RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अदालत में दिए गए इंस्पेक्टर देशराज के बयान ने केवल इसी राज्य में नहीं बल्कि सारे देश में तूफान ला दिया है। आपात्कालीन मीटिंग में पुलिस कमिश्नर मिस्टर एच.के. शांडियाल गंभीर स्वर में कहते चले गये—“गृह मंत्रालय तक में खलबली मच गयी है, अगर किसी और ने पुलिस पर वे इल्जाम लगाये होते तो यह सोचा जा सकता था कि इल्जाम झूठे होंगे, मगर इंस्पेक्टर देशराज ने खुद-ब-खुद पर इल्जाम लगाए हैं—भरी अदालत में खुद अपनी काली करतूतों का भंडाफोड़ किया है—उसके कारनामे सुनकर आज लोग जहां उससे घृणा कर रहे हैं लेकिन … लेकिन अपने बयान से पुलिस विभाग पर उसने ऐसा सवालिया निशान लगा दिया है जिसका जवाब आम आदमी से लेकर गृह मंत्रालय तक मांग रहा है।”
डी.आई.जी. चिदम्बरम ने कहा—“अगर देशराज ने केवल अपनी ही करतूतों का बखान किया होता तब भी गनीमत होती, मगर जोश में भरकर उसने सारे पुलिस विभाग को अपने जैसा कह दिया है सर।”
“क्या उसने गलत कहा है?”
“सब पुलिस वाले एक से कैसे हो सकते हैं, सर?” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा कह उठे।
“भले ही सब एक से न हों मगर बहुतायत इंस्पेक्टर देशराज जैसों की है।” शांडियाल का लहजा सख्त हो गया—“वर्दी की आड़ में पुलिस को मिली शक्तियों का दुरुपयोग करने की इन प्रवृत्तियों को हमें खत्म करना होगा मिस्टर कुम्बारप्पा।”
“यस सर!” एस.पी. सिटी मिस्टर भारद्वाज बोले—“यह सवाल पूरे डिपार्टमैन्ट की इज्जत का है।”
“डिपार्टमैन्ट की ही नहीं, समाज की इज्जत का सवाल है ये—इस किस्म की घटनाएं पुलिस पर से आम नागरिक का विश्वास उठा सकती हैं—पुलिस वाले जनता के सेवक और रक्षक होते हैं, अगर वे लोगों पर हुकूमत करने लगें—रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो क्या होगा—यही न कि एक दिन इस मुल्क में बगावत हो जाएगी—पुलिस के खिलाफ लोगों का सैलाब सड़क पर उतर आएगा!”
“देशराज ने पुलिस विभाग को तो क्या प्रदेश सरकार तक को नहीं बख्शा सर।” एस.पी. देहात कह उठे—“भरी अदालत में चीफ मिनिस्टर तक को ‘स्टार फोर्स’ के हाथों की कठपुतली कह दिया उसने।”
“अपने पिता की मौत और उससे ज्यादा उनकी लाश के साथ अपने द्वारा किए गए सलूक से वह इस कदर टूट गया कि अपनी जान की परवाह किए बगैर वह सब कहता चला गया जिसे जानते तो सब हैं, लेकिन कहने का साहस किसी में नहीं।”
“लेकिन सर, जब तक सरकार न चाहे तब तक पुलिस विभाग स्टार फोर्स के विरुद्ध कर भी क्या सकता है?”
पुलिस कमिश्नर ने गंभीर स्वर में कहा—“आप सब जानते हैं, राज्य सरकार भले ही स्टार फोर्स के हाथों की कठपुतली हो, मगर केन्द्रीय सरकार उसकी कट्टर विरोधी है—केन्द्र में जिस दल की सरकार है वह दल हमारे राज्य में इस वक्त विपक्ष में है—उस दल के सर्वोच्च प्रदेशीय नेता मिस्टर चिरंजीव कुमार विपक्ष के नेता हैं—बड़ी मुश्किल से उन्होंने ऐसे सबूत इकट्ठे करके केन्द्र को भेजे हैं जिससे चन्द्रचूड़ सरकार और स्टार फोर्स के संबंध प्रमाणित हो जाते हैं—मिस्टर चिरंजीव कुमार ने केन्द्र से सिफारिश की है कि राज्य सरकार को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाए—हमें पूरा विश्वास है, चिरंजीव कुमार द्वारा भेजे गए प्रमाण इतने पुख्ता हैं कि केन्द्र के सामने चन्द्रचूड़ सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू करने के अलावा कोई रास्ता न बचेगा।”
“क्या आप यह संकेत देना चाहते हैं कि राज्य में शीघ्र ही राष्ट्रपति शासन लागू होने वाला है?” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा ने पूछा।
“यह सच है!” शांडियाल बोले—“और इसीलिए अब हमें स्टार फोर्स के खिलाफ मोर्चा लेने हेतु कमर कस लेनी चाहिए—केन्द्र से शीघ्र ही स्टार फोर्स का सफाया कर डालने के आदेश आने की उम्मीद है।”
एस.पी. सिटी ने कहा—“तब तो उस थाने पर ऐसे इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जानी चाहिए जो अपनी जान की परवाह किए बगैर स्टार फोर्स के मरजीवड़ों से लोहा ले सके।”
“हमें उस थाने पर एक ऐसा इंस्पेक्टर चाहिए मिस्टर भारद्वाज, जो पुलिस के मस्तक पर देशराज द्वारा लगाये गए कलंक को न केवल धो सके, बल्कि लोगों में पुलिस के विश्वास की पुनस्र्थापना भी कर सके—जनता को विश्वास दिला सके कि पुलिस भक्षक और मालिक नहीं बल्कि रक्षक और सेवक है।”
“मैं तेजस्वी यमन का नाम प्रस्तुत करता हूं सर!” डी.आई.जी. चिदम्बरम ने कहा।
“तेजस्वी यमन?”
“मैं भी यही कहने वाला था सर!” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा कर उठे—“अगर यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी कि तेजस्वी राज्य का सबसे काबिल इंस्पेक्टर है—कर्मठ, ईमानदार, जुझारू और क्राइम से नफरत करने वाले इंस्पेक्टर के नाम से प्रसिद्ध है वह—अपराधियों में यह सुनते ही आतंक फैल जाता है कि तेजस्वी की नियुक्ति उनके इलाके में कर दी गई है—‘अपराधियों का काल’ के नाम से जाना जाता है उसे, यहां तक कहा जाता है कि जिस थाने पर उसे नियुक्त कर दिया जाए, उस थाना क्षेत्र के क्रिमिनल उसी दिन किसी अन्य थाना क्षेत्र में जाकर रहने लगते हैं, और उसके अब तक के रिकॉर्ड को देखकर लगता है कि यह सच है। रिकॉर्ड बताते हैं, जिस थाने में वह नियुक्त हो गया वहां क्राइम का ग्राफ आश्चर्यजनक रूप से नीचे आ गया, गुण्डे-बदमाशों का सफाया करके राम-राज्य स्थापित कर देता है वह।”
“तेजस्वी के बारे में हम पहले भी ऐसी बातें सुन चुके हैं।” एच.के. शांडियाल ने कहा—“उसे हमारे सामने पेश किया जाए।”
डी.आई.जी. चिदम्बरम और एस.एस.पी. कुम्बारप्पा को उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इतनी आसानी से सफलता मिल जाएगी, दोनों की आंखें इस तरह मिलीं जैसे एवरेस्ट की चोटी पर झण्डा गाड़ देने के बाद तेनसिंह और हिलेरी की आंखें मिली होंगी।
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