ़ में मौजूदगी की बात आपके चीफ ने मीटिंग में सबसे पहले कही थी।”
“एस.एस.पी. ने और क्या बताया?”
“गोलियों से बुरी तरह छलनी थे वे—मैं पूछता रह गया कि ट्रिपल जैड के लिए वे क्या काम करते थे, उन्होंने बताने की कोशिश भी की, मगर मुंह से अल्फाजों की जगह रूह निकल गई—न ये बता सके कि ट्रिपल जैड उनसे क्या काम ले रहा था—न ही यह कि वह कहां रहता है, उनसे और चिदम्बरम से कहां मिलता था।”
गुस्से की ज्यादती के कारण शांडियाल का संपूर्ण जिस्म कांप रहा था, मुंह से शब्द भभकती आग की मानिन्द फूटे—“इन सवालों का जवाब चिदम्बरम को देना होगा—हम उसे इसी वक्त यहां बुलाते हैं।”
“मेरे ख्याल से यह उचित नहीं होगा सर।” नंबर वन ने कहा।
“क्यों?” शांडियाल दहाड़ उठे—“क्यों उचित नहीं होगा—अगर पुलिस का इतना बड़ा अफसर देशद्रोहियों के हाथों बिका हुआ है तो बाकी बचा ही क्या?”
“बस सर … बस!” तेजस्वी कह उठा—“मात्र यही एक बात मेरे दिलो-दिमाग को लील गई—मरते हुए एस.एस.पी. साहब ने जो कुछ बताया, उसके बाद मुझे किसी पर कोई विश्वास नहीं रह गया है।”
“हमें भावुकता और उत्तेजना पर काबू पाकर धैर्य से काम लेना होगा।” नंबर वन कहता चला गया—“हमारा उद्देश्य ट्रिपल जैड तक पहुंचना है और अगर मरते हुए कुम्बारप्पा के बयान को सच मान लिया जाए तो डी.आई.जी. चिदम्बरम वह एकमात्र शख्स है जिसके माध्यम से यह काम हो सकता है—मगर तभी जब वक्त से पहले उस पर जाहिर न होने दें कि मरते हुए कुम्बारप्पा ने किसी से कुछ कहा था, क्यों इंस्पेक्टर?
“मैं इस बारे में अपनी कोई राय प्रकट करना मुनासिब नहीं समझता।” तेजस्वी ने सपाट लहजे में कहा—“जो इन्फॉरमेशन मिली थी वह आप तक पहुंचा दी—अब आपको जो उचित लगे करें—मेरा लक्ष्य स्टार फोर्स है—ट्रिपल जैड की तरफ ध्यान देकर मैं अपने दिमाग को ‘डाइवर्ट’ करने के पक्ष में नहीं हूं।”
“फिर भी, क्या ये मुनासिब होगा कि बगैर ट्रिपल जैड तक पहुंचने की कोशिश किए चिदम्बरम पर हाथ डाल दिया जाए?”
“मेरे ख्याल से नहीं।”
“ओ.के.।” शांडियाल ने कहा—“चिदम्बरम के जरिए ट्रिपल जैड तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी।”
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