RE: Hindi Sex Stories याराना
मैं सोच रहा था कि अब सब कुछ बहुत आसानी से हो जाएगा लेकिन यह सोचना मेरी गलती थी तृप्ति पूरी नंगी बेड पर लेटी हुई थी। मैंने भी अपने आप को पूरा नंगा कर दिया था, मैं ऊपर लेटने लगा और उसके होठों के ऊपर अपने होंठ लगाने लगा। तभी तृप्ति ने मेरा लिंग पकड़ लिया और जोर से दबाया और कहने लगी- रणविजय, मेरे कपड़े उतारते वक्त जो तुमने मुझसे कहा कि चुदाई होनी ही है। यह तुम्हारी गलतफहमी है, तुम्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए और मैं भी ऐसा नहीं सोच सकती हूं और हम दोनों को यह सब करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे पति और तुम्हारी पत्नी का विश्वास न टूटे।
यह सुनकर मुझे आगे के क्रियाकलापों पर अनिश्चितता हुई कि मैं पूरी चुदाई कर पाऊंगा भी या नहीं। तृप्ति को लेकर जो मेरा सपना था... मैं अर्श से फर्श पर गिर गया था,
मैंने बात को संभालते हुए कहा- मैं तुम्हें केवल उत्तेजित करना चाहता था इसलिए मैंने ऐसा कह दिया, तुम चिंता ना करो, हम अपनी सीमा में ही रहेंगे।
मैंने घड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा- यार 10 मिनट समाप्त हो गए हैं और अभी तक मैं इस हुस्न की परी का चुम्बन भी नहीं ले पाया हूं। क्या इस आधे घंटे में मैं अपनी मनोकामनाएं पूरी करुंगा जिसके सपने में देखे थे। तृप्ति, मैं इस सपने को जीना चाहता हूं और अपने मन की वे सारी इच्छाएं पूरी करना चाहता हूं जो मैंने कमरे में अंदर आते हुए सोची थी। मैं तुम्हारे साथ फोर प्ले कर वे सारे क्रिया-कलाप करना चाहता हूं जिसे मैं जीवन भर याद रख सकूं और इस फोरप्ले के क्रिया-कलाप को याद करके मैं प्रिया को यह समझ कर चोद सकूं कि मैं तुम्हें ही चोद रहा हूं।
तृप्ति ने कहा- हां रणविजय, मैं भी तुम्हारे साथ इस समय को जीना चाहती हूं, और वो भी अच्छे तरीके से, इसलिए मैंने बिना किसी विरोध के उनके खिलाफ जाकर अपनी ब्रा पेंटी भी उतार दी हैं क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है राजवीर और प्रिया ने भी इतना तो किया ही होगा। आधे घंटे तक कोई केवल चुम्बन के साथ नहीं रह सकता इसलिए उन्होंने भी अपने कपड़े उतारे ही होंगे लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वे दोनों फोरप्ले ही करेंगे। हमें भी फोरप्ले करना चाहिए और इसे ज्यादासे ज्यादा सुखद बनाना चाहिए।
इतना कहते हुए तृप्ति ने मुझे कस के अपनी बांहों में भींच लिया और अपने होठों को मेरे होठों से लगाकर जोरदार चुम्बन देने लगी।
जब उसने मुझे अपनी ओर खींचा तो उसका नंगा जिस्म और उसके बड़े गद्दीदार तने हुए स्तन मेरे सीने पर दब गए, मैं एक अजीब सी सिरहन से पागल हो गया, इससे बड़ा सुख मैंने अपने जीवन में कभी नहीं पाया था। 2 से 3 मिनट के लंबे चुम्बन के बाद मैंने अपने हाथ तृप्ति के वक्ष पर रख दिए और दोनों स्तनों को जोर जोर से दबाने लगा। इससे उसका गोरा शरीर पूरा लाल हो गया उसके स्तनों को दबाकर जो आनन्द मुझे महसूस हो रहा था वह शब्दों में ब्यान नहीं हो सकता। मैंने उसके स्तनों को जोर जोर से चूसना चालू किया, वह भी जितना कर सकती थी, मुझे चूमने लगी। उसके स्तनों, चूचुकों के बाद मैंने उसके पेट पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की लेकिन मेरा मन कर रहा था कि मैं उसकी गोरी चमड़ी को अपने मुंह में लेकर खा जाऊं... जहां-जहां मेरा मुंह और दांत उसकी गोरी चमड़ी को स्पर्श कर रहे थे, वहां वहां वह पूरी लाल होती जा रही थी। मैं मन ही मन रोमांचित हो रहा था कि जब मैं इसकी गांड मारूंगा गांड पर जोर जोर से थप्पड़ दूंगा तब इसकी गांड का जो हाल और वह जो दृश्य होगा मैं कितना रोमांचित करने वाला होगा।
ऐसा सोचते करते हुए मैं उसकी योनि तक पहुंच गया, उसकी गोरी टांगों को चाटते हुए मैंने उसकी योनि में अपनी जीभ डाल दी और उसे जीभ से चोदने लगा। ऐसा करते हुए मैंने तृप्ति को धन्यवाद कहा और
कहा- अच्छा हुआ तुम पहले से नंगी हो गई... वरना यह सब करने के लिए मुझे कितना तड़पना पड़ता।
इस पर तृप्ति ने मुझसे कहा- मुझे पता है कि तुम मेरे शरीर को देखना चाहते थे... अगर हम केवल किस करते और फोरप्ले कर लेते तो तुम्हारी मन की इच्छा पूरी नहीं होती और ना ही मेरी, इसलिए मैंने कोई विरोध नहीं किया। मैं अपने परम मित्र की धर्मपत्नी की चूत फिर चाटने लगा, वो सिसकारियां भरती हुई पागल हुए जा रही थी. करीब 20 मिनट हमें इस क्रियाकलाप में गुजर गए थे। तृप्ति को जैसे एकदम से होश आया और
वह बोली- रणविजय, केवल अपनी इच्छा पूरी करोगे या मेरी भी इच्छा भी पूरी करोगे?
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