Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:56 PM,
#95
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
नीचे बैठे अंकल अपने लंड को भी मसल रहे थे और अपने छोटे सिपाही को फिर से मैदान में लाने की तय्यारी कर रहे थे..ताकि ऋतू की चूत भी मार सके... ऋतू की आँखें बाहर की तरफ निकलने लगी अंकल इस तरह से चूस रहे थे,
उसके चेहरे के भाव से पता चल रहा था की आज तक उसकी चूत को इतनी अच्छी तरह से किसी ने नहीं चाटा..यानी उनका लंड छोटा ही सही..जीभ काफी बड़ी है.. और जल्दी ही अंकल की मेहनत रंग लायी
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल.......यहान्न्नन्न ऐसे ही...येस्स....... ओह बहुत बढ़िया.....अह्ह्हह्ह्ह्ह मजा आ गया......म्मम्मम्म....ई ओग्ग्ग ओग्ग्ग ओफ्फ्फ ऑफ ऑफ ऑफ ओफ्फफ्फ्फ़.......मर्र्र गयी रे........अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स.... और उनके मुंह के अन्दर ही ऋतू ने जल की वर्षा करनी शुरू कर दी..और उनकी चूत के पुजारी बने बैठे अंकल ने वो सारा प्रसाद हड़प कर डाला..
तब तक अंकल का लंड भी खड़ा हो चूका था...ऋतू हांफ रही थी अपने ओर्गास्म के बाद और अंकल ने अपना लंड आगे किया और उसकी चूत के छेद पर रखा...तभी बाहर से ऋतू की मम्मी की आवाज आई...
"ऋतू.....ओ ऋतू.....कहाँ है....जल्दी से किचन में आ..."
अंकल हडबडा गए....ऋतू के चेहरे पर भी निराशा सी आ गयी...उसकी चूत में अभी तक आग लगी हुई थी...पर मम्मी ने ना जाने क्या सोचकर एन मौके पर उसको बुलाया ...
उन दोनों ने जल्दी से कपडे पहने और ऋतू बाहर की और भागी..अंकल अपने दिल को थामे वहीं कमरे में बैठे थे..वो शायद अपनी किस्मत को धन्यवाद दे रहे थे की आज ऋतू जैसी जवान लड़की के साथ उन्होंने मजे लिए..बस चूत नहीं मार पाए...
मेरा लंड तन कर पूरा खड़ा हो चूका था...सुरभि के कोमल हाथों ने उसे और भी उकसा दिया था...हम घर के पीछे खड़े थे जहाँ छोटा सा बगीचा था..और ऊपर की तरफ काफी घने पेड़ थे..और पीछे की तरफ एक पानी की टंकी थी जहाँ से पोधों को पानी दिया जाता था..
नीचे की जमीन काफी मुलायम थी और कहीं-२ पर गीली भी..सुरभि ने मारे उत्तेजना के मुझे अपनी तरफ खींचा और नीचे गिर पड़ी..कीचड में..पर उसे अपने कपडे गंदे होने की कोई परवाह नहीं थी..
वो मेरे सामने नीचे जमीन पर पड़ी हुई थी और अपनी लॉन्ग स्कर्ट को ऊपर करके नीचे से अपनी नंगी चूत को सहला रही थी..वो काफी गर्म हो चुकी थी... मैंने उसकी आँखों में देखते हुए अपनी जींस को उतारा और अपना लंड बाहर निकाल कर सीधा कूद गया उसकी जाँघों के बीच..निशाना बिलकुल सही लगा..और मेरा लंड घप्प से सीधा उसकी चूत के अन्दर चला गया...
उसके ऊपर के कपडे मैंने उतारने की कोई जहमत नहीं उठाई...वहां कुछ था ही नहीं..सपाट मैदान था...मैंने उसके होंठों को चूसा और गीली मिटटी पर पड़ी हुई सुरभि की चूत का बैंड बजाने लगा..
किसी को अंदाजा भी नहीं होगा अन्दर की मैं और सुरभि बाहर खुले में चुदाई कर रहे है...कोई आ भी जाता तो हमें डर नहीं था...सभी लोगों को चुदाई का चस्का लग चूका था..
सिर्फ सुरभि के पापा के आने का ही डर था...पर वो तो अन्दर अपने ही सपनो में खोए हुए थे..सुरभि काफी तेज चीखती थी इसलिए मैंने उसके मुंह पर पूरी तरह से कब्ज़ा किया हुआ था ताकि अन्दर बैठे उसके पापा को उसकी आवाज न सुनाई दे.. पर फिर भी वो कुनकुना रही थी..अन्दर ही अन्दर..
ग्न्नन्न म्मम्मम्म आआह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्माह्ह्हह्ह अम्मम्मम्मा अम्म्म अग्ग्ग्गग्न्नन्न ,,,,.....
और मैंने जल्दी ही अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत की बाल्टी में डाल दिया...और तभी उसके मुंह से अपना मुंह हटाया...वो हाँफते हुए बोली..."इतनी बुरी तरह से और इतनी गन्दी तरह से मैं पहली बार चुदी हूँ...भाई....थेंक यू..." और फिर वो मुझे चूमने लगी..
मेरे भी सारे कपडे गंदे हो चुके थे कीचड में...हम दोनों उठे और अन्दर की तरफ जाने लगे तभी कमरे में मम्मी आई, जहाँ अंकल अभी तक बैठे हुए थे...मैं और सुरभि फिर से अन्दर देखने लगे..
मम्मी : "जीजू...ये मैं क्या सुन रही हूँ....आप लोग आज रात की ट्रेन से जा रहे हैं...?" उनके स्वर में नाराजगी थी..
अंकल : "हाँ....मैंने तो आपको परसों भी कहा था की हमारी टिकट बुक हैं आज के लिए..."
मम्मी : "वो मैं कुछ नहीं सुनना चाहती....आप अभी सन्डे तक यहीं रहिये...अभी बच्चों के कॉलेज खुलने में भी टाइम है..सिर्फ तीन दिनों की ही तो बात है..."
अंकल : "नहीं दीदी...आप समझा करो...मैं पिछले 15 दिनों से छुट्टी पर हूँ...मुझे ऑफिस में रिपोर्ट भी करनी है कल ...मैं नहीं रुक सकता..."
मम्मी : "मैं कुछ नहीं जानती...आप को मेरी कसम ...आप नहीं जायेंगे...बस..." मम्मी ने जिद्द करी.
अंकल : "ये आप क्या कह रही हैं...इसमें कसम देने वाली क्या बात है...आप समझा.....करो......."
और ये बोलते हुए अंकल एक दम से रुक गए...क्योंकि..मम्मी का वो सरकता हुआ पल्लू फिर से गिर गया था...और अंकल के सामने फिर से उनके तरबूज दिखने लगे थे...थोड़ी देर तक कमरे में कोई कुछ नहीं बोला..
और फिर मम्मी ने कहा.."मैं सब जानती हूँ....आप क्या देख रहे हैं..."
वो घबरा गए जैसे मम्मी ने उनकी चोरी पकड़ ली हो.. पर जब उन्होंने देखा की मम्मी ने अपना पल्लू ठीक नहीं किया है तो उनकी भी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी...
उन्होंने मम्मी की आँखों में देखकर कहा "अच्छा...बताओ फिर...मैं क्या देख रहा हूँ..." और ये कहते हुए वो मम्मी की तरफ बढ़े..
मम्मी उन्हें अपनी तरफ आते देखकर दीवार से जा सटी...और उनकी साँसे तेजी से चलने लगी...वो नाटक कर रही थी या सच में उत्तेजना के मारे ऐसा कर रही थी...पता नहीं.
उनके जीजू पास आये और फिर से बोले..."बोलो न दीदी...क्या देख रहा हूँ मैं..."
मम्मी : वही....जो मैं दिखा रही हूँ....पर आप तो कुछ समझते ही नहीं....लल्लू कहीं के..." और वो धीरे से हंसने लगी...
अंकल सब समझ गए की मम्मी उन्हें खुली लाइन दे रही है...अभी थोड़ी देर पहले ही उन्होंने उनकी बेटी से मजे लिए थे...और अब माँ भी...जिनके हुस्न को उन्होंने हमेशा से चाहा था...और आज उनकी किस्मत पर जैसे भगवान् ने मेहरबानी की वर्षा सी कर दी हो...
उन्होंने अपने कांपते हाथों से मम्मी के अर्धनग्न मुम्मों को पकड़ा....मम्मी ने सीईईईईईए की आवाज निकालते हुए अपनी आँखें बंद कर ली...और अंकल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर अपनी ही चुचों का मर्दन करने लगी...
अंकल के हाथों के नीचे इतने बड़े और मुलायम चुचे आज तक नहीं आए थे... उन्होंने उनके उभरे हुए चुचे को ऊपर से चाटना शुरू किया और जैसे ही उन्होंने ब्लाउस खोलने की कोशिश की.
मम्मी ने उन्हें रोक दिया और बोली "नहीं ...जीजू...अभी नहीं...बाहर सभी लोग बैठे हैं....मैं रात को आउंगी...आपके पास...बस आप सन्डे तक यहीं रुक जाओ न प्लीस..." और उन्होंने अपने जीजू के होंठों को चूम लिया...अब इस बात को तो कोई पागल ही मन करेगा...उन्होंने झट से हाँ कर दी...और मम्मी किसी छोटे बच्चे की तरह से ख़ुशी के मारे उनसे लिपट गयी...और फिर वो दोनों बाहर की और चल दिए..
हम दोनों भी अन्दर चल पड़े...अन्दर मम्मी सभी को ये खुशखबरी दे रही थी की अब सभी लोग सन्डे तक वहीँ रुकेंगे...ये सुनते ही दीपा आंटी के साथ-२ अयान और ऋतू भी ख़ुशी से झूम उठे...
तभी अंकल ने हमें कीचड वाले गंदे कपड़ों में देखा और बोले..."तुम बच्चे अभी तक मिटटी में खेल रहे हो....पता नहीं कब बड़े होगे तुम लोग..." उन्हें क्या मालुम था की हम क्या खेल खेलकर आये हैं. वो ख़ास कर अपनी बेटी सुरभि की तरफ देखकर बात कर रहे थे..
तभी बीच में ही दीपा मौसी बोली..." चलो सुरभि तुम ऋतू के साथ ऊपर जाओ और नहा लो...चेंज करके नीचे आना... और आशु तुम भी ऊपर जाओ...नहाने..." उन्होंने जब मेरी तरफ रहस्यमयी हंसी में देखा तो मैं समझ गया की मौसी को सब पता चल चूका है की ये कपडे कैसे गंदे हुए.
मैं, ऋतू और सुरभि ऊपर की तरफ चल पड़े...और पीछे -२ अयान भी आ गया...
मैं और सुरभि एक साथ बाथरूम में घुस गए...और मेरे पीछे -२ अयान और ऋतू भी आ गए वहीँ पर...
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RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा - by desiaks - 12-13-2020, 02:56 PM

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