RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
फोन की घंटी घनघनाते ही थारूपल्ला ने रिसीवर उठा लिया, दूसरी तरफ से आवाज उभरी—“इंस्पेक्टर तेजस्वी आपसे बात करना चाहता है सर।”
“तेजस्वी?” थारूपल्ला के ललाट पर बल पड़ गए—जिस्म में अनायास तनाव उत्पन्न हो गया—इस वक्त उसने एक चारखाने वाला तहमद और सफेद बनियान पहन रखा था—गले में काले धागे में बंधा पोटेशियम साइनाइड का कैप्सूल लटक रहा था। एक पल की खामोशी के बाद उसने गंभीर स्वर में कहा—“इंस्पेक्टर को लाइन दो।”
क्षणिक यांत्रिक खड़खड़ाहट के बाद तेजस्वी की आवाज उभरी—“हैलो!”
“थारूपल्ला!” मुंह से गंभीर स्वर निकला। “सुना है तेरी मर्जी के खिलाफ तुझसे कोई मिल नहीं सकता?”
“ठीक सुना है तूने।”
“मैं बहुत जल्द तुझसे मिलने वाला हूं।”
थारूपल्ला के ललाट पर पड़े बल गहरा गए—“तू कहीं पागल तो नहीं है इंस्पेक्टर?”
“ठीक पहचाना बेटे, इस बार सचमुच तेरा वास्ता पागल से पड़ा है।” इंस्पेक्टर तेजस्वी मजेदार स्वर में कह रहा था—“मगर तू इतनी जल्दी जान कैसे गया कि मैं पागल हूं?”
“जिस पुलिस इंस्पेक्टर के जहन में यह विचार आए कि उसे मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे ठिकाने पर आकर मुझसे मिलना चाहिए, वह पागल के अलावा और क्या हो सकता है?”
“अपनी सुरक्षा-व्यवस्था पर तुझे बड़ा गुरूर है न?”
“निःसंदेह।” इस बार थारूपल्ला मुस्कराया।
“तेरे इस गुरूर की धज्जियां उड़ाने मुझे वहां आना पड़ेगा।” तेजस्वी एक-एक शब्द को चबा रहा था—“तेरी मर्जी के खिलाफ मिलना ही पड़ेगा तुझसे।”
“मेरे ठिकाने तक पहुंचने की बात तो दूर इंस्पेक्टर, तू काली बस्ती में दस कदम से ज्यादा अन्दर तक नहीं आ सकता—ग्यारहवें कदम पर तेरी लाश पड़ी होगी।”
“आने से पहले फोन किया है—कारण स्पष्ट है, बाद में तू यह न कह सके कि मैं गफलत का फायदा उठाकर तेरी मांद तक पहुंच गया।”
“एक बात मेरी भी सुन ले इंस्पेक्टर।”
“बोल बेटे!”
“ब्लैक स्टार से मेरी वार्ता हो चुकी है, पिछला आदेश वापस ले चुके हैं वे—और नया आदेश ये है कि दस दिन के अन्दर तेरी लाश उनके समक्ष प्रस्तुत की जाए।”
“चलो, यह भी अच्छा हुआ—अब तू अपनी असफलता पर ब्लैक स्टार के हुक्म का पर्दा डालने की स्थिति में नहीं रहा।”
“तेरी पुरजोर कोशिश के बावजूद हमने गंगाशरण की जमानत करा ली, क्या इसके बाद भी तुझे हमारी ताकत का अंदाजा नहीं हुआ?”
“और मैंने तेरा पर्सनल फोन नम्बर हासिल कर लिया, क्या इससे तुझे मेरी ताकत का इल्म नहीं हुआ?”
थारूपल्ला ने तुरंत जवाब न दिया—वह दिमाग पर जोर डालकर सोचने का प्रयास कर रहा था कि तेजस्वी को उसका फोन नम्बर कहां से मिला होगा—किसी नतीजे पर न पहुंच सका वह, बोला—“इस सवाल का जवाब ढूंढ निकालूंगा।”
“सात जन्म लेने के बावजूद तेरे फरिश्ते तक इस रहस्य को नहीं जान सकते थारूपल्ला।”
“तेरे चैलेंज की अस्थियां मैं बहुत जल्द तुझे समर्पित करूंगा।” दांत भींचकर गुर्राने के बाद थारूपल्ला सामान्य स्वर में बोला—“खैर, मिलना क्यों चाहता है मुझसे?”
“वैरी गुड, ये अच्छा सवाल किया तूने मगर काफी देर बाद किया—मैं बहुत देर से इस सवाल का इंतजार कर रहा था—सोच रहा था, तू कहीं मूर्ख तो नहीं है—असली सवाल ही नहीं पूछ रहा?”
“तो बक, क्यों मिलना चाहता है मुझसे?”
“दो कारण हैं।” लहजे से जाहिर था कि इस वक्त तेजस्वी ने जबड़े भींच रखे हैं—“पहला, जिस तरह तू मेरी मर्जी के खिलाफ थाने में आकर मुझसे मिला—उसका सटीक जवाब यही हो सकता है कि मैं तेरी मर्जी के खिलाफ तेरी मांद में जाकर तुझसे मिलूं और तेरे आदमियों की मौजूदगी के बावजूद तुझे उतना विवश देखूं जितना थाने में मैं था—दूसरा कारण ये है थारूपल्ला कि अगर कोई शख्स मेरी मर्जी के खिलाफ थाने में आ जाए तो वह मेरे स्पेशल रूल का स्वाद चखे बिना बाहर नहीं निकल सकता।”
“ऐसा हो चुका है बेटे, मैंने किया है ऐसा।”
“इसीलिए तेरी मांद में पहुंचने की ठानी है।” रिसीवर से तेजस्वी की गुर्राहट फूट रही थी—“मेरे दिलो-दिमाग को उस वक्त तक चैन नहीं मिलेगा जब तक स्पेशल रूल से तेरी चमड़ी न उधेड़ डालूं—मैं आऊंगा बेटे, अपने रूल के साथ आऊंगा मैं!”
थारूपल्ला का चेहरा ही नहीं, संपूर्ण जिस्म गुस्से की ज्यादती के कारण भभक उठा—कुछ कहने के लिए होंठ फड़फड़ाए जरूर मगर आवाज न फूट सकी—जबकि दूसरी तरफ से रिसीवर को जोर से क्रेडिल पर पटककर संबंध विच्छेद कर दिया गया—थारूपल्ला ठगा-सा खड़ा था, रिसीवर से निकलने वाली किर्र …र्र …किर्र …र्र की आवाज पिघले सीसे की मानिन्द उसके जहन में उतरती रही।
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