Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 03:03 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पापा की लाडली ऋतू ने भी जल्दी से अपने पापा की हेल्प करते हुए उनके सारे कपडे नोच मारे...और जल्दी ही वो भी अपना लंड ताने सभी के सामने नंगे खड़े थे...
अन्नू ने जैसे ही दादाजी का लंड देखा, वो लपककर उनके पास आई और उसे मुंह में डालकर चूसने लगी... इस वक़्त कमरे में सबसे छोटी शायद अन्नू ही थी उम्र में...उसके बाद ऋतू और उससे बड़ी सोनी... इसलिए दादाजी ने नन्ही सी अन्नू को अपने लंड को चूसते देखा तो उनकी सिसकारी सी निकल गयी...." अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊओ बेटा.....शाबाश.....अह्ह्ह्हह्ह हां ऐसे ही....अह्ह्हह्ह......"
ऋतू भी पापा के सामने बैठ कर उनके लिंग की पूजा करने लगी अपने मुंह में लेकर...
सोनी ने घूम कर मेरे लंड को पकड़ा और उसे अपने मुंह के अन्दर धकेल दिया..
मम्मी अभी भी सोनी की चूत में वो मोटा डिल्डो डालने में लगी हुई थी...
अन्नू से अब सबर नहीं हो रहा था...वो उठी और उचक कर दादाजी की गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगे उनकी कमर में लपेट दी..
दादाजी ने उसके दोनों कुल्हे पकडे और अपना खड़ा हुआ लंड उसकी चूत के ऊपर अडजस्ट किया...और अन्नू को अपनी तरफ खींच लिया...
दादाजी का लंड अन्नू की चूत को चीरता हुआ अन्दर तक घुस गया...और इस बार अन्नू के मुंह से दर्द भरी नहीं बल्कि आनंदमयी चीख निकली... "आआअह्ह्ह म्मम्मम्मम्म ऊऊओह्ह ......दद्दू.....अह्ह्हह्ह ....मजा आ गया....अह्ह्हह्ह......" और उसने दादाजी के बड़े और लटके हुए होंठों को अपने मुंह में फंसाया और उन्हें चुसना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ अपनी छातियों को उनपर रगड़ने भी लगी....
दादाजी ने उसे चूसते हुए नीचे से दनादन धक्के मारने शुरू कर दिए...
ऋतू भी पापा के लंड को चूसते -२ नीचे लेट गयी...और खड़े हुए पापा के ठीक नीचे लेटकर अपने दोनों पैर ऊपर की तरफ बढ़ा दिए, उसकी पीठ जमीन से लगी हुई थी...और अब ऊपर से पापा को ऋतू की चूत का पूरा नक्शा साफ़ दिखाई दे रहा था...उन्होंने ऋतू की टांगो को अपनी कंधे पर रखा और उसकी चूत की फांकी को ऊपर से ही फेलाकर अपने लंड को बड़ी मुश्किल से नीचे करके उसकी चूत में धकेल दिया...
बड़ा ही मुश्किल आसन था वो...पर ऋतू को तो आप जानते ही है, हर आसन में अपनी चूत मरवाने के लिए वो बेताब रहती है, कल ही उसने ये आसन एक मूवी में देखा था और आज वो उसे अपने पापा के साथ करने में लगी हुई थी..
"आःह्ह पापा.....अह्ह्हह्ह येस्स.....अह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म ...."
पापा तो जैसे उसकी चूत की कुर्सी बनाकर उसके ऊपर ही बैठ गए थे..उनका पूरा लंड अपनी बेटी की चूत के अन्दर तक घुस चूका था... उन्होंने उसे बाहर खींचा और फिर से अन्दर डाला...और यही करते हुए उन्होंने तेजी से ऋतू की चूत मारनी शुरू कर दी...
सोनी की चूत में तो मम्मी ने डिल्डो डाला हुआ था...इसलिए मैंने उसकी गांड को ऊपर किया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर लगाकर तेज धक्का मारकर उसे अन्दर कर दिया..
एक तो उसकी चूत में इतना मोटा डिल्डो था...और ऊपर से मैंने उसकी गांड में भी एक मोटा लंड डाल कर उसकी हालत और भी पतली कर दी... वो चिल्लाने लगी...पहले दर्द से और फिर मजे से...
"आआआआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म ऊऊऊऊओ ....ह्ह्हह्ह्ह्ह ......ह्ह्हह्ह्हा .....ह्ह्ह .....मम्म...."
मैंने जितनी तेजी से उसकी गांड मारनी शुरु की, मम्मी ने उतनी ही तेजी से उसकी चूत में डिल्डो डालना शुरू कर दिया...
पूरा कमरे में सिस्कारियां और चीखे गूँज रही थी...
मम्मी ने भी एक और डिल्डो निकाला जिसके सिरे पर दो लंड बने हुए थे...उन्होंने एक अपनी चूत से सटाया तो दूसरा सिरा अपने आप उनकी गांड में चला गया...और वो उसे दुसरे हाथ से तेजी से हिलाने लगी...
दादाजी और पापा अब झड़ने के करीब थे...मेरा भी बस निकलने ही वाला था...
मम्मी ने चीख कर कहा..."कोई भी अन्दर मत निकालना...हम सभी के ऊपर डालो अपना रस...आज....अह्ह्हह्ह ....."
सबने उनकी बात मान ली..
दादाजी ने अन्नू को नीचे बेड पर पटक दिया...पापा ने भी अपना लंड वापिस खींच कर अपनी लाडली को बेड तक ले जाकर छोड़ दिया.. मम्मी और सोनी तो पहले से ही वहां पर थी.
और फिर पापा, मैं और दादाजी...उन चारों के पास जाकर हर तरफ से घेर कर खड़े हो गए और अपना लंड हिलाने लगे.. वो सारी रंडियों की तरह अपनी चूत को मसलते हुए ऊपर की तरफ देखने लगी और दुसरे हाथ से अपने स्तनों को मसलते हुए तेजी से सिस्कारियां मारने लगी...और फिर लगभग एक साथ ही हम तीनो के लंड से निकली रस की धाराएँ उनपर बारिश की तरह से पड़ने लगी...
पुरे बेड पर गीलापन छाने लगा...मेरे सामने खड़े दादाजी के लंड से निकली पिचकारियाँ तो मेरे पेट तक आ रही थी...
नीचे बैठी वो भूखी बिल्लियाँ हर बूँद को हवा में ही झपटकर पीने में लगी हुई थी...
सारे कमरे में रस की मिठास घुल चुकी थी..
आज पहली बार तीन पीढ़ियों ने एक साथ अपने हथियार एक दुसरे के सामने निकाले थे और जम कर चुदाई की थी..पर ये तो बस शुरुवात थी..क्योंकि उसके बाद तो जैसे ही मेरे या फिर पापा या फिर दादाजी जिसके लंड में भी जरा सा तनाव आता, सारी चूतें उस पर ही झपट पड़ती..और उस लंड को खाली करके ही छोडती..
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