RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“मुझे ब्लैक स्टार से मिलना है।”
“कोड?”
“गधे का बच्चा।”
“ओह!” राइफलधारी की आंखों में उसके लिए सम्मान के भाव उभर आए, बोला—“ब्लैक स्टार का आर्डर है आपको आते ही उनसे मिलाया जाए, एक सेकेंड भी बरबाद करने की इजाजत नहीं है।”
“तुम आधा सेकेंड बरबाद कर चुके हो।” खुद को गधे का बच्चा कहने वाले पतले दुबले शख्स के होंठों पर मुस्कान उभर आई, उसके जिस्म पर मिलिट्री पुलिस की-सी वर्दी थी।
“आइए।” कहने के साथ राइफलधारी एक लिफ्ट की तरफ बढ़ा।
पतला शख्स उसके पीछे था।
लिफ्ट के नजदीक पहुंचकर राइफलधारी ने एक बटन दबाया—हल्की सरसराहट के साथ दरवाजा खुल गया, राइफलधारी ने कहा—“लिफ्ट में गोताखोरी का लिबास है, आप उसे …।”
“मालूम है।” कहता हुआ वह लिफ्ट में दाखिल हो गया।
बटन दबाकर दरवाजा बंद करते हुए राइफलधारी ने कहा—“इसका मतलब आप इस रास्ते से पहले भी ब्लैक स्टार के पास जा चुके हैं?”
“करेक्ट!”
राइफलधारी ने एक और बटन दबा दिया।
सरसराहट की आवाज के साथ लिफ्ट ने नीचे सरकना शुरू किया।
लिफ्ट आम लिफ्ट की तरह इस्पात की बनी हुई नहीं थी, बल्कि उसकी छत, दीवारें और फर्श तक कांच का था—पारदर्शी कांच के पार, ‘लिफ्ट-वे’ की दीवारें स्पष्ट चमक रही थीं—एक कोने में गैसमास्क सहित गोताखोरी का लिबास पड़ा था—पतले व्यक्ति ने उसे उठाया।
लिफ्ट करीब पन्द्रह मिनट बाद स्वतः रुक गई।
तब तक उसका संपूर्ण जिस्म गोताखोरी के लिबास से ढक चुका था—चेहरे पर गैसमास्क और पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर था—लिफ्ट की चारों दीवारों और फर्श के पार हर तरफ पानी-ही-पानी नजर आ रहा था—उसने एक बटन दबा दिया।
चमत्कारिक ढंग से लिफ्ट का फर्श उसके पैरों के नीचे से सरक गया।
पानी में डूबता चला गया वह।
लिफ्ट उसी अवस्था में ऊपर उठती चली गई—फर्श उस वक्त स्वतः यथास्थान फिक्स हो गया जब लिफ्ट पानी से ऊपर पहुंच गई—उधर, गोताखोरी के लिबास में छुपा पतला शख्स तेजी के साथ एक निश्चित दिशा में तैरता चला गया।
परंतु!
स्वतंत्रतापूर्वक बहुत देर तक न तैर सका—शीघ्र ही पानी में डूबी चट्टानों के पीछे से प्रकट होकर आठ ‘मझरगन’ धारियों ने उसे घेर लिया—सभी के जिस्मों पर गोताखोरी का लिबास था—अगर यूं कहा जाए तो गलत न होगा कि पतले शख्स ने आगे का सफर उनकी कैद में पूरा किया—मगर इस कैद पर उसे कोई आपत्ति न थी—उनके निर्देश पर आराम से तैरता चला गया वह।
वे उसे एक पनडुब्बी में ले गए।
पानी से बाहर आने पर उसने गोताखोरी का लिबास उतारा—‘मझरगन’ धारियों ने तलाशी ली—न उसने कुछ कहा, न ही उनमें से कोई कुछ बोला—संतुष्ट होने के बाद वे उसे एक कक्ष के बंद दरवाजे के नजदीक ले गए, ‘मझरगन’ धारियों में से एक ने मानो शून्य से कहा—“गधे का बच्चा आया है सर।”
“ओ.के.।” शून्य से आवाज उभरी।
साथ ही, हल्की सरसराहट … और दरवाजा एक तरफ सरक गया।
पतले शख्स ने अंदर कदम रखा—दरवाजा वापस बंद हो गया।
मुश्किल से दस बाई दस का कक्ष था वह मगर दीवारों पर जगह-जगह टी.वी. स्क्रीन्स लगी नजर आ रही थीं—इस वक्त केवल एक स्क्रीन ऑन थी और उस पर इस कक्ष के बाहर वाली गैलरी का दृश्य नजर आ रहा था, उसे यहां तक लाने वाले मझरगन धारी वापस जा रहे थे।
“जय यमनिस्तान।” इन शब्दों के साथ पतले शख्स ने जोरदार सैल्यूट मारा।
“बैठो।” अत्यंत प्रभावशाली आवाज उस कुर्सी ने उगली जिसकी विशाल पुश्त पतले शख्स की आंखों के सामने थी—वह आगे बढ़ा, दर्पण की मानिन्द चमचमा रही विशाल मेज के इस तरफ पड़ीं चार कुर्सियों में से एक पर बैठ गया वह—उसी क्षण, स्क्रीन पर नजर आ रहा दृश्य गायब हुआ और कुर्सियां घूम गईं।
अब वह शख्स पतले शख्स के सामने था जिसे लोग ब्लैक स्टार के नाम से जानते थे।
सामान्य जिस्म, सांवला रंग, गोल चेहरा, घने बालों वाली मोटी मूंछें और सबसे विचित्र थीं उसकी आंखें—विचित्र भी और आकर्षक भी—सफेद हिस्सा, सफेद न होकर थोड़ा गंदला सा था—कुछ ऐसा, जैसा बलगम का रंग होता है और काला हिस्सा इतना चमकदार था कि पतले शख्स को इस बार भी वही अहसास हुआ जैसा ब्लैक स्टार के सामने हमेशा होता था—उन आंखों में ऐसा कुछ था कि सामने वाले को वे अपनी तरफ खींचती-सी लगती थीं।
हौले-हौले मुस्करा रहा था वह।
पतले शख्स ने उसे हमेशा मुस्कराते देखा था।
उसे, जिसके जिस्म पर किसी मुल्क की आर्मी के जनरल जैसी वर्दी थी।
उसे, जिसने अपने हाथ में दबे छोटे से रिमोट को मेज पर रखते हुए सवाल किया—“क्या खबर लाए?”
पतले शख्स को मालूम था, न ब्लैक स्टार के पास भूमिका के लिए टाइम होता है, ना ही भूमिका उसे पसंद है, अतः सीधा जवाब दिया—“इंस्पेक्टर तेजस्वी ने ट्रांसमीटर पर झूठ बोला था।”
“मतलब?”
“वह कीर्ति कुमारम् का लड़का नहीं है।”
“और स्पष्ट करो।”
“कीर्ति कुमारम् के लड़के का नाम तेजस्वी जरूर था।” पतले शख्स को उम्मीद थी कि उसके द्वारा दी जाने वाली इन्फॉरमेशन्स को सुनकर ब्लैक स्टार चौंक पड़ेगा और इस बार वह उस शख्स को चौंकते हुए देखने का सौभाग्य पाएगा जिसे कभी किसी ने चौंकते नहीं देखा—मगर ब्लैक स्टार के अभी भी मुस्कराते नजर आ रहे होंठ उसकी सभी उम्मीदों पर बिजली गिरा गए, बेअटके कहता चला गया वह—“मगर इंस्पेक्टर तेजस्वी वह नहीं है, कीर्ति कुमारम् का लड़का सैनिक कार्यवाही के दरम्यान अपने परिवार के साथ मारा गया था।”
“सुबूत?”
“उस वक्त के अखबार की कटिंग और ये फोटो …।” कहने के साथ शख्स ने एक कटिंग और फोटो अपनी जेब से निकाल कर मेज पर रख दिए—ब्लैक स्टार ने पहले खबर पढ़ी, उसमें साफ लिखा था—“कीर्ति कुमारम् का सारा परिवार मारा गया—मरने वालों में तेजस्वी का नाम भी था—फोटो में एक बुढ़िया, बुड्ढे, दो बच्चों, एक जवान और तथा एक युवक की लाशें पंक्तिबद्ध पड़ी थीं—बुरी तरह जली हुई लाशें थीं वे—ब्लैक स्टार अभी उन्हें देख ही रहा था कि पतले शख्स ने कहा—“सेना के बमों ने पूरे परिवार के चिथड़े उड़ा दिए थे, मकान खण्डहर बन गया था।”
“फोटो कहां से हासिल किए?”
“सरकारी आदमी से—सारा रिकार्ड उसी के चार्ज में रहता है और उसके मुताबिक, चार दिन पहले इस परिवार से संबंधित कुछ फोटो जाने क्यों उसकी सरकार ने मंगाए थे।”
“ओह!” ब्लैक स्टार मानो सब कुछ समझ गया—“थारूपल्ला तक इंस्पेक्टर ने केवल वे फोटो पहुंचाए जिनसे उसका उल्लू सीधा होता था।”
“ऐसा ही लगता है सर।”
“उस दिन तुम्हारे जासूस धोखा कैसे खा गए?”
“जांच करा चुका हूं सर—पता चला है, उस दिन वे जितने लोगों से मिले, सब के सब श्रीगंगाई जासूस थे और उन्होंने जान-बूझकर यह खबर दी कि सैनिक कार्यवाही के वक्त कीर्ति कुमारम् का लड़का घर पर नहीं था।”
“ऐसा धोखा खाने वालों से कहो, कैप्सूल खा लें।” मुस्कराते हुए ब्लैक स्टार ने यह हुक्म ऐसे अंदाज में दे डाला जैसे किसी से खुश होकर उसे पुरस्कार देने के लिए कह रहा हो।
“वे मर चुके हैं सर।”
“कैसे?”
“मुझे हकीकत पता लगते ही कैप्सूल खाकर …।”
“गुड।” मुस्कराहट में अजीब-सी चमक पैदा हो गई—“इंस्पेक्टर ने अच्छी चाल चली—श्रीगंगा सरकार की मदद तक हासिल कर ली उसने! खैर, वास्तविक बायोडेटा?”
“बाप का नाम अरविन्द कुमार, मां का नाम नलिनी—चिंकापुर का रहने वाला है।”
“शादी हुई?”
“पत्नी का नाम शुभा, एक दो--वर्षीय बेटी भी है—नाम अरुणा।”
“नौकरी कब लगी?”
“बेटी पैदा होते ही।”
“और कुछ?”
“बड़ा ही छुपा रुस्तम इंस्पेक्टर है वह।” पतला शख्स कहता चला गया—“पूरा हरामी, एक नंबर का भ्रष्ट, हद दर्जे का बेईमान और रिश्वतखोर। मगर …।”
“मगर?”
“जहां रहता है वहां की पब्लिक की नजरों में एकदम उल्टा—अफसरान समझते हैं उस जैसा ईमानदार, वतन-परस्त और कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिसिया पूरे विभाग में नहीं है।”
“ये चमत्कार कैसे कर दिखाता है वह?”
“नये थाने पर नियुक्ति होते ही तेजस्वी सबसे पहले कहर बनकर उन गुण्डे-बदमाश, नेता और माफिया गिरोहों पर झपटता है जिनकी सैटिंग पिछले इंस्पेक्टर से होती है—इससे उसे कई फायदे होते हैं—पहला, पब्लिक खुश—दूसरा, क्रिमिनल आतंकित—तीसरा, अफसरान गदगद—इस अभियान को पूरा करने के बाद वह अपने असली रूप में आता है, मगर केवल मातहतों और उन लोगों के सामने जिनसे रिश्वत लेता है—वह अपनी सैटिंग उनसे नहीं करता जिनसे पिछले इंस्पेक्टर की सैटिंग थी, बल्कि उनसे करता है जो पिछले इंस्पेक्टर के जमाने में दबे हुए थे—न उनमें से किसी में उसका भेद खोलने की हिम्मत होती है, न ही मातहतों में से किसी में—कोई कोशिश भी करे तो पब्लिक और अफसरों की नजरों में एक आदर्श पुलिसिया होने के कारण उसका कुछ नहीं बिगड़ता। उल्टे कोशिश करने वाले को छठी का दूध याद आ जाता है—उसके थाने में आए लोगों की रपट दर्ज नहीं होती, अफसरान समझते हैं क्षेत्र में राम-राज्य स्थापित हो गया है।”
“बड़ा घुटा हुआ इंस्पेक्टर है।”
“उसका दावा है, वह अपने थाना क्षेत्र में हुकूमत करने के लिए पैदा हुआ है—जिस थाने पर उसे नियुक्त कर दिया जाता है, उस थाना क्षेत्र का वह सबसे बड़ा गुण्डा होता है—देशराज जैसे इंस्पेक्टरों और उसमें केवल इतना फर्क है कि वे धौंस में आकर रिश्वत लेते हैं जबकि वह धौंस जमाकर रिश्वत लेता है।”
“एक फर्क और है।”
“ज-जी।” पतला शख्स हकला गया—“व-वह क्या?”
“तेजस्वी चालाक है, जुझारू है, हिम्मत है उसमें—ये सारे गुण न होते तो हमें बेवकूफ बनाने में कामयाब न हो पाता—भले ही तुम्हारे नाकारा जासूसों के कारण बने लेकिन यह सच है कि उसने हमें बेवकूफ बना दिया और ‘टेलैन्टिड’ होने के कारण वह अपने गुनाहों की सजा हमारे हाथों से पाने का हकदार है—जंगल में हमारी और उसकी मुलाकात की व्यवस्था की जाए।”
“ओ.के. सर।” कहने के साथ पतला शख्स खड़ा हो गया।
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