RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
थारूपल्ला की आवाज उभरते ही वह बोला—“इंस्पेक्टर तेजस्वी हीयर!”
“तूने तो कहा था यहां आएगा, मेरे ठिकाने पर—तेरी उन लम्बी-चौड़ी डींगों का क्या हुआ इंस्पेक्टर?”
“आऊंगा थारूपल्ला जरूर आऊंगा।”
“कूव्वत है तो फोन छोड़ इंस्पेक्टर और काली बस्ती में ग्यारहवां कदम रखकर दिखा।”
“उसी प्रयास में जुटा हूं।”
व्यंग्यात्मक स्वर में पूछा गया—“कहां तक पहुंचा?”
“तेरे पास मेरा एक लिफाफा पहुंचने वाला है।”
“लिफाफा?”
“उसमें कुछ कागज और फोटोग्राफ्स हैं।”
“कैसे कागज और कैसे फोटोग्राफ्स?”
“ऐसे … जिनमें इतनी तासीर है कि उन्हें देखने के बाद तू मुझे खुद अपने ठिकाने पर बुलाएगा।”
“क्या बक रहा है?”
“तेजस्वी बका नहीं करता, फरमाया करता है और इस वक्त भी फरमा ही रहा है, इसका अहसास तुझे लिफाफा खोलते ही हो जाएगा।”
“तभी न, जब लिफाफा मेरे पास पहुंचेगा?”
“लिफाफा पहुंचेगा थारूपल्ला।”
थारूपल्ला हंसते हुए बोला—“कौन पहुंचाएगा?”
“शुब्बाराव!”
“श-शुब्बाराव?” थारूपल्ला की हकलाहट साफ सुनाई दी।
“इस वक्त वह मेरी गिरफ्त में है।” तेजस्वी उसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाता हुआ बोला—“जानता हूं, मेरी ये कामयाबी तुझे आघात पहुंचाएगी—पहली बात ये, मैं शुब्बाराव तक पहुंच कैसे गया—दूसरी ये, तेरे उन दो प्यादों ने मेरे यहां पहुंचने की खबर तुझे अब तक क्यों नहीं दी जो मुझे वॉच कर रहे थे—जाहिर है, मैं उन्हें ‘डॉज’ देकर यहां पहुंचा हूं और पहुंच इसलिए गया क्योंकि पांडुराम जैसे अक्ल के अंधे को वॉच करना मेरे लिए मुश्किल न था।”
“फिर भी!” थारूपल्ला खुद को नियंत्रित कर चुका था—“शुब्बाराव तेरा आदेश नहीं मानेगा।”
“मैंने ऐसा कब कहा?”
“तो लिफाफा कैसे पहुंचेगा यहां?”
“तू मंगाएगा थारूपल्ला।”
“म-मैं?”
“यस!”
“पागल हो गया है क्या?”
“हुआ नहीं, पहले से हूं—शायद तू भूल गया, यह खिताब पहली टेलीफोन वार्ता में तूने मुझे खुद दिया था—शुब्बाराव तेरे अलावा किसी का आदेश नहीं मानेगा इसलिए मैंने सोचा, क्यों न वह आदेश इसे तू ही दे जो मैं चाहता हूं।”
“मैं उसे कोई आदेश देने वाला नहीं हूं।”
“क्यों?”
“क्यों से मतलब?” थारूपल्ला गुर्राया—“मेरी मर्जी।”
“नहीं मेजर—मर्जी तेरी नहीं, मेरी चलेगी।”
“अजीब अहमक आदमी है तू!”
तेजस्वी का स्वर रहस्यमय हो उठा—“ध्यान से सुन थारूपल्ला और मेरे शब्दों में छुपे संदेश को समझने की कोशिश कर—प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति के बाद से जो कुछ मैं कर रहा हूं, वास्तव में यह सब करने यहां नहीं आया—वह सब दिखावा है, चाल है और मेरे एक बहुत बड़े मिशन की भूमिका है—प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति का मेरा उद्देश्य कुछ और है।”
उधर, फोन के उस तरफ मौजूद थारूपल्ला के मस्तिष्क में अनार से फूट पड़े—तेजस्वी के एक-एक शब्द ने उसके जहन के लिए जोरदार पटाखों का काम किया था—ब्लैक स्टार के शब्द कानों में गूंजने लगे—उसने यही कहा था, यह कि तेजस्वी का उद्देश्य कुछ और है—उसी उद्देश्य को जानने की खातिर उसने तेजस्वी को जीवित रखने का हुक्म दिया था, संभलकर बोला वह—“क्या कहना चाहता है तू, मैं समझ नहीं पाया।”
“फोन पर इससे ज्यादा कहना खतरनाक हो सकता है।”
“प्रतापगढ़ आने का तेरा असली उद्देश्य क्या है?” थारूपल्ला व्याकुल हो उठा था।
“कहा न, जो कह चुका हूं—फोन पर उससे ज्यादा नहीं कह सकता—सारी कहानी और मेरा असली उद्देश्य ये लिफाफा तुझे समझा देगा—हां, इतना और कह सकता हूं कि मेरा उद्देश्य ऐसा है जिसे जानकर ब्लैक स्टार की बांछें खिल जाएंगी—मेरे उद्देश्य में स्टार फोर्स का बहुत बड़ा हित छुपा है थारूपल्ला—अब बोल, लिफाफे को अपने पास न मंगाने की अपनी जिद्द को तरजीह देगा या स्टार फोर्स के हित को?”
“त-तू कोई चाल चल रहा है इंस्पेक्टर।” थारूपल्ला की आवाज कांप रही थी—“फिलहाल तेरा उद्देश्य ये है कि इस झूठ के जाल में फंसकर मैं लिफाफे को अपने पास मंगा लूं और तब तू पलटकर कहे—‘देख, मैंने कहा था न कि लिफाफे को तू खुद मंगाएगा’?”
जबरदस्त मुस्कराहट के साथ तेजस्वी बेहिचक बोला—“वह तो मैं कहूंगा ही।”
थारूपल्ला के जहन में सन्नाटा-सा खिंच गया—कितना खुला खेल खेल रहा था इंस्पेक्टर! एक तरफ कह रहा था, अगर उसने लिफाफा मंगाया तो खुलेआम उसे हारा हुआ कहेगा—दूसरी तरफ ये दावा पेश कर रहा था कि लिफाफा उसे मंगाना पड़ेगा—कुछ बोलते न बन पड़ा उस पर, उधर तेजस्वी आत्मविश्वास भरे स्वर में कहता चला गया—“तुझे बहुत पहले सोचना चाहिए था थारूपल्ला, जो काम तू अपनी मर्जी से नहीं करना चाहता उसी काम को अगर मैं करा लेने का इतना ठोस दावा कर रहा हूं तो निश्चित रूप से किसी बूते पर ही कर रहा होऊंगा—दरअसल इस सच्चाई को मैं शुरू से जानता हूं कि स्टार फोर्स के लोगों के लिए अपनी व्यक्तिगत हार-जीत महत्त्व नहीं रखती, उनका पहला और अंतिम उद्देश्य फोर्स का हित करना होता है और तू … तू तो स्टार फोर्स का मेजर है—मैं जानता हूं, फोर्स के हित की बलि देकर तू किसी कीमत पर अपनी व्यक्तिगत जिद्द को तरजीह नहीं दे सकता—तू मेरे मुंह से यह तो सुन सकता है कि ‘देखा—मैं न कहता था लिफाफा तू खुद मंगाएगा’, अगर ये लिफाफा तूने नहीं मंगाया और कल किसी जरिए से ब्लैक स्टार को पता लगा कि इसमें क्या था तो निश्चित रूप से तुझे फोर्स का बहुत बड़ा अहित करने की सजा भोगनी पड़ेगी।”
थारूपल्ला के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई—एक तरफ जहां उसे लग रहा था, इंस्पेक्टर अपना ‘कौल’ पूरा करने हेतु चाल चल रहा है, वहीं यह खौफ सता रहा था कि अगर लिफाफे में सचमुच वह रहस्य छुपा हुआ है जिसकी तलाश ब्लैक स्टार को है तो उसका लिफाफा न मंगाना भयंकर भूल होगी—इस कदर उलझन में फंस चुका था वह कि इस बार भी कुछ बोल न सका जबकि तेजस्वी ने पुनः कहा—“जवाब दे थारूपल्ला, लिफाफा न मंगाकर तू अपनी जिद्द पूरी करना चाहता है या मेरा असली उद्देश्य जानना?”
“क-क्या लिफाफे में सचमुच तेरा असली उद्देश्य छुपा हुआ है?”
“निःसंदेह!” तेजस्वी की मुस्कराहट अत्यंत गहरी हो गई।
“ठीक है!” थारूपल्ला ने जैसे फैसला कर लिया था—“शुब्बाराव को फोन दे।”
“उससे पहले तुझे कुछ निर्देश देना चाहूंगा।”
“कैसे निर्देश?”
“मैं नहीं चाहता कि मेरा उद्देश्य शुब्बाराव को मालूम हो अतः उसे निर्देश दो, वह केवल पत्रवाहक का काम करे—लिफाफे को खोलकर देखने की कोशिश हरगिज न करे।”
“ठीक है!”
“लिफाफे के जोड़ पर मेरे साइन हैं, खोलने से पहले उन्हें चैक करके देख लेना कि खोला तो नहीं गया है?”
“उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, शुब्बाराव को जो आदेश दिया जाएगा उसकी अवहेलना वह नहीं करेगा।”
“ओ.के.।” कहने के बाद तेजस्वी ने माउथपीस पर हाथ रखा और सफलता की ज्यादती के कारण चमचमा रहीं आंखें शुब्बाराव पर जमाकर बोला—“मेरा करिश्मा देखा शुब्बाराव, तेरा बॉस तुझे यह आदेश देने के लिए मरा जा रहा है कि तू मेरा लिफाफा उसके पास पहुंचा दे, शतरंज के खेल में मैं ऐसी चालें अक्सर चल दिया करता हूं।”
शुब्बाराव की आंखों में आश्चर्य और केवल आश्चर्य के भाव थे।
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