RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैं : "मैं उन्हें ज्यादा काम करते हुए नहीं देख सकता, और वो 3500 से ज्यादा नहीं देंगी किसी को भी, इसलिए मैंने उस समय वो बोला था, और तुम्हारा भी नुकसान न हो इसलिए तुम मुझसे हर महीने अलग से ये पैसे ले लिया करो, और इस बात का मेरी माँ को पता नहीं चलना चाहिए...ठीक है."
वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी और उसने झट से मेरे हाथों से पैसे लेकर अपने ब्लाउस में ठूस लिए.. मैं अपने प्लान को साकार होता देखकर काफी खुश था.
वो कपडे डालती रही और मैं उसे निहारता रहा. अब वो होले होले मुस्कुरा भी रही थी, पता नहीं रूपए मिलने की ख़ुशी में या मेरी वजह से.
वो बोली : बाबु...कल भी आना होगा क्या...काम पर "
मैंने पूछा : "कल...क्यों पूछ रही हो..."??
सोनी : "वो कल होली है ना...इसलिए..बदमाश लड़के सड़कों पर निकल आते हैं...और कई तो आज भी गुब्बारे मार रहे थे.." मुझे याद तो था की कल होली है, और इसी बहाने मैंने सोचा की इसके शरीर को छूने का मौका भी मिल जाएगा..
इसलिए मैंने जल्दी से कहा "कल आना तो पड़ेगा...क्योंकि हमारे घर में मेहमान आये हुए हैं...इसलिए तो तुम्हे पहले दिन ही रख लिया...वो सन्डे तक यहीं रहेंगे, उसके बाद छुट्टी करने में कोई परेशानी नहीं है..पर अभी तो आना ही होगा..और तुम भी उन्हें गुब्बारे मार दिया करो न, जो तुम्हे सताते हैं ...तुम्हारे पास भी तो हैं..गुब्बारे.."
मेरी बात सुनकर वो असमंजस में पड़ गयी और फिर मैंने उसके मुम्मो की तरफ इशारा किया तो वो समझ गयी और शरमा गयी और बोली "धत्त्त ....तुम बड़े शैतान हो बाबु..." और ये कहते हुए वो नीचे की तरफ दौड़ गयी..
मैं मन ही मन खुश होता हुआ नीचे चल दिया, मैं समझ गया की इसे चोदने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. फर्स्ट फ्लोर पर जाकर ऋतू के कमरे में गया और पाया की अयान और ऋतू नंगे एक दुसरे से लिपटे बातें कर रहे हैं, झड़ने के बाद.
मैं फिर से नीचे चल दिया और सोनी को ढूंढने लगा, वो मम्मी से बात कर रही थी, वो उनसे भी होली के बारे में ही बात कर रही थी,
मम्मी ने उससे कहा की शाम तक के लिए आ जाना और सफाई करने के बाद चली जाना, रात का खाना हम सभी बाहर जाकर कर लेंगे. वो इसी में खुश हो गयी की उसे आधे दिन की तो छुट्टी मिल ही गयी, और जब उसकी नजर मुझसे मिली तो ऊपर वाली बात को सोचकर वो फिर से मुस्कुराने लगी. और मेरी बगल से होकर दुसरे कमरे की तरफ चल दी.
मैं अभी तक इतनी चूतें मार चूका हूँ, पर हर बार नयी चूत देखकर ना जाने मुझे क्या हो जाता है, पता नहीं ये सब के साथ ही होता है या मुझे कुछ अलग ही बीमारी है.
मम्मी ने मेरी तरफ देखकर कहा "आशु...तुम इस अनीता का ध्यान रखना...मैं जरा तुम्हारे अंकल के पास जा रही हूँ...." और उन्होंने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी, मैं समझ गया की वो अंकल के कमरे में चुदने जा रही है. मैं किचन में अनीता को गौर से देखने लगा, उसने जींस पहनी हुई थी और उसकी फंसी हुई गांड देखकर मेरा मन हुआ की पीछे से जाकर, जींस उतार कर , शेल्फ पर उसे झुकाकर उसकी गांड में लंड पेल दूं,
मेरे लंड में ये सोचकर फिर से दर्द होने लगा की कैसे ये चीखें मारेगी अगर मैंने इसे किचन में ही चोदना शुरू कर दिया तो. उसने मुड़कर मेरी तरफ देखा, तो मुझे अपनी गांड की तरफ घूरता पाया, मैं जल्दी से संभल गया और उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया. उसके चुचे उसकी अपनी बहन सोनिया से थोड़े ज्यादा बड़े थे, और बड़े होने की वजह से लटके हुए से थे, टी शर्ट में काफी मजेदार लग रहे थे, पता नहीं ये शायद किसी से चुसवा भी चुकी हो, इन काम वालियों का कुछ पता नहीं होता, जैसे अभी मैंने ऊपर छत्त पर उस छोटी सी लड़की को चुदते हुए देखा था उस बुड्ढे से..
क्या पता इसने भी चुदवा ली हो अपनी चूत किसी से...तभी शायद इतने बड़े हैं इसके मुम्मे..
मुझे कुछ सोचता पाकर उसने कहा "क्या सोच रहे हो ..आप बाहर बैठिये..कुछ चाहिए तो बता देना..." और मैं बाहर जाकर बैठ गया.
मैंने सोनी को कहा "तुम जरा ऊपर चलो...मैं तुम्हे अपना कमरा दिखता हूँ, उसे भी साफ़ कर दो.."
"ठीक है...चलो..." वो मेरे पीछे चल दी ऊपर की तरफ.
ऊपर जाते हुए मैं देखा की अयान और ऋतू नीचे आ रहे हैं, चुदाई के बाद...
ऋतू ने मेरे पीछे सोनी को आते देखा और बोली "भाई ...आल द बेस्ट.." और हंसती हुई नीचे चली गयी.
मैं तो जैसे सोनी को चोदने जा रहा था...पागल कहीं की.
|