RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
थारूपल्ला खुद न समझ सका कि लिफाफा खोलते वक्त उसका दिल इतनी जोर-जोर से क्यों धड़क रहा था—हाथ क्यों कांप रहे थे और दिमाग में रह-रहकर बिजलियां-सी क्यों कौंध रही थीं?
शुब्बाराव उसके सामने मेज के पास बैठा था।
मुश्किल से एक पल पूर्व उसने वहां पहुंचकर लिफाफा थारूपल्ला के हाथ में दिया था—थारूपल्ला की जो हालत थी, उसे शुब्बाराव ने भी नोट किया। थारूपल्ला को ऐसी अवस्था में देखने का उसका पहला अवसर था।
लिफाफे में जो था, उस पर थारूपल्ला ने शुब्बाराव की नजर न पड़ने दी।
यह अलग बात है कि लिफाफे से बरामद सामान को देखने के बावजूद स्वयं थारूपल्ला ठीक से कुछ न समझ पाया—कई फोटो थे, एक फोटो में दो छोटे-छोटे बच्चों की वीभत्स लाशें नजर आ रही थीं तो दूसरे में एक बूढ़े और बूढ़ी की लाश—तीसरा फोटो एक जवान महिला की लाश का था—देखने मात्र से पता लगता था, सबकी हत्या नृशंस तरीके से की गई है।
एक और फोटो था।
एक फोटो में तेजस्वी बूढ़े-बूढ़ी, दो बच्चों और एक जवान औरत के साथ खड़ा नजर आ रहा था।
एक अन्य फोटो दुमंजिले मकान का था—बाहर से लिया गया ऐसा फोटो था वह कि जरा-सा गौर से पढ़ने पर मकान के मुख्य द्वार पर लगी ‘नेम प्लेट’ को पढ़ा जा सकता था।
लिखा था—‘कीर्ति कुमारम्, 27, कुटम्बरा, श्रीगंगा।
सभी फोटो देखने के बाद थारूपल्ला ने टाइप किया हुआ कागज पढ़ा, लिखा था---
“प्यारे थारूपल्ला!
अगर तेरी खोपड़ी में ‘भेजा’ नाम की चीज ‘वास’ करती होगी तो फोटोग्राफ्स देखकर तू सब कुछ समझ जाएगा क्योंकि ये फोटो साफ-साफ एक कहानी सुनाते हैं—न समझ पाया हो तो ट्रांसमीटर पर ब्लैक स्टार को फोटोग्राफ्स का विवरण दे—मेरा ख्याल है, वह इस चित्रकथा को समझ लेगा—अगर तू समझने में कामयाब हो गया है तब भी, ब्लैक स्टार से तो बात करनी ही होगी क्योंकि यह पुष्टि तो वही करेगा कि मेरे द्वारा भेजी गई चित्रकथा सच है या झूठ।
मैं अपनी चाल चल चुका थारूपल्ला—अब मैं तुझे फोन नहीं करूंगा बल्कि तू खुद फोन करके मुझे काली बस्ती बुलाएगा—याद रहे, यह काम तुझे अपनी मर्जी के खिलाफ करना होगा।
—“इंस्पेक्टर तेजस्वी”
अंतिम पैरा पढ़ते वक्त थारूपल्ला को अपने जिस्म में रह-रहकर कौंधती सर्द लहरों का अहसास हुआ, ये शब्द उसके मुंह से बेसाख्ता निकलते चले गए—“ये काइयां इंस्पेक्टर साबित करता जा रहा है कि जो काम गनें, तोपें, टैंक और बेशुमार सेना नहीं कर सकती, उसे दिमागी ताकत के बूते पर इतनी आसानी से किया जा सकता है जैसे चुटकी बजा दी गई हो।”
“मैं भी यही कहना चाहता था सर, उसने दावा किया था—इस लिफाफे को यहां लाने का हुक्म मुझे आप देंगे—उस वक्त मेरे दिमाग में उसकी छवि एक बड़बोले अहमक व्यक्ति की बनी थी मगर जब कुछ देर बाद आपने सचमुच हुक्म सुनाया तो मैं दंग रह गया—पट्ठा कह रहा था कि ‘शतरंज’ के खेल में ऐसी चाल वह अक्सर चल दिया करता है।”
एकाएक थारूपल्ला को अहसास हुआ कि शुब्बाराव स्टार फोर्स का एक छोटा प्यादा है, मेजर होने के नाते उसे उससे इस किस्म का ‘डिस्कशन’ नहीं करना चाहिए, अतः थोड़े कठोर स्वर में बोला—“तुम जा सकते हो शुब्बाराव, मुझे ब्लैक स्टार से बात करनी है।”
शुब्बाराव खड़ा हुआ बोला—“एक सफाई देना चाहता हूं सर!”
“बोलो!”
“मैंने काफी कोशिश की मगर उसने मरने न दिया।”
थारूपल्ला ने केवल इतना कहा—“जाओ!”
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